• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

motaalund

Well-Known Member
9,165
21,731
173
And I agree with you about the underage story,and we should not post anything against forum rules.but is it possible to write a story without mentioning the age? because I have seen such stories without moderator objection.
And I don't want you to post little red again.classics should not be touched that's my opinion.I want similiar type of story with the inclusion of witch and mix of erotica.
Yeah, classics should be left untouched...
And regarding age.. there are many workarounds.
 

motaalund

Well-Known Member
9,165
21,731
173
Fasj kaha hai
...


Apni.marji se aayi hai.... bhaiyya ke lalccch me
लड़कियों को ज्यादा खुजली मचती है..
इसलिए तो इतने दिनों से इशारे कर रही थी..
अब भैया ठहरे बकलोल....
नहीं तो कब का नेवान...
 

motaalund

Well-Known Member
9,165
21,731
173
Ye to hai..... par 12 hours ka nahi 12.30 hrs ka show hai.... jisme kitni baar bachiya ki killi nikelgei... aur na jane kitni baar siskari.....



🤣🤣🤣🤣👍👍Aur ham sab ki pichkari
पिचकारी फुल लोड करके रखो भाई लोगों..
 

motaalund

Well-Known Member
9,165
21,731
173
are ek aur baheliya bhi to tha naa chatur chaalak paapin dusht meri jethani apne bhaiya kam yaar jayada se iska naada khulvaan pe tuli


ham laayen hai toofan se kishti smahaal ke
ऐसी कोमलांगी के लिए बहेलियों की कमी थोड़े है...
घात तो जेठानी जी लगा के रखी थीं पूरी प्लानिंग के साथ...
लेकिन लाल डायरी ने Red flag दिखा दिया...
 

motaalund

Well-Known Member
9,165
21,731
173
जोरू का गुलाम भाग १६७

कैसे फटी हो कैसे फटी

उर्फ़

ननदिया की भैया के साथ सुहागरात




नौ बजने में बस चार मिनट बचे थे।

" चल शुरू हो जाओ , ... भैया के साथ ,.. ये चाभी देख रही हो , बस नौ बजने वाले हैं , और मैं ताला बाहर से बंद कर रही हूँ , ... सुबह साढ़े नौ बजे ,... बस पूरे साढ़े बारह घंटे हैं तुम लोगों के पास ,.... "

और गीता ने चुदाई का इंटरनेशनल सिम्बल , अंगूठे और ऊँगली को गोल कर के दूसरी ऊँगली से अंदर बाहर दोनों को दिखाया ,
और क्या अमिताभ बच्चन ने दीवार में ताला बंद किया होगा ,जो गीता ने ताला बंद कर के चाभी अपनी छोटी सी जोबन फाड़ती लो कट चोली में अंदर रख लिया और चूतड़ मटकाती घर से बाहर।



….

मैं अकेले अपने कमरे में.


ये नहीं की बगल के कमरे में क्या हो रहा था मुझे मालूम नहीं पड़ सकता था , और फिर उनकी सास को तो भी पूरा हाल बयान करना था मुझे , अभी वो मुंबई में किसी मीटिंग में थीं पर कल दिन में ,...

उनके लिए मैंने ,... कैमरे एक दो नहीं ढेर सारे , वाइड एंगल ज़ूम और माइक भी ,

जैसे स्टम्प माइक होता है न एकदम उसी तरह ,पलंग के हेड बोर्ड पर एकदम इनविजिबिल ,

और सामने मेरे ७५ इंच का एल ई डी टीवी लगा था , कैमरों से कनेक्टेड , रिकार्डिंग भी साथ साथ आन थी।


कल जब हम तीनो साथ थे तो हम लोगों ने खूब मस्ती की लेकिन ,

आज ,...

आज जब सिर्फ वो दोनों , ...

कुछ अजीब अजीब सा लग रहा था , कुछ भी देखने का मन नहीं कर रहा था। मैं साथ होती तो बात और थी , पर सिर्फ वो ,... दोनों

शुरू से मेरी यही प्लानिंग थी , नहीं बदले के लिए नहीं बस मैं चाहती थी इनकी हर साध मैं पूरी करूँ , ... हर अनबोली चाहत ,

और आज वो दिन था , पर मेरा मन नहीं कर रहा था देखूं शायद इसलिए भी की आप कभी बहुत मेहनत से तैयारी करें ,बहुत विघ्न बाधाओं से वो काम हो भी जाए लेकिन उसके होने के बाद ,...बहुत खाली खाली सा लगा जैसे ,... अब फिर ,...




लेकिन अचानक मुझे याद आया दरवाजा,...


गीता तो चूतड़ मटकाते इन्हे और इनके बचपन के माल को कमरे में १२ घंटे के लिए बंद कर के चली गयी थी, पर दरवाजा तो बंद करना था,... और फिर आज मैं और गीता दोनों इन भाई बहन को तैयार करने में इतने मशगूल हो गए थे, ... दो चार दिन की बात है ये सब काम तो मैं जिसे उठा के ले आयी हूँ उसके जिम्मे डाल दूंगी, पर आज तो,...


मैंने दरवाजा बंद किया,..

वैसे तो ऑटो लॉक था लेकिन चेक करने की मेरी आदत थी। एक चाभी गीता के पास भी थी, कभी मुझे सुबह उठने में देर हो गयी या घंटी बजी पर ये अपनी मॉर्निंग एक्सरसाइज मेरे ऊपर कर रहे हों,...

रात में भले कभी महीने दो महीने में एकाध बार नागा हो जाए लेकिन जब से मैं ससुराल आयी थी, मज़ाल है बिना वो वाली ' गुड मॉर्निंग ' के कभी मेरा दिन शुरू हुआ हो , ससुराल में जो सीढ़ी से उतरती थी थी , पहले दिन से ही गुलाबो से टप टप, ...



और कुछ दिन बाद तो मैंने परवाह करना भी बंद कर दिया, इनकी एक बुआ थीं रिश्ते की, मेरी बुआ सास, खूब खुल के मजाक करती थी एक दिन उनके सामने ही दो बूंदे टपक गयीं , तो हंस के बोलीं,...

" अरे मांग में सिन्दूर चमचमाता रहे रहे और नीचे वाली मांग में मरद की मलाई बजबजाती रहे, यही तो नयी दुल्हन का सिंगार है '



और ये आज भी,... एकदम उसी तरह लिबराते रहते हैं , ...मैं सोच सोच के मुस्करायी।


एक दिन ऐसे ही लिबरा रहे थे दूर से देख देख के मैं और कभी आंचल ठीक करने,.. के बहाने कभी देख के पलके झुका के, ... बेचारे की हालत ख़राब हो रही थी और जेठानी जल भुन रही थीं,...

और ऊपर जाते ही क्या गुड़ से चींटे चिपकते होंगे,... मैंने बिना छुड़ाए पूछा,...

" क्या चाहिए,... जो इतना लिबरा रहे हो "

" ये लड़की " चिपक के मुझसे बड़ी मुश्किल से ये बोले,

" अरे मिल तो गयी है,... और सात जनम छोड़ के जाने वाली नहीं है,... और ये पहला जनम है समझे बुद्धू, 'उनके गाल पे चिकोटी काट के मैंने चूम लिया।





" नहीं और चाहिए हरदम के लिए ".... वो और चिपक के बोले,...

मैं समझ रही थी उन्हें क्या चाहिए,... मैं कमरे में पहुँचते ही साड़ी उतार देती थी,... और टाइट चोली में दोनों उभार,... निगाहें वहीँ चिपकी लेकिन न बोलने की हिम्मत न खोलने की,...

और आज भी यही हालत है उसी तरह लिबराने की,... ललचाने की,... जहाँ मैं जाती हूँ बस पीछे पीछे,...


बाहर के दरवाजे के बाद मैंने पीछे का दरवाजा, किचेन , दूध फ्रिज में रखा है की नहीं,... दस बारह मिनट के बाद मैं कमरे में गयी

तो मैंने टीवी की आवाज अब ऑन कर दी,... अब मैं आज की हर सीन देखने वाली थी,...


जो थोड़ा बहुत उहापोह थी दूर हो गयी थी,...


ये लड़का चढ़े जाहे जिसके ऊपर रहेगा मेरा ही , दिल तो मेरी ही साड़ी के पल्लू में बंधा है,...
और इतना जुगत कर के, जेठानी से लड़ भिड़ के जिस काम के लिए ननदिया को ले आयी मैं न देखूं वो लाइव टेलीकास्ट,...

मैं जानती थी, हाथी घूमे गाँव गाँव , जिसका हाथी उसका नांव,... तो हाथी तो मेरा ही है , चढ़े जिस पे ,... फिर देखूंगी नहीं तो पढ़ने वालों को कैसे बताउंगी की मेरी टीनेज इंटर पास ननदिया की कैसे फटी,... यही चीख पुकार तो सुनने के लिए,...



मैं पलंग पे लेट गयी थी पद्रह बीस मिनट का सीन छूट गया था लेकिन वीडियो रिकार्डिंग तो हो ही रही थी बाद में देख लूंगी , और एडिट कर के हाइलाइट भी बनानी थी १२ घंटे की १२ मिनट में नहीं ज्यादा शार्ट हो जाएगा , आधे घंटे की,...

और अब मेरी निगाह टीवी पे चिपकी

चुनरी मेरी ननदिया की फर्श पर गुलाबी पंखुड़ियों के ऊपर इतरा रही थी और उसके ऊपर इनका मलमल का कुरता,

पलंग पे ये और इनकी गोद में सिमटी दुबकी मेरी किशोरी टीनेजर ननदिया,... ये तो टॉपलेस हो चुके थे और अपनी ममेरी बहिनिया की चोली के बंध से जूझ रहे थे,...

और वो शरारती, इतराती हलके से बोली,...

" धत, भैया, ... आपसे तो,... "



मैं जोर से मुस्करायी, मैंने उसे आज दिन भर यही सिखाया था,...

" सुन इन्हे भैया ही बोलना गलती से मुंह से भैया के अलावा कुछ निकला न, समझी भाईचोद,... "

" क्या भाभी,... वो जो मैं आज रात को बनूँगी,... भाई चोद, अभी से क्यों बोल रही हैं,... और एकदम भैया ही बोलूंगी,... वरना मेरे राखी के पैसे का घाटा नहीं हो जाएगा,... सैंया तो सिर्फ मेरी भाभी के हैं,... "

छिनार ने अपना रोल इस घर में समझ लिया था,... और अभी भी वो ,...


पर अब वो इतने बुद्धू भी नहीं थे , मुझे अपनी सुहागरात की याद आगयी , बेचारे,.. मैं सामने लगी टिकटिकी मैडम को देख रही थी , मैंने कुछ रेजिस्ट भी नहीं किया रोका भी तो भी मेरी चोली के बंध खोलने में इन्हे १२ मिनट पूरे लग गए थे ,...

आज तो ढाई मिनट में ही बहना की चोली खुल गयी




और उसके जिस जोबन के लिए पूरे शहर के लड़के मचलते थे , एक बार छूने को नहीं कम से कम देखने को मिल जाए,... और आज मेरी सैंया की मुट्ठी में,... और एक अबार जब जोबन पे इनका हाथ पड़ जाए,... मुझसे ज्यादा कौन जानता था जैसे कोई खजाने की चाभी पकड़ा दे , लाकर का कोड बता दे,... फिर तो सरेंडर होना ही था ,...



उनकी ऊँगली उस किशोरी के छोटे छोटे उभारों पे , एकदम टेनिस बाल साइज के होंगे परफेक्ट ३२ सी, ... बस छू रहे थे, सहला रहे थे,...
ये सिंगार का तो... क्या खूब कही है...
बजबजाते हुए.. धीरे-धीरे जांघों पर नीचे ससरते हुए...
ये बुआ भी असली वाली...
 

motaalund

Well-Known Member
9,165
21,731
173
बहना की चोली



बहना की चोली खुल गयी और उसके जिस जोबन के लिए पूरे शहर के लड़के मचलते थे , एक बार छूने को नहीं कम से कम देखने को मिल जाए,... और आज मेरी सैंया की मुट्ठी में,... और एक अबार जब जोबन पे इनका हाथ पड़ जाए,... मुझसे ज्यादा कौन जानता था जैसे कोई खजाने की चाभी पकड़ा दे , लाकर का कोड बता दे,... फिर तो सरेंडर होना ही था ,...

उनकी ऊँगली उस किशोरी के छोटे छोटे उभारों पे , एकदम टेनिस बाल साइज के होंगे परफेक्ट ३२ सी, ... बस छू रहे थे, सहला रहे थे,...



और गुड्डी के निपल एकदम खड़े मदमस्त,... जैसे चैलेंज कर रहे हों, है हिम्मत तो आ जाओ,...

पर इनकी शैतान उंगलिया बस निप्स के चारो ओर थोड़ी देर चक्कर काटती रहीं,... नहीं निप्स पकडे नहीं , ... बस अपनी हथेली के बीच की जगह से उसे हलके हलके सहला रहे थे, सिर्फ हथेली का सेंटर और निप्स की टिप्स एक दूसरे को टच कर रहे थे,

गुड्डी गिनगीना रही थी,



कुछ देर तक ऐसे ही , फिर जैसे बाज झपट्टा मार के आसमान से आके गौरेया को दबोच ले,... अचानक उन्होंने अपने हाथ से जोबन को कब्जे में कर लिया,



सावन से भादों दूबर,... तो फिर दूसरा हाथ भी तो ललचा रहा था बहना का दूसरा जोबन उसके हाथ में


दर्जा दस के आसपास से लड़कियों के उभरते जोबन ही लड़को की नींद दूभर करते हैं ,...



और गुड्डी के जोबन तो सबसे २२ थे, बड़े भी कड़े भी पर आज उन्हें मिला था पहली बार रगड़ने मसलने वाला,...

वो सिसक रही थी, पिघल रही थी मन तो उसका कर रहा था भैया उसके और कस के मसलें, दबाएं रगड़ें,... इत्तने दिनों से कभी दुपट्टा लहरा के, कभी झुक के क्लीवेज दिखा के अपने जुबना दिखा दिखा के ललचाती थी और आज उस जुबना को लूटने वाला उन्हें लूट रहा था,....

पर जितनी उसकी छोटी छोटी चूँचीया उसके भैया दबा रहे थे उतनी ही उसकी बुरिया में आग लग रही थी, वो पिघल रही थी, मचल रही थी सिसक रही




खुद जाँघों से जाँघों को रगड़ रही थी लेकिन मन के किसी कोने में ये सोच रही थी की भैया के दोनों हाथ जब तक मेरे उभारों में उलझे हैं मेरा नाड़ा बचा हुआ है लहंगे का,...

…… लेकिन सब जानते हैं की सुहागरात में नाड़ा बंधता ही खुलने के लिए है।



और जहाँ दोनों हाथ जोबना का हालचाल ले रहे थे इनके होंठों ने बहना के रसीले होंठों को दबोच लिया था और गुड्डी के होंठ थे भी एकदम रसीले,





गुलाब की पंखुड़ियों ऐसे, रसभरे, कुछ देर तक तो चुम्मा एकतरफा था पर थोड़ी देर में वो भी जवाब दे रही थी, उसके भैया रसिया, हिम्मत बढ़ गयी थी और अब एक होंठ को अपने दोनों होंठों के बीच ले के रसिया भैया हलके हलके चूस रहे थे,

गुड्डी की आँखे बंद हो रही थीं, देह ढीली पड़ रही थी , दिल उसके भैया का यही कह रहा था बस अपनी बहना के जोबन और होंठ का रस लेते रहें हे पर दिमाग ने हाथों को एक और काम बताया और उसकी मदद करने को होंठों को हुकुम दिया।

एक हाथ जोबन छोड़ के बहन की कमर की ओर नीचे की ओर पर जोबन की आजादी पल भर की भी नहीं थी,.. उसकी जगह होंठ और बिना किसी बात चीत के सीधे उन्होंने निपल को दबोच लिया और लगे कस कस के चूसने,... एक चूँची कस के दबायी मसली जा रही थी और दूसरी होंठों से चूसी जा रही थी, और गुड्डी बस बीच बीच में सिसक रही थी धीरे धीरे बोल रही थी,




