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अगले दिन मैं दोपहर तक सोती रही, जब उठी तो दिन चढ़ आया था, देखा तो मैं मम्मी के कमरे में सोई हुई थी और मेरे शरीर पर लेग्गिंग्स उलटी सीडी चड्डी हुई तो और मैं ऊपर से नंगी थी बस एक चादर से ढकी हुई, मैंने जल्दी से पास पड़ा टॉप पहना और हड़बड़ा कर कमरे बहार आयी , दादी कमरे के बहार ही बैठी हुई थी, मुझे देख कर हाल चाल पूछा, एक बल्टोइ में चाय थी उसमे से एक कप में ढाल के मुझे पिने के लिए दिया, मेरा सर चकरा रहा था और एक टीस सी उठ रही थी सर में जैसी कोई दिमाग के अंदर हथोड़ा मार रहा हो, मैंने चाय का कप लेकर स्जल्दी जल्दी चाय पि, चाय पीने से थोड़ी रहत मिली फिर दादी ने मुझे अपनी बाँहों में समेत लिया और रोने लगी, मैं भी उनसे गले लग कर खूब रोई, जब दिन कुछ हल्का हुआ तो दादी ने हाथ मुँह दुला कर खाना खिलाया, शायद दादी ने किसी पडोसी से खाना मंगवाया था, घर में अभी तक न मम्मी का पता था और न पापा का। जैसे तैसे खाना खाने के बाद मैं और दादी अपने कमरे आके बिस्तर पर लेट गए , रात की बात याद करके मुझे रोना आरहा था,
रोते रोते सोच रही थी की कैसी अजीब किस्मत है, इसी दुनियां में ऐसे लोग है जो अगर कोई उनके परिवार पर ऊँगली भी उठा दे तो जान लेने के लिए तैयार है और एक मेरा बाप है जो अपने शराबी यार से नींद की गोली दे कर मेरा रेप करा रहा था, दूसरे से कराना तो तब की तब हरामी खुद अपनी कमसिन बेटी को चोद कर बेटीचोद बनने में लगा हुआ था।
मैं रात की बात सोंच सोंच कर रो रही थी की तभी दादी ने आवाज़ लगायी " चंदू सो गया क्या बेटा " नहीं दादी जाग रही हूँ !
" ठीक है फिर मेरे बिस्तर में आजा " मैं दादी के बिस्तर पर चली गयी और उनसे लिपट कर लेट गयी, एक यही तो थी जिसने एक नहीं दो दो बार मेरी जान बचायी थी। दादी ने भी मुझे कास कर अपने से सत्ता लिए और मुझसे पूछा
दादी : उस लड़के के क्या नाम है चंदू ?
मैं : कौन लड़का दादी ?
दादी : वही जिस से तू रोज़ रात में बात करती है , दर मत मुझे सब सच सच बता की कौन है क्या करता है
मैं क्या बोलती फिर मैंने दादी को सब बता दिया ये भी बता दिया की मैं जॉब करने लगी हूँ
दादी : मुझे थोड़ा थोड़ा अंदाज़ा था, मैंने तुझे टोका नहीं कभी ये सोच के की तेरे जीवन में पहले ही बहुत दुःख है अगर इस लड़के से बात करके तू खुश है तो तुझे भी खुश होने का पूरा अधिकार है।
मैंने तुझे इस लिए आज पूछा है क्यूंकि एक डेढ़ साल में तू शादी लायक हो जाएगी अगर तू इस लड़के से प्यार करती है तो मैं इस से तेरा बयाह करा दूंगी, मेरे जीवन का अब कोई ठिकना नहीं है और मैं चाहती हूँ की जल्दी से जल्दी तू इस घर से चली जाये और अपने संसार में सुखी रहे। इस परिवार पर बिमला और उसकी पैदा न हुई बेटियों का श्राप है इस घर में कोई सुखी नहीं रह सकता इस लिए तू जल्दी से या तो कहीं और शिफ्ट हो जा या किसी से शादी कर के सुखी जीवन बिता।
