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. कहानी तो कहानी, कहानी का शीर्षक, वाकई में लाजवाब, एक दम से आनंद आ जाता है
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. कहानी तो कहानी, कहानी का शीर्षक, वाकई में लाजवाब, एक दम से आनंद आ जाता है
Mastउनकी सास बनी मेरी सास
दस मिनट बाद बाथरूम के पीछे के दरवाजे के खुलने की आवाज आयी।
मैं और मम्मी दोनों बेडरूम ही थे , पहले से पूरी तरह तैयार। आल लाइट्स आफ , नाइट लैम्प भी।
और करीब पंद्रह मिनट बाद , उनकी आवाज आयी मेरी सास का नाम ले ले के जोर जोर से सडका मारने की और साथ में उह्ह्ह ओह्ह ,एकदम गरम थे वो।
मैंने मुस्करा के माँ की ओर उनकी सास की ओर देखा ,
और थोड़ी देर बाद जब बाथरूम से बेडरूम का दरवाजा खुला ,
वो सिर्फ ब्लाइंड फोल्ड पहने और औजार एकदम पागल ,पूरी तरह खड़ा ,
मैं दरवाजे के बगल में ही थी ,उन्हें पकड़ के सहारा देकर सीधे डबल बेड पर लाने के लिए ,
जहां मेरी सास बनी उनकी सास
इन्तजार कर रहीं थी ,एकदम उन्ही की हालत में ,बेताब ।
……और मैं उन्हें पकड़के सीधे पलंग पर ले आयी , एक तो अँधेरा था ,ऊपर से काला फोल्ड, उन्हें कुछ दिखने का सवाल ही नहीं था।
" अरे जरा मातृभूमि का स्वाद तो ले "
मैंने उन्हें खुली चिकनी मोटी मोटी मखमली जाँघों के बीच झुकाते हुए बोला।
बुर वैसी ही गीली हो रही थी , उसकी रसीली महुए दारु सी महक ,
अगले ही पल उनके होंठ चुम्बक से सीधे भोंसड़ी से चिपक गए।
चूत चटोरे तो वो पैदायशी थे ,और भोंसडे की महक ,उसके स्वाद का लालच, बस।
जो उनकी आदत थी , आग भड़काने की , ....
पहले तो उन्होंने अपनी मांसल जीभ की नोक से हलके हलके , रसीली बुर के दोनों मांसल पपोटों के बाहरी ओर ,
और फिर बाज की तरह हलके से उनके होंठ जैसे झपट्टा मार के सीधे रस में गीली बुर के ऊपर, और उतनी ही तेजी से दूर हो गए।
भोंसडे के रस की गमक के साथ सिसकियों से कमरा गूँज उठा।
और उन्होंने गियर चेंज कर दिया ,
अब उनकी जीभ रसीली बुर की दोनों फांको के बीच कभी गोल गोल कभी आगे पीछे
और साथ में जैसे कोई लन्ड से चोद रहा हो ,अंदर बाहर ,
उसका असर हुआ ,सिसकियाँ सिर्फ तेज नही हुयी बल्कि चूतड़ भी तेजी से ऊपर नीचे,
और अब उनकी उँगलियाँ भी कभी बुर को रगडती मसलती तो कभी क्लीट को नोच लेते
और तेजी से निकलती सिसकियों के बीच बीच में , हलकी हलकी मस्ती की चीखें
उफ़ ओह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह उई उई
' माँ 'की आवाज चीखों और सिसकियों के बीच,
" अरे मुन्ना बहुत मस्त चूस रहे हो ,बहुत दिन से मन था तुझसे चुसवाने का चटवाने का ,ओह्ह उईईई "
लेकिन उनके होंठ तो ' माँ ' की बुर से चिपके थे ,हाँ कान जरूर खुले थे. कान पारे वो हर बात सुन रहे थे।
'माँ'-बेटे का संवाद चालू हो गया था।
" बहुत दिन से मन था मेरा मुन्ना ,हाँ हाँ मुन्ना ऐसे ही चूस न , ओह्ह ओह्ह हाँ हाँ "
और साथ साथ उनके हाथों ने जोर से उनका पकड़ कर भोंसड़ी पर रगड़ना शुरू करदिया।
" ओह्ह सिर्फ चुस्वाने का ही नहीं तुझे अपने ऊपर चढाने का भी ,
अरे शुरू से जब तेरी नूनी थी ,खोल खोल के मैं बिना नागा कड़वा तेल लगाती थी और चारो और भी, मुन्ना "
उन्होंने और जोर जोर से चूस के जैसे हामी भरी की उन्हें अच्छी तरह याद है।
" अरे जब तुम थोड़े बड़े होगये थे मुन्ना ,स्कूल जाने लगे थे ,तब भी याद है तू कितना चिढ़ता था ,शरमाता झिझकता था ,
तब भी ,तुझे लिटा के ,अपनी जाँघों के नीचे जबरदस्ती दबा के , याद है मुन्ना , तेरी नेकर सरका के , खोल के ,कडुवा तेल , ...
