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Incest जिन्दगी ## एक अनाथ की##

aalu

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sunita/kamini aur naresh/vijay jee.... in dono ko kisi chamatkarik paani se inki aaye inke vartaman umar se kayee saal kam ho gayee hain.... lekin iske pita ne jab itni bari jimmedari dee toh isne yeh na puchha kee yeh kis cheej kee raksha kar rahe hain.... aur jab iska raaz dono pati patni ke alawa sirf jagat ko pata thee toh kya usne kabhi jagat pe sandeh na kari.... kya pata aisi shaktio ke baare mein jaan ke acchhe khashe insan ka emaan dol jaye... prabhaw wo khud samne dekh hi raha hain....

aur yeh baat samajh na aayee... jab sunita aur naresh.... salim aur nushrat se mile... toh unhe unki umar khud se bhi kam lagee.... toh kya yeh baat inke bete aur bahu kee beech kautuhal kee vishay kabhi na bani kee hum bachhe ho kar unki umar kee dikhte hain aur wo mata pita hone ke bawajoood bhi abhi tak jawan kaise hain... akhir kar wo unke saath lamba samay bitaya hain... unhone....

aur baat yehan pe paiso kee kari vijay ne... jab wo mar chuka hain toh wo apne paiso kaise kharch kar shakta hain....

aur flashback waali baat pe main Lovingheart bhai se sehmat hoon.... itni vistrit flashback dikhana hi tha toh aap isse tukro mein dikhate... jaise jo udhar vijay kar raha hain toh idhar vartaman mein bhi kya ho raha tha.... aise toh present se ekdum se link toot gaya.... jab kamini apne bachho ke liye idhar villap kar rahi the aur udhar manoj ro raha hota jab apne baap ke marne par toh thora emotional juraw jyada behtar lagta....

aasa hain aap samjhenge...
 

Mass

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Story is good sir...looking forward to the next update.
One point though: Intro mein aapne sab ladkiyon kaa age mask (*) kar diya hain...hope story mein har character (jinka sex scenes rahega) woh 18 ke upar hi hain..aap iska dhyaan rakhiye...hope you understand.
Looking forward to the next part..thanks.
 

