jhonmilton
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जेठानी तो बहुत बड़ी शिकारी निकली । पहली बार मे हो दो राउंड करा दिया
Bahut jabardast update, chhutki ka rasta bhi khul gya aur Sandeep ke liye bhi resta khul gya .Vese jethani itni bhi nirdai nahi hai, ghar a kar uski, hamare wali matlab doctri wali sewa bhi ki.Adbhut writing didi,tyohar par bahut achh gift dilva diya behn ko bhai se.खिल गयी कली
random coin toss
संदीप भी अब रुक गया था पहली , बार वो ये देख रहा था , लेकिन ऐसा मज़ा भी कभी नहीं आया था , और पहली बार उसने किसी कली को फूल बनाया था , और वो भी अपनी ही बगिया की ,
random coin toss
जेठानी जी जानती थीं थोड़ी देर में ये खुद चूतड़ उठा उठा के लंड मांगेगी, बस उन्होंने उसके गाल सहलाने शुरू किये , कभी आँखों को चूम लेती तो कभी होंठों को , उसके ऊपर से उन्होंने दबाव हटा लिया था , अब दोनों हथेलियों को सहला रही थीं
और कुछ देर में उसने आँखे खोल दी, शिकायत की निगाह से उसने जेठानी की ओर देखा , और उन्होंने संदीप की ओर
और संदीप इशारा समझ के अब झुक के कभी उसके होंठ चूमता कभी निप्स चूसता,... थोड़ी देर में एक बार फिर से वो गरमाने लगी थी ,
random coin toss
बस जेठानी ने संदीप के कान में समझाया ,
जो थोड़ा बचा है वो भी ठेल दो
और अबकी संदीप ने दोनों छोटी छोटी चूँचियों को दबाते मसलते , हचक के पेल दिया , बस चार पांच धक्के और खूंटा पूरा अंदर,....
random coin toss
वो एक बार फिर छटपटा रही थी , चूतड़ पटक रही थी , हाँ चीखना उसने बंद कर दिया था, ... एक बार फिर पूरा ठुस के संदीप रुक गया
जेठानी ने उसके होंठों को चूम के मुस्कराते हुए पूछा,...
" कैसा लगा '
" दी , बहुत दर्द हुआ , ... बस जान नहीं निकली,... " वो शिकायत भरे स्वर में बोली,...
" बस अब आगे सिर्फ मज़ा आएगा , और दर्द तो एक बार होना ही होता है, तेरे भैया का मोटा भी ज्यादा है , लेकिन जितना ज्यादा मोटा उतना ज्यादा मज़ा "
जेठानी अब उसे दुलार से समझा रही थीं और चूम रही थीं और साथ में उसके भैया को भी उन्होंने हड़का लिया,
random coin toss
" हे आराम से कर , ये कहीं भागी तो जा नहीं रही, ... न मना कर रही है, आराम से धीरे धीरे, ... और फिर ये तो घर में ही है , जब चाहो चोद लेना , कभी मना नहीं करेगी,... है न ,... छुटकी। "
random coin toss
और अब सच में संदीप ने आराम से धीरे धीरे,... और चीखें सिसकियों में बदल गयीं,.. साथ में जेठानी की उँगलियाँ कभी क्लिट कभी निपल , भैया का मोटा लंड जड़ तक धंसा , दो चार मिनट में वो तूफ़ान के पत्ते की तरह काँप रही थी, जाँघे आपस में रगड़ रही थी, मुट्ठी खोल बंद कर रही थी ,
random coin toss
जब तक वो झड़ती रही , संदीप रुका रहा फिर पहले धीरे धीरे , फिर पूरी ताकत से
और अब जेठानी ने उन दोनों को छोड़ दिया था , बगल में बैठ के खेल देख रहीं , ...
सात आठ मिनट के धक्कों के बाद जब उस टीन ने झड़ना शुरू किया,... अपने भैया को कस के दबोच लिया तो संदीप भी साथ में,... पूरी तरह अंदर , जैसे ज्वालामुखी का लावा उबल रहा हो , एक बार दो बार ,
पूरी कटोरी भर अपनी मलाई अपनी बहन की बुर में,...
random coin toss
देर तक दोनों ऐसे ही पड़े रहे , और जब अलग हुए तो जेठानी ने उस किशोरी की जाँघों के बीच मजे से देखा,
सफ़ेद और लाल, खून के थक्के और गाढ़ा वीर्य अभी भी चूत से बूँद बूँद कर के रिस रहा था,...
उसी की चड्ढी से अच्छी तरह उन्होंने खून वीर्य सब साफ़ कर के उसे दिखाया,
खून देख के वो चौंकी, दी इत्ता खून,...
अरे ये तो होना ही था , चल अब तू मेरी बिरादरी में आ गयी, और उसे गले लगाते हुए छेड़ते हुयी जेठानी बोलीं,
" एक बार और हो जाए "
" ना ना अबकी आप का नंबर "
पर जेठानी जानती थीं बिना दुबारा इसे चुदवाये ले जाना खतरे से खाली नहीं , एक बार अगर उसने टाँगे सिकोड़ लीं तो दुबारा फैलवाना मुश्किल होगा।
उस को दिखा के चड्ढी उसकी उन्होंने अपने पर्स में रख ली। कुछ देर बाद संदीप और जेठानी की चुदाई चालू हो गयी , और, वो कुछ देर पहले की कच्ची कली खूब मजे ले ले कर देख रही थी अपने भैया को उकसा रही थी,... असल में जेठानी ही संदीप के ऊपर चढ़ के चोद रही थीं , जिससे उस लड़की के मन से डर तो निकल ही जाए , बुर में आते जाते लंड को देख के वो फिर गरमा जाए,
random coin toss
वही हुआ,
पर कुछ देर बाद पुआल के गट्ठरों पर जेठानी निहुरी हुयी थीं और संदीप कुतिया की तरह उन्हें चोद रहा था,... और वो छोटी सी छोरी और उकसा रही थी ,
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" हाँ भैया , हां और कस के अरे अभी बहुत बचा है बाहर , दी को मजा नहीं आता आधे में ,... "
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और संदीप भी हचक हचक के
पर जेठानी कौन कम थीं , चूतड़ उठा उठा के जवाब दे रही और गरिया भी रहीं, बगल में बैठी संदीप की बहिनिया को,
" घबड़ा मत, भैया की दुलारी , भैया की रखैल, अगला नंबर तेरा ही लगवाउंगी, घोंटना अपने भैया का कस कस के पूरा। '
random coin toss
और हुआ भी यही, अगला राउंड जेठानी ने फिर संदीप और उसकी छुटकी बहिनिया का, .... चीख चिल्लाहट भी हुयी उउउ आअह्ह्ह्हह भी निकली, लेकिन थोड़ी देर में मामला आह से आहा तक पहुँच गया।
और इस बार जब संदीप अपनी बहिन की बिल में झड़ा,... तो फिर एक बार उसीकी चड्ढी जिसमें खून और मलाई लगी थी उसी से फिर अच्छी तरह पोंछा , अंदर तक ऊँगली में फंसा के डाल के साफ़ किया ,.... और चड्ढी वापस जेठानी के बैग में, , उसकी ब्रा भी उन्होंने जब्त कर ली.
बाइक पर बैठने के पहले छुटकी ने लाख जिद्द की चड्ढी के लिए पर जेठानी
" अरे यार उसमें इतना खून लगा है ,... कोई पूछेगा ,... रहने दे मेरे पास "
लेकिन असली शरारत कुछ और थी बाइक पे छुटकी दोनों टाँगे फैला के बैठी , फ्राक उठी हुयी, गाँव का रास्ता , झटके और हर बार उसकी ताज़ी चुदी चूत बाइक से रगड़ खाती, पहले तो कुछ उसे अनकुस लगा , लेकिन थोड़ी देर में मज़ा आने लगा, और ढाबे तक पहुँचते वो एक बार फिर गरमा गयी,.... मस्ती के कारण उसकी छोटी छोटी चूँचियाँ भी पथरा गयी थीं निप्स फ्राक को फाड़ रहे थे , ( ढक्क्न जेठानी ने पहले ही अपने कब्जे में कर लिया था )
ढाबे में सब की निगाह बस उस की छोटी छोटी लेकिन कड़ी कड़ी चूँची पर,....
जितने मर्दो की निगाह किसी लड़की के उभारों पर पड़ती है , उसके उभार उतनी जल्दी गदराते हैं , और वो उतनी जल्दी जवान होती है,...
