• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

motaalund

Well-Known Member
8,783
20,107
173
अरे ननद को भाभी नहीं सिखाएगी तो कौन सिखाएगी, दूसरे फायदा तो मेरे सोना मोना का ही हो रहा था, मजा तो मेरे बाबू के खूंटे को आ रहा था और एक बात और, मैं भी रीनू की तरह चाहती थी की ये भी गोल छेद के रसिया हो जाएँ, जीजा तो चार दिन की चांदनी होते हैं असली सुख तो पति के ही साथ है।
कभी कभी स्वाद बदलने के लिए...
जीजा देवर नंदोई...
 

motaalund

Well-Known Member
8,783
20,107
173
एकदम सही बात है तीन बहनों में सबसे छोटी होने का फायदा, एक साथ दो दो जीजू,

दोनों बहने, बचपन से चिढ़ाती थीं, " यार पहले तेरे ऊपर चीनू का मरद चढ़ेगा, रगड़ेगा, फाड़ेगा, फिर रीनू का, तेरे वाले को तो अच्छा खासा इस्तेमाल किया हुआ, खूब चौड़ा पोखर मिलेगा "

कहानी के शुरू में इस का कई बार जिक्र आया है और वो भी जवाब देना सीख गयी, " फायदा भी तो है, रीनू को सिर्फ एक जीजू, सबसे बड़ी चीनू को एक भी नहीं और मुझे दो दो "

और चीनू की शादी बाद में हुयी सबसे छोटी वाली की सबसे पहली, तो उसके सोना मोना को कच्ची कोरी, नयी नवेली ही मिली, हाँ शादी के बाद की बात और है।
भाग्य की बात है...
सील सील पर लिखा है तोड़ने वाले का नाम...
 

motaalund

Well-Known Member
8,783
20,107
173
एकदम कमल जीजू की असली पसंद

गोल दरवाजा

और वो भी छोटी साली का
रसिया तो पहले से थे...
लेकिन बीवी और मंझली साली ने पैक्ट के बारे में बताकर भड़का दिया होगा...
 

motaalund

Well-Known Member
8,783
20,107
173
जोबन का रस साली जीजा को नहीं देगी तो किसको देगी और जीजा अगर जोबन के रसिया हो तो फिर तो हर तरह का जोबन का स्वाद

यही तो है साली जीजा का रिश्ता
चिड़ी चोंच भर ले गई...
नदी न घटयो नीर.....
 

motaalund

Well-Known Member
8,783
20,107
173
Billkul man gae. Bat me logic to hai. Komaliya ke do do, reenu ko ek par chinu ko to ek bhi nahi. Maza aaya padhne me
सेकेंड हनीमून पर चीनू नेपाल के लिए इधर से कन्नी काट गई....
नहीं तो कोमल के सोना मोना को चीनू छोड़ती थोड़े हीं...
 

motaalund

Well-Known Member
8,783
20,107
173
पसंद अपनी अपनी

कमल जीजू को गोल दरवाजा पसंद है तो अजय जीजू को साली का जुबना

तो बस साली ने जीजू पर अपने जुबना लुटा दिए। जब उम्मीद से दूना मिले तो वही रिश्ता है साली जीजा का।
कभी कभी अप्रत्याशित भी...
 

motaalund

Well-Known Member
8,783
20,107
173

जोरू का गुलाम भाग २२७


गुड्डी रानी की रगड़ाई- किचेन में मस्ती


---

-------



27,73,899

बाहर निकल टेबल सेट करती हुयी गुड्डी को मैंने देखा तो उसकी हालत तो मुझसे भी खराब थी, रुक रुक के खड़ी हो जाती थी। रोकने पर भी सिसकी निकल जाती थी जैसे जोर की चिल्ख उठ रही हो, उसकी ये हाल उसके भैया और रीनू ने मिल के की थी।

क्या किया गुड्डी के भैया ने गुड्डी के साथ,

बस इतना बता सकती हूँ की जितना मेरे दोनों जीजू ने मिल के मेरी रगड़ाई की उससे बहुत ज्यादा, मेरे मरद ने मेरी ननद की रगड़ाई की। जैसा मैं चाहती थी उससे भी बहुत ज्यादा।

इसलिए तो मैं कहती हूँ, मेरा मरद, मेरा मरद है। सारी दुनिया एक तरफ, मेरा मरद अकेले,