Goldybull

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Update 10
नरेश ने सुबह उठने के बाद सलीम को फोन करके यह बात बता दी कि वह दोनो सर्जरी के लिए तैयार है जब आप कहेंगे हम आपके साथ अस्पताल आने को तैयार है , सलीम को भी यह बात जानकर खुशी हुवी उसने नरेश को कहा कि उसे वो एक दिन का समय दे ,सर्जरी के लिए थोड़ी तैयारी करने के लिये, उसके बाद नरेश ने सुल्तान को फ़ोन करके उससे भी बात की , उसको भी सब बातें बताई की वह यह किसलिए कर रहा है, सुल्तान को भी सब बातें सुनकर खुशी हो गई ,उसे भी नरेश की सोच सही लगी ,उसने नरेश को अमेरिका आने से पहले उसके खाते में 25 करोड़ जमा करके उसका एटीएम और बैंक के पासबुक ,चेक़ की फाइल नरेश को मुम्बई में ही अमेरिका जाने से पहले दे दी थी ,यह पैसा नरेश का ही थे जो कुछ साल पहले नरेश ने सुल्तान को एक बड़ी दिल्ली की प्रॉपर्टी को खरीदने के लिये दिए थे और जब सुल्तान को उस प्रॉपर्टी को बाद में बेचकर अच्छा मुनाफा हुवा था, सुल्तान ने तब नरेश को उसके पैसे वापिस देने की पेशकश की थी ,तब नरेश ने उसे कहा था ,यह पैसा उसके पास ही रहने दे ,और अपना बिजनेस में लगाकर उसे बड़ाता रहे जब उसे पैसे की जरूरत होगी वो ले लेगा, आज वही पैसा नरेश को कम में आ रहा था , सुल्तान भी नरेश की मदद से एक अच्छा पैसे वाला प्रोपेर्टी डीलर बना हुवा था ,और नरेश के यह अहसान को वो हमेशा मानता था ,नरेश उसके लिए किसी भगवान से कम नही था ,नरेश के लिए वो अपनी पुरी दौलत भी दांव पर लगाने से पीछे हटने वालो में से नही था, नरेश को अमेरिका में भेजने की सोच उसकी थी ,और उसने जगत से चर्चा करके ही नरेश का अमेरिका जाने से पहले सब जरूरत के चीजो को बन्दोबस्त किया था ,
नरेश ने सुल्तान से बात करके फोन रख दिया ,सुल्तान ने भी उसी वक्त जगत के पास अपने आदमी को भेजकर अपने घर बुला के सब बातें बता दी ,सुल्तान के घर जगत हमेशा जाता था ,नरेश ,सुल्तान और जगत की दोस्ती सब को पता थी , तीनो दोस्त से ज्यादा एक दूसरे के भाई से बढ़कर थे, और जब नरेश की मौत के नाटक करने के बाद ,जगत और सुल्तान और ज्यादा साथ मे रहने लगे थे,
जगत भी अपने कुछ देर सुल्तान से बात करने के बाद अपने घर लौट आया ,जगत को नरेश के बारे में पता था कि वो अपने परिवार से ज्यादा दिन दूर नही रह सकता ,जगत के साथ उसकी बीवी और उसकी एक बेटी ,और एक बेटा रहता था
जगत की बीवी लीला 40 साल
बेटा मोहन 22 साल
बहु सोनम 20 साल
बेटी शीबा 20 साल
उसके बेटी की शादी अभी बाकी थी, जगत का एक सुखी परिवार था, जगत का परिवार के पास मन्दिर का जिम्मा कई पीढयों से चलता आ रहा था , और नरेश के पुरखो ने 100 एकड़ से ज्यादा जमीन जगत के परिवार को अपने पालन पोषण के लिये दी थी, उस खेती के मिलने वाले फसल की आमदनी से जगत का अच्छी तरह गुजारा हो जाता था, नरेश ने भी जगत के लिए मन्दिर के पास ही एक बड़ा घर बनाके दिया था, नरेश ने अपने बच्चों की तरह ही जगत के बच्चों को मानता था ,उसने ही जगत के बेटे और बेटी को दिल्ली में शिक्षा करवाई थी, जगत को भी पैसा का ज्यादा मोह नही था ,ना उसके परिवार को
सुल्तान की बीवी का नाज़िया 40 साल
बड़ी बेटी रेहाना 22 साल
छोटी बेटी नूरी 20 साल
दोनो की शादी हो गई थी और दोनों बहनें एक ही परिवार में दी थी जो दिल्ली में अपने पतियों के साथ रहती थी
जगत आज जब घर पर अपने कमरे में आया तो उसे लीला ने पूछा , क्या बात है आज आप बहुत खुश दिख रहे है
