Update 90
शिवा की नींद खुली तब सुबह के 8 बज चुके थे ,बहुत दिनों बाद शिवा इतनी देर तक सोया था ,अपने आप को आधे घण्टे में तैयार करके हॉल में आ गया ,सब लोगो का चाय नाश्ता हो चुका था ,काल ने सबको यही बताया था कि शिवा देर रात तक पढाई कर रहा था ,वो आज थोड़ा देर से आएगा ,जिसकी वजह से ज्यादा किसी ने इस बात पर ध्यान नही दिया ,शिवा ने जल्दी से नाश्ता करके सबको कॉलेज जाने का बोलकर निकल गया ,उसने नेत्रा और केतकी को मन मे कह दिया कि वो अब ठीक है ,शिवाने अपने प्रतिरूप को कॉलेज भेज दिया अपनी बाइक पर और खुद भवानीगढ़ पहुच गया ,आज वो सर्पिणी और विशाखा से मिलने आया था ,भवानी गढ़ के जंगलों में उसने सर्पिणी और विशाखा को बारी बारी समयमनी में 12 घण्टे का बिताए दोनो की चुत की आग जो 5 दिन से काल के लन्ड से न चुदने से लगी थी ,उसे बुझाया ,फिर सिंहाली और मिहाली को एक साथ उसने समयमनी में चोदकर खुश कर दिया ,सिहलोक में तो काल तीनो मा बेटियो को एक साथ चोदा करता था ,11 बजे तक उन चारों को खुश करके वो सर्पलोक पहुँच गया वहा मंदा के साथ 5 दिन बिताकर 1 घण्टा असुरलोग जाकर माया और उसकी दोनो बेटीयो की नाराजगी अपने बड़े लन्ड से मिटाकर बुझाकर उन्हें समयमनी में 24 घण्टे चोद चोद कर खुश करता रहा ,आज शिवाने अपना पूरा दिन पाताल लोक ,अश्वलोक ,सिहलोक में बिताया अपने सब बच्चों से मिलकर काल भी आज बहुत खुश हो गया था ,सिहलोक के सब बच्चे अब जवान हो गए थे ,अपने महानाग ,कालअश्व और काल सिंह से सिख कर वो हर युद्धकला में निपुण हो गए थे ,काल के सभी प्रति रूपो ने नागदन्ती ,नमी ,दमी और सिहलोक कि शेरनियों से मिलकर अपनी संख्या नए बच्चों को जन्म देकर अच्छी खासी बढा ली थी ,नागदन्ती और शेरनियां की सन्तान आपस मे ही शादी कर चुके थे जब काल सिहलोक आया था तब ,सिंहाली और मिहाली को कालने सिहलोक बुलवाकर अपने चारों बेटो और महारानी उमा से हुवे 2 बेटो की शादी बाली की 6 बेटीयो से करवा दी ,सिहलोक में सिर्फ मा बेटा,और बाप बेटी आपसे में शादी या संभोग नहीं करते ,बाकी वहां सगे भाई बहन आपसे में शादी कर सकते थे ,महारानी उमा की दो बेटियों ने भी सिंहाली और मिहाली के बड़े बेटो से शादी कर ली थी ,कुछ ही दिन में सिहलोक में संख्या बहुत बढ़ने वाली थी ,तब महारानी उमा ने काल को बता दिया कि सिहलोक की संख्या करोड़ो नही अरबो में हो गयी तब भी सिहलोक में आराम से रह सकते है ,सिहलोक में जितनी आबादी होती है उतना बड़ा वो बन जाता है ,यहा के सभी सिहमानव शाकाहरी भोजन करते थे ,जो वहां हमेशा जादू से बन जाता था ,शिवा रात के खाने पर ही घर लौटा था ,शिवा जब अभी धरती पर नही होता तो उसका प्रतिरूप सही समय पर घर आकर शिवा की कमी खलने नही देता था ,शिवाने खाना खाकर नेत्रा और केतकी को बता दिया कि आज वो गरुड़ लोक जाने वाला है ,तो वो सुबह तक आ जायेगा गरुड़ लोक से ,सुनीता, ज्वाला और निता के पास न जाते हुवे आज 11 बजे ही वो भवानीगढ़ के मन्दिर पहुँच गया था ,काल ने आकाश में देखकर लामी और कामी क्या तुम दोनो मेरे साथ गरुड़ लोक चलोगी या में अकेला ही चला जाऊं ,काल के इतना कहते ही दोनो उसके मानवरूप सामने प्रकट हो गई ,
