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Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

ayush01111

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क़तल की रात

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मैंने मम्मी की ओर मुस्करा के देखा और उन्होंने भी मेरा मतलब समझ के, न वो सिर्फ मुस्करायीं ,बल्कि जोर से आँख मार के उन्होंने मुझे अपने पास बुला भी लिया। बांहों में मुझे भींच के बोलीं ,


" अब इस छिनार की नथ उतारने का समय आ गया है। बहुत तड़प रही है बिचारि। "

"एकदम मम्मी लेकिन ज़रा अपने इस माल को ठीक से देख तो लीजिये। "


मैंने टुकड़ा लगाया।


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…..


और मम्मी मेरी बात मान के एक बार फिर उनके पास गयीं और इस बार उनकी निगाह उनके उठे ,खूब मांसल गोरे गोरे गदराये चूतड़ों पर थी ,एकदम मक्खन जैसे चिकने ,मुलायम।



" साले अगर किसी की दुल्हन होता न तो रोज रात वो बिना नागा तेरी गांड मारता ,पक्की गारंटी है मेरी। "

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और ये कहते हुए बड़े प्यार से मम्मी ने उनके चूतड़ सहलाये , और मेरी ओर देखा , मैं क्यों मौक़ा छोडती ,बोल पड़ी ,

" अरे मम्मी , गांड तो इनकी अभी भी रोज बहुत प्यार से मारी जा सकती है। "

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मम्मी तब तक असली जगह का मौका मुआयना कर रही थीं।

एकदम कसा हुआ हलका सा ब्राउन छेद ,चारो और मसल्स से जकड़ा।




थोड़ी देर तक अपनी तर्जनी से मम्मी ने उसे रगड़ और उसे पुश करने की कोशिश की ,... लेकिन फेल।



उन्होंने जोर बढ़ाया पर तब भी , अंदर घुसाना बहुत मुश्किल लग रहा था।

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एक बार फिर मॉम ने मेरी ओर देखा और बोलीं ,

" तू सच कह रह थी अभी तक कोरी है इसकी "



और फिर अपनी बात का रुख मम्मी ने उनकी ओर मोड़ दिया ,

" सुन बहनचोद , मां के भंडुए , घबड़ा मत ,... परेशान होने की कोई बात नहीं है , जैसे तेरे इस टनाटन लौंडे से तेरी उस छुटकी बहिनिया की चूत फड़वाउंगी न वैसे ही तेरी इस कच्ची कसी गांड का भी जल्द इलाज करुँगी।




अब मैं आ गयी हूँ न ,तेरे इस लौंड़े को जैसे तेरी बहन की कसी चूत का मजा दिलवाऊंगी , तेरी माँ के रसीले भोंसडे का मजा दिलवाऊंगी ,

वैसे तेरी इस गांड को भी , ...


बहनचोद ,मादरचोद के साथ पक्का गांडू भी ,... "






कुछ देर तक माँ उन की उस कसी दरार में ऊँगली रगड़ रगड़ के मजा लेती रही , फिर मेरे पास आगयी और मुझसे बोलीं ,

"सिर्फ एक कमी ऐसी मस्त गांड पे , और ये तेरी गलती है।

सोच लोग गोरी गोरी हथेलियों में मेहंदी लगाते है ,पैरों में महावर लगाते है वैसे ही इस गोरे गोरे मखमली चूतड़ गुलाब के फूल खिले रहने चाहिए। ये घर में तब भी ,बाहर जाएँ तब भी , आफिस में हो टूअर पर हों , बस महावर की तरह ,तेरी याद आएगी जबी भी उन्हें वो दिखेंगे क्यों हैं न मुन्ने। "


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जैसे उनकी आदत थी मम्मी की हर बात में हाँ मिलाने की ,उन्होंने सर हिला के हामी भर दी। ( बोल तो सकते नहीं थे ,बिचारे उनके मुंह में मम्मी को दो दिन की पहनी ,मम्मी के देह रस में डूबी पैंटी जो ठुंसी थी। )


और मॉम ने मेरे कान में समझा दिया की क्या करना है।


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उन्होंने मुझे एक दस्ताना भी दे दिया पहनने को ,एकदम मिट्स की तरह था ,रेड लेदर ग्लव विद वेलक्रो फासेनर।

" पूरी ताकत से ,... "मुझसे बोलीं वो।

मैंने पहला हाथ लगाया ,लेकिन ज्यादा जोर से नहीं ज्जहां से नितंब शुरू होते हैं वही।