जगत ,ऐसी कोई बात नही आज सुल्तान से मनोज के बारे में पता चला कि वह अब ठीक से कॉलेज जाने लगा है ,वो अब ज्यादा अपनो दुःखोंसे बहार निकल रहा है धीरे धीरे
लीला , यह सूनकर मुझे भी अच्छा लगा ,मनोज तो जैसे जीना ही भूल गया था उस हादसे के बाद,
जगत औऱ लीला थोड़ी देर बात करते रहे लेकिन ,बाद में लीला सो गई लेकिन जगत की आँखों मे नींद नही थी ,वो अपनी ही सोच में गम था ,जगत के पिता और नरेश (विजय) के पिता ने वह मन्दिर में रखा हुवे चमत्कारी चीज बारे जगत को बताया था तब उन दोनों ने उससे निकला हुवा पानी की खूबियों के बारे में बताकर वह पानी जगत और लीला को देने की पेशकश की थी ,लेकिन जगत ने बिना किसी मोह और लालच से उसे लेने से इंकार किया ,जगत ने वह चमत्कारी पानी नरेश ( विजय) और उसके पत्नी को देने की बात कही और खुद नरेश को अपनी कसम देकर उसे मनाया था ,उन दोनों के पिता को भी अपने बच्चों का आपस मे प्यार देखकर बहुत खुशी हुवी थी ,
जब जगत ने अपने पिता से पूछा था कि ऐसी कोनसी चीज है जिसके निकलने वाले पानी मे इतनी ताकद है ,तो उसमें कितनी ज्यादा ताकत होगी ,तब उसके पिता ने बताया था कि यह बहुत ही शक्तियो की खूबी वाला चमत्कारी पत्थर है, वो जिसके नसीब में होगा उसे ही मिलेगा ,अगर वह किसी गलत के हाथों में लगा तो अच्छा नही होगा ,ताकद अगर गलत हाथों में होगी तो वह हमेशा उसका उपयोग अच्छे कामो के लिये नही करेगा ,तुम्हे हमेशा यह ध्यान देना होगा कि वह किसी गलत हाथ मे ना जाये, में और नरेश (विजय) के पिता तुम दोनो को वो चमत्कारी पत्थर कहा पर है और कैसा है वह कुछ दिनों में बता देंगे, लेकिन उनको वो बात बताने के पहले ही जगत के मा और पिता के साथ विजय के मा बाप को किसी ने बुरी तरह से गला काटकर मार दिया था
उस घटना के बाद जगत और विजय बहुत परेशान हुवे थे ,विजय ने जमीन और आसमान एक कर दिया था उनके कातिलों को ढूढ़ने के लिये , पूरे हिमाचल में विजय ने खून के पाट बहा दिये थे, उनको शक था कि मंदिर का राज जाने की लिये उनके मा बाप का कत्ल किया होगा , लेकिन जल्द ही उन्हें पता लगा था की उनकी गाव की पूरी जमीन खरीदने के लिये दिल्ली के बड़े कंपनी के मालिक कोशिस कर रहा था, उसको विजय के पिता ने मना किया था इसलिये उसने अपने आदमियों से उनका कत्ल कर दिया था ,विजयजी ने उसको और उसको आदमियों का नामोनिशान मिटा दिया था,इस काम मे विजय का साथ दिया था सुलतान ने ,दोनो ने मिलकर सबको तड़पाकर मार दिया था
इस सब घटना के बाद जगत ने नरेश ( विजयजी) को रोही कबीले वालो की सुरक्षा में रखना शुरू कर दिया
जगत ने ही नरेश को बताया था कि उस पानी की मिलने वाली ताकद के बारे में किसी को न बताये ,जब धिरे धिरे वक्त गुजरने लगा तो जगत ने ही विजय को थोड़ी दाढ़ी मुछ रखने को कहा ,अपनी उम्र बढ़ नही रही यह राज छिपाने के लिये हर कोशिश करते ,लोग अपने सफेद बाल छुपाने के लिए काले करते है लेकिन यह दोनों उल्टा अपने बोले में सफेदी लगाते थे, जगत को सब पुरानी बातें याद आ रही थी ,उनको इस बात की खुशी की थी उनका दोस्त उनके आसपास ही रहेगा
अगले दिन नरेश और सिमा दोनो सलीम के साथ उसके अस्पताल पहुच गये ,वहा पर उनकी सर्जरी के बाद उनको एक महीने तक वही रुकना था ,सलीम ने सब इंतजाम करके रखा था अब तो बस एक महीने में दोनों की शक्ल बदलने वाली थी और वह अपने परिवार के पास लौट सकते थे ।
लेकिन किस्मत में क्या लिखा होता है किसे पता
 

