Rocksanna999
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आ पिया इन नैनन मैं पलक ढाप तोहे लूँ,
ना मैं देखूँ गैर को ना तोहे देखन दूँ ।।
एक सफ़र था की चलता गया,
भोर का सुरज भी ढलता गया।।
वो कहानी थी की चलती रही,
मैं पाठक था की बस पढता गया।।
कच्ची उम्र से बलखाती जवानी,
गिलासी शराब से शरबती पानी,
खिलती कली से, हसीन ग़ुलाब,
चढ़ता सबाब उतरता रुबाब,
पन्ने पर पन्ने एक नई किताब,
जोरु के ग़ुलाम राजा साहब,
कौन होगा जो ना चाहेगा उसको,
चढ़ाये कामरंग वो भाभी जिसको,
फिर सास-ननद हो या पड़ोसन,
काम वाली बाई हो या नवेला जोबन,
प्रेम मे बावरी कोमल रानी,
रास रचाए अपने साजन संग,
आप बसे मन साजन के वो,
और गैर सजवाये साजन् पलंग,
ना खुद निकले मन से उनके,
ना साजन मन गैर को बसने दे,
प्रेम का रिश्ता मजबूत इतना,
फूलों को खुद निचौड़े कोमल,
साजन को कलियाँ तोड़ने दे।।
उम्र से जो मिली जोगन,
सब पे चढ़ाये अपना साजन,
आप बनी रानी जिसकी,
दासी बनायी सब जोगन,
ब्याही तब से संवारी ब्रेंड,
अब चूत-चूत मे भेद न करे,
ऐसा सांजन का लंड।।
अरे साजन लेटा पलंग पर और कपड़े दिये हटाय,
सास, ननद, जेठानी पड़ोसन, सब संग दिया लिटाय।।
ना मैं देखूँ गैर को ना तोहे देखन दूँ ।।
एक सफ़र था की चलता गया,
भोर का सुरज भी ढलता गया।।
वो कहानी थी की चलती रही,
मैं पाठक था की बस पढता गया।।
कच्ची उम्र से बलखाती जवानी,
गिलासी शराब से शरबती पानी,
खिलती कली से, हसीन ग़ुलाब,
चढ़ता सबाब उतरता रुबाब,
पन्ने पर पन्ने एक नई किताब,
जोरु के ग़ुलाम राजा साहब,
कौन होगा जो ना चाहेगा उसको,
चढ़ाये कामरंग वो भाभी जिसको,
फिर सास-ननद हो या पड़ोसन,
काम वाली बाई हो या नवेला जोबन,
प्रेम मे बावरी कोमल रानी,
रास रचाए अपने साजन संग,
आप बसे मन साजन के वो,
और गैर सजवाये साजन् पलंग,
ना खुद निकले मन से उनके,
ना साजन मन गैर को बसने दे,
प्रेम का रिश्ता मजबूत इतना,
फूलों को खुद निचौड़े कोमल,
साजन को कलियाँ तोड़ने दे।।
उम्र से जो मिली जोगन,
सब पे चढ़ाये अपना साजन,
आप बनी रानी जिसकी,
दासी बनायी सब जोगन,
ब्याही तब से संवारी ब्रेंड,
अब चूत-चूत मे भेद न करे,
ऐसा सांजन का लंड।।
अरे साजन लेटा पलंग पर और कपड़े दिये हटाय,
सास, ननद, जेठानी पड़ोसन, सब संग दिया लिटाय।।
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