Update 54
रात को जब सिनोब को लगा शिवा आज परेशान है वो कुछ नही करेगा सो जाएगा पर शिवा ने उसकी पूरी परेशानी सिनोब और कोकी के गांड़ के छेद को मारमार कर उनमे अपने माल को भरने में सुबह तक निकाल दी ,
सुबह जब काल नेत्रा के कमरे में पहुचा तो उसके दाएं पैर में दर्द हो रहा था ,बहुत दिनों बाद काल को कोई ऐसी शारीरिक पीड़ा हो रही थी उसके पैर के अंगूठे और उसकी बाजू की उंगली के बीच मे उसे ऐसा महसूस हो रहा था मानो उसमे कोई पतली सुई घुसी हुवी हो,वहां कोई जख्म नही था ,जो उसने नहाते वक्त भी देख लिया था पर कुछ नहीं था ,पर दर्द बरकार था ,
नेत्रा बेड पर सो रही थी , वो रातभर रोती रही ऐसा उसकी आँखों की आसपास के सूखे आसु उसकी गवाही दे रही थी ,काल को नेत्रा को ऐसे हाल में देखकर बुरा लग रहा था ,उसने नेत्रा को आवाज देकर उठाया तो दूसरे आवाज में ही वो उठ गई ,अपने सामने काल को देखकर वो खुश हो गई थी ,आप बैठिए में अभी नहाकर आती हु ,जब नेत्रा बाथरूम में नहाने गई तो उसके चलने में थोड़ी लड़खड़ाहट थी , नेत्रा नहाने गई तभी दरवाजे पर किसीने दस्तक दी ,दरवाजे पर सिमा चाची थी उनके हाथ मे चाय की ट्रे थी ,उन्होंने वो लाकर टेबल पर रख दी और एक चाय काल को देकर बिस्तर के तरफ देखने लगी ,
उनके चेहरे पर हँसी और आंखों में शरारत थी ,आप ने हमारी फूल सी बच्ची को ज्यादा सताया तो नही जमाइराजा ,और हसने लगी,
काल उसकी मन की बातों से समझ गया कि बेड पर बिछी सफेद चादर पर बीच के हिस्से में खून के धब्बे थे ,उसको देख कर ही सिमा चाची इशारा कर रही थी ,काल कुछ नही बोला ,बादमे नेत्रा के नहाने के बाद वो आ गई उसकी चाल देखकर सिमा ने उसे भी थोड़ा छेडा ,ऐसी ही हल्की फुल्की बाते ,हँसी मजाक सबके साथ करके नाश्ता भी हो गया ,तब नेत्रा ने अपनी माँ से मन्दिर में जाने की बात कही ,निता ने भी खुशी से उसे जाने की अनुमति दे दी ,नेत्रा आज पूरी सुहागन की तरह हरि साड़ी और ब्लाउज ,दोनो हाथो में लाल चुड़ीया ,पाव में पैजब गले मे मंगलसूत्र और मांग में लाल सिंदूर ,नेत्रा दिखने में बहुत खूबसूरत थी ,नीली आंखे ,काले लम्बे बाल ,दूध सी गोरी ,36 28 36 की कमाल की फिगर ,5 फिट 10 इंच की हाइट ,एक अप्सरा की तरह वो लगती थी ,काल या शिवा की ज़िंदगी मे जितनी भी लडकिया या औरते आयी थी उनमे कोई भी नेत्रा के बराबर नही थी ,नेत्रा की सुंदरता के सामने कोई नही टिकता था सिवाय उसकी माँ निता के ,
नेत्रा तो एक स्वप्न सुंदरी थी ,काल तो नेत्रा को ही एकटक देख रहा था ,नेत्रा काल के पास आकर ,चलिए हमें मन्दिर जाना है ,काल नेत्रा को देखते हुवे कब मन्दिर पहुचा उसे पता ही नही चला ,दोनों ने जाकर माता का जोड़ी से आशीर्वाद लिया,
नेत्रा, आपने कल मेरी मांग मेरे वशीकरण में भरी थी ,क्या आज आप एक बार मेरी मांग बार देंगे अपने होश में ,आखरी बार
