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एक आदमी शराब के नशे अपने झोपड़ी में दाखिल हुवा उसने आवाज लगाई ,साले मनहूस लाइट बन्द कर ,बिल तेरा बाप भरेगा क्या इसका ,और मैने तुझे कितनी बार बोला है ,तू स्कूल नही जाएगा फिर भी मेरी बात नही सुनता रुक आज तुझे दिखता हु में
फिर उस आदमी ने उस लड़को किसी जानवर की तरह अपने बेल्ट से मारना शुरू किया ,और जब तक उसके हाथ थक नही जाते उसे मारता ही रहा , वह लड़का चुपचाप मार खाता रहा उसके मुह से एक आवाज तक नही निकली थी मार खाते वक्त ,जब वह शराबी सो गया तो उस लड़के ने झोपड़ी का दरवाजा लगा दिया और वह भी नीचे चादर पर सो गया
सुबह कोई बाहर से आवाज दे रहा था, भीकू ए भीकू दरवाजा खोल ,हमे आज जल्दी जाना है मंडी में
उस लड़के ने उठकर दरवाजा खोला और बोला शफी चाचा बापू सो रहे है अभीतक ,आप ही उन्हें उठा दो अगर मेने उठाया तो मुझे फिर मारेगा
चल ठीक है ,तुझे रात को मारा क्या भीकू ने ,मुझे बोल फिर में इसको दिखता हु
नही चाचा ऐसी कोई बात नही है
शफी ने फिर भीकू को उठाया ,भीकू उठके नहा धोकर मंडी जाने के लिये तैयार हो गया
सुन बे मनहूस तू अगर आज स्कूल गया तो तेरे हाथ पांव ही तोड़ दूंगा, तू नासिर के यहां काम को जा चुपचाप, वो तुझे खाने का भी देगा दो वक़्त का, उतने ही मेरे पैसे बचेंगे
शफी बोला, भीकू साले इतने छोटे बच्चे को काम को भेजते तुझे शर्म नही आती ,और उसका नाम है शिवा ,उसे मनहूस मत बोला कर
अरे शफी भाई में तो इसे इस घर मे रहने देता हूं यही बहोत है ,ना जाने यह मनहूस मेरी टेम्पो में कैसे आया में तो दादर की मंडी में माल खाली करके वही पुल के नीचे बने ठेके से शराब ले रहा था ,वहां जब एक ट्रक का धमाका हुवा था पूल से नीचे गिरकर ,साला में भी मारा जाता उस धमाके से ,लेकिन में तब टेम्पो में बैठ गया था ,फिर वहासे में कैसे अपनी जान बचाकर आये मुझे ही मालूम ,जब नाके पे चैकिंग चल रहि थी तब यह पीछे रो रहा था, उस वक्त शिंदे भी वही डयूटी पे उसने बड़े साहब को बोल दिया के में बच्चे अगवा करता हु, साला पहले ही दो साल उस शिंदे की वजह से मुझे जेल जाना पड़ा था ,अगर में फिर किसी केस में फंसता तो लम्बा अंदर जाता, मजबूरन मुझे बोलना पड़ा कि यह मेरा बेटा है इसे में अपने साथ ही रखता हूं हमेशा ,उस वक्त तूने ही मेरी गवाही दी थी साहब के पास की यह मेरा बेटा है ,नही तो में फस गया था
भीकू में उस नाके पे सब्जी लेने आया था, तेरा टेम्पो देखकर में तेरे पास ही आ रहा था तब मैंने तेरी सारी बात सुन ली थी मेने तो तुझे बचाने के लिए झूठ बोला था,मुझे लगा तू बाद में इस बच्चे को इसके मा बाप के पास छोड़ कर आएगा,लेकिन तूने ऐसा नही किया इसे अपने पास ही रख लिया
