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Incest जादुई लकड़ी (Completed)

Chutiyadr

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lekhan shaili mitra
bahut alag hai bro kabhi dhyan se padhiye to samjh aa jayega ...
main, Bhaiya Ji ,kamdev99008 aur Vijay2309 ye sab devnagri ke writer hai aur adultry + thriller ki stories likhte hai lekin fir bhi ek dusare se bahut hi alg hai ,padne wale asani se samjh sakte hai ki kise kisne likha hai ..:) kyoki style alag hai ,bhasha lagbhag ek jaisi use karte hai but style se samjh aa jata hai...:superb:
 
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Chutiyadr

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Mast update bhai baba ji to raj ko apni andar ki shakti ke upar varosa karne ki bol rahi hai jo o kabhi kabhi himmat har jata hai...... Aur isbar aur ek baba ke pas bejh raha hai pehle Dr ke pas bheja tha dekhte hain uha par kiya hota hai
:thanks: dhanwyad sanju bhai..:)
 

Aakash.

ᴇᴍʙʀᴀᴄᴇ ᴛʜᴇ ꜰᴇᴀʀ
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अध्याय 40

मुझे देखते ही माँ की आंखे जैसे फुट पड़ी थी ,मैं सीधे उनसे लिपट गया था ,दोनो ही आंखों में आंसू की धार बरस रही थी ,यंहा मेरे परिवार के सभी लोग मौजूद थे ,मेरी सभी बहने थी जिनका रो रो कर बुरा हाल पहले ही हो चुका था,मेरे साथ आये भैरव अंकल भी थोड़ी देर खड़े सब कुछ देख रहे थे ..

थोड़ी देर बाद माँ थोड़ी सामान्य हुई ..

उन्होंने अंकल को देखा

“थैंक्स भैरव मेरे बच्चों को सम्हालने के लिए “

अंकल कुछ ना बोले बस उन्होंने हा में हल्के से सर हिलाया

रात काफी हो चुकी थी मैंने बहनो को घर भेज दिया था ,मैं हॉस्पिटल में ही रुक गया था ..

मन में उनसे कहने के लिए ढेरो सवाल थे ,सबसे बड़ा सवाल ये था की क्या मैं भैरव सिंह का खून था ,लेकिन मेरे सभी सवाल माँ की इस हालत के सामने मुरझा से गए थे मैं पहले उन्हें स्वस्थ्य देखना चाहता था,इस हालत में जबकि वो खुद शारीरिक और मानसिक दुख से गुजर रही थी मैं और कोई सवाल पैदा कर उनकी दशा को बिगड़ना नही चाहता था …..

मैं उनसे हल्के फुल्के बाते कर रहा था ..

“तो आज तुम ऑफिस गए और इन्वेस्टर्स के साथ मीटिंग भी किया ,कैसा रहा “

माँ अब तक कुछ शांत हो चुकी थी

“बढ़िया था माँ,सभी ने मुझे सपोर्ट किया खास कर भैरव अंकल ने और समीरा ने “

समीरा का नाम सुनकर माँ का भी चहरा उतर गया था ..

“ह्म्म्म “वो बस इतना ही बोल पाई तभी कमरे में रश्मि दाखिल हुई साथ ही उसकी मा भी थी ,रश्मि की माँ अर्चना माँ की अच्छी सहेली भी थी तो मैंने दोनो को बात करने के लिए छोड़ दिया और मैं रश्मि के साथ वंहा से बाहर आ गया ..

“मैंने तुम्हारे और निशा के लिए *** कॉलेज का फार्म भर दिया है “

रश्मि ने मुझे देखते हुए कहा ..

“थैंक्स यार ,मुझे समझ नही आ रहा है की ये सब कैसे मेंटेन करूँगा,पढ़ाई भी पूरी करनी है ,बिजनेस भी सम्हलना है और साथ ही मेरे दुश्मन को भी ढूंढना है जिसने ये सब किया है,वो आज भी जिंदा है और शायद हमारे ऊपर नजर भी रखे है ,कभी कभी तो कुछ भी समझ नही आता “

रश्मि ने मेरे कंधे पर अपना हाथ रखा

“सब कुछ ठीक हो जाएगा राज तुम फिक्र मत करो ,मैं जानती हु की तुम कितने बहादुर हो और कितने टैलेंटेड ,आखिर तुम्हारे पास तुम्हारे बाबा जी की दी शक्तियां भी तो है ..”

इतने दिनों के बाद मुझे ये याद आया की मेरे पास कुछ अमानवीय शक्तियां भी है ,लेकिन लकड़ी के जाने के बाद उसपर ध्यान भी नही जाता था …इतने दिनों के बाद मुझे बाबा जी की भी याद आयी ..

रश्मि ने मुझे चुप देखकर फिर से कहा

“एक बार उनसे मिल आते है ,तुम्हारे साथ इतना कुछ हो गया और उन्हें खबर भी नही होगी ,”

मैंने हा में सर हिलाया

“कल चले ,मैं पापा से बोलकर हेलीकाफ्टर का इंतजाम कर देती हु”

“ह्म्म्म कल चलते है “

रश्मि ने फिर से मेरे कंधे पर अपना हाथ रखा

“राज यार तुम ही ऐसे दुखी रहोगे तो सबको कौन सम्हालेगा ,तुम्हे ही अपने परिवार को और बिजनेस को सम्हलना है और साथ अपने आप को भी ...इतना टेंशन मत लो ..”

मैंने उसे देखकर एक स्माइल की

“कल चलते है बाबा जी के पास “

***********

सुबह के 6 ही बजे थे और मैं ,रश्मि और टॉमी के साथ बाबा जी के पास था ,

सूरज अभी अभी उगा ही था हमे देखकर उनके चहरे में चिर परिचित सी मुस्कान खिल गई …

“आओ आओ राज इतने दिनों के बाद सब ठीक तो है ??”

ये कहते हुए भी उनके चहरे में मुस्कान थी जैसे वो जानते हो की सब कुछ ठीक नही है …

हम उनके साथ थोड़ी देर बैठे फिर बाबा जी के हुक्म के अनुसार रश्मि टॉमी के साथ वंहा से घूमने चले गई

और मैंने बाबा जी को पूरा वृतांत बात दिया ..

“ह्म्म्म तुमने अपनी लकड़ी खो दी ,तो क्या तुम नई लकड़ी लेने आये हो ??”

“नही बाबा जी मैं तो बस आपसे मिलने आया हु “

“अच्छी बात है ऐसे भी मैं तुम्हे कुछ नही देने वाला “

वो जोरो से हंस पड़े ,मुझे समझ नही आया की क्यो ?

“राज जो भी तुम्हारे साथ हो रहा है उसे अपनी परीक्षा ही समझो ,शायद तुम्हे ये जानकर आश्चर्य हो लेकिन अब तुम पहले से भी ज्यादा ताकतवर हो चुके हो ,हा दैवीय शक्ति नही लेकिन राक्षसी शक्तियों के द्वारा ,अब शक्ति कैसी भी हो वो शक्ति ही होती है ,कई ऐसे अघोरि और तांत्रिक लोग भी होते है जो की राक्षसी शक्ति से ही लोगो का भला करते है और कई ऐसे लोग भी होते है जो की दैवीय शक्ति के बावजूद लोगो को तकलीफ ही देते है ,तो तुम्हे अपनी शक्तियों का इस्तमाल करना चाहिए तुम्हे फिक्र करने की कोई जरूरत नही है ,तुम्हरी शक्तियां पहले से बढ़ी ही है कम नही हुई है ,जन्हा तक उस अघोरी और उसकी साधना की बात है तो ऐसी साधना करने वाले अघोरियों का एक समुदाय है जो शैतानो से अपनी ताकत प्राप्त करते है ,उनके एक मुख्य गुरु मुझे हिमालय प्रवास के दौरान मिले थे ,देखने में खतरनाक थे लेकिन दिल के वो भी एक संत ही थे ,मेरे ख्याल से तुम्हे उनसे मिलना चाहिए वो कुछ मदद कर दे “

मैं उन्हें आशा से देखने लगा ,और वो बोलते गए

“लेकिन वो तुम्हे उस अघोरी तक ही पहुचा पाएंगे ,उस कातिल तक नही जो ये सब कर रहा है ,क्योकि जन्हा तक मैं उन अघोरियों के बारे में जानता हु वो अपनी शक्तियों का उपयोग किसी नेक काम में ही करते है ,हा उनका शक्ति प्राप्त करने का तरीका जरूर गलत होता है...और वो किसी से व्यक्तिगत दुश्मनी नही निकालते,जैसा तुम्हारे साथ हो रहा है ,तो इस बात से इत्मीनान रखो उस अघोरी का तुम्हारे पिता की हत्या से कोई संबंध नही है ,वो हत्यारा जरूर अतीत के पन्नो में ही छिपा होगा जिसे तुम्हे ढूंढ कर निकालना होगा,जैसा तुमने मुझे बताया उसके अनुसार तुम्हे अपने माँ के बारे में पता करना होगा ,वही उस वकील और उससे जुड़े लोगो के बारे में भी और साथ ही साथ उसकी पत्नी के उस आशिक के बारे में भी ,अपने पिता से संबंधित लोगो को बारे में भी पता करो और भैरव सिंह पर इतना भी विस्वास करना भी ठीक नही है ,वो भी तुम्हारी मा को चाहता था तो कातिल तो वो भी हो सकता है,और समीरा भी ,समीरा और भैरव के पास तुम्हारे पिता और तुम्हारे परिवार का कत्ल करने की पर्याप्त वजह भी है ,मेरे ख्याल से इस मामले में तुम्हे डॉ चूतिया और काजल की मदद लेनी चाहिए,वो एक जासूस भी है और वो तुम्हारी मदद कर सकते है ..”

मैं बस हा में सर हिलाता रहा

“और मैं तुम्हे अघोरी गुरु का पता बताता हु जब तुम्हे उस अघोरी के बारे में जानने की इक्छा हो तो उसके पास चले जाना ,लेकिन अकेले ही जाना …”

उन्होंने कोई पता नही दिया बल्कि अपने हवन कुंड से कुछ राख निकाल कर मंत्र पढ़कर कागज में बांधकर दे दिया साथ ही एक मंत्र भी लिखकर दिया

“इस राख को अपने मस्तक में लगा लेना और थोड़ा मुह में डालना और फिर इस मंत्र का जाप करना वो तुम्हे अपने पास बुला लेगा “

वो फिर से मुस्कुराने लगे ,

,मुझे लगा था की बाबा जी के पास आकर मुझे समस्या का कोई समाधान मिलेगा लेकिन समस्या जस की तस थी बस कुछ राह जरूर मिल गए थे …...और सबसे बड़ी चीज मिली समस्याओं से लड़ने का हौसला….
Nice update...:heart:
 
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