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Incest टैटू गुदाई और चुदाई (complete)

Mink

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Superb update thaa bro aur isi ke sath madhu apne betu ke haath se maalish bhi karwa legi apni tatoo ki 😁
 
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parkas

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मधुलिका बाथरूम के अंदर घुस गई और उसने चैन की सांस ली। उसकी सांसे अभी तक उसके काबू में नहीं थी जिससे उसकी चुचियों में कंपन अभी भी हो रहा था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि कैसे वो अपने बेटे के साथ इस बार फिर से बहक गई थी। पिछली बार जो हुआ वो अचानक से हुआ हादसा था लेकिन इस बार सब उसकी मर्जी से हुआ था और कैसे कठोर हाथ से वो मेरे कंधे और गर्दन की मालिश कर रहा था बल्कि कितनी कठोरता से सहला रहा था।

मधु ने अपने हाथ को अपने कंधे पर रख कर सहलाया तो इसे अजीब से सुकून की अनुभूति हुई लेकिन उसके बेटे के हाथो की बात ही और थी। मधुलिका का बदन इस समय कामाग्नि में बुरी तरह से जल रहा था और उसने एक पानी का डिब्बा लिया और अपने डालने लगी ताकि कुछ राहत मिल सके लेकिन उसका जिस्म आज अपने पीते उफान पर था और पानी से उसका जिस्म और गर्म होता जा रहा था। मधुलिका नहाती रही लेकिन कोई खास फर्क नहीं पड़ रहा था। मधुलिका को अपने जिस्म पर पानी डालते हुए आधे घंटे से ज्यादा हो गया था इसलिए वो उसने कमरे मे जाना का फैसला किया। मधुलिका एक बार फिर से बिलकुल नंगी ही बाहर आ गई और अपने कमरे की तरफ चल पड़ी। हॉल में अभी भी पहले जैसा ही अंधेरा था बस किचन से बहुत हल्की हल्की लाइट आ रही थी। मधुलिका हॉल में खड़ी हो गई और उसे याद आया कि यहीं उसके बेटे ने उसे एक ट्यूब दी थी टैटू पर लगाने के लिए जो यहीं कहीं गिर गई थी। मधुलिका ट्यूब देखने लगी लेकिन उसे कहीं ट्यूब नही मिल रही थी। काफी देर ढूंढने के बाद भी उसे ट्यूब नही मिली तो उसके मन में विचार आया कि क्या वो ट्यूब जल्दी में मोहित अपने साथ तो नही ले गया। ये विचार मन में आते ही मधुलिका का बदन कांप उठा क्योंकि टैटू की मालिश के लिए क्या मुझे फिर से अपने बेटे से ट्यूब लेनी चाहिए।

मधुलिका की समझ में नही आ रहा था कि क्या करे क्योंकि वो एक बार फिर से बहकना नही चाहती थी लेकिन उसका जिस्म उसका साथ नहीं दे रहा था। मधुलिका की सांसे एक बार फिर से तेज होने लगी और वो धीरे से अपने रूम की तरफ बढ़ गई। कमरे के बाहर से ही उसने देखा कि राकेश उल्टा पड़ा हुआ गहरी नींद में सो रहा था और उसके जोर जोर से खर्राटे निकल रहे थे। मधुलिका का पूरा जिस्म कांप रहा था और आंखे लाल सुर्ख हो गई थी। अपने पति को गहरी नींद में सोते हुए देखकर मधुलिका की आंखे चमक उठी और उसने धीरे से पहले पर्दा गिराया और फिर दरवाजे को बंद कर दिया। मधुलिका एक बार फिर से भूल गई कि वो पूरी तरह से नंगी हैं। मधुलिका फिर से हाल में आ गई और चक्कर काटने लगी। वो अपने बेटे से ट्यूब लेना चाह रही थी लेकिन उसका गेट खटखटाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी।मधुलिका ने हिम्मत करके सूखे हुए को किसी तरह अपने थूक से गीला किया और धीरे धीरे दबे हुए अपने बेटे के कमरे की तरफ चल पड़ी। मधुलिका के पैर जैसे अपने आप उठते जा रहे थे और वो उसके दरवाजे के ठीक सामने पहुंच गई। मधुलिका ने अपना कांपता हुआ हाथ उठाया और धीरे से हिम्मत करके दरवाजे पर मारा और मधुलिका की सांसे एक बार फिर से तेज हो गई। मोहित अभी तक अपनी मां के साथ हुए उस हसीन हादसे को बैठा हुआ सोच रहा था और कमरे पर दस्तक सुनकर उसका दिल धड़क उठा। है भगवान अब कौन आ गया ? कहीं मम्मी ने पापा को तो नही बता दिया। मोहित डर के मारे कांप उठा और उसकी समझ नही आ रहा था कि क्या करे तभी फिर से उसके दरवाजे पर दस्तक हुई तो मोहित के पसीने छूट गए और वो कांपता हुआ दरवाजे की तरफ बढ़ने लगा। मोहित ने हिम्मत करके भगवान को याद करते हुए दरवाजा खोल दिया तो उसे सामने अंधेरे में एक साया नजर आया तो मोहित समझ गया कि उसे उसकी मम्मी मधुलिका ही हैं। अपनी मम्मी को फिर से अपने कमरे के गेट पर आधी रात देख कर मोहित का दिल धड़क उठा और मोहित बाहर आ गया।

अपने बेटे को बाहर निकलते हुए देख कर मधुलिका की सांसे फिर से और तेज हो गई और उसके समूचे बदन में उत्तेजना की एक लहर सी दौड़ गई। मोहित एक बार फिर से उसके सामने खड़ा और धीरे से कांपते हुए शब्दों में बोला:"

" क्या हुआ मम्मी ? आप इतनी रात गए सब ठीक तो हैं ?

मधुलिका की जुबान को जैसे लकवा सा मार गया लेकिन फिर भी अपने जिस्म की सारी हिम्मत समेटकर बहुत ही धीमी सी मधुर आवाज में बोली:"

" वो बेटा टैटू वाली क्रीम नही मिली मुझे, शायद कहीं गिर गई होंगी अंधेरे में, कहीं सूजन आ गई तो दिक्कत होगी!

मोहित का दिल खुशी के मारे झूम उठा और अपनी जेब से उसने ट्यूब निकाली और उसके हाथ की तरफ बढ़ा दी। मधुलिका ने अपना कांपता हुआ हाथ आगे बढ़ा दिया और मोहित ने उसका हाथ थाम लिया। ट्यूब मधुलिका के हाथ में आ गई थी लेकिन ना तो मोहित ने उसका हाथ छोड़ा और न ही उसने छुटाने का कोई प्रयास किया। मधुलिका मोहित के हाथ की कठोरता महसूस करके फिर से उत्तेजित होने लगी और मधुलिका ने बड़ी मुश्किल से अपनी सांसे थामे खड़ी रही और फिर धीरे से बोली:"

" रात बहुत हो गई है मोहित, अभी मैं चलती हु।

इतना कहकर मधुलिका अपना हाथ छुड़ाने लगी तो मोहित धीरे से बोला:"

" मम्मी कहीं आप ठीक से क्रीम न लगा पाई तो दिक्कत होगी फिर, स्किन खराब हो सकती है।

मधुलिका तो कब से अपने बेटे के मुंह से यही सुनने के लिए तड़प रही थी। उसने बिना कुछ ट्यूब को वापिस मोहित के हाथ में थमा दिया और उसकी तरफ अपनी पीठ करके खड़ी हो गई। एक तरह से ये उसके लिए खुला आमंत्रण था। मोहित की भी सांसे आने वाले पलो के बारे में सोचकर तेज हो गई और उसने ट्यूब का ढक्कन खोला और थोड़ी सी क्रीम फिर से अपनी उंगलियों पर लगा ली और जैसे ही उसने मधुलिका की गर्दन को छुआ तो कमरा का गेट खुला और राकेश बाहर निकलते हुए दिखा जो मधुलिका को आवाज लगा रहा था।

निराश मोहित एक बार फिर से धीरे से अंधेरे का फायदा उठाकर अपने कमरे में घुस गया और मधुलिका का तो मूड ही खराब हो गया और अपने पति को मन ही मन गालियां देने लगी और ऐसे चलने लगी मानो हॉल में टहल रही हो।

चलती हुई वो राकेश के सामने पहुंची तो राकेश बोला:"

" अरे तुम्हे ढूंढ रहा था। इतनी रात को क्यों टहल रही हो हॉल में तुम ?

मधुलिका गुस्से भरे भाव से अपने शब्दो को चबाकर बोली:"

" नींद नही आ रही थी। इसलिए घूम रही हूं।

राकेश उसके बोलने के अंदाज को देखकर चुप हो गया और बाथरूम की तरफ बढ़ गया। वहीं मधुलिका गुस्से और निराशा से अपने पैरो को पटकती हुई अपने बेडरूम में घुस गई और बेड पर लेटकर सोने का प्रयास करने लगी। सोचते सोचते कब उसकी नींद लग गई उसे कुछ पता ही नही चला।

अगले दिन सुबह रोज की तरह दिनचर्या शुरू हुई और मधुलिका ने नाश्ता तैयार किया और सभी लोग एक साथ बैठकर नाश्ता करने लगे।

मधुलिका:" सुनो ना आज हमारी शादी की सालगिरह हैं। इसलिए आप शाम को ऑफिस से थोड़े जल्दी आ जाना और मैं सोच रही थी कि अपने कुछ रिश्तेदार और दोस्तो को भी बुला लेती हूं।

राकेश ने उसकी तरह देखा और समझ गया कि अगर पार्टी होगी तो बेकार में पैसा खर्च होगा इसलिए बात को घुमाते हुए बोला:"

" देखो मधु एक काम करते हैं दोस्तो और रिश्तेदारों के लिए आप रहने देते हैं। बाद में फिर कभी बुला लेंगे और हां आज मैं और दिन की तरह लेट नही आऊंगा बल्कि समय से पहले ही आ जाऊंगा।

मधुलिका ने कोई बहस करना जरूरी नहीं समझा और और अपने होंठो पर जबरदस्ती स्माइल लाते हुए बोली:"

" अच्छा चलो ठीक हैं। जैसे आपको बेहतर लगे लेकिन आज शाम छह बजे तक जरूर आ जाना। और मोहित बेटा तुम भी आ जाना आज समय से। ज्यादा लेट मत करना समझे।

मोहित:" मम्मी आप बेफिक्र रहे। मैं छह बजे आराम से आ जाऊंगा और एक काम करूंगा आज शाम के लिए खाना भी लेते आऊंगा।

मधुलिका अपने बेटे की बात सुनकर खुश हुई और राकेश इस बात से खुश था कि चलो मधु मान गई नही तो बेकार में ही पैसा खर्च हो जाता।

उसके बाद सभी लोग अपने काम पर चले और मधुलिका घर के काम में लग गई। दोपहर का समय था और मधुलिका लेती हुई आराम कर रही थी कि उसका फोन बज उठा। नेहा का फोन था तो मधुलिका ने खुशी खुशी उठा लिया और बोली:"

" कैसी हो नेहा मैडम ?

नेहा:" मैं तो अच्छी हु तुम बताओ कैसी हो क्या चल रहा हैं ?

मधुलिका:" बस जी सब ठीक हैं। क्या कर रही थी ?

नेहा:" कुछ नही घर के काम खत्म किए तो सोचा तुझसे बात कर लू। अच्छा बता टैटू बनवा लिया क्या तूने ?

मधुलिका उसकी बात सुनकर स्माइल करते हुए बोली:"

" अभी तो मैं बनवाया। यार कल शाम ही तो मिले थे हम उसके बाद से टाइम ही कहां मिला ?

