मैंने देखा प्रतीक आंख बंद किये लेटा था बेड पर और तभी दीदी दरवाजा धकेल कर ट्रे लिये हुए अंदर दाखिल हुई ...... और बेड के पास जा के खड़ी हो गईं वो कुछ सेकेंड तक खड़ी प्रतीक को देखती रही फिर धीरे से बोली सुनिए ...... उठिए ..... सो गए क्या ....?
उनकी मीठी आवाज़ सुनते ही प्रतीक ने झट से आंखे खोली और दीदी को देखते ही एकदम से उठ कर बैठ गया और बोला आप...... दीदी बोली हां मैं और ट्रे रखते हुए बोली लीजिये हलवा खा लीजिये प्रतीक की नजरें एकदम दीदी को उपर से नीचे तक निहार रही थीं और दीदी शरम से नजरें झुकाए हुए थीं ..... प्रतीक ने कहा बैठो आप भी और दीदी उसके सामने बैठ गईं प्रतीक बस बुत की तरह की दीदी को देखे जा रहा था दीदी ने एक प्लेट उठा कर प्रतीक की ओर बढ़ा दी प्रतीक ने प्लेट ले ली और बोला आप भी लीजिये दीदी ने दूसरी प्लेट उठा ली पर वो चम्मच को हलवे में गोल गोल घुमाने लगी और प्रतीक ने एक चम्मच हलवा मुह में डाल लिया और खाते हुए बोला मीठा कम है दीदी बोली रहने दीजिए फिर मत खाइए मैं दूसरा बना लाती हूँ प्रतीक ने मुस्कुराते हुए कहा उसकी जरूरत नही है मैं अभी ठीक किये देता हूँ इसे फिर उसने एक चम्मच हलवा लिया और दीदी के होंठो तक चम्मच ले आया दीदी ने पहली बार नजरें उठा कर प्रतीक की आंखों में देखा और फिर धीरे से मुह खोल कर हलवा खा लिया प्रतीक ने खाली चम्मच वापस हलवे में डालते हुए एक और चम्मच हलवा खाया और फिर बोला वाह अब तो कुछ ज्यादा ही मीठा हो गया फिर उसने चुपचाप हलवा खाया हां बीच बीच मे वो दीदी को भी खिला देता था प्लेट खाली होने के बाद उसने कहा वाकई बहोत लाजवाब था आपने बनाया है दीदी ने सर हिलाते हुए कहा नही मम्मी ने बनाया है प्रतीक ने पूछा आप भी ऐसा हलवा बना लेती हो या नही मुझे ये हलवा रोज खाना है अगर नही बना पाती तो मम्मी से सीख लेना दीदी ने कहा बना लेती हूं मम्मी ने मुझे खाना बनाना खूब अच्छे से सिखाया है प्रतीक ने कहा फिर ठीक है आज रात का खाना आप ही बनाएगी आपके हाथों से बने खाने का स्वाद तो अलग ही होगा ......, दीदी ने सर हिलाते हुए कहा ठीक है फिर प्रतीक ने थोड़ा सा गंभीर हो कर पूछा निकिता क्या आप मुझे पसन्द करती हैं ...... दीदी ने इस बार कुछ बोला नही बस हां में सर हिला दिया प्रतीक ने कहा ऐसे नही जवाब दो मुझे मुझे कानो से सुननी है तुम्हारे दिल की बात दीदी ने नजरें झुका कर कहा हां प्रतीक मैं आपको पसन्द करती हूं ..... प्रतीक ने बात आगे बढ़ाते हुए कहा फिर बनोगी मेरी दुल्हन दीदी ने एकदम से अपना चेहरा हांथो से ढक लिया और बोली मैं नही जानती प्रतीक दीदी की इस अदा पर फिदा सा हो गया और बोला आई लव यू निकिता मुझे पहली नजर में ही प्यार हो गया था तुमसे जिस दिन तुम्हारी तस्वीर देखी थी फैसला कर लिया था बस यही खबसूरत लड़की मेरी दुल्हन बन कर मेरे घर मे आएगी पर डर रहा था पता नही तुम मुझे पसन्द करोगी या नही ......, पर अब तुम्हारे मुह से ये सुन कर मैं कितना खुश हूं मैं बता नही सकता प्रतीक की बात सुन कर दीदी ने चेहरे से हाथ हटा लिए आए उसकी आँखों मे देखने लगी प्रतीक ने दीदी का हाथ पकड़ कर अपनी ओर खींच लिया और दीदी उसके सीने से जा लगी प्रतीक ने एकदम से दीदी के माथे को चूम लिया और दीदी प्रतीक के सीने से लग गयी उनकी सांसे तेज हो गयी थी लेकिन प्रतीक ने दीदी को छोड़ दिया और खिसक कर बैठ गया ......
उसने कहा आपका फ़ोन नंबर मिल सकता है लखनऊ जा कर मैं हर रोज आपसे बात करूंगा अब तो एक भी दिन आपके बिना काटना मुश्किल होगा मेरे लिए दीदी ने कहा मेरे पास फोन नही है वो हैरानी से बोला कमाल है आज के जमाने मे बिना फोन के कौन रहता दीदी एकदम झटके से बोल गयीं की पहले था लेकिन फिर पापा ने ले लिया ......
और फौरन उन्हें गलती का अहसास हुआ कि ये उन्हें नही बोलना था पर जबान से निकली बात और कमान से निकला तीर वापस नही आते उनकी बात सुन कर मुझे दीदी की बेवकूफी पर गुस्सा आया , उधर प्रतीक ने पूछा ऐसा क्या हुआ था जो पापा ने आपका फ़ोन ले लिया दीदी ने हकलाते हुए कहा वो मैं फोन में गेम बहोत खेलने लगी थी इसलिए मेरे एग्जाम में मार्क्स कम आये थे तो पापा गुस्सा हुए और फोन ले लिया पर ये कहते हुए वो नजरें चुरा रही थीं प्रतीक ने इस बात को भांप लिया आखिर वो एक जिम्मेवार और अनुभवी इंसान था बैंक की जॉब कर रहा था रोज कितने लोगों को हैंडल करता था उसने दीदी का हाथ पकड़ कर कहा देखो निकिता मुझे तुम्हारे पास्ट से कोई लेना देना नही है मुझे बस इतना पता है कि तुम जो हो जैसी हो मुझे पसन्द हो मुझे तुमसे प्यार है मुझे सिर्फ तुमसे शादी करनी है......
अब मैं अपने हाथों को और तकलीफ नही देना चाहता ये आखिरी बात कहते हुए उसका लहजा कुछ शरारती हो गया था दीदी उसकी बात का अर्थ समझ तो गयीं पर बोली कुछ नही मैं उसकी इस बात पर मुस्कुरा दिया ...... ये भी मुठ मारने में एक्सपर्ट लग रहा था मुझे ....... फिर वो और ढेर सारी बातें करते रहे और अब दीदी भी उसके साथ सहज होने लगी थीं ।
तभी नीचे से मम्मी की आवाज़ निकिता नीचे आओ सब खाना तैयार है और मैं भाग कर दीदी के कमरे में आ गया दो मिनट बाद दीदी कमरे में आई और मुझे देख कर बोली चल नीचे खाना खाने मैंने कहता चलता हूँ पहले ये बताओ जीजा जी ने तुम्हें किस विस किया कि नही वो बोली पागल है क्या हम बस बात कर रहे थे मैंने पूछा अच्छा कैसे लगे वो पसन्द आये या नही दीदी ने सर हिलाते हुए कहा हां अच्छे हैं मैंने किसी बुजुर्ग तरह पूछा तो मैं रिश्ता पक्का समझूँ और दीदी मुस्कुरा कर मेरे सीने से लग गयी मैंने उन्हें कस के हग किया और बोला नीचे चलना है खाना खाने दीदी बोली तुम उन्हें नीचे ले चलो मैं बाथरूम हो के आती हूँ ...... मैंने कहा उन्हें ???? किन्हें???? दीदी बोली अपने जीजा जी को फिर मैं बाहर आया और अपने कमरे में जा कर प्रतीक से कहा चलिए जीजा जी लंच कर लेते हैं वो उठे और हम नीचे आ गए ।
डाइनिंग टेबल डोंगों से भरी पड़ी थी 5 तरह की सब्जी पूरी कचौरी पुलाव पापड़ सलाद प्रतीक की मम्मी श्वेता और पापा पहले से बैठे हुए थे मैं और प्रतीक भी जा कर बैठ गए तभी दीदी भी आ गईं प्रतीक की मम्मी बोली आ बेटी तू मेरे पास बैठ और दीदी उनके पास बैठ गईं प्रतीक की मम्मी ने मम्मी को आवाज़ दे कर कहा आप भी आइये साथ में मम्मी ने कहा पहले आप लोग खा लीजिये कुछ जरूरत पड़ी तो लेकिन वो मम्मी की बात काटते हुए बोली नही बहन जी हमारे घर तो सब साथ ही खाते हैं कुछ जरूरत पड़ी तो कोई भी ले आएगा ये भी हमारा ही घर है अब और फिर मम्मी को भी बैठना पड़ा हमने खाना शुरू किया वाकई खाना लाजवाब बना था मैं खुद ही रोज से ज्यादा खा गया उधर प्रतीक और श्वेता भी खाने की तारीफ करते हुए खाये चले जा रहे थे ....... प्रतीक ने कहा अब तो लगता है मुझे जल्दी जल्दी प्रयागराज आना पड़ेगा मम्मी जी के हाथों का खाना खाने मम्मी ने कहा तो क्या हुआ जब मन करे आ जाना मैं इससे बढ़िया खाना खिलाऊंगी तुम्हे और निकिता तो मुझसे भी अच्छा खाना बनाती है जल्दी से इसे ले जाओ अपने साथ ब्याह के तो रोज ऐसा खाना मिलने लगेगा मम्मी की बात सुन कर दीदी के गाल सुर्ख हो गए प्रतीक ने कहा आज रात का खाना यही बनाएगी फिर मम्मी ने कहा ठीक है और हमने खाना खत्म किया और मम्मी किचन से खीर ले कर आ गईं किसी के पेट मे जगह नही थी पर मम्मी की ये स्पेशल खीर थी जिसका स्वाद दुनिया की हर मिठाई से बेहतर होगा और उससे उठ रही केसर इलायची और गुलाबजल की खुशबू ने एक एक प्याली उठाने पर मजबूर कर दिया हमे खीर खत्म कर के हम सब उठ गए और पापा ने कहा आप लोग थोड़ी देर आराम कर लो फिर मम्मी सफाई में लग गयीं श्वेता दीदी के साथ ऊपर उनके कमरे में आ गयी प्रतीक की मम्मी मम्मी के कमरे में जा कर लेट गयीं और मैं प्रतीक को ले कर ऊपर अपने कमरे में आ गया हम बेड पर लेट कर इधर उधर की बातें करने लगे मेरी पढ़ाई और आगे फ्यूचर प्लान के बारे में फिर थोड़ी देर में हमे नींद आने लगी और हम सो गए शाम साढ़े पांच बजे मेरी नींद खुली देखा तो प्रतीक जागे हुए थे पर लेटे थे मुझे जागा देख कर बोले चलो तुम उठे तो मैं तो बोर हो गया लेटे लेटे मैंने कहा आपको जगा देना था मुझे वो बोले खाते और सोते हुए किसी को डिस्टर्ब करना गलत बात है फिर हम फ्रेश हो कर नीचे आ गए देखा तो सब ड्राइंग रूम में ही बैठे थे सिवा दीदी के पता चला कि वो ऊपर तैयार हो रही हैं मंगनी की रस्म के लिए फिर आधे घंटे में श्वेता उन्हें ले कर आई दीदी ने लाल रंग की साड़ी पहनी हुई थी हाथो में चूड़ियां आंखों में काजल लिप्स्टिक (बाद में मुझे पता चला कि श्वेता अपनी स्टडी के साथ मे ब्यूटीशियन का कोर्स भी कर रही है और दीदी को उसी ने सजाया था) दीदी इस टाइम एकदम पटाखा लग रही थी उन्हें इस रूप में देख कर तो एक बार मेरे लंड ने भी सर उठाना शुरू कर दिया पर मैंने उसे दबा कर चुपचाप पड़े रहने का इशारा किया....., उधर प्रतीक की भी हालत खराब लग रही थी मुझे दीदी का हुस्न उसे दीवाना बना रहा था फिर दोनो ने एक दूसरे को अंगूठियां पहनाई और मिठाई खिलाई हम सब ने दोनो को मिठाई खिलाई और एक दूसरे को बधाई दी फिर दोनो ने मम्मी पापा और प्रतीक की मम्मी के पैर छू कर आशीर्वाद लिया मैंने फोटोग्राफर का काम सम्हाल लिया और pic लेने लगा फिर मम्मी ने दीदी से कहा निक्की अब तू जा के चेंज कर ले खाने की तैयारी शुरू कर आज किचन की जिम्मेवारी तेरी मैं तो थक गई हूं सुबह से काम करते करते ये सुन कर प्रतीक की मम्मी(अब मैं प्रतीक की मम्मी के लिए माँ जी शब्द प्रयोग करूंगा) बोली कि श्वेता तुम अपनी भाभी की हेल्प करोगी किचन में श्वेता ने गर्दन हिला कर हां बोला और फिर वो दोनो ऊपर चली गयी प्रतीक ने कहा विकास मुझे जरा मार्केट ले चलो कुछ लेना है और मैं उनके साथ बाजार आ गया उन्होंने