कन्या रस का भी अलग लज्जत है...
कन्या रस का भी अलग लज्जत है...
दूध तो एकदम सॉलिड है....
लेकिन मन की खिडकियों को कैसे....Muje to ghayal karne ke lie to bas itna kafi tha. Vo mere sajan. Or me unki sajani. Love it.
और वो मेरे अंदर थे ,मैं ऊपर वो नीचे।
कोई मुझसे पूछे क्या मजा आता है ,दिन दहाड़े ,सुबह सबेरे ,
अपने घर में ,अपने घरवाले के साथ सटासट ,गपागप
और घरवाला जब उनके जैसा हो , खूब प्यारा सा ,मीठा सा।
तो न गप्प करना तो गलत है न।
मैंने उनकी ओर देखा ,
दुष्ट, उनकी नदीदी भूखी आँखे कैसे टुकुर टुकुर मुझे देख रही थीं।
और झट से झुक के मेरे गुलाबी होंठों ने बस चूम के उनकी पलकों को खिड़कियां उठंगा दी ,नजर की।
वो और क्या देख रहे थे ,मेरे उभारों को।
जानबूझ के बुद्धू बनना या नादान बनना.. दोनों को एक दूसरे के प्रति गुदगुदा देता है...Budhu kahika. I love my sajan
मीठी मीठी हवा के साथ.. अंदर तूफान और बारिश....और पति पत्नी होने का यही तो फर्क है
जब मिंया बीबी राजी तो क्या करेगा ,
न मुझे जल्दी थी न इन्हें ,
बाहर से सावन की मीठी मीठी हवा अंदर आ रही थी और सावन के झूले के झोंके से हम दोनों धीमे धीमे पेंगे लगा रहे थे।
aap ko ye lines pasand aayin Thanks so much![]()
बेस चाहे कुछ भी हो...kayi baar lagta hai agali story agar jab bhi likhungi aap ki pics ke base pe hi likhungi, bahoot acchi pics you are superb
मंजू और गीता तो एक हीं थैली के चट्टे-बट्टे हैं....Maine aapse pahle hi kaha tha Manju aur Geeta wala part sabse HOT part hai is story ka ekdm chhodne vaala nahi aur iske baad Manju aur Geeta poori story men hain
हम सब का भी....Fir to ye mera sobhagya hoga
दिल हीं नहीं और कई जगह नश्तर चुभोता है....
Ab me bhi kya karu. Unki shas he hi itni achhi. Threesom me to maza hi aa gaya. Jabardast. 1st threesom se bhi jabardast.सास चढ़ीं दामाद पर
लेकिन अब उनकी सास ने नहीं रहा गया , उन्होंने धक्का देकर दामाद को पलंग पर पटक दिया , और खुद ऊपर
कुछ ही देर में दामाद का खूंटा , उनकी बुर में और अपनी नज़रों से उन्होंने बरज दिया था
अब हिलना मत , जो कुछ करुँगी मैं ,
मैं करुँगी तू करवाएगा ,
और फिर क्या धक्के मारे उन्होंने ,
किसी कच्ची उमर वाली कुँवारी की सील तोड़ते समय कोई चोदू मर्द भी उत्ते जोर जोर से धक्के नहीं मारता होगा ,
सास ने उनके दोनों कंधे जोर से दबोच रखे थे ,
और हर दूसरे तीसरे धक्के में पूरा का पूरा खूंटा उनके अंदर होता था ,
फिर वो बिना हिले डूले ,
सिर्फ आगे पीछे हिल हिल कर अपने दामाद का खूंटा अपनी बिल में ,
और उसके बाद फिर धक्के पर धक्के ,
८-१० मिनट तक इसी जब्बरदस्त अपने दामाद को चोदने के बाद ,
एक बार जब पूरा खूंटा उनके अंदर था वो रुकी और दामाद के दोनों हाथ पकड़ कर सीधे अपने जोबन पर
और जब उनके दामाद ने कस के मसलना रगड़ना शुरू किया , ... तो
वो जोर से मुस्करायीं ,,
और मैं समझ गयी उनकी ऐसी की तैसी होने वाली है ,
वही हुआ ,
और उनके चेहरे पर उनकी हालत देख कर किसी तरह मुस्कान रोकी मैंने ,
मैं समझ गयी थी क्या हो रहा है ,
नट क्रैकर ,
किसी संस्कृत के कामशास्त्र से , ... थोड़ी बहुत मम्मी से मैंने भी सीखा था , (मम्मी के पास पूरा संकलन था , और कुछ तो बहुत ही दुर्लभ , मूल संस्कृत में )
और जितना सीखा था उतने से ही इनकी हालत मैं खराब कर देती थी ,
योनि में लिंग को पकड़ के कस के भींचना ,
एकदम जैसे कोई निचोड़ ले , पूरी ताकत से , इसके लिए केजल एक्सरसाइज से योनि की मसल्स एकदम टाइट और पावरफुल रहती हैं ,
लेकिन मम्मी तो अल्टीमेट , ...
