




Awesome poem, superb gifsआज सुना रही हूँ एक ऐसे दामाद की कहानी
जिसको तड़पा रही थी उसकी सास की जवानी
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ऐसा मस्त था योवन उसका मुश्किल है जो कहना
देख को उसको लगती थी अपनी बीवी की बहना
वैसे तो पति को गुजरे हुए बीत गए थे दस साल
फिर भी अपनी जवानी को रखा था मस्त संभाल
गहरी नाभि वक्ष सुडोल और नयनो के तीर
एक बार जो प्यार से देखे घाव करे गंभीर
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रेशम की साड़ी में लिपटी वो मोटी चौड़ी गांड
उसे दुधारू गया को चाहिए तगड़ा मोटा सांड
साड़ी के पल्लू के नीचे वो चूचे कस्से हुए
ऊंची ऊंची पर्वत को जैसे बादल ढके हुए
गज गामिनी सी चाल थी उसकी लम्बे काले केश
धरती पे जैसी उतरी हो अप्सरा धर नारी के वेश
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पहली बार जो देखा उसको हाल हुआ बेहाल
ऐसा था उस रूप मोहिनी ने फेंका अपना जाल
रिश्ते नाते भूल के सारे सपने वो खूब सजाये
कैसे वो इस परम सुंदरी को लौड़े के नीचे लाए
वैसे तो सासु के दिल में भी मचले खूब अरमान
पर दामाद के सपनों से थी वो बिल्कुल अंजान
दमाद भी जाने सास चौदना काम नहीं आसान
दिल पे अपने काबू रख के निकल दिये अरमान
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My job is much easier as I have very few readers and fewer still who comment. Thus, it is easy for me to keep track and reply. Thank you so much for gracing this thread with your presence and comments.Thank you so much for your kind and warm words from you. Truly delighted for this message. One more thing that I have noticed is that you also engage with your readers in a very good way and the replies you give to your readers comments (not just to me but all your other followers as well) (& not just the mundane Thank you acknowledgments, which is not wrong btw) are one of its kind. You have this super quality in you.
On a lighter note, one of the better decisions that I have taken in this forum is to follow your story and engage in such delightful conversations with you. They really light up the day!!
Once gain, Many Thanks and Truly honored.![]()
komaalrani
भाग ७३ - किस्से भैया बहिनिया के
जबरदस्त शुरुआतआज सुना रही हूँ एक ऐसे दामाद की कहानी
जिसको तड़पा रही थी उसकी सास की जवानी
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ऐसा मस्त था योवन उसका मुश्किल है जो कहना
देख को उसको लगती थी अपनी बीवी की बहना
वैसे तो पति को गुजरे हुए बीत गए थे दस साल
फिर भी अपनी जवानी को रखा था मस्त संभाल
गहरी नाभि वक्ष सुडोल और नयनो के तीर
एक बार जो प्यार से देखे घाव करे गंभीर
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रेशम की साड़ी में लिपटी वो मोटी चौड़ी गांड
उसे दुधारू गया को चाहिए तगड़ा मोटा सांड
साड़ी के पल्लू के नीचे वो चूचे कस्से हुए
ऊंची ऊंची पर्वत को जैसे बादल ढके हुए
गज गामिनी सी चाल थी उसकी लम्बे काले केश
धरती पे जैसी उतरी हो अप्सरा धर नारी के वेश
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पहली बार जो देखा उसको हाल हुआ बेहाल
ऐसा था उस रूप मोहिनी ने फेंका अपना जाल
रिश्ते नाते भूल के सारे सपने वो खूब सजाये
कैसे वो इस परम सुंदरी को लौड़े के नीचे लाए
वैसे तो सासु के दिल में भी मचले खूब अरमान
पर दामाद के सपनों से थी वो बिल्कुल अंजान
दमाद भी जाने सास चौदना काम नहीं आसान
दिल पे अपने काबू रख के निकल दिये अरमान
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Please do grace this post too,आज सुना रही हूँ एक ऐसे दामाद की कहानी
जिसको तड़पा रही थी उसकी सास की जवानी
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ऐसा मस्त था योवन उसका मुश्किल है जो कहना
देख को उसको लगती थी अपनी बीवी की बहना
वैसे तो पति को गुजरे हुए बीत गए थे दस साल
फिर भी अपनी जवानी को रखा था मस्त संभाल
गहरी नाभि वक्ष सुडोल और नयनो के तीर
एक बार जो प्यार से देखे घाव करे गंभीर
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रेशम की साड़ी में लिपटी वो मोटी चौड़ी गांड
उसे दुधारू गया को चाहिए तगड़ा मोटा सांड
साड़ी के पल्लू के नीचे वो चूचे कस्से हुए
ऊंची ऊंची पर्वत को जैसे बादल ढके हुए
गज गामिनी सी चाल थी उसकी लम्बे काले केश
धरती पे जैसी उतरी हो अप्सरा धर नारी के वेश
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पहली बार जो देखा उसको हाल हुआ बेहाल
ऐसा था उस रूप मोहिनी ने फेंका अपना जाल
रिश्ते नाते भूल के सारे सपने वो खूब सजाये
कैसे वो इस परम सुंदरी को लौड़े के नीचे लाए
वैसे तो सासु के दिल में भी मचले खूब अरमान
पर दामाद के सपनों से थी वो बिल्कुल अंजान
दमाद भी जाने सास चौदना काम नहीं आसान
दिल पे अपने काबू रख के निकल दिये अरमान
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Manju ka jawab nahi, vo dil aur dimaag dono par raaj karati haiManju ne yahan aag laga rakhi hai or apne is forum me