• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest जिन्दगी ## एक अनाथ की##

Naik

Well-Known Member
20,975
76,642
258
Update 56
काल ,नेत्रा मुझे बहुत ही ज्यादा प्यास लगी है ,थोड़ा सा पानी पीले क्या हम
नेत्रा ,काल के मन मे ,यहा की हर चीजमे जहर है खाना पीना यहा तक कि यह हवा भी जहर से भरी हुवीं है ,यहा पर आपने कुछ भी खाया या पिया तो तुम बेहोश हो सकते हो ,भले ही मेने आपका हाथ पकड़ा हो यह जहर आप पर असर करेगा ,आप जो सास ले रहे हो ना यह भी बहुत ज्यादा जहरीली है ,में लगातार आपके शरीर से जहर सोख रही हु अगर में 1 मिनीट के लिये भी आपसे दूर हुवीं ,तो ये आपके लिये बहुत घातक हो सकता है ,इसीलिये कुछ देर के लिये अपनी भूख प्यास पर काबू रखें,आप सिर्फ अपने मन मे बोलते जाइये में आपको जवाब दुंगी ,यहा पर कोई भी हमारी बाते सुन सकता है ,
दोनो को ही सेवको ने हिमानी के कमरे में छोड़ा, एक पूरी नीले बदन की नागिन पलँग पर बेहोश लेटी थी ,वो सर्पमानव के रूप में लेटी थी ,नेत्रा काल के मन मे ,यह एक निलनागिन है जो हजारो साल में एक ही पैदा होती है ,इनमें बहुत सी खास चमत्कारी शक्तिया होती है पर इनकी शक्तिया इनके शादी के बाद इनके पति को मिलती है , दोनो पति पत्नी शादी के बाद अनोखी शक्तियों के मालिक बन जाते है और उसका इस्तेमाल कर सकते है ,यह नागिन की एक खास बात है इसके अन्दर बहुत ही ज्यादा कामशक्ति होती है जो कोई भी नही भुजा सकता सिवाय महानाग के ,आज तक कोई भी निलनागिन और महानाग की जोड़ी देखी नही गयी है ,और मुझे यह सब विशाखा से पता चला है ,
कालनेत्री हिमानी को छुकर देखती है कि उसे क्या हुवा है ,तो वो देखती है कि हिमानी ने अघोरविष को पी लिया था ,आमतौर पर साँप विष पीकर अपनी भूक औफ प्यास मिटाते है ,कुछ विष पीकर उनकी ताकद भी बढ़ जाती है ,पर अगर उन्होंने कोई बहुत ही प्रभावशाली जालिम जहर पी लिया तो वो उनके लिये जानलेवा भी साबित होता है ,हिमानी के पिता उसकी शक्तिया पाने के लिये उसकी शादी अपने ही दोस्त से करवा रहे थे ,जो हिमानी को पसन्द नही था ,इस शादी को टालने के लिए उसने विषलोक का सबसे घातक अघोर विष पी लिया था, ताकि वह अपनी जान दे सके ,पर वो विष पीकर मरी नही पर बेहोश हो गयी थी ,उसके पिता ने पूरी दुनिया से वैद्य बुलाकर उसका इलाज किया पर कोई भी अघोर विष का प्रभाव खत्म नही कर पाया था ,और पूरी दुनिया मे अघोर विष का एक ही तोड़ था कालनेत्री ,
नेत्रा हिमानी को स्पर्श करके सब देख ही रही थी कि हिमानी की आंखे खुल गई ,दो अनजान चेहरो को अपने सामने देखकर हिमानी थोड़ी सी चौक गई ,लेकिन नेत्रा को देख के उसने कहा ,नेत्री बुवा आप आ गई ,आप कहा चली गईं थी ,आप नहीं थी तो देखो क्या हाल कर दिया है आपके भैया और भाभी ने मेरा ,में बहुत अकेली हो गयी थी आपके जाने के बाद , नेत्रा तो आवक सी हो गयी हिमानी की बातों से ,यह आपके साथ कौन है बुवा ,काल के और इशारा करते हुवे ,हिमानी ने फिर पुछा, लेकिन इसका जवाब दोनो ने ही महाराज ने विषदंश ने दिया ,बेटा यह तुम्हारी बुवा का दोस्त है ,जो उनको यहा पर छोड़ने आया था
काल और नेत्रा महाराज के और देखने लगे ,उसकी मन की बाते सुनकर काल भड़क गया था पर उसके मन मे नेत्रा की आवाज आयी ,आप शांत रहिये हमे सबसे पहले अघोर विष को पाना है ,उसके बाद देखेंगे क्या करना है ,तबतक आप शांत रहिये ,
नेत्रा ,मेने आपकी बेटी को ठीक किया इसका मतलब यह नही के में आपकी बहन कालनेत्री हु ,भले ही में आपके बहन जैसी दिखती हु पर में उतनी शक्तिशाली नही हु ,और इस बात का सबसे बड़ा प्रमाण यही है कि अगर में आपकी बहन होती तो हिमानी की हालत देखने के बाद आप का सिर मेरे कदमो में होता
विषदंश ,मे भी छुपकर यही देख रहा था कि तुम हिमानी की हालात जानकर तुम एक पल में मुझे मार देती पर तुमको कबसे यही शांत बैठा देखकर ही में आगे आया , भले ही तुम कालनेत्री नहीं हो पर तुम में बहुत सी शक्तिया है जो उसकी तरह ही है ,तुम अब यही रहकर मेरी मदद करोगी ,मुझे उस महानाग को मारना है ,उसके लिये अब हिमानी की शक्तियों के साथ तुम्हारी भी हमे बहुत मदद होगी ,जाने कितने ही महायोद्धा मारे गए है उस महानाग के खोज में हमारे ,लेकिन अब हम तुम्हारी दोनो की शक्तियों की मदद से अब इस खतरे को मिटाना ही होगा ,में वो भविष्यवाणी झूठी कर दूंगा की महानाग विषलोक तबाह करने वाला है ,मौत के साये में हम डर के अब नही रहने वाले ,
मेने कालनेत्री को भी कितनी बार कहा था कि वो महानाग को मार दे ,पर उसे हमारे पिता ने कहा था कि वो महानाग ही उसका पति है और तुम कभी विषलोक के लिये उसके साथ युद्ध नहीं करना ,विषलोक को खत्म होना ही सबके लिये अच्छा रहेगा ,विषलोक की मदद से अब तक ना जाने कितनी ही बुरी ताकते असीम बलशाली हो गई है ,और ऐसे विषलोक का नष्ट होना ही अच्छा है जिसकी वजह से किसी बुराई के बल मिले ,और वो उनकी बातों को मानती रही ,और इसमें उसका साथ उसकी खास सहेलियां देती रही सर्पिणी और विशाखा, में तो अपने पिता के वजह से उन्हें यहा पर आने देता था ,कालनेत्री उन्हें बताये बिना कहि नही जा सकती थी ,मेने कितनी बार उन दोनों को पूछा पर उन्होंने कभी कुछ नहीं बताया ,हमेशा मुझसे झूठ ही बोलती रही ,मेने उनका यहा आना ही बन्द कर दिया ,कुछ सालों से सर्पिणी भी घायल है ,विशाखा ने कितनी बार मुझसे अघोर विष माँगा लेकिन मेने नही दिया ,अगर वो मेरी बहन कहा है यह बात मुझे बता देती तो में उसको अघोर विष जरूर देता पर तब भी उसने मुझे कुछ नही बताया ,लेकिन अब तुम खुद यहा आ गई हो ,अब मुझे किसी की जरुरत नही है ,विषदंश ने काल की तरफ देखकर कहा की ,तुम कौन हो ,क्या हो मुझे इससे कोई मतलब नही है ,अगर तुम जीना चाहते हो ,तो इसको यही छोड़ो और वापिस लौट जाओ ,फिर कभी तुम यहाँ पर आए तो में तुम्हे जान से मार दूँगा,
काल अब नेत्रा का हाथ छोड़कर विषदंश को मारने जा ही रहा था तो उसके मन मे ,आप को मेरी कसम आप चुप रहेंगे और मेरी बात को मानिए ,हमे दिमाग से काम लेना होगा ,आप यहां एक पल भी नही टिक सकते ,धीरज रखिए ऐसे गर्म दिमाग से कोई भी लड़ाई नही जीती जाती ,में बात करती हूं इस पापी से ,
नेत्रा, में यहाँ पर रुकने को तैयार हूं ,लेकिन आप हमें अघोर विष दे दीजिए, यह यहाँ से अघोर विष लेकर चले जाएगा और में यहीं रुक जाऊंगी,
विषदंश सोच में पड़ गया ,इतनी आसानी से यह बात मान रही है वो भी सिर्फ अघोर विष लेकर ,उसने अपने एक सेवक से अघोर विष की एक छोटी शीशी मंगवाई और कहा में अघोर विष दे रहा हु ,पर इस बात का क्या प्रमाण की तुम इसके यहा के जाने के बाद खुद भी ना रहो ,में तुमको एक बेड़ी देता हूं तुम पहले इसे अपने दोनो हाथो में पहन लो उसके बाद ही में तुमको अघोर विष दूँगा ,
नेत्रा ने कुछ सोचकर उसके हाथ मे विषदंश ने दी हुवीं बेड़ी पहन ली पर काल का हाथ नही छोड़ा ,विषदंश ने भी काल के हाथ मे अघोर विष की शीशी दे दी ,काल के कान में नेत्रा की आवाज आयी ,आप पहले यहाँ से सीधा विशाखा के पास चले जाइये ,में इसको चकमा देकर वही आती हु ,
काल भी नेत्रा की बात मानकर सीधा गायब होकर विशाखा के गुफा में पहुचा, उसने वो अघोर विष की शीशी विशाखा को दे दी ,विशाखा भी वो शीशी लेकर बहुत खुश हो गई ,उसने अपने बहन को जाकर वो शीशी का जहर पूरा पिला दिया ,कुछ ही पल में सर्पिणी के जख्म भरने लगे और वो होश में आने लगि 10 मिनीट में ही वो पूरी तरह स्वस्थ हो गई ,दोनो बहने एक दूसरे के गले लग गई, 450 सालो से जो विशाखा की आंखों में गम था ,वो उसने आज निकाल दिया था ,दोनो जी भरकर रोयी ,विशाखा ने उसे सब बता दिया उसके बेहोश होने के बाद क्या हुवा था और कैसे काल ने यह अघोर विष लाकर उसकी जान बचाई ,सर्पिणी ने भी हाथ जोड़कर काल का धन्यवाद किया ,उसने नेत्रा के बारे में पुछने पर बताया की वह विषदंश को चकमा देकर आने वाली है ,जब उसने उन दोनों को विषलोक की सब घटना बताई तो दोनो उस जादुई बेड़ी की बात सुनकर घबरा गई ,काल ने भी उनका डर देखकर उनके मन किं बात जान ली ,तो उसे भी थोड़ा डर लगने लगा ,जो जादुई बेड़ी नेत्रा ने पहनी थी वो कालनेत्री की बेड़ी थी जो उसे खुद महाकाल ने दी थी ,उस बेड़ी को अगर किसी देवता को भी पहना दिया तो उसकी सारी शक्तिया वो बेड़ी खिंच लेती है ,उस बेड़ी को पहनने के बाद कोई भी शक्ति काम करना बंद कर देती है ,यह बेड़ी कालनेत्री को भी बंदी कर सकती थी ,
काल और वो दोनो बहने बहुत देर तक नेत्रा की राह देखते रहे पर वो नही आयीं ,काल ने बहुत बार अपने मन मे उसको देखने और बात करने की कोशिश की वो कामयाब नही हो पाया ,उसने फौरन विषलोक जाने की सोच कर वहां जाने की कोशिश करने लगा पर वो विषलोक में नही जा पा रहा था अपनी शक्तियों की मदद से ,उस सर्पिणी ने ऐसे परेशान देखकर कहा ,अगर तुम यहाँ से सीधा विषलोक जाना चाहते हो तो नही जा सकोगे ,कालनेत्री ने विषलोक में एक कवच लगाया है ,वहां पर जाना हो तो दरवाजे से ही जा सकते है ,विषलोक से तुम सीधा कही भी जा सकते हो ,यह सब कालनेत्री ने पापी लोग विषलोक में ताकद पाने नही आ पाए इसीलिये किया है ,विषलोक के हर दरवाजे पर कालनेत्री की शक्ति है जो सिर्फ़ अच्छे लोगो को ही अंदर आने देती है, कोई भी पापी उन दरवाजे को पार नहीं कर सकता है ,
काल अब सोच में पड़ गया उसे किसी भी हाल में उसे नेत्रा को बचाना ही था विशाखा और सर्पिणी को अंदर आने की अनुमति नही थी ,और काल मे कोई विष नहीं था जो उसे वहां सीधा वहां पर प्रवेश मिल सके ,विषलोक में सिर्फ जिनके अंदर विष हो वही जा सकते है ,नेत्रा के वजह से वो विषलोक में प्रवेश कर पाया था ,
सर्पिणी ,क्या महानाग हमारी मदद नही कर सकता ,काल ने पूछा ,
काल ,आज तक महानाग से कोई मिला ही नही है तो यह में तुम्हे कैसे बता सकती हूं, महानाग के तलाश में आजतक कितने है सर्प योद्धा गये उसके ठिकाने तक पर कोई जिंदा तो क्या उसका शरीर भी नही लौटा ,सर्पिणी
काल ने कुछ सोचा और वह सीधा गायब होकर उस गुफा के सामने पहुचा जहा से अंदर जाने पर विषलोक का दरवाजा मिलता है और उस गुफा में न जाकर गड्ढे में नीचे महानाग का ठिकाना है ,
दीदी ,यह काल कहा गया होगा ,विशाखा बोली
मेरे खयाल से वो विषलोक में ही जायेगा चलो हम भी चलते है उसके पीछे ,हमे उन दोनों की मदद करनी होगी ,विषदंश बहुत ही ताक़दवर है, पर वो मेरे सामना नही कर सकता, चलो हम भी चलते है ,सर्पिणी बोली ,
