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Erotica जवानी जानेमन (Completed)

RajaRam1980

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चन्द्रमा के बाथरूम से वापस आने के बाद मैं भी जल्दी से घुस गया बाथरूम में, जल्दी जल्दी बाथरूम का निरक्षण किया तो आखिर मुझे वो चीज़ मिलहि गयी जिसकी मुझे तलाश थी,जी हाँ चन्द्रमा की ब्रा, उसकी काले रंग की ब्रा खूंटी के ऊपर उसके टॉप और लेगिंग्स जो उसने उतरी थी में लटकी हुई थी, मैंने ये जान बूझ कर खूँटी के ऊपर टॉवेल्स को लटकाया था ताकि चन्द्रमा को खूंटिया न मिले अपने कपडे लटकाने के लिए , इसीलिए उसने एक ही खूंटी पर अपनी तीनो कपडे लटका दिए थे, ब्रा कुछ खास नहीं थी,कोई लेबल नहीं था जिससे उसकी चूचियों के साइज का सही पता चलता लेकिन फिर भी मेरी तजुर्बेकार आँखों ने अंदाज़ा लगा लिया था की ये ब्रा ३२ साइज की होगी, यानि चन्द्रमा के चुच्चे ३२ साइज के थे। मैंने ब्रा का कप देखा सिंगल पैडेड था इसलिए थोड़ी अच्छी शेप लिए हुए था, मैंने उसकी ब्रा को अपनी नाक के पास ला कर एक गहरी सांस ली लेकिन हलके पसीने की महक के अल्वा कुछ खास फील नहीं आया, मैंने वापस ब्रा वही लटका दी और पैंटी ढूंढने लगा लेकिन मुझे उसकी पैंटी कहीं नज़र नहीं आयी, मैं जल्दी जल्दी नहाया और शरीर पर खूब साबुन लगे के झाग बनायीं जिस से फर्श पर झाग ही झाग हो गया, मैंने शावर की स्पीड कम कर रखी थी और सारा साबुन और शैम्पू का झाग पानी की निकासी वाली जाली पर इकठ्ठा हो रहा था,
मैंने जल्दी से हाथ बढ़ा कर टॉयलेट पेपर का रोल उठा और थड़े से टॉयलेट पेपर उस जालीके पास झाग पर डाल दिए,कुछ ही सेकंड में पानी नाली से निकलना बंद हो गया और बाथरूम में इकठ्ठा होने लगा, मैं ऑलमोस्ट नाहा चूका था, मैंने टॉवल से अपने शरीर को सुखाया और शावर के नीचे से निकल के बेसिन के पास सूखे एरिया में आगया, वाशरूम २ पोरशन में बना हुआ था एक साइड शावर बीच में आरपार दिखने वाला गिलास पार्टीशन और दूसरी साइड टॉयलेट और वाशबेसिन, शावर वाला साइड हल्का सा नीचे था तो उसमे थोड़ा थोड़ा पानी नाली मेरे बंद करने के कारन जमा हो गया था, मैं पूरा तैयार होकर वाशरूम से बहार निकलने लगा बस निकलते टाइम मैंने हाथ बढ़ा कर चद्र्मा का टॉप और ब्रा जो उसने आज ही उतरे थे नहाते टाइम को बाथरूम में जमा हो चुके पानी में गिरा दिया और रूम में आगया।

चन्द्रमा एक दम तैयार सोफे पर किसी राजकुमारी की तरह बैठी हुई थी और तरह तरह के मुँह बना कर सेल्फी ले रही थी, मुझे देख कर हल्का सा चौंकी और एक दो सेल्फी लेकर बोली आपके फ़ोन का उसका कैमरा कैसा है ?
मैं : पता नहीं मैं सेल्फी तो लेता नहीं तो नहीं पता
चन्द्रमा : हम्म अच्छा दिखाओ
चन्द्रमा : अरे अच्छा तो है ये, गूगल पिक्सल है तो पिक्चर मस्त आएगी
मैं : मैं ओके तो तुम इस से ले लो पिक्स
चन्द्रमा : नहीं और सेल्फी नहीं, बस आप मेरी एक दो पिक्स ले दो अपने मोबाइल से यहाँ अच्छी आएगी पिक्स
मैं : हाँ क्यों नहीं ?

फिर कभी सोफे पर कभी चेयर पर और कभी विंडो के पास खड़ा करके बहुत से पिक्स ली, कुछ पिक्स मैंने अपनी पसंद की भी ले ली जिसमे कैमरा फोकस मैंने खास तौर से चन्द्रमा के चूचियों और गांड पर रखा था, फोटोज लेने के बाद मैंने मैंने फ़ोन उसकी ओर बढ़ा दिया और पिक्स चेक करने के लिए बोला, लेकिन सुने मन कर दिया, लेकिन मैंने ज़ोर दिया की वोचेक कर ले की कही कोई गलत पिक्चर तोह नहीं ली है मैंने और अगर पिक गलत लगे तो वो डिलीट कर सकती है (ये सब मैंने उसका विश्वास जितने के लिए कहा था, जिसका फ़ौरन असर भी हुआ ) उसने फ़ोन मेरे हाथ से लेकर एक तरफ रखा और मेरे बिलकुल सामने हो कर मेरी आँखों में देख कर बोली "अगर विस्वास नहीं होता तो भला मैं अकेले कभी आपके साथ आती ) इतना सुन कर मैंने उसको गले से लगा लिया, 4-५ मिनट हम ऐसे ही एक दूसरे को गले लगा कर खड़े रहे फिर मैंने उसका चेहरा ऊपर उठा तो उसने शर्मा कर चेहरा हल्का सा घुमा लिया, मैं समझ गया की अभी ये लिप्स पर किस्स के लिए रेडी नहीं है तो मैंने भी फिर धीरे से उसके माथे पर अपने होठ रख दिए, वो एक दम शांत हो गयी फिर मैंने धीरे से उसके चेहरे को अपने दोनों हाथो में भर लिए और हलके हलके माथे से लेकर गलो और गर्दन तक चूमने लगा, हर एक चुम्बन से उसका शरीर मस्ती से काँप उठा था, उसकीआँखे बंद थी लेकिन उसका शरीर बता रहा था की वो हर एक किस्स को फील कर रही है और हर एक किस्स के साथ उसके साँसे भारी हो रही है, मैंने किस्स करते करते उसे अपनी बाहों में जकड लिया और और साथ में रखे सोफे पर ढेर हो गया और चन्द्रमा ने भी अपने शरीर को ढीला छोड़ रखा था जो सीधा मेरे शरीर के ऊपर था, मैंने पागलों की तरह उसको यहाँ वह चूम रहा था केवल होंठों को छोड़ कर, चन्द्रमा भी पूरा साथ दे रही थी, एक पलकों मुझे लगा हाँ यही वो क्षण है जब सारी हदे पार हो सकती है और मिलन का पल आ सकता है लेकिन अचानक मनो चन्द्रमा की तन्द्रा भाग हुई और चन्द्रमा आँखे खोल कर मुझसे अलग होने का प्रयास करने लगी, मैंने ज़बरदस्ती नहीं की, बस हौले से पूछा " क्या हुआ ?" चन्द्रमा ने भी शांत लेकिन हौले से ही कहा बस बहुत हुआ इस से ज़ायदा नहीं, आपसे किस्स का प्रॉमिस किया था वो पूरा किया।
" हाँ तुमने वादा पूरा किया लेकिन अभी मैंने और बहुत सारी किस्सेस लेनी है " हाँ ठीक है वो बाद में देखेंगे बोलकर चन्द्रमा ने टाला।

अभी होटल में आये २ घंटे भी नहीं हुए थे और इतना कुछ हो गयावो भी काम बड़ी बात नहीं थी इसलिए मैंने भी ज़ायदा बात आगे नहीं बढ़ाई और फिर हम अपने कपडे ठीक टाक करके होटल से निकल गए। सबसे पहले हमने हवा महल घूमने का प्लान बनाया क्यूंकि हवा महल हमरे होटल से ज़्यदा दूर नहीं था और वैसे भी दोपहर हो चुकी थी तो हम सीधे हवा महल जा पहुंचे, लगभग पांच बजे तक हमने टाइम वही बिताया, फिर वह से हम वापिस निकल पड़े, रस्ते में मैंने चन्द्रमा से पूछा क्या उसका और कुछ मन है तोह उसने मना कर दिया की थक गयी हूँ अब कल घूमेंगे, मैंने तब तो कुछ नहीं बोला लेकिन थोड़ा आगे जाकर मैंने बोला की इतनी जल्दी जा कर होटल करेंगे क्या, एक काम करते है हमने लूच ठीक से नहीं किया था यही पास में एक फेमस मिर्ची वडा वाला है वह से अच्छा लगा तो कुछ खा कर हॉटेलचलते है अगर नाईट में भूख लगी तो रूम सर्विस से माँगा लेंगे। चन्द्रमा को या बात जम गयी और और मैंने ऑटो दूसरी दिशा में मुड़वा लिया। मैंने जान भुझ कर एक ऐसी शॉप को चुना था जो बिलकुल सेंट्रल पार्क के पास था, असल में मेरा मक़सद चन्द्रमा को सेंट्रल पार्क में लेके जाना था।

कुछ देर में हम उस दूकान पर पहुंच गए, अच्छी मशहूर शॉप थी, लोग भीड़ लगा कर खा रहे थे हमने भी वह पेट भर कर खाया, हवा महल घूमने के चक्कर में हमने ढंग से नहीं खाया था। मिर्ची वडा नाम के अनुसार ही तीखा और टेस्टी था और से चन्द्रमा ने तीखी चटनी लगा लगा कर खायी, मिर्ची खाने के कारन उसका पूरा चेहरा लाल हो गया लेकिन उसने खाना नहीं छोड़ा था, मिर्ची मुझे भी लगी थी लेकिन बहुत काम l। लेकिन मैं ऐसे दिखा रहा था मनो मिर्ची ने बुरा हाल कर रखा हो।