खाना खाते समय भी , एक जांघ पर संदीप का हाथ , दूसरे पर जेठानी का हाथ , और फिर जेठानी ने पकड़ कर उसका हाथ एक बार फिर संदीप के पैंट के बल्ज पर रख दिया
जितनी जल्दी इसकी शर्म ख़तम हो,... बस जेठानी की पूरी कोशिश यही थी।
घर लौट के जेठानी सीधे उसे अपने कमरे में ले गयी, ...गरम दूध में हल्दी मिला के दिया, हलके गरम पानी से सिंकाई भी और थोड़ी देर में छटकी सो गयी , और सो के उठी तो सारा दर्द छूमंतर।
Ha padi hai aage cuckold hai baad mai pura chapter cheng kartiyaAage aage dekhiye,... vaise aapne ye kahani shuru se puri padhi hai naa?
Surwat mai bhuhut achi hai lagi storyHa padi hai aage cuckold hai baad mai pura chapter cheng kartiya
Badi satir hai jethani . Bade pyar se chudwane ko Raji kar rahi haiछुटकी बहिनिया की...
लेकिन अब समय आ गया था असली खेल का, और इस कच्ची कली में ये मूसल इतने आसानी से जाने वाला नहीं थी और उसका इंतजाम जेठानी घर से ही कर के चली थीं और उसके लिए भी उन्होंने उस छुटकी को ही उकसाया,
" हे मेरे बैग में एक बोतल रखी है जा के ले आओ, "
और जैसे ही वो थोड़ी दूर हुयी जेठानी ने संदीप से कहा,
" स्साली खूब गरमा गयी है , तवा गरम है हथोड़ा कस के मारना , रोने चिल्लाने के बिना झिल्ली फटने का मजा ही नहीं है, रोने देना साली को आज बिना चुदे नहीं जायेगी यहाँ से , दो बार इसे चोद दोगे न आज तो खुद टांग फैलाएगी , ...रखैल बन के रहेगी तेरी जिंदगी भर,... जब चाहे तब चढ़ जाना , घर का माल घर में इस्तेमाल होगा ,... "
तब तक वो आ गयी , एक बड़ी सी शीशी , वैसी ही जो हर गौने की रात में भौजाइयां देवर के सुहागरात के कमरे में रख के आती हैं , देसी सरसों के तेल से गले तक भरा ,
जब तक वो लड़की कुछ पूछे , जेठानी ने तेल निकाल के अपनी हथेली पर और संदीप के खूंटे पर ऊपर से नीचे तक आठ दस बार, और कुछ तेल उसकी बहन की हथेली पर ,
" हे तू भी लगा न , भाई की हल्दी तेल की रस्म तो बहन ही करती है, लगा दे प्यार से , "
जेठानी को हाथ पकड़ना भी नहीं पड़ा और उसने खुद हाथ में लगा सारा तेल , अच्छे से मूसल पे चुपड दिया,... मालूम तो उसे भी था क्या है पर किस के साथ होना है उसका जरा भी अंदाज उसे नहीं था।
जेठानी ने अब बहन के भैया को काम पे लगाया,
" इसकी चुनमुनिया देखनी है तो कुछ मेहनत करो "
लेकिन बहन और भाई मिल गए , संदीप ने उस कच्ची कोरी के कान में कुछ कहा और जब तक तक जेठानी समझें पेटीकोट का नाडा खुल चूका था। और सरसर कर के साया साथ छोड़ गया , अब जेठानी और संदीप पूरी तरह , और सिर्फ छुटकी सिर्फ चड्ढी में , वो भी मस्ती के रस से गीली।
जेठानी जी ने मन में तय कर लिया था अब तो इस स्साली की चड्ढी मैं इसके भैया से ही उतरवाउंगी, और रुला रुला के फड़वाउंगी उसकी, पक्की छिनार बना के रहूंगी इसको।
बस, उसके दोनों हाथ पीछे से मोड़ के उसके भइया के सामने ले जा के बोलीं
" अरे देख तोहरी छुटकी बहिनिया ने कौन सा खजाना यहाँ छिपा के रखा है जो किसी को दिखा नहीं रही "
वो छटपटाती रही पर संदीप ने आराम से धीरे धीरे अपनी बहन की चड्ढी प्यार से सरका सरका के,... और जेठानी ने उसे वहीँ फेंक दिया जहाँ उसकी ब्रा पड़ी थी,...
