Update 91
काल ने ओमी से पूछा ,आप बताइए मुझे आपके हिसाब से पहले क्या करना है ,
ओमी ,काल हमारे गरुड़ लोक की दो चीजें भुजंग के बेटे भोकाल के पास है ,जिसने एक बार गरुड़ लोक के महाराज मोशा के साथ हुवे युद्ध के दरम्यान उन्हें मारकर उनसे छीन ली थी ,सबसे पहले तुमको उन्ही दो चीजो को हासिल करना है ,भोकाल अभी इस समय राक्षस लोक में नही बल्कि पाताल के दैत्यलोक में है ,तुम्हे उसे मारकर या किसी दूसरे तरीके से उन दो चीजो को गरुड़ लोक में लाना होगा ,
काल ,आप अगर बता सकती है वो दो चीजें कोनसी है ,जो भोकाल से प्राप्त करनी है मुझे तो आसानी होगी
ओमी ,काल आप को भोकाल के पास से हमारे गरुड़ लोक का आत्मामनी और समय दर्पण है ,ये दोनो उसने अपने पिता को तोहफे में देने के लिये ही रखे है , भुजंग जब अपनी तपश्चर्या से वापिस आयेगा तब उसको यह दोनो चीजे देकर वो खुश करना चाहता है ,भोकाल को इन दोनों की खासियत या इस्तेमाल का तरीका नही पता ,इन दोनों चीजो को सिर्फ एक गरुड़लोक का राजा ही इस्तेमाल कर सकता है ,भोकाल को मालूम है जिस वस्तुओं को वह खुद इतना शक्तिशाली होकर समझ नही समझ पा रहा है वो कितनी खास और अमूल्य होगी ,और ऐसी वस्तुओं को जब वो अपने पिता को देगा तो वो कितना खुश होंगे उसपर इसी लिये उसने उन दोनों को अअगर यह दोनो चीजे तुम्हारे पास आ जाये तो तुम्हारी बहुत सी मुश्किल कम होगी ,आत्मा मनी के अंदर तुम अपनी आत्मा का एक अंश रखकर तुम उसे कही सुरक्षित रख कर किसी के साथ भी युद्ध करोगे तो वो तुम कभी नही मार सकेगा ,जब तक तुम्हारी आत्मा का अंश आत्मामनी में रहेगा कोई तुम्हे मार नही पायेगा ,यह आत्मा मनी खास हम गरुडो के लिये बनाई गई थी ,हम देवताओं के वाहन थे ,युद्ध मे हम पर सवार होकर ही देवता युद्ध करते थे ,अगर युद्ध मे हमपर कोई वार करता तो उसपर सवार देवताओं को हानी पोहचना आसान हो जाता ,इसी वजह से ब्रम्हाजी ने यह आत्मा मनी का निर्माण हमारे लिये किया था ,जिसकी वजह से हम युद्ध के दौरान अपनी आत्मा का अंश उसमे रख कर जब भी लड़ाई में देवताओं की मदद करने जाते तब हमें कोई भी नही मार पाता था ,हमारी इसी ताकद की मदद से हमने बहुत बार देवताओं को बहुत से युद्ध मे जीत दिलाई है ,समयदर्पन कि मदद से हम किसी भी समय मे जा सकते है ,भूतकाल या भविष्यकाल में हम समयदर्पन से जा सकते है ,समय दर्पण से हम हजारो वर्ष रहकर भी ना मर सकते है ना हमे कोई मार सकता है ,त्रिशक्तियो की शक्ति भी हमे नही मार सकती समय दर्पण में ,तुम अपनी पूरी ताकद और शक्तियो का उपयोग इस समयदर्पण में कर सकते हो ,कोई भी कार्य हम जिस तरह वास्तविक दुनिया मे कर सकते है वो तुम समयदर्पन में भी कर सकतें हो ,समयदर्पन में भले ही तुम हजारो वर्ष जाकर बिता दो पर जब तुम समयदर्पन से वापिस आ जाओगे तब उसी समय पर वापिस आ जाओगे ,इसका मतलब है समयदर्पन में हजारो साल बिताकर भी तुम