काल ने बिना कुछ कहे कहि मन्दिर में रखी लाल सिंदूर उठाकर नेत्रा की मांग भर दी
नेत्रा के आखो में आसु आये पर उसने झट से उसे पोछकर आगे बढ़कर काल के पैर छू लिए
दोनो जब मन्दिर से बाहर आये तब नेत्रा ने कहा,आप विशाखा से बात कीजिये और उनके पास हमे लेकर चलिए ,
काल ने उसकी बात मानने से इनकार कर दिया,उसने बहुत बार मनाया पर काल माना ही नही ,नेत्रा की आंखों में आसु आ गए थे काल के मना करने से ,नेत्रा ने काल के एक हाथ को पकड़ कर उसे अपने वशीकरण में लेकर उसे विशाखा के पास लेकर चलने को कहा ,काल को जब होश आया तो उसने देखा की वो विशाखा की गुफा में खड़ा है और विशाखा अपने पूर्ण नागरूप अपने दाँत नेत्रा के हाथो में गाड़ चुकी है
उसके कुछ करने से पहले ही विशाखा ने अपना जहर नेत्रा के शरीर मे छोड़ दिया था ,रुक जाओ विशाखा वो मर जाएगी ,काल जोर से चिलाकर नेत्रा की तरफ भागा ,विशाखा उसे काटकर वहां से जा चुकी थी ,
नेत्रा का पूरा शरीर नीला पड़ गया था ,उसकी आंखें खुली थी ,उसने काल को अपने पास नही आने दिया
बस 2 मिनीट का समय दीजिए ,और आप रोईए मत,आपकी आँखों मे आसु मुझे बिल्कुल पसंद नही है, एक काम कर सकते है ,में आप को एक बार शिवा के रूप में देखना चाहतीं हु ,अगर में ना बचीं तो आपकी असली शक्कल देखकर जाने का सौभाग्य तो मिलेगा मुझे ,काल ने अपना शिवा का रूप ले लिया था ,और जाकर नेत्रा को गले लगा लिया, शिवा की मुह से निकल गया ,नेत्रा ,मेरी नेत्रा तुम मेरी हो, में तुम्हे कुछ नही होने दूँगा ,तुम पर सिर्फ मेरा ही अधिकार है ,
और शिवा ने अपने ओठ नेत्रा के ओठोसे जोड़कर उसे प्यार से चुसने लगा ,शिवा तो अलग ही दुनिया मे था ,जैसा वो निता के साथ किस करने में खो जाता था ,यह अहसास एकदम अलग था ,नेत्रा का भी हाल शिवा के जैसा ही था ,वो भी अपने प्यार के आगोश में सुधबुध खो चुकी थी ,दोनो ना जाने कबतक अपने होठो का रस एक दूसरे को पिलाते रहे ,दोनो की आत्मा मानो एक हो गयी थी,नेत्रा ने ही किस तोड़ा और शिवा की बाहो से निकल गई ,नेत्रा का चेहरा शर्म से पूरा लाल पड़ गया था ,उसकी वजह थी किस करते वक्त शिवा के हाथ नेत्रा के गांड़ को इतना मसल रहे थे कि वो किस करते करते ही झड गई थी ,शिवा भी अपने काल के रूप में कब का आ गया था ,नेत्रा को विशाखा के जहर का कुछ भी असर नही हुवा था वो एकदम ठीक थी,
