मैं और चन्द्रमा गहरी नींद में थे की अचानक मोबाइल के शोर से आँख खुल गयी, खीजते हुए फ़ोन उठाया तो देखा अलार्म है, जो कल ट्रैन के लिए रात में लगाया था, ४ बजे गए थे और अलार्म शोर मचा रहा था, खुद पर गुस्सा आया की धयान से नहीं लगाया अलार्म, अच्छी खासी नींद का सत्यानास हो गया, अलार्म बंद करके लेता तो फील हुआ की पेशाब भी तेज़ लगा है, अब मजबूरी में उठना ही पड़ा, मैं रात में पेशाब करके सोता हूँ कल रात में चन्द्रमा की गांड की गर्मी का मज़ा लेने के चक्कर में नहीं जा पाया था। वाशरूम में जा कर पेशाब किया, पेशाब करने के बाद लण्ड को देखा जो अब सुकड़ कर छोटा हो गया था और शांत लटका हुआ था, लेकिन मैंने एक बात नोटिस करि की रात में जो थोड़ा बहुत रस लण्ड ने टपकाया था वो अब लण्ड पर चिपक कर सुख गया था पपड़ी के जैसा और अजीब लग रहा था, मुझे अपना लण्ड और लण्ड का एरिया साफ़ सुथरा रखना पसंद है, मैंने जेट चला कर लण्ड को धोया और टॉयलेट पेपर से ठीक से सूखा कर वापिस निकल आया।
अब लण्ड धोने से समस्या ये हुई की मेरी नींद भाग गयी और मैं चुपचाप आकर बिस्तर में लेट गया लेकिन नींद गायब थी, मैंने चन्द्रमा की ओर देखा तो वो बेखबर नींद की दुनिया में खोयी हुई थी मनो हर फ़िक्र से बेखबर, सोते हुए उसका चेहरा बहुत प्यारा लग रहा था बिलकुल बच्चो जैसे साफ़ सुथरी कोमल स्किन होंटो की लिपिस्टिक रात की किसेस के कारण मिट गयी थी और उसके गुलाबी होंठ बहुत प्यारे लग रहे थे, शायद सोने या रात में किये कारनामे के कारण उसकी पोनीटेल से बहुत से बाल खुल कर माथे और गालो पर चिपक गए थे, एक मोती लट उसके होंटो के बीच में दब गयी थी जिसके कारण उसका चेहरा हल्का सा छुप गया था मैं उसके बिलकुल पास चिपक के लेट गया, चन्द्रमा का चेहरे बिलकुल मेरे सामने था और मैं ख़ामोशी से उसके मासूम चेहरे को निहार रहा था, अचनाक मन में एक प्रेम की हुक सी उठी और मै हल्का सा उसके होटों पर झुक कर एक किस कर ली।
जैसे ही मेरे होंटो ने चन्द्रमा के होंटो को छुआ की चन्द्रमा ने एक ज़ोर की चीख मारी और मुझे धक्का दे दिया और बिस्तर पर लेते लेते हाथ पाओ चलते हुए चिल्लाने लगी
चन्द्रमा : नहीं!!!!!!!!!!! रुक जाओ, मत करो प्लीज
मैं हड़बाकर सीधा हुआ और हैरत से चन्द्रमा को देखने लगा, चन्द्रमा की आँखे बंद थी और वो हाथ पाव ऐसे चला रही थी मनो नींद में लड़ाई कर रही हो, मेरी कुछ समझ नहीं तो मैं उसके पास जाकर बोला
मैं : अरे कुछ नहीं हुआ सब ठीक है डरो मत
चन्द्रमा : (वैसे ही चिल्लाते हुए ) बस !!!!! मत करो प्लीज मुझे छोड़ दो, जाने दो, मुम्मा मुझे बचा लो
मैं : अरे क्या हुआ ऐसे चिल्ला रही हो? (मैं उसके गाल हलके हलके थपथपाने लगा, मेरे हाथ अभी पानी छूने के कारण ठन्डे थे जिसके कारण चन्द्रमा की आँख खुल गयी और उठ बैठी
मैं : क्या हुआ था क्यों चिल्ला रही थी इतना, मैं तो बस हल्का ऐसे ही टच किया था
