sunoanuj
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Bahot behtareenमैंने भी झट से चन्द्रमा को उसकी कमर से पाकर कर अपनी ओर खिंचा और अपने लण्ड को सीधा उसकीगांड की दरार से सटा दिया, चन्द्रमा को जब तक समझ आता तब तक मेरा लण्ड उसकी गांड की गर्मी को महसूस करके अपने विकराल रूप में चुका था। मैंने हाथ चन्द्रमा की कमर से हटा कर उसकी नाभि की ओर लेकर गया और फिर वही हलके हातो से टीशर्ट के अंदर से उसके नंगे पेट और नाभि को फील करता रहा था, एक ओर मेरा लण्ड उसकी गांड में अड़ा था तो दूसरा उसके चिकने शरीर की नाप ले रहा था, चन्द्रमा का पेट एक दम सपाट था , कोई चर्भी नहीं एक दम चिकना और सपाट, और हो भी क्यों ना मुश्किल से 20 साल की उम्र थी लड़की की इस उम्र में शरीर का रोम रोम कामुकता से भरा होता है। मेरे हाथ चन्द्रमा के शरीर पर अपना जादू चला रहे थे और लेकिन अभी तक मेरे हाथ रुई के गालो जैसी गोलाइयाँ तक नहीं पहुंचे थे, चन्द्रमा शायद एक बार सवखलित हो कर शांत हो गयी थी लेकिन मेरे हाथ और उसकी गांड में फसा लुण्ड उसके शरीर में गर्मी पैदा कर रहे थे, मैंने अपना एक हाथ उसके पेट पर रहने दिया और दूसरे हाथ से उसके टॉप के ऊपर से हलके हलके चूचियों की गोलाइयों पर फेरने लगा, जैसे जैसे मेरा हाथ चन्द्रमा की चूचियों की गोलाईंयों पर गोल गोल घूम रहा था वैसे वैसे उसके शरीर में कर्रूँट सा दौड़ रहा था आखिर 3-४ मिनट ऐसा करने के बाद मुझसे कण्ट्रोल नहीं हुआ और और बस एक ही झटके में उसकी दाहिनी चूची अपनी हाथो में भर लिया, दोस्त उसकी चूचिया क्या थी मनो मक्खन का नरम मुलायम डाली हो, हाथ में आते ही ऐसे अनोखा एहसास मनो साड़ी दुनिया का मज़ा बस इसी गोलाइयों में हो, चूचि हाथ में आते ही चन्द्रमा तड़प गयी और एक झटका सा लिया, इस झटके ने मेरे लण्ड को चन्द्रमा के गांड में और अंदर तक घुसा दिया, लेग्गिंग्स का पतला कपडा मेरे लुण्ड और चन्द्रमा के गांड की गर्मी को झेल नहीं पा रहा था, उधर मैंने इस झटके बाद भी उसकी चूचियों को नहीं छोड़ा था और उसकी चूचियां वैसे ही मेरे हाथ में दबी भुई थी, कुछ 20-३० सेकेण्ड में उसका शरीर शांत हुआ तो मैंने फिर ध्रीरे से टॉप के ऊपर से उसके निप्पल्स को जो एकदम तन के खड़े थे अपनी अंगुली और अंगूठे में हल्का सा दबा कर गोल गोल घूमने लगा जैसे अंगूर का दाना हो। जैसे जैसे मैं उसके निप्पल को अपनी उँगलियों से दबा रहा था वैसे वैसे उसका शरीर ऐंठ रहा था कुछ ही मिंटो में जब चन्द्रमा से बर्दाश्त नहीं ही हुआ तो सीढ़ी हो कर लेट गयी उसकी आँखे बंद और साँसे गहरी थी मेरे पास इस से अच्छा मुका फिर नहीं मिलने वाला था मैंने झट से चंदमा के टॉप को ऊपर किया और बिना एक भी सेकेण्ड बर्बाद किये उसके बायीं चूची के निप्पल को अपने मुँह में लेकर मीठी लेमनचूस के जैसे चुभलाने लगा , मेरे होंठों का चन्द्रमा की चूचियों पर लग्न थी की चन्द्रमा मस्ती से पागल हो उठी और अपनी गांड उठा उठा कर बिस्तर पर रगड़ने लगी, मैं कोई भी मौका छोडना नहीं चाहता था इसलिए झट उसके बायीं चूची पर कब्ज़ा जमा लिया, अब चन्द्रमा की एक चूची मेरे मुँह में और दूसरी मेरे हाथ में दबवा कर मज़े ले रहे थ।
मेरे चूची पर डबल अटैक को चन्द्रमा संभल नहीं पा रही थी और बिस्तर पर जल बिन मछली जैसे तड़प रही थी और कामुक सिसकारियां ले रही थी, मेरा एक हाथ अभी अभी खली था, मैंने बिना वक़्त बर्बाद किये तीसरा अटक उसकी चूत पर किया, लेग्गिंग्स के उपर से ही और उसकी चूत को एक बार में ही पूरा मुट्ठी में भर लिया, मनो चन्द्रमा की चूत इसी पल के इन्तिज़ार में थी, मेरा चूत को पकड़ना था की एक दम से भरभरा कर झाड़ गयी, चन्द्रमा इतनी तेज़ झड़ी थी की उसने अपनी झांघो में मेरे हाथ को जकड लिया, चन्द्रमा मादक सिसकारियां निकलते हुए झाड़ रही थी, शायद ये उसका पहला सेक्सुअल एक्सपेरिंस था तभी इतनी जल्दी दो बार झाड़ गयी।
thank you brother. update hazir haiBahut barhiya kahani… waiting for next update please….
