जोरू का गुलाम भाग २५६ पृष्ठ १६०७
अब मेरी बारी
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Mam kya aj humara luck Dat hai kya aj update nilega humeThanks so much, your support is very valuable
aaj abhi phagun ke din chaar par update diya haiMam kya aj humara luck Dat hai kya aj update nilega hume
Intezar karungaaaj abhi phagun ke din chaar par update diya hai
agala update isi stpry par hoga, thanks
One of the best part if the story. New updatr nhi aya to socha guddi ji seal tutne ka kissa fir se padh loon. Kitni baar bhi badhlo apko story bor nhi krti.बहना की चोली
बहना की चोली खुल गयी और उसके जिस जोबन के लिए पूरे शहर के लड़के मचलते थे , एक बार छूने को नहीं कम से कम देखने को मिल जाए,... और आज मेरी सैंया की मुट्ठी में,... और एक अबार जब जोबन पे इनका हाथ पड़ जाए,... मुझसे ज्यादा कौन जानता था जैसे कोई खजाने की चाभी पकड़ा दे , लाकर का कोड बता दे,... फिर तो सरेंडर होना ही था ,...
उनकी ऊँगली उस किशोरी के छोटे छोटे उभारों पे , एकदम टेनिस बाल साइज के होंगे परफेक्ट ३२ सी, ... बस छू रहे थे, सहला रहे थे,...
और गुड्डी के निपल एकदम खड़े मदमस्त,... जैसे चैलेंज कर रहे हों, है हिम्मत तो आ जाओ,...
पर इनकी शैतान उंगलिया बस निप्स के चारो ओर थोड़ी देर चक्कर काटती रहीं,... नहीं निप्स पकडे नहीं , ... बस अपनी हथेली के बीच की जगह से उसे हलके हलके सहला रहे थे, सिर्फ हथेली का सेंटर और निप्स की टिप्स एक दूसरे को टच कर रहे थे,
गुड्डी गिनगीना रही थी,
कुछ देर तक ऐसे ही , फिर जैसे बाज झपट्टा मार के आसमान से आके गौरेया को दबोच ले,... अचानक उन्होंने अपने हाथ से जोबन को कब्जे में कर लिया,
सावन से भादों दूबर,... तो फिर दूसरा हाथ भी तो ललचा रहा था बहना का दूसरा जोबन उसके हाथ में
दर्जा दस के आसपास से लड़कियों के उभरते जोबन ही लड़को की नींद दूभर करते हैं ,...
और गुड्डी के जोबन तो सबसे २२ थे, बड़े भी कड़े भी पर आज उन्हें मिला था पहली बार रगड़ने मसलने वाला,...
वो सिसक रही थी, पिघल रही थी मन तो उसका कर रहा था भैया उसके और कस के मसलें, दबाएं रगड़ें,... इत्तने दिनों से कभी दुपट्टा लहरा के, कभी झुक के क्लीवेज दिखा के अपने जुबना दिखा दिखा के ललचाती थी और आज उस जुबना को लूटने वाला उन्हें लूट रहा था,....
पर जितनी उसकी छोटी छोटी चूँचीया उसके भैया दबा रहे थे उतनी ही उसकी बुरिया में आग लग रही थी, वो पिघल रही थी, मचल रही थी सिसक रही
खुद जाँघों से जाँघों को रगड़ रही थी लेकिन मन के किसी कोने में ये सोच रही थी की भैया के दोनों हाथ जब तक मेरे उभारों में उलझे हैं मेरा नाड़ा बचा हुआ है लहंगे का,...
…… लेकिन सब जानते हैं की सुहागरात में नाड़ा बंधता ही खुलने के लिए है।
और जहाँ दोनों हाथ जोबना का हालचाल ले रहे थे इनके होंठों ने बहना के रसीले होंठों को दबोच लिया था और गुड्डी के होंठ थे भी एकदम रसीले,
गुलाब की पंखुड़ियों ऐसे, रसभरे, कुछ देर तक तो चुम्मा एकतरफा था पर थोड़ी देर में वो भी जवाब दे रही थी, उसके भैया रसिया, हिम्मत बढ़ गयी थी और अब एक होंठ को अपने दोनों होंठों के बीच ले के रसिया भैया हलके हलके चूस रहे थे,
गुड्डी की आँखे बंद हो रही थीं, देह ढीली पड़ रही थी , दिल उसके भैया का यही कह रहा था बस अपनी बहना के जोबन और होंठ का रस लेते रहें हे पर दिमाग ने हाथों को एक और काम बताया और उसकी मदद करने को होंठों को हुकुम दिया।
एक हाथ जोबन छोड़ के बहन की कमर की ओर नीचे की ओर पर जोबन की आजादी पल भर की भी नहीं थी,.. उसकी जगह होंठ और बिना किसी बात चीत के सीधे उन्होंने निपल को दबोच लिया और लगे कस कस के चूसने,... एक चूँची कस के दबायी मसली जा रही थी और दूसरी होंठों से चूसी जा रही थी, और गुड्डी बस बीच बीच में सिसक रही थी धीरे धीरे बोल रही थी,
" भैया,... उह ओह्ह उफ़ भैया नहीं ओह्ह्ह भैय्या, बस,... "
और मन के कोने में कहीं सोच रही थी बस अब भैया का हाथ नाड़े पर पहुंचने वाला ही है
वो टेन्स हो रही थी अनजाने में उसके दोनों हाथ उसके नाड़े पे ,... लेकिन आज तो भरतपुर नहीं बचने वाला था, बिचारे नाड़े की क्या बिसात,... और उस रसिया भैया ने अपना हाथ बहन के पान के चिकने पत्ते की तरह स्निग्ध पेट पर,.... कभी गहरी मेंहदी रची नाभि के चारो ओर तो कभी ऊँगली उस नाभि की गहराई नापती,
और धीरे धीरे खतरा हटता जान के गुड्डी के हाथों की पकड़ उसके लहंगे के नाड़े पे ढीली हो गयी
हलके से उसके भैया ने अपने दांत बस उस किशोरी के निपल पे लगा दिया और वो जोर से चीखी, नहीं नहीं भैया , नहीं ,...
बस उसी हटे ध्यान का फायदा उठा के उसके भैया का हाथ नाड़े पर
नाड़े में सिर्फ एक छोटी सी गाँठ लगी थी , जो बस हाथ का इशारा पाते ही खुल गयी और रेशमी लहंगा सरसरा के नीचे बिस्तर की ओर,
पर हाथ ने अभी खजाने में सेंध नहीं लगाई ,
और वैसे भी पैंटी का कवच तो था ही भले ही दो ऊँगली के बराबर ही चौड़ी हो बस फांको के बीच फंसी,...
भैया का हाथ गुड्डी की मखमली जांघों पर , सहलाता ….. रहा , दुलराता रहा और गुड्डी की जाँघे कुछ मस्ती से कुछ इनके हाथों के जोर से फैलती रहीं , बस अगले झटके में पैंटी भी उतर के फर्श पे और उनका पाजामा भी,...
वो बौराया मोटा मूसल साफ़ साफ दिख रहा था
सब कुछ मेरी आँखों के सामने ,
खूब मोटा, मेरी कलाई से ज्यादा ही होगा, बियर कैन से २० नहीं २२ ,... और मेरी ननद की सुकुवार फुद्दी जहाँ ढंग से अभी सींक भी नहीं घुसी थी,... और ऊपर से गीता ने न इनके ऊपर वैसलीन लगाया न मैंने ननद की बिलिया में,... और बिस्तर पे क्या पूरे कमरे में बाथरूम में भी वैसलीन की शीशी भी नहीं,...
मैं मुस्करा रही थी, सुहागरात में इन्होने आधी से ज्यादा वैसलीन की शीशी खाली कर दी थी और अब तो खिला पिला के, पहले से बहुत ही ज्यादा मोटा धमधूसर,... और बिना चिकनाई के,... जैसे भोंथरे चाकू से कोई मेमना जिबह किया जाए,...
पर ये भी आज,
अपनी बहिनीया की संतरे की फांको पे
बस हलके हलके हाथ से मसल रहे थे , वो बिचारी पनिया रही थी, मस्ता रही थी , जाँघे उसने खुद फैला दी थी गुड्डी की कसी चूत एकदम दोनों फांके चिपकी जैसे कभी अलग होंगी ही नहीं, लेकिन खूब रसीली गीली,
गुड्डी के भैया ने अपनी दोनों टाँगे अब उसकी फैली जाँघों के बीच फंसा दी थीं , अब वो चाह के भी नहीं रोक सकती थी न उनके हाथ को बदमाशी करने से रोक सकती थी
पर बदमाशी गुड्डी के भैया के होंठ भी कर रहे थे कच्ची अमिया के साथ कभी बस चाट लेते, तो कभी कुतर लेते कभी निप्स मुंह में लेके चूसते पर हाथ दोनों भाई के अपनी बहन की खुली जाँघों पे , अपने दोनों घुटनों से उस टीनेजर माल की दोनों जाँघे उसके भैया ने कस के फंसा के फैला रखी थीं , एक हाथ जाँघों के एकदम ऊपरी हिस्से को हलके हलके सहला रहा था और दूसरा सीधे उस कच्ची कसी बिन झांट की चिकनी चूत को फैलाने की कोशिश कर रहा था ,... लेकिन भाई बहन दोनों की निगाहें पलंग पे , टेबल पे कुछ ढूंढ रही थी
कोई भी जिसकी सुहागरात हो चुकी हो , समझ सकता है तलाश किस चीज की थी, वैसलीन की शीशी, कुछ भी चिकनाई,... उन्होंने तकिये के नीचे अगल बगल
बेचारी गुड्डी उसे क्या मालूम था गीता ऐसी ननद से पाला पड़ा था,... बाथरूम से भी उसने सब कुछ यहाँ तक की शेविंग क्रीम शैम्पू तक हटा दिया था,... एकदम सूखे
उन्होंने ढेर सारा थूक निकाल के अपने सुपाड़े पे लगाया कुछ गुड्डी के खुले निचले होंठों पे और बहन की लम्बी गोरी टाँगे, इत्ती सुन्दर प्यारी लग रही थीं वो उठी हुयी टाँगे , बहन की टाँगे भाई के कंधे पे जाँघे पूरी तरह फैली और मूसल,.. मोटा सुपाड़ा बहन की खुली चूत से एकदम सटा,...
तभी फोन बजा , ... मैंने फोन साइलेंट पर कर के रखा था पर ये नंबर ,... और वीडियो काल
ऊप्स ऐन मौके पे लेकिन ये फोन लेना ही था , मैंने टीवी म्यूट किया पर वीडियो काल था तो सब का सब दिखता तो मैं ज़रा बाहर निकल के
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