चन्द्रमा : मैं डर जाती हूँ, प्लीज मुझे सोते हुए ऐसे कभी मत करना,
मैं : अच्छा ठीक है अब सो जाओ फिर
चन्द्रमा : हम्म वाशरूम से आती हूँ फिर सोऊंगी
चन्द्रमा बाथरूम चली गयी और मुझे उसके मूतने की आवाज़ सुनाई दे रही थी शायद वाशरूम का गेट उसने ठीक सेबंद नहीं किया था फिर जेट चलने की आवाज़ आयी मैं समझ गया की उसने मूतने के बाद अपनी चूत धो ली है, लेकिन इस टाइम मेरा सारा दिमाग इस उधेरबुन में लगा हुआ था की अचानक मात्र एक हलके से किस ये इतना क्यों डर गयी जबकि अबसे 5-६ घंटा पहले ही हमने कोई हद नहीं छोड़ी थी
मुझे उसके चीखने पर कुछ अजीब सा डाउट आया था और मैंने मन बना लिया था की अब जब ये वाशरूम से आएगी तब ये डाउट क्लियर करके रहूँगा। चन्द्रमा बाथरूम से बाहर आयी और आकर बिस्तर में घुस गयी , देखने से साफ़ पता चल रहा था की उसकी भी नींद उचट चुकी है और अब हम दोनो को नींद नहीं आने वाली।
मैंने कम्बल उठा कर चन्द्रमा को अपनी बांहो में समां लिया और धीरे धीरे उसकी पीठ सहलाने लगा, मैं उसके कान में धीरे से सॉरी बोला
मैं : आय ऍम सॉरी यार, मैं सुसु करके उठा था तुमको सोते देख के मुझे प्यार आया तो मैंने ऐसे ही हलकी से किस कर दी, मुझे नहीं पता था की तुम डर जाओगी,
चन्द्रमा : कोई बात नहीं लेकिन आगे ऐसा मत करना, मेरी बहुत बुरी हालत हो जाती है ?
मैं : अच्छा ऐसा क्या है जो तुम इतना डरती हो नींद में
चन्द्रमा : कुछ नहीं बस ऐसे ही (मुझे अंदाज़ा हो गया की वो बात टालना चाह रही है, लेकिन मैंने पक्का सोच लिया था इस का रीज़न पता करने का )
मैं : फिर भी कोई तो कारण होगा, बिना कारण कोई ऐसे नहीं चिल्लाता
चन्द्रमा : छोड़ो ना, बाद में बताउंगी
मैं : नहीं चन्द्रमा, नहीं छोड़ सकता, तुम हर बार ऐसा बोल के टाल देती हो लेकिन आज नहीं आज मुझे जानना है
चन्द्रमा : अरे नहीं कोई खास बात नहीं है
मैं : चाहे खास हो या आम। मुझे जानना है (मेरी आवाज़ में हलकी नाराज़गी थी जो चन्द्रमा ने महसूस कर ली)
चन्द्रमा : रहने दो प्लीज आप नहीं समझोगे, कोई नहीं समझेगा
मैं : भरोसा करो मेरा, चाहे कितनी भी अजीब बात हो मैं कोशिश करूँगा समझने की
चन्द्रमा : नहीं प्लीज, ये बात मैंने आजतक किसी को नहीं बताई, मैंने नहीं चाहती ये किसी को पता चले, पता नहीं कोई क्या समझेगा मेरे बारे में
मैं : तुमको लगता है की अगर तुम मुझे बताओगी तो मैं ये बात साड़ी दुनिया को बता दूंगा ?
चद्र्मा : हम्म नहीं लेकिन।।।।।
मैं : अच्छा तो फिर मुझसे भी सुनो अगर भरोसा हो तो बताना वरना मत बताना और बात यही खतम हो जाएगी
चन्द्रमा : मतलब ????
मैं : मतलब ये की तुमको सैलरी कितनी मिलती है ?
चन्द्रमा : अट्ठारह हज़ार, लेकिन क्यों ?
मैं : तुमको पता है तुमसे पहले इस पोस्ट पर जो गर्ल थी उसकी कितनी सैलरी थी ?
चन्द्रमा : पता नहीं क्यों ?