Awesome updateकुछ समय में ही दो बार झड़ने के कारन चन्द्रमा निढाल सी हो गयी थी लेकिन अभी तक मेरा प्लान पूरा नहीं हुआ था, क्यूंकि अभी तक चन्द्रमा ऊपर से ही नंगी हुई थी नीचे अभी तक उसकी लेग्गिंग्स चूत को ढकेहुए थी जिसके कारन अभी तक मैंने उसकी रस छोड़ती चूत का दीदार नहीं किया था बस अभी एक दो मिनट पहले पहली बार मैंने उसकी चूत को पैंटी और लेग्गिंग्स के ऊपर से मुट्ठी में भरा था,लेग्गिंग्स के पतले कपडे और उसके नीचे पैंटी के होने के बाद भी उसकी रस बहती चूत का गीलापन मैंने अपने हाथो पर साफ़ महसूस किया था और जान चूका था की चद्रमा की चूत इस समय हद से ज़ायदा गीली थी, मुझे अपने पुराने अनुभव से पता था की जब लड़की की चूत हद से ज़ायदा गीली हो तो उस समय लड़की पर ना दिल की चलती है और ना दिमाग की, उस समय लड़की के हर एक डिसीज़न पर चूत का कब्ज़ा होता है और मैं इस मौके खोना नहीं चाहता था, लड़की मन है कही सुबह तक बदल गया तो, फिर रह जाता ना चूतिया जैसे हाथ में लण्ड पकडे हुए, और मैं चूतिया बिलकुल नहीं था,
चन्द्रमा दूसरे ओर्गास्म के बाद तकिये पर अधलेटी से गहरी गहरी साँसे ले कर कुछ को शांत कर रही थी, मैंने नज़रे उठा कर देखा तो उसके कुछ बाल पोनीटेल से खुल कर इधर उधर फ़ैल गए थे और उसका टॉप जो मैंने उसकी चूचियों को नंगा करने के लिए ऊपर किया था अभी तक वैसे ही उसके गले में अटका हुआ था, उसने अभी तक उसको नीचे नहीं किया था, अब मैंने नज़रे नीची करके अपना धयान उसकी नंगी चूचियों की और किया, उस समय जल्दीबाज़ी में मैं चूचियों को ढंग से देख नहीं पाया था, टेबल लैंप की हलकी रौशनी में एक दम गोरी और छत की ओर तनी हुई चूचियां,अंगूर के लम्बे दाने के जैसा लम्बा हल्का गुलाबी निप्पल और निप्पल के चारो ओर गोलाई में फैला हुआ एलोरा, गौर से देखने पर एलोरा पर छोटे छोटे दाने और उन दानो के अस्स पास दो चार छोटे छोटे बाल, एक दम मस्त मनो किसी ने एडल्ट फोटोग्राफर के कल्पना में से निकाल कर ये चूचिया चन्द्रमा की छाती पर लगा दी हो, मैं बरबस ही अपनी जगह से हिला और अपनी जीभ निकल कर चन्द्रमा के खड़े निप्पल्स को चाट लिया, चन्द्रमा जो की सुस्ता रही थी वो आँखे खोल कर मेरी देखने लगी लेकिन मैं तन्मन्यता से उसकी चूचियों को निहार निहार कर चाटने लगा, मैं ये सब कुछ धीरे धीरे कर रहा था क्यूंकि मुझे मालूम था की अगर जल्दी किया तो कही रोक न दे क्यंकि अभी अभी तो झड़ कर शांत हुई थी और उसको फिर से गरम होने में पांच सात मींचते का तो टाइम लगता ही, जैसे जैसे मैं उसके निप्पल्स को चुस्त चाटता जा रहा था वैसे वैसे उसके शरीर में गर्मी आती जा रही थी और उसका शरीर मेरे हर एक चुमबन से सिहरने लगा था,
मैं अभी भी चन्द्रमा के साइड में लेट कर ये सब क्रिया अंजाम दे रहा था, मैंने उसके शरीर के ऊपर अभी तकपुरा नहीं लेता था, इस कार मुझे थोड़ी दिक्कत तो आरही थी लेकिन मैं जान भुझ कर थोड़ी डिस्टेंस मेन्टेन करके चल रहा था, जैसे जैसे चन्द्रमा का शरीर गर्म होता जा रहा था वैसे वैसे मेरे हाथो ने भी उसके शरीर पर फिसलना शरू कर दिया था और मैं उसकी चूचियों को चूसने के साथ साथ उसकी चूचियों के दबा रहा था मसल रहा था, जब जब मैं उसकी चूचियों को मसलते हुए उसकी निप्पल्स को छेड़ता वो कराह उठती मनो उसकी जान उसी में बसी हो, मैं अपना खेल पुरा मन लगा कर खेल रहा था और चन्द्रमा उसमे पूरा सहयोग कर रही थी, लगभग ५ मींचे ऐसा करते रहने के बाद मुझे फील हो गया की चन्द्रमा अब पूरी गरम हो चुकी है क्यूंकि अब उसकी कामुक सिसकिया उसके लाख होंठ काटने के बाद भी निकल रही थी और मेरा जोश बढ़ा रही थी, तभी चन्द्रमा ने अपने हाथ मेरे बालों में फेरना शरू कर दिया और दो चार बार मेरे बालो में हाथ चला कर मेरे सर को