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जोरू का गुलाम -भाग ३३८
War I - शेयर मार्केट में मारकाट
34,01,300
बुधवार -बम्बई
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वो चरनी रोड के पास एक शेडी से होटल में रुके ,
और बहुत सुबह ,... साढ़े छह बजे ग्रांट रोड स्टेशन के सामने ( ईस्ट साइड ) बी मेरवान की दूकान पर , बन मस्का , मावा केक और चाय पीते हुए , वहीँ एक बार फिर उस काउंटर इंटेलिजेंस वाले से ,... और ढेर सारी इन्फॉर्मेंशन ,... वो साथ में ये भी चेक कर रहा था की इनकी मीटिंग्स के बारे में कोई इन्फो अपोजिट कैम्प में तो नहीं पहुंची।
बी मेरवान, १०० साल से भी ज्यादा पुरानी, ईरानी चाय की दूकान जहाँ चाय से ज्यादा मावा केक मशहूर है और सुबह ६ बजे से ही लाइन लग जाती, हैं, ग्रांट रोड स्टेशन से उतरने वाले, रात की पाली ख़तम कर जाने वाले, आस पास के लोग , सुबह की पहली चाय के लिए यहाँ लाइन में लगे रहते हैं। और मावा केक के चाहने वाले तो आसपास से ही नहीं बल्कि दूर से भी आते हैं, तो यहीं पर तय हुयी मिलने की बात,
चरनी रोड स्टेशन के बाद ग्रांट रोड बस अगला ही लोकल स्टेशन है वेस्टर्न लाइन पे मुम्बई सेंट्रल की ओर तो वहीँ सुबह सुबह,
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और उस भीड़ में कोई सोच भी नहीं सकता था, कितने काम की बात हुयी।
सुबह से तीन चार काम की बातें मैंने सोच रखी थी, पहले तो बीयर कार्टेल, जो लोग शेयर बाजार में मंदी लाते हैं, उनके बारे में जितना पता चल जाए, असल में उनको कंट्रोल करना सिर्फ हम लोगो के लिए जरूरी नहीं है, मुझे अब तक लग गया है जो सरकार में आर्थिक व्यवस्था की पेंच अपने हाथ में रखते हैं वो भी चाहते हैं इन्वेस्टमेंट हो, शेयर मार्केट में और इकोनामी के प्रति एक पॉजिटिव अप्रोच बाजार में और लोगो के मन में जागे, इसके लिए शेयर बाजार में ज्यादा नहीं लेकिन थोड़ा उछाल होना चाहिए, और मार्केट के रेगुलेटर, सेबी के लोग भी उन पर नकेल कसना चाहते हैं पर उनकी भी मज़बूरी है और उन्हें डाक्यूमेंट चाहिए, फिर कल उसने बोला भी था की दो चार दिन के लिए तो वो एक दो की ट्रेडिंग रोक सकते हैं, लेकिन उससे ज्यादा नहीं। वो कोर्ट से स्टे ले आते हैं।
कल उस 'बुल' के यहाँ से निकलते ही मुझे इन्फो मिल गयी थी की आज बीयर कार्टेल का जो मुखिया है वो शायद खुद मैदान में आएगा हम लोगो के खिलाफ।
दूसरी बात थी, कम्पनी के जो दो डायरेक्टर राइवल कम्पनी से मिल गए थे उन्हें हैंडल करने के हथियार तो थे, एक की बीबी का चक्कर था दूसरी की बेटी का और उसके खुद के भी बहुत घपले थे और ये बातें कल मैंने मिस्टर दीर्घलिंगम को बता दी थीं और आज उन्हें हैंडल करना था। लेकिन उनको हैंडल करने के लिए उन्हें डॉक्यमेंटरी एविडेंस चाहिए थे, वीडियो, ऑडियो जिससे सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे । और सबसे पापिन तो वो कम्पनी सेक्रेटरी थी, उसका जहर निकालने का भी जुगाड़ होना था। और यह सब डाकुमेंट आफिस के पहले ही मिस्टर दीर्घलिंगम को मिल जाना था।
