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Incest जीजा जी की चाहत (incest)

Lutgaya

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A.A.G.

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धन्यवाद संजू भाई कई सारी कहानियां पढ़ी यहां ...... राज मौर्य की एक अनोखा बंधन भी पढ़ी पर वो गलत कैटेगरी में है उसमें सेक्स ना के बराबर है पर कहानी अच्छी है मैं वैसे ही एक कहानी पढ़ना चाहता पर जिसमे सेक्स पर्याप्त मात्रा में हो काफी ढूंढने पर भी वैसी कॉम्बो स्टोरी नही मिली तो सोचा खुद ही प्रयास करूँ ...... मेरा प्रयास सभी को पसन्द आ रहा इसकी खुशी है।
धन्यवाद
Bhai aap bahot achha likh rahe hai..!! Erotic scene toh bahot badhiya likhte ho..!!
Lekin ek anokha bandhan story toh bahot romantic thi aur usme hero aur heroine ek ho jate hai lekin yaha par toh aap heroine ko hero se hi dur kara rahe ho..fir woh ek kaise honge..!! Just doubt aya isliye puchha bhai..matlab kuchh idea aajaye..!!
 

neeRaj@RR

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Bhai aap bahot achha likh rahe hai..!! Erotic scene toh bahot badhiya likhte ho..!!
Lekin ek anokha bandhan story toh bahot romantic thi aur usme hero aur heroine ek ho jate hai lekin yaha par toh aap heroine ko hero se hi dur kara rahe ho..fir woh ek kaise honge..!! Just doubt aya isliye puchha bhai..matlab kuchh idea aajaye..!!
लेखक के अनुसार एक अनोखा बंधन कोई कहानी नही बल्कि उनके जीवन कि सच्चाई है इसलिए वो उसे अपने हिसाब से लिख रहे हैं जो जो जैसे घटा उनके जीवन मे परन्तु मेरी कहानी एक काल्पनिक कहानी है तो मैं इसे अपने हिसाब से लिख रहा हूँ बस कहीं कहीं पर पाठकों की मांग और रुचि के हिसाब से कहानी को मोड़ देता हूँ बाकी आप पढ़ते रहिये वक़्त आने पर सभी सवालों के जवाब मिल जाएंगे आपको।
 
