बाकि का रास्ता ऐसे मज़े लेते हुए पूरा होने को था, ट्रैन जब जयपुर स्टेशन के पास पहुंची तो थोड़ा अटक अटक के चल रही थी, शायद सिग्नल क्लियर नहीं मिल रहा था, किस वाली घटना के बाद से ही चन्द्रमा मेरे कंधे पर ही सर रख के सोती हुई आयी थी, लेकिन अब ट्रैन में एक दो झटके लगे तो आँख खुल चुकी थी और जाग रही थी मैं गर्दन टेढ़ी कर उसकी ओर देखता तो वो हलके से मुस्कुरा देती, ज़ायदा बातचीत नहीं हो रही थी, पुरे रास्ते हमने या तो चुहलबाजियां की थी या बातें, मेरा एक हाथ अभी भी सीट के पीछे से चन्द्रमा की बाँहों और और छाती के आस पास ही था, जिस से मैं चन्द्रमा का शरीर सहला कर अपने लंड में कभी कभी गर्मी पैदा कर लेता था, मैंने अभी तक चद्र्मा की चूचियों को नहीं छुआ था बस कभी कभार अपने से और करीब चिपकने के बहाने उसे अपनी ओर खींचता तब उँगलियाँ उसकी चूचियों से टच हो जाने देता था, इन छोटी छोटी चुहलबाजियों का अपना अलग मज़ा है जो बहुत बार सेक्स से भी ज़ायदा मज़ा देता है।
जो ट्रैन कुछ मिनट से रुकी हुई थी अब चल पड़ी थी, शायद अब लाइन क्लियर मिल गयी थी, हम दोनों इसी पोज़ में प्रेमी जोड़े की भांति बैठे रहे की अचानक ट्रैन ने ब्रेक मारा, ये पहले लगने वाले झटको से थोड़ा तेज़ था, मैं जो सीट पर थोड़ा आगे होकर बैठा था ताकि चन्द्रमा आसानी से अपना सर मेरे कंधे पर रख सके अचानक लगे इस झटके से असंतुलित हुआ और संभलने के चक्कर में जो हाथ पिछले एक डेढ़ घंटों से चन्द्रमा के चूचियों के इर्दगिर्द घूम रहा था झट से उसकी चूचिओं को दबोच बैठा, चन्द्रमा ने एक दम से एक आह की आवाज़ निकाली और मेरे हाथ को अपने शरीर से अलग कर दिया, मैंने भी चुपचाप सीधा होकर बैठ गया, ये मेरे प्लान का पार्ट नहीं था लेकिन मुझे जो उसकी नर्ममुलायम रुई के गालो जैसे चूचिया दबा के जो आनंद आया वो मैं बता नहीं सकता, मैंने कनखियों से देखा चन्द्रमा खिड़की के बाहर देख रही थी लेकिन उसके गुलाबी गाल और चेहरे की मंद मुस्कान उसके अच्छा लगने की चुगलियां खा रही थीं।
लगभग एक बजे हम स्टेशन पहुंच गए और टैक्सी पकड़ के सीधा होटल आ पहुचें। वैसे पहले हमारा प्लान होटल डायरेक्ट आने का नहीं था क्यूंकि मैंने दिल्ली में ही प्लान किया था की हम स्टेशन से सीधा मोनुमेंट्स देखने जायेंगे और फिर शाम में होटल में पहुंच कर आराम करेंगे, लेकिन हमे ये प्लान चेंज करना पड़ा क्यूंकि हम दोनों ही मॉर्निंग में जल्दी निकलने के कारन बिना नहाये आये थे, इसीलिए हमने अब प्लान ये किया था की पहले होटल में फ्रेश होकर फिर कहीं घूमने निकलेंगे ।
हमने होटल में जाकर अपनी फॉर्मलिटीज पूरी करने लगे, शरू में चन्द्रमा थोड़ी घबराई हुई थी की होटल वाले कोई टोका टाकी ना करे, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ, ४ स्टार होटल था यहाँ किसी को इतनी फुर्सत कहा, हमने अपने रूम की चाभी रिसेप्शन से ली और सीधे अपने रूम में जा पहुंचे, मैं बेल बॉय की भी सर्विस मना कर दी थी, हमारे पास कुछ खास सामान तो था नहीं और मैं वैसे भी बिना बेल बॉय के ही रूम में जाना चाहता था ।
