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Erotica जवानी जानेमन (Completed)

RajaRam1980

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malikarman

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चन्द्रमा घर चली गयी लेकिन मुझे काशमकश में डाल गयी, सेक्स मेरे लिए नयी बात नहीं थी, मैंने का मजा हज़ारो बार लिया लिया था, खास कर अपनी पहली गर्ल फ्रेंड के साथ, तब नया न्य जवान हुआ था और वो भी बिलकुल ताज़ा खिले गुलाब की कच्ची काली के जैसे थी, सूंदर मुख, कठोर चूची, और गजब की गांड, एक दम कठोर, कभी कभीउसको डॉगी स्टाइल में चोदते हुए उसके चूतड़ों पर स्पॅंक कर देता था तो मानो पूरा कमरा चट की आवाज़ से गूँज उठता था, मैंने अपने आठ साल के रेलशियनशिप में कामसूत्र के लगभग हर पैतरे को आज़माया था लेकिन ये मामला थोड़ा अलग था, अलग होने की बस यही दलील थीकि लड़की उम्र बहुत काम थी, मैं लाख चोदू सही लेकिन इतना आगे डिफ्रेंस के लिए मैं अपने मन को मन नहीं पा रा था, जो कुछ मार्किट में हुआ था उसको याद करके कहीं न कहीं मन थोड़ी गलानि ज़रूर थी, लेकिन ये गलानि भी ज़ायदा देर तक नहीं पायी, क्योंकि रात होते ही चन्द्रमा का व्हाट्सप्प मैसेज आ गया,

चन्द्रमा : सो गए क्या ?
मैं : अरे नहीं! अभी कहा अभितो कहाँ भी नहीं खाय।
चन्द्रमा : तो खा लीजिये
मैं : हाँ खाऊंगा थोड़ी देर में, आज शाम खाया था न तो अभी मन नहीं हो रहा
चन्द्रमा : हाँ सच में, मेरा भी मन नहीं है खाने का, वैसे मोमोस मस्त थे ना ?

मैं मोमोस पढ़कर चौंक गया, ये लड़की मोमोस की ही बात कर रहीहै या अपने मुम्मो की ?
मैं : हाँ बहुत मस्त (जो अभी कुछ देर पहले तक मन में थोड़ी आत्मा गलानि थी वो मुझे गन्दी सी गली दे कर कहीं दूर जा खड़ी हुई।)
चन्द्रमा : कभी फिर आना फरीदाबाद तोह यहाँ खिलाऊंगा आपको, यहाँ के भी बड़े मस्त होते है।
मैं : हाँ ज़रूर तुम ख़ालिओगी तो पक्का खाऊंगा, वैसे मुझे मोमोस कुछ खास पसंद नहीं है।
चन्द्रमा : एक बार मेरे यहाँ के खा के देखना फिर खुद पसंद करने लगोगे ।
मैं : हाँ तुम्हारे तो मैं पक्का खाऊंगा, मज़े ले ले क।
चन्द्रमा : अच्छा अभी मन कर रहे थे की मुझे खास पसंद नहीं है अब अचानक क्योँ ?
मैं : तुम्हारे मोमोस है ना इसलिए
चन्द्रमा : जी नहीं नहीं मेरे नहीं रामु के मोमोस (इठलाती हुई )
मैं : अरे मेरा मतलब वही है, अब तुम्हारे यहाँ के है तोह मेरे लिए तुम्हारे ही हुए ना।
चन्द्रमा : अच्छा बस बस, अच्छा मेरी एक बात सुनो ज़रा ये देख के बताओ कैसा है ?
मैं : क्या देखु ?

तभी व्हाट्सप्प पर एक पिक आगयी, जिसमे उसने आज वाला एक टॉप डाला हुआ था, ब्लैक कलर का टॉप जिसमें उसका रंग एक दम गोरा दिख रहा था, गोरे गोरे हाथ, उभरी हुई चूचियां, टॉप हल्का सा टाइट था जिसके कारन चूचियों पर तन गया था जिसके कारन टॉप हल्का सा ऊपर होक उसके गोरे पेट और नाभि के दर्शर्न करा रहा था, मैंने बादलों के बीच से ईद का चाँद शर्मा के झाँक रहा हो, जीन्स में पड़ा लण्ड ताव खाने लगा और फिर से चूत पाने को आतुर हो गया, मैंने खुद को जल्दी से संभाला क्यूंकि तब तक चन्द्रमा का 2-३ मैसेज आ चूका था।

