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Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

komaalrani

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जोरू का गुलाम भाग २३७

बंबई -मंगलवार रात

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३३,४६,२७९

करोल बाग़ के पास से एयर पोर्ट ,... एक आदमी बल्कि लड़की से उन्होंने मीटिंग प्रेस क्लब में रखी थी , पर उस लड़की ने खुद बोला की वो लाउंज में एयरपोर्ट पर मिल जायेगी ,

एक बात सीख ली थी, बल्कि दो बातें और उस प्रेस वाली लड़की से बातें करने में बहुत काम आयी।



पहली बात थी, बोलना कम, सुनना ज्यादा, हर शादी शुदा आदमी सीख लेता है लेकिन उसे आफिस में बिजनेस में इस्तेमाल करना सीखना एक अलग कला है। और साथ में सुनते हुए कान खोल के सुनना और उससे जो बोल रहा है उसके बारे में भी पता कर लेना

दूसरी बात थी, जो भी थोड़ा बहुत बोलना हो, उससे बोलने वाले को एनकरेज कर के अपने काम की बात निकलवा लेना


उस लड़की का ज्ञान, कॉन्टेक्ट्स और अगले दिन क्या होने वाला है, उसके बारे में अंदर की जानकारी अद्भुत थी।

वह एक सिंडिकेटेड कालम लिखती थी, ब्लूमबर्ग से लेकर मिंट और मनीकंट्रोल तक के लिए वो एक सिंडिकेटेड कालम लिखती थी, लेकिन उससे बड़ी बात ये थी की जो शेयर मार्केट के लिए राय देते थे, जिनकी राय की कदर झुनझुनवाला ऐसे लोग भी करते थे, जो बड़े बड़े फंड मैनेजर्स के पे रोल पे थे, ऐसे चार पांच लोग भी उससे राय लेते थे।



मुश्किल से २४-२५ साल की होगी, लेकिन १४-१५ साल की उम्र से वो स्टॉक मार्किट में घुस गयी थी, मैक्रो इकोनॉमिक्स में उसने स्टैनफोर्ड से पढ़ाई की, दो साल वाल स्ट्रीट में काम किया किसी हेज फंड, लेकिन इंडिपेंडेंट रहने की इच्छा , ....और देश की मिटटी के चक्कर में वापस मुंबई, लेकिन अभी उसने अपना अड्डा दिल्ली में बना लिया था, हाँ हफ्ते में दो तीन दिन मुम्बई,


एक बात उन्होंने सीख ली थी की असली खेल है नैरेटिव और मार्केट की गट फील, और वो अभी न तो इन्वेस्टमेंट के मूड में था और न उनकी कम्पनी के पक्ष में। मूड खिलाफ भी नहीं था, लेकिन हाई गेन वाली कैटगरी में नहीं था।
उन्हें मालूम था की वो लड़की उनसे कुछ राज खुलवाना चाहती है इसलिए जानबूझ के उन्होंने वो बातें बतायीं, जो सही भी थीं, एक दो दिन में होने वाली थीं, नैरेटिव और इन्वेस्टमेंट मूड उनकी कंपनी के पक्ष में करतीं।

दूसरे बहुत से बातें जो उन्हें एक्वायर करना चाहता था उसके बारे में पता चल गयी। मार्केट में कौन उसके साथ हैं, और उन्हें उनकी सपॉटिंग सरकारी संस्थाओ में कौन इन्वेस्टमेंट के डिसीजन लेता है उसकी क्या प्रायर्टीज हैं।

उनकी पैरेंट कम्पनी से जुड़ा वाशिंगटन में जो एक पेपर था उन्होंने बातचीत में उनके एकॉनिमक्स के कॉलमिस्ट का नाम लिया और ज्यादा तो नहीं लेकिन ये बस जिक्र किया की वो लोग इण्डिया में किसी यंग जर्नलिस्ट को ढूंढ रहे हैं।इतना चारा बहुत था,



आज रात से सारे इकनॉमिक साइट्स , न्यूज पेपर्स में क्या जाना है , ये सब उन्होंने डिसकस कर लिया , और कल सुबह से जितने चैनल हैं , सी एन बी ऍफ़ सी से लेकर एन डी टी वी बिजनेस तक ,...

_ और सबसे बड़ी बात ये थी की बैकचैनेल्स में, जो रिटेल शेयरवालो को एडवाइस देते हैं, उन्हें जहाँ से खबरें मिलती हैं, वहां भी आज रातो रात,.... उनके राइवल के खिलाफ और उनके सपोर्ट में, ' विश्वस्त सूत्र ' वाली बातें पहुँच जाएंगी.

हाँ फ्लाइट में बोर्डिंग के पहले दो काम और किया था उन्होंने।

जब उन्होंने दिल्ली में होटल में चेक इन किया तो मिसेज डिमेलो का नाम भी अपने पार्टनर की तरह रखा, आई डी भी मिसेज डी मेलो की नोट करा दीं थी और होटल से चेक आऊट उन्होंने नहीं किया, सामान भी नहीं खाली किया। मिसेज डी मेलो तो ट्रेन से दिल्ली पहुंची थी हीं, वो उस कमरें में दो दिन तक रही। फ्लाइट में भी लास्ट मिनट में अपने टिकट को बिजनेस क्लास में अपग्रेड करा लिया। फेसियल रिकग्निशन से बचने के लिए भी उन्होंने एक कैप लगा रखी थी।

फ्लाइट पौने छह बजे टर्मिनल टू पर पहुंच गयी , और उस के पहले उन्हें शेड्यूल मिल गया ,




१ - ७. ३० सेबी - बॉम्बे जिमखाना

२. ८. ४० , एल आई सी कॉर्पोरेट हेडक्वार्टस ,

३. ९. ३० एन बी ऍफ़ सी -यॉट क्लब




गनीमत है तीनों कोलाबा में थे , अमेरिकन कांसुलेट में उन्हें साढ़े ग्यारह के आस पास पहुँचना था , तबतक पैरेंट कम्पनी के आफिस खुल जाते , अमेरिका में।
 
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बंबई -मंगलवार रात

सेबी -बॉम्बे जिमखाना

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सारी की सारी मीटिंग्स बहुत अच्छी हुयी।

लेकिन एयरपोर्ट से कोलाबा पहुँचने में भी टाइम लगता, तो बस उन्होंने बजाय कार से जाने के, एक टैक्सी अँधेरी के लिए और वहां से फास्ट लोकल से चर्च गेट,। शाम का टाइम था इसलिए रश लौटने वालों की थी और उन्हें लोकल में जगह मिल गयी, और चर्च गेट से बॉम्बे जिमखाना।