मॉम ने मुझे घूर के देखा और डांटा ,

" हे कोई यारी नहीं चलेगी ,ये नहीं काउंट होगा ,चल फिर से शुरू कर "

और उनसे बोलीं ,

हर स्पैंक के बाद ,तुझे नम्बर बोलना होगा , १ ,२ , ३ और साथ में अपनी माँ के नाम एक मस्त गाली।

अगर ज़रा भी हलकी हुयी न तो सोच ले मैं सबेरे की ट्रेन से वापस ,


अचानक मॉम को याद आया उनके मुंह में तो मम्मी की अगवाड़े पिछवाड़े के हर तरह के रस में भीगी पैंटी ठुंसी हुयी है। और मम्मी ने उनके मुंह से पैंटी निकाल ली।

और इस बार मेरा हाथ एकदम ऊपर तक गया ,और फिर ,...चटाक

दर्द से निकलती चीख को उन्होंने किसी तरह दबाया और बोला ,एक और फिर मम्मी की समधन के नाम मोटी सी ,


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मम्मी ने खुश हो के मेरी ओर देखा ,

दूसरा भी उसी जगह लगा ,लेकिन पहले से भी तगड़ा और वहां पर हल्का गुलाबी रंग खिल उठा ,

फिर और ऊपर

और उपर

दसवां सीधे गांड के छेद पर ,

दस बाएं चूतड़ पे और दस दाएं चूतड़ पे




लेकिन असली ताकत तो मम्मी के हाथ में थी ,उन्होंने तो बिना दस्ताने के ,मुझसे दस गुनी ताकत से

लेकिन साथ साथ मम्मी की आँख से कुछ बच नहीं सकता था ,

मेरे कान में बोलीं

" देख बहनचोद को कितना मजा आ रहा है , " उन्होंने उनके निप्स की ओर इशारा किया ,

" एकदम टनाटन हैं न "

सच में ,और अब तक मैं सीख गयी थी मेल अराउजल की सबसे बड़ी साइन है ,निप्स।

लेकिन अब उनकी चीख चिलाहट भी चालु हो हो गयी थी।

" अरे अगर गौने की रात दुल्हन चीखे चिलाये नहीं ,पूरे घर में उसकी चीखने की आवाज न गूंजे तो सास ननद क्या सोचेंगी। यही न की मायके में अपने भाइयों से फड़वा के आ रही है ,चीखने दे इसे। तभी तो गौने की रात का मजा आएगा। "

मम्मी बोलीं ,और अब हाथ की जगह उन्होंने टेबल टेनिस का बैट मुझे थमा दिया था।

और फिर मेरे बाद मॉम का नम्बर।

तीस चालीस मिनट तक बारी बारी से , और फिर मम्मी ही रुकीं बोली देख अब इस बहन के भंडुए की गांड का सिंगार पूरा हो गया है न।

पूरा गुलाबी ,कहीं कहीं लाल भी ,एक इंच जगह नहीं बची थी जहाँ हमारे हाथ के निशान न हो।



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लेकिन मेरा दिमाग भी तो शैतान की चरखी ,...

मैंने वाटरप्रूफ इन्डेलिबिल क्रेयान उठाये और उनके पेट पर लिख दिया मोटा मोटा ,



रंडी ,बहनचोद।

मम्मी को मजा आ गया लेकिन उन्होंने उनके गांड के छेद की ओर इशारा किया

" असली चीज तो ये है। "

और हम दोनों ने मिल के उसे फैला दिया ,

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फिर तो उसके चारो और ,एकदम कसी गुलाबी चूत की तरह दोनों ओर लोवर लिप्स मैने पेंट किये ,खूब मांसल

और एक तीर का निशान बना के लिख दिया


" कंट"

मम्मी उसे रगड़ते हुए उन्हें समझा रही



"ये तेरी मेल चूत है इसे एकदम मस्त रखना ,साफ़ सुथरी ,मुलायम और रोज ऊँगली डाल के अंदर तक वैसलीन ,.. क्या पता किस दिन इसका नंबर लग जाए , और फिर मैं चेक भी करती रहूंगी। जैसे तेरी बहन अपने चूत को मक्खन की तरह मुलायम रखती है न एकदम उसी तरह ,समझ गयी। "

उन्होंने जोर से हामी में सर हिलाया।

" यार इसका एक घर का नाम भी रख देते हैं न पुकारने का ,.. "

