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Incest जिन्दगी ## एक अनाथ की##

Luckyloda

Well-Known Member
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जानदार जबरदस्त जिंदाबाद
बहुत ही रोमांचक कहानी... अंतिम दो अपडेट ने दो रोंगटे बिल्कुल खड़े कर दिए...


अभी तक ऐसी कहानी नहीं पड़ी है मैंने


जितना भी इसकी तारीफ की जाए कम है .






अगले अपडेट की प्रतीक्षा में
 

Jiashishji

दिल का अच्छा
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Update 58
हिमानी ने नेत्रा के आसु पोछकर कहा कि इस तरह रोने से क्या होगा काल आ जायेगा ,अब नेत्रा क्या बोले इसको अपने दिल का दर्द ,तभी विशाखा बोली ,दीदी सामने देखो कहि ये सब सर्पलोक के बिगारी तो नही ,
चारो लड़कियां विषलोक के बाहर उस गुफा में खड़ी थी ,और उनके सामने से बहुत से सर्पमानव विषलोक में जा रहे थे
सर्पिणी,हा विशाखा, पर कालनेत्री ने तो इनका यहां आना कबसे बंद कर दिया था ना ,और यह सब इतनी बड़ी संख्या में क्यो जा रहे है विषलोक में ,
हिमानी ,शायद आपको पता नही होगा पिताजी ने शिवमन्दिर के रास्ते से कितने ही दृष्टो को विषलोक में जगह दी है ,में जब होश में थी तभी सेंकडो लोगो को महल के नीचे बने तहखानों में रखा था ,उन्हें हर तरह के विष दिए जाते थे ,ताकि वह ताक़दवर बने ,पिताजी ने उनको महानाग के विनाश के लिये ही तैयार कर रहे थे ,ये सर्पलोक के बिगारी तो हमेशा से मेरे पिताजी के अच्छे दोस्त रहे है उनको पिताजी ने खास मेढ़क के जहर दिये है ,जिसकी मदद से अब वो बहुत ताक़दवर बन चुके है ,
नेत्रा ,सर्पिणी यह बिगारी लोगो के आकार इतने बड़े कैसे है आप लोगो के मुकाबले
सर्पिणी, नेत्रा इन बिगारी सर्पो की एक खास बात यह होती है की इनकी आयु बहुत ज्यादा होती है, आम सर्पो की तुलना में यह जब तक जीवित रहते है इनकी लंबाई हर साल बढ़तीं ही रहती है ,इनमें इतनी ताकद होती है के एक हाथी को भी यह अपनी पूंछ में फसाकर मसल देते है ,इन्हें सर्पलोक के सबसे क्रूर योद्धा माना जाता है ,यह जरूर विषदंश के मदद के लिये आये है ,हमे भी अंदर जाना होगा काल की मदत के लिये,माना हम काल के जितने ताक़दवर नही है पर उसकी मदद जरूर कर सकते है ,
हिमानी ,सर्पिणी बुवा एक बात मेरे समझ मे नही आती आप दोनो बहने कितने सैकड़ो साल की हो ,आप मे इतनी ताकद है लेकिन आपने कभीं पिताजी ,या इन दृष्टो का मुकाबला क्यो नही किया ,
सर्पिणी ,हिमानी माना हमे दोनो बहनो में बहुत ताकद है पर हम दोनों की पूरी ताकद हमे मिली ही नहीं है ,जब तक हमारी शादी नही होती, हम अपने पतीसे मिलन नही कर लेते ,तब तक हम दोनों की शक्ति जागृत नहीं होगी ,और हम दोनों पर हमारे माता पिता के जाने के बाद मन्दिर के रक्षा की जिम्मेदारी थी ,उसकी वजह से हम कभी इस मामले में नहीं पडे ,पर आज हम काल की मदद करने आये थे और मन्दिर का जिम्मेदारी हमसे भी बढ़कर सुरक्षित हाथो में ,
विशाखा ,दीदी ,इसका मतलब वो दोनो अभी मन्दिर में है,मेने कितने ढूंढा था उनको लेकिन वो दोनो कभी मिली ही नही ,
सर्पिणी ,हम जब मन्दिर जाएंगे तो तुम उन दोनों से मिल लेना ,वो तुम्हे सब बता देगी ,अब हमें बाकी बाते झोड़कर काल की मदद कैसे करनी है इसके बारे में सोचना होगा,
नेत्रा,उन्होंने मुझे कसम दी है कि में अंदर ना जावू ,और तुम सबके साथ बाहर ही रहूं ,
विशाखा ,काल ने कसम तुम्हे दी है नेत्रा हमे नही ,तुम हिमानी के साथ यहीं रहो में और दीदी काल की मदद करने के अंदर जाते है ,
