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तिझरिया - काम और काम,
इन लोगों को न ' काम ' के मारे ही फुर्सत नहीं, एक काम वही पेट के थोड़ा नीचे वाला, और सच बोलूं तो उस ' काम' के लिए तो मेरा इनसे भी ज्यादा मन करता था, लेकिन दूसरा काम भी था वो आफिस वाला और जिससे छुट्टी में भी छुट्टी नहीं थी. हम लोग हफ्ते भर की छुट्टी लेकर आये थे, पर मेल. व्हाट्सऐप से यहाँ भी छुट्टी नहीं थी और वो काम अगर सात समुंदर पार से आये , ग्लोबल हेडक्वार्टस से तो फिर तो,
हम लोग खाना खा के ऊपर आये, क्या मस्त स्साला मौसम था, मेरा बस चलता तो अपनी छुटकी ननदिया के यार को उसी समय पटक के चोद देती, बाहर सावन भादों की झड़ी लगी थी, खुली खिड़की से ठंडी ठंडी बारिश की भीगी भीगी हवा आ रही थी, पेड़ मस्ती से झूम रहे थे,...
पर, वही मेल और काम,
मेल छोटा सा था लेकिन बड़ा खोटा उन्हें शाम तक एक असेसमेंट करके भेजना था एक मीडियम टर्म, कौन सी कम्पनी इनकी कम्पनी के बिजनेस में घुसने की कोशिश करेगी, अगले पांच छ महीने में,
असल में इनकी कंपनी यहीं इण्डिया में इनकॉरपोरेटेड जरूर थी , लेकिन नाम वही एम् एन सी वाला, बस ब्रैकेट में इण्डिया , दूसरी बात ये थी की इनकी कंपनी की मोस्टली शेयर होल्डिंग इनकी पैरेंट कम्पनी की या कुछ शेल कम्पनी जो इनकी कम्पनी की ही थीं उनका था , लेकिन ४९ % से ज्यादा किसी फॉरेन कम्पनी की नहीं हो सकती थी, इसलिए,...
और काम बड़ा झंझटिया,... कोई कम्पनी इनकी कम्पनी के फील्ड में आएगी तो ऐसे गाजे बाजे के साथ तो आएगी नहीं, फुल पेज एडवर्टिजमेंट तो छापेगी नहीं , पहले से ही पूरी स्ट्रेटजी बना के और ज्यादा से ज्यादा हफ्ते दस दिन , तो कैसे पता चलेगा,
हम दोनों ने कुछ अपना मगज अस्त्र चलाया और कुछ विदेशी सहायता भी ली, इनकी सास और मेरी एक सहेली की जो कारपोरेट वर्ड को रिपोर्ट करती थी , एक बिजनेस जर्नल में ,...
सबने यही कहा की जो कोई आएगा उसे फाइनेंस या इंफ़्रा की जरूरत तो पड़ेगी नहीं , लेकिन स्टाफ मिडल और हायर लेवल के उन्हें जरूरत पड़ेगी, और अगर इनकी कम्पनी से लोग नहीं टूटेंगे , तो मार्केट से , पर वो लिंक्ड इन या मॉन्स्टर डॉट कॉम पर तो एडवर्टाइज नहीं करेंगे, मेरी बिजनेस न्यूज वाली फ्रेंड ने कुछ हेड हंटर्स को फोन घुमाया और सीधे से नहीं लेकिन घुमा फिर के जो मालूम पड़ा वो इनके काम शुरू करने के लिए काफी था,
पर एक झंझट और, नेट का,... घर में ब्रांड बैंड था लेकिन बहुत ही स्लो
मजबूरन इन्हे बाहर एक साइबर कैफ़े में जाना पड़ा,
मैं पेट के बल लेटी बारिश के फुहारों का मज़ा ले रही थी की अचानक पिछवाड़े जोर की चिलख उठी, ...
बहुत तेज दर्द उठा, स्साले ने कल रात जो बरसती रात में गाँड़ मारी थी कल रात, लगता है कहीं अंदर छिल गया था, ... ये मेरी ननद का यार न इससे इसकी बहनों की , भाभी की महतारी की गाँड़ अपने सामने न मरवाई तो,...