मैंने दादी से पूछा की कौन बिमला फिर दादी ने मुझे बिमला और अबॉर्शन की कहानी बताई। मैंने भी दादी को बता दिया की दीपक से मैं मन से प्यार नहीं करती बस मजबूरी है, लेकिन फिर भी अगर वाक़ई शादी के लिए तैयार है तो मैं शादी कर सकती हूँ केवल इसलिए की मुझे इस घर से छुटकारा मिल सके, उसका घर परिवार अच्छा है और बहुत अमीर तो नहीं लेकिन एक अच्छा जीवन जीने लायक पैसे है बस ये और बात है की जब जब दीपक मुझे छूता या प्यार करता है तो मुझे पता नहीं क्यों कुछ भी फील नहीं होता शायद मैं ऐसी ही हूँ जिसको सेक्स का फील नहीं आता। मैंने दादी को विश्वास दिलाया की वो चिंता न करे जिस दिन भी मुझे लगेगा की अब मुझे इस घर में नहीं रहना चाहिए मैं दीपक के घर चली जाउंगी फिर चाहे उसकी ख़ुशी के लिए बिना फील के ही क्यों न सेक्स करना पड़े।
रात ऐसी ही खमोशी से गुज़री, हमने दिन का बचा खुचा खा कर गुज़ारा कर लिया था, सुभह मम्मी घर आगयी, उनका चेहरा खिला खिला और खुश था आखिर होता भी क्यों ना वो बाबा के आश्रम से आयी थी और प्रसाद में ढेर साड़ी पूरी सब्जी और हलुआ लायी थी, उन्होंने मुझे नहाने के बोलै और और जब मैं नाहा कर वापिस आयी तो जल्दी से प्रसाद थाली में लगा कर परोस दिया, मैं अपने दुःख में भूल ही गयी थी की आज दुर्गा अष्टमी थी आज के दिन कंजिका पूजी जाती है , हाय रे किस्मत जहा बेटियों को देवी मान कर पूजा जाता है वही एक कलयुगी बाप अपनी खुद की बेटी को छोड़ने की धुन में लगा हुआ था, मैंने चुपचाप खाना खाया और दादी को भी खिलाया, माँ ने दादी से पापा का पूछा तो दादी ने बोल दिया की रात में उसने हद से ज़्यदा शराब पि ली थी और चन्द्रमा से जबरदस्ती चिकन बनवा के खाया था तो मैंने लट्ठ मार कर घर से निकल दिया, दादी ने मेरे साथ हुई घटना माँ को नहीं बताई, शायद उनको डर था की कही घर में माँ कोई कलेश न कर दे, वैसे भी बूढ़ा इंसान कलेश से डरता है,
दीपक का कल से कई बार कॉल आया लेकिन मैंने कॉल नहीं उठाया, फिर कोमल का फोन आया तो मैंने फ़ोन उठा के बोल दिया की मेरी तबियत ख़राब है प्लीज मुझे डिस्टब न करे कोई, शाम में फिर एक अनजान नंबर से कॉल आया तो मैंने फ़ोन काट दिया लेकिन जब 2-३ बार आया तो मैंने गुस्से से झल्ला कर बोला " जब एक बार कॉल काट दिया तो समझ नहीं आता क्या फ़ोन रखो चुपचाप " लेकिन तभी उधेर से आती आवाज़ सुन कर मैं चौंक गयी। "क्या हुआ चंदू बेटा क्या मेरा कॉल करना अच्छा नहीं लगा ? तुमने ही नंबर दिया था तो सोचा आज तुमको कॉल आकर लूँ "
मैं एक डैम से हड़बड़ा गयी ये तो मामा जी की आवाज़ थी, हम हरयाणा के और वो बिहार के तो मुझे झट से उनके टोन से पहचान हो गयी
मैं : सॉरी मामा जी वो कोई परेशां कर रहा था तो उसी को दांत रही थी, आप कैसे है