---

गुड्डी, ये और रीनू के हवाले आज किचेन था और लंच की जिम्मेदारी।

और सबसे ज्यादा काम गुड्डी के जिम्मे,





इसलिए की गुड्डी के आने के बाद, गीता के लिए दरवाजा वही खोलती थी और गीता ने धीरे धीरे किचेन के काम के साथ झाड़ू पोछा, सफाई सब काम गुड्डी को पकड़ा दिया लेकिन सिखाया भी अच्छे ढंग से, तो किचेन में कौन सी चीज कहाँ रखी है, खड़े मसाले कहाँ है, पिसी धनिया किधर है,... सब गुड्डी को मालूम था।

हाँ, इस सीखने के बदले में रोज सुबह सुबह गुड्डी को, गीता की चुनमुनिया की सेवा करनी पड़ती थी, चूस चूस के चाट के और अब वो पक्की चूत चटोरी हो गयी थी। और इनाम में गीता की चाशनी और कभी कभी साथ में खारा शरबत निकल गया तो वो भी, ...लेकिन किचेन के मामले अब गुड्डी एकदम पक्की थी।

गुड्डी के भाई कम भतार ज्यादा, ये।

इन्होने तो अवधी और मुगलाई दोनों नान -वेज डिशेज का कोर्स कर रखा था और उससे भी बढ़ के इनकी सास ने इन्हे किचेन में कुछ स्पेशल डिशेज भी बनानी सिखा दी थीं और रीनू इसलिए की कंट्रोल तो उसी का होना था अपने जीजू और उनकी बहिनिया पे और उससे भी बढ़कर इसलिए की उसके जीजू ने, इन्होने अपनी साली से हैदराबादी बिरयानी बनाने की फरमाइश की थी।

बहुत निहोरा करवाने के बाद साली मान तो गयी लेकिन इस शर्त के साथ ये भी रहेंगे किचेन में उसके साथ और उनकी रंडी बहिनिया भी।



तो बस ये तीनो किचेन में और आते ही रीना ने हुकुम सुना दिया,

" जीजू, रंडियां क्या कपड़ों में अच्छी लगती हैं ? "


ये भी सिर्फ बॉक्सर शार्ट में थे, बहुत हो छोटा, आलमोस्ट ट्रांसपेरेंट, जो इनकी सास इनके लिए लायी थीं और ये अपना इनाम में जीता पिंक एप्रन पहन रहे थे, गुड्डी ने भी अपना एप्रन निकाल लिया था।

किस जीजू की हिम्मत होगी जो साली की बात काटे और ये तो रीनू के पक्के चमचे, तुम दिन को कहो रात तो रात कहेंगे टाइप। तुरंत रीनू की बात में हामी भरी,

"एकदम नहीं "

गुड्डी एक छोटे से टॉप और स्कर्ट में थी और टॉप के ऊपर वो अपना एप्रन पहन रही की रीनू ने हुकुम सुना दिया, " हे रंडी, उतार कपडे , किचेन में खराब हो जाएंगे, सिर्फ एप्रन। "

और रीनू किचेन में ड्राअर खोल खोल के कुछ ढूंढ रही थी, टॉप उतार कर एप्रन बांधती गुड्डी बोली,

" मीठी भाभी, क्या ढूंढ रही हैं ? "

" कैंची " रीनू बोली।

" सबसे नीचे वाली ड्राअर में " गुड्डी ने बताया और अपनी छोटी सी स्कर्ट भी खोलने लगी, भाभी ने बोला था सिर्फ एप्रन।

और कैंची लेकर रीनू अपनी ननद के पास, और उसके भाई को सुनाते बोली,

" रंडी, ये जोबन किस लिए आतें हैं "

" दिखाने के लिए, लौंडों को लचाने के लिए, दबवाने, मसलवाने और रगड़वाने के लिए "

गुड्डी बोल रीनू से रही थी लेकिन उसकी निगाहें अपने बचपन के यार को देख रही थीं, उकसा रही थीं, बुला और ललचा रही थीं।

" तो इतना लम्बा एप्रन क्यों "

रीनू बोली और कैंची ले के काट दिया, अब एप्रन सिर्फ गुड्डी के उभारों के ऊपर, और वो भी पूरी तरह से से नहीं, जहाँ से उभार उभरना शुरू हो रहे थे, वो हिस्सा तो साफ़ साफ़ दीखता था और रीनू ने एप्रन ऐसे टाइट बाँधा की दोनों टनाटन निप्स साफ़ दिख रहे थे।

कोई एक जवान होती मस्त लौंडिया हो, टीनेजर, बल्कि टीन ऑफ़ टीन्स, मिडल ऑफ़ टीन, और सिर्फ एक छोटा सा कपडा, जो मुश्किल से उसके उभरते उभारों को ढक रहा हो, कड़े कड़े खड़े खड़े सैल्यूट मारते निपल, उस एप्रन को फाड़ के निकलने के लिए बेचैन, गोरा चिकना पेट, गहरी नाभी, पतली कमरिया,