अपने वापिस वास्तविक काल में सिर्फ एक सेकंड का समय बिता चुके होंगे ,यह समयदर्पन ऐसा दिव्य अस्त्र है जिसका उपयोग किसी ने भी नही किया है ,इस समयदर्पन का निर्माण त्रिशक्तियो ने देवताओं को जब विशेष शस्त्र बनाते वक्त किया था ,पर उन्होंने इस समयदर्पन को किसी के हाथ मे नही दिया ,इसको गरुड़ लोक में सुरक्षित रख दिया था ,गरुड़ लोक के राजा को उन्होंने इस समयदर्पन का मालिक बनाकर भी कभी गरुड़ लोक के राजा ने इसका इस्तेमाल नही किया ,तुम्हे एक बात और बता दु जो कोई आत्मा मनी और समय दर्पण के साथ गरुड़ लोक में आकर राजा के सिंहासन पर आकर बैठ जाएगा वो गरुड़ लोक का राजा बन जायेगा ,उसमे गरुड़ लोक के राजा की सभी शक्तिया आ जायेगी ,गरुड़ लोक में ब्रम्हाजी का लगाया कवच जिसे कोई भी नही तोड़ सकता पर अगर कोई आत्मा मनी और समय दर्पण के साथ गरुड़ लोक में आने की कोशिश करेगा तो वो रचनाकार जी के कवच को आसानी से पार कर लेगा ,सोचो अगर भुजंग के हाथ ऐसी चीजें आ गयी या उसे इस सबका पता चला तो वो क्या नही कर सकता ,वो खुद या उसके किसी बेटे को गरुड़ लोक का राजा बनाकर वो दुनिया का मालिक बन सकता है ,तुमको हर हाल में इन दो चीजो को हासिल करना होगा ,
काल ,ओमी तुम चिंता न करो में भोकाल से इन दोनों को चीजो को निकाल कर रहूंगा ,दैत्यलोक का समय कैसा है धरती के हिसाब से
ओमी ,काल दैत्यलोक मे 15 दिन का मतलब धरती का एक घण्टा होता है ,
काल ने उन तीनों की विदा लेकर सीधा दैत्यलोक के प्रवेशद्वार पर पहुंच गया ,जहा एक असुर के रूप में वह पहुच गया था ,उसे जब प्रवेश द्वार पर टोका गया तो उसने बताया कि वो युवराज कनक का सिपाही है जो एक खास सन्देश लेकर आया है राजकुमार् भोकाल के लिये ,लेकिन वो काल को दैत्यलोक में जाने ही नही दे रहे थे ,उन्होंने काल के गले पर तलवार रख कर उसे यहा से जाने के लिए कह दिया, उनको यकीन दिलाने के लिये काल ने उनको दो राक्षस मुद्रा दिखाई जो डोंमासुर और गामासुर कि थी ,उन दैत्यलोक के सिपाहियों ने जब राक्षस मुद्रा देखी तो काल को पूछा कोन हो तुम ,और क्या नाम है तुम्हारा ,और तुम एक असुर होकर यह राक्षस मुद्रा लेकर हमे दिखा रहे हो
काल बोला ,मेरा नाम भोगासुर है ,में डरलोक का असुर हु ,मुझे युवराज कनक की सेना की टुकड़ी की खबर निकलाने के लिये ,भेजा था जो उन्होंने सोमलोक में भेजी थी ,किसी खास काम के लिये ,युवराज कनक डरलोक इसी काम के लिये आये थे पर उन्हें राक्षस लोक में कुछ जरूरी काम से तुरंत वापिस जाना पड़ा था , इसीलिए वो यह काम मुझे देकर गये थे ,कुछ गड़बड़ होने पर उन्होंने तात्काल राजकुमार भोकाल से मिलने कहा था ,इसीलिए में यहा आया था ,पर लगता है आप को मेरा यकीन नही आ रहा है ,में राक्षसलोक चला जाता हूं फिर ,आपने मुझे राजकुमार् भोकाल से मिलने नही दिया यह बात उनको में बता दूँगा