और सबसे जरूरी बातें थी मुझे कुछ सर्वेलेंस वाले चाहिए थे जो मुझे ही सीधे रिपोर्ट करें, मैं मिसेज महालिंगम या उनकी बेटी के मामले में प्राइवेसी मेंटेन करना चाहता था, और वो दोनों मामले मुझे ही हैंडल करने थे और वो भी शाम पांच बजे के पहले नहीं।
और तीसरा मावा केक खत्म करने के पहले वो तीनो काम हो गए। मुश्किल से दस मिनट काउंटर इंटेलिजेंस वाले से बात हुयी, एक मोबाइल फोन वो मेरे लिए लाया था बस उसी में सब डाटा था। और सर्वेलेंस के लिए वहीँ उसने मीटिंग फिक्स कर दी, साढ़े सात बजे स्टेडियम रेस्टोरेंट में, चर्चगेट के पास।
उसके जाने के बाद मैंने एक मावा केक और खाया और एक पैक भी कराया। और वो डाटा यथायोग्य सात बजे तक भेज दिया , शेयर के दाम करने वाले कार्टेल के बारे में काफी अंदरूनी जानकारी मिल गयी थी और अब मुझे अगली मीटिंग के लिए निकलना था ।
साढ़े सात बजे, स्टेडियम रेस्टोरेंट, चर्चगेट, में मिलना था और चरनी रोड से मैंने फिर चर्च गेट के लिए लोकल पकड़ी, मुश्किल से पांच मिनट का रास्ता , चरनी रोड, मरीन लाइंस और फिर चर्च गेट।
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स्टेडियम रेस्टोरेंट, एकदम खुला खुला, इंडियन मर्चेंट चैंबर से सटा हुआ, पारसी रेस्टोरेंट, और सुबह का समय चर्च गेट आनेवालों की भीड़ अभी पीक पर नहीं पहुंची थी, लेकिन विरार की और से आने वाली लोकल हजारों लोगों को साऊथ मुम्बई ला रही थीं और वहां से वो बस, टैक्सी, कुछ पैदल, किसी को किसी से कोई मतलब नहीं, और इसी समय मैं जब स्टेडियम रेस्टोरेंट में घुसा तो वो पहले से वहां था, लाल टोपी, हाथ में मराठी अखबार लोकमत, और पहुंचते ही आर्डर उसी ने दे दिया और जैसे बहुत दोनों के बाद के दोस्त मिले हों, लेकिन बात सीधे काम पर आ गयी।
मैंने मोबाइल में उस लड़की की पिक दिखाई, जो मिसेज दीर्घलिंगम के पीछे पड़ी थी,
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देखने में एकदम कच्ची कली लगती थी
और उसके पास मिसेज दीर्घलिंगम की पिक्स थी और आज शाम को पांच बजे वो कुछ वोमेन एन जी ओ के साथ पहले कोलाबा थाने, फिर कफ परेड में उनके फ़्लैट पे, मिडिया, पहले से होती। पुलिस, एनजीओ और मिडिया वाले पहले से सेट थे, हाँ उन्हें ये नहीं बताया गया था की शिकायत कौन करेगा और फंसाना किसको है, ये पांच बजे के बाद ही पता चलता। लेकिन ये सब मैंने उसे नहीं बताया है।
उसने फोटो देख के सिर्फ ये पूछा,
"उठाना है ? लोकेशन।"
मैंने हाँ और नहीं दोनों में सर हिलाया और पूरा आपरेशन समझा दिया। पहले सिर्फ सर्वेलेंस, और चार बजे के आसपास, उठा लेना है, लेकिन कुछ करना नहीं है। सिर्फ २४ घंटे तक कहीं रखना है और फिर छोड़ देना है।
वो समझ गया, मैंने पोसोसिबल लोकेशन भी बता दी, कफ परेड के पास की ही झोपड़ पट्टी में, गली का नंबर भी। उसने फोटो अपने फोन में ले और चाय ख़तम करने के पहले बता दिया, पहले एक स्पा में थी, अभी एक एस्कॉर्ट एजेंसी के पास है । अभी नाना चौक के पास एक होटल में गयी है और दस बजे तक खोली में लौटती है, दिन भर वहीँ रहेगी और आपको डाटा भी चाहियेगा तो वो भी मैं निकाल लूंगा और डिवाइसेज खाली कर दूंगा।