" भैया,... उह ओह्ह उफ़ भैया नहीं ओह्ह्ह भैय्या, बस,... "


और मन के कोने में कहीं सोच रही थी बस अब भैया का हाथ नाड़े पर पहुंचने वाला ही है


वो टेन्स हो रही थी अनजाने में उसके दोनों हाथ उसके नाड़े पे ,... लेकिन आज तो भरतपुर नहीं बचने वाला था, बिचारे नाड़े की क्या बिसात,... और उस रसिया भैया ने अपना हाथ बहन के पान के चिकने पत्ते की तरह स्निग्ध पेट पर,.... कभी गहरी मेंहदी रची नाभि के चारो ओर तो कभी ऊँगली उस नाभि की गहराई नापती,




और धीरे धीरे खतरा हटता जान के गुड्डी के हाथों की पकड़ उसके लहंगे के नाड़े पे ढीली हो गयी



हलके से उसके भैया ने अपने दांत बस उस किशोरी के निपल पे लगा दिया और वो जोर से चीखी, नहीं नहीं भैया , नहीं ,...

बस उसी हटे ध्यान का फायदा उठा के उसके भैया का हाथ नाड़े पर



नाड़े में सिर्फ एक छोटी सी गाँठ लगी थी , जो बस हाथ का इशारा पाते ही खुल गयी और रेशमी लहंगा सरसरा के नीचे बिस्तर की ओर,

पर हाथ ने अभी खजाने में सेंध नहीं लगाई ,
और वैसे भी पैंटी का कवच तो था ही भले ही दो ऊँगली के बराबर ही चौड़ी हो बस फांको के बीच फंसी,...





भैया का हाथ गुड्डी की मखमली जांघों पर , सहलाता ….. रहा , दुलराता रहा और गुड्डी की जाँघे कुछ मस्ती से कुछ इनके हाथों के जोर से फैलती रहीं , बस अगले झटके में पैंटी भी उतर के फर्श पे और उनका पाजामा भी,...

वो बौराया मोटा मूसल साफ़ साफ दिख रहा था

सब कुछ मेरी आँखों के सामने ,

खूब मोटा, मेरी कलाई से ज्यादा ही होगा, बियर कैन से २० नहीं २२ ,... और मेरी ननद की सुकुवार फुद्दी जहाँ ढंग से अभी सींक भी नहीं घुसी थी,... और ऊपर से गीता ने न इनके ऊपर वैसलीन लगाया न मैंने ननद की बिलिया में,... और बिस्तर पे क्या पूरे कमरे में बाथरूम में भी वैसलीन की शीशी भी नहीं,...

मैं मुस्करा रही थी, सुहागरात में इन्होने आधी से ज्यादा वैसलीन की शीशी खाली कर दी थी और अब तो खिला पिला के, पहले से बहुत ही ज्यादा मोटा धमधूसर,... और बिना चिकनाई के,... जैसे भोंथरे चाकू से कोई मेमना जिबह किया जाए,...

पर ये भी आज,

अपनी बहिनीया की संतरे की फांको पे





बस हलके हलके हाथ से मसल रहे थे , वो बिचारी पनिया रही थी, मस्ता रही थी , जाँघे उसने खुद फैला दी थी गुड्डी की कसी चूत एकदम दोनों फांके चिपकी जैसे कभी अलग होंगी ही नहीं, लेकिन खूब रसीली गीली,

गुड्डी के भैया ने अपनी दोनों टाँगे अब उसकी फैली जाँघों के बीच फंसा दी थीं , अब वो चाह के भी नहीं रोक सकती थी न उनके हाथ को बदमाशी करने से रोक सकती थी