काल की बाते सुनकर सब दैत्य सैनिकों की फट गई ,युवराज कनक कितना बेरहम है सबको पता था ,उसके आदमी ने अगर उसे जाकर कुछ उनके बारे में कुछ उल्टा सीधा बता दिया तो लेने के देने पड़ जाएंगे उन सबके ,वो काल को बोले ,देखो भाई हम हमारा काम कर रहे थे महाराज का आदेश था कि जब तक राजकुमार भोकाल यहा पर है किसी को भी दैत्यलोक में अंदर नही आने देना है ,पर तुम तो युवराज कनक के असुर है ,हम बस तुमसे पूछताछ कर रहे थे ,ताकि तुम हमे कोई धोका तो नही दे रहे ,तुम अंदर जा सकते हो वैसे भी तुम्हारे पास दो खास राक्षस मुद्रा है जिसकी वजह से हमें अब तुमपर कोई शंका नही है ,बस युवराज कनक से आप यहा पर जो अभी हुवा उसका कोई जिक्र न करे ,नही तो वो हम सबको जिंदा नही छोडेंगे ,हम तुम्हारी माफी मांगते है ,वैसे तुम्हारा नाम क्या है ,
काल ,जी मेरा नाम भोकासुर है
सब सिपाही नाम सुनकर हसने लगे, एक ने कहा ,बड़ा अजीब नाम है तुम्हारा है ,माफ़ करना पहली बार ऐसा नाम सुना है हम लोगो ने इसलिये हस रहे है ,
भोकासुर ,जी इसमें कोई बड़ी बात नही है ,हम सभी भाइयो के नाम ऐसे ही है
सिपाही ,क्या नाम है तुम्हारे भाइयो के
भोकासुर ,जी मेरे भाइयो के नाम भोगासुर ,ठोकासुर ,टोलासुर ,और लौड़ासुर है ,पांच भाई है हम
सभी सिपाही जोर जोरसे हसने लगे ,उन्होंने भोकासुर को दैत्य लोक में आराम से जाने दिया ,और उसे कोई परेशानी न हो इसलिए एक सिपाही उसके साथ चला आया जो सीधा उसे राजकुमार् भोकाल के पास पहुंचा सके ,
सिपाही ,बड़े अजीब नाम है तुम्हारे भाइयों के ,तुम्हारे पिता का नाम क्या है वैसे
भोकासुर ,जी उनका नाम चोदासुर था
सिपाही हसकर बोला बड़े ही मजेदार नाम है तुम सबके चलो में तुम्हे महल के सिपाहियों तक छोड़ दूंगा वो तुम्हे राजकुमार भोकाल तक ले जाएंगे
भोकासुर को उस सिपाही ने महल में लाकर वहां के सिपाहियों को उसके बारे में सब बता दिया ,भोकासुर को वहाँ छोड़कर चला गया ,भोकासुर को एक जगह खड़े करने के बाद एक ने कहा ,हम राजकुमार भोकाल के पास जाकर उनसे पुछकर आते है ,अगर उन्होंने अभी मिलने को बुलाया तो ठीक ,नही तो तुम्हें यही रुकना होगा ,जब उनकी मर्जी होगी वो तुमसे मिल लेंगे ,एक तो उनके पास जाने को सब डरते है ,कब वो किसी को मार दे पता नही चलता ,पता नही अभी वो किस मिजाज में है ,भोकासुर की किस्मत अच्छी निकली उसे भोकाल के पास बुलाया गया ,जब वह भोकाल के कमरे में पहुंचा तो उसने आदर से झुककर पहले भोकाल को सलाम किया ,जिसकी वजह से भोकाल को अभी अच्छा लगा ,उसने अपनी रौबदार आवाज में पूछा ,असुर किस लिये मिलना चाहते हो तुम हमसे और तुम कनक का नाम लेकर आये हो इसलिए मेंनें तुम्हे अभी दिया ,बोलो क्या बात है ,
