• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

komaalrani

Well-Known Member
22,246
57,880
259
भाई चढ़ा,...




और थोड़ी देर में जेठानी जी और नयी कच्ची कोरी बहिनिया, फटफटिया पर बैठी,...



खेत, बगीचे, गाँव की सड़क,... लेकिन थोड़ी देर में वो लोग गाँव से बाहर,... संदीप ने पहले से ही तय कर लिया, उन लोगों के खेत बाग़ कई गाँवों में फैले थे , एक दूर के गाँव में उनका एक बगीचा भी था और खेत भी वहीँ नया नया ट्यूबेल उन लोगों ने लगया था और एक कमरा भी , घने बाग़ के बीच में,मोटरसाइकिल वहीँ जा के रुकी।






कुछ देर में हम तीनों कमरे के अंदर थे , पुआल, कच्ची मिटटी का फर्श और दो गद्दे पड़े थे, और जब तक बाक दोनों कुछ समझें , जेठानी कमरे के बाहर , उन्होने आराम से कमरे के बाहर एक बड़ा सा ढाई पाव का ताला बंद किया , हिला डुला के देखा, और एक छोटी सी खिड़की से कूद के अंदर,... संदीप और उसकी सगी सी बहन कुछ बतिया रहे थे पर जेठानी ने देख लिया की संदीप की नजर छुटकी बहिनिया की कच्ची अमियों पर एक टक टिकी है, जेठानी मन ही मन मुस्करायीं अभी कुछ देर में ही ये टिकोरे कचर कचर कुतरे जाएंगे और चाभी उन्होंने एक खूब ऊपर ताखे पर फेंक दी.वो मन ही मन सोच रही थीं संदीप ने अपनी बहन की फाड़ने के लिए बहुत अच्छी जगह चुनी, चिल्लाये वो मन भर के चीख चीख के , गला फाड़ फाड़ के कोई दूर दूर तक उसकी चीख क्या सिसकी भी नहीं सुन सकता था,... और एक बार चीखते चीखते थक गयी चूतड़ पटकना बंद कर दिया तो खूब गपागप



छुटकी बहन जेठानी से सट गयी, और फुसफुसाते हुए बोली,...

" दी, अब मैं बाहर चलती हूँ, देखिये आपका काम तो हो गया , अब आप और भैया चालू हो जाइये , मैं बाहर खड़ी रहूंगी। "





मुस्कराते हुए जेठानी ने पहले तो संदीप को दिखाते हुए उसे कस के चूमा, फिर जोर से बोलीं ,






" अरे बाहर तो ताला बंद है, कैसे जायेगी , और चाभी ऊपर ताखे में,... " फिर दुलार से समझाया

" अरे दरवाजा अंदर से बंद रहता तो किसी भी आने जाने वाले को शक होता, वो दरवाजा खटखटा के देखता अंदर कौन है,... अब बाहर से ताला देख के चला जाएगा और तू बैठ नहीं यहीं देख , सीख जायेगी,... "





" और तुझे तो एतराज नहीं है " संदीप को पकड़ के चूमती वो बोलीं।

" एकदम नहीं , ... " संदीप ने मुंह में जीभ डाल के कस के चूम लिया। पहल जेठानी ने ही की , उनकी साडी पुआल के ऊपर और संदीप भी फिर शार्ट में , और जेठानी ने भी संदीप की बहन का फ्राक पकड़ के खोल दिया,

" अरे उतार दे, यहाँ इतनी धूल मिटटी है,... कहीं गन्दी हो गयी तो घर पे क्या बताएँगे , देख मैंने भी उतार दिया, अरे ढक्क्न लगे रहने दूंगी, घबड़ा मत, "



और अब जेठानी , ब्रा पेटीकोट में,





संदीप सिर्फ एक छोटे से शार्ट में और छुटकी कच्ची कोरी भी ब्रा और चड्ढी में, अपने नए आये उभारों को हाथ से ढकते हुए, संदीप और जेठानी एक बार फिर चुम्मा चाटी में लग गए, जेठानी का हाथ अब संदीप के शॉर्ट में और उसका खूंटा मुठियाने लगी , साथ में संदीप के कान में ऐसे बोलने लगीं जैसे खूंटे से ही बात कर रही हों,

" देख है न माल मस्त, एकदम कसी है, कच्ची कोरी, जबरदस्त फाड़ना, खूब चूतड़ पटकेगी, बिसुरेगी , रोयेगी , लेकिन बिना खून खच्चर के बाहर नहीं निकलने का , समझे में शेर, आज दिखा दे अपनी पूरी ताकत,... "



यह बातें सुनकर वही हुआ जो होना था , खूंटा फूल के कुप्पा, शार्ट एकदम तन गया।



और जब संदीप को जेठानी ने छोड़ा तो वही हुआ जो उन्होंने सोचा था,... छुटकी बहिनिया की निगाहें अपने भैया के खूंटे से चिपकी थीं. पर जेठानी के देखते ही उसने निगाहें चुरा ली,...





और जेठानी ने भी ऐसे ही किया जैसे उन्होंने कुछ देखा नहीं हो। लेकिन संदीप से वो बोलीं,

" यार , एक चुम्मी इसकी भी तो बनती है , ये हेल्प न करती दो हम दोनों को ये मौका न मिलता। "



बस संदीप ने अब उसे पकड़ के एक हलकी चुम्मी ले ली , पर जेठानी ने आँखे तरेरी तो फिर कस के चिपक के,...





थोड़ी देर तक तो वो छटपटाई , फिर वो भी हलके हलके जवाब देने लगी , जैसे जेठानी कर रही थीं उसी तरह करने की कोशिश कर रही थी, लेकिन कुछ देर में संदीप को हटाकर जेठानी ने उसे चिपका लिया , और कन्या रस में तो उन्हें गाँव की काम करने वालियों ने, भाभियों ने माहिर कर दिया था , बस आज उसी का इम्तहान था।

और उस इम्तहान में जेठानी जी १०० में १०० पाकर पास हुईं वो भी पांच मिनट के अंदर, पहले तो ढक्क्न के अंदर हाथ डाल के उन्होंने दोनों चूजों की हाल चाल ली , हलके हलके दबाना मीजना शुरू किया ,





फिर दोनों मखमली रेश्मी जाँघों को सहलाते हुए उँगलियों ने चड्ढी के अंदर सेंध लगा दी,कभी हथेली से चुनमुनिया मसलतीं तो कभी सिर्फ दोनों फांकों को तो कभी एक ऊँगली फांक की दरार में,




पांच मिनट के अंदर ही वो गीली हो गयी, चड्ढी पर एक बड़ा सा धब्बा, छोटे छोटे उभार पथरा गया, मटर की आ रही छिमियों के दाने की तरह के निपल भी टनटना गए, आँखे मस्ती से बंद हो गयीं सांस गहरी चलने लगी, और संदीप की बहिनिया के ये हाल देखकर संदीप का खूंटा भी अब शार्ट से बाहर निकलने को बेताब था।



" हे तेरे भैया ने तेरी चुम्मी ली, तू भी ले, "


जेठानी ने उसको उकसाया और पुश कर के सीधे संदीप की बांहों में, अबकी पहल बहन ने ही की , भले ही हलके से लेकिन अपने होंठों को अपने भैया के होंठों पे रख दिया ,और आगे की चुसम चुसाई संदीप ने शुरू कर दी।


जेठानी खाली नहीं बैठी थीं , उन्होंने अपने यार को पीछे से दबोच लिया पर उनका एक हाथ भी भैया की बहिनिया के छोटे छोटे चूतड़ों पर था, उसे पकड़ कर वो अपनी ओर खींच रही थीं जिससे संदीप का खूंटा उस कोरी की गीली गीली जांघों के बीच, पहली बार उस टिकोरे वाली को मूसल का असर सीधे वहां मालूम हो रहा था,

पर जेठानी को इतने पर ही संतोष नहीं था, उस कच्ची कली का हाथ पकड़ के पहले तो उन्होंने उसके के भैया के शार्ट के ऊपर से खूंटे पर पर रगड़ा और थोड़ी देर के बाद अपने हाथ से उसका हाथ पकड़ के उसका हाथ शार्ट के अंदर,...

