• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest जिन्दगी ## एक अनाथ की##

Vik1006

Well-Known Member
3,322
12,959
158
Update 9
कामिनी और विजयजी मुम्बई को पहुच गए थे ,भवानीगढ़ से निकलकर मुम्बई तक आने का उनका सफर बहुत ही सावधनी के साथ किया था किसी की नजरों में ना आते हुए अपने भेष बदलकर किया था,वो मुम्बई के हवाई अड्डे के पास बने होटल में रुके वहां नहा धोकर उन्होंने थोड़ा आराम किया सुल्तान भी उनके पास पहुंच गया था ,आज शाम को उनकी अमेरिका के न्यूयॉर्क की टिकट थी ,मिस नरेश गुलाटी और सुनीता गुलाटी के नामसे पासपोर्ट औऱ नकली कागज बनाये गए थे, सुल्तान ने वह कागजात
की फाइल उन्हें दे दी और साथ मे अमेरिकी बैंक के एटीएम भी उन्हें दे दिये थे,
विजयभाई और भाबी आप दोनो वहाँ जाने के बाद मेरे भाई से मिल लेना ,उसका नाम सलीम हैं वह आपके लेने वहा हवाई अड्डे पे पहुच जाएगा ,आपके वहाँ रुकने का इंतजाम उसने वहा पर कर दिया है ,वो वहा पर एक नामचीन डॉक्टर है ,वो आपका वहा पर पूरा साथ देगा
ठीक है सुल्तान लेकिन तुम भी यहां का पुरा ध्यान रखना और कुछ भी बात हो तो तुम मुझे खबर कर देना
विजय भाई आप यहा की चिंता ना करे मेरे होते बच्चों पर कभी कोई आंच नही आयेगी
थोड़ी बहोत उनके बीच और बाते होती रही उसके बाद सुल्तान वापिस गाव लौट गया, शाम को दोनो ( आगे से उनके नाम नरेश और सुनीता से आयेंगे ) हवाई अड्डे पहोच गए,और अमेरिका जाने वाले हवाई जहाज से न्यूयार्क के लिए रवाना हो गये ,
न्यूयॉर्क में उन्हें लेने सलीम आया था ,उन दोनों को वहा से लेके जहा पर उन दोनों को लिए उसने मकान लिया था वहा चल दिया ,नरेश और सुनीता पहले भी कई बार यहां पर आए थे तो उन्हें वहा पर ज्यादा परेशानी नही हुवी ,सलिम ने मकान उसके बाजू वाला ही लिया था, वहा जाकर उन्हें मकान खोल कर दिखा दिया ,और कुछ भी काम हों तो उन्हें अपने घर का फोन नंबर देकर अपने घर चला गया
सुनीता, सलीम को हमारे असली नाम और हम कहा के इसके बारे में कुछ भी पता नही चलना चाहिए ,सुल्तान ने उसे बताया कि हम उसके दोस्त के बेटे ही जिसने तुम्हें भगाकर शादी की है, और तुम्हारे घरवाले हम दोनों को जान से मारना चाहते थे इसलिए हम यहाँ रहने आये है ,
ठीक है ,जैसा आप कहे
में नहा लेती हूं ,बाद में आप भी नहा लीजिए
तभी उनके घर का फ़ोन बजा ,नरेश ने फोन उठाया तो सामने सलीम बात कर रहा था ,उसने नरेश को बताया कि आप नहाकर खाना खाने हमारे यहा पर आ जाईए
नरेश और सुनीता दोनो तयार होकर सलीम के घर खाना खाने पहुँच गये सलीम 40 साल का थे उसके घर मे उसकी बीवी नुसरत 35 साल की थी दोनो मिया बीबी डॉक्टर थे और साथ मे ही काम करते थे ,आजतक दोनो को कोई औलाद नही थी नुसरत एक बेमिसाल खूबसूरत थी उसकी फिगर भी 34 28 38 की थी ,ऊँची गोरी चिट्टी नुसरत हसमुख और बहुत ही मीठी बाते करने वाली थी ,बहुत जल्द उसकी सुनीता के साथ अच्छी दोस्ती हो गई ,
नरेश भाई आप की उम्र कितनी है ,सलीम ने पूछा
जी मेरी 30 साल और मेरी बीवी की 28 साल है, नरेश बोला
नरेश ने उससे अपनी उम्र इसलिए झूठी बोली क्यों कि अगर वो असली उम्र बताता तो उनको यकीन नही होता और फिर उनको सलीम से अपना इतिहास भी छिपाना था
चलो अच्छा है मुझे एक छोटा भाई मिल गया और मेरी बीवि को एक छोटी बहन,
सलीम की बातों से सब के मुह पर हँसी आ गई
सुनीता तुम आज से मुझे दीदी बोला करना मेरी बहुत बड़ी तमन्ना थी कोई मेरी छोटी बहन हो
जी ठीक है दीदी जैसी आपकी मर्जी
नरेश तुम यहा पर काम क्या करने वाले हो,अगर तुम्हें यहा पर कोई जॉब करनी हो तो मुझे बता देंना ,में तुम्हे किसी अच्छे जगह पे काम लगा दूंगा
सलीम भाई में यहा पर अपना कोई बिजनेस करना चाहता हु , मैंने यहा आने से पहले अपनी जमीन और घर बेच दिए थे उन पैसे की मदद से मेरा यहां काम चल जाएगा
ठीक है जैसा तुमको सही लगे और कुछ पैसे कम पड़े तो मुझसे ले लेना ,मुझे अपना पार्ट्नर बना लेने लगे तो
सलीम की बाते सुनकर नरेश को बहोत अच्छा लगा था,वह दिल का नेक इंसान लग रहा था पैसे की मदद भी इस तरह कर रहा था कि सामने वाले का दिल ना दुखे ,अब उसे क्या पता सामने वाला खुद अरबो का मालिक है
ठीक है सलीम भाई अगर कम पड़े तो आप से ही लूंगा पैसे
नुसरत भी उनकी बातें सुन रही थी ,जब से नरेश उनके घर आया था वो उसको ही देख रही थी साडे 6 फिट का कद, चौड़ी छाती ,मजबूत कंधे ,लम्बे हाथ , खूबसूरत चेहरा ,बात करने का अंदाज उसको घायल कर रहा था,वो यही सोच रही थी ,काश सलीम की जगह यह मेरा पति होता ,नुसरत कोई हवसी औरत नही थी लेकिन नरेश को देखकर उसके दिल मे उसके लिये अलग ही कशिश पैदा हो गई थी ,जिसे वो समज नही पा रही थी
नरेश तुम ने यह बात कभीं सोची है अगर तुम्हें पहचान वाले किसी ने तुम्हे यहा देख लिया और सुनीता के घर पर बता दिया ,या वो लोगो ने तुम्हे यहा पे ढूंढ लिया तो क्या करोगे
तुम ने बताया की सुनीता के पिता बहोत अमीर है तो उनके लिये तुम कहा गये थे यह मालूम करना ज्यादा मुश्किल नही होगा ,
नही सलीम भाई मेने यह बात नही सोची, आगे जो होगा उसे देख लेंगे , किस्मत में जो लिखा ही आखिर वही होगा
सलीम उसकी बात सुनकर खमोश रहा और कुछ सोचकर बोला अगर मेरी बात मानो तो तुम दोनों प्लास्टिक सर्जरी से अपनी शक्ल बदल लो, फिर कोई तुम्हे पहचान ही नही पायेगा,और तुम्हारी जान का खतरा भी हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा
सलीम की बातों से नरेश की आंखे चमक उठी ,उसने सलीम से पूछा क्या यह सही ऐसा स हो सकता है, और कौन डॉक्टर करेगा यह काम किसी को पता न चले बिना
सलीम हसने लगा अरे भाई तुम्हारे सामने ही दो डॉक्टर बैठे है ,जो तुम्हारा काम कर देंगे ,बोलो करोगे हमारे पास सर्जरी और हम तुमसे कोई फीस भी नही लेंगे
नरेश यह सुनके बहुत खुश हुवा उसने सुनीता की तरफ देखकर उसे पूछा ,की तुम्हारा क्या राय इस बारे में
सुनीता को समझ नही आ रहा था वो क्या जवाब दे, उसे खामोश देखकर सलीम ही बोल पड़ा अरे इतनी जल्दी फैसला मत करो आराम से एक दो दिन सोचकर फैसला करना ,नरेश ने भी सोचा कि घर जाकर सुनीता से बात करना ही ठीक है
बहोत देर तक उनकी बाते चलती रही फिर नरेश और सुनीता अपने घर सोने के लिये आ गए
नरेश देख रहा था सुनीता थोड़ी सी उदास हो गई है सब बातों से, तो उसने पूछा ,क्या हुवा सुनीता तुम उदास लग रही हो
नही ऐसी कोई बात नही
तुम्हे अपनी सर्जरी नही करनी है ना
नही ऐसा कुछ नही
तो फिर तुम इतनी उदास क्यो हो,
में यह सोच रही थी अगर हमारी शक्कल बदल गई तो हमारे बच्चे हमे कैसे पहचान पाएंगे, हम दोनों हमेशा के लिये उनसे दूर हो जाएंगे
नरेश उसकी बात सुनकर हसने लगा, अरे तुम यह बात सोचो कि यह बदली हुई शक्कल ही हमे अपने परिवार के पास लेके जायगी
सुनीता बोली आप की बात मेरे समझ मे नही आ रही है
नरेश बोला अरे हम सर्ज़री करके कुछ दिन यहा रहेंगे और उसके बाद हम अपने परिवार के पास चले जायेंगे ,में किसी भी तरह सुल्तान के जरिये अपने परिवार में शामिल हो लेंगें, फिर जब तक हमारे दुश्मन का पता नही चलता हम उनके पास ही रहेंगे, उनकी हिफाजत भी कर सकेंगे और पूरा परिवार हमारी नजरो के सामने ही रहेगा
नरेश की बातें सुनकर सुनीता बहोत खुश हो गई , वो बोली जी मे तैयार हूं आप सलिम भाई को फोन करके यह बात अभी बता दीजिए हम कल ही कर लेंगे सर्जरी
नरेेश हसने लगा ,और बोला अभी बहोत रात हो गई है में कल सुबह उन्हें फ़ोन करके यह बात बोल दूँगा
नरेश औऱ सिमा दोनों फिर एक दूसरे की बाहों में प्यार भरी बातें करते हुवे चैन की नींद सो गए
Nice Update...
 

Vik1006

Well-Known Member
3,322
12,959
158
Update 10
नरेश ने सुबह उठने के बाद सलीम को फोन करके यह बात बता दी कि वह दोनो सर्जरी के लिए तैयार है जब आप कहेंगे हम आपके साथ अस्पताल आने को तैयार है , सलीम को भी यह बात जानकर खुशी हुवी उसने नरेश को कहा कि उसे वो एक दिन का समय दे ,सर्जरी के लिए थोड़ी तैयारी करने के लिये, उसके बाद नरेश ने सुल्तान को फ़ोन करके उससे भी बात की , उसको भी सब बातें बताई की वह यह किसलिए कर रहा है, सुल्तान को भी सब बातें सुनकर खुशी हो गई ,उसे भी नरेश की सोच सही लगी ,उसने नरेश को अमेरिका आने से पहले उसके खाते में 25 करोड़ जमा करके उसका एटीएम और बैंक के पासबुक ,चेक़ की फाइल नरेश को मुम्बई में ही अमेरिका जाने से पहले दे दी थी ,यह पैसा नरेश का ही थे जो कुछ साल पहले नरेश ने सुल्तान को एक बड़ी दिल्ली की प्रॉपर्टी को खरीदने के लिये दिए थे और जब सुल्तान को उस प्रॉपर्टी को बाद में बेचकर अच्छा मुनाफा हुवा था, सुल्तान ने तब नरेश को उसके पैसे वापिस देने की पेशकश की थी ,तब नरेश ने उसे कहा था ,यह पैसा उसके पास ही रहने दे ,और अपना बिजनेस में लगाकर उसे बड़ाता रहे जब उसे पैसे की जरूरत होगी वो ले लेगा, आज वही पैसा नरेश को कम में आ रहा था , सुल्तान भी नरेश की मदद से एक अच्छा पैसे वाला प्रोपेर्टी डीलर बना हुवा था ,और नरेश के यह अहसान को वो हमेशा मानता था ,नरेश उसके लिए किसी भगवान से कम नही था ,नरेश के लिए वो अपनी पुरी दौलत भी दांव पर लगाने से पीछे हटने वालो में से नही था, नरेश को अमेरिका में भेजने की सोच उसकी थी ,और उसने जगत से चर्चा करके ही नरेश का अमेरिका जाने से पहले सब जरूरत के चीजो को बन्दोबस्त किया था ,
नरेश ने सुल्तान से बात करके फोन रख दिया ,सुल्तान ने भी उसी वक्त जगत के पास अपने आदमी को भेजकर अपने घर बुला के सब बातें बता दी ,सुल्तान के घर जगत हमेशा जाता था ,नरेश ,सुल्तान और जगत की दोस्ती सब को पता थी , तीनो दोस्त से ज्यादा एक दूसरे के भाई से बढ़कर थे, और जब नरेश की मौत के नाटक करने के बाद ,जगत और सुल्तान और ज्यादा साथ मे रहने लगे थे,
जगत भी अपने कुछ देर सुल्तान से बात करने के बाद अपने घर लौट आया ,जगत को नरेश के बारे में पता था कि वो अपने परिवार से ज्यादा दिन दूर नही रह सकता ,जगत के साथ उसकी बीवी और उसकी एक बेटी ,और एक बेटा रहता था
जगत की बीवी लीला 40 साल
बेटा मोहन 22 साल
बहु सोनम 20 साल
बेटी शीबा 20 साल
उसके बेटी की शादी अभी बाकी थी, जगत का एक सुखी परिवार था, जगत का परिवार के पास मन्दिर का जिम्मा कई पीढयों से चलता आ रहा था , और नरेश के पुरखो ने 100 एकड़ से ज्यादा जमीन जगत के परिवार को अपने पालन पोषण के लिये दी थी, उस खेती के मिलने वाले फसल की आमदनी से जगत का अच्छी तरह गुजारा हो जाता था, नरेश ने भी जगत के लिए मन्दिर के पास ही एक बड़ा घर बनाके दिया था, नरेश ने अपने बच्चों की तरह ही जगत के बच्चों को मानता था ,उसने ही जगत के बेटे और बेटी को दिल्ली में शिक्षा करवाई थी, जगत को भी पैसा का ज्यादा मोह नही था ,ना उसके परिवार को
सुल्तान की बीवी का नाज़िया 40 साल
बड़ी बेटी रेहाना 22 साल
छोटी बेटी नूरी 20 साल
दोनो की शादी हो गई थी और दोनों बहनें एक ही परिवार में दी थी जो दिल्ली में अपने पतियों के साथ रहती थी