भोकासुर ,राजकुमार्,मेरा नाम भोकासुर है , में युवराज के आदेश पर सोमलोक गया था ,वहां पर उन्होंने सेनापति गोमासूर और डोंमासुर के साथ एक टुकड़ी भेजी थी ,में जब वहां गया तो पता चला कि बलिलोक के राजा ने हमारी पूरी सेना को मार दिया है ,हमारा कोई भी राक्षस या असुर जीवित नही छोड़ा उन लोगो ने ,मुझे युवराज कनक ने कहा था कि वो किसी खास काम से राक्षस लोक जा रहे है ,सोमलोक में अगर कुछ गड़बड़ हुवीं तो उन्होंने मुझे आपसे मिलने को कहा था ,यह रही हमारे सेनापति की राक्षस मुद्रा ,
भोकाल सब सुनकर भड़क गया वो बोला ,किसी की इतनी हिम्मत हो गयी जिसने हमारी सेना की टुकड़ी को मार डाला ,क्या नाम है बलिलोक के राजा का
भोकासुर ,राजकुमार् में नही जानते उनके बारे में कुछ ,सोमलोक से मुझे बस इतना ही पता चला है कोई नया राजा बना है अभी बलिलोक का ,उसने अकेले ने हमारी सेना को मार दिया और सोमलोक के राजा हेमकेतु को भी मार दिया है उसने ,
भोकाल ,तुमने यह बहुत अच्छा काम किया है भोकासुर जो मेरे पास चले आये ,कितने वर्षों से किसी को तड़पा कर मारा नही है मेंनें ,आज मेरे हाथ की खुजली भी मिट जाएगी
भोकाल ने एक सैनिक को तुरंत दैत्यलोक के राजा चीमा को बुलाकर लाने को कहा ,चीमा भी दौड़ता हुवा भोकाल के सामने आ गया ,भोकाल ने उसे कहा ,सुन चीमा फौरन अपनी सेना को तैयार कर हमें बलिलोक पर आज ही आक्रमण करना है ,चीमा दैत्यलोक का राजा होकर भी भोकाल के सामने उसकी औकात एक कुते से ज्यादा नही थी ,बिना किसी सवाल के उसने भोकाल की बात मानकर अपनी सेना को तैयार करने चला गया ,
भोकासुर, राजकुमार भोकाल अगर आपकी आज्ञा हो तो में आपसे कुछ कहना चाहता हु , भोकासुर ने चीमा के जाने के बाद भोकाल से कहा जो बलिलोक जाने की लिये तैयार हो रहा था ,उसने थोड़े गुस्से में ही कहा ,बोलो क्या कहना है
भोकासुर ,मेंनें एक खास बात सुनी ही बलिलोक के राजा के बारे में सोमलोक के लोगो से
भोकाल ,क्या सुना तुमने उसके बारे में
भोकासुर ,राजकुमार मेंनें सुना है कि उसने किसी गरुड़ मानव को मारकर कुछ दिव्य हथियार हासिल किया है ,जिसकी वजह से उस पर किसी वार का असर नही होता ,हमारी सेना के राक्षस और असुर इतने ताक़दवर होकर भी उसे एक खरोच तक नहीं कर सके थे ,
भोकाल ने जब यह सुना तो उसके मन भी गरुड़ लोक के महाराज को मारकर हासिल की दो चीजो की बात आ गई उसने उन दो चीजो को एक बार भोकासुर के सामने ही निकल कर देख लिया ,भोकासुर को तो यहीं चाहिए था कि उसने वो चीजे कहा रखी है उसका पता चल जाये फिर उसके पास से उन दोनों को कैसे हासिल करना है यह बात उसे पता थी , दिमाग लगाकर उसने यह बात जान ली थी ,भोकाल उन दोनों को अपने पास ही रखता था ,
कुछ ही देर में भोकाल एक विशाल दैत्यलोक की सेना लेकर बलिलोक की और निकल पड़ा था ,सारे मायावी दैत्य को लेकर कुछ ही देर में बलिलोक के बाहर पहुँच गया था ,जहा उसके स्वागत के लिये कालभेड़िया के कुछ प्रतिरूप खड़े थे ,उसके साथ मोगा और 1000 मोगा की सेना के विशाल भेड़ियेमानव थे ,भोकासुर ने दैत्यलोक से भोकाल के निकलने के पहले ही बलिलोक से कालीनागिनो, अपने सभी बच्चे ,महानाग और कालभेडिया को मानसिक संपर्क करके सब बताकर सिहलोक भेज दिया था ,भोकाल के सामने बस कालभेड़िया के प्रतिरूप और मोगा के साथ उसकी सेना थी जो कभी नही मरती थी ,भोकासुर ने सब को इस युद्ध से दूर ही रखा था ,वो भोकाल की ताकद को कम आककर सबकी जान खतरे में नही डाल सकता था ,