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neeRaj@RR

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neeRaj@RR

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मैंने देखा प्रतीक आंख बंद किये लेटा था बेड पर और तभी दीदी दरवाजा धकेल कर ट्रे लिये हुए अंदर दाखिल हुई ...... और बेड के पास जा के खड़ी हो गईं वो कुछ सेकेंड तक खड़ी प्रतीक को देखती रही फिर धीरे से बोली सुनिए ...... उठिए ..... सो गए क्या ....?
उनकी मीठी आवाज़ सुनते ही प्रतीक ने झट से आंखे खोली और दीदी को देखते ही एकदम से उठ कर बैठ गया और बोला आप...... दीदी बोली हां मैं और ट्रे रखते हुए बोली लीजिये हलवा खा लीजिये प्रतीक की नजरें एकदम दीदी को उपर से नीचे तक निहार रही थीं और दीदी शरम से नजरें झुकाए हुए थीं ..... प्रतीक ने कहा बैठो आप भी और दीदी उसके सामने बैठ गईं प्रतीक बस बुत की तरह की दीदी को देखे जा रहा था दीदी ने एक प्लेट उठा कर प्रतीक की ओर बढ़ा दी प्रतीक ने प्लेट ले ली और बोला आप भी लीजिये दीदी ने दूसरी प्लेट उठा ली पर वो चम्मच को हलवे में गोल गोल घुमाने लगी और प्रतीक ने एक चम्मच हलवा मुह में डाल लिया और खाते हुए बोला मीठा कम है दीदी बोली रहने दीजिए फिर मत खाइए मैं दूसरा बना लाती हूँ प्रतीक ने मुस्कुराते हुए कहा उसकी जरूरत नही है मैं अभी ठीक किये देता हूँ इसे फिर उसने एक चम्मच हलवा लिया और दीदी के होंठो तक चम्मच ले आया दीदी ने पहली बार नजरें उठा कर प्रतीक की आंखों में देखा और फिर धीरे से मुह खोल कर हलवा खा लिया प्रतीक ने खाली चम्मच वापस हलवे में डालते हुए एक और चम्मच हलवा खाया और फिर बोला वाह अब तो कुछ ज्यादा ही मीठा हो गया फिर उसने चुपचाप हलवा खाया हां बीच बीच मे वो दीदी को भी खिला देता था प्लेट खाली होने के बाद उसने कहा वाकई बहोत लाजवाब था आपने बनाया है दीदी ने सर हिलाते हुए कहा नही मम्मी ने बनाया है प्रतीक ने पूछा आप भी ऐसा हलवा बना लेती हो या नही मुझे ये हलवा रोज खाना है अगर नही बना पाती तो मम्मी से सीख लेना दीदी ने कहा बना लेती हूं मम्मी ने मुझे खाना बनाना खूब अच्छे से सिखाया है प्रतीक ने कहा फिर ठीक है आज रात का खाना आप ही बनाएगी आपके हाथों से बने खाने का स्वाद तो अलग ही होगा ......, दीदी ने सर हिलाते हुए कहा ठीक है फिर प्रतीक ने थोड़ा सा गंभीर हो कर पूछा निकिता क्या आप मुझे पसन्द करती हैं ...... दीदी ने इस बार कुछ बोला नही बस हां में सर हिला दिया प्रतीक ने कहा ऐसे नही जवाब दो मुझे मुझे कानो से सुननी है तुम्हारे दिल की बात दीदी ने नजरें झुका कर कहा हां प्रतीक मैं आपको पसन्द करती हूं ..... प्रतीक ने बात आगे बढ़ाते हुए कहा फिर बनोगी मेरी दुल्हन दीदी ने एकदम से अपना चेहरा हांथो से ढक लिया और बोली मैं नही जानती प्रतीक दीदी की इस अदा पर फिदा सा हो गया और बोला आई लव यू निकिता मुझे पहली नजर में ही प्यार हो गया था तुमसे जिस दिन तुम्हारी तस्वीर देखी थी फैसला कर लिया था बस यही खबसूरत लड़की मेरी दुल्हन बन कर मेरे घर मे आएगी पर डर रहा था पता नही तुम मुझे पसन्द करोगी या नही ......, पर अब तुम्हारे मुह से ये सुन कर मैं कितना खुश हूं मैं बता नही सकता प्रतीक की बात सुन कर दीदी ने चेहरे से हाथ हटा लिए आए उसकी आँखों मे देखने लगी प्रतीक ने दीदी का हाथ पकड़ कर अपनी ओर खींच लिया और दीदी उसके सीने से जा लगी प्रतीक ने एकदम से दीदी के माथे को चूम लिया और दीदी प्रतीक के सीने से लग गयी उनकी सांसे तेज हो गयी थी लेकिन प्रतीक ने दीदी को छोड़ दिया और खिसक कर बैठ गया ......
उसने कहा आपका फ़ोन नंबर मिल सकता है लखनऊ जा कर मैं हर रोज आपसे बात करूंगा अब तो एक भी दिन आपके बिना काटना मुश्किल होगा मेरे लिए दीदी ने कहा मेरे पास फोन नही है वो हैरानी से बोला कमाल है आज के जमाने मे बिना फोन के कौन रहता दीदी एकदम झटके से बोल गयीं की पहले था लेकिन फिर पापा ने ले लिया ......