अपनी ओर खींचा, मैंने सर उस्ता कर सवालियां नज़रो से देखा तो चन्द्रमा ने निगाहे नीचे कर फुसफुसा कर कहा "बस करो बहुत हुआ, मैं दो बार हो चुकी हूँ " ये शायद हमारे बीच होने वाली पहली बात चीत थी, अब तक केवल इशारो में या उन्हह आह जैसे शब्दों से ही यहाँ तक का सफर तय हुआ था, मैंने भी उसके कान के समीप जा कर फुसफुसा कर कहा "बस जो कर रहा हूँ करने दो उसके बाद दोनों को शांति मिल जाएगी, नहीं तो दोनों साड़ी रात बेचैन रहेंगे और नींद भी नहीं आएगी" , मेरी बात सुन बिना कुछ बोले चन्द्रमा ने वापिस मेरे सर को अपनी चूचियों की ओर ठेल दिया और मैं समझ गया की जोभी मैं कर रहा हूँ उसमे चन्द्रमा की हाँ है, मैं वापिस चन्द्रमा की चूचियों पर टूट पड़ा, अब मेरे चन्द्रमा की चूचियों को चूसने और चाटने की गति ज़यादा थी, और मैं उसकी चूचियों को ज़ायदा ज़ोर से दबा दबा के मज़े ले रहा था, अब कमरा चन्द्रमा की करहो और सिसकियों से गूंजने लगा था, मैंने अब अपना हाथ चलाते हुए धीरे धीरे उसकी कमर से नीचे उसकी चूतड़ों तक पंहुचा दिया था और लेग्गिंग्स के ऊपर से ही उसके चूतड़ों को मसलने लगा, जैसे जैसे मैं उसके चूतड़ मसलता वैसे वैसे चन्द्रमा अपनी चूत हवा में उठा कर अपनी गांड बिस्तर पटकती, दूसरी और मैं पूरी तन्मन्यता से कभी दायी कभी बायीं चुची को चुस्ता।
मैंने चूसते चूसते अपनी पोजीशन चेंज की और धीरे से चन्द्रमा की दोनों टांगों के बीच में आगया, इस पोजीशन में आसानी हो रही थी चन्द्रमा को चूसने में और साथ उसके चूतड़ मसलने में और अब जैसे ही चन्द्रमा अपनी चूत हवा में उठती तो उसकी चूत मेरे पेट से रगड़ कहती जिसके कारन चन्द्रमा के शरीर में कर्रूँट सा दौड़ जाता, मैंने अपने हाथो को अब लेग्गिंग्स के अंदर डाल दिया और अब पैंटी के ऊपर से चूतड़ों को रगड़ने लगा, मेरे एक के बाद एक होते अटैक से चन्द्रमा की हालत असत वयस्त थी और उसकी आह आह सी सीई से पूरा माहौल कामुक बना हुआ था, मैंने अब चन्द्रमा की चूचियों को छोड़ अपनी जीभ और मुंह को उसके पुरे शरीर पर फेरना स्टार्ट कर दिया था और धीरे धीरे उसकी नाभि पर पहुंच कर उसकी नाभि में झीब डाल कर उसकी नाभि कुरेदने लगा, ऐसा करने से चन्द्रमा की मनो घिघि सी बांध गयी थी और वो अजीब अजीब आवजे निकाल रही थी, मैं बार बार अपनी जीभ से उसकी नाभि कुरेदता और सके पेडू के पास चाट लेता ऐसा मैंने चार पांच बार किया और हर बार चन्द्रमा ने अपनी चूत हवा में उठा कर मेरी इस क्रिया का समर्थन किया, मेरे हाथ अब चन्द्रमा की लेग्गिंग्स से होते हुए उनकी पैंटी में घुस चुके थे और उसके चिकने नंगे चूतड़ों को रगड़ रगड़ कर लाल कर रहे थे, मैंने ऐसे ही रडते रगड़ते अपना हाथ उसकी पैंटी और लेग्गिंग्स में फसाया और अपनी जीभ से एक जोरदार प्रहार चन्द्रमा की नाभि किया, हार बार की तरह चन्द्रमा ने बिलबिलकर अपनी चूत हवा में उठायी और उसी छण मैंने एक झटके में चन्द्रमा की लेग्गिंग्स पैंटी समेत उसके घुटनो तक खींच दी, जैसे ही चन्द्रमा को अपनी प्यारी चूत के पूरा नंगा होने का अहसास हुआ तब तक मैंने बिना कोई मौका गवाए अपने होंठ सीधा उसकी चूत के मुहाने पर रख दिया।
चूत पर हमला होते ही चन्द्रमा सीत्कार उठी " ओह्ह नहीं वहा नहीं प्लीज," लेकिन तब तक देर हो चुकी थी और चन्द्रमा की चूतरस से भरी चूत मेरे अनुभवी होंठों में फसी थी, चन्द्रमा ने अपने दोनों हाथो से मेरा सर थाम लिया था और उसे हटा कर अपनी चूत से अलग करने का नाकाम प्रयास कर रही थी लेकिन वो नादान क्या जानती थी की भला कोई पागल मर्द ही होगा जो ऐसी मखमली रसीली चूत को मुंह में आने के बाद छोड़ दे, मैंने अपने पुरे अनुभव का प्रयोग करते हुए अपनी जीभ के कोने से चन्द्रमा की क्लाइटोरिस को कुरदने चालू कर कर दिया था, मैं