और सच में , बहिनी की चड्ढी उसका भइया उतारे उससे रसीली बात क्या हो सकती थी,
कच्ची एकदम कोरी कुंवारी चूत, गोरी गोरी, भूरी भूरी बस दो चार रेशम सी झांटे,.. फांके एकदम चिपकी जैसे लंड को चैलेन्ज कर रही हों , घुस के तो दिखाओ,...
वैसे ही तन्नाया भैया का लंड , एकदम पागल हो गया , यही तो वो चाहता था, एकदम कच्ची अनचुदी बुर,... जिसे पहली बार उसका मस्त खूंटा छुए,,एकदम अक्षत
और इस बिल में तो अभी ऊँगली भी ठीक से नहीं घुसी थी ,
लेकिन तबतक जेठानी जी की हथेली ने उसे ढंक लिया,
"अरे जरा तेल मालिश तो कर दूँ, बहुत नजरा लिए " और हाथ में लगा सारा कडुआ तेल संदीप की बहिनिया की बिल पे ले के धीमे मसलने लगीं,
कुछ देर में वो मिटटी के फर्श पे लेटी थी, टाँगे हवा में उठी और जेठानी जी बीच में, उनके हाथ में वही सरसों के तेल को बोतल, और अबकी पूरी ताकत से उसकी दोनों फांकों को जेठानी की उँगलियों ने फैला दिया, और तेल की खुली बोतल का मुंह सीधे दोनों फांकों के बीच में, कम से कम चार ढक्क्न के बराबर तेल तो गया ही होगा, और बोतल हटाने के साथ ही उनकी उँगलियों ने दोनों फांको को कस के चिपका के जैसे सील कर दिया, जिससे एक बूँद भी तेल बाहर न आ पाए और उस टीनेजर के दोनों चूतड़ दूसरे से पकड़ के हवा में उठा दिए,...
पूरे चार मिनट तक, जब तक पूरा तेल अंदर तक रिस नहीं गया, और उसके बाद भी जो दो चार बूँद निकला, पहले तो निचले होंठो के अंदरूनी हिस्सों पे , धक्का यहीं तो लगना था , और बाकी की तेल मालिश पूरी चुनमुनिया पे, साथ में अंगूठे से कभी वो क्लिट की रगड़ाई कर देतीं तो कभी दो उँगलियाँ फांको के बीच में डाल के अंदर बाहर ,
बहिनिया मचल रही थी, और ऊपर का हिस्साउसके भैया के हाथ, दोनों कच्ची अमियाँ जो रोज फ्राक के अंदर से उसका मन ललचाती थीं , अब खुल के हाथों में,
पहली बार किसी मर्द का हाथ पड़ा था, वो भी भैया का, भले अमियाँ बस आ रही थीं लेकिन वो ख़ुशी से फूल गयी, मस्ती से पथरा गयीं,
जेठानी ने एक बार फिर थोड़ा सा तेल हथेली में लेकर फांको के बीच और उसे छेड़ते हुए
" लेगी इसमें भैया का,... "
तुरंत जवाब नहीं में मिला।
" क्यों हाथ में लिया, ऊपर वाले मुंह में लिया तो बिचारे नीचे वाले से क्या गलती हो गयी है,... " जेठानी ने हलके हलके ऊँगली करते हुए कहा,
"फिर फुसफुसाते हुए बोलीं
" अरे यार चुदवाने को थोड़ी कह रही हूँ , मैं हूँ चुदवाने के लिए,... बस खाली एक बार ऊपर से टच करा लो , मैं बोल दूंगी उनको, सिर्फ टच,.. हलके से गईं के दस तक गिनती गईं के और तुम मना करोगी बोलोगी तो हट जाएंगे , अरे हाथ से छुआ , होंठ से छुआ दोनों जगह चमड़ी ही तो है , यहाँ भी वही,... '
वो चुप रही , और जेठानी को मौका मिल गया ,
" सुना न , चुप का मतलब हाँ, ... और बस स्किन पे टच,... कर ये जैसे ही बोले भैया निकाल लो तो निकाल लेना। "
इससे ज्यादा संदीप को क्या सिग्नल मिलता,