जस्ट एक पतली सी थांग आगे दो इंच की पिछवाड़े तो बस एक पतले धागे सी, कसी दरार में धंसी, लम्बी लम्बी टाँगे,


कौन साला न दीवाना हो जाए,

और जवान होती लड़कियों के जोबन पे सबसे पहले नजर पड़ती है उसके भाई की, उसका ही मुर्गा फड़फड़ाता है, और यहाँ तो भाई, भतार ज्यादा था, तो उनके शार्ट का तम्बू तनने लगा।

और जिस को देख के तन रहा था, सबसे पहले उसी की नजर पड़ी, गुड्डी की और उसने एक फ्लाईंग किस अपने भैया को दिया और दूसरा भैया के पप्पू को।

रीनू सब गुड्डी की शैतानी देख रही थी, पर उसके दिमाग में कुछ और शैतानी चल रही थी,

" हे रंडी रानी, जरा एक सेल्फी खिंच, हाँ थोड़ा किस लेती हुयी, एक और,..." रीनू बोली,

गुड्डी को कहने की देर थी, उसके उम्र की लड़कियां सेल्फी खींचने, में एकदम एक्सपर्ट, एक से एक सेक्सी,







"रंडी रानी, अब यार सुबह जो चौदह यार बनाये थे, चुदवाने को, समोसे की दूकान पे अपने समोसे दिखा के, भेज दे उन सब को, अरे यार लौंडो को लगातार चारा डालना पड़ता है। "

गुड्डी ने पिक तो भेजी ही साथ में कमेंट भी हुकुमनामा भी,

"अभी किचेन में हूँ अकेली, और शाम तक कम से कम अपने जैसे, तेरे ऐसे तो मिलने मुश्किल हैं लेकिन उन्नीस बीस भी चलेगा, कम से कम पचास को भेजो, इंस्टा पे लाइक भी कम से कम १००"


और वो सारी की सारी गुड्डी के एक अलग इंस्टा अकाउंट पे जो उसने खाली लौंडो के लिए बनाया था, गुड्डी की कुछ सहेलियां भी थी कुछ कोचिंग वाली, कुछ पुरानी, दिया, छन्दा ऐसी।

तबतक गुड्डी की निगाह एक थाली में रखे बैंगन पे पड़ गयी और वो रीनू के पीछे पड़ गयी, " मीठी भाभी, मैंने सुना है की आप बैगन की कलौंजी बहुत अच्छा बनाती हैं, मुझे सिखा दीजिये न "

" रंडी स्साली सीखेगी, सोच ले, फिर मैं जो जो कहूँगी तुझे और तेरे इस गंडुवे, भंड़ुवे को भी सब करना पडेगा "

" मंजूर " चहक के गुड्डी बोली और अपने बचपन के यार की ओर देख के उनकी साली से कहा, " और इनकी हिम्मत है की बात टालें "

" हे इस रंडी के भंड़ुवे, तो चल पहले चार बैगन छांट छांट के निकाल " रीनू ने अब अपने जीजू को हुकुम सुनाया और उन्होंने चुन के चार सबसे लम्बे लम्बे बैगन छांट लिए।
कोर्स के साथ साथ सास ने किचन में अमली शिक्षा देकर नॉन वेज में भी पारंगत कर दिया...
कोचिंग वालों के लिए सेल्फी भी.. साथ में हुकुम...
अब तो कोचिंग के लड़के लाइक डालने के साथ कुछ और भी डालने के लिए खड़ा कर चुके होंगे...
उफ्फ बैंगन की कलौंजी भी...
 

motaalund

Well-Known Member
8,783
20,107
173

गुड्डी और बैगन के मजे


" वाह भैया, सब आप अपने साइज के छांटे हैं, कोई भी एक बित्ते से कम नहीं है "

गुड्डी खिलखिलाते हुए अपने बचपन के यार से बोली।

( वैसे असली बात ये थी की गुड्डी ने सच में अपने भैया का नापा था, इंच टेप ले के, इंच में भी, सेंटीमीटर में भी, लम्बाई भी मोटाई भी, ...इसलिए बोल रही थी )




रीनू ने अपनी ननद को मजेदार चिढ़ाती हुयी आँखों से गुड्डी को देखते हुआ बोला,

" अब इसे मैरीनेट करना पड़ेगा, हर बैगन को कम से कम १५-२० मिनट तक "