उसकी क्लाइटोरिस को जो पहले ही चूत के लसलसे रस से भीगी हुई थी चाटने लगा, मैं चार पांच बार ही उसकी क्लाइटोरिस को छाता होगा की चन्द्रमा के हाथो की सख्ती मेरे सर पर काम हो गयी और वो बेचैनी से अपना सर तकिये पर इधर उधर पटकने लगी, मैंने कभी उसकी चूत को पूरा मन में भर कर चूस जाता और कभी चूत की फांक में झीभ डाल कर लण्ड की भांति अपनी झीभ अंदर पेल देता, कभी मैं उसकी क्लीट को लेमनचूस की जैसे चूसता और कभी होंटो में दबा कर चुभलाने लगता, चन्द्रमा अब मनो पागल हो गयी थी वो कभी मस्ती में अपनी चूत मेरे मुंह में दबा देती और कभी मेरे सर को अपने हाथो में पकड़ कर चूत पर रगड़ती, जैसे जैसे मैं चूत को चूसता जा रहा वैसे वैसे वो अब बड़बड़ाने लगी थी।।।
अह्ह्ह एस्सस,हम्म्म हाँ ऐसे ही, यस यस प्लीज ऐसे ही, ओह भगवान, ओह्ह मुम्मा, बस छोर दो मुझे अब्ब, रहने दो कुछ मत करो प्ली।
और भी न जाने क्या कुछ लेकिन मैं बिना कुछ कहे सुने उसकी चूत में झीब अंदर तक डाल कर छुड़ता रहा था कुछ 1-२ मिनट ऐसे ही करते रहने के बाद मैंने वापिस क्लीट को अपने मुँह में लिया, इस बार ऐसा करते ही चन्द्रमा ने ज़ोर से मेरे सर को पकड़ कर अपने चूत पर दबा दिया अचानक एक ज़ोर की "ओह्ह मर गयी,,,, मम्मी मैं तो गयी!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!" बोल कर मेरे सर को अपनी जांघो में ज़ोर से दबा लिया और हौलेहौले चार पांच झटके ले कर शांत हो गयी, वो झड़ गयी थी एक ज़ोरदार ओर्गास्म के साथ।
excellent updateनमस्कार दोस्तों।
मैं बहुत टाइम से एक्सबी या और दूसरे पोर्टल पर सेक्स कहानियों का पाठक रहा हूँ
ढेरों के सांख्य में इन कहानियों का आनंद लिया है और लेखकों की इमेजिनेशन और सेक्स सिचुएशन को रीयलिस्टिक तरीके से लिखने की कला का कायल रहा हूँ।
आप महान लेखकों से बहुत ज़्यादा प्रेरित हो कर एक संछेप सेक्सुअल एनकाउंटर जो कुछ समय पहले हुआ है वह एक कहानी के रूप में आप के समक्ष लिखने की हिम्मत कर रहा हूँ लिखने में हुई किसी भी प्रकार की त्रुटि केलिए क्षमा, ये किसी भी प्रकार ki कहानी लिखने का मेरा प्रथम प्रयास है।
बात २०१९ के आसपास की है। मेरे जीवन में उस से पहले 2-३ सुंदरियों का प्रवेश गिर्ल्फ्रेंड्स के रूप में हुआ जो मुझ वर्जिन मुट्ठल लड़के से चुदाई में एक्सपर्ट के रूम में डेवेलोप करके अपने जीवन साथी के साथ सुखी जीवन बिता रही हैं।
उन दिनों मेरा जीवन अकेला और उदास चल रहा था, मेरी लास्ट गिर्ल्फ्रैंड से ब्रेकअप हुए ज़यादा समय नहीं हुआ था इसलिए मैं उदास और दुखी था, मैं थोड़ा निराश भी था जीवन से क्यंकि मैंने अपनी प्रेमिका नीलू से सच्चा प्रेम किया था और मैं सच में शादी करना चाहता था lekin वो भी बाकि दूसरी लड़कियों तरह निकली और उसने भी प्रेम के ऊपर सुरक्षित भविष्य को चुना और एक आर्मी अफसर के साथ एंगेज हो गयी। दिल टूट गया लेकिन कर भी क्या सकता था, जो कलतक मेरी बाँहों में baahen डाल के कहती थी की बस तुम्हारी हूँ वह आज किसी और के सपनो में खोयी थी।
खैर एक दिन मैं ऐसे ही किसी काम में बिजी था की मेरे फ़ोन पर कॉल आयी , मैंने कॉल पिक किया, पता लगा मार्केटिंग कॉल है और कॉल करने वाली लड़की मुझे क्रेडिट कार्ड बनवाने के लिए कॉल कर रही थी , मैंने मना कर दिया की मुझे ज़रूरत नहीं है उसने कॉल कट करते हुए कहा::
कॉलर : सर मेरा नाम चन्द्रमा और कभी भी आपको क्रेडिट कार्ड की नीड हो तो मुझे कॉल कीजियेगा।
बात यही ख़तम हो गयी और मैं इस घटना को भूल गया, कुछ दिन बाद फिर मेरे फ़ोन पर कॉल आयी और वही क्रेडिट कार्ड के लिए कहा, मुझे याद आगया
मैं : आप चन्द्रमा है ना? आपने पहले भी कॉल किया था लेकिन मुझे क्रेडिट कार्ड की नीड नहीं है।
चन्द्रमा : सर आपको मेरा नाम याद रहा ?
