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ऐसा करने से पति उनकी मुट्ठी में है ऐसी फीलिंग आती है...Ho badi hi chalak didi jiju ka naam ni bataya
Waise aap bolti hai ki pati ka name ni lete hai hindustan main
Aap didi bol ni sakti hai lihk tu sakti hai name jaise mahend wale hath main lihkti hai
अभी तक कोमल जी आपके जीजू के कितनी बार मोटे डंडे लगवा चुकी है.Didi main apne lovely jiju ko bol ker aap ko dande lag wa gi
बस स्वर्ग यहीं है.. यहीं है... यहीं है....रिमझिम रिमझिम बारिश हो,गीली गीली, भीगी
गर्म गर्म पकौड़ियाँ हो
पकौड़ियों से भी गरम और बारिश से भी भीगी साली हों
और एक टीनेजर,
और क्या चाहिए
लगता है कोचिंग में कोंच दिया जाएगा...और इस का फायदा कोचिंग की पार्टी में नजर आएगा
भाभी तो बाहर से गुड्डी को पिक भी कर चुकी हैं...कोमल मैं इस कहानी में बातचीत करने से कुछ बातें हल होती हैं जब गुड्डी कोचिंग में उसकी भाभी उसका भैया जाएंगे कोचिंग के लड़के क्या कह कर पुकरेंगे कोमल में नाराज मत होना सवाल आ जाता है तो पूछलेते हैं कोमल मैं जब आप सवालों को उत्तर देती हैं तो कहानी पढ़ने में दिक्कत नहीं होता बहुत-बहुत धन्यवाद
कामयाबी का दूसरा नाम रीनू...अरे जीजू की गोद में उनके खड़े खूंटे पर उनकी जवान होती टीनेजर बहिनिया, सबके सामने बैठे, खुल के चुम्मा चाटी करे,
इससे अच्छा स्साली के लिए क्या होगा, और वैसे भी जीजू को पिछवाड़े का स्वाद लगवाने की और खास तौर से उनके मायकेवलियों के पिछवाड़े की, जिम्मेदारी तो उनकी साली साहिबा ने ही ली थी और कामयाब भी हुयी।
बीवी.. सास .. साली.. मंजू .. गीता और फिर खुद की बहन पे हाथ साफ के बाद बदलाव तो आना बनता है...एकदम सही कहा आपने
खुले में वो भी बहन का और वो भी एक कच्ची किशोरी और उस का पिछवाड़ा और सबके सामने
उस से पता चलता है कितना बदल गए हैं ये ,
हम सब को देख देख के बहुत मजा आ रहा था
पर जीजू लोगों के जाने के बाद कहानी में एक बदलाव आने वाला है।
मौका निकालना पड़ता है...और क्या
उनके हिस्से, उनकी बहन और स्साली तो मेरे हिस्से मेरे जीजू और आज तो आखिरी रात जीजू के संग फिर पता नहीं कब मिलें
बदलाव हीं सतत है..कहानी में बदलाव
पिछली कई पोस्टों से मैं जिक्र कर रही थी कहानी में बदलाव आने वाला है तो बस अगली पोस्ट शुरू करने से पहले दो तीन बातें बता दूँ
१ अब तक मैं कोशिश कर रही थी की जो कुछ हुआ उसी घटनाक्रम में हरदिन की बात, और फिर अगले दिन की, लेकिन थोड़ा सा इस क्रम में बाधा पड़ेगी, जैसे अभी तक पोस्ट २१५ से पोस्ट २३३ तक जीजू के आने के बाद की घटनाओं का जिक्र था, लेकिन एक बात थी जो उन के आने के पहले की थी जिसका थोड़ा सा इशारा मैंने पोस्ट २१ ३ में किया भी था, लेकिन अब शायद उसे दुहराना याद दिलाना पड़े क्यों की पोस्ट २१३ नया दिन नयी सुबह पिछले साल दिसंबर में पोस्ट हुयी थी और आगया दिसंबर २४ और वहीँ से फिर से बात शुरू करनी है इसलिए। और अगली पोस्ट यानी २१४ में गुड्डी को छोड़ने गयी थी तो बोला भी था गुड्डी से
" अच्छा तुझे अकेले आने की जरूरत नहीं , तेरा खसम किस बात के लिए है ,..." और बात साफ़भी कर दी " तेरा बचपन का यार , तेरे भइया ,... वो आ जाएंगे तुझे ६ बजे लेने ,... "