और फौरन उन्हें गलती का अहसास हुआ कि ये उन्हें नही बोलना था पर जबान से निकली बात और कमान से निकला तीर वापस नही आते उनकी बात सुन कर मुझे दीदी की बेवकूफी पर गुस्सा आया , उधर प्रतीक ने पूछा ऐसा क्या हुआ था जो पापा ने आपका फ़ोन ले लिया दीदी ने हकलाते हुए कहा वो मैं फोन में गेम बहोत खेलने लगी थी इसलिए मेरे एग्जाम में मार्क्स कम आये थे तो पापा गुस्सा हुए और फोन ले लिया पर ये कहते हुए वो नजरें चुरा रही थीं प्रतीक ने इस बात को भांप लिया आखिर वो एक जिम्मेवार और अनुभवी इंसान था बैंक की जॉब कर रहा था रोज कितने लोगों को हैंडल करता था उसने दीदी का हाथ पकड़ कर कहा देखो निकिता मुझे तुम्हारे पास्ट से कोई लेना देना नही है मुझे बस इतना पता है कि तुम जो हो जैसी हो मुझे पसन्द हो मुझे तुमसे प्यार है मुझे सिर्फ तुमसे शादी करनी है......
अब मैं अपने हाथों को और तकलीफ नही देना चाहता ये आखिरी बात कहते हुए उसका लहजा कुछ शरारती हो गया था दीदी उसकी बात का अर्थ समझ तो गयीं पर बोली कुछ नही मैं उसकी इस बात पर मुस्कुरा दिया ...... ये भी मुठ मारने में एक्सपर्ट लग रहा था मुझे ....... फिर वो और ढेर सारी बातें करते रहे और अब दीदी भी उसके साथ सहज होने लगी थीं ।
तभी नीचे से मम्मी की आवाज़ निकिता नीचे आओ सब खाना तैयार है और मैं भाग कर दीदी के कमरे में आ गया दो मिनट बाद दीदी कमरे में आई और मुझे देख कर बोली चल नीचे खाना खाने मैंने कहता चलता हूँ पहले ये बताओ जीजा जी ने तुम्हें किस विस किया कि नही वो बोली पागल है क्या हम बस बात कर रहे थे मैंने पूछा अच्छा कैसे लगे वो पसन्द आये या नही दीदी ने सर हिलाते हुए कहा हां अच्छे हैं मैंने किसी बुजुर्ग तरह पूछा तो मैं रिश्ता पक्का समझूँ और दीदी मुस्कुरा कर मेरे सीने से लग गयी मैंने उन्हें कस के हग किया और बोला नीचे चलना है खाना खाने दीदी बोली तुम उन्हें नीचे ले चलो मैं बाथरूम हो के आती हूँ ...... मैंने कहा उन्हें ???? किन्हें???? दीदी बोली अपने जीजा जी को फिर मैं बाहर आया और अपने कमरे में जा कर प्रतीक से कहा चलिए जीजा जी लंच कर लेते हैं वो उठे और हम नीचे आ गए ।
डाइनिंग टेबल डोंगों से भरी पड़ी थी 5 तरह की सब्जी पूरी कचौरी पुलाव पापड़ सलाद प्रतीक की मम्मी श्वेता और पापा पहले से बैठे हुए थे मैं और प्रतीक भी जा कर बैठ गए तभी दीदी भी आ गईं प्रतीक की मम्मी बोली आ बेटी तू मेरे पास बैठ और दीदी उनके पास बैठ गईं प्रतीक की मम्मी ने मम्मी को आवाज़ दे कर कहा आप भी आइये साथ में मम्मी ने कहा पहले आप लोग खा लीजिये कुछ जरूरत पड़ी तो लेकिन वो मम्मी की बात काटते हुए बोली नही बहन जी हमारे घर तो सब साथ ही खाते हैं कुछ जरूरत पड़ी तो कोई भी ले आएगा ये भी हमारा ही घर है अब और फिर मम्मी को भी बैठना पड़ा हमने खाना शुरू किया वाकई खाना लाजवाब बना था मैं खुद ही रोज से ज्यादा खा गया उधर प्रतीक और श्वेता भी खाने की तारीफ करते हुए खाये चले जा रहे थे ....... प्रतीक ने कहा अब तो लगता है मुझे जल्दी जल्दी प्रयागराज आना पड़ेगा मम्मी जी के हाथों का खाना खाने मम्मी ने कहा तो क्या हुआ जब मन करे आ जाना मैं इससे बढ़िया खाना खिलाऊंगी तुम्हे और निकिता तो मुझसे भी अच्छा खाना बनाती है जल्दी से इसे ले जाओ अपने साथ ब्याह के तो रोज ऐसा खाना मिलने लगेगा मम्मी की बात सुन कर दीदी के गाल सुर्ख हो गए प्रतीक ने कहा आज रात का खाना यही बनाएगी फिर मम्मी ने कहा ठीक है और हमने खाना खत्म किया और मम्मी किचन से खीर ले कर आ गईं किसी के पेट मे जगह नही थी पर मम्मी की ये स्पेशल खीर थी जिसका स्वाद दुनिया की हर मिठाई से बेहतर होगा और उससे उठ रही केसर इलायची और गुलाबजल की खुशबू ने एक एक प्याली उठाने पर मजबूर कर दिया हमे खीर खत्म कर के हम सब उठ गए और पापा ने कहा आप लोग थोड़ी देर आराम कर लो फिर मम्मी सफाई में लग गयीं श्वेता दीदी के साथ ऊपर उनके कमरे में आ गयी प्रतीक की मम्मी मम्मी के कमरे में जा कर लेट गयीं और मैं प्रतीक को ले कर ऊपर अपने कमरे में आ गया हम बेड पर लेट कर इधर उधर की बातें करने लगे मेरी पढ़ाई और आगे फ्यूचर प्लान के बारे में फिर थोड़ी देर में हमे नींद आने लगी और हम सो गए शाम साढ़े पांच बजे मेरी नींद खुली देखा तो प्रतीक जागे हुए थे पर लेटे थे मुझे जागा देख कर बोले चलो तुम उठे तो मैं तो बोर हो गया लेटे लेटे मैंने कहा आपको जगा देना था मुझे वो बोले खाते और सोते हुए किसी को डिस्टर्ब करना गलत बात है फिर हम फ्रेश हो कर नीचे आ गए देखा तो सब ड्राइंग रूम में ही बैठे थे सिवा दीदी के पता चला कि वो ऊपर तैयार हो रही हैं मंगनी की रस्म के लिए फिर आधे घंटे में श्वेता उन्हें ले कर आई दीदी ने लाल रंग की साड़ी पहनी हुई थी हाथो में चूड़ियां आंखों में काजल लिप्स्टिक (बाद में मुझे पता चला