" कैसे "

ये पैदायशी बुद्धू पूछ बैठे। लेकिन गुड्डी को कुछ कुछ अंदाजा अब हो गया था, सुबह इन्ही उसकी मीठी भाभी ने खुद अपने हाथ से मोटा खीरा छील के उसकी बिल में पेला था, और उसी की सैंडविच,


रीनू ने बुद्धू जीजू को नजरअंदाज कर दिया और गुड्डी से बोली, " चल स्साली रंडी, ऊपर, और टाँगे फैला ले और थांग बस सरका ले "

गुड्डी, रीनू की चमची, झट्ट से उछल कर किचेन के स्लैब पे, और टाँगे फैला के, गुलाबी गुलाबी चुनमुनिया खोल के , दोनों फांको ने कस के दरवाजा बंद कर के रखा था, बस बड़ी मुश्किल से कसी कसी पतली दरार दिखती थी उस इंटर वाली टीनेजर की।




" चल अब अपने भैया को बोल आगे क्या करना है"


रीनू ने अपने जीजू को एक बैगन जो उन्होंने छांटा था पकड़ाते हुए गुड्डी को बोलै।

" भैया, इसे मेरी, " और उसकी बात पूरी भी नहीं हुयी थी की रीनू ने आग्नेय नेत्रों से घूरा और कस के हड़काया, " स्साली, रंडी, ये होती है रंडी की जुबान, " और गुड्डी सच में एकदम से

" हे मेरे बचपन के यार, चल इधर आ और पेल दे इसे अपनी बहन की बुरिया में " गुड्डी उन्हें अपनी ओर इशारा करके बुला के बोली




लेकिन बैगन मोटा था, कुछ चिकनाई भी नहीं लगी और सबसे बड़ी बात की थांग घुटनो के पास फंसी तो वो टीनेजर अपनी मखमली जाँघे भी पूरी तरह नहीं फैला सकती थी, पर उसके भैया भी १७० + आई क्यू वाले और सबसे बड़ी बात चूत चाटने के रसिया और चूत कुँवारी इंटर वाली छुटकी बहिनिया की हो तो कौन भाई मौका छोड़ता है। तो वो भी बस लग गए,

" हे पांच मिनट के अंदर बैगन घुस जाना चाहिए, भाई बहन की रास लीला के लिए टाइम नहीं है बहुत काम है किचेन में "

रीनू ने हड़काया।



जीभ भाई की कभी बहन की बुर के ऊपर सपड़ सपड़ तो कभी अंदर घुस के जिस चूत की झिल्ली कुछ दिन पहले ही उन्होंने फाड़ी थी, उसकी हाल चाल लेती।


गुड्डी भी अपने भाई का पूरा हाथ बटा रही थी, कस के उनका सर पकड़ के अपनी चूत पे चिपका, कभी खुद निचले होंठों को उनके होंठों पर रगड़ के



" उय्य्यी, हाँ भैया, हां बहुत मजा आ रहा है, ओह्ह्ह ऐसे ही चूस न स्साले, ओह्ह "





वो सिसक रही थी अपनी चंद्रमुखी को उनके मुंह पे रगड़ रही थी। और थोड़ी देर में एक तार की चासनी निकलनी शुरू हो गयी और वैसे, जैसे उसके भैया को इशारा था गेयर चेंज करने के लिए। जीभ का साथ देने के लिए दोनों उँगलियाँ भी आ गयी। उँगलियाँ भरतपुर स्टेशन के अंदर घुस गयी दोनों और जीभ स्टेशन के बाहर लगे सिग्नल को , गुड्डी की क्लिट को, और फिर दोनों होंठ। होंठ क्लिट को कस कस के चूसते,जीभ उसे फ्लिक करती और बुर के अंदर दोनों उँगलियाँ लंड को मात कर रही थीं।



बस थोड़ी देर में झरना फूट पड़ा, चूत एकदम गीली आस पास भी, और गुड्डी के भैया ने बैगन पकड़ के पुश करना शुरू कर दिया। गुड्डी ने भी अपने दोनों हाथों से अपनी फांको को पकड़ के फ़ैलाने की कोशिश की और बैगन की टिप घुस गयी लेकिन रीनू की आवाज

" स्साले गंडुए, पेलना नहीं आता क्या, खाली पेलवाना जानते हो। पेल कस के एक मिनट टाइम है बस, वरना मैं आती हूँ और बैगन की जगह अपनी मुट्ठी पेलूँगी पूरी कोहनी तक। "