अब वो दोनों जाँघों के बीच,
और जेठानी ऊपर उसका सर अपनी गोद में रख के दुलराते सहलाते , अपना के निपल उसके मुंह पे , उस कच्ची कोरी ने मुंह खोल के अंदर कर लिया फिर धीरे धीरे जेठानी ने आधे से ज्यादा उसके मुंह में और दूसरे हाथ से उसके सर को पकड़ के पुश कर के , अब वो लड़की चाह के भी मुंह नहीं खोल सकती थी चिल्लाना तो दूर की बात
Ghush gaya . Bhai ka pyar bahen ki kuwari gali me......फ्फ्फट गईईईई
इससे ज्यादा संदीप को क्या सिग्नल मिलता,
अब वो दोनों जाँघों के बीच,
और जेठानी ऊपर उसका सर अपनी गोद में रख के दुलराते सहलाते , अपना एक निपल उसके मुंह पे , उस कच्ची कोरी ने मुंह खोल के अंदर कर लिया फिर धीरे धीरे जेठानी ने आधे से ज्यादा उसके मुंह में और दूसरे हाथ से उसके सर को पकड़ के पुश कर के , अब वो लड़की चाह के भी मुंह नहीं खोल सकती थी चिल्लाना तो दूर की बात
उधर संदीप का खूंटा कभी दोनों फांको पे कभी रगड़ता तो उसका अंगूठा क्लिट से खेलवाड़ करता,
और जेठानी जानती थीं की फोरप्ले के मामले में संदीप का जवाब नहीं , पांच मिनट में वो पत्थर को भी गरम कर सकता है , यहाँ तो ये पहले से ही मस्त थी ,
साथ ही दोनों उभारों को सहला के संदीप की कोरी बहिनिया के निपल खीँच के जेठानी भी आग में घी डाल रही थीं,
थोड़ी देर बाद ही जेठानी ने संदीप को थम्स अप का इशारा कर के आगे बढ़ने का इशारा कर दिया ,
बस एक बार फिर से संदीप ने अपनी बहिनिया की दोनों टाँगे काँधे पर सेट कर अपना सुपाडा उसकी दोनों कसी फांको के बीच में लगा दिया, और पुश करने लगा ,
जेठानी ने भी संदीप की बहिनिया के दोनों हाथ अपने पैरों के बीच दबा रखे थे , चूँची कस के उस कोरी के मुंह में ठूंस रखी थी
जेठानी ने अपनी आँखों से संदीप को हड़काया, बिन बोले जैसे कह रही हों, अरे तेरी बहिन की कच्ची चूत है तेरी माँ का भोंसड़ा नहीं, पूरी ताकत से पेल
और संदीप ने पूरी ताकत से पेलना, धकेलना, ठेलना शुरू किया , थोड़ी देर में आधा सुपाड़ा अंदर घुस पाया, एक पल रुक के हलके से बाहर निकाल के फिर से दूनी जोर से, अपनी बहन की पतली कमर पकड़ के पेला और
गप्पाक,
पूरा सुपाड़ा अंदर,
अब हालत वही थी जैसे कोई पतली मुंह वाली बोतल में मोटा सा कार्क ठूसने की कोशिश करे और वो बीच में अटक जाए , न अंदर जा पाए न बाहर आ पाए,
और संदीप की बहिनिया की हालत , जैसे कहते हैं न
जबरा मारे, रोये न देय
उसकी देह अकड़ रही थी , दर्द से वो तड़प रही थी , जाँघों के बीच से शुरू हो कर दर्द पूरी देह में फ़ैल रहा था , लहर के बाद दर्द की अगली लहर, उसके चेहरे पर दर्द पसरा था, आँखे आंसुओं से भरी थीं
पर बस वो चीख नहीं पा रही थी, जेठानी ने इसी पल के लिए कस के अपनी बड़ी बड़ी चूँची उसके मुंह में ठेल रखी थी,
जेठानी ने कस के दोनों हाथ भी उसके दबा रखे थे,... जैसे कोई बछिया खूंटा तुड़ाने की कोशिश करे इधर उधर उछले पर,...