मैं : लास्ट गर्ल जो जॉब छोर कर गयी उसका नाम स्वाति था और उसको बारह हज़ार सैलरी मिलती थी। तुमको ज़ायदा से ज़ायदा चौदह हज़ार मिलती, लेकिन तुमको अट्ठारह मिलती है मेरे कारण, उनकी कंपनी में जितनी डाई आती है वो मेरी कंपनी सप्लाई करती है और जो मैनेजर है अमित वो मेरा दोस्त है और उसने तुमको मेरे कारण पर जॉब पर रखा और सैलरी का एक्स्ट्रा अमाउंट जो मिलता है वो मैं उसको डाई पर डिस्काउंट दे कर चुकता हूँ। क्या समझी इतने दिन कभी बताया तुमको या किसी ने टोका क्या ? ना कभी अहसान जताया, मैंने ये सिर्फ तुम्हारी हेल्प के लिए क्या, और रही बात और ट्रस्ट की तो मुझे मालूम है की तुम अशोक कॉलोनी में रहती हो तुम्हारा बॉयफ्रैंड दीपक डेली तुमको पिक एंड ड्राप करने आता है, उसके पास स्प्लेंडर बाइक है है जिस पर तुम उसके पीछे चिपक कर बैठती हो जैसे मेरे साथ सरोजनी नगर से आते टाइम बैठी थी।
मैं बहुत कुछ जनता हूँ तुम्हारे बारे में लेकिन मुझे इन सब से कुछ फरक नहीं पड़ता क्यूंकि मुझे तुम पसंद हो और मैं तुमको खुश देखना चाहता हूँ, रही बात ट्रस्ट की तो अगर एक पल के लिए भी तुमको मुझ पर डाउट है तो जितना हमारे बीच में हुआ है मैं उसके भूल जाऊंगा और फिर कभी हाथ नहीं लगाऊंगा और मैं ऐसे ही behave करूँगा जैसे हम अजनबी हो।
ये सब मैंने एक ही साँस में कह दिया, पता नहीं कब से भरा बैठा था जो आज मन से निकल गय।
चन्द्रमा की ओर देखा तो उसकी आँखे डबडबा आयी थी और वो मुझसे आँखे चुरा रही थी।
मैं : बताओ फिर ?
चन्द्रमा : क्या बताऊ, आप ऐसी बातें मत करो प्लीज
मैं : नहीं मुझे जानना है या फिर आज से हमारा जो भी सम्बन्ध है वो ख़तम (ये बोलकर मैं बिस्तर पर टक लगा कर बैठ गय। )
चन्द्रमा एक दम तड़प सी गयी और सर मेरी गोद में रख कर रो पड़ी, मैं उसके बालो में हाथ फेरने लगा, कुछ देर रोने के बाद उसने मेरी ओर एक क़तर दृष्टि से देखा और और अपने आंसू पोंछते हुए बैठ गयी और मेरा हाथ अपने सर पर रख कर बोली
चन्द्रमा : मेरी कसम खाओ की ये बात तुम अपने से अलावा और किसी से किसी कीमत पर डिसकस नहीं करोगे
मैं : तुम भरोसा कर सकती हो मुझ पर कसम की कोई ज़रूरत नहीं है फिर भी मैं कसम खता हूँ की ये बात मरते दम तक मेरे से बहार नहीं जाएगी
चन्द्रमा : ठीक है तो सुनो, बात देखो तो बहुत बड़ी और देखा जाये तो उतनी कोई खास भी नहीं है फिर भी मैं तुम पर भरोसा करके बता रही हूँ
मैं : बताओ फिर
चन्द्रमा : आपको हमारा घर तो पता चल ही गया है लेकिन शायद आपको नहीं पता की मैं जबसे आपने जॉब लगवाई है तब से अकेली रहती हूँ
