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जोरू का गुलाम भाग २४२, 'कीड़े' और 'कीड़े पकड़ने की मशीन, पृष्ठ १४९१
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Really sad to see the changed plotline of story. Original was such a erotica. Though , though you have managed very well. If not on Xforum
There's no question about erotica. You are a gem.I know, others too. That's why people follow you no matter where you post.
About story, I am reading it again.
मेरा पति सिर्फ मेरा है
मैं जोर जोर से चूस रही थी , चाट रही थी।
मेरे गुलाबी रसीले होंठ इनके मोटे कड़े मूसल पे रगड़ते हुए ,
घिसते हुए ,दरेरते हुए , इनके लंड का मजा ले रहे थे
सच में मस्त लंड है मेरे सैयां जी का तभी तो साली सब इनकी मायकेवालियाँ ,...
वो भी मेरे सर को पकड़ के प्रेस कर रहे थे , और धीमे धीमे मेरे हलक तक
हचक हचक कर , पूरी ताकत से मुंह चोद रहे थे ,मेरा।
चाहे बुर चोदने की बात हो या मुंह दोनों में अव्वल।
डीप थ्रोट में मजा तो बहुत आता है जब हलक तक मोटा सुपाड़ा रगड़ रगड़ कर ,
लेकिन थोड़ी देर में मेरे गाल दुखने लगे , और मैंने लंड मुंह से बाहर निकाल लिया।
लेकिन इतना मोटा कड़ा मस्त लंड मैं ऐसे थोड़े ही छोड़ने वाली थी।
अब मुंह में ढेर सारा थूक लेके , मैंने लंड के बेस पर लगाया , और लगी साइड से लिक करने।
झंडा एकदम खड़ा था।
और फिर उनकी फेवरिट चीज,
मैंने अपने गुलाबी मखमली होंठों के बीच एक बाल लेकर
हलके हलके चूसना चुभलाना शुरू किया ,बीच बीच में मेरी शरारती जीभ की नोक उनके बाल को छेड़ देती।
वो सिसक रहे थे ,तड़प रहे , चूतड़ पटक पटक कर , मस्ती ,
आई लव यू मेरे सोना , आज कित्ती हेल्प की तुमने मेरी जेठानी जी का ,...
बस दो चीज और ,...
और अपनी बात अधूरी छेड़ कर मैंने उनकी दूसरी बाल गड़प कर ली
और पहले से भी तेज चूसने चुभलाने लगी।
लेकिन मेरी बात अनसुनी करना , पहली रात से मैंने देखा था ,
वो सोच भी नहीं सकते थे।
कौन सी दो बात, उन्होंने पूछ लिया .....
लेकिन मेरे मुंह में तो उनकी बाल ,
अब इतना मस्त रसगुल्ला कौन छोड़ता।
कुछ देर चूसने चुभलाने के बाद , उनके सुपाड़े को लिक करते हुए मैंने उनकी आँखों में आँखे डालकर देखा ,
" तेरी भौजी को मटन बिरयानी बहुत पसंद आयी न ,लेकिन तुम्हारी बनायी बिरयानी के आगे तो ये एकदम बेकार ,... "
किस मर्द को अपने बनाये खाने की तारीफ़ पसंद नहीं ,और खैर ये बनाते भी बहुत अच्छा हैं ,सारी नान वेज डिशेज।
उन्होंने हामी में सर हिलाया तो मैंने पत्ता फेंका ,
मैं भूल नहीं सकती थी , " इस रसोई में तो लहसुन प्याज तक नहीं आता ,... "
"अपने हाथ से यहीं बना के अपनी भौजाई को खिलाओ न , वो स्पेशल वेज बिरयानी इम्पोर्टेड पनीर वाली। "
हम दोनों देर तक खिलखिलाते रहे , ही ही ही ही।
पर उन्होंने एक सवाल दाग दिया ,
" लेकिन तेरी जेठानी के सामने ,कैसे? "
" ये चिंता तू मेरे ऊपर छोड़ दे , मैं उन्हें लेके पांच छह घंटे के लिए चली जाउंगी न और तुम जब ऑल लाइन क्लियर का मेसेज दोगे ,उसके बाद ही ... "
" तब तो कोई प्राबलम नहीं है " खुश होते हुए वो बोले।
लेकिन एक प्राबलम मेरी दिमाग में घुस गयी ,
" तुझे मालूम है यहां मटन वटन कहाँ मिलता है ?"
" एकदम खाता नहीं तो क्या , ... देखा तो है , मटन चिकेन पोर्क फिश और सब ताज़ी अपने सामने कटवाकर , ... "
उन्होंने जवाब दे दिया।
मारे ख़ुशी के अपनी दोनों कड़ी कड़ी गदरायी चूँचियों के बीच उनका लंड लेकर , कसर मसर
…………………………….
टिट फक,चूँची चोदन