मीटिंग शुरू होने में अभी पंद्रह मिनट था। बॉम्बे जिमखाना के दरवाजे दिल्ली जिमखाना की तरह मुश्किल से तो नहीं खुलते थे लेकिन तभी भी वह काफी एक्सक्लूसिव था और आजादी के पहले तो बस यूरोपियन के लिए ही रिजर्व था। अभी भी उसकी मेम्बरशिप बहुत मुश्किल से मिलती थी लेकिन उसे सबसे ज्यादा अपील करती उसका आर्किटेक्चर, ओल्ड वर्ड चार्म और क्रिकेट से जुडी हिस्ट्री। और एक बात साल भर में सीख ली थी, काम के समय काम और मजे के समय मजा, पिछले तीन दिन तक तो सिर्फ मजे ही लिए थे लेकिन अब बस जब तक ये परेशानी दूर न हो जाए,

" सर देयर इज अ मेसेज फॉर यू। आप जिन के लिए वेट कर रहे हैं उन्होंने बार में एक कार्नर टेबल बुक करा रखी है "

और थोड़ी देर में, वो आ गया।



प्लीजेंट सरप्राइज।

बॉम्बे जिमखाना ने सेबी से जो आया था , वो इनका जूनियर निकल गया , आई आई एम् बेंगलूर का , उसने बाद में डेरिवेटिस में डॉक्टरेट की थी , और सेबी में डेरिवेटिव ही देखता था , लेकिन स्टॉक मार्केट का भी एकदम एक्सपर्ट , ... उसके साथ तो , उसने बल्कि इन्हे बहुत गाइड भी किया और ये भी की कल जो कम्पनी इन्हे एक्वायर करना चाहती है , मार्केट में इनके शेयर बेचेगी , और कोई नहीं चाहता की बियर अब और आगे बढे , वैसे ही स्टॉक मार्केट की लगी हुयी है।



इनकी चमकी , इन्होने पूछ लिया कौन से लोग मार्केट में मंदी लाने वाले ब्रोकर्स है , और उन्हें चार पांच नाम मिल गए , जो पहला था वो तो मशहूर था , मार्केट में तबाही लाने के लिए , जैसे सांगी बुल में था , वो बीयर में।

उन्हें लग गया की की शायद वो उन्हें एक्वायर करने वाला उसी का इस्तेमाल करे , सेबी वाले से उन्होंने पूछा की क्या वो कुछ देर के लिए उस का ट्रेडंग लाइंसेंस ठप कर सकते हैं ,...

फिर उन लोगों ने चार लोगों की लिस्ट बनायी ,

हाँ सेबी वाले ने बोला की वो इनकी फ़ाइल खंगालेगा , लेकिन अगर इन्हे भी कुछ उन चारों के बारे में पता चलेगा , उन्हें बता दें , पर वो एक साथ नहीं अगर करेंगे तो दोपहर बारह के आस पास , विद इम्मीडिएट एफ्फेक्ट उसके ट्रेडिंग राइट्स ख़तम करेंगे , जब तक वो अपील करेगा , कोर्ट में जाएगा , दिन निकल जाए।

दूसरा टेकओवर बिड वाले कल शर्तिया फाइलिंग करेंगे , उसे सेबी के लोग टालेंगे

और इनकी जो फाइलिंग होगी , अगर कोई तो वो चार बजे तक भी हो जायेगी तो उसे क्लियर कर देंगे , देर रात तक।

लेकिन असली खेल दूसरा था और बात पुरानी दोस्ती के चक्कर में शुरू हो गयी।

शेयर के मामलों में तो सेबी वाला दोस्त ज्यादा हेल्प नहीं कर सकता था, लेकिन मार्केट की इनसाइट उसे जबरदस्त थी, दूसरी अगली मीटिंग उनकी जिन लोगों के साथ थीं, उन सबकी कमजोरी, प्रिफरेंस, किस का काम कहाँ अटका पड़ा है लेकिन सबसे बात थी, फाइलिंग की इन्ट्रीकेसीज और अक्वीजिशन की क्या स्ट्रेटजी होगी, और उनकी अपनी कम्पनी के लीकेज के बारे में,

" देखिये, आपकी कम्पनी में, मुझे लगता है, ....और ये सुनगुन हफ्ते भर से चल रही है की अक्वीजिशन की कोशिश हो रही है, और जब भी अक्वीजिशन होता है तो सबसे पहले टॉप के लोगों के जॉब जाते हैं तो कम से दो तीन लोग आलरेडी उस कम्पनी से हाथ मिला रहा रहे हैं, और सबसे ज्यादा कम्पनी सेक्रेटरी के पास इन्फॉर्मेशन होती हैं, हर एक बोर्ड डायरेक्टर के बारे में भी। तो पहला काम वो कम्पनी शेयर एक्वायर कर के करेगी और उस के साथ ही वो कल ही कोशिश करेगी फाइलिंग कर के बोर्ड डायरेक्टर की मीटिंग को भी साथ बुलाएगी।



" अगर उस के मेजारटी शेयर न हो पाए तो " मैं कल के बारे में सोच रहा था,

" तब भी फाइलिंग कर सकते हैं और बोर्ड डायरेक्टर की मीटिंग बुला सकते हैं। असल में जो इंडिपेंडेंट और गवर्मेंट डायरेक्टर होते हैं वो अक्सर न्यूट्रल होते हैं और बाकी डायरेक्टर में से एक दो को भी जो आपके अपनी कम्पनी के हो उन्हें ब्रेक कर के, बोर्ड मीटिंग में रिजोलुशन पास करा के आपके शेयर का एक बड़ा हिस्सा लो रेट पे बेचने के लिए मजबूर कर सकते हैं। कम्पनी सेक्रेट्री अगर मिली हो तो और आसान होगा। "

इन सब पेचीदगियों का एकदम पता नहीं था इसलिए अगली बात मैंने पूछ ली

" एक्विजिशन के फ़ार्म में उसे क्या भरना होगा "

अपने टैब पे सेबी वाले ने एक स्टैण्डर्ड फ़ार्म दिखाया जिसमे कम्पनी के एक्वायर करने के तरीको में शेयर कब्जा करने के साथ असेट होल्डिंग और मर्जर भी था, जहाँ वो बोर्ड आफ डाइरेक्टर की मीटिंग का वो इस्तेमाल कर सकते थे। वो असेट सेल्स का भी रिजोल्यूशन पास करा सकते थे।

लेकिन सबसे खतरनाक थी टाइम लाइन, अटैक कल ही होना था, कल से शेयर के वो दाम गिराने शुरू करते, अपने बढे हुए स्टेक के हिसाब से फाइलिंग और बोर्ड आफ डायरेक्टर की अर्जेन्ट मीटिंग। कम्पनी सेक्रेटरी मिली होगी तो मीटिंग भी कल ही हो जाएगी और वो या तो अपना स्टेक पेश करेंगे या जो भी बोर्ड आफ डायरेकटर में मिले होंगे, वो मर्जर का प्रासातव पास कर देंगे। उसके बाद परसो पक्का शेयर बढ़ेंगे और वो वो नए डायरेकट के साथ कम्प्लीटली एक्वायर करेगा।