लामी और कामी ,हम कलसे आपकी प्रतीक्षा कर रहे है काल ,आप हम दोनो के एक हाथ को पकड़ लीजिये ,
काल ने जैसे ही उन दोनों के हाथ पकड़े दोनो उसे लेकर गरुड़ लोक में एक पल में ही लेकर आ गई ,काल गरुड़ लोक को देख रहा था ,सिहलोक की तरह ही यह भी बहुत विशाल और भव्य लग रहा था ,यहा पर सभी का कद मनुष्य के समान ही था ,बस गरुड़ रूप में उनका आकर अतिविशाल हो जाता था ,लामी और कामी कद में 6 फिट की सुंदर सी लडकिया दिख रही थी ,पर उनके नाक एकदम सुंदर और अनोखी चमक से अलग ही दिखती थी ,दोनो की आंखों में मानो किसी हीरे जैसा तेज था ,लामी की आंखे एकदम गहरी नीली थी ,तो कामी की एकदम हरी ,दोनो में बस आंखों के रंगों का फरक को छोड़ दे तो कोई भी अंतर नही था ,
लामी ,काल आपको हम सीधा राजगुरुं ओमी के पास लेकर चलते है ,उन्होंने कहा था कि आप के आने पर आपको सीधा उनके पास ही लेकर आना है ,
काल ,चलिये जैसा आप कहे ,काल ने सोच लिया था कि इस बार वो सिंहलोक में की हुवीं गलती यहा बिल्कुल नही करेगा ,वह सबके साथ आदर और सम्मान से ही बात करेगा,
दोनो बहने काल को लेकर एक बहुत ही विशाल मन्दिर के सामने लेकर आयीं ,काल यह है हमारा मन्दिर और राजगुरुं इसीमे रहतीं है ,काल को लेकर दोनो उस मन्दिर में पहुच गयी जहा पर एक ब्रम्हाजी की मूर्ति रखी हुवीं थी और उसके आगे एक लाल कपड़ो में बहुत ही तेजस्वी औरत बैठी हुवीं थी ,काल ने पहले ब्रम्हा जी के मूर्ति को नमन किया,फिर बाद में जैसे ही वो राजगुरुं वामी के पैर छूने झुका वो झटसे अपनी जगह से उठकर खड़ी हो गई और गुस्से में बोली, आप यह कैसा पाप कर रहे ,आपको ऐसा करते शोभा नही देता ,
काल अपने मन मे ,साला अब मेंनें क्या पाप कर दिया ,में तो इसके पैर ही तो पड़ने वाला था ,कही यह कुछ गलत तो नही समझ गई ,बेटा काल तेरी किस्मत ही गांडू है ,
लामी और कामी पेट पकड़ कर हस रही थी और राजगुरुं ओमी गुस्से से और लाल हो गयी थी ,दोनो काल के पास हसते हुवे आकर बोली ,आप डरिये मत काल सिहलोक जैसा आपके साथ यहाँ कुछ नही होगा ,हम सबको पता है सिहलोक में आपके साथ राजगुरुं बाली ने क्या किया था और उनको क्या सजा मिली थी सिंहाली और मिहाली से ,
काल अपने मन मे ,राजगुरुं ओमी की कोई गलती नही है इसमें मेरे हवस के चलते ही बेचारी मुझसे डर गई होगी ,उसे लगा होगा कि कही में उनकी साड़ी तो नही ,,,,,,,,,,,,,
लामी ,काल राजगुरुं ओमी हम दोनो से उम्र में छोटी है ,और सिहलोक कि तरह ही आपकी गरुड़ लोक हम सब आपकी पत्निया ही बनने वाली है ,इसी वजह से वो शर्मा कर आपसे ऐसे बात कर बैठी थी, यहा कोई भी पत्नी अपने पति को अपने पैरों को नही स्पर्श करने देतीं है ,