काल को अब अच्छा लग रहा था ,नेत्रा खुद ठीक कर रहीं थी ,काल ने उसकी पूरी होठो की लाली खा ली थी ,उसके बाल ,उसकी साड़ी ,सब बिखर गए थे ,नेत्रा को देखता काल याद कर रहा था, कैसे उसने काल को अपने वश में करके उसे पहले विशाखा की गुफा में लाया ,फिर विशाखा को गुफा में बुलाया ,काल ने विशाखा को कहा वो नेत्रा को काटे ,वो मान नही रहीं थी ,तब काल ने कहा कि तुम इसको काटों इसे कुछ नही होगा,इसकी खुद की इच्छा है कि तुम इसके अंदर अपने जहर को जितना भर सकती है भरो ,लगे तो तुम इसे पूछ लो ,तो नेत्रा ने भी उसे कहा कि वो खुद ऐसा चाहती है ,उसके ऊपर किसी जहर का असर नही होता ,पर विशाखा मानी नही ,काल ने उसको फिर धमकी दी कि अगर तुमने इसको नहीं काटा ,तो में तुम्हारी बहन को मार दूँगा ,विशाखा काल की ताकद जानती थी ,इसलिये वो तैयार हो गई काटने को ,तब काल ने कहा इसे काटने के बाद तुम यहाँ से तुरन्त चली जाना और यहा क्या हो रहा है ये देखने के कोशिश भी मत करना ,में तुम्हे बुलाऊंगा तभी तुम यहा आना ,और काल ने जैसा कहा बिचारी विशाखा ने उसे वैसा ही किया था ,काल से यह सब वशीकरण में नेत्रा ने करवाया था ,
नेत्रा ने जैसे ही खुद को ठीक किया तो काल ने फिर उसे पकड़कर चुमना शुरू कर दिया ,पहले नेत्रा थोड़ी अचानक हुवे हमले से डरी फिर उसने अपने आप को काल के हवाले कर के उसका पूरा साथ देने लगी ,इस बार काल ने सिर्फ उसके होंठ ही चूसे ,
नेत्रा तुम मेरी बीवी हो ,और तुम्हारा मुझपर पूरा हक्क है ,पर तुम अपनी वशीकरण शक्ति का प्रयोग कभी मेरे ऊपर नही करोगी ,वचन दो मुझे
नेत्रा ,जी मे कसम खाती हु आज के बाद कभी आपके ऊपर अपनी वशीकरण शक्ति का प्रयोग खुद के फायदे के लिए नही करूंगी ,
काल ,नेत्रा तुमने मुझे पागल समझा है ,मुझे पता है तुम अपने फायदे के लिए, मेरे ऊपर कभी अपनी शक्ति का प्रयोग नही करोगी ,तुम यह कसम लो की कभी तुम मेरे उपर् अपनी वशीकरण शक्ति का प्रयोग नही करोगी ,
नेत्रा ,मेने वही कसम ली है ,और दिन में एक ही कसम ली जाती है ,
काल ,यह किसने कहा, यह किसने बताया तुमको ,
नेत्रा, किसीने नही ,लेकिन में दिन में एक ही कसम लेती हूं
काल को हसी आ गई
नेत्रा जिस दिन तुम और नरगिस साथ मे रहोगी बहुत लोग मारे जाएंगे ,काल
नरगिस दीदी तो मेरी बहुत अच्छी सहेली बन गई है ,और उनके बहुत अहसान है मुझपर नेत्रा ,
वो कैसे ,काल
बिचारी ने कितनी सेवा की अस्पताल में आपकी, उन्होंने आप के लिये अपने भाई को ही काट दिया था ,वो नही होती तो आप हमें कभी नही मिलते ,हम उनके लिए अपनी जान भी दे सकते है हसते हसते ,नेत्रा ,
नेत्रा तुम बिल्कुल पागल हो ,काल,
हा हु में पागल आपके प्यार में ,नेत्रा,
नेत्रा बोलते बोलते अपने दिल की बात बोल गई थी ,इसलिये एकदम चुप हो गई ,
नेत्रा एक काम करना तुम आज अपने माता पिता से बोल दो की आज शाम तुम मेरे साथ अपने घर जा रही हो हमेशा के लिए ,मुम्बई,काल,
नेत्रा भीगी पलको से काल को देख रही थी ,उसकी आँखों से बहते आंसू उसके अंदर के दर्द को बता रहे थे ,
अरे तुम मेरी बीवी हो तो तुम मेरे साथ हिं रहोगी ना हमेशा ,हा अगर तुमको में पसन्द नहीं हूं या तुमको मेरे साथ नहीं रहना तो कोई बात नही ,काल ,
