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Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

komaalrani

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जोरू का गुलाम भाग १०९

नया दिन नयी बात






अगले दिन सुबह सुबह , मैं सबसे जल्दी उठी एकदम शादी के शुरू के दिनों की तरह , नहायी और किचन में।

फरक सिर्फ इतना था उस सीधी साधी बहू में और आज , की आज मैं ये स्ट्रेटजी के तहत कर रही थी।


मैंने जेठानी जी के लिए बेड टी बनायी , एकदम उनके इंस्ट्रक्शन के मुताबिक ,

मन तो कर रहा था की उस चाय में , लेकिन किस तरह मन को समझाया मैं ही जानती हूँ।



उधर चाय उबल रही थी ,इधर मेरा गुस्सा ,



मुझसे कुछ कहें लेकिन उस लड़के से , कल रात जिस तरह वो परेशान थे ,

जेठानी जी को समझ जाना चाहिए की वो सबसे पहले मेरे हैं ,सिर्फ मेरे , और उन्हें मेरे खिलाफ खड़े करने की कोशिश।


एकदम फोर्थ डिग्री की हरकत , लेकिन बस कुछ देर की बात है ,आज की रात मैं उनके साथ टेंथ डिग्री करने वाली हूँ ,

जो कुछ मम्मी क्या मंजू भी नहीं सोच सकती वो सब , एक से एक किंक ,


इसी घर में इसी आंगन में ,

संस्कार ,संस्कार ,... सारे संस्कार उनकी माँ की गांड में न पेल दिया तो मेरा नाम कोमल नहीं।



सोच रही हैं गुड्डी को रोक के फिर से वो इस घर में अपनी सुपीरियरिटी सिद्ध कर लेंगी ,

कल न सिर्फ उन्ही के सामने उस चिरैया को ले उड़ूँगी बल्कि उन्ही से उस को तैयार करवाउंगी।



चाय ले जाते समय एक बार फिर मैंने अपने चेहरे पर वो शादी के शुरू के दिनों वाले भाव ले आयी मैं ,




कहीं जेठानी जी ,बहुत चालाक हैं वो ,शादी के पहले दिन ही उन्होंने मेरी सास के सामने ही मुझसे कहा था ,

उड़ती चिड़िया के पर मैं गिन भी सकती हूँ और क़तर भी सकती हूँ।

लेकिन एक बार उनकी ठुकाई ज़रा तस्सलीबख्स ढंग से हो जाए न तो बस , ... फिर इसी आंगन में न नंगे नचाया , फिर पूछूँगी।



वो सो रही थीं ,

बस मैंने पैर नहीं छुए ,(शादी के बाद जब मैं आयी तो ये कम्पलसरी था ,सुबह भी , और रात को जाने के पहले )

उन्हें सोते देखते मैं सोच रही थी ,सो ले आज , आज रात को इसी कमरे में जबरदस्त तूफ़ान आने वाला है।

जोबन जबरदस्त था उन पे ,देह थोड़ी भारी भारी , खूब मांसल ,गदरायी चार पांच साल की शादी के बाद जैसे अमूमन हो जाती है।

आँचल ढलक गया था उनका सोते में और ब्लाउज से ३६ डी डी साइज के उनके उभार एकदम छलक रहे थे।




बहुत सम्हाल के ढक छिपा के अपना खजाना रखती थीं वो , और मुझे भी सख्त हिदायत थी ,आँचल जरा भी सरका , या कोई ब्लाउज ज़रा भी लो कट हुआ



बस जेठानी जी भौंहे टेढ़ी।



मैंने हलके से गुदगुदी करके उन्हें उठाया , मुस्कराते हुए और चाय पेश कर दी।

चाय पीते हुए उनका मुंह खिल उठा ,चाय का स्वाद ,और मैं एक बार फिर से जैसे उन्होंने समझाया बुझाया था उस तरह



लेकिन ताना मारने से वो बाज नहीं आयी ,
" ज़रा देखना आज कही सूरज पश्चिम से तो नहीं निकला। "


मेरा तो मन था बोलती ,

" आज तो नहीं लेकिन कल जरूर पश्चिम से निकलेगा। " मेरे मुंह से निकलते निकलते रह गया।



लेकिन मैंने उन्हें छेड़ कर बात बदलने की कोशिश की ,
 

komaalrani

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देवरानी -जेठानी









लेकिन मैंने उन्हें छेड़ कर बात बदलने की कोशिश की ,

" अरे दी आज का दिन स्पेशल है , आज आप की छुट्टी का आखिरी दिन , अब बहुत आराम कर लिया आपने , अब आपके देवर ,,..."




