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Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

motaalund

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कई बार डिब्बे में भी बहुत रस लगा रहता है तो डिब्बे को भी निचोड़ना होगा और मंजू बाई है न डिब्बे को निचोड़ने के लिए
निचोड़ने के लिए ऊपर दोनों थन है ना....
 

motaalund

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एकदम रस पिलाने के लिए तो ये व्याकुल हैं, मिसेज मोइत्रा के मुंहबोले दामाद

और ये सास,सास में एकदम फर्क नहीं करते, चाहे मेरी हों या इनकी,... और मंजू तो और आग लगाएगी, फिर आगबुझाने का यंत्र लेकर,... माँ बेटी जब दोनों रस ले लेंगी न तो फिर वो जो कहते हैं

मेलोडी खाओ खुद जान जाओ ,... लेडीज क्लब में हम लोगों से बढ़कर वो
अभी खाना चढ़ा है .. चूल्हे पर...
मंजू अपनी आंच से और सुलगाकर..
जब कढ़ी में उबाल आनी शुरू हो तो फिर...
आपके साजन आकर सबकुछ संभाल लें...
फिर तो नॉन फैमिली स्टेशन पर मिस्टर मोइत्रा का कार्यकाल और बढ़ाने की सिफारिश मिसेज मोइत्रा खुद करेंगी...
 

motaalund

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एक्सप्रेसवे ८ लेंन वाली फर्राटे से गाड़ी दौड़ेगी, मेहनत करनी पड़ेगी इनको पर दामाद बने हैं तो सास का फायदा तो करना होगा, और अभी अपनी मुंहबोली सास के साथ बाद में मेरी सास के साथ
एक्सप्रेसवे पे इकट्ठी एक साथ कई गाड़ियां दौड़ती रहती हैं....
 

motaalund

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नगमा की कुछ भूमिका तो होगी कहानी में पर क्या होगा कैसे होगा ये सब अभी सस्पेंस है क्योंकि वो सब पोस्ट्स मैंने लिखी नहीं पर और कई बार कहानी में सरप्राइज टर्न न हो तो मजा नहीं आता

तो बस जुड़े रहिये कहानी के साथ
जिस चीज की आशा ना हो..
और अकस्मात हो जाए...
तो मजा दोगुना नहीं... बल्कि कई गुना बढ़ जाता है....
 

motaalund

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जोरू का गुलाम भाग १८५

रसगुल्ले - मिसेज मोइत्रा के





Last Update on this thread on page 760
ये काया भी तो खूबसूरत और निराली है ..
और बंगाली रसगुल्ले तो... एकदम लज्जतदार... नरम... मुलायम .. जायकेदार...
 

motaalund

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मिलेगा मिलेगा

जैसे उनके बेटियों को उस मोटे कड़ियल नाग की फोटो देख के पिघला दिया आज स्कूल से लौटने के रास्ते में

वैसे ही बेटियों की माँ को भी उस मोटे तगड़े सांप की फोटो दिखा के और मंजू भी उन्हें बता बात के आग भड़का रही है,... बिना मिसेज मोइत्रा को साधे बेटियों को संस्कारी से सुसंस्कारी बनाना मुश्किल है,
मिसेज मोइत्रा तो बहुत दिनों की प्यासी...
उनको तो जरा सी शह की जरूरत है...
फिर तो खुल्लम--खुल्ला...
 
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