कुछ देर में वो थिर हुयी तो संदीप ने फिर अपनी बहन की कोरी कसी चूत में सुपाड़ा धीरे धीरे और अंदर सरकाना शुरू किया , जेठानी ने जो सीधे कडुवे तेल की बोतल से ही उस कच्ची कली की चूत में तेल पिलाया था, दो छटांक तो अंदर गया ही होगा, अब वही तेल बहन के भैया के काम आ रहा था ,... धीरे धीरे कर के एकाध इंच और सरक गया,...
जेठानी ने हाथों को थोड़ा ढीला कर दिया और अब प्यार दुलार से कभी उस लड़की के बाल सहलातीं कभी गाल, कभी झुक के चूम लेतीं,
धीरे धीरे लंड ने अपनी जगह बना ली थी, दर्द कम तो नहीं हुआ था पर अब वो उसे बर्दाश्त करने लगी थी।
और अब जेठानी ने उसके मुंह से अपनी चूँची निकाल ली, ....
अब जब सुपाड़ा अच्छी तरह धंस गया है तो ये स्साली लाख चूतड़ पटके अब बिना फटे इसकी बच नहीं सकती,...
संदीप ने उनकी ओर देखा, तो उन्होंने इशारे में कहा ,... '
अरे यार कच्ची कली है , अभी झिल्ली फटेगी,... तो रोई रोहट होगी चीख पुकार होगी, लेकिन उसके बिना कच्ची कली को चोदने का मजा ही क्या,
एक दो पल के बाद जेठानी की ओर बड़ी बड़ी आँखों से देखते हुए कहा, ... " भैया से कहिये निकाल लें न बहुत दर्द हो रहा था "
" अरे यार निकाल लेंगे कोई काट के उसी में थोड़ी छोड़ देंगे , फिर मेरा क्या होगा,... अरे निकाल लेंगे , अभी जरा मजे ले ले के तुझे चोद लें , तेरी फाड़ दें,... "
" भैया बहुत दर्द हो रहा है " अब वो संदीप से बोली
" अरे कोई दर्द नहीं हुआ अभी तो असली दर्द तो तब होगा जब तेरी फटेगी, खून खच्चर होगा,... " जेठानी ने उसे और चिढ़ाया और संदीप को हड़काया ,
" क्यों बेचारी को इन्तजार करवा रहे हो, जिस लिए वो आयी है करो न , अब अगर तुम रुके न जड़ तक घुसाए बिना,... "
बहिनिया चिल्लाती रही रोती रही , चूतड़ पटकती रही लेकिन भाई पेलता रहा धकेलता रहा , पर रुक गया,
जेठानी समझ गयीं अब वो घडी आ गयी और उन्होंने कस के दोनों हाथ पकड़ लिए कंधे पर से दबोच लिया अपनी देह का बोझ उस कोरी कली के ऊपर,
संदीप ने थोड़ा सा बाहर निकाल के एक बार फिर से टाँगे उसकी अच्छी तरह अपने कंधे पर सेट कीं, दोनों छोटे चूतड़ उठा के थोड़ा सा पुआल उसके नीचे , कस के कर पकड़ के पूरी ताकत से धक्का मारा
अब की धक्के रुक नहीं रहे थे , जैसे हथोड़े की चोट लगातार , ....
