- 22,506
- 58,877
- 259
अपडेट पोस्टेड - एक मेगा अपडेट, जोरू का गुलाम - भाग २३९ -बंबई -बुधवार - वॉर -२ पृष्ठ १४५६
कृपया पढ़ें, आनंद लें, लाइक करें और कमेंट जरूर करें
कृपया पढ़ें, आनंद लें, लाइक करें और कमेंट जरूर करें
Komal Didi kya jabardast likha hai aapne.सैंया
भैया के संग
मैं मंजू बाई की मुरीद हो गयी। सिर्फ उसकी फोटो देखकर उन्होंने बोला था ,
" शकल से ये जबरदस्त चुदक्कड़ लग रही है एकदम चुदवासी। "
"पर माँ ,चेहरा तो एकदम भोला ,... "
गीता बोली , वो भी मेरे साथ बैठी थी।
" यही तो ,... "
फिर मुझसे मंजू बाई बोलीं ,
" बहू,... मैंने जिंदगी में एक से एक रंडी छाप चुदक्कड़ लौंडिया देखी हैं पर ये सबका नंबर कटायेगी। और फरक १९ -२० का नहीं है ,अगर ये २० है तो वो सब १६-१७ होंगी बस. बस किसी तरह के बार पटा के ,समझा बजा के ले आओ , ... अरे इसकी तो जितनी रगड़ाई होगी , जितनी दुरगत होगी उतनी ही तेज झड़ेगी ये। उतनी ज्यादा चुदवासी होगी। नमबरी लौंडा खोर होगी , और एक बार मेरे और गीता के हाथ में पड़ेगी तो बस जिंदगी के सारे मजे हफ्ते भर में सीख जायेगी , बेरहमी से इसकी रगड़ाई करनी होगी। "
और वो काम मैंने और मंजू बाई ने गीता के ऊपर छोड़ दिया था ,
गुड्डी की पूरी ट्रेनिंग ,.. एक तो गीता उस की समौरिया , गुड्डी से मुश्किल से साल भर बड़ी,दोनों किशोरियां और किंक के मामले में वो अपनी माँ से भी हाथ भर आगे।
मेरी निगाह टीवी पर चिपकी थी , वो किशोरी मस्ती से मचल रही थी ,जिंदगी में पहली बार लंड के धक्कों से झड़ रही थी,
उनकी निगाहें भी अपनी बहन के भोले भाले कोमल किशोर चेहरे पर चिपकी थीं।
एक हाथ अब उनका अपने बचपन के माल के नए नए आये उरोज पर टिक गया था , अब उस की रगड़ाई मिसाई चालू हो गयी थी।
गुड्डी का झड़ना कुछ कम होते ही इनके धक्को ने फिर से तेजी ले ली थी ,अब वो जम के धक्के लगा रहे थे चोद रहे थे अपनी किशोर ममेरी बहन को।
अब तक वो ज्यादातर ढकेल रहे थे , पुश कर रहे थे लेकिन अब जब गुड्डी की फट गयी थी
एक फायदा था और एक नुक्सान ,
फायदा ये हुआ की झड़ने से गुड्डी रानी की बुरिया कुछ तो गीली हो गयी ,
और नुक्सान ये हुआ की अब मेरे सैंया और उसके भैया , धक्के पूरी ताकत से लम्बे लम्बे लगा रहे थे , झिल्ली तो कुंवारेपन की अपनी ममेरी बहन की उन्होंने फाड़ ही दी थी , और अब उनका मोटा कड़ा मूसल उनकी बहन की चूत में उस जगह घुस रहा था ,जहां मेरी ऊँगली भी कभी नहीं गयी थी ,
दरेरते ,
रगड़ते ,
घिसटते
और अब वो बजाय सिर्फ धकेलने के , ठेलने के , आलमोस्ट सुपाड़ा भी बाहर निकाल के ,पूरी ताकत से हचाहच ,
हचक हचक के ,
और गुड्डी की कसी कुँवारी किशोर अनचुदी चूत में फाड़ते हुए जब वो घुस रहा था तो बस ,
गुड्डी की चीखें , कमरे में गूंज रही थी , उस की बड़ी बड़ी आँखों से आंसू छल छल उसके चम्पई गालों पर छलक कर बह रहा था ,
वो दर्द से बिस्तर पर अपने छोटे छोटे चूतड़ रगड़ रही थी।
चीखते , रोते ,चिल्लाते वो भइया से रुकने के , बस पल भर ठहरने के लिए बिनती कर रही थी।
लेकिन गुड्डी की चीखों से उनका जोश दस गुना बढ़ जा रहा था , एक बार फिर से उन्होंने अपनी ममेरी बहन के चूतड़ के नीचे एक मोटी सी तकिया लगाई , उसकी लम्बी गोरी टांगों को मोड़ कर उसे दुहरा कर दिया, पूरी ताकत से उस किशोरी की कोमल कलाई को कस के दबोच लिया ,आधी चूड़ियां तो पहले ही चुरुर मुरूर कर के टूट कर बिखर चुकी थीं।