वो एकदम खुश ,मेरे गाल पे चिकोटी काटती बोलीं ,

" अरे देवर के लिए इत्ती प्यारी सी देवरानी तो ले आयी हूँ। रोज घचर घचर , "

वो मूड में आ रही थीं ,फिर थोड़ा सीरियस हो के बोलीं ,

" अरे यार अब नहा लूँ तो पता चलेगा ,की कहीं ,... "

" ठीक है दी , आप नहा धो लीजिये ,तबतक मैं नाश्ता बना देती हूँ ,आज मैंने उन्हें सुबह सुबह जगाया नहीं ,क्या पता आज उनकी लाटरी खुल जाय।"



,
जबतक आप नहा के आएँगी तब तक वो भी , फिर हम लोग साथ नाश्ता कर लेंगे , आज सोच रही हूँ कुछ हैवी ब्रेकफास्ट बनाऊं , आपकी पसंद का। "
" एकदम लंच में कुछ हल्का बना देना "


जेठानी जी अपने पुराने रूप में आती बोलीं। सुबह ही मुझे नाश्ते खाने का आर्डर मिल जाता था जैसे की कोई महराज होऊं।

आधे पौन घंटे बाद वो बाथरूम में गयीं और उसके पौन घंटे बाद निकलीं।

और मैं किचेन में आलू के पराठे ,मूंग का हलवा , तली भूनी चीजें मेरी जेठानी को बहुत पसंद थीं और इसलिए थोड़ा स्थूल ,मांसल उनकी देह हो भी गयी थी लेकिन ज्यादातर फैट सही जगहों पर था , भरे भरे बूब्स के साथ खूब बड़े चूतड़।


लेकिन उसी बीच मैंने मम्मी को फोन लगा दिया , दो बार इंगेज आया।



तीसरी बार खुद उन्ही का फोन था , खूब खुश।

अपनी समधन से गप्प मार रही थीं वो , और समधन समधन टाइप गाली गलौज से भरपूर।





पूरे आधे घंटे तक , और आज मेरी सास का मूड कल के मुकबले बेहतर था ,यानी जेठानी जी अपना प्वाइजन इंजेक्शन उन्हें नहीं लगा पायी थीं.

और मम्मी ने एडवांस में एंटीडोट लगा दिया था।

मम्मी ने मेरा सास का प्रोग्राम एकदम पक्का करवा दिया था ,

हमारे पहुँचने के ठीक १२ वे दिन।

उन्हें गुड्डी का प्रोग्राम गुड्डी के घर वालों से मिल गया था ,

बस वो एक बात से हिचक रही थीं की जब वो मेरे घर रहेंगी तो गुड्डी ,फिर उसके सामने कैसे खुल के ,...

और आज मम्मी ने बिना उनके कहे बता दिया था , की उनके आने के पहले ही गुड्डी मेरे गाँव आ जायेगी। कोचिंग में कुछ दिन की छुटियाँ है , सावन में गाँव का और दस पंद्रह दिन जब तक मेरी सासु जी मेरे साथ रहेंगी , गुड्डी मेरे मायके में। गाँव में शीला भाभी , मेरी छोटी कजिन बेला ,...

और सासु जी ने तुरंत हाँ कर दी।



तो अब गुड्डी का हमारे साथ जाना पक्का



सासु जी का हमारे यहाँ आना पक्का ,


और उसी समय वो किचेन में आ गए ,
हग्स ,किसेज

और मैंने उन्हें सारी खुशखबरी बता दी , बहनचोद मादरचोद बोल के।



मोर हग्स और किसेज

लेकिन तभी जेठानी जी बाथरूम से बाहर निकलीं ,

बाल खूब धुले ,छितराये , उनके नितम्बों तक





मैं उनकी ओर देख के मुस्करायी , और वो भी जवाब में मुस्करायी।

यानी बाल धुले यानी जेठानी जी की पांच दिन वाली छुट्टी अब ख़तम



"आप तैयार हो के आइये तब तक मैं नाश्ता लगाती हूँ ." मैं बोली और वो मुस्करती हुयी अपने कमरे में घुस गयीं।