छुटकी ने हाथ छुड़ाने की बड़ी कोशिश की पर जेठानी की पकड़,...



एकदम गरम रॉड, दहकता , फुंफकारता








" अरे एक बार बस पकड़ ले , कुछ नहीं करना बस देख ले पकड़ के "

और उस किशोरी ने हलके से ,.... बस इतना काफी था, उसके ऊपर जेठानी का हाथ, वो कस के दबाये रहीं की जरा ये अपने भाई का लम्बा मोटा कड़ा महसूस कर ले , फिर हलके हलके मुठियाना शुरू कर दिया,





थोड़ी देर में शेर पिजड़े के बाहर था।
 
Last edited:

komaalrani

Well-Known Member
22,246
57,880
259
चुसस्म चुसाई











छुटकी ने हाथ छुड़ाने की बड़ी कोशिश की पर जेठानी की पकड़,...

एकदम गरम रॉड, दहकता , फुंफकारता
" अरे एक बार बस पकड़ ले , कुछ नहीं करना बस देख ले पकड़ के "



और उस किशोरी ने हलके से ,.... बस इतना काफी था, उसके ऊपर जेठानी का हाथ, वो कस के दबाये रहीं की जरा ये अपने भाई का लम्बा मोटा कड़ा महसूस कर ले , फिर हलके हलके मुठियाना शुरू कर दिया,








थोड़ी देर में शेर पिजड़े के बाहर था।


और जेठानी ने संदीप के बहन के चूजों की भी आजाद कर दिया, ... साथ में उनकी ब्रा भी उतर गयी





लेकिन लाज शरम से उसकी बहन की आँखे बंद थी और ब्रा से ज्यादा जरूरी इस शरम को उतारना था।

एक बार ये शर्म का ढक्क्न उतर गया तो खुद टांग फैलाना शुरू कर देगी।

दोनों बहनें मिल के अभी भी जब खूंटा बाहर आ गया था तो भी मुठिया रही थीं , नीचे संदीप की बहिना का हाथ ऊपर से जेठानी का हाथ, उसे पकडे हुए धीरे धीरे गाइड करता,...


कुछ देर में जेठानी ने अपना हाथ हटा लिया, पर संदीप की बहिना का हाथ अभी अपने भैया के लंड पर चल रहा था , हलके हलके पकड़ के वो आगे पीछे , आगे पीछे,...





कौन भाई होगा जिसकी हालत अपनी छोटी जवान होती बहन का हाथ लंड पर पाकर, खराब नहीं हो जायेगी , और संदीप की वही हालत हो रही थी,...

" हे आँख तो खोल ,देख कित्ता मस्त है जबरदस्त तेरे भैया का हथियार " हलकी सी चिकोटी काटते हुए जेठानी ने उसे चिकोटी काटी,

छुटकी की आँख खुल तो गयी, पर ये देख के की उसने अपने हाथ में भैया का बौराया मोटा मूसल पकड़ रखा है,





झट से छोड़ दिया।



जेठानी ने एक झटके से संदीप का शार्ट उतार के दूर फेंक दिया और उसकी बहन से बोली, अरे सिर्फ देखने पकड़ने में ही नहीं चूसने चाटने में बहुत मस्त है तेरे भैया का चल चख के दिखाती हूँ , और एक धक्के में पुआल पे संदीप को गिरा दिया और खुद उसकी जाँघों के बीच में बैठ के बस अपनी पूरी जीभ निकाल के मोटे मांसल सुपाड़े को चाटने लगी, और कनखियों से संदीप की छुटकी बहिनिया को देख रही थी,...



कुछ देर तो उसने शर्माने का नाटक किया फिर टकटकी लगाके अपने भाई के मोटे मूसल को देखने लगी,... जेठानी अब साथ साथ एक हाथ से हलके हलके मुठिया भी रही थीं,, ... और अचानक एक झटके से पूरा मुंह खोल के , पूरी ताकत से उन्होंने उस मोटे सुपाड़े को घोंट लिया, और अब खुल के छोटी बहन को दिखा दिखा के चुभलाने लगीं,





मुठियाने के साथ जेठानी की उँगलियाँ संदीप के बॉल्स को भी कभी टच करता, कभी स्क्रैच कर देता,.. और संदीप सिसक उठता,...

अपने भैया की देख , भैया की बहिनिया की भी हालत खराब हो रही थी, और यही तो जेठानी चाहती थीं ,



कुछ देर में सुपाड़े को मुंह से बाहर निकाल के उसे संदीप की बहिनिया को दिखाती बोलीं,



" चाहे तो एक लिक ले ले, "


थूक से भीगा सुपाड़ा खूब चमक रहा था, एकदम मस्त प्यारा , लीची ऐसा, रसीला,...

और अब जेठानी की जीभ उस चर्म दंड पर ऊपर नीचे ऊपर नीचे और अबकी जब उन्होंने मुंह उठाया तो फिर संदीप की बहिनिया को उकसाया,



" अच्छा चल एक छोटी सी चुम्मी, बस छोटी सी चुम्मी "





कुछ इसरार कुछ जबरदस्ती मन तो उस कच्ची कली का कर ही रहा था , और उसके भीगे कुंवारे रसीले होंठों पहली बार शिश्न पर, जैसे भौंरे का पहला स्पर्श कली को हुआ हो , भाई बहन दोनों को जबरदस्त झटका लगा,



जेठानी ने कस के उसका सर दबा रखा था उसके भैया के खूंटे पे, थोड़ी देर में जेठानी दूर बैठी थीं और बहन अभी चाट रही थी,...



कुछ देर तक कभी जेठानी कभी वो , धीरे धीरे लंड से उसकी झिझक दूर हो रही थी , अब अपने आप वो पकड़ भी रही थी , दबा भी रही थी,...





लेकिन अब समय आ गया था असली खेल का, और इस कच्ची कली में ये मूसल इतने आसानी से जाने वाला नहीं थी और उसका इंतजाम जेठानी घर से ही कर के चली थीं और उसके लिए भी उन्होंने उस छुटकी को ही उकसाया,

" हे मेरे बैग में एक बोतल रखी है जा के ले आओ, "


और जैसे ही वो थोड़ी दूर हुयी जेठानी ने संदीप से कहा,



" स्साली खूब गरमा गयी है , तवा गरम है हथोड़ा कस के मारना , रोने चिल्लाने के बिना झिल्ली फटने का मजा ही नहीं है, रोने देना साली को आज बिना चुदे नहीं जायेगी यहाँ से , दो बार इसे चोद दोगे न आज तो खुद टांग फैलाएगी , ...रखैल बन के रहेगी तेरी जिंदगी भर,... जब चाहे तब चढ़ जाना , घर का माल घर में इस्तेमाल होगा ,... "



 
Last edited:

anvesharonny

Member
232
497
63
Bas pata chal jaayega ,.... aare Jethani ji ka bhi to bhai hai ,...
Haa wo to hain,lekin story bahot waqt se past main chal rahi hain to thoda boring si ho jati hain,agar past aur present main chalegi toh maja aa jayega.
 