सच में जान निकल गयी थी अब तक चिलख उठ रही है लेकिन मजा भी खूब आया,
मैं पेट के बल लेटी थी ताकि पिछवाड़े को कुछ आराम आये पर मन में उन्ही की बातें घूम रही थी , वही जो मेल आया था और तभी मेरी चमकी, इनके साथ रह रह के मेरे दिमाग में भी इनकी कंपनी का एक अक्श बन जाता था,
पेट के बल लेटे लेटे मैंने मोबाइल में ढूँढ़ने की कोशिश की एकाध जगह फोन घुमाया और मेरे दिमाग में रह रह के कुछ कौंध सा रहा था,
मुझसे रहा नहीं गया , और मैंने उन्हें फोन घुमा दिया, और बोली की एक बात और मेरे दिमाग में घूम रही है , हो सकता है कोई सीधे न आये बल्कि आड़े तिरछे, जैसे अभी वाल मार्ट ने फ्लिप कार्ट के साथ किया ,... तो हम लोगों की की कम्पनी की जो बिजनेस स्ट्रेंथ है , ... हो सकता है कोई यूनिकॉर्न हो, स्टार्ट अप और कोई ग्लोबल इन्वेस्टमेंट बैंकर उसे फंड कर के खड़ा कर रहा हो, और बाद में कोई और उसे एक्वायर कर के,... और तुम लोग उसे स्टार्ट अप समझ कर...
वो सुनते रहे , खूब ध्यान से, ... और फिर मैंने दूसरी बात भी बताई,
रेगुलेटरी मेकेनिज्म , किसीने कम्पटीशन कमीशन से शिकायत की है और सेबी से , मिनस्ट्री आफ कारपोरेट अफेयर्स में भी , सब को मालूम है वो लोग टुंटपुंजिये हैं लेकिन अगर उनके पीछे,... तो उससे भी कुछ अंदाज लग सकता है,...
तो हेड हंटर्स से जो बात उनकी भी हुयी थी और भी चार पांच सुराग,...
बस मैं अभी रिपोर्ट ख़तम करके आता हूँ ,...
मैं समँझ रही थी इनका अभी दो चार घंटे के पहले ख़तम नहीं होने वाला, मैं बाहर बनाते बिगड़ते खरगोश से बादलों को देख रही थी,... बारिश जो आग लगा रही थी,
तेरी दो टकिया की नौकरी मेरा लाखों का सावन जाए,...
नींद तो आ नहीं रही थी , हाँ मोबाइल में पन्ने पलट रही थी, उस रात की तस्वीरें स्टिल भी, वीडियो भी,... मुस्करा रही थी,
और एक बार मैं यादों के मंजर में उलझ गयी मेरे दोनों जीजू , मेरी बड़ी बहन और ये,...
इन लोगों को न ' काम ' के मारे ही फुर्सत नहीं, एक काम वही पेट के थोड़ा नीचे वाला, और सच बोलूं तो उस ' काम' के लिए तो मेरा इनसे भी ज्यादा मन करता था, लेकिन दूसरा काम भी था वो आफिस वाला और जिससे छुट्टी में भी छुट्टी नहीं थी. हम लोग हफ्ते भर की छुट्टी लेकर आये थे, पर मेल. व्हाट्सऐप से यहाँ भी छुट्टी नहीं थी और वो काम अगर सात समुंदर पार से आये , ग्लोबल हेडक्वार्टस से तो फिर तो,
हम लोग खाना खा के ऊपर आये, क्या मस्त स्साला मौसम था, मेरा बस चलता तो अपनी छुटकी ननदिया के यार को उसी समय पटक के चोद देती, बाहर सावन भादों की झड़ी लगी थी, खुली खिड़की से ठंडी ठंडी बारिश की भीगी भीगी हवा आ रही थी, पेड़ मस्ती से झूम रहे थे,...
पर, वही मेल और काम,
मेल छोटा सा था लेकिन बड़ा खोटा उन्हें शाम तक एक असेसमेंट करके भेजना था एक मीडियम टर्म, कौन सी कम्पनी इनकी कम्पनी के बिजनेस में घुसने की कोशिश करेगी, अगले पांच छ महीने में,
असल में इनकी कंपनी यहीं इण्डिया में इनकॉरपोरेटेड जरूर थी , लेकिन नाम वही एम् एन सी वाला, बस ब्रैकेट में इण्डिया , दूसरी बात ये थी की इनकी कंपनी की मोस्टली शेयर होल्डिंग इनकी पैरेंट कम्पनी की या कुछ शेल कम्पनी जो इनकी कम्पनी की ही थीं उनका था , लेकिन ४९ % से ज्यादा किसी फॉरेन कम्पनी की नहीं हो सकती थी, इसलिए,...