पर बदमाशी गुड्डी के भैया के होंठ भी कर रहे थे कच्ची अमिया के साथ कभी बस चाट लेते, तो कभी कुतर लेते कभी निप्स मुंह में लेके चूसते पर हाथ दोनों भाई के अपनी बहन की खुली जाँघों पे , अपने दोनों घुटनों से उस टीनेजर माल की दोनों जाँघे उसके भैया ने कस के फंसा के फैला रखी थीं , एक हाथ जाँघों के एकदम ऊपरी हिस्से को हलके हलके सहला रहा था और दूसरा सीधे उस कच्ची कसी बिन झांट की चिकनी चूत को फैलाने की कोशिश कर रहा था ,... लेकिन भाई बहन दोनों की निगाहें पलंग पे , टेबल पे कुछ ढूंढ रही थी

कोई भी जिसकी सुहागरात हो चुकी हो , समझ सकता है तलाश किस चीज की थी, वैसलीन की शीशी, कुछ भी चिकनाई,... उन्होंने तकिये के नीचे अगल बगल

बेचारी गुड्डी उसे क्या मालूम था गीता ऐसी ननद से पाला पड़ा था,... बाथरूम से भी उसने सब कुछ यहाँ तक की शेविंग क्रीम शैम्पू तक हटा दिया था,... एकदम सूखे
उन्होंने ढेर सारा थूक निकाल के अपने सुपाड़े पे लगाया कुछ गुड्डी के खुले निचले होंठों पे और बहन की लम्बी गोरी टाँगे, इत्ती सुन्दर प्यारी लग रही थीं वो उठी हुयी टाँगे , बहन की टाँगे भाई के कंधे पे जाँघे पूरी तरह फैली और मूसल,.. मोटा सुपाड़ा बहन की खुली चूत से एकदम सटा,...



तभी फोन बजा , ... मैंने फोन साइलेंट पर कर के रखा था पर ये नंबर ,... और वीडियो काल

ऊप्स ऐन मौके पे लेकिन ये फोन लेना ही था , मैंने टीवी म्यूट किया पर वीडियो काल था तो सब का सब दिखता तो मैं ज़रा बाहर निकल के
इतनी कमसिन कली पे इतना जुल्मो-सितम...
उफ्फ.. ये तो दर्द के मारे कहीं बेहोश होक हॉस्पिटल वाला केस ना बना दे....
 

motaalund

Well-Known Member
9,165
21,731
173
घुस गया,... धंस गया , .... अड़स गया,



उईईईईई,......









तभी फोन बजा , ... मैंने फोन साइलेंट पर कर के रखा था पर ये नंबर ,... और वीडियो काल

ऊप्स ऐन मौके पे लेकिन ये फोन लेना ही था , मैंने टीवी म्यूट किया पर वीडियो काल था तो सब का सब दिखता तो मैं ज़रा बाहर निकल के

मम्मी थीं , और वही सवाल जो मम्मी से उम्मीद थी,...

' शो चालू हुआ "



"बस थोड़ी देर पहले, आप को ज़ूम पे लिंक तो भेजा था "

" अरे यार एक बोर्ड मीटिंग थी, ताज प्रेजिडेंट में,...( ( मम्मी मुम्बई में थीं कोई मीटिंग के चक्कर में ) )फोन बाहर रखवा लेते हैं अभी ख़तम हुयी तो मैंने सोचा तुझे फोन कर के हाल चाल पता कर लूँ ,... " मम्मी हँसते हुए बोलीं , पीछे से ढेर सारी आवाजें भी आ रही थी,... कोई पार्टी थी शायद,...

" तो देखिये लाइव शो, रूम में जाकर अभी आप कहाँ है " मैंने हँसते हुए सलाह दी।



" अरे नहीं , अभी एक मीटिंग के बाद वाली कॉकटेल वाली पार्टी चल रही है , दो चार लोगों से मिलना है , आधा पौन घंटा लगेगा , अबकी रुकी भी यहीं हूँ तो चल के वरना वीडियो तो रिकार्ड कर रही हैं न, ... " मम्मी बोलीं।

" हाँ , एकदम ,... "

मैं बोली , जल्दी थी मुझे फोन काटने की पर तब भी चार पांच मिनट लग गए। और कमरे में घुसने के पहले ही मैंने रिमोट से साउंड फुल वॉल्यूम पर कर दी।





मुझे लगा उसकी फट गयी होगी इसलिए इतनी तेज चीख मचा रही थी , पर ,...

उसकी दोनों जाँघे पूरी तरह फैली , टाँगे उनके कंधे पर , उनके दोनों हाथ उसकी कलाई पर ,कस कर पकड़े ,

और ,...

और,... सुपाड़ा उनका सिर्फ उसकी चुनमुनिया में थोड़ा सा फंसा था।



उनके नितम्बो में बहुत ताकत थी ,और आज जो गीता ने 'उनकी तैयारी' करवाई थी, दस सांड़ों के बराबर ताकत उनके हिप्स में आ गयी थी ,

उन्होंने एक बार थोड़ा और धकेला,


ओहहहहहह नहीं नहीं उईईईईईई

चीख से कमरा गूँज गया।



"प्लीज भैया ,प्लीज, निकाल लो न ,बस थोड़ी देर रुक के ,.... बहुत दरद कर रहा है , ओह्ह्ह्ह भैय्या ,... ओह्ह"



वो तड़प रही थी ,चीख रही थी , एक निगाह उनके मूसल पे पड़ी और मैं समझ गयी ,


गीता

ये गीता न , ... जो गीता ने इनके खूंटे पर तेल लगाया था ,मालिश की थी , दूध अपने थन से छरछर गिराया था , वो सब इनके शिश्न के अंदर पहले सुखा दिया था और फिर अपनी साड़ी से रगड़ रगड़ के , पोंछ पोंछ के , एकदम साफ़ कर दिया था, ज़रा भी चिकनाई नहीं थी।


सिर्फ सुपाड़े पर वो भी छेद के पास ,


इसलिए थोड़ा सा सुपाड़ा तो घुस गया था और उसके बाद अड़स गया ,...

वो तड़प रही थी , पलंग पर छुड़ाने की कोशिश कर रही थी ,अपनी बड़ी बड़ी आँखों से उन्हें देख रही थी।

" भैय्या प्लीज , हाथ जोड़ती हूँ , बस थोड़ी देर के लिए ,... फिर कर लेना न , मना तो मैंने कभी नहीं किया ,.... बहुत दर्द हो रहा है। "



और उन्होंने कमर अपनी थोड़ी सी बाहर खींची , मुझे डर लगा की कहीं उसकी दर्द से डूबी आँखों ने,...


उन्होंने दोनों कलाई उसकी छोड़ दी ,और अब उसकी कटीली कमरिया पकड़ ली,
हल्का सा उन्होंने फिर बाहर निकाला ,

उसकी आँखों में से दर्द अब निकल गया था ,चेहरे पर भी आराम लग रहा था। वो हलके हलके मुस्कराने की कोशिश कर रही थी ,

और तभी एक जबरदस्त चीख ,जैसे किसी भोंथरे चाकू से किसी मेमंने की गरदन कोई काट रहा हो ,



उईईईईई ओह्ह्ह्ह नहीइ



वो तड़प रही थी ,

छटपटा रही थी ,


अपने छोटे छोटे चूतड़ पटक रही थी ,

दोनों हाथों से उसने चद्दर पकड़ रखी थी ,




ऐसी चीख मैंने कभी सुनी नहीं थी , जैसे कान फट जाए ,

और वो

ढकेल रहे थे ,


पेल रहे थे ,

ठेल रहे थे।

…….

न उन्होंने उसके होंठों को अपने होंठों से भींचने की कोशिश की , न उसकी चीखों ने उनके ठेलने को कम कियन उन्होंने उसको मनाने ,समझाने की कोई कोशिश की ,न वो रुके
बस पेलते रहे ,ठेलते रहे , अपना पूरा पहाड़ी आलू ऐसा सुपाड़ा उस कच्ची कली की चूत में घुसेड़ के ही वो रुके।

वो चीख रही थी ,चिल्ला रही थी ,बिनती कर रही थी , चूतड़ पटक रही थी ,

उस टीनेजर की बड़ी बड़ी दीये जैसे आँखों से दर्द का एक कतरा उसके नमकीन गालों पर छलक कर उतर आया।

