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Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

komaalrani

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भाग २४१ - मस्ती पार्क में अपडेट

पोस्ट हो गया है, पृष्ठ १४८४

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भाग २४० घर आया मेरा परदेशी

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गुड्डी


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वो अगले दिन सुबह बृहस्पतिवार को लौट पाए , पर उन्हें सीधे आफिस जाना था ,

मैंने उन्हें कई बार मेसेज किया, पर मीटिंग कांफ्रेस , ट्रैफिक जाम ,

ही मिस्ड बाई अ व्हिस्कर। उनके आते आते देर हो गयी थी .

नहीं नहीं,…. मुलाक़ात हो गयी थी दोनों की।

लेकिन गुड्डी थी न, जो काम उनके बस का नहीं होता था वो आगे बढ़कर, ….और जब से उसकी हेल्प के लिए मैं आ गयी तो बस,

बस मिस नहीं हुयी।

मैंने बताया था न, गुड्डी को एक बूट्स कैम्प में हफ्ते दस दिन के लिए दिल्ली जाना था वो भी चाहती थी इनसे मिल के जाए और इनकी तो हालत खराब थी इत्ते दिन से उसे देखा नहीं था, तो बस पहुंचने के बाद, जब तक ये उसके स्कूल पहुँचते बस चल दी थी, इनकी कार ने पीछा किया भी, लेकिन बीच में एक दो लाल सिग्नल,... कानून तो जिंदगी भर इन्होने तोडा नहीं था, बस उन्हें लगा गुड्डी से नहीं मिल पाएंगे,

लेकिन इनके लगने से क्या होता है, इनके भरोसे रहती तो ये उसकी शलवार का नाड़ा भी नहीं खोल पाते, वो हाईस्कूल से ही तैयार बैठी, इशारे पर इशारे किये,लेकिन,... जब मैं आयी तभी मेरी प्यारी ननद पर उसके भइया चढ़े,... और अभी भी मैं थी न बस, मुझे मालूम था अगर ये गुड्डी से न मिल पाए तो इनका सारा मूड खराब हो जाएगा,... लेकिन मेरे बस का भी कितना था, मैंने बस इनकी लोकेशन गुड्डी को भेज दी,

और आगे का काम गुड्डी ने सम्हाल लिया,

वो लोकेशन में देख रही थी, एकदम चोर पुलिस हो रहा था, कभी लगता की उसकी भैया की कार आ ही गयी पर वो लाल सिग्नल, बस वो समझ गयी अगर उसने कुछ नहीं किया तो उस बुद्धू लड़के के बस का कुछ नहीं ही सिवाय जब तक वो लौटेगी नहीं मूड खराब कर के बैठा रहेगा,..

बस उसने २ मिनट में ११ बहाने बनाये,



वो गलती से अपने भैया का फोन ले के आ गयी है, उसके भैया की कार पीछे ही है, वो उसका फोन ले के आ रहे हैं।

वो बूट कैम्प का कागज़ भूल गयी है, उसके भैया ले के आ रहे हैं, ...

उसे बहुत तेज उलटी आ रही है अगर दो मिनट को बस नहीं रुकी तो,... प्लीज ड्राइवर साहब बस दो मिनट साइड में,...

जबतक वो इस बहाने तक पहुँचती की उसके पीरियड शुरू हो गए हैं, उसके लिए उसके भैया पैड लेकर आ रहे हैं बस सीट वीट सब, ...

उसके पहले ही बस रुक गयी.

बस भी बेबस थी गोमाता के आगे, कहते हैं जब अत्याचार बहुत बढ़ जाता है तो पृथ्वी गो माता का रूप धर के,...

तो गोमाता का एक बड़ा सा झुण्ड, सड़क पर आ गया था,... और सोच रहा था सड़क पार करें न करें या वापस लौट जाएँ,...

तो बस, बेबस बस रुकी, और बस दो मिनट कह के गुड्डी बस से उतर गयी,... अब उसे छोड़ के तो बस जा नहीं सकती थी,

मेरे पास गुड्डी के बस की लोकेशन भी थी और गुड्डी का मेसेज भी आ गया, बस रुक गयी है,

बस मैंने बस रुकने का मेसेज इन्हे भेज दिया, अब तो सिग्नल क्या आग का दरिया भी होता तो ये फांद कर अपने बचपन के माल के पास,
बंगाली बाला के लिए मामला सेट किया जा रहा है...
गुड्डी को बाहर भेज के...
और गोमाता तो सड़कों पर एक बड़े रेड लाईट सिग्नल के बराबर है...
 
