कुछ समय में ही दो बार झड़ने के कारन चन्द्रमा निढाल सी हो गयी थी लेकिन अभी तक मेरा प्लान पूरा नहीं हुआ था, क्यूंकि अभी तक चन्द्रमा ऊपर से ही नंगी हुई थी नीचे अभी तक उसकी लेग्गिंग्स चूत को ढकेहुए थी जिसके कारन अभी तक मैंने उसकी रस छोड़ती चूत का दीदार नहीं किया था बस अभी एक दो मिनट पहले पहली बार मैंने उसकी चूत को पैंटी और लेग्गिंग्स के ऊपर से मुट्ठी में भरा था,लेग्गिंग्स के पतले कपडे और उसके नीचे पैंटी के होने के बाद भी उसकी रस बहती चूत का गीलापन मैंने अपने हाथो पर साफ़ महसूस किया था और जान चूका था की चद्रमा की चूत इस समय हद से ज़ायदा गीली थी, मुझे अपने पुराने अनुभव से पता था की जब लड़की की चूत हद से ज़ायदा गीली हो तो उस समय लड़की पर ना दिल की चलती है और ना दिमाग की, उस समय लड़की के हर एक डिसीज़न पर चूत का कब्ज़ा होता है और मैं इस मौके खोना नहीं चाहता था, लड़की मन है कही सुबह तक बदल गया तो, फिर रह जाता ना चूतिया जैसे हाथ में लण्ड पकडे हुए, और मैं चूतिया बिलकुल नहीं था,
चन्द्रमा दूसरे ओर्गास्म के बाद तकिये पर अधलेटी से गहरी गहरी साँसे ले कर कुछ को शांत कर रही थी, मैंने नज़रे उठा कर देखा तो उसके कुछ बाल पोनीटेल से खुल कर इधर उधर फ़ैल गए थे और उसका टॉप जो मैंने उसकी चूचियों को नंगा करने के लिए ऊपर किया था अभी तक वैसे ही उसके गले में अटका हुआ था, उसने अभी तक उसको नीचे नहीं किया था, अब मैंने नज़रे नीची करके अपना धयान उसकी नंगी चूचियों की और किया, उस समय जल्दीबाज़ी में मैं चूचियों को ढंग से देख नहीं पाया था, टेबल लैंप की हलकी रौशनी में एक दम गोरी और छत की ओर तनी हुई चूचियां,अंगूर के लम्बे दाने के जैसा लम्बा हल्का गुलाबी निप्पल और निप्पल के चारो ओर गोलाई में फैला हुआ एलोरा, गौर से देखने पर एलोरा पर छोटे छोटे दाने और उन दानो के अस्स पास दो चार छोटे छोटे बाल, एक दम मस्त मनो किसी ने एडल्ट फोटोग्राफर के कल्पना में से निकाल कर ये चूचिया चन्द्रमा की छाती पर लगा दी हो, मैं बरबस ही अपनी जगह से हिला और अपनी जीभ निकल कर चन्द्रमा के खड़े निप्पल्स को चाट लिया, चन्द्रमा जो की सुस्ता रही थी वो आँखे खोल कर मेरी देखने लगी लेकिन मैं तन्मन्यता से उसकी चूचियों को निहार निहार कर चाटने लगा, मैं ये सब कुछ धीरे धीरे कर रहा था क्यूंकि मुझे मालूम था की अगर जल्दी किया तो कही रोक न दे क्यंकि अभी अभी तो झड़ कर शांत हुई थी और उसको फिर से गरम होने में पांच सात मींचते का तो टाइम लगता ही, जैसे जैसे मैं उसके निप्पल्स को चुस्त चाटता जा रहा था वैसे वैसे उसके शरीर में गर्मी आती जा रही थी और उसका शरीर मेरे हर एक चुमबन से सिहरने लगा था,