और एक बार तेरी बुआ ,
अरे तुझसे ६-७ साल ही तो बड़ी है वो उस समय शायद दसवीं ग्यारहवीं में पढ़ती थी ,
कच्चे कच्चे टिकोरे आ गये थे ,हो गए थे मिजवाने लायक, वो आ गयी उसी समय और मुझे तेरे तेल लगाते देख के चिढा के बोली की
"भौजी इतना तेल लगा रही हो की एकदम मस्त कड़क मोटा हथियार हो मेरे भतीजे का ,इसे अंदर लेने का इरादा है क्या। "
याद है तुझे ,मैंने पलट के तेरी बुआ को बोला था ,
"अरे तो उसमें गड़बड़ क्या है , मेरा प्यारा प्यारा मुन्ना है मैं चाहे जो करूँ , और सुन तेरा मन है तो तू ही नेवान कर लेना।
बुआ भतीजे का तो खुल्लम खुल्ला चलता है। "
अब पल भर के लिए उन्होंने भोंसड़ी से मुंह हटा के झिझकते हुए माना ,
" हाँ याद है, बुआ मुझे बहुत चिढाती थी मुझे , "
और फिर अपने काम में लग गए , भोंसड़ी चूसने के ,
लेकिन ' माँ ' -बेटा संवाद जारी था।
Mast' माँ ' -बेटा संवाद '
अब पल भर के लिए उन्होंने भोंसड़ी से मुंह हटा के झिझकते हुए माना ,
" हाँ याद है, बुआ मुझे बहुत चिढाती थी मुझे , '
और फिर अपने काम में लग गए , भोंसड़ी चूसने के ,
लेकिन ' माँ ' -बेटा संवाद जारी था।
माँ ने समझाया ,
" अरे तू समझता नहीं अपनी बुआ को , वो लाइन मारती थी तेरे पे , मुझसे भी कई बार बोली , भाभी कच्चा केला खाने का मन करता है तो मैं बोली पटा ले ,खोल ले खा ले।
अरे तेरी बुआ तो बचपन से चलती थी , जब से कच्चे कच्चे टिकोरे आये थे , नौवीं में थी ,तब से ही दबवाने मिजवाने लगी थी।
मेरी ससुराल वालियों की साली झांटे बाद में आती है लेकिन चूत में खुजली पहले मचनी लगती है ,
और ऊपर से तेरी बुआ थी भी मस्त माल। '
'सच में बुआ मुझे भी ,... जब कालेज से लौटती थीं तो मेरा गाल जोर से चिकोट लेती
तो कभी चिढाते हुए मेरी नेकर खींचने की कोशिश करती। "
उन्होंने भी कबूल किया ,
बुआ की बात से बात बदल कर वो बोलीं ,
"लेकिन ये भी तो बोल तू भी तो मुझे देख के मुट्ठ मारता था , है न "
अब शरमाने की बारी उनकी थी ,
" नहीं नहीं हाँ , बस एक दो बार , "
झिझकते हुए उन्होंने कबूल किया।
" झूठे " जोर से डांट पड़ी उन्हें ,
" रोज मेरी ब्रा में तेरी मलाई रहती थी। "
वो बिचारे घबड़ा गए लेकिन उन्हें पकड़ के ऊपर ,...
अब उनके होंठ सीधे गद्दर रसीले जोबन पे ,और जैसे कोई छोटे बच्चे को दुद्धू पिलाये , उनके होंठों के बीच बड़े बड़े निपल ठूंस दिए , ...