इस मीटिंग में शेड्यूल से पंद्रह बीस मिनट ज्यादा ही टाइम लग गया था, लेकिन एल आई सी की मीटिंग उनके कारपोरेट आफिस में थी जो फ़्लोरा के पास में था, मुश्किल से दस मिनट भी नहीं।
 
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लाइफ इंश्योरेंस कार्पोरेशन, एन बी ऍफ़ सी

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एल आई सी के लिए उन्होंने एक छोटा सा पी पी टी बना लिया था ,

लेकिन असली बात सिर्फ ये थी की वो कितने बजे उनका शेयर खरीदना शुरू करेंगे।

ये तय हुआ की सवा दस के आस पास एल आई सी को जितना शेयर खरीदना है उसका 10 % खरीदेगी , जिससे थोड़ा होप जेनरेट हो , फिर उन्हें अपनी पैरेंट कम्पनी और ऍफ़ डी आई से उसे मैच कराना होगा , और साथ ही साथ जिन कम्पनीज़ की उन्हें लिस्ट दी गयी है , उसमे जितना ऍफ़ डी आई उनकी कम्पनी को करना है , वो उसका ४० % कर देगी ,

फिर एन बी ऍफ़ सी वाले मैदान में आएंगे और उन्हें जितना शेयर लेना है उसका २५ % वो ले लेंगे।

दोपहर के पहले , एल आई सी ३० % शेयर और खरीदेगी , इसके बाद बियर वाले बचा खुचा शेयर मार्केट में डाल कर , एक बार फिर मार्केट को डी स्टैब्लाइज करने की कोशिश करेंगे तो शाम तीन बजे एल आई सी , अपने हिस्से के बाकी बचे ६० % शेयर एक साथ खरीद लेगी ,

हाँ अगर उसके बाद भी मार्केट गिरेगी तो उसे सम्हालने की जिम्मेदारी इन लोगों की होगी।

लेकिन यह सब तय कराना इतना आसान नहीं था। और जो सेबी वाले मित्र से इनको अंदरूनी सूचना मिली थी उसके हिस्सा से गवर्मेंट डायरेक्टर्स को भी इनके पक्ष में एक्टिव भूमिका बोर्ड आफ डायरेक्टर्स की मीटिंग में करनी जरूरी थी।

एल आई सी का एक डायरेक्टर इनकी कम्पनी में था ही और बढ़ी हुयी शेयर होल्डिंग के हिसाब से अब दो भी सकते थे जो एल आई सी की किसी सब्सिडियरी कम्पनी का होता।



पहली बात तो यह थी की यह कम्पनी थी तो गवर्मेंट इसलिए एटीट्यूड भी रिजिड था और थोड़ा रिस्क से वो बचना चाहते थे। दूसरे उनके निगोशियेटिंग टीम के हेड मिस्टर षणमुगम की डाटा पर गजब की पकड़ थी और उनके लिए अपनी कम्पनी का लांग टर्म इंट्रेस्ट बाहर इन्वेस्टमेंट में मानते थे लेकिन वाल स्ट्रीट के गलियारों में उनकी पकड़ कमजोर थी। ये भी उसे पता चल गया था की वो एक पेंशन फंड में अमेरिका में इन्वेस्ट करने में इंट्रेस्टेड थे लेकिन बात आगे नहीं बढ़ रही थी, एकदम शुरू में ही अटकी थी।



बस जो टी ब्रेक हुआ, उसमे इन्ही दो प्वाइंट्स को पकड़ा और ये कहा की उनके पैरेंट कम्पनी के जो फायनेंस डायरेक्टर है वो कई पेंशन फंड में भी डायटेक्टर हैं और वाल स्ट्रीट में उनकी पकड़ तगड़ी है। मिस्टर षणमुगम ने कुछ बोला है सिर्फ मुस्करा के उन्हें काफी ऑफर की पर ब्रेक के बाद मीटिंग थोड़ी आसान हो गयी।
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यॉट क्लब की मीटिंग में उन लोगों को एल आई सी और सेबी दोनों से मेसेज मिल गया था , इसलिए वहां भी उसी तरह की प्लानिंग हो गयी।

ये मीटिंग एकदम अलग तरह की थी और सबसे ज्यादा धन्यवाद उन्होंने दिया की उनके खाने पीने की आदत सुधार दी गयी थी। ये मीटिंग शुद्ध 'नान -वेज ' थी, खाने पीने में और बात चीत में भी। कुल पांच लोग थे उस कंसोर्टियम के जो दस नान बैंकिंग फायनेंसियल कम्पनी को रिप्रजेंट करती थी, लेकिन ऊपर ऊपर जो मस्ती और इनफॉर्मल माहौल था उस में उन्हें और उनकी कम्पनी को जज किया जा रहा था, और उन लोगो की कोशिश थी की वो थोड़ा 'लूज ' हो के कुछ बोल दें।

पर इतने दिनों के निगोशिएशन में उन्होंने ये समझ लिया था की ये पहचान जाना जरुरी है की पूरी टीम में डिसीजन मेकर कौन है , होस्टाइल कौन है और कौन सिर्फ उकसा के अंदर की बात जानने की कोशिश कर रहा है। अक्सर जो डिसीजन मेकर होता है वो चुप रहता है बोर होता रहता है लेकिन सब पत्ते उसी के पास होते हैं और सेबी वाले मित्र से मीटिंग के दौरान ये सब पता चल गया था , और वो इसका फायदा उठा रहे थे। दूसरी बात ये भी पता थी की दो एन बी ऍफ़ सी के ऊपर आर बी आई की जांच चलने वाली थी और सेबी ने क्वेशन भेजे थे। तो वो भी गवर्नमेंट को होस्टाइल नहीं कर सकते थे।



ये मीटिंग इसलिए जरूरी थी की जो नान इंस्टीटूशनल इन्वेस्टर्स थे वो iअक्सर गवर्मेंट कम्पनी के इन्वेस्टमेंट नहीं देखते थे बल्कि एन बी ऍफ़ सी और बड़े फंड्स को फॉलो करते थे। इसके अलावा इन लोगो की इसाइट्स बड़ी तगड़ी थी और उससे भी उन्हें अटैक किधर से होना है इसका कुछ अंदाज लग गया और ये साफ़ था अटैक जबरदस्त होगा और कल पक्का लांच हो जाएगा और परसों तक अक्वीजिशन पूरा भी हो जाएगा.