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Pati ke sath thoda jyada nahi ho raha
 

ayush01111

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Abhi tak ki story se ek baat clear hai pati apni biwi se bahut pyar karta hai par biwi or maa to jaise kisi mission par hai apni bejati ka badla leni ki or kahi na kahi biwi isliye ab ye kar rahi ki vo kisi or ke sath humbistar ho sake or pati ko jallelnkar sake or maa bhi yahi chati hai
जोरू का गुलाम भाग ४३


मम्मी

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और जब वो मम्मी के पास लौटे तो ढेर सार काम उनका इन्तजार कर रहे थे।


पहला तो शापिंग बैग खोलना ,

फिर सामान अरेंज करना।

पहले तो साड़ियां वो भी एक दो नहीं पूरी चार , और साथ में मम्मी की क्विज़ उनसे ,

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बोल क्या है सिल्क ,कौन सा सिल्क कोस ,टसर,

और गनीमत थी उन्हें १० में १० मिले वरना आज मम्मी उनके सारे खानदान की,...



फिर बाकी कपडे ,

वो बोल तो नहीं रहे थे लेकिन हर पैकेट खुलते उन्हें लग रहा था शायद उनके लिए कुछ होगा ,लेकिन मेरा या मम्मी का सामान निकलता।

बिचारे और ऊपर से साडी हो



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या शलवार सूट ,मम्मी ट्राई उन्ही के ऊपर कर के देखतीं और फिर बोल देतीं ,


" देख ये कैसे लगेगा अच्छा न तेरी बीबी के ऊपर "

जब आखिरी पैकेट बचा था तो मम्मी ने सबसे कठिन काम उनको सौंप दिया ,

" अरे सुन ज़रा ये सब साड़ियां ड्रेसेज तहिया के कबर्ड में रख दो और फिर चाय ज़रा कड़क बना लाओ। "

बिचारे सब साड़ियों की तह हमने खोल के रख दी थी ,एक एक उन्होंने फिर से ठीक से अरेंज की।


मम्मी अपनी तेज निगाह से देख रही थीं उन्हें ,लेकिन इसमें भी उन्होंने कोई गलती नहीं की ,

और फिर थोड़ी देर में चाय।

उनकी निगाह बार बार उस अनखुले पैकेट की ओर दौड़ रही थी।

" तेरे माल के लिए लाये हैं , तूने मम्मी को उसकी साइज बतायी थी न ३२ सी बस एक दम उसी साइज की , चाहो तो उसे फोन कर के बता दो "

मैंने छेड़ा उन्होंने

लेकिन मम्मी भी उन्होंने जोर से घूरा मुझे , मम्मी की यही बात , ...




उनका बस चले तो हरदम आपने दामाद की ऐसी की तैसी ,लेकिन कोई दूसरा एक बोल ,बोल के तो दिखाए।


उन्होंने जोर से मुझे घूरा और चाय की प्लेटें मुझे ले जाने को बोला।

और जब मैं लौटी तो उनके पैकेट खुल चुके थे

टी शर्ट्स ,शर्ट , और एक दो फार्मल शर्ट भी।

मम्मी उनके पैकेट खोलने के बाद उन्हें खोलने पे तुली थीं।

"अरे तेरा सब कुछ देख तो चुकी हैं हम दोनों ,चल पहन के दिखा न। "


वो पीछे पड़ीं थीं। उनके हाथ में टी शर्ट थी एक हाथ ,आफ कोर्स पिंक।

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जब उन्होंने पहन लिया तो मैंने शीशे में दिखाया , पीछे का हिस्सा, उसपर लिखा था ," प्योर बॉटम। "

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बाकी टी शर्ट्स भी पिंक थी और सब पे इसी तरह, ' लव बोनी थिंग्स , हार्डर द बेटर " " कम इन हार्ड " इसी तरह के एक से एक।


और फिर जीन्स जो लेडीज थी और मम्मी ने एक कमजोर सा बहाना बनाया ,


" तेरा नम्बर नहीं मालुम था तो इसी के नाप का ले लिया , वैसे भी तू इसके सारे कपडे तो पहनता ही रहता है। "

यहाँ तक तो गनीमत थी लेकिन मम्मी ने उनको वो जीन्स पहना भी दी।

सच बोलूं तो पिंक टी और जीन्स में बहुत मस्त लग रहे थे। उनका बबल बॉटम एकदम चिपका साफ़ साफ़ झलक रहा था।

बॉक्सर शार्ट्स ,साटन के ,मेल थांग और भी उस तरह की मेल लिंजरी


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इसके अलावा और भी ट्रिंकेट थे ,दो बियर के मग्स भी मम्मी ने इनके लिए , लिए थे , एक पर एम् सी लिखा था और दूसरे पर बी सी।

