Black horse
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अभी कुछ कुछ देती रहो, वर्ना गडबड़ होने की पूरी संभावना हैअरे जबरदस्त दावत होगी , बहुत जल्द।
अभी कुछ कुछ देती रहो, वर्ना गडबड़ होने की पूरी संभावना हैअरे जबरदस्त दावत होगी , बहुत जल्द।
Mammi kab Aaye giमॉम के दामाद
ये मम्मी का काम कर रहे थे ,और लैपी पर इनका काम मैं कर रही थी।
और मम्मी की कुछ कहने की जरुरत नहीं थी ,
वो मम्मी की बॉडी लैंग्वेज , आँख के इशारे से ही समझ जाते थे , और मेरी मम्मी भी न ,
उन्हें कुछ फर्क नहीं पड़ता था दिन है या रात।
हम लोग बेड रूम में हैं या लिविंग रूम में या यहाँ तक की किचेन में , ...
और ये भी नहीं की कोई आ जाएगा ,
वो झिझक , हिचक जो मैं सपने में भी नहीं सोच सकती थी , सब उन्होंने छुड़ा दी थी ,
मैं देख रही थी थी कितनी मस्ती से वो अपनी सास की गांड चाट रहे थे ,
सीधे छेद के अंदर उनकी जीभ थी ,
चूत चटोरे तो ये शुरू से थे , लेकिन अब मम्मी ने इन्हे पक्का गांड चट्ट भी बना दिया था ,
और वो भी जबतक इनकी जीभ गाँड़ के अंदर दो ढाई इंच नहीं घुस जाती थी ,
तब तक , गाली तो छोड़िये ,
चटाक चटाक , स्पैंकिंग भी ,...
और एक और परेशानी की बात इनके लिए होती थी , मम्मी इनसे कुछ ही कहती , एक ग्लास पानी लाने को ही ,
इनका खूंटा तनना शुरू हो जाता , ...
और गांड चाटते समय तो एकदम लोहे का रॉड , ... लेकिन मम्मी उसे देख कर अनदेखा कर देती ,
और कुछ दिन बाद मैं समझी उन की ट्रिक ,
इसी बहाने उन के खूंटे को आदत हो गयी , घंटो तने रहने की खड़े रहने की , ...
ये नहीं की कुछ देर बाद झंडा झुकने लगा ,
आज मम्मी कुछ ज्यादा ही जोश में थीं , शायद समधन से बात का असर , रगड़ रगड़ के , ...
फिर सोफे से उतर कर , वहीँ ,
वो मम्मी का इशारा समझ गए ,
ड्राइंग रूम में फर्श पर ही कारपेट पर वो लेट गए और मम्मी एक बार फिर से उनके ऊपर चढ़ गयी ,
क्या कोई लड़का किसी लड़की का मुंह चोदेगा अपने लंड से ,
जिस तरह मम्मी अपनी गांड और बुर से उनके मुंह को चोद रही थीं ,
और वो बिना रुके चाट रहे थे , चूस रहे थे ,
खूंटा एकदम तना ,
मम्मी ने झुक के अपने हाथ से तने लंड को थोड़ी देर तक मसला , रगड़ा , ...
फिर वैसे ही छोड़ दिया , ...
दो बार मम्मी झड़ी तब जाके उनके ऊपर से उठीं ,
मम्मी ने झड़ने के बाद ही छोड़ा इनको।
कंप्यूटर बंद करके मैं सुबह के बारे में सोच रही थी ,
जब मॉम ने उनसे और मेरी सास से डायरेक्ट इंटरैक्शन करवा दिया था ,और मेरी चमक गयी।
…….
यही ट्रिक तो मैं उनकी छुटकी बहिनिया और अपनी छिनार ननदिया के साथ भी तो कर सकती थी ,
और बस अब तीन दिन ही तो बचे थे , भाई बहन की स्क्रिप्ट चालू होने में।
परसों सुबह मम्मी चली जाएंगी और उसके अगले दिन हम लोग उनके मायके , मेरे मन में उसकी बातें अभी फांस की तरह चुभती थी ,
" आप क्या जानेगी , मेरे भैय्या हैं मैं इतने दिनों से जानती हूँ इनको। "
" अरे भाभी आप आम खा रही है ,मेरे भैया तो इसका नाम भी नहीं सुन सकते , इत्ती चिढ है ,
अच्छी तरह से ब्रश करके जाइयेगा , माउथ वाश भी , न हो तो कुछ सौंफ वौंफ भी , ...अरे मुझसे पूछ लेती न पहले ,
मैं बता देती आपको। "
अब पता चलेगा ,
जब उसकी कच्ची अमिया चखाउँगी उन्हें।
थोड़ी उसकी मर्जी से थोड़ी जबरदस्ती ,बल्कि ज्यादा जबरदस्ती।
तभी वो लौटे तैयार होके ,सेकेण्ड हाफ में में आफिस जाना था उन्हें।
और मुझे फिर से समधन- समधन की और उनकी मेरी सासू से सुबह की फोन वार्ता याद आयी ,
और मैंने उनकी ओर फोन बढ़ा दिया ,
" हे ज़रा उस एलवल वाली को फोन लगाओ न "
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Mammi kab Aaye gi