ये तो आ बैल मुझे मार कर रही है...बाथरूम
" यहीं करेगी क्या , चल बाथरूम में ,.. " और थोड़ी देर में हम तीनों बाथरूम में , पक्की सहेलियों की तरह साथ साथ।
... और बाथरूम में भी जैसे बदमाश सहेलियां आपस में शरारत करती हैं , एकदम उसी तरह एक दूसरे के साथ , एकदम खुल के ,
हाँ भाभियाँ दो और ननद एक हो तो जो ननद की हालत होती है वही हो रही थी , पर ननद बजाय बुरा मानने के , मुंह बनाने के और हमें उकसा रही थी , चिढ़ा रही थी , छेड़ रही थी।
और गुड्डी तो खुद अपनी मुसीबत अपने आप बुलाने में एक्सपर्ट थी , उसने मुझे चिढ़ाया ,
" भाभी आप कल कुछ मोर के नाचने की बात कर रही थीं न ,... "
सच में मैं भूल गयी थी , कल जब रीनू ने मेरे कान में बोला था की गुड्डी के साथ बाथरूम के अंदर , बंद दरवाजे के पीछे ,... पचा पचाया ,... अल्टीमेट किंक ,...
वही जब यूरो किंक में स्कैट वाली सीन्स चल रही थी और मैंने अपनी बहन को छेड़ा था ,
" जंगल में मोर नाचा किसने देखा "
तो रीनू हंस के बोली , चल कल तेरे सामने मोर को नचाउंगी , ...
बस गुड्डी वही बात याद दिला रही थी।
" चल अभी नचाती हूँ मोर को , ... " रीनू छोड़ने वाली थोड़ी थी , और
बस कुछ देर में गुड्डी नीचे बाथरूम के फर्श पर लेटी , और रीनू उसके ऊपर , फेस सिटिंग ,
" चल गांडचट्टो , चाट कस कस के ,... " रीनू ने बोला , रीनू के दोनों घुटने गुड्डी के हाथों को दबाये हुए , हिल भी नहीं नहीं सकती थी ,
" चल छिनार की जनी खोल मुंह , अपने भइया का लौंड़ा चूसने के लिए जैसी खोलती है , खोल वरना , ... "
रीनू ने कस के उसके दोनों गाल दबा रखे थे , और मैं भी अब शामिल हो गयी थी , गुड्डी की दोनों कांखों के बीच मैं उसे गुदगुदी लगा रही थी ,
गुदगुदी लगती भी थी उसे जोर से ,
और गुड्डी ने मुंह खोल दिया ,...
" चियार कस के मेरी ननद रानी ,... " मैं भी बोल रही थी ,...
रीनू ने अपने चौड़े बड़े बड़े चूतड़ ऊपर किये , दोनों हाथों से अपने पिछवाड़े के छेद को पूरी ताकत लगा कर खोला ,
और
और
और ,...
दस मिनट बाद दोनों अलग हुयी , और अब रीनू मेरे पीछे ,
चिढ़ाने की बात और थी लेकिन सचमूच में , मेरे बस की बात नहीं थी ,
" क्या कोमलिया , यार ये कल की लौंडिया , नहीं बिदक रही है और तू , चल बैठ , देख मुंह खोल के इन्तजार कर रही है ,... " रीनू एकदम मेरे पीछे ,
मैंने गुड्डी की ओर देखा , वो बजाय बुरा मानने के मुस्करा रही थी , मुझे उकसा रही थी ,
और इस बार मैं रीनू की तरह
और अगर अबकी गुड्डी रानी ने खुद ,
मैंने चूतड़ कस के फैलाये
और
और
आधे घंटे बाद हम तीनो हसंते खिलखिलाते शावर करके गीले गीले निकले , और तौलिये से मैंने और रीनू ने पहले गुड्डी को , फिर गुड्डी ने हम दोनों को
और वैसे ही नंग धडंग , एक दूसरे को पकडे सो गए।
डेढ़ घण्टे तक , खूब गहरी नींद , रोज तो रात में रतजगा होता था।
और जब मेरी नींद खुली तो गुड्डी रानी , जैसे रीनू ने समझाया था , सारे खिलौनों को साबुन और गरम पानी के घोल में भीगे साटन के कपडे से साफ़ कर कर के सूखा कर रख रही थीं,
मैं भी लग गयी उसे हेल्प करने में , हेयर ड्रायर से उन्हें सुखाने में , और जब हम लोग सारे ट्वायज पैक कर चुके तो हमने देखा , की रीनू भी उठ चुकी थी और हम लोगों देख रही थी।