गाल पे एक चपत पड़ी सो अलग।
" अरे घबड़ा काहें रहे हो , इसमें क्या , ...अरे मैं जान बूझ के तुझसे पहले नहाने जाती थी और अपनी ब्रा खूँटी पे छोड़ देती थी , फिर तुझे भेजती थी , मुझे ,मालुम था तू , ब्रा के अंदर मुट्ठ मारने को तड़प रहा होगा। "
" फिर आपको गुस्सा नहीं आता था , धोना पड़ता होगा। "
" गुस्सा क्यों आएगा , अरे जवान होता लड़का ,सब लड़के उस उम्र में मुट्ठ मारते हैं ,तेरी बस रेख आ रही थी , और धोऊंगी क्यों , मेरे मुन्ना की सोना मोना की गाढ़ी मेहनत की मलाई मैं तो बहुत प्यार से उसे ऐसे ही पहन लेती थी।
वो जो थक्केदार मेरे उभारों पर लगती थी गीली गीली बहुत अच्छा लगता था।
और तू कितनी देर मुट्ठ मारता था तो निकलती थी मलाई ,देख के ही मन खुश हो जाता था। "
वो बोलीं।
फिर सोच कर पिघलती बोलीं ,
' उस उम्र में तेरी कित्ती ढेर सारी गरम गरम गाढ़ी थक्केदार मलाई निकलती थी , सोच के ही गीली हो जाती है।
और जब चपड़ चपड़ वो थक्केदार सफ़ेद मलाई मेरी छाती पे , ... इत्ता अच्छा लगता था , सोचती थी एकदिन जिन कबूतरों के बारे में सोच सोच के तू मुट्ठ मारता है न बस
एक दिन तुझे पकड़ के जबरदस्ती उन्ही कबूतरों में दबा दबा के तेरा सारा माल निकालूंगी। "
तो निकाला क्यों नहीं ,वो बुरा सा मुंह बना के बोले।
" अरे हर चीज का टाइम होता है , एक तो तू इत्ता लौंडियों की तरह शरमाता झिझकता था ,
मुझे लगा की अगर कहीं घबड़ा के तूने मेरी ब्रा में मुट्ठ मारना बंद कर दिया तो अभी जो तेरी मलाई का स्वाद मेरे जोबन को मिलता है वो भी बंद हो जाएगा।
फिर लगता था की कहीं उस तेरी छिनार बुआ ने देख लिया तो ,... वो भी तेरे बारे में सोच सोच के ऊँगली करती थी ,
पर चल आज मौक़ा मिला है न अब रोज तेरी पिचकारी से अपनी छाती से दबा दबा के ,
आज मौक़ा मिल गया है न दबा कस के ,जैसे मुट्ठ मारते समय सोचते थे ,... "
उन्हें जवाब मिला और खींच के उनके हाथ ३६ डी डी पर
"लेकिन आप , आप कैसे देखतीं थी। "
घबड़ा के वो बोल पड़े। पर उनके दोनों हाथ बड़ी बड़ी चूँचियों को गूंथने में ज़रा भी नहीं हिचक रहे थे।
" अरे जिधर से तू देखता था , बाथरूम के दरवाजे में जो छेद तूने बनाया था , मुझे नहाते देखने को , बस उसी छेद से बिना नागा मुट्ठ मारता था मेरी ब्रा में । "
हँसते हुए उन्होंने बोला और फिर उनके गाल सहलाते पूछ लिया ,
" मुन्ना तू ब्रा में लपेट के मुट्ठ मारता था तुझे ब्रा अच्छी लगती थी या , ... "
उन्होंने चिढाते हुए उनके कान का पान बनाते हुए पूछा।
" वो ब्रा , ब्रा के अंदर , वो ,... " वो हकला रहे थे।
" अरे साफ़ साफ़ बोल न , मुझे तो बहुत अच्छा लगता था ये सोच सोच के की तुझे मेरी , बोल न। "
" वो आपकी चूंची , " हिम्मत करके मुंह खुला उनका।
" तो ले ले न ,क्या अब भी मुट्ठ मार के काम चलाएगा। "
और ' माँ' ने खुद उनका हाथ पकड़ के गदराई बड़ी बड़ी कड़ी कड़ी चूंची पे रख दिया ,और अब वो खुल के दबाने मसलने लगे।
Mastआखिरी चमचा
" ये किधर से पैसा उगलती है , आगे से या पीछे से , .... " उन्होंने बहुत ठंडी आवाज में पूछा।
गुस्से से चमचे नंबर ३ का चेहरा तमतमा गया ,... लेकिन वो कुछ बोलता , उसके पहले उन्होंने उस लड़की के नाम के सारे बैंक स्टेटमेंट आगे कर दिया
" कहाँ से , किस चीज के लिए कौन देता था इसे ये पैसा , ... नाम तो इस एकाउंट में इसी का लिखा है , और बाप का नाम तेरा , ... पैन कार्ड आधार कार्ड भी मैच कर रहा है ,... "
ये अकाउंट उसकी की ओर सरकाते बोले , ...