नेहा:" बस बस बहाने मत बना। इतना भी समय नहीं लगता। चल तेरी मर्जी। अरे मै तो बातो बातो में भूल ही गई कि आज तो तेरी शादी की सालगिरह हैं। तुम दोनो को बहुत बहुत बधाई।

मधुलिका खुश हो गई और बोली:"

" थैंक्स नेहा। वैसे कमाल है तुझे याद था।

नेहा:" अरे एक तुम तो मेरी सबसे अच्छी और प्यारी सहेली हो। मुझे याद नहीं रहेगा तो किसे याद रहेगा।

मधुलिका:" हान वो तो तू हैं और हमेशा रहेगी मेरी जान।

नेहा:" अच्छा तो मेरी एक बात सुन, आज के दिन ही तू अपने सभी टैटू बनवा ले। तेरे पति को ये तेरी तरफ से सालगिरह का तोहफा होगा।

मधुलिका उसकी बात से सहमत हुई और बोली:"

" हान यार। तेरी बात में दम है चल फिर आज शाम को तक बनवा लुंगी।

नेहा:" अच्छा चल मैं तुझे बाद में कॉल करती हु। मुझे बाहर जाना हैं थोड़ा काम हैं।

इतना कहकर उसने फोन काट दिया और मधुलिका एक बार फिर से सोच में पड़ गई कि टैटू किस से बनवाया जाए। अपने बेटे से वो नही बनवाना चाहती थी और उसने फिर एक के बाद एक सभी मुंबई के टैटू ऑफिस में फोन किया लेकिन उसे कहीं भी किसी भी कीमत पर आज के लिए बुकिंग नहीं मिली। मधुलिका को समझ में नही आ रहा था कि क्या करे क्योंकि उसके सामने अब एक ही रास्ता बचा था कि अपने बेटे से टैटू बनवाए लेकिन वो उसके लिए तैयार नहीं थी।

मधुलिका ने सोचा आज नही तो कल टैटू बनवा लूंगी एक दिन में कौन सी मुसीबत आ जायेगी। उसने थोड़ा आराम करने का सोचा और उसके बाद सो गई। करीब दिन बजे के आस पास वो उठी और अपने बेडरूम की सफाई में जुट गई। वो अपने के साथ आज की रात को यादगार बनाना चाहती थी इसलिए उसने सबसे पहले बेडरूम की सफाई करी उसके बाद उसने बहुत ही सुंदर फूलो से सजी हुई सफेद रंग की चादर बेड पर डाल दी। ये सब करते हुए मधुलिका का मन मयूर नृत्य कर रहा था और जिस्म में हल्की हल्की गुदगुदी सी हो रही थी। उसका चेहरा शर्म से लाल हो रहा और उसने अपने बेडरूम के परदे भी बदल लिए और नए परदे लगाने से बेडरूम बेहद खूबसूरत लग रहा था।

सारे काम खत्म करने के बाद उसने ब्यूटी पार्लर जाने का फैसला किया क्योंकि औरत प्राचीन काल से पुरुष को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए सौंदर्य का सहारा लेती रही है और मधुलिका भी इसका अपवाद नहीं थी। ब्यूटी पार्लर से करीब पांच बजे के आस पास वो अपने घर पहुंच गई और उसके जिस्म का रोम रोम महक रहा था। लाल रंग के गोल गले के ब्लाउस और गहरे काले रंग की साड़ी वो बला की खूबसूरत लग रही थी। उसके स्टेट किए किए हुए काले लंबे बाल उसके चेहरे के एक तरफ फैले हुए थे जिससे उसकी गर्दन पर बना हुआ टैटू उसकी सुंदरता में चार चांद लगा रहा था। बड़ी बड़ी गहरे काले काजल से सजी आंखे, रस टपकाते हुए पतले कपड़े लिप्स, नंगे खूबसूरत गोरे गोरे चिकने कंधे और उसके लाल सुर्ख ब्लाउस से झांकते हुए उसकी गोल गोल ठोस चुचियों के उभार जिसमे सिर्फ दो बटन लगे हुए थे। उसकी गोल गोल गहरी खूबसूरत नाभि और उसकी गोल गोल गोरी गोरी ढोल की तरह उठी हुई गांड़ पर लिपटी हुई काले रंग की साड़ी सच में बेहद खूबसूरत लग रही थी। माथे पर लगा हुआ सिंदूर और माथे के बीचों बीच में हुई लाल रंग की खूबसूरत बिंदी, गले में पहना हुआ सोने का मंगल सूत्र जो उसकी चूची की गहराइयों के बीफ में गायब हो रहा रहा था। हाथो मे सजी हुई लाल रंग की कांच की खूबसूरत चूड़ियां और पैरों में सजी हुई छन छन करती हुई पायल। मधुलिका सचमुच किसी नई नई नवेली दुल्हन की तरह लग रही थी।

मधुलिका ने एक बार खुद को शीशे में देखा और अपने रूप सौंदर्य पर खुद ही मोहित होती चली गई। सच में मधुलिका कुदरत की कारीगरी का नायाब नमूना थी, उसे देख कर ऐसा लग रहा था मानो भगवान ने गलती से इंद्र लोक से कोई अप्सरा ही जमीन पर भेज दी थी।

मधुलिका ने एक बेहद ही मादक तेज गंध वाला कामुक परफ्यूम कमरे में छिड़क दिया क्योंकि उसे परफ्यूम बेहद पसंद था। छह बजने वाले थे और मधुलिका बेचैनी से अपने पति का इंतजार कर रही थी। दरवाजा नॉक हुआ और मधुलिका इसी रूप में दरवाजा खोलने के लिए चली गई। वो पहली ही नज़र में अपने पति को पूरी तरह से मदहोश कर देना चाहती थी। उसकी काले रंग की साड़ी का पल्लू बिलकुल पूरी तरह से पारदर्शी था जिसमे से उसकी चुचियों की गोलाई और गहरी खूबसूरत नाभि नजर आ रही थी। कामुक खूबसूरत गहरी नाभि भी अपने सौंदर्य की अद्भुत अनोखी छटा बिखेर रही थी।

मधुलिका ने धीरे से अपना हाथ आगे बढाया और दरवाजा खोलकर बिना देखे ही अपना चेहरा शर्म के मारे दूसरी तरफ घुमा दिया।

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दरवाजे पर उसका पति नही बल्कि बेटा मोहित खड़ा हुआ था और वो अपनी मां के ऐसे रूप सौंदर्य को देखकर हक्का बक्का सा रह गया। मधुलिका का चेहरे दूसरी तरफ था इसलिए उसने पहली बार ध्यान से अपनी मां की लाल रंग के ब्लाउस से झांकती हुई गोल गोल नारियल के आकार की चुचियों का मदहोश करने वाला उभार देखा। अपनी सगी मां की गहरी खूबसूरत नाभि देख कर मोहित अपनी मम्मी की तारीफ लिए बिना ना रह सका

" ओह ओह गॉड। मम्मी आप सच में आज बेहद खूबसूरत लग रही है। लगता है स्वर्ग से साक्षात मेनका उतर आई हैं।

अपने बेटे की आवाज सुनकर मधुलिका को को झटका सा लगा और उसने पलटकर देखा तो गेट पर अपने बेटे को देखकर घबराहट और शर्म के मारे उसके मुंह से निकला

" ओह मोहित तुम।


शर्म के मारे उसके कंधे से साड़ी का पल्लू सरक गया और उसकी आंखे एक फिर से दूसरी तरफ घूम गई।


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उफ्फ मधुलिका ने मानो मोहित की जान निकल दी थी। साड़ी का पल्लू गिर जाने से उसकी चुचियों का उभार और गहरी नाभि बिलकुल साफ साफ दिख रहे थे और मोहित ने आज तक ऐसी सुंदरी सपने में भी नहीं देखी थी। उसे एक पहली बार एहसास हो रहा था उसके घर में मा के रूप में कामदेवी रहती है। मधुलिका की नाभि देखकर उसकी जीभ अपने आप बाहर निकल गई मानो उसकी मां की गहरी नाभि को चूमने के लिए बेताब हो। मोहित ने हिम्मत और सब्र से अपनी जीभ को अंदर किया और अपने जेब से एक सुंदर सी हीरे की अंगूठी निकाली और आगे बढ़कर अपनी मां का हाथ पकड़ लिया तो मधुलिका का बदन कांप उठा और बिना कुछ देखे ही बोली

" आह्ह्ह्ह्हह मोहित नही छोड़ो मेरा हाथ। ये सब ठीक नही है। कोई देखा लेगा तो।

मोहित ने हैरानी से अपनी मम्मी की तरफ देखा और अंगूठी पहनाते हुए बोला:"

" क्या ठीक नहीं है मम्मी ? क्या एक बेटे का अपनी मां को शादी की सालगिरह पर गिफ्ट देना ठीक नहीं हैं ?

मधुलिका ने अपने बेटे के हाथ में अंगूठी देखी तो उसे अपन गलती का एहसास हुआ और उसने अपनी साड़ी का पल्लू ठीक किया और बात को संभालते हुए जल्दी से बोली:"

" अरे वो मैं कुछ और समझी थी। कुछ गलत नहीं है बेटा। लो अच्छे से पहनाओं अंगूठी।

मधुलिका ने अपने हाथ की उंगलियों को पूरा खोल दिया और मोहित ने उसके हाथ में अंगूठी पहना दी और बोला:"

" वैसे आप क्या समझी थी मम्मी ?

मधुलिका को समझ नही आया कि क्या जवाब दे क्योंकि तीर कमान से निकल गया था। मोहित उसके सामने खड़ा हो गया और बोला:"

" मेरी चांद सी खूबसूरत और आकर्षक मम्मी की शादी की सालगिरह की बधाई।

इतना कहकर वो अपनी मम्मी के गले लग गया और फिर से कान में बोला:" मम्मी आपने बताया नही कि आप क्या समझी थी ?

मधुलिका ने प्यार से उसकी कमर पर हल्का सा मारा और बोली:"

" तेरा सिर समझी थी। जा अब जाकर नहा ले और तैयार हो जा। तेरे पापा भी आने वाले होंगे।

मधुलिका के बदन से उठती हुई मादक खुशबू मोहित को पूरी तरह से मदहोश कर रही थी तो उसने मधुलिका को जोर से अपनी बांहों में कस लिया और बोला:"

" मेरी मम्मी दुनिया की सबसे खुबसूरत और अच्छी मम्मी हैं। सच में मम्मी आप आज स्वर्ग से उतरी हुई अप्सरा सी लग रही हो।

मधुलिका उसके हाथो की पकड़ महसूस सिहर उठी और बोली:"

" चल बहुत हो गई तारीफ। अब छोड़ मुझे आज नहा जाकर जल्दी नहीं तो मार खाएगा अब।

मोहित ने अपनी मम्मी को अपनी बांहों से आजाद किया और अंदर घर में घुस गया। थोड़ी देर के बाद वो नहाने के लिए चला गया। करीब 6:30 हो गए और राकेश का कोई पता नहीं था तो मधुलिका ने परेशान होकर उसका नंबर मिलाया तो राकेश ने फोन उठा लिया और बोला:"

" शादी की सालगिरह की बधाई मधु। सॉरी यार मधु मैं एक बिजनेस डील में फंस गया हू और रात को थोड़ा लेट करीब एक बजे तक ही घर पहुंच पाऊंगा। तुम और मोहित खाना खा लेना। अपना ध्यान रखना और मेरा ज्यादा इंतजार मत करना। मधुलिका यार प्लीज मुझे....

मधुलिका ने आगे उसकी बात सुनना जरूरी नहीं समझा और गुस्से से फोन काट लिया। उसका मूड पूरी तरह से खराब हो गया था और उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे। मधुलिका नाराज और परेशान सी हॉल में बैठ गई और अपने बेटे का इंतजार करने लगी। थोड़ी देर के बाद मोहित आ गया और उसने मम्मी को उदास देखा तो समझ गया कि उसके बाप ने फिर से कोई चूतियापा कर दिया है।

मोहित:" क्या हुआ मम्मी ? थोड़ी देर पहले आप का चांद सा रोशन मुस्कुराता हुआ चेहरा क्यों उतरा हुआ नजर आ रहा है ? कहीं पापा ने नाराज तो नही कर दिया ?

मधुलिका के सब्र का बांध टूट गया और गुस्से से बोली:"

" ऐसे भला कौन करता हैं मोहित, मैं कितनी बेचैनी से उनका इंतजार कर रही थी और उन्हें काम से ही फुरसत नहीं है आज के दिन। बोलते हैं कि रात के एक बज जायेगा। भला ये भी क्या बात हुई हैं ?

मोहित: छोड़ो मम्मी उन्हें और आप दिल छोटा मत करो। उनका तो ये हमेशा का काम है, कोई पहली बार थोड़े ही ऐसा किया है।

मधुलिका अपने बेटे की बात सुनकर अंदर से खुश हुई और उसकी नाराजगी शब्द बनकर उसके मुंह से फूटने लगी


" हान बेटा, हर बार का उनका यही काम हैं, बस पैसा पैसा। उनके पास परिवार के लिए कोई समय हैं ही नहीं।

मोहित ने बात को ज्यादा बढ़ाना ठीक नहीं समझा क्यूंकि वो अपनी मम्मी का मूड ज्यादा खराब नही करना चाहता था इसलिए बोला:"

" चलो कोई बात नही। हम दोनों ही तब तक केक काट लेते हैं और खाना खा लेते है। उनका क्या भरोसा आधी रात भी आए या नही आए।

मधुलिका अपने बेटे के रंग में रंगते हुए बोली:"

" हान बेटा बात तो ठीक हैं तुम्हारी। उनकी बात और गधे की लात। शायद उनसे इससे सबक भी मिले कि उनका बिना भी खुशियां मना सकते है।

मधुलिका ने टेबल पर केक रखा और मोहित ने सारी कैंडल एक एक करके जला दी और फिर मधुलिका ने कैंडल बुझा दी और केक काटने लगी तो मोहित अपनी मम्मी को बधाई देने लगा

" मेरी प्यारी मम्मी, दुनिया की सबसे खुबसूरत चांद सी खूबसूरत, प्यारी मम्मी को शादी की सालगिरह की बहुत बहुत बधाई।

मधुलिका ने एक केक का टुकड़ा काटा और अपने बेटे की तरफ बढ़ाते हुए बोली:"

" लो मेरे बेटे। सबसे पहले तुम्ही खाओ अपनी का के हाथ से केक।

मधुलिका ने केक आगे बढ़ाया तो मोहित ने अपने हाथ में पकड़ लिया और मधुलिका के मुंह से सामने करते हुए बोला:"