चन्द्रमा :अरे बताओ ना ?
चन्द्रमा : अरे कहाँ चले चले गए, जल्दी बताओ ना कैसा है ये टॉप ?
मैं : यही हूँ यार, एक दम मस्त है तुम्हारी तरह।
चन्द्रमा : सच में ?
मैं : हाँ बिलकुल
चन्द्रमा : मुझे हल्का टाइट लगा लिखे बाकि फिटिंग मस्त आयी है। है ना ?
मैं : मैं बिलकुल। बाकि ढुलके शायद टाइट ना रहे
चन्द्रमा : हाँ मैं भी यही सोंच रही थी, अच्छा चलो बाई, मम्मी खाने को बुला रही है, अच्छा एक और बात, आज के लिए थैंक यू आपने अच्छी शॉपिंग कराई। मैं कुछ कहता तब तक वह ऑफलाइन हो गयी।

अभी की चैटिंग से ये बात तो क्लियर थी की आज जोकुछ वो अंजाने में नहीं हुआ, उसमे उसकी भी मर्जी थी, फिर मैंने मन से सारे विचारो को निकल के फेंक दिया और जो हो रहा है होने देने का फैसला किया और आराम से बिस्तर में घुस कर सो गया।

एक दो दिन उधर से भी चुप्पी रही और मैं अभी बिजी रहा अपने काम में, कभी कभी मन होता की उस से बात करू फिर रोक लेता मन को की थोड़ा इंतज़ार करो देखते है उसके और से कुछ और रिस्पांस आता है या नही।

संडे का दिन सुबह सुबह उसका कॉल आया मैं पिक किया तोह उधर से उसने उसका मेट्रो कार्ड रिचार्ज करने बोलै १०० रूपये का, स्टेशन से हो नहीं रहा था, मैंने upi से करा दिया फिर उस से मैसेज में पूछा कहा जा रहे हो ?
उसका जवाब आया " आपके पास और कहा? "
मैं : अचानक कैसे ? और मैं तो अभी घर पर हूँ ?
चन्द्रमा : हाँ तो घर से निकलो और और अपने ऑफिस पहुँचो मैं वही आरही हूँ
मैं : तुमने मेरा ऑफिस देखा है क्या ?
चन्द्रमा : नहीं, लेकिन मेको पता है आपका ऑफिस लाजपत नगर के पास है और आप अकेले होते हो संडे के दिन
मैं : मैं तुमको बड़ी जानकारी मेरे बारे में
चन्द्रमा : इतने दिन से आपको जानती हो अब इतना भी पता नहीं होगा क्या ?
मैं : ये तोह है, ठीक है मैं निकल रहा हूँ, तुम मेट्रो स्टेशन के नीचे ही मिलन।
चन्द्रमा : ठीक है

मैं फटाफट रेडी हो के घर से भगा, डर था की कही पगल लड़की सीधे ऑफिस न पहुंच जाये, अब मैं लाख खिलेंद्र किसिम का आदमी सही काम में अपनी एक रेपुटेशन बना राखी थी, चार लोग सम्मान करते थे और आस पड़ोस के लोगों को भी पता था की मैं अच्छे चैरेक्टर का व्यक्ति हूँ, जो मैं बनाये रखना चाहता था , इसीलिए मैं उसको देख भाल के अपने ऑफिस में बुलना चाहता था, जैसे तैसे मैं ऑफिस पंहुचा और जल्दी जल्दी बिखड़े पड़े ऑफिस को समेटा और सब ठीक थक करके पंखा एक चला के रूम को ठंढा करके चन्द्रमा की कॉल का वेट करने लगा, लगभग १०मिन बाद उसका कॉल आया, मैंने जल्दी से स्टेशन पंहुचा तो देखा वो स्टेशन की सीढ़ियों पर टेक लगाए खड़ी है उसी ब्लैक टॉप और ब्लैक टाइट लेगिंग्स में, बाला की सुन्दर लग रही थी, शायद बाल धो के आयी थी, खुले बाल उसके क्यूट चेहरे के दोनों और बिखरे हुए थे, मुझे देखते ही उसका चेहरा खिल उठा और एक शर्मीली सी मुस्कान उसके चेहरे पर बिखर गयी। धीरे कदमो से चलके वो मेरे पास आयी और मैं सम्मोहित सा उसके हर कदम को साँस रोके देख रहा था। पास पहुंच कर उसने वही अपना कोमल पायरा सा छोटा हाथ हैंडशेक के लिए बढ़ाया, मैं अभी हैंड शेक करहि रहा था की एक और कोमल और छोटा सा हाथ मेरी और आया मैं एक दम चौंक कर उस हाथ वाले की और देखा, एक पायरी सी सावली सी बड़े बड़े नैनों वाली लड़की हाथ बढ़ाये खड़ी थी , मैं अचकचाते हुए हाथ बढ़ा के हैंडशेक कियातोह चन्द्रमा ना मुस्कुराते हुए कहा
चन्द्रमा : इससे मिलिए ये मेरी सहेली है मुस्कान,
मैं : हेलो मुस्कान
मुस्कान : हेलो