नही शफी भाई शिंदे को मुझपे भरोसा नही था ,उसने मुझे बोला था कि वह मुझपे नजर रखेगा ,अगर यह बच्चा मेरे पास नही दिखता तो वो और कोई बड़ा केस करता मुझपे
तबसे इस मनहूस को पाल रहा हु में
भीकू तूने कभी उसे खाना तो भी खिलाया क्या, वो मेरी बीबी ने इसे पाला नही तो यह अब तक जिंदा भी नही रहता
शफी चल हमे मंडी जाना है,यह तो रोज की किटकिट है साले की
भीकू और शफी के जाने के बाद शिवा ने सोचा अब स्कूल जाऊ या नासिर भाई के पास ,उसे अब इतने सालोंसे समझ चुका था भीकू उसका बाप नही है, बल्कि वह एक लावारिस है ,अगर वह यहां रहा तो उसकी जिंदगी कभी नही बदलेगी
उसे स्कूल में मास्टर पढ़ने लिखने के फायदे बताया करते थे , और जिस स्कूल में शिवा पढ़ता था उसको फीस नही लगती थी,वहा पर अनाथ बच्चों के रहने का भी इंतजाम था,उसने फिर अपना स्कूल का बस्ता उठाया और शफी चाचा के घर चला गया ,शफी चाचा की बीवी का नाम ज़ीनत था उसने ही शिवा को मा का प्यार देकर पाला ,उसे शिवा नाम भी उन्होंने ही दिया था, आज उनसे मिलकर वो यह बताने जाने वाला था कि वह भीकू का घर छोड़कर अनाथालय में रहने जाने वाला है ,जीनत को चार बेटिया थी उसे कोई बेटा नही था तो वह शिवा को ही अपना बेटा मानती थी ,
सनम 20 साल
नीलोफर 19 साल
सलमा और बेनज़ीर ** दोंनो जुड़वां थी
शिवा जब शफी चाचा के घर पहुचा सनम बाहर ही खड़ी थी
उसने अपनी माँ को आवाज दी, अम्मी बहार आ जा देख तेरा कुत्ता आया है रोटी खाने
सनम शिवा से बहुत नफरत करती थी उसे शिवा बिल्कुल पसंद नही था
शिवा को उसके ऐसी बातों की आदत थी ,वह बाहर ही खड़ा रहा ,जीनत बाहर आईं सबसे पहले उसने सनम को बोला ,बेटी यह तेरा भाई है तुझे कितनी बार बोला है ऐसा मत बोला कर
अपनी माँ की बातों से वह बहुत गुस्सा हो गई और अन्दर चली गयी
शिवा ने जीनत को अपना फैसला बता दिया कि वह भीकू का घर छोड़के जा रहा है,उसने यह नही बताया कि वह कहा जा रहा है उसे पता था कि शफ़ी चाचा उसे अपने घर मे रहने के लिये अनाथालय से वापिस ले आएंगे ,उसे उनकी आमदनी का पता था ,उनका घर शफ़ी चाचा की कमाई से नही चलता था ,इसलिए ज़ीनत चाची कुछ बड़े लोगो के घरोमे खाना बनाने का काम करती थी, जीनत चाची ने उसे रोकने की बहुत कोशिश की लेकिन वह नही माना, सनम भी सब बातें सुन रही थी ,उसकी तो सब बाते सूनकर आँखों से पानी बहने लगा पता ही नही चला ,जैसे उसको शिवा की आवाज आना बंद हो गई वो दौड़कर बाहर आई उसने देखा शिवा जा रहा है ,वो उसके पीछे भागी ,जीनत को इस बात का पता भी नही चला वो तो अपने ही गम में थी
शिवा को पीछे से आवाज आई , कहा जा रहे है कुत्ते
शिवा ने मुड़के देखा ,सनम थी वो ,उसको सनम रोनी सूरत देखके बुरा लगा ,वो कुछ नही बोला
सनम फिर बोली ,तूने मेरी बात का जवाब नही दिया कुत्ते
शिवा, सनम दीदी में स्कूल जा रहा था
सनम ,दीदी किसे बोला कुते में तेरी दीदी नही हु ,और ना तू मेरा भाई है कितनी बार बोला है तुझे ,
वापिस कब आने वाला हैं स्कूल से
शिवा ने कुछ जवाब नही दिया
सनम ,सुन कुत्ते तू वापिस नही आया ना देख लेना में तेरी दोनो टाँगे तोड़ दूंगी
शिवा,कुछ देर चुप रहा फिर बोला मे वापस आऊँगा तब तक तुम सबका खयाल रखना
सनम के पास आकर उसकी आँखे से बहते आँसू साफ करके शिवा बोला, सनम तू रो मत ,में तुम्हारी आँखों मे आंसू नही देख सकता ,यह शिवा का वादा है कि वह वापीस जरूर आयेगा
इतना बोलकर वह बिना पीछे मुड़े चला गया
सनम बस उसे जाते हुवे देखती रही जब तक वो ऊसकी आंखो से ओझल नही हूवा वो उसे देखती रही
तीन साल बाद
मुम्बई के होटल में एक लड़का मैनेजर के केबिन के बाहर खड़ा था ,वहां पर आज एक अखबार में नोकरी की ऐड देखकर वह आया था ,जब वह अंदर दाखिल हुवा तो मैनेजर उसे देखता ही रह गया साढे 6 फिट से लम्बा कद ,चौड़े सीना ,मजबूत हाथ ,सन्दर चेहरा जो किसी का मन मोह ले, गोरा रंग ,सलीके से कटे हुवे बाल किसी पहाड़ की तरह वो मजबूत लगमबरी रहा था वो
तुम्हारा नाम क्या है जी
जी सर शिवा
सिर्फ शिवा, मेने पुरा नाम पूछा है ,मा बाप ने सिखाया नही तुम्हें कुछ, तुम्हारी फ़ाइल कहा है
शिवा ने अपनी हाथ मे से फाइल उन्हें दे दी
मैनेजर ने उसके फ़ाइल को खोलकर देखना शुरू किया
उसकी 10 कि मार्कशीट में नांम लिखा था शिवा मनोज देसाई, उसे 10 वी में 92 % थे और 12 वी में 95 %, उसकी पुरी फ़ाइल में स्पोर्ट्स के सर्टीफिकेट थे कुश्ती,कब्ड्डी, बॉक्सिंग हर खेल में वो कॉलेज का स्टेट लेवल का गोल्ड मेडलिस्ट था,उसकी फ़ाइल देखकर मैनेजर को बहुत खुशी हुई उसने अपने सामने खड़े शिवा को बैठने को कहा
बेटा तूम्हारी उम्र कितनी है
जी सर 19 साल
तुम्हारा नाम शिवा मनोज देसाई है तो तुमने मुझे तुम्हारा नाम पूरा क्यों नही बताया
जी सर में एक अनाथ ही, में जिस अनाथालय में बडा हुवा उसको चलाने वाले हे मनोज देसाई ,वही हम अनाथ लोगो को पिता बनकर अपना नाम देते है
मैनेजर ,बेटा में तुम्हे यहाँ काम तो दे दूंगा पर तुम आगे की पढ़ाई करते औऱ आगे जाते,सिर्फ 12 तक पढ़कर कोई फायदा नही होता
सर ,मुझे यही मुम्बई में इंजीनियरिंग के फर्स्ट ईयर में फ्री सीट पे एड्मिसन मिल गई है,में काम करने के साथ पढ़ने भी वाला हूं
मैनेजर, यह तो बहुत अच्छी बात है ,तो समजो तुम्हारा काम यहां पक्का
ठीक है सर ,सिर्फ़ में आपसे एक गुजारिश करूँगा आप मुझे नाईट डयूटी ही दीजिये इससे मुझे सुबह कॉलेज जाना आसन होगा
नही बेटा तुम रोज दोपहर 4 बजे से रात 12 बजे तक डयूटी करना ,
मैनेजर की अच्छाई देखकर शिवा को बहुत अच्छा लगा ,शिवा को उस होटल में एक एकाउंटर की नौकरी लग गई ,उसे हर महीने का 12,000 मिलने वाले थे
वहाँ से निकलकर शिवा शफ़ी चाचा की घर तरफ चल दिया,उनके घर जाते वक्त उसे शाम हो गई थी
शिवा ने उनके घर का दरवाजा बजाया और आवाज दी शफ़ी चाचा