" सबसे पहले आप खाइए। अपना प्यारा सा मुंह खोलिए मम्मी।

मधुलिका ने मोहित की तरफ उसकी आंखो में देखते हुए अपने लाल सुर्ख रसीले लिप्स को खोल दिया तो मोहित ने केक अपने मम्मी के मुंह के अंदर कर दिया मधुलिका ने केक खा लिया। मधुलिका अपने बेटे के इस व्यवहार से बेहद खुश थी और उसने फिर अपने बेटे को केक खिलाया और मोहित ने खुशी खुशी केक खा लिया।

उसके बाद दोनो मा बेटे के खाना खाया और मोहित अपने कमरे में चला गया जबकि मधुलिका ने घर का थोड़ा बचा हुआ काम खत्म किया। रात के करीब 9 बज गए थे और उसके बाद मधुलिका अपने कमरे में आ गई। कमरे में आते ही मधुलिका बेड पर लेट गई और उसके दिल में टीस सी उठ गई। सच में उसका पति उसकी कोई कदर नही करता है। उसने उदास नजरो से कमरे को देखा कि उसने कितनी मेहनत और उमंगों से कमरे को सजाया था। मधुलिका ने अपनी कमर बेड के सिरहाने से लगा दी और सोच में डूब गई। उसकी खुबसूरत आंखे उदास लग रही और चेहरे पर मायूसी छाई हुई थी।


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कभी वो मायूसी से कमरे में फैली हुई मादक गंध को सूंघती तो कभी खिड़की पर टांगे हुए पर्दो को देखती। कभी तो अपने आपको देखती तो कभी बेड की खूबसूरत चादर पर फैले हुए गुलाब के खुशबूदार फूलो को देखती। मधुलिका को समझ नही आ रहा रहा था कि क्या। उसके बालो की कुछ आवारा लटे झूमती हुई उसके चेहरे पर आ गई तो वो उन्हें अपने हाथो से से पकड़ कर हटाने लगी।


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मधुलिका ने अपनी बालो की बहकी हुई लटो को ठीक किया और फिर तो उसकी नजर फिर से एक बार गुलाब की महकती हुई फूलो और पंखुड़ियों पर चली गई तो वो बेड पर लेटती चली गई जिससे उसकी साड़ी उसकी कमर पर से हट गई और उसकी कमर पर बस एक ब्रा की पतली सी स्ट्रिप रह गई थी अब उसके चेहरे के आस पास गुलाब की महकती हुई खुशबू आ रही थी और उसने अपना हाथ फूलो को अपने हाथ में भर लिया और उन्हें देखने लगी तो उसकी सांसों के कारण उसके मुंह से निकली हवा से कुछ गुलाब के फूल की पंखुड़ियां उड़कर उसके चेहरे से टकराई मानो उससे पूछ रही थी हो कि हमारे साथ ये अन्याय क्यों , हम तो तेरे मखमल से कोमल बदन के नीचे बिछकर मसले जाने के लिए कब से तैयार हैं।

मधुलिका ने गुलाब की पंखुड़ियों को हाथो मे भर लिया और उन्हें देखते हुए जोर जोर से अपनी मुट्ठी में मसलने लगी मानो उनकी मसले जाने की इच्छा पूरी कर कर रही हो। गुलाब के फूलो की पंखुड़ियां नाराज सी होकर उसके हाथो से नीचे गिरने लगी मानो उन्हें हाथ से मसले जाना पसंद ना आया हो।


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मधुलिका ये सब देख कर बेहद उदास हो गई और सोच में डूब गई कि तभी उसका मोबाइल बज उठा। उसने देखा कि नेहा का फोन था तो उसने उठा लिया और बोली:"

" हान नेहा, कैसी हो ?

नेहा:" अरे अच्छी हु मैडम। मुझे लगा था कि तुम शायद फोन ही नहीं उठाएगी क्योंकि जीजा जी के साथ बिजी होगी।

मधुलिका उदास मन से बोली:"

" अरे यार अभी वो ऑफिस से आए ही नहीं। शायद 12 बजे तक आए। चल तू बता कैसे फोन किया ?

नेहा:" ओह आज भी इतना काम। टैटू तो तूने बनवाया नही होगा मुझे पक्का पता है। चल मैं तो यही कहूंगी कि तुम हो सके तो तक तक टैटू बनवा कर आ जाओ। ये उनके सरप्राइज़ होगा।

मधुलिका:" अच्छा चल देखती हु। अब तो रात भी काफी हो गई हैं अब कहां जाऊंगी।

नेहा:" जब देखो बहाने, कितनी फट्टू हो तुम सच में। मैं तो रात को 11 बजे जाकर टैटू बनवा आई थी समझे। अरे हां बात सुन मेरी एक सहेली ने टैटू बनवाया था लेकिन ठीक से ट्यूब से मालिश नही करी तो उसकी स्किन पर निशान पड़ गए। तुम अपने टैटू की टाइट हाथो से रगड़ रगड़ कर मालिश करती रहना ताकि कोई दिक्कत न हो। अच्छा रखती हु।

इतना कहकर उसने फोन काट दिया और मधुलिका स्किन खराब होने की बात सुनकर डर गई और अपने ड्राइवर से ट्यूब निकाली और क्रीम हाथ में लेकर मालिश करने लगी। मधुलिका मालिश तो कर रही थी लेकिन उसे सुकून नही मिल रहा रहा था क्योंकि उसके हाथ तो कोमल और मुलायम थे जबकि मालिश कठोर हाथो से होनी चाहिए। कठोर हाथ तो सिर्फ उसके बेटे के ही है। तो क्या मैं अपने बेटे से मालिश कराऊ !! क्या करू फिर। रात भी तो मैं उससे मालिश कराने के लिए तैयार थी। फिर आज ही कराने में क्या दिक्कत हैं, एक काम करती हु उसके रूम में ही चली जाती हु। मधुलिका उठने लगी तो उसे याद आया कि उसका बेडरूम कितना सुंदर लग रहा है तो क्यों न यहीं मालिश करवा लू। अच्छी खुश्बू भी आती रहेगी।
लेकिन कहीं वो फिर से उस दिन की तरह बहक गया तो, उफ्फ कैसे उस दिन टैटू बनाने के लिए उसने मेरी चूची को अपनी हथेली में भर लिया ताकि उछलने से रोक सके। मधुलिका के मन में तभी दूसरा विचार आया कि मैं तो मालिश के लिए ही तो बुला रही हु, कौन सा मुझे टैटू बनवाना हैं उससे। तभी मधुलिका का दिल तेजी से धड़कने लगा और उसकी सोच फिर से बदल गई कि आज नही तो कल तुझे टैटू तो बनवाना ही हैं तो फिर क्यों न आज ही अपने बेटे से टैटू बनवा लू और इतना अच्छा मौका फिर नही मिलेगा, इतना अच्छा सजा महकता हुआ कमरा और सुंदर फूलो से सजा हुआ बेड।


मधुलिका के अंदर विचारो की जंग छिड़ी हुई थी और उसके दिल और दिमाग में एक बहस सी मची थी। मधुलिका क्या तू अपने सगे बेटे से अपनी चूची, गांड़ पर चूत पर टैटू बनवा लेगी, नही नही ये सब ठीक नही है।

मधुलिका का जिस्म और उसका दिल उसका साथ नहीं दे रहा था। मधुलिका ने फिर से सोचा कि एक काम करती हु सिर्फ चूची पर ही टैटू बनवा लेती हूं। लेकिन मुझे अपने आप पर काबू रखना होगा और अपने सीने को उछलने से रोकना होगा नही तो वो उछलने से रोकने लिए फिर से मेरी चूची को अपनी हथेली में भर लेगा। ये सोचते हुए मधुलिका ने अपनी चुचियों की तरह देखा तो उसे अपनी चूचियां हिलती हुई नजर आई तो मधुलिका कांप उठी और उसने फिर से अपनी चुचियों की तरफ देखा जिनके निप्पल अकड़ कर खड़े हो गए थे मानो कह रहे हो कि एक बार तो वो पहले ही पकड़ चुका हैं तो अगर फिर से पकड़ लेगा तो क्या मुसीबत आ जाएंगी और वैसे भी कौन सा किसी को पता चलने वाला हैं। मधुलिका ने अपनी चुचियों को घूरा मानो उन्हें कह रही हो कि आज देखती हूं तुम कैसे मेरे काबू से बाहर जाती हो।

मधुलिका ने बहुत सोच विचार किया लेकिन सही गलत का फैसला नही कर पा रही थी कि तभी बाहर हल्की हल्की बारिश होने लगी जो मधुलिका की सबसे बड़ी कमजोरी थी और अब मधुलिका खुद से ही हार गई और अंततः उसका दिमाग उसके दिल और जिस्म के आगे हार गया। लेकिन उसके अंदर अभी भी इतनी हिम्मत नही थी कि अपने बेटे को बोल सके कि टैटू बनाने वाले समान का बैग भी लेते आना। उसने अंतिम निर्णय कर लिया कि अपने बेटे को मालिश के लिए बुला ही लेती हूं। मधुलिका उठी और उसने कमरे में तेज रोशनी में जल रहे बल्ब को बंद कर दिया और एक हल्का गुलाबी रोशनी वाला नाईट बल्ब जला दिया और उसने अपने जिस्म की सारी हिम्मत समेटकर अपने बेटे को आवाज लगाई

" मोहित बेटा जरा वो रात वाली ट्यूब एक और लेते आना खत्म हो गई हैं।
Bahut hi badhiya update diya hai Unique star ji...
Nice and beautiful update...
 

Tiger 786

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मधुलिका बाथरूम के अंदर घुस गई और उसने चैन की सांस ली। उसकी सांसे अभी तक उसके काबू में नहीं थी जिससे उसकी चुचियों में कंपन अभी भी हो रहा था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि कैसे वो अपने बेटे के साथ इस बार फिर से बहक गई थी। पिछली बार जो हुआ वो अचानक से हुआ हादसा था लेकिन इस बार सब उसकी मर्जी से हुआ था और कैसे कठोर हाथ से वो मेरे कंधे और गर्दन की मालिश कर रहा था बल्कि कितनी कठोरता से सहला रहा था।

मधु ने अपने हाथ को अपने कंधे पर रख कर सहलाया तो इसे अजीब से सुकून की अनुभूति हुई लेकिन उसके बेटे के हाथो की बात ही और थी। मधुलिका का बदन इस समय कामाग्नि में बुरी तरह से जल रहा था और उसने एक पानी का डिब्बा लिया और अपने डालने लगी ताकि कुछ राहत मिल सके लेकिन उसका जिस्म आज अपने पीते उफान पर था और पानी से उसका जिस्म और गर्म होता जा रहा था। मधुलिका नहाती रही लेकिन कोई खास फर्क नहीं पड़ रहा था। मधुलिका को अपने जिस्म पर पानी डालते हुए आधे घंटे से ज्यादा हो गया था इसलिए वो उसने कमरे मे जाना का फैसला किया। मधुलिका एक बार फिर से बिलकुल नंगी ही बाहर आ गई और अपने कमरे की तरफ चल पड़ी। हॉल में अभी भी पहले जैसा ही अंधेरा था बस किचन से बहुत हल्की हल्की लाइट आ रही थी। मधुलिका हॉल में खड़ी हो गई और उसे याद आया कि यहीं उसके बेटे ने उसे एक ट्यूब दी थी टैटू पर लगाने के लिए जो यहीं कहीं गिर गई थी। मधुलिका ट्यूब देखने लगी लेकिन उसे कहीं ट्यूब नही मिल रही थी। काफी देर ढूंढने के बाद भी उसे ट्यूब नही मिली तो उसके मन में विचार आया कि क्या वो ट्यूब जल्दी में मोहित अपने साथ तो नही ले गया। ये विचार मन में आते ही मधुलिका का बदन कांप उठा क्योंकि टैटू की मालिश के लिए क्या मुझे फिर से अपने बेटे से ट्यूब लेनी चाहिए।

मधुलिका की समझ में नही आ रहा था कि क्या करे क्योंकि वो एक बार फिर से बहकना नही चाहती थी लेकिन उसका जिस्म उसका साथ नहीं दे रहा था। मधुलिका की सांसे एक बार फिर से तेज होने लगी और वो धीरे से अपने रूम की तरफ बढ़ गई। कमरे के बाहर से ही उसने देखा कि राकेश उल्टा पड़ा हुआ गहरी नींद में सो रहा था और उसके जोर जोर से खर्राटे निकल रहे थे। मधुलिका का पूरा जिस्म कांप रहा था और आंखे लाल सुर्ख हो गई थी। अपने पति को गहरी नींद में सोते हुए देखकर मधुलिका की आंखे चमक उठी और उसने धीरे से पहले पर्दा गिराया और फिर दरवाजे को बंद कर दिया। मधुलिका एक बार फिर से भूल गई कि वो पूरी तरह से नंगी हैं। मधुलिका फिर से हाल में आ गई और चक्कर काटने लगी। वो अपने बेटे से ट्यूब लेना चाह रही थी लेकिन उसका गेट खटखटाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी।मधुलिका ने हिम्मत करके सूखे हुए को किसी तरह अपने थूक से गीला किया और धीरे धीरे दबे हुए अपने बेटे के कमरे की तरफ चल पड़ी। मधुलिका के पैर जैसे अपने आप उठते जा रहे थे और वो उसके दरवाजे के ठीक सामने पहुंच गई। मधुलिका ने अपना कांपता हुआ हाथ उठाया और धीरे से हिम्मत करके दरवाजे पर मारा और मधुलिका की सांसे एक बार फिर से तेज हो गई। मोहित अभी तक अपनी मां के साथ हुए उस हसीन हादसे को बैठा हुआ सोच रहा था और कमरे पर दस्तक सुनकर उसका दिल धड़क उठा। है भगवान अब कौन आ गया ? कहीं मम्मी ने पापा को तो नही बता दिया। मोहित डर के मारे कांप उठा और उसकी समझ नही आ रहा था कि क्या करे तभी फिर से उसके दरवाजे पर दस्तक हुई तो मोहित के पसीने छूट गए और वो कांपता हुआ दरवाजे की तरफ बढ़ने लगा। मोहित ने हिम्मत करके भगवान को याद करते हुए दरवाजा खोल दिया तो उसे सामने अंधेरे में एक साया नजर आया तो मोहित समझ गया कि उसे उसकी मम्मी मधुलिका ही हैं। अपनी मम्मी को फिर से अपने कमरे के गेट पर आधी रात देख कर मोहित का दिल धड़क उठा और मोहित बाहर आ गया।

अपने बेटे को बाहर निकलते हुए देख कर मधुलिका की सांसे फिर से और तेज हो गई और उसके समूचे बदन में उत्तेजना की एक लहर सी दौड़ गई। मोहित एक बार फिर से उसके सामने खड़ा और धीरे से कांपते हुए शब्दों में बोला:"

" क्या हुआ मम्मी ? आप इतनी रात गए सब ठीक तो हैं ?