दूकान से निकल कर हम थोड़ा आगे बड़े और पार्क के गेट के सामने पहुंच कर मैंने चन्द्रमा से कहा की थोड़ी देर यहाँ पार्क में बैठ कर रिलैक्स होते है फिर चलते है, मिर्चों ने उसका भी बुरा हाल किया हुआ था तोह उसने भी विरोध नहीं किया और हम पार्क आगये, पार्क में एंटर करते टाइम मैंने टिकट काउंटर के पास बानी हुई शॉप से एक कोल्ड्रिंक और एक करनिटो आइस क्रीम चुपचाप खरीद ली थी, सेंट्रल पार्क जयपुर ही नहीं मेरे ख्याल से देश के सबसे बड़े पार्को में से एक है और खूब सुन्दर भी है, पार्क में घुसते ही फूलपौधे और झूले है जो पार्क का प्रमुख आकर्षण है, अधिकतर परिवार और बच्चे यही मस्ती मज़ा करते है लेकिन मैंने चण्द्रमा को लेकर एक शांत कोने की ओर चला पड़ा, थोड़ा आगे जाकर पार्क में एक आर्टिफीसियल तालाब है जिसमे बहुत सारे छोटे फव्वारे लगे हुए है और बीच में एक विशाल फव्वारा लगा हुआ है,लेकिन आज किन्ही करने से बंद था या बंद रहता होगा, यहाँ बिलकुल भी भीड़ नहीं थी। हम तालाब से थड़ा पहले बानी एक बेंच पर जा बैठे, यहाँ चारो और छोटे बड़े काफी पेड़ पौधे थे तो यहाँ काफी शांति और ठंढक थी।

मैंने कोल्ड ड्रिंक की बोतल खोली और एक सिप लेकर चन्द्रमा को पकड़ा दी, उसको अब मिर्चे नहीं लग रही थी फिर भी वह धीरे धीरे कोल्ड ड्रिंक क्र सिप लेती रही, मैंने चन्द्रमा के कमर में हाथ डाल कर अपनी और खिंचा तो वो भी मुझसे सट कर बैठ गयी और सर मेरे कंधो पर रख लिया, लगभग 5-७ मं बीता होगा के अचानक किसी लड़की की कराह सुनाई दी, मैं चुपचाप शांत ऐसे बैठा रहा जैसे मैंने सुना ही न हो लेकिन चन्द्रमा एक दम सीधी हो कर बैठ गयी और आवाज की दिशा में गौर से देखने लगी, फिर अचानक उसने मेरा हाथ पकड़ के जैसे झखोर दिया, मैंने चन्द्रमा के ओर देखा तो वो मेरे कान में फुसफुसाई वह देखो समीर उस पेड़ के नीचे और अपनी आंखो के इशारों से मुझे जो दिखाया वो बड़ा मज़ेदार दृश्य था, इसी दिश्य को दिखने के लिए तो मैं उसको यहाँ लाया था, हमारे बायीं तरफ लगभग पचास साथ मीटर आगे एक लड़की का शरीर सर और चेहरे को दुपट्टे से ढाँपे तेज़ी के साथ ऊपर नीचे उछाल रहा था, लम्बी कुर्ती ने पीछे से उसके विशाल चूतड़ों को छुपा रखा था लेकिन फिर भी कुर्ते के कट से उसकी नंगी मसल झांघे साफ़ दिखाई दे रही थी, एकबारी तो देखने से ऐसा लगा रहा था मानो वो पेड़ के तने को अपनी बाँहों में पकडे पेड़ की किसी डाली को पानी चूत में समाये चुदाई के अलौकिक आनंद में लींन है है लेकिन ज़रा सा गौर करने पर दिख रहा था की दुपट्टे में एक नहीं दो सर समय हुए थे , लड़के ने पेड़ से टेक लगायी हुई थी और लड़की उसके खड़े लुण्ड पर
उछल उछल कर अपनी चूत से प्रहार कर रही थी, दुपट्टे के अंदर से लड़का उसके मुम्मो को चूस रहा था और लड़की गांड उठा उठा के चुदवाने में मस्त थी, दोनों चुदाई में इतने लींन थे के उनको इस बात का एहसास तक नहीं था की लोग उनको देख रहे है, चुदाई की आग होती ही ऐसे है, अगर सर चढ़ जाये तो नंगेपन की चरम को भी पार कर जाती है।

जो कराह सुनकर हम उनकी और आकर्षित हुए थे शायद वो चूत में लुंड घुसने के समय की थी क्यंकि अब जिस रफ़्तार से लड़की अपनी भारी गांड उछाल उछाल के छुड़वा रही थी उसमे तो केवल मनमोहक आह और उह की ही आवाज़े आरही थी, साथ में कभी कभी चूतड़ों के टकराने की आवाज़ ताल से ताल मिला देती थी। चन्द्रमा उनकी चुदाई देखने में मनो खो सी गयी थी, उसकी सांसे भी थोड़ा भारी हो रही थे मैंने भी मौका देख के चन्द्रमा को अपने से और सटा लिया और हाथ उसके पेट पर रख अहलका हल्का सहलाना चालू कर दिया, अब उस लड़की की उछलने की रफ़्तार में अचानक से तेज़ी आगयी थी और फिर उस लड़की ने लड़के के सर को अपने हाथो में थमा और और उसके होंठों पर टूट पड़ी, लड़का भी नीचे से अपनी कमर उठा उठा के अपना लुंड लड़की की चूत में धक्के लगा रहा था जैसे लड़की की बच्चेदानी पर प्रहार कर रहा हो तभी अचानक लड़की का शरीर अकड़ा और फिर एक दम से ढीला हो गया, शयद उनका माल निकलगया था, और वो उस लड़के की छाती पर निढाल होके गिर पड़ी, लड़की के चरम पर पहुंच के ढीला पड़ते चन्द्रमा भी होश में आयी और मेरी ओर देख के शर्मा गयी,

मैं : क्या हुआ ?
चन्द्रमा : छी कितने गंदे है ये,
मैं : मैं गंदे कहा, ये तो प्यार कर रहे है
चन्द्रमा : अरे पर लेकिन ऐसे खुल्ले में
मैं : अरे सब नहीं कर सकते ओफ्फोर्ड होटल तो बेचारे क्या करे
चन्द्रमा : अच्छा छोड़ो, बड़ा बेकार पार्क है ये
मैं : अरे तो मुझे क्या पता कैसा पार्क है मैं कौन सा यहाँ पहले कभी आया हूँ
चन्द्रमा : अरे मैं आप को कुछ नहीं कह रही,
मैं : मैं अच्छा सुनो उधर देखो,
अब जो चन्द्रमा ने मेरी बायीं दिशा में देखा तो फिर मुँह खुला का खुला रह गया, हम ओपन में बेंच पर बैठे तो पता नहीं चल रहा था लेकिन जब धयान से देखा तो काम से काम पांच और जोड़े अपनी अपनी रासलीला में लगे हुए थे,
चन्द्रमा : हे भगवनइतना कुछ सब ओपन में
मैं : हाँ जब ऑप्शन नहीं है तो

हम बात करते करते बाकी जोड़ो को उनकी रास लीला करते हुए देख रहे थे ये जोड़े हमसे थोड़ी ज़्यदा दूर थे तो सब कुछ क्लियर नहीं दिख रहा था लेकिन साफ़ पता चल रहा था की कही चुदाई तो कही चुसाई चल रही है,
चन्द्रमा : चलो बस अब चल रहे है बहुत हो गया
मैं : हाँ बस चल रही है बस ये आइस क्रीम खतम कर के
चन्द्रमा : आइस क्रीम ?
मैं : हाँ ये करनेटो कब से पड़ी गरम हो रही है तुमने खायी ही नहीं
चन्द्रमा : अरे मैंने तो देखि ही नहीं
मैं : कोई नहीं अब खा लो
चन्द्रमा : आपकी कहा है ?
मैं : इसी में से दोनों खाएंगे, उसके पास करनेटो केवल यही बची थी
चन्द्रमा : हम्म कोई नहीं शेयर कर लेनगे

मैंने आइस क्रीम उसको पकड़ा दी, लेकिन आइस क्रीम लगभग १५ मिनट से बहार थी तो थोड़ा पिघलने लगी थी, चन्द्रमा ने जैसे ही खाना स्टार्ट किया आइस क्रीम टपक कर उसके होटों और थोड़ी पर लग गयी, पर वो आइस क्रीम खाती रही, चन्द्रमा को करनेटो बहुत पसंद थी, उसने कई बार मुझे फ़ोन पर बताया था, जब खाते खाते आइस क्रीम आधी से काम बची तो उसने मेरी ओर बढ़ी दी लेकिन मैंने उसे थोड़ा ओर खाने को कहा, अब केवल वफल (बिस्कुट) वाला पार्ट भी बचा था,
मैं : अरे तुमने सारी क्रीम ख़तम कर दी
चन्द्रमा : आपने ही बोला था की थोड़ा ओर खा लो तो मैं खा गयी
मैं : लेकिन मेरा हिस्सा
चन्द्रमा : बाद में
मैं : नहीं अभी चाहिए
चन्द्रमा : अभी कहा मिलेगी, चलो रस्ते में कही से दिला दूंगी
मैं : उनहूँ मुझे तो अभी कहानी है, बोलो खा लू ?
चद्र्मा : वफ्ले (बिस्कुट) आगे बढ़ाते हुए लो खा लो
मैं : रहने दो मैं खुद खा लूंगा और कहते हुए