आज बुधवार शुरू हो गया था और ये दिन बहुत अहम् था।
उनकी कम्पनी के लिए और उससे भी बढ़के इनके लिए , अगर इनकी कम्पनी डूबती तो साथ में ये भी और जो एक्वायर करता वो इनकी जॉब तो लेता ही आगे के लिए भी कांटे बोता। उन्हें टाउनशिप छोड़ना पड़ता, ये, गुड्डी और उसकी भाभी, और जो पॉजिशन इस कम्पनी में मिल गयी थी वो तो सपने में भी कहीं नहीं मिल पाती, डिप्रेशन का टाइम था, पांच छह महीना तो घर बैठना मामूली बात थी, हफ्ते भर में ही घर खाली करना पड़ता
पर दिमाग से एक झटके से उन्होंने उस अवसाद को निकाल दिया
होगी जीत, जरूर होगी जीत और ऐसी जीत होगी की अगली बार कोई सोचेगा भी नहीं कुछ करने की।
स्टेडियम रेस्टोरेंट से निकल कर वो एस्टोरिया होटल में घुस गए, एक छोटा सा लेकिन बहुत ही कम्फर्टबेल और पुराना होटल था साउथ बॉम्बे का, चर्चगेट स्टेटशन के एकदम बगल मे। कल जब उनकी एल आई सी से मीटिंग थी, उसी समय उन्होंने इस होटल में चेक इन कर लिया था, लेकिन रात में रुके थे वो चरनी रोड के पास एक छोटे से होटल में। पर आज दिन की सब एक्टिविटी साउथ मुंबई में ही है तो वापस वो एस्टोरिया में आ गए।
बस एक मीटिंग और बची थी, लेकिन वो भी पास में ही थी, और अभी आधे घंटे टाइम था। एरोस थियेटर के पास जहाँ चर्चगेट स्टेशन का सब वे निकलता है, एक अखबार वाले से उन्होंने सब इकोनामिक अखबार ले लिए, इकोनॉमिक टाइम्स, फायनेंसियल एक्सप्रेस और मिंट, और एक दो पेपर और।
होटल के कमरे में चाय पीते हुए अखबार खोला, टीवी लगाया और ख़ुशी से उछल पड़े, अब बयार थोड़ा उनलोगों की ओर बहने लगी थी।
टीवी में नीचे न्यूज रनर चल रहा था,
" सुबह सुबह ई डी का छापा, चार बड़े शेयर मार्केट से जुड़े लोगों के यहाँ " और जब एक दो और चैनल देखे तो नाम पता चल गया।
वही जिनके नाम उन्हें सुबह सुबह मिले थे, जो बीयर किंग था, सट्टा बाजार में मंदी को सपोर्ट करने वाला, और उसके तीन प्रमुख साथी, अभी साढ़े छह बजे सुबह ही तो उन्होंने आधे दर्जन से ऊपर शेयर मार्केट वालों के बारे में डाटा ट्रांसफर किया था।
पहला हमला इन लोगों का आठ बजे शुरू हुआ , एन्फोर्समेंट डायरेक्टोरेट ने उस बीयर वाले ट्रेडर्स के यहाँ जो मार्केट में मंदी का एक्सपर्ट था , उसके यहाँ छापे मारने शुरू किये , और वही खबर टीवी में आ रही थी और उसका असर मार्केट पर जरूर पड़ेगा और बाकी लोग भी जो इन के साथ मिलकर मार्केट को गिराने की कोशिश कोशिश करते थोड़ा तो सहम जाते, और सिर्फ उनकी कम्पनी के शेयर के दाम नहीं गिरते बल्कि और लोगों के भी उसको रोकने के लिए अगर इनकी कंपनी शेयर वापस खरीदना शुरू करती तो उसके लिए बहुत फंड चाहिए था, अभी सवाल था इन लोगो ने जो वार चेस्ट जोड़ा था उससे क्या हो पायेगा, लेकिन अब ये झटका निश्चित रूप से हेल्प करेगा
साढ़े नौ बजे , सेबी ने उस बीयर वाली कम्पनी के ट्रेडिंग राइट्स एक हफ्ते के लिए सस्पेंड किये ,