कि श्वेता अपनी स्टडी के साथ मे ब्यूटीशियन का कोर्स भी कर रही है और दीदी को उसी ने सजाया था) दीदी इस टाइम एकदम पटाखा लग रही थी उन्हें इस रूप में देख कर तो एक बार मेरे लंड ने भी सर उठाना शुरू कर दिया पर मैंने उसे दबा कर चुपचाप पड़े रहने का इशारा किया....., उधर प्रतीक की भी हालत खराब लग रही थी मुझे दीदी का हुस्न उसे दीवाना बना रहा था फिर दोनो ने एक दूसरे को अंगूठियां पहनाई और मिठाई खिलाई हम सब ने दोनो को मिठाई खिलाई और एक दूसरे को बधाई दी फिर दोनो ने मम्मी पापा और प्रतीक की मम्मी के पैर छू कर आशीर्वाद लिया मैंने फोटोग्राफर का काम सम्हाल लिया और pic लेने लगा फिर मम्मी ने दीदी से कहा निक्की अब तू जा के चेंज कर ले खाने की तैयारी शुरू कर आज किचन की जिम्मेवारी तेरी मैं तो थक गई हूं सुबह से काम करते करते ये सुन कर प्रतीक की मम्मी(अब मैं प्रतीक की मम्मी के लिए माँ जी शब्द प्रयोग करूंगा) बोली कि श्वेता तुम अपनी भाभी की हेल्प करोगी किचन में श्वेता ने गर्दन हिला कर हां बोला और फिर वो दोनो ऊपर चली गयी प्रतीक ने कहा विकास मुझे जरा मार्केट ले चलो कुछ लेना है और मैं उनके साथ बाजार आ गया उन्होंने एक मोबाइल शॉप पर गाड़ी रुकवाई और samsung का एक लेटेस्ट मॉडल फोन खरीदा फिर उन्होंने अपनी id से एक जियो सिम लिया उसे एक्टिवेट करवा कर उसमे एक साल वाला रिचार्ज पैक डलवाया सिम को मोबाइल में डाला और फिर कार्ड से पेमेंट किया 27000 रुपये खर्च कर दिए थे उन्होंने एक झटके में इस से मुझे उनकी दीदी के प्रति चाहत का पता भी लगा गया वरना शॉप कीपर ने तो 10-15 हजार की रेंज में कई सारे फ़ोन दिखाए थे हमें फिर उन्होंने एक जगह उसे अच्छे से पैक करवाया । फिर हम घर की ओर चल पड़े रास्ते मे उन्होंने फिर से बियर शॉप पर कार रुकवाई और बोले इस बार मेरी बात माननी पड़ेगी तुम्हें वो उतरे और दो बियर ले कर आ गए एक मुझे पकड़ाते हुए कहा वैसे मैं ज्यादा नही पीता कभी कभी ही पीता हूँ लेकिन एक आज खुशी का दिन और दूसरे आज खाना ज्यादा खा लिया था तो डाइजेशन सही रखने के लिए एक और ले ली ....... उनकी सफाई सुन कर मैं बस मुस्कुरा दिया और हमने अपनी अपनी बियर खत्म की फिर हम घर आ गए ....... और ऊपर मेरे कमरे में बैठे बातें करते रहे फिर रात के खाने के लिए हम इकट्ठे हुए तो पापा ने मुझे कहा कि इन लोगों की कल की टिकट का इंतजाम करना है मैंने एक ट्रेवल एजेंसी को कॉल कर के तीन कंफर्म टिकट बुक करवा दी ।
दीदी ने वाकई लाजवाब खाना बनाया था एक बार हम सब ने साथ मे खाना खाया प्रतीक मांजी और श्वेता तो खाने से ज्यादा खाने की तारीफ करने में वक़्त लगा रहे थे खाना खत्म करने के बाद दीदी ने गाजर का हलवा परोसा और एक बार दीदी की तारीफों के पुल बनने लगे हलवा खाने के बाद प्रतीक ने अपनी जेब से फोन का बॉक्स निकाला और दीदी को देते हुए बोले इतना शानदार खाना खिलाने के लिए ये एक छोटा सा तोहफा मेरी ओर से दीदी ने फोन ले लिए और बॉक्स को उलट पलट कर देखने लगीं
प्रतीक ने पापा से कहा पापाजी मैंने एक फोन गिफ्ट है किया है इन्हें आप इसे ले मत लेना इनसे ........ पापा ने हंस कर कहा ......... अब तुम लोगों के मामले में मैं कौन होता हूँ टांग अड़ाने वाला , फिर काफी देर हम सब मे बातों का दौर चलता रहा और 11 बजे सोने का टाइम हो गया मम्मी और मांजी उनके कमरे में चले गए पापा गेस्ट रूम में हम चारो ऊपर आ गए दीदी श्वेता को अपने रूम में ले गईं और मैं और प्रतीक मेरे रूम में आ गए मैंने उन्हें अपना एक लोअर दिया उन्होंने चेंज किया मैंने भी कपड़े बदले और फिर हम सो गए ......।
अगली सुबह उठ कर हम फ्रेश हो कर नीचे आये सबने साथ मे नाश्ता किया और फिर उनकी ट्रेन का टाइम हो गया उन्होंने अपना सामान पैक किया मम्मी ने सबको उनके कपड़े और पैसे दे कर विदाई की फिर मैं सबको गाड़ी में बिठा कर स्टेशन ले आया ....... साढ़े 10 बजे उनकी ट्रेन आयी और जब मैंने उनका सामान ट्रेन में चढ़ा कर श्वेता और मांजी को उनकी बर्थ पर बिठा दिया और मांजी के पैर छू कर आने लगा तो प्रतीक भी मेरे साथ नीचे आ गए उन्होंने मेरा नम्बर मांगा मैंने उनसे नंबर एक्सचेंज किया फिर ट्रेन ने सिटि बजायी वो ट्रेन पर चढ़ गए और हाथ हिलाते हुए विदा ली ट्रेन चल पड़ी श्वेता भी विंडो से मुझे हाथ हिलाते हुए बाय करने लगी और धीरे धीरे ट्रेन ने गति पकड़ ली .......।
 
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Raja jani

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कहानी की बनावट बहुत कसी हुई है धीरे धीरे रफ्तार पकड़ेगी जीजा भी रंगीन मिजाज लग रहा है देंखें क्या क्या गुल खिलाता है।
 

neeRaj@RR

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कहानी की बनावट बहुत कसी हुई है धीरे धीरे रफ्तार पकड़ेगी जीजा भी रंगीन मिजाज लग रहा है देंखें क्या क्या गुल खिलाता है।
आगे चल के कहानी बेहद रोचक और रोमांचक होने वाली है खास कर निकिता की शादी के बाद पर उसमे अभी काफी वक्त है देखते हैं तब तक क्या क्या होता है इनके जीवन मे और अभी तो बदले की आग में जल रहे विनय से भी किसी तरह की घटिया हरकत की उम्मीद है मुझे
 

Lib am

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सुबह 7 बजे मेरी नींद खुली दीदी गायब थीं मैं भी नहा धो कर नीचे आया और नाश्ता कर के घर से निकल गया मार्केट जा कर कल के लिए नाश्ता वगैरह लिया 5 तरह की स्वीट्स 5 तरह की नमकीन बाकी कुछ फ्रेश कल ही ले लूंगा ये सोच कर मैं वापस घर आ गया दीदी को वो सब सामान दिया तो वो हैरानी से बोली 3 लोगों के लिए इतना सामान मैंने कहा इम्प्रेशन भी तो जमाना है ना ....
फिर मैं स्कूल चला गया 3 बजे घर लौटा तो मम्मी ने एक पर्चा पकड़ा दिया गए के सामान का मैंने जल्दी से खाना खाया और बाजार चला गया सामान लेने मैं मार्केट में था तभी रानी का कॉल आया वो शिकायत भरे लहजे में बोली कहाँ हो यार मैं सारा दिन इंतजार करती रही तुम्हारी कॉल का मैंने कहा सॉरी आज कुछ काम मे फंसा हुआ हूं नही आ सकता कल मेरी दीदी को देखने लड़के वाले आ रहे हैं इसलिए नही आ सकता आज और कल उसके बाद देखता हूँ ......
मेरी बात सुन कर वो चुप हो गयी ..... फिर बोली ठीक है जब टाइम मिले बताना मैंने कहा ok और कॉल काट दी फिर मैं दो घंटे तक सारा सामान खरीदता रहा और घर आ गया मम्मी को सारा सामान दे कर मैं अपने रूम में आ गया शाम के 7 बज रहे थे तभी पापा आ गए ..... उन्होंने बताया वो लोग कल त्रिवेणी एक्सप्रेस से आ रहे हैं तुम स्टेशन चले जाना उन्हें रिसीव करने ठीक 10 बजे पहुंच जाना मैंने कहा ठीक है मैं चला जाऊंगा पर आप को कल घर पर रहना चाहिए .....
वो बोले मैं सुबह आफिस जाऊंगा लेकिन 11 तक वापस आ जाऊंगा कल मैं बाइक से जाता हूँ कार छोड़ दूंगा तुम्हे जरूरत पड़ेगा मैंने कहा ठीक है फिर वो चले गए रात में हम सब ने खाने की मेज़ पर कल के बारे में थोड़ी बातें की सब फिक्स कर के हम सोने चले गए ........
उपर आ कर मैं लेट गया थोड़ी देर में दीदी भी आ गईं उन्होंने दरवाजा बंद किया लाइट ऑफ की और आ कर मेरी बगल में लेट गयी उन्होंने मुझसे लिपटना चाहा पर मैंने उन्हें याद दिलाया अब हफ्ते भर ये सब नही उन्होंने कहा यार बस सो रही हूं और कुछ नही और फिर वो मेरे सीने पर सर रख कर सोने लगी ......
अगली सुबह मैं उठा जल्दी जल्दी तैयार हो कर नीचे आ गया मम्मी और दीदी पहले से ही घर की साफ सफाई में लगी हुई थी मुझे देखते ही मम्मी ने कहा निक्की विकी को नाश्ता दे दे उसे स्टेशन जाना होगा भूखा मत भेज देना दीदी ने नाश्ता दिया मैंने खाया पिया और फिर निकलने लगा ...... मम्मी ने कहा वापसी में आधा किलो पनीर और आधा किलो दही लेते आना मैं सर हिलाते हुए निकल गया ......
आज बहोत दिनों बाद कार मिली थी मुझे मैंने ब्लैक जीन्स रेड शर्ट पहनी थी और आंखों पर मेरा पसंदीदा रे बैन का चश्मा मैंने कार स्टार्ट की और स्टेशन की ओर चल पड़ा हांलाकि अभी साढ़े आठ ही हुए थे पर स्टेशन मेरे घर से लगभग 50 मिनट की दूरी पर था ।
मैंने रास्ते मे ही दही और पनीर ले लिया और फिर स्टेशन आ गया ..... मैंने प्लेटफार्म टिकट लिया और अंदर आ गया घड़ी देखी तो 9:45 हो रहे थे मैं यूँ ही इधर उधर घूमते हुए लड़कियां और सेक्सी औरतें ताड़ने लगा काले चश्मे का एक फायदा तो है ही आप किसी को चुपके से कितना भी देखो उसे पता नही चलता ...... दो तीन सेक्सी लड़कियां देख कर मुझे दीदी की याद आने लगी और मैं उन्हें दीदी से कंपेयर करने लगा पर हर बार दीदी मुझे ज्यादा सेक्सी लगती ......
फिर त्रिवेणी एक्सप्रेस आ गयी पर ना मैंने पूछा ना पापा ने बताया वो किस बोगी में हैं और मैं उन्हें पहचानूंगा कैसे ...... ये पापा भी ना कोई काम ठीक से नही करते मैंने जल्दी से पापा को फ़ोन लगाया पर वो आउट ऑफ नेटवर्क था ...... तभी ट्रेन आ कर लग गयी मैंने प्रतीक की pic देखी हुई थी इसलिए मैं जल्दी जल्दी खिड़की से अंदर झांकने लगा और फिर अचानक मुझे आगे की तीसरी बोगी के दरवाजे से उनके जैसा एक लड़का उतरता दिखा और उनके बाद एक अधेड़ उम्र की महिला मैंने गेस किया यही होंगे और भाग कर उनके पास पहुंचा ......
सामने से देखा तो कन्फर्म हुआ ये प्रतीक ही था मैं जल्दी से उन लोगों के पास पहुंचा और मम्मी जी के पैर छुवे ...... उन्होंने मेरे सर पर हाथ रख कर खुश रहो बेटा फिर मैं प्रतीक के पैर छूने झुका तो उसने मुझे रोकते हुए मेरा हाथ पकड़ कर मुस्कुराते हुए गर्मजोशी से हाथ मिलाया और बोला अभी हम बस दोस्त हैं मैं भी मुस्कुरा दिया तभी मेरी ट्रेन के दरवाजे पर गयी वहां एक बेहद खूबसूरत और बहोत ही क्यूट सी थोड़े भरे बदन और नाटे कद की एकदम गोरी चिट्टी लड़की खड़ी थी उसने जीन्स और टीशर्ट पहन रखा था आंखों पर नजर का गोल फ्रेम का चश्मा ..... उसका बदन थोड़ा सा भरा हुआ था कुल मिला कर वो बेहद सेक्सी और आकर्षक दिख रही थी उसने एक बैग हाथ मे पकड़ा हुआ था जो भारी था और एक उसके पैरों के पास रखा हुआ था मैं समझ गया ये श्वेता है प्रतीक की बहन प्रतीक ने उस से बैग लेने के लिए हाथ बढ़ाया ही था कि मैंने आगे बढ़ कर दोनो बैग उठाते हुए उस लड़की से सर झुका कर नमस्ते की वो मुझे देख हल्का सा मुस्कुराई ...... फिर मैंने दोनो बैग उठा लिए प्रतीक जिद करने लगा कि कम से कम एक तो उसे दे दूं पर मैंने कहा ठीक है ज्यादा भारी नही हैं वरना जरूर दे देता फिर हम सब बाहर आ गए पार्किंग में मैंने दोनो बैग डिक्की में रखे और गाड़ी अनलॉक की तो श्वेता और मम्मी जी पीछे बैठ गईं प्रतीक आगे मेरे साथ बैठ गया मैंने कार स्टार्ट की और हम घर की ओर चल पड़े ....... स्टेशन से निकलते ही मम्मी ने पूछा बेटा तुम बहू मेरा मतलब निकिता के भाई हो ना?