मैं अभी भी चन्द्रमा के साइड में लेट कर ये सब क्रिया अंजाम दे रहा था, मैंने उसके शरीर के ऊपर अभी तकपुरा नहीं लेता था, इस कार मुझे थोड़ी दिक्कत तो आरही थी लेकिन मैं जान भुझ कर थोड़ी डिस्टेंस मेन्टेन करके चल रहा था, जैसे जैसे चन्द्रमा का शरीर गर्म होता जा रहा था वैसे वैसे मेरे हाथो ने भी उसके शरीर पर फिसलना शरू कर दिया था और मैं उसकी चूचियों को चूसने के साथ साथ उसकी चूचियों के दबा रहा था मसल रहा था, जब जब मैं उसकी चूचियों को मसलते हुए उसकी निप्पल्स को छेड़ता वो कराह उठती मनो उसकी जान उसी में बसी हो, मैं अपना खेल पुरा मन लगा कर खेल रहा था और चन्द्रमा उसमे पूरा सहयोग कर रही थी, लगभग ५ मींचे ऐसा करते रहने के बाद मुझे फील हो गया की चन्द्रमा अब पूरी गरम हो चुकी है क्यूंकि अब उसकी कामुक सिसकिया उसके लाख होंठ काटने के बाद भी निकल रही थी और मेरा जोश बढ़ा रही थी, तभी चन्द्रमा ने अपने हाथ मेरे बालों में फेरना शरू कर दिया और दो चार बार मेरे बालो में हाथ चला कर मेरे सर को अपनी ओर खींचा, मैंने सर उस्ता कर सवालियां नज़रो से देखा तो चन्द्रमा ने निगाहे नीचे कर फुसफुसा कर कहा "बस करो बहुत हुआ, मैं दो बार हो चुकी हूँ " ये शायद हमारे बीच होने वाली पहली बात चीत थी, अब तक केवल इशारो में या उन्हह आह जैसे शब्दों से ही यहाँ तक का सफर तय हुआ था, मैंने भी उसके कान के समीप जा कर फुसफुसा कर कहा "बस जो कर रहा हूँ करने दो उसके बाद दोनों को शांति मिल जाएगी, नहीं तो दोनों साड़ी रात बेचैन रहेंगे और नींद भी नहीं आएगी" , मेरी बात सुन बिना कुछ बोले चन्द्रमा ने वापिस मेरे सर को अपनी चूचियों की ओर ठेल दिया और मैं समझ गया की जोभी मैं कर रहा हूँ उसमे चन्द्रमा की हाँ है, मैं वापिस चन्द्रमा की चूचियों पर टूट पड़ा, अब मेरे चन्द्रमा की चूचियों को चूसने और चाटने की गति ज़यादा थी, और मैं उसकी चूचियों को ज़ायदा ज़ोर से दबा दबा के मज़े ले रहा था, अब कमरा चन्द्रमा की करहो और सिसकियों से गूंजने लगा था, मैंने अब अपना हाथ चलाते हुए धीरे धीरे उसकी कमर से नीचे उसकी चूतड़ों तक पंहुचा दिया था और लेग्गिंग्स के ऊपर से ही उसके चूतड़ों को मसलने लगा, जैसे जैसे मैं उसके चूतड़ मसलता वैसे वैसे चन्द्रमा अपनी चूत हवा में उठा कर अपनी गांड बिस्तर पटकती, दूसरी और मैं पूरी तन्मन्यता से कभी दायी कभी बायीं चुची को चुस्ता।
मैंने चूसते चूसते अपनी पोजीशन चेंज की और धीरे से चन्द्रमा की दोनों टांगों के बीच में आगया, इस पोजीशन में आसानी हो रही थी चन्द्रमा को चूसने में और साथ उसके चूतड़ मसलने में और अब जैसे ही चन्द्रमा अपनी चूत हवा में उठती तो उसकी चूत मेरे पेट से रगड़ कहती जिसके कारन चन्द्रमा के शरीर में कर्रूँट सा दौड़ जाता, मैंने अपने हाथो को अब लेग्गिंग्स के अंदर डाल दिया और अब पैंटी के ऊपर से चूतड़ों को रगड़ने लगा, मेरे एक के बाद एक होते अटैक से चन्द्रमा की हालत असत वयस्त थी और उसकी आह आह सी सीई से पूरा माहौल कामुक बना हुआ था, मैंने अब चन्द्रमा की चूचियों को छोड़ अपनी जीभ और मुंह को उसके पुरे शरीर पर फेरना स्टार्ट कर दिया था और धीरे धीरे उसकी नाभि पर पहुंच कर उसकी नाभि में झीब डाल कर उसकी नाभि कुरेदने लगा, ऐसा करने से चन्द्रमा की मनो घिघि सी बांध गयी थी और वो अजीब अजीब आवजे