और काम बड़ा झंझटिया,... कोई कम्पनी इनकी कम्पनी के फील्ड में आएगी तो ऐसे गाजे बाजे के साथ तो आएगी नहीं, फुल पेज एडवर्टिजमेंट तो छापेगी नहीं , पहले से ही पूरी स्ट्रेटजी बना के और ज्यादा से ज्यादा हफ्ते दस दिन , तो कैसे पता चलेगा,
हम दोनों ने कुछ अपना मगज अस्त्र चलाया और कुछ विदेशी सहायता भी ली, इनकी सास और मेरी एक सहेली की जो कारपोरेट वर्ड को रिपोर्ट करती थी , एक बिजनेस जर्नल में ,...
सबने यही कहा की जो कोई आएगा उसे फाइनेंस या इंफ़्रा की जरूरत तो पड़ेगी नहीं , लेकिन स्टाफ मिडल और हायर लेवल के उन्हें जरूरत पड़ेगी, और अगर इनकी कम्पनी से लोग नहीं टूटेंगे , तो मार्केट से , पर वो लिंक्ड इन या मॉन्स्टर डॉट कॉम पर तो एडवर्टाइज नहीं करेंगे, मेरी बिजनेस न्यूज वाली फ्रेंड ने कुछ हेड हंटर्स को फोन घुमाया और सीधे से नहीं लेकिन घुमा फिर के जो मालूम पड़ा वो इनके काम शुरू करने के लिए काफी था,
पर एक झंझट और, नेट का,... घर में ब्रांड बैंड था लेकिन बहुत ही स्लो
मजबूरन इन्हे बाहर एक साइबर कैफ़े में जाना पड़ा,
मैं पेट के बल लेटी बारिश के फुहारों का मज़ा ले रही थी की अचानक पिछवाड़े जोर की चिलख उठी, ...
बहुत तेज दर्द उठा, स्साले ने कल रात जो बरसती रात में गाँड़ मारी थी कल रात, लगता है कहीं अंदर छिल गया था, ... ये मेरी ननद का यार न इससे इसकी बहनों की , भाभी की महतारी की गाँड़ अपने सामने न मरवाई तो,...
सच में जान निकल गयी थी अब तक चिलख उठ रही है लेकिन मजा भी खूब आया,
मैं पेट के बल लेटी थी ताकि पिछवाड़े को कुछ आराम आये पर मन में उन्ही की बातें घूम रही थी , वही जो मेल आया था और तभी मेरी चमकी, इनके साथ रह रह के मेरे दिमाग में भी इनकी कंपनी का एक अक्श बन जाता था,
पेट के बल लेटे लेटे मैंने मोबाइल में ढूँढ़ने की कोशिश की एकाध जगह फोन घुमाया और मेरे दिमाग में रह रह के कुछ कौंध सा रहा था,
मुझसे रहा नहीं गया , और मैंने उन्हें फोन घुमा दिया, और बोली की एक बात और मेरे दिमाग में घूम रही है , हो सकता है कोई सीधे न आये बल्कि आड़े तिरछे, जैसे अभी वाल मार्ट ने फ्लिप कार्ट के साथ किया ,... तो हम लोगों की की कम्पनी की जो बिजनेस स्ट्रेंथ है , ... हो सकता है कोई यूनिकॉर्न हो, स्टार्ट अप और कोई ग्लोबल इन्वेस्टमेंट बैंकर उसे फंड कर के खड़ा कर रहा हो, और बाद में कोई और उसे एक्वायर कर के,... और तुम लोग उसे स्टार्ट अप समझ कर...
वो सुनते रहे , खूब ध्यान से, ... और फिर मैंने दूसरी बात भी बताई,
रेगुलेटरी मेकेनिज्म , किसीने कम्पटीशन कमीशन से शिकायत की है और सेबी से , मिनस्ट्री आफ कारपोरेट अफेयर्स में भी , सब को मालूम है वो लोग टुंटपुंजिये हैं लेकिन अगर उनके पीछे,... तो उससे भी कुछ अंदाज लग सकता है,...
तो हेड हंटर्स से जो बात उनकी भी हुयी थी और भी चार पांच सुराग,...
बस मैं अभी रिपोर्ट ख़तम करके आता हूँ ,...
मैं समँझ रही थी इनका अभी दो चार घंटे के पहले ख़तम नहीं होने वाला, मैं बाहर बनाते बिगड़ते खरगोश से बादलों को देख रही थी,... बारिश जो आग लगा रही थी,
तेरी दो टकिया की नौकरी मेरा लाखों का सावन जाए,...
नींद तो आ नहीं रही थी , हाँ मोबाइल में पन्ने पलट रही थी, उस रात की तस्वीरें स्टिल भी, वीडियो भी,... मुस्करा रही थी,
और एक बार मैं यादों के मंजर में उलझ गयी मेरे दोनों जीजू , मेरी बड़ी बहन और ये,...