वहां से निकल कर वो गेट वे ऑफ़ इण्डिया की ओर बढे। अमेरिकन कौंसुलेट में पहुँचने में अभी टाइम था तो वो थोड़ी देर अरब सागर के किनारे टहल कर आगे के बारे सोचना चाहते थे, ख़ास तौर से जब शेयर वाली बातें काफी साफ़ हो गयी थीं और कल के बारे में कुछ कुछ साफ़ नजर आने लगा था

लेकिन वहां से निकलते ही लाल फोन बजा।
 
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मुम्बई लोकल और काउंटर इंटेलिजेंस

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लाल फोन एकदम वन साइडेड था। उसपे सिर्फ इंस्ट्रकशन आते थे और वो न तो मेसेज कर सकते थे न काल। एक पुराने जमाने का नान स्मार्ट फोन था, फरक ये था की नंबर थे तो लेकिन दबते नहीं थे। सिर्फ काल रिसीव करने के लिए वो बटन दबा सकते थे।

काउंटर इंटेलिजेंस वाली जो मीटिंग कल थी वो आज ही मिलेगा , 10.48 की अँधेरी फास्ट लोकल में , वो आखिरी डिब्बे में बैठ जाएँ , लेडीज कम्पार्टमेंट के ठीक बगल वाले , दरवाजे पास , वो उन्हें दादर या बांद्रा में मिलेगा।
वो बॉम्बे सेन्ट्रल में ही आगया और बांद्रा तक सारी डिटेल्स बता दी।
वो वहां से उतर कर बीकेसी अमेरिकन कौंसुलेट के लिए ,
उसने ये भी बोला की कल वो स्टॉक मार्केट के पास ही जीमी ब्रदर्स पारसी रेस्टोरेंट में मिलेगा साढ़े बारह बजे , उसे उन्होंने कुछ और काम सौंपा।



लाल फोन फिर बजा , और उसमे काउंटर इंटेलीजेन्स और हैकर दोनों के नंबर मिल गए इन्हे , उन्होंने बोला की काउंसलेट क सिक्योर फोन से वो बात कर लेंगे। उन की मीटिंग का भी टाइम और प्लेस चेंज हो गया था , कल सुबह छह बजे ग्राण्ट रोड स्टेशन के सामने मेजवान बेकरी

काउंटर इस्पियोनेज वाले ने जो बात बताई थी उसके साथ एक पेन ड्राइव और डाक्यूमेंट्स भी दिए थे , और इनकी हालत खराब



सबसे बड़े लीक के सोर्स मिस्टर और मिसेज दीर्घलिंगम खुद थे ,



मिस्टर दीर्घलिंगम का ड्राइवर मिला हुआ था और उन्हें सारे इम्पोर्टेन्ट काल , अपनी कार से करने की आदत थी , ज्यादातर लोगों की तरह वो मानते नहीं थी की कार में ड्राइवर भी है ,

वो न सिर्फ सुनता था बल्कि अपने मोबाइल में रिकार्ड भी करता था ,

इसके साथ ही दोनों लोगो की कार में बग्स थे। आफिस और यहाँ तक की घर तो वो चेक करवाते थे , पर कार कभी नहीं चेक की गयी।

मिसेज दीर्घलिंगम को भी अपनी सहेलियों से ब्रैग करने की आदत थी और वो सब उनके कार के बग्स के जरिये ,...

लेकिन असली खेल था एक हनी ट्रैप का, और उसमे मिसेज दीर्घलिंगम आलमोस्ट फंस गयी थी, लेकिन की है ' आलमोस्ट'।


मिसेज दीर्घलिंगम लेस्बो थीं और वो भी पक्की, ये तो मुझे मिसेज खन्ना से मालूम था और मिसेज खन्ना कौन सी कम थीं,

लेकिन इसका मतलब नहीं था की मिसेज दीर्घलिंगम लड़को से दूर रहती थीं, पर कच्ची कलियों को देख के ललचा जाती थीं, कच्ची मतलब असली कच्ची।

तो उसी चक्कर में, उनकी किटी पार्टी में दारू और सॉफ्ट ड्रग्स के साथ, कच्ची कलियाँ भी होती थी, कभी वेट्रेस, कभी कम्पेनियन,

तो जो जाल बिछा रहा था था उसने वही दाना डाला,

और उस कच्ची कली को इंट्रस्क्शन थे की मिसेज दीर्घ लिंगम के साथ कॉम्प्रोमाइजिंग पोज में,

पर एक तो कपडे उतर जाने पे मोबाइल छुपाने की जगह नहीं बचती, दूसरे मिसेज दीर्घलिंगम के साथ ये बात थी की ड्रग्स और ड्रिंक के बाद भी वो आउट नहीं होती थीं,



उसने उस लड़की की कुछ पिक्स भी दिखायीं, कुछ सेमी न्यूड, टॉपलेस, कुछ कम्प्लीट और सच में ऐसी हॉट लग रही थी मैं मिसेज दीर्घलिंगम को कतई दोष नहीं दे सकता था, चेहरे से एकदम भोली, जैसे अभी दूध के दांत न टूटे हों, लेकिन उभार एकदम परफेक्ट गोल, कड़े और मांसल


मिसेज दीर्घलिंगम की पिक्चर्स थी लेकिन कोई भी कॉम्प्रोमाइजिंग पोस्ट वो नहीं ले पायी। मोबाइल के अलावा उसके गले की बीड्स की माला में भी एक कैमरा था,
पर मैं समझ गया जब वो कच्ची कली उनकी चूस रही होगी तो गले के बीड केकैमरा से कोई फोटो नहीं आ सकती थी और जब वो खुद उनके ऊपर चढ़ के चुसवा रही होगी तो भी यही बात, इसलिए उन्हें ब्लैकमेल तो वो नहीं कर पाए,

पर प्लान था उन्हें पोस्को में फ़साने का अंडर एज के नाम पे, लेकिन उसके लिए भी फोटोग्रैफक एविडेंस नहीं थे। हाँ उस लड़की के मिसेज दीर्घलिंगम के साथ पिकचर्स थीं, पर वो साथ बैठे, हँसते और कई और लेडीज भी साथ में



एक और मुद्दा मिस्टर दीर्घलिंगम की बेटी का भी था,सुजाता का ।

उसे भी उन लोगो ने ट्रैप करने की कोशिश की , वो सेंट जेवियर स्कूल में पढ़ती थी ११वें में। एक लड़का था स्पोर्ट्स में अच्छा था, उसी के जरिये। चक्कर तो उसने चला लिया पर बात वहां तक नहीं पहुंची जहाँ की फोटो निकल पाती। वो लाख कोशिश कर के चड्ढी के अन्दर नहीं घुस पाया, हाँ नेकिंग, किसिंग, डेट पर जाना। उसने सॉफ्ट ड्रग्स की आदत डलवा दी थी और वो तो आजकल काफी कॉमन है, पर हार्ड ड्रग्स की लाख कोशिश कर के भी आदत वो नहीं डलवा पाया

कल शाम को खंडाला में एक रेव पार्टी है, शाम सात बजे से, हार्ड ड्रग्स तो होंगी ही, बस वहां जाने के लिए उसने सुजाता को कन्विंस कर लिया है।



अब और इंटेलिजेंस वाले को बोला, " इन दोनों का जुगाड़ मैं कर लूंगा, बस कान्टेकट डिटेल्स और सारे पिक्स सॉफ्ट और हार्ड मुझे दे देना।



अब मुझे राइवल कम्पनी की चाल साफ़ हो गयी, कुछ भी कर के उसे मिसेज और मिस्टर दीर्घलिंगम को न्यूट्रलाइज करना था।