थोड़ा उसकी कड़क कम हुयी , पर उसने फिर कुछ जवाब देने की कोशिश की , लेकिन उनके पास और हथियार थे , ...
" और ये पैसा किस अकाउंट में जाता था , ... ये भी डिटेल है हमारे पास ,... "
एकदम झूठ , ... ये उनके पास नहीं था लेकिन उन्होंने अंधेरे में तीर चलाया जो चल गया।
" और सबसे बड़ी बात नेट बैंकिंग से उस लड़की ने ही ट्रांजैक्शन किया है , सिम भी उसी के नाम की रजिस्टर्ड है , के वाई सी भी उसी की है। "
ये भी अँधेरे में तीर था जो फिर चल गया .
अब उस चमचे की हालत खराब , लेकिन ब्रम्हास्त्र अभी बाकी था , ...
" ये तीन फाइलें देख रहे हो , जिस दिन कांट्रैक्ट हुआ उसी दिन तेरी उस बेटी को पैसा मिला , ... मैंने उन कम्पनीज से बात कर लिया है , ... तीनो प्रॉडक्ट डिफेन्स कांट्रैक्ट के थे। मैं चाहता तो नहीं था , लेकिन मुझे बताना पड़ा , अब इ डी के लोग इंक्वायरी कर रहे हैं , ... आपका नाम तो कहीं नहीं था , लेकिन ये अकाउंट आपकी पुत्री के नाम है इसलिए अब ई डी उसी से पूछताछ करेगी , आज रात को ही शायद पूछताछ के लिए ले जाएंगे , मुझे मालूम है वो अभी बालिग़ नहीं है। इसलिए जेल तो नहीं ले जाएंगे पर जुवेनाइल होम में रखेंगे , और पांच छह दिन तो कम से कम , ... नेशनल सिक्योरटी का मामला है ,... मैं बीच में नहीं पड़ने वाला , ... मैं तो चाह रहा था , तुम्हारी बेटी मेरी बेटी , लेकिन ,... "
उस की हालत खराब , तभी मिसेज डिमेलो आयीं , उस का चमचे का फोन लेकर
"इनकी बेटी का फोन है , बहुत परेशान है , इनसे बात करना चाहती है। "
कोई भी मिलने आता था तो पहली बात तो मिसेज डी मेलो के कमरे से होकर , दूसरे उसे अपना मोबायल वहीँ छोड़ना पड़ता था ,
स्पीकर फोन नहीं ऑन था लेकिन लड़की के सुबकने की तेज तेज आवाज आ रही थी , ये साफ़ साफ़ पता चल रहा था की उसे बोला गया है की वो हॉस्टल से बाहर नहीं जा सकती है , और शाम को छह साढ़े बजे एक पुलिस की टीम और दिल्ली से आये कुछ आफिसर उससे इंक्वायरी करने आएंगे , हो सकता है उसे इंक्वायरी के लिए बाहर भी ले जाएँ ,
मिसेज डी ने और आग में घी डाला ...