Goldybull

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Update 11
निता ने मनोज की उठाते हुवे कहा चलो उठो मनु सुबह के 7 बजे है ,हमे मुंबई को निकलना है आज , देखो मुझे अभी विजय को भी तैयार करना है
मनोज भी नीता की बात सुनकर उठ गया और बाथरुम में नहाने चला गया
निता भी विजय को लेने अपने कमरे से निकलकर नीचे चली गयी ,विजय रात को सुनीता के कमरे में उसके पास ही सोया था ,सुनीता उनके यहां रहने वाले नरेश की बीवी थी जो पिछले 9 साल से अपनी पति के साथ मुकेश भैया साथ दिल्ली में रहा करते थे,मनोज ने उसे बताया था की नरेश के पिता और उसके पिता कॉलेज में दोस्त थे ,बादमे नरेश के पिता काम करने अमेरिका चले गए और वही उन्होंने शादी की ,नरेश जब 5 साल का तब कार एक्सीडेंट में उसके माता पिता मारे गए ,तब मनोज के पिता ने उसको सहारा दिया था ,नरेश को वहा उसकी मौसी के पास रखकर उसकी पढ़ाई लिखाई का खर्चा करते रहे , जब वह बडा हुवा तो उसे एक कंपनी भी खोल दी थी, मनोज के मा बाप नरेश को अपना बेटा ही माना करते थे ,और जब अपने काम से वो अमेरिका जाते तो नरेश को मिलकर ही आते थे ,नरेश भी उन्हें मा बाप ही मानता था ,जब मनोज के माता पिता का देहांत हुवा नरेश को यह बात मालूम नही थी ,और जब उसे उनके मौत के बारे में पता चला था तो वो उनके गाव आया था ,नरेश के बारे में परिवार में किसी को कुछ पता नही था ,लेकिन जगत चाचा और सुल्तान को उसके बारे में सब पता था, दोनो ने आकर मुकेश और सबको सारी बाते बताई थी,नरेश भी सुल्तान और जगत के गले लगकर खूब रोया था, मुकेश को अपने पिता के दोस्तो पर पुरा भरोसा था ,उसने नरेश को फिर वापिस जाने नही दिया ,बल्कि अपना बड़ा भाई बनाकर अपने साथ ही रख लिया ,और इस बात का समर्थन पुरे परिवार ने किया ,जगत और सुल्तान भी इस बात से बहुत खुश हो गये ,और 9 साल से वह परिवार एक अटूट हिस्सा बन गए थे , नरेश और सुनीता को एक बेटी थी जिसका नाम महि था
नीता ने जब नरेश के कमरे का दरवाजा बजाया तो दरवाजा सुनीता ने खोला, अरे निता तुम अंदर आ जाओ
निता जब अंदर आई तो उसने देखा विजय नरेश का साथ खेल रहा था ,और महि भी उनके साथ ही थी
विजय को शन्ति नहा धोकर अच्छे से तयार कर दिया था
नीता आज तुम लोग मुम्बई जाने वाले हो ना ,
हा दीदी, मनोज अभी नहाने गया है , उसके बाद हम निकलने वाले है,
ठीक है ,में नाश्ते को लगा देती हूं कूछ खाकर ही निकलना
उसके बात सब लोगोंने मिलकर नाश्ता किया ,मनोज और नीता फिर अपना सामान कर में रख दिए जब निता ने विजय को सुनीता से लेना लेगी तो वो सुनीता को छोड़ नही रह था, वो उसे अपनी दोनों नन्हे हाथों से पकड़कर बस रो रहा था,सुनीता के आँखों से भी पानी बह रहा था , दोनो का आपस मे प्यार सबको पता था बचपन से विजय को सुनीता ने बहुत प्यार बड़ा किया था, निता से ज्यादा वो सुनीता के पास ही रहता था ,सुनीता सब बच्चों से प्यार करती थी तीनो भाई के बच्चे उसे बड़ी माँ ही कहते थे, नरेश ने फिर विजय को अपने पास लेकर चुप कराया ,और उस वादा किया तुम मा के साथ जावो में तुम्हारी बड़ी मा को लेकर तुम्हारे पीछे दूसरी कार में आ जाऊंगा, वो तो छोटा बच्चा था नरेश की बातों से खुश होके नीता के पास चला गया ,सबसे मिलकर मनोज और नीता कार से निकल गये ,विजय निता की गोद मे ही बैठा था , नीता ने मनोज से कहा, सुनीता दीदी के बिना मेरा भी अब नही लगेगा मुम्बई में,विजय भी उनके बिना उदास ही रहेगा
मनोज, मुझे पता है सब, तुम सुनीता भाबी की बात करती हो तुम देखना नरेश भैया आज खाना ही नही खायंगे दिनभर,उन्हें विजय के आखो में आंसू बर्दाशत ही नही होते, वह तो सभी बच्चों से कितना प्यार करते है तुम्हें पता है ना यह बात