मधुलिका की जुबान को जैसे लकवा सा मार गया लेकिन फिर भी अपने जिस्म की सारी हिम्मत समेटकर बहुत ही धीमी सी मधुर आवाज में बोली:"

" वो बेटा टैटू वाली क्रीम नही मिली मुझे, शायद कहीं गिर गई होंगी अंधेरे में, कहीं सूजन आ गई तो दिक्कत होगी!

मोहित का दिल खुशी के मारे झूम उठा और अपनी जेब से उसने ट्यूब निकाली और उसके हाथ की तरफ बढ़ा दी। मधुलिका ने अपना कांपता हुआ हाथ आगे बढ़ा दिया और मोहित ने उसका हाथ थाम लिया। ट्यूब मधुलिका के हाथ में आ गई थी लेकिन ना तो मोहित ने उसका हाथ छोड़ा और न ही उसने छुटाने का कोई प्रयास किया। मधुलिका मोहित के हाथ की कठोरता महसूस करके फिर से उत्तेजित होने लगी और मधुलिका ने बड़ी मुश्किल से अपनी सांसे थामे खड़ी रही और फिर धीरे से बोली:"

" रात बहुत हो गई है मोहित, अभी मैं चलती हु।

इतना कहकर मधुलिका अपना हाथ छुड़ाने लगी तो मोहित धीरे से बोला:"

" मम्मी कहीं आप ठीक से क्रीम न लगा पाई तो दिक्कत होगी फिर, स्किन खराब हो सकती है।

मधुलिका तो कब से अपने बेटे के मुंह से यही सुनने के लिए तड़प रही थी। उसने बिना कुछ ट्यूब को वापिस मोहित के हाथ में थमा दिया और उसकी तरफ अपनी पीठ करके खड़ी हो गई। एक तरह से ये उसके लिए खुला आमंत्रण था। मोहित की भी सांसे आने वाले पलो के बारे में सोचकर तेज हो गई और उसने ट्यूब का ढक्कन खोला और थोड़ी सी क्रीम फिर से अपनी उंगलियों पर लगा ली और जैसे ही उसने मधुलिका की गर्दन को छुआ तो कमरा का गेट खुला और राकेश बाहर निकलते हुए दिखा जो मधुलिका को आवाज लगा रहा था।

निराश मोहित एक बार फिर से धीरे से अंधेरे का फायदा उठाकर अपने कमरे में घुस गया और मधुलिका का तो मूड ही खराब हो गया और अपने पति को मन ही मन गालियां देने लगी और ऐसे चलने लगी मानो हॉल में टहल रही हो।

चलती हुई वो राकेश के सामने पहुंची तो राकेश बोला:"

" अरे तुम्हे ढूंढ रहा था। इतनी रात को क्यों टहल रही हो हॉल में तुम ?

मधुलिका गुस्से भरे भाव से अपने शब्दो को चबाकर बोली:"

" नींद नही आ रही थी। इसलिए घूम रही हूं।

राकेश उसके बोलने के अंदाज को देखकर चुप हो गया और बाथरूम की तरफ बढ़ गया। वहीं मधुलिका गुस्से और निराशा से अपने पैरो को पटकती हुई अपने बेडरूम में घुस गई और बेड पर लेटकर सोने का प्रयास करने लगी। सोचते सोचते कब उसकी नींद लग गई उसे कुछ पता ही नही चला।

अगले दिन सुबह रोज की तरह दिनचर्या शुरू हुई और मधुलिका ने नाश्ता तैयार किया और सभी लोग एक साथ बैठकर नाश्ता करने लगे।

मधुलिका:" सुनो ना आज हमारी शादी की सालगिरह हैं। इसलिए आप शाम को ऑफिस से थोड़े जल्दी आ जाना और मैं सोच रही थी कि अपने कुछ रिश्तेदार और दोस्तो को भी बुला लेती हूं।

राकेश ने उसकी तरह देखा और समझ गया कि अगर पार्टी होगी तो बेकार में पैसा खर्च होगा इसलिए बात को घुमाते हुए बोला:"

" देखो मधु एक काम करते हैं दोस्तो और रिश्तेदारों के लिए आप रहने देते हैं। बाद में फिर कभी बुला लेंगे और हां आज मैं और दिन की तरह लेट नही आऊंगा बल्कि समय से पहले ही आ जाऊंगा।

मधुलिका ने कोई बहस करना जरूरी नहीं समझा और और अपने होंठो पर जबरदस्ती स्माइल लाते हुए बोली:"

" अच्छा चलो ठीक हैं। जैसे आपको बेहतर लगे लेकिन आज शाम छह बजे तक जरूर आ जाना। और मोहित बेटा तुम भी आ जाना आज समय से। ज्यादा लेट मत करना समझे।

मोहित:" मम्मी आप बेफिक्र रहे। मैं छह बजे आराम से आ जाऊंगा और एक काम करूंगा आज शाम के लिए खाना भी लेते आऊंगा।

मधुलिका अपने बेटे की बात सुनकर खुश हुई और राकेश इस बात से खुश था कि चलो मधु मान गई नही तो बेकार में ही पैसा खर्च हो जाता।

उसके बाद सभी लोग अपने काम पर चले और मधुलिका घर के काम में लग गई। दोपहर का समय था और मधुलिका लेती हुई आराम कर रही थी कि उसका फोन बज उठा। नेहा का फोन था तो मधुलिका ने खुशी खुशी उठा लिया और बोली:"

" कैसी हो नेहा मैडम ?

नेहा:" मैं तो अच्छी हु तुम बताओ कैसी हो क्या चल रहा हैं ?

मधुलिका:" बस जी सब ठीक हैं। क्या कर रही थी ?

नेहा:" कुछ नही घर के काम खत्म किए तो सोचा तुझसे बात कर लू। अच्छा बता टैटू बनवा लिया क्या तूने ?

मधुलिका उसकी बात सुनकर स्माइल करते हुए बोली:"

" अभी तो मैं बनवाया। यार कल शाम ही तो मिले थे हम उसके बाद से टाइम ही कहां मिला ?

नेहा:" बस बस बहाने मत बना। इतना भी समय नहीं लगता। चल तेरी मर्जी। अरे मै तो बातो बातो में भूल ही गई कि आज तो तेरी शादी की सालगिरह हैं। तुम दोनो को बहुत बहुत बधाई।

मधुलिका खुश हो गई और बोली:"

" थैंक्स नेहा। वैसे कमाल है तुझे याद था।

नेहा:" अरे एक तुम तो मेरी सबसे अच्छी और प्यारी सहेली हो। मुझे याद नहीं रहेगा तो किसे याद रहेगा।

मधुलिका:" हान वो तो तू हैं और हमेशा रहेगी मेरी जान।

नेहा:" अच्छा तो मेरी एक बात सुन, आज के दिन ही तू अपने सभी टैटू बनवा ले। तेरे पति को ये तेरी तरफ से सालगिरह का तोहफा होगा।

मधुलिका उसकी बात से सहमत हुई और बोली:"

" हान यार। तेरी बात में दम है चल फिर आज शाम को तक बनवा लुंगी।

नेहा:" अच्छा चल मैं तुझे बाद में कॉल करती हु। मुझे बाहर जाना हैं थोड़ा काम हैं।

इतना कहकर उसने फोन काट दिया और मधुलिका एक बार फिर से सोच में पड़ गई कि टैटू किस से बनवाया जाए। अपने बेटे से वो नही बनवाना चाहती थी और उसने फिर एक के बाद एक सभी मुंबई के टैटू ऑफिस में फोन किया लेकिन उसे कहीं भी किसी भी कीमत पर आज के लिए बुकिंग नहीं मिली। मधुलिका को समझ में नही आ रहा था कि क्या करे क्योंकि उसके सामने अब एक ही रास्ता बचा था कि अपने बेटे से टैटू बनवाए लेकिन वो उसके लिए तैयार नहीं थी।

मधुलिका ने सोचा आज नही तो कल टैटू बनवा लूंगी एक दिन में कौन सी मुसीबत आ जायेगी। उसने थोड़ा आराम करने का सोचा और उसके बाद सो गई। करीब दिन बजे के आस पास वो उठी और अपने बेडरूम की सफाई में जुट गई। वो अपने के साथ आज की रात को यादगार बनाना चाहती थी इसलिए उसने सबसे पहले बेडरूम की सफाई करी उसके बाद उसने बहुत ही सुंदर फूलो से सजी हुई सफेद रंग की चादर बेड पर डाल दी। ये सब करते हुए मधुलिका का मन मयूर नृत्य कर रहा था और जिस्म में हल्की हल्की गुदगुदी सी हो रही थी। उसका चेहरा शर्म से लाल हो रहा और उसने अपने बेडरूम के परदे भी बदल लिए और नए परदे लगाने से बेडरूम बेहद खूबसूरत लग रहा था।

सारे काम खत्म करने के बाद उसने ब्यूटी पार्लर जाने का फैसला किया क्योंकि औरत प्राचीन काल से पुरुष को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए सौंदर्य का सहारा लेती रही है और मधुलिका भी इसका अपवाद नहीं थी। ब्यूटी पार्लर से करीब पांच बजे के आस पास वो अपने घर पहुंच गई और उसके जिस्म का रोम रोम महक रहा था। लाल रंग के गोल गले के ब्लाउस और गहरे काले रंग की साड़ी वो बला की खूबसूरत लग रही थी। उसके स्टेट किए किए हुए काले लंबे बाल उसके चेहरे के एक तरफ फैले हुए थे जिससे उसकी गर्दन पर बना हुआ टैटू उसकी सुंदरता में चार चांद लगा रहा था। बड़ी बड़ी गहरे काले काजल से सजी आंखे, रस टपकाते हुए पतले कपड़े लिप्स, नंगे खूबसूरत गोरे गोरे चिकने कंधे और उसके लाल सुर्ख ब्लाउस से झांकते हुए उसकी गोल गोल ठोस चुचियों के उभार जिसमे सिर्फ दो बटन लगे हुए थे। उसकी गोल गोल गहरी खूबसूरत नाभि और उसकी गोल गोल गोरी गोरी ढोल की तरह उठी हुई गांड़ पर लिपटी हुई काले रंग की साड़ी सच में बेहद खूबसूरत लग रही थी। माथे पर लगा हुआ सिंदूर और माथे के बीचों बीच में हुई लाल रंग की खूबसूरत बिंदी, गले में पहना हुआ सोने का मंगल सूत्र जो उसकी चूची की गहराइयों के बीफ में गायब हो रहा रहा था। हाथो मे सजी हुई लाल रंग की कांच की खूबसूरत चूड़ियां और पैरों में सजी हुई छन छन करती हुई पायल। मधुलिका सचमुच किसी नई नई नवेली दुल्हन की तरह लग रही थी।

मधुलिका ने एक बार खुद को शीशे में देखा और अपने रूप सौंदर्य पर खुद ही मोहित होती चली गई। सच में मधुलिका कुदरत की कारीगरी का नायाब नमूना थी, उसे देख कर ऐसा लग रहा था मानो भगवान ने गलती से इंद्र लोक से कोई अप्सरा ही जमीन पर भेज दी थी।