  • Like
Reactions: komaalrani

komaalrani

Well-Known Member
22,246
57,880
259
छुटकी बहिनिया की...




लेकिन अब समय आ गया था असली खेल का, और इस कच्ची कली में ये मूसल इतने आसानी से जाने वाला नहीं थी और उसका इंतजाम जेठानी घर से ही कर के चली थीं और उसके लिए भी उन्होंने उस छुटकी को ही उकसाया,

" हे मेरे बैग में एक बोतल रखी है जा के ले आओ, "


और जैसे ही वो थोड़ी दूर हुयी जेठानी ने संदीप से कहा,



" स्साली खूब गरमा गयी है , तवा गरम है हथोड़ा कस के मारना , रोने चिल्लाने के बिना झिल्ली फटने का मजा ही नहीं है, रोने देना साली को आज बिना चुदे नहीं जायेगी यहाँ से , दो बार इसे चोद दोगे न आज तो खुद टांग फैलाएगी , ...रखैल बन के रहेगी तेरी जिंदगी भर,... जब चाहे तब चढ़ जाना , घर का माल घर में इस्तेमाल होगा ,... "





तब तक वो आ गयी , एक बड़ी सी शीशी , वैसी ही जो हर गौने की रात में भौजाइयां देवर के सुहागरात के कमरे में रख के आती हैं , देसी सरसों के तेल से गले तक भरा ,




जब तक वो लड़की कुछ पूछे , जेठानी ने तेल निकाल के अपनी हथेली पर और संदीप के खूंटे पर ऊपर से नीचे तक आठ दस बार, और कुछ तेल उसकी बहन की हथेली पर ,

" हे तू भी लगा न , भाई की हल्दी तेल की रस्म तो बहन ही करती है, लगा दे प्यार से , "



जेठानी को हाथ पकड़ना भी नहीं पड़ा और उसने खुद हाथ में लगा सारा तेल , अच्छे से मूसल पे चुपड दिया,... मालूम तो उसे भी था क्या है पर किस के साथ होना है उसका जरा भी अंदाज उसे नहीं था।





जेठानी ने अब बहन के भैया को काम पे लगाया,

" इसकी चुनमुनिया देखनी है तो कुछ मेहनत करो "



लेकिन बहन और भाई मिल गए , संदीप ने उस कच्ची कोरी के कान में कुछ कहा और जब तक तक जेठानी समझें पेटीकोट का नाडा खुल चूका था। और सरसर कर के साया साथ छोड़ गया , अब जेठानी और संदीप पूरी तरह , और सिर्फ छुटकी सिर्फ चड्ढी में , वो भी मस्ती के रस से गीली।

जेठानी जी ने मन में तय कर लिया था अब तो इस स्साली की चड्ढी मैं इसके भैया से ही उतरवाउंगी, और रुला रुला के फड़वाउंगी उसकी, पक्की छिनार बना के रहूंगी इसको।



बस, उसके दोनों हाथ पीछे से मोड़ के उसके भइया के सामने ले जा के बोलीं



" अरे देख तोहरी छुटकी बहिनिया ने कौन सा खजाना यहाँ छिपा के रखा है जो किसी को दिखा नहीं रही "

वो छटपटाती रही पर संदीप ने आराम से धीरे धीरे अपनी बहन की चड्ढी प्यार से सरका सरका के,... और जेठानी ने उसे वहीँ फेंक दिया जहाँ उसकी ब्रा पड़ी थी,...



और सच में , बहिनी की चड्ढी उसका भइया उतारे उससे रसीली बात क्या हो सकती थी,



कच्ची एकदम कोरी कुंवारी चूत, गोरी गोरी, भूरी भूरी बस दो चार रेशम सी झांटे,.. फांके एकदम चिपकी जैसे लंड को चैलेन्ज कर रही हों , घुस के तो दिखाओ,...






वैसे ही तन्नाया भैया का लंड , एकदम पागल हो गया , यही तो वो चाहता था, एकदम कच्ची अनचुदी बुर,... जिसे पहली बार उसका मस्त खूंटा छुए,,एकदम अक्षत
और इस बिल में तो अभी ऊँगली भी ठीक से नहीं घुसी थी ,



लेकिन तबतक जेठानी जी की हथेली ने उसे ढंक लिया,

"अरे जरा तेल मालिश तो कर दूँ, बहुत नजरा लिए " और हाथ में लगा सारा कडुआ तेल संदीप की बहिनिया की बिल पे ले के धीमे मसलने लगीं,

कुछ देर में वो मिटटी के फर्श पे लेटी थी, टाँगे हवा में उठी और जेठानी जी बीच में, उनके हाथ में वही सरसों के तेल को बोतल, और अबकी पूरी ताकत से उसकी दोनों फांकों को जेठानी की उँगलियों ने फैला दिया, और तेल की खुली बोतल का मुंह सीधे दोनों फांकों के बीच में, कम से कम चार ढक्क्न के बराबर तेल तो गया ही होगा, और बोतल हटाने के साथ ही उनकी उँगलियों ने दोनों फांको को कस के चिपका के जैसे सील कर दिया, जिससे एक बूँद भी तेल बाहर न आ पाए और उस टीनेजर के दोनों चूतड़ दूसरे से पकड़ के हवा में उठा दिए,...



पूरे चार मिनट तक, जब तक पूरा तेल अंदर तक रिस नहीं गया, और उसके बाद भी जो दो चार बूँद निकला, पहले तो निचले होंठो के अंदरूनी हिस्सों पे , धक्का यहीं तो लगना था , और बाकी की तेल मालिश पूरी चुनमुनिया पे, साथ में अंगूठे से कभी वो क्लिट की रगड़ाई कर देतीं तो कभी दो उँगलियाँ फांको के बीच में डाल के अंदर बाहर ,





बहिनिया मचल रही थी, और ऊपर का हिस्साउसके भैया के हाथ, दोनों कच्ची अमियाँ जो रोज फ्राक के अंदर से उसका मन ललचाती थीं , अब खुल के हाथों में,


पहली बार किसी मर्द का हाथ पड़ा था, वो भी भैया का, भले अमियाँ बस आ रही थीं लेकिन वो ख़ुशी से फूल गयी, मस्ती से पथरा गयीं,


जेठानी ने एक बार फिर थोड़ा सा तेल हथेली में लेकर फांको के बीच और उसे छेड़ते हुए

" लेगी इसमें भैया का,... "

तुरंत जवाब नहीं में मिला।


" क्यों हाथ में लिया, ऊपर वाले मुंह में लिया तो बिचारे नीचे वाले से क्या गलती हो गयी है,... " जेठानी ने हलके हलके ऊँगली करते हुए कहा,

"फिर फुसफुसाते हुए बोलीं

" अरे यार चुदवाने को थोड़ी कह रही हूँ , मैं हूँ चुदवाने के लिए,... बस खाली एक बार ऊपर से टच करा लो , मैं बोल दूंगी उनको, सिर्फ टच,.. हलके से गईं के दस तक गिनती गईं के और तुम मना करोगी बोलोगी तो हट जाएंगे , अरे हाथ से छुआ , होंठ से छुआ दोनों जगह चमड़ी ही तो है , यहाँ भी वही,... '