वो चीख रही थी , चिल्ला रही थी चूतड़ पटक रही थी , पर,... संदीप की आंखे बंद थी और वो सिर्फ पूरी ताकत से,
जेठानी की आँखे एकदम सेंटर पर थीं,... पहले एक दो बूँद खून चुहचुहा आया फिर थक्के, पर थक्के,... जाँघों पर फैलना शुरू होगया
जेठानी खुश,... उनका यार इसी लिए तो उदास, था , अब पूरी हो गयी उसी इच्छा , तो उनकी भी गाडी चल पड़ेगी
पर अब लड़की अब जैसे आलमोस्ट निश्चल चीखें बंद हो गयीं लेकिन बस एक गुड़िया की तरह पड़ी,
संदीप भी अब रुक गया था , पहली बार वो ये देख रहा था , लेकिन ऐसा मज़ा भी कभी नहीं आया था , और पहली बार उसने किसी कली को फूल बनाया था , और वो भी अपनी ही बगिया की ,
Ohhhh kya update diya apne kamal jiखिल गयी कली
random coin toss
संदीप भी अब रुक गया था पहली , बार वो ये देख रहा था , लेकिन ऐसा मज़ा भी कभी नहीं आया था , और पहली बार उसने किसी कली को फूल बनाया था , और वो भी अपनी ही बगिया की ,
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जेठानी जी जानती थीं थोड़ी देर में ये खुद चूतड़ उठा उठा के लंड मांगेगी, बस उन्होंने उसके गाल सहलाने शुरू किये , कभी आँखों को चूम लेती तो कभी होंठों को , उसके ऊपर से उन्होंने दबाव हटा लिया था , अब दोनों हथेलियों को सहला रही थीं
और कुछ देर में उसने आँखे खोल दी, शिकायत की निगाह से उसने जेठानी की ओर देखा , और उन्होंने संदीप की ओर
और संदीप इशारा समझ के अब झुक के कभी उसके होंठ चूमता कभी निप्स चूसता,... थोड़ी देर में एक बार फिर से वो गरमाने लगी थी ,
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बस जेठानी ने संदीप के कान में समझाया ,
जो थोड़ा बचा है वो भी ठेल दो
और अबकी संदीप ने दोनों छोटी छोटी चूँचियों को दबाते मसलते , हचक के पेल दिया , बस चार पांच धक्के और खूंटा पूरा अंदर,....
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वो एक बार फिर छटपटा रही थी , चूतड़ पटक रही थी , हाँ चीखना उसने बंद कर दिया था, ... एक बार फिर पूरा ठुस के संदीप रुक गया
जेठानी ने उसके होंठों को चूम के मुस्कराते हुए पूछा,...
" कैसा लगा '
" दी , बहुत दर्द हुआ , ... बस जान नहीं निकली,... " वो शिकायत भरे स्वर में बोली,...
" बस अब आगे सिर्फ मज़ा आएगा , और दर्द तो एक बार होना ही होता है, तेरे भैया का मोटा भी ज्यादा है , लेकिन जितना ज्यादा मोटा उतना ज्यादा मज़ा "
जेठानी अब उसे दुलार से समझा रही थीं और चूम रही थीं और साथ में उसके भैया को भी उन्होंने हड़का लिया,
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" हे आराम से कर , ये कहीं भागी तो जा नहीं रही, ... न मना कर रही है, आराम से धीरे धीरे, ... और फिर ये तो घर में ही है , जब चाहो चोद लेना , कभी मना नहीं करेगी,... है न ,... छुटकी। "
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और अब सच में संदीप ने आराम से धीरे धीरे,... और चीखें सिसकियों में बदल गयीं,.. साथ में जेठानी की उँगलियाँ कभी क्लिट कभी निपल , भैया का मोटा लंड जड़ तक धंसा , दो चार मिनट में वो तूफ़ान के पत्ते की तरह काँप रही थी, जाँघे आपस में रगड़ रही थी, मुट्ठी खोल बंद कर रही थी ,
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जब तक वो झड़ती रही , संदीप रुका रहा फिर पहले धीरे धीरे , फिर पूरी ताकत से
और अब जेठानी ने उन दोनों को छोड़ दिया था , बगल में बैठ के खेल देख रहीं , ...
सात आठ मिनट के धक्कों के बाद जब उस टीन ने झड़ना शुरू किया,... अपने भैया को कस के दबोच लिया तो संदीप भी साथ में,... पूरी तरह अंदर , जैसे ज्वालामुखी का लावा उबल रहा हो , एक बार दो बार ,
पूरी कटोरी भर अपनी मलाई अपनी बहन की बुर में,...
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देर तक दोनों ऐसे ही पड़े रहे , और जब अलग हुए तो जेठानी ने उस किशोरी की जाँघों के बीच मजे से देखा,
सफ़ेद और लाल, खून के थक्के और गाढ़ा वीर्य अभी भी चूत से बूँद बूँद कर के रिस रहा था,...
उसी की चड्ढी से अच्छी तरह उन्होंने खून वीर्य सब साफ़ कर के उसे दिखाया,
खून देख के वो चौंकी, दी इत्ता खून,...