भोकाल के साथ सभी दैत्यलोक की सेना इतने विशाल भेडियमानव देख कर हैरान थे ,उन्होंने आज तक इतने विशाल भेडियमानव नही देखे थे ,लेकिन भोकाल उन्हें देखकर खुश था उसे अपनी ताकद परखने का अच्छा मौका मिल गया था आज ,भोकाल ने सब भेडियमानव को देखकर पूछा ,कोंन है तुम सब जानवरो का राजा जिसने मेरी सेना को मारने की हिम्मत की है ,
मोगा जो 200 फिट का सब भेडियमानव मे छोटासा दिखता था ,वो सामने आकर बोला ,बोल कुते क्यो भोक रहा है ,मेंनें मारा था तेरी सेना को ,बोल क्या उखाड़ लेगा मेरा तू ,भाग जा यहा से वरना तुझे नंगा करके तेरी सबके सामने गांण्ड मारूंगा नही तो ,
भोकाल से ऐसी बात किसी ने नही की थी ,सारी दैत्यलोक के सेना के सामने अपना ऐसा अपमान होने पर उसने एक घातक शक्ति से मोगा पर वार कर दिया ,मोगा की एक पल में ही जलकर मौत हो गयी थी ,जिसे देखकर भोकाल जोर जोर से हसने लगा था ,पर कुछ देर में ही उसके सामने 100 मोगा खड़े हो गए जो सबके सब 2000 फिट से लंबे तगडे थे ,भोकाल भी हैरत में पड़ गया ,उसने फौरन उन 100 मोगा पर एक साथ वार कर दिया ,पर इस बार मोगा का बाल भी बाका नही हो सका ,मोगा की शक्तिया भी अब 100 गुना बढ़ गयी थी ,मोगा के सभी रूप जोर जोर से हँसकर भोकाल को चिढ़ाने लगे ,भोकाल ने अब गुस्से में भड़क कर मोगा के रूपो को खत्म करने के पीछे पड़ गया था ,उसने अपनी सभी शक्तिया का प्रयोग कर लिया था पर कोई भी शक्ति मोगा को खत्म नही कर पा रही थी इस बीच भेड़ियेमानव दैत्यलोक की सेना पर टूट पड़े थे ,उन्होंने पूरी सेना में भगदड़ मचा दी थी ,दैत्यलोक के सेना जब किसी भेडियमानव को मारती तो उसके भी 100 भेडियमानव बन जाते जो पहले से 100 गुना ताक़दवर और विशाल थे ,1000 भेडियमानव कब लाख में बदल गए पता ही नही चल रहा था ,भेडियमानव ने सारी दैत्यलोक की सेना मार दी थी ,बस भोकाल ही बच गया था उन सब मे ,जो अब 1000 मोगा के रूपो से लड़ रहा था ,जो अब उसके लिये बहुत ज्यादा भारी पड़ गए थे ,भोकासुर ने सारी दैत्यलोक की सेना के मरने के बाद सब भेडियमानव को ,कालभेड़िया के प्रतिरूप के साथ सिहलोक भेज दिया था जिसमे मोगा के 100 रूप भी चुपके से शामिल हो गए थे ,भोकासुर खुद को जख्मी बनाकर मैदान में पड़ा सब मजा देख रहा था ,उसे पता था भोकाल के पास एक त्रिशक्तियो का दिया हुवा एक कोई दिव्य शक्ति है ,जो मोगा पर आखरी वक्क्त में इस्तेमाल जरूर करेगा ,इसलिए भोकासुर मोगा के रूपो को धीरे धीरे वहाँसे कम कर रहा था ,भोकाल को भी मोगा ने बहुत चोटें पहुंचायी थी ,भोकाल मोगा के सामने खून से लतपत होकर भी हार मानने को तैयार नही था ,भोकासुर ने अब सिर्फ 50 मोगा के रूप भोकाल के सामने रखे थे ,