जगत आज जब घर पर अपने कमरे में आया तो उसे लीला ने पूछा , क्या बात है आज आप बहुत खुश दिख रहे है
जगत ,ऐसी कोई बात नही आज सुल्तान से मनोज के बारे में पता चला कि वह अब ठीक से कॉलेज जाने लगा है ,वो अब ज्यादा अपनो दुःखोंसे बहार निकल रहा है धीरे धीरे
लीला , यह सूनकर मुझे भी अच्छा लगा ,मनोज तो जैसे जीना ही भूल गया था उस हादसे के बाद,
जगत औऱ लीला थोड़ी देर बात करते रहे लेकिन ,बाद में लीला सो गई लेकिन जगत की आँखों मे नींद नही थी ,वो अपनी ही सोच में गम था ,जगत के पिता और नरेश (विजय) के पिता ने वह मन्दिर में रखा हुवे चमत्कारी चीज बारे जगत को बताया था तब उन दोनों ने उससे निकला हुवा पानी की खूबियों के बारे में बताकर वह पानी जगत और लीला को देने की पेशकश की थी ,लेकिन जगत ने बिना किसी मोह और लालच से उसे लेने से इंकार किया ,जगत ने वह चमत्कारी पानी नरेश ( विजय) और उसके पत्नी को देने की बात कही और खुद नरेश को अपनी कसम देकर उसे मनाया था ,उन दोनों के पिता को भी अपने बच्चों का आपस मे प्यार देखकर बहुत खुशी हुवी थी ,
जब जगत ने अपने पिता से पूछा था कि ऐसी कोनसी चीज है जिसके निकलने वाले पानी मे इतनी ताकद है ,तो उसमें कितनी ज्यादा ताकत होगी ,तब उसके पिता ने बताया था कि यह बहुत ही शक्तियो की खूबी वाला चमत्कारी पत्थर है, वो जिसके नसीब में होगा उसे ही मिलेगा ,अगर वह किसी गलत के हाथों में लगा तो अच्छा नही होगा ,ताकद अगर गलत हाथों में होगी तो वह हमेशा उसका उपयोग अच्छे कामो के लिये नही करेगा ,तुम्हे हमेशा यह ध्यान देना होगा कि वह किसी गलत हाथ मे ना जाये, में और नरेश (विजय) के पिता तुम दोनो को वो चमत्कारी पत्थर कहा पर है और कैसा है वह कुछ दिनों में बता देंगे, लेकिन उनको वो बात बताने के पहले ही जगत के मा और पिता के साथ विजय के मा बाप को किसी ने बुरी तरह से गला काटकर मार दिया था
उस घटना के बाद जगत और विजय बहुत परेशान हुवे थे ,विजय ने जमीन और आसमान एक कर दिया था उनके कातिलों को ढूढ़ने के लिये , पूरे हिमाचल में विजय ने खून के पाट बहा दिये थे, उनको शक था कि मंदिर का राज जाने की लिये उनके मा बाप का कत्ल किया होगा , लेकिन जल्द ही उन्हें पता लगा था की उनकी गाव की पूरी जमीन खरीदने के लिये दिल्ली के बड़े कंपनी के मालिक कोशिस कर रहा था, उसको विजय के पिता ने मना किया था इसलिये उसने अपने आदमियों से उनका कत्ल कर दिया था ,विजयजी ने उसको और उसको आदमियों का नामोनिशान मिटा दिया था,इस काम मे विजय का साथ दिया था सुलतान ने ,दोनो ने मिलकर सबको तड़पाकर मार दिया था
इस सब घटना के बाद जगत ने नरेश ( विजयजी) को रोही कबीले वालो की सुरक्षा में रखना शुरू कर दिया
जगत ने ही नरेश को बताया था कि उस पानी की मिलने वाली ताकद के बारे में किसी को न बताये ,जब धिरे धिरे वक्त गुजरने लगा तो जगत ने ही विजय को थोड़ी दाढ़ी मुछ रखने को कहा ,अपनी उम्र बढ़ नही रही यह राज छिपाने के लिये हर कोशिश करते ,लोग अपने सफेद बाल छुपाने के लिए काले करते है लेकिन यह दोनों उल्टा अपने बोले में सफेदी लगाते थे, जगत को सब पुरानी बातें याद आ रही थी ,उनको इस बात की खुशी की थी उनका दोस्त उनके आसपास ही रहेगा
अगले दिन नरेश और सिमा दोनो सलीम के साथ उसके अस्पताल पहुच गये ,वहा पर उनकी सर्जरी के बाद उनको एक महीने तक वही रुकना था ,सलीम ने सब इंतजाम करके रखा था अब तो बस एक महीने में दोनों की शक्ल बदलने वाली थी और वह अपने परिवार के पास लौट सकते थे ।
लेकिन किस्मत में क्या लिखा होता है किसे पता
Mast Update...
 

Vik1006

Well-Known Member
3,322
12,959
158
Update 11
निता ने मनोज की उठाते हुवे कहा चलो उठो मनु सुबह के 7 बजे है ,हमे मुंबई को निकलना है आज , देखो मुझे अभी विजय को भी तैयार करना है
मनोज भी नीता की बात सुनकर उठ गया और बाथरुम में नहाने चला गया
निता भी विजय को लेने अपने कमरे से निकलकर नीचे चली गयी ,विजय रात को सुनीता के कमरे में उसके पास ही सोया था ,सुनीता उनके यहां रहने वाले नरेश की बीवी थी जो पिछले 9 साल से अपनी पति के साथ मुकेश भैया साथ दिल्ली में रहा करते थे,मनोज ने उसे बताया था की नरेश के पिता और उसके पिता कॉलेज में दोस्त थे ,बादमे नरेश के पिता काम करने अमेरिका चले गए और वही उन्होंने शादी की ,नरेश जब 5 साल का तब कार एक्सीडेंट में उसके माता पिता मारे गए ,तब मनोज के पिता ने उसको सहारा दिया था ,नरेश को वहा उसकी मौसी के पास रखकर उसकी पढ़ाई लिखाई का खर्चा करते रहे , जब वह बडा हुवा तो उसे एक कंपनी भी खोल दी थी, मनोज के मा बाप नरेश को अपना बेटा ही माना करते थे ,और जब अपने काम से वो अमेरिका जाते तो नरेश को मिलकर ही आते थे ,नरेश भी उन्हें मा बाप ही मानता था ,जब मनोज के माता पिता का देहांत हुवा नरेश को यह बात मालूम नही थी ,और जब उसे उनके मौत के बारे में पता चला था तो वो उनके गाव आया था ,नरेश के बारे में परिवार में किसी को कुछ पता नही था ,लेकिन जगत चाचा और सुल्तान को उसके बारे में सब पता था, दोनो ने आकर मुकेश और सबको सारी बाते बताई थी,नरेश भी सुल्तान और जगत के गले लगकर खूब रोया था, मुकेश को अपने पिता के दोस्तो पर पुरा भरोसा था ,उसने नरेश को फिर वापिस जाने नही दिया ,बल्कि अपना बड़ा भाई बनाकर अपने साथ ही रख लिया ,और इस बात का समर्थन पुरे परिवार ने किया ,जगत और सुल्तान भी इस बात से बहुत खुश हो गये ,और 9 साल से वह परिवार एक अटूट हिस्सा बन गए थे , नरेश और सुनीता को एक बेटी थी जिसका नाम महि था