मैं : हाँ क्यों नहीं, तुम्हारा नाम बहुत यूनिक है।
चन्द्रमा : हाहाहा, इतना भी अच्छा नहीं है, सब मुझे चंदू बोलते है और मुझे बुढ़िया जैसी फीलिंग्स आती है
मैं थोड़ा हैरान था उसके इतनी जल्दी फ्रीली बात करते हुए देखके लिकेन मुझे क्या दिक्कत हो सकती थी।
मैं : नहीं तुम्हारा नाम बहुत सूंदर और इसीलिए याद भी रह।
चन्द्रमा : सर आप बहुत अच्छे इंसान है नहीं तो लोग कॉल गर्ल से ठीक से बात भी नहीं करते।
बेचारी जोश जोश में खुद को कॉल गर्ल बोल गयी, उसकी बात सुन के मैं हंस पड़ा। लेकिन अपनी हंसी कण्ट्रोल करके कहा
मैं : नहीं ऐसी कोई बात नहीं है, सब इंसान बराबर है, तुम भी अपना काम कर रही हो और मेहनत करके पैसे कमाने वालो की हमेशा इज़्ज़त करनी चाहिए।
चन्द्रमा : यही तो सर, लेकिन क्या करे हम अच्छी नौकरी न मिलने पर कालिंग वाली जॉब करते है और लोग हमारी बात सुनते तक नहीं और फ़ोन काट देते है या गन्दी बात करने लगते है लेकिन आप से बात करके अच्छा लगा, आपको कभी भी कार्ड बनवाना हो तोह मुझसे ही बनवाना।
मैं : पक्का , तुमसे ही बनवाऊंगा। ये कह के मैंने कॉल कट कर दिया।
बात आयी गयी हो गयी और मैं अपने अपने काम और परिवार में बिजी रहा , कभी कभी दिल में टीस सी उठती थी नीलू को याद करके, टूटे दिल की यही समस्या है , अकेलापन मिलते ही उसी की याद में खून के आंसू रोता है जिसने उसके टुकड़े टुकड़े किये होते है अपने पैरों के नीचे कुचल कर।
फिर कुछ एक डेढ़ महीने गुज़रे होंगे की एक सुहानी शाम को चन्द्रमा का कॉल आगया, क़िस्मत की बात थी की उस दिन मैं फ्री था और मूड भी अच्छा था, मैंने कॉल पिक किया
चन्द्रमा : हेलो सर , मैं चन्द्रमा बोल रही हूँ
मैं : हाँ चन्द्रमा बोलो ? वैसे तुमको बोलना नहीं चमकना चाहिए (मैंने जोक मारा )
चन्द्रमा : हाहाहा सच में।
मैं : हाँ सच , अच्छा बोलो सब ठीक ?
चन्द्रमा : यही बताने के लिए कॉल किया है , कल मैं ये जॉब छोड़ रही हूँ , और ये नंबर भी बदल जायेगा , अब आप इस नंबर पर कॉल मत करना , मैं आपको अपना पर्सनल नो दूंगी उस पर कॉल करना।
मैं: हाँ क्यों नहीं (मैं अब इतना भी चूतिया नहीं था की न समझता की लड़की के मन में क्या है)
चन्द्रमा : रुको मैं आपको करती हूँ अपने नंबर से कॉल। (इतना बोलके उसने कॉल कट कर दी और अपने पर्सनल नंबर से कॉल की )
मैं : हाँ चन्द्रमा बोलो ?
चन्द्रमा : क्या बोलू आप पूछो ?
मैं : जॉब क्यों छोड़ी ?
चन्द्रमा : बेकार जॉब थी छोर दी।
मैं : अब क्या करोगी फिर।
चन्द्रमा : दूसरी जॉब ढूंढूंगी
मैं गुड, बुरा मत मानना, तुम कहा रहती हो ?
चन्द्रमा : इसमें बुरा मान ने की क्या बात है , मैं फरीदाबाद में रहती हूँ
मैं : ओह्ह गुड, मैं दिल्ली रहता हूँ।
चन्द्रमा : (इठलाते हुए ) मेको पता है।
मैं : तुमको कैसे पता ?
चन्द्रमा : क्रेडिट कार्ड कंपनी में काम करती हु आपकी डिटेल्स है कंपनी में।
मैं : ओह वाओ , मैं तोह भूल ही गया था , तुम बहुत चालक हो
चन्द्रमा : हीहीही वह तोह मैं हूँ ही
ऐसे ही हमारी काफी देर बात हुई और मुझे पता चलगया की वह फरीदाबाद में अपने मान बाप के साथ रहती है दो ही बहने है और ये बड़ी है और जॉब करती है। बातों से ये भी आईडिया लग गया की उम्र बहुत ज़ायदा नहीं है और निचली मिडिल क्लास से बिलोंग करती है।
फ़ोन कट करते टाइम हम दोनों में से किसी ने भी फिर कॉल के लिए नहीं बोला इसलिए मुझे समझ नही आरहा था की फिर बात होगी की नहीं।
वापिस से फिर वही अकेलापन और उदासी थी, फिर वही प्यार भरे पलों की यादें थी और उन यादों को कुचले जाने का दुःख, कभी न मिटने वाला दर्द और उसकी हौले हौले उठती टीसें। लेकिन कहते है न की ऊपर वाले के खेल निराले है, तोह हुआ ये की मेरा एकदोस्त मिलने आया और बातों बातों में पता चला की किसी ने उसके नाम से फ़र्ज़ी लोन ले लिया था जिसके कारन उसका cibil ख़राब है और उसका क्रेडिट कार्ड नहीं बन पा रहा है , मैं उसको बताया की कोई जानकार है मेरा और मैं कोशिश करता हूँ कुछ। मैंने उसको चन्द्रमा का जान बुझ के नंबर नहीं दिया, पता था की एक नंबर का हरामी है अपनी खुद की सेटिंग में लग जायेगा।
मैंने अगले दिन चन्द्रमा को कॉल किया , उसने चहकते हुए कॉल पिक किया
चन्द्रमा : हेलो सर !