आज कल कहने को जुवेनाइल होम , अरे सब रंडियों को पकड़ के उसमें रखते हैं और उस के साथ लड़की को ,..एक रात में ही ऐसी दुर्गत कर देंगी बेचारी की , और जमानत भी कल परसों छुट्टी है ,
लड़की के सुबकने की आवाज और तेज हो गयी।
मिसेज डी मेलो ने उसके हाथ से फोन छीन लिया और वापस अपने कमरे में चली गयीं।
अब वो एकदम टूट गया ,
वहीँ फर्श पर बैठ कर सुबकने लगा ,
लेकिन इन्होने जानबूझ कर उसकी ओर अब ध्यान नहीं दिया , वो कोई फ़ाइल करने लगे फिर फ़ाइल ,
बीच बीच में वो चमचा नंबर तीन बोलने की कोशिश करता लेकिन ये उसकी बात पर ध्यान नहीं दे रहे थे ,
तभी मिसेज डी मेलो ने बोला , इ डी के ज्वाइंट डायेक्टर का फोन आया है ,
उन्होंने फोन उठा के बोल दिया ,
" थैंक्स सो मच , मेरे ख्याल से हमारे इंटरनल इन्वेस्टिगेशन से काम चल जाएगा , कोई सिक्योरटी के इसुज नहीं लग रहे हैं , नहीं नहीं उस लड़की को , अच्छा आप लोग पंहुच गए हैं , ... नहीं नहीं , हम लोग रिजॉल्व कर लेंगे , मैं आधे घंटे में बात करूंगा , ... और नहीं होगा तो फिर आप के मेथड्स है मैं नहीं रोकूंगा। पर अभी कुछ मत करियेगा , मैं आधे घंटे में फोन करूंगा। "
अब एक बार खड़ा हो के सिर्फ हाथ जोड़े , ...
और उन के फोन रखते ही वो चालू हो गया ,...
" नहीं नहीं सर , उस लड़की की कोई गलती नहीं है , वो सब मैंने ही , वो सिम मैंने ही उसके नाम से , वो अकाउंट भी मैं ही आपरेट करता था ,...
इन्होने रिकार्डिंग ऑन कर रखी थी ,
पता ये चला की मिस्टर मोइत्रा का कुछ खास हाथ नहीं था , ये टेंडर के पहले मिसेज मोइत्रा के साथ मिल कर , ...
पार्टी भी उसी के साथ , मिसेज मोइत्रा से ,.. और रात में मिसेज मोइत्रा मिस्टर मोइत्रा को इंस्ट्रकशन देती थीं , उसी तरह टेंडर पेपर बनते थे , ... और पैसा उस अकाउंट में ट्रांसफर हो जाता था , जो उस लड़की के नाम से था , फाइनल पेमेंट होने के बाद , ... ये खुद नेट बैंकिग से ५ अकाउंट बेनामी थे , जो मिसेज मोइत्रा के लिए वही आपरेट करता था ,
इन्होने उसके फोन से वो सारे नेट बैंकिग के फोन एकाउंट चेक करवाए , ... सब बातें उसकी सही थीं , ...
फिर उससे फोन लेकर सारे नेट बैंकिंग के पासवर्ड चेंज किये , फेवरिट क्वेस्चन चेंज किये , अब मिसेज मोइत्रा उसे एक्सेस नहीं कर सकती थीं , न ही वो चमचा एक्सेस कर सकता था ,
फिर आधे घंटे तक वो गाता रहा , मिसेज मोइत्रा की बेनामी प्रापर्टी के सारे डिटेल्स , किस कम्पनी से क्या डील्स होती थीं ,
उन्होंने फोन उठा का इ डी को फोन किया
नहीं उस लड़की से पूछताछ की जरूरत नहीं , हाँ वो लोग बड़ी रिगरस इंटरनल इंक्वायरी करेंगे , उस लड़की से भी वो खुद पूछताछ करेंगे , बस हफ्ते भर के अंदर , हाँ इ डी क्वेश्चनेयर भेज दे तो वो उस खुद लड़की से सवाल पूछेंगे , वीडयो रिकार्ड ई डी को दे देंगे , अब उसे गिरफ्तार करने की जरूरत नहीं।
वो चमचा उन के पैर पर गिर गया।
असल में कोई इ डी था ही नहीं ,
दोनों बार फोन पर दूसरी ओर कोई नहीं था , सिर्फ मिसेज डी मेलो ने रिंग करके उन्हें बोला था ,
उस लड़की के हॉस्टल में भी मिसेज डी मेलो ने किसी के जरिये बस एक फोन करवाया था , ...
अब वो पूरी तरह टूट गया थाऔर उसे लगा की उसकी बेटी को इन्होने ही बचाया , ...
हाँ ये इन्होने बोला की हफ्ते भर के अंदर अपनी बेटी को बुला दे , एक दिन वो अच्छी तरह से पूछ ताछ करेंगे ,
जिससे फ़ाइल बंद हो।
उसने तुरंत हाँ कर दी , और मिसेज मोइत्रा की एक एक बात ,
लेकिन उन्होंने उसे समझा दिया , सब मामले वो सम्हाल लेंगे , लेकिन ,...