अपने घर नहीं, जिस दिन अपने मुझे वह देखा होगा उस दिन मैं थोड़ी देर के लिए घर गयी होंगी, मैं महीने में एक दो बार अपनी मम्मी से मिलने चली जाती हूँ। अब कहेंगे जब मेरा घर है फिर मैं अकेली क्यों रहती हूँ तो उसके पीछे कहानी है और कहानी ये है की मेरे पापा बहादुर गढ़ के पास के एक गांव के रहने वाले है, मेरे पापा इकलौती संतान थे अपने माँ बाप के तो बिगड़े हुए थे शरु से ही, जैसे जैसे उम्र बढ़ी उन्होंने कमाई कम करी और शराब और सेक्स में पैसे ज़ायदा उड़ाए, दादा दादी इकलौता संतान होने के कारण ज़ायदा कुछ नहीं बोलते थे जिसके कारण उनको कोई रोक टोक नहीं थी, मेरे पापा की नौकरी फरीदाबाद में एक गोडाउन में थी जहा उनको केवल देखभाल करनी होती थी, गोडाउन बहुत बड़ा था तो वो अक्सर गार्ड के साथ मिलकल शाम में दारु पि लिए करते थे, दारु तक तो तब भी चल जाता था लेकिन असल दिक्कत उनकी रंडी बाजी के कारण थी, वो और गार्ड मिलके दारू पिटे और वही रंडीबाज़ी करते रमेश गार्ड पापा का पक्का यार था, धीरे धीरे ये बात दादा दादी तक पहुंची तो उन्होंने पापा की शादी थोड़ी दूर एक गाओ में करा दी,
(यहाँ पाठको को बता चालू की चूत चुदाई ेट्स ये शब्द मैंने आप के आन्नद के लिए लिखे है अन्यथा चन्द्रमा ने सेक्स शब्द का ही प्रयोग किया था कहानी बताने में )
बिमला एक बहुत सीढ़ी साधी देसी महिला थी उम्र भी कुछ ज़ायदा नहीं थी तो पापा उनको पाकर मनो पगला गए और काम धंधा छोर कर रात दिन घर में पड़े रहते और जहा मौका मिलता बिमला को चोद देते, चुदाई बिमलको को भी पसंद थी लेकिन वो हर समय की चुदाई से तंग आगयी और पापा से बच बच कर रहती लेकिन रात में जैसे ही रूम में आती पापा भूखे भेड़िये के जैसे उन पर टूट पड़ते, थोड़े दिन ऐसे चला लेकिन थोड़े दिन में दादा जी चल बेस तो मजबूरी में पापा को वापिस नौकरी पर जाना पड़ा, रमेश ने पापा को वही नौकरी मालिक से बोल कर दिला दी, पापा का वही फिर दारू पीना स्टार्ट हो गया, इसी बीच बिमला प्रेग्नेंट हो गयी तो दादी उनको डॉक्टर के पास ले गयी दिखाने, दादी की डॉक्टर से कुछ बात हुई फिर एक हफ्ते बाद डॉक्टर ने वापस बुलाया और जब वो दुबारा गयी थी डॉक्टर ने कुछ दवाई दी जो घर आके दादी ने बिमला को खिला दी, दवाई खाने के कुछ दिन बाद बिमला का गर्भ ख़राब हो गया, बिमला के शरीर से बहुत खून निकला, बाद में बिमला को पता चला की उसके गर्भ में लड़की थी इसलिए दादी ने डॉक्टर से बोल कर उनका गर्भ गिरवा दिय।
ये उन दिनों के बात है जब हरियाणा में लड़की पैदा होना किसी पाप के सामान था, बिमला सदमे आगयी लेकिन बेचारी कर क्या सकती थी, फिर कुछ दिन बाद जब सब समान्य हुआ तो पापा ने फिर से बिमला गाभिन कर दी, ऐसा करके ३ बार बिमला गाभिन हुई और पापा और दादी ने उसका गर्भ गिरवा दिया, तीसरी बार का दर्द और सदमा बर्दाश्त नहीं हुआ बिमला से और उसने गांव के कुंए में कूदकर जान दे दी।
पापा और दादी को कुछ खास फरक नहीं पड़ा लेकिन गांव में चर्चा का विषय बन गया तो पापा ने गांव की जमीन बेच कर फरीदाबाद में घर ले लिया एक अच्छे मोहल्ले में, बिमला के मरने के बाद पापा और रमेश की फिर ऐय्याशी स्टार्ट हो गयी, अब ना कोई टोकने वाला था और न बोलने वाला, गाओं के ज़मीन बेचने के बाद जो पैसे बचे थे पापा ने सब रंडी और दारू पर लुटा दिया, दादी ये सब देख देख कुढ़ती लेकिन वो कर भी क्या सकती थी?