और उन्होंने पूरी ताकत से ठेलना धकेलना, शुरू किया। दर्द के मारे गुड्डी की जांघें फटी पड़ रही थी लेकिन वो जानती थी की एक चीख और उसके भैया के बस का कुछ नहीं होगा, उसका क्या वो किसी का दर्द नहीं बरदाश्त कर सकते। गुड्डी ने स्लैब कस के पकड़ लिया और बूँद बूँद कर के दर्द पी गयी।

कभी गोल गोल घुमा के कभी ताकत से ठेल के अपनी बहन की बुर में ऑलमोस्ट पूरा बैगन वो ठेल के माने।




और रीनू ने आगे का इंस्ट्रक्शन दे दिया



" गुड गर्ल, चल अब अपनी थांग ठीक कर और कस के इसे १५ मिनट अपने अंदर भींच के रखना, निकलने न पाए और मुझे बिरयानी का मसाला निकाल के दे "

काम का बटवारा ये था की, रीनू को हैदराबादी बिरयानी बनानी थी, भुना गोश्त और हांडी चिकेन इनके जिम्मे, स्वीट डिश गुड्डी के जिम्मे और गुड्डी हर काम में इन दोनों लोगों की हेल्प भी करती।


बदमाशी शुरू की गुड्डी ने ही।

कुछ तो उस इंटर वाली टीनेजर की बिल में जो मोटा बैगन धंसा था उसका दोष, चूत रिस रही थी, बूँद बूँद कर के और उतनी ही तेज चींटिया भी काट रही थीं, अंदर। दूसरे उसे अपने भैया को छेड़ने में बहुत मजा आता था, बेचारे आधे टाइम बोल ही नहीं पाते थे और अभी तो उनके दोनों हाथ फंसे थे, इसलिए कुछ कर भी नहीं सकते थे।

वो दोनों हाथों से चिकेन वाश कर रहे थे, रगड़ रगड़ कर, गुड्डी उन्हें हेल्प कर रही थी,सबसे पहले अभी हांडी चिकेन ही बनाना था।





लेकिन गुड्डी का एक हाथ तो खाली था और उस शोख, चुलबुली टीनेजर ने हाथ का सही इस्तेमाल किया जो हर बहन बचपन से करना चाहती है।



भैया के बॉक्सर शार्ट में हाथ डाल के अपनी फेवरेट ' मटन पीस ' को पकड़ लिया और बस हलके हलके, न दबाया, न रगड़ा, बस बहुत धीरे धीरे सहलाना शुरू कर दिया, छू के ही मन डोल रहा था।

अब तक गुड्डी तीन मर्दों का घोंट चुकी थी, अपने भैया के अलावा, भाभी के दोनों जीजू, और अगले हफ्ते कोचिंग की पार्टी में पता नहीं कितने, उसकी सहेली रानी का एक पार्टी में ६ का, ६ बार नहीं ६ लड़कों का रिकार्ड था और वो तो उसे तोड़ना ही था। फिर मीठी भाभी तो गली मोहल्ले के भी कितने लौंडो पे दाना डलवा रही थीं, रोज के लिए चार पांच का इंतजाम, मीठी भाभी सच में बहुत अच्छी हैं।

लेकिन जो मजा भैया में है, हर चीज में,... उन्हें छेड़ने में, उकसाने में, चिढ़ाने में, वो किसी में नहीं। पहले भी उनके बारे में सोच सोच के गुड्डी की चूत में चींटी काटती थी और अब जब घोंट लिया भैया का तो और,... भैया के बारे में सोच के बुरिया में आग लग जाती है

लेकिन गुड्डी अकेले नहीं थी, जवान होती हर टीनेजर बहन की यही हालत होती है, भाई के और ' भाई का ' सोच के।



" हे गुड्डी क्या कर रही है " उन्होंने झिड़का। दोनों हाथ तो मटन को पकडे थे, कुछ कर तो सकते नही थे और गुड्डी भी इस बात को जानती थी। अब वो खुल के मुठियाते बोली,


" क्या कर रही हूँ ? जो एक बहन का हक़ है, वो कररही हूँ। नहीं अच्छा लग रहा हो मना कर दीजिये " अपनी शोख अदा में आँख नचा के उस शैतान ने चिढ़ाया।

" मेरे हाथ खाली होने दो तो बताता हूँ "

वो भी अब मूड में आ रहे थे, लेकिन गुड्डी जानती थी आज उसके भैया के जिम्मे बहुत काम है इसलिए उसका ज्यादा कुछ वो बिगाड़ नहीं पाएंगे इसलिए और उकसा रही थी। और गुड्डी ने अपनी बात ही आगे बढ़ाई,