पर उससे पहले दो और मीटिंग हो गयी, एक तो टी सेण्टर में, स्टेडियम रेस्टोरेंट के पास ही, स्टैनफोर्ड का पढ़ा, बहुत दिन तक स्टैनले मॉर्गन में काम किया, फिर वॉल स्ट्रीट जर्नल में, लेकिन देश की माटी की पुकार और देसी लड़की का चक्कर, वापस हिन्दुस्तान और अब बिजनेस कंसल्टेंसी के साथ कई बिजनेस साइट्स से जुड़ा और शेयर मार्केट की एडवाइस भी इंटरनेट पर,
कल जिस लड़की के साथ दिल्ली एयरपोर्ट पर बात हुयी थी, उसी ने ये कांटेक्ट बताया था और रात में ही ये मीटिंग फिक्स हुयी थी। ये भी मंदी लाने वाले लोगो के खिलाफ था लेकिन उससे भी बढ़कर मार्केट इंटेलिजेंस उसकी पक्की थी और वर्ड ऑफ़ माउथ पब्लिसिटी के लिए भी वो जाना जाता था, उसके कालम के ६४ हजार फॉलोअर थे।
उसकी सूचना थी,
की आज मार्केट में क्रैश होने के पूरे चांसेज थे
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और उनकी कम्पनी पर जबरदस्त रेड होनेवाली थी और हो सका तो एक्वायर करने वाले शाम तक अपना दावा पेश कर दें, लेकिन उनके काउंटर अटैक की सुनगुन भी मार्केट में है और सुबह इंफोर्स्मेंट डायरेक्ट्रोरेट की रेड से भी मंदी वालों की आंच थोड़ी मंद पड़ी है,
और अगर इस रेड के बेसिस पर कुछ शेयर मार्केट वालों की ट्रेडिंग सेबी वाले रोक देंगे तो उनके पास सपोर्ट कम हो जाएगा और अगर कहीं बैंक ने उनके खाते सीज कर दिए, जिससे वो शेयर बाद में खरीदेंगे, तो उनका वार चेस्ट भी कम हो जाएगा और सबसे बड़ी बात मार्केट भी बड़े इन्वेस्टर्स को देखता है, तो इंस्टीयूशनल इन्वेस्टर्स क्या करते हैं ये भी लोग देखेंगे।
अक्सर जब बहुत उठा पटक होती है तो गवरमेंट के लोग दूर रहते हैं, पर वो अगर साथ आएंगे तो मार्केट का मूड बदलते देर नहीं लगेगी।
कुछ टिप मैंने उसे दी, कुछ उससे ली और कुछ बातें बोली, १२ बजे के बाद फूफसूसाहट के साथ मार्केट में फ़ैलाने के लिए।
एक हैकर से भी डार्क वेब पर जाकर कुछ काम की बातें हुयी।
और साढ़े नौ बजे सेबी ने चार बीयर वालो की ट्रेडिंग रोक दी, जिनके यहाँ छापा पड़ा था और छह को नोटिस दे दी, ये सारे लोग उस कार्टेल के मेंबर थे और इन्हे भी सिर्फ २४ घंटे का समय दिया। कुछ कंपनियों को इनसाइडर ट्रेडिंग के लिए भी नोटिस पकड़ा दी गयी।
War I - शेयर मार्केट में मारकाट
34,01,300
बुधवार -बम्बई
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वो चरनी रोड के पास एक शेडी से होटल में रुके ,
और बहुत सुबह ,... साढ़े छह बजे ग्रांट रोड स्टेशन के सामने ( ईस्ट साइड ) बी मेरवान की दूकान पर , बन मस्का , मावा केक और चाय पीते हुए , वहीँ एक बार फिर उस काउंटर इंटेलिजेंस वाले से ,... और ढेर सारी इन्फॉर्मेंशन ,... वो साथ में ये भी चेक कर रहा था की इनकी मीटिंग्स के बारे में कोई इन्फो अपोजिट कैम्प में तो नहीं पहुंची।
बी मेरवान, १०० साल से भी ज्यादा पुरानी, ईरानी चाय की दूकान जहाँ चाय से ज्यादा मावा केक मशहूर है और सुबह ६ बजे से ही लाइन लग जाती, हैं, ग्रांट रोड स्टेशन से उतरने वाले, रात की पाली ख़तम कर जाने वाले, आस पास के लोग , सुबह की पहली चाय के लिए यहाँ लाइन में लगे रहते हैं। और मावा केक के चाहने वाले तो आसपास से ही नहीं बल्कि दूर से भी आते हैं, तो यहीं पर तय हुयी मिलने की बात,
