और छुटकी बहिनिया भी....नगमा कहानी में वापस आएगी, लेकिन कब कैसे कहाँ ये भविष्य में पता चलेगा।
और छुटकी बहिनिया भी....नगमा कहानी में वापस आएगी, लेकिन कब कैसे कहाँ ये भविष्य में पता चलेगा।
निचोड़ने के लिए ऊपर दोनों थन है ना....कई बार डिब्बे में भी बहुत रस लगा रहता है तो डिब्बे को भी निचोड़ना होगा और मंजू बाई है न डिब्बे को निचोड़ने के लिए
अभी खाना चढ़ा है .. चूल्हे पर...एकदम रस पिलाने के लिए तो ये व्याकुल हैं, मिसेज मोइत्रा के मुंहबोले दामाद
और ये सास,सास में एकदम फर्क नहीं करते, चाहे मेरी हों या इनकी,... और मंजू तो और आग लगाएगी, फिर आगबुझाने का यंत्र लेकर,... माँ बेटी जब दोनों रस ले लेंगी न तो फिर वो जो कहते हैं
मेलोडी खाओ खुद जान जाओ ,... लेडीज क्लब में हम लोगों से बढ़कर वो
ताकि स्कूल.. कॉलेज, पास पड़ोस में चाहनेवालों का सामना अच्छे से कर सकें..बड़ी दी का काम ही है उन्हें बच्ची से बड़ी करना
एक्सप्रेसवे पे इकट्ठी एक साथ कई गाड़ियां दौड़ती रहती हैं....एक्सप्रेसवे ८ लेंन वाली फर्राटे से गाड़ी दौड़ेगी, मेहनत करनी पड़ेगी इनको पर दामाद बने हैं तो सास का फायदा तो करना होगा, और अभी अपनी मुंहबोली सास के साथ बाद में मेरी सास के साथ
जिस चीज की आशा ना हो..नगमा की कुछ भूमिका तो होगी कहानी में पर क्या होगा कैसे होगा ये सब अभी सस्पेंस है क्योंकि वो सब पोस्ट्स मैंने लिखी नहीं पर और कई बार कहानी में सरप्राइज टर्न न हो तो मजा नहीं आता
तो बस जुड़े रहिये कहानी के साथ
ये काया भी तो खूबसूरत और निराली है ..
इस मजे के लिए....दोनों तरस रहे हैं
मिसेज मोइत्रा तो बहुत दिनों की प्यासी...मिलेगा मिलेगा
जैसे उनके बेटियों को उस मोटे कड़ियल नाग की फोटो देख के पिघला दिया आज स्कूल से लौटने के रास्ते में
वैसे ही बेटियों की माँ को भी उस मोटे तगड़े सांप की फोटो दिखा के और मंजू भी उन्हें बता बात के आग भड़का रही है,... बिना मिसेज मोइत्रा को साधे बेटियों को संस्कारी से सुसंस्कारी बनाना मुश्किल है,