मैं : हेलो चन्द्रमा , मैं समीर बोल रहा हूँ
चन्द्रमा : पहचान लिया सर, आपको बताने की ज़रूरत नहीं है
मैं : हाहाहा थैंक यू , मुझे लगा भूल गयी होगी
चन्द्रमा : अरे नहीं सर आपको कैसे भूल सकती हूँ, वैसे एक बात बोलू ? हर बार सोचती हूँ पर बोलनाही पाती
मैं : हाँ हाँ बोलो क्या बात है ?
चन्द्रमा : समीर जी आपकी आवाज़ बहुत सुन्दर है, आप जब बोलते है तो लगता है किसी फिल्म एक्टर से बात कर रही हु।
मैं : वाकई ? मुझे तो बोला नहीं किसी ने , वैसे तुम्हारी आवाज़ भी बहुत सूंदर है बहुत स्वीटनेस है बिलकुल बच्चो वाली।
चन्द्रमा : हुहूँ।।। मैं एक छोटा बेबी हूँ (इठलाते हुए छोटे बच्चे की तोतली भाषा में )
मैं : हाँ बिलकुल छोटू सा बेबी। अच्छा सुनो मैंने एक काम के लिए कॉल किया था
चन्द्रमा : हाँ बोलिये
फिर मैंने उसकोअपने दोस्त का इशू डिटेल में बताया और सलूशन पूछा , उसने जॉब छोर दी थी लेकिन उसके कॉन्टेक्ट्स थे और उसने उन को उसे करके मेरे फ्रैंड का काम करा दिया, क्रेडिट कार्ड बन गया, मेरा दोस्त भी खुश और चन्द्रमा भी, और मैं थो खुश था ही, उम्मीद जो हो गयी चन्द्रमा की चांदनी के दिल में उतरने की, दिल भी साला बड़ा कुत्ती चीज़ है, जब अकेला हो तो बिछड़े प्यार को याद करके रोता हैलेकिन जहा कोई नयी लड़की आयी तो उसका प्यार पाने के तमन्ना करने लगता है। इसी तमन्ना में मेरा दिल खुश था की चलो कोई तोह जिससे बात करके अच्छा फील होगा और अकेलापन कम फील होगा, लेकिन हाय री क़िस्मत बात आगे बढ़ती की उस से पहले ही ड्रमा हो गया।
मैं एक सुबह सो रहा था की मेरे फ़ोन पर चन्द्रमा का कॉल आया लगभग ५ बजे मॉर्निंग में, मुझे लगा गलती से है क्योंकि अब इतनी भी बात आगे नहीं बढ़ी की वो मुझे इतनी सुबह कॉल करे। लेकिन आधे घंटे बाद फिर कॉल आयी तोह मैंने कॉल उठाया
चन्द्रमा : हेलो सर (बौखलाए हुए )
मैं : हाँ बोलो क्या बात है
चन्द्रमा : सर आपसे एक काम था
मैं : हाँ बोलो क्या काम है (मैं समझ गया की अब ये पैसे मांगेगी)
चन्द्रमा : सर मुझे कुछ पैसे चाहिए अर्जेंट, मेरी तेन है एक घंटे में
मैं : कितने ? और कहा जा रही हो अचानक ?
चन्द्रमा : ३००० हज़ार रूपये, आके बताउंगी
मैं : ठीक है अकाउंट नो भेजो (मैंने मान लिया था की लड़की ४ दिन मीठी मीठी बात करके चूतिया काट गयी)
तीन हज़ार रूपये मेरे लिए कोई बहुत बड़ी बात नहीं थी लिकेन चूतिया बनने का मलाल था, मैंने पैसे दे दिए और सब भूलभाल के काम में व्यस्त हो गया।
hot erotic and sexy updateकुछ समय में ही दो बार झड़ने के कारन चन्द्रमा निढाल सी हो गयी थी लेकिन अभी तक मेरा प्लान पूरा नहीं हुआ था, क्यूंकि अभी तक चन्द्रमा ऊपर से ही नंगी हुई थी नीचे अभी तक उसकी लेग्गिंग्स चूत को ढकेहुए थी जिसके कारन अभी तक मैंने उसकी रस छोड़ती चूत का दीदार नहीं किया था बस अभी एक दो मिनट पहले पहली बार मैंने उसकी चूत को पैंटी और लेग्गिंग्स के ऊपर से मुट्ठी में भरा था,लेग्गिंग्स के पतले कपडे और उसके नीचे पैंटी के होने के बाद भी उसकी रस बहती चूत का गीलापन मैंने अपने हाथो पर साफ़ महसूस किया था और जान चूका था की चद्रमा की चूत इस समय हद से ज़ायदा गीली थी, मुझे अपने पुराने अनुभव से पता था की जब लड़की की चूत हद से ज़ायदा गीली हो तो उस समय लड़की पर ना दिल की चलती है और ना दिमाग की, उस समय लड़की के हर एक डिसीज़न पर चूत का कब्ज़ा होता है और मैं इस मौके खोना नहीं चाहता था, लड़की मन है कही सुबह तक बदल गया तो, फिर रह जाता ना चूतिया जैसे हाथ में लण्ड पकडे हुए, और मैं चूतिया बिलकुल नहीं था,