मामा : मैं ठीक हूँ बेटा , अच्छा सुनो दिन पहले तुम्हारी नानी गुज़र गयी, मैंने सोचा की तुमको या तुम्हारी माँ को कल करू फिर हिम्मत नहीं हुई बेटा, माँ की आखिरी ख़ाहिश थी तुम्हारी माँ से मिलने की जो पूरी नहीं हो सकी , तुम अपनी माँ को बता देना और एक बात, अगर वो ना आना चाहे तो तुम आ जाओ तेरहवी से पहले क्या तुम भी पूजा में शामिल हो जाओ तो शायद माँ की आत्मा को शांति मिल जाये। वो इतनी बुरी नहीं थी जितना तुम्हारी माँ समझती है, वो ख़राब नहीं थी बस हालत ख़राब थे।
मैं मामा की बात सुन कर रोने लगी और उनसे वडा किया की मैं नानी की तेरहवी में ज़रूर आउंगी।
रोते रोते सोच रही थी की कैसी अजीब किस्मत है, इसी दुनियां में ऐसे लोग है जो अगर कोई उनके परिवार पर ऊँगली भी उठा दे तो जान लेने के लिए तैयार है और एक मेरा बाप है जो अपने शराबी यार से नींद की गोली दे कर मेरा रेप करा रहा था, दूसरे से कराना तो तब की तब हरामी खुद अपनी कमसिन बेटी को चोद कर बेटीचोद बनने में लगा हुआ था।
मैं रात की बात सोंच सोंच कर रो रही थी की तभी दादी ने आवाज़ लगायी " चंदू सो गया क्या बेटा " नहीं दादी जाग रही हूँ !
" ठीक है फिर मेरे बिस्तर में आजा " मैं दादी के बिस्तर पर चली गयी और उनसे लिपट कर लेट गयी, एक यही तो थी जिसने एक नहीं दो दो बार मेरी जान बचायी थी। दादी ने भी मुझे कास कर अपने से सत्ता लिए और मुझसे पूछा
दादी : उस लड़के के क्या नाम है चंदू ?
मैं : कौन लड़का दादी ?
दादी : वही जिस से तू रोज़ रात में बात करती है , दर मत मुझे सब सच सच बता की कौन है क्या करता है
मैं क्या बोलती फिर मैंने दादी को सब बता दिया ये भी बता दिया की मैं जॉब करने लगी हूँ
दादी : मुझे थोड़ा थोड़ा अंदाज़ा था, मैंने तुझे टोका नहीं कभी ये सोच के की तेरे जीवन में पहले ही बहुत दुःख है अगर इस लड़के से बात करके तू खुश है तो तुझे भी खुश होने का पूरा अधिकार है।
मैंने तुझे इस लिए आज पूछा है क्यूंकि एक डेढ़ साल में तू शादी लायक हो जाएगी अगर तू इस लड़के से प्यार करती है तो मैं इस से तेरा बयाह करा दूंगी, मेरे जीवन का अब कोई ठिकना नहीं है और मैं चाहती हूँ की जल्दी से जल्दी तू इस घर से चली जाये और अपने संसार में सुखी रहे। इस परिवार पर बिमला और उसकी पैदा न हुई बेटियों का श्राप है इस घर में कोई सुखी नहीं रह सकता इस लिए तू जल्दी से या तो कहीं और शिफ्ट हो जा या किसी से शादी कर के सुखी जीवन बिता।
मैंने दादी से पूछा की कौन बिमला फिर दादी ने मुझे बिमला और अबॉर्शन की कहानी बताई। मैंने भी दादी को बता दिया की दीपक से मैं मन से प्यार नहीं करती बस मजबूरी है, लेकिन फिर भी अगर वाक़ई शादी के लिए तैयार है तो मैं शादी कर सकती हूँ केवल इसलिए की मुझे इस घर से छुटकारा मिल सके, उसका घर परिवार अच्छा है और बहुत अमीर तो नहीं लेकिन एक अच्छा जीवन जीने लायक पैसे है बस ये और बात है की जब जब दीपक मुझे छूता या प्यार करता है तो मुझे पता नहीं क्यों कुछ भी फील नहीं होता शायद मैं ऐसी ही हूँ जिसको सेक्स का फील नहीं आता। मैंने दादी को विश्वास दिलाया की वो चिंता न करे जिस दिन भी मुझे लगेगा की अब मुझे इस घर में नहीं रहना चाहिए मैं दीपक के घर चली जाउंगी फिर चाहे उसकी ख़ुशी के लिए बिना फील के ही क्यों न सेक्स करना पड़े।
रात ऐसी ही खमोशी से गुज़री, हमने दिन का बचा खुचा खा कर गुज़ारा कर लिया था, सुभह मम्मी घर आगयी, उनका चेहरा खिला खिला और खुश था आखिर होता भी क्यों ना वो बाबा के आश्रम से आयी थी और प्रसाद में ढेर साड़ी पूरी सब्जी और हलुआ लायी थी, उन्होंने मुझे नहाने के बोलै और और जब मैं नाहा कर वापिस आयी तो जल्दी से प्रसाद थाली में लगा कर परोस दिया, मैं अपने दुःख में भूल ही गयी थी की आज दुर्गा अष्टमी थी आज के दिन कंजिका पूजी जाती है , हाय रे किस्मत जहा बेटियों को देवी मान कर पूजा जाता है वही एक कलयुगी बाप अपनी खुद की बेटी को छोड़ने की धुन में लगा हुआ था, मैंने चुपचाप खाना खाया और दादी को भी खिलाया, माँ ने दादी से पापा का पूछा तो दादी ने बोल दिया की रात में उसने हद से ज़्यदा शराब पि ली थी और चन्द्रमा से जबरदस्ती चिकन बनवा के खाया था तो मैंने लट्ठ मार कर घर से निकल दिया, दादी ने मेरे साथ हुई घटना माँ को नहीं बताई, शायद उनको डर था की कही घर में माँ कोई कलेश न कर दे, वैसे भी बूढ़ा इंसान कलेश से डरता है,
दीपक का कल से कई बार कॉल आया लेकिन मैंने कॉल नहीं उठाया, फिर कोमल का फोन आया तो मैंने फ़ोन उठा के बोल दिया की मेरी तबियत ख़राब है प्लीज मुझे डिस्टब न करे कोई, शाम में फिर एक अनजान नंबर से कॉल आया तो मैंने फ़ोन काट दिया लेकिन जब 2-३ बार आया तो मैंने गुस्से से झल्ला कर बोला " जब एक बार कॉल काट दिया तो समझ नहीं आता क्या फ़ोन रखो चुपचाप " लेकिन तभी उधेर से आती आवाज़ सुन कर मैं चौंक गयी। "क्या हुआ चंदू बेटा क्या मेरा कॉल करना अच्छा नहीं लगा ? तुमने ही नंबर दिया था तो सोचा आज तुमको कॉल आकर लूँ "
मैं एक डैम से हड़बड़ा गयी ये तो मामा जी की आवाज़ थी, हम हरयाणा के और वो बिहार के तो मुझे झट से उनके टोन से पहचान हो गयी
मैं : सॉरी मामा जी वो कोई परेशां कर रहा था तो उसी को दांत रही थी, आप कैसे है
मामा : मैं ठीक हूँ बेटा , अच्छा सुनो दिन पहले तुम्हारी नानी गुज़र गयी, मैंने सोचा की तुमको या तुम्हारी माँ को कल करू फिर हिम्मत नहीं हुई बेटा, माँ की आखिरी ख़ाहिश थी तुम्हारी माँ से मिलने की जो पूरी नहीं हो सकी , तुम अपनी माँ को बता देना और एक बात, अगर वो ना आना चाहे तो तुम आ जाओ तेरहवी से पहले क्या तुम भी पूजा में शामिल हो जाओ तो शायद माँ की आत्मा को शांति मिल जाये। वो इतनी बुरी नहीं थी जितना तुम्हारी माँ समझती है, वो ख़राब नहीं थी बस हालत ख़राब थे।
मैं मामा की बात सुन कर रोने लगी और उनसे वडा किया की मैं नानी की तेरहवी में ज़रूर आउंगी।