चरनी रोड स्टेशन के बाद ग्रांट रोड बस अगला ही लोकल स्टेशन है वेस्टर्न लाइन पे मुम्बई सेंट्रल की ओर तो वहीँ सुबह सुबह,
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और उस भीड़ में कोई सोच भी नहीं सकता था, कितने काम की बात हुयी।
सुबह से तीन चार काम की बातें मैंने सोच रखी थी, पहले तो बीयर कार्टेल, जो लोग शेयर बाजार में मंदी लाते हैं, उनके बारे में जितना पता चल जाए, असल में उनको कंट्रोल करना सिर्फ हम लोगो के लिए जरूरी नहीं है, मुझे अब तक लग गया है जो सरकार में आर्थिक व्यवस्था की पेंच अपने हाथ में रखते हैं वो भी चाहते हैं इन्वेस्टमेंट हो, शेयर मार्केट में और इकोनामी के प्रति एक पॉजिटिव अप्रोच बाजार में और लोगो के मन में जागे, इसके लिए शेयर बाजार में ज्यादा नहीं लेकिन थोड़ा उछाल होना चाहिए, और मार्केट के रेगुलेटर, सेबी के लोग भी उन पर नकेल कसना चाहते हैं पर उनकी भी मज़बूरी है और उन्हें डाक्यूमेंट चाहिए, फिर कल उसने बोला भी था की दो चार दिन के लिए तो वो एक दो की ट्रेडिंग रोक सकते हैं, लेकिन उससे ज्यादा नहीं। वो कोर्ट से स्टे ले आते हैं।
कल उस 'बुल' के यहाँ से निकलते ही मुझे इन्फो मिल गयी थी की आज बीयर कार्टेल का जो मुखिया है वो शायद खुद मैदान में आएगा हम लोगो के खिलाफ।
दूसरी बात थी, कम्पनी के जो दो डायरेक्टर राइवल कम्पनी से मिल गए थे उन्हें हैंडल करने के हथियार तो थे, एक की बीबी का चक्कर था दूसरी की बेटी का और उसके खुद के भी बहुत घपले थे और ये बातें कल मैंने मिस्टर दीर्घलिंगम को बता दी थीं और आज उन्हें हैंडल करना था। लेकिन उनको हैंडल करने के लिए उन्हें डॉक्यमेंटरी एविडेंस चाहिए थे, वीडियो, ऑडियो जिससे सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे । और सबसे पापिन तो वो कम्पनी सेक्रेटरी थी, उसका जहर निकालने का भी जुगाड़ होना था। और यह सब डाकुमेंट आफिस के पहले ही मिस्टर दीर्घलिंगम को मिल जाना था।
और सबसे जरूरी बातें थी मुझे कुछ सर्वेलेंस वाले चाहिए थे जो मुझे ही सीधे रिपोर्ट करें, मैं मिसेज महालिंगम या उनकी बेटी के मामले में प्राइवेसी मेंटेन करना चाहता था, और वो दोनों मामले मुझे ही हैंडल करने थे और वो भी शाम पांच बजे के पहले नहीं।
और तीसरा मावा केक खत्म करने के पहले वो तीनो काम हो गए। मुश्किल से दस मिनट काउंटर इंटेलिजेंस वाले से बात हुयी, एक मोबाइल फोन वो मेरे लिए लाया था बस उसी में सब डाटा था। और सर्वेलेंस के लिए वहीँ उसने मीटिंग फिक्स कर दी, साढ़े सात बजे स्टेडियम रेस्टोरेंट में, चर्चगेट के पास।
उसके जाने के बाद मैंने एक मावा केक और खाया और एक पैक भी कराया। और वो डाटा यथायोग्य सात बजे तक भेज दिया , शेयर के दाम करने वाले कार्टेल के बारे में काफी अंदरूनी जानकारी मिल गयी थी और अब मुझे अगली मीटिंग के लिए निकलना था ।