मैंने कहा जी मम्मी जी मैं विकास हूँ निकिता दीदी का भाई उन्होंने कहा बेटा हमे कुछ मिठाई और फल लेने हैं रास्ते मे दिलवा देना मैंने कहा ठीक है मम्मी जी .......
फिर रास्ते मे मैंने कल्पतरु स्वीट्स की शॉप पर कार रोकी और प्रतीक उतर कर मिठाई लेने चला गया थोड़ी देर में 5 डिब्बे मिठाई के ले कर आया और कार में रख दी सामने ही एक फल की दुकान भी थी तो वो जा कर ढेर सारे फल अनार अंगूर सेब केले और 5 नारियल वगैरह खरीदने लगा मैं भी उतर कर आ गया सामान ज्यादा था और मैंने भी हेल्प की दोनो सब सामान ले कर आये गाड़ी में रखा और फिर हम घर आ गए ......
पापा घर आ चुके थे मैंने गाड़ी रोकते हुए हॉर्न बजा दिया और मम्मी पापा दरवाजे पर आ गए ......
हम सब गाड़ी से उतरे मम्मी पापा ने प्रतीक की मम्मी के पैर छुवे और प्रतीक ने मम्मी पापा के श्वेता ने भी सबसे हाथ जोड़ कर प्रणाम किया हम सब अंदर आ गये ड्राइंग रूम में बैठे और हल्की फुल्की बात चीत होने लगी पापा ने कुछ औपचारिक बातें पूछी जैसे रास्ते मे कोई दिक्कत तो नही हुई .....
मगर मम्मी बड़े गौर से प्रतीक को ही देखे जा रही थीं और फिर एकदम से बोली मुझे तो प्रतीक बहोत ही पसन्द है ..... इस पर पापा बोले तुम्हे नही निकिता को शादी करनी है ...... और सब हंस पड़े .....
फिर मम्मी अंदर चली गईं और 5 मिनट में ही सेंटर टेबल तरह तरह की मिठाइयों नमकीन और नाश्ते से भर दी गयी टेबल में अब और सामान रखने की जगह ही नही प्रतीक बोला आप लोगों ने तो पूरी बारात के लिए नाश्ता लगवा दिया जबकि हम तीन लोग ही हैं फिर मम्मी अपने हाथों से प्लेट्स उठा उठा कर उन्हें नाश्ता करवाने लगी और तभी दीदी ..... मेरी निकिता दीदी हाथो में पानी की ट्रे लिए हुए ड्राइंग रूम में दाखिल हुए उन्होंने ब्लू सूट पहने हुआ था एक चोटी कर रखी थी चेहरे पर हल्का सा मेकअप जो घर पर ही किया गया था ..... (नेचुरल ब्यूटी की कृत्रिम श्रृंगार की आवश्यकता नही होती ऐसा मेरा मानना है मम्मी ने कई बार कहा कि दीदी ब्यूटी पार्लर हो आएं पर मैंने ही मना किया था कहा नही अभी वो सिर्फ देखने ही आ रहे हैं जो नेचुरल लुक ही ज्यादा सही रहेगा) पर इतने में ही दीदी बेहद खूबसूरत और हॉट लग रही थीं प्रतीक ने जैसे ही उन्हें देखा उसने मुह में भरे हुए रसगुल्ले को चबाना बन्द कर दिया और एकटक उन्हें देखता रह गया ..... उसकी हालत भांप कर मुझे हंसी आ गयी वैसे उस बेचारे का कोई कसूर भी नही था मेरी निकिता दीदी हैं ही इतनी सेक्सी की उन्हें देख कर किसी के भी होश गुम हो जाएं श्वेता भी दीदी को गौर से देख रही थी फिर उसने अपने भैया की ओर देखा और उन्हें ऐसे दीदी को देखते देख कर उन्हें अपनी कुहनी से ठोकर मारी तब जा के प्रतीक को कुछ अहसास हुआ और वो हड़बड़ा कर इधर उधर देखने लगा इधर मम्मी पापा और प्रतीक की माँ भी प्रतीक की इस हालत पर मुस्कुरा रहे थे ...... दीदी ने ट्रे मेज पर रखी और प्रतीक की माँ बोली बेटी तुम इधर आओ मेरे पास बैठो दीदी उनके पास गयीं और उनके पैर छू लिए माता जी उनके सर पर हाथ फिराते हुए आशीर्वाद दिया फिर दीदी ने प्रतीक की ओर नजरें उठा कर देखा और हाथ जोड़ कर नमस्ते की आए श्वेता से भी नमस्ते की प्रतीक ने जल्दी से हाथ जोड़ कर वापस नमस्ते का जवाब दिया वो कुछ नर्वस सा लग रहा था ...... प्रतीक की मम्मी बोली भाई मुझे तो निकिता बहोत पसन्द है कितनी सुंदर है इसकी और प्रतीक की जोड़ी खूब जंचेगी ..... उनकी बात से हम सभी सहमत थे ......
तभी पापा बोले बहन जी आपकी बात एकदम सही है लेकिन आजकल माता पिता की इच्छा से ज्यादा बच्चों की इच्छा ज्यादा मायने रखती है अगर ये दोनों भी एक दूसरे को पसन्द कर लें तो बेहतर हो मेरा मतलब हमे एक बार इनके मन की भी जान लेनी चाहिए ..... तभी श्वेता तपाक से बोली अंकल जी भैया ने तो जिस दिन भाभी की तस्वीर देखी है ये बस फुर्सत पाते ही फोन पर इनकी तस्वीर देखते रहते हैं मैं खाना रख देती हूं तो भी इनका ध्यान खाने पर नही बस भाभी की तस्वीर पर ही रहता है उसकी इस बात हम सब हंस पड़े जोर से और प्रतीक तो बेचारा एकदम शर्मा गया ........
दीदी भी प्रतीक को देख कर मुस्कुराने लगी....... प्रतीक की मम्मी बोली बेटा जरा वो हमारा सामान ला दो मैं बाहर गया और गाड़ी से उनका सारा सामान निकाल लाया और अंदर रख दिया प्रतीक की मम्मी ने श्वेता को इशारा किया और उसने उठ कर एक बैग खोलते हुए उसमे से कुछ पैकेट्स निकाले और ले कर अपनी मम्मी को दे दिया उन्होंने एक पैकेट उठाया जो अच्छे से पैक था और अपने पर्स से एक डिब्बी निकाली और उसे खोल कर अंदर से एक हीरे की एक खूबसूरत अंगूठी निकाल कर प्रतीक को दे दी और एक डिब्बा मिठाई थोड़े फल एक नारियल और 5100 रुपये दीदी को देने लगी और बोली मेरी तरफ से तो ये रिश्ता पक्का है अब पापा ने कहा अरे बहन जी इतना सब करने की क्या जरूरत है रिश्ता तो पक्का समझिए ही क्यों निकिता ......? दीदी ने शर्माते हुए हां में सर हिला दिया और फिर प्रतीक की मम्मी ने वो सारा सामान दीदी को दे दिया ...... श्वेता ने थोड़ा सा मुह बना कर कहा मुझसे तो किसी ने कुछ पूछा ही नही बेकार ही आयी मैं यहां उसकी बात सुन कर प्रतीक फौरन बोला अरे हां श्वेता जब तक तुम नही पसन्द कर लेती मैं इस शादी के लिए हां नही करूंगा इस पर श्वेता उठी मैं तो जा रही हूं इनके साथ कुछ बातें करूंगी अकेले में तब मैं डिसाइड करूंगी और अपना फैसला दूंगी ..... उसकी बात पर हम सब मुस्कुराए बिना नही रह सके फिर वो उठी दीदी का हाथ पकड़ा और बोली चलिए भाभी आपके कमरे में चलते हैं फिर दीदी उसके साथ ऊपर चली गईं ...... जब दीदी ड्राइंग रूम से बाहर जाने लगी तो प्रतीक की नजर उनकी सलवार में उभरी हुई गांड़ पर टिकी थी और वो धीरे से अपना लंड दबाता हुआ दिखा मुझे ......