मैं अपना एकहाथ चन्द्रमा के पीठ पर लेकर गया और इससे पहलेचंद्रमा कुछ कह पाती उसके होंठ और ठुडी पर लगी क्रीम को चाट लिया, शायद चन्द्रमा अभी एक अनजान जोड़े की लाइव चुदाई देख कर अंदर तक गर्म थी की उसने अपने रसीले होंठ मेरे होंटो से लगा दिया, चन्द्रमा के होंठ से होंठ का मिलना ऐसा था मनो बरसो की मुराद पूरी हुई हो और मैंने चद्र्मा के चाँद जैसे मुखड़े को अपने दोनों हाथो में भर कर उसके शहद जैसे होंटो का रसपान करना शरू कर दिया, चद्र्मा भी पुरे जोश से मेरे होंटो को जवाब दे रही थी फिर वो पल आया की मेरी जीभ चन्द्रमा के जीभ से टकराई और हम दोनों एक दूसरे के होंठों के साथ साथ जीभ का रासपान करने लगे। हमारा ये किस्स या स्मूच इतना रसभरा और लम्बा था की गुरुवर इमरान हाश्मी भी प्रसन्न हो उठे, शायद ये पिछले दो साल की तड़प के बाद आज मौका आया था और हम दोनों अपनी किस्स में डूबे हुए थे, दोनों की सास उखाड़ने लगी लग हमने एक दूसरे के होंठ को छोड़ा और एक दूसरे की आँखों में देखा, चांदनी मनो नशे में मदहोश थी, प्यार और चुदाई दोनों का नशा चढ़ रहा था उसके दिल दिमाग पर।

तभी पत्तो की हलकी खड़खड़ाहट की आवाज़ पर देखा तो वो अजनबी जोड़ा जा रहा था, लड़की ने चुन्नी सर पर ओढ़ थी और और आगे आगे चल रही थी, लड़का उसके पीछे था, जब लड़का हमरे सामने से गुज़रा तब उसने चन्द्रमा से नज़रे बचा कर मेरी ओर आँख मार दी। मैंने भी मुस्कुराकर उसका अभिवादन किया भले उस अजनबी लड़के लड़की को आजीवन पता न लगे लेकिन उनकी चुदाई ने मेरा रास्ता आसान कर दिया था, शायद उनकी ही चुदाई का असर था जो मैंने और चन्द्रमा ने अपनी पहली और इतनी उत्तेजित किस्स की थी। चन्द्रमा ने भी मेरा हाथ पकड़ा और चलने का इशारा किया, हमारा यहाँ काम पूरा हो चूका था सो हम भी वह से निकल कर होटल आ गए।
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बाकि का रास्ता ऐसे मज़े लेते हुए पूरा होने को था, ट्रैन जब जयपुर स्टेशन के पास पहुंची तो थोड़ा अटक अटक के चल रही थी, शायद सिग्नल क्लियर नहीं मिल रहा था, किस वाली घटना के बाद से ही चन्द्रमा मेरे कंधे पर ही सर रख के सोती हुई आयी थी, लेकिन अब ट्रैन में एक दो झटके लगे तो आँख खुल चुकी थी और जाग रही थी मैं गर्दन टेढ़ी कर उसकी ओर देखता तो वो हलके से मुस्कुरा देती, ज़ायदा बातचीत नहीं हो रही थी, सारे रस्ते हमने या तो चुहलबाजियां की थी या बातें, मेरा एक हाथ अभी भी सीट के पीछे से चन्द्रमा की बाँहों और और छाती के आस पास ही था, जिस से मैं चन्द्रमा का शरीर सहला कर अपने लंड में कभी कभी गर्मी पैदा कर लेता था, मैंने अभी तक चद्र्मा की चूचियों को नहीं छेड़ा था बस कभी कभार अपने से और करीब चिपकने के बहाने उसे अपनी ओर खींचता तब उँगलियाँ उसकी चूचियों से टच हो जाने देता था, इन छोटी छोटी चुहलबाजियों का अपना अलग मज़ा है जिस किसी पाठक या पाठिका न ऐसा मज़ा लिया हो वो भली भांति इस आनंदनदायी पालो को भली भांति समझ सकते है।

ट्रैन कुछ मिनट से रुकी हुई थी जो अब चल पड़ी थी शायद अब लाइन क्लियर मिल गयी थी, हम दोनों इसी पोज़ में प्रेमी जोड़े की भांति बैठे रहे की अचानक ट्रैन ने ब्रेक मारा, ये पहले लगने वाले झटको से थोड़ा तेज़ था, मैं जो सीट पर थोड़ा आगे होकर बैठा था ताकि चन्द्रमा आसानी से
अपना सर मेरे कंधो पर रख सके अचाणकलागे इस जटके से disblance हुआ और संभलने के चक्कर में जो हाथ पिछले एक डेढ़ घंटों से चन्द्रमा के चूचियों के इर्दगिर्द घूम रहा था झट से उसकी चूचिओं को दबोच बैठा, चन्द्रमा ने एक दम से एक आह की आवाज़ निकली और मेरे हाथ को अपने शरीर से अलग कर दिया, मैंने भी चुपचाप सीधा होकर बैठ गया, ये मेरे प्लान का पार्ट नहीं था लेकिन मुझे जो उसकी नर्ममुलायम रुई के गालो जैसे चूचिया दबा के जो आनंद आया वो मैं बता नहीं सकता, मैंने कनखियों से देखा चन्द्रमा खिड़की के बाहर देख रही थी लेकिन उसके गुलाबी गाल और चेहरे की मंद मुस्कान उसके अच्छा लगने की चुगलियां खा रही थीं।

लगभग एक बजे हम स्टेशन पहुंच गए और टैक्सी पकड़ के सीधा होटल आ पहुचें। वैसे हमारा प्लान होटल डायरेक्ट आने का नहीं था क्यूंकि मैंने दिल्ली में ही प्लान किया था की हम स्टेशन से सीधा मोनुमेंट्स देखने जायेंगे और फिर इवनिंग में होटल में पहुंच कर आराम करेंगे, लेकिन हमे ये प्लान चेंज करना पड़ा क्यूंकि हम दोनों ही मॉर्निंग में जल्दी निकलने के कारन बिना नहाये आये थे, इसीलिए हमने अब प्लान ये किया था की पहले होटल में फ्रेश होकर फिर कहीं घूमने निकलेनेगे।

हमने होटल में जाकर अपनी बुकिंग कॉनफिमकी और फॉर्मलिटीज पूरी करने लगे, शरू में चन्द्रमा थोड़ी घबराई हुई थी की होटल वाले कोई टोका टाकी न करे, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ, ४ स्टार होटल था यहाँ किसी को इतनी फुर्सत कहा, मैंने अपनी keys रिसेप्शन से ली और सीधे अपने रूम में जा पहुंचे, मैं बेल बॉय की भी सर्विस मन कर दी थी, हमारे पास कुछ खास सामान तो था नहीं और मैं वैसे भी बिना बेल बॉय के ही रूम में जाना चाहता थ।

होटल एंड रूम देख कर चन्द्रमा की ख़ुशी छुपाये नहीं छुप रही थी,रूम शानदार था, रूम में घुसते ही बाएं साइड में साफ़ सुथरा शानदार बाथरूम और उसके सामने दायी साइड एक विशाल आइना लगा हुआ था, उसके बाद थोड़ा खाली स्पेस और फिर एक शानदार किंग साइज बेड विथ क्लीन वाइट शीट्स एंड ब्लॅंकेटस, सेंट्रली ऐरकण्डीशन्ड था तो झट से एक दम चिल्ड हो गया, बेड के बाद एक साइड २ सीटर सोफे और सोफे सामे स्टडी टेबल एंड एक रिवॉल्विंग चेयर, फिर उसके बाद एक बिग गिलास जो कर्टेन से ढाका हुआ था, कर्टेन हटाओ तो समाने एक हराभरा पार्क और पार्क के साइड में बने हुए कुछ बंग्लोव्स, चन्द्रमा रूम के हर कोने में घूम घूमकर हर एकचीज को चेक कर रही थी, मैंने तब तक टीवी ऑन कर लिया था और ऐसे ही इधर उधर चैनल बदल कर देख रहा था की अचानक चन्द्रमा की ख़ुशी से चिल्लाई, अरे समीर देखो यहाँ तो इन्होने पुरे चाय कॉफ़ी का अरेंजमेंट किया हुआ है और बिस्किट्स भी है,

मैं : हाँ उनको मालूम था का की तुम आरही हो हो चाय की दीवानी इसीलिए रख गए है, माइन उसे चिढ़ाया था
चन्द्रमा : हाँ सच में बड़े अच्छे है ये होटलवाले
मैं : टी और कॉफ़ी पॉट के नीचे देखो,
चन्द्रमा : अरे ये तो फ्रिज है नोनू सा,
मैं: हाँ तुम्हारे जैसा नोनू
चन्द्रमा वहां से उठी और मेरे पास पहुंच के धराम से बेड पर गिर गयी
चन्द्रमा : वाह बड़े मस्त स्प्रिंग लगे है बेड में, बड़ा मस्त यार ये , (मैंने मन में सोंचा, हाँ जब बेड पर लिटा कर धक्के मरूंगा तब देखना इसकी स्प्रिंग का कमाल)

मैं उसकी बच्चों जैसी एक्सकिटमेंट देख देख के मुस्कुरा रहा थ। खैर थोड़ी देर रिलैक्स करने के बाद चन्द्रमा नहाने के लिए कपडे निकलने लगी तबतक मैं उठा और वाशरूम चला गया, वाशरूम मैंने लॉक किया और जल्दी से जो टॉवल बेसिन के साइड स्लैब पर रखे थे उनको उठा कर जल्दी जल्दी खूंटी पर लटका दिया, केवल ३ ही खूंटिया थी जिसमे से मैंने खुट्यों पर टॉवेल्लाटका कर एक खूंटी भी खूंटी खाली छोड़ी, मैं वापिस आकर फिर से बेड पर लेट गया, चन्द्रमा ने कपडे निकल लिए और मेरे बहार आते ही वो बाथरूम में घुस गयी, चन्द्रमा के जाते हे मैंने उसका बैग उठाया और धीरे से बैग की ज़िप खोलकर जल्दी जल्दी निरक्षण करने लगा, उसमे चर्द्रमा के एक दो जोड़ी कपडे थे, एक हैंडबैग, कुछ मेकअप का समाना और कुछ कैश और कुछ जेवेलरी थी, लेकिन मुझे इन सबसे कोई मतलब नहीं था, मुझे उस चीज़ की तलाश थी जो लड़को की आकर्षण का केंद्र है, जी हाँ सही पहचाना मैं उसकी ब्रा और पैंटी ढूंढ रहा था लेकिन मुझे उसके बैग कोई ब्रा पैंटी नज़र नहीं आयी, मैंने चुपचाप बैग की ज़िप बंद की और वापिस उसकी जगह पर रख दिया।