मधुलिका ने एक बेहद ही मादक तेज गंध वाला कामुक परफ्यूम कमरे में छिड़क दिया क्योंकि उसे परफ्यूम बेहद पसंद था। छह बजने वाले थे और मधुलिका बेचैनी से अपने पति का इंतजार कर रही थी। दरवाजा नॉक हुआ और मधुलिका इसी रूप में दरवाजा खोलने के लिए चली गई। वो पहली ही नज़र में अपने पति को पूरी तरह से मदहोश कर देना चाहती थी। उसकी काले रंग की साड़ी का पल्लू बिलकुल पूरी तरह से पारदर्शी था जिसमे से उसकी चुचियों की गोलाई और गहरी खूबसूरत नाभि नजर आ रही थी। कामुक खूबसूरत गहरी नाभि भी अपने सौंदर्य की अद्भुत अनोखी छटा बिखेर रही थी।

मधुलिका ने धीरे से अपना हाथ आगे बढाया और दरवाजा खोलकर बिना देखे ही अपना चेहरा शर्म के मारे दूसरी तरफ घुमा दिया।

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दरवाजे पर उसका पति नही बल्कि बेटा मोहित खड़ा हुआ था और वो अपनी मां के ऐसे रूप सौंदर्य को देखकर हक्का बक्का सा रह गया। मधुलिका का चेहरे दूसरी तरफ था इसलिए उसने पहली बार ध्यान से अपनी मां की लाल रंग के ब्लाउस से झांकती हुई गोल गोल नारियल के आकार की चुचियों का मदहोश करने वाला उभार देखा। अपनी सगी मां की गहरी खूबसूरत नाभि देख कर मोहित अपनी मम्मी की तारीफ लिए बिना ना रह सका

" ओह ओह गॉड। मम्मी आप सच में आज बेहद खूबसूरत लग रही है। लगता है स्वर्ग से साक्षात मेनका उतर आई हैं।

अपने बेटे की आवाज सुनकर मधुलिका को को झटका सा लगा और उसने पलटकर देखा तो गेट पर अपने बेटे को देखकर घबराहट और शर्म के मारे उसके मुंह से निकला

" ओह मोहित तुम।


शर्म के मारे उसके कंधे से साड़ी का पल्लू सरक गया और उसकी आंखे एक फिर से दूसरी तरफ घूम गई।


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उफ्फ मधुलिका ने मानो मोहित की जान निकल दी थी। साड़ी का पल्लू गिर जाने से उसकी चुचियों का उभार और गहरी नाभि बिलकुल साफ साफ दिख रहे थे और मोहित ने आज तक ऐसी सुंदरी सपने में भी नहीं देखी थी। उसे एक पहली बार एहसास हो रहा था उसके घर में मा के रूप में कामदेवी रहती है। मधुलिका की नाभि देखकर उसकी जीभ अपने आप बाहर निकल गई मानो उसकी मां की गहरी नाभि को चूमने के लिए बेताब हो। मोहित ने हिम्मत और सब्र से अपनी जीभ को अंदर किया और अपने जेब से एक सुंदर सी हीरे की अंगूठी निकाली और आगे बढ़कर अपनी मां का हाथ पकड़ लिया तो मधुलिका का बदन कांप उठा और बिना कुछ देखे ही बोली

" आह्ह्ह्ह्हह मोहित नही छोड़ो मेरा हाथ। ये सब ठीक नही है। कोई देखा लेगा तो।

मोहित ने हैरानी से अपनी मम्मी की तरफ देखा और अंगूठी पहनाते हुए बोला:"

" क्या ठीक नहीं है मम्मी ? क्या एक बेटे का अपनी मां को शादी की सालगिरह पर गिफ्ट देना ठीक नहीं हैं ?

मधुलिका ने अपने बेटे के हाथ में अंगूठी देखी तो उसे अपन गलती का एहसास हुआ और उसने अपनी साड़ी का पल्लू ठीक किया और बात को संभालते हुए जल्दी से बोली:"

" अरे वो मैं कुछ और समझी थी। कुछ गलत नहीं है बेटा। लो अच्छे से पहनाओं अंगूठी।

मधुलिका ने अपने हाथ की उंगलियों को पूरा खोल दिया और मोहित ने उसके हाथ में अंगूठी पहना दी और बोला:"

" वैसे आप क्या समझी थी मम्मी ?

मधुलिका को समझ नही आया कि क्या जवाब दे क्योंकि तीर कमान से निकल गया था। मोहित उसके सामने खड़ा हो गया और बोला:"

" मेरी चांद सी खूबसूरत और आकर्षक मम्मी की शादी की सालगिरह की बधाई।

इतना कहकर वो अपनी मम्मी के गले लग गया और फिर से कान में बोला:" मम्मी आपने बताया नही कि आप क्या समझी थी ?

मधुलिका ने प्यार से उसकी कमर पर हल्का सा मारा और बोली:"

" तेरा सिर समझी थी। जा अब जाकर नहा ले और तैयार हो जा। तेरे पापा भी आने वाले होंगे।

मधुलिका के बदन से उठती हुई मादक खुशबू मोहित को पूरी तरह से मदहोश कर रही थी तो उसने मधुलिका को जोर से अपनी बांहों में कस लिया और बोला:"

" मेरी मम्मी दुनिया की सबसे खुबसूरत और अच्छी मम्मी हैं। सच में मम्मी आप आज स्वर्ग से उतरी हुई अप्सरा सी लग रही हो।

मधुलिका उसके हाथो की पकड़ महसूस सिहर उठी और बोली:"

" चल बहुत हो गई तारीफ। अब छोड़ मुझे आज नहा जाकर जल्दी नहीं तो मार खाएगा अब।

मोहित ने अपनी मम्मी को अपनी बांहों से आजाद किया और अंदर घर में घुस गया। थोड़ी देर के बाद वो नहाने के लिए चला गया। करीब 6:30 हो गए और राकेश का कोई पता नहीं था तो मधुलिका ने परेशान होकर उसका नंबर मिलाया तो राकेश ने फोन उठा लिया और बोला:"

" शादी की सालगिरह की बधाई मधु। सॉरी यार मधु मैं एक बिजनेस डील में फंस गया हू और रात को थोड़ा लेट करीब एक बजे तक ही घर पहुंच पाऊंगा। तुम और मोहित खाना खा लेना। अपना ध्यान रखना और मेरा ज्यादा इंतजार मत करना। मधुलिका यार प्लीज मुझे....

मधुलिका ने आगे उसकी बात सुनना जरूरी नहीं समझा और गुस्से से फोन काट लिया। उसका मूड पूरी तरह से खराब हो गया था और उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे। मधुलिका नाराज और परेशान सी हॉल में बैठ गई और अपने बेटे का इंतजार करने लगी। थोड़ी देर के बाद मोहित आ गया और उसने मम्मी को उदास देखा तो समझ गया कि उसके बाप ने फिर से कोई चूतियापा कर दिया है।

मोहित:" क्या हुआ मम्मी ? थोड़ी देर पहले आप का चांद सा रोशन मुस्कुराता हुआ चेहरा क्यों उतरा हुआ नजर आ रहा है ? कहीं पापा ने नाराज तो नही कर दिया ?

मधुलिका के सब्र का बांध टूट गया और गुस्से से बोली:"

" ऐसे भला कौन करता हैं मोहित, मैं कितनी बेचैनी से उनका इंतजार कर रही थी और उन्हें काम से ही फुरसत नहीं है आज के दिन। बोलते हैं कि रात के एक बज जायेगा। भला ये भी क्या बात हुई हैं ?

मोहित: छोड़ो मम्मी उन्हें और आप दिल छोटा मत करो। उनका तो ये हमेशा का काम है, कोई पहली बार थोड़े ही ऐसा किया है।

मधुलिका अपने बेटे की बात सुनकर अंदर से खुश हुई और उसकी नाराजगी शब्द बनकर उसके मुंह से फूटने लगी


" हान बेटा, हर बार का उनका यही काम हैं, बस पैसा पैसा। उनके पास परिवार के लिए कोई समय हैं ही नहीं।

मोहित ने बात को ज्यादा बढ़ाना ठीक नहीं समझा क्यूंकि वो अपनी मम्मी का मूड ज्यादा खराब नही करना चाहता था इसलिए बोला:"

" चलो कोई बात नही। हम दोनों ही तब तक केक काट लेते हैं और खाना खा लेते है। उनका क्या भरोसा आधी रात भी आए या नही आए।

मधुलिका अपने बेटे के रंग में रंगते हुए बोली:"

" हान बेटा बात तो ठीक हैं तुम्हारी। उनकी बात और गधे की लात। शायद उनसे इससे सबक भी मिले कि उनका बिना भी खुशियां मना सकते है।

मधुलिका ने टेबल पर केक रखा और मोहित ने सारी कैंडल एक एक करके जला दी और फिर मधुलिका ने कैंडल बुझा दी और केक काटने लगी तो मोहित अपनी मम्मी को बधाई देने लगा

" मेरी प्यारी मम्मी, दुनिया की सबसे खुबसूरत चांद सी खूबसूरत, प्यारी मम्मी को शादी की सालगिरह की बहुत बहुत बधाई।

मधुलिका ने एक केक का टुकड़ा काटा और अपने बेटे की तरफ बढ़ाते हुए बोली:"

" लो मेरे बेटे। सबसे पहले तुम्ही खाओ अपनी का के हाथ से केक।

मधुलिका ने केक आगे बढ़ाया तो मोहित ने अपने हाथ में पकड़ लिया और मधुलिका के मुंह से सामने करते हुए बोला:"

" सबसे पहले आप खाइए। अपना प्यारा सा मुंह खोलिए मम्मी।

मधुलिका ने मोहित की तरफ उसकी आंखो में देखते हुए अपने लाल सुर्ख रसीले लिप्स को खोल दिया तो मोहित ने केक अपने मम्मी के मुंह के अंदर कर दिया मधुलिका ने केक खा लिया। मधुलिका अपने बेटे के इस व्यवहार से बेहद खुश थी और उसने फिर अपने बेटे को केक खिलाया और मोहित ने खुशी खुशी केक खा लिया।

उसके बाद दोनो मा बेटे के खाना खाया और मोहित अपने कमरे में चला गया जबकि मधुलिका ने घर का थोड़ा बचा हुआ काम खत्म किया। रात के करीब 9 बज गए थे और उसके बाद मधुलिका अपने कमरे में आ गई। कमरे में आते ही मधुलिका बेड पर लेट गई और उसके दिल में टीस सी उठ गई। सच में उसका पति उसकी कोई कदर नही करता है। उसने उदास नजरो से कमरे को देखा कि उसने कितनी मेहनत और उमंगों से कमरे को सजाया था। मधुलिका ने अपनी कमर बेड के सिरहाने से लगा दी और सोच में डूब गई। उसकी खुबसूरत आंखे उदास लग रही और चेहरे पर मायूसी छाई हुई थी।


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कभी वो मायूसी से कमरे में फैली हुई मादक गंध को सूंघती तो कभी खिड़की पर टांगे हुए पर्दो को देखती। कभी तो अपने आपको देखती तो कभी बेड की खूबसूरत चादर पर फैले हुए गुलाब के खुशबूदार फूलो को देखती। मधुलिका को समझ नही आ रहा रहा था कि क्या। उसके बालो की कुछ आवारा लटे झूमती हुई उसके चेहरे पर आ गई तो वो उन्हें अपने हाथो से से पकड़ कर हटाने लगी।


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मधुलिका ने अपनी बालो की बहकी हुई लटो को ठीक किया और फिर तो उसकी नजर फिर से एक बार गुलाब की महकती हुई फूलो और पंखुड़ियों पर चली गई तो वो बेड पर लेटती चली गई जिससे उसकी साड़ी उसकी कमर पर से हट गई और उसकी कमर पर बस एक ब्रा की पतली सी स्ट्रिप रह गई थी अब उसके चेहरे के आस पास गुलाब की महकती हुई खुशबू आ रही थी और उसने अपना हाथ फूलो को अपने हाथ में भर लिया और उन्हें देखने लगी तो उसकी सांसों के कारण उसके मुंह से निकली हवा से कुछ गुलाब के फूल की पंखुड़ियां उड़कर उसके चेहरे से टकराई मानो उससे पूछ रही थी हो कि हमारे साथ ये अन्याय क्यों , हम तो तेरे मखमल से कोमल बदन के नीचे बिछकर मसले जाने के लिए कब से तैयार हैं।

मधुलिका ने गुलाब की पंखुड़ियों को हाथो मे भर लिया और उन्हें देखते हुए जोर जोर से अपनी मुट्ठी में मसलने लगी मानो उनकी मसले जाने की इच्छा पूरी कर कर रही हो। गुलाब के फूलो की पंखुड़ियां नाराज सी होकर उसके हाथो से नीचे गिरने लगी मानो उन्हें हाथ से मसले जाना पसंद ना आया हो।


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मधुलिका ये सब देख कर बेहद उदास हो गई और सोच में डूब गई कि तभी उसका मोबाइल बज उठा। उसने देखा कि नेहा का फोन था तो उसने उठा लिया और बोली:"

" हान नेहा, कैसी हो ?

