Update 57
काल तेजीसे पानी मे नीचे जा रहा था ,पिछले कितने घन्टो से वो नीचे जा रहा था, उसका पता नही चल पा रहा था उसे ,काले घने इस अंधेरे में सिर्फ काल की आंखे ही चमक रही थी ,काल के पैर जब जमीन पर लगे तो उसे थोड़ा अच्छा लगा ,काल के सामने एक बहुत ही बड़ा महल दिख रहा था जो पूरा काले अंधेरे में डूबा था ,उस महल के दिवारे , ,खिड़किया,दरवाजे ,फर्श सब काले रंग का था ,जब काल ने अपना कदम उस महल के जमीन पर रखा उसके पूरे बदन में एक सर्द लहर दौड़ गई ,वहां का तापमान बहुत कम था ,काल को ना गर्मी लगती थी ना कभी सर्दी ,लेकिन उसको भी यहां सर्दी का अहसास हो रहा था ,इससे काल को अंदाजा हो गया था कि कोई आम इंसान इस ठंड में जिंदा बचना मुश्किल था ,वो चलते चलते महल के दरवाजे के पास आया ,महल का दरवाजा 20 फिट से ज्यादा ऊंचा और 10 फिट चौड़ा था ,उस दरवाजे पर एक साँप बना हुवा था ,जिसको देखकर ऐसा लग रहा था ,मानो वो कोई जिंदा साँप हो जो उसकी तरफ देखने वालों की रूह तक को देख पा रहा हो ,काल ने जब उस सांप की आंखों में देखा तो उसको लगा जैसे उसकी आँखों मे हल्की चमक उठी हो ,काल कुछ देर तक उस साँप की आंखों में ही देखता रहा ,अचानक वो दरवाजा अपने आप खुल गया ,काल बिना डरे उस दरवाजे के भीतर दाखिल हुवा ,बाहर से महल देखकर ऐसा लगा था अंदर बहुत कमरे हो ,पर यहा पर बस एक ही कमरा था जो चारो तरफ फैला हुवा था , उस कमरे के बीचोबीच में थोड़ी ऊंचाई पर दो बड़ी सी कुर्सियां रखी थी ,ऐसा लग रहा था मानो वो कोई बड़े से राजदरबार में खड़ा है और उसके सामने कोई राजा और राणी उन दो बड़ी कुर्सियों में बैठे है ,काल चलता हुवा ठीक उन कुर्सियों के सामने खड़ा हुवा ,काल के पास अंधेरे में देखने की शक्ति होकर भी वो उन दो कुर्सीयो के दायरे में उसकी शक्ति कम नही कर रही थी , उसे ऐसा लग रहा था कि वहाँ दोनो कुर्सियों पर कोई बैठा हो पर वो उनको देख नही पा रहा था ,काल ने सामने थोड़ी देर तक देखा और कहा ,जी मेरा नाम काल है वैसे मेरा असली नाम शिवा है पर कुछ मजबूरियों के चलते मेने मेरा नाम बदल लिया ,मेरी कहानी आपको बताकर में अपना समय जाया नही करना चाहता ,में बस यही कहूंगा के मेरे नसीब ने मुझसे जितना छिना उससे कहि गुना दिया भी ,में आज आप के पास खुद के लिये कुछ नही माँगने आया हु ,मेरी वजह से एक बेगुनाह की जान खतरे में पड़ गई है ,वो बिचारी मुझे बचाने के लिये उस मौत में गड्ढे कूद पड़ी ,उसने मुझे तो बचा लिया पर अपनी जान उन पापियों के हवाले कर बैठी ,में बस इतना चाहता हु आप मेरे शरीर को थोड़ा जहरीला बनाकर में कुछ घण्टो के लिए मुझे मौत न आये ,इसके बदले आप जो चाहे वो आप मेरे साथ कर सकते है ,
काल अपनी बात बोल कर कुछ देर चुप रहा और सामने से क्या जवाब आता है उसकी राह देखने लगा ,
काल,यही नाम है ना तुम्हारा ,क्या दे सकते हो तुम हमे, अपनी इच्छा पूरी करने के लिए ,काल के कानों में एकदम सर्द आवाज आयीं ,
जी आप जो कहे वो में करने के लिये तैयार हूं, काल ,
क्या तुम अपनी आत्मा हमे दे सकते हो हमेशा के लिए ,आवाज
जी हा ,में अपनी आत्मा आप को दे सकता हु हमेशा के लिये,काल बोला,
ठीक है तो फिर हम तुम्हारी आत्मा हमारे पास रख लेंगे हमेशा के लिए ,और तुम्हे शरीर मे विष लेकर तुम्हे 6 घंटे की जिन्दगी भी देंगे ,इसके सिवा और कुछ नही चाहिए तुमको ,आवाज ,
जी नही ,बस मुझे 6 घण्टे की जिन्दगी ही बहुत है ,काल ,
अगर तुम चाहो तो में तुम्हे असीमित बल ,धन ,के साथ एक नई जिंदगी दे सकता हु जहा तुम अपनी मर्जी से जो चाहो वो कर सकते हो ,इस 6 घण्टे की विषभरी जिंदगी के बदले हम तुम्हे बहुत कुछ और दे सकते है ,आवाज ,
जी आपका बहुत शुक्रिया आपने मुझे उस लायक समझा पर में आपके पास सिर्फ इस विषभरी जिंदगी के लिए ही आया था ,मुझे आप गलत ना समझे पर मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी खुशी अब नेत्रा की जान बचाकर उसे सुरक्षित विषलोक से निकलना है और उस विषदंश को इस दुनिया से हमेशा के लिए मिटाना जो अब अपने गंदे विचारों के साथ यहा रहने योग्य नही रहा ,काल,
नेत्रा को छुड़ाकर और विषदंश को मारकर तुम्हे क्या मिलेगा ,उसके बाद तुम 6 घंटे खत्म होते ही जहर की वजह से गलकर मर जाओगे बहुत दर्दनाक मौत होगी तुम्हारी ,अवर तुम विषलोक जाने की लिए जिद छोड़ दो तो तुम्हे तुम्हारी मोहब्बत के साथ तुम्हारी सब चाहने वालियों के साथ हम ये सुंदर महिलाओं को भी तुम्हें दे देंगे आखरी बार सोच लो ,आवाज ,काल के सामने उस अँधरे में एक प्रकाश निर्माण हुवा ,उसमे पूजा,मोना ,नरगिस के साथ सनम ,उसकी सभी बहने ,सुनीता ,ज्वाला, निता ,सिनोब ,कोकी दिखाई दे रहे थे और कुछ बहुत ही खूबसूरत लडकिया भी थी जिनके साथ काल खुशी में रहता दिख रहा था ,काल की आंखों में पलभर के लिये ये सब देखकर चमक आ गई पर और उसने अपने आप को सम्भल लिया ,
काल ने कहा ,में झूठ नही कहूंगा ये सब देखकर एक पल के लिये में भी मोहित हो गया था ऐसी जिंदगी जीने के लिये पर में अगर नेत्रा को भूलकर ऐसी जिंदगी अपनाता हु तो में कभी खुश नहीं रह सकूंगा उस मासुंम की जिंदगी के बदले में मिला ऐसा जीवन मेरे किसी काम का नही होगा ,भले ही मुझे सब मिल जाये उसके बाद में लेकिन में जिस सोच के ऊपर आज तक जीता आया हु की में कभी किसी सुख पाने के लिए अपने फायदे की सोचकर किसी जरूरतमंद के मदद ना कर सकू पीछे हट जाऊ ,वो सोच खत्म हो जायेगी ,नेत्रा को भले में बचाने में नाकाम रहूं पर विषदंश की सोच मेने पढ़ी है ,अगर वो कामयाब रहा तो बहुत से और मासूम लोगो की बलि चढ़ जायेगी ,और में उसे ऐसा कभी करने नही दूँगा भले में खुद मिट जाऊँगा पर मेरे साथ उस विषदंश को भी समाप्त कर दुंगा, काल ,
अगर तुम यही चाहते हो तो विषदंश को खत्म करना है तो हम यही से पल भर में विषदंश के साथ पूरा विषलोक तबाह कर सकते है ,पर उसमे वो लड़की भी मारी जा सकती है ,आवाज
जी बात उस लड़की की नही है वहाँ विषलोक में बहुत से और भी लोग है जिनका इस विषदंश से कोई लेना देना नही है ,वो बेचारे भी मारे जाएंगे अगर आप ने विषलोक को यहा से तबाह किया तो ,आप मुझे बस एक मौका दीजिये में विषदंश को मारकर बाकी लोगो को जरूर बचा लुंगा, काल
ठीक है ,जैसी तुम्हारी मर्जी पर तुम 6 घण्टे के भीतर नही मार सके तो क्या करोगे ,में तुम्हे 6 घण्टे के अलावा ज्यादा जिंदगी नही दूँगा बाद में ,आवाज़ ,
जी मुझे मंजूर है ,अगर में मारा भी गया तो कोई गम नही ,मेरा ये काम जरूर कोई ना कोई पूरा करेगा,पर जितना हो सके में काम खुद पूरा करना चाहूंगा ,काल
ठीक है ,जाओ तुम अब यहा से ,इस महल के बाहर पड़ते ही तुम्हारे 6 घंटे शुरू होते है ,आवाज,
जी ,आपका शुक्रिया, काल ,इतना कहकर काल ने अपने दोनो हाथ जोड़कर सामने प्रणाम किया और महल के बाहर की और जाने लगा जैसे ही उसने दरवाजा पर किया उसे ऐसा लगा उसके शरीर मे कुछ घुसा हो बहुत ही तेजी से ,उसने पीछे मुड़कर देखा तो उस दरवाजे के ऊपर बना हुवा साँप अब गायब था ,तभी काल मे मन मे आवाज गूंजी ,तुम्हारे शरीर मे अब कुछ ही पल में पूर्ण रूप से विष फैलने लगेगा भले ही तुम मरोगे नही पर तुम्हारा शरीर कभी जहर को बर्दाश्त नही कर सकता ,तुम्हे मरनप्राय यातना और दाह सहना होगा ,यह आवाज बन्द होते ही काल का शरीर अंदर से जलने लगा ,उसका ऐसा लग रहा था कि उसके पूरे शरीर मे गर्म लावा किसीने भर दिया हो ,उसके पूरे बदन से और आंखों से पसीना बहाने लगा ,काल को तो ऐसा लग रहा था वो दर्दके वजह से यही गिर जाएगा पर उसके आंखों के सामने नेत्रा की शक्कल देखते ही उसकी आंखें पूरी तरह लाल हो गई और वो अपने पूरे दर्द और गुस्से में चिल्लाया, नेत्रा ,,,,काल वहां से सीधा विषलोक जानी वाले गुफा के सामने पहुचा और वह से उस गुफा में तेजीसे आगे बढ़ने लगा विषलोक कि और,उसे बहुत दर्द हो रहा था पर वो उसको भूल कर आगे बढ़ने में लगा था ,काल को सर्पिणी और विशाखा ने भी देख लिया था ,वो दोनो भी उसके पीछे विषलोक में जा रही थी ,उन दोनों को हैरानी थी कि काल महानाग के ठिकाने से जिंदा कैसे वापिस आ गया ,उस जगह से जिंदा वापिस आना नामुमकिन था और काल ने वह काम किया था ,वह दोनो उसी सोच के साथ काल के पीछे जा रही थी ,काल जैसी ही विषलोक के दरवाजे के सामने पहुचा उसके सामने वहां के पहरेदारों ने उसका रास्ता रोकने की कोशिश