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मिल गयी गुड्डी, छुटकी बहिनिया
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दोनों ने कस के एक दूसरे को भींच रखा था, बात करने को बहुत कुछ था पर बात निकल नहीं रही थी मुंह से,



बस ये यही बोल पाए, " अपना ख्याल रखना"

गुड्डी चालू हो गयी, टिपिकल गुड्डी,

" स्साले गांडू, भोंसड़ी के, अपना ख्याल मैं रखूंगी तो तुझे क्यों इत्ते साल से राखी बाँध रही हूँ, वो भी बिना पैसे के,"

फिर कस कस के दस बीस चुम्मी ली, वहीँ बीच सड़क पे, और पैंट के ऊपर से उनका खूंटा कस के रगड़ दिया, आखिर इसी ने तो उसकी प्रेम गली का दरवाजा खोला था और जैसे उससे बात कर रही हो, बिना खूंटे को छोड़े बोली,

" बुद्धू, जब अक्ल बँट रही थी तो क्या गाँड़ मरवाने गए थे, इतना मुंह काहें लटकाये हो। अपने बहनोई के साथ नहीं बिदा कर रहे हो,… अपने बहनोई भी अब तुम्ही हो, और मेरी मीठी भौजी के नन्दोई भी समझ गए, …सिर्फ दस दिन के लिए जा रही हूँ, और उसमें भी पांच दिन तो नीचे की दूकान में कल से ताला लग जाएगा। और साले जो चौदह नर्ड मेरे साथ जा रहे हैं उन्हें चुदाई का एबीसीडी नहीं मालूम, उन सालों का खाली फिजिक्स का न्यूमेरिकल देख के खड़ा होता है , उनके सामने उनकी माँ बहन चोद लो कुछ उन्हें फरक नहीं पडेगा, और वैसे भी बूट कैम्प में १० घण्टे तो पढ़ाई होगी रोज, ४ घंटे एग्जाम और बाकी के दस घंटे में ४-५ घंटे रिवीजन, और सुन ले,... "

गुड्डी पल भर के लिए चुप्प हुयी, उन्होंने सोचा कुछ बोले, लेकिन जब तक वो तय कर पातें क्या बोले गुड्डी ने अबकी पैंट के अंदर हाथ डाल के कस के उनके मोटू को कस के दबा दिया और साफ़ साफ़ बोली,

" देख मोटू, मैं दस दिन नहीं रहूंगी, लेकिन एक दिन भी उपवास नहीं होना चाहिए, मेरे भैया की दो मीठी मीठी सालियाँ है न फाड़ के रख देना, अगवाड़ा भी पिछवाड़ा भी , साली की भी, सास की भी. "

बस वाला बार बार हार्न दे रहा था, बस में से लड़के पीछे मुड़ के देख रहे थे, गुड्डी ने बिना पैंट में से हाथ निकाले उन्हें फाइनल होमवर्क पकड़ाया,...

" सुन गांडू, कान खोल के पहली बात मेरी भाभी की बात आँख मूँद के मानना,

दूसरी उन तीनो बंगलिनों की जम के लेना, मेरी नाक मत कटाना, अगवाड़ा पिछवाड़ा दोनों माँ बेटियों की, जब मैं लौट के आऊं तो दोनों की चूत का भोंसड़ा बन जाना चाहिए, मैं तीन ऊँगली डाल के चेक करुँगी, बिना थूक लगाए, ..सट्ट से घुसना चाहिए, “

गुड्डी ने एक पल के लिए साँस ली, मुट्ठी में पकडे हुए इनके मोटू को गिन के पांच बार दबाया, छोड़ा, स्साले को दबोचे पूरे तीन दिन हो गए थे और अब फिर दस दिन कम से कम इस मोटे अजगर से दूर रहना था, और उसको काम भी पकड़ाया,

" सुन स्साले, सिर्फ भरतपुर के कूँवे में ही डुबकी मत मारते रहना, पिछवाड़ा भी फाड़ना, वो भी खूब हचक के, ज्यादा तेल क्रीम के चक्कर में नहीं, चिल्लाएं ससुरी, चोकरे, लेकिन एक बार में पूरा, अपनी बहन का पिछवाड़ा तो रसोई में ही तीन बार मार लिया था, एक दिन में आधा दर्जन बार मेरी गांड मारी थी, तो स्साली के साथ कोई दया दिखाने की जरूरत नहीं है और उस बंगालिन का भी पिछवाड़ा कोरा है, उन दोनों की माँ का, उस का भी उद्घाटन कर देना बल्कि माँ बेटी का साथ साथ "

उधर बस वाला हार्न पर हार्न दे रहा था लेकिन गुड्डी की क्लास चालू थी।

अगर मेरी बात मानी तो इनाम में याद है हम दोनों ने गीता को क्या प्रॉमिस किया था,... जियो जियो रे लला, बस वो ताला डाक्टरनी भाभी को जा के वापिस कर के आउंगी, पांच दिन की मेरी छुट्टी, बस वही, ... और नहीं मानी अगर वो तीनो बंगालिन बचीं तो ऐसी गाँड़ मारूंगी की, ... और मेरे उपवास की चिंता मत करना कोचिंग की पार्टी में मैंने ऐसी दावत उड़ाई है, की दस पंद्रह दिन का उपवास कुछ नहीं है, भाभी को पूरा किस्सा मालूम है वो सुना देंगी,... "

तबतक बस का ड्राइवर और एक दो लड़के उतर के गुड्डी की ओर आने लगे,



गुड्डी को कोई फरक नहीं पड़ रहा था, कस के दबोच के चार चुम्मी ली, और हंस के कान में बोली, " अपना ख्याल रखना, और मेरा कुछ नहीं होगा, तू है न "