मुझे बैग में ब्रा पैंटी न मिलने का कोई गम नहीं था बल्कि उल्टा ख़ुशी ही हुई थी, थोड़ी देर में ही चन्द्रमा बाथरूम से बहार निकल आयी, वो बाथरूम में अपने कपडे ले कर गयी थी और वह से वो अपने पुरे कपडे पहन का बहार निकली थी, मैं उसकी चालाकी देख कर मुस्कुरा उठा, चन्द्रमा ने इस वक़्त एक टाइट ब्लू जीन्स और ऑफ वाइट कलर का गोल्ड प्रिंटेड टॉप पहना था, ये उसने मेरे साथ ही खरीदा था सरोजनी नगर मार्किट से। चन्द्रमा इस वक़्त हलके गीले कपड़ो में एक दम गज़ब की सुन्दर लग रही थी, साफ़ धुला धुला चेहरा और पानी से भीगे बाल, वो टॉवल से अपने गीले बाल सुखाने में लगी हुई थी के मैं अचानक उठ कर चन्द्रमा के पीछे जा पंहुचा और उसकी पानी से भीगी गर्दन पर अपने होंटो से चुम लिया, चन्द्रमा हाथो में टॉवल थामे थामे एक दम से पलटी तो मैंने उसको बाँहों में उठा लिया, फूल जैसी कोमल लड़की मेरी बाँहों में झूलगायी, मैं चन्द्रमा को बाँहों में उठाये उठाये बाथरूम की और चल दिया, चन्द्रमा अपनी नशीली आँखों को बड़ा बड़ा करके मेरी और देखने लगी लेकिन मैं बिना कुछ कहे उसको बाथरूम के गेट तक ले आया अचानक चन्द्रमा जैसे नींद से जाएगी और छटपटा कर मेरी गिरफ्त से छूटने की कोशिश करने लगी लेकिन मैंने जानभूझ कर गिरफ्त मजब्बूत्त की हुई थी, मैंने उसे बाथरूम की और ले जा रहा था ओर वो बाथरूम की चौखट पकडे अंदर जाने से बच रही थी

चन्द्रमा : उनहूँ छोड़ो न सारे कपडे ख़राब हो रहे है
मैं : उनहूँ, नहीं छोडूंगा
चन्द्रमा : प्लीज यार मत करो ना
मैं : नहीं आज नहीं छोडूंगा, बहुत तड़पाया है तुमने
चन्द्रमा : प्लीज, सारे कपडे ख़राब हो जायेंगे, मैं कपडे नहीं लायी ज़ायदा,
मैं : कोई नहीं नए दिला दूंगा
चन्द्रमा : नहीं प्लीज प्लीज, बस करो न यार, छोड़ दो प्लीज
मैं : नहीं बेबी आज नहीं, इतने दिन के बाद तो आज हाथ लगी हो आज बस हो ही जाये
चन्द्रमा : बेबी प्लीज आज माफ़ कर दो कल पक्का मैं आपके साथ नहाउंगी
मैं : देख लो कल पक्का ?
चन्द्रमा : हाँ पक्का पक्का बाबा, कल दोनों संग संग नहाएंगे, लेकिन प्ल्ज़ आज नहीं, आज मैंने कपडे चेंज कर लिए है
मैं : ठीक फिर कल का साथ नहाना लॉक किया जाए
चन्द्रमा : हाँ लॉक किया जाए कंप्यूटर जी
मैं : गुड गर्ल, अच्छा एक मं रुको (और बेसिन के साइड में लगे हुए बॉक्स में से ड्रायर निकाल कर चन्द्रमा को पकड़ा दिया
चन्द्रमा हक्कीबाकि मेरा मुँह देखने लगी, और मैं मासूम फेस बना कर बाथरूम से बहार निकल आया,चन्द्रमा हेयर ड्रायर फेक कर मेरे पीछे पीछे लपकी
चन्द्रमा : आप मुझे अपने साथ नहलाने नहीं ले कर जा रहे थे ?
मैं : नहीं तो ? मैंने ऐसा कब बोलाकि मेरे साथ नहाओ
चन्द्रमा : सच सच बताना मुझे गोदी में उठा के किस लिए लेके जा रहे थे ?
मैं : अरे तुम तोलिये से बाल सूखा रही थी तो मैं तुमको हेयर ड्रायर तक लेके गया,
चन्द्रमा : कोई ऐसे लेके जाता है क्या ? बता नहीं सकते थे मैं खुद ले लेती जाकर
मैं : चन्द्रमा बेबी हर बात बताई नहीं जाती कुछ करनी पड़ती है, अब देखो मैंने तुमको हेयर ड्रायर दिखा और मुझे तुम कल साथ नहाने के लिए मिल गयी हाहाहा
चन्द्रमा : नो नो नो ये बेमानी है आपने चीटिंग किया
मैं ; कैसी चीटिंग ? तुमने खुद बोला की कल साथ नहाउंगी, मैंने तो पूछा भी नहीं था इक भी बार
चन्द्रमा : अरे ऐसे ही निकल गया मेरे मुँह से, कोई प्रॉमिस वरोमिसे नहीं
मैं : वो तो कल देख्नेगे बेबी कह कर मैंने उसका हाथ पकड़ा तो झट से हाथ छुड़ा कर बाथरूम भाग गयी

मैंने भी अपने कपडे निकाले और चन्द्रमा के फ्री होने का वेट करने लगा, अब तक जो कुछ हूआ था सब एक दम ठीक चल रहा था अगर सब कुछ ऐसे ही चलते बहुत जल्द चन्द्रमा मेरी आगोश में होगी और उसकी चूत की गहराई मेरा लंड नाप रहा होगा।
Badhiya chulbuli bate
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Naik

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चन्द्रमा के बाथरूम से वापस आने के बाद मैं भी जल्दी से घुस गया बाथरूम में, जल्दी जल्दी बाथरूम का निरक्षण किया तो आखिर मुझे वो चीज़ मिलहि गयी जिसकी मुझे तलाश थी,जी हाँ चन्द्रमा की ब्रा, उसकी काले रंग की ब्रा खूंटी के ऊपर उसके टॉप और लेगिंग्स जो उसने उतरी थी में लटकी हुई थी, मैंने ये जान बूझ कर खूँटी के ऊपर टॉवेल्स को लटकाया था ताकि चन्द्रमा को खूंटिया न मिले अपने कपडे लटकाने के लिए , इसीलिए उसने एक ही खूंटी पर अपनी तीनो कपडे लटका दिए थे, ब्रा कुछ खास नहीं थी,कोई लेबल नहीं था जिससे उसकी चूचियों के साइज का सही पता चलता लेकिन फिर भी मेरी तजुर्बेकार आँखों ने अंदाज़ा लगा लिया था की ये ब्रा ३२ साइज की होगी, यानि चन्द्रमा के चुच्चे ३२ साइज के थे। मैंने ब्रा का कप देखा सिंगल पैडेड था इसलिए थोड़ी अच्छी शेप लिए हुए था, मैंने उसकी ब्रा को अपनी नाक के पास ला कर एक गहरी सांस ली लेकिन हलके पसीने की महक के अल्वा कुछ खास फील नहीं आया, मैंने वापस ब्रा वही लटका दी और पैंटी ढूंढने लगा लेकिन मुझे उसकी पैंटी कहीं नज़र नहीं आयी, मैं जल्दी जल्दी नहाया और शरीर पर खूब साबुन लगे के झाग बनायीं जिस से फर्श पर झाग ही झाग हो गया, मैंने शावर की स्पीड कम कर रखी थी और सारा साबुन और शैम्पू का झाग पानी की निकासी वाली जाली पर इकठ्ठा हो रहा था,
मैंने जल्दी से हाथ बढ़ा कर टॉयलेट पेपर का रोल उठा और थड़े से टॉयलेट पेपर उस जालीके पास झाग पर डाल दिए,कुछ ही सेकंड में पानी नाली से निकलना बंद हो गया और बाथरूम में इकठ्ठा होने लगा, मैं ऑलमोस्ट नाहा चूका था, मैंने टॉवल से अपने शरीर को सुखाया और शावर के नीचे से निकल के बेसिन के पास सूखे एरिया में आगया, वाशरूम २ पोरशन में बना हुआ था एक साइड शावर बीच में आरपार दिखने वाला गिलास पार्टीशन और दूसरी साइड टॉयलेट और वाशबेसिन, शावर वाला साइड हल्का सा नीचे था तो उसमे थोड़ा थोड़ा पानी नाली मेरे बंद करने के कारन जमा हो गया था, मैं पूरा तैयार होकर वाशरूम से बहार निकलने लगा बस निकलते टाइम मैंने हाथ बढ़ा कर चद्र्मा का टॉप और ब्रा जो उसने आज ही उतरे थे नहाते टाइम को बाथरूम में जमा हो चुके पानी में गिरा दिया और रूम में आगया।

चन्द्रमा एक दम तैयार सोफे पर किसी राजकुमारी की तरह बैठी हुई थी और तरह तरह के मुँह बना कर सेल्फी ले रही थी, मुझे देख कर हल्का सा चौंकी और एक दो सेल्फी लेकर बोली आपके फ़ोन का उसका कैमरा कैसा है ?
मैं : पता नहीं मैं सेल्फी तो लेता नहीं तो नहीं पता
चन्द्रमा : हम्म अच्छा दिखाओ
चन्द्रमा : अरे अच्छा तो है ये, गूगल पिक्सल है तो पिक्चर मस्त आएगी
मैं : मैं ओके तो तुम इस से ले लो पिक्स
चन्द्रमा : नहीं और सेल्फी नहीं, बस आप मेरी एक दो पिक्स ले दो अपने मोबाइल से यहाँ अच्छी आएगी पिक्स
मैं : हाँ क्यों नहीं ?