नीता ने जब नरेश के कमरे का दरवाजा बजाया तो दरवाजा सुनीता ने खोला, अरे निता तुम अंदर आ जाओ
निता जब अंदर आई तो उसने देखा विजय नरेश का साथ खेल रहा था ,और महि भी उनके साथ ही थी
विजय को शन्ति नहा धोकर अच्छे से तयार कर दिया था
नीता आज तुम लोग मुम्बई जाने वाले हो ना ,
हा दीदी, मनोज अभी नहाने गया है , उसके बाद हम निकलने वाले है,
ठीक है ,में नाश्ते को लगा देती हूं कूछ खाकर ही निकलना
उसके बात सब लोगोंने मिलकर नाश्ता किया ,मनोज और नीता फिर अपना सामान कर में रख दिए जब निता ने विजय को सुनीता से लेना लेगी तो वो सुनीता को छोड़ नही रह था, वो उसे अपनी दोनों नन्हे हाथों से पकड़कर बस रो रहा था,सुनीता के आँखों से भी पानी बह रहा था , दोनो का आपस मे प्यार सबको पता था बचपन से विजय को सुनीता ने बहुत प्यार बड़ा किया था, निता से ज्यादा वो सुनीता के पास ही रहता था ,सुनीता सब बच्चों से प्यार करती थी तीनो भाई के बच्चे उसे बड़ी माँ ही कहते थे, नरेश ने फिर विजय को अपने पास लेकर चुप कराया ,और उस वादा किया तुम मा के साथ जावो में तुम्हारी बड़ी मा को लेकर तुम्हारे पीछे दूसरी कार में आ जाऊंगा, वो तो छोटा बच्चा था नरेश की बातों से खुश होके नीता के पास चला गया ,सबसे मिलकर मनोज और नीता कार से निकल गये ,विजय निता की गोद मे ही बैठा था , नीता ने मनोज से कहा, सुनीता दीदी के बिना मेरा भी अब नही लगेगा मुम्बई में,विजय भी उनके बिना उदास ही रहेगा
मनोज, मुझे पता है सब, तुम सुनीता भाबी की बात करती हो तुम देखना नरेश भैया आज खाना ही नही खायंगे दिनभर,उन्हें विजय के आखो में आंसू बर्दाशत ही नही होते, वह तो सभी बच्चों से कितना प्यार करते है तुम्हें पता है ना यह बात
निता , हा सही कहा तुमने जब विजय माता के मंदिर में एक महीने पहले खेलते हुवे बेहोश हुवा था तब मैंने उनकी आंखों में पहली बार आँसू देखे थे, विजय को लेकर जब हम अस्पताल गये थे तब वो तीन दिन तक उसके पास ही बैठे थे,पानी की एक बूंद तक नही पी थी उन्होंने,विजय हमारा बेटा है लेकिन जो प्यार वो दोनों उससे करते है वो हमसे कहि ज्यादा है,
मनोज, सही कहा निता नरेश भैया ने हमारे पिता की कमी हमे कभी महसूस नही होने दी ,सुनीता भाबी तो एक माँ से ज्यादा मेरा खयाल रखती है, ऐसा लगता है भगवान ने चेहरा बदल कर हमारे मा बाप ही वापिस भेज दिये है
मनोज और निता कार से दिल्ली आये और फिर वहां से मुंबई हवाई जहाज से रवाना हो गए, मुम्बई में उन्हें लेने उनका ड्राइवर आया था फिर वह वह से अपने घर के रास्ते पर जा रहे थे ,जब उनकी कार ब्रिज से जा रही थी तब सामने से एक ट्रक ने आके उनकी कार को उड़ा दिया कार ब्रिज से के दीवार से टकरा गई और ट्रक भी दीवार तोड़ कर नीचे गर गया, कार बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई थी कार का ड्राइवर जगह पे मर गया था ,कार के सब शीशे टूट गये थे ,मनोज और नीता भी बुरी तरह घायल हो गए थे, मनोज की पीछे ही उनके सुरक्षा के लिये रखे हुए कार लोग चल रहे थे, उन्होंने जैसे ही यह सब देखा वो कार से उतरकर उस तरफ भागे, नीता और मनोज को उन्होंने बाहर निकाला दोनो की सांसे चल रही थी ,उन्हें विजय कार में नही मिला तो कुछ लोग विजय को ढूंढने लगें और बाकी लोग निता और मनोज को अपनी कार में लेकर अस्पताल लेकर चले गये
जो ट्रक पुल से नीचे गिरा था उसमें केमिकल भरा हुवा था जैसे ट्रक नीचे गिरा उसमे आग लग गयी थी और जैसे ही आग उस केमिकल तक पहुची एक जोर का धमाके से वह पूरी जगह हिल गईं ,जहा वह ट्रक गिरा था वहां गरीब लोगों की झोपड़िया थी वो लोग भी इस के आग की चपेट में आ गए और बेवजह ही मारे गये , विजय को ढूंढने वाले लोग भी जख्मी हो गए थे,लेकिन वो विजय को ढूंढने में ही लगे रहे, वहा आग लगने से अफरातफरी मची थी वो आग से बचने के लिए लोग उस जगह को छोड़के भाग रहे थे , कुछ ही देर में वहा पुलिस और फायरब्रिगेड की गाड़िया भी आ गई ,आग को जल्द ही क़ाबू में कर लिया गया लेकिन फिर भी उस आग में 20 से ज्यादा लोग मारे गए,उनमे कुछ छोटे बच्चों की भी लाशें मिली थी जो आग में पूरी तरह जल गई थी,
जब यह खबर गांव में पहुंच गई तब सब लोग तुंरत मुंबई आ गये, मनोज और नीता का इलाज चल रहा था उस अस्पताल में जाकर सब पहुच गये, उनकी हालत देखकर सबका बुरा हाल था और जब उन्हें यह मालूम हुवा की विजय नही मिला तो नरेश,सुल्तान बाकी लोगो को अस्पताल में छोड़कर विजय को ढूंढने निकल गए, जहा यह हादसा हुवा था वह जगह पहुचकर वो विजय को ढूंढने में लगे रहे लेकिन उन्हें विजय उन्हें मिला नही, पुलिस का कहना था कि जो बच्चों की लाशें मिली है उनमें से कोई लाश विजय की लेकिन नरेश यह बात माना हि नही ,वो 2 दिन तक विजय ढूंढ़ता ही रहा, उधर अस्पताल में नीता और मनोज को बचा लिया गया था,
मनोज और नीता का एक महीने तक इलाज चलता रहा उन्हें यह नही बताया की विजय लापता है , दोनो को जब अस्पताल से घर लाये तब यह बात बताई गई ,यह खबर सुनकर दोनो का बहुत ही बुरा हाल हो गया था, नीता और मनोज को मुम्बई से दिल्ली लाया गया ताकि वह अब परिवार में ही रहे,नरेश और सुनीता पूरे परिवार को संभलने में ही लगे रहे, नरेश हमेशा मुम्बई जाकर विजय को ढूंढता ,लेकिन उसके हाथ कुछ नही लगता
सब लोग विजय को अब मरा हुवा ही मानते सिवाय नरेश के उसे हमेशा लगता विजय जिंदा है और एक न एक दिन वह जरूर मिलेगा
Bahut hi shandaar Update...
 

Nevil singh

Well-Known Member
21,150
53,000
173
Update 89
भोगासुर पाताल में चला गया और शिवा सर्पलोक में जाकर धरती लोक के 1 घण्टे बाद वापिस आ गया ,उसके वापस आते ही उसके भोगासुर वाला प्रतिरूप को छोड़कर बाकी के 9 प्रति रूप भी उसमे आकर समा गए जिनको शिवाने सिहलोक से धरती पर आने के बाद कही भेजा था ,उसने अपने प्रतिरूप माही ,शांती की तीसरी लड़की पायल ,मनीषा और हेमा की दोनो लडकिया रिना और मधु ,सीमा की दोनो लड़कियां रीमा ,नेहा ,नीलम की दोनो लडकिया रोमा ,दिया और नंदिनी की बेटी जूही के पास भेजकर उन सबके हाथ अपने दिल पर स्पर्श कराकर देखा था ,नीलम और नंदिनी की बेटीयो के छोड़कर बाकी सभी लड़कियों में उसे स्पर्श करने के बाद उसके दिल ने उनको पहचान लिया था ,माही में अग्नि तत्व ,पायल जल तत्व ,रिना में पृथ्वि तत्व ,मधु में वायु तत्व ,रीमा में आकाश तत्व ,और नेहा में बिजली तत्व उसके दिल ने पहचान लिया था ,शिवा अपने कमरे में हसकर मन मे बोला अजीब रिश्ता है मेरा नेत्रा के खानदान से इनके घर की हर औरत मेरे लिये ही बनी है जैसे सबकी मा भी मेरी है और बेटिया भी ,बस मनीषा और हेमा भी मुझसे बच्चे की मांग न कर दे ,साला धरती पर जिसके साथ शादी होंनी है उनकी माँ भी मुझसे चुदने वाली हीं निकली ,कही सब मा बेटिया एक वक्त में मुझसे गर्भवती हो गयी तो बड़ी परेशानी होगी कौन किसका क्या रिश्ते में लगेगा इसका पता चलना मुश्किल होगा ,चलो बेटा शिवा इन सबको एक साथ पटाना होगा और शादी भी करनी होगी ,अच्छा हो गया मेरे पास सिंहार की ताकद है ,शिवा ने अपने 6 प्रतिरूप बनाकर उन सबकी शक्कल और अलग नाम से माही ,पायल ,रिना ,मधु ,रीमा और नेहा का दिल जीतकर उन्हें अपना बनाने का काम दे दिया ,शिवा को शिवानी की तकलीफ जल्द दूर करनी थी पर लड़कियो को अपने सच्चे प्यार का विश्वास दिलाकर उनका दिल जीतने का काम जल्दी नही होगा, उसके लिए उसके सभी प्रतिरूप को बहुत मेहनत करनी थी ,सुबह का चाय और नाश्ता करने जब वो हॉल में आया तो सब लोग आज टीवी पर ब्रेकिंग न्यूज़ देख रहे थे ,पूरे हिंदुस्तान में तहलका मचा हुवा था ,हर तरफ एक ही खबर दिखाई जा रही थी 50 शहरों में 20 हजार नामी गुंडे ,बदमाश ,फरार गुंडे ,बलात्कारी कटे हाथ पांव की हालत में मिले थे ,उनकी जुबान काटकर उन्हें अंधा बना दिया था ,उन सब के हालात सभी न्यूज़ चैनल दिखा रहे थे ,शिवाय का संदेश जो हर 50 शहरों के हॉल में लगा हुवा था ,उसे भी दिखाया जा रहा था ,पूरे हिदुस्तान में शिवाय के नाम की चर्चा हो रही थी ,शिवाय के इस कारनामे से वो गुंडों और बदमाशो के लिए एक बहुत बड़ा खतरा था, तो पुलिस और प्रशासन के लिये सिरदर्द बन चुका था,जिसके बारे में ना कोई सबूत था ,ना कोई सुराग ,आम जनता इन सब लोगो के हाल से बहुत खुश हो रही थी ,सब जगह लोक शिवाय को एक अच्छाई का मसीहा तो बुरे काम करने वालो का यमराज मान रहे थे ,आज तो उनके सॉफ्टवेयर चैलेंज के काम को भी बन्द करने का सोच लिया था सबने मिलकर इसी वजह सब लोग आराम से चाय नाश्ता करते शिवाय के बारे में बात कर रहे थे ,उन सभीके नजरो में शिवाय हीरो ही था ,शिवाय जो काल बनकर बैठा था खुशी से सबकी बाते सुन रहा था ,नेत्रा ,केतकी ,हिमांनी ,और शिवानी को पता था यह काम करने वाला शिवाय उनके बीच मौजूद है ,उन चारों ने शिवाय को शाबाशी दे दी थी बातो बातो में ,शिवा को तो सब पता ही था सबकुछ लेकिन उसने भी सबके साथ मिलकर शिवाय की दिल से तारीफ की ,शिवा कुछ देर उनसे बाते करता रहा फिर कॉलेज के बहाने से घर से निकल गया ,शिवाने अपने एक प्रतिरूप को आजसे रोज कॉलेज भेजने का सोच लिया था ,शिवा ने बाहर आकर नेत्रा को फोन करके मिलने को बुला लिया आज उसको नेत्रा से कुछ बाते करनी थी ,काल ने अपने एक प्रतिरूप को नेत्रा बनकर सबके साथ रख बिठा लिया था ,शिवा के पास जब नेत्रा पहुंच गयी तो दोनों एक शांत सी जगह पर आ गए ,शिवाने नेत्रा को केतकी से लेकर सिहलोक तक कि कहानी बता दी ,उसने यह भी बता दिया कि 6 तत्व की लडकिया कोई और नही उसकी सब चचेरी और मौसेरी बहने है ,नेत्रा कुछ देर सब सुनने के बाद शांत होकर सोचती रही और बोलने लगी ,शिवा मुझे पता है ,तुम सब जान गए होंगे ,तुम्हे जरूर पता चल चुका होगा कि सब मेरी सौतेली बहने है ,लेकिन मुझे दुख न हो इसलिए तुम उनको मेरी चचेरी और मौसेरी बहने बता रहे हो ,में नेत्रा के साथ कालनेत्री भी हु ,मुझे पता है कि तुम हवसी या शरीर के भूखे नही हो ,में ,हिमांनी ,नरगिस ,सनम और उसकी सब बहने तुम्हारे एक इशारे पर तुम्हारे साथ सोने को तैयार होने को तैयार है पर तुम कभी आंख उठाकर हमे देखते नही , तुम बस अपनी जिम्मेदारियों के चलते कुछ शादिया कर रहे हो ,ना इसमें तुमको मजा आता है ना तुम ऐसा करने की इच्छा रखते हो ,शिवा जब हम पर दुनिया की सबसे बड़ी जिम्मेदारी हो तो कुछ कड़े फैसले हमे लेने पड़ते है ,यह तुम्हारी, मेरी ,या मेरी बहनो का नही अरबो लोगो की जिंदगी का सवाल है ,अगर तुम किसी का दिल दुखने से या किसी को ठेच पोहचने वाले ख्याल से पीछे हट जाओगे तो यह ठीक बात नही होगी ,ना तुम सोते हो ,ना कभी चैन से बैठ पाते हो ,तुम्हारी उम्र सिर्फ 19 साल की है ,पर तुम अपने बराबर वाले लडको की तरह आम जिदंगी नही जी पा रहे हो ,इस बात का तुम्हे कोई गम नही है ,अपने सारे दुख दर्द दिल मे रखकर तुम सब यह कैसे कर रहे हो यह एक तो तुम जानते हो या भगवान ही जानते होंगे ,में तुम्हारी पत्नी हु ,तुम्हारी अर्धांगिनी ,तुम्हारे सुखों के साथ तुम्हारे आधे गम ,तकलीफ़ भी मुझे मिलनी चाहिये ,पर तुम सिर्फ मुझे सुख ही देते हो ,तुम्हे एक बात बता दु तुम जो भी फैसला करोगे कभी गलत नही हो सकता ,जिसे खुद भगवान शिव ने चुना है ,जो त्रिदेवो की दी हुवीं जिम्मेदारी पूरी कर रह हो वो कभी गलत नहीं कर सकता ,में खुद को खुशनसीब मानती हूं कि मुझे तुम्हारे जैसा पतीं मिला है ,में कभी तुमसे दुखी नही हो सकती ,ना होउंगी , तुम्हारे आंखों में आसु देखकर मेरा दिल खून के आसु रोता है ,तुम हसते मुस्कुराते ही अच्छे लगते हो ,कभी आसु नही बहाना ,तुम मेरे पास रहो या दूर जब भी तुम उदास या दुखी होते हो मुझे पता चल जाता है ,यह बात हमेशा याद रखना ,