दरवाजा सनम ने ही खोला ,जब उसने शिवा को देखा तो पहले उसे बिनबोले देखती ही रही ,और बाद मे जोर से चिल्लाई ,कुत्ते और उसके गले लगाकर रोने लगी ,शिवा को सनम की आगोश में एक अलग ही सुख मिल रहा था ,उसे आजतक इस तरह किसी ने अपने गले नही लगाया था, सनम की गुदाज चुचिया उसके सीने को लगने से और सनम के बदन से आती खुश्बू से एक अलग ही नशा आ रहा था उसने भी अपने दोनों हाथो से सनम को अपने सीने में कस लिया था, तभी उसके कानों मे जीनत की आवाज आई शिवा बेटा तुम, शिवा ने सनम को अपने आप से दूर करना चाहा लेकिन वो शिवा को छोड़कर दूर ही नही हो रहीं थी ,
सनम ,मुझे चाची से मिलने दो
शिवा की आवाज से उसने शिवा के छोड़ा और बोली ,लो अम्मी आ गया आपका कुत्ता
जीनत ने उसे कुछ नही बोली और शिवा को गले लगा ली ,शिवा भी बाद मे सबसे मिला उसने देखा कि शफ़ी चाचा बिस्तर में ही लेटे है,वो बोला चाचा मेरे गले नही लगोगे
जीनत बोली ,शिवा अब यह कभी अपने पाव पर खड़े नही हो पाएंगे ,यह सुनकर शिवा को बहुत दुःख हुवा
यह कैसे हुवा चाची
तब जीनत बोली भीकू और शफ़ी चाचा टेम्पो लेके मण्डी से
घर आ रहे थे भीकू ने उस दिन ज्यादा हि शराब पी थी ,उसने नशें में गाड़ी सम्भली नही और वह पलटी हो गया भीकू तो जगह पे मर गया ,तेरे चाचा भी बहोत घायल हो गए थे ,उनकी रीढ़ की हड्डी टूट गई है,उनके इलाज के लिए 20 लाख रुपये लगने वाले थे, मेरे पास इतने पैसे नही थे, मेने बस्ती के कुछ लोगो से पैसे उधार लिए थे, जो इनके इलाज में ख़र्च हो गए,इसलिये हम इन्हें घर लेकर आ गए
ज़ीनत की बाते सुनकर शिवा को बहुत बुरा लगा जिस इंसान के पैसे से वो दस साल तक अपना पेट भर रहा था, आज वो इंसान बेबस उसके सामने पड़ा हूवा था
जीनत बोली शिवा,भीकू के घर की चाबी हमारे पास ही ,तुम ही अब भीकु के बाद उसके मालिक हो,तुम वह रह सकते हो
शिवा ने फिर रात का खाना उनके साथ हीं खाया, खाना खाकर शिवा ,सनम और नीलोफर तीनो भीकु के खोली में गये वह जाकर तीनो ने उसकी सफाई करके उसे घर बनाया ,दो ही रूम की घर था वो ,एक पलंग ,रसोई का सामान,पीने का पानी पीने के बर्तन, सब काम करने के बाद सनम ने शिवा से पूछा वो कहा रहा तीन साल तब शिवा ने उन दोनों को सब बताया कि वह कहा रहा कैसे पढ़ाई की ,उसने यह भी बताया कि उसे एक होटल में जॉब भी लग गई है अब वह आगे पढ़ने वाले है,
दोनो बहने फिर अपने घर लौट गई और शिवा बी बेड पर अपनी आँखें बंद करके सोच में पढ़ गया ,उसे शफ़ी चाचा का इलाज कैसे कीया जाए उसकी चिंता हो रही थी,बहुत देर तक वह सोचता रहा ,फिर उसे कुछ याद आया उसने अपने बैग में कुछ ढूंढने लगा थोडी देर बात उसे जो चाहिए था उसे मिल गया,वो एक विस्टिंग कार्ड था ,उसपे नाम लिख हुवा
था और एक मोबाइल नंबर था
कार्ड पे नाम था विनोद शर्मा 98********