निता , हा सही कहा तुमने जब विजय माता के मंदिर में एक महीने पहले खेलते हुवे बेहोश हुवा था तब मैंने उनकी आंखों में पहली बार आँसू देखे थे, विजय को लेकर जब हम अस्पताल गये थे तब वो तीन दिन तक उसके पास ही बैठे थे,पानी की एक बूंद तक नही पी थी उन्होंने,विजय हमारा बेटा है लेकिन जो प्यार वो दोनों उससे करते है वो हमसे कहि ज्यादा है,
मनोज, सही कहा निता नरेश भैया ने हमारे पिता की कमी हमे कभी महसूस नही होने दी ,सुनीता भाबी तो एक माँ से ज्यादा मेरा खयाल रखती है, ऐसा लगता है भगवान ने चेहरा बदल कर हमारे मा बाप ही वापिस भेज दिये है
मनोज और निता कार से दिल्ली आये और फिर वहां से मुंबई हवाई जहाज से रवाना हो गए, मुम्बई में उन्हें लेने उनका ड्राइवर आया था फिर वह वह से अपने घर के रास्ते पर जा रहे थे ,जब उनकी कार ब्रिज से जा रही थी तब सामने से एक ट्रक ने आके उनकी कार को उड़ा दिया कार ब्रिज से के दीवार से टकरा गई और ट्रक भी दीवार तोड़ कर नीचे गर गया, कार बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई थी कार का ड्राइवर जगह पे मर गया था ,कार के सब शीशे टूट गये थे ,मनोज और नीता भी बुरी तरह घायल हो गए थे, मनोज की पीछे ही उनके सुरक्षा के लिये रखे हुए कार लोग चल रहे थे, उन्होंने जैसे ही यह सब देखा वो कार से उतरकर उस तरफ भागे, नीता और मनोज को उन्होंने बाहर निकाला दोनो की सांसे चल रही थी ,उन्हें विजय कार में नही मिला तो कुछ लोग विजय को ढूंढने लगें और बाकी लोग निता और मनोज को अपनी कार में लेकर अस्पताल लेकर चले गये
जो ट्रक पुल से नीचे गिरा था उसमें केमिकल भरा हुवा था जैसे ट्रक नीचे गिरा उसमे आग लग गयी थी और जैसे ही आग उस केमिकल तक पहुची एक जोर का धमाके से वह पूरी जगह हिल गईं ,जहा वह ट्रक गिरा था वहां गरीब लोगों की झोपड़िया थी वो लोग भी इस के आग की चपेट में आ गए और बेवजह ही मारे गये , विजय को ढूंढने वाले लोग भी जख्मी हो गए थे,लेकिन वो विजय को ढूंढने में ही लगे रहे, वहा आग लगने से अफरातफरी मची थी वो आग से बचने के लिए लोग उस जगह को छोड़के भाग रहे थे , कुछ ही देर में वहा पुलिस और फायरब्रिगेड की गाड़िया भी आ गई ,आग को जल्द ही क़ाबू में कर लिया गया लेकिन फिर भी उस आग में 20 से ज्यादा लोग मारे गए,उनमे कुछ छोटे बच्चों की भी लाशें मिली थी जो आग में पूरी तरह जल गई थी,
जब यह खबर गांव में पहुंच गई तब सब लोग तुंरत मुंबई आ गये, मनोज और नीता का इलाज चल रहा था उस अस्पताल में जाकर सब पहुच गये, उनकी हालत देखकर सबका बुरा हाल था और जब उन्हें यह मालूम हुवा की विजय नही मिला तो नरेश,सुल्तान बाकी लोगो को अस्पताल में छोड़कर विजय को ढूंढने निकल गए, जहा यह हादसा हुवा था वह जगह पहुचकर वो विजय को ढूंढने में लगे रहे लेकिन उन्हें विजय उन्हें मिला नही, पुलिस का कहना था कि जो बच्चों की लाशें मिली है उनमें से कोई लाश विजय की लेकिन नरेश यह बात माना हि नही ,वो 2 दिन तक विजय ढूंढ़ता ही रहा, उधर अस्पताल में नीता और मनोज को बचा लिया गया था,
मनोज और नीता का एक महीने तक इलाज चलता रहा उन्हें यह नही बताया की विजय लापता है , दोनो को जब अस्पताल से घर लाये तब यह बात बताई गई ,यह खबर सुनकर दोनो का बहुत ही बुरा हाल हो गया था, नीता और मनोज को मुम्बई से दिल्ली लाया गया ताकि वह अब परिवार में ही रहे,नरेश और सुनीता पूरे परिवार को संभलने में ही लगे रहे, नरेश हमेशा मुम्बई जाकर विजय को ढूंढता ,लेकिन उसके हाथ कुछ नही लगता
सब लोग विजय को अब मरा हुवा ही मानते सिवाय नरेश के उसे हमेशा लगता विजय जिंदा है और एक न एक दिन वह जरूर मिलेगा
 