एक मोबाइल शॉप पर गाड़ी रुकवाई और samsung का एक लेटेस्ट मॉडल फोन खरीदा फिर उन्होंने अपनी id से एक जियो सिम लिया उसे एक्टिवेट करवा कर उसमे एक साल वाला रिचार्ज पैक डलवाया सिम को मोबाइल में डाला और फिर कार्ड से पेमेंट किया 27000 रुपये खर्च कर दिए थे उन्होंने एक झटके में इस से मुझे उनकी दीदी के प्रति चाहत का पता भी लगा गया वरना शॉप कीपर ने तो 10-15 हजार की रेंज में कई सारे फ़ोन दिखाए थे हमें फिर उन्होंने एक जगह उसे अच्छे से पैक करवाया । फिर हम घर की ओर चल पड़े रास्ते मे उन्होंने फिर से बियर शॉप पर कार रुकवाई और बोले इस बार मेरी बात माननी पड़ेगी तुम्हें वो उतरे और दो बियर ले कर आ गए एक मुझे पकड़ाते हुए कहा वैसे मैं ज्यादा नही पीता कभी कभी ही पीता हूँ लेकिन एक आज खुशी का दिन और दूसरे आज खाना ज्यादा खा लिया था तो डाइजेशन सही रखने के लिए एक और ले ली ....... उनकी सफाई सुन कर मैं बस मुस्कुरा दिया और हमने अपनी अपनी बियर खत्म की फिर हम घर आ गए ....... और ऊपर मेरे कमरे में बैठे बातें करते रहे फिर रात के खाने के लिए हम इकट्ठे हुए तो पापा ने मुझे कहा कि इन लोगों की कल की टिकट का इंतजाम करना है मैंने एक ट्रेवल एजेंसी को कॉल कर के तीन कंफर्म टिकट बुक करवा दी ।
दीदी ने वाकई लाजवाब खाना बनाया था एक बार हम सब ने साथ मे खाना खाया प्रतीक मांजी और श्वेता तो खाने से ज्यादा खाने की तारीफ करने में वक़्त लगा रहे थे खाना खत्म करने के बाद दीदी ने गाजर का हलवा परोसा और एक बार दीदी की तारीफों के पुल बनने लगे हलवा खाने के बाद प्रतीक ने अपनी जेब से फोन का बॉक्स निकाला और दीदी को देते हुए बोले इतना शानदार खाना खिलाने के लिए ये एक छोटा सा तोहफा मेरी ओर से दीदी ने फोन ले लिए और बॉक्स को उलट पलट कर देखने लगीं
प्रतीक ने पापा से कहा पापाजी मैंने एक फोन गिफ्ट है किया है इन्हें आप इसे ले मत लेना इनसे ........ पापा ने हंस कर कहा ......... अब तुम लोगों के मामले में मैं कौन होता हूँ टांग अड़ाने वाला , फिर काफी देर हम सब मे बातों का दौर चलता रहा और 11 बजे सोने का टाइम हो गया मम्मी और मांजी उनके कमरे में चले गए पापा गेस्ट रूम में हम चारो ऊपर आ गए दीदी श्वेता को अपने रूम में ले गईं और मैं और प्रतीक मेरे रूम में आ गए मैंने उन्हें अपना एक लोअर दिया उन्होंने चेंज किया मैंने भी कपड़े बदले और फिर हम सो गए ......।
अगली सुबह उठ कर हम फ्रेश हो कर नीचे आये सबने साथ मे नाश्ता किया और फिर उनकी ट्रेन का टाइम हो गया उन्होंने अपना सामान पैक किया मम्मी ने सबको उनके कपड़े और पैसे दे कर विदाई की फिर मैं सबको गाड़ी में बिठा कर स्टेशन ले आया ....... साढ़े 10 बजे उनकी ट्रेन आयी और जब मैंने उनका सामान ट्रेन में चढ़ा कर श्वेता और मांजी को उनकी बर्थ पर बिठा दिया और मांजी के पैर छू कर आने लगा तो प्रतीक भी मेरे साथ नीचे आ गए उन्होंने मेरा नम्बर मांगा मैंने उनसे नंबर एक्सचेंज किया फिर ट्रेन ने सिटि बजायी वो ट्रेन पर चढ़ गए और हाथ हिलाते हुए विदा ली ट्रेन चल पड़ी श्वेता भी विंडो से मुझे हाथ हिलाते हुए बाय करने लगी और धीरे धीरे ट्रेन ने गति पकड़ ली .......।