अरे ये तो होना ही था , चल अब तू मेरी बिरादरी में आ गयी, और उसे गले लगाते हुए छेड़ते हुयी जेठानी बोलीं,
" एक बार और हो जाए "
" ना ना अबकी आप का नंबर "
पर जेठानी जानती थीं बिना दुबारा इसे चुदवाये ले जाना खतरे से खाली नहीं , एक बार अगर उसने टाँगे सिकोड़ लीं तो दुबारा फैलवाना मुश्किल होगा।
उस को दिखा के चड्ढी उसकी उन्होंने अपने पर्स में रख ली। कुछ देर बाद संदीप और जेठानी की चुदाई चालू हो गयी , और, वो कुछ देर पहले की कच्ची कली खूब मजे ले ले कर देख रही थी अपने भैया को उकसा रही थी,... असल में जेठानी ही संदीप के ऊपर चढ़ के चोद रही थीं , जिससे उस लड़की के मन से डर तो निकल ही जाए , बुर में आते जाते लंड को देख के वो फिर गरमा जाए,
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वही हुआ,
पर कुछ देर बाद पुआल के गट्ठरों पर जेठानी निहुरी हुयी थीं और संदीप कुतिया की तरह उन्हें चोद रहा था,... और वो छोटी सी छोरी और उकसा रही थी ,
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" हाँ भैया , हां और कस के अरे अभी बहुत बचा है बाहर , दी को मजा नहीं आता आधे में ,... "
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और संदीप भी हचक हचक के
पर जेठानी कौन कम थीं , चूतड़ उठा उठा के जवाब दे रही और गरिया भी रहीं, बगल में बैठी संदीप की बहिनिया को,
" घबड़ा मत, भैया की दुलारी , भैया की रखैल, अगला नंबर तेरा ही लगवाउंगी, घोंटना अपने भैया का कस कस के पूरा। '
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और हुआ भी यही, अगला राउंड जेठानी ने फिर संदीप और उसकी छुटकी बहिनिया का, .... चीख चिल्लाहट भी हुयी उउउ आअह्ह्ह्हह भी निकली, लेकिन थोड़ी देर में मामला आह से आहा तक पहुँच गया।
और इस बार जब संदीप अपनी बहिन की बिल में झड़ा,... तो फिर एक बार उसीकी चड्ढी जिसमें खून और मलाई लगी थी उसी से फिर अच्छी तरह पोंछा , अंदर तक ऊँगली में फंसा के डाल के साफ़ किया ,.... और चड्ढी वापस जेठानी के बैग में, , उसकी ब्रा भी उन्होंने जब्त कर ली.
बाइक पर बैठने के पहले छुटकी ने लाख जिद्द की चड्ढी के लिए पर जेठानी
" अरे यार उसमें इतना खून लगा है ,... कोई पूछेगा ,... रहने दे मेरे पास "
लेकिन असली शरारत कुछ और थी बाइक पे छुटकी दोनों टाँगे फैला के बैठी , फ्राक उठी हुयी, गाँव का रास्ता , झटके और हर बार उसकी ताज़ी चुदी चूत बाइक से रगड़ खाती, पहले तो कुछ उसे अनकुस लगा , लेकिन थोड़ी देर में मज़ा आने लगा, और ढाबे तक पहुँचते वो एक बार फिर गरमा गयी,.... मस्ती के कारण उसकी छोटी छोटी चूँचियाँ भी पथरा गयी थीं निप्स फ्राक को फाड़ रहे थे , ( ढक्क्न जेठानी ने पहले ही अपने कब्जे में कर लिया था )
ढाबे में सब की निगाह बस उस की छोटी छोटी लेकिन कड़ी कड़ी चूँची पर,....
जितने मर्दो की निगाह किसी लड़की के उभारों पर पड़ती है , उसके उभार उतनी जल्दी गदराते हैं , और वो उतनी जल्दी जवान होती है,...
खाना खाते समय भी , एक जांघ पर संदीप का हाथ , दूसरे पर जेठानी का हाथ , और फिर जेठानी ने पकड़ कर उसका हाथ एक बार फिर संदीप के पैंट के बल्ज पर रख दिया
जितनी जल्दी इसकी शर्म ख़तम हो,... बस जेठानी की पूरी कोशिश यही थी।
घर लौट के जेठानी सीधे उसे अपने कमरे में ले गयी, ...गरम दूध में हल्दी मिला के दिया, हलके गरम पानी से सिंकाई भी और थोड़ी देर में छटकी सो गयी , और सो के उठी तो सारा दर्द छूमंतर।