दोनो जब उस गुफा के बाहर जाकर काल को देखने लगी तो दोनो की आंखे बड़ी हो गयी ,काल नीचे महानाग के ठिकाने की तरफ तेजी से जा रहा था ,वो दोनो तो नीचे जाने के बारे में सोच भी नहीं सकती थी ,नीचे ऐसा जहर था कि कोई सर्प योद्धा पल भर में वहां गल जाता था ,और काल अपनी मौत के पास जा रहा था ,
नेत्रा हिमानी के पास बैठी थी ,दोनो को एक कमरे में बंद कर दिया था विषदंश ने और बाहर अपने खास सिपाही रखे थे ,
हिमानी ,तो आप मेरी बुवा नही हो ,आप का नाम नेत्रा है ,और वो आपके पति थे ,क्या वो अब तुम्हे बचाने नही आयेंगे,
नेत्रा,हिमानी ,उनकी मौत जहर से होगी ,उनके लिये कोई सामान्य जहर भी जानलेवा है ,में नही चाहतीं थीं उन्हें यहा नुकसान हो ,इसलिये मेने बेड़ी पहनने के फौरन बाद उन्हें वापिस भेज दिया ,मुझे पता था यह बेडी मेरी ताकद खत्म कर देगी ,पर में हैरान हूं कि अगर यह बेड़ी मेरी सब ताकद सोख ली है ,तो में विषलोक में जिंदा कैसे हु ,और मेरे पति की एक बात में जानती हु ,भले ही उनको जहर से खतरा हो
पर वो विषलोक में आकर ही दम लेंगें ,तुम्हारे पिता को मारकर मुझे यहां से लेकर जाएंगे ,भले उसके लिये उनको कुछ भी करना पड़े पर वो चूकेंगे नही ।
Bahot behtareen zaberdast shaandaar update
 

Nevil singh

Well-Known Member
21,150
53,000
173
Update 58
हिमानी ने नेत्रा के आसु पोछकर कहा कि इस तरह रोने से क्या होगा काल आ जायेगा ,अब नेत्रा क्या बोले इसको अपने दिल का दर्द ,तभी विशाखा बोली ,दीदी सामने देखो कहि ये सब सर्पलोक के बिगारी तो नही ,
चारो लड़कियां विषलोक के बाहर उस गुफा में खड़ी थी ,और उनके सामने से बहुत से सर्पमानव विषलोक में जा रहे थे
सर्पिणी,हा विशाखा, पर कालनेत्री ने तो इनका यहां आना कबसे बंद कर दिया था ना ,और यह सब इतनी बड़ी संख्या में क्यो जा रहे है विषलोक में ,
हिमानी ,शायद आपको पता नही होगा पिताजी ने शिवमन्दिर के रास्ते से कितने ही दृष्टो को विषलोक में जगह दी है ,में जब होश में थी तभी सेंकडो लोगो को महल के नीचे बने तहखानों में रखा था ,उन्हें हर तरह के विष दिए जाते थे ,ताकि वह ताक़दवर बने ,पिताजी ने उनको महानाग के विनाश के लिये ही तैयार कर रहे थे ,ये सर्पलोक के बिगारी तो हमेशा से मेरे पिताजी के अच्छे दोस्त रहे है उनको पिताजी ने खास मेढ़क के जहर दिये है ,जिसकी मदद से अब वो बहुत ताक़दवर बन चुके है ,
नेत्रा ,सर्पिणी यह बिगारी लोगो के आकार इतने बड़े कैसे है आप लोगो के मुकाबले
सर्पिणी, नेत्रा इन बिगारी सर्पो की एक खास बात यह होती है की इनकी आयु बहुत ज्यादा होती है, आम सर्पो की तुलना में यह जब तक जीवित रहते है इनकी लंबाई हर साल बढ़तीं ही रहती है ,इनमें इतनी ताकद होती है के एक हाथी को भी यह अपनी पूंछ में फसाकर मसल देते है ,इन्हें सर्पलोक के सबसे क्रूर योद्धा माना जाता है ,यह जरूर विषदंश के मदद के लिये आये है ,हमे भी अंदर जाना होगा काल की मदत के लिये,माना हम काल के जितने ताक़दवर नही है पर उसकी मदद जरूर कर सकते है ,
हिमानी ,सर्पिणी बुवा एक बात मेरे समझ मे नही आती आप दोनो बहने कितने सैकड़ो साल की हो ,आप मे इतनी ताकद है लेकिन आपने कभीं पिताजी ,या इन दृष्टो का मुकाबला क्यो नही किया ,
सर्पिणी ,हिमानी माना हमे दोनो बहनो में बहुत ताकद है पर हम दोनों की पूरी ताकद हमे मिली ही नहीं है ,जब तक हमारी शादी नही होती, हम अपने पतीसे मिलन नही कर लेते ,तब तक हम दोनों की शक्ति जागृत नहीं होगी ,और हम दोनों पर हमारे माता पिता के जाने के बाद मन्दिर के रक्षा की जिम्मेदारी थी ,उसकी वजह से हम कभी इस मामले में नहीं पडे ,पर आज हम काल की मदद करने आये थे और मन्दिर का जिम्मेदारी हमसे भी बढ़कर सुरक्षित हाथो में ,
विशाखा ,दीदी ,इसका मतलब वो दोनो अभी मन्दिर में है,मेने कितने ढूंढा था उनको लेकिन वो दोनो कभी मिली ही नही ,
सर्पिणी ,हम जब मन्दिर जाएंगे तो तुम उन दोनों से मिल लेना ,वो तुम्हे सब बता देगी ,अब हमें बाकी बाते झोड़कर काल की मदद कैसे करनी है इसके बारे में सोचना होगा,
नेत्रा,उन्होंने मुझे कसम दी है कि में अंदर ना जावू ,और तुम सबके साथ बाहर ही रहूं ,
विशाखा ,काल ने कसम तुम्हे दी है नेत्रा हमे नही ,तुम हिमानी के साथ यहीं रहो में और दीदी काल की मदद करने के अंदर जाते है ,
हिमानी ,बुवा माना में आपसे छोटी हु और ताकद में भी कम हु पर में निलनागिन हु ,मेरे जहर से अच्छे अच्छे हार मान जाते है ,में भी आ रहि हु आपके साथ ,नेत्रा तुम यही रुको हम तीनों जाकर काल की मदद भी करेंगे और उसे तुम्हारे पास लेकर भी आएँगे ,
नेत्रा की बातों को गोल करती तीनो अंदर चली गई काल की मदद करने
विषलोक में काल जब विषदंश को तलाश करने जाने लगा ही था कि उसके सामने 100 से ज्यादा बहुत ही बड़े सर्पमानव खड़े थे, जिन्हें देखकर काल की आंखों में एक आग थी जो सामने वालो को जलाने के लिये काफी थी ,अबतक की लड़ाई काल अपने मानव रूप में ही लड़ रहा था ,लेकिन सामने सर्पमानव देखकर उसने भी अपना रूप सर्प मानव में बदल लिया ,जिसे देखकर सामने वाले इतने बड़े सर्पमानव थे उनकी भी फट गईं,काल एक पूरे काले सर्पमानव में बदल गया था ,काल ने यह रूप कभी नही लिया था ,अपने आप वो काले सर्पमानव का रूप आ गया था ,जिसका पता काल को भी नहीं था ,काल किसी हवा की तेजीसे उन पर झपट पड़ा ,वो जिस रफ्तार से उनसे लड़ रहा था उतनी उनमे से किसी की भी नही थी ,वो सब सर्पमानव पहली बार जिंदगी में इतना काला और भयानक सर्पमानव देख रहे थे ,अपनी जान बचाने के लिये वो भी अब काल का मुकाबला कर रहे थे ,काल अपनी पूरी जान लगाकर लड़ रहा था ,उसके बदन में पलपल फैलने वाला जहर उसकी तकलीफ लगातार बढा रहा था और उसके शरीर पर जहर के अनगिनत वार भी हो रहे थे,मैदान में अब बिगारी सर्पमानव भी काल पर वार करने आ गए थे ,वो तो बहुत ही विशाल थे ,उन बिगारी सर्पमानव ने अपना सर्प रूप लेकर काल पर अपने जहर से वार कर रहे थे ,कुछ बिगारी सर्प 2 मुह वाले थे तो कुछ 10 ,बहुत ही घातक वार कर रहे थे वो काल पर ,काल का पूरे शरीर पर दांतो के काटने के निशान बन गए थे ,उसके पूरे शरीर पर खून ही खून बह रहा था ,विशाखा हिमानी ,सर्पिणी भी काल का साथ देने मैदान में कूद गई थी उन तीनों ने भी कितनो को मार दिया था पर यह सिर्फ 4 थे और सामने हजारों थे जिनकी संख्या लगातार बढ़ती ही जा रहीं थी ,विषलोक को बचाने अब पूरी दुनिया से जहरीले योध्दा आ रहे थे ,विषलोक ही उनको हर तरह के जहर से ताकद देता था तो कौन इतनी आसानी से विषलोक को मिटाने देगा हर बुरी ताकद के साथ कुछ अच्छी ताकते भी वहां पर आ गईं थी विषलोक को बचाने उनके सामने बस 4 ही थे सर्पिणी और विशाखा से उनके ही वंश के सर्प मुकाबला कर रहे थे ,बाकी कोई उनसे नही लड़ना चाहता था ,पर दोनो बहनो के आगे उनके वंश के सर्प भी ज्यादा देर तक टिक नही पा रहे थे ,तभी विशाखा और सर्पिणी पर पाताल की काली नागिनों ने हमला कर दिया ,वो काली नागिनों के जहर से दोनो को बहुत तकलीफ होने लगी थी ,वो सब काली नागीने हजोरो साल से पाताल में रहने वाली इतनी जहरीली थी कि उनके पास खड़े बाकी बिगारी योध्दा तक गल गये थे ,हिमानी को जख्मी करके बंदी बना लिया था ,सर्पिणी और विशाखा भी बुरी तरह जख्मी होकर लड़ने में लगी थी,काल का तो हाल ही बुरा था उसके अंदर अब पूरी दुनिया के जहर मौजूद हो गया था ,काल को हर कोई सर्प योद्धा ने काटा था ,पाताल की नागिनों ने भी काल को जख्मी किया था ,काल लड़ते लड़ते ही धरती पर गिर गया था उसके महानाग के दिये हुवे 6 घण्टे अब खत्म होने आए थे ,काल खुद को खड़े करने के लिए बहुत कोशिश कर रहा था पर वो नही हों पा रहा था ,उसने अपनी पूरी ताकद समेटकर खुद को खड़ा करना चाहा पर तभी एक काली नागिन ने ऊसकी पीठ में अपना जहरीला भाला आरपार कर दिया ,काल जमीन पर गिर गया और उसकी आंखें बंद हो गयी ,
विशाखा और सर्पिणी भी अब बेहोश हो गई थी ,उनके अंदर इतना घातक जहर भर गया था कि वो भी बचना नामुमकिन था ,
नेत्रा विषलोक के बाहर खड़ी सब अपनी आंखें बंद करके देख रहीं थी ,जब काल जमीन पर अपनी पीठ पर भाला लगने से गिर गया तो नेत्रा के मुह से एक चीख निकल गई ,काल,,,,,,,,,,,, नेत्रा जमीन पर अपने घुटनों पर बैठकर रोने लगी ,उसके दिल से खून के आसु निकल रहे थे ,वो अपने आप को ही काल की मौत का दोषी मान रही थी ,
नेत्रा ने जो काल के नाम से चीख लगाई थी वो इतनी तेज थी जो विषलोक तक भी सुनाई दी थी ,और कालनेत्री के घोड़े ने भी यह आवाज सुनी थी ,उस आवाज को वो भलीभांति जानता था ,वो तो कबसे कालनेत्री को महसूस करके उसकी राह देख रहा था, पर अब अपने मालकिन की इतनी दर्द भरी पुकार सुनकर, उसने अपने सारे बंधन तोड़कर अपनी मालकिन की तरफ दौड़ लगा दी ,वो घोडां अपनी मालकिन की खुशबू के सहारे नेत्रा तक पहुच गया ,नेत्रा के पास जाकर वो रोती नेत्रा के हाथ चाटने लगा ,नेत्रा ने रोते हुवे ऊपर देखा तो एक काला घोड़ा दिखा उसे देखकर नेत्रा खड़ी होकर उसे जानवर के सर को लिपटकर रोने लगी ,वायु मेरा काल नही रहै ,मेरे पति नही रहे वायु ,नेत्रा उस घोड़े को लिपटकर रोती अपना गम सुना रही थी ,
अचानक नेत्रा को झटका लगा ,वायु ,में इस घोड़े को कैसे जानती हूं ,ये नाम मुझे कैसे पता ,कुछ सोचकर
नेत्रा वायु पर बैठ गई ,वायु चलो मुझे मंदिर लेकर चलो,
वायु भी उसे तेज गती से शिवमन्दिर लेकर गया ,नेत्रा अपने मन मे मुझे ऐसा क्यू दिखा की में शिवमन्दिर में वायु पे बैठकर जा रही हु और मैने मन्दिर में क्या रखा था ,
नेत्रा को वायु ने जल्द ही मन्दिर के पास लेकर आया ,नेत्रा को उस मन्दिर को देखकर ऐसा लगा जैसे वो यहा बहुत बार आ चुकी है ,यह सब उसको अपना लग रहा था ,मन्दिर में आकर नेत्रा ने शिव के दर्शन किये और अपनी आंखें बंद करके अपने भगवान को याद करने लगी ,उसकी आंखों से बहता पानी उसके गालों से नीचे जमीन पर टपकने लगा ,अपने मन मे अपने भगवान को याद करती अपनी फरियाद लगा रही थी ,अचानक उसे अपने हाथों पर कुछ रेंगता महसूस होने लगा उसने अपनी आंखें खोलकर देखा तो वो एक सुवर्ण सर्प था जो बहुत ही छोटा था ,नेत्रा ने उसे अपने हाथों में उठा लिया और बोली , सुवर्णा देखो मेरे हाल ,मेरे पति मुझे छोड़कर चले गये ,अब क्या करूँ में तुम ही बोलो ,
नेत्रा किसी अपनी खास सहेली की तरह सुवर्णा से बात करने लगी थी ,अपने काल के ,अपने पति के बारे में उसे बता रही थी ,नेत्रा अपनी पूरी कहानी सुवर्णा को सुना कर चुप होकर रोने लगी ,सब सुनने के बाद अचानक वो साँप बोली ,नेत्रा अब तुम्हारा कालनेत्री बनने का समय आ गया है ,क्या अब तुम मुझे अपने अंदर ग्रहण नही करोगी ,
नेत्रा ने भी ना जाने कैसे अपनी आंखें झपकाकर हा कहा,वो सुवर्ण सर्प नेत्रा के शरीर मे ऐसे समा गया मानो वो उसकी आत्मा का हिस्सा हो ,नेत्रा की आँखे बंद हो गई उसे अपने कालनेत्री के जीवन के बारे में सब बातें याद आने लगी ,उसकी शिवभक्ति ,कालकूट विष पीने से बढ़ी ताकते ,महाकाल के कहने पर बुरी ताक़दो के खिलाफ लड़ना ,अपने पिता की भविष्यवाणी ,विशाखा और सर्पिणी की दोस्ती ,कैसे विषलोक के विनाश रोकने के लिये उसके भाई का उसके पीछे महानाग को मारने की जिद करना, सब याद आ गया था उसको ,उसने भगवान शिव के अनुमति से ही अपने प्राण त्याग दिये थे ,उसे भगवान शिव का आदेश था कि तुम दुबारा जन्म लोगी तब तुम्हारे हाथों से बहुत बड़े काम होने है ,इसी वजह से उसने अपने प्राण त्यागने से पहले अपनी शक्ति और सब यादे एक सुवर्ण सर्प के रूप में शिवमन्दिर में छोड़ रखी थी ,आज वही नेत्रा अब पूर्ण रूप से कालनेत्री बन गई थी ,
काल के छाती पर पैर रखता विषदंश जोरजोर से हस रहा था
मुझे तुम्हे मारने के लिये ना मेरी बहन कालनेत्री की जरूरत पड़ी ना मेरी बेटी की ताकत की महानाग तुम बहुत ही कमजोर निकले मेरी ताकद के सामने,फेक दो इस महानाग को हमारी निलनदी में इसकी लाश को हमारी नदी के जीव खाकर खुश होंगे ,कुछ सर्पयोद्धा ने आगे आकर काल को उठाकर नदी में फेंक दिया ,विषदंश अपनी खुशी में फुला नही समा रहा था ,वो अपनी जख्मी बेटी को एक तमाचा मार कर बोलता है ,नीच अपने बाप के खिलाफ जाती है ,विषदंश ने कहा ,आज के बाद विषलोक में कोई भी चोर दरवाजे से नहि आएगा ,एक दरवाजा तो इस महानाग ने तोड कर हमारा काम आसान कर दिया है ,बाकी दरवाजे भी हम जल्द नष्ट कर देंगे ,अब विषलोक में कोई भेदभाव नही होगा, पापी हो या पुण्यवान सब विषलोक आ सकते है विष पी सकते है ,आज से तो जो भी पापी होगा उसे ज्यादा विष दिया जायेगा ,उसकी बातें सुनकर सब खुश हो गये ,जो अच्छे लोग थे ,पुण्यवान लोग थे ,उन्होंने विषदंश को समझाना चाहा तो उन सबको वहाँ से विषदंश ने निकाल दिया ,सब विषदंश का जयजयकर कर रहे थे ,
जो दरवाजा महानाग ने नष्ट किया था ,एक जोरदार आवाज के साथ वो अपने आप पहले की भांति बन गया ,यह देखकर विषदंश को हैरानी हुवीं, बाकी लोगो को लगा कि अच्छे लोगों को विषलोक से निकलने के बाद विषदंश ने ही किया होगा ,
शिवमन्दिर की तरफ से अचानक बहुत तेज हवा के साथ धूल मिट्टी उड़ने लगी और कुछ ही पल में वहा सब के सामने खड़ी थी कालनेत्री ,विषदंश को तो यकीन नही हो रहा अपनी आंखों पर ,नेत्रा के बारे में वो सब जान गया था उसे मालूम था यह ना तो कालनेत्री है ना उसके जैसी शक्तिया, लेकिन उसके आंखों के सामने अब कालनेत्री अपने प्रचंड रूप में खड़ी 20 मुह वाली कालनेत्री को देखकर कुछ लोग डर गए तो कूछ खुश हो गए ,क्योंकि उनको अब कालनेत्री को सबक सिखाने का मौका मिल गया ,पाताल से आई काली नागिनों की तो कालनेत्री से कट्टर दुश्मनी थी ,काली नागिनों ने अपनी रानी को सन्देश भिजवाया की कालनेत्री आ गई है सामने ,कालनेत्री ने ही उनकी पुरानी रानी को मारा था अब उस रानी की बेटी केतकी ,काली नागिनों की राणी बन गयी थी ,उसमे भी कालनेत्री जैसी ही ताकते थी ,पर कालनेत्री के अचानक गायब होनेसे उन दोनों का कभी आमना सामना नही हुवा था पर अब दोनो सामने आने वाली थी , ।
(अगला विषलोक का आखरी भाग होगा )
Adbhut avishmarniye update mitr
 

Killerpanditji(pandit)

Well-Known Member
10,269
38,685
258
Update 57
काल तेजीसे पानी मे नीचे जा रहा था ,पिछले कितने घन्टो से वो नीचे जा रहा था, उसका पता नही चल पा रहा था उसे ,काले घने इस अंधेरे में सिर्फ काल की आंखे ही चमक रही थी ,काल के पैर जब जमीन पर लगे तो उसे थोड़ा अच्छा लगा ,काल के सामने एक बहुत ही बड़ा महल दिख रहा था जो पूरा काले अंधेरे में डूबा था ,उस महल के दिवारे , ,खिड़किया,दरवाजे ,फर्श सब काले रंग का था ,जब काल ने अपना कदम उस महल के जमीन पर रखा उसके पूरे बदन में एक सर्द लहर दौड़ गई ,वहां का तापमान बहुत कम था ,काल को ना गर्मी लगती थी ना कभी सर्दी ,लेकिन उसको भी यहां सर्दी का अहसास हो रहा था ,इससे काल को अंदाजा हो गया था कि कोई आम इंसान इस ठंड में जिंदा बचना मुश्किल था ,वो चलते चलते महल के दरवाजे के पास आया ,महल का दरवाजा 20 फिट से ज्यादा ऊंचा और 10 फिट चौड़ा था ,उस दरवाजे पर एक साँप बना हुवा था ,जिसको देखकर ऐसा लग रहा था ,मानो वो कोई जिंदा साँप हो जो उसकी तरफ देखने वालों की रूह तक को देख पा रहा हो ,काल ने जब उस सांप की आंखों में देखा तो उसको लगा जैसे उसकी आँखों मे हल्की चमक उठी हो ,काल कुछ देर तक उस साँप की आंखों में ही देखता रहा ,अचानक वो दरवाजा अपने आप खुल गया ,काल बिना डरे उस दरवाजे के भीतर दाखिल हुवा ,बाहर से महल देखकर ऐसा लगा था अंदर बहुत कमरे हो ,पर यहा पर बस एक ही कमरा था जो चारो तरफ फैला हुवा था , उस कमरे के बीचोबीच में थोड़ी ऊंचाई पर दो बड़ी सी कुर्सियां रखी थी ,ऐसा लग रहा था मानो वो कोई बड़े से राजदरबार में खड़ा है और उसके सामने कोई राजा और राणी उन दो बड़ी कुर्सियों में बैठे है ,काल चलता हुवा ठीक उन कुर्सियों के सामने खड़ा हुवा ,काल के पास अंधेरे में देखने की शक्ति होकर भी वो उन दो कुर्सीयो के दायरे में उसकी शक्ति कम नही कर रही थी , उसे ऐसा लग रहा था कि वहाँ दोनो कुर्सियों पर कोई बैठा हो पर वो उनको देख नही पा रहा था ,काल ने सामने थोड़ी देर तक देखा और कहा ,जी मेरा नाम काल है वैसे मेरा असली नाम शिवा है पर कुछ मजबूरियों के चलते मेने मेरा नाम बदल लिया ,मेरी कहानी आपको बताकर में अपना समय जाया नही करना चाहता ,में बस यही कहूंगा के मेरे नसीब ने मुझसे जितना छिना उससे कहि गुना दिया भी ,में आज आप के पास खुद के लिये कुछ नही माँगने आया हु ,मेरी वजह से एक बेगुनाह की जान खतरे में पड़ गई है ,वो बिचारी मुझे बचाने के लिये उस मौत में गड्ढे कूद पड़ी ,उसने मुझे तो बचा लिया पर अपनी जान उन पापियों के हवाले कर बैठी ,में बस इतना चाहता हु आप मेरे शरीर को थोड़ा जहरीला बनाकर में कुछ घण्टो के लिए मुझे मौत न आये ,इसके बदले आप जो चाहे वो आप मेरे साथ कर सकते है ,
काल अपनी बात बोल कर कुछ देर चुप रहा और सामने से क्या जवाब आता है उसकी राह देखने लगा ,
काल,यही नाम है ना तुम्हारा ,क्या दे सकते हो तुम हमे, अपनी इच्छा पूरी करने के लिए ,काल के कानों में एकदम सर्द आवाज आयीं ,
जी आप जो कहे वो में करने के लिये तैयार हूं, काल ,
क्या तुम अपनी आत्मा हमे दे सकते हो हमेशा के लिए ,आवाज
जी हा ,में अपनी आत्मा आप को दे सकता हु हमेशा के लिये,काल बोला,
ठीक है तो फिर हम तुम्हारी आत्मा हमारे पास रख लेंगे हमेशा के लिए ,और तुम्हे शरीर मे विष लेकर तुम्हे 6 घंटे की जिन्दगी भी देंगे ,इसके सिवा और कुछ नही चाहिए तुमको ,आवाज ,
जी नही ,बस मुझे 6 घण्टे की जिन्दगी ही बहुत है ,काल ,
अगर तुम चाहो तो में तुम्हे असीमित बल ,धन ,के साथ एक नई जिंदगी दे सकता हु जहा तुम अपनी मर्जी से जो चाहो वो कर सकते हो ,इस 6 घण्टे की विषभरी जिंदगी के बदले हम तुम्हे बहुत कुछ और दे सकते है ,आवाज ,
जी आपका बहुत शुक्रिया आपने मुझे उस लायक समझा पर में आपके पास सिर्फ इस विषभरी जिंदगी के लिए ही आया था ,मुझे आप गलत ना समझे पर मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी खुशी अब नेत्रा की जान बचाकर उसे सुरक्षित विषलोक से निकलना है और उस विषदंश को इस दुनिया से हमेशा के लिए मिटाना जो अब अपने गंदे विचारों के साथ यहा रहने योग्य नही रहा ,काल,
नेत्रा को छुड़ाकर और विषदंश को मारकर तुम्हे क्या मिलेगा ,उसके बाद तुम 6 घंटे खत्म होते ही जहर की वजह से गलकर मर जाओगे बहुत दर्दनाक मौत होगी तुम्हारी ,अवर तुम विषलोक जाने की लिए जिद छोड़ दो तो तुम्हे तुम्हारी मोहब्बत के साथ तुम्हारी सब चाहने वालियों के साथ हम ये सुंदर महिलाओं को भी तुम्हें दे देंगे आखरी बार सोच लो ,आवाज ,काल के सामने उस अँधरे में एक प्रकाश निर्माण हुवा ,उसमे पूजा,मोना ,नरगिस के साथ सनम ,उसकी सभी बहने ,सुनीता ,ज्वाला, निता ,सिनोब ,कोकी दिखाई दे रहे थे और कुछ बहुत ही खूबसूरत लडकिया भी थी जिनके साथ काल खुशी में रहता दिख रहा था ,काल की आंखों में पलभर के लिये ये सब देखकर चमक आ गई पर और उसने अपने आप को सम्भल लिया ,
काल ने कहा ,में झूठ नही कहूंगा ये सब देखकर एक पल के लिये में भी मोहित हो गया था ऐसी जिंदगी जीने के लिये पर में अगर नेत्रा को भूलकर ऐसी जिंदगी अपनाता हु तो में कभी खुश नहीं रह सकूंगा उस मासुंम की जिंदगी के बदले में मिला ऐसा जीवन मेरे किसी काम का नही होगा ,भले ही मुझे सब मिल जाये उसके बाद में लेकिन में जिस सोच के ऊपर आज तक जीता आया हु की में कभी किसी सुख पाने के लिए अपने फायदे की सोचकर किसी जरूरतमंद के मदद ना कर सकू पीछे हट जाऊ ,वो सोच खत्म हो जायेगी ,नेत्रा को भले में बचाने में नाकाम रहूं पर विषदंश की सोच मेने पढ़ी है ,अगर वो कामयाब रहा तो बहुत से और मासूम लोगो की बलि चढ़ जायेगी ,और में उसे ऐसा कभी करने नही दूँगा भले में खुद मिट जाऊँगा पर मेरे साथ उस विषदंश को भी समाप्त कर दुंगा, काल ,
अगर तुम यही चाहते हो तो विषदंश को खत्म करना है तो हम यही से पल भर में विषदंश के साथ पूरा विषलोक तबाह कर सकते है ,पर उसमे वो लड़की भी मारी जा सकती है ,आवाज
जी बात उस लड़की की नही है वहाँ विषलोक में बहुत से और भी लोग है जिनका इस विषदंश से कोई लेना देना नही है ,वो बेचारे भी मारे जाएंगे अगर आप ने विषलोक को यहा से तबाह किया तो ,आप मुझे बस एक मौका दीजिये में विषदंश को मारकर बाकी लोगो को जरूर बचा लुंगा, काल
ठीक है ,जैसी तुम्हारी मर्जी पर तुम 6 घण्टे के भीतर नही मार सके तो क्या करोगे ,में तुम्हे 6 घण्टे के अलावा ज्यादा जिंदगी नही दूँगा बाद में ,आवाज़ ,
जी मुझे मंजूर है ,अगर में मारा भी गया तो कोई गम नही ,मेरा ये काम जरूर कोई ना कोई पूरा करेगा,पर जितना हो सके में काम खुद पूरा करना चाहूंगा ,काल
ठीक है ,जाओ तुम अब यहा से ,इस महल के बाहर पड़ते ही तुम्हारे 6 घंटे शुरू होते है ,आवाज,
जी ,आपका शुक्रिया, काल ,इतना कहकर काल ने अपने दोनो हाथ जोड़कर सामने प्रणाम किया और महल के बाहर की और जाने लगा जैसे ही उसने दरवाजा पर किया उसे ऐसा लगा उसके शरीर मे कुछ घुसा हो बहुत ही तेजी से ,उसने पीछे मुड़कर देखा तो उस दरवाजे के ऊपर बना हुवा साँप अब गायब था ,तभी काल मे मन मे आवाज गूंजी ,तुम्हारे शरीर मे अब कुछ ही पल में पूर्ण रूप से विष फैलने लगेगा भले ही तुम मरोगे नही पर तुम्हारा शरीर कभी जहर को बर्दाश्त नही कर सकता ,तुम्हे मरनप्राय यातना और दाह सहना होगा ,यह आवाज बन्द होते ही काल का शरीर अंदर से जलने लगा ,उसका ऐसा लग रहा था कि उसके पूरे शरीर मे गर्म लावा किसीने भर दिया हो ,उसके पूरे बदन से और आंखों से पसीना बहाने लगा ,काल को तो ऐसा लग रहा था वो दर्दके वजह से यही गिर जाएगा पर उसके आंखों के सामने नेत्रा की शक्कल देखते ही उसकी आंखें पूरी तरह लाल हो गई और वो अपने पूरे दर्द और गुस्से में चिल्लाया, नेत्रा ,,,,काल वहां से सीधा विषलोक जानी वाले गुफा के सामने पहुचा और वह से उस गुफा में तेजीसे आगे बढ़ने लगा विषलोक कि और,उसे बहुत दर्द हो रहा था पर वो उसको भूल कर आगे बढ़ने में लगा था ,काल को सर्पिणी और विशाखा ने भी देख लिया था ,वो दोनो भी उसके पीछे विषलोक में जा रही थी ,उन दोनों को हैरानी थी कि काल महानाग के ठिकाने से जिंदा कैसे वापिस आ गया ,उस जगह से जिंदा वापिस आना नामुमकिन था और काल ने वह काम किया था ,वह दोनो उसी सोच के साथ काल के पीछे जा रही थी ,काल जैसी ही विषलोक के दरवाजे के सामने पहुचा उसके सामने वहां के पहरेदारों ने उसका रास्ता रोकने की कोशिश की पर काल के शरीर से एक तेज काले रंग की किरण सीधा जाकर उस दरवाजे को लगीं ,उस किरण के लगते ही वो दरवाजा ऐसे जल गया मानो कोई कागज का टुकड़ा हो ,काल तेजीसे उस जले हुवे दरवाजे से विषलोक में घुस गया ,दरवाजे के सब पहरेदार, और सर्पिणी और विशाखा ये दोनो बहने काल की करामत देखकर हैरान हो गये थे ,सर्पिणी ने इतना ही कहा ,विषलोक का यह कहि अंतिम दिन कहि आज तो नही है ,जब कोई अपने काले किरण से विषलोक में घुसेगा वही विषलोक का आखरी दिन होगा यही वो भविष्यवाणी थी ना कालनेत्री के पिता के द्वारा की गई ,कहि आज वो सच तो नही हो रही ,
और यही बात विशाखा के साथ वो पहरेदार भी सोचने लगे ,विशाखा और सर्पिणी भी उस उस नष्ट हुवे दरवाजे के रस्ते से विषलोक में दाखिल हो गए ,उन्हें रोकने कोई था ही नही ,सब पहरेदार विषलोक में दाखिल हो गए थे ,और यह खबर पूरे विषलोक में फैल गई थी ,कालनेत्री की शक्तियों से बने दरवाजे को ध्वस्त करने वाला विषलोक को तबाह करने में कितना समय लेगा ,पूरे विषलोक में भगदड़ मच गई थी ,हर कोई अपने और अपने परिवार के साथ विषलोक से बाहर तेजीसे जा रहा था ,और कुछ ऐसे थे जो उस दरवाजे को नष्ट करने वालो को मारने के लिए ढूंढ रहे थे ,
काल इस वक्त राज महल के सामने खड़ा था ,उसके सामने विषदंश खड़ा था अपने आदमियों के साथ ,
विषदंश, मेरी बेटी के शादी के दिन तूने यहा आकर बहुत बड़ी भूल कर दी है ,पहले दरवाजे के नष्ट होने किं ख़बर सुनकर लगा था महानाग तो नहीं आ गया ,पर निकला तू तक तुच्छ मनुष्य ,तेरी औकात हमारे सामने किसी कीड़े से भी कम है ,सैनिकों मार दो इस कीड़े को ,
अपने राजा का आदेश मिलते ही सारे सैनिक काल पर टूट पड़े ,वो काल पर कोई वार करने से पहले ही काल के सामने दोनो बहने खड़ी थी अपने पूर्ण सर्प रूप में ,उन दोनों को देखकर सब सैनिक के साथ विषदंश की भी फट गई थी ,वो दोनो बहने कालनेत्री के जैसी ही खतरनाक थी ,पर अपने ऊपर हुवे गलत इल्जाम से वो कभी विषलोक नही आयीं थी ,पर आज वो काल के सामने उसकी ढाल बनकर खड़ी थी ,
दोनो बहने सैनिकों पर टूट पड़ीं थीं उनके सामने कोई भी टिक नही पा रहा था वो विषदंश के सैनिकों को किसी खिलौनो जैसी मार रही थी ,काल भी उनके साथ उन सैनिकों को मारता महल में घुसने की कोशिश कर रहा था ,जैसी ही सर्पिणी महल में घुसने लगी उसपर एक तेज वार हुवा ,उस वार से सर्पिणी महल के बाहर आकर गिर गई ,विषलोक में सर्पिणी के सामने टिक सके ऐसा कोई नही था ,विषदंश तक उसका मुकाबला नही कर पाता था ,काल और विशाखा ने सर्पिणी को सहारा देकर उठाया ,सर्पिणी सर्पमानव के रूप में तलवार से वार करती महल में घुस रही थी ,उसके छाती पर किसीने लात मार कर उसे महल से बाहर फेंक दिया था ,काल और वो दोनो बहन महल के दरवाजे पर खड़े आदमियों को देख रहे थे
दरवाजे पर काली घाटी के राजा कोहिम के दो बड़े बेटे गगन और देबन अपने 20 आदमियों के साथ खड़े थे ,
सर्पिणी के आंखों में उन दोनों को देखकर बहुत ज्यादा गुस्सा आ गया था,तुम सब अंदर कैसे घुस पाए विषलोक में पापियों, उसने चिल्लाते हुवे पूछा ,
सब उसकी बातें सुनकर हसने लगे और इसका जवाब विषदंश ने दिया ,पागल लड़की मेरी बहन ने विषलोक के दरवाजे और विषलोक पर कवच लगाया पर उसने विषलोक में बने अपने शिवमंदिर के ऊपर कोई कवच नही लगाया था ,यह बात मुझे बहुत बाद मालूम चली थी कालनेत्री के जाने के बाद ,और उसीका फायदा उठाकर मेने अपने दोस्त गगन और उसके भाई को यहां बुला लिया ,गगन मेरी बेटी से शादी करके ऊसकी शक्तियों का मालिक बनकर महानाग को खत्म करने वाला था ,विषलोक को बचाने के बाद में गगन को ऐसे जहर देनेवाला था जिससे वो तुमको आसानी से मार देगा पर लगता है महानाग बाद में मरेगा पहले तुम दोनो बहने ही मरोगी विषलोक ,गगन मार दो इन दो बहनो को ,
गगन ने अपने आदमियों को इशारा कर दिया ,उसके आदमी उन दोनों बहनों को मारने के लिए आगे आने लगे काल गुस्से से चिल्लाते हुवे बोला ,आज तुम सबको यही मरना होगा पापियो ,और तुम कुतो पहले मेरा नाम जान लो में हु काल जिसने तेरे भाई अंगारा और उसके 9 आदमियों को कुत्ते जैसा मारा था ,तेरे भाई ने तुझे बताया होगा न तुझे मेरे बारे में ,में वही काल हु ,
गगन और देबन भी काल की बातों से चिढ़ गये ,उनके छोटे भाई के हाथ पैर काटने वाला उनके सामने खड़ा था वो कोई डरपोक नही थे जो काल से डर जाये ,वो चिल्लाते हुवे काल की और दौड़ पड़े ,काल ने दोनो बहनो से कहा ,में इन सबको देखता हूं तुम नेत्रा और हिमानी को बचाओ जाकर ,दोनो बहने जा नही रही थी क्योंकि गगन और देबन बहुत ज्यादा ताक़दवर थे ,उनके साथ जो 20 आदमी थे ,वो सब के सब महायोद्धा थे ,उनका 1 आदमी ही विशाखा और सर्पिणी के बराबर का था ,तो वैसे 20 लोग एक साथ थे ,साथ मे दोनो भाई भी थे ,जो काल पर भारी पड़ सकते थे ,पर काल ने उन्हें जाने पर विवश कर दिया था ,
महल के सामने इस मैदान में 1 का मुकाबला करने 22 लोग खड़े थे ,पर कल के चेहरे पर डर नही था ,वह दिख रहा था सिर्फ गुस्सा ,काल तेजीसे आगे बढ़ा उसके हाथ खाली थे ना कोई तलवार थी ,ना कोई ढाल ,सामने लडने वालो के पास तलवार से लेकर ढाल ,चाकू सब थे ,पर काल उनपर झपट पड़ा ,सबसे पहले दो लोग जो काल के सामने आए काल ने उनकी दोनो की गर्दन दबाकर उनके सर इतनी तेजी से उखाड़ कर वो दोनो सिर उनके पीछे खड़े आदमियों के मुह पर मार दीये, काल इतने पर ही नही रुका उसने अपने सामने जो एक आदमी आया था उसके दोनो हाथ पकड़कर उसे बीच मे से एक लात मारकर उसे दो भागों में बाट दिया था ,काल के इस ताकद और हैवानियत को देखकर सबकी फट गई थी,एक वार में पाँच आदमी मार दिये थे काल ने ,जिनके मुह पर काल ने वो सर मारे थे उनको तो पूरा चेहरा ही सर के अंदर धस गया था ,मानो उनके चेहरे पर किसने हाथोङे से वार किया हो ,
जिनके पैर तेजीसे काल की तरफ बढ़ रहे थे वो सब जगह पर रुक गये थे ,पर काल नही रुक उसने बाकी 15 आदमियों को भी बुरी तरह मार दिया था ,काल के सामने दोनो भाई खड़े थे ,दोनो ने काल पर अपनी तलवारों से वार कर दिया ,काल ने वार को बचाया नही बल्कि उन दोनों के हाथ हिं उपर के ऊपर पकड़ लिए ,दोनो भाई अपनी पूरी ताकद लगा रहे थे हाथ छुड़ाने की पर वो उसमे कामयाब ही नही हो रहे थे ,काल ने अपने हातो में पकड़ी इन दोनो भाइयो के हातो की कलाइयों को इतने जोर से दबाया की उनका पूरा चुरा हो गया,दोनो भाई गांड फाड़कर चिल्ला रहे थे ,उनके हाथ में पकड़ी तलवारें नीचे गिर गईं थी ,काल ने उनके दोनो के दूसरे हाथ के साथ भी वैसाही किया ,दोनो भाई जमीन पर गिर गये थे और दर्द में तड़प रहे थे,काल ने जैसे उनके हाथों को किया वैसा ही पैरों के साथ कर दिया ,काल अब विषदंश को ढूंढने जाने वाला था तो उसे नेत्रा की आवाज आयीं ,काल ने नेत्रा की तरफ देखा तो वो हिमानी के साथ महल से बाहर आ रही थी ,उनके पीछे सर्पिणी और विशाखा भी थी ,सबने जब काल के आसपास देखा तो वहां चारों तरफ बस खून और लाशें हीं थी ,
काल ने नेत्रा से कहा, तुम सबको लेकर यहा से निकल जाओ,में विषदंश को खत्म करके बाहर मिलता हु ,
नेत्रा ,में आपके मन की बाते क्यो नही जान पा रही हु ,आपने ऐसा क्या किया है जो अब में आपके मन को नही पढ़ सकती,
काल ,नेत्रा हम बाद में बात करेंगे ,अभी समय कम है तुम यहा से बाहर निकलो ,
नेत्रा काल के मन की बातों को पढ़ नही पा रही थी पर काल की आंखों में उसे दर्द दिख रहा था जो वो समझ नही पा रही थी ,उसने आगे बढ़कर काल के हाथ को स्पर्श कर लिया पर काल झट से उससे दूर हो गया ,नेत्रा तुमको मेरी कसम है तुम यहाँ से फौरन बाहर जाओ सबके साथ,मेरे बाद सब तुमको ही देखना है ,तुम मेरी जगह लेकर सबको संभाल सकती हो ,अगर तुम मुझे अपना पति मानती हो तो मेरी बात मान जाओगी ,और जो में बोल रहा हु वो सब सुनोगी,
नेत्रा की आंखों से आंसू बह रहे थे ,वो सबको लेकर विषलोक बाहर निकल गई पर जाते जाते वो काल की आंखों में देख रही थी ,उसके मन की बाते काल सुन रहा था ,आपने मेरे लिए अपनी आत्मा का सौदा किया, आपने तो मेरे लिए सब कुछ कुर्बान कर दिया,और मुझे अपनी कसम भी दे दी के में आपके बाद आपकी जगह लेकर सबको संभालु पर आपके बाद में रहूंगी तब ना ,आपके बाद में जिंदा नही रह सकती ,भले में खुद की जान ना दु पर मुझे यकीन है ,मेरे जिस्म में आपके बाद जान अपने आप चली जायेगी ,।
Zabardast update dost 🤠🤠🤠
 

Naik

Well-Known Member
20,975
76,642
258
Update 57
काल तेजीसे पानी मे नीचे जा रहा था ,पिछले कितने घन्टो से वो नीचे जा रहा था, उसका पता नही चल पा रहा था उसे ,काले घने इस अंधेरे में सिर्फ काल की आंखे ही चमक रही थी ,काल के पैर जब जमीन पर लगे तो उसे थोड़ा अच्छा लगा ,काल के सामने एक बहुत ही बड़ा महल दिख रहा था जो पूरा काले अंधेरे में डूबा था ,उस महल के दिवारे , ,खिड़किया,दरवाजे ,फर्श सब काले रंग का था ,जब काल ने अपना कदम उस महल के जमीन पर रखा उसके पूरे बदन में एक सर्द लहर दौड़ गई ,वहां का तापमान बहुत कम था ,काल को ना गर्मी लगती थी ना कभी सर्दी ,लेकिन उसको भी यहां सर्दी का अहसास हो रहा था ,इससे काल को अंदाजा हो गया था कि कोई आम इंसान इस ठंड में जिंदा बचना मुश्किल था ,वो चलते चलते महल के दरवाजे के पास आया ,महल का दरवाजा 20 फिट से ज्यादा ऊंचा और 10 फिट चौड़ा था ,उस दरवाजे पर एक साँप बना हुवा था ,जिसको देखकर ऐसा लग रहा था ,मानो वो कोई जिंदा साँप हो जो उसकी तरफ देखने वालों की रूह तक को देख पा रहा हो ,काल ने जब उस सांप की आंखों में देखा तो उसको लगा जैसे उसकी आँखों मे हल्की चमक उठी हो ,काल कुछ देर तक उस साँप की आंखों में ही देखता रहा ,अचानक वो दरवाजा अपने आप खुल गया ,काल बिना डरे उस दरवाजे के भीतर दाखिल हुवा ,बाहर से महल देखकर ऐसा लगा था अंदर बहुत कमरे हो ,पर यहा पर बस एक ही कमरा था जो चारो तरफ फैला हुवा था , उस कमरे के बीचोबीच में थोड़ी ऊंचाई पर दो बड़ी सी कुर्सियां रखी थी ,ऐसा लग रहा था मानो वो कोई बड़े से राजदरबार में खड़ा है और उसके सामने कोई राजा और राणी उन दो बड़ी कुर्सियों में बैठे है ,काल चलता हुवा ठीक उन कुर्सियों के सामने खड़ा हुवा ,काल के पास अंधेरे में देखने की शक्ति होकर भी वो उन दो कुर्सीयो के दायरे में उसकी शक्ति कम नही कर रही थी , उसे ऐसा लग रहा था कि वहाँ दोनो कुर्सियों पर कोई बैठा हो पर वो उनको देख नही पा रहा था ,काल ने सामने थोड़ी देर तक देखा और कहा ,जी मेरा नाम काल है वैसे मेरा असली नाम शिवा है पर कुछ मजबूरियों के चलते मेने मेरा नाम बदल लिया ,मेरी कहानी आपको बताकर में अपना समय जाया नही करना चाहता ,में बस यही कहूंगा के मेरे नसीब ने मुझसे जितना छिना उससे कहि गुना दिया भी ,में आज आप के पास खुद के लिये कुछ नही माँगने आया हु ,मेरी वजह से एक बेगुनाह की जान खतरे में पड़ गई है ,वो बिचारी मुझे बचाने के लिये उस मौत में गड्ढे कूद पड़ी ,उसने मुझे तो बचा लिया पर अपनी जान उन पापियों के हवाले कर बैठी ,में बस इतना चाहता हु आप मेरे शरीर को थोड़ा जहरीला बनाकर में कुछ घण्टो के लिए मुझे मौत न आये ,इसके बदले आप जो चाहे वो आप मेरे साथ कर सकते है ,
काल अपनी बात बोल कर कुछ देर चुप रहा और सामने से क्या जवाब आता है उसकी राह देखने लगा ,
काल,यही नाम है ना तुम्हारा ,क्या दे सकते हो तुम हमे, अपनी इच्छा पूरी करने के लिए ,काल के कानों में एकदम सर्द आवाज आयीं ,
जी आप जो कहे वो में करने के लिये तैयार हूं, काल ,
क्या तुम अपनी आत्मा हमे दे सकते हो हमेशा के लिए ,आवाज
जी हा ,में अपनी आत्मा आप को दे सकता हु हमेशा के लिये,काल बोला,
ठीक है तो फिर हम तुम्हारी आत्मा हमारे पास रख लेंगे हमेशा के लिए ,और तुम्हे शरीर मे विष लेकर तुम्हे 6 घंटे की जिन्दगी भी देंगे ,इसके सिवा और कुछ नही चाहिए तुमको ,आवाज ,
जी नही ,बस मुझे 6 घण्टे की जिन्दगी ही बहुत है ,काल ,
अगर तुम चाहो तो में तुम्हे असीमित बल ,धन ,के साथ एक नई जिंदगी दे सकता हु जहा तुम अपनी मर्जी से जो चाहो वो कर सकते हो ,इस 6 घण्टे की विषभरी जिंदगी के बदले हम तुम्हे बहुत कुछ और दे सकते है ,आवाज ,
जी आपका बहुत शुक्रिया आपने मुझे उस लायक समझा पर में आपके पास सिर्फ इस विषभरी जिंदगी के लिए ही आया था ,मुझे आप गलत ना समझे पर मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी खुशी अब नेत्रा की जान बचाकर उसे सुरक्षित विषलोक से निकलना है और उस विषदंश को इस दुनिया से हमेशा के लिए मिटाना जो अब अपने गंदे विचारों के साथ यहा रहने योग्य नही रहा ,काल,
नेत्रा को छुड़ाकर और विषदंश को मारकर तुम्हे क्या मिलेगा ,उसके बाद तुम 6 घंटे खत्म होते ही जहर की वजह से गलकर मर जाओगे बहुत दर्दनाक मौत होगी तुम्हारी ,अवर तुम विषलोक जाने की लिए जिद छोड़ दो तो तुम्हे तुम्हारी मोहब्बत के साथ तुम्हारी सब चाहने वालियों के साथ हम ये सुंदर महिलाओं को भी तुम्हें दे देंगे आखरी बार सोच लो ,आवाज ,काल के सामने उस अँधरे में एक प्रकाश निर्माण हुवा ,उसमे पूजा,मोना ,नरगिस के साथ सनम ,उसकी सभी बहने ,सुनीता ,ज्वाला, निता ,सिनोब ,कोकी दिखाई दे रहे थे और कुछ बहुत ही खूबसूरत लडकिया भी थी जिनके साथ काल खुशी में रहता दिख रहा था ,काल की आंखों में पलभर के लिये ये सब देखकर चमक आ गई पर और उसने अपने आप को सम्भल लिया ,
काल ने कहा ,में झूठ नही कहूंगा ये सब देखकर एक पल के लिये में भी मोहित हो गया था ऐसी जिंदगी जीने के लिये पर में अगर नेत्रा को भूलकर ऐसी जिंदगी अपनाता हु तो में कभी खुश नहीं रह सकूंगा उस मासुंम की जिंदगी के बदले में मिला ऐसा जीवन मेरे किसी काम का नही होगा ,भले ही मुझे सब मिल जाये उसके बाद में लेकिन में जिस सोच के ऊपर आज तक जीता आया हु की में कभी किसी सुख पाने के लिए अपने फायदे की सोचकर किसी जरूरतमंद के मदद ना कर सकू पीछे हट जाऊ ,वो सोच खत्म हो जायेगी ,नेत्रा को भले में बचाने में नाकाम रहूं पर विषदंश की सोच मेने पढ़ी है ,अगर वो कामयाब रहा तो बहुत से और मासूम लोगो की बलि चढ़ जायेगी ,और में उसे ऐसा कभी करने नही दूँगा भले में खुद मिट जाऊँगा पर मेरे साथ उस विषदंश को भी समाप्त कर दुंगा, काल ,
अगर तुम यही चाहते हो तो विषदंश को खत्म करना है तो हम यही से पल भर में विषदंश के साथ पूरा विषलोक तबाह कर सकते है ,पर उसमे वो लड़की भी मारी जा सकती है ,आवाज
जी बात उस लड़की की नही है वहाँ विषलोक में बहुत से और भी लोग है जिनका इस विषदंश से कोई लेना देना नही है ,वो बेचारे भी मारे जाएंगे अगर आप ने विषलोक को यहा से तबाह किया तो ,आप मुझे बस एक मौका दीजिये में विषदंश को मारकर बाकी लोगो को जरूर बचा लुंगा, काल
ठीक है ,जैसी तुम्हारी मर्जी पर तुम 6 घण्टे के भीतर नही मार सके तो क्या करोगे ,में तुम्हे 6 घण्टे के अलावा ज्यादा जिंदगी नही दूँगा बाद में ,आवाज़ ,
जी मुझे मंजूर है ,अगर में मारा भी गया तो कोई गम नही ,मेरा ये काम जरूर कोई ना कोई पूरा करेगा,पर जितना हो सके में काम खुद पूरा करना चाहूंगा ,काल
ठीक है ,जाओ तुम अब यहा से ,इस महल के बाहर पड़ते ही तुम्हारे 6 घंटे शुरू होते है ,आवाज,
जी ,आपका शुक्रिया, काल ,इतना कहकर काल ने अपने दोनो हाथ जोड़कर सामने प्रणाम किया और महल के बाहर की और जाने लगा जैसे ही उसने दरवाजा पर किया उसे ऐसा लगा उसके शरीर मे कुछ घुसा हो बहुत ही तेजी से ,उसने पीछे मुड़कर देखा तो उस दरवाजे के ऊपर बना हुवा साँप अब गायब था ,तभी काल मे मन मे आवाज गूंजी ,तुम्हारे शरीर मे अब कुछ ही पल में पूर्ण रूप से विष फैलने लगेगा भले ही तुम मरोगे नही पर तुम्हारा शरीर कभी जहर को बर्दाश्त नही कर सकता ,तुम्हे मरनप्राय यातना और दाह सहना होगा ,यह आवाज बन्द होते ही काल का शरीर अंदर से जलने लगा ,उसका ऐसा लग रहा था कि उसके पूरे शरीर मे गर्म लावा किसीने भर दिया हो ,उसके पूरे बदन से और आंखों से पसीना बहाने लगा ,काल को तो ऐसा लग रहा था वो दर्दके वजह से यही गिर जाएगा पर उसके आंखों के सामने नेत्रा की शक्कल देखते ही उसकी आंखें पूरी तरह लाल हो गई और वो अपने पूरे दर्द और गुस्से में चिल्लाया, नेत्रा ,,,,काल वहां से सीधा विषलोक जानी वाले गुफा के सामने पहुचा और वह से उस गुफा में तेजीसे आगे बढ़ने लगा विषलोक कि और,उसे बहुत दर्द हो रहा था पर वो उसको भूल कर आगे बढ़ने में लगा था ,काल को सर्पिणी और विशाखा ने भी देख लिया था ,वो दोनो भी उसके पीछे विषलोक में जा रही थी ,उन दोनों को हैरानी थी कि काल महानाग के ठिकाने से जिंदा कैसे वापिस आ गया ,उस जगह से जिंदा वापिस आना नामुमकिन था और काल ने वह काम किया था ,वह दोनो उसी सोच के साथ काल के पीछे जा रही थी ,काल जैसी ही विषलोक के दरवाजे के सामने पहुचा उसके सामने वहां के पहरेदारों ने उसका रास्ता रोकने की कोशिश की पर काल के शरीर से एक तेज काले रंग की किरण सीधा जाकर उस दरवाजे को लगीं ,उस किरण के लगते ही वो दरवाजा ऐसे जल गया मानो कोई कागज का टुकड़ा हो ,काल तेजीसे उस जले हुवे दरवाजे से विषलोक में घुस गया ,दरवाजे के सब पहरेदार, और सर्पिणी और विशाखा ये दोनो बहने काल की करामत देखकर हैरान हो गये थे ,सर्पिणी ने इतना ही कहा ,विषलोक का यह कहि अंतिम दिन कहि आज तो नही है ,जब कोई अपने काले किरण से विषलोक में घुसेगा वही विषलोक का आखरी दिन होगा यही वो भविष्यवाणी थी ना कालनेत्री के पिता के द्वारा की गई ,कहि आज वो सच तो नही हो रही ,
और यही बात विशाखा के साथ वो पहरेदार भी सोचने लगे ,विशाखा और सर्पिणी भी उस उस नष्ट हुवे दरवाजे के रस्ते से विषलोक में दाखिल हो गए ,उन्हें रोकने कोई था ही नही ,सब पहरेदार विषलोक में दाखिल हो गए थे ,और यह खबर पूरे विषलोक में फैल गई थी ,कालनेत्री की शक्तियों से बने दरवाजे को ध्वस्त करने वाला विषलोक को तबाह करने में कितना समय लेगा ,पूरे विषलोक में भगदड़ मच गई थी ,हर कोई अपने और अपने परिवार के साथ विषलोक से बाहर तेजीसे जा रहा था ,और कुछ ऐसे थे जो उस दरवाजे को नष्ट करने वालो को मारने के लिए ढूंढ रहे थे ,
काल इस वक्त राज महल के सामने खड़ा था ,उसके सामने विषदंश खड़ा था अपने आदमियों के साथ ,
विषदंश, मेरी बेटी के शादी के दिन तूने यहा आकर बहुत बड़ी भूल कर दी है ,पहले दरवाजे के नष्ट होने किं ख़बर सुनकर लगा था महानाग तो नहीं आ गया ,पर निकला तू तक तुच्छ मनुष्य ,तेरी औकात हमारे सामने किसी कीड़े से भी कम है ,सैनिकों मार दो इस कीड़े को ,
अपने राजा का आदेश मिलते ही सारे सैनिक काल पर टूट पड़े ,वो काल पर कोई वार करने से पहले ही काल के सामने दोनो बहने खड़ी थी अपने पूर्ण सर्प रूप में ,उन दोनों को देखकर सब सैनिक के साथ विषदंश की भी फट गई थी ,वो दोनो बहने कालनेत्री के जैसी ही खतरनाक थी ,पर अपने ऊपर हुवे गलत इल्जाम से वो कभी विषलोक नही आयीं थी ,पर आज वो काल के सामने उसकी ढाल बनकर खड़ी थी ,
दोनो बहने सैनिकों पर टूट पड़ीं थीं उनके सामने कोई भी टिक नही पा रहा था वो विषदंश के सैनिकों को किसी खिलौनो जैसी मार रही थी ,काल भी उनके साथ उन सैनिकों को मारता महल में घुसने की कोशिश कर रहा था ,जैसी ही सर्पिणी महल में घुसने लगी उसपर एक तेज वार हुवा ,उस वार से सर्पिणी महल के बाहर आकर गिर गई ,विषलोक में सर्पिणी के सामने टिक सके ऐसा कोई नही था ,विषदंश तक उसका मुकाबला नही कर पाता था ,काल और विशाखा ने सर्पिणी को सहारा देकर उठाया ,सर्पिणी सर्पमानव के रूप में तलवार से वार करती महल में घुस रही थी ,उसके छाती पर किसीने लात मार कर उसे महल से बाहर फेंक दिया था ,काल और वो दोनो बहन महल के दरवाजे पर खड़े आदमियों को देख रहे थे
दरवाजे पर काली घाटी के राजा कोहिम के दो बड़े बेटे गगन और देबन अपने 20 आदमियों के साथ खड़े थे ,
सर्पिणी के आंखों में उन दोनों को देखकर बहुत ज्यादा गुस्सा आ गया था,तुम सब अंदर कैसे घुस पाए विषलोक में पापियों, उसने चिल्लाते हुवे पूछा ,
सब उसकी बातें सुनकर हसने लगे और इसका जवाब विषदंश ने दिया ,पागल लड़की मेरी बहन ने विषलोक के दरवाजे और विषलोक पर कवच लगाया पर उसने विषलोक में बने अपने शिवमंदिर के ऊपर कोई कवच नही लगाया था ,यह बात मुझे बहुत बाद मालूम चली थी कालनेत्री के जाने के बाद ,और उसीका फायदा उठाकर मेने अपने दोस्त गगन और उसके भाई को यहां बुला लिया ,गगन मेरी बेटी से शादी करके ऊसकी शक्तियों का मालिक बनकर महानाग को खत्म करने वाला था ,विषलोक को बचाने के बाद में गगन को ऐसे जहर देनेवाला था जिससे वो तुमको आसानी से मार देगा पर लगता है महानाग बाद में मरेगा पहले तुम दोनो बहने ही मरोगी विषलोक ,गगन मार दो इन दो बहनो को ,
गगन ने अपने आदमियों को इशारा कर दिया ,उसके आदमी उन दोनों बहनों को मारने के लिए आगे आने लगे काल गुस्से से चिल्लाते हुवे बोला ,आज तुम सबको यही मरना होगा पापियो ,और तुम कुतो पहले मेरा नाम जान लो में हु काल जिसने तेरे भाई अंगारा और उसके 9 आदमियों को कुत्ते जैसा मारा था ,तेरे भाई ने तुझे बताया होगा न तुझे मेरे बारे में ,में वही काल हु ,
गगन और देबन भी काल की बातों से चिढ़ गये ,उनके छोटे भाई के हाथ पैर काटने वाला उनके सामने खड़ा था वो कोई डरपोक नही थे जो काल से डर जाये ,वो चिल्लाते हुवे काल की और दौड़ पड़े ,काल ने दोनो बहनो से कहा ,में इन सबको देखता हूं तुम नेत्रा और हिमानी को बचाओ जाकर ,दोनो बहने जा नही रही थी क्योंकि गगन और देबन बहुत ज्यादा ताक़दवर थे ,उनके साथ जो 20 आदमी थे ,वो सब के सब महायोद्धा थे ,उनका 1 आदमी ही विशाखा और सर्पिणी के बराबर का था ,तो वैसे 20 लोग एक साथ थे ,साथ मे दोनो भाई भी थे ,जो काल पर भारी पड़ सकते थे ,पर काल ने उन्हें जाने पर विवश कर दिया था ,
महल के सामने इस मैदान में 1 का मुकाबला करने 22 लोग खड़े थे ,पर कल के चेहरे पर डर नही था ,वह दिख रहा था सिर्फ गुस्सा ,काल तेजीसे आगे बढ़ा उसके हाथ खाली थे ना कोई तलवार थी ,ना कोई ढाल ,सामने लडने वालो के पास तलवार से लेकर ढाल ,चाकू सब थे ,पर काल उनपर झपट पड़ा ,सबसे पहले दो लोग जो काल के सामने आए काल ने उनकी दोनो की गर्दन दबाकर उनके सर इतनी तेजी से उखाड़ कर वो दोनो सिर उनके पीछे खड़े आदमियों के मुह पर मार दीये, काल इतने पर ही नही रुका उसने अपने सामने जो एक आदमी आया था उसके दोनो हाथ पकड़कर उसे बीच मे से एक लात मारकर उसे दो भागों में बाट दिया था ,काल के इस ताकद और हैवानियत को देखकर सबकी फट गई थी,एक वार में पाँच आदमी मार दिये थे काल ने ,जिनके मुह पर काल ने वो सर मारे थे उनको तो पूरा चेहरा ही सर के अंदर धस गया था ,मानो उनके चेहरे पर किसने हाथोङे से वार किया हो ,
जिनके पैर तेजीसे काल की तरफ बढ़ रहे थे वो सब जगह पर रुक गये थे ,पर काल नही रुक उसने बाकी 15 आदमियों को भी बुरी तरह मार दिया था ,काल के सामने दोनो भाई खड़े थे ,दोनो ने काल पर अपनी तलवारों से वार कर दिया ,काल ने वार को बचाया नही बल्कि उन दोनों के हाथ हिं उपर के ऊपर पकड़ लिए ,दोनो भाई अपनी पूरी ताकद लगा रहे थे हाथ छुड़ाने की पर वो उसमे कामयाब ही नही हो रहे थे ,काल ने अपने हातो में पकड़ी इन दोनो भाइयो के हातो की कलाइयों को इतने जोर से दबाया की उनका पूरा चुरा हो गया,दोनो भाई गांड फाड़कर चिल्ला रहे थे ,उनके हाथ में पकड़ी तलवारें नीचे गिर गईं थी ,काल ने उनके दोनो के दूसरे हाथ के साथ भी वैसाही किया ,दोनो भाई जमीन पर गिर गये थे और दर्द में तड़प रहे थे,काल ने जैसे उनके हाथों को किया वैसा ही पैरों के साथ कर दिया ,काल अब विषदंश को ढूंढने जाने वाला था तो उसे नेत्रा की आवाज आयीं ,काल ने नेत्रा की तरफ देखा तो वो हिमानी के साथ महल से बाहर आ रही थी ,उनके पीछे सर्पिणी और विशाखा भी थी ,सबने जब काल के आसपास देखा तो वहां चारों तरफ बस खून और लाशें हीं थी ,
काल ने नेत्रा से कहा, तुम सबको लेकर यहा से निकल जाओ,में विषदंश को खत्म करके बाहर मिलता हु ,
नेत्रा ,में आपके मन की बाते क्यो नही जान पा रही हु ,आपने ऐसा क्या किया है जो अब में आपके मन को नही पढ़ सकती,
काल ,नेत्रा हम बाद में बात करेंगे ,अभी समय कम है तुम यहा से बाहर निकलो ,
नेत्रा काल के मन की बातों को पढ़ नही पा रही थी पर काल की आंखों में उसे दर्द दिख रहा था जो वो समझ नही पा रही थी ,उसने आगे बढ़कर काल के हाथ को स्पर्श कर लिया पर काल झट से उससे दूर हो गया ,नेत्रा तुमको मेरी कसम है तुम यहाँ से फौरन बाहर जाओ सबके साथ,मेरे बाद सब तुमको ही देखना है ,तुम मेरी जगह लेकर सबको संभाल सकती हो ,अगर तुम मुझे अपना पति मानती हो तो मेरी बात मान जाओगी ,और जो में बोल रहा हु वो सब सुनोगी,
नेत्रा की आंखों से आंसू बह रहे थे ,वो सबको लेकर विषलोक बाहर निकल गई पर जाते जाते वो काल की आंखों में देख रही थी ,उसके मन की बाते काल सुन रहा था ,आपने मेरे लिए अपनी आत्मा का सौदा किया, आपने तो मेरे लिए सब कुछ कुर्बान कर दिया,और मुझे अपनी कसम भी दे दी के में आपके बाद आपकी जगह लेकर सबको संभालु पर आपके बाद में रहूंगी तब ना ,आपके बाद में जिंदा नही रह सकती ,भले में खुद की जान ना दु पर मुझे यकीन है ,मेरे जिस्म में आपके बाद जान अपने आप चली जायेगी ,।
Bahot behtareen shaandaar update
 

Naik

Well-Known Member
20,975
76,642
258
Update 58
हिमानी ने नेत्रा के आसु पोछकर कहा कि इस तरह रोने से क्या होगा काल आ जायेगा ,अब नेत्रा क्या बोले इसको अपने दिल का दर्द ,तभी विशाखा बोली ,दीदी सामने देखो कहि ये सब सर्पलोक के बिगारी तो नही ,
चारो लड़कियां विषलोक के बाहर उस गुफा में खड़ी थी ,और उनके सामने से बहुत से सर्पमानव विषलोक में जा रहे थे
सर्पिणी,हा विशाखा, पर कालनेत्री ने तो इनका यहां आना कबसे बंद कर दिया था ना ,और यह सब इतनी बड़ी संख्या में क्यो जा रहे है विषलोक में ,
हिमानी ,शायद आपको पता नही होगा पिताजी ने शिवमन्दिर के रास्ते से कितने ही दृष्टो को विषलोक में जगह दी है ,में जब होश में थी तभी सेंकडो लोगो को महल के नीचे बने तहखानों में रखा था ,उन्हें हर तरह के विष दिए जाते थे ,ताकि वह ताक़दवर बने ,पिताजी ने उनको महानाग के विनाश के लिये ही तैयार कर रहे थे ,ये सर्पलोक के बिगारी तो हमेशा से मेरे पिताजी के अच्छे दोस्त रहे है उनको पिताजी ने खास मेढ़क के जहर दिये है ,जिसकी मदद से अब वो बहुत ताक़दवर बन चुके है ,
नेत्रा ,सर्पिणी यह बिगारी लोगो के आकार इतने बड़े कैसे है आप लोगो के मुकाबले
सर्पिणी, नेत्रा इन बिगारी सर्पो की एक खास बात यह होती है की इनकी आयु बहुत ज्यादा होती है, आम सर्पो की तुलना में यह जब तक जीवित रहते है इनकी लंबाई हर साल बढ़तीं ही रहती है ,इनमें इतनी ताकद होती है के एक हाथी को भी यह अपनी पूंछ में फसाकर मसल देते है ,इन्हें सर्पलोक के सबसे क्रूर योद्धा माना जाता है ,यह जरूर विषदंश के मदद के लिये आये है ,हमे भी अंदर जाना होगा काल की मदत के लिये,माना हम काल के जितने ताक़दवर नही है पर उसकी मदद जरूर कर सकते है ,
हिमानी ,सर्पिणी बुवा एक बात मेरे समझ मे नही आती आप दोनो बहने कितने सैकड़ो साल की हो ,आप मे इतनी ताकद है लेकिन आपने कभीं पिताजी ,या इन दृष्टो का मुकाबला क्यो नही किया ,
सर्पिणी ,हिमानी माना हमे दोनो बहनो में बहुत ताकद है पर हम दोनों की पूरी ताकद हमे मिली ही नहीं है ,जब तक हमारी शादी नही होती, हम अपने पतीसे मिलन नही कर लेते ,तब तक हम दोनों की शक्ति जागृत नहीं होगी ,और हम दोनों पर हमारे माता पिता के जाने के बाद मन्दिर के रक्षा की जिम्मेदारी थी ,उसकी वजह से हम कभी इस मामले में नहीं पडे ,पर आज हम काल की मदद करने आये थे और मन्दिर का जिम्मेदारी हमसे भी बढ़कर सुरक्षित हाथो में ,
विशाखा ,दीदी ,इसका मतलब वो दोनो अभी मन्दिर में है,मेने कितने ढूंढा था उनको लेकिन वो दोनो कभी मिली ही नही ,
सर्पिणी ,हम जब मन्दिर जाएंगे तो तुम उन दोनों से मिल लेना ,वो तुम्हे सब बता देगी ,अब हमें बाकी बाते झोड़कर काल की मदद कैसे करनी है इसके बारे में सोचना होगा,
नेत्रा,उन्होंने मुझे कसम दी है कि में अंदर ना जावू ,और तुम सबके साथ बाहर ही रहूं ,
विशाखा ,काल ने कसम तुम्हे दी है नेत्रा हमे नही ,तुम हिमानी के साथ यहीं रहो में और दीदी काल की मदद करने के अंदर जाते है ,
हिमानी ,बुवा माना में आपसे छोटी हु और ताकद में भी कम हु पर में निलनागिन हु ,मेरे जहर से अच्छे अच्छे हार मान जाते है ,में भी आ रहि हु आपके साथ ,नेत्रा तुम यही रुको हम तीनों जाकर काल की मदद भी करेंगे और उसे तुम्हारे पास लेकर भी आएँगे ,
नेत्रा की बातों को गोल करती तीनो अंदर चली गई काल की मदद करने
विषलोक में काल जब विषदंश को तलाश करने जाने लगा ही था कि उसके सामने 100 से ज्यादा बहुत ही बड़े सर्पमानव खड़े थे, जिन्हें देखकर काल की आंखों में एक आग थी जो सामने वालो को जलाने के लिये काफी थी ,अबतक की लड़ाई काल अपने मानव रूप में ही लड़ रहा था ,लेकिन सामने सर्पमानव देखकर उसने भी अपना रूप सर्प मानव में बदल लिया ,जिसे देखकर सामने वाले इतने बड़े सर्पमानव थे उनकी भी फट गईं,काल एक पूरे काले सर्पमानव में बदल गया था ,काल ने यह रूप कभी नही लिया था ,अपने आप वो काले सर्पमानव का रूप आ गया था ,जिसका पता काल को भी नहीं था ,काल किसी हवा की तेजीसे उन पर झपट पड़ा ,वो जिस रफ्तार से उनसे लड़ रहा था उतनी उनमे से किसी की भी नही थी ,वो सब सर्पमानव पहली बार जिंदगी में इतना काला और भयानक सर्पमानव देख रहे थे ,अपनी जान बचाने के लिये वो भी अब काल का मुकाबला कर रहे थे ,काल अपनी पूरी जान लगाकर लड़ रहा था ,उसके बदन में पलपल फैलने वाला जहर उसकी तकलीफ लगातार बढा रहा था और उसके शरीर पर जहर के अनगिनत वार भी हो रहे थे,मैदान में अब बिगारी सर्पमानव भी काल पर वार करने आ गए थे ,वो तो बहुत ही विशाल थे ,उन बिगारी सर्पमानव ने अपना सर्प रूप लेकर काल पर अपने जहर से वार कर रहे थे ,कुछ बिगारी सर्प 2 मुह वाले थे तो कुछ 10 ,बहुत ही घातक वार कर रहे थे वो काल पर ,काल का पूरे शरीर पर दांतो के काटने के निशान बन गए थे ,उसके पूरे शरीर पर खून ही खून बह रहा था ,विशाखा हिमानी ,सर्पिणी भी काल का साथ देने मैदान में कूद गई थी उन तीनों ने भी कितनो को मार दिया था पर यह सिर्फ 4 थे और सामने हजारों थे जिनकी संख्या लगातार बढ़ती ही जा रहीं थी ,विषलोक को बचाने अब पूरी दुनिया से जहरीले योध्दा आ रहे थे ,विषलोक ही उनको हर तरह के जहर से ताकद देता था तो कौन इतनी आसानी से विषलोक को मिटाने देगा हर बुरी ताकद के साथ कुछ अच्छी ताकते भी वहां पर आ गईं थी विषलोक को बचाने उनके सामने बस 4 ही थे सर्पिणी और विशाखा से उनके ही वंश के सर्प मुकाबला कर रहे थे ,बाकी कोई उनसे नही लड़ना चाहता था ,पर दोनो बहनो के आगे उनके वंश के सर्प भी ज्यादा देर तक टिक नही पा रहे थे ,तभी विशाखा और सर्पिणी पर पाताल की काली नागिनों ने हमला कर दिया ,वो काली नागिनों के जहर से दोनो को बहुत तकलीफ होने लगी थी ,वो सब काली नागीने हजोरो साल से पाताल में रहने वाली इतनी जहरीली थी कि उनके पास खड़े बाकी बिगारी योध्दा तक गल गये थे ,हिमानी को जख्मी करके बंदी बना लिया था ,सर्पिणी और विशाखा भी बुरी तरह जख्मी होकर लड़ने में लगी थी,काल का तो हाल ही बुरा था उसके अंदर अब पूरी दुनिया के जहर मौजूद हो गया था ,काल को हर कोई सर्प योद्धा ने काटा था ,पाताल की नागिनों ने भी काल को जख्मी किया था ,काल लड़ते लड़ते ही धरती पर गिर गया था उसके महानाग के दिये हुवे 6 घण्टे अब खत्म होने आए थे ,काल खुद को खड़े करने के लिए बहुत कोशिश कर रहा था पर वो नही हों पा रहा था ,उसने अपनी पूरी ताकद समेटकर खुद को खड़ा करना चाहा पर तभी एक काली नागिन ने ऊसकी पीठ में अपना जहरीला भाला आरपार कर दिया ,काल जमीन पर गिर गया और उसकी आंखें बंद हो गयी ,
विशाखा और सर्पिणी भी अब बेहोश हो गई थी ,उनके अंदर इतना घातक जहर भर गया था कि वो भी बचना नामुमकिन था ,
नेत्रा विषलोक के बाहर खड़ी सब अपनी आंखें बंद करके देख रहीं थी ,जब काल जमीन पर अपनी पीठ पर भाला लगने से गिर गया तो नेत्रा के मुह से एक चीख निकल गई ,काल,,,,,,,,,,,, नेत्रा जमीन पर अपने घुटनों पर बैठकर रोने लगी ,उसके दिल से खून के आसु निकल रहे थे ,वो अपने आप को ही काल की मौत का दोषी मान रही थी ,
नेत्रा ने जो काल के नाम से चीख लगाई थी वो इतनी तेज थी जो विषलोक तक भी सुनाई दी थी ,और कालनेत्री के घोड़े ने भी यह आवाज सुनी थी ,उस आवाज को वो भलीभांति जानता था ,वो तो कबसे कालनेत्री को महसूस करके उसकी राह देख रहा था, पर अब अपने मालकिन की इतनी दर्द भरी पुकार सुनकर, उसने अपने सारे बंधन तोड़कर अपनी मालकिन की तरफ दौड़ लगा दी ,वो घोडां अपनी मालकिन की खुशबू के सहारे नेत्रा तक पहुच गया ,नेत्रा के पास जाकर वो रोती नेत्रा के हाथ चाटने लगा ,नेत्रा ने रोते हुवे ऊपर देखा तो एक काला घोड़ा दिखा उसे देखकर नेत्रा खड़ी होकर उसे जानवर के सर को लिपटकर रोने लगी ,वायु मेरा काल नही रहै ,मेरे पति नही रहे वायु ,नेत्रा उस घोड़े को लिपटकर रोती अपना गम सुना रही थी ,
अचानक नेत्रा को झटका लगा ,वायु ,में इस घोड़े को कैसे जानती हूं ,ये नाम मुझे कैसे पता ,कुछ सोचकर
नेत्रा वायु पर बैठ गई ,वायु चलो मुझे मंदिर लेकर चलो,
वायु भी उसे तेज गती से शिवमन्दिर लेकर गया ,नेत्रा अपने मन मे मुझे ऐसा क्यू दिखा की में शिवमन्दिर में वायु पे बैठकर जा रही हु और मैने मन्दिर में क्या रखा था ,
नेत्रा को वायु ने जल्द ही मन्दिर के पास लेकर आया ,नेत्रा को उस मन्दिर को देखकर ऐसा लगा जैसे वो यहा बहुत बार आ चुकी है ,यह सब उसको अपना लग रहा था ,मन्दिर में आकर नेत्रा ने शिव के दर्शन किये और अपनी आंखें बंद करके अपने भगवान को याद करने लगी ,उसकी आंखों से बहता पानी उसके गालों से नीचे जमीन पर टपकने लगा ,अपने मन मे अपने भगवान को याद करती अपनी फरियाद लगा रही थी ,अचानक उसे अपने हाथों पर कुछ रेंगता महसूस होने लगा उसने अपनी आंखें खोलकर देखा तो वो एक सुवर्ण सर्प था जो बहुत ही छोटा था ,नेत्रा ने उसे अपने हाथों में उठा लिया और बोली , सुवर्णा देखो मेरे हाल ,मेरे पति मुझे छोड़कर चले गये ,अब क्या करूँ में तुम ही बोलो ,
नेत्रा किसी अपनी खास सहेली की तरह सुवर्णा से बात करने लगी थी ,अपने काल के ,अपने पति के बारे में उसे बता रही थी ,नेत्रा अपनी पूरी कहानी सुवर्णा को सुना कर चुप होकर रोने लगी ,सब सुनने के बाद अचानक वो साँप बोली ,नेत्रा अब तुम्हारा कालनेत्री बनने का समय आ गया है ,क्या अब तुम मुझे अपने अंदर ग्रहण नही करोगी ,
नेत्रा ने भी ना जाने कैसे अपनी आंखें झपकाकर हा कहा,वो सुवर्ण सर्प नेत्रा के शरीर मे ऐसे समा गया मानो वो उसकी आत्मा का हिस्सा हो ,नेत्रा की आँखे बंद हो गई उसे अपने कालनेत्री के जीवन के बारे में सब बातें याद आने लगी ,उसकी शिवभक्ति ,कालकूट विष पीने से बढ़ी ताकते ,महाकाल के कहने पर बुरी ताक़दो के खिलाफ लड़ना ,अपने पिता की भविष्यवाणी ,विशाखा और सर्पिणी की दोस्ती ,कैसे विषलोक के विनाश रोकने के लिये उसके भाई का उसके पीछे महानाग को मारने की जिद करना, सब याद आ गया था उसको ,उसने भगवान शिव के अनुमति से ही अपने प्राण त्याग दिये थे ,उसे भगवान शिव का आदेश था कि तुम दुबारा जन्म लोगी तब तुम्हारे हाथों से बहुत बड़े काम होने है ,इसी वजह से उसने अपने प्राण त्यागने से पहले अपनी शक्ति और सब यादे एक सुवर्ण सर्प के रूप में शिवमन्दिर में छोड़ रखी थी ,आज वही नेत्रा अब पूर्ण रूप से कालनेत्री बन गई थी ,
काल के छाती पर पैर रखता विषदंश जोरजोर से हस रहा था
मुझे तुम्हे मारने के लिये ना मेरी बहन कालनेत्री की जरूरत पड़ी ना मेरी बेटी की ताकत की महानाग तुम बहुत ही कमजोर निकले मेरी ताकद के सामने,फेक दो इस महानाग को हमारी निलनदी में इसकी लाश को हमारी नदी के जीव खाकर खुश होंगे ,कुछ सर्पयोद्धा ने आगे आकर काल को उठाकर नदी में फेंक दिया ,विषदंश अपनी खुशी में फुला नही समा रहा था ,वो अपनी जख्मी बेटी को एक तमाचा मार कर बोलता है ,नीच अपने बाप के खिलाफ जाती है ,विषदंश ने कहा ,आज के बाद विषलोक में कोई भी चोर दरवाजे से नहि आएगा ,एक दरवाजा तो इस महानाग ने तोड कर हमारा काम आसान कर दिया है ,बाकी दरवाजे भी हम जल्द नष्ट कर देंगे ,अब विषलोक में कोई भेदभाव नही होगा, पापी हो या पुण्यवान सब विषलोक आ सकते है विष पी सकते है ,आज से तो जो भी पापी होगा उसे ज्यादा विष दिया जायेगा ,उसकी बातें सुनकर सब खुश हो गये ,जो अच्छे लोग थे ,पुण्यवान लोग थे ,उन्होंने विषदंश को समझाना चाहा तो उन सबको वहाँ से विषदंश ने निकाल दिया ,सब विषदंश का जयजयकर कर रहे थे ,
जो दरवाजा महानाग ने नष्ट किया था ,एक जोरदार आवाज के साथ वो अपने आप पहले की भांति बन गया ,यह देखकर विषदंश को हैरानी हुवीं, बाकी लोगो को लगा कि अच्छे लोगों को विषलोक से निकलने के बाद विषदंश ने ही किया होगा ,
शिवमन्दिर की तरफ से अचानक बहुत तेज हवा के साथ धूल मिट्टी उड़ने लगी और कुछ ही पल में वहा सब के सामने खड़ी थी कालनेत्री ,विषदंश को तो यकीन नही हो रहा अपनी आंखों पर ,नेत्रा के बारे में वो सब जान गया था उसे मालूम था यह ना तो कालनेत्री है ना उसके जैसी शक्तिया, लेकिन उसके आंखों के सामने अब कालनेत्री अपने प्रचंड रूप में खड़ी 20 मुह वाली कालनेत्री को देखकर कुछ लोग डर गए तो कूछ खुश हो गए ,क्योंकि उनको अब कालनेत्री को सबक सिखाने का मौका मिल गया ,पाताल से आई काली नागिनों की तो कालनेत्री से कट्टर दुश्मनी थी ,काली नागिनों ने अपनी रानी को सन्देश भिजवाया की कालनेत्री आ गई है सामने ,कालनेत्री ने ही उनकी पुरानी रानी को मारा था अब उस रानी की बेटी केतकी ,काली नागिनों की राणी बन गयी थी ,उसमे भी कालनेत्री जैसी ही ताकते थी ,पर कालनेत्री के अचानक गायब होनेसे उन दोनों का कभी आमना सामना नही हुवा था पर अब दोनो सामने आने वाली थी , ।
(अगला विषलोक का आखरी भाग होगा )
Bahot zaberdast shaandaar mazedaar lajawab update bhai
Bahot khoob superb
 

Killerpanditji(pandit)

Well-Known Member
10,269
38,685
258
Update 58
हिमानी ने नेत्रा के आसु पोछकर कहा कि इस तरह रोने से क्या होगा काल आ जायेगा ,अब नेत्रा क्या बोले इसको अपने दिल का दर्द ,तभी विशाखा बोली ,दीदी सामने देखो कहि ये सब सर्पलोक के बिगारी तो नही ,
चारो लड़कियां विषलोक के बाहर उस गुफा में खड़ी थी ,और उनके सामने से बहुत से सर्पमानव विषलोक में जा रहे थे
सर्पिणी,हा विशाखा, पर कालनेत्री ने तो इनका यहां आना कबसे बंद कर दिया था ना ,और यह सब इतनी बड़ी संख्या में क्यो जा रहे है विषलोक में ,
हिमानी ,शायद आपको पता नही होगा पिताजी ने शिवमन्दिर के रास्ते से कितने ही दृष्टो को विषलोक में जगह दी है ,में जब होश में थी तभी सेंकडो लोगो को महल के नीचे बने तहखानों में रखा था ,उन्हें हर तरह के विष दिए जाते थे ,ताकि वह ताक़दवर बने ,पिताजी ने उनको महानाग के विनाश के लिये ही तैयार कर रहे थे ,ये सर्पलोक के बिगारी तो हमेशा से मेरे पिताजी के अच्छे दोस्त रहे है उनको पिताजी ने खास मेढ़क के जहर दिये है ,जिसकी मदद से अब वो बहुत ताक़दवर बन चुके है ,
नेत्रा ,सर्पिणी यह बिगारी लोगो के आकार इतने बड़े कैसे है आप लोगो के मुकाबले
सर्पिणी, नेत्रा इन बिगारी सर्पो की एक खास बात यह होती है की इनकी आयु बहुत ज्यादा होती है, आम सर्पो की तुलना में यह जब तक जीवित रहते है इनकी लंबाई हर साल बढ़तीं ही रहती है ,इनमें इतनी ताकद होती है के एक हाथी को भी यह अपनी पूंछ में फसाकर मसल देते है ,इन्हें सर्पलोक के सबसे क्रूर योद्धा माना जाता है ,यह जरूर विषदंश के मदद के लिये आये है ,हमे भी अंदर जाना होगा काल की मदत के लिये,माना हम काल के जितने ताक़दवर नही है पर उसकी मदद जरूर कर सकते है ,
हिमानी ,सर्पिणी बुवा एक बात मेरे समझ मे नही आती आप दोनो बहने कितने सैकड़ो साल की हो ,आप मे इतनी ताकद है लेकिन आपने कभीं पिताजी ,या इन दृष्टो का मुकाबला क्यो नही किया ,
सर्पिणी ,हिमानी माना हमे दोनो बहनो में बहुत ताकद है पर हम दोनों की पूरी ताकद हमे मिली ही नहीं है ,जब तक हमारी शादी नही होती, हम अपने पतीसे मिलन नही कर लेते ,तब तक हम दोनों की शक्ति जागृत नहीं होगी ,और हम दोनों पर हमारे माता पिता के जाने के बाद मन्दिर के रक्षा की जिम्मेदारी थी ,उसकी वजह से हम कभी इस मामले में नहीं पडे ,पर आज हम काल की मदद करने आये थे और मन्दिर का जिम्मेदारी हमसे भी बढ़कर सुरक्षित हाथो में ,