अब मैं कंफ्यूज था, बड़ी पगल लड़की है अगर फ्रैंड के साथ आना था तो बता तो देती, और अगर मस्ती करने का प्लान था तो फिर ये कवाब में हड्डीको लेके क्यों आयी। मैंने चन्द्रमा को हल्का सा इशारा करके साइड में बुलाया

मैं : अरे फ्रैंड के साथ आयी हो तो बता तो देती
चन्द्रमा : मुझे तो खुद नहीं पता था, मेट्रो में मिल गयी थी तब से साथ चेप हो गयी
मैं : मैं ठीक फिर चलो कही रेस्टुरेंट में चलते है, ऐसे किसी लड़की कोअकेले ऑफिस में लेके जाना ठीकनही लग रहा है ,पता नहीं क्या सोचे मन में।
चन्द्रमा : हाँ यही ठीक है
फिर हम पास के ही मक्डोनल्ड में जा के बैठ गए, बात चीत से पता चला की मुस्कान और ये पडोसी है और बहुत पक्की दोस्ती है लेकिन मेट्रो में अचानक मिलने पहले तक चन्द्रमा ने उसे मेरे बारे में नहीं बताया थ।
Shandar update
 
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blinkit

I don't step aside. I step up.
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Sabse pehle to ek nayi aur bahut hi pyari story ke liye hardik shubhkamnaye blinkit Bhai,

Kahani ka chitran bahut hi sunder tarike se kiya he aapne.........maja aa raha he story me

Keep posting Bhai
:thank_you:
धन्यवाद्
 
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blinkit

I don't step aside. I step up.
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मैकडोनाल्ड पहुंचकर मैंने चन्द्रमा और मुस्कान को एक खली टेबल पर बिठाया और फिर काउंटर पर जा कर सबके लिए बर्गर एंड कोल्ड ड्रिंक्स का आर्डर कर दिया और फिर वापस आकर उन दोनों के सामने पड़ी एक खाली कुर्सी संभाल ली, एक ओर मैं अकेला बैठा और मेरे सामने चन्द्रमा और मुस्कान,सामने बैठी एक दूसरे को कोहनी मार कर छेड़ छड़ कर रही थी, बैठने के बाद सबसे पहले मैंने मुस्कान पर एक गहरी नज़र डाली और उसके हाव् भाव का जायज़ा लिया, मुस्कान चन्द्रमा से उम्र और हाइट दोनी में छोटी नज़र आरही थी। हाइट ५ फुट से भी काम रही होगी, सावला सलोना रंग,एकहरा बदन,छोटी छोटी अमरुद जैसी चूचिया पतले शिफॉन के टॉप में तीर की भांति उभरी हुई थी, निप्पल का उभार टॉप के ऊपर से साफ़ दिखाई दे रहा था, लगता था उसने अभी ब्रा भी पहनना स्टार्ट नहीं किया था, उसके कंधे के गैप से मुझे शमीज की काली स्ट्राप झांकती नज़र आरही थी, लगता था मनो मुस्कान अभी ताज़ा ताज़ा जवानी की ओर बढ़ रही हो,

चन्द्रमा ने मुझे मुस्कान को निरक्षण करते हुए देख लिया था शायद इसीलिए उसने बहाने से मेरे हाथ को टच कर लिया, चन्द्रमा के टच करने से मेरी तन्द्रा भंग हुई और मैं संभल के बैठ गया, दोनों थोड़ा झिझक रही थी इसलिए मैंने ही बातचीत स्टार्ट कर दी

