सही कहा... सपना तो बचपन से दोनों का था... लेकिन भैया बुद्धू और बहना के इतने इशारों को समझते हुए भी नासमझ बने रहे...बचपन का सपना था , पूरा हुआ जैसे उसके भैया का सपना पूरा हुआ वैसे सारी ननदों के भैया का सपना पूरा हो,...
और ननद नारी सुलभ लज्जा के कारण एकदम खुल के बोल नहीं सकती थी...