हिमानी ,बुवा माना में आपसे छोटी हु और ताकद में भी कम हु पर में निलनागिन हु ,मेरे जहर से अच्छे अच्छे हार मान जाते है ,में भी आ रहि हु आपके साथ ,नेत्रा तुम यही रुको हम तीनों जाकर काल की मदद भी करेंगे और उसे तुम्हारे पास लेकर भी आएँगे ,
नेत्रा की बातों को गोल करती तीनो अंदर चली गई काल की मदद करने
विषलोक में काल जब विषदंश को तलाश करने जाने लगा ही था कि उसके सामने 100 से ज्यादा बहुत ही बड़े सर्पमानव खड़े थे, जिन्हें देखकर काल की आंखों में एक आग थी जो सामने वालो को जलाने के लिये काफी थी ,अबतक की लड़ाई काल अपने मानव रूप में ही लड़ रहा था ,लेकिन सामने सर्पमानव देखकर उसने भी अपना रूप सर्प मानव में बदल लिया ,जिसे देखकर सामने वाले इतने बड़े सर्पमानव थे उनकी भी फट गईं,काल एक पूरे काले सर्पमानव में बदल गया था ,काल ने यह रूप कभी नही लिया था ,अपने आप वो काले सर्पमानव का रूप आ गया था ,जिसका पता काल को भी नहीं था ,काल किसी हवा की तेजीसे उन पर झपट पड़ा ,वो जिस रफ्तार से उनसे लड़ रहा था उतनी उनमे से किसी की भी नही थी ,वो सब सर्पमानव पहली बार जिंदगी में इतना काला और भयानक सर्पमानव देख रहे थे ,अपनी जान बचाने के लिये वो भी अब काल का मुकाबला कर रहे थे ,काल अपनी पूरी जान लगाकर लड़ रहा था ,उसके बदन में पलपल फैलने वाला जहर उसकी तकलीफ लगातार बढा रहा था और उसके शरीर पर जहर के अनगिनत वार भी हो रहे थे,मैदान में अब बिगारी सर्पमानव भी काल पर वार करने आ गए थे ,वो तो बहुत ही विशाल थे ,उन बिगारी सर्पमानव ने अपना सर्प रूप लेकर काल पर अपने जहर से वार कर रहे थे ,कुछ बिगारी सर्प 2 मुह वाले थे तो कुछ 10 ,बहुत ही घातक वार कर रहे थे वो काल पर ,काल का पूरे शरीर पर दांतो के काटने के निशान बन गए थे ,उसके पूरे शरीर पर खून ही खून बह रहा था ,विशाखा हिमानी ,सर्पिणी भी काल का साथ देने मैदान में कूद गई थी उन तीनों ने भी कितनो को मार दिया था पर यह सिर्फ 4 थे और सामने हजारों थे जिनकी संख्या लगातार बढ़ती ही जा रहीं थी ,विषलोक को बचाने अब पूरी दुनिया से जहरीले योध्दा आ रहे थे ,विषलोक ही उनको हर तरह के जहर से ताकद देता था तो कौन इतनी आसानी से विषलोक को मिटाने देगा हर बुरी ताकद के साथ कुछ अच्छी ताकते भी वहां पर आ गईं थी विषलोक को बचाने उनके सामने बस 4 ही थे सर्पिणी और विशाखा से उनके ही वंश के सर्प मुकाबला कर रहे थे ,बाकी कोई उनसे नही लड़ना चाहता था ,पर दोनो बहनो के आगे उनके वंश के सर्प भी ज्यादा देर तक टिक नही पा रहे थे ,तभी विशाखा और सर्पिणी पर पाताल की काली नागिनों ने हमला कर दिया ,वो काली नागिनों के जहर से दोनो को बहुत तकलीफ होने लगी थी ,वो सब काली नागीने हजोरो साल से पाताल में रहने वाली इतनी जहरीली थी कि उनके पास खड़े बाकी बिगारी योध्दा तक गल गये थे ,हिमानी को जख्मी करके बंदी बना लिया था ,सर्पिणी और विशाखा भी बुरी तरह जख्मी होकर लड़ने में लगी थी,काल का तो हाल ही बुरा था उसके अंदर अब पूरी दुनिया के जहर मौजूद हो गया था ,काल को हर कोई सर्प योद्धा ने काटा था ,पाताल की नागिनों ने भी काल को जख्मी किया था ,काल लड़ते लड़ते ही धरती पर गिर गया था उसके महानाग के दिये हुवे 6 घण्टे अब खत्म होने आए थे ,काल खुद को खड़े करने के लिए बहुत कोशिश कर रहा था पर वो नही हों पा रहा था ,उसने अपनी पूरी ताकद समेटकर खुद को खड़ा करना चाहा पर तभी एक काली नागिन ने ऊसकी पीठ में अपना जहरीला भाला आरपार कर दिया ,काल जमीन पर गिर गया और उसकी आंखें बंद हो गयी ,
