भाग २४२ - 'कीड़े ; और ;कीड़े पकड़ने की मशीन ;
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स्कूटर पर ही उन्होंने उस डिवाइस के बाकी गुर भी बताये, जो उन्हें एयरपोर्ट पर मिली थी, देखने में एकदम इनके फोन जैसी लेकिन बग डिटेक्ट कर सकती थी, और उसके अलावा भी बहुत गुण थे उसमे
लेकिन एक चीज मैं समझ गयी थी स्साले जो रिकार्ड करेंगे करें, लेकिन अगर मेरे मरद का ठरकी बनने में फायदा है तो , ठरकी तो है ही वो, या तो ठरकी हो या मेरी ससुराल वाला वही दो लोग हाथ धोकर के अपनी माँ बहन के पीछे पड़ते हैं, ... और बस अब उस ठरकी को महा ठरकी बनाने में कोई देर नहीं है। और यह बालक अपनी बहन पर तो चढ़ाई कर ही चुका है , अगवाड़ा पिछवाड़ा दोनों, तो बस महतारी बची है उसका भी नम्बर लगवा दूँ
रस्ते में उस यंत्र के जो गुर उन्होंने बताए थे सब घर पहुँच के उन्होंने दिखाए भी,... पहले तो कीड़े पकडने का बहुत अच्छा काम करता है,... और घर में कीड़े ही कीड़े ( बग्स ) मिले। सबसे ज्यादा लिविंग रूम में (५ ) और हम दोनों के बेड रूम में थे ( ६ ). गुड्डी के कमरे में भी ४ मिले। कुल २५।
उस फोननुमा यंत्र में तीन तरह की व्यवस्था थी, जो ८०० मीटर से लेकर ८ मीटर तक के बग पकड़ता था,
हम लोगों ने इंडोर की सेटिंग पर लगाया था तो एक रेड इंडिकेशन आता था, रूम का एक मैप और उसमें बग्स कहाँ कहाँ है, नजदीक ले जाने पर वो और क्लियर हो जाता था, जैसे एक बग सीलिंग फैन के ब्लेड के उलटी साइड में था, सिर्फ आडियो कैप्चर करने के लिए उसकी भी लोकेशन पकड़ में आ गयी,
कीड़ा पकडक यंत्र में जब एक बग पर फोकस करते थे तो उसके सारे डिटेल, क्या वो साउंड से ऐक्टिवेट होगा, उसके अंदर कैमरे की पावर और डिस्टेंस क्या है, सब सब के नाइट विजन वाले थे, एकदम अँधेरे में भी रिकार्ड कर लेते। ज्यादातर की रेंज १५ से २५ मीटर की थी।
लेकिन ये यह जानना चाहते थे की उनकी ट्रांसमिट करने की रेंज क्या है, हम दोनों किचेन में थे ये चाय बना रहे थे। ऊपर चिमनी में एक बग एक्टिवेट हुआ, उस कीड़ा पकडक यंत्र में दिख भी गया, और यह भी की उसकी ट्रांसमिट करने की रेंज 5०० मीटर तक है।
सबसे बड़ी बात थी की अक्सर जब बग एक्टिव होते हैं तभी डिटेक्ट हो पाते हैं लेकिन यह मशीन उनकी एनर्जी के बेसिस पर पहचान रही थी.
और 5०० मीटर का मतलब इनका एक छोटा मोटा सेंटर ५०० मीटर के अंदर ही होगा. एक बात साफ़ थी, कोई जगह घर में नहीं थी जहाँ हम लोगों को सुना या देखा नहीं जा रहा था,
लेकिन ये कीट पकड़क यंत्र एकदम ही अलग टाइप का था, वैसे तो बग डिटेक्टर चवन्नी के तीन आज कल ऑनलाइन भी मिलते हैं और शादी में सहेलियां और दोस्त गिफ्ट में भी देते हैं, हनीमून की पैकिंग में सबसे आवश्यक उपकरण ( वैसे भी कपडे कौन ले जाता है हनीमून में, बस ऐसे ही काम की दो चार चीजें ), आजकल होटल वाले हनीमून कप्लर्स को जो जबरदस्त डिस्काउंट देते है वो कैमरों से, ...
लेकिन अब कपल्स दरवाजा बंद करने के बाद चुम्मा चाटी बाद में करते हैं, कैमरे पहले ढूंढते हैं।
वो सब आर ऍफ़ डी डिटेक्टर, इंफ़्रा रेड डिटेक्टर और वाई फाई डिटेक्टर की सहायता से काम करते हैं, लेकिन परेशानी यह होती है की वाच करने वाला कैमरा भी उस डिवाइस को देख लेता है, दूसरे वो सब सिर्फ ये पता कर सकते हैं की डिवाइस है और सिग्नल वीक है या स्ट्रांग, जीपीएस डिटेक्टर हिडेन कैमरा सब पता चल सकता है, लेकिन हम लोगों के घर में जो लगे थे उन्हें पता करने में उन सबको पसीना छूट जाता।
एक बताया न पंखे के ब्लेड की उलटी साइड में और दो बिजली की स्विच बटन को रिप्लेस कर के लगे थे।
नार्मल कीड़ा पकडक के बस नहीं था ये सब।
दूसरे एकदम इनके पुराने धुराने डिस्काउंट में मिले आईफोन की तरह ही था वो, तो उन कैमरों से देख के भी कोई नहीं कह सकता था की हम लोग कोई कीड़ा पकडक यंत्र इस्तेमाल कर रहे हैं , क्योंकि यहाँ मामला दूसरा था।
हम चाहते थे की वो कीड़े बदस्तूर अपना काम करें लेकिन हमें मालूम हो बस की कहाँ से तांकझांक हो रही है, ... और शायद घर में कोई ऐसा कोना हो जो मियां बीबी के लिए प्राइवेसी का हो, आखिर हर बात तो जग जाहिर नहीं कर सकती न,
( हाँ इस फोरम के मित्र इसके अपवाद हैं , उनके सामने तो सब कुछ ज्यूँ का त्यूं)
और सबसे बड़ी दो बातें इस मशीन में थी, ये रूम का एक मैप सा बनाती थी और हर बग की लोकेशन ज़ूम करने पर १० सेंटीमीटर तक आ जाती थी और उसके सारे डिटेल्स, पावर सोर्स, आडियो वीडियो, और सबसे बड़ी बात रिकार्ड कर के ट्रांसमिट कितनी दूर और किस दिशा में करती हैं.
मतलब चोर के घर मोर लग गए थे।
जो मशीन हम लोगों को मुफ्त में ज्ञान बाँट रही थी, वो पक्का उस ज्ञान को बाहर भी भेज रही होगी। ( ये मुझे बाद में समझ में आया जैसे समझदार बड़े आदमी अपने समझदार कुत्तों को बाहर ले जाते हैं सुबह शाम जिससे वो पब्लिक प्लेस में अपना प्राइवेट काम कर सके उसी तरह यह मशीन ये सब जानकारी बाहर तभी भेजती थी जब इस तरह के कीड़ों की सरहद और पकड़ के बाहर हो तभी वो काम करती थी।
और चोरों के घर मोर लगने के लिए ये भी जरूरी था की हम सब जरूरी काम करें जो रोज करते थे जिससे दुनिया देखे और आदर्श घरेलू जीवन के सबक सीखे। और जब ये कैमरे ऐक्टिव होंगे तभी कम्युनिकेशन होगा, और जब कम्यूनिकेश होगा, तो ये मशीन पकड़ेगी की ये बात चीत कहाँ जा रही है, ( जो ५०० मीटर के आसपास ही होगी ) और फिर उन्हें ट्रेस कर के मोर लोग चोरों के सरदार तक पहुंचने की कोशिश करेंगे।
और फिर रिपोर्ट में इन्हे ठरकी कहा गया था, और हम लोगों की औकात क्या की रिपोर्ट वालों की बात गलत करें, फिर जितना वो इन्हे ठरकी समझते इनका काम भी आसान होता।