साढ़े सात बजे, स्टेडियम रेस्टोरेंट, चर्चगेट, में मिलना था और चरनी रोड से मैंने फिर चर्च गेट के लिए लोकल पकड़ी, मुश्किल से पांच मिनट का रास्ता , चरनी रोड, मरीन लाइंस और फिर चर्च गेट।
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उसने फोटो देख के सिर्फ ये पूछा,
"उठाना है ? लोकेशन।"
मैंने हाँ और नहीं दोनों में सर हिलाया और पूरा आपरेशन समझा दिया। पहले सिर्फ सर्वेलेंस, और चार बजे के आसपास, उठा लेना है, लेकिन कुछ करना नहीं है। सिर्फ २४ घंटे तक कहीं रखना है और फिर छोड़ देना है।
वो समझ गया, मैंने पोसोसिबल लोकेशन भी बता दी, कफ परेड के पास की ही झोपड़ पट्टी में, गली का नंबर भी। उसने फोटो अपने फोन में ले और चाय ख़तम करने के पहले बता दिया, पहले एक स्पा में थी, अभी एक एस्कॉर्ट एजेंसी के पास है । अभी नाना चौक के पास एक होटल में गयी है और दस बजे तक खोली में लौटती है, दिन भर वहीँ रहेगी और आपको डाटा भी चाहियेगा तो वो भी मैं निकाल लूंगा और डिवाइसेज खाली कर दूंगा।
आज बुधवार शुरू हो गया था और ये दिन बहुत अहम् था।
उनकी कम्पनी के लिए और उससे भी बढ़के इनके लिए , अगर इनकी कम्पनी डूबती तो साथ में ये भी और जो एक्वायर करता वो इनकी जॉब तो लेता ही आगे के लिए भी कांटे बोता। उन्हें टाउनशिप छोड़ना पड़ता, ये, गुड्डी और उसकी भाभी, और जो पॉजिशन इस कम्पनी में मिल गयी थी वो तो सपने में भी कहीं नहीं मिल पाती, डिप्रेशन का टाइम था, पांच छह महीना तो घर बैठना मामूली बात थी, हफ्ते भर में ही घर खाली करना पड़ता
पर दिमाग से एक झटके से उन्होंने उस अवसाद को निकाल दिया
होगी जीत, जरूर होगी जीत और ऐसी जीत होगी की अगली बार कोई सोचेगा भी नहीं कुछ करने की।
स्टेडियम रेस्टोरेंट से निकल कर वो एस्टोरिया होटल में घुस गए, एक छोटा सा लेकिन बहुत ही कम्फर्टबेल और पुराना होटल था साउथ बॉम्बे का, चर्चगेट स्टेटशन के एकदम बगल मे। कल जब उनकी एल आई सी से मीटिंग थी, उसी समय उन्होंने इस होटल में चेक इन कर लिया था, लेकिन रात में रुके थे वो चरनी रोड के पास एक छोटे से होटल में। पर आज दिन की सब एक्टिविटी साउथ मुंबई में ही है तो वापस वो एस्टोरिया में आ गए।
बस एक मीटिंग और बची थी, लेकिन वो भी पास में ही थी, और अभी आधे घंटे टाइम था। एरोस थियेटर के पास जहाँ चर्चगेट स्टेशन का सब वे निकलता है, एक अखबार वाले से उन्होंने सब इकोनामिक अखबार ले लिए, इकोनॉमिक टाइम्स, फायनेंसियल एक्सप्रेस और मिंट, और एक दो पेपर और।
होटल के कमरे में चाय पीते हुए अखबार खोला, टीवी लगाया और ख़ुशी से उछल पड़े, अब बयार थोड़ा उनलोगों की ओर बहने लगी थी।
टीवी में नीचे न्यूज रनर चल रहा था,
" सुबह सुबह ई डी का छापा, चार बड़े शेयर मार्केट से जुड़े लोगों के यहाँ " और जब एक दो और चैनल देखे तो नाम पता चल गया।
वही जिनके नाम उन्हें सुबह सुबह मिले थे, जो बीयर किंग था, सट्टा बाजार में मंदी को सपोर्ट करने वाला, और उसके तीन प्रमुख साथी, अभी साढ़े छह बजे सुबह ही तो उन्होंने आधे दर्जन से ऊपर शेयर मार्केट वालों के बारे में डाटा ट्रांसफर किया था।