काल मन मे चलो इस बार में ही गलत कर बैठा था ,पर यहा पर भी में राजगुरुं को नाराज कर बैठा अपनी हरकत से
राजगुरुं ओमी ,काल आप हमारी बातो का बुरा मत मानना, हमारे मुह से आपके लिये ऐसी बाते निकल गई ,
काल,राजगुरुं इसमें मेरी भी गलती है ,आप सब भूल जाइये जो हुवा था अभी और बोलिये आपने मुझे यहा पर क्यो बुलाया है
ओमी ,काल आप के पास सिंहार की ताकद आ गई है जो सबसे अच्छी बात है ,आपको इस लड़ाई में सिंहार की शक्ति बहुत काम आने वाली है ,आप को और कुछ ऐसी शक्तियो की जरूरत पड़ने वाली है जो सिंहार जैसी ही दिव्य और अनोखी हो ,आपके पास नीलमणि की शिवशक्ति है ,सिंहार की विष्णु शक्ति ,आपको अब जरूरत पड़ेगी ब्रह्म शक्ति की और उसीके साथ इन तीनो शक्तियो को एक करने वाली शक्ति की ,जो आपके एक महीना जो धरती के हिसाब से हो सकता है लग सकता है या गरुड़लोक के हिसाब से हजारो साल ,मुझे त्रिदेवो ने ऐसी अद्भुत दिव्य दृष्टी दी है जिससे में कौनसे लोक में किसके पास कोनसी दिव्य शक्ति है ,और कौनसी दिव्य शक्तियों का मालिक अभी तक कोई भी नही बना यह यही बैठकर देख सकती हूं ,आप को भुजंग को कमजोर नही समंझना चाहिये ,उसके पास त्रिदेवो के तीनों सबसे घातक अस्त्र है जिसकी मदद से वो आपको तीन बार आसानी से तीन बार तक मार सकता है ,उसने तीनो मा पार्वती ,मा लक्ष्मी ,मा सरस्वती की घोर तपश्चर्या करके उनकी भी दिव्य शक्तिया हासिल कर ली है ,जिसका ज्ञान ना मुझे है ना किसी और को ,जिस वजह से भुजंग एक अजेय योद्धा बन चुका है ,उसने अपनी आयु बाकी राक्षस की तरह भोग विलास में नही बल्कि तप और साधना में निकाली है ,वो अबतक का सबसे घातक और चालाक असुर है ,जिसने कभी अमर होने का वरदान नही मांगा ,उसने अपनी साधना के दम पर ही खुद की आयु अमर्याद कर ली है ,तुम्हे हर शक्ति अपने नसीब और बहादुरी ,नेक दिल होने से मिली है ,पर भुजंग को तप और साधना करने पर शक्तिया मिली है ,जिसकी ताकद हमेशा ज्यादा होती है ,सब राक्षसों ने कोई पाप करके अपने मृत्यु को बुलावा दिया है पर भुजंग ने अब तक कोई भी पाप या दुष्कर्म नही किया है ,यहा तक सिहलोक के राजा सिम्बा ने नही बल्कि उसके बेटे गोलम ने मारा था भुजंग का रूप लेकर ,गोलम भुजंग की एक बडी ताकद है जो हर बुरा काम करती है ,तुम्हे गोलम और उससे भी बलवान 1000 भुजंग के बेटो का सामना करना है ,उसके 900 बेटे अभी इतने बलवान और दिव्य शक्तियों के मालिक है कि वह तुम्हे आसानी से मार सकते है ,तुम्हारी सिंहार शक्ति का काट उन सबके पास एक त्रिदेवो के दिये हुवे अस्त्रों के रूप में है ,एक बाद हमेशा याद रखना की जब तुम पर कोई भी त्रिदेवो से प्राप्त अस्त्र चलायेगा ,तुम्हारा कोई भी कवच या शक्ति तुम्हे नही बचा सकती ,तुम उसके बेटो से जीतकर ही भुजंग तक पहुच सकते हो ,जो कि एक असम्भव कार्य होगा तुम्हारे लिये ,यह अबतक कि सबसे कठिन और असंभव परीक्षा है ,जिसके लिये तुम्हे अपने बल