प्रतीक की मम्मी बोली ये लड़की भी एकदम बेवकूफ है सबसे निकिता की फ़ोटो देख कर सबसे पहले यही उछलने लगी थी कि मुझे लड़की बहोत पसन्द है और अब देखो कितनी बातें कर रही मम्मी हंस कर बोली आपने देखा नही वो निकिता को भाभी कह रही थी बाकी यहां बुजुर्गों के साथ बैठने में हमारे सामने बातें करने में बच्चों को कहां मज़ा आएगा इसलिए बहाने से अकेले में ले गयी होगी ...... प्रतीक की मम्मी बोली भाई साहब मैं तो चाहती हूं आज ही मंगनी की रस्म हो जाये तो शाम तक हम लोग निकल जाएं और शादी की तैयारी करें .....
पापा बोले ठीक है आप चाहती हैं तो आज ही मंगनी कर देते हैं पर आज तो मैं नही जाने दूंगा आप लोगों को कुछ हमे भी तो अपनी सेवा का अवसर दीजिये .....
प्रतीक की मम्मी बोली ठीक है अगर आप चाहते हैं तो हम कल वापसी कर लेते हैं वैसे भी अभी हमने वापसी का टिकट नही कराया है पापा ने कहा फिक्र ना करें मैं कल का टिकट करवा दूंगा .......
फिर पापा बोले आप शालिनी से बातें करिये मैं आता हूँ पापा ने मुझे इशारा किया और हम बाहर आ गए पापा ने कहा विकास तुम मार्केट जाओ और एक अच्छी अंगूठी और इन लोगों के लिए बढ़िया कपड़े ले कर आओ मैंने कहा ठीक है पापा, पापा ने मुझे 25000 रुपये ल कर दिए और मैं बाजार निकल गया मैंने ज्वेलरी शॉप से एक 20000 की अंगूठी खरीदी पर मुझे प्रतीक की उँगली का नाप नही मालूम था तो शॉप ओनर ने मुझे प्लास्टिक के रिंग का एक सेट दिया और बोला मैं जा कर उनकी उंगली का नाप ले आऊं मैं फिर घर आया तो देखा प्रतीक बैठे बोर हो रहे थे मम्मी और उनकी मम्मी अंदर एक कमरे में बातों में मशगूल थे उनकी बातों का केंद्र बिंदु दीदी और प्रतीक थे । पापा प्रतीक के पास बैठे इधर उधर की पंचायत कर रहे थे मैंने प्रतीक के पास जा कर वो सेट उसे दिया और कहा कि वो चेक करें उनकी फिंगर में कौन सा सही बैठ रहा उन्होंने दो तीन प्रयास किये और फिर एक जो सही बैठा उसका नंबर मुझे बताया मैंने उनसे वो नाप ली और जाने लगा तो वो बोले विकास मैं भी चलूं क्या अपना शहर नही दिखाओगे मुझे मैंने मुस्कुरा कर क्यों नही आइये ...... और हम बाजार आ गए मैं उन्हें प्रयाग की प्रसिद्ध जगहों के बारे में बताता रहा वो बड़े गौर से मेरी बातों को सुनते रहे अपने सवाल पूछते रहे उनका व्यवहार एकदम दोस्ताना और सहज लगा मुझे फिर हम ज्वेलरी शॉप पर पहुंचे रिंग ली फिर वहां से निकल कर हम एक माल में आ गए वहां हमने प्रतीक के लिए उनकी पसन्द के कपड़े और श्वेता के लिए एक वाइट कलर की सुंदर सी ड्रेस की और फिर मम्मी जी के लिए एक महंगी सिल्क की साड़ी भी ले सब पैक करवा के पे कर के हमने सब सामान कार में रखा और घर की ओर चल पड़े रास्ते मे एक बियर शॉप दिखी तो प्रतीक एकदम से बोले विकास तुम बियर तो पीते होगे उनके सवाल से मैं एकदम हड़बड़ा गया और पहले हां में फिर जल्दी से ना में सर हिला दिया वो हंस दिए और बोले घबराओ मत मैं मम्मी पापा को नही बताने वाला इस बारे में ..... मैंने कहा कभी कभार दो चार बार पी है वो मेरी जांघ पर हाथ मारते हुए बोले ये हुई ना बात फिर तो मैं जब भी यहां आऊंगा मेरी तुम्हारी जमेगी ..... मैं मुस्कुरा दिया मैंने कहा लेकिन जीजा जी घर मे किसी को पता नही इस बारे में वो बोले पता तो मेरे घर मे भी किसी को नही है ....... और तुम किसी को बताओगे तो इसका सवाल ही नही है मैंने ना में सर हिला दिया तो वो बोले स्मार्ट बॉय ..... तभी एक और बियर शॉप उन्हें दिखी तो वो बोले रोको यार फिर और मैंने कार ब्रेक मारते हुए सड़क के किनारे लगा दी ......, कार रुकते ही प्रतीक कार से उतरे और शॉप की ओर चल पड़े मैं भी उतर कर पीछे से भागता हुआ आया उन्होंने काउंटर पर पहुंच कर दो
भारत का सबसे अच्छा बीयर ब्रांड कार्ल्सबर्ग Carlsberg का आर्डर दिया और वॉलेट निकालने लगे मैंने उन्हें मना करते हुए झट से 2000 का नोट निकाल कर काउंटर पर रख दिया वो सर हिलाते हुए बोले यार ये ठीक नही मैंने कहा था मैंने कहा कोई बात नही जब लखनऊ आऊंगा तब आप ही पेमेंट कर देना मेरी बात सुन कर वो हंसते हुए बोले बहोत तेज हो यार तुम ..... फिर मैंने दो पैकेट चिप्स भी लिया और बाकी पैसे ले कर हम वापस कार में आ गए ....... प्रतीक ने अपनी बियर खोल ली और चुस्की लेते हुए बोले बीवी का तो पता नही पर साला मुझे अच्छा मिला है मैंने मुस्कुरा कर कहा बीवी साले से भी अच्छी मिल रही है आपको फिर वो मुझसे दीदी के बारे में कुछ नार्मल सवाल पूछने लगे मैं होशियारी से उन्हें जवाब देते हुए संतुष्ट करता रहा फिर मैंने कार एक थोड़ी सुनसान जगह पर एक पेड़ के नीचे लगा दी फिर मैंने भी अपनी कैन खोल ली और हम ठंडी बियर का मज़ा लेने लगे ...... पीते हुए मैं सोचने लगा दीदी की भी इनके साथ बढ़िया जमेगी ...... पर मैंने सोचा लिया मैं इस बारे में दीदी को कुछ नही बताऊंगा हमने हल्की फुल्की बातें करते हुए बियर खत्म की फिर खाली कैन बाहर उछाल कर हम घर की ओर निकल पड़े तभी प्रतीक ने कहा यार कहीं से इलायची ले लेना और फिर मैंने एक जगह से तुलसी इलायची का ज़िपर लिया और दोनो ने कुछ दाने इलायची के मुह में डाले और घर की ओ चल पड़े रास्ते मे बातें करते हुए प्रतीक ने कहा विकास मुझे तुम्हारी निकिता दीदी बहोत पसन्द हैं मुझे तो पहली नजर में ही उनसे प्यार हो गया था मैं समझ गया कि बियर ने थोड़ा सा असर डाला है उन पर ।