उनके कहने के पहले ही एक बार फिर वो नतमस्तक हो गया
नहीं सर , एकदम नहीं सर आप मेरी ओर से मैडम से भी माफ़ी मांग लीजियेगा , ... मेरी वाइफ ने , मिसेज मोइत्रा के चक्कर में ,..
वो एकदम ,...
और उन्होंने आखिरी चमचा भी तोड़ लिया था और अब मिस्टर और मिसेज मोइत्रा का एक एक राज उनके कब्जे में था ,...
बस वो दंडवत हो गया।
मिस्टर मोइत्रा के बारे में क्या क्या गाना नहीं गाया उसने।
और ये भी की हर चीज के पीछे असल में मिसेज मोइत्रा थीं।
Mastजोरू का गुलाम भाग ५२
कबूतरियां और जाल
अगर एक बार वो कबूतरियां दोनों चुग लेंगी तो हम सब को भी मजा ,
अरे सिर्फ मैं ही नहीं , सुजाता भी कन्या रस की प्रेमी थी और सबसे बढ़कर मिसेज खन्ना हम सब की नेता ,
वो तो ऐसे रगड़ रगड़ कर लेंगी दोनों की ,...
तो मम्मी की बात में दम तो था
और ये तय हुआ की आज इनके आफिस जाने के बाद करीब तीन बजे मैंने सुजाता को बुला लूँ ,
सुजाता को तो आप सब जानते ही हैं ,एकदम मेरी पक्की सहेली , हम लोगो के क्लब की ' बेबी ,यंगेस्ट ' ५-६ महीने पहले ही शादी हुयी है, इनकी मुंहबोली साली
लेकिन सबसे बढ़कर मम्मी की एकदम असली वाली बेटी बन गयी है वो।
अगर मुझसे ज्यादा मम्मी किसी को प्यार करती हैं तो सुजाता को। उनलोगों के हर मुद्दे में विचार भी मिलते हैं ,
और आज की मीटिंग में विचार का विषय था ,
मिसेज मोइत्रा की गोरी गोरी कबूतरियों को दाना कैसे चुगाया जाय ,
उन्हें संस्कारी से 'सुसंस्कारी' कैसे बनाया जाय
सुजाता ने जैसे ही अपने टैब पे ,
स्कूल ड्रेस में दोनों कबूतरियों की फोटो दिखाई ,मम्मी की तो बस लार ही टपक पड़ी,
क्लास मेट्स के साथ थीं
गोरी चिट्ठी भरे बदन की किशोरियां,
आ रही जवानी के निशान साफ़ साफ़ उनदोनो की देह से छलक रहे थे ,चाहे गालों की लुनाई हो या हलके हलके गदराये जोबन के उभार,
लेकिन जब सुजाता ने अपने टैब में से वो फोटुएं दिखाई जिसने मुझे भी उसका मुरीद बना ,
दोनों के सीधे , ' खजाने ' की तस्वीर
बस हलकी हलकी आ रही सोने के तार ऐसी नयी नयी मुलायम झांटे और उन के बीच में एकदम चिपकी हुयी
मम्मी की तो हालत खराब हो गयी ,और मेरी भी।
अब आपरेशन की कमांड उन्होंने अपने हाथ में ले ली , और हम दोनों ,मैं और सुजाता उनकी लेफ्टिनेंट।
और वो इतना बड़ा बिजनेस इम्पायर चलाती थीं ,उनके लिए तो बस अब ये ,
एक स्ट्रेटेजिक मीटिंग हो गयी।
और उन्होंने अपना फेवरिट फार्मूला शुरू कर दिया ,
स्वाट ,स्ट्रेंथ ,वीकनेस, ऑपर्च्युनिटी ,थ्रेट।
और उनके पूछने के पहले ही सुजाता ने
स्ट्रेंथ गिनानी शुरू कर दी,
१. वो दोनों जिस स्कूल में हैं ,अभी सुजाता उसकी इंचार्ज है और हेड मिस्ट्रेस के साथ ,दोनों कबूतरियों की क्लास टीचर ,
स्पोर्ट्स टीचर और काफी लोग ,सुजाता के इंटिमेट पर्सनल फ्रेंड हैं।
२. मिस्टर मोइत्रा अभी बाहर गए हैं और महीने दो महीने तक उनके आने का कोई चांस नहीं है। मिसेज मोइत्रा भी अभी शाक में हैं।