जब डेढ़ बजे वो फ्लाइट में बैठे ही थे , उसी समय मैं, ने उन्हें बोल दिया था और ये भी की
अपनी बहन को अंदर भेज कर , गाडी पार्क कर के , पांच छ मिनट के बाद ही अंदर घुसेंगे।
तो बस अब अगले भाग में कहानी फिर मुड़ के उस जगह पहुँच जायेगी जिस दिन जीजू लोग आये थे और जीजू लोगों का किस्सा तो इत्ते विशार में बता दिया तो उसी पार्ट में जीजू लोगों के जाने के बाद की कहानी चलेगी
२ दूसरा फरक ये आएगा की कहानी अब तक फर्स्ट परसन में मैं सुना रही थी लेकिन अब कहानी की जगह एक साथ कई जगहों पर होगी तो सेकेण्ड और थर्ड परसन में भी होगी
३ अब कहानी करीब करीब वहां पहुँच गयी हैं जहाँ पिछला फोरम बंद हुआ था, दो तीन भाग शायद पोस्ट भी हुआ था लेकिन एकदम आखिरी दिनों में जिसे कम लोगों ने पढ़ा और धुंधली सी याद है तो बस अब कहानी वहां पहुँच गयी है
लेकिन कहने वाली वही है, कहानी भी उन्ही लोगो की और पढ़ने वाले भी तो बस आपका प्यार दुलार आशीष मिलता रहेगा यही कामना है।
डॉ राजीजेक्सी ने एक कहानी लिखी "रिश्तों में हसीन बदलाव"भाग २३४
कहानी में बदलाव
पिछली कई पोस्टों से मैं जिक्र कर रही थी कहानी में बदलाव आने वाला है तो बस अगली पोस्ट शुरू करने से पहले दो तीन बातें बता दूँ
१ अब तक मैं कोशिश कर रही थी की जो कुछ हुआ उसी घटनाक्रम में हरदिन की बात, और फिर अगले दिन की, लेकिन थोड़ा सा इस क्रम में बाधा पड़ेगी, जैसे अभी तक पोस्ट २१५ से पोस्ट २३३ तक जीजू के आने के बाद की घटनाओं का जिक्र था, लेकिन एक बात थी जो उन के आने के पहले की थी जिसका थोड़ा सा इशारा मैंने पोस्ट २१ ३ में किया भी था, लेकिन अब शायद उसे दुहराना याद दिलाना पड़े क्यों की पोस्ट २१३ नया दिन नयी सुबह पिछले साल दिसंबर में पोस्ट हुयी थी और आगया दिसंबर २४ और वहीँ से फिर से बात शुरू करनी है इसलिए। और अगली पोस्ट यानी २१४ में गुड्डी को छोड़ने गयी थी तो बोला भी था गुड्डी से
" अच्छा तुझे अकेले आने की जरूरत नहीं , तेरा खसम किस बात के लिए है ,..." और बात साफ़भी कर दी " तेरा बचपन का यार , तेरे भइया ,... वो आ जाएंगे तुझे ६ बजे लेने ,... "
जब डेढ़ बजे वो फ्लाइट में बैठे ही थे , उसी समय मैं, ने उन्हें बोल दिया था और ये भी की
अपनी बहन को अंदर भेज कर , गाडी पार्क कर के , पांच छ मिनट के बाद ही अंदर घुसेंगे।
तो बस अब अगले भाग में कहानी फिर मुड़ के उस जगह पहुँच जायेगी जिस दिन जीजू लोग आये थे और जीजू लोगों का किस्सा तो इत्ते विशार में बता दिया तो उसी पार्ट में जीजू लोगों के जाने के बाद की कहानी चलेगी
२ दूसरा फरक ये आएगा की कहानी अब तक फर्स्ट परसन में मैं सुना रही थी लेकिन अब कहानी की जगह एक साथ कई जगहों पर होगी तो सेकेण्ड और थर्ड परसन में भी होगी
३ अब कहानी करीब करीब वहां पहुँच गयी हैं जहाँ पिछला फोरम बंद हुआ था, दो तीन भाग शायद पोस्ट भी हुआ था लेकिन एकदम आखिरी दिनों में जिसे कम लोगों ने पढ़ा और धुंधली सी याद है तो बस अब कहानी वहां पहुँच गयी है
लेकिन कहने वाली वही है, कहानी भी उन्ही लोगो की और पढ़ने वाले भी तो बस आपका प्यार दुलार आशीष मिलता रहेगा यही कामना है।