की पर काल के शरीर से एक तेज काले रंग की किरण सीधा जाकर उस दरवाजे को लगीं ,उस किरण के लगते ही वो दरवाजा ऐसे जल गया मानो कोई कागज का टुकड़ा हो ,काल तेजीसे उस जले हुवे दरवाजे से विषलोक में घुस गया ,दरवाजे के सब पहरेदार, और सर्पिणी और विशाखा ये दोनो बहने काल की करामत देखकर हैरान हो गये थे ,सर्पिणी ने इतना ही कहा ,विषलोक का यह कहि अंतिम दिन कहि आज तो नही है ,जब कोई अपने काले किरण से विषलोक में घुसेगा वही विषलोक का आखरी दिन होगा यही वो भविष्यवाणी थी ना कालनेत्री के पिता के द्वारा की गई ,कहि आज वो सच तो नही हो रही ,
और यही बात विशाखा के साथ वो पहरेदार भी सोचने लगे ,विशाखा और सर्पिणी भी उस उस नष्ट हुवे दरवाजे के रस्ते से विषलोक में दाखिल हो गए ,उन्हें रोकने कोई था ही नही ,सब पहरेदार विषलोक में दाखिल हो गए थे ,और यह खबर पूरे विषलोक में फैल गई थी ,कालनेत्री की शक्तियों से बने दरवाजे को ध्वस्त करने वाला विषलोक को तबाह करने में कितना समय लेगा ,पूरे विषलोक में भगदड़ मच गई थी ,हर कोई अपने और अपने परिवार के साथ विषलोक से बाहर तेजीसे जा रहा था ,और कुछ ऐसे थे जो उस दरवाजे को नष्ट करने वालो को मारने के लिए ढूंढ रहे थे ,
काल इस वक्त राज महल के सामने खड़ा था ,उसके सामने विषदंश खड़ा था अपने आदमियों के साथ ,
विषदंश, मेरी बेटी के शादी के दिन तूने यहा आकर बहुत बड़ी भूल कर दी है ,पहले दरवाजे के नष्ट होने किं ख़बर सुनकर लगा था महानाग तो नहीं आ गया ,पर निकला तू तक तुच्छ मनुष्य ,तेरी औकात हमारे सामने किसी कीड़े से भी कम है ,सैनिकों मार दो इस कीड़े को ,
अपने राजा का आदेश मिलते ही सारे सैनिक काल पर टूट पड़े ,वो काल पर कोई वार करने से पहले ही काल के सामने दोनो बहने खड़ी थी अपने पूर्ण सर्प रूप में ,उन दोनों को देखकर सब सैनिक के साथ विषदंश की भी फट गई थी ,वो दोनो बहने कालनेत्री के जैसी ही खतरनाक थी ,पर अपने ऊपर हुवे गलत इल्जाम से वो कभी विषलोक नही आयीं थी ,पर आज वो काल के सामने उसकी ढाल बनकर खड़ी थी ,
दोनो बहने सैनिकों पर टूट पड़ीं थीं उनके सामने कोई भी टिक नही पा रहा था वो विषदंश के सैनिकों को किसी खिलौनो जैसी मार रही थी ,काल भी उनके साथ उन सैनिकों को मारता महल में घुसने की कोशिश कर रहा था ,जैसी ही सर्पिणी महल में घुसने लगी उसपर एक तेज वार हुवा ,उस वार से सर्पिणी महल के बाहर आकर गिर गई ,विषलोक में सर्पिणी के सामने टिक सके ऐसा कोई नही था ,विषदंश तक उसका मुकाबला नही कर पाता था ,काल और विशाखा ने सर्पिणी को सहारा देकर उठाया ,सर्पिणी सर्पमानव के रूप में तलवार से वार करती महल में घुस रही थी ,उसके छाती पर किसीने लात मार कर उसे महल से बाहर फेंक दिया था ,काल और वो दोनो बहन महल के दरवाजे पर खड़े आदमियों को देख रहे थे