कल लेट इवनिंग की मीटिंग साढ़े सात के आसपास, स्टॉक एक्स्चेंज क्लोज होने के बाद काल की जाती। और ये लड़की साफ़ था की कफ परेड के स्लम की थी, और दीर्घलिंगम लोग भी कफ परेड में ही कम्पनी के एक फ़्लैट में थे और उसी स्लम एरिया में मिसेज दीर्घलिंगम की एनजीओ स्कूल चलाती थी, बस उसी के जरिये।

और ये लड़की पहले नहीं, शाम पांच साढ़े पांच बजे कफ परेड के महिला थाने में पहुंचेगी, और हल्ला गुल्ला चालु। कुछ एन जी ओ वाले, कुछ मिडिया, सोशल मिडिया, यू ट्यूबर भी रहेंगे और पुलिस छह बजे के पहले मिसेज दीर्घलिंगम को उनके फ़्लैट पे पकड़ दबोचेगी। वो फोन कर के अपने हस्बेंड को बुलाएंगी, आफिस भी नरीमन प्वाइंट पे है तो बस दोनों लोगो को थाने, फोन जब्त। आधे घंट तक तलाशी, जिसमे सोशल मिडिया वाले भी खुल के वीडियो बनाएंगे , और सब रील खबरे सात बजे तक चॅनेल पर।



ये दोनों लोग थाने में और जब तक उनके वकील पहुंचेगे, कही से जमानत की बात करेंगे, पुलिस बस यही कहेगी की हम तो पूछताछ कर रहे हैं और आराम से बिना किसी टार्चर के थानेदार के कमरे में उन्हें साढ़े आठ नौ तक बैठा के छोड़ दिया जाएगा।



उसी बीच सात आठ बजे रेव पार्टी पर भी छापा पड़ेगा और वहां भी पुलिस उनकी लड़की को ४४ और लड़के लड़कियों के साथ गिरफ्तार करेगी और सबको बोलेगी, अपने पैरेंट्स को बुलाओ।


मतलब शाम की मीटिंग में कल, मिस्टर दीर्घलिंगम नहीं पहुँच पाएंगे लेकिन उनके परिवार की यह सब खबरे रहेंगी और उन्हें टेम्पोरेरी तैर पर हटा दिया जाएगा और फिर बोर्ड में जो वो कंपनी चाहती है वो रिजोल्यूशन पास करा लिए जाएगा।


और मिसेज दीर्घलिंगम और उनकी बेटी के मामले को बड़े सेंसटिव ढंग से हैंडल करना होगा। इसलिए मैंने आगे की बात नहीं की। मैं आगे की कहानी बिन बोले ही समझ गया।





लेकिन जिस चीज ने होश उड़ा दिए , वो थी कम्पनी के तीन डायरेक्टर्स, कम्पनी सेक्रेटरी जो एक्वायर करने वाला था उससे मिल गए थे।


बोर्ड आफ डायरेक्टर्स की जो कल शाम को मीटिंग होने वाली थी , उसमें उन्ही में से कोई मिस्टर दीर्घलिंगम को हटाने का प्रपोजल देता , ... और वह पास हो जाता ,... उस के बाद टेक ओवर बिड होती , जो आसानी से एक्सेप्ट हो जाती।



लेकिन उस काउंटर इंटेलिजेंस वाले ने तीनों के खिलाफ काफी एविडन्स दिए थे और कुछ परसनल नेचर के भी , बाकी वो कल सुबह तक ,..

. तबतक बांद्रा आ गया था और मुझे उतरना था , तो मैंने और इंस्ट्रक्शन उसे दे दिए और बोलै कल सुबह एक बार हम लोग फिर मिल लेंगे तबतक आप ये सब और पता कर लीजियेगा।



मैं बांद्रा में उतरकर बी के सी के लिए निकल गया और वो उसी लोकल से आगे।
 
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बांद्रा, अमेरिकन कांसुलेट और मिस्टर दीर्घलिंगम
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अमेरिकन कौंसुलेट में पहले तो उन्होंने पैरेंट कम्पनी से बात की , वहां स्टॉक मार्केट खुल गया था , और इनकी इंडियन सब्सडियरी के भी शेयर वहां रजिस्टर्ड थे , उसकी सेल चालू हो गयी थी , जिससे उसकी रेटिंग्स ऊपर चल रही थी , जो जो इंवेसेटमेंट पैरेंट्स कम्पनी को करने थे उसने शुरू कर दिए थे। उन्होंने तीन डायरेकर्स के मोल होने की बात तो बता दी , लेकिन मिस्टर और मिसेज दीर्घलिंगम की लापरवाही से जो लीक्स हुए हैं वो नहीं बताया।



पैरेंट कम्पनी ने उन्हें कुछ इंस्ट्रक्शन दिए ,

एक अकाउंट केमन आइलैंड का दिया जिसमें अनकाउंटेड फंड्स थे , और जिसका वो टेकओवर बचाने के लिए इस्तेमाल कर सकते थे , और भी कहीं , ... ये भी बताया की डो जोन्स में आधे घंटे बाद उनकी इंडियन कंपनी के शेयर की खरीद शुरू हो जायेगी , और उसके बाद जो भी शेयर मार्कट रात में खुले होंगे , वहां वहां से ,...

लेकिन जो जो मैंने कमिट किया था वो काम पैरेंट कम्पनी वालों के हवाले कर दिया,

दो बातें एल आई सी से जुडी थीं, एक तो पेंशन फंड की उनकी इन्वेस्टमेंट की फाइलिंग और दूसरे एक डिस्ट्रेस्ड असेट्स से निकलना चाहते थे, और फिर एन बी ऍफ़ सी वाली रिजर्व बैंक की इंक्वायरी। बिना कहे क्लियर हो गया की अगर इंडियन सब्सिडियरी बचानी है तो बस आज की रात और कल का दिन है। हाँ लीक के बारे में उन्हें बस इतना बताया की कारपोरेट आफिस में बहुत लीकेज है लेकिन मिस्टर दीर्घलिंगम को बहुत सपोर्ट की जरूरत हैं , बाकी कंपनियों और बाहर से भी। ।

हायर मैनेजमेंट से जो बात कर रहे थे उन्होंने सिर्फ ये कहा की हमने इन्वेस्टमेंट और स्ट्रेटजी की एक टीम बना दी है, उसमे दो लोग सिंगापुर और दुबई में हैं वो कल के स्टॉक मैनेजमेंट में हेल्प करेंगे। इसके बाद आप उनसे बात कर लेना और हाँ निकलने के पहले मिस्टर दीर्घलिंगम भी यहाँ आये हैं उनको भी उनके रोल के बारे में ब्रीफ कर देना।


मैं जानता था बोर्ड रूम की लड़ाई तो मिस्टर दीर्घलिंगम को ही लड़नी होगी और उनसे ज्यादा एक्सपीरिएंस्ड निगोशियेटर मैंने देखा नहीं था, इसलिए षड्यंत्रकारी उनकी बेटी और पत्नी के जरिये उन्हें बोर्ड रूम से बाहर रखना चाहते थे। उनसे कुछ भी कहना उनके कॉन्फिडेंस को शैटर कर देना होता और इसलिए मैंने बहुत से बातें नहीं बतायीं। हाँ जो जो हेल्प चाहिए थे वो साफ़ साफ़ बताया गया।

काल ख़तम होने के पहले मुझे बताया गया की इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटजी टीम मुझसे बात करेगी और उसके बाद ही वीडियो कांफ्रेंस में चार लोग थे जिनमे दो तो मेरे रेगुलर स्ट्रेटजी वाले और दो फंड मैनेजर्स थे जिनका साउथ एशिया का एक्सपीरियंस था। उसके बाद एक दो स्ट्रेटजी वाली कांफ्रेंस और हुयी बस सब नीड तो नो के बेसिस वाली,...