चन्द्रमा दूसरे ओर्गास्म के बाद तकिये पर अधलेटी से गहरी गहरी साँसे ले कर कुछ को शांत कर रही थी, मैंने नज़रे उठा कर देखा तो उसके कुछ बाल पोनीटेल से खुल कर इधर उधर फ़ैल गए थे और उसका टॉप जो मैंने उसकी चूचियों को नंगा करने के लिए ऊपर किया था अभी तक वैसे ही उसके गले में अटका हुआ था, उसने अभी तक उसको नीचे नहीं किया था, अब मैंने नज़रे नीची करके अपना धयान उसकी नंगी चूचियों की और किया, उस समय जल्दीबाज़ी में मैं चूचियों को ढंग से देख नहीं पाया था, टेबल लैंप की हलकी रौशनी में एक दम गोरी और छत की ओर तनी हुई चूचियां,अंगूर के लम्बे दाने के जैसा लम्बा हल्का गुलाबी निप्पल और निप्पल के चारो ओर गोलाई में फैला हुआ एलोरा, गौर से देखने पर एलोरा पर छोटे छोटे दाने और उन दानो के अस्स पास दो चार छोटे छोटे बाल, एक दम मस्त मनो किसी ने एडल्ट फोटोग्राफर के कल्पना में से निकाल कर ये चूचिया चन्द्रमा की छाती पर लगा दी हो, मैं बरबस ही अपनी जगह से हिला और अपनी जीभ निकल कर चन्द्रमा के खड़े निप्पल्स को चाट लिया, चन्द्रमा जो की सुस्ता रही थी वो आँखे खोल कर मेरी देखने लगी लेकिन मैं तन्मन्यता से उसकी चूचियों को निहार निहार कर चाटने लगा, मैं ये सब कुछ धीरे धीरे कर रहा था क्यूंकि मुझे मालूम था की अगर जल्दी किया तो कही रोक न दे क्यंकि अभी अभी तो झड़ कर शांत हुई थी और उसको फिर से गरम होने में पांच सात मींचते का तो टाइम लगता ही, जैसे जैसे मैं उसके निप्पल्स को चुस्त चाटता जा रहा था वैसे वैसे उसके शरीर में गर्मी आती जा रही थी और उसका शरीर मेरे हर एक चुमबन से सिहरने लगा था,
मैं अभी भी चन्द्रमा के साइड में लेट कर ये सब क्रिया अंजाम दे रहा था, मैंने उसके शरीर के ऊपर अभी तकपुरा नहीं लेता था, इस कार मुझे थोड़ी दिक्कत तो आरही थी लेकिन मैं जान भुझ कर थोड़ी डिस्टेंस मेन्टेन करके चल रहा था, जैसे जैसे चन्द्रमा का शरीर गर्म होता जा रहा था वैसे वैसे मेरे हाथो ने भी उसके शरीर पर फिसलना शरू कर दिया था और मैं उसकी चूचियों को चूसने के साथ साथ उसकी चूचियों के दबा रहा था मसल रहा था, जब जब मैं उसकी चूचियों को मसलते हुए उसकी निप्पल्स को छेड़ता वो कराह उठती मनो उसकी जान उसी में बसी हो, मैं अपना खेल पुरा मन लगा कर खेल रहा था और चन्द्रमा उसमे पूरा सहयोग कर रही थी, लगभग ५ मींचे ऐसा करते रहने के बाद मुझे फील हो गया की चन्द्रमा अब पूरी गरम हो चुकी है क्यूंकि अब उसकी कामुक सिसकिया उसके लाख होंठ काटने के बाद भी निकल रही थी और मेरा जोश बढ़ा रही थी, तभी चन्द्रमा ने अपने हाथ मेरे बालों में फेरना शरू कर दिया और दो चार बार मेरे बालो में हाथ चला कर मेरे सर को अपनी ओर खींचा, मैंने सर उस्ता कर सवालियां नज़रो से देखा तो चन्द्रमा ने निगाहे नीचे कर फुसफुसा कर कहा "बस करो बहुत हुआ, मैं दो बार हो चुकी हूँ " ये शायद हमारे बीच होने वाली पहली बात चीत थी, अब तक केवल इशारो में या उन्हह आह जैसे शब्दों से ही यहाँ तक का सफर तय हुआ था, मैंने भी उसके कान के समीप जा कर फुसफुसा कर कहा "बस जो कर रहा हूँ करने दो उसके बाद दोनों को शांति मिल जाएगी, नहीं तो दोनों साड़ी रात बेचैन रहेंगे और नींद भी नहीं आएगी" , मेरी बात सुन बिना कुछ बोले चन्द्रमा ने वापिस मेरे सर को अपनी चूचियों की ओर ठेल दिया और मैं समझ गया की जोभी मैं कर रहा हूँ उसमे चन्द्रमा की हाँ है, मैं वापिस चन्द्रमा की चूचियों पर टूट पड़ा, अब मेरे चन्द्रमा की चूचियों को चूसने और चाटने की गति ज़यादा थी, और मैं उसकी चूचियों को ज़ायदा ज़ोर से दबा दबा के मज़े ले रहा था, अब कमरा चन्द्रमा की करहो और सिसकियों से गूंजने लगा था, मैंने अब अपना हाथ चलाते हुए धीरे धीरे उसकी कमर से नीचे उसकी चूतड़ों तक पंहुचा दिया था और लेग्गिंग्स के ऊपर से ही उसके चूतड़ों को मसलने लगा, जैसे जैसे मैं उसके चूतड़ मसलता वैसे वैसे चन्द्रमा अपनी चूत हवा में उठा कर अपनी गांड बिस्तर पटकती, दूसरी और मैं पूरी तन्मन्यता से कभी दायी कभी बायीं चुची को चुस्ता।