वो चुप रही , और जेठानी को मौका मिल गया ,

" सुना न , चुप का मतलब हाँ, ... और बस स्किन पे टच,... कर ये जैसे ही बोले भैया निकाल लो तो निकाल लेना। "

इससे ज्यादा संदीप को क्या सिग्नल मिलता,

अब वो दोनों जाँघों के बीच,



और जेठानी ऊपर उसका सर अपनी गोद में रख के दुलराते सहलाते , अपना के निपल उसके मुंह पे , उस कच्ची कोरी ने मुंह खोल के अंदर कर लिया फिर धीरे धीरे जेठानी ने आधे से ज्यादा उसके मुंह में और दूसरे हाथ से उसके सर को पकड़ के पुश कर के , अब वो लड़की चाह के भी मुंह नहीं खोल सकती थी चिल्लाना तो दूर की बात
 
Last edited:

erriction

Eric
294
582
108
वाह वाह क्या कहने 🔥🔥🔥🔥🔥
इसको कहते है कोमल रानी की कलम का कमाल ये हर किसी के भी की बात नही🙏🙏🙏🙏

आपने तो हमारा दिल पहले ही जीत लिया था अब तो बस घायल कर रहे हो अपनी कलम के जरिये

अब ना तो हाथों पर नियंत्रण है और ना ही दिलोदिमाग पर जबकि अभी तो केवल लीफ़ाफ़े की परख ही हो रही है इसमे ये हाल है अगर लीफ़ाफ़े की सील टूटी तो क्या होगा इसका अंदाजा सिर्फ और सिर्फ आप ही लगा सकते है

अब अगर ज़ख़्म दिया है तो महरम भी आपको ही देना है
मै तहेदिल से आपका शुक्रिया अदा करना चाहता हुँ क्योंकि आपने मेरे मन की सुन ली 🙏🙏🙏🙏

इसी आशा के साथ स्नेह बनाये रखे और हमारे मन की मुराद पूरी करते रहे
एक तुच्छ प्रशंसक 🙏🙏🙏🙏
 

Luckyloda

Well-Known Member
2,459
8,078
158
Bhut
भाई चढ़ा,...


random coin toss

और थोड़ी देर में जेठानी जी और नयी कच्ची कोरी बहिनिया, फटफटिया पर बैठी,...



खेत, बगीचे, गाँव की सड़क,... लेकिन थोड़ी देर में वो लोग गाँव से बाहर,... संदीप ने पहले से ही तय कर लिया, उन लोगों के खेत बाग़ कई गाँवों में फैले थे , एक दूर के गाँव में उनका एक बगीचा भी था और खेत भी वहीँ नया नया ट्यूबेल उन लोगों ने लगया था और एक कमरा भी , घने बाग़ के बीच में,मोटरसाइकिल वहीँ जा के रुकी।




random coin toss

कुछ देर में हम तीनों कमरे के अंदर थे , पुआल, कच्ची मिटटी का फर्श और दो गद्दे पड़े थे, और जब तक बाक दोनों कुछ समझें , जेठानी कमरे के बाहर , उन्होने आराम से कमरे के बाहर एक बड़ा सा ढाई पाव का ताला बंद किया , हिला डुला के देखा, और एक छोटी सी खिड़की से कूद के अंदर,... संदीप और उसकी सगी सी बहन कुछ बतिया रहे थे पर जेठानी ने देख लिया की संदीप की नजर छुटकी बहिनिया की कच्ची अमियों पर एक टक टिकी है, जेठानी मन ही मन मुस्करायीं अभी कुछ देर में ही ये टिकोरे कचर कचर कुतरे जाएंगे और चाभी उन्होंने एक खूब ऊपर ताखे पर फेंक दी.वो मन ही मन सोच रही थीं संदीप ने अपनी बहन की फाड़ने के लिए बहुत अच्छी जगह चुनी, चिल्लाये वो मन भर के चीख चीख के , गला फाड़ फाड़ के कोई दूर दूर तक उसकी चीख क्या सिसकी भी नहीं सुन सकता था,... और एक बार चीखते चीखते थक गयी चूतड़ पटकना बंद कर दिया तो खूब गपागप



छुटकी बहन जेठानी से सट गयी, और फुसफुसाते हुए बोली,...

" दी, अब मैं बाहर चलती हूँ, देखिये आपका काम तो हो गया , अब आप और भैया चालू हो जाइये , मैं बाहर खड़ी रहूंगी। "


random coin toss

मुस्कराते हुए जेठानी ने पहले तो संदीप को दिखाते हुए उसे कस के चूमा, फिर जोर से बोलीं ,




random coin toss


" अरे बाहर तो ताला बंद है, कैसे जायेगी , और चाभी ऊपर ताखे में,... " फिर दुलार से समझाया

" अरे दरवाजा अंदर से बंद रहता तो किसी भी आने जाने वाले को शक होता, वो दरवाजा खटखटा के देखता अंदर कौन है,... अब बाहर से ताला देख के चला जाएगा और तू बैठ नहीं यहीं देख , सीख जायेगी,... "


random coin toss

" और तुझे तो एतराज नहीं है " संदीप को पकड़ के चूमती वो बोलीं।

" एकदम नहीं , ... " संदीप ने मुंह में जीभ डाल के कस के चूम लिया। पहल जेठानी ने ही की , उनकी साडी पुआल के ऊपर और संदीप भी फिर शार्ट में , और जेठानी ने भी संदीप की बहन का फ्राक पकड़ के खोल दिया,

" अरे उतार दे, यहाँ इतनी धूल मिटटी है,... कहीं गन्दी हो गयी तो घर पे क्या बताएँगे , देख मैंने भी उतार दिया, अरे ढक्क्न लगे रहने दूंगी, घबड़ा मत, "



और अब जेठानी , ब्रा पेटीकोट में,



random coin toss

संदीप सिर्फ एक छोटे से शार्ट में और छुटकी कच्ची कोरी भी ब्रा और चड्ढी में, अपने नए आये उभारों को हाथ से ढकते हुए, संदीप और जेठानी एक बार फिर चुम्मा चाटी में लग गए, जेठानी का हाथ अब संदीप के शॉर्ट में और उसका खूंटा मुठियाने लगी , साथ में संदीप के कान में ऐसे बोलने लगीं जैसे खूंटे से ही बात कर रही हों,

" देख है न माल मस्त, एकदम कसी है, कच्ची कोरी, जबरदस्त फाड़ना, खूब चूतड़ पटकेगी, बिसुरेगी , रोयेगी , लेकिन बिना खून खच्चर के बाहर नहीं निकलने का , समझे में शेर, आज दिखा दे अपनी पूरी ताकत,... "



यह बातें सुनकर वही हुआ जो होना था , खूंटा फूल के कुप्पा, शार्ट एकदम तन गया।



और जब संदीप को जेठानी ने छोड़ा तो वही हुआ जो उन्होंने सोचा था,... छुटकी बहिनिया की निगाहें अपने भैया के खूंटे से चिपकी थीं. पर जेठानी के देखते ही उसने निगाहें चुरा ली,...



random coin toss

और जेठानी ने भी ऐसे ही किया जैसे उन्होंने कुछ देखा नहीं हो। लेकिन संदीप से वो बोलीं,

" यार , एक चुम्मी इसकी भी तो बनती है , ये हेल्प न करती दो हम दोनों को ये मौका न मिलता। "



बस संदीप ने अब उसे पकड़ के एक हलकी चुम्मी ले ली , पर जेठानी ने आँखे तरेरी तो फिर कस के चिपक के,...


random coin toss

थोड़ी देर तक तो वो छटपटाई , फिर वो भी हलके हलके जवाब देने लगी , जैसे जेठानी कर रही थीं उसी तरह करने की कोशिश कर रही थी, लेकिन कुछ देर में संदीप को हटाकर जेठानी ने उसे चिपका लिया , और कन्या रस में तो उन्हें गाँव की काम करने वालियों ने, भाभियों ने माहिर कर दिया था , बस आज उसी का इम्तहान था।

और उस इम्तहान में जेठानी जी १०० में १०० पाकर पास हुईं वो भी पांच मिनट के अंदर, पहले तो ढक्क्न के अंदर हाथ डाल के उन्होंने दोनों चूजों की हाल चाल ली , हलके हलके दबाना मीजना शुरू किया ,



random coin toss

फिर दोनों मखमली रेश्मी जाँघों को सहलाते हुए उँगलियों ने चड्ढी के अंदर सेंध लगा दी,कभी हथेली से चुनमुनिया मसलतीं तो कभी सिर्फ दोनों फांकों को तो कभी एक ऊँगली फांक की दरार में,


random coin toss

पांच मिनट के अंदर ही वो गीली हो गयी, चड्ढी पर एक बड़ा सा धब्बा, छोटे छोटे उभार पथरा गया, मटर की आ रही छिमियों के दाने की तरह के निपल भी टनटना गए, आँखे मस्ती से बंद हो गयीं सांस गहरी चलने लगी, और संदीप की बहिनिया के ये हाल देखकर संदीप का खूंटा भी अब शार्ट से बाहर निकलने को बेताब था।



" हे तेरे भैया ने तेरी चुम्मी ली, तू भी ले, "


जेठानी ने उसको उकसाया और पुश कर के सीधे संदीप की बांहों में, अबकी पहल बहन ने ही की , भले ही हलके से लेकिन अपने होंठों को अपने भैया के होंठों पे रख दिया ,और आगे की चुसम चुसाई संदीप ने शुरू कर दी।

जेठानी खाली नहीं बैठी थीं , उन्होंने अपने यार को पीछे से दबोच लिया पर उनका एक हाथ भी भैया की बहिनिया के छोटे छोटे चूतड़ों पर था, उसे पकड़ कर वो अपनी ओर खींच रही थीं जिससे संदीप का खूंटा उस कोरी की गीली गीली जांघों के बीच, पहली बार उस टिकोरे वाली को मूसल का असर सीधे वहां मालूम हो रहा था,

पर जेठानी को इतने पर ही संतोष नहीं था, उस कच्ची कली का हाथ पकड़ के पहले तो उन्होंने उसके के भैया के शार्ट के ऊपर से खूंटे पर पर रगड़ा और थोड़ी देर के बाद अपने हाथ से उसका हाथ पकड़ के उसका हाथ शार्ट के अंदर,...

छुटकी ने हाथ छुड़ाने की बड़ी कोशिश की पर जेठानी की पकड़,...



एकदम गरम रॉड, दहकता , फुंफकारता



random coin toss



" अरे एक बार बस पकड़ ले , कुछ नहीं करना बस देख ले पकड़ के "

और उस किशोरी ने हलके से ,.... बस इतना काफी था, उसके ऊपर जेठानी का हाथ, वो कस के दबाये रहीं की जरा ये अपने भाई का लम्बा मोटा कड़ा महसूस कर ले , फिर हलके हलके मुठियाना शुरू कर दिया,


random coin toss

थोड़ी देर में शेर पिजड़े के बाहर था।
Bhut shandaar update bhabhi.... maja Aa gya .....
 
  • Like
Reactions: komaalrani

komaalrani

Well-Known Member
22,246
57,880
259
......फ्फ्फट गईईईई






इससे ज्यादा संदीप को क्या सिग्नल मिलता,

अब वो दोनों जाँघों के बीच,



और जेठानी ऊपर उसका सर अपनी गोद में रख के दुलराते सहलाते , अपना एक निपल उसके मुंह पे , उस कच्ची कोरी ने मुंह खोल के अंदर कर लिया फिर धीरे धीरे जेठानी ने आधे से ज्यादा उसके मुंह में और दूसरे हाथ से उसके सर को पकड़ के पुश कर के , अब वो लड़की चाह के भी मुंह नहीं खोल सकती थी चिल्लाना तो दूर की बात





उधर संदीप का खूंटा कभी दोनों फांको पे कभी रगड़ता तो उसका अंगूठा क्लिट से खेलवाड़ करता,

और जेठानी जानती थीं की फोरप्ले के मामले में संदीप का जवाब नहीं , पांच मिनट में वो पत्थर को भी गरम कर सकता है , यहाँ तो ये पहले से ही मस्त थी ,


साथ ही दोनों उभारों को सहला के संदीप की कोरी बहिनिया के निपल खीँच के जेठानी भी आग में घी डाल रही थीं,





थोड़ी देर बाद ही जेठानी ने संदीप को थम्स अप का इशारा कर के आगे बढ़ने का इशारा कर दिया ,


बस एक बार फिर से संदीप ने अपनी बहिनिया की दोनों टाँगे काँधे पर सेट कर अपना सुपाडा उसकी दोनों कसी फांको के बीच में लगा दिया, और पुश करने लगा ,

जेठानी ने भी संदीप की बहिनिया के दोनों हाथ अपने पैरों के बीच दबा रखे थे , चूँची कस के उस कोरी के मुंह में ठूंस रखी थी

जेठानी ने अपनी आँखों से संदीप को हड़काया, बिन बोले जैसे कह रही हों, अरे तेरी बहिन की कच्ची चूत है तेरी माँ का भोंसड़ा नहीं, पूरी ताकत से पेल



और संदीप ने पूरी ताकत से पेलना, धकेलना, ठेलना शुरू किया , थोड़ी देर में आधा सुपाड़ा अंदर घुस पाया, एक पल रुक के हलके से बाहर निकाल के फिर से दूनी जोर से, अपनी बहन की पतली कमर पकड़ के पेला और



गप्पाक,



पूरा सुपाड़ा अंदर,





अब हालत वही थी जैसे कोई पतली मुंह वाली बोतल में मोटा सा कार्क ठूसने की कोशिश करे और वो बीच में अटक जाए , न अंदर जा पाए न बाहर आ पाए,

और संदीप की बहिनिया की हालत , जैसे कहते हैं न



जबरा मारे, रोये न देय



उसकी देह अकड़ रही थी , दर्द से वो तड़प रही थी , जाँघों के बीच से शुरू हो कर दर्द पूरी देह में फ़ैल रहा था , लहर के बाद दर्द की अगली लहर, उसके चेहरे पर दर्द पसरा था, आँखे आंसुओं से भरी थीं

पर बस वो चीख नहीं पा रही थी, जेठानी ने इसी पल के लिए कस के अपनी बड़ी बड़ी चूँची उसके मुंह में ठेल रखी थी,

जेठानी ने कस के दोनों हाथ भी उसके दबा रखे थे,... जैसे कोई बछिया खूंटा तुड़ाने की कोशिश करे इधर उधर उछले पर,...


कुछ देर में वो थिर हुयी तो संदीप ने फिर अपनी बहन की कोरी कसी चूत में सुपाड़ा धीरे धीरे और अंदर सरकाना शुरू किया , जेठानी ने जो सीधे कडुवे तेल की बोतल से ही उस कच्ची कली की चूत में तेल पिलाया था, दो छटांक तो अंदर गया ही होगा, अब वही तेल बहन के भैया के काम आ रहा था ,... धीरे धीरे कर के एकाध इंच और सरक गया,...


जेठानी ने हाथों को थोड़ा ढीला कर दिया और अब प्यार दुलार से कभी उस लड़की के बाल सहलातीं कभी गाल, कभी झुक के चूम लेतीं,

धीरे धीरे लंड ने अपनी जगह बना ली थी, दर्द कम तो नहीं हुआ था पर अब वो उसे बर्दाश्त करने लगी थी।


और अब जेठानी ने उसके मुंह से अपनी चूँची निकाल ली, ....

अब जब सुपाड़ा अच्छी तरह धंस गया है तो ये स्साली लाख चूतड़ पटके अब बिना फटे इसकी बच नहीं सकती,...


संदीप ने उनकी ओर देखा, तो उन्होंने इशारे में कहा ,... '

अरे यार कच्ची कली है , अभी झिल्ली फटेगी,... तो रोई रोहट होगी चीख पुकार होगी, लेकिन उसके बिना कच्ची कली को चोदने का मजा ही क्या,





एक दो पल के बाद जेठानी की ओर बड़ी बड़ी आँखों से देखते हुए कहा, ... " भैया से कहिये निकाल लें न बहुत दर्द हो रहा था "

" अरे यार निकाल लेंगे कोई काट के उसी में थोड़ी छोड़ देंगे , फिर मेरा क्या होगा,... अरे निकाल लेंगे , अभी जरा मजे ले ले के तुझे चोद लें , तेरी फाड़ दें,... "


" भैया बहुत दर्द हो रहा है " अब वो संदीप से बोली

" अरे कोई दर्द नहीं हुआ अभी तो असली दर्द तो तब होगा जब तेरी फटेगी, खून खच्चर होगा,... " जेठानी ने उसे और चिढ़ाया और संदीप को हड़काया ,

" क्यों बेचारी को इन्तजार करवा रहे हो, जिस लिए वो आयी है करो न , अब अगर तुम रुके न जड़ तक घुसाए बिना,... "



बहिनिया चिल्लाती रही रोती रही , चूतड़ पटकती रही लेकिन भाई पेलता रहा धकेलता रहा , पर रुक गया,





जेठानी समझ गयीं अब वो घडी आ गयी और उन्होंने कस के दोनों हाथ पकड़ लिए कंधे पर से दबोच लिया अपनी देह का बोझ उस कोरी कली के ऊपर,
संदीप ने थोड़ा सा बाहर निकाल के एक बार फिर से टाँगे उसकी अच्छी तरह अपने कंधे पर सेट कीं, दोनों छोटे चूतड़ उठा के थोड़ा सा पुआल उसके नीचे , कस के कर पकड़ के पूरी ताकत से धक्का मारा


अब की धक्के रुक नहीं रहे थे , जैसे हथोड़े की चोट लगातार , ....


वो चीख रही थी , चिल्ला रही थी चूतड़ पटक रही थी , पर,... संदीप की आंखे बंद थी और वो सिर्फ पूरी ताकत से,


जेठानी की आँखे एकदम सेंटर पर थीं,... पहले एक दो बूँद खून चुहचुहा आया फिर थक्के, पर थक्के,... जाँघों पर फैलना शुरू होगया

जेठानी खुश,... उनका यार इसी लिए तो उदास, था , अब पूरी हो गयी उसी इच्छा , तो उनकी भी गाडी चल पड़ेगी



पर अब लड़की अब जैसे आलमोस्ट निश्चल चीखें बंद हो गयीं लेकिन बस एक गुड़िया की तरह पड़ी,



संदीप भी अब रुक गया था , पहली बार वो ये देख रहा था , लेकिन ऐसा मज़ा भी कभी नहीं आया था , और पहली बार उसने किसी कली को फूल बनाया था , और वो भी अपनी ही बगिया की
,
 
Last edited:

komaalrani

Well-Known Member
22,246
57,880
259
खिल गयी कली


random coin toss

संदीप भी अब रुक गया था पहली , बार वो ये देख रहा था , लेकिन ऐसा मज़ा भी कभी नहीं आया था , और पहली बार उसने किसी कली को फूल बनाया था , और वो भी अपनी ही बगिया की ,



random coin toss

जेठानी जी जानती थीं थोड़ी देर में ये खुद चूतड़ उठा उठा के लंड मांगेगी, बस उन्होंने उसके गाल सहलाने शुरू किये , कभी आँखों को चूम लेती तो कभी होंठों को , उसके ऊपर से उन्होंने दबाव हटा लिया था , अब दोनों हथेलियों को सहला रही थीं

और कुछ देर में उसने आँखे खोल दी, शिकायत की निगाह से उसने जेठानी की ओर देखा , और उन्होंने संदीप की ओर



और संदीप इशारा समझ के अब झुक के कभी उसके होंठ चूमता कभी निप्स चूसता,... थोड़ी देर में एक बार फिर से वो गरमाने लगी थी ,




random coin toss

बस जेठानी ने संदीप के कान में समझाया ,

जो थोड़ा बचा है वो भी ठेल दो



और अबकी संदीप ने दोनों छोटी छोटी चूँचियों को दबाते मसलते , हचक के पेल दिया , बस चार पांच धक्के और खूंटा पूरा अंदर,....




random coin toss

वो एक बार फिर छटपटा रही थी , चूतड़ पटक रही थी , हाँ चीखना उसने बंद कर दिया था, ... एक बार फिर पूरा ठुस के संदीप रुक गया

जेठानी ने उसके होंठों को चूम के मुस्कराते हुए पूछा,...


" कैसा लगा '


" दी , बहुत दर्द हुआ , ... बस जान नहीं निकली,... " वो शिकायत भरे स्वर में बोली,...


" बस अब आगे सिर्फ मज़ा आएगा , और दर्द तो एक बार होना ही होता है, तेरे भैया का मोटा भी ज्यादा है , लेकिन जितना ज्यादा मोटा उतना ज्यादा मज़ा "

जेठानी अब उसे दुलार से समझा रही थीं और चूम रही थीं और साथ में उसके भैया को भी उन्होंने हड़का लिया,



random coin toss

" हे आराम से कर , ये कहीं भागी तो जा नहीं रही, ... न मना कर रही है, आराम से धीरे धीरे, ... और फिर ये तो घर में ही है , जब चाहो चोद लेना , कभी मना नहीं करेगी,... है न ,... छुटकी। "




random coin toss


और अब सच में संदीप ने आराम से धीरे धीरे,... और चीखें सिसकियों में बदल गयीं,.. साथ में जेठानी की उँगलियाँ कभी क्लिट कभी निपल , भैया का मोटा लंड जड़ तक धंसा , दो चार मिनट में वो तूफ़ान के पत्ते की तरह काँप रही थी, जाँघे आपस में रगड़ रही थी, मुट्ठी खोल बंद कर रही थी ,


random coin toss

जब तक वो झड़ती रही , संदीप रुका रहा फिर पहले धीरे धीरे , फिर पूरी ताकत से



और अब जेठानी ने उन दोनों को छोड़ दिया था , बगल में बैठ के खेल देख रहीं , ...