" और भैय्या, मना करियेगा न तो आपके मना करने से कौन मैं मानने वाली हूँ ? करुँगी तो अपने मन की और हाथ खाली हो के भी आप का कर लेंगे मेरा ? उस टीनेजर ने अब खुल के चैलेन्ज दिया।

" भूल गयी अभी, दो दो बार सुबह से, " हिम्मत से वो बोले।

लेकिन गुड्डी की भाभी से तो कभी जीत नहीं पाए और अब उन्ही भाभी की सिखाई पढ़ाई ननदिया से भी जीतना मुश्किल था,
स्पेशल बैंगन तो चूत में हीं मैरिनेट होगी...
कडुआ तेल से ज्यादा चिकनाई का इस्तेमाल हुआ..
साजन के न बोल पाने का यही इलाज है कि हाजिरजवाबी की भी ट्रेनिंग और कोचिंग हो...
मटन पीस बैंगन के साइज का.. गुड्डी तो किचन में भी मटन पीस को रेडी करके रख दी...
 

motaalund

Well-Known Member
8,783
20,107
173
हांडी चिकेन, बिरयानी

और बहन का पिछवाड़ा


" दो बार क्या, यार बोल तो भैय्या पा नहीं रहे हो, करोगे क्या "

अब खुल के चिढ़ाती गुड्डी बोली और अब खूंटा पूरा जग गया था,

गुड्डी की कोमल किशोर मुट्ठी में मुश्किल से समां रहा था। गुड्डी कभी अंगूठे से तो कभी तर्जनी से अपने भैया के मोटे खुले सुपाड़े को रगड़ रगड़ के और आग में घी डाल रही थी। और गुड्डी ने फिर जोड़ा

" और आगे के छेद में भूल गए, आप ही ने मोटा बैगन पेल रखा है,... २० मिनट तक तो वो निकलना नहीं है उसके बाद तीन और, "

" पर पिछवाड़े का छेद तो खाली है, भूल गयी अभी सुबह से दो बार तेरी गाँड़ मार चुका हूँ "

मटन वाश करने का काम ख़तम करते हए बोले वो, और गुड्डी ने खड़े खूंटे को शार्ट के बाहर निकाल लिया, और अपने भैया की आवाज में ही मिमिक्री करती चिढ़ाती बोली,

" भूल गयी अभी सुबह से दो बार तेरी गाँड़ मार चुका हूँ" और फिर जोड़ा,


" भूल गए क्या सुबह सुबह आज की गुड मॉर्निंग, आप के ऊपर चढ़ के जबरदस्ती आप की इस छोटी बहिनिया ने क्या पिलाया था, पूरे दो कप से ज्यादा और गुपुर गुपुर लालची की तरह पी गए। दो बार तेरी गाँड़ मार चुका हूँ बोल रहे हैं, जैसे इनकी हिम्मत, ...वो तो मेरी प्यारी दुलारी अच्छी वाली मीठी भाभी ने आपको हड़काया, उकसाया,... और मैं खुद निहुर के फैला के झुक गयी ।

और दूसरी बार, इस मोटे मुस्टंडे पर कौन बैठा था, मैं खुद न। "
--


मटन का काम हो गया था, गुड्डी के छोटे से एप्रन में हाथ पोंछते हुए अब उसके भैया बोले,

" चल अबकी मैं खुद मारूंगा , तू चिंचियाती रहना। "

गुड्डी ने कस के उनका खूंटा एक बार फिर से मसला





और उसे वापस शार्ट के अंदर और छिटक के अपनी मीठी भाभी के पासऔर वहीँ से बोली,

" भैया मैंने कौन सा ताला डाल रखा है " और मुड़ के अपने लौंडा छाप चूतड़ मटकाते, थांग सरका के पिछवाड़े का छेद दोनों हाथों से फैला के खोल के दिखा दिया, एकदम टाइट,... हाँ दो बार की उसके भैया की मलाई की एक दो बूंदे रिस रिस के बाहर आ गयी थी

किचेन का काम बड़ा अजीब होता है कभी तो सांस लेने की फुर्सत नहीं और कभी आप बस इन्तजार करते हैं, खास तौर से जब अवधी या मुगलाई पका रहे हैं।

ये और रीनू तो मास्टर शेफ के तरह और गुड्डी सिर्फ हेल्पर ही नहीं सू शेफ भी, फिर इनकी सास ने जो इन्हे ट्रेन किया था, कुछ भी पिसा मसाला नहीं, न कोई चीज पहले से तैयार, जीरा हो, धनिया हो, लौंग और उनकी हर रेसिपी में १४ मसाले कम से कम पड़ते थे, तो उसे उसी समय तुरंत कूट के, पीस के और मिक्सी से नहीं हाथ से, और हल्दी प्याज ये सब मसाले का अगर पेस्ट बनाना है तो वो सील बट्टे पे