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" मेरी समधन और इसकी ननद के ऊपर चढ़ने में तो अभी कुछ टाइम है तो तब तक , इसी से गम गलत करना। "


मम्मी ने बड़े गंभीर ढंग से उनसे बोला।

सामान समेटते हुए उन्हें लगा की काम ख़तम हो गया लेकिन मम्मी तो मम्मी है न।


उन्होंने लगा दिया काम पे ,

" अभी तो खाना में देर है ,सुन वो चारों साड़ियां हैं न उन पे ज़रा फाल टांक दे। सुबह तूने बहुत अच्छा टांका था ,बस वैसे। "

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और मेरा हाथ पकड़ के मम्मी उठ गयी ,हम दोनों लाउंज में आगये थे उनका कुछ सीरियल छूटा हुआ था

एक डेढ़ घंटे बाद फाल टाकने का काम ख़तम हुआ ,फिर माम को अचानक जल्दी लग गयी।

वो किचेन में कुछ स्नैक्स बना रहे थे की मम्मी ने मुझे भी भेज दिया।

" ज़रा तू भी हेल्प करा दे न जल्दी हो जायेगी। "

घडी की ओर देखते वो बोलीं।

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और कुछ देर में खुद भी किचेन में दाखिल हो गयीं , बोलीं

" अरे सवा आठ बज रहे हैं ,बोलो कुछ हेल्प करना हो मैं करा दूँ। "

" मम्मी आज आप को बड़ी जल्दी मच रही है ,कोई खास बात है क्या "


मैंने चिढाया उन्हें।

" हाँ हैं न बड़ी ख़ास बात है आज " उनके नितम्बो को सहलाते हुए उन्होंने अपना इरादा जाहिर कर दिया।


वो ब्लश कर रहे थे। पर मम्मी उनके ईयर लोब्स से अपने होंठ छुलाती बोलीं ,

" कुछ लाइट बना लो ,कुछ भी पर जल्दी। मैं हेल्प करा देती हूँ। पराठा सास भी चलेगा। "

" मम्मी आज तो आप का कोई सीरियल भी नहीं आता है न तब भी ,... " पराठे के लिए आटा गूंथते मैं बोलीं।




मम्मी का हाथ अभी भी उनके नितंबों पर था ,एक ऊँगली उन्होंने जोर से बीच की दरार में घुसाते हुए बोला ,

" है न , आज हम सब खुद सीरियल बनाएंगे , एकदम हॉट। "




लेकिन पंद्रह मिनट में उनकी प्लानिंग फेल हो गयी। बड़ा लंबा सा मुंह मम्मी ने लटकाया लेकिन ,
pyar
 
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bstyhw

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Thanks so much for the nice words. I feel no brickbats means bouquets. I realise that Hinglish generates more views as it expands the readers base, but I am not comfortable writing or reading Hinglish. I prefer to express myself either in Hindi or in English. Secondly, I feel only making views or likes as a criterion for what i write is doing commodification of story.

readers like you are rare and it gladdens my heart when once in a blue moon, dame luck smiles on me and some discerning reading like you bless the thread with his presence. Please keep on gracing this thread, Thanks .
Amazed by the humbleness, with which you took the compliment.

When immaculate writing is backed with the will to write for a purpose, it indeed turns into a story this magnificent. Keep up the good work.
 
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komaalrani

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Hope ap bura nahi manegi maine abhi shuru kiya hai mere coments kabhi bure bhi ho sakte hai asha karta hu ap ko bura nahi lagega
Ekdam nahi

ap samay nikaal ke story ko padh rahe hain aur jis part pe jaisa bhi lag rha hai us ke baare men likh rahe hain to ye to acchi baat hai

story ilkhne ke baad vo readers ki ho jaati hai , isliye main apni story ko na defend karti hun na justify , acchi to readers ki aur nahi acchi to readers ki

ek baar fir se thanks
 
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komaalrani

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ayush01111

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Ekdam nahi

ap samay nikaal ke story ko padh rahe hain aur jis part pe jaisa bhi lag rha hai us ke baare men likh rahe hain to ye to acchi baat hai

story ilkhne ke baad vo readers ki ho jaati hai , isliye main apni story ko na defend karti hun na justify , acchi to readers ki aur nahi acchi to readers ki

ek baar fir se thanks
Ek baat janna tha kya sach me patni apne pati se pyar karti hai ki shirf ek shart jitne ke liye vo ye sab kar rahi hai kya vo abhi apne pati ko dusri aurto ke sath sula kar usko baad me insult feel kareygi or use gay bane par majboor karegi
 
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