नेहा:" अरे अच्छी हु मैडम। मुझे लगा था कि तुम शायद फोन ही नहीं उठाएगी क्योंकि जीजा जी के साथ बिजी होगी।

मधुलिका उदास मन से बोली:"

" अरे यार अभी वो ऑफिस से आए ही नहीं। शायद 12 बजे तक आए। चल तू बता कैसे फोन किया ?

नेहा:" ओह आज भी इतना काम। टैटू तो तूने बनवाया नही होगा मुझे पक्का पता है। चल मैं तो यही कहूंगी कि तुम हो सके तो तक तक टैटू बनवा कर आ जाओ। ये उनके सरप्राइज़ होगा।

मधुलिका:" अच्छा चल देखती हु। अब तो रात भी काफी हो गई हैं अब कहां जाऊंगी।

नेहा:" जब देखो बहाने, कितनी फट्टू हो तुम सच में। मैं तो रात को 11 बजे जाकर टैटू बनवा आई थी समझे। अरे हां बात सुन मेरी एक सहेली ने टैटू बनवाया था लेकिन ठीक से ट्यूब से मालिश नही करी तो उसकी स्किन पर निशान पड़ गए। तुम अपने टैटू की टाइट हाथो से रगड़ रगड़ कर मालिश करती रहना ताकि कोई दिक्कत न हो। अच्छा रखती हु।

इतना कहकर उसने फोन काट दिया और मधुलिका स्किन खराब होने की बात सुनकर डर गई और अपने ड्राइवर से ट्यूब निकाली और क्रीम हाथ में लेकर मालिश करने लगी। मधुलिका मालिश तो कर रही थी लेकिन उसे सुकून नही मिल रहा रहा था क्योंकि उसके हाथ तो कोमल और मुलायम थे जबकि मालिश कठोर हाथो से होनी चाहिए। कठोर हाथ तो सिर्फ उसके बेटे के ही है। तो क्या मैं अपने बेटे से मालिश कराऊ !! क्या करू फिर। रात भी तो मैं उससे मालिश कराने के लिए तैयार थी। फिर आज ही कराने में क्या दिक्कत हैं, एक काम करती हु उसके रूम में ही चली जाती हु। मधुलिका उठने लगी तो उसे याद आया कि उसका बेडरूम कितना सुंदर लग रहा है तो क्यों न यहीं मालिश करवा लू। अच्छी खुश्बू भी आती रहेगी।
लेकिन कहीं वो फिर से उस दिन की तरह बहक गया तो, उफ्फ कैसे उस दिन टैटू बनाने के लिए उसने मेरी चूची को अपनी हथेली में भर लिया ताकि उछलने से रोक सके। मधुलिका के मन में तभी दूसरा विचार आया कि मैं तो मालिश के लिए ही तो बुला रही हु, कौन सा मुझे टैटू बनवाना हैं उससे। तभी मधुलिका का दिल तेजी से धड़कने लगा और उसकी सोच फिर से बदल गई कि आज नही तो कल तुझे टैटू तो बनवाना ही हैं तो फिर क्यों न आज ही अपने बेटे से टैटू बनवा लू और इतना अच्छा मौका फिर नही मिलेगा, इतना अच्छा सजा महकता हुआ कमरा और सुंदर फूलो से सजा हुआ बेड।


मधुलिका के अंदर विचारो की जंग छिड़ी हुई थी और उसके दिल और दिमाग में एक बहस सी मची थी। मधुलिका क्या तू अपने सगे बेटे से अपनी चूची, गांड़ पर चूत पर टैटू बनवा लेगी, नही नही ये सब ठीक नही है।

मधुलिका का जिस्म और उसका दिल उसका साथ नहीं दे रहा था। मधुलिका ने फिर से सोचा कि एक काम करती हु सिर्फ चूची पर ही टैटू बनवा लेती हूं। लेकिन मुझे अपने आप पर काबू रखना होगा और अपने सीने को उछलने से रोकना होगा नही तो वो उछलने से रोकने लिए फिर से मेरी चूची को अपनी हथेली में भर लेगा। ये सोचते हुए मधुलिका ने अपनी चुचियों की तरह देखा तो उसे अपनी चूचियां हिलती हुई नजर आई तो मधुलिका कांप उठी और उसने फिर से अपनी चुचियों की तरफ देखा जिनके निप्पल अकड़ कर खड़े हो गए थे मानो कह रहे हो कि एक बार तो वो पहले ही पकड़ चुका हैं तो अगर फिर से पकड़ लेगा तो क्या मुसीबत आ जाएंगी और वैसे भी कौन सा किसी को पता चलने वाला हैं। मधुलिका ने अपनी चुचियों को घूरा मानो उन्हें कह रही हो कि आज देखती हूं तुम कैसे मेरे काबू से बाहर जाती हो।

मधुलिका ने बहुत सोच विचार किया लेकिन सही गलत का फैसला नही कर पा रही थी कि तभी बाहर हल्की हल्की बारिश होने लगी जो मधुलिका की सबसे बड़ी कमजोरी थी और अब मधुलिका खुद से ही हार गई और अंततः उसका दिमाग उसके दिल और जिस्म के आगे हार गया। लेकिन उसके अंदर अभी भी इतनी हिम्मत नही थी कि अपने बेटे को बोल सके कि टैटू बनाने वाले समान का बैग भी लेते आना। उसने अंतिम निर्णय कर लिया कि अपने बेटे को मालिश के लिए बुला ही लेती हूं। मधुलिका उठी और उसने कमरे में तेज रोशनी में जल रहे बल्ब को बंद कर दिया और एक हल्का गुलाबी रोशनी वाला नाईट बल्ब जला दिया और उसने अपने जिस्म की सारी हिम्मत समेटकर अपने बेटे को आवाज लगाई

" मोहित बेटा जरा वो रात वाली ट्यूब एक और लेते आना खत्म हो गई हैं।
Lazwaab
 
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मधुलिका बाथरूम के अंदर घुस गई और उसने चैन की सांस ली। उसकी सांसे अभी तक उसके काबू में नहीं थी जिससे उसकी चुचियों में कंपन अभी भी हो रहा था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि कैसे वो अपने बेटे के साथ इस बार फिर से बहक गई थी। पिछली बार जो हुआ वो अचानक से हुआ हादसा था लेकिन इस बार सब उसकी मर्जी से हुआ था और कैसे कठोर हाथ से वो मेरे कंधे और गर्दन की मालिश कर रहा था बल्कि कितनी कठोरता से सहला रहा था।

मधु ने अपने हाथ को अपने कंधे पर रख कर सहलाया तो इसे अजीब से सुकून की अनुभूति हुई लेकिन उसके बेटे के हाथो की बात ही और थी। मधुलिका का बदन इस समय कामाग्नि में बुरी तरह से जल रहा था और उसने एक पानी का डिब्बा लिया और अपने डालने लगी ताकि कुछ राहत मिल सके लेकिन उसका जिस्म आज अपने पीते उफान पर था और पानी से उसका जिस्म और गर्म होता जा रहा था। मधुलिका नहाती रही लेकिन कोई खास फर्क नहीं पड़ रहा था। मधुलिका को अपने जिस्म पर पानी डालते हुए आधे घंटे से ज्यादा हो गया था इसलिए वो उसने कमरे मे जाना का फैसला किया। मधुलिका एक बार फिर से बिलकुल नंगी ही बाहर आ गई और अपने कमरे की तरफ चल पड़ी। हॉल में अभी भी पहले जैसा ही अंधेरा था बस किचन से बहुत हल्की हल्की लाइट आ रही थी। मधुलिका हॉल में खड़ी हो गई और उसे याद आया कि यहीं उसके बेटे ने उसे एक ट्यूब दी थी टैटू पर लगाने के लिए जो यहीं कहीं गिर गई थी। मधुलिका ट्यूब देखने लगी लेकिन उसे कहीं ट्यूब नही मिल रही थी। काफी देर ढूंढने के बाद भी उसे ट्यूब नही मिली तो उसके मन में विचार आया कि क्या वो ट्यूब जल्दी में मोहित अपने साथ तो नही ले गया। ये विचार मन में आते ही मधुलिका का बदन कांप उठा क्योंकि टैटू की मालिश के लिए क्या मुझे फिर से अपने बेटे से ट्यूब लेनी चाहिए।

मधुलिका की समझ में नही आ रहा था कि क्या करे क्योंकि वो एक बार फिर से बहकना नही चाहती थी लेकिन उसका जिस्म उसका साथ नहीं दे रहा था। मधुलिका की सांसे एक बार फिर से तेज होने लगी और वो धीरे से अपने रूम की तरफ बढ़ गई। कमरे के बाहर से ही उसने देखा कि राकेश उल्टा पड़ा हुआ गहरी नींद में सो रहा था और उसके जोर जोर से खर्राटे निकल रहे थे। मधुलिका का पूरा जिस्म कांप रहा था और आंखे लाल सुर्ख हो गई थी। अपने पति को गहरी नींद में सोते हुए देखकर मधुलिका की आंखे चमक उठी और उसने धीरे से पहले पर्दा गिराया और फिर दरवाजे को बंद कर दिया। मधुलिका एक बार फिर से भूल गई कि वो पूरी तरह से नंगी हैं। मधुलिका फिर से हाल में आ गई और चक्कर काटने लगी। वो अपने बेटे से ट्यूब लेना चाह रही थी लेकिन उसका गेट खटखटाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी।मधुलिका ने हिम्मत करके सूखे हुए को किसी तरह अपने थूक से गीला किया और धीरे धीरे दबे हुए अपने बेटे के कमरे की तरफ चल पड़ी। मधुलिका के पैर जैसे अपने आप उठते जा रहे थे और वो उसके दरवाजे के ठीक सामने पहुंच गई। मधुलिका ने अपना कांपता हुआ हाथ उठाया और धीरे से हिम्मत करके दरवाजे पर मारा और मधुलिका की सांसे एक बार फिर से तेज हो गई। मोहित अभी तक अपनी मां के साथ हुए उस हसीन हादसे को बैठा हुआ सोच रहा था और कमरे पर दस्तक सुनकर उसका दिल धड़क उठा। है भगवान अब कौन आ गया ? कहीं मम्मी ने पापा को तो नही बता दिया। मोहित डर के मारे कांप उठा और उसकी समझ नही आ रहा था कि क्या करे तभी फिर से उसके दरवाजे पर दस्तक हुई तो मोहित के पसीने छूट गए और वो कांपता हुआ दरवाजे की तरफ बढ़ने लगा। मोहित ने हिम्मत करके भगवान को याद करते हुए दरवाजा खोल दिया तो उसे सामने अंधेरे में एक साया नजर आया तो मोहित समझ गया कि उसे उसकी मम्मी मधुलिका ही हैं। अपनी मम्मी को फिर से अपने कमरे के गेट पर आधी रात देख कर मोहित का दिल धड़क उठा और मोहित बाहर आ गया।

अपने बेटे को बाहर निकलते हुए देख कर मधुलिका की सांसे फिर से और तेज हो गई और उसके समूचे बदन में उत्तेजना की एक लहर सी दौड़ गई। मोहित एक बार फिर से उसके सामने खड़ा और धीरे से कांपते हुए शब्दों में बोला:"

" क्या हुआ मम्मी ? आप इतनी रात गए सब ठीक तो हैं ?

मधुलिका की जुबान को जैसे लकवा सा मार गया लेकिन फिर भी अपने जिस्म की सारी हिम्मत समेटकर बहुत ही धीमी सी मधुर आवाज में बोली:"

" वो बेटा टैटू वाली क्रीम नही मिली मुझे, शायद कहीं गिर गई होंगी अंधेरे में, कहीं सूजन आ गई तो दिक्कत होगी!

मोहित का दिल खुशी के मारे झूम उठा और अपनी जेब से उसने ट्यूब निकाली और उसके हाथ की तरफ बढ़ा दी। मधुलिका ने अपना कांपता हुआ हाथ आगे बढ़ा दिया और मोहित ने उसका हाथ थाम लिया। ट्यूब मधुलिका के हाथ में आ गई थी लेकिन ना तो मोहित ने उसका हाथ छोड़ा और न ही उसने छुटाने का कोई प्रयास किया। मधुलिका मोहित के हाथ की कठोरता महसूस करके फिर से उत्तेजित होने लगी और मधुलिका ने बड़ी मुश्किल से अपनी सांसे थामे खड़ी रही और फिर धीरे से बोली:"

" रात बहुत हो गई है मोहित, अभी मैं चलती हु।

इतना कहकर मधुलिका अपना हाथ छुड़ाने लगी तो मोहित धीरे से बोला:"

" मम्मी कहीं आप ठीक से क्रीम न लगा पाई तो दिक्कत होगी फिर, स्किन खराब हो सकती है।

मधुलिका तो कब से अपने बेटे के मुंह से यही सुनने के लिए तड़प रही थी। उसने बिना कुछ ट्यूब को वापिस मोहित के हाथ में थमा दिया और उसकी तरफ अपनी पीठ करके खड़ी हो गई। एक तरह से ये उसके लिए खुला आमंत्रण था। मोहित की भी सांसे आने वाले पलो के बारे में सोचकर तेज हो गई और उसने ट्यूब का ढक्कन खोला और थोड़ी सी क्रीम फिर से अपनी उंगलियों पर लगा ली और जैसे ही उसने मधुलिका की गर्दन को छुआ तो कमरा का गेट खुला और राकेश बाहर निकलते हुए दिखा जो मधुलिका को आवाज लगा रहा था।

निराश मोहित एक बार फिर से धीरे से अंधेरे का फायदा उठाकर अपने कमरे में घुस गया और मधुलिका का तो मूड ही खराब हो गया और अपने पति को मन ही मन गालियां देने लगी और ऐसे चलने लगी मानो हॉल में टहल रही हो।

चलती हुई वो राकेश के सामने पहुंची तो राकेश बोला:"

" अरे तुम्हे ढूंढ रहा था। इतनी रात को क्यों टहल रही हो हॉल में तुम ?