सात आठ मिनट के धक्कों के बाद जब उस टीन ने झड़ना शुरू किया,... अपने भैया को कस के दबोच लिया तो संदीप भी साथ में,... पूरी तरह अंदर , जैसे ज्वालामुखी का लावा उबल रहा हो , एक बार दो बार ,


पूरी कटोरी भर अपनी मलाई अपनी बहन की बुर में,...




random coin toss

देर तक दोनों ऐसे ही पड़े रहे , और जब अलग हुए तो जेठानी ने उस किशोरी की जाँघों के बीच मजे से देखा,

सफ़ेद और लाल, खून के थक्के और गाढ़ा वीर्य अभी भी चूत से बूँद बूँद कर के रिस रहा था,...

उसी की चड्ढी से अच्छी तरह उन्होंने खून वीर्य सब साफ़ कर के उसे दिखाया,

खून देख के वो चौंकी, दी इत्ता खून,...



अरे ये तो होना ही था , चल अब तू मेरी बिरादरी में आ गयी, और उसे गले लगाते हुए छेड़ते हुयी जेठानी बोलीं,



" एक बार और हो जाए "



" ना ना अबकी आप का नंबर "



पर जेठानी जानती थीं बिना दुबारा इसे चुदवाये ले जाना खतरे से खाली नहीं , एक बार अगर उसने टाँगे सिकोड़ लीं तो दुबारा फैलवाना मुश्किल होगा।



उस को दिखा के चड्ढी उसकी उन्होंने अपने पर्स में रख ली। कुछ देर बाद संदीप और जेठानी की चुदाई चालू हो गयी , और, वो कुछ देर पहले की कच्ची कली खूब मजे ले ले कर देख रही थी अपने भैया को उकसा रही थी,... असल में जेठानी ही संदीप के ऊपर चढ़ के चोद रही थीं , जिससे उस लड़की के मन से डर तो निकल ही जाए , बुर में आते जाते लंड को देख के वो फिर गरमा जाए,



random coin toss

वही हुआ,



पर कुछ देर बाद पुआल के गट्ठरों पर जेठानी निहुरी हुयी थीं और संदीप कुतिया की तरह उन्हें चोद रहा था,... और वो छोटी सी छोरी और उकसा रही थी ,


random coin toss


" हाँ भैया , हां और कस के अरे अभी बहुत बचा है बाहर , दी को मजा नहीं आता आधे में ,... "


random coin toss

और संदीप भी हचक हचक के



पर जेठानी कौन कम थीं , चूतड़ उठा उठा के जवाब दे रही और गरिया भी रहीं, बगल में बैठी संदीप की बहिनिया को,

" घबड़ा मत, भैया की दुलारी , भैया की रखैल, अगला नंबर तेरा ही लगवाउंगी, घोंटना अपने भैया का कस कस के पूरा। '


random coin toss


और हुआ भी यही, अगला राउंड जेठानी ने फिर संदीप और उसकी छुटकी बहिनिया का, .... चीख चिल्लाहट भी हुयी उउउ आअह्ह्ह्हह भी निकली, लेकिन थोड़ी देर में मामला आह से आहा तक पहुँच गया।



और इस बार जब संदीप अपनी बहिन की बिल में झड़ा,... तो फिर एक बार उसीकी चड्ढी जिसमें खून और मलाई लगी थी उसी से फिर अच्छी तरह पोंछा , अंदर तक ऊँगली में फंसा के डाल के साफ़ किया ,.... और चड्ढी वापस जेठानी के बैग में, , उसकी ब्रा भी उन्होंने जब्त कर ली.



बाइक पर बैठने के पहले छुटकी ने लाख जिद्द की चड्ढी के लिए पर जेठानी

" अरे यार उसमें इतना खून लगा है ,... कोई पूछेगा ,... रहने दे मेरे पास "



लेकिन असली शरारत कुछ और थी बाइक पे छुटकी दोनों टाँगे फैला के बैठी , फ्राक उठी हुयी, गाँव का रास्ता , झटके और हर बार उसकी ताज़ी चुदी चूत बाइक से रगड़ खाती, पहले तो कुछ उसे अनकुस लगा , लेकिन थोड़ी देर में मज़ा आने लगा, और ढाबे तक पहुँचते वो एक बार फिर गरमा गयी,.... मस्ती के कारण उसकी छोटी छोटी चूँचियाँ भी पथरा गयी थीं निप्स फ्राक को फाड़ रहे थे , ( ढक्क्न जेठानी ने पहले ही अपने कब्जे में कर लिया था )



ढाबे में सब की निगाह बस उस की छोटी छोटी लेकिन कड़ी कड़ी चूँची पर,....



जितने मर्दो की निगाह किसी लड़की के उभारों पर पड़ती है , उसके उभार उतनी जल्दी गदराते हैं , और वो उतनी जल्दी जवान होती है,...



खाना खाते समय भी , एक जांघ पर संदीप का हाथ , दूसरे पर जेठानी का हाथ , और फिर जेठानी ने पकड़ कर उसका हाथ एक बार फिर संदीप के पैंट के बल्ज पर रख दिया

जितनी जल्दी इसकी शर्म ख़तम हो,... बस जेठानी की पूरी कोशिश यही थी।



घर लौट के जेठानी सीधे उसे अपने कमरे में ले गयी, ...गरम दूध में हल्दी मिला के दिया, हलके गरम पानी से सिंकाई भी और थोड़ी देर में छटकी सो गयी , और सो के उठी तो सारा दर्द छूमंतर।
 
Last edited:

Rajizexy

Punjabi Doc, Raji, ❤️ & let ❤️
Supreme
46,552
48,409
304
छुटकी बहिनिया की...


random coin toss

लेकिन अब समय आ गया था असली खेल का, और इस कच्ची कली में ये मूसल इतने आसानी से जाने वाला नहीं थी और उसका इंतजाम जेठानी घर से ही कर के चली थीं और उसके लिए भी उन्होंने उस छुटकी को ही उकसाया,

" हे मेरे बैग में एक बोतल रखी है जा के ले आओ, "


और जैसे ही वो थोड़ी दूर हुयी जेठानी ने संदीप से कहा,



" स्साली खूब गरमा गयी है , तवा गरम है हथोड़ा कस के मारना , रोने चिल्लाने के बिना झिल्ली फटने का मजा ही नहीं है, रोने देना साली को आज बिना चुदे नहीं जायेगी यहाँ से , दो बार इसे चोद दोगे न आज तो खुद टांग फैलाएगी , ...रखैल बन के रहेगी तेरी जिंदगी भर,... जब चाहे तब चढ़ जाना , घर का माल घर में इस्तेमाल होगा ,... "



random coin toss

तब तक वो आ गयी , एक बड़ी सी शीशी , वैसी ही जो हर गौने की रात में भौजाइयां देवर के सुहागरात के कमरे में रख के आती हैं , देसी सरसों के तेल से गले तक भरा ,


random coin toss

जब तक वो लड़की कुछ पूछे , जेठानी ने तेल निकाल के अपनी हथेली पर और संदीप के खूंटे पर ऊपर से नीचे तक आठ दस बार, और कुछ तेल उसकी बहन की हथेली पर ,