मैं : तो ये अचानक इधर आने का प्लान कैसे बना ?
चन्द्रमा : (अचकचाते हुए) वो मेरी एक दी रहती है कालकाजी के पास तो वही जा रही थी मिलने के लिए की वही फरीदाबाद मेट्रो के बाहर ही मुस्कान मिल गयी तो मैंने दी के यहाँ जाना कैंसिल कर दिया और सोचा आपके से मिलने आ जाऊ ,
मैं : हाँ, बहुत अच्छा किया इसी बहाने मेरी मुस्कान से भी मुलाकात हो गयी , क्यों मुस्कान
मुस्कान : (मुस्कुराते हुए,) जी हाँ, चंदू आपकी बड़ी तारीफ कर रही थी रस्ते भर तो मैंने भी सोचा आप से मिल ही लू
मैं : झूट, ज़रूर मेरी बुराई कर रही होगी
चन्द्रमा : मैं क्यों बुराई करू आपकी, आप बहुत अच्छे और इंटेललेजेन्ट है इसीलिए कर दी तारीफ,
मुस्कान : हाँ,ये बता रही रही थी की ऑफिस में जब ये नयी नयी आयी थी तब आपने इसकी बहुत हेल्प की थी।

मैंने सवालिया नज़रो से चन्द्रमा की ओर देखा

चन्द्रमा : अरे मैंने मुस्कान बताया था कि जब मैं कंपनी में नयी नयी नौकरी करने आयी थी तब आप मेरे सीनियर थे और आपने मेरी बहुत हेल्प की थी और काम सिखाया था (मैं समझ गया की चन्द्रमा ने झूठी कहानी सुनाई थी, तभी हमारा आर्डर रेडी हो गया, मैंने बिल निकाल कर मुस्कान को पकड़ाया और उसको इशारा किया आर्डर लेके आने के लिए , मैंने जान भुझ कर मुस्कान को आर्डर लेने भेजा था ताकि मैं चन्द्रमा से २ मिनट अकेले में बात कर सकू।

मुस्कान के जाते ही मैंने चन्द्रमा से पूछा की आखिर बात क्या है और इसको क्यों लेकर आयी है ?

चद्र्मा : अरे ये रास्ते में मिली और मेरे साथ चिपक गयी ये बोलकर की कोरोना के कारण बाहर नहीं निकली और स्कूल की भी छुट्टी है तो मुझे भी ले चलो, मेरे पास कोई चारा नहीं था इसीलिए मजबूरी में लेकर आना पड़ा, लेकिन आप चिंता मत करो ये किसी से कुछ नहीं बोलेगी, वैसे खाने के बाद मैं इसको भगाने की कोशिश करुँगी बस आप मेरा साथ देना, जो मैं बोलू उस में हाँ में हाँ मिलाते रहना ।

मैं : हाँ तो मैं तुम्हारी हाँ में हाँ ही मिला रहा हूँ तब से
चन्द्रमा : रहने दो आप तो, मैंने अभी देखा था कैसे मुस्कान पर लट्टू हो रहे थे देख कर
मैं : अरे नहीं, मैं तो ऐसे नहीं देखता किसी को, तुम ही बताओ क्या आजतक मैंने तुमको ऐसे घूर के देखा है ?
चद्र्मा : यही तो बात है, मेरे सामने हमेशा नीचे देखते हुए बात करते हो आप और उसको देखते ही उसके रूप रंग में कलहो गए , देख रही हूँ मैं अब आप बिगड़ने लगे हो
मैं : अरे नहीं बाबा मैं तो बस ऐसे ही देख लिया, माफ़ कर दो मेरा कोई इरादा नहीं है किसी और को देखने का मैं तो बस एक ही को देख कर खुश हूँ (इतना कहकर मैं चन्द्रमा के प्यारे चेहरे को प्यार भरी नज़रो से देखने लगा)

इतने में मुस्कान खाना लेकर आ गयी और फिर हम तीनो हसी मज़ाक करके बर्गर और ड्रिंक्स का स्वाद लेने लग गए। कुछ देर बाद खाना खाते हुए मैंने नोटिस किया की चन्द्रमा बार बार अपना फ़ोन देखती, कॉल साइलेंट या रिजेक्ट करती और वापिस रख देती, एक बार मेरे मन में आया की पूंछू की किसकी काल है लेकिन मुस्कान के कारण चुप रहा, खाना ख़तम करते ही मुस्कान का फ़ोन बजने लगा, कॉलर का नाम देख के उसके चेहरे पर घबराहट दिखाई देने लगी, उसने मोबाइल की स्क्रीन टेढ़ी करके चन्द्रमा को कॉलर का नाम दिखाया, एक पल के लिए चन्द्रमा के चेहरे के भाव बदले फिर उसने मुस्कान को इशारा किया की वो बाहर जाकर कॉल अटैंड कर ले। मुस्कान फ़ोन लेके रेस्टुरेंट से बाहर चली गयी। मुस्कान के बाहर जाते ही चन्द्रमा खिसक कर वो बिलकुल मेरे सामने आगयी और मेरा हाथो पर अपना हाथ रख के बोली

चन्द्रमा : प्लीज आप नाराज़ मत होना, मैंने प्लान किया था की हम दोनों आज फिर लास्ट टाइम के जैसे एक दूसरे के साथ किसी शांत जगह पर अच्छा टाइम बिताएंगे लेकिन इस मुस्कान के चक्कर में सारा प्लान बर्बाद हो गया।
मैं : अरे इसमें नाराज़ होने वाली कोनसी बात है, तुम अगले संडे का प्लान बना लो दोनों किसी अच्छी जगह घूमने चलेंगे।

मेरी बात से चन्द्रमा के चेहरे पर ख़ुशी की एक चमक दौड़ गयी और मेरा हाथ थाम कर मेरी आँखों में आंखे डाले किसी प्रेम में डूबी प्रेमिका के जैसे आने वाले खूबसूरत दिनों की आस जगा रही थी। ये वही पल था जब मैंने उसकी हिरणी जैसी आँखों में देखते हुए फैसला कर लिया था की जो भी हो अब ये मेरी है और मैं इसका, ना उम्र की सीमा, ना कोई जात पात और ना कोई समाज का बंधन, ये वो पल था जब मैंने पहली बार चन्द्रमा के लिए अपने मन में प्रेम के सागर को हिलोरे मरता हुआ महसूस किया था।

हमदोनो ना जाने कितनी देर तक एक दूसरे की और एक टक देखते रहे की तभी मुझे बाहर से मुस्कान हाथ हिलती नज़र आयी,वो चन्द्रमा को बुला रही थी, चन्द्रमा ने पलट के मुस्कान की ओर देखा और उठ कर बाहर निकल गयी,

मक्डोनल्ड से बहार निकलते हुए चन्द्रमा ने एक प्यार भरी नज़र मुझपर डाली और मुस्कान के पास जा पहुंची, चन्द्रमा ने फ़ोन मुस्कान से लेकर अपने कानो से लगाया और बात करने लगी, मैंने बाहर से धयान हटा कर अभी जो कुछ हुआ था हमारे बीच उसके बारे में सोचने लगा, कितना खुशनसीब हूँ मैं जो मुझे चन्द्रमा जैसी सुन्दर कमसिन कन्या मिली, जबसे ये मेरे जीवन में आयी है तब से नीलू को भी भूल गया, ठीक ही तो अब मैं नीलू की यादो से जुडी सारी बातों को भुला दूंगा, उसकी चैट्स, उसकी पिक्स, उसके गिफ्ट्स सब मिटा दूंगा अपने जीवन से। मैं ऐसे ही ना जाने कितनी देर तक मक्डोनल्ड की टेबल पर अकेला बैठा रहा और आने वाले दिनों में अपने और चद्र्मा के प्यार का सोच सोच कर मुस्कुराता रहा।
 
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Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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मैकडोनाल्ड पहुंच मैंने आर्डर किया बर्गर एंड कोल्ड ड्रिंक्स और एक शांत सी टेबल ढूंढ के हम तीनो बैठ गए। एक ओर मैं अकेला और मेरे सामने चन्द्रमा और मुस्कान,सामने बैठ कर मुस्कान पर सबसे पहलेएक गहरी नज़र डाली, मुस्कान चन्द्रमा से उम्र और हाइट में छोटी नज़र आरही थी। हाइट ५ फुट से भी काम रही होगी, सावला सलोना रंग,एकहरा बदन,छोटी छोटी अमरुद जैसी चूचिया पतले शिफॉन के टॉप में तीर की भांति उभरी हुई, लगता था अभी ब्रा भी पहनना स्टार्ट नहीं किया था, उसके कंधे के जॉइंट से मुझे शमीज की काली स्ट्राप झांकती नज़र आरही थी, देखा जाये तोह अभी मुस्कान ने जैसे जवानी के दहलीज़ पर कदम रखा हो।

मैं मुस्कान का ऊपर से नीचे तक x-रे करने में इतना खो गया की भूलहि गया की मेरे सामने चन्द्रमा भी बैठी हुई है, चन्द्रमा ने हल्का सा टेबल पर रखे मेरे हाथ को टच किया तो मेरी तन्द्रा भांग हुई और मैं संभल के बैठ गया, दोनों लड़किया था झिझक रही थी तो मैंने ही बात स्टार्ट करते हुए चन्द्रमा से पूछा

मैं : तो ये अचानक इधर आने का प्लान कैसे बना ?
चन्द्रमा : अचकचाते हुए, वो मेरी एक दी रहती है कालकाजी के पास तोह वही जा रही थी मिलने की मेट्रो के बाहर ही मुस्कान मिल गयी तोह मैंने दी के यहाँ जाना कैंसिल कर दिया और सोचा आपके साइड घूमने आ जाऊँ। क्यों ठीक किया ना ?
मैं : हाँ, बहुत अच्छा किया इसी बहाने मुलाक़ात हो गयी मेरी भी मुस्कान से
मुस्कान : मुस्कुराते हुए, जी हाँ, कहंदु आपकी बड़ी तारीफ कर रही थी।
मैं : झूट, ज़रूर मेरी बुराई कर रही होगी मेरी,
चन्द्रमा : मैं क्यों बुराई करू आपकी, आपबहुत अच्छे और इंटेललेजेन्ट है
मुस्कान : हाँ,छोल रही थी की ऑफिस में जब ये नयी नयी थी तब आपने इसकी बहुत हेल्प की थी।
मैंने सवालिया नज़रो से चन्द्रमा की ओर देखा
चन्द्रमा : अरे मैंने मुस्कान बताया था किजब मैं कंपनी में नयी नयी आयी थी तब आप मेरे सीनियर थे और आपने मेरी बहुत हेल्प की थी और काम सिखाया था (मैं समझ गया की चन्द्रमा ने झूठी कहानी सुनाई थी, तभी हमारा आर्डर रेडी हो गया, मैंने बिल निकल कर मुस्कान को पकड़ाया और उसको इशारा किया आर्डर लेके आने के लिए , मैंने जान भुझ कर मुस्कान को आर्डर लेने भेजा था ताकि मैं चन्द्रमा से २ मिनट अकेले में बात कर सक। मुस्कान के जाते ही मैंने पूछा की बात क्या है ?

चद्र्मा : अरे ये रस्ते में मिली और चेप हो गयी की कोरोना के कारन कही बाहर नहीं निकली और स्कूल की भी छुट्टी है तो मुझे भी ले चलो, मेरे पास कोई चारा नहीं था इसीलिए लेके आना पड़ा, लेकिन आप चिंता मत करो ये किसी से कुछ नहीं कहेगी, वैसे खाने के बाद मैं इसको भगाने की कोशिश करुँगी बस आप मेरा साथ देना हाँ में हाँ मिला कर।
मैं : हाँ तो मैं तुम्हारी हाँ में हाँ ही मिला रहा हूँ तब से
चन्द्रमा : रहने दो आप तो, मैंने अभी देखा था ऐसे घर रहे थे जैसे उसको कच्चा ही खा जाओगे।
मैं : अरे नहीं, मैं तो ऐसे नहीं देखता, तुम ही बताओ क्या आजतक मैंने तुमको ऐसे घूर के देखा है ?
चद्र्मा : यही तो मुझे तो नहीं देखा कभी ऐसे, जैसे उसको देख रहे थे
मैं : अरे नहीं बाबा मैं तोह बस ऐसे ही देख रहा था