जैसे अजगर दबोच कर हड्डी हड्डी तोड़ देता है , एकदम वैसे , ...
योनि का अंतिम भाग जब सुपाड़े को कस के निचोड़ता है तो हिस्सा नामरमल रहता है , उसके बाद का हिस्सा जब लिंग के बीच के भाग को दबोचता है तो निचला भाग ढीला हो जाता है , और फिर उसी तरह जब लिंग का बेस सिकोड़ जाता है , बाकी हिस्सा ढीला हो जाता है ,
मम्मी लेकिन इतनी तेजी से करती थीं ये की एक वेव की तरह ,
कोई दूसरा होता तो दो मिनट में पानी फेंक देता , लेकिन ये तो उनके दामाद थे ,
पर उनके दामाद भी समझ गए थे की बिना सास की इज्जाजत के कुछ नहीं होने वाला था , ...
उन्होंने लाख कोशिश की , अपने चूतड़ पटके , नीचे से धक्का लगाने की कोशिश की ,
सास को अपनी ओर पकड़ कर खींचने की कोशिश की ,
लेकिन कुछ नहीं , ...
" स्साले , मंम्मी सही कह रही हैं , बड़ा मजा आएगा जब जिस भोंसडे से निकला है उसी में घुसेगा "
बीच बीच में बगल में बैठी मैं अपना इनपुट भी दे रही थी , आग में घी डाल रही थी , मैंने और उकसाया ,
" जल्दी से हाँ बोल दे , वरना न मम्मी की मिलेगी न मेरी "
बस उन्होंने हाँ बोल दी , पर मैं इतनी आसानी से नहीं छोड़ने वाली थी मैं अब मम्मी से बोली ,तेरी
" बस एक बार आपका दमाद मादरचोद बन गया न ,... "
और जैसा की मम्मी की आदत थी , मेरी बात काट कर अपने दामाद की ओर से बोलना , बस वही ,
" मादरचोद बनेगा क्या , है ही , पक्का पैदायशी मादरचोद , ... मेरे तेरे दोनों के सामने , ... "
" बस एक बार उसके बाद ,देखना एक से एक रसीले भोंसडे ,... तेरी बुआ चाची ,मौसी सब , कोई भी नहीं बचेंगी सब की लेनी पड़ेगी , ... "
मैंने और बात बढ़ाई।
मंम्मी सिर्फ उन्हें देख कर मुस्करा रही थी और अपनी बुर से उनके लंड को कस के निचोड़ रही थीं ,
फिर प्यार से एक हल्का चांटा मारते हुए बोलीं ,
" बोल अपनी माँ के भँड़ुये , चोदेगा न। "
" हाँ , ... "
मुस्कराते हुए वो बोले , और अबकी मम्मी का चांटा पूरी तेजी से उनके गाल पर पड़ा ,
" स्साले , खुल के बोल "
" हां , मैं अपनी माँ चोदूगा , हचक ह्च्चक के पेलुँगा अपना लंड। "
अबकी वो खुल के बोले पर मम्मी इत्ती आसानी से थोड़े छोड़ने वाली थीं ,
आज वो उन की सारी शरम ख़तम करने वाली थीं जिससे जब वो अपनी समधन को फुसला के पटा के यहाँ ले आएँगी ,
उसी रात में अपनी समधन पर उनके बेटे को चढ़ा दें , और एक दो बार नहीं , जबतक मेरी सास यहाँ रहें तब तक , रोज लगातार ,
मम्मी अभी भी नहीं मानी , बोली ,
स्साली रंडी छिनार का नाम ले कर बोल , ,
मुझे अपने कान पर विश्वास नहीं हुआ , ...