1 बजे के आसपास हम घर पहुंच गए इतनी देर में मैंने अंदाजा लगा लिया प्रतीक वैसे तो बेहद शांत और सभ्य है पर अंदर से ये भी मेरे जैसा नॉटी और एडवेंचर पसन्द इंसान है कुल मिला कर मैं अब निश्चिंत था ।
मैं सब सामान ले कर अंदर आया और मम्मी को पकड़ाया फिर मैं ऊपर जाने लगा तो मम्मी बोली विकी प्रतीक को भी ऊपर ले जाओ थोड़ी देर आराम कर लें फिर अभी खाने के लिए बुलाऊंगी मैं .......
मैंने प्रतीक से कहा चलिए और हम ऊपर आ गए मेरे कमरे में बेड पर नई चादर बिछी थी और मैंने अंदर आते हुए ac ऑन कर दिया दरवाजा बंद कर के मैंने कहा आप आराम करिये मैं बाथरूम हो कर आता हूँ वो जूते निकाल कर लेट गए और मैं बाथरूम चला गया मूतते हुए मुझे दीदी के कमरे से हंसने की आवाज़ आयी मैं कान लगा कर सुनने लगा (असल मे ये बाथरूम मेरे और दीदी के कमरे के बीच मे बना हुआ कॉमन बाथरूम है और एक एक दरवाजा हम दोनों के कमरे में खुलता है इसलिए बाथरूम में से कमरों की आवाज़ें सुनाई देती हैं) अंदर श्वेता और दीदी हंस हंस कर बातें कर रही थी श्वेता प्रतीक के बारे में दीदी को बता रही थी जैसे उन्हें खाने में क्या क्या पसन्द है और उनके बारे में कई बातें दीदी भी उस से सवाल पर सवाल किये जा रही थीं .
मैं हाथ धो कर बाहर आया तभी मम्मी ने मुझे आवाज़ दी मैं नीचे आ गया और फिर उन्होंने मुझे किनारे में बुला कर कहा सुन विकास मैं चाहती हूं कि प्रतीक और निकी भी कुछ देर अकेले में एक दूसरे से मिल लें तो एक काम कर ये हलवा ( उन्होंने एक ट्रे में दो प्लेट में हलवा रखा हुआ था) ले जा कर निकिता को दे दे और उससे कहना ये ले कर प्रतीक के पास जाए और कुछ देर उसके पास बैठे बातें करे और श्वेता को नीचे बुला लेना कह देना उसकी मम्मी ने बुलाया है मैंने कहा ठीक है मम्मी और मैं ट्रे ले कर ऊपर दीदी के कमरे में आ गया मैंने कहा श्वेता की ओर देखते हुए कहा आपको आपकी मम्मी ने नीचे बुलाया है वो उठ कर नीचे चली गयी फिर मैंने दीदी के बेड पर वो ट्रे रखते हुए कहा दीदी जाओ अपने होने वाले पति को हलवा खिलाओ और थोड़ा टाइम उनके साथ बिताओ दीदी मेरी बात सुन कर शर्मा गयीं और बोली मैं नही जाती अकेले उसके पास मैंने कहा तो क्या मुहल्ले वालों को बुला लूं सबके साथ ले कर जाओगी मेरी बात सुन कर वो गुस्से से मुझे देखने लगी मैंने उन्हें और सताते हुए कहा अच्छा शादी के बाद सुहागरात में भी अकेले ना जाना उनके पास मैं भी साथ मे चलूंगा और लाइव सेक्स देखूंगा ठीक है दीदी ने मुझे मुक्का दिखाते हुए गुस्से से घूरा मैंने कहा भाई मैं कुछ नही जानता जो मम्मी ने कहा था मैंने कहा दिया अब आगे आप जानो और आपका काम ।
दीदी ने मुह बना कर कहा मम्मी ने कहा है तो जाना ही पड़ेगा फिर उन्होंने दुपट्टा सीने पर डाला और ट्रे उठायी मैंने फिर से उन्हें छेड़ा और बोला ये सही किया दुपट्टा डाल कर वरना प्रतीक तुम्हारे चेहरे से ज्यादा तुम्हारी मस्त चुचियाँ ही देखता रहता मेरी बात सुन के दीदी ने बड़ी कातिल मुस्कान से मुझे देखा और बोली तुझे मैं रात में बताती हूँ और फिर वो बाहर निकल गईं मैं दीदी के बेड पर ही लेटने लगा पर एकदम से मुझे आईडिया आया क्यों ना दीदी और प्रतीक की इस पहली मुलाकात का मज़ा लिया जाए और मैं जल्दी से दीदी के कमरे की ओर से बाथरूम में घुस गया और अपने कमरे की ओर वाले दरवाजे को जरा सा खोल कर अंदर झांकने लगा ।
एक दम मस्त अपडेट। वैसे ये जीजाजी की चाहत क्या है, बीवी को साले के साथ देखना?
 
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