फिर कभी सोफे पर कभी चेयर पर और कभी विंडो के पास खड़ा करके बहुत से पिक्स ली, कुछ पिक्स मैंने अपनी पसंद की भी ले ली जिसमे कैमरा फोकस मैंने खास तौर से चन्द्रमा के चूचियों और गांड पर रखा था, फोटोज लेने के बाद मैंने मैंने फ़ोन उसकी ओर बढ़ा दिया और पिक्स चेक करने के लिए बोला, लेकिन सुने मन कर दिया, लेकिन मैंने ज़ोर दिया की वोचेक कर ले की कही कोई गलत पिक्चर तोह नहीं ली है मैंने और अगर पिक गलत लगे तो वो डिलीट कर सकती है (ये सब मैंने उसका विश्वास जितने के लिए कहा था, जिसका फ़ौरन असर भी हुआ ) उसने फ़ोन मेरे हाथ से लेकर एक तरफ रखा और मेरे बिलकुल सामने हो कर मेरी आँखों में देख कर बोली "अगर विस्वास नहीं होता तो भला मैं अकेले कभी आपके साथ आती ) इतना सुन कर मैंने उसको गले से लगा लिया, 4-५ मिनट हम ऐसे ही एक दूसरे को गले लगा कर खड़े रहे फिर मैंने उसका चेहरा ऊपर उठा तो उसने शर्मा कर चेहरा हल्का सा घुमा लिया, मैं समझ गया की अभी ये लिप्स पर किस्स के लिए रेडी नहीं है तो मैंने भी फिर धीरे से उसके माथे पर अपने होठ रख दिए, वो एक दम शांत हो गयी फिर मैंने धीरे से उसके चेहरे को अपने दोनों हाथो में भर लिए और हलके हलके माथे से लेकर गलो और गर्दन तक चूमने लगा, हर एक चुम्बन से उसका शरीर मस्ती से काँप उठा था, उसकीआँखे बंद थी लेकिन उसका शरीर बता रहा था की वो हर एक किस्स को फील कर रही है और हर एक किस्स के साथ उसके साँसे भारी हो रही है, मैंने किस्स करते करते उसे अपनी बाहों में जकड लिया और और साथ में रखे सोफे पर ढेर हो गया और चन्द्रमा ने भी अपने शरीर को ढीला छोड़ रखा था जो सीधा मेरे शरीर के ऊपर था, मैंने पागलों की तरह उसको यहाँ वह चूम रहा था केवल होंठों को छोड़ कर, चन्द्रमा भी पूरा साथ दे रही थी, एक पलकों मुझे लगा हाँ यही वो क्षण है जब सारी हदे पार हो सकती है और मिलन का पल आ सकता है लेकिन अचानक मनो चन्द्रमा की तन्द्रा भाग हुई और चन्द्रमा आँखे खोल कर मुझसे अलग होने का प्रयास करने लगी, मैंने ज़बरदस्ती नहीं की, बस हौले से पूछा " क्या हुआ ?" चन्द्रमा ने भी शांत लेकिन हौले से ही कहा बस बहुत हुआ इस से ज़ायदा नहीं, आपसे किस्स का प्रॉमिस किया था वो पूरा किया।
" हाँ तुमने वादा पूरा किया लेकिन अभी मैंने और बहुत सारी किस्सेस लेनी है " हाँ ठीक है वो बाद में देखेंगे बोलकर चन्द्रमा ने टाला।

अभी होटल में आये २ घंटे भी नहीं हुए थे और इतना कुछ हो गयावो भी काम बड़ी बात नहीं थी इसलिए मैंने भी ज़ायदा बात आगे नहीं बढ़ाई और फिर हम अपने कपडे ठीक टाक करके होटल से निकल गए। सबसे पहले हमने हवा महल घूमने का प्लान बनाया क्यूंकि हवा महल हमरे होटल से ज़्यदा दूर नहीं था और वैसे भी दोपहर हो चुकी थी तो हम सीधे हवा महल जा पहुंचे, लगभग पांच बजे तक हमने टाइम वही बिताया, फिर वह से हम वापिस निकल पड़े, रस्ते में मैंने चन्द्रमा से पूछा क्या उसका और कुछ मन है तोह उसने मना कर दिया की थक गयी हूँ अब कल घूमेंगे, मैंने तब तो कुछ नहीं बोला लेकिन थोड़ा आगे जाकर मैंने बोला की इतनी जल्दी जा कर होटल करेंगे क्या, एक काम करते है हमने लूच ठीक से नहीं किया था यही पास में एक फेमस मिर्ची वडा वाला है वह से अच्छा लगा तो कुछ खा कर हॉटेलचलते है अगर नाईट में भूख लगी तो रूम सर्विस से माँगा लेंगे। चन्द्रमा को या बात जम गयी और और मैंने ऑटो दूसरी दिशा में मुड़वा लिया। मैंने जान भुझ कर एक ऐसी शॉप को चुना था जो बिलकुल सेंट्रल पार्क के पास था, असल में मेरा मक़सद चन्द्रमा को सेंट्रल पार्क में लेके जाना था।

कुछ देर में हम उस दूकान पर पहुंच गए, अच्छी मशहूर शॉप थी, लोग भीड़ लगा कर खा रहे थे हमने भी वह पेट भर कर खाया, हवा महल घूमने के चक्कर में हमने ढंग से नहीं खाया था। मिर्ची वडा नाम के अनुसार ही तीखा और टेस्टी था और से चन्द्रमा ने तीखी चटनी लगा लगा कर खायी, मिर्ची खाने के कारन उसका पूरा चेहरा लाल हो गया लेकिन उसने खाना नहीं छोड़ा था, मिर्ची मुझे भी लगी थी लेकिन बहुत काम l। लेकिन मैं ऐसे दिखा रहा था मनो मिर्ची ने बुरा हाल कर रखा हो।

दूकान से निकल कर हम थोड़ा आगे बड़े और पार्क के गेट के सामने पहुंच कर मैंने चन्द्रमा से कहा की थोड़ी देर यहाँ पार्क में बैठ कर रिलैक्स होते है फिर चलते है, मिर्चों ने उसका भी बुरा हाल किया हुआ था तोह उसने भी विरोध नहीं किया और हम पार्क आगये, पार्क में एंटर करते टाइम मैंने टिकट काउंटर के पास बानी हुई शॉप से एक कोल्ड्रिंक और एक करनिटो आइस क्रीम चुपचाप खरीद ली थी, सेंट्रल पार्क जयपुर ही नहीं मेरे ख्याल से देश के सबसे बड़े पार्को में से एक है और खूब सुन्दर भी है, पार्क में घुसते ही फूलपौधे और झूले है जो पार्क का प्रमुख आकर्षण है, अधिकतर परिवार और बच्चे यही मस्ती मज़ा करते है लेकिन मैंने चण्द्रमा को लेकर एक शांत कोने की ओर चला पड़ा, थोड़ा आगे जाकर पार्क में एक आर्टिफीसियल तालाब है जिसमे बहुत सारे छोटे फव्वारे लगे हुए है और बीच में एक विशाल फव्वारा लगा हुआ है,लेकिन आज किन्ही करने से बंद था या बंद रहता होगा, यहाँ बिलकुल भी भीड़ नहीं थी। हम तालाब से थड़ा पहले बानी एक बेंच पर जा बैठे, यहाँ चारो और छोटे बड़े काफी पेड़ पौधे थे तो यहाँ काफी शांति और ठंढक थी।

मैंने कोल्ड ड्रिंक की बोतल खोली और एक सिप लेकर चन्द्रमा को पकड़ा दी, उसको अब मिर्चे नहीं लग रही थी फिर भी वह धीरे धीरे कोल्ड ड्रिंक क्र सिप लेती रही, मैंने चन्द्रमा के कमर में हाथ डाल कर अपनी और खिंचा तो वो भी मुझसे सट कर बैठ गयी और सर मेरे कंधो पर रख लिया, लगभग 5-७ मं बीता होगा के अचानक किसी लड़की की कराह सुनाई दी, मैं चुपचाप शांत ऐसे बैठा रहा जैसे मैंने सुना ही न हो लेकिन चन्द्रमा एक दम सीधी हो कर बैठ गयी और आवाज की दिशा में गौर से देखने लगी, फिर अचानक उसने मेरा हाथ पकड़ के जैसे झखोर दिया, मैंने चन्द्रमा के ओर देखा तो वो मेरे कान में फुसफुसाई वह देखो समीर उस पेड़ के नीचे और अपनी आंखो के इशारों से मुझे जो दिखाया वो बड़ा मज़ेदार दृश्य था, इसी दिश्य को दिखने के लिए तो मैं उसको यहाँ लाया था, हमारे बायीं तरफ लगभग पचास साथ मीटर आगे एक लड़की का शरीर सर और चेहरे को दुपट्टे से ढाँपे तेज़ी के साथ ऊपर नीचे उछाल रहा था, लम्बी कुर्ती ने पीछे से उसके विशाल चूतड़ों को छुपा रखा था लेकिन फिर भी कुर्ते के कट से उसकी नंगी मसल झांघे साफ़ दिखाई दे रही थी, एकबारी तो देखने से ऐसा लगा रहा था मानो वो पेड़ के तने को अपनी बाँहों में पकडे पेड़ की किसी डाली को पानी चूत में समाये चुदाई के अलौकिक आनंद में लींन है है लेकिन ज़रा सा गौर करने पर दिख रहा था की दुपट्टे में एक नहीं दो सर समय हुए थे , लड़के ने पेड़ से टेक लगायी हुई थी और लड़की उसके खड़े लुण्ड पर
उछल उछल कर अपनी चूत से प्रहार कर रही थी, दुपट्टे के अंदर से लड़का उसके मुम्मो को चूस रहा था और लड़की गांड उठा उठा के चुदवाने में मस्त थी, दोनों चुदाई में इतने लींन थे के उनको इस बात का एहसास तक नहीं था की लोग उनको देख रहे है, चुदाई की आग होती ही ऐसे है, अगर सर चढ़ जाये तो नंगेपन की चरम को भी पार कर जाती है।