लेकिन सबसे पहले मैंने गुड्डी को फोन लगाया , नहीं मिला तो दिया को।



रिजल्ट अभी तक नहीं आया था लेकिन बस कभी भी आ सकता था। दिया ने मुझे गुड्डी का रोल नंबर और साइट दोनों बता दीं। जित्ता गुड्डी परेशान हो रही होगी उतनी ही मैं भी उसकी परेशानी सोच के परेशान हो रही थी।



आलू के पराठे ,मक्खन लगे , दही ,चटनी ,अचार ,मूंग का हलवा ,चाय सब कुछ मैंने टेबल पर लगा दी। पौने दस बज गया था।



और फिर जेठानी जी आयीं।
 
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जोरू का गुलाम भाग १०९

नया दिन नयी बात






अगले दिन सुबह सुबह , मैं सबसे जल्दी उठी एकदम शादी के शुरू के दिनों की तरह , नहायी और किचन में।

फरक सिर्फ इतना था उस सीधी साधी बहू में और आज , की आज मैं ये स्ट्रेटजी के तहत कर रही थी।


मैंने जेठानी जी के लिए बेड टी बनायी , एकदम उनके इंस्ट्रक्शन के मुताबिक ,

मन तो कर रहा था की उस चाय में , लेकिन किस तरह मन को समझाया मैं ही जानती हूँ।



उधर चाय उबल रही थी ,इधर मेरा गुस्सा ,



मुझसे कुछ कहें लेकिन उस लड़के से , कल रात जिस तरह वो परेशान थे ,

जेठानी जी को समझ जाना चाहिए की वो सबसे पहले मेरे हैं ,सिर्फ मेरे , और उन्हें मेरे खिलाफ खड़े करने की कोशिश।


एकदम फोर्थ डिग्री की हरकत , लेकिन बस कुछ देर की बात है ,आज की रात मैं उनके साथ टेंथ डिग्री करने वाली हूँ ,

जो कुछ मम्मी क्या मंजू भी नहीं सोच सकती वो सब , एक से एक किंक ,


इसी घर में इसी आंगन में ,

संस्कार ,संस्कार ,... सारे संस्कार उनकी माँ की गांड में न पेल दिया तो मेरा नाम कोमल नहीं।



सोच रही हैं गुड्डी को रोक के फिर से वो इस घर में अपनी सुपीरियरिटी सिद्ध कर लेंगी ,

कल न सिर्फ उन्ही के सामने उस चिरैया को ले उड़ूँगी बल्कि उन्ही से उस को तैयार करवाउंगी।



चाय ले जाते समय एक बार फिर मैंने अपने चेहरे पर वो शादी के शुरू के दिनों वाले भाव ले आयी मैं ,




कहीं जेठानी जी ,बहुत चालाक हैं वो ,शादी के पहले दिन ही उन्होंने मेरी सास के सामने ही मुझसे कहा था ,

उड़ती चिड़िया के पर मैं गिन भी सकती हूँ और क़तर भी सकती हूँ।

लेकिन एक बार उनकी ठुकाई ज़रा तस्सलीबख्स ढंग से हो जाए न तो बस , ... फिर इसी आंगन में न नंगे नचाया , फिर पूछूँगी।



वो सो रही थीं ,

बस मैंने पैर नहीं छुए ,(शादी के बाद जब मैं आयी तो ये कम्पलसरी था ,सुबह भी , और रात को जाने के पहले )

उन्हें सोते देखते मैं सोच रही थी ,सो ले आज , आज रात को इसी कमरे में जबरदस्त तूफ़ान आने वाला है।

जोबन जबरदस्त था उन पे ,देह थोड़ी भारी भारी , खूब मांसल ,गदरायी चार पांच साल की शादी के बाद जैसे अमूमन हो जाती है।

आँचल ढलक गया था उनका सोते में और ब्लाउज से ३६ डी डी साइज के उनके उभार एकदम छलक रहे थे।




बहुत सम्हाल के ढक छिपा के अपना खजाना रखती थीं वो , और मुझे भी सख्त हिदायत थी ,आँचल जरा भी सरका , या कोई ब्लाउज ज़रा भी लो कट हुआ



बस जेठानी जी भौंहे टेढ़ी।



मैंने हलके से गुदगुदी करके उन्हें उठाया , मुस्कराते हुए और चाय पेश कर दी।

चाय पीते हुए उनका मुंह खिल उठा ,चाय का स्वाद ,और मैं एक बार फिर से जैसे उन्होंने समझाया बुझाया था उस तरह



लेकिन ताना मारने से वो बाज नहीं आयी ,
" ज़रा देखना आज कही सूरज पश्चिम से तो नहीं निकला। "


मेरा तो मन था बोलती ,

" आज तो नहीं लेकिन कल जरूर पश्चिम से निकलेगा। " मेरे मुंह से निकलते निकलते रह गया।



लेकिन मैंने उन्हें छेड़ कर बात बदलने की कोशिश की ,
fourth degree pehli bar suna ,komal bhabi gusse me he jethani k harkat ko leke.
 