विशाखा ,दीदी ,इसका मतलब वो दोनो अभी मन्दिर में है,मेने कितने ढूंढा था उनको लेकिन वो दोनो कभी मिली ही नही ,
सर्पिणी ,हम जब मन्दिर जाएंगे तो तुम उन दोनों से मिल लेना ,वो तुम्हे सब बता देगी ,अब हमें बाकी बाते झोड़कर काल की मदद कैसे करनी है इसके बारे में सोचना होगा,
नेत्रा,उन्होंने मुझे कसम दी है कि में अंदर ना जावू ,और तुम सबके साथ बाहर ही रहूं ,
विशाखा ,काल ने कसम तुम्हे दी है नेत्रा हमे नही ,तुम हिमानी के साथ यहीं रहो में और दीदी काल की मदद करने के अंदर जाते है ,
हिमानी ,बुवा माना में आपसे छोटी हु और ताकद में भी कम हु पर में निलनागिन हु ,मेरे जहर से अच्छे अच्छे हार मान जाते है ,में भी आ रहि हु आपके साथ ,नेत्रा तुम यही रुको हम तीनों जाकर काल की मदद भी करेंगे और उसे तुम्हारे पास लेकर भी आएँगे ,
नेत्रा की बातों को गोल करती तीनो अंदर चली गई काल की मदद करने
विषलोक में काल जब विषदंश को तलाश करने जाने लगा ही था कि उसके सामने 100 से ज्यादा बहुत ही बड़े सर्पमानव खड़े थे, जिन्हें देखकर काल की आंखों में एक आग थी जो सामने वालो को जलाने के लिये काफी थी ,अबतक की लड़ाई काल अपने मानव रूप में ही लड़ रहा था ,लेकिन सामने सर्पमानव देखकर उसने भी अपना रूप सर्प मानव में बदल लिया ,जिसे देखकर सामने वाले इतने बड़े सर्पमानव थे उनकी भी फट गईं,काल एक पूरे काले सर्पमानव में बदल गया था ,काल ने यह रूप कभी नही लिया था ,अपने आप वो काले सर्पमानव का रूप आ गया था ,जिसका पता काल को भी नहीं था ,काल किसी हवा की तेजीसे उन पर झपट पड़ा ,वो जिस रफ्तार से उनसे लड़ रहा था उतनी उनमे से किसी की भी नही थी ,वो सब सर्पमानव पहली बार जिंदगी में इतना काला और भयानक सर्पमानव देख रहे थे ,अपनी जान बचाने के लिये वो भी अब काल का मुकाबला कर रहे थे ,काल अपनी पूरी जान लगाकर लड़ रहा था ,उसके बदन में पलपल फैलने वाला जहर उसकी तकलीफ लगातार बढा रहा था और उसके शरीर पर जहर के अनगिनत वार भी हो रहे थे,मैदान में अब बिगारी सर्पमानव भी काल पर वार करने आ गए थे ,वो तो बहुत ही विशाल थे ,उन बिगारी सर्पमानव ने अपना सर्प रूप लेकर काल पर अपने जहर से वार कर रहे थे ,कुछ बिगारी सर्प 2 मुह वाले थे तो कुछ 10 ,बहुत ही घातक वार कर रहे थे वो काल पर ,काल का पूरे शरीर पर दांतो के काटने के निशान बन गए थे ,उसके पूरे शरीर पर खून ही खून बह रहा था ,विशाखा हिमानी ,सर्पिणी भी काल का साथ देने मैदान में कूद गई थी उन तीनों ने भी कितनो को मार दिया था पर यह सिर्फ 4 थे और सामने हजारों थे जिनकी संख्या लगातार बढ़ती ही जा रहीं थी ,विषलोक को बचाने अब पूरी दुनिया से जहरीले योध्दा आ रहे थे ,विषलोक ही उनको हर तरह के जहर से ताकद देता था तो कौन इतनी आसानी से विषलोक को मिटाने देगा हर बुरी ताकद के साथ कुछ अच्छी ताकते भी वहां पर आ गईं थी विषलोक को बचाने उनके सामने बस 4 ही थे सर्पिणी और विशाखा से उनके ही वंश के सर्प मुकाबला कर रहे थे ,बाकी कोई उनसे नही लड़ना चाहता था ,पर दोनो बहनो के आगे उनके वंश के सर्प भी ज्यादा देर तक टिक नही पा रहे थे ,तभी विशाखा और सर्पिणी पर पाताल की काली नागिनों ने हमला कर दिया ,वो काली नागिनों के जहर से दोनो को बहुत तकलीफ होने लगी थी ,वो सब काली नागीने हजोरो साल से पाताल में रहने वाली इतनी जहरीली थी कि उनके पास खड़े बाकी बिगारी योध्दा तक गल गये थे ,हिमानी को जख्मी करके बंदी बना लिया था ,सर्पिणी और विशाखा भी बुरी तरह जख्मी होकर लड़ने में लगी थी,काल का तो हाल ही बुरा था उसके अंदर अब पूरी दुनिया के जहर मौजूद हो गया था ,काल को हर कोई सर्प योद्धा ने काटा था ,पाताल की नागिनों ने भी काल को जख्मी किया था ,काल लड़ते लड़ते ही धरती पर गिर गया था उसके महानाग के दिये हुवे 6 घण्टे अब खत्म होने आए थे ,काल खुद को खड़े करने के लिए बहुत कोशिश कर रहा था पर वो नही हों पा रहा था ,उसने अपनी पूरी ताकद समेटकर खुद को खड़ा करना चाहा पर तभी एक काली नागिन ने ऊसकी पीठ में अपना जहरीला भाला आरपार कर दिया ,काल जमीन पर गिर गया और उसकी आंखें बंद हो गयी ,
विशाखा और सर्पिणी भी अब बेहोश हो गई थी ,उनके अंदर इतना घातक जहर भर गया था कि वो भी बचना नामुमकिन था ,
नेत्रा विषलोक के बाहर खड़ी सब अपनी आंखें बंद करके देख रहीं थी ,जब काल जमीन पर अपनी पीठ पर भाला लगने से गिर गया तो नेत्रा के मुह से एक चीख निकल गई ,काल,,,,,,,,,,,, नेत्रा जमीन पर अपने घुटनों पर बैठकर रोने लगी ,उसके दिल से खून के आसु निकल रहे थे ,वो अपने आप को ही काल की मौत का दोषी मान रही थी ,
नेत्रा ने जो काल के नाम से चीख लगाई थी वो इतनी तेज थी जो विषलोक तक भी सुनाई दी थी ,और कालनेत्री के घोड़े ने भी यह आवाज सुनी थी ,उस आवाज को वो भलीभांति जानता था ,वो तो कबसे कालनेत्री को महसूस करके उसकी राह देख रहा था, पर अब अपने मालकिन की इतनी दर्द भरी पुकार सुनकर, उसने अपने सारे बंधन तोड़कर अपनी मालकिन की तरफ दौड़ लगा दी ,वो घोडां अपनी मालकिन की खुशबू के सहारे नेत्रा तक पहुच गया ,नेत्रा के पास जाकर वो रोती नेत्रा के हाथ चाटने लगा ,नेत्रा ने रोते हुवे ऊपर देखा तो एक काला घोड़ा दिखा उसे देखकर नेत्रा खड़ी होकर उसे जानवर के सर को लिपटकर रोने लगी ,वायु मेरा काल नही रहै ,मेरे पति नही रहे वायु ,नेत्रा उस घोड़े को लिपटकर रोती अपना गम सुना रही थी ,
अचानक नेत्रा को झटका लगा ,वायु ,में इस घोड़े को कैसे जानती हूं ,ये नाम मुझे कैसे पता ,कुछ सोचकर
नेत्रा वायु पर बैठ गई ,वायु चलो मुझे मंदिर लेकर चलो,
वायु भी उसे तेज गती से शिवमन्दिर लेकर गया ,नेत्रा अपने मन मे मुझे ऐसा क्यू दिखा की में शिवमन्दिर में वायु पे बैठकर जा रही हु और मैने मन्दिर में क्या रखा था ,
नेत्रा को वायु ने जल्द ही मन्दिर के पास लेकर आया ,नेत्रा को उस मन्दिर को देखकर ऐसा लगा जैसे वो यहा बहुत बार आ चुकी है ,यह सब उसको अपना लग रहा था ,मन्दिर में आकर नेत्रा ने शिव के दर्शन किये और अपनी आंखें बंद करके अपने भगवान को याद करने लगी ,उसकी आंखों से बहता पानी उसके गालों से नीचे जमीन पर टपकने लगा ,अपने मन मे अपने भगवान को याद करती अपनी फरियाद लगा रही थी ,अचानक उसे अपने हाथों पर कुछ रेंगता महसूस होने लगा उसने अपनी आंखें खोलकर देखा तो वो एक सुवर्ण सर्प था जो बहुत ही छोटा था ,नेत्रा ने उसे अपने हाथों में उठा लिया और बोली , सुवर्णा देखो मेरे हाल ,मेरे पति मुझे छोड़कर चले गये ,अब क्या करूँ में तुम ही बोलो ,
नेत्रा किसी अपनी खास सहेली की तरह सुवर्णा से बात करने लगी थी ,अपने काल के ,अपने पति के बारे में उसे बता रही थी ,नेत्रा अपनी पूरी कहानी सुवर्णा को सुना कर चुप होकर रोने लगी ,सब सुनने के बाद अचानक वो साँप बोली ,नेत्रा अब तुम्हारा कालनेत्री बनने का समय आ गया है ,क्या अब तुम मुझे अपने अंदर ग्रहण नही करोगी ,
नेत्रा ने भी ना जाने कैसे अपनी आंखें झपकाकर हा कहा,वो सुवर्ण सर्प नेत्रा के शरीर मे ऐसे समा गया मानो वो उसकी आत्मा का हिस्सा हो ,नेत्रा की आँखे बंद हो गई उसे अपने कालनेत्री के जीवन के बारे में सब बातें याद आने लगी ,उसकी शिवभक्ति ,कालकूट विष पीने से बढ़ी ताकते ,महाकाल के कहने पर बुरी ताक़दो के खिलाफ लड़ना ,अपने पिता की भविष्यवाणी ,विशाखा और सर्पिणी की दोस्ती ,कैसे विषलोक के विनाश रोकने के लिये उसके भाई का उसके पीछे महानाग को मारने की जिद करना, सब याद आ गया था उसको ,उसने भगवान शिव के अनुमति से ही अपने प्राण त्याग दिये थे ,उसे भगवान शिव का आदेश था कि तुम दुबारा जन्म लोगी तब तुम्हारे हाथों से बहुत बड़े काम होने है ,इसी वजह से उसने अपने प्राण त्यागने से पहले अपनी शक्ति और सब यादे एक सुवर्ण सर्प के रूप में शिवमन्दिर में छोड़ रखी थी ,आज वही नेत्रा अब पूर्ण रूप से कालनेत्री बन गई थी ,
काल के छाती पर पैर रखता विषदंश जोरजोर से हस रहा था
मुझे तुम्हे मारने के लिये ना मेरी बहन कालनेत्री की जरूरत पड़ी ना मेरी बेटी की ताकत की महानाग तुम बहुत ही कमजोर निकले मेरी ताकद के सामने,फेक दो इस महानाग को हमारी निलनदी में इसकी लाश को हमारी नदी के जीव खाकर खुश होंगे ,कुछ सर्पयोद्धा ने आगे आकर काल को उठाकर नदी में फेंक दिया ,विषदंश अपनी खुशी में फुला नही समा रहा था ,वो अपनी जख्मी बेटी को एक तमाचा मार कर बोलता है ,नीच अपने बाप के खिलाफ जाती है ,विषदंश ने कहा ,आज के बाद विषलोक में कोई भी चोर दरवाजे से नहि आएगा ,एक दरवाजा तो इस महानाग ने तोड कर हमारा काम आसान कर दिया है ,बाकी दरवाजे भी हम जल्द नष्ट कर देंगे ,अब विषलोक में कोई भेदभाव नही होगा, पापी हो या पुण्यवान सब विषलोक आ सकते है विष पी सकते है ,आज से तो जो भी पापी होगा उसे ज्यादा विष दिया जायेगा ,उसकी बातें सुनकर सब खुश हो गये ,जो अच्छे लोग थे ,पुण्यवान लोग थे ,उन्होंने विषदंश को समझाना चाहा तो उन सबको वहाँ से विषदंश ने निकाल दिया ,सब विषदंश का जयजयकर कर रहे थे ,
जो दरवाजा महानाग ने नष्ट किया था ,एक जोरदार आवाज के साथ वो अपने आप पहले की भांति बन गया ,यह देखकर विषदंश को हैरानी हुवीं, बाकी लोगो को लगा कि अच्छे लोगों को विषलोक से निकलने के बाद विषदंश ने ही किया होगा ,
शिवमन्दिर की तरफ से अचानक बहुत तेज हवा के साथ धूल मिट्टी उड़ने लगी और कुछ ही पल में वहा सब के सामने खड़ी थी कालनेत्री ,विषदंश को तो यकीन नही हो रहा अपनी आंखों पर ,नेत्रा के बारे में वो सब जान गया था उसे मालूम था यह ना तो कालनेत्री है ना उसके जैसी शक्तिया, लेकिन उसके आंखों के सामने अब कालनेत्री अपने प्रचंड रूप में खड़ी 20 मुह वाली कालनेत्री को देखकर कुछ लोग डर गए तो कूछ खुश हो गए ,क्योंकि उनको अब कालनेत्री को सबक सिखाने का मौका मिल गया ,पाताल से आई काली नागिनों की तो कालनेत्री से कट्टर दुश्मनी थी ,काली नागिनों ने अपनी रानी को सन्देश भिजवाया की कालनेत्री आ गई है सामने ,कालनेत्री ने ही उनकी पुरानी रानी को मारा था अब उस रानी की बेटी केतकी ,काली नागिनों की राणी बन गयी थी ,उसमे भी कालनेत्री जैसी ही ताकते थी ,पर कालनेत्री के अचानक गायब होनेसे उन दोनों का कभी आमना सामना नही हुवा था पर अब दोनो सामने आने वाली थी , ।
(अगला विषलोक का आखरी भाग होगा )
Bhai bahut hi khubsurat posts hai 🤠🤠🤠
 
Top