Goldybull

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Updated 12
एक आदमी शराब के नशे अपने झोपड़ी में दाखिल हुवा उसने आवाज लगाई ,साले मनहूस लाइट बन्द कर ,बिल तेरा बाप भरेगा क्या इसका ,और मैने तुझे कितनी बार बोला है ,तू स्कूल नही जाएगा फिर भी मेरी बात नही सुनता रुक आज तुझे दिखता हु में
फिर उस आदमी ने उस लड़को किसी जानवर की तरह अपने बेल्ट से मारना शुरू किया ,और जब तक उसके हाथ थक नही जाते उसे मारता ही रहा , वह लड़का चुपचाप मार खाता रहा उसके मुह से एक आवाज तक नही निकली थी मार खाते वक्त ,जब वह शराबी सो गया तो उस लड़के ने झोपड़ी का दरवाजा लगा दिया और वह भी नीचे चादर पर सो गया
सुबह कोई बाहर से आवाज दे रहा था, भीकू ए भीकू दरवाजा खोल ,हमे आज जल्दी जाना है मंडी में
उस लड़के ने उठकर दरवाजा खोला और बोला शफी चाचा बापू सो रहे है अभीतक ,आप ही उन्हें उठा दो अगर मेने उठाया तो मुझे फिर मारेगा
चल ठीक है ,तुझे रात को मारा क्या भीकू ने ,मुझे बोल फिर में इसको दिखता हु
नही चाचा ऐसी कोई बात नही है
शफी ने फिर भीकू को उठाया ,भीकू उठके नहा धोकर मंडी जाने के लिये तैयार हो गया
सुन बे मनहूस तू अगर आज स्कूल गया तो तेरे हाथ पांव ही तोड़ दूंगा, तू नासिर के यहां काम को जा चुपचाप, वो तुझे खाने का भी देगा दो वक़्त का, उतने ही मेरे पैसे बचेंगे
शफी बोला, भीकू साले इतने छोटे बच्चे को काम को भेजते तुझे शर्म नही आती ,और उसका नाम है शिवा ,उसे मनहूस मत बोला कर
अरे शफी भाई में तो इसे इस घर मे रहने देता हूं यही बहोत है ,ना जाने यह मनहूस मेरी टेम्पो में कैसे आया में तो दादर की मंडी में माल खाली करके वही पुल के नीचे बने ठेके से शराब ले रहा था ,वहां जब एक ट्रक का धमाका हुवा था पूल से नीचे गिरकर ,साला में भी मारा जाता उस धमाके से ,लेकिन में तब टेम्पो में बैठ गया था ,फिर वहासे में कैसे अपनी जान बचाकर आये मुझे ही मालूम ,जब नाके पे चैकिंग चल रहि थी तब यह पीछे रो रहा था, उस वक्त शिंदे भी वही डयूटी पे उसने बड़े साहब को बोल दिया के में बच्चे अगवा करता हु, साला पहले ही दो साल उस शिंदे की वजह से मुझे जेल जाना पड़ा था ,अगर में फिर किसी केस में फंसता तो लम्बा अंदर जाता, मजबूरन मुझे बोलना पड़ा कि यह मेरा बेटा है इसे में अपने साथ ही रखता हूं हमेशा ,उस वक्त तूने ही मेरी गवाही दी थी साहब के पास की यह मेरा बेटा है ,नही तो में फस गया था
भीकू में उस नाके पे सब्जी लेने आया था, तेरा टेम्पो देखकर में तेरे पास ही आ रहा था तब मैंने तेरी सारी बात सुन ली थी मेने तो तुझे बचाने के लिए झूठ बोला था,मुझे लगा तू बाद में इस बच्चे को इसके मा बाप के पास छोड़ कर आएगा,लेकिन तूने ऐसा नही किया इसे अपने पास ही रख लिया
नही शफी भाई शिंदे को मुझपे भरोसा नही था ,उसने मुझे बोला था कि वह मुझपे नजर रखेगा ,अगर यह बच्चा मेरे पास नही दिखता तो वो और कोई बड़ा केस करता मुझपे
तबसे इस मनहूस को पाल रहा हु में
भीकू तूने कभी उसे खाना तो भी खिलाया क्या, वो मेरी बीबी ने इसे पाला नही तो यह अब तक जिंदा भी नही रहता
शफी चल हमे मंडी जाना है,यह तो रोज की किटकिट है साले की
भीकू और शफी के जाने के बाद शिवा ने सोचा अब स्कूल जाऊ या नासिर भाई के पास ,उसे अब इतने सालोंसे समझ चुका था भीकू उसका बाप नही है, बल्कि वह एक लावारिस है ,अगर वह यहां रहा तो उसकी जिंदगी कभी नही बदलेगी
उसे स्कूल में मास्टर पढ़ने लिखने के फायदे बताया करते थे , और जिस स्कूल में शिवा पढ़ता था उसको फीस नही लगती थी,वहा पर अनाथ बच्चों के रहने का भी इंतजाम था,उसने फिर अपना स्कूल का बस्ता उठाया और शफी चाचा के घर चला गया ,शफी चाचा की बीवी का नाम ज़ीनत था उसने ही शिवा को मा का प्यार देकर पाला ,उसे शिवा नाम भी उन्होंने ही दिया था, आज उनसे मिलकर वो यह बताने जाने वाला था कि वह भीकू का घर छोड़कर अनाथालय में रहने जाने वाला है ,जीनत को चार बेटिया थी उसे कोई बेटा नही था तो वह शिवा को ही अपना बेटा मानती थी ,