आज शिवा पहली बार नेत्रा को बाहो में लेकर दिल खोलकर रोया था ,और नेत्रा उसे अपनी बाहों में लेकर प्यार से उसे समझाती रही ,ना शिवा को कोई डर था नेत्रा को कोई बात पता चल जाएगी उसके छूने से और ना ही उसे पर्वा थी ,नेत्रा की बाते सुनकर शिवा समझ गया था कि वो बस शिवा की आत्मा का वो हिस्सा है जिसे शिवा ठीक से पहचान नही पाया था ,बेचारी के साथ शादी करके भी उसने एक पल प्यार का नही बिताया था ,बाकी जिनसे भी शिवा ने शादी की थी सबको उसने दिल खोल के प्यार किया था ,शिवा ने भले ही नेत्रा के साथ बाद में सुहागरात मनाने का सोचा था उसके पीछे एक खास वजह यह थी कि शिवा सारी शक्तिया हासिल करने के बाद नेत्रा के साथ सुहागरात मनाने की सोच रहा था ,ताकि नेत्रा अपनी खास शक्ति जो किसी के भी शरीर को बस छुकर अपने अंदर स्पर्ष करनेवाली की सभी शक्तिया अपने भीतर भी पा लेती है ,उस शक्ति से नेत्रा को अपने जैसा ही ताक़दवर बनाने का सोच रहा था ,लेकिन आज उसने नेत्रा के साथ सुहाग रात मनाने का सोच लिया था ,पर जब वो दोनो वहां से निकलने लगे तो नेत्रा ने शिवा से कहा ,आप की जब सब शक्तिया पूरी मिल जाये तभी हम सुहागरात मनाएंगे ,और आपको मेरी कसम है आप मेरी बात को टालने की कोशिश भी नही करेंगे ,
शिवा मन मे बोला मुझे छुकर मेरी इच्छा जान ली पर तुम्हे कीतने दिन तक और इंतजार करना पड़ेगा में यह भी नही जानता ,खुद के बारे में सोच तो लिया होता पागल ,इसे में प्यार ,समर्पण, त्याग क्या नाम दु नेत्रा ,सचमुच औरत ताकद होती है कमजोरी नही और तुम तो मेरी सबसे बड़ी ताकद बनोगी जो में रहूं या न रहू सब कुछ आराम से संभाल सकती हो ,
शिवा ने नेत्रा को घर छोड़ कर सर्पलोक चला गया ,आज उसका मन नही लग रहा था धरती पर वो सुबह 10 बजे नेत्रा को घर छोड़ने के बाद रात को 10 बजे ही घर लौटा था ,सर्पलोक में 50 दिन रहकर मंदा के साथ गुजारे ,मंदा ने भी शिवा को प्यार से उसकी सब बातें जानकर उसे समजाति रही ,दिलासा देती रहती ,आखिर शिवा भी अपने मन को कड़ा करके घर लौट आया ,शिवा के मन में दर्द इस बात का था ,की भले उसका काम दुनिया की भलाई के लिये हो ,पर इतनी शादिया और सबको वह समय नही दे सकेगा ना कभी प्यार कर पायेगा ,एक तरह से सबके साथ यह धोका ही था ,और अगर शिवा इस परीक्षा में मारा गया ,तो सबका क्या होगा ,इनका क्या होगा ,भले ही उसने काल2 को बना लिया था ,पर यह भी तो एक धोका ही हुवा ना सबके साथ ,शिवा का दिमाग इस वजह से काम करना बंद हो गया था ,नेत्रा ने सही कहा था भले शिवा के पास बहुत शक्तिया थी पर वो 19 बरस का एक लड़का ही तो था ,जो ऐसे रस्ते पर चल रहा था जहाँ उसकी मंजिल क्या होगी यह कोई भी नही जानता था ,शिवा जिस ढंग से फैसले लेकर आगे बढ़ रहा था उसे भी अंजाम से डर लगता था ,जिंदगी भर अनाथ रहा ,प्यार करने वाले मीले पर कब तक उनका साथ रहेगा इस बात का कोई भरोसा नही था ,बच्चों का सुख मिला पर क्या भविष्य में वह कभी उनको देखेगा या नही यह भी वो नही जानता था ,सबको खोने का डर शिवा को ज्यादा सता रहा था ,उसे अपनी मौत का नही बल्कि अपनो का साथ खोने का डर लग रहा था ,सबके लिये उसने काल 2 को बना दिया था जो शिवा की जगह लेकर सबको संभाल ले ,ताकि किसी को उसके खोने या जिंदा न होने का गम न हो ,पर वो एक गुमनामी की मौत मरने जा रहा था ,जहा उसके मरने के बाद भी किसी को अहसास तक नही होता कि शिवा अब जिंदा भी नही है ,आज शिवा ने सुनीता ज्वाला निता किसी के पास नही गया ,अपने कमरे में अकेला लेटा आंखों में आसु लिये अपनी गम में डूबा था ,तभी उसके आंखों को किसीके नाजुक हातो ने पोछकर उसे अपने सीने से लगा लिया यह नेत्रा थी जो शिवा के दर्द से तड़प कर उसके कमरे में आ गयी थी ,केतकी भी बेड के पास खड़ी थी और आज मंदा भी धरती पर आ गयी थी ,शिवा के पीछे ,उसके सबसे बडी चाहने वाली तीनो प्रेमिका उसे प्यार से चुप करती रही ,तीनो को शिवा किस बात से दुखी है यह तो नही पता चला था ,पर उसके गम का कारण उस ना पूछती किसी बच्चे की तरह वो शिवा को लेकर उसके बेड पर बैठी रही थी ,मंदा को छुकर ही उसके बारे में नेत्रा सब जान गई थी ,तीनो की प्यार की छावं में शिवा कब सो गया ये उसे भी पता नही चला ,
केतकी नेत्रा के मन मे बोली ,तुम कुछ पता चला कि शिवा आज इतना क्यों दुखी है ,एक बार शिवा बलिलोक में भी कुछ दिन उदास था ,पर वहां उसके कभी आसु नही आये थे ,
नेत्रा, नही केतकी शिवा के मन की ताकद बहुत ज्यादा है में उसके मन को पूरा नही पढ़ सकती ,जरूर कुछ ऐसी बात है जो शिवा हम सबसे छुपा रहा है ,आज सुबह भी उसकी आँखों मे आसु थे ,जिसकी वजह वो बता अलग रहा था पर वो वजह थी नही उसके रोने की ,मंदा तुम्हारे साथ तो शिवा 50 दिन रहा ,तुम्हे कुछ पता चला ,
( तीनो एक दूसरे के मन मे बाते कर रही है )
मंदा ,नही नेत्रा शिवा सर्पलोक में आकर आज आपकी सुबह की मुलाकात की बात बताकर ,और सिहलोक कि सारी कहानी को बताया ,मेंनें बहुत बार उनसे सच जानना चाहा पर उन्होंने कुछ नही बताया
तीनो काफी देर तक बाते करती रही मंदा 3 बजे सर्पलोक वापिस लौट गयी ,केतकी और नेत्रा शिवा के दोनो साइड से उसे अपने बाहो में भरकर सो गयी ,दोनो के सोने के बाद शिवा ने अपनी आंखें खोल ली ,में खुद को इतना कमजोर नही कर सकता ,मेरे साथ कुछ भी हो जाये आज के बाद में कभी आसु नही बहने दूँगा ,पहले से सबको मेरे वजह से बहुत कुछ बर्दाशत करना पड़ता है ,बिचारी मंदा मेरे छोटे बच्चे को छोड़ कर मेरे पीछे धरती पर आ गयी ,मुझे खुद को मरना पड़े तो भी चलेगा पर में कभी किसी पर गम का साया भी नही आने दूँगा , शिवा केतकी और नेत्रा को अपने बाहो में भरकर फिर अपनी आंखें बंद करके सो गया ।
Lovely update bhai
 
1,445
3,069
159