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देवरानी -जेठानी









लेकिन मैंने उन्हें छेड़ कर बात बदलने की कोशिश की ,

" अरे दी आज का दिन स्पेशल है , आज आप की छुट्टी का आखिरी दिन , अब बहुत आराम कर लिया आपने , अब आपके देवर ,,..."




वो एकदम खुश ,मेरे गाल पे चिकोटी काटती बोलीं ,

" अरे देवर के लिए इत्ती प्यारी सी देवरानी तो ले आयी हूँ। रोज घचर घचर , "

वो मूड में आ रही थीं ,फिर थोड़ा सीरियस हो के बोलीं ,

" अरे यार अब नहा लूँ तो पता चलेगा ,की कहीं ,... "

" ठीक है दी , आप नहा धो लीजिये ,तबतक मैं नाश्ता बना देती हूँ ,आज मैंने उन्हें सुबह सुबह जगाया नहीं ,क्या पता आज उनकी लाटरी खुल जाय।"



,
जबतक आप नहा के आएँगी तब तक वो भी , फिर हम लोग साथ नाश्ता कर लेंगे , आज सोच रही हूँ कुछ हैवी ब्रेकफास्ट बनाऊं , आपकी पसंद का। "
" एकदम लंच में कुछ हल्का बना देना "


जेठानी जी अपने पुराने रूप में आती बोलीं। सुबह ही मुझे नाश्ते खाने का आर्डर मिल जाता था जैसे की कोई महराज होऊं।

आधे पौन घंटे बाद वो बाथरूम में गयीं और उसके पौन घंटे बाद निकलीं।

और मैं किचेन में आलू के पराठे ,मूंग का हलवा , तली भूनी चीजें मेरी जेठानी को बहुत पसंद थीं और इसलिए थोड़ा स्थूल ,मांसल उनकी देह हो भी गयी थी लेकिन ज्यादातर फैट सही जगहों पर था , भरे भरे बूब्स के साथ खूब बड़े चूतड़।


लेकिन उसी बीच मैंने मम्मी को फोन लगा दिया , दो बार इंगेज आया।



तीसरी बार खुद उन्ही का फोन था , खूब खुश।

अपनी समधन से गप्प मार रही थीं वो , और समधन समधन टाइप गाली गलौज से भरपूर।





पूरे आधे घंटे तक , और आज मेरी सास का मूड कल के मुकबले बेहतर था ,यानी जेठानी जी अपना प्वाइजन इंजेक्शन उन्हें नहीं लगा पायी थीं.

और मम्मी ने एडवांस में एंटीडोट लगा दिया था।

मम्मी ने मेरा सास का प्रोग्राम एकदम पक्का करवा दिया था ,

हमारे पहुँचने के ठीक १२ वे दिन।

उन्हें गुड्डी का प्रोग्राम गुड्डी के घर वालों से मिल गया था ,

बस वो एक बात से हिचक रही थीं की जब वो मेरे घर रहेंगी तो गुड्डी ,फिर उसके सामने कैसे खुल के ,...

और आज मम्मी ने बिना उनके कहे बता दिया था , की उनके आने के पहले ही गुड्डी मेरे गाँव आ जायेगी। कोचिंग में कुछ दिन की छुटियाँ है , सावन में गाँव का और दस पंद्रह दिन जब तक मेरी सासु जी मेरे साथ रहेंगी , गुड्डी मेरे मायके में। गाँव में शीला भाभी , मेरी छोटी कजिन बेला ,...