मधुलिका गुस्से भरे भाव से अपने शब्दो को चबाकर बोली:"

" नींद नही आ रही थी। इसलिए घूम रही हूं।

राकेश उसके बोलने के अंदाज को देखकर चुप हो गया और बाथरूम की तरफ बढ़ गया। वहीं मधुलिका गुस्से और निराशा से अपने पैरो को पटकती हुई अपने बेडरूम में घुस गई और बेड पर लेटकर सोने का प्रयास करने लगी। सोचते सोचते कब उसकी नींद लग गई उसे कुछ पता ही नही चला।

अगले दिन सुबह रोज की तरह दिनचर्या शुरू हुई और मधुलिका ने नाश्ता तैयार किया और सभी लोग एक साथ बैठकर नाश्ता करने लगे।

मधुलिका:" सुनो ना आज हमारी शादी की सालगिरह हैं। इसलिए आप शाम को ऑफिस से थोड़े जल्दी आ जाना और मैं सोच रही थी कि अपने कुछ रिश्तेदार और दोस्तो को भी बुला लेती हूं।

राकेश ने उसकी तरह देखा और समझ गया कि अगर पार्टी होगी तो बेकार में पैसा खर्च होगा इसलिए बात को घुमाते हुए बोला:"

" देखो मधु एक काम करते हैं दोस्तो और रिश्तेदारों के लिए आप रहने देते हैं। बाद में फिर कभी बुला लेंगे और हां आज मैं और दिन की तरह लेट नही आऊंगा बल्कि समय से पहले ही आ जाऊंगा।

मधुलिका ने कोई बहस करना जरूरी नहीं समझा और और अपने होंठो पर जबरदस्ती स्माइल लाते हुए बोली:"

" अच्छा चलो ठीक हैं। जैसे आपको बेहतर लगे लेकिन आज शाम छह बजे तक जरूर आ जाना। और मोहित बेटा तुम भी आ जाना आज समय से। ज्यादा लेट मत करना समझे।

मोहित:" मम्मी आप बेफिक्र रहे। मैं छह बजे आराम से आ जाऊंगा और एक काम करूंगा आज शाम के लिए खाना भी लेते आऊंगा।

मधुलिका अपने बेटे की बात सुनकर खुश हुई और राकेश इस बात से खुश था कि चलो मधु मान गई नही तो बेकार में ही पैसा खर्च हो जाता।

उसके बाद सभी लोग अपने काम पर चले और मधुलिका घर के काम में लग गई। दोपहर का समय था और मधुलिका लेती हुई आराम कर रही थी कि उसका फोन बज उठा। नेहा का फोन था तो मधुलिका ने खुशी खुशी उठा लिया और बोली:"

" कैसी हो नेहा मैडम ?

नेहा:" मैं तो अच्छी हु तुम बताओ कैसी हो क्या चल रहा हैं ?

मधुलिका:" बस जी सब ठीक हैं। क्या कर रही थी ?

नेहा:" कुछ नही घर के काम खत्म किए तो सोचा तुझसे बात कर लू। अच्छा बता टैटू बनवा लिया क्या तूने ?

मधुलिका उसकी बात सुनकर स्माइल करते हुए बोली:"

" अभी तो मैं बनवाया। यार कल शाम ही तो मिले थे हम उसके बाद से टाइम ही कहां मिला ?

नेहा:" बस बस बहाने मत बना। इतना भी समय नहीं लगता। चल तेरी मर्जी। अरे मै तो बातो बातो में भूल ही गई कि आज तो तेरी शादी की सालगिरह हैं। तुम दोनो को बहुत बहुत बधाई।

मधुलिका खुश हो गई और बोली:"

" थैंक्स नेहा। वैसे कमाल है तुझे याद था।

नेहा:" अरे एक तुम तो मेरी सबसे अच्छी और प्यारी सहेली हो। मुझे याद नहीं रहेगा तो किसे याद रहेगा।

मधुलिका:" हान वो तो तू हैं और हमेशा रहेगी मेरी जान।

नेहा:" अच्छा तो मेरी एक बात सुन, आज के दिन ही तू अपने सभी टैटू बनवा ले। तेरे पति को ये तेरी तरफ से सालगिरह का तोहफा होगा।

मधुलिका उसकी बात से सहमत हुई और बोली:"

" हान यार। तेरी बात में दम है चल फिर आज शाम को तक बनवा लुंगी।

नेहा:" अच्छा चल मैं तुझे बाद में कॉल करती हु। मुझे बाहर जाना हैं थोड़ा काम हैं।

इतना कहकर उसने फोन काट दिया और मधुलिका एक बार फिर से सोच में पड़ गई कि टैटू किस से बनवाया जाए। अपने बेटे से वो नही बनवाना चाहती थी और उसने फिर एक के बाद एक सभी मुंबई के टैटू ऑफिस में फोन किया लेकिन उसे कहीं भी किसी भी कीमत पर आज के लिए बुकिंग नहीं मिली। मधुलिका को समझ में नही आ रहा था कि क्या करे क्योंकि उसके सामने अब एक ही रास्ता बचा था कि अपने बेटे से टैटू बनवाए लेकिन वो उसके लिए तैयार नहीं थी।

मधुलिका ने सोचा आज नही तो कल टैटू बनवा लूंगी एक दिन में कौन सी मुसीबत आ जायेगी। उसने थोड़ा आराम करने का सोचा और उसके बाद सो गई। करीब दिन बजे के आस पास वो उठी और अपने बेडरूम की सफाई में जुट गई। वो अपने के साथ आज की रात को यादगार बनाना चाहती थी इसलिए उसने सबसे पहले बेडरूम की सफाई करी उसके बाद उसने बहुत ही सुंदर फूलो से सजी हुई सफेद रंग की चादर बेड पर डाल दी। ये सब करते हुए मधुलिका का मन मयूर नृत्य कर रहा था और जिस्म में हल्की हल्की गुदगुदी सी हो रही थी। उसका चेहरा शर्म से लाल हो रहा और उसने अपने बेडरूम के परदे भी बदल लिए और नए परदे लगाने से बेडरूम बेहद खूबसूरत लग रहा था।

सारे काम खत्म करने के बाद उसने ब्यूटी पार्लर जाने का फैसला किया क्योंकि औरत प्राचीन काल से पुरुष को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए सौंदर्य का सहारा लेती रही है और मधुलिका भी इसका अपवाद नहीं थी। ब्यूटी पार्लर से करीब पांच बजे के आस पास वो अपने घर पहुंच गई और उसके जिस्म का रोम रोम महक रहा था। लाल रंग के गोल गले के ब्लाउस और गहरे काले रंग की साड़ी वो बला की खूबसूरत लग रही थी। उसके स्टेट किए किए हुए काले लंबे बाल उसके चेहरे के एक तरफ फैले हुए थे जिससे उसकी गर्दन पर बना हुआ टैटू उसकी सुंदरता में चार चांद लगा रहा था। बड़ी बड़ी गहरे काले काजल से सजी आंखे, रस टपकाते हुए पतले कपड़े लिप्स, नंगे खूबसूरत गोरे गोरे चिकने कंधे और उसके लाल सुर्ख ब्लाउस से झांकते हुए उसकी गोल गोल ठोस चुचियों के उभार जिसमे सिर्फ दो बटन लगे हुए थे। उसकी गोल गोल गहरी खूबसूरत नाभि और उसकी गोल गोल गोरी गोरी ढोल की तरह उठी हुई गांड़ पर लिपटी हुई काले रंग की साड़ी सच में बेहद खूबसूरत लग रही थी। माथे पर लगा हुआ सिंदूर और माथे के बीचों बीच में हुई लाल रंग की खूबसूरत बिंदी, गले में पहना हुआ सोने का मंगल सूत्र जो उसकी चूची की गहराइयों के बीफ में गायब हो रहा रहा था। हाथो मे सजी हुई लाल रंग की कांच की खूबसूरत चूड़ियां और पैरों में सजी हुई छन छन करती हुई पायल। मधुलिका सचमुच किसी नई नई नवेली दुल्हन की तरह लग रही थी।

मधुलिका ने एक बार खुद को शीशे में देखा और अपने रूप सौंदर्य पर खुद ही मोहित होती चली गई। सच में मधुलिका कुदरत की कारीगरी का नायाब नमूना थी, उसे देख कर ऐसा लग रहा था मानो भगवान ने गलती से इंद्र लोक से कोई अप्सरा ही जमीन पर भेज दी थी।

मधुलिका ने एक बेहद ही मादक तेज गंध वाला कामुक परफ्यूम कमरे में छिड़क दिया क्योंकि उसे परफ्यूम बेहद पसंद था। छह बजने वाले थे और मधुलिका बेचैनी से अपने पति का इंतजार कर रही थी। दरवाजा नॉक हुआ और मधुलिका इसी रूप में दरवाजा खोलने के लिए चली गई। वो पहली ही नज़र में अपने पति को पूरी तरह से मदहोश कर देना चाहती थी। उसकी काले रंग की साड़ी का पल्लू बिलकुल पूरी तरह से पारदर्शी था जिसमे से उसकी चुचियों की गोलाई और गहरी खूबसूरत नाभि नजर आ रही थी। कामुक खूबसूरत गहरी नाभि भी अपने सौंदर्य की अद्भुत अनोखी छटा बिखेर रही थी।

मधुलिका ने धीरे से अपना हाथ आगे बढाया और दरवाजा खोलकर बिना देखे ही अपना चेहरा शर्म के मारे दूसरी तरफ घुमा दिया।

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दरवाजे पर उसका पति नही बल्कि बेटा मोहित खड़ा हुआ था और वो अपनी मां के ऐसे रूप सौंदर्य को देखकर हक्का बक्का सा रह गया। मधुलिका का चेहरे दूसरी तरफ था इसलिए उसने पहली बार ध्यान से अपनी मां की लाल रंग के ब्लाउस से झांकती हुई गोल गोल नारियल के आकार की चुचियों का मदहोश करने वाला उभार देखा। अपनी सगी मां की गहरी खूबसूरत नाभि देख कर मोहित अपनी मम्मी की तारीफ लिए बिना ना रह सका

" ओह ओह गॉड। मम्मी आप सच में आज बेहद खूबसूरत लग रही है। लगता है स्वर्ग से साक्षात मेनका उतर आई हैं।

अपने बेटे की आवाज सुनकर मधुलिका को को झटका सा लगा और उसने पलटकर देखा तो गेट पर अपने बेटे को देखकर घबराहट और शर्म के मारे उसके मुंह से निकला

" ओह मोहित तुम।


शर्म के मारे उसके कंधे से साड़ी का पल्लू सरक गया और उसकी आंखे एक फिर से दूसरी तरफ घूम गई।


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उफ्फ मधुलिका ने मानो मोहित की जान निकल दी थी। साड़ी का पल्लू गिर जाने से उसकी चुचियों का उभार और गहरी नाभि बिलकुल साफ साफ दिख रहे थे और मोहित ने आज तक ऐसी सुंदरी सपने में भी नहीं देखी थी। उसे एक पहली बार एहसास हो रहा था उसके घर में मा के रूप में कामदेवी रहती है। मधुलिका की नाभि देखकर उसकी जीभ अपने आप बाहर निकल गई मानो उसकी मां की गहरी नाभि को चूमने के लिए बेताब हो। मोहित ने हिम्मत और सब्र से अपनी जीभ को अंदर किया और अपने जेब से एक सुंदर सी हीरे की अंगूठी निकाली और आगे बढ़कर अपनी मां का हाथ पकड़ लिया तो मधुलिका का बदन कांप उठा और बिना कुछ देखे ही बोली

" आह्ह्ह्ह्हह मोहित नही छोड़ो मेरा हाथ। ये सब ठीक नही है। कोई देखा लेगा तो।

मोहित ने हैरानी से अपनी मम्मी की तरफ देखा और अंगूठी पहनाते हुए बोला:"

" क्या ठीक नहीं है मम्मी ? क्या एक बेटे का अपनी मां को शादी की सालगिरह पर गिफ्ट देना ठीक नहीं हैं ?