गुड्डी की बिलिया से लाल लाल थक्के ,गोरी गोरी जाँघों पर साफ़ साफ़ दिख रहे थे।
फिर से उन्होंने सुपाड़े तक लंड को बाहर निकाला , पल भर रुके और ठोंक दिया।
अभी अभी फटी झिल्ली, चूत में लगी ख़राशों को रगड़ते दरेरते , आलमोस्ट पूरा मूसल अंदर था , मुश्किल से एक डेढ़ इंच बाहर रहा होगा , सात इंच अंदर
चीखों के मारे गुड्डी की हालत खराब थी
उईईईईईई नहीं नहीं उफ्फ्फफ्फ्फ़ ओह्ह्ह्ह उह्ह्ह्हह्ह ,निकाल लो , ओह्ह्ह्हह्हह
उसके दर्द भरे पर चेहरे पर पसीना और आंसू मिले हुए थे,
वो तड़प रही ,मचल रही थी ,...
और उसके भैय्या ने निकाल लिया , आलमोस्ट पूरा ,
एक दो पल के लिए गुड्डी की जैसे सांस में सांस आयी और फिर ,
वो चीख , दर्दनाक दूर तक
इतनी जोर से तो मेरी ननद तब भी नहीं चीखी थी जब उसकी फटी थी।मारे दर्द के गुड्डी के गले से आवाज भी नहीं निकल रही थी ,
उनका बित्ते भर का लंड पूरी तरह से गुड्डी की कसी पहली बार चुद रही चूत में एकदम जड़ तक घुसा ,
और मैं समझ गयी पूरी ताकत से उनके सुपाड़े ने उनकी बहन की बच्चेदानी पर पूरी ताकत से ठोकर मारी है ,
एक तो इतना मोटा तगड़ा , उनका हथौड़े ऐसा सुपाड़ा , .... फिर उनकी जबरदस्त ताकत,... किसी चार पांच बच्चे उगलने वाली भोंसड़ी की भी चूल चूल ढीली हो जाती
और ये बिचारी बच्ची , अभी चार दिन पहले तो इंटर पास किया है , और आज इतना लंबा मोटा लौंड़ा,
दर्द से तड़प रही थी ,बिसूर रही थी ,...
पर तभी ,
देखते देखते ,
आह से आहा तक
उनकी बहन के चेहरे पर एक अलग सी तड़पन , उसकी देह में मरोड़ ,
हलकी हलकी सिसकी ,
उसकी मुट्ठी अपने आप बंद खुल रही थी , देह जैसे अब उसके कब्ज़े में नहीं थी
मैं समझ गयी वो झड़ रही थी , पहले तो हलके हलके लेकिन थोड़ी देर में जैसे कहीं कोई ज्वालामुखी फूटा हो,
मेरी ननद को जैसे जड़ईया बुखार हो गया , ऐसे वो काँप रही थी ,
उसका झड़ना रुकता , फिर दुबारा ,... तिबारा
चार पांच मिनट तक वो झड़ती रही ,झड़ती , फिर रुकती , फिर झड़ना शुरू कर देती
और कुछ ही देर में वो थेथर होकर बिस्तर पर पड़ गयी , जैसे उसे बहुत सुकून मिला हो , देह उसकी पूरी ढीली हो गयी।
पर आज ये न ,
उन्होंने धीमे धीमे लंड बाहर खींचा जैसे अपनी उस उनींदी ममेरी बहन की मस्ती को कम नहीं करना चाहते हो ,
फिर धीरे धीरे ,सिर्फ एक तिहाई लंड से , ढाई तीन इंच अंदर करते वो भी धीमे धीमे , और फिर उतने ही हौले हौले अंदर ,... से बाहर
चार पांच मिनट में ही उस कोमल कन्या ने आँखे खोल दिन और टुकुर टुकुर अपने भैया को देखने लगी।
बस उन्होंने दोनों जुबना को कस के पकड़ के दबोच लिया , वही जोबन जिन्होंने पूरे शहर में आग लगा रखी थी ,सैकड़ों लौंडे एक नजर देखने को बेताब रहते थे आज उसके भइया की मुट्ठी में
जितनी ताकत से वो अपनी बहन की चूँची मसल रहे थे उससे भी दस गुना तेजी से अब उन्होंने अपनी ममेरी बहन को चोदना शुरू कर दिया ,
हर तीसरा चौथा धक्का , उस किशोरी के बच्चेदानी पर पूरी ताकत से धक्का मार रहा था।
और हर धक्के के साथ वो इतनी तेज चीखती की कान बंद करना पड़े ,
और उन चीखों का उनके ऊपर कोई असर नहीं पड़ रहा था , बस वो धक्के पर धक्का ,हचक हचक कर
पूरे लंड से उस किशोरी की कच्ची चूत चोद रहे थे ,
दस पन्दरह मिनट तक ,...