वो मेरी सास का नाम ले ले कर बोल रहे थे , ...
और मम्मी ने ऊपर से धक्के लगाने शुरू कर दिए ,
धीरे मम्मी ने चोदने की रफ़्तार बढ़ाई , साथ में इंस्ट्रक्शन ,
स्साले अगर मेरी समधन को तेरी गालियां बंद हुयी न , तो मैं न सिर्फ रुकूंगी , बल्कि तुझे न सास मिलेगी , न माँ , चल बोल मादरचोद ,
मान गयी मैं मम्मी को ,
कोई भी गाली बची नहीं थी जो अपनी माँ को वो नहीं दे रहे थे ,
रंडी , छिनार , गदहा चोदी , कुत्ता चोदी ,
कुछ गालियां तो उन्होंने मम्मी से सीखीं थी ,
मम्मी उनसे उनकी माँ के बारे में बिना गाली के बात नहीं करती थीं ,
पर कुछ में तो उन्होंने हद पार कर दी , आज रात में जब उनकी सास बनी जो कुछ थोड़ी फैंटेसी ,
थोड़ी लगा बढ़ा के बातें कर रही थीं , वो सब उन्होंने सच मान लिया था और वो जोड़ के ,
" अपने भाई से मामा से राखी के दिन फड़वाती हो , ..आओ अबकी तेरे भोंसडे को , ... "
मम्मी इत्ती खुश हुईं की झुक के उनके गाल चूम लीं और हलके हलके अब वो नीचे से धक्के उन्हें मारने दिया ,
मैं चुपचाप बैठी देख रही थी , सास दामाद की काम क्रीड़ा और उम्मीद कर रही थी की जल्द ही माँ बेटा की भी ऐसी ही , ...
लेकिन मुझसे नहीं रहा गया , उनके गाल पर जोर से पिंच करती बोली
" अरे स्साले बहनचोद , तेरे मामा ने तेरी माँ चोद दी , तो तू अबकी जब अपने मायके जाएगा तो उसकी बेटी चोद लेना। "
वो जोर से मुस्कराये और जैसे मेरी बात की हामी भरते हुए नीचे से अपनी सास की बुर में पूरी तेजी से धक्का मारा जैसे अपनी ममेरी बहन , गुड्डी की कच्ची कसी चूत में लंड पेल रहे हों ,
फिर तो दोनों ओर से धक्का पेल चुदाई ,
लेकिन मम्मी ऊपर ही रहीं , आधे घंटे से भी ज्यादा , बिना रुके ,
न नीचे से उनके धक्के रुक रहे थे न ऊपर से उनकी सास के धक्के , ...
बीच बीच में उनकी सास कभी अपने बड़े बड़े जोबन अपने दामाद की छाती पर रगड़ देतीं तो कभी अपनी बुरिया में लंड को दबोच कर निचोड़ देती
और उनके दामाद अपनी माँ को लगातार गाली , एक से एक ,...
लेकिन झड़ी वो दामाद से पहले , ...
और कैसे झड़ी एकदम बार बार , पूरी देह उनकी काँप रही थी , जैसे तूफ़ान में पत्ता ,
और साथ में ये भी , .... बार बार , अपनी पिचकारी अपनी सास की बुर में , ...
बाहर रात की कालिख पुंछ रही थी , पूरब से हलकी हलकी लालिमा की हलकी सी झलक दिख रही थी ,
तीन राउंड चोदा उन्होंने मेरी सास बनी अपनी सास को , और वो भी खुल के बोल के।
रोल प्ले खत्म हुआ जब सुबह वो बेड टी ले के आये ,