का नही बुद्धि का उपयोग करना होगा ,तुम्हे ऐसी शक्तिया ढूंढनी होगी जो किसिने अभी तक सोची नही होगी ,में इस काम मे तुम्हारी मदद करूंगी ,भवानीगढ़ के मन्दिर की दिव्य शक्तिं के परीक्षा में तुम्हे हर हाल में जितना होगा ,नही तो यह शक्ति भुजंग की हो जायेगी ,तुम भुजंग पर कोई भी शक्ति इस्तेमाल नही कर पाओगे इसकी सबसे बड़ी वजह है भुजंग एक पुण्यवान राक्षस है ,उसे ना तुम कभी मन्दिर में जाने से रोक सकते हो ना ,मन्दिर के रक्षक ,
काल ,राजगुरुं ओमी आप चिंता न करे ,में कोई न कोई रास्ता निकाल ही लूंगा इस भुजंग और इसके बेटो को मिटाने का ,पर भुजंग अगर पुण्यवान है तो उसके साथ लड़ने का क्या फायदा ,अगर उसे मन्दिर के चमत्कारी पत्थर की ताकद मिल भी गई तो वो कभी उनका गलत इस्तेमाल नही करेगा ना,उसके पास त्रिदेवो की शक्तियां है ,तीनो माता से भी शक्तिया मिली है तो उसके मन मे कोई कपट होता तो वो उनके इस्तेमाल से भी तो सबको नुकसान पहुंचा सकता था न ,
ओमी ,काल उसने अपने मन को त्रिदेवो के अलावा कोई भी न जान सके ऐसा भी वरदान पा लिया है ,और पिछले 1000 वर्षों से उसने फिर घोर तपस्चर्या प्रारंभ की है जिसके सफल होने पर वो क्या माँगता है ,इसका कुछ भी पता नही है ,वो सब क्यो कर रहा है इसकी वजह वही जानता है ,उसके विचार कभी नेक नही थे ,बस वो पुण्य का संचय त्रिदेवो से मरने के डर से कर रहा है ,भुजंग ऐसा छल कर रहा है जिसे तोड़ना किसी के लिये सम्भव नही होगा ,
काल बहुत देर तक कुछ सोचता रहा और बोला ,चलिये हम इस लड़ाई को कभी नही जीत सकते ऐसा मानकर ही इसमें उतरेंगे अब ,पराभव के साथ मौत भी होगी यह तो अब पक्का है ,पर में मरने से पहले भुजंग के सभी बेटों को मारकर ही मरूंगा ,और भुजंग कितना भी शातिर क्यो न हो उसके पुण्य के ढोंग को भी खत्म कर दूँगा मरने से पहले, ,अच्छा हुवा आपने मुझे यह सब बता दिया अब में एक राक्षस बनकर हीं इस पुण्यवान राक्षस से भिड़ने वाला हु ,
यह सब बातें तीन लोग मिलकर सुन रहे थे ,जिसे सुनकर वो अति प्रसन्न हो रहे थे ,
पहली व्यक्ति ,आप ने शिवा की बाते सुनी ,मुझे लगता है भुजंग के सामने यही सही होगा ,
दूसरा व्यक्ति ,आप बहुत जल्दी यह बात कर रहे है ,अभी शिवा जोश में है ,लेकिन जल्द उसके सामने चुनौतियों शुरू होगी ,तब समज में आएगा कि वो काबिल है या नही
पहला व्यक्ति तीसरे ,आप हम दोनो की बात सुनकर कुछ बोल भी नही रहे है बस मुस्कुरा रहे है ,इस खेल के असली करता धर्ता तो आप खुद है ,जरा हम दोनो में यह तो बता दीजिए हम दोनो में सही कौन है और कौन गलत ,
तीसरा व्यक्ति ,आप दोनो सब जानते है फिर भी मुझसे सवाल कर रहे है ,आप दोनो सही है ,यह कलियुग है यहा भगवान नही राक्षस पूजे जाते है और इसमें भी राक्षस ही जितने वाले है ,हम तीनों इसमें नही भाग ले सकते ,यह खेल शुरू हमने किया है पर इसे खत्म नियति करेगी ,जिसकी सोच सही होगी वही जीतेगा यह जान लीजिये बस ।