गुड्डी को कुछ याद पड़ गया था वो उसने बिसराया और झटके से मुड़ी की उसकी आँखों में तिरता आंसू का एक टुकड़ा कहीं नजर न आये, और दौड़ के ड्राइवर के पहले बस में,

गुड्डी के मन में वो बात दौड़ रही थी जब भाभी और भैया आये थे, पंद्रह दिन भी तो नहीं हुए थे उसकी कोचिंग के एडमिशन की बात बस चल ही रही थी,

उसके मुंह से निकल गया " अगर आप न होते "


और भाभी ने जोर से हड़काया, " वाह क्यों न होते, अगर ये न होते तो मेरी शादी किससे होती, किसके मैं कान पकड़ती, " और कित्ती जोर से हड़काया था इनको,

" मेरी ननद तेरी भी कुछ लगती है, खाली मुफ्त में राखी बंधवाने के लिए या इसकी कच्ची अमिया देख के ललचाने के लिए, आज ही उस स्साले मल्होत्रा से बात करो, कल तक एडमिशन पक्का करो, वरना ये मेरी ननद तो मिलेगी ही नहीं, मेरी भी टाँगे सिकुड़ जाएंगी करते रहना ६१-६२. "



गुड्डी मुस्करायी लेकिन फिर सिहर गयी अपनी बड़ी भाभीकी पिलानिंग सोच के, दिया ने उसे सब बता दिया था, कैसे वो अपने उस कजिन कम यार के आगे, उसे फ़ोर्स करतीं की वो माफ़ी मांगती, खुद अपने शलवार का नाड़ा खोलती, और कैसे सबको बेवकूफ बना के उनका प्लान था डाक्टरी के नाम पे किसी नर्सों के कालेज में, बल्कि मिडवाइफ के कोर्स में उसकी भर्ती कराने का, उसकी रगड़ रगड़ के दुर्गत करने के,... और अब वो न सिर्फ बेस्ट कोचिंग में हैं बल्कि उसमे भी चुने हुए स्टूडेंट्स,



वो खिड़की से बाहर देख रही थी, बस चलती जा रही थी, दूर भैया अभी भी दिख रहे थे, हाथ हिलाते,... मुस्कराते हुए गुड्डी ने एक फ़्लाइंग किस उछाल दिया, तब तक के नर्ड आ कर उसके बगल में बैठ गया, बोला,

" अभी दिल्ली पहुंचने में काफी टाइम लाएगा, चलो टाइम पास करने के लिए थर्मोडायनिक्स के फार्मूले चेक करते हैं "

" ठीक, मैं एन्ट्रोपी से शुरू करती हूँ , दस मैं बताउंगी, दो मिनट के अंदर, उसके बाद अगले दस तुम, ... " गुड्डी मान गयी।
जिक्र दो हीं छेद का किया...
क्या तीसरा कोरा रह जाएगा...
गुड्डी की चेतवानी...
अब तो कबूतरियों की खैर नहीं...
 
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बृहस्पतिवार -सुबह -अपने शहर, अपने घर


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कई बार बाजी हार कर भी जीत जाते हैं लोग और गुड्डी के साथ भी यही हुआ। गुड्डी आम वाली बाजी हार गयी थी और जबरदस्त हारी थी, मेरे इनके घर आने के अगले दिन ही मुझे दस घंटे में कम से कम बीस बार पता चल गया था, इनकी आम वाली चिढ के बारे में, 'खाना तो दूर नाम भी नहीं ले सकते, आप को अगर पसंद हो तो आप भी छोड़ दीजिये, एकदम खाना क्या छूना भी,'

लेकिन मैंने भी तय कर लिया था, ये स्साला मर्द अब मेरा है और सिर्फ मेरा, और सबसे पहले और जितनी जल्दी इन स्साली इनके मायकेवालियों को मालूम हो जाए उतना अच्छा, उनके लिए भी और मेरे लिए भी, बस गुड्डी ने बाजी लगा ली, की मैं उसके भैया को उसके सामने उसके हाथ से आम खिलवाउंगी, साल भर के अंदर

और बाजी हार गयी, हारनी ही थी, और साथ में हार गयी अपना जोबन और भरतपुर ( जो वो खुद मेरे मर्द पे लुटाना चाहती थी ) लेकिन हारने के बाद कभी कभी ननद भी अच्छी लगने लगती हैं और गुड्डी भी मेरे कैम्प में आ गयी और उस दिन से लेकर आज तक, मेरी सबसे बड़ी चमची भी, दोस्त भी,

पर पिछले तीन दिन से वो एकदम जबरदस्त बिजी हो गयी थी और हुड़क रही थी अपने भैया कम भतार के लिए।

लांग वीकेंड में तो तीन दिन मेरे दोनों जीजू ने रगड़ के उसे चोदा और मेरे बहन रीनू के जीजू, मतलब मेरे मर्द ने भी, पर सोमवार की सुबह जीजू लोग गए, उनके निकलंने के पहले ये अपनी ग्लोबल कांफ्रेंस के चक्कर में आफिस चले गए और फिर तब से, और गुड्डी भी, उसकी सुबह सुबह ऑनलाइन क्लास, फिर टेस्ट, पूरे दिन, रात में नौ बजे के बाद ही कोचिंग से फ्री हुयी।