शानदार अपडेट है । शिवा का सामना अब भुजंग से है जो शिवा से भी ज्यादा शक्तिशाली है देखते है शिवा कैसे सामना करेगा भुजंग का । अगले अपडेट का बेसब्री से इंतजार रहेगा
 

Nevil singh

Well-Known Member
21,150
53,000
173
Update 90
शिवा की नींद खुली तब सुबह के 8 बज चुके थे ,बहुत दिनों बाद शिवा इतनी देर तक सोया था ,अपने आप को आधे घण्टे में तैयार करके हॉल में आ गया ,सब लोगो का चाय नाश्ता हो चुका था ,काल ने सबको यही बताया था कि शिवा देर रात तक पढाई कर रहा था ,वो आज थोड़ा देर से आएगा ,जिसकी वजह से ज्यादा किसी ने इस बात पर ध्यान नही दिया ,शिवा ने जल्दी से नाश्ता करके सबको कॉलेज जाने का बोलकर निकल गया ,उसने नेत्रा और केतकी को मन मे कह दिया कि वो अब ठीक है ,शिवाने अपने प्रतिरूप को कॉलेज भेज दिया अपनी बाइक पर और खुद भवानीगढ़ पहुच गया ,आज वो सर्पिणी और विशाखा से मिलने आया था ,भवानी गढ़ के जंगलों में उसने सर्पिणी और विशाखा को बारी बारी समयमनी में 12 घण्टे का बिताए दोनो की चुत की आग जो 5 दिन से काल के लन्ड से न चुदने से लगी थी ,उसे बुझाया ,फिर सिंहाली और मिहाली को एक साथ उसने समयमनी में चोदकर खुश कर दिया ,सिहलोक में तो काल तीनो मा बेटियो को एक साथ चोदा करता था ,11 बजे तक उन चारों को खुश करके वो सर्पलोक पहुँच गया वहा मंदा के साथ 5 दिन बिताकर 1 घण्टा असुरलोग जाकर माया और उसकी दोनो बेटीयो की नाराजगी अपने बड़े लन्ड से मिटाकर बुझाकर उन्हें समयमनी में 24 घण्टे चोद चोद कर खुश करता रहा ,आज शिवाने अपना पूरा दिन पाताल लोक ,अश्वलोक ,सिहलोक में बिताया अपने सब बच्चों से मिलकर काल भी आज बहुत खुश हो गया था ,सिहलोक के सब बच्चे अब जवान हो गए थे ,अपने महानाग ,कालअश्व और काल सिंह से सिख कर वो हर युद्धकला में निपुण हो गए थे ,काल के सभी प्रति रूपो ने नागदन्ती ,नमी ,दमी और सिहलोक कि शेरनियों से मिलकर अपनी संख्या नए बच्चों को जन्म देकर अच्छी खासी बढा ली थी ,नागदन्ती और शेरनियां की सन्तान आपस मे ही शादी कर चुके थे जब काल सिहलोक आया था तब ,सिंहाली और मिहाली को कालने सिहलोक बुलवाकर अपने चारों बेटो और महारानी उमा से हुवे 2 बेटो की शादी बाली की 6 बेटीयो से करवा दी ,सिहलोक में सिर्फ मा बेटा,और बाप बेटी आपसे में शादी या संभोग नहीं करते ,बाकी वहां सगे भाई बहन आपसे में शादी कर सकते थे ,महारानी उमा की दो बेटियों ने भी सिंहाली और मिहाली के बड़े बेटो से शादी कर ली थी ,कुछ ही दिन में सिहलोक में संख्या बहुत बढ़ने वाली थी ,तब महारानी उमा ने काल को बता दिया कि सिहलोक की संख्या करोड़ो नही अरबो में हो गयी तब भी सिहलोक में आराम से रह सकते है ,सिहलोक में जितनी आबादी होती है उतना बड़ा वो बन जाता है ,यहा के सभी सिहमानव शाकाहरी भोजन करते थे ,जो वहां हमेशा जादू से बन जाता था ,शिवा रात के खाने पर ही घर लौटा था ,शिवा जब अभी धरती पर नही होता तो उसका प्रतिरूप सही समय पर घर आकर शिवा की कमी खलने नही देता था ,शिवाने खाना खाकर नेत्रा और केतकी को बता दिया कि आज वो गरुड़ लोक जाने वाला है ,तो वो सुबह तक आ जायेगा गरुड़ लोक से ,सुनीता, ज्वाला और निता के पास न जाते हुवे आज 11 बजे ही वो भवानीगढ़ के मन्दिर पहुँच गया था ,काल ने आकाश में देखकर लामी और कामी क्या तुम दोनो मेरे साथ गरुड़ लोक चलोगी या में अकेला ही चला जाऊं ,काल के इतना कहते ही दोनो उसके मानवरूप सामने प्रकट हो गई ,
लामी और कामी ,हम कलसे आपकी प्रतीक्षा कर रहे है काल ,आप हम दोनो के एक हाथ को पकड़ लीजिये ,
काल ने जैसे ही उन दोनों के हाथ पकड़े दोनो उसे लेकर गरुड़ लोक में एक पल में ही लेकर आ गई ,काल गरुड़ लोक को देख रहा था ,सिहलोक की तरह ही यह भी बहुत विशाल और भव्य लग रहा था ,यहा पर सभी का कद मनुष्य के समान ही था ,बस गरुड़ रूप में उनका आकर अतिविशाल हो जाता था ,लामी और कामी कद में 6 फिट की सुंदर सी लडकिया दिख रही थी ,पर उनके नाक एकदम सुंदर और अनोखी चमक से अलग ही दिखती थी ,दोनो की आंखों में मानो किसी हीरे जैसा तेज था ,लामी की आंखे एकदम गहरी नीली थी ,तो कामी की एकदम हरी ,दोनो में बस आंखों के रंगों का फरक को छोड़ दे तो कोई भी अंतर नही था ,
लामी ,काल आपको हम सीधा राजगुरुं ओमी के पास लेकर चलते है ,उन्होंने कहा था कि आप के आने पर आपको सीधा उनके पास ही लेकर आना है ,
काल ,चलिये जैसा आप कहे ,काल ने सोच लिया था कि इस बार वो सिंहलोक में की हुवीं गलती यहा बिल्कुल नही करेगा ,वह सबके साथ आदर और सम्मान से ही बात करेगा,
दोनो बहने काल को लेकर एक बहुत ही विशाल मन्दिर के सामने लेकर आयीं ,काल यह है हमारा मन्दिर और राजगुरुं इसीमे रहतीं है ,काल को लेकर दोनो उस मन्दिर में पहुच गयी जहा पर एक ब्रम्हाजी की मूर्ति रखी हुवीं थी और उसके आगे एक लाल कपड़ो में बहुत ही तेजस्वी औरत बैठी हुवीं थी ,काल ने पहले ब्रम्हा जी के मूर्ति को नमन किया,फिर बाद में जैसे ही वो राजगुरुं वामी के पैर छूने झुका वो झटसे अपनी जगह से उठकर खड़ी हो गई और गुस्से में बोली, आप यह कैसा पाप कर रहे ,आपको ऐसा करते शोभा नही देता ,
काल अपने मन मे ,साला अब मेंनें क्या पाप कर दिया ,में तो इसके पैर ही तो पड़ने वाला था ,कही यह कुछ गलत तो नही समझ गई ,बेटा काल तेरी किस्मत ही गांडू है ,
लामी और कामी पेट पकड़ कर हस रही थी और राजगुरुं ओमी गुस्से से और लाल हो गयी थी ,दोनो काल के पास हसते हुवे आकर बोली ,आप डरिये मत काल सिहलोक जैसा आपके साथ यहाँ कुछ नही होगा ,हम सबको पता है सिहलोक में आपके साथ राजगुरुं बाली ने क्या किया था और उनको क्या सजा मिली थी सिंहाली और मिहाली से ,
काल अपने मन मे ,राजगुरुं ओमी की कोई गलती नही है इसमें मेरे हवस के चलते ही बेचारी मुझसे डर गई होगी ,उसे लगा होगा कि कही में उनकी साड़ी तो नही ,,,,,,,,,,,,,
लामी ,काल राजगुरुं ओमी हम दोनो से उम्र में छोटी है ,और सिहलोक कि तरह ही आपकी गरुड़ लोक हम सब आपकी पत्निया ही बनने वाली है ,इसी वजह से वो शर्मा कर आपसे ऐसे बात कर बैठी थी, यहा कोई भी पत्नी अपने पति को अपने पैरों को नही स्पर्श करने देतीं है ,