पूरा का पूरा सुपाड़ा उनकी ममेरी बहन ने घोंट लिया था।



चीखें उसकी कम हो गयी थी , जैसे चीखते चीखते थक गयी हो। लेकिन गले से थकी थकी आवाजें अभी भी निकल रही थीं , उसके पूरे चेहरे पर दर्द पसरा पड़ा था।

झुक कर उन्होंने उस कोमल किशोरी के गालों पर अटके आँख से निकले दर्द के टुकड़े को चूम लिया और हलके से उसके गाल को ,जहाँ उसके डिम्पल पड़ते थे ,काट लिया।



मैं समझ रही थी ,अभी तो सिर्फ चवन्नी का बल्कि दुअन्नी का खेल हुआ है।



अभी तो इसकी फटनी बाकी है ,जब सिर्फ सुपाड़ा घुसाने में ये हाल हुआ है तो जब फटेगी उसकी तो सच में पूरे मोहल्ले में उसकी चीख सुनाई देगी।



मैं अब पलंग पर ठीक से बैठ गयी थी , मेरी निगाहें एकदम टीवी पर चिपकी थीं , जहाँ बगल के कमरे की सब चीजें जस की तस आ रही थीं।

फ्रिज से एक बीयर का कैन मैंने निकाल लिया था और गटकते हुए इन्तजार कर रही थी अपनी ननद की फटने का , अब उस की फटने से कोई रोक नहीं सकता था।

वो भी एक पल रुक गए थे , और एक बार फिर उन्होंने सुपाड़ा थोड़ा पीछे खींचा ,और ,...

मेरी ननद के लौंडा मार्का चूतड़ों के नीचे उन्होंने एक मोटा सा कुशन लगा दिया। ( पूरी पलंग पर मैंने ढेर सारे तकिये और कुशन लगा रखे थे ). एक बार फिर उन्होंने उस टीनेजर की मखमल सी जाँघों को थोड़ा और फैलाया।

थोड़ा सा उसे सांस लेने का मौका मिल गया। दर्द से भरी आँखे उसने खोल दी ,और उन्हें टुकुर टुकुर देखने लगी। चीखें भी रुक गयी थीं।

सुपाड़ा उनका पूरा अंदर उस कुँवारी कच्ची चूत में पूरी तरह धंसा हुआ था और वो सोच रही थी शायद की अब दर्द ख़तम हो गया।



पर असली दर्द तो अभी होना था।

उन्होंने भी गहरी सांस ली ,एक बार फिर से उसकी कमर कस के जकड़ ली , अपने औजार को थोड़ा सा बाहर निकाला , ...
मैं जान रही थी क्या होने वाला था , मुझसे देखा नहीं जा रहा था पर देखे बिना रहा भी नहीं जा रहा था।

और उन्होंने पूरी ताकत से धक्का मारा , एक बार ,दो बार, तीन बार ,

उसका तड़पना एक बार फिर शुरू हो गया था , मैंने सोचा था की नहीं देखूंगी , पर उसकी तड़पन , उसका दर्द ,उसकी चीखें ,देखे बिना रहा भी नहीं जा रहा था।



उह्ह्ह नही ओह्ह्ह्ह

उईईईईई उईईईईई ईईईई ओहहहह उईईईईईई ,...


वो चीख मैं जिंदगी भर नहीं भूल सकती , सच में पूरे मोहल्ले को सुनाई पड़ी होगी ,

जैसे पानी के बाहर मछली तड़पती है , बस उसी तरह वो तड़प रही थी ,

और बजाय रुकने के उन्होंने अपना मोटा लंड बाहर खींचा और एक बार उसकी दोनों कलाइयों को पकड़ के हचक के पेल दिया ,



आधी चूड़ियां टूट गयीं।



उईईईईई उईईईईई ओह्ह्ह्हह्ह् उईईईईईई उफ्फ्फ्फ़ उफ्फफ्फ्फ़ नहीं उईईईईईई
छुटकी के बाद सोच रहा था कि अब नया क्या करेंगी..
लेकिन हर बार आप हमें मंत्रमुग्ध कर देती हैं..
एक हीं तरह की घटनाओं को अलग-अलग शब्दों में पिरो कर जादुई शमां बाँध दिया...
 
Top