मेरे और मेरी बहन के जीजू लोगों के साथ तो पिछले हफते के लांग वीकेंड में २४ घंटे में १४ घंटे जो चुद ही रही थी और जब मर्दो का इंटरवल हो दोनों भाभियाँ, और सबसे ज्यादा रीनू ने अपने जीजा को, गुड्डी के भैया को क्या इस टीनेजर के पिछवाड़े का स्वाद लगाया, सेक्स में इन्हे खूब मजा आता था लेकिन पिछवाड़े के ये ज्यादा शौक़ीन नहीं थे, पर पहली बार अपनी स्साली के चक्कर में बहन के पिछवाड़े का वो मजा लगा उन्हें , गुड्डी की गाँड़ उन तीन दिनों में दर्जन भर बार तो कम से कम मारी गयी होगी, लेकिन उस दर्जन भर में से आधे दर्जन से ज्यादा उसके भैया और मेरे सैंया ने ही मारी



लेकिन मस्ती में जो हाल था गुड्डी का वही पढ़ाई में कम से कम १६ घंटे तो वो लड़की नान -स्टॉप पढ़ती थी और मेरे ख्याल से सोते हुए भी सपने में फिजिक्स के फार्मूले दुहराती थी। और मंडे को वो रिकार्ड भी उसने तोडा, पता चला की कोई टेस्ट था।

लेकिन एक टेस्ट और था अगले दिन, जिसके बारे में मुझे मिसेज मल्होत्रा ने पहले दिन ही दिन बता दिया था और गुड्डी को मैंने और मुझसे ज्यादा उसकी सहेली रानी ने।

देह का टेस्ट, जबरदस्त रगड़ाई वाला, कोचिंग की पार्टी,.... और गुड्डी तो उसका इन्तजार कर ही रही थी, गुड्डी के दर्जनों चाहने वाले भी, तो मंडे को जब वो घर लौटी तो पहले तो रानी का मेसेज आया आधी रात को और फिर थोड़ी देर बाद सोशल कोआर्डिनेटर का, पार्टी का और थोड़े डिटेल।


अगले दिन क्लास तो हल्का था, लेकिन पार्टी की तैयारी और लेट इविनिंग घर से निकलना


और उसके अगले दिन मैं गयी उसे पार्टी के बाद पिक अप करने गयी, दोपहर होने को आ रही थी, टाँगे फैली, किसी भी तरह खड़ी नहीं हो रही थी, कैसे कर के मैं ले आयी और बुधवार के दिन पहले तो आराम, फिर एक स्पा में हम दोनों ने मसाज कराया, थोड़ी साथ साथ स्वीमिंग की तो वो फिर फ्रेश हुयी, फिर घर लौटी तो गीता ने ही उस दिन सब काम सम्हाला लेकिन फिर उसी रात मेसेज आया और मैडम जी पहले खूब खुश,... फिर चेहरा उतर गया

बूट कैम्प के लिए मंडे को जो मैराथन टेस्ट हुए थे, मैडम गुड्डी जी सेलेक्ट हो गयीं थीं

और ये टेस्ट स्काई कोचिंग की लोकल मिसेज महोत्र वाली ब्रांच ने नहीं बल्कि एक साथ ऑनलाइन ऑल इण्डिया हुआ था, और उसमे गुड्डी रानी सेलेक्ट हो गयी थीं। और ये ख़ुशी की बात ही थी। इस सेंटर से सिर्फ १५ लोगों का सेलेक्शन हुआ जिनमें मेरी ननद थी और मिसेज मल्होत्रा ने मुझे बताया था ( हालांकि मैंने गुड्डी को ये बात नहीं बताई थी ) की पिछले ७ सालों का रिकार्ड है इस सेंटर का, जिन जिन स्टूडेंट्स का बूट कैम्प के लिए सेलेक्शन हुआ उनका मेडिकल में जरूर सेलेक्शन हुआ और बहुत ही रीगरस पढ़ाई होती है बूट कैम्प में। गुड्डी ने झट झट अपने सारे फेसबुक पेजों पर, इंस्टा पर, हर जगह अपनी स्टेटस अपडेट की, लेकिन उसके बाद उदास हो गयी।

'सुबह बारह बजे के पहले बस निकल जायेगी, और बिना भैया से मिले,...


उस समय तक न मुझे मालूम था न उसे ये कहाँ हैं,.... हाँ थोड़ी देर बाद उनका मेसेज भी आ गया और गुड्डी से मिल भी लिए, ...जिसके लिए असली क्रेडिट गुड्डी को ही जाती है।



तो आज बृहस्पति का दिन, और गुड्डी से मिलने के बाद ये ख़ुशी ख़ुशी घर
होम स्वीट होम...
साथ में गुड्डी से मिलन...
अब तो जादुई असर होगा खूंटे पर...
 
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motaalund

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मेरा पति
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गुड्डी ने मुझे बोल तो दिया था, अपनी पार्टी की मस्ती जो जबरदस्त गैंग बैंग हुआ था उसका वो बताने के लिए, लेकिन मैंने इन्हे बताया नहीं, इनकी परेशानियां खतम नहीं हुयी थीं अभी. पर इसका मतलब ये नहीं की आप सब को भी नहीं बताउंगी की इनकी बहिनिया का गैंग बैंग कैसे हुआ,... बताउंगी, पूरे डिटेल के साथ चार पांच पार्ट में।

असल में थोड़ा बहुत गैंग बैंग की प्रैक्टिस तो मेरी बहिनिया रीनू ने करा दी थी, मेरे दोनों जीजू के साथ, और फिर रीनू के जीजा भी थे, गुड्डी के भैया भी यार भी।

तो कई बार तीन तीन एक साथ चढ़े गुड्डी के ऊपर, ... दोनों छेदो का मजा तो हम दोनों बहनों ने भी साथ साथ लूटा ननद के साथ, स्ट्रैप ऑन के साथ, तो तीन दिन में उसकी डी पी की अच्छी प्रैक्टिस हो गयी थी।

पार्टी जो १२ घंटो की थी असल में १८ घंटे चली , सुबह आठ बजे सबको वापस हो जाना था लेकिन दोपहर दो बजे सब लौटे, और आखिरी के आठ नौ घंटो में वही ग्रुप वाला खेल, ... चार ग्रुप थे, हर ग्रुप में चार लड़कियां आठ लड़के, दो से ढाई घंटे का टाइम, उसके बाद ग्रुप बदल जाता था, जिससे ज्यादा से ज्यादा लड़के ज्यादा से ज्यादा लड़कियों के साथ, और नाम भी बस रैंडम निकल जाता था,... और हर बार डीपी तो कभी कोई लड़की थक गयी, सरेंडर बोल दिया, गेम से बाहर निकल गयी तो तो जो बची उसके साथ थ्री सम,... और उसके पहले रानी ने जो लिस्ट दी वो या जिसका जिसके साथ मन करे और और एक दो घंटे डांस मस्ती, बीच बीच में ब्रेक भी,...

रानी का रिकार्ड गुड्डी ने तोड़ दिया,...

सब बताउंगी, लेकिन अभी उनकी बात, कुछ थर्ड परसन में कुछ वो खुद बतायंगे, बात बताने से मतलब है,... समझने से, इतना तो मुझे मालूम था की अगले पंद्रह बीस दिन क्रिटिकल थे, और उसमे उन्हें यहीं रहना था,...

तो चलिए एक बार वो कम्पनी की उठापटक आगे की बात,मेरी उनकी उठापटक के बारे में,...पहले

पता नहीं पति के बारे में आप सब की क्या धारणा है लेकिन मेरी तो,...

और वो तो टिपिकल पति भी ठीक से नहीं है, दोस्त, पार्टनर, मेरी बदमाशियों में साझीदार,

बिना कहे हम लोग एक दूसरे की बात समझ लेते थे, चेहरे से पता चल जाता था ये लड़का क्या चाहता है। भले डांट पड़ने के डर से उसकी हिम्मत न पड़ रही हो मुंह खोलने की,

मुझे लगता है पति, कम से कम मेरे लिए हवा टाइप चीज है, रहता है तो लगता है,... है तो, बल्कि पता भी नहीं लगता,

लेकिन न रहे तो जी अफनाने लगता है, कोई फोन बजे, दरवाजे की घंटी बजे, ... लगता है इन्ही का होगा, जबकि मालूम था ये फोन नहीं कर सकते, अभी आ भी नहीं सकते,... पर मन का क्या करें,... तीन चार दिन,... लगा कितने दिन बीत गए।


और चेहरे से ख़ुशी टपक रही थी, जैसे जग जीत के आये हैं, जग तो जीत के आये ही थे और वो सब ख़ुशी हवा हो जाती अगर गुड्डी से मुलाकात नहीं हो पाती, लेकिन वो भी मिल गयी,

कस के उन्होंने मुझे भींच लिया, दरवाजा भी ठीक से नहीं बंद करने दिया, और वो कुछ करते उसके पहले पागलों की तरह मैं उन्हें चूम रही थी।


पूछना तो बहुत कुछ चाहती थी, क्या हुआ, कैसे हुआ, सब ठीक है लेकिन न उस लड़के ने बोलने दिया न मैं पूछ पायी। और वो बोलता भी कैसे उसके दोनों होंठों को तो मेरे होंठों ने भींच रखा था,

लिविंग रूम में हम दोनों के कपडे चारो ओर फैले,... और मैंने धक्के देके उन्हें सोफे पे बिठा दिया,... और चिढ़ाते हुए पूछा.

" क्यों बहिनिया चली गयी इस लिए परेशान हो " मैंने चिढ़ाया।

बेचारे जब ठीक ठाक होते तो मुंह नहीं खोल पाते और अभी,... गुड्डी ने सब अपनी शरारतें बताई थीं, चुम्मी से लेकर कैसे अपने छोट छोट जोबना अपने भैया के सीने पे रगड़ा और खूंटा जैसे ही खड़ा हुआ, पहले तो ऊपर,... फिर भरी सड़क पे, पैंट के अंदर हाथ डाल के हाल चाल ली,...

और वो खूंटा अभी तक फनफनाया था, और मुझसे भी नहीं रहा गया, बस गप्प से सीधे मुंह में, पूरा नहीं बस थोड़ा, जस्ट सुपाड़ा और हलके हलके चुभलाने लगी, पर मुझे ऐसे जम नहीं रहा था, दोनों चूतड़ों पर उन के हाथ लगा के मैंने इशारा किया और वो खड़े,... उनका वो खड़ा,... और मैं मुंह खोल के बैठी, बस उन्होंने मेरा सर पकड़ के ठेल दिया, मोटा सुपाड़ा सीधे हलक तक,

इतना अच्छा लगा रहा था, उनका टच, उनकी प्रजेंस, एक जानी पहचानी सी छुअन,... बस मैंने होंठों का दबाव बनाया, मेरी आँखों उनको शरारत से देख रही थीं, चिढ़ा रही थीं, उनके बिना घर इतना सूना लगता था,... पर अब, मेरी उँगलियाँ भी बदमाशी पर उतर आयीं, ... कभी उनकी बॉल्स को छू लेती, कभी पिछवाड़े के छेद को खरोंच देती तो कभी खूंटे के बेस को दबोच देती।

चुसम चुसाई हम दोनों के लिए स्टार्टर की तरह था, बस एक टीज़र चाहे वो करें चाहे मैं, मेंन कोर्स में तो इंटरकोर्स ही था धक्कम धुक्का, पेलम पेलाई।

लेकिन आज मैं अपनी मर्जी करने वाली थी , तीन चार दिन ऐसे गायब,... अभी बताती हूँ, बस मैंने मुंह की कैद से उसे आज़ाद नहीं किया, और चूसती रही, वो भी सब कुछ भूल के मुंह में धक्क्के मारते रहे,

समय रुक गया था, बस मैं थी, वो थे और मस्ती थी,...



पता नहीं कितना टाइम गया, पांच मिनट दस मिनट, मैं तो बस उस ठोस छुअन का मजा ले रही थी, मुंह में होनेवाली रगड़ घुस का जो सुख सुहागन को मिलता है उसका मज़ा उठा रही थी,... जब वो झड़ना शुरू किये तो बस मैंने कस के दोनों हाथों से मुंह में पूरे खूंटे के बेस को जकड़ लिया,... एक बार दो बार और अब अब एक अलग स्वाद उस रबड़ी मलाई का,



थोड़ी देर बाद ही मैंने उन्हें निकालने दिया और शरारती लड़की की तरह बड़ा सा मुंह खोल के उन्हें दिखाया चिढ़ाया,

एक एक बूँद उस थक्केदार गाढ़ी रबड़ी मलाई की मेरे मुंह में थीं,...

फिर मुस्कराते हुए मुंह बंद किया,

गटक,

और थोड़ी देर बाद जब मुंह उसी तरह बड़ा सा खोल के उन्हें दिखाया, एकदम खाली,...जैसे जादूगर अब्रा कैडबरा बोल के पिंजड़े से खरगोश गायब कर दे,

और वो मुस्करा दिया, स्साली यही उनकी मुस्कराहट और आँखों की चमक तो जानमारु थी,... सब कुछ लूट लिया था मेरा

थोड़ी देर में हम दोनों बेड रूम में एक दूसरे की बांहों में वो बहुत कुछ सुना रहे थे, लेकिन मैं कुछ सुन रही थी कुछ अनसुनी कर रही थी, मेरे लिए तो उनकी देहपाश का बंधन, उनकी देहगंध, वो चिरपचित उपस्थित ही बहुत थी,...
बहुत दिनों बाद मियां-बीवी अकेले मिल पाए...
अब तो प्रेम स्नेह और मोहब्बत की अभिव्यक्ति के कोई रोक-टोक नहीं..
कोई हिस्सा बंटाने वाला नहीं...
 
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मैं,वो और हम

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लेकिन एक बात मैंने सुन ली वो काम की थी, अगले बीस पच्चीस दिन वो कहीं नहीं जाएंगे, बस यहीं,...

और मैंने उन्हें कस के दबोच लिया। कहते हैं महिलायें अपनी भावनाएं कई ढंग से व्यक्त करती हैं, लेकिन मैं सिर्फ एक तरीका जानती हूँ इस लड़के के साथ, कस के दबोच के, गाल काट के चूम के और जिस जोबना का यह पहले दिन से दीवाना है उसे खुल के उसके सीने पे रगड़ के,... लेकिन इस सब का जो असर हुआ वही हुआ,



वो बदमाश फनफनाने लगा, खूंटा एकदम खड़ा, ... मैंने और कस के दबोच लिया, मुट्ठी में नहीं अपनी जाँघों के बीच और चिढ़ाया,...