३. मिसेज मोइत्रा को अभी कोई शक भी नहीं है उनकी दोनों कबूतरियां हम लोगों के टारगेट पर हैं।
४. दोनों कबूतरियों के क्लास में काफ़ी लड़कियां ' फन लविंग ' हैं और उनका पियर प्रेशर काफी स्ट्रांग है।
वीकनेस गिनाने की जिम्मेदारी मेरी थी। थी भी मैं डेविल्स एडवोकट,
१ बचपन से ही मिसेज मोइत्रा ने उन्हें 'संस्कारी' बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है , फ़िल्में देखना तो दूर फिल्मों के बारे में बात भी करना वहां बुरा है।
२ दोनों के बिहैवियर पैटर्न में कोई भी चेंज होने से उन्हें शक हो जाएगा।
३ दोनों कबूतरियां सिर्फ स्कूल के लिए बाहर निकलती हैं और फिर सीधे घर , फ्रेंड्स के घर भी महीने में एक दो बार ही वो भी पूछ कर और शाम को वापस।
४ ड्रेसेज भी वो दोनों बहुत ढीली ढाली पुराने फैशन की पहनती हैं , और उन का सिर्फ एक टारगेट है कालेज में टॉप करना।
सुजाता ने एक पल सोचा फिर ऑपर्च्युनिटीज गिनवाने लगी ,
१. घर के अलावा स्कूल में ही उन दोनों का समय गुजरता है ,और वहां पर सुजाता का पूरा कंट्रोल है , इसका सबूत वो पिक्चर है जो चेंजिंग रूम के अंदर कैमरे लगवा के उसे इकट्टा की और उन दोनों कबूतरियों के पीरियड्स के डिटेल मेडिकल सेक्शन से लिए।
२ अभी मिसेज मोइत्रा के स्टार्स डाउन है तो पहले वो अपने ही डिफेन्स में रहेगीं , और जितना जल्दी हम लोग इस पीरियड में स्ट्राइक करें उतना अच्छा है।
३ मिसेज मोइत्रा स्कूल के कंट्रोल बोर्ड में थीं और अभी भी है ,इसलिए उन्हें स्कूल के लोगों पर पूरा भरोसा है। पर उन्हें पता नहीं की स्कूल के लोगों को ये अच्छी तरह अंदाज लग गया है की पावर इक्वेशन अब एकदम चेंज हो गया है और अब टॉटल कंट्रोल सुजाता के पास है। दूसरे मिसेज मोइत्रा ने अपने राज में बहुत से लोगों को, स्पेशली स्पोर्ट्स सेक्शन और कई ' फन लविंग ' टीचर्स को अपना दुश्मन बना लिया है।
४ वो दोनों टॉप तो करना चाहती हैं लेकिन अभी तीसरे चौथे पर ही रहती हैं।
हम सबको आशा की किरणे दिखनी लगी ,लेकिन थ्रेट तो बताना ही था तो मैंने कुछ बोल दिया ,
१ अगर हम लोगों को कुछ देर हो गयी तो मिसेज मोइत्रा के डिफेंसेज स्ट्रांग हो जाएंगे ,
२ अगर दोनों कबूतरियों के संस्कारी से सुसंस्कारी बनने के दौरान उन्हें कुछ शक हो गया तो वो उन्हें बोर्डिंग में कहीं बाहर शिफ्ट कर सकती हैं।
और अब मम्मी की बारी थी ,लेकिन उन्होंने कुछ फैसला सुनाने के पहले एक सवाल सुजाता से पूछ लिया,
" उन दोनों कबूतरियों के क्लास में कोई 'सुसंस्कारी' लड़की है या , ... "
उन का बाकी सुजाता की खिलखलाहट में डूब गया , और जब सुजाता हंसती थी तो बस हंसी के दौरे चालू हो जाते थे उसे। मुश्किल से रुकी ,
" आप भी न ,आज के जमाने में , ....लड़कियों की झांटे बाद में आती हैं लेकिन चार चार कंट्रासेप्टिव पिल के नाम उन्हें पहले याद हो जाते हैं। अरे आधी से ज्यादा उसने क्लास की लड़कियों की चिड़िया कब से उड़ रही है फुर्र फुर्र।
सिर्फ वही दोनों माहौल खराब कर रही है , लेकिन मैं आप की बात समझ गयी ,
एक लड़की है जो सुसंस्कारी ही नहीं परम सुसंस्कारी है , छंदा सेन. ड्रिंक ,ड्रग्स,स्मोक कोई चीज बची नहीं उससे /
एक साथ चार पांच आशिक रखती है ,
और सिर्फ लड़के ही नहीं , वो जेंडर डिस्क्रिमिनेशन में भी विश्वास नहीं रखती।
उसके क्लास की ही तीन चार लड़कियां उसकी सेविकाएं हैं।
कबूतरियों के क्लास में पिछले तीन साल से है , पास होती तो अब ग्रेजुएशन फर्स्ट ईयर में पहुँच जाती। "
मम्मी सुजाता की बाते बहुत ध्यान से सुन रही थी और उन के मन में कोई स्ट्रेटजी तैयार हो रही थी।
Mastजोरू का गुलाम भाग ५१
मिसेज मोइत्रा की कबूतरियां ,
मिसेज मोइत्रा की कबूतरियां , मुझे मालुम है आप क्या जानना चाहते हैं , लेकिन सब चीज मैं बता भी तो नहीं सकती।
ओके ओके बुरा मत मानिए , बस ये समझिये की मेरी छुटकी ननदिया , अरे वही इनकी ममेरी बहन गुड्डी से भी थोड़ी छोटी,
जुड़वां, खूब गोरी चीठ्ठी ,एकदम मिसेज मोइत्रा पर गयी हैं दोनों ,एकदम बंगाली रसगुल्ला।
लेकिन गड़बड़ भी वही ,एकदम अपनी माँ की तरह संस्कारी, सिर्फ पढने से काम , ड्रेस सेन्स हो या मिक्सिंग या एकदम कंजरवेटिव ,
सुपर कंजरवेटिव।
बस ये समझिये अभी हाईस्कूल में गयीं हैं इसी साल , अब हाईस्कूल में गयी लड़कियों की , ...
अब आगे तो आप समझ ही गए होंगे , अंदाज लगा सकते हैं ,...
और जब बात मिसेज मोइत्रा की चल रही थी तो सुजाता ने ही उनकी कबूतरियों का जिक्र किया। किसी ने बोला की दोनों अभी छोटी हैं तो अगले ही दिन सुजाता फोटोग्राफिक और मेडिकल एविडेन्स के साथ आ गयी।
दोनों की गोरी गोरी जाँघों के बीच छोटे छोटे रेशम के धागों सी , बहुत छोटी लेकिन , आ गयी है जवानी की पहचान कराने वाली केसर क्यारी
, और मेडिकल एविडेन्स , पौने दो साल साल पहले दोनों के पीरियड्स शुरू हो चुके है।
फिर क्या था मिसेज खन्ना ने फरमान जारी कर दिया ,
मिसेज मोइत्रा के साथ उनकी दोनों जुड़वां कबूतरियों को भी 'सुसंस्कारी' बनाने का,
और ये मिशन सुजाता को ही सौंपा गया
लेकिन साथ में उतनी ही जिम्मेदारी मुझे भी दी गयी।
और आज सुबह कल रात की 'लेडीज ओनली ' पार्टी से लौटते हुए मैंने मिसेज मोइत्रा की कबूतरियों का जिक्र किया तो मुझे जोर की डांट पड़ गयी।
" तुम भी न यही तो उमर होती है ,और कच्चे टिकोरों का मजा ही और है।
इस उमर में अगर उन दोनों को गन्ना चूसने का शौक लग गया तो फिर जवानी बन जायेगी दोनों की।
छोटी वोटी कुछ नहीं , खाली सही संगत ,सही ट्रेनिंग और सही संस्कारों की जरुरत है दोनों को। सुजाता एकदम सही कहती है, ...'
मम्मी ने एकदम जोर से हड़का लिया मुझे
वैसे उस पार्टी में मम्मी की सहेली ने जो एक्सक्लूसिव पार्ट आफ पार्टी थी ,उसमें जो ' कन्या भोग ' हुआ
( और जिसका खुल के मजा मैंने भी लिया ) आधी से ज्यादा तो मिसेज मोइत्रा की कबूतरियों की ही उमर की थीं ,
दो चार मेरी ममेरी ननद की उमर की होंगी ,