जो कराह सुनकर हम उनकी और आकर्षित हुए थे शायद वो चूत में लुंड घुसने के समय की थी क्यंकि अब जिस रफ़्तार से लड़की अपनी भारी गांड उछाल उछाल के छुड़वा रही थी उसमे तो केवल मनमोहक आह और उह की ही आवाज़े आरही थी, साथ में कभी कभी चूतड़ों के टकराने की आवाज़ ताल से ताल मिला देती थी। चन्द्रमा उनकी चुदाई देखने में मनो खो सी गयी थी, उसकी सांसे भी थोड़ा भारी हो रही थे मैंने भी मौका देख के चन्द्रमा को अपने से और सटा लिया और हाथ उसके पेट पर रख अहलका हल्का सहलाना चालू कर दिया, अब उस लड़की की उछलने की रफ़्तार में अचानक से तेज़ी आगयी थी और फिर उस लड़की ने लड़के के सर को अपने हाथो में थमा और और उसके होंठों पर टूट पड़ी, लड़का भी नीचे से अपनी कमर उठा उठा के अपना लुंड लड़की की चूत में धक्के लगा रहा था जैसे लड़की की बच्चेदानी पर प्रहार कर रहा हो तभी अचानक लड़की का शरीर अकड़ा और फिर एक दम से ढीला हो गया, शयद उनका माल निकलगया था, और वो उस लड़के की छाती पर निढाल होके गिर पड़ी, लड़की के चरम पर पहुंच के ढीला पड़ते चन्द्रमा भी होश में आयी और मेरी ओर देख के शर्मा गयी,

मैं : क्या हुआ ?
चन्द्रमा : छी कितने गंदे है ये,
मैं : मैं गंदे कहा, ये तो प्यार कर रहे है
चन्द्रमा : अरे पर लेकिन ऐसे खुल्ले में
मैं : अरे सब नहीं कर सकते ओफ्फोर्ड होटल तो बेचारे क्या करे
चन्द्रमा : अच्छा छोड़ो, बड़ा बेकार पार्क है ये
मैं : अरे तो मुझे क्या पता कैसा पार्क है मैं कौन सा यहाँ पहले कभी आया हूँ
चन्द्रमा : अरे मैं आप को कुछ नहीं कह रही,
मैं : मैं अच्छा सुनो उधर देखो,
अब जो चन्द्रमा ने मेरी बायीं दिशा में देखा तो फिर मुँह खुला का खुला रह गया, हम ओपन में बेंच पर बैठे तो पता नहीं चल रहा था लेकिन जब धयान से देखा तो काम से काम पांच और जोड़े अपनी अपनी रासलीला में लगे हुए थे,
चन्द्रमा : हे भगवनइतना कुछ सब ओपन में
मैं : हाँ जब ऑप्शन नहीं है तो

हम बात करते करते बाकी जोड़ो को उनकी रास लीला करते हुए देख रहे थे ये जोड़े हमसे थोड़ी ज़्यदा दूर थे तो सब कुछ क्लियर नहीं दिख रहा था लेकिन साफ़ पता चल रहा था की कही चुदाई तो कही चुसाई चल रही है,
चन्द्रमा : चलो बस अब चल रहे है बहुत हो गया
मैं : हाँ बस चल रही है बस ये आइस क्रीम खतम कर के
चन्द्रमा : आइस क्रीम ?
मैं : हाँ ये करनेटो कब से पड़ी गरम हो रही है तुमने खायी ही नहीं
चन्द्रमा : अरे मैंने तो देखि ही नहीं
मैं : कोई नहीं अब खा लो
चन्द्रमा : आपकी कहा है ?
मैं : इसी में से दोनों खाएंगे, उसके पास करनेटो केवल यही बची थी
चन्द्रमा : हम्म कोई नहीं शेयर कर लेनगे

मैंने आइस क्रीम उसको पकड़ा दी, लेकिन आइस क्रीम लगभग १५ मिनट से बहार थी तो थोड़ा पिघलने लगी थी, चन्द्रमा ने जैसे ही खाना स्टार्ट किया आइस क्रीम टपक कर उसके होटों और थोड़ी पर लग गयी, पर वो आइस क्रीम खाती रही, चन्द्रमा को करनेटो बहुत पसंद थी, उसने कई बार मुझे फ़ोन पर बताया था, जब खाते खाते आइस क्रीम आधी से काम बची तो उसने मेरी ओर बढ़ी दी लेकिन मैंने उसे थोड़ा ओर खाने को कहा, अब केवल वफल (बिस्कुट) वाला पार्ट भी बचा था,
मैं : अरे तुमने सारी क्रीम ख़तम कर दी
चन्द्रमा : आपने ही बोला था की थोड़ा ओर खा लो तो मैं खा गयी
मैं : लेकिन मेरा हिस्सा
चन्द्रमा : बाद में
मैं : नहीं अभी चाहिए
चन्द्रमा : अभी कहा मिलेगी, चलो रस्ते में कही से दिला दूंगी
मैं : उनहूँ मुझे तो अभी कहानी है, बोलो खा लू ?
चद्र्मा : वफ्ले (बिस्कुट) आगे बढ़ाते हुए लो खा लो
मैं : रहने दो मैं खुद खा लूंगा और कहते हुए

मैं अपना एकहाथ चन्द्रमा के पीठ पर लेकर गया और इससे पहलेचंद्रमा कुछ कह पाती उसके होंठ और ठुडी पर लगी क्रीम को चाट लिया, शायद चन्द्रमा अभी एक अनजान जोड़े की लाइव चुदाई देख कर अंदर तक गर्म थी की उसने अपने रसीले होंठ मेरे होंटो से लगा दिया, चन्द्रमा के होंठ से होंठ का मिलना ऐसा था मनो बरसो की मुराद पूरी हुई हो और मैंने चद्र्मा के चाँद जैसे मुखड़े को अपने दोनों हाथो में भर कर उसके शहद जैसे होंटो का रसपान करना शरू कर दिया, चद्र्मा भी पुरे जोश से मेरे होंटो को जवाब दे रही थी फिर वो पल आया की मेरी जीभ चन्द्रमा के जीभ से टकराई और हम दोनों एक दूसरे के होंठों के साथ साथ जीभ का रासपान करने लगे। हमारा ये किस्स या स्मूच इतना रसभरा और लम्बा था की गुरुवर इमरान हाश्मी भी प्रसन्न हो उठे, शायद ये पिछले दो साल की तड़प के बाद आज मौका आया था और हम दोनों अपनी किस्स में डूबे हुए थे, दोनों की सास उखाड़ने लगी लग हमने एक दूसरे के होंठ को छोड़ा और एक दूसरे की आँखों में देखा, चांदनी मनो नशे में मदहोश थी, प्यार और चुदाई दोनों का नशा चढ़ रहा था उसके दिल दिमाग पर।

तभी पत्तो की हलकी खड़खड़ाहट की आवाज़ पर देखा तो वो अजनबी जोड़ा जा रहा था, लड़की ने चुन्नी सर पर ओढ़ थी और और आगे आगे चल रही थी, लड़का उसके पीछे था, जब लड़का हमरे सामने से गुज़रा तब उसने चन्द्रमा से नज़रे बचा कर मेरी ओर आँख मार दी। मैंने भी मुस्कुराकर उसका अभिवादन किया भले उस अजनबी लड़के लड़की को आजीवन पता न लगे लेकिन उनकी चुदाई ने मेरा रास्ता आसान कर दिया था, शायद उनकी ही चुदाई का असर था जो मैंने और चन्द्रमा ने अपनी पहली और इतनी उत्तेजित किस्स की थी। चन्द्रमा ने भी मेरा हाथ पकड़ा और चलने का इशारा किया, हमारा यहाँ काम पूरा हो चूका था सो हम भी वह से निकल कर होटल आ गए।
Bahot badhiya shaandar update
Plan tow ek dam badhiya ja raha dekhte h aaj Raat rangeen hoti h ya nahi
 

Ajju Landwalia

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चन्द्रमा के बाथरूम से वापस आने के बाद मैं भी जल्दी से घुस गया बाथरूम में, जल्दी जल्दी बाथरूम का निरक्षण किया तो आखिर मुझे वो चीज़ मिलहि गयी जिसकी मुझे तलाश थी,जी हाँ चन्द्रमा की ब्रा, उसकी काले रंग की ब्रा खूंटी के ऊपर उसके टॉप और लेगिंग्स जो उसने उतरी थी में लटकी हुई थी, मैंने ये जान बूझ कर खूँटी के ऊपर टॉवेल्स को लटकाया था ताकि चन्द्रमा को खूंटिया न मिले अपने कपडे लटकाने के लिए , इसीलिए उसने एक ही खूंटी पर अपनी तीनो कपडे लटका दिए थे, ब्रा कुछ खास नहीं थी,कोई लेबल नहीं था जिससे उसकी चूचियों के साइज का सही पता चलता लेकिन फिर भी मेरी तजुर्बेकार आँखों ने अंदाज़ा लगा लिया था की ये ब्रा ३२ साइज की होगी, यानि चन्द्रमा के चुच्चे ३२ साइज के थे। मैंने ब्रा का कप देखा सिंगल पैडेड था इसलिए थोड़ी अच्छी शेप लिए हुए था, मैंने उसकी ब्रा को अपनी नाक के पास ला कर एक गहरी सांस ली लेकिन हलके पसीने की महक के अल्वा कुछ खास फील नहीं आया, मैंने वापस ब्रा वही लटका दी और पैंटी ढूंढने लगा लेकिन मुझे उसकी पैंटी कहीं नज़र नहीं आयी, मैं जल्दी जल्दी नहाया और शरीर पर खूब साबुन लगे के झाग बनायीं जिस से फर्श पर झाग ही झाग हो गया, मैंने शावर की स्पीड कम कर रखी थी और सारा साबुन और शैम्पू का झाग पानी की निकासी वाली जाली पर इकठ्ठा हो रहा था,
मैंने जल्दी से हाथ बढ़ा कर टॉयलेट पेपर का रोल उठा और थड़े से टॉयलेट पेपर उस जालीके पास झाग पर डाल दिए,कुछ ही सेकंड में पानी नाली से निकलना बंद हो गया और बाथरूम में इकठ्ठा होने लगा, मैं ऑलमोस्ट नाहा चूका था, मैंने टॉवल से अपने शरीर को सुखाया और शावर के नीचे से निकल के बेसिन के पास सूखे एरिया में आगया, वाशरूम २ पोरशन में बना हुआ था एक साइड शावर बीच में आरपार दिखने वाला गिलास पार्टीशन और दूसरी साइड टॉयलेट और वाशबेसिन, शावर वाला साइड हल्का सा नीचे था तो उसमे थोड़ा थोड़ा पानी नाली मेरे बंद करने के कारन जमा हो गया था, मैं पूरा तैयार होकर वाशरूम से बहार निकलने लगा बस निकलते टाइम मैंने हाथ बढ़ा कर चद्र्मा का टॉप और ब्रा जो उसने आज ही उतरे थे नहाते टाइम को बाथरूम में जमा हो चुके पानी में गिरा दिया और रूम में आगया।