मधुलिका ने अपने बेटे के हाथ में अंगूठी देखी तो उसे अपन गलती का एहसास हुआ और उसने अपनी साड़ी का पल्लू ठीक किया और बात को संभालते हुए जल्दी से बोली:"

" अरे वो मैं कुछ और समझी थी। कुछ गलत नहीं है बेटा। लो अच्छे से पहनाओं अंगूठी।

मधुलिका ने अपने हाथ की उंगलियों को पूरा खोल दिया और मोहित ने उसके हाथ में अंगूठी पहना दी और बोला:"

" वैसे आप क्या समझी थी मम्मी ?

मधुलिका को समझ नही आया कि क्या जवाब दे क्योंकि तीर कमान से निकल गया था। मोहित उसके सामने खड़ा हो गया और बोला:"

" मेरी चांद सी खूबसूरत और आकर्षक मम्मी की शादी की सालगिरह की बधाई।

इतना कहकर वो अपनी मम्मी के गले लग गया और फिर से कान में बोला:" मम्मी आपने बताया नही कि आप क्या समझी थी ?

मधुलिका ने प्यार से उसकी कमर पर हल्का सा मारा और बोली:"

" तेरा सिर समझी थी। जा अब जाकर नहा ले और तैयार हो जा। तेरे पापा भी आने वाले होंगे।

मधुलिका के बदन से उठती हुई मादक खुशबू मोहित को पूरी तरह से मदहोश कर रही थी तो उसने मधुलिका को जोर से अपनी बांहों में कस लिया और बोला:"

" मेरी मम्मी दुनिया की सबसे खुबसूरत और अच्छी मम्मी हैं। सच में मम्मी आप आज स्वर्ग से उतरी हुई अप्सरा सी लग रही हो।

मधुलिका उसके हाथो की पकड़ महसूस सिहर उठी और बोली:"

" चल बहुत हो गई तारीफ। अब छोड़ मुझे आज नहा जाकर जल्दी नहीं तो मार खाएगा अब।

मोहित ने अपनी मम्मी को अपनी बांहों से आजाद किया और अंदर घर में घुस गया। थोड़ी देर के बाद वो नहाने के लिए चला गया। करीब 6:30 हो गए और राकेश का कोई पता नहीं था तो मधुलिका ने परेशान होकर उसका नंबर मिलाया तो राकेश ने फोन उठा लिया और बोला:"

" शादी की सालगिरह की बधाई मधु। सॉरी यार मधु मैं एक बिजनेस डील में फंस गया हू और रात को थोड़ा लेट करीब एक बजे तक ही घर पहुंच पाऊंगा। तुम और मोहित खाना खा लेना। अपना ध्यान रखना और मेरा ज्यादा इंतजार मत करना। मधुलिका यार प्लीज मुझे....

मधुलिका ने आगे उसकी बात सुनना जरूरी नहीं समझा और गुस्से से फोन काट लिया। उसका मूड पूरी तरह से खराब हो गया था और उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे। मधुलिका नाराज और परेशान सी हॉल में बैठ गई और अपने बेटे का इंतजार करने लगी। थोड़ी देर के बाद मोहित आ गया और उसने मम्मी को उदास देखा तो समझ गया कि उसके बाप ने फिर से कोई चूतियापा कर दिया है।

मोहित:" क्या हुआ मम्मी ? थोड़ी देर पहले आप का चांद सा रोशन मुस्कुराता हुआ चेहरा क्यों उतरा हुआ नजर आ रहा है ? कहीं पापा ने नाराज तो नही कर दिया ?

मधुलिका के सब्र का बांध टूट गया और गुस्से से बोली:"

" ऐसे भला कौन करता हैं मोहित, मैं कितनी बेचैनी से उनका इंतजार कर रही थी और उन्हें काम से ही फुरसत नहीं है आज के दिन। बोलते हैं कि रात के एक बज जायेगा। भला ये भी क्या बात हुई हैं ?

मोहित: छोड़ो मम्मी उन्हें और आप दिल छोटा मत करो। उनका तो ये हमेशा का काम है, कोई पहली बार थोड़े ही ऐसा किया है।

मधुलिका अपने बेटे की बात सुनकर अंदर से खुश हुई और उसकी नाराजगी शब्द बनकर उसके मुंह से फूटने लगी


" हान बेटा, हर बार का उनका यही काम हैं, बस पैसा पैसा। उनके पास परिवार के लिए कोई समय हैं ही नहीं।

मोहित ने बात को ज्यादा बढ़ाना ठीक नहीं समझा क्यूंकि वो अपनी मम्मी का मूड ज्यादा खराब नही करना चाहता था इसलिए बोला:"

" चलो कोई बात नही। हम दोनों ही तब तक केक काट लेते हैं और खाना खा लेते है। उनका क्या भरोसा आधी रात भी आए या नही आए।

मधुलिका अपने बेटे के रंग में रंगते हुए बोली:"

" हान बेटा बात तो ठीक हैं तुम्हारी। उनकी बात और गधे की लात। शायद उनसे इससे सबक भी मिले कि उनका बिना भी खुशियां मना सकते है।

मधुलिका ने टेबल पर केक रखा और मोहित ने सारी कैंडल एक एक करके जला दी और फिर मधुलिका ने कैंडल बुझा दी और केक काटने लगी तो मोहित अपनी मम्मी को बधाई देने लगा

" मेरी प्यारी मम्मी, दुनिया की सबसे खुबसूरत चांद सी खूबसूरत, प्यारी मम्मी को शादी की सालगिरह की बहुत बहुत बधाई।

मधुलिका ने एक केक का टुकड़ा काटा और अपने बेटे की तरफ बढ़ाते हुए बोली:"

" लो मेरे बेटे। सबसे पहले तुम्ही खाओ अपनी का के हाथ से केक।

मधुलिका ने केक आगे बढ़ाया तो मोहित ने अपने हाथ में पकड़ लिया और मधुलिका के मुंह से सामने करते हुए बोला:"

" सबसे पहले आप खाइए। अपना प्यारा सा मुंह खोलिए मम्मी।

मधुलिका ने मोहित की तरफ उसकी आंखो में देखते हुए अपने लाल सुर्ख रसीले लिप्स को खोल दिया तो मोहित ने केक अपने मम्मी के मुंह के अंदर कर दिया मधुलिका ने केक खा लिया। मधुलिका अपने बेटे के इस व्यवहार से बेहद खुश थी और उसने फिर अपने बेटे को केक खिलाया और मोहित ने खुशी खुशी केक खा लिया।

उसके बाद दोनो मा बेटे के खाना खाया और मोहित अपने कमरे में चला गया जबकि मधुलिका ने घर का थोड़ा बचा हुआ काम खत्म किया। रात के करीब 9 बज गए थे और उसके बाद मधुलिका अपने कमरे में आ गई। कमरे में आते ही मधुलिका बेड पर लेट गई और उसके दिल में टीस सी उठ गई। सच में उसका पति उसकी कोई कदर नही करता है। उसने उदास नजरो से कमरे को देखा कि उसने कितनी मेहनत और उमंगों से कमरे को सजाया था। मधुलिका ने अपनी कमर बेड के सिरहाने से लगा दी और सोच में डूब गई। उसकी खुबसूरत आंखे उदास लग रही और चेहरे पर मायूसी छाई हुई थी।


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कभी वो मायूसी से कमरे में फैली हुई मादक गंध को सूंघती तो कभी खिड़की पर टांगे हुए पर्दो को देखती। कभी तो अपने आपको देखती तो कभी बेड की खूबसूरत चादर पर फैले हुए गुलाब के खुशबूदार फूलो को देखती। मधुलिका को समझ नही आ रहा रहा था कि क्या। उसके बालो की कुछ आवारा लटे झूमती हुई उसके चेहरे पर आ गई तो वो उन्हें अपने हाथो से से पकड़ कर हटाने लगी।


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मधुलिका ने अपनी बालो की बहकी हुई लटो को ठीक किया और फिर तो उसकी नजर फिर से एक बार गुलाब की महकती हुई फूलो और पंखुड़ियों पर चली गई तो वो बेड पर लेटती चली गई जिससे उसकी साड़ी उसकी कमर पर से हट गई और उसकी कमर पर बस एक ब्रा की पतली सी स्ट्रिप रह गई थी अब उसके चेहरे के आस पास गुलाब की महकती हुई खुशबू आ रही थी और उसने अपना हाथ फूलो को अपने हाथ में भर लिया और उन्हें देखने लगी तो उसकी सांसों के कारण उसके मुंह से निकली हवा से कुछ गुलाब के फूल की पंखुड़ियां उड़कर उसके चेहरे से टकराई मानो उससे पूछ रही थी हो कि हमारे साथ ये अन्याय क्यों , हम तो तेरे मखमल से कोमल बदन के नीचे बिछकर मसले जाने के लिए कब से तैयार हैं।

मधुलिका ने गुलाब की पंखुड़ियों को हाथो मे भर लिया और उन्हें देखते हुए जोर जोर से अपनी मुट्ठी में मसलने लगी मानो उनकी मसले जाने की इच्छा पूरी कर कर रही हो। गुलाब के फूलो की पंखुड़ियां नाराज सी होकर उसके हाथो से नीचे गिरने लगी मानो उन्हें हाथ से मसले जाना पसंद ना आया हो।


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मधुलिका ये सब देख कर बेहद उदास हो गई और सोच में डूब गई कि तभी उसका मोबाइल बज उठा। उसने देखा कि नेहा का फोन था तो उसने उठा लिया और बोली:"

" हान नेहा, कैसी हो ?

नेहा:" अरे अच्छी हु मैडम। मुझे लगा था कि तुम शायद फोन ही नहीं उठाएगी क्योंकि जीजा जी के साथ बिजी होगी।

मधुलिका उदास मन से बोली:"

" अरे यार अभी वो ऑफिस से आए ही नहीं। शायद 12 बजे तक आए। चल तू बता कैसे फोन किया ?

नेहा:" ओह आज भी इतना काम। टैटू तो तूने बनवाया नही होगा मुझे पक्का पता है। चल मैं तो यही कहूंगी कि तुम हो सके तो तक तक टैटू बनवा कर आ जाओ। ये उनके सरप्राइज़ होगा।

मधुलिका:" अच्छा चल देखती हु। अब तो रात भी काफी हो गई हैं अब कहां जाऊंगी।

नेहा:" जब देखो बहाने, कितनी फट्टू हो तुम सच में। मैं तो रात को 11 बजे जाकर टैटू बनवा आई थी समझे। अरे हां बात सुन मेरी एक सहेली ने टैटू बनवाया था लेकिन ठीक से ट्यूब से मालिश नही करी तो उसकी स्किन पर निशान पड़ गए। तुम अपने टैटू की टाइट हाथो से रगड़ रगड़ कर मालिश करती रहना ताकि कोई दिक्कत न हो। अच्छा रखती हु।

इतना कहकर उसने फोन काट दिया और मधुलिका स्किन खराब होने की बात सुनकर डर गई और अपने ड्राइवर से ट्यूब निकाली और क्रीम हाथ में लेकर मालिश करने लगी। मधुलिका मालिश तो कर रही थी लेकिन उसे सुकून नही मिल रहा रहा था क्योंकि उसके हाथ तो कोमल और मुलायम थे जबकि मालिश कठोर हाथो से होनी चाहिए। कठोर हाथ तो सिर्फ उसके बेटे के ही है। तो क्या मैं अपने बेटे से मालिश कराऊ !! क्या करू फिर। रात भी तो मैं उससे मालिश कराने के लिए तैयार थी। फिर आज ही कराने में क्या दिक्कत हैं, एक काम करती हु उसके रूम में ही चली जाती हु। मधुलिका उठने लगी तो उसे याद आया कि उसका बेडरूम कितना सुंदर लग रहा है तो क्यों न यहीं मालिश करवा लू। अच्छी खुश्बू भी आती रहेगी।
लेकिन कहीं वो फिर से उस दिन की तरह बहक गया तो, उफ्फ कैसे उस दिन टैटू बनाने के लिए उसने मेरी चूची को अपनी हथेली में भर लिया ताकि उछलने से रोक सके। मधुलिका के मन में तभी दूसरा विचार आया कि मैं तो मालिश के लिए ही तो बुला रही हु, कौन सा मुझे टैटू बनवाना हैं उससे। तभी मधुलिका का दिल तेजी से धड़कने लगा और उसकी सोच फिर से बदल गई कि आज नही तो कल तुझे टैटू तो बनवाना ही हैं तो फिर क्यों न आज ही अपने बेटे से टैटू बनवा लू और इतना अच्छा मौका फिर नही मिलेगा, इतना अच्छा सजा महकता हुआ कमरा और सुंदर फूलो से सजा हुआ बेड।


मधुलिका के अंदर विचारो की जंग छिड़ी हुई थी और उसके दिल और दिमाग में एक बहस सी मची थी। मधुलिका क्या तू अपने सगे बेटे से अपनी चूची, गांड़ पर चूत पर टैटू बनवा लेगी, नही नही ये सब ठीक नही है।

मधुलिका का जिस्म और उसका दिल उसका साथ नहीं दे रहा था। मधुलिका ने फिर से सोचा कि एक काम करती हु सिर्फ चूची पर ही टैटू बनवा लेती हूं। लेकिन मुझे अपने आप पर काबू रखना होगा और अपने सीने को उछलने से रोकना होगा नही तो वो उछलने से रोकने लिए फिर से मