Random2022
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गीता की छेड़खानियांगीता ने इनकी ममेरी बहन को और उकसाया , " अरे तनी एक चुम्मी तो ले लो ,इसकी ,... " मेरी छुटकी ननद थोड़ी हिचकिचाई पर मैंने उसके कान में फुसफुसाया, ' अरे यार ये छोड़ेगी नहीं , कुछ नहीं करना , बस जरा सा , ...और वैसे भी अभी वो सोया हुआ है ,... कोई ख़तरा नहीं है तुझे ,बस जरा बड़ा सा मुंह खोल के एक छोटी सी चुम्मी , मुंह लगा के , बस हटा लेना ,... सच में कुनमुना रहा था ,लेकिन था अभी सोया ही , और ये बात नहीं की इनकी बहन ने कभी उसे मुंह में न लिया हो , वो अभी भी थोड़ी हिचकिचा रही थी , पर मैंने फिर चढ़ाया ,' यार तू भी न , बस मुंह में सिर्फ सुपाड़ा ले लो न , वो भी दस तक गिनती गिन के छोड़ देना , बात भी हो जाएगी और ,... " हिचकिचाते हुए वो कुँवारी किशोरी झुकी , और उसने खूब बड़ा सा मुंह खोल लिया ,... " उन्ह उन्ह नहीं ,... और बड़ा मुंह खोलो न ननद रानी ,... " मैंने और उकसाया ,और मेरी छुटकी ननदिया ने सच में खूब बड़ा सा मुंह खोल के उनके सुपाड़े को बस थोड़ा सा एकदम ज़रा सा , पर उसे पता नहीं था की छिनारों की छिनार गीता की चाल , गीता मुझे देख के मुस्करायी ,और फिर दोनों हाथ पूरी ताकत से इनकी ममेरी बहन के सर पर रखकर दबा दिया। गीता का हाथ था मजाक नहीं ,फिर उनका वो अभी सोया सा ही , गुड्डी छटपटाती रही ,लेकिन आधा ,फिर दो तिहाई और अंत में पूरा पांच इंच गुड्डी के मुंह में , ( जितना ज्यादातर लोगों का टनटनाने पर होता है ,उतना गुड्डी के भैय्या का सोते में ही ,... ) गीता ने अपना जोर कम नहीं किया , वो जोर से उस इंटरवाली के सर को पकड़ कर प्रेस करती रही ,जब तक उसने पूरा घोंट नहीं लिया।
और मैंने भी गुड्डी बस एक जरा सी नाइटी ही तो पहने थी ,वो भी सिर्फ एक गाँठ के सहारे अटकी ,और मैंने वो गाँठ खोल दी ,नाइटी सरक के जहां उनका शार्ट गिरा था ,उसी के ऊपर ,.. झुकी हुयी वो मस्त रसीली किशोरी , उसके गुलाबी शहद से होंठों के बीच में उसके भैया का खूंखार लंड और अब नाइटी खुलने से उस इन्टर वाली की झुकी झुकी छोटी छोटी खटमीठी कच्ची कच्ची अमिया ,... कुछ उनकी ममेरी बहन के कच्चे टिकोरों का असर ,कुछ उसके मीठे मीठे होंठों का , शेर जगने लगा ,अंगड़ाई लेने लगा , गीता ने सिर्फ एक हाथ उसके सर पर रखा था , हलके से पकड़ रखा था बस ,... और गुड्डी भी अब स्वाद ले ले कर सपड़ सपड़ चूस चाट रही थी , उसने पहले भी उनका मूसल घोंटा , था उनकी ममेरी बहन ने लेकिन सिर्फ सुपाड़ा और एक बार दिया ने बहुत जबरदस्ती की थी ऑलमोस्ट आधा,चार इंच के आसपास और उसी में उसकी जान निकल रही थी , गीता ने सिर्फ हलके से और गुड्डी खुद , ...सच में गीता सही कहती थी ,ये बचपन की पक्की छिनार है ,उसे कुछ सिखाने पढ़ाने की जरूरत नहीं , जैसे मछली को तैरना सिखाने की जरूरत नहीं पड़ती , एकदम वैसे ,... गुड्डी मस्ती से चूस रही थी उनके आधे सोये आधे जागे खूंटे को , गीता की चालाकी मैं अच्छी तरह समझ रही थी , जैसे किसी हाथी के बच्चे को जब वो बहुत छोटा होता है तो बस एक सांकल से बांध देते हैं , और धीमे धीमे उसे उस छोटी सी जंजीर की आदत पड़ जाती है , बस जब हाथी खूब बड़ा पूरा ताक़तवर हो जाता है , बस तभी भी उसी सांकल से एक खपच्ची से खूंटे से बंधा रहता है ,
बस वही हालत अब गुड्डी की होने वाली थी , गीता ने एक बार फिर से दोनों हाथ गुड्डी के सर पर कस के ,... अब गुड्डी सर हटाने को कौन कहे ,हिलाने की भी नहीं सोच सकती थी, लिंग उसके भइया का अब पूरा तन्नाने लगा था , मेरी छुटकी किशोर ननद की हालत ख़राब होने लगी थी ,सुपाड़ा उसके भैया का उस इंटर वाली टीनेजर के हलक तक धंसा था , गाल दोनों एकदम फूल गए थे ,आँखे निकली पड़ रही थीं , पर गीता ने कस के मेरी ननद के सर को दबा रखा था. पानी से बाहर निकलने के बाद जिस तरह मछली तड़पती है ,बस उसी तरह तड़प रही थी वो,अब लंड अपने असली रूप में आ चुका था , पूरे बित्ते भर का , उनकी किशोरी ममेरी बहन के गले में , एकदम हलक तक घुसा , अटका,... और अब वो छूटने की कोशिश कर रही थी किसी तरह मुंह से निकालने की , पर गीता की पकड़ ,उसका जोर , अब उसके दोनों हाथ पूरी तरह मेरी ननद के सर पर पूरे जोर से ,मुश्किल से गों गों की आवाज उसके गले से निकल रही थी ,हलकी हलकी लार भी बूँद बूँद कर,
मुझे लग रहा था की कहीं कुछ , पर गीता बजाय दबाव कम करने के उसका मज़ाक बना रही थी ,छेड़ रही थी , " अरे भौजी काहें हमसे झूठ बोल रही थी। इतने चौड़े चाकर मुंह में तो घोंट नहीं पा रही हो , मार गों गों कर रही हो , जैसे जान निकल रही हो ,... और कह रही हो की चुनमुनिया में घोंटी थी पूरा का पूरा। चुप चाप घोंटो और चूसो मजे से ,ज्यादा नखड़ा नहीं ,... नौटंकी स्साली। " मुझे लग रहा था की कहीं गैंग रिएक्शन हो , चोक करे वो पर गीता ने दो चार मिनट तक और उसके बाद हल्का सा बस , बस थोड़ा सा , जैसे किसी की साँस डूब रही हो , और उसे थोड़ी सी हवा मिल जाय बस उसी तरह गुड्डी के चेहरे पर राहत झलक उठी। …..लेकिन अभी भी आधे से ज्यादा उनका लौंड़ा , उनकी ममेरी बहन के मुंह में घुसा हुआ था। उस किशोरी के गाल अभी भी फूले हुए थे , उनका था भी तो बहुत मोटा, आँखे अभी भी उबल रही थीं, पर चेहरे पर दर्द एकदम कम हो गया था , मुंह उसका पूरी तरह खुला ,फैला था। कुछ देर तक तो मेरी छुटकी ननदिया इसी तरह ,... लेकिन गीता इत्ती आसानी से ,... उसने फिर हलके हलके धीरे धीरे प्रेशर बढ़ाना शुरू किया , और सूत सूत सरकते हुए मोटा लिंग अब एक बार फिर अंदर की ओर ,... कुछ देर में एक बार जड़ तक धंसा , घुसा और वो टीनेजर , एक बार फिर तड़प रही थी , छुड़ाने के लिए चूतड़ पटक रही थी , गों गों की आवाजें निकाल रही थी , लेकिन गीता ने पूरी तरह जोर से ,जबरदस्ती अपने दोनों हाथों की ताकत से, उस इंटर वाली का सर उसके भइया के लंड पर दबोच रखा था। निकालने को कौन कहे , वो किशोरी अपना सर हिला डुला भी नहीं सकती थी।
वो हाथ पैर पटक रही थी ,एक बार फिर उसका चेहरा दर्द से भरा , और उनका मोटा बांस उस कच्ची कली के हलक तक धंसा , मेरी निगाह बार बार घडी की ओर जा रही थी , आधा मिनट ,... एक मिनट ,... डेढ़ मिनट ,... मोटा सुपाड़ा सीधे उस किशोरी के हलक में धंसा ,... और फिर गीता ने जोर थोड़ा हल्का किया ,... और गुड्डी के सर को ,जैसे इशारा मिला हो धीमे धीमे ,ऊपर ,उकसाती निगाहने की ओर ,... और अबकी आलमोस्ट पूरा बाहर ,... सिवाय मोटे सुपाड़े के कुछ ही देर में गुड्डी के चेहरे से दर्द गायब था और सिर्फ मजा था ,जैसे कोई स्कूल की लड़की मजे ले ले कर लॉलीपॉप चूसती है , बस उसी तरह मस्ती से गुड्डी अपने भइया का मोटा सुपाड़ा चूस रही थी।
Baat to 10 tak ginti ki hui thi