इतने में मुस्कान खाना लेके आगयी और फिर हम तीनो ईशर उधर के हसी मज़ाक करके बर्गर और ड्रिंक्स का आननद लेने लग गए। खाना खाते खाते मैंने नोटिस किया की चन्द्रमा बार बार अपना फ़ोन देखती, कॉल साइलेंट या रिजेक्ट करती और वापिस रख देती, एक बार मेरे मन में आया की पूंछू की किसकी काल है लेकिन मुस्कान के कारन चुप रहा, खाना ख़तम होते मुस्कान का फ़ोन बजने लगा, कॉलर का नाम देख के उसके चेहरे पर घबराहट दिखाई देने लगी, उसने मोबाइल की स्क्रीन टेढ़ी करके उसको कॉलर नाम दिखाया, एक पल के लिए चन्द्रमा के चेहरे के भाव बदले फिर उसने मुस्कान को इशारा किया की वो बाहर जाकर कॉल अटैंड कर ले। मुस्कान झट से फ़ोन लेके रेस्टुरेंट से बाहर चली गयी। मुस्कान के बाहर जाते ही खिसक कर वो बिलकुल मेरे सामने आगयी और मेरा हाथो पर अपना हाथ रख के बोली
चन्द्रमा : आजके लिए बुरा मत मान ना, मैंने प्लान किया था की हम आज फिर उसी दिन के जैसे कही घूमेंगे फिरेंगे और अच्छा फील करेंग।
मैं : अरे कोई बात नेक्स्ट संडे को आना किसी अच्छी जगह घूमने चलेंगे, उसके कोमल हाथोके सहलाते हुए कहा।

चन्द्रमा उस समय मेरी आँखों में आंखे डाले किसी प्रेम में डूबी प्रेमिका के जैसे आने वाले दिनों की आस जगा रही थी। ये वही पल था जब मैंने उसकी हिरणी जैसी आँखों में देखते हुए फैसला कर लिया था की जो भी हो अब ये मेरी है और मैं इसका, ना कोई उम्र की सीमा , न कोई जात पात और ना कोई समाज का बंधन, ये वो पल था जब मैंने पहली बार चन्द्रमा के लिए अपने मन में प्रेम के सागर को हिलोरे मरता हुआ महसूस किया था। हमदोनो न जाने कितनी देर तक एक दूसरे की और एक टक देखते रहे की तभी मुझे बाहर से मुस्कान हाथ हिलती नज़र आयी,वो चन्द्रमा को बुला रही थी, चन्द्रमा ने पलट के मुस्कान की ओर देखा और उठ कर बाहर निकल गयी, बाहर निकलते टाइम उसने गिलास डोर से मेरी ओर देखे एक हलकी सा मुस्कुराई और फिर वो मुस्कान कीऔर मुड़ गयी, फ़ोन मुस्कान से लेके अपने कानो से लगाया और फ़ोन पर बात करने लगी, मैंने बाहर से धयान हटा कर अभी जो कुछ हुआ था हमारे बीच उसके बारे में सोचने लगा, कितना खुशनसीब हूँ मैं जो चन्द्रमा मिली, जबसे ये मेरे जीवन में आयी है तब से नीलू के जाने का दर्द भूल सा गया हूँ, ठीक ही तो अब मैं नीलू की यादो से जुडी सारी बातों को भुला दूंगा, उसकी चैट्स, उसकी पिक्स, उसके गिफ्ट्स सब मिटा दूंगा सिर्फ और सिर्फ चन्द्रमा के लिये। मैं ऐसे ही न जाने कितनी देर टक मक्डोनल्ड की टेबल पर अकेला बैठा रहा और आने वाले दिन में दिनों अपने और चद्र्मा के प्यार का सोच सोच कर मुस्कुराता रहा।
बड़ा वाला कटने वाला है...
 

Iron Man

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Rekha rani

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Mast update, kuchh to gadbad hai daya, aashiqi ke chakkar me dhayan nhi diya aur bhul gya ki chandni ko kisi ka phone aa rha tha aur wo ghabra kar kat rahi thi, phir wahi call muskan ko aaya usne use phone dikhaya aur usne bat krne ko bahar bhej di,
Yha teen swal man me aane chahiye the joki aashiqi ke chakkar me gol kr gya hero,
First kiska phone tha,
Second chandni dar kyo rahi thi aur bataya kyo nhi agar koi bat hai to
Tesra aur aham swal agar muskan chandni ko metro me mili aur chep huyi to caller ko kaise malum ki dono sath hai,
 
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