निकाल रही थी, मैं बार बार अपनी जीभ से उसकी नाभि कुरेदता और सके पेडू के पास चाट लेता ऐसा मैंने चार पांच बार किया और हर बार चन्द्रमा ने अपनी चूत हवा में उठा कर मेरी इस क्रिया का समर्थन किया, मेरे हाथ अब चन्द्रमा की लेग्गिंग्स से होते हुए उनकी पैंटी में घुस चुके थे और उसके चिकने नंगे चूतड़ों को रगड़ रगड़ कर लाल कर रहे थे, मैंने ऐसे ही रडते रगड़ते अपना हाथ उसकी पैंटी और लेग्गिंग्स में फसाया और अपनी जीभ से एक जोरदार प्रहार चन्द्रमा की नाभि किया, हार बार की तरह चन्द्रमा ने बिलबिलकर अपनी चूत हवा में उठायी और उसी छण मैंने एक झटके में चन्द्रमा की लेग्गिंग्स पैंटी समेत उसके घुटनो तक खींच दी, जैसे ही चन्द्रमा को अपनी प्यारी चूत के पूरा नंगा होने का अहसास हुआ तब तक मैंने बिना कोई मौका गवाए अपने होंठ सीधा उसकी चूत के मुहाने पर रख दिया।
चूत पर हमला होते ही चन्द्रमा सीत्कार उठी " ओह्ह नहीं वहा नहीं प्लीज," लेकिन तब तक देर हो चुकी थी और चन्द्रमा की चूतरस से भरी चूत मेरे अनुभवी होंठों में फसी थी, चन्द्रमा ने अपने दोनों हाथो से मेरा सर थाम लिया था और उसे हटा कर अपनी चूत से अलग करने का नाकाम प्रयास कर रही थी लेकिन वो नादान क्या जानती थी की भला कोई पागल मर्द ही होगा जो ऐसी मखमली रसीली चूत को मुंह में आने के बाद छोड़ दे, मैंने अपने पुरे अनुभव का प्रयोग करते हुए अपनी जीभ के कोने से चन्द्रमा की क्लाइटोरिस को कुरदने चालू कर कर दिया था, मैं उसकी क्लाइटोरिस को जो पहले ही चूत के लसलसे रस से भीगी हुई थी चाटने लगा, मैं चार पांच बार ही उसकी क्लाइटोरिस को छाता होगा की चन्द्रमा के हाथो की सख्ती मेरे सर पर काम हो गयी और वो बेचैनी से अपना सर तकिये पर इधर उधर पटकने लगी, मैंने कभी उसकी चूत को पूरा मन में भर कर चूस जाता और कभी चूत की फांक में झीभ डाल कर लण्ड की भांति अपनी झीभ अंदर पेल देता, कभी मैं उसकी क्लीट को लेमनचूस की जैसे चूसता और कभी होंटो में दबा कर चुभलाने लगता, चन्द्रमा अब मनो पागल हो गयी थी वो कभी मस्ती में अपनी चूत मेरे मुंह में दबा देती और कभी मेरे सर को अपने हाथो में पकड़ कर चूत पर रगड़ती, जैसे जैसे मैं चूत को चूसता जा रहा वैसे वैसे वो अब बड़बड़ाने लगी थी।।।
अह्ह्ह एस्सस,हम्म्म हाँ ऐसे ही, यस यस प्लीज ऐसे ही, ओह भगवान, ओह्ह मुम्मा, बस छोर दो मुझे अब्ब, रहने दो कुछ मत करो प्ली।
और भी न जाने क्या कुछ लेकिन मैं बिना कुछ कहे सुने उसकी चूत में झीब अंदर तक डाल कर छुड़ता रहा था कुछ 1-२ मिनट ऐसे ही करते रहने के बाद मैंने वापिस क्लीट को अपने मुँह में लिया, इस बार ऐसा करते ही चन्द्रमा ने ज़ोर से मेरे सर को पकड़ कर अपने चूत पर दबा दिया अचानक एक ज़ोर की "ओह्ह मर गयी,,,, मम्मी मैं तो गयी!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!" बोल कर मेरे सर को अपनी जांघो में ज़ोर से दबा लिया और हौलेहौले चार पांच झटके ले कर शांत हो गयी, वो झड़ गयी थी एक ज़ोरदार ओर्गास्म के साथ।