लेकिन गीता ने गुड्डी को गरिया के, कभी कभी एकाध हाथ लगा के सब काम सिखा दिया था,

" स्साली छिनार लोढ़ा पकड़ना सीख ले, लौंड़ा पकड़ना अपने आप आ जायेगा, "




लेकिन गुड्डी भी कम नहीं थी, सिल बट्टे पे लोढ़ा चलाते गीता से कहती, " कभी ऐसा लोढ़ा ऐसा, मोटा, लौंड़ा मिले तो मजा आ जाए "



" हे स्साली कभी इसे घुसेड़ मत लेना अपने अंदर " गीता भी छेड़ती फिर असीसती, " अरे मेरा आसीर्बाद है, एक मांगेगी तो तुझे दस मिलेंगे और सब कड़क "

तो किचेन में सबसे ज्यादा काम गुड्डी के जिम्मे, कभी रीनू बोलती, " हे ननद रानी, जरा चावल अच्छे से धो दे " तो कभी मसाले पीसने कूटने का काम,



किचन का सब काम इन्होने सीख लिया था लेकिन प्याज काटने के काम में हालत खराब हो जाती थी, तो एक किलो प्याज भी गुड्डी को पकड़ा दी गई गुड्डी को काटने के लिए,


पर गुड्डी भी गुड्डी थी, रीनू उसे झूठ मूठ रंडी नहीं कहती थी।

मौके का फायदा उठा के कभी अपने भैया के ऊपर आँखों के तीर चला देती तो कभी बगल से जाते हुए धक्का दे देती तो कभी पीठ पे जुबना रगड़ देती, हल्दी पीसने के बाद उसने थोड़ा सा हल्दी अपनी मीठी भाभी को दिखाते हुए इनके चिकने गोरे गोरे गालों पर लगा दिया और बोली,

" रूप निखर आया है हल्दी और चंदन से दुल्हन का "




रीनू क्यों छोड़ती, बिरयानी का चावल चढ़ाते हुए, अपनी ननद से बोली,

" तेरी इस दुल्हन के अंदर जब गपागप घुसेगा न तब असली दुल्हन का सुख मिलेगा इस स्साली दुल्हन को, तेरे भैया और मेरे जीजू को "
--


लेकिन गुड्डी के समझ में कुछ आया नहीं वो बिना बोले, इशारे से रीनू से पूछा " कैसे, किधर "



कुछ मामलों में अभी भी वो बच्ची थी, लेकिन बच्ची ननदियों को झटपट जवान बनाने का काम ही तो भाभियों के जिम्मे है।

रीनू ने इशारे से अपने जीजू के पिछवाड़े की ओर इशारा किया और गुड्डी समझ गयी। उसके गवर्मेंट गर्ल्स इंटर कालेज के पास ही एक लड़कों का भी स्कूल था और वही के कई लड़के, लड़कियों से ज्यादा लड़कों के पीछे पड़े रहते थे, याद आ गया उसे सब।

बस अबकी जो हाथ गया, हल्दी लगा तो भैया के सीधे पिछवाड़े शार्ट के अंदर।


जैसे हल्दी की रस्म में भाभियाँ और सलहजें दौड़ा दौड़ा के अपने देवरों, नन्दोई के पिछवाड़े, नेकर में, पाजामे में हाथ डाल के चूतड़ पे जरूर छापा लगाती हैं, और बोलने पे कहती हैं, लौण्डेबाजों की नजर से बचा रहेगा, सावधानी हटी दुर्घटना घटी। और देवर नन्दोई भी जान बूझ के अपने को पकड़वाते हैं।



गुड्डी ने अपने भैया के पिछवाड़े पहले तो थापा लगाया और फिर सीधे ऊँगली दरार पर, और रगड़ते चिढ़ाते बोली,

" भैया मेरी गाँड़ के पीछे पड़े हो न सुबह से एक बार तुम भी मरवा लो न पता चल जाएगा, कैसे दर्द से जान निकलती है "

" मजा नहीं आता क्या " अभी तो इनके हाथ खाली थे तो बस एप्रन उठा के छोटे जोबन दबाते मसलते उन्होंने अपनी बहन से ईमानदारी से पूछा



" मजा तो भैया बहुत आता है, अबे स्साले तू चुम्मा भी लेता है तो मजे से जान निकल जाती है "