लेकिन जोर का झटका जोर से तब लगा जब मुलाकात मिस्टर दीर्घलिंगम से उसी कांसुलेट में हुयी ,

पैरेंट कम्पनी के कहने पर , कंसुलेट ने वीसा के पेपर्स के नाम पर , मिस्टर दीर्घलिंगम को शाम को साढ़े आठ बजे ही बुला लिया था।

मिस्टर दीर्घलिंगम को पैरेंट कम्पनी ने अभी कौंसुलेट में ही ब्रीफ किया की कुछ इसुज हैं तो आपको ये ब्रीफ करेंगे। एक स्ट्रेटजी टीम भी बनाई गयी है जिनसे ये टच में रहेंगे। मिस्टर दीर्घलिंगम को अभी इस प्रोसेस से आइसोलेट किया गया है जिससे किसी को पता न चल सके और वो जयादा फ्री हो कर ग्राउंड पर आपरेट कर सकें। पैरेंट कम्पनी का पूरा सपोर्ट उनके साथ है, और इस अक्वीजिशन के एफर्ट को उनसे बेहतर कोई और नहीं फाइट कर सकता।




इसलिए मिस्टर दीर्घलिंगम को झटका इन्हे देख कर ज्यादा नहीं लगा।

पर वो तब हिल गए जब इन्होने उन तीन डायरेक्टर्स के नाम जो एक्विजशन वाली कम्पनी से मिले थे बताया , वो रिकारीडिंग सुनाई जिसमें ये आलमोस्ट तय था की कल शाम की बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स की मीटिंग में उन्हे हटाने के प्रस्ताव पर वो तीन डायरेक्टर उनके खिलाफ वोट देते.

अब समय स्ट्रेटजी बनाने का था और इन्होने मिस्टर दीर्घलिंगम को शेयर मार्केट के युद्ध से दूर रखा। लेकिन एक लड़ाई कल कंपनी में भी लड़ी जानी थी और उसके लिए मिस्टर दीर्घलिंगम से ज्यादा अनुभवी और कुशल कोई नहीं था।

बहुत सी बातें मिस्टर दीर्घलिंगम को नहीं बताई गयी और जो उनकी लड़की और उनकी पत्नी से जुडी थीं वो एकदम नहीं। लीकेज के बारे में भी सिर्फ उनके ड्राइवर के बारे में बताया गया की वह लीकेज के कई सोर्सेज में से एक है।

मिस्टर दीर्घलिंगम कॉर्पोरेट बिजनेस के साथ मैन मैनजमेंट में भी बहुत दक्ष थे, इसलिए वो जानते थे की किसी विभाग का हेड सबसे इम्पोर्टेन्ट नहीं होता, क्योंकि वो फील्ड से उसे दूर कर देता है पर उसका नंबर टू वाइटल है क्योंकि डिपार्टमेंट के हेड को वही सब इन्फॉर्मेशन देता है और किसी भी अटैक में सबसे ससेपटिबल वो होते हैं। तो उन सारे पोस्टो पे जो लोग थे वो सुपर एफिसिएंट और उनके लायल थे, और किसी भी राइवल की ओर नहीं मुड़ सकते थे।

लेकिन राइवल कम्पनी ने वही किया, उसने एक हेड हंटर को लगाया जिसने फाइनेंस के जो सीनियर वाइस प्रेजिडेंट थे उन्हें एक बड़ी कम्पनी में कंट्री हेड बनाने का प्रलोभन दिया और मिस्टर दीर्घलिंगम ने भी मान लिया क्योंकि उनकी कम्पनी में तो कंट्री हेड वही थे और एक बड़ा जम्प था। पे, पर्क्स भी दूने थे। और अब जो नंबर तीन था, वाइसप्रेसिडेट वो काम देखने लगा और वो राइवल कंपनी से मिला था। इस तरह सीनियर मैनेजमेंट के पांच लोगों को तोडागया था और सबके लिए अलग अलग सोर्सेज, अलग तरीके इस्तेमाल किये थे। और इसी लिए इनकी कम्पनी की सब इन्फो लीक हो रही थी।

कम्पनी सेक्रेटरी सबसे बड़ा कैच थी। वो अभी यंग थी, अम्बिशस थी और सारे डायरेक्टर उसके प्रति अट्रैक्टिव थे। और एफिसिएन्ट पर अब सवाल स्ट्रेटजी बनाने का था और उन डाइरेक्टस को टैकल करने का था, बिना उन्हें शक हुए। दोनों लोगो ने मिल कर थोड़ी देर में स्ट्रेटजी को शेप दे दिया और यह भी की बाकी इन्फो, पिक्स और डॉक्युमेंट्स कल आफिस के पहले उन्हें मिल जाएंगे, लेकिन वो लोग फोन पर कांटेक्ट नहीं करेंगे कयोंकि फोन तो सबसे पहले हैक हुए होंगे। तो थी ही।



पहला डायरेक्टर अपनी लड़की के चक्कर में ,... उसकी लड़की , एक सेक्स और ड्रग रैकेट में थे , और उसकी सीडी ,... उन्होंने उस सी डी की कॉपी दीर्घलिंगम को । लेकिन वो डायरेक्टर खुद भी कच्ची उम्र की लड़कियों के चककर में रहता था और उस की भी सी डी ,...
तय ये हुआ की उस डायेक्टर से इस्तीफा मांग लिया जाएगा , लेकिन उसे कम्पनी में एक नान सिग्नीफिकेंट पोस्ट पर बने रहने दिया जाएगा , विद सेम पर्क्स।

दो डायरेक्टर्स के रिलेटिव्स के अकाउंट में पैसे , डायमंड , ... और वो शुरू से ही प्लानिंग में शामिल थे , उन्हें भी ब्लैकमेल करने के पूरे मसाले थे , उन दोनों से इस्तीफा लिया जाएगा , और उन्हें कम्पनी से बाहर कर दिया जायेगा।

मिस्टर दीर्घलिंगम को उन्होंने , दीर्घलिंगम के ड्राइवर और उनकी ऑफिसियल कार में लगे बग्स के बारे में भी बताया।



बाकी मीटिंग्स के बारे में उन्होंने बता दिया लेकिन डिटेल्स कुछ भी नहीं बताया।
तय ये हुआ की कल स्टॉक मार्केट खुलने तक मिस्टर दीर्घलिंगम नार्मल रहेंगे , हाँ बात चीत वो डिसइन्फोर्मशन के लिए करेंगे। जिससे उनके बग को सुनने वाले ,कौंसुलेट में सिग्निट वाले बग्स की जांच कर ये पता लेंगे की उन्हें कौन कैसे रिकार्ड कर रहा है ,
 
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komaalrani

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मिस्टर बुल
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और उसके बाद उनकी असली मीटिंग हुयी , मिस्टर बुल के साथ , ... मैरियट जुहू के काफी शाप में उन सिर्फ एक मेसज मिला की बोरीवली स्टेशन पर कोई उनसे प्लेटफार्म ६ पर मिलेगा। वह उन्हें मलाड ले गया , एक मल्टी स्टोरी बिल्डिंग में ,



और वह मीटिंग रात में दो घण्टे तक चली,

उन्होंने उस केमैन आइलैंड वाले फंड से ४८ करोड़ एक एस्क्रो फंड में ट्रांसफर किये जिसका इस्तेमाल दस कंपनियां , सिर्फ उनकी कम्पनी के शेयर को खरीदने के लिए करतीं , इसमें से २५ करोड़ सुबह बारह बजे के आस आपस , पहले अटैक के लिए इस्तेमाल होता , बाकी बाद में,

वो बुल जितना पैसा उस एक्स्रो फंड का इस्तेमाल करता उतना ही अपना भी करता। कहते हैं न जादूगर अपना राज नहीं बताते तो वो भी नहीं बताने वाले कैटगरी में था, लेकिन उसकी मार्केट इंटेलिजेंस पक्की थी की कल मार्केट खुलते ही पहले इनकी कम्पनी के शेयरों की बिक्री शुरू होगी और दाम तेजी से गिरेंगे, लेकिन फ्रीफॉल होने के ठीक पहले वो इन्वेस्ट करना शुरू करेगा पहले अपने फंड से, फिर उस एस्क्रो फंड से और दाम जब थोड़े बढ़ जाएंगे तो खरीदना रोक देगा और उसके बाद राइवल फिर से शेयर बेच कर के दाम गिरायेगा, और अगर वो नहीं गिरायेगा तो ये खुद अपने ख़रीदे शेयरों में से ही बेच के एक बार फिर से दाम गिराएंगे और देखा देखी मार्केट सेंटीमेंट के बेस पे वो भी दाम गिरायेगा और शेयर बेचेगा।



उन्होंने अपनी स्ट्रेटजिक इन्वेस्मेंट टीम के लोगों का एक कांटेक्ट नंबर दे दिया और वो पहले से ही उनमे से एक को जानता था। ये मीटिंग सबसे लम्बी थी और सबसे टफ भी।

आधी रात तो कब की बीत चुकी थी।

वहां से निकलते ही उनके इंटेलिजेंस वाले ने यह बता दिया था की कौन बीयर वाला ट्रेडर कल होने वाले अटैक में शामिल होगा ,


उन की रूह काँप गयी उस का नाम और प्लानिंग सुन कर , जिस बुल आफ बुल्स से वो मिल कर आ रहे थे , वो उसी की टक्कर का था , और लास्ट मुकाबले में बीयर की ही जीत हुयी थी। उस के कांटेक्ट भी हर लेवल पर थे , और एक्वायर करने वाली कम्पनी ने उसे फ्री हैंड दे दिया था।



उन्हें फिर एक बार लाल और हरे दोनों फोन दबाये और उस का नाम बता दिया।




वो चरनी रोड के पास एक शेडी से होटल में रुके , और बहुत सुबह ,... साढ़े छह बजे ग्रांट रोड स्टेशन के सामने ( ईस्ट साइड ) बी मेरवान की दूकान पर , बन मस्का , मावा केक और चाय पीते हुए , वहीँ एक बार फिर उस काउंटर इंटेलिजेंस वाले से ,... और ढेर सारी इन्फॉर्मेंशन ,...

वो साथ में ये भी चेक कर रहा था की इनकी मीटिंग्स के बारे में कोई इन्फो अपोजिट कैम्प में तो नहीं पहुंची।

आज बुधवार शुरू हो गया था और ये दिन बहुत अहम् था। उनकी कम्पनी के लिए और उससे भी बढ़के इनके लिए , अगर इनकी कम्पनी डूबती तो साथ में ये भी और जो एक्वायर करता वो इनकी जॉब तो लेता ही आगे के लिए भी कांटे बोता। उन्हें टाउनशिप छोड़ना पड़ता, ये, गुड्डी और उसकी भाभी, और जो पॉजिशन इस कम्पनी में मिल गयी थी वो तो सपने में भी कहीं नहीं मिल पाती, डिप्रेशन का टाइम था, पांच छह महीना तो घर बैठना मामूली बात थी, हफ्ते भर में ही घर खाली करना पड़ता



पर दिमाग से एक झटके से उन्होंने उस अवसाद को निकाल दिया



होगी जीत, जरूर होगी जीत और ऐसी जीत होगी की अगली बार कोई सोचेगा भी नहीं कुछ करने की।
 
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komaalrani

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Shetan

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Thanks, friends for the long wait but the post needed an in-depth account of Bombay's financial world. I am sure everyone will enjoy.
जोरू का गुलाम भाग २३७

बंबई -मंगलवार रात
Wow komalji. Isi ka to intjar tha. Aaj rat se hi start karungi. Thankyou very much.

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Shetan

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जोरू का गुलाम भाग २३७

बंबई -मंगलवार रात

Bombay-VT-955980748-Mumbai-Victoria-Terminus-Main.jpg


३३,४६,२७९

करोल बाग़ के पास से एयर पोर्ट ,... एक आदमी बल्कि लड़की से उन्होंने मीटिंग प्रेस क्लब में रखी थी , पर उस लड़की ने खुद बोला की वो लाउंज में एयरपोर्ट पर मिल जायेगी ,

एक बात सीख ली थी, बल्कि दो बातें और उस प्रेस वाली लड़की से बातें करने में बहुत काम आयी।



पहली बात थी, बोलना कम, सुनना ज्यादा, हर शादी शुदा आदमी सीख लेता है लेकिन उसे आफिस में बिजनेस में इस्तेमाल करना सीखना एक अलग कला है। और साथ में सुनते हुए कान खोल के सुनना और उससे जो बोल रहा है उसके बारे में भी पता कर लेना

दूसरी बात थी, जो भी थोड़ा बहुत बोलना हो, उससे बोलने वाले को एनकरेज कर के अपने काम की बात निकलवा लेना


उस लड़की का ज्ञान, कॉन्टेक्ट्स और अगले दिन क्या होने वाला है, उसके बारे में अंदर की जानकारी अद्भुत थी।