पहला हमला इन लोगों का आठ बजे शुरू हुआ , एन्फोर्समेंट डायरेक्टोरेट ने उस बीयर वाले ट्रेडर्स के यहाँ जो मार्केट में मंदी का एक्सपर्ट था , उसके यहाँ छापे मारने शुरू किये , और वही खबर टीवी में आ रही थी और उसका असर मार्केट पर जरूर पड़ेगा और बाकी लोग भी जो इन के साथ मिलकर मार्केट को गिराने की कोशिश कोशिश करते थोड़ा तो सहम जाते, और सिर्फ उनकी कम्पनी के शेयर के दाम नहीं गिरते बल्कि और लोगों के भी उसको रोकने के लिए अगर इनकी कंपनी शेयर वापस खरीदना शुरू करती तो उसके लिए बहुत फंड चाहिए था, अभी सवाल था इन लोगो ने जो वार चेस्ट जोड़ा था उससे क्या हो पायेगा, लेकिन अब ये झटका निश्चित रूप से हेल्प करेगा
साढ़े नौ बजे , सेबी ने उस बीयर वाली कम्पनी के ट्रेडिंग राइट्स एक हफ्ते के लिए सस्पेंड किये ,
पर उससे पहले दो और मीटिंग हो गयी, एक तो टी सेण्टर में, स्टेडियम रेस्टोरेंट के पास ही, स्टैनफोर्ड का पढ़ा, बहुत दिन तक स्टैनले मॉर्गन में काम किया, फिर वॉल स्ट्रीट जर्नल में, लेकिन देश की माटी की पुकार और देसी लड़की का चक्कर, वापस हिन्दुस्तान और अब बिजनेस कंसल्टेंसी के साथ कई बिजनेस साइट्स से जुड़ा और शेयर मार्केट की एडवाइस भी इंटरनेट पर,
कल जिस लड़की के साथ दिल्ली एयरपोर्ट पर बात हुयी थी, उसी ने ये कांटेक्ट बताया था और रात में ही ये मीटिंग फिक्स हुयी थी। ये भी मंदी लाने वाले लोगो के खिलाफ था लेकिन उससे भी बढ़कर मार्केट इंटेलिजेंस उसकी पक्की थी और वर्ड ऑफ़ माउथ पब्लिसिटी के लिए भी वो जाना जाता था, उसके कालम के ६४ हजार फॉलोअर थे।
उसकी सूचना थी,
की आज मार्केट में क्रैश होने के पूरे चांसेज थे
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और उनकी कम्पनी पर जबरदस्त रेड होनेवाली थी और हो सका तो एक्वायर करने वाले शाम तक अपना दावा पेश कर दें, लेकिन उनके काउंटर अटैक की सुनगुन भी मार्केट में है और सुबह इंफोर्स्मेंट डायरेक्ट्रोरेट की रेड से भी मंदी वालों की आंच थोड़ी मंद पड़ी है,
और अगर इस रेड के बेसिस पर कुछ शेयर मार्केट वालों की ट्रेडिंग सेबी वाले रोक देंगे तो उनके पास सपोर्ट कम हो जाएगा और अगर कहीं बैंक ने उनके खाते सीज कर दिए, जिससे वो शेयर बाद में खरीदेंगे, तो उनका वार चेस्ट भी कम हो जाएगा और सबसे बड़ी बात मार्केट भी बड़े इन्वेस्टर्स को देखता है, तो इंस्टीयूशनल इन्वेस्टर्स क्या करते हैं ये भी लोग देखेंगे।
अक्सर जब बहुत उठा पटक होती है तो गवरमेंट के लोग दूर रहते हैं, पर वो अगर साथ आएंगे तो मार्केट का मूड बदलते देर नहीं लगेगी।
कुछ टिप मैंने उसे दी, कुछ उससे ली और कुछ बातें बोली, १२ बजे के बाद फूफसूसाहट के साथ मार्केट में फ़ैलाने के लिए।
एक हैकर से भी डार्क वेब पर जाकर कुछ काम की बातें हुयी।
और साढ़े नौ बजे सेबी ने चार बीयर वालो की ट्रेडिंग रोक दी, जिनके यहाँ छापा पड़ा था और छह को नोटिस दे दी, ये सारे लोग उस कार्टेल के मेंबर थे और इन्हे भी सिर्फ २४ घंटे का समय दिया। कुछ कंपनियों को इनसाइडर ट्रेडिंग के लिए भी नोटिस पकड़ा दी गयी।
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