चन्द्रमा एक दम तैयार सोफे पर किसी राजकुमारी की तरह बैठी हुई थी और तरह तरह के मुँह बना कर सेल्फी ले रही थी, मुझे देख कर हल्का सा चौंकी और एक दो सेल्फी लेकर बोली आपके फ़ोन का उसका कैमरा कैसा है ?
मैं : पता नहीं मैं सेल्फी तो लेता नहीं तो नहीं पता
चन्द्रमा : हम्म अच्छा दिखाओ
चन्द्रमा : अरे अच्छा तो है ये, गूगल पिक्सल है तो पिक्चर मस्त आएगी
मैं : मैं ओके तो तुम इस से ले लो पिक्स
चन्द्रमा : नहीं और सेल्फी नहीं, बस आप मेरी एक दो पिक्स ले दो अपने मोबाइल से यहाँ अच्छी आएगी पिक्स
मैं : हाँ क्यों नहीं ?

फिर कभी सोफे पर कभी चेयर पर और कभी विंडो के पास खड़ा करके बहुत से पिक्स ली, कुछ पिक्स मैंने अपनी पसंद की भी ले ली जिसमे कैमरा फोकस मैंने खास तौर से चन्द्रमा के चूचियों और गांड पर रखा था, फोटोज लेने के बाद मैंने मैंने फ़ोन उसकी ओर बढ़ा दिया और पिक्स चेक करने के लिए बोला, लेकिन सुने मन कर दिया, लेकिन मैंने ज़ोर दिया की वोचेक कर ले की कही कोई गलत पिक्चर तोह नहीं ली है मैंने और अगर पिक गलत लगे तो वो डिलीट कर सकती है (ये सब मैंने उसका विश्वास जितने के लिए कहा था, जिसका फ़ौरन असर भी हुआ ) उसने फ़ोन मेरे हाथ से लेकर एक तरफ रखा और मेरे बिलकुल सामने हो कर मेरी आँखों में देख कर बोली "अगर विस्वास नहीं होता तो भला मैं अकेले कभी आपके साथ आती ) इतना सुन कर मैंने उसको गले से लगा लिया, 4-५ मिनट हम ऐसे ही एक दूसरे को गले लगा कर खड़े रहे फिर मैंने उसका चेहरा ऊपर उठा तो उसने शर्मा कर चेहरा हल्का सा घुमा लिया, मैं समझ गया की अभी ये लिप्स पर किस्स के लिए रेडी नहीं है तो मैंने भी फिर धीरे से उसके माथे पर अपने होठ रख दिए, वो एक दम शांत हो गयी फिर मैंने धीरे से उसके चेहरे को अपने दोनों हाथो में भर लिए और हलके हलके माथे से लेकर गलो और गर्दन तक चूमने लगा, हर एक चुम्बन से उसका शरीर मस्ती से काँप उठा था, उसकीआँखे बंद थी लेकिन उसका शरीर बता रहा था की वो हर एक किस्स को फील कर रही है और हर एक किस्स के साथ उसके साँसे भारी हो रही है, मैंने किस्स करते करते उसे अपनी बाहों में जकड लिया और और साथ में रखे सोफे पर ढेर हो गया और चन्द्रमा ने भी अपने शरीर को ढीला छोड़ रखा था जो सीधा मेरे शरीर के ऊपर था, मैंने पागलों की तरह उसको यहाँ वह चूम रहा था केवल होंठों को छोड़ कर, चन्द्रमा भी पूरा साथ दे रही थी, एक पलकों मुझे लगा हाँ यही वो क्षण है जब सारी हदे पार हो सकती है और मिलन का पल आ सकता है लेकिन अचानक मनो चन्द्रमा की तन्द्रा भाग हुई और चन्द्रमा आँखे खोल कर मुझसे अलग होने का प्रयास करने लगी, मैंने ज़बरदस्ती नहीं की, बस हौले से पूछा " क्या हुआ ?" चन्द्रमा ने भी शांत लेकिन हौले से ही कहा बस बहुत हुआ इस से ज़ायदा नहीं, आपसे किस्स का प्रॉमिस किया था वो पूरा किया।
" हाँ तुमने वादा पूरा किया लेकिन अभी मैंने और बहुत सारी किस्सेस लेनी है " हाँ ठीक है वो बाद में देखेंगे बोलकर चन्द्रमा ने टाला।

अभी होटल में आये २ घंटे भी नहीं हुए थे और इतना कुछ हो गयावो भी काम बड़ी बात नहीं थी इसलिए मैंने भी ज़ायदा बात आगे नहीं बढ़ाई और फिर हम अपने कपडे ठीक टाक करके होटल से निकल गए। सबसे पहले हमने हवा महल घूमने का प्लान बनाया क्यूंकि हवा महल हमरे होटल से ज़्यदा दूर नहीं था और वैसे भी दोपहर हो चुकी थी तो हम सीधे हवा महल जा पहुंचे, लगभग पांच बजे तक हमने टाइम वही बिताया, फिर वह से हम वापिस निकल पड़े, रस्ते में मैंने चन्द्रमा से पूछा क्या उसका और कुछ मन है तोह उसने मना कर दिया की थक गयी हूँ अब कल घूमेंगे, मैंने तब तो कुछ नहीं बोला लेकिन थोड़ा आगे जाकर मैंने बोला की इतनी जल्दी जा कर होटल करेंगे क्या, एक काम करते है हमने लूच ठीक से नहीं किया था यही पास में एक फेमस मिर्ची वडा वाला है वह से अच्छा लगा तो कुछ खा कर हॉटेलचलते है अगर नाईट में भूख लगी तो रूम सर्विस से माँगा लेंगे। चन्द्रमा को या बात जम गयी और और मैंने ऑटो दूसरी दिशा में मुड़वा लिया। मैंने जान भुझ कर एक ऐसी शॉप को चुना था जो बिलकुल सेंट्रल पार्क के पास था, असल में मेरा मक़सद चन्द्रमा को सेंट्रल पार्क में लेके जाना था।

कुछ देर में हम उस दूकान पर पहुंच गए, अच्छी मशहूर शॉप थी, लोग भीड़ लगा कर खा रहे थे हमने भी वह पेट भर कर खाया, हवा महल घूमने के चक्कर में हमने ढंग से नहीं खाया था। मिर्ची वडा नाम के अनुसार ही तीखा और टेस्टी था और से चन्द्रमा ने तीखी चटनी लगा लगा कर खायी, मिर्ची खाने के कारन उसका पूरा चेहरा लाल हो गया लेकिन उसने खाना नहीं छोड़ा था, मिर्ची मुझे भी लगी थी लेकिन बहुत काम l। लेकिन मैं ऐसे दिखा रहा था मनो मिर्ची ने बुरा हाल कर रखा हो।

दूकान से निकल कर हम थोड़ा आगे बड़े और पार्क के गेट के सामने पहुंच कर मैंने चन्द्रमा से कहा की थोड़ी देर यहाँ पार्क में बैठ कर रिलैक्स होते है फिर चलते है, मिर्चों ने उसका भी बुरा हाल किया हुआ था तोह उसने भी विरोध नहीं किया और हम पार्क आगये, पार्क में एंटर करते टाइम मैंने टिकट काउंटर के पास बानी हुई शॉप से एक कोल्ड्रिंक और एक करनिटो आइस क्रीम चुपचाप खरीद ली थी, सेंट्रल पार्क जयपुर ही नहीं मेरे ख्याल से देश के सबसे बड़े पार्को में से एक है और खूब सुन्दर भी है, पार्क में घुसते ही फूलपौधे और झूले है जो पार्क का प्रमुख आकर्षण है, अधिकतर परिवार और बच्चे यही मस्ती मज़ा करते है लेकिन मैंने चण्द्रमा को लेकर एक शांत कोने की ओर चला पड़ा, थोड़ा आगे जाकर पार्क में एक आर्टिफीसियल तालाब है जिसमे बहुत सारे छोटे फव्वारे लगे हुए है और बीच में एक विशाल फव्वारा लगा हुआ है,लेकिन आज किन्ही करने से बंद था या बंद रहता होगा, यहाँ बिलकुल भी भीड़ नहीं थी। हम तालाब से थड़ा पहले बानी एक बेंच पर जा बैठे, यहाँ चारो और छोटे बड़े काफी पेड़ पौधे थे तो यहाँ काफी शांति और ठंढक थी।

मैंने कोल्ड ड्रिंक की बोतल खोली और एक सिप लेकर चन्द्रमा को पकड़ा दी, उसको अब मिर्चे नहीं लग रही थी फिर भी वह धीरे धीरे कोल्ड ड्रिंक क्र सिप लेती रही, मैंने चन्द्रमा के कमर में हाथ डाल कर अपनी और खिंचा तो वो भी मुझसे सट कर बैठ गयी और सर मेरे कंधो पर रख लिया, लगभग 5-७ मं बीता होगा के अचानक किसी लड़की की कराह सुनाई दी, मैं चुपचाप शांत ऐसे बैठा रहा जैसे मैंने सुना ही न हो लेकिन चन्द्रमा एक दम सीधी हो कर बैठ गयी और आवाज की दिशा में गौर से देखने लगी, फिर अचानक उसने मेरा हाथ पकड़ के जैसे झखोर दिया, मैंने चन्द्रमा के ओर देखा तो वो मेरे कान में फुसफुसाई वह देखो समीर उस पेड़ के नीचे और अपनी आंखो के इशारों से मुझे जो दिखाया वो बड़ा मज़ेदार दृश्य था, इसी दिश्य को दिखने के लिए तो मैं उसको यहाँ लाया था, हमारे बायीं तरफ लगभग पचास साथ मीटर आगे एक लड़की का शरीर सर और चेहरे को दुपट्टे से ढाँपे तेज़ी के साथ ऊपर नीचे उछाल रहा था, लम्बी कुर्ती ने पीछे से उसके विशाल चूतड़ों को छुपा रखा था लेकिन फिर भी कुर्ते के कट से उसकी नंगी मसल झांघे साफ़ दिखाई दे रही थी, एकबारी तो देखने से ऐसा लगा रहा था मानो वो पेड़ के तने को अपनी बाँहों में पकडे पेड़ की किसी डाली को पानी चूत में समाये चुदाई के अलौकिक आनंद में लींन है है लेकिन ज़रा सा गौर करने पर दिख रहा था की दुपट्टे में एक नहीं दो सर समय हुए थे , लड़के ने पेड़ से टेक लगायी हुई थी और लड़की उसके खड़े लुण्ड पर
उछल उछल कर अपनी चूत से प्रहार कर रही थी, दुपट्टे के अंदर से लड़का उसके मुम्मो को चूस रहा था और लड़की गांड उठा उठा के चुदवाने में मस्त थी, दोनों चुदाई में इतने लींन थे के उनको इस बात का एहसास तक नहीं था की लोग उनको देख रहे है, चुदाई की आग होती ही ऐसे है, अगर सर चढ़ जाये तो नंगेपन की चरम को भी पार कर जाती है।

जो कराह सुनकर हम उनकी और आकर्षित हुए थे शायद वो चूत में लुंड घुसने के समय की थी क्यंकि अब जिस रफ़्तार से लड़की अपनी भारी गांड उछाल उछाल के छुड़वा रही थी उसमे तो केवल मनमोहक आह और उह की ही आवाज़े आरही थी, साथ में कभी कभी चूतड़ों के टकराने की आवाज़ ताल से ताल मिला देती थी। चन्द्रमा उनकी चुदाई देखने में मनो खो सी गयी थी, उसकी सांसे भी थोड़ा भारी हो रही थे मैंने भी मौका देख के चन्द्रमा को अपने से और सटा लिया और हाथ उसके पेट पर रख अहलका हल्का सहलाना चालू कर दिया, अब उस लड़की की उछलने की रफ़्तार में अचानक से तेज़ी आगयी थी और फिर उस लड़की ने लड़के के सर को अपने हाथो में थमा और और उसके होंठों पर टूट पड़ी, लड़का भी नीचे से अपनी कमर उठा उठा के अपना लुंड लड़की की चूत में धक्के लगा रहा था जैसे लड़की की बच्चेदानी पर प्रहार कर रहा हो तभी अचानक लड़की का शरीर अकड़ा और फिर एक दम से ढीला हो गया, शयद उनका माल निकलगया था, और वो उस लड़के की छाती पर निढाल होके गिर पड़ी, लड़की के चरम पर पहुंच के ढीला पड़ते चन्द्रमा भी होश में आयी और मेरी ओर देख के शर्मा गयी,

मैं : क्या हुआ ?
चन्द्रमा : छी कितने गंदे है ये,
मैं : मैं गंदे कहा, ये तो प्यार कर रहे है
चन्द्रमा : अरे पर लेकिन ऐसे खुल्ले में
मैं : अरे सब नहीं कर सकते ओफ्फोर्ड होटल तो बेचारे क्या करे
चन्द्रमा : अच्छा छोड़ो, बड़ा बेकार पार्क है ये
मैं : अरे तो मुझे क्या पता कैसा पार्क है मैं कौन सा यहाँ पहले कभी आया हूँ
चन्द्रमा : अरे मैं आप को कुछ नहीं कह रही,
मैं : मैं अच्छा सुनो उधर देखो,
अब जो चन्द्रमा ने मेरी बायीं दिशा में देखा तो फिर मुँह खुला का खुला रह गया, हम ओपन में बेंच पर बैठे तो पता नहीं चल रहा था लेकिन जब धयान से देखा तो काम से काम पांच और जोड़े अपनी अपनी रासलीला में लगे हुए थे,
चन्द्रमा : हे भगवनइतना कुछ सब ओपन में
मैं : हाँ जब ऑप्शन नहीं है तो

हम बात करते करते बाकी जोड़ो को उनकी रास लीला करते हुए देख रहे थे ये जोड़े हमसे थोड़ी ज़्यदा दूर थे तो सब कुछ क्लियर नहीं दिख रहा था लेकिन साफ़ पता चल रहा था की कही चुदाई तो कही चुसाई चल रही है,
चन्द्रमा : चलो बस अब चल रहे है बहुत हो गया
मैं : हाँ बस चल रही है बस ये आइस क्रीम खतम कर के
चन्द्रमा : आइस क्रीम ?
मैं : हाँ ये करनेटो कब से पड़ी गरम हो रही है तुमने खायी ही नहीं
चन्द्रमा : अरे मैंने तो देखि ही नहीं
मैं : कोई नहीं अब खा लो
चन्द्रमा : आपकी कहा है ?
मैं : इसी में से दोनों खाएंगे, उसके पास करनेटो केवल यही बची थी
चन्द्रमा : हम्म कोई नहीं शेयर कर लेनगे

मैंने आइस क्रीम उसको पकड़ा दी, लेकिन आइस क्रीम लगभग १५ मिनट से बहार थी तो थोड़ा पिघलने लगी थी, चन्द्रमा ने जैसे ही खाना स्टार्ट किया आइस क्रीम टपक कर उसके होटों और थोड़ी पर लग गयी, पर वो आइस क्रीम खाती रही, चन्द्रमा को करनेटो बहुत पसंद थी, उसने कई बार मुझे फ़ोन पर बताया था, जब खाते खाते आइस क्रीम आधी से काम बची तो उसने मेरी ओर बढ़ी दी लेकिन मैंने उसे थोड़ा ओर खाने को कहा, अब केवल वफल (बिस्कुट) वाला पार्ट भी बचा था,
मैं : अरे तुमने सारी क्रीम ख़तम कर दी
चन्द्रमा : आपने ही बोला था की थोड़ा ओर खा लो तो मैं खा गयी
मैं : लेकिन मेरा हिस्सा
चन्द्रमा : बाद में
मैं : नहीं अभी चाहिए
चन्द्रमा : अभी कहा मिलेगी, चलो रस्ते में कही से दिला दूंगी
मैं : उनहूँ मुझे तो अभी कहानी है, बोलो खा लू ?
चद्र्मा : वफ्ले (बिस्कुट) आगे बढ़ाते हुए लो खा लो
मैं : रहने दो मैं खुद खा लूंगा और कहते हुए

मैं अपना एकहाथ चन्द्रमा के पीठ पर लेकर गया और इससे पहलेचंद्रमा कुछ कह पाती उसके होंठ और ठुडी पर लगी क्रीम को चाट लिया, शायद चन्द्रमा अभी एक अनजान जोड़े की लाइव चुदाई देख कर अंदर तक गर्म थी की उसने अपने रसीले होंठ मेरे होंटो से लगा दिया, चन्द्रमा के होंठ से होंठ का मिलना ऐसा था मनो बरसो की मुराद पूरी हुई हो और मैंने चद्र्मा के चाँद जैसे मुखड़े को अपने दोनों हाथो में भर कर उसके शहद जैसे होंटो का रसपान करना शरू कर दिया, चद्र्मा भी पुरे जोश से मेरे होंटो को जवाब दे रही थी फिर वो पल आया की मेरी जीभ चन्द्रमा के जीभ से टकराई और हम दोनों एक दूसरे के होंठों के साथ साथ जीभ का रासपान करने लगे। हमारा ये किस्स या स्मूच इतना रसभरा और लम्बा था की गुरुवर इमरान हाश्मी भी प्रसन्न हो उठे, शायद ये पिछले दो साल की तड़प के बाद आज मौका आया था और हम दोनों अपनी किस्स में डूबे हुए थे, दोनों की सास उखाड़ने लगी लग हमने एक दूसरे के होंठ को छोड़ा और एक दूसरे की आँखों में देखा, चांदनी मनो नशे में मदहोश थी, प्यार और चुदाई दोनों का नशा चढ़ रहा था उसके दिल दिमाग पर।

तभी पत्तो की हलकी खड़खड़ाहट की आवाज़ पर देखा तो वो अजनबी जोड़ा जा रहा था, लड़की ने चुन्नी सर पर ओढ़ थी और और आगे आगे चल रही थी, लड़का उसके पीछे था, जब लड़का हमरे सामने से गुज़रा तब उसने चन्द्रमा से नज़रे बचा कर मेरी ओर आँख मार दी। मैंने भी मुस्कुराकर उसका अभिवादन किया भले उस अजनबी लड़के लड़की को आजीवन पता न लगे लेकिन उनकी चुदाई ने मेरा रास्ता आसान कर दिया था, शायद उनकी ही चुदाई का असर था जो मैंने और चन्द्रमा ने अपनी पहली और इतनी उत्तेजित किस्स की थी। चन्द्रमा ने भी मेरा हाथ पकड़ा और चलने का इशारा किया, हमारा यहाँ काम पूरा हो चूका था सो हम भी वह से निकल कर होटल आ गए।

Wow what a fantastic update, gajab ki writing skills he aapki blinkit Bhai

Maja aa gaya is update ko padhkar

Keep posting Bhai
 

Rkk2022

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