नेत्रा तो रोते हुवे काल के बाहो में सिमट गयी थी ,उसके मुह से रोने की जो आवाज थी ,उसमे उसका दर्द था जो वो कल से अपने दिल मे दबाके बैठी थी ,अपने पति के ,अपने प्यार की बाहो में वो दर्द खुलकर उसके हमदर्द को सुना रहीं थी ,
नेत्रा ,जो लड़की मेरे लिये अपने आप को किसी हजारो साल पुराने साँप के सामने हसते हसते उसके जहरीले दांतो से कटवा सकती है ,उसके प्यार की में क्या कीमत लगा सकता हु ,जो एक दिन बिना साथ रहकर ,इतना प्यार कर सकती है
तो वो मेरे साथ मेरी पत्नी बनकर मुझे कितना प्यार करेगी ,
काल की बाते सुनकर नेत्रा उसकी बाहो ऐसी घुसने लगी मानो वो काल को अपने अंदर समेटने वाली हो ,काल के आगोश में नेत्रा जल्द ही सम्भल गई ,काल ने कहा ,मेरी एक बात मानोगी ,नेत्रा ने कहा ,आप विषलोक साथ मे न जाने की बात छोड़कर कुछ भी कहंगे में वो करूंगी ,
काल ,ठीक है पर तुम वह मेरी हर बात मानोगी, में विशाखा को बुलाता हु
काल ने विशाखा को याद किया वो पल भर में उनके सामने प्रकट हो गई
काल ,विशाखा में तुमसे माफी मांगता हूं मेरी बातों की पर हमें विषलोक जाना था इसलिये मेरी पत्नी को मैने तुम्हे काटने को कहा था ,में कभी तुमको या तुम्हारी बहन को नुकसान नही पहुचा सकता हु ,अब तुम यह बताओ कि विषलोक में कैसे जाते है और वहाँ पर हमें कहा पर मिलेगा अघोर विष ,
विशाखा, काल तुम्हे कैसे पता कि मेरी बहन अघोर विष से ठीक होगी ,और वो विषलोक में मिलता है ,और सबसे बड़ी बात मेरे काटने के बाद 1000 हाथी तक गल जाते है इतना विष निकलता है ,हमारे विष के सामने कोई नही टिक सकता ,हम भगवान वासुकि के वंशज है , हमारे विष के आगे सिर्फ महासर्पिणी कालनेत्री ही जिवित रह सकती है पर वो तो हजारो सालो से लुप्त है ,
काल ,विशाखा कौन थी कालनेत्री ,हमे उनके बारे में विस्तार से सब बाते बताओ ,
विशाखा ,काल सबको यह बात पता है कि भगवान शिव ने हलाहल या कालकूट विष पिया था दुनिया को बचाने तब उसकी एक बूंद गिर गई थी पृथ्वी पर जिसको पीकर ही विषारी जंतुओं में जहर आया था ,उस कालकूट बून्द को बहुत बड़ा हिस्सा एक नागिन ने पिया था ,वो जहर पीकर सामान्य साँप से 20 मुह वाली महासर्पिनी कलनेत्री बन गई ,उसका कोई मुकाबला नही था ,वो बहुत बड़ी शिवभक्त थी ,उसने बहुत ही बड़ेबड़े पापियो को मार गिराया था ,उसने हमेशा धर्म की रक्षा की थी ,बाद में वो कहा गई किसिको मालूम ही नही है,विषलोक ही उसका घर था ,वो वहा की राज कुमारी थी ,उनके ही महल में तुमको अघोर विष मिलेगा ,और विष लोक जाने के लिये तुम्हे प्रयागराज में गंगा में प्रवेश करके जाना होगा ,गंगा नदी में ही गुप्त मार्ग है जो तुम्हे ढूंढना होगा ,वही मार्ग तम्हे विषलोक लेकर जाएगा ।