लेकिन भगवान करना ये हुआ की कुछ दिनों बाद दादी को लकवा मार गया और वो चलने फिरने लायक नहीं रही, अब अकेले पापा से घर का काम और नौकरी नहीं हो पा रही थी तो ये समस्या उन्होंने रमेश को बताई, रमेश बिहार का था उसने अपनी बुद्धि लगायी और और पापा को लेकर अपने गाओ चला गया,
उन दिनों हरयाणा में बिहार व बंगाल से लड़की खरीद के शादी करने का चलन बन गया था, वहा जाकर उसने पापा की शादी मेरी माँ यानि सरिता कुमारी से करा दी, माँ फरीदाबाद आगयी और यही की होक रह गयी, बस पापा की पिछली और इस बार की शादी में फर्क इतना था की माँ पापा की टक्कर की थी, वो पापा से दबती नहीं थी और पापा भी इस लिए दब जाते थे क्यूंकि माँ पापा को कभी सेक्स की कमी नहीं होने देती थी बस पापा खुश तो घर में शांति थी, शादी के कुछ साल बाद मैं पैदा हो गयी, पापा नहीं चाहते थे की बेटी हो लेकिन माँ ने एक नहीं सुनी और अल्ट्रासाउंड करने से मना कर दिया, दादी बीमार रहती तो वो कुछ बोल नहीं पायी, पापा का मेरे साथ व्यवहार न बहुत अच्छा था न बहुत ख़राब तो मुझे कोई खास दिक्कत नहीं थी,
लेकिन वो कहंते है की भाग्य अपने अनुसार चलता है हमारे नहीं, एक दिन हमारे फरीदाबाद में एक बाबा आये जिनका दर्शन करने माँ एक पड़ोसन के साथ गयी और जब वह से वापिस आयी तो वो एक दम बदल गयी थी, आते ही माँ ने फ्रिज में से नॉन वेज उठा कर फेक दिया और पापा को बोल दिया की अब हमारे घर में नॉनवेज नहीं बनेगा और माँ हद से ज़ायदा धार्मिक हो गयी, सुबह शाम पूजा, कभी व्रत कभी कुछ कभी कुछ, कुछ दिन तो पापा ने बर्दाश किया लेकिन उनकी ठरक ने उनको पगला दिया, एक रात सोते हुए उनकी लड़ने की आवाज़ आयी, पापा सेक्स के लिए बोल रहे थे लेकिन मम्मी साफ़ मन कर रही थी की वो अब कभी सेक्स नहीं करेंगी, तब मैं नवी में पढ़ती थी और थोड़ा थोड़ा सेक्स के बारे में जानना स्टार्ट कर दिया था।
उस दिन के बाद घर में अक्सर झगड़ा होता लेकिन पता नहीं क्यों मम्मी ने कसम खा ली थी जो वो अपनी बात पर अटल रही। पापा ने वापिस से फिर वही दारू और रंडी प्रोग्राम रमेश के साथ चालू कर दिया लेकिन अब चीज़े बदल गयी थी
मालिक ने कैमरा लगवा दिया था और एक दिन मालिक ने पापा और रमेश को रंडी के चोदते रंगे हाथ पकड़ लिया, रमेश हरामी था उसने पापा को फसा दिया और खुद अपनी नौकरी बचा गया, पापा को और कोई काम नहीं आता था तो उनको कोई नौकरी मिली नहीं और अब वो करना भी नहीं चाहते थे क्यूंकि अब वो सुबह से ही दारु पीना स्टार्ट कर देते थे, फिर मम्मी ने दिमाग लगाया और हमरा पुराना माकन बेच कर ये वाला छोटा माकन ले लिया और बाकि बचे पैसे बैंक में जमा करा दिया अपने नाम से, अब जो बयाज मिलता है उस से हमरा घर चलता था, मैं दसवीं क्लास में आगयी थी और चीज़ो को समझने लगी थी, अब बयाज इतने भी ज़ायदा पैसे नहीं आते थे की पापी की दारू और रंडी का जुगाड़ हो जाये तो पापा बस दारू पि कर ही गुज़ारा कर लेते थे, एक रात गर्मी बहुत थी पापा सुबह से ही गायब थे और मम्मी अपने कमरे सो रही थी तो मैं आंगन में खाट डाल के सो गयी।
मुझे सोये कुछ ही देर हुई थी की अचानक मुझे शरीर पर कुछ रेंगता हुआ महसूस हुआ तो मेरी आँख खुल गयी, मुझे लगा दादी मेरे पास सोने आगयी है , मैंने अँधेरे में आँख गदा कर देखा तो चौंक गयी , पापा मेरी खाट पर मेरे बराबर में लेते हुए थे नशे में धुत और मेरे बदन पर हाथ फिर रहे थे, मैं दर के मारे सहम गयी, लेकिन पापा का हाथ मेरे शरीर पर घूमता रहा, कभी वो मेरी चुकी सहलाते कभी मेरी चूत को मुट्ठी में पकड़ कर भींच देते, इस से पहले कभी किसी ने मेरे शरीर का नहीं छुए था, मेरे शरीर में एक अजीब सी लहार उठ रही थी, पापा मम्मी का नाम बड़बड़ाते हुए मेरे कोमल जिस्म से खेल रहे थे और मैं छुप पड़ी थी समझ नहीं आरहा था क्या करू की तभी दादी की आवाज़ आयी " चन्द्रमा अरे उठ, चन्द्रमा मुझे प्यास लगी है मुझे पानी तो दे बेटा" , मैं एक दम अपनी तन्द्रा से जगी और वह से उठ कर दादी के पास भागी, मैंने दादी को पानी दिया, उन्होंने गिलास साइड में रख दिया और बोली " चन्द्रमा बेटा मेरे साथ यही सो जा आज अकेले सोने का मन नहीं हो रहा है, मैं भी यही चाहती थी झट से दादी की खाट में घुस के सो गयी। "