सनम 20 साल
नीलोफर 19 साल
सलमा और बेनज़ीर ** दोंनो जुड़वां थी
शिवा जब शफी चाचा के घर पहुचा सनम बाहर ही खड़ी थी
उसने अपनी माँ को आवाज दी, अम्मी बहार आ जा देख तेरा कुत्ता आया है रोटी खाने
सनम शिवा से बहुत नफरत करती थी उसे शिवा बिल्कुल पसंद नही था
शिवा को उसके ऐसी बातों की आदत थी ,वह बाहर ही खड़ा रहा ,जीनत बाहर आईं सबसे पहले उसने सनम को बोला ,बेटी यह तेरा भाई है तुझे कितनी बार बोला है ऐसा मत बोला कर
अपनी माँ की बातों से वह बहुत गुस्सा हो गई और अन्दर चली गयी
शिवा ने जीनत को अपना फैसला बता दिया कि वह भीकू का घर छोड़के जा रहा है,उसने यह नही बताया कि वह कहा जा रहा है उसे पता था कि शफ़ी चाचा उसे अपने घर मे रहने के लिये अनाथालय से वापिस ले आएंगे ,उसे उनकी आमदनी का पता था ,उनका घर शफ़ी चाचा की कमाई से नही चलता था ,इसलिए ज़ीनत चाची कुछ बड़े लोगो के घरोमे खाना बनाने का काम करती थी, जीनत चाची ने उसे रोकने की बहुत कोशिश की लेकिन वह नही माना, सनम भी सब बातें सुन रही थी ,उसकी तो सब बाते सूनकर आँखों से पानी बहने लगा पता ही नही चला ,जैसे उसको शिवा की आवाज आना बंद हो गई वो दौड़कर बाहर आई उसने देखा शिवा जा रहा है ,वो उसके पीछे भागी ,जीनत को इस बात का पता भी नही चला वो तो अपने ही गम में थी
शिवा को पीछे से आवाज आई , कहा जा रहे है कुत्ते
शिवा ने मुड़के देखा ,सनम थी वो ,उसको सनम रोनी सूरत देखके बुरा लगा ,वो कुछ नही बोला
सनम फिर बोली ,तूने मेरी बात का जवाब नही दिया कुत्ते
शिवा, सनम दीदी में स्कूल जा रहा था
सनम ,दीदी किसे बोला कुते में तेरी दीदी नही हु ,और ना तू मेरा भाई है कितनी बार बोला है तुझे ,
वापिस कब आने वाला हैं स्कूल से
शिवा ने कुछ जवाब नही दिया
सनम ,सुन कुत्ते तू वापिस नही आया ना देख लेना में तेरी दोनो टाँगे तोड़ दूंगी
शिवा,कुछ देर चुप रहा फिर बोला मे वापस आऊँगा तब तक तुम सबका खयाल रखना
सनम के पास आकर उसकी आँखे से बहते आँसू साफ करके शिवा बोला, सनम तू रो मत ,में तुम्हारी आँखों मे आंसू नही देख सकता ,यह शिवा का वादा है कि वह वापीस जरूर आयेगा
इतना बोलकर वह बिना पीछे मुड़े चला गया
सनम बस उसे जाते हुवे देखती रही जब तक वो ऊसकी आंखो से ओझल नही हूवा वो उसे देखती रही
तीन साल बाद
मुम्बई के होटल में एक लड़का मैनेजर के केबिन के बाहर खड़ा था ,वहां पर आज एक अखबार में नोकरी की ऐड देखकर वह आया था ,जब वह अंदर दाखिल हुवा तो मैनेजर उसे देखता ही रह गया साढे 6 फिट से लम्बा कद ,चौड़े सीना ,मजबूत हाथ ,सन्दर चेहरा जो किसी का मन मोह ले, गोरा रंग ,सलीके से कटे हुवे बाल किसी पहाड़ की तरह वो मजबूत लगमबरी रहा था वो
तुम्हारा नाम क्या है जी
जी सर शिवा
सिर्फ शिवा, मेने पुरा नाम पूछा है ,मा बाप ने सिखाया नही तुम्हें कुछ, तुम्हारी फ़ाइल कहा है
शिवा ने अपनी हाथ मे से फाइल उन्हें दे दी
मैनेजर ने उसके फ़ाइल को खोलकर देखना शुरू किया
उसकी 10 कि मार्कशीट में नांम लिखा था शिवा मनोज देसाई, उसे 10 वी में 92 % थे और 12 वी में 95 %, उसकी पुरी फ़ाइल में स्पोर्ट्स के सर्टीफिकेट थे कुश्ती,कब्ड्डी, बॉक्सिंग हर खेल में वो कॉलेज का स्टेट लेवल का गोल्ड मेडलिस्ट था,उसकी फ़ाइल देखकर मैनेजर को बहुत खुशी हुई उसने अपने सामने खड़े शिवा को बैठने को कहा
बेटा तूम्हारी उम्र कितनी है
जी सर 19 साल
तुम्हारा नाम शिवा मनोज देसाई है तो तुमने मुझे तुम्हारा नाम पूरा क्यों नही बताया
जी सर में एक अनाथ ही, में जिस अनाथालय में बडा हुवा उसको चलाने वाले हे मनोज देसाई ,वही हम अनाथ लोगो को पिता बनकर अपना नाम देते है