मैंने चूसते चूसते अपनी पोजीशन चेंज की और धीरे से चन्द्रमा की दोनों टांगों के बीच में आगया, इस पोजीशन में आसानी हो रही थी चन्द्रमा को चूसने में और साथ उसके चूतड़ मसलने में और अब जैसे ही चन्द्रमा अपनी चूत हवा में उठती तो उसकी चूत मेरे पेट से रगड़ कहती जिसके कारन चन्द्रमा के शरीर में कर्रूँट सा दौड़ जाता, मैंने अपने हाथो को अब लेग्गिंग्स के अंदर डाल दिया और अब पैंटी के ऊपर से चूतड़ों को रगड़ने लगा, मेरे एक के बाद एक होते अटैक से चन्द्रमा की हालत असत वयस्त थी और उसकी आह आह सी सीई से पूरा माहौल कामुक बना हुआ था, मैंने अब चन्द्रमा की चूचियों को छोड़ अपनी जीभ और मुंह को उसके पुरे शरीर पर फेरना स्टार्ट कर दिया था और धीरे धीरे उसकी नाभि पर पहुंच कर उसकी नाभि में झीब डाल कर उसकी नाभि कुरेदने लगा, ऐसा करने से चन्द्रमा की मनो घिघि सी बांध गयी थी और वो अजीब अजीब आवजे निकाल रही थी, मैं बार बार अपनी जीभ से उसकी नाभि कुरेदता और सके पेडू के पास चाट लेता ऐसा मैंने चार पांच बार किया और हर बार चन्द्रमा ने अपनी चूत हवा में उठा कर मेरी इस क्रिया का समर्थन किया, मेरे हाथ अब चन्द्रमा की लेग्गिंग्स से होते हुए उनकी पैंटी में घुस चुके थे और उसके चिकने नंगे चूतड़ों को रगड़ रगड़ कर लाल कर रहे थे, मैंने ऐसे ही रडते रगड़ते अपना हाथ उसकी पैंटी और लेग्गिंग्स में फसाया और अपनी जीभ से एक जोरदार प्रहार चन्द्रमा की नाभि किया, हार बार की तरह चन्द्रमा ने बिलबिलकर अपनी चूत हवा में उठायी और उसी छण मैंने एक झटके में चन्द्रमा की लेग्गिंग्स पैंटी समेत उसके घुटनो तक खींच दी, जैसे ही चन्द्रमा को अपनी प्यारी चूत के पूरा नंगा होने का अहसास हुआ तब तक मैंने बिना कोई मौका गवाए अपने होंठ सीधा उसकी चूत के मुहाने पर रख दिया।
चूत पर हमला होते ही चन्द्रमा सीत्कार उठी " ओह्ह नहीं वहा नहीं प्लीज," लेकिन तब तक देर हो चुकी थी और चन्द्रमा की चूतरस से भरी चूत मेरे अनुभवी होंठों में फसी थी, चन्द्रमा ने अपने दोनों हाथो से मेरा सर थाम लिया था और उसे हटा कर अपनी चूत से अलग करने का नाकाम प्रयास कर रही थी लेकिन वो नादान क्या जानती थी की भला कोई पागल मर्द ही होगा जो ऐसी मखमली रसीली चूत को मुंह में आने के बाद छोड़ दे, मैंने अपने पुरे अनुभव का प्रयोग करते हुए अपनी जीभ के कोने से चन्द्रमा की क्लाइटोरिस को कुरदने चालू कर कर दिया था, मैं उसकी क्लाइटोरिस को जो पहले ही चूत के लसलसे रस से भीगी हुई थी चाटने लगा, मैं चार पांच बार ही उसकी क्लाइटोरिस को छाता होगा की चन्द्रमा के हाथो की सख्ती मेरे सर पर काम हो गयी और वो बेचैनी से अपना सर तकिये पर इधर उधर पटकने लगी, मैंने कभी उसकी चूत को पूरा मन में भर कर चूस जाता और कभी चूत की फांक में झीभ डाल कर लण्ड की भांति अपनी झीभ अंदर पेल देता, कभी मैं उसकी क्लीट को लेमनचूस की जैसे चूसता और कभी होंटो में दबा कर चुभलाने लगता, चन्द्रमा अब मनो पागल हो गयी थी वो कभी मस्ती में अपनी चूत मेरे मुंह में दबा देती और कभी मेरे सर को अपने हाथो में पकड़ कर चूत पर रगड़ती, जैसे जैसे मैं चूत को चूसता जा रहा वैसे वैसे वो अब बड़बड़ाने लगी थी।।।
अह्ह्ह एस्सस,हम्म्म हाँ ऐसे ही, यस यस प्लीज ऐसे ही, ओह भगवान, ओह्ह मुम्मा, बस छोर दो मुझे अब्ब, रहने दो कुछ मत करो प्ली।
और भी न जाने क्या कुछ लेकिन मैं बिना कुछ कहे सुने उसकी चूत में झीब अंदर तक डाल कर छुड़ता रहा था कुछ 1-२ मिनट ऐसे ही करते रहने के बाद मैंने वापिस क्लीट को अपने मुँह में लिया, इस बार ऐसा करते ही चन्द्रमा ने ज़ोर से मेरे सर को पकड़ कर अपने चूत पर दबा दिया अचानक एक ज़ोर की "ओह्ह मर गयी,,,, मम्मी मैं तो गयी!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!" बोल कर मेरे सर को अपनी जांघो में ज़ोर से दबा लिया और हौलेहौले चार पांच झटके ले कर शांत हो गयी, वो झड़ गयी थी एक ज़ोरदार ओर्गास्म के साथ।