" क्यों बहिनिया की याद आ रही है बड़ा जोर से खूंटा खड़ा किया है, लेकिन वो छिनार तो दस दिन के लिए गयी. "

उन्होंने अब सीधे मेरी चुनमुनिया पे रगड़ के बता दिया की किसके लिए खड़ा किया और प्रेमगली भी मेरी इस रगड़ारगड़ी में गीली हो रही थी. वो भले ही चुप थे लेकिन मैं नहीं चुप रहने वाली, मैंने फिर छेड़ा,

" अरे अब कुछ दिन बाद महतारी आएँगी तोहार, बहिन की कसी चूत क मजा बहुत ले ले लिए अब कुछ दिन अपनी महतारी के भोंसडे का मजा लेना "

बहिन की गाली तक तो ठीक था लेकिन महतारी की गारी सुन के वो एकदम फनफना जाते थे, और वही हुआ,... सीधे पलट के, ... मेरी टाँगे उनके कंधे पर और क्या धक्का मारा आधा खूंटा अंदर,

मेरी चूल चूल ढीली हो गयी, ऐसे जोर के दरेरते रगड़ते धक्के लग रहे थे और मजा भी बहुत आ रहा था,... कुछ देर बाद जब मैं बोलने वाली हालत में आयी,... तो नीचे से धक्के का जवाब धक्के से देती फिर से चिढ़ाया,

" क्यों अपनी महतारी का भोंसड़ा याद आ रहा है, बोल चोदना है न अपनी महतारी को, "

" नहीं कत्तई नहीं " वो साफ़ मुकर गए,... फिर एक बार उन्होंने मेरी दोनों टाँगे अपने कंधे पर सेट की,... खूंटा ऑलमोस्ट बाहर निकाला और क्या धक्का मारा, मेरी बच्चेदानी हिल गयी , सुपाड़ा ऐसे जोर से लगा,... और मेरे गाल काट के बोले वो,



" तेरी सास की लूंगा ऐसे ही,... "

मारे ख़ुशी के मैंने उन्हें कस के भींच लिया, गाल काट लिए, कंधे में नाख़ून गड़ा दिए और एक से एक गारी अपनी सास को दी,

" मेरी सास का खसम, अपनी सास की गाँड़ अपने मरद से मरवाऊँ, अपने खसम के खूंटे पे अपनी सास को बैठाऊँ,... मायके के यार भूल जाएंगी "


फिर हम दोनों मिल के बस, धककम धुक्का, रगड़ा रगड़ी,

सच में सिर्फ तीन दिन इनके बिना थी, लेकिन लग रहा था तीस साल निकल गए, और ये बदमाश लड़का देखने में इतना सीधा, लेकिन बिस्तर पे ऐसा बदमाश, नम्बरी चोदू, और अब मुझे तड़पना भी सीख गया था, जो थोड़ी बहुत कसर थी भी तो तीन दिन में मेरी कमीनी बहन, इनकी साली रीनू ने सिखा पढ़ा के पक्का कर दिया था,

जब मेरा मन कर रहा था, ये धमधूसर, तूफानी पेलाई करे, उस स्साले अपनी महतारी के भतार ने निकाल लिया और खूंटे के जगह पहले तो पांच मिनट उसके होंठों से, क्या जबरदस्त चुसम चुसाई की, जीभ डाल के अंदर तक, कभी मेरी जादू की बटन को चूसता

और मैं चूतड़ पटकती, अपनी सास को, गिन गिन के इसकी मायके वालियों को गरियाती,

" स्साले ये मोटा खूंटा किसके लिए खड़ा किया है, मेरी सास के लिए, अरे उसे तो मैं गली के गदहों से चुदवाउ, पेल ने "

और वो बदमाश मेरी फुदकती, फड़फड़ाती, फांको पे अपने मोटे लाल लाल सुपाड़े से रगड़ता, बस अंदर न घुसेड़ता और जब मैंने फिर से हड़काया,

" मेरी सास के भतार, मेरी ननद के यार, अभी तो मेरी सास आयी भी नहीं है किसको चोदेगा, बहन भी तेरी चली गयी है जो इतना तड़पा रहा है

" तेरी सास की बहु को " हँसते हुए वो बोला और क्या करारा धक्का मारा, और फिर जो पेलना ठेलना धुरु किया, जबतक बच्चेदानी तक मूसल नहीं घुसा पेलगाडी चलती ही रही

लेकिन वो स्साला अगर मेरी सास का पूत था तो मैं भी अपनी सास की बहू थी, और थोड़ी देर में ही पटक के उन्हें, मैं ऊपर चढ़ बैठी, मैं ऊपर वो नीचे, मेरी भी फेवरिट पोज और उनकी भी, और उनके दोनों हाथ मोड़ के उनके सर के नीचे, और अब धक्के रोक के कुछ बातें मैं पहले साफ़ कराने पे जुट गयी,

" स्साले, मेरी सास के भतार, अगर अब कहीं ऐसे अगले पंद्रह बीस दिन तक बाहर गया, बिना मुझे लिए, बोल जाएगा, "

"नहीं, नहीं, एकदम नहीं, " जोर जोर से ना में सर हिलाते हुए उन्होंने कबूला।



और झुक के उस लालची को मैंने चूम लिया और कस के दोनों जोबन का धक्का उसकी छाती पे लगा के बोली,