मैनेजर ,बेटा में तुम्हे यहाँ काम तो दे दूंगा पर तुम आगे की पढ़ाई करते औऱ आगे जाते,सिर्फ 12 तक पढ़कर कोई फायदा नही होता
सर ,मुझे यही मुम्बई में इंजीनियरिंग के फर्स्ट ईयर में फ्री सीट पे एड्मिसन मिल गई है,में काम करने के साथ पढ़ने भी वाला हूं
मैनेजर, यह तो बहुत अच्छी बात है ,तो समजो तुम्हारा काम यहां पक्का
ठीक है सर ,सिर्फ़ में आपसे एक गुजारिश करूँगा आप मुझे नाईट डयूटी ही दीजिये इससे मुझे सुबह कॉलेज जाना आसन होगा
नही बेटा तुम रोज दोपहर 4 बजे से रात 12 बजे तक डयूटी करना ,
मैनेजर की अच्छाई देखकर शिवा को बहुत अच्छा लगा ,शिवा को उस होटल में एक एकाउंटर की नौकरी लग गई ,उसे हर महीने का 12,000 मिलने वाले थे
वहाँ से निकलकर शिवा शफ़ी चाचा की घर तरफ चल दिया,उनके घर जाते वक्त उसे शाम हो गई थी
शिवा ने उनके घर का दरवाजा बजाया और आवाज दी शफ़ी चाचा
दरवाजा सनम ने ही खोला ,जब उसने शिवा को देखा तो पहले उसे बिनबोले देखती ही रही ,और बाद मे जोर से चिल्लाई ,कुत्ते और उसके गले लगाकर रोने लगी ,शिवा को सनम की आगोश में एक अलग ही सुख मिल रहा था ,उसे आजतक इस तरह किसी ने अपने गले नही लगाया था, सनम की गुदाज चुचिया उसके सीने को लगने से और सनम के बदन से आती खुश्बू से एक अलग ही नशा आ रहा था उसने भी अपने दोनों हाथो से सनम को अपने सीने में कस लिया था, तभी उसके कानों मे जीनत की आवाज आई शिवा बेटा तुम, शिवा ने सनम को अपने आप से दूर करना चाहा लेकिन वो शिवा को छोड़कर दूर ही नही हो रहीं थी ,
सनम ,मुझे चाची से मिलने दो
शिवा की आवाज से उसने शिवा के छोड़ा और बोली ,लो अम्मी आ गया आपका कुत्ता
जीनत ने उसे कुछ नही बोली और शिवा को गले लगा ली ,शिवा भी बाद मे सबसे मिला उसने देखा कि शफ़ी चाचा बिस्तर में ही लेटे है,वो बोला चाचा मेरे गले नही लगोगे
जीनत बोली ,शिवा अब यह कभी अपने पाव पर खड़े नही हो पाएंगे ,यह सुनकर शिवा को बहुत दुःख हुवा
यह कैसे हुवा चाची
तब जीनत बोली भीकू और शफ़ी चाचा टेम्पो लेके मण्डी से
घर आ रहे थे भीकू ने उस दिन ज्यादा हि शराब पी थी ,उसने नशें में गाड़ी सम्भली नही और वह पलटी हो गया भीकू तो जगह पे मर गया ,तेरे चाचा भी बहोत घायल हो गए थे ,उनकी रीढ़ की हड्डी टूट गई है,उनके इलाज के लिए 20 लाख रुपये लगने वाले थे, मेरे पास इतने पैसे नही थे, मेने बस्ती के कुछ लोगो से पैसे उधार लिए थे, जो इनके इलाज में ख़र्च हो गए,इसलिये हम इन्हें घर लेकर आ गए
ज़ीनत की बाते सुनकर शिवा को बहुत बुरा लगा जिस इंसान के पैसे से वो दस साल तक अपना पेट भर रहा था, आज वो इंसान बेबस उसके सामने पड़ा हूवा था
जीनत बोली शिवा,भीकू के घर की चाबी हमारे पास ही ,तुम ही अब भीकु के बाद उसके मालिक हो,तुम वह रह सकते हो
शिवा ने फिर रात का खाना उनके साथ हीं खाया, खाना खाकर शिवा ,सनम और नीलोफर तीनो भीकु के खोली में गये वह जाकर तीनो ने उसकी सफाई करके उसे घर बनाया ,दो ही रूम की घर था वो ,एक पलंग ,रसोई का सामान,पीने का पानी पीने के बर्तन, सब काम करने के बाद सनम ने शिवा से पूछा वो कहा रहा तीन साल तब शिवा ने उन दोनों को सब बताया कि वह कहा रहा कैसे पढ़ाई की ,उसने यह भी बताया कि उसे एक होटल में जॉब भी लग गई है अब वह आगे पढ़ने वाले है,
दोनो बहने फिर अपने घर लौट गई और शिवा बी बेड पर अपनी आँखें बंद करके सोच में पढ़ गया ,उसे शफ़ी चाचा का इलाज कैसे कीया जाए उसकी चिंता हो रही थी,बहुत देर तक वह सोचता रहा ,फिर उसे कुछ याद आया उसने अपने बैग में कुछ ढूंढने लगा थोडी देर बात उसे जो चाहिए था उसे मिल गया,वो एक विस्टिंग कार्ड था ,उसपे नाम लिख हुवा
था और एक मोबाइल नंबर था
कार्ड पे नाम था विनोद शर्मा 98********
 
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