होटल एंड रूम देख कर चन्द्रमा की ख़ुशी छुपाये नहीं छुप रही थी, रूम शानदार था, रूम में घुसते ही बाएं साइड में साफ़ सुथरा शानदार बाथरूम और उसके सामने दायी साइड एक विशाल आइना लगा हुआ था, उसके बाद थोड़ा खाली स्पेस और फिर एक शानदार किंग साइज बेड विथ क्लीन वाइट शीट्स एंड ब्लॅंकेटस, सेंट्रली ऐरकण्डीशन्ड था तो झट से एक दम चिल्ड हो गया, बेड के बाद एक साइड २ सीटर सोफे और सोफे के पास स्टडी टेबल एंड एक रिवॉल्विंग चेयर, फिर उसके बाद एक बिग गिलास जो कर्टेन से ढाका हुआ था, कर्टेन हटाओ तो समाने एक हराभरा पार्क और पार्क के साइड में बने हुए कुछ बंग्लोव्स, चन्द्रमा रूम के हर कोने में घूम घूमकर हर एकचीज को चेक कर रही थी, मैंने तब तक टीवी ऑन कर लिया था और ऐसे ही इधर उधर चैनल बदल कर देख रहा था की अचानक चन्द्रमा की ख़ुशी से चिल्लाई, अरे समीर देखो यहाँ तो इन्होने पुरे चाय कॉफ़ी का अरेंजमेंट किया हुआ है और बिस्किट्स भी है,
मैं : हाँ उनको मालूम था का की तुम आरही हो हो चाय की दीवानी इसीलिए रख गए है, मैंने उसे चिढ़ाया
चन्द्रमा : हाँ सच में बड़े अच्छे है ये होटल वाले
मैं : टी और कॉफ़ी पॉट के नीचे देखो,
चन्द्रमा : अरे ये तो फ्रिज है नोनू सा,
मैं: हाँ तुम्हारे जैसा नोनू
चन्द्रमा ने फ्रिज खोल कर देखा, उस्मने कई तरह के कोल्ड ड्रिंक्स एंड जूस की बॉटल्स थी
चन्द्रमा वहां से चल कर मेरे पास पहुंची और धराम से बेड पर गिर गयी
चन्द्रमा : हे भगवन कितना नरम बिस्तर है ये
मैं : हाँ ये स्प्रिंग वाला मैट्रेस्स है ना इसीलिए
चन्द्रमा : बेग में भी स्प्रिंग ? वो किसलिए लगते है ये ?
मेरे मन में आया की कहा दूँ की चुदाई करा के देख अभी पता लग जायेगा स्प्रिंग का कमाल , लेकिन मैंने बात बदल दी
मैं उसकी बच्चों जैसी एक्सकिटमेंट देख देख के मुस्कुरा रहा था । खैर थोड़ी देर रिलैक्स करने के बाद चन्द्रमा नहाने के लिए कपडे निकलने लगी तब तक मैं उठा और वाशरूम चला गया, वाशरूम मैंने लॉक किया और जल्दी से जो टॉवल बेसिन के साइड स्लैब पर रखे थे उनको उठा कर जल्दी जल्दी खूंटी पर लटका दिया, केवल ३ ही खूंटिया थी जिसमे से मैंने खूंटी पर टॉवल लटका कर एक खूंटी भी खूंटी खाली नहीं छोड़ी, मैं वापिस आकर फिर से बेड पर लेट गया, चन्द्रमा ने कपडे निकल लिए और मेरे बहार आते ही वो बाथरूम में घुस गयी, चन्द्रमा के जाते हे मैंने उसका बैग उठाया और धीरे से बैग की ज़िप खोलकर जल्दी जल्दी निरक्षण करने लगा, उसमे चर्द्रमा के एक दो जोड़ी कपडे थे, एक हैंडबैग, कुछ मेकअप का समाना और कुछ कैश और कुछ जेवेलरी थी, लेकिन मुझे इन सबसे कोई मतलब नहीं था, मुझे उस चीज़ की तलाश थी जो लड़को की आकर्षण का केंद्र है, जी हाँ सही पहचाना मैं उसकी ब्रा और पैंटी ढूंढ रहा था लेकिन मुझे उसके बैग कोई ब्रा पैंटी नज़र नहीं आयी, मैंने चुपचाप बैग की ज़िप बंद की और वापिस उसकी जगह पर रख दिया।
मुझे बैग में ब्रा पैंटी ना मिलने का कोई गम नहीं था बल्कि उल्टा ख़ुशी ही हुई थी, थोड़ी देर में ही चन्द्रमा बाथरूम से बहार निकल आयी, वो बाथरूम में अपने कपडे ले कर गयी थी और वह से वो अपने पुरे कपडे पहन का बहार निकली थी, मैं उसकी चालाकी देख कर मुस्कुरा उठा, चन्द्रमा ने इस वक़्त एक टाइट ब्लू जीन्स और ऑफ वाइट कलर का गोल्ड प्रिंटेड टॉप पहना था, ये उसने मेरे साथ ही खरीदा था सरोजनी नगर मार्किट से। चन्द्रमा इस वक़्त