काल मन मे चलो इस बार में ही गलत कर बैठा था ,पर यहा पर भी में राजगुरुं को नाराज कर बैठा अपनी हरकत से
राजगुरुं ओमी ,काल आप हमारी बातो का बुरा मत मानना, हमारे मुह से आपके लिये ऐसी बाते निकल गई ,
काल,राजगुरुं इसमें मेरी भी गलती है ,आप सब भूल जाइये जो हुवा था अभी और बोलिये आपने मुझे यहा पर क्यो बुलाया है
ओमी ,काल आप के पास सिंहार की ताकद आ गई है जो सबसे अच्छी बात है ,आपको इस लड़ाई में सिंहार की शक्ति बहुत काम आने वाली है ,आप को और कुछ ऐसी शक्तियो की जरूरत पड़ने वाली है जो सिंहार जैसी ही दिव्य और अनोखी हो ,आपके पास नीलमणि की शिवशक्ति है ,सिंहार की विष्णु शक्ति ,आपको अब जरूरत पड़ेगी ब्रह्म शक्ति की और उसीके साथ इन तीनो शक्तियो को एक करने वाली शक्ति की ,जो आपके एक महीना जो धरती के हिसाब से हो सकता है लग सकता है या गरुड़लोक के हिसाब से हजारो साल ,मुझे त्रिदेवो ने ऐसी अद्भुत दिव्य दृष्टी दी है जिससे में कौनसे लोक में किसके पास कोनसी दिव्य शक्ति है ,और कौनसी दिव्य शक्तियों का मालिक अभी तक कोई भी नही बना यह यही बैठकर देख सकती हूं ,आप को भुजंग को कमजोर नही समंझना चाहिये ,उसके पास त्रिदेवो के तीनों सबसे घातक अस्त्र है जिसकी मदद से वो आपको तीन बार आसानी से तीन बार तक मार सकता है ,उसने तीनो मा पार्वती ,मा लक्ष्मी ,मा सरस्वती की घोर तपश्चर्या करके उनकी भी दिव्य शक्तिया हासिल कर ली है ,जिसका ज्ञान ना मुझे है ना किसी और को ,जिस वजह से भुजंग एक अजेय योद्धा बन चुका है ,उसने अपनी आयु बाकी राक्षस की तरह भोग विलास में नही बल्कि तप और साधना में निकाली है ,वो अबतक का सबसे घातक और चालाक असुर है ,जिसने कभी अमर होने का वरदान नही मांगा ,उसने अपनी साधना के दम पर ही खुद की आयु अमर्याद कर ली है ,तुम्हे हर शक्ति अपने नसीब और बहादुरी ,नेक दिल होने से मिली है ,पर भुजंग को तप और साधना करने पर शक्तिया मिली है ,जिसकी ताकद हमेशा ज्यादा होती है ,सब राक्षसों ने कोई पाप करके अपने मृत्यु को बुलावा दिया है पर भुजंग ने अब तक कोई भी पाप या दुष्कर्म नही किया है ,यहा तक सिहलोक के राजा सिम्बा ने नही बल्कि उसके बेटे गोलम ने मारा था भुजंग का रूप लेकर ,गोलम भुजंग की एक बडी ताकद है जो हर बुरा काम करती है ,तुम्हे गोलम और उससे भी बलवान 1000 भुजंग के बेटो का सामना करना है ,उसके 900 बेटे अभी इतने बलवान और दिव्य शक्तियों के मालिक है कि वह तुम्हे आसानी से मार सकते है ,तुम्हारी सिंहार शक्ति का काट उन सबके पास एक त्रिदेवो के दिये हुवे अस्त्रों के रूप में है ,एक बाद हमेशा याद रखना की जब तुम पर कोई भी त्रिदेवो से प्राप्त अस्त्र चलायेगा ,तुम्हारा कोई भी कवच या शक्ति तुम्हे नही बचा सकती ,तुम उसके बेटो से जीतकर ही भुजंग तक पहुच सकते हो ,जो कि एक असम्भव कार्य होगा तुम्हारे लिये ,यह अबतक कि सबसे कठिन और असंभव परीक्षा है ,जिसके लिये तुम्हे अपने बल का नही बुद्धि का उपयोग करना होगा ,तुम्हे ऐसी शक्तिया ढूंढनी होगी जो किसिने अभी तक सोची नही होगी ,में इस काम मे तुम्हारी मदद करूंगी ,भवानीगढ़ के मन्दिर की दिव्य शक्तिं के परीक्षा में तुम्हे हर हाल में जितना होगा ,नही तो यह शक्ति भुजंग की हो जायेगी ,तुम भुजंग पर कोई भी शक्ति इस्तेमाल नही कर पाओगे इसकी सबसे बड़ी वजह है भुजंग एक पुण्यवान राक्षस है ,उसे ना तुम कभी मन्दिर में जाने से रोक सकते हो ना ,मन्दिर के रक्षक ,
काल ,राजगुरुं ओमी आप चिंता न करे ,में कोई न कोई रास्ता निकाल ही लूंगा इस भुजंग और इसके बेटो को मिटाने का ,पर भुजंग अगर पुण्यवान है तो उसके साथ लड़ने का क्या फायदा ,अगर उसे मन्दिर के चमत्कारी पत्थर की ताकद मिल भी गई तो वो कभी उनका गलत इस्तेमाल नही करेगा ना,उसके पास त्रिदेवो की शक्तियां है ,तीनो माता से भी शक्तिया मिली है तो उसके मन मे कोई कपट होता तो वो उनके इस्तेमाल से भी तो सबको नुकसान पहुंचा सकता था न ,
ओमी ,काल उसने अपने मन को त्रिदेवो के अलावा कोई भी न जान सके ऐसा भी वरदान पा लिया है ,और पिछले 1000 वर्षों से उसने फिर घोर तपस्चर्या प्रारंभ की है जिसके सफल होने पर वो क्या माँगता है ,इसका कुछ भी पता नही है ,वो सब क्यो कर रहा है इसकी वजह वही जानता है ,उसके विचार कभी नेक नही थे ,बस वो पुण्य का संचय त्रिदेवो से मरने के डर से कर रहा है ,भुजंग ऐसा छल कर रहा है जिसे तोड़ना किसी के लिये सम्भव नही होगा ,
काल बहुत देर तक कुछ सोचता रहा और बोला ,चलिये हम इस लड़ाई को कभी नही जीत सकते ऐसा मानकर ही इसमें उतरेंगे अब ,पराभव के साथ मौत भी होगी यह तो अब पक्का है ,पर में मरने से पहले भुजंग के सभी बेटों को मारकर ही मरूंगा ,और भुजंग कितना भी शातिर क्यो न हो उसके पुण्य के ढोंग को भी खत्म कर दूँगा मरने से पहले, ,अच्छा हुवा आपने मुझे यह सब बता दिया अब में एक राक्षस बनकर हीं इस पुण्यवान राक्षस से भिड़ने वाला हु ,
यह सब बातें तीन लोग मिलकर सुन रहे थे ,जिसे सुनकर वो अति प्रसन्न हो रहे थे ,
पहली व्यक्ति ,आप ने शिवा की बाते सुनी ,मुझे लगता है भुजंग के सामने यही सही होगा ,
दूसरा व्यक्ति ,आप बहुत जल्दी यह बात कर रहे है ,अभी शिवा जोश में है ,लेकिन जल्द उसके सामने चुनौतियों शुरू होगी ,तब समज में आएगा कि वो काबिल है या नही
पहला व्यक्ति तीसरे ,आप हम दोनो की बात सुनकर कुछ बोल भी नही रहे है बस मुस्कुरा रहे है ,इस खेल के असली करता धर्ता तो आप खुद है ,जरा हम दोनो में यह तो बता दीजिए हम दोनो में सही कौन है और कौन गलत ,
तीसरा व्यक्ति ,आप दोनो सब जानते है फिर भी मुझसे सवाल कर रहे है ,आप दोनो सही है ,यह कलियुग है यहा भगवान नही राक्षस पूजे जाते है और इसमें भी राक्षस ही जितने वाले है ,हम तीनों इसमें नही भाग ले सकते ,यह खेल शुरू हमने किया है पर इसे खत्म नियति करेगी ,जिसकी सोच सही होगी वही जीतेगा यह जान लीजिये बस ।
Jabardast update bhai
 
Top