और सासु जी ने तुरंत हाँ कर दी।



तो अब गुड्डी का हमारे साथ जाना पक्का



सासु जी का हमारे यहाँ आना पक्का ,


और उसी समय वो किचेन में आ गए ,
हग्स ,किसेज

और मैंने उन्हें सारी खुशखबरी बता दी , बहनचोद मादरचोद बोल के।



मोर हग्स और किसेज

लेकिन तभी जेठानी जी बाथरूम से बाहर निकलीं ,

बाल खूब धुले ,छितराये , उनके नितम्बों तक





मैं उनकी ओर देख के मुस्करायी , और वो भी जवाब में मुस्करायी।

यानी बाल धुले यानी जेठानी जी की पांच दिन वाली छुट्टी अब ख़तम



"आप तैयार हो के आइये तब तक मैं नाश्ता लगाती हूँ ." मैं बोली और वो मुस्करती हुयी अपने कमरे में घुस गयीं।



लेकिन सबसे पहले मैंने गुड्डी को फोन लगाया , नहीं मिला तो दिया को।



रिजल्ट अभी तक नहीं आया था लेकिन बस कभी भी आ सकता था। दिया ने मुझे गुड्डी का रोल नंबर और साइट दोनों बता दीं। जित्ता गुड्डी परेशान हो रही होगी उतनी ही मैं भी उसकी परेशानी सोच के परेशान हो रही थी।



आलू के पराठे ,मक्खन लगे , दही ,चटनी ,अचार ,मूंग का हलवा ,चाय सब कुछ मैंने टेबल पर लगा दी। पौने दस बज गया था।



और फिर जेठानी जी आयीं।
Bhabi ji mommy bhi kaam nehni he wo he asli khiladi jo komal ko sab idea de rahe hain.Amazing update...
 
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fourth degree pehli bar suna ,komal bhabi gusse me he jethani k harkat ko leke.
:):) Jethani ki harakt hi aisi hai, .... aur abhi to kuch episodes ke baad fourth degree nazar bhi aayega,... sach men gussa to bahoot laga
 
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Bhabi ji mommy bhi kaam nehni he wo he asli khiladi jo komal ko sab idea de rahe hain.Amazing update...
Ekdam sahi kaha aapne , Emotional support, strategic advice aur kabhi kabhi tactical intervention bhi,... my mom:toohappy::happy:
 
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next part thodi der men
 

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जेठानी - छुट्टी खत्म





बाल खूब धुले ,छितराये , उनके नितम्बों तक

मैं उनकी ओर देख के मुस्करायी , और वो भी जवाब में मुस्करायी।

मतलब हर महीने की पांच दिन वाली छुट्टी ख़तम।



"आप तैयार हो के आइये तब तक मैं नाश्ता लगाती हूँ ." मैं बोली और वो मुस्करती हुयी अपने कमरे में घुस गयीं।


लेकिन सबसे पहले मैंने गुड्डी को फोन लगाया , नहीं मिला तो दिया को।

रिजल्ट अभी तक नहीं आया था लेकिन बस कभी भी आ सकता था। दिया ने मुझे गुड्डी का रोल नंबर और साइट दोनों बता दीं। जित्ता गुड्डी परेशान हो रही होगी उतनी ही मैं भी उसकी परेशानी सोच के परेशान हो रही थी।





आलू के पराठे ,मक्खन लगे , दही ,चटनी ,अचार ,मूंग का हलवा ,चाय सब कुछ मैंने टेबल पर लगा दी। पौने दस बज गया था।



और फिर जेठानी जी आयीं।



उनके चेहरे की चमक , मुस्कान और लम्बे खुले अभी भी थोड़े थोड़े गीले बालों से साफ़ साफ़ लग रहा था की उनकी आंटी जी चली गयी हैं।



जैसे ही हम लोगो की आँखे मिली ,वो जोर से मुस्करायीं और मै भी ,



अभी कुछ देर तक तो ये सीज फायर चलने ही वाला था , जबतक उनके अगवाड़े पिछवाड़े मैं ,... और सरप्राइज वाज माय बेस्ट वेपन।

आफ कोर्स उनके देवर उनके बगल में बैठे और इसरार करके खिला रहे थे।



" देवर के रहते हुए भाभी को अपनी उँगलियों का इस्तेमाल करना पड़े, घोर कलियुग , "मैंने उन्हें उकसाया।



फिर क्या था पराठा सीधे इनके हाथों से जेठानी जी के मुंह में , और वो लाख ना नुकुर करती रहीं पर , वो कहाँ मानने वाले थे , और

कुछ देर में उनका एक हाथ जेठानी जी के कंधे पर ,

" आपके लिए एक खुशखबरी है ,आपकी भौजाई की ओर से , .... "

