रोगन जोश
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"मुझे बस अब भुना गोश्त बनाना है, वो तो आधे घंटे के अंदर हो जाएगा, गुड्डी ने मसाले की तैयारी कर दी है।" उन्होंने साली की बात में बात मिलाई।
" मीठी भाभी, अभी भी डेढ़ घंटे करीब बचा है, " गुड्डी ने घडी देखते हुए रीनू से बोला,
किचन टीम जिसकी लीडर रीनू थी को तीन से साढ़े तीन घंटे का समय कमल जीजू ने दिया था
( असली खेल ये था की कमल जीजू को मालूम था की आज दोनों जीजू को, उन्हें और अजय जीजू को बारी बारी से,... तो आधे घण्टे से कम तो कोई लेता नहीं और बीस पच्चीस मिनट फॉर प्ले और बाद में,... तो वो जोड़ के उन्होंने तीन से साढ़े तीन घंटे का टाइम दे दिया था, उतनी देर तक उन की साली अकेले उन के और अजय के साथ )
" और स्वीट डिश तो मैं दस मिनट में बना लूंगी" गुड्डी चहक के बोली।

" जीजू मैंने सूना है की आप रोगन जोश बहुत अच्छा बनाते हैं तो आज आपके हाथ का " रीनू ने टॉपिक उठाया और उन्होंने तुरंत आब्जेक्शन लगाया
" अरे उसमें डेढ़ घंटे से कम थोड़े ही लगेगा "
लेकिन गुड्डी उनकी साली की असली चमची, अपनी मीठी भाभी की ओर से बोली,
" भैया, आप भी न आलसी, अरे अभी भी पूरे डेढ़ घंटे बचे हैं और कौन हम लोग मास्टर सेफ खेल रहे हैं, दस पांच मिनट चलता है "
" पर उसमें जितने मसाले लगते हैं पता नहीं कहा रखे होंगे, दूसरी बात मटन भी शोल्डर का ख़ास क्वालिटी का, नहीं हो पायेगा " उन्होंने फिर बहाना बनाया
लेकिन बहाना साली के सामने चल भी जाए,... बहन के सामने एकदम नहीं चल सकता था और वो बहन अगर गुड्डी जैसी हो, हर समस्या का जिसके पास जवाब हो,
गुड्डी सच में अपनी भाभी की असली ननद थी, जिसके पास हर सवाल का जवाब और हर बात का इलाज होता था। उसने मुझे जवाब नहीं दिया,
आज कल की लड़कियां, या तो उनकी उँगलियाँ पैंटी के अंदर अपनी चिकनी चमेली पर तेज तेज चलती हैं या मोबाईल पे, मिनट भर के अंदर, और मुझे खोल के दिखा दिया, मेरा मतलब मोबाइल और बोली
" देखिये आर्डर कर दिया ५०० ग्राम मटन और जो पीस आपको चाहिए थी वो भी अब कहिये तो बोल के सुना भी दूँ, "
और उस ने वो नंबर डायल ही किया था की उधर से आवाज आयी,
" यस संगीता जी, आप का आर्डर मिल गया है, एकदम रोगन जोश के लिए सही है शोल्डर कट, और साइज भी रोगन जोश के लिए, बस पक्का दस मिनट के अंदर लड़का आपके सामने होगा आर्डर के साथ "
" थैंक्स साजिद, आप हो तो चिंता नहीं है " कह के गुड्डी ने फोन काट दिया।
" बड़े यार हैं तेरे, रंडी रानी " रीनू ने चिढाया,
लेकिन गुड्डी ने अपने भैया के गाल पे चिकोटी काटते हुए मन की बात कह दी,
" मीठी भौजी, यार तो स्साला एक ही है, ये मैं तो दर्जा नौ से अपनी चिकनी चमेली फैला के बैठी थी, ये स्साला ललचाता था, लार टपकाता था, लेकिन बहिनिया की लेने के नाम पे पीछे
ये तो भला हो मेरी भौजी का इसका कल्याण हो गया, पहली रात मेरी अच्छी भाभी ने इसकी नथ उतारी और चलिए इंटर पास करने के जस्ट बाद मेरे भी इंटरकोर्स का इंतजाम कर दिया, वरना, तो यार तो एक ही है, मेरा भी. मेरी भाभी का भी, बाकी सब टाइम पास हैं "