दरवाजे पर काली घाटी के राजा कोहिम के दो बड़े बेटे गगन और देबन अपने 20 आदमियों के साथ खड़े थे ,
सर्पिणी के आंखों में उन दोनों को देखकर बहुत ज्यादा गुस्सा आ गया था,तुम सब अंदर कैसे घुस पाए विषलोक में पापियों, उसने चिल्लाते हुवे पूछा ,
सब उसकी बातें सुनकर हसने लगे और इसका जवाब विषदंश ने दिया ,पागल लड़की मेरी बहन ने विषलोक के दरवाजे और विषलोक पर कवच लगाया पर उसने विषलोक में बने अपने शिवमंदिर के ऊपर कोई कवच नही लगाया था ,यह बात मुझे बहुत बाद मालूम चली थी कालनेत्री के जाने के बाद ,और उसीका फायदा उठाकर मेने अपने दोस्त गगन और उसके भाई को यहां बुला लिया ,गगन मेरी बेटी से शादी करके ऊसकी शक्तियों का मालिक बनकर महानाग को खत्म करने वाला था ,विषलोक को बचाने के बाद में गगन को ऐसे जहर देनेवाला था जिससे वो तुमको आसानी से मार देगा पर लगता है महानाग बाद में मरेगा पहले तुम दोनो बहने ही मरोगी विषलोक ,गगन मार दो इन दो बहनो को ,
गगन ने अपने आदमियों को इशारा कर दिया ,उसके आदमी उन दोनों बहनों को मारने के लिए आगे आने लगे काल गुस्से से चिल्लाते हुवे बोला ,आज तुम सबको यही मरना होगा पापियो ,और तुम कुतो पहले मेरा नाम जान लो में हु काल जिसने तेरे भाई अंगारा और उसके 9 आदमियों को कुत्ते जैसा मारा था ,तेरे भाई ने तुझे बताया होगा न तुझे मेरे बारे में ,में वही काल हु ,
गगन और देबन भी काल की बातों से चिढ़ गये ,उनके छोटे भाई के हाथ पैर काटने वाला उनके सामने खड़ा था वो कोई डरपोक नही थे जो काल से डर जाये ,वो चिल्लाते हुवे काल की और दौड़ पड़े ,काल ने दोनो बहनो से कहा ,में इन सबको देखता हूं तुम नेत्रा और हिमानी को बचाओ जाकर ,दोनो बहने जा नही रही थी क्योंकि गगन और देबन बहुत ज्यादा ताक़दवर थे ,उनके साथ जो 20 आदमी थे ,वो सब के सब महायोद्धा थे ,उनका 1 आदमी ही विशाखा और सर्पिणी के बराबर का था ,तो वैसे 20 लोग एक साथ थे ,साथ मे दोनो भाई भी थे ,जो काल पर भारी पड़ सकते थे ,पर काल ने उन्हें जाने पर विवश कर दिया था ,
महल के सामने इस मैदान में 1 का मुकाबला करने 22 लोग खड़े थे ,पर कल के चेहरे पर डर नही था ,वह दिख रहा था सिर्फ गुस्सा ,काल तेजीसे आगे बढ़ा उसके हाथ खाली थे ना कोई तलवार थी ,ना कोई ढाल ,सामने लडने वालो के पास तलवार से लेकर ढाल ,चाकू सब थे ,पर काल उनपर झपट पड़ा ,सबसे पहले दो लोग जो काल के सामने आए काल ने उनकी दोनो की गर्दन दबाकर उनके सर इतनी तेजी से उखाड़ कर वो दोनो सिर उनके पीछे खड़े आदमियों के मुह पर मार दीये, काल इतने पर ही नही रुका उसने अपने सामने जो एक आदमी आया था उसके दोनो हाथ पकड़कर उसे बीच मे से एक लात मारकर उसे दो भागों में बाट दिया था ,काल के इस ताकद और हैवानियत को देखकर सबकी फट गई थी,एक वार में पाँच आदमी मार दिये थे काल ने ,जिनके मुह पर काल ने वो सर मारे थे उनको तो पूरा चेहरा ही सर के अंदर धस गया था ,मानो उनके चेहरे पर किसने हाथोङे से वार किया हो ,