जेठानी जी के प्लेट में ढेर सारा मूंग का हलवा डालते मैं बोली।


जेठानी जी मेरा मतलब समझ के मुझे पहले तो आँख से बरजती रहीं ,फिर मुस्कराते हुए डांटने की मुद्रा में बोली ,


" तू भी न ,कुछ भी कहीं भी बोलती रहती है। "



" तो ठीक है आप ही बता दीजिये न ,बिचारे इतने दिन से इन्तजार कर रहे थे ,रोज मन मसोस कर ,... " मैंने और रगड़ाई की।

अच्छी तो उन्हें खूब लग रहा थी ये छेड़छाड़ , पर तबतक उनकी निगाह उनकी प्लेट में रखे मूंग के हलवे पर पड़ी और वो बोल पड़ीं ,
" अरे इतना ज्यादा डाल दिया , एक साथ। "
"दी ,आपके देवर इतनी देर से डाल रहे हैं तो कुछ नहीं और ज़रा सा मैंने डाल दिया तो ,... अरे देखिये कितना घी पड़ा है ,सटासट चला जाएगा। "

मैंने चिढ़ाया।



मन में तो आया की बोलूं ,अगर ऊपर वाले मुंह से खाने में दिक्कत हो रही हो तो नीचे वाले मुंह से , पिछवाड़े से ,... जाएगा तो दोनों ओर से पेट में ही। पर लगा की बस अब थोड़ी देर का इन्तजार है तबतक जेठानी जी को बिचकने से बचाना था।

और ये भी अपना रोल बखूबी निभा रहे थे , खिलाते हुए कभीअपनी भौजाई के मालपुवा ऐसे गाल सहला दे रहे थे तो कभी होंठ छू देते और भाभी भी उनकी पक्की पतुरिया ऐसे , सिहरने लजाने की ऐसी एक्टिंग करतीं जैसे नयी बहुरिया हों।

और इस चक्कर में उनकी भौजाई का आँचल थोड़ा ढलक गया ,और दोनों पथरीले बड़े बड़े जोबन झलक गए ,

और जैसे ही वो ठीक करने लगीं मैंने मना कर दिया।



" अरे दी आपके देवर इतनी सेवा कर रहे हैं तो थोड़ा सा टिप ,मेरा मतलब टिट दर्शन बनता है न। " मैंने छेड़ा।


नाश्ता आलमोस्ट ख़तम होने के कगार पे था ,मैं चाय पोर कर रही थी।



जेठानी जी बनावटी गुस्से से मुस्कराती बोलीं ,

तू भी न


और अपना आँचल ठीक कर लिया पर पूरा नहीं , क्लीवेज अभी भी दिख रहा था। बड़े बड़े दूध के कटोरे जैसे छलक रहे हों।
नाश्ते के बाद इनका और जेठानी जी का कोई सीरियल देखने का प्लान था। १० मिनट में शुरू होने वाला था।


और तब तक दिया का फोन बजा, मैंने तुरंत काट दिया , तब तक दिया का टेक्स्ट भी आ गया। वो गुड्डी और छन्दा एक साथ गुड्डी के घर पे थे ,

मैंने जेठानी की नजर बचा के टेक्स्ट देख लिए।
 

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जेठानी - छुट्टी खत्म





बाल खूब धुले ,छितराये , उनके नितम्बों तक

मैं उनकी ओर देख के मुस्करायी , और वो भी जवाब में मुस्करायी।

मतलब हर महीने की पांच दिन वाली छुट्टी ख़तम।



"आप तैयार हो के आइये तब तक मैं नाश्ता लगाती हूँ ." मैं बोली और वो मुस्करती हुयी अपने कमरे में घुस गयीं।


लेकिन सबसे पहले मैंने गुड्डी को फोन लगाया , नहीं मिला तो दिया को।

रिजल्ट अभी तक नहीं आया था लेकिन बस कभी भी आ सकता था। दिया ने मुझे गुड्डी का रोल नंबर और साइट दोनों बता दीं। जित्ता गुड्डी परेशान हो रही होगी उतनी ही मैं भी उसकी परेशानी सोच के परेशान हो रही थी।





आलू के पराठे ,मक्खन लगे , दही ,चटनी ,अचार ,मूंग का हलवा ,चाय सब कुछ मैंने टेबल पर लगा दी। पौने दस बज गया था।