" अभी तो तेरी बहिनिया भी नहीं है, दस दिन के लिए बाहर है और तेरी माँ अभी आयी नहीं है, तो रोज बिना नागा तेरी लूंगी मैं, निचोड़ के रख दूंगी और इन तीनो दिनों का उधार अलग " और फिर क्या कोई मरद गौने की रात नयी नवेली कच्ची कली को पेलेगा, जिस तरह के धक्के मैंने लगाए और ये बात सही भी थी, उनकी बहन इतने दिनों से लाइन मार रही थी, लेकिन स्साले की नथ तो मैंने ही उतारी, और किसी के बस का भी नहीं था , ऊपर से लिखवा के लायी थी।



और जैसे वो मूड में आये, मेरी कमर पकड़ के नीचे से धक्के मारने लगे, मैंने उन्हें रोक दिया और खुद भी रुक गयी,

" चल स्साले, पहले मेरी सास को दस गाली दे, वो आने वाली हैं हफ्ते दस दिन में, तो सिर्फ चोदेगा ही या गाँड़ भी मारेगा अपनी माँ की "

एक दो पल के लिए झिझके लेकिन जो मैं सुनना चाहती थी, सुन के ही मानी मैं

लेकिन थोड़ी देर बाद ही मैं निहुरी थी और वो पेल रहे थे।

कितनी देर तक चला, पता नहीं,

मैं कितनी बार झड़ी पता नहीं ,



लेकिन बस ये याद है की बहुत देर बाद जब मैं झड़ी तो साथ में ये भी मेरे अंदर और हम दोनों एक दूसरे को भींच के बहुत देर चुप चाप,



लेकिन फिर मेरी वही सौतन, छिनार



इनके आफिस का फोन,... सवा घंटे बाद वीडियो कांफ्रेंस थी, दीर्घलिंगम साहेब से उनके सेक्रेटरी का फोन आया था,...

बस झटपट हम दोनों ने मिल के किचेन में कुछ बनाया वहीँ खाया, लेकिन किचेन में भी न बदमाशी कम हुयी न मेरा उनको छेड़ना, मैं गुड्डी का नाम ले के छेड़ रही थी,

,
" हे कित्ती बार मारी थी मेरी ननद की गोल फुलवारी, बहुत मजा आया था न। अरे दस दिन बाद आएगी तो फिर से मार लेना, और अब तो उसकी जब पांच दिन वाली छुट्टी होगी तो भी पिछवाड़े की एंट्री तो फ्री ही रहेगी "

एक दो बार के बाद वो जोश में आ गए,

" चल वो नहीं है तो उसकी भाभी तो है, तो जरा उसके पिछवाड़े का भी स्वाद ले लूँ , अरे तू अपना काम करती रहना, मैं अपना काम करता रहूँगा, " और वहीँ स्लैब पे झुका के अपना खूंटा मेरे पिछवाड़े सटा दिया और किचेन में लुब्रिकेंट की तो कमी नहीं होती, घी, तेल, मक्खन, सब मौजूद,

लेकिन मेरा पिछवाड़ा बचना था, बेचारे जब तक सरसों के तेल का डब्बा खोलते, मिसेज डी मेलो, उनकी सेक्रेटरी का फोन आ गया, एक और मीटिंग, यहाँ के डिपार्टमेंट हेड्स का, और वो आधे घंटे में शुरू हो जायेगी, वि सी ( वीडियो कांफ्रेंस ) का अजेंडा आ गया है उसे डिस्कस करना है, वो मिसेज डी मेलो ने उन्हें व्हाट्सअप कर दिया है। कंपनी की गाडी आ रही है , बस पन्दरह मिनट में पहुँच जायेगी।


और ये ऑफिस में,



हाँ शाम को ये जब आये तो हम दोनों बहुत दिन बाद घूमने गए , एक पार्क था बहुत बड़ा सा, शहर के बाहर,...



और कम्पनी की कार से नहीं, इन्होने किसी की बाइक मांगी, बहुत दिन बाद हम दोनों बाइक पे मैं पीछे चिपक के बैठी, ... और मैं भी मस्ती के मूड में, कुछ इन्हे छेड़ने के लिए कुछ मजे के लिए गुड्डी का स्कर्ट और टॉप पहन लिया था, साडी पहन के बाइक पे चिपक के बैठने का मजा नहीं आता।



और उस पार्क में उन्होंने बहुत कुछ बताया,
आग दोनों तरफ बराबर की लगी है...
और बाइक पर खुले में मस्ती...
कुछ उच्छृंखल खुमार.. मादकता से भरपूर....
 
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Komal kahani sunana ek kala hai, kahani har koi sunata hai, par itne Dil se, jo padhne vale ke bhi Dil me sama jaye, ye kala sirf tumhare pass hai.

Mast discription
इस कला की महारथी....
 
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motaalund

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Wah maza aa gaya update main.

Geeta ko neg dene ka samaye aa gaya hai.ab bahiniya bhi bhai ko dudh pilaiyegi
पीछे महतारी भी हैं...
 
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motaalund

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शानदार अपडेट कोमल मैम


थोड़ा सा ही सही लेकिन उपवास टूटा तो सही


सादर
उपवास के बाद धीरे धीरे..
और शुरुआत में हल्का भोजन लें...
 
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