" हे तू भी लगा न , भाई की हल्दी तेल की रस्म तो बहन ही करती है, लगा दे प्यार से , "



जेठानी को हाथ पकड़ना भी नहीं पड़ा और उसने खुद हाथ में लगा सारा तेल , अच्छे से मूसल पे चुपड दिया,... मालूम तो उसे भी था क्या है पर किस के साथ होना है उसका जरा भी अंदाज उसे नहीं था।



random coin toss

जेठानी ने अब बहन के भैया को काम पे लगाया,

" इसकी चुनमुनिया देखनी है तो कुछ मेहनत करो "



लेकिन बहन और भाई मिल गए , संदीप ने उस कच्ची कोरी के कान में कुछ कहा और जब तक तक जेठानी समझें पेटीकोट का नाडा खुल चूका था। और सरसर कर के साया साथ छोड़ गया , अब जेठानी और संदीप पूरी तरह , और सिर्फ छुटकी सिर्फ चड्ढी में , वो भी मस्ती के रस से गीली।

जेठानी जी ने मन में तय कर लिया था अब तो इस स्साली की चड्ढी मैं इसके भैया से ही उतरवाउंगी, और रुला रुला के फड़वाउंगी उसकी, पक्की छिनार बना के रहूंगी इसको।



बस, उसके दोनों हाथ पीछे से मोड़ के उसके भइया के सामने ले जा के बोलीं



" अरे देख तोहरी छुटकी बहिनिया ने कौन सा खजाना यहाँ छिपा के रखा है जो किसी को दिखा नहीं रही "

वो छटपटाती रही पर संदीप ने आराम से धीरे धीरे अपनी बहन की चड्ढी प्यार से सरका सरका के,... और जेठानी ने उसे वहीँ फेंक दिया जहाँ उसकी ब्रा पड़ी थी,...



और सच में , बहिनी की चड्ढी उसका भइया उतारे उससे रसीली बात क्या हो सकती थी,



कच्ची एकदम कोरी कुंवारी चूत, गोरी गोरी, भूरी भूरी बस दो चार रेशम सी झांटे,.. फांके एकदम चिपकी जैसे लंड को चैलेन्ज कर रही हों , घुस के तो दिखाओ,...




random coin toss

वैसे ही तन्नाया भैया का लंड , एकदम पागल हो गया , यही तो वो चाहता था, एकदम कच्ची अनचुदी बुर,... जिसे पहली बार उसका मस्त खूंटा छुए,,एकदम अक्षत
और इस बिल में तो अभी ऊँगली भी ठीक से नहीं घुसी थी ,



लेकिन तबतक जेठानी जी की हथेली ने उसे ढंक लिया,

"अरे जरा तेल मालिश तो कर दूँ, बहुत नजरा लिए " और हाथ में लगा सारा कडुआ तेल संदीप की बहिनिया की बिल पे ले के धीमे मसलने लगीं,

कुछ देर में वो मिटटी के फर्श पे लेटी थी, टाँगे हवा में उठी और जेठानी जी बीच में, उनके हाथ में वही सरसों के तेल को बोतल, और अबकी पूरी ताकत से उसकी दोनों फांकों को जेठानी की उँगलियों ने फैला दिया, और तेल की खुली बोतल का मुंह सीधे दोनों फांकों के बीच में, कम से कम चार ढक्क्न के बराबर तेल तो गया ही होगा, और बोतल हटाने के साथ ही उनकी उँगलियों ने दोनों फांको को कस के चिपका के जैसे सील कर दिया, जिससे एक बूँद भी तेल बाहर न आ पाए और उस टीनेजर के दोनों चूतड़ दूसरे से पकड़ के हवा में उठा दिए,...



पूरे चार मिनट तक, जब तक पूरा तेल अंदर तक रिस नहीं गया, और उसके बाद भी जो दो चार बूँद निकला, पहले तो निचले होंठो के अंदरूनी हिस्सों पे , धक्का यहीं तो लगना था , और बाकी की तेल मालिश पूरी चुनमुनिया पे, साथ में अंगूठे से कभी वो क्लिट की रगड़ाई कर देतीं तो कभी दो उँगलियाँ फांको के बीच में डाल के अंदर बाहर ,



random coin toss

बहिनिया मचल रही थी, और ऊपर का हिस्साउसके भैया के हाथ, दोनों कच्ची अमियाँ जो रोज फ्राक के अंदर से उसका मन ललचाती थीं , अब खुल के हाथों में,


पहली बार किसी मर्द का हाथ पड़ा था, वो भी भैया का, भले अमियाँ बस आ रही थीं लेकिन वो ख़ुशी से फूल गयी, मस्ती से पथरा गयीं,


जेठानी ने एक बार फिर थोड़ा सा तेल हथेली में लेकर फांको के बीच और उसे छेड़ते हुए

" लेगी इसमें भैया का,... "

तुरंत जवाब नहीं में मिला।


" क्यों हाथ में लिया, ऊपर वाले मुंह में लिया तो बिचारे नीचे वाले से क्या गलती हो गयी है,... " जेठानी ने हलके हलके ऊँगली करते हुए कहा,

"फिर फुसफुसाते हुए बोलीं

" अरे यार चुदवाने को थोड़ी कह रही हूँ , मैं हूँ चुदवाने के लिए,... बस खाली एक बार ऊपर से टच करा लो , मैं बोल दूंगी उनको, सिर्फ टच,.. हलके से गईं के दस तक गिनती गईं के और तुम मना करोगी बोलोगी तो हट जाएंगे , अरे हाथ से छुआ , होंठ से छुआ दोनों जगह चमड़ी ही तो है , यहाँ भी वही,... '




random coin toss



वो चुप रही , और जेठानी को मौका मिल गया ,

" सुना न , चुप का मतलब हाँ, ... और बस स्किन पे टच,... कर ये जैसे ही बोले भैया निकाल लो तो निकाल लेना। "

इससे ज्यादा संदीप को क्या सिग्नल मिलता,

अब वो दोनों जाँघों के बीच,



और जेठानी ऊपर उसका सर अपनी गोद में रख के दुलराते सहलाते , अपना के निपल उसके मुंह पे , उस कच्ची कोरी ने मुंह खोल के अंदर कर लिया फिर धीरे धीरे जेठानी ने आधे से ज्यादा उसके मुंह में और दूसरे हाथ से उसके सर को पकड़ के पुश कर के , अब वो लड़की चाह के भी मुंह नहीं खोल सकती थी चिल्लाना तो दूर की बात
Very nice, jabardast, awesome update & above all on the rightest occasion.
Lagta hai andar se chhutki bhi yahi chahati hai jo jethani aur Sandeep chahte hai.Ab to lagta hai Sandeep mussal andar dalne ke baad hi rakhi bandhwaye ga apni kachi kali behn Chhutki se.
🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌
Happy rakshabandhan👇 Komal didi
Raksha Bandhan Rakhi GIF by GIPHY Studios Originals
 

Luckyloda

Well-Known Member
2,459
8,078
158
आपको रक्षाबंधन की बहुत-बहुत शुभकामनाएं एक भाई अपनी बहन को इससे शानदार और क्या गिफ्ट दे सकता है और उसी प्रकार एक बहन अपने भाई को इनसे प्यारा गिफ्ट क्या दें बहुत ही लाजवाब अपडेट
 
Top