वह एक सिंडिकेटेड कालम लिखती थी, ब्लूमबर्ग से लेकर मिंट और मनीकंट्रोल तक के लिए वो एक सिंडिकेटेड कालम लिखती थी, लेकिन उससे बड़ी बात ये थी की जो शेयर मार्केट के लिए राय देते थे, जिनकी राय की कदर झुनझुनवाला ऐसे लोग भी करते थे, जो बड़े बड़े फंड मैनेजर्स के पे रोल पे थे, ऐसे चार पांच लोग भी उससे राय लेते थे।



मुश्किल से २४-२५ साल की होगी, लेकिन १४-१५ साल की उम्र से वो स्टॉक मार्किट में घुस गयी थी, मैक्रो इकोनॉमिक्स में उसने स्टैनफोर्ड से पढ़ाई की, दो साल वाल स्ट्रीट में काम किया किसी हेज फंड, लेकिन इंडिपेंडेंट रहने की इच्छा , ....और देश की मिटटी के चक्कर में वापस मुंबई, लेकिन अभी उसने अपना अड्डा दिल्ली में बना लिया था, हाँ हफ्ते में दो तीन दिन मुम्बई,


एक बात उन्होंने सीख ली थी की असली खेल है नैरेटिव और मार्केट की गट फील, और वो अभी न तो इन्वेस्टमेंट के मूड में था और न उनकी कम्पनी के पक्ष में। मूड खिलाफ भी नहीं था, लेकिन हाई गेन वाली कैटगरी में नहीं था।
उन्हें मालूम था की वो लड़की उनसे कुछ राज खुलवाना चाहती है इसलिए जानबूझ के उन्होंने वो बातें बतायीं, जो सही भी थीं, एक दो दिन में होने वाली थीं, नैरेटिव और इन्वेस्टमेंट मूड उनकी कंपनी के पक्ष में करतीं।

दूसरे बहुत से बातें जो उन्हें एक्वायर करना चाहता था उसके बारे में पता चल गयी। मार्केट में कौन उसके साथ हैं, और उन्हें उनकी सपॉटिंग सरकारी संस्थाओ में कौन इन्वेस्टमेंट के डिसीजन लेता है उसकी क्या प्रायर्टीज हैं।

उनकी पैरेंट कम्पनी से जुड़ा वाशिंगटन में जो एक पेपर था उन्होंने बातचीत में उनके एकॉनिमक्स के कॉलमिस्ट का नाम लिया और ज्यादा तो नहीं लेकिन ये बस जिक्र किया की वो लोग इण्डिया में किसी यंग जर्नलिस्ट को ढूंढ रहे हैं।इतना चारा बहुत था,



आज रात से सारे इकनॉमिक साइट्स , न्यूज पेपर्स में क्या जाना है , ये सब उन्होंने डिसकस कर लिया , और कल सुबह से जितने चैनल हैं , सी एन बी ऍफ़ सी से लेकर एन डी टी वी बिजनेस तक ,...

_ और सबसे बड़ी बात ये थी की बैकचैनेल्स में, जो रिटेल शेयरवालो को एडवाइस देते हैं, उन्हें जहाँ से खबरें मिलती हैं, वहां भी आज रातो रात,.... उनके राइवल के खिलाफ और उनके सपोर्ट में, ' विश्वस्त सूत्र ' वाली बातें पहुँच जाएंगी.

हाँ फ्लाइट में बोर्डिंग के पहले दो काम और किया था उन्होंने।

जब उन्होंने दिल्ली में होटल में चेक इन किया तो मिसेज डिमेलो का नाम भी अपने पार्टनर की तरह रखा, आई डी भी मिसेज डी मेलो की नोट करा दीं थी और होटल से चेक आऊट उन्होंने नहीं किया, सामान भी नहीं खाली किया। मिसेज डी मेलो तो ट्रेन से दिल्ली पहुंची थी हीं, वो उस कमरें में दो दिन तक रही। फ्लाइट में भी लास्ट मिनट में अपने टिकट को बिजनेस क्लास में अपग्रेड करा लिया। फेसियल रिकग्निशन से बचने के लिए भी उन्होंने एक कैप लगा रखी थी।

फ्लाइट पौने छह बजे टर्मिनल टू पर पहुंच गयी , और उस के पहले उन्हें शेड्यूल मिल गया ,




१ - ७. ३० सेबी - बॉम्बे जिमखाना

२. ८. ४० , एल आई सी कॉर्पोरेट हेडक्वार्टस ,

३. ९. ३० एन बी ऍफ़ सी -यॉट क्लब




गनीमत है तीनों कोलाबा में थे , अमेरिकन कांसुलेट में उन्हें साढ़े ग्यारह के आस पास पहुँचना था , तबतक पैरेंट कम्पनी के आफिस खुल जाते , अमेरिका में।
Hmmm karolbag me mitting ladki se wow. Joru ka gulam akhir pati banta hi kyo hai. Taki vo bole kam sune juada. Us sales girl se jyada to apni biwi se sikh liya hai. Bole kam aur dhyan se sune. Aur jab bhi bole samne vale ko encourage kare. Achha sikha hai unhone.

Achha sikhe hai. Apni kam ki bat nikalva hi lete hai. Khas kar market ke halat par najar rakhna jaruri hai. Aur vo ladki vahi likhti hai. Amezing game.

Ladki ki jankari badi siddat se de rahi ho. Nai jawan londiya hai. Guddi ki tarah. Koi game lonch karne vali ho kya??? Amezing.

Ye lo yaha to kanya unka muh khulvana chahti thi. Aur unhone bhi vahi bola. Jo vo sun na chahti hai. Bade khiladi ban gae hai vo wow. Amezing.

Wow bato bato me apne investment ke alava bas Washington office ki bas jarasi hint de di. Taki pichhe apna bada backup show kar sake. Unhe jo jatana tha. Vo jata diya. Amezing. Sayad machhali chara kha gai.

Bas ab kal tak ki news ka intjar hai. Jese hi retail shareholder tak ye khabar jae. Aur dhakadhak market value up. Kya plan hai. Amezing..

Ye muje abhi bhi samaz nahi aaya ki hotel booking me mrs demalo ko kyo show kiya. Khel bahot dilchasp hoga.

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Umakant007

चरित्रं विचित्रं..
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komaalrani ... Strategic update... i think it's almost 5-6 years when your story took a intermission/ gap due to Xossip was closed...But it linked with some of the last update's you posted on this site.

I want to tell you that you are always my best देवनागरी writer but it's also true that I really stop to read or comment on this thread because of pure रं*** you wrote after Reenu and his husband's arrival. It was too much vulgar and disturbing for a reader like me.

But now you got your old line & length again. Welcome back जिज्जी

Good 👍 Nice writing. I already told you that I have no words for you and your extraordinary writing skills ❤️.

Keep writing... अत्र कुशलं तत्रास्तु... जय जय
 
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