जिनके पैर तेजीसे काल की तरफ बढ़ रहे थे वो सब जगह पर रुक गये थे ,पर काल नही रुक उसने बाकी 15 आदमियों को भी बुरी तरह मार दिया था ,काल के सामने दोनो भाई खड़े थे ,दोनो ने काल पर अपनी तलवारों से वार कर दिया ,काल ने वार को बचाया नही बल्कि उन दोनों के हाथ हिं उपर के ऊपर पकड़ लिए ,दोनो भाई अपनी पूरी ताकद लगा रहे थे हाथ छुड़ाने की पर वो उसमे कामयाब ही नही हो रहे थे ,काल ने अपने हातो में पकड़ी इन दोनो भाइयो के हातो की कलाइयों को इतने जोर से दबाया की उनका पूरा चुरा हो गया,दोनो भाई गांड फाड़कर चिल्ला रहे थे ,उनके हाथ में पकड़ी तलवारें नीचे गिर गईं थी ,काल ने उनके दोनो के दूसरे हाथ के साथ भी वैसाही किया ,दोनो भाई जमीन पर गिर गये थे और दर्द में तड़प रहे थे,काल ने जैसे उनके हाथों को किया वैसा ही पैरों के साथ कर दिया ,काल अब विषदंश को ढूंढने जाने वाला था तो उसे नेत्रा की आवाज आयीं ,काल ने नेत्रा की तरफ देखा तो वो हिमानी के साथ महल से बाहर आ रही थी ,उनके पीछे सर्पिणी और विशाखा भी थी ,सबने जब काल के आसपास देखा तो वहां चारों तरफ बस खून और लाशें हीं थी ,
काल ने नेत्रा से कहा, तुम सबको लेकर यहा से निकल जाओ,में विषदंश को खत्म करके बाहर मिलता हु ,
नेत्रा ,में आपके मन की बाते क्यो नही जान पा रही हु ,आपने ऐसा क्या किया है जो अब में आपके मन को नही पढ़ सकती,
काल ,नेत्रा हम बाद में बात करेंगे ,अभी समय कम है तुम यहा से बाहर निकलो ,
नेत्रा काल के मन की बातों को पढ़ नही पा रही थी पर काल की आंखों में उसे दर्द दिख रहा था जो वो समझ नही पा रही थी ,उसने आगे बढ़कर काल के हाथ को स्पर्श कर लिया पर काल झट से उससे दूर हो गया ,नेत्रा तुमको मेरी कसम है तुम यहाँ से फौरन बाहर जाओ सबके साथ,मेरे बाद सब तुमको ही देखना है ,तुम मेरी जगह लेकर सबको संभाल सकती हो ,अगर तुम मुझे अपना पति मानती हो तो मेरी बात मान जाओगी ,और जो में बोल रहा हु वो सब सुनोगी,
नेत्रा की आंखों से आंसू बह रहे थे ,वो सबको लेकर विषलोक बाहर निकल गई पर जाते जाते वो काल की आंखों में देख रही थी ,उसके मन की बाते काल सुन रहा था ,आपने मेरे लिए अपनी आत्मा का सौदा किया, आपने तो मेरे लिए सब कुछ कुर्बान कर दिया,और मुझे अपनी कसम भी दे दी के में आपके बाद आपकी जगह लेकर सबको संभालु पर आपके बाद में रहूंगी तब ना ,आपके बाद में जिंदा नही रह सकती ,भले में खुद की जान ना दु पर मुझे यकीन है ,मेरे जिस्म में आपके बाद जान अपने आप चली जायेगी ,।