और गुड्डी की डांट भी साथ में
" ज्यादा खुश होने की जरूरत नहीं है, दस मिनट में मटन आने तक सब प्रिपरेशन,... वरना नया बहाना लेकर खड़े हो जाओगे। "
और जिस तेजी से गुड्डी काम कर रही थी, रीनू से नहीं रहा गया, अपनी ननद को चिढ़ाती बोली,
" जिस तरह से तुम काम कर रही हो लगता है बावर्चियों के खानदान से हो, पहले तो मैं सोचती थी की रंडियों के, "
गुड्डी सिर्फ मुस्कराकर रह गयी, मसाले के डिब्बे से ६ खड़ी लौंग, १६ हरी इलायची,दो जावित्री, चार तेजपत्ता, एक दो इंच की दालचीनी की स्टिक, सारे मसाले, एक एक कर के पहले निकाले और उसे ये भी मालूम था की बने बनाये बजार के पिसे मसाले नहीं चलेंगे तो खरील लेकर, जीरा, धनिया और बाकी पिसे मसाले खुद कूटने पीसने लगी। और अपने भैया के लिए भी उसने काम पकड़ा दिया, प्याज लहसून और अदरक को चाप करने का।
रीनू भी गुड्डी की मदद कर रही थी और जबतक मटन आया, रोगन जोश की तैयारी गुड्डी और उसके भैया ने मिल के पूरी कर दी थी। गुड्डी के भैया ने एक पैन में मध्यम आंच में तेल में प्याज को एकदम सुनहरे होने तक हलके से तल कर रख दिया और उसमें थोड़ी सी दही मिला दी। ब्लेंड करने का काम गुड्डी ने किया और उस पेस्ट को अलग कर के रख दिया। गुड्डी साथ में ऐप पर मटन वाले को भी देख रही थी और बोली
" बस दो मिनट भैया, आने ही वाला है आप कढ़ाही चढ़ा दो "

और गुड्डी ने एक हैवी बॉटम वाली कढ़ाही अपने भाई को पकड़ा दी और साथ में देसी घी और मसाले, हरी इलायची, बड़ी इलायची, लौंग और दालचीनी। जैसे आपरेशन के समय नर्स सर्जन को चाक़ू पकड़ाती है एकदम उसी तरह से और उसी समय मटन वाला आ गया। और गुड्डी ने अपने हाथ से मटन कढ़ाही में,
" एकदम परफेक्ट है " गुड्डी के भैया मटन की क्वालिटी और पीसेज को देख के बोले
" एकदम आपकी बहन की तरह," बगल में चिपकी गुड्डी बोली और भैया के गाल पे एक मीठी सी छोटी सी चुम्मी ले ली।
शुरू में तो हर दो चार मिनट पर कुछ न कुछ, रीनू भी उन दोनों के साथ, कभी आंच धीमी करनी है जबतक हल्का ब्राउन न हो जाए, तो कभी पिसा मसाला डालना है, और ये सब काम गुड्डी ही कर रही थी। एक तो गीता ने गुड्डी को अच्छी तरह ट्रेंड कर दिया था दूसरे उसे अपने भइआ से चिपकने में मजा भी आता है,
" रतनजोत है क्या " कढ़ाही चलाते हुए उन्होंने पुछा
और गुड्डी ने झट से एक छोटी कटोरी में रखा रतनजोत जिससे रोगन जोश का लाल रंग आता आगे कर दिया।
लेकिन अब ज्यादातर काम इन्तजार का था क्योंकि उसे धीमी आंच पर पकना था और गुड्डी की शैतानी चालू हो गयी।
किचन के साथ-साथ .. सारे पोजीशंस का ज्ञान...
इसकी प्रतिभा तो बेजोड़ है....
सचमुच डॉक्टर बनने के काबिल...
क्या पता सेक्स स्पेस्लिस्ट हीं आगे बनना लिखा हो...