वो चीख रही थी ,चिल्ला रही थी ,
ये चोद रहे थे ,पूरी ताकत से अपनी कुँवारी किशोरी बहना को
और एक बार फिर से उस की चीखें सिसकियों में बदल गयी
गुड्डी ने अपने भैय्या को अपनी कोमल बांहो में भींच लिया , जोर से अपनी ओर खिंच लिया ,
वो काँप रही थी , देह उसकी फिर ढीली पड़ रही थी ,
दूर कहीं से बारह का घंटा बजा ,
टन टन टन टन ,
और उन्होंने एक बार फिर लंड बाहर तक निकाल के जोरदार ठोकर सीधे उसकी बच्चेदानी पर ,... और अब वो भी उसके साथ ,..
उन्होंने भी अपनी ममेरी बहन को जोर से भींच लिया ,उनका मूसल सीधे उनकी ममेरी बहन की बच्चेदानी पर ,
वो भी झड़ रह थे , वीर्य की पहली फुहार उस कुँवारी की चूत में ,
टन टन टन टन ,
मैं ये सोच रही थी आज इस ननद रानी को मैंने अगर पिल्स न खिलाई होती तो ये शर्तिया गाभिन हो जाती।
कुछ देर रुक कर फिर थक्केदार गाढ़ी मलाई उनकी ममेरी बहन की चूत में
टन टन टन टन ,
बारह का घंटा बजना बंद हो गया था लेकिन उनका झड़ना नहीं रुका था ,और वो भी जैसे उन्हें निचोड़ रही हो.
आठ दस मिनट तक दोनों भैया बहिनी एक दूसरे की बाँहों में बंधे,
पलंग पर चूड़ी के टुकड़े बिखरे पड़े थे , दोनों हाथों में उसने दो दो दर्जन चूड़ियां पहनी थी , एक दर्जन भी नहीं बची होंगी।
……………………………………………..
आपकी विनम्रता को सलाम...इसलिए इस पोस्ट के शुरू में मैंने थोड़ा विस्तार से चर्चा की
( पोस्ट संख्या ५२६२ पृष्ठ संख्या ५२७-एक बात कई एक दो मित्रों ने कही भी, समझाइश भी दी लेकिन मैं सब बातें खुलासा लिखती हूँ लेकिन इनके बारे में कुछ बातों में संकोच कर जाती हूँ , खास तौर से जहाँ तारीफ़ करनी हो,-----१०० में ९५ तो कोई भी मैं बाजी लगा सकती हूँ इनसे कम से कम २० नंबर पीछे रहेगा,...)
साइज मैटर्स लेकिन और भी चीजे हैं जैसे केयरिंग होना और भी पोस्ट की बाद तो आपने पोस्ट में पढ़ी होगी,
लेकिन इनकी शिकायत भी नावाजिब नहीं है संस्कृत नाटकों और महाकाव्यों के जमाने से ही नायक धीरोदात्त, बलवान, वीर्यवान और आज की फिल्मों में भी नायक का वही रूप है और नायिका प्रधान कहानी में भी वह अपेक्षा होना स्वाभाविक है , इसलिए मैंने उसी विषय पर अपनी नयी पोस्ट में पहले भाग में ही उस पर थोड़ी चर्चा की है यह खतरा उठाते हुए की विषयांतर हो रहा है और बहुत से पाठक ये पार्ट स्किप कर के अगली पोस्ट की ओर बढ़ेंगे।
मेरे लिए कहानी, कहानी कहने के साथ कुछ बातों पर जो मेरा नज़रिया है वो भी शेयर करने का है क्योंकि मैं मानती हूँ की जो भी मेरे गिनेचुने पाठक हैं
वो मेरे मित्र हैं , मेरी कथा यात्रा के सहयात्री हैं। और उनकी सुनना अपनी कहना इस किस्से कहानी का ही हिस्सा है।
एकबार फिर आभार
सही कहा...बात आपकी एकदम सही है
सारा माहौल देसी हो, मुहावरे, गाने , देसज शब्द तो लिपि भी देवनागरी ही ठीक लगती है
मेरी परेशानी असली है मैं हिंगलिश ( हिंदी को रोमन लिपि में ) नहीं लिख पाती। पता नहीं क्यों मैं लिपि को भाषा से जोड़ के देखती हूँ
मुश्किल से कमेंट में हिंगलिश का प्रयोग कर लेती हूँ।
मुझे लगता है अगर इंग्लिश में लिखूं तो पूरी तरह इंग्लिश में क्योकि हर भाषा का अपना एक डिक्शन होता है , फ्रेज़ और इडियम्स होते हैं यूसेज होते हैं इसलिए कई बात लम्बे कमेंट या तो मैं इंग्लिश में लिखती हूँ या हिंदी में।
यह कहानी जब मैंने इंग्लिश में लिखी थी तो वो पूरी तरह इंग्लिश में थी।
पर देवनागरी लिपि का एक बड़ा नुक्सान है की एक बड़ा पाठक समहू उन कहानियों को पढ़ने से वंचित रह जाते हैं,
दूसरे बहुत से लिखने वाले हिंदी बोलने में सहज है लेकिन लिखने में नहीं तो उनके लिए भी हिंगलिश सहायक बन कर आती है।
कहने तो भाषा एक पुल की तरह जोड़ने का माधयम है लेकिन उसके अनेक पहलू हैं जो उसी भाषा में बयान हो पाते हैं।
हिंदी भाषा के मुहावरे, लोकोक्तियां... एक अलग रस भर देते हैं...But apki story sabse jyada isliye achhi lagti hai kyun aap hindi lipi me likhti ho. Ham jese pathakon ke liye aap vardaan ho. Hinglish me wo maja nhi jo apni bhasha me hai
कोई छेद खाली नहीं रहेगा...Haa ji bilkul sahi kaha aapne,lagta hain aap guddi ki mang unsake bhaiiya Kam saiyya se ke virya se bharoge Bina sindoor ke.
सबसे मुख्य रस्म सुहागरात की ... और क्या जोरदार.. शानदार तैयारियां चल रही हैं...Are ghar ki hi murgi hain baher kaha jaayegi.Socha tha shadi nahi lekin usaki tarah kuch kamuk rasme toh hongi khair koi baat nahi....
और पाप का भागी...ekdam, paap padta hai
टफ कम्पटीशन लौंडे फंसाने के लिए... या मेडिकल की तैयारी के लिए...एकदम और कोचिंग में भी बहुत टफ कम्पटीशन है, फुल फोकस , गुड्डी का भी तो सपना यही था और खुद वो कहती थी की इस कोचिंग में एडमिशन मतलब सेलेक्शन पक्का और अगर टॉप १० में आ गयी
कोचिंग में तो भी उस का मनपसन्द मेडिकल कालेज
कोचिंग का भी इसलिए कुछ पार्ट्स के बाद डिटेल्ड जिक्र और ये बात आपने सही कही मन की फतांसी एक बार पूरी हो जाए तो फिर काम के टाइम पे काम और मजे के टाइम पे मज़ा आता है वरना उलटा होता है,...
I think more than 300 pages has been added and some of the portions are completely revamped from the previous one.Yes, there are many additions like the episode of Lal Diary, and even this one and next one is also i am changing and revamping, so every time a story comes change is bound to happen. Devdas has been made 9 times, 3 times popular Hindi movie. KL Sehgal, Dilip Kumar and SRK but in every movie tratemnt is different with changing generation and taste.
so even those who have read Sharat Chandra Novel go to see various versions enjoying for different flavors.
काश मेरे पास भी सारी कहानियों का संग्रह होता...Except Mohalla Mohabbat wala sab padh chuke hain wohi missing hain aur little Red riding hood.