विशाखा और सर्पिणी भी अब बेहोश हो गई थी ,उनके अंदर इतना घातक जहर भर गया था कि वो भी बचना नामुमकिन था ,
नेत्रा विषलोक के बाहर खड़ी सब अपनी आंखें बंद करके देख रहीं थी ,जब काल जमीन पर अपनी पीठ पर भाला लगने से गिर गया तो नेत्रा के मुह से एक चीख निकल गई ,काल,,,,,,,,,,,, नेत्रा जमीन पर अपने घुटनों पर बैठकर रोने लगी ,उसके दिल से खून के आसु निकल रहे थे ,वो अपने आप को ही काल की मौत का दोषी मान रही थी ,
नेत्रा ने जो काल के नाम से चीख लगाई थी वो इतनी तेज थी जो विषलोक तक भी सुनाई दी थी ,और कालनेत्री के घोड़े ने भी यह आवाज सुनी थी ,उस आवाज को वो भलीभांति जानता था ,वो तो कबसे कालनेत्री को महसूस करके उसकी राह देख रहा था, पर अब अपने मालकिन की इतनी दर्द भरी पुकार सुनकर, उसने अपने सारे बंधन तोड़कर अपनी मालकिन की तरफ दौड़ लगा दी ,वो घोडां अपनी मालकिन की खुशबू के सहारे नेत्रा तक पहुच गया ,नेत्रा के पास जाकर वो रोती नेत्रा के हाथ चाटने लगा ,नेत्रा ने रोते हुवे ऊपर देखा तो एक काला घोड़ा दिखा उसे देखकर नेत्रा खड़ी होकर उसे जानवर के सर को लिपटकर रोने लगी ,वायु मेरा काल नही रहै ,मेरे पति नही रहे वायु ,नेत्रा उस घोड़े को लिपटकर रोती अपना गम सुना रही थी ,
अचानक नेत्रा को झटका लगा ,वायु ,में इस घोड़े को कैसे जानती हूं ,ये नाम मुझे कैसे पता ,कुछ सोचकर
नेत्रा वायु पर बैठ गई ,वायु चलो मुझे मंदिर लेकर चलो,
वायु भी उसे तेज गती से शिवमन्दिर लेकर गया ,नेत्रा अपने मन मे मुझे ऐसा क्यू दिखा की में शिवमन्दिर में वायु पे बैठकर जा रही हु और मैने मन्दिर में क्या रखा था ,
नेत्रा को वायु ने जल्द ही मन्दिर के पास लेकर आया ,नेत्रा को उस मन्दिर को देखकर ऐसा लगा जैसे वो यहा बहुत बार आ चुकी है ,यह सब उसको अपना लग रहा था ,मन्दिर में आकर नेत्रा ने शिव के दर्शन किये और अपनी आंखें बंद करके अपने भगवान को याद करने लगी ,उसकी आंखों से बहता पानी उसके गालों से नीचे जमीन पर टपकने लगा ,अपने मन मे अपने भगवान को याद करती अपनी फरियाद लगा रही थी ,अचानक उसे अपने हाथों पर कुछ रेंगता महसूस होने लगा उसने अपनी आंखें खोलकर देखा तो वो एक सुवर्ण सर्प था जो बहुत ही छोटा था ,नेत्रा ने उसे अपने हाथों में उठा लिया और बोली , सुवर्णा देखो मेरे हाल ,मेरे पति मुझे छोड़कर चले गये ,अब क्या करूँ में तुम ही बोलो ,
नेत्रा किसी अपनी खास सहेली की तरह सुवर्णा से बात करने लगी थी ,अपने काल के ,अपने पति के बारे में उसे बता रही थी ,नेत्रा अपनी पूरी कहानी सुवर्णा को सुना कर चुप होकर रोने लगी ,सब सुनने के बाद अचानक वो साँप बोली ,नेत्रा अब तुम्हारा कालनेत्री बनने का समय आ गया है ,क्या अब तुम मुझे अपने अंदर ग्रहण नही करोगी ,
नेत्रा ने भी ना जाने कैसे अपनी आंखें झपकाकर हा कहा,वो सुवर्ण सर्प नेत्रा के शरीर मे ऐसे समा गया मानो वो उसकी आत्मा का हिस्सा हो ,नेत्रा की आँखे बंद हो गई उसे अपने कालनेत्री के जीवन के बारे में सब बातें याद आने लगी ,उसकी शिवभक्ति ,कालकूट विष पीने से बढ़ी ताकते ,महाकाल के कहने पर बुरी ताक़दो के खिलाफ लड़ना ,अपने पिता की भविष्यवाणी ,विशाखा और सर्पिणी की दोस्ती ,कैसे विषलोक के विनाश रोकने के लिये उसके भाई का उसके पीछे महानाग को मारने की जिद करना, सब याद आ गया था उसको ,उसने भगवान शिव के अनुमति से ही अपने प्राण त्याग दिये थे ,उसे भगवान शिव का आदेश था कि तुम दुबारा जन्म लोगी तब तुम्हारे हाथों से बहुत बड़े काम होने है ,इसी वजह से उसने अपने प्राण त्यागने से पहले अपनी शक्ति और सब यादे एक सुवर्ण सर्प के रूप में शिवमन्दिर में छोड़ रखी थी ,आज वही नेत्रा अब पूर्ण रूप से कालनेत्री बन गई थी ,
काल के छाती पर पैर रखता विषदंश जोरजोर से हस रहा था
मुझे तुम्हे मारने के लिये ना मेरी बहन कालनेत्री की जरूरत पड़ी ना मेरी बेटी की ताकत की महानाग तुम बहुत ही कमजोर निकले मेरी ताकद के सामने,फेक दो इस महानाग को हमारी निलनदी में इसकी लाश को हमारी नदी के जीव खाकर खुश होंगे ,कुछ सर्पयोद्धा ने आगे आकर काल को उठाकर नदी में फेंक दिया ,विषदंश अपनी खुशी में फुला नही समा रहा था ,वो अपनी जख्मी बेटी को एक तमाचा मार कर बोलता है ,नीच अपने बाप के खिलाफ जाती है ,विषदंश ने कहा ,आज के बाद विषलोक में कोई भी चोर दरवाजे से नहि आएगा ,एक दरवाजा तो इस महानाग ने तोड कर हमारा काम आसान कर दिया है ,बाकी दरवाजे भी हम जल्द नष्ट कर देंगे ,अब विषलोक में कोई भेदभाव नही होगा, पापी हो या पुण्यवान सब विषलोक आ सकते है विष पी सकते है ,आज से तो जो भी पापी होगा उसे ज्यादा विष दिया जायेगा ,उसकी बातें सुनकर सब खुश हो गये ,जो अच्छे लोग थे ,पुण्यवान लोग थे ,उन्होंने विषदंश को समझाना चाहा तो उन सबको वहाँ से विषदंश ने निकाल दिया ,सब विषदंश का जयजयकर कर रहे थे ,
जो दरवाजा महानाग ने नष्ट किया था ,एक जोरदार आवाज के साथ वो अपने आप पहले की भांति बन गया ,यह देखकर विषदंश को हैरानी हुवीं, बाकी लोगो को लगा कि अच्छे लोगों को विषलोक से निकलने के बाद विषदंश ने ही किया होगा ,
शिवमन्दिर की तरफ से अचानक बहुत तेज हवा के साथ धूल मिट्टी उड़ने लगी और कुछ ही पल में वहा सब के सामने खड़ी थी कालनेत्री ,विषदंश को तो यकीन नही हो रहा अपनी आंखों पर ,नेत्रा के बारे में वो सब जान गया था उसे मालूम था यह ना तो कालनेत्री है ना उसके जैसी शक्तिया, लेकिन उसके आंखों के सामने अब कालनेत्री अपने प्रचंड रूप में खड़ी 20 मुह वाली कालनेत्री को देखकर कुछ लोग डर गए तो कूछ खुश हो गए ,क्योंकि उनको अब कालनेत्री को सबक सिखाने का मौका मिल गया ,पाताल से आई काली नागिनों की तो कालनेत्री से कट्टर दुश्मनी थी ,काली नागिनों ने अपनी रानी को सन्देश भिजवाया की कालनेत्री आ गई है सामने ,कालनेत्री ने ही उनकी पुरानी रानी को मारा था अब उस रानी की बेटी केतकी ,काली नागिनों की राणी बन गयी थी ,उसमे भी कालनेत्री जैसी ही ताकते थी ,पर कालनेत्री के अचानक गायब होनेसे उन दोनों का कभी आमना सामना नही हुवा था पर अब दोनो सामने आने वाली थी , ।
(अगला विषलोक का आखरी भाग होगा )
Lo Bhai Vish look ke khatme ki tayari suru ho gai . Lekin apna hero Kaha Gaya . Wapas bulao use
 

sunoanuj

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Bahut hee gajab updates they dono .. maza aa gaya or romanch bhi pura tha … jabardast action …


Agle update ki pratiksha me …

👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻🌷🌷🌷🌷
 

Kapil Bajaj

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मस्त कहानी का अंत इतनी जल्दी नहीं होना चाहिए कहानी को थोड़ा और लंबा करो बड़े भाई और ऐसे ही अपडेट देते रहो बड़े भाई ऐसी दूसरी कहानी लिखो भाई आपका दोस्त KAPIL
 
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