मोगा के एक रूप ने भोकाल से कहा ,रुक जाओ कबतक ऐसे लड़ते रहोगे मेरे साथ ,एक ही वार में सब खत्म कर देते है सब ,एक वार तुम करो मुझे मिटाने के लिये अगर में बच गया तो फिर में वार करूँगा ,बोलो क्या बोलते हो ,अगर मुझसे डर लगता हो ,तो पहला वार तुम करो ,में अपने सब रूप एक करता हु ,जरा देखु तो सही कोंन किसको मारता है ,भोकासुर ने भी बाकी के 49 मोगा के रूप को अपने अंदर ले लिया ,जिसका पता भोकाल को नही चल सका ,भोकासुर को कोई भी एक मोगा के रूप को कुर्बान करना ही पड़ना था ,जो भोकासुर के लिये दुखदायक था ,
भोकासुर के अंदर से मोगा बोला ,आप इतना दुखी मत होइये काल ,मेरे सभी रूप कुर्बानी के लिये तैयार थे ,बस एक मोगा नष्ट होगा त्रिशक्तियो के शक्ति के वजह से लेकिन आप के साथ हम अब 999 मोगा है ,आप को भी पता है कि भोकाल जब त्रिशक्तियो की कोई एक शक्ति जो उसके पास है ,वो मोगा के एक रूप को सदा के लिये नष्ट कर देगी ,मेरे एक रूप नष्ट होकर उसके मरने के बाद उसकी जगहकोई भी नए 100 रूप नही बन सकते ,आप को बहुत बड़ी लड़ाई लड़नी है ,आप ऐसे निराश मत होइए ,इस भोकाल को में ही मारूंगा ,
भोकाल ने भी अपने मन मे रचनाकार जी से प्राप्त ब्रम्हास्त्र को याद करके उसे मोगा पर छोड़ दिया जिसकी वजह से एक पल में ही मोगा का नाश हो गया ,मोगा से जितने भी रूप पैदा हुवे थे सब अलग थे ,सबकी आत्मा अलग थी ,शरीर अलग था ,जिसकी वजह से मोगा के उसी रूप का नाश हुवा जो भोकाल के सामने खड़ा था , भोकाल अपने सामने नए कोई भेडियमानव को निर्माण होता न देख कर खुशी से हस रहा था ,उसे पता था कि उसके इस वार से सामने वाला कोई शत्रु नही बच सकता ,इस भेडियमानव ने उसे बहुत कड़ी टक्कर दी थी ,उसके सभी दिव्य शक्तियों से वो बच गया था ,अगर भोकाल उसे नही मारता तो आज भोकाल की मौत पक्की थी ,भोकाल अपनी जीत की खुशी में हस रहा था कि उसके सामने एक आवाज सुनायी दी ,जब भोकाल ने अपनी आंखें खोलकर देखा तो उसके सामने वही भेडियमानव खड़ा था ,भोकाल एक डर और आश्चर्य से बोल पड़ा ,असंभव ,यह कैसे हो गया ,तुम अभी तक जिंदा हो , रचनास्त्र से मरने के बाद कभी कोई नही जीवित नही हो सकता ,
मोगा हसकर ,तेरी औकात नही है सब जानने की कुते ,मोगा ने तेजीसे आगे बढ़कर एक ही वार में भोकाल के शरीर टुकड़े कर दिए ,भोकासुर ने उसके शरीर से आत्मामनी और समय दर्पण निकाल लिया ,उसकी राक्षस मुद्रा उठाकर अपने पास रख ली ,भोकासुर अब काल के रूप आ चुका था ,उसने अपने एक प्रतिरूप के साथ अपने अंदर के सभी 49 मोगा को सिहलोक भेजकर खुद गरुड़ लोक चला गया ,सिर्फ अपने बुद्धि के बल पर आज काल ने एक मोगा की कुर्बानी दे कर 1 ब्रम्हास्त्र की शक्ति को भी चकमा दिया था ,भोकाल तो इस राज के जाने बिना नरक में पहुच गया था ।