गुड्डी ने बड़े रोमांटिक अंदाज में अपने भैया को पकड़ के एक चुम्मी कस के लेते हुए मन की बात सुना दी।




लेकिन तबतक रीनू की आवाज आयी, " रंडी रानी, रोमांस बाद में कर लेना, चावल हो गए हैं अब जरा मटन डालना है "

और गुड्डी रीनू के पास।


फिर थोड़ी देर में अपने भाई के पास, हांडी चिकन जो मिटटी की हांड़ी में चढ़ा था उसे आटे के लेप से बंद करती हुयी। पर साथ में कभी मीठी निगाह से देखती, कभी उछल के चुपके से एक चुम्मी चुराती।

किचेन में बताया था न की कभी बहुत काम, कभी बस इन्तजार। तो बिरयानी चढ़ गयी थी, धीमी आंच पे कम से कम घंटे, डेढ़ घंटे और यही हालत हांड़ी चिकेन की थी।




भुना गोश्त सबसे अंत में बनना था तो बाकी काम आराम आराम से। तो अब मस्ती टाइम , और अब शुरुआत रीनू ने की, गुड्डी से।

और गरियाते हुए,

" स्साली, जन्म की छिनार, तुझे बैगन दिया था बीस मिनट के लिए बुर में रखने के लिए तू तो हरदम के लिए घुसेड़ के बैठ गयी। ऐसे लम्बे मोटे लंड का शौक है तो अपनी गली के धोबियों को बोलती, किसी गदहे के साथ सुलाय देते ( रीनू को भी मालूम था की गुड्डी का घर एक धोवी वाली गली में हैं जिसके बाहर गदहे खड़े रहते हैं तो उसे गदहों से जोड़ के छेड़ा जाता है ) नहीं तो अपने भाई क ले लेती, चल निकाल "



लेकिन गुड्डी असली नन्द पैदायशी छिनार, भाभियों की गारी का कभी भी न बुरा न मानने वाली, खिलखिलाती अपने बचपन के आशिक की ओर इशारा करते, " भौजी जिसने डाला वही निकाले, मैं अपने से क्यों निकालूँ ?"




इन्होने निकाला भी और डाला भी दूसरा बैगन अपनी बहन की बिलिया में, और ये वाला लंबा पहले ऐसा ही बित्ते से लम्बा लेकिन मोटा भी ज्यादा था, पर गुड्डी खुद ही टाँगे फैला के, और इन्होने भी पूरी ताकत लगाई,



रीनू की बिरयानी पक रही थी और वो बिरयानी के साथ के लिए रायता और चटनी बना रही थी लेकिन गुड्डी और गुड्डी के भैया खाली थी, हांडी चिकेन पकने में अभी आधा घंटा कम से कम लगने वाला था, एकदम धीमी आंच पे, मिटटी की हांडी पे,

और गुड्डी की बदमाशी, बैगन घुसने के बाद एक बार फिर से आग लग गयी थी,


और अब गुड्डी खुद स्लैब को पकड़ के हलके से झुक के अपने स्कूली लौंडे टाइप छोटे छोटे चूतड़ मटका के अपने भैया को ललचा रही थी, और भैया के मुंह में पानी आ रहा था, कभी गुड्डी दोनों चूतड़ को पकड़ के कसर मसर, लेकिन जब उसने थांग को सरका के गोल दरवाजे को अपने भैया को दिखाया और पलट के पूछा,

" किसी को कुछ चाहिए क्या ? "

बेचारे ये, नहीं रहा गया उनसे। लिबराते बोले, " हाँ "

रीनू की निगाहें भी ननद के गोल दरवाजे से चिपकी लेकिनी उससे ज्यादा वो गुड्डी के भैया, अपने जीजू को देख रही थी, कैसे उस सेक्सी टीनेजर के गोलकुंडा के लिए ललचा रहे थे। यही तो वो चाहती थी, इन्हे पिछवाड़े का न सिर्फ मजा आने लगे बल्कि गोलकुंडा के जबरदस्त दीवाने हो जाएँ। रीनू ने गुड्डी को ललकारा
बीस मिनट एक बैंगन.. तो चार बैंगन अस्सी मिनट...
ये तो पूरे नाइंसाफी है.. टाईम बहुत कम है... क्या एक साथ दो-दो...
" स्साली छिनार लोढ़ा पकड़ना सीख ले, लौंड़ा पकड़ना अपने आप आ जायेगा, "
गीता ने सोलहो आना सच बोला
किचन की सही ट्रेनिंग मिल रही है गुड्डी को..
 
Last edited:
Top