और फिर जेठानी जी आयीं।



उनके चेहरे की चमक , मुस्कान और लम्बे खुले अभी भी थोड़े थोड़े गीले बालों से साफ़ साफ़ लग रहा था की उनकी आंटी जी चली गयी हैं।



जैसे ही हम लोगो की आँखे मिली ,वो जोर से मुस्करायीं और मै भी ,



अभी कुछ देर तक तो ये सीज फायर चलने ही वाला था , जबतक उनके अगवाड़े पिछवाड़े मैं ,... और सरप्राइज वाज माय बेस्ट वेपन।

आफ कोर्स उनके देवर उनके बगल में बैठे और इसरार करके खिला रहे थे।



" देवर के रहते हुए भाभी को अपनी उँगलियों का इस्तेमाल करना पड़े, घोर कलियुग , "मैंने उन्हें उकसाया।



फिर क्या था पराठा सीधे इनके हाथों से जेठानी जी के मुंह में , और वो लाख ना नुकुर करती रहीं पर , वो कहाँ मानने वाले थे , और

कुछ देर में उनका एक हाथ जेठानी जी के कंधे पर ,

" आपके लिए एक खुशखबरी है ,आपकी भौजाई की ओर से , .... "

जेठानी जी के प्लेट में ढेर सारा मूंग का हलवा डालते मैं बोली।


जेठानी जी मेरा मतलब समझ के मुझे पहले तो आँख से बरजती रहीं ,फिर मुस्कराते हुए डांटने की मुद्रा में बोली ,


" तू भी न ,कुछ भी कहीं भी बोलती रहती है। "



" तो ठीक है आप ही बता दीजिये न ,बिचारे इतने दिन से इन्तजार कर रहे थे ,रोज मन मसोस कर ,... " मैंने और रगड़ाई की।

अच्छी तो उन्हें खूब लग रहा थी ये छेड़छाड़ , पर तबतक उनकी निगाह उनकी प्लेट में रखे मूंग के हलवे पर पड़ी और वो बोल पड़ीं ,
" अरे इतना ज्यादा डाल दिया , एक साथ। "
"दी ,आपके देवर इतनी देर से डाल रहे हैं तो कुछ नहीं और ज़रा सा मैंने डाल दिया तो ,... अरे देखिये कितना घी पड़ा है ,सटासट चला जाएगा। "

मैंने चिढ़ाया।



मन में तो आया की बोलूं ,अगर ऊपर वाले मुंह से खाने में दिक्कत हो रही हो तो नीचे वाले मुंह से , पिछवाड़े से ,... जाएगा तो दोनों ओर से पेट में ही। पर लगा की बस अब थोड़ी देर का इन्तजार है तबतक जेठानी जी को बिचकने से बचाना था।

और ये भी अपना रोल बखूबी निभा रहे थे , खिलाते हुए कभीअपनी भौजाई के मालपुवा ऐसे गाल सहला दे रहे थे तो कभी होंठ छू देते और भाभी भी उनकी पक्की पतुरिया ऐसे , सिहरने लजाने की ऐसी एक्टिंग करतीं जैसे नयी बहुरिया हों।

और इस चक्कर में उनकी भौजाई का आँचल थोड़ा ढलक गया ,और दोनों पथरीले बड़े बड़े जोबन झलक गए ,

और जैसे ही वो ठीक करने लगीं मैंने मना कर दिया।



" अरे दी आपके देवर इतनी सेवा कर रहे हैं तो थोड़ा सा टिप ,मेरा मतलब टिट दर्शन बनता है न। " मैंने छेड़ा।


नाश्ता आलमोस्ट ख़तम होने के कगार पे था ,मैं चाय पोर कर रही थी।



जेठानी जी बनावटी गुस्से से मुस्कराती बोलीं ,

तू भी न


और अपना आँचल ठीक कर लिया पर पूरा नहीं , क्लीवेज अभी भी दिख रहा था। बड़े बड़े दूध के कटोरे जैसे छलक रहे हों।
नाश्ते के बाद इनका और जेठानी जी का कोई सीरियल देखने का प्लान था। १० मिनट में शुरू होने वाला था।


और तब तक दिया का फोन बजा, मैंने तुरंत काट दिया , तब तक दिया का टेक्स्ट भी आ गया। वो गुड्डी और छन्दा एक साथ गुड्डी के घर पे थे ,

मैंने जेठानी की नजर बचा के टेक्स्ट देख लिए।
Jethani ko patane me lagi he komal bhabi uske bad 4thing degree ki tayari🤣
 
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