हलके गीले कपड़ो में एक दम गज़ब की सुन्दर लग रही थी, साफ़ धुला धुला चेहरा और पानी से भीगे बाल, वो टॉवल से अपने गीले बाल सुखाने में लगी हुई थी के मैं अचानक उठ कर चन्द्रमा के पीछे जा पंहुचा और उसकी पानी से भीगी गर्दन पर अपने होंटो से चुम लिया, चन्द्रमा हाथो में टॉवल थामे थामे एक दम से पलटी तो मैंने उसको बाँहों में उठा लिया, फूल जैसी कोमल लड़की मेरी बाँहों में झूलगायी, मैं चन्द्रमा को बाँहों में उठाये उठाये बाथरूम की और चल दिया, चन्द्रमा अपनी नशीली आँखों को बड़ा बड़ा करके मेरी और देखने लगी लेकिन मैं बिना कुछ कहे उसको बाथरूम के गेट तक ले आया अचानक चन्द्रमा जैसे नींद से जाएगी और छटपटा कर मेरी गिरफ्त से छूटने की कोशिश करने लगी लेकिन मैंने जानभूझ कर गिरफ्त मज़बूत की हुई थी, मैंने उसे बाथरूम की और ले जा रहा था ओर वो बाथरूम की चौखट पकडे अंदर जाने से बच रही थी
चन्द्रमा : उनहूँ छोड़ो न सारे कपडे ख़राब हो रहे है
मैं : उनहूँ, नहीं छोडूंगा
चन्द्रमा : प्लीज यार मत करो ना
मैं : नहीं आज नहीं छोडूंगा, बहुत तड़पाया है तुमने
चन्द्रमा : प्लीज, सारे कपडे ख़राब हो जायेंगे, मैं कपडे नहीं लायी ज़ायदा,
मैं : कोई नहीं नए दिला दूंगा
चन्द्रमा : नहीं प्लीज प्लीज, बस करो ना यार, छोड़ दो प्लीज
मैं : नहीं बेबी आज नहीं, इतने दिन के बाद तो आज हाथ लगी हो आज बस हो ही जाये
चन्द्रमा : बेबी प्लीज आज माफ़ कर दो कल पक्का मैं आपके साथ नहाउंगी
मैं : देख लो कल पक्का ?
चन्द्रमा : हाँ पक्का पक्का बाबा, कल दोनों संग संग नहाएंगे, लेकिन प्ल्ज़ आज नहीं, आज मैंने कपडे चेंज कर लिए है
मैं : ठीक फिर कल का साथ नहाना लॉक किया जाए
चन्द्रमा : हाँ लॉक किया जाए कंप्यूटर जी
मैं : गुड गर्ल, अच्छा एक मिनट रुको (और बेसिन के साइड में लगे हुए बॉक्स में से ड्रायर निकाल कर चन्द्रमा को पकड़ा दिया)
चन्द्रमा मुँह खोले मेरा मुँह देखने लगी, और मैं मासूम फेस बना कर बाथरूम से बहार निकल आया,चन्द्रमा हेयर ड्रायर फेक कर मेरे पीछे पीछे लपकी
चन्द्रमा : आप मुझे अपने साथ नहलाने नहीं ले कर जा रहे थे ?
मैं : नहीं तो ? मैंने ऐसा कब बोला कि मेरे साथ नहाओ
चन्द्रमा : सच सच बताना मुझे गोदी में उठा के किस लिए लेके जा रहे थे ?
मैं : अरे तुम तोलिये से बाल सूखा रही थी तो मैं तुमको हेयर ड्रायर तक लेके गया,
चन्द्रमा : कोई ऐसे लेके जाता है क्या ? बता नहीं सकते थे मैं खुद ले लेती जाकर
मैं : चन्द्रमा बेबी हर बात बताई नहीं जाती कुछ करनी पड़ती है, अब देखो मैंने तुमको हेयर ड्रायर दिखा और मुझे तुम कल साथ नहाने के लिए मिल गयी हाहाहा
चन्द्रमा : नो नो नो ये बेमानी है आपने चीटिंग किया
मैं ; कैसी चीटिंग ? तुमने खुद बोला की कल साथ नहाउंगी, मैंने तो पूछा भी नहीं था इक भी बार
चन्द्रमा : अरे ऐसे ही निकल गया मेरे मुँह से, कोई प्रॉमिस वरोमिसे नहीं
मैं : वो तो कल देख्नेगे बेबी कह कर मैंने उसका हाथ पकड़ा तो झट से हाथ छुड़ा कर बाथरूम भाग गयी
मैंने भी अपने कपडे निकाले और चन्द्रमा के फ्री होने का वेट करने लगा, अब तक जो कुछ हूआ था सब एक दम ठीक चल रहा था अगर सब कुछ ऐसे ही चलते बहुत जल्द चन्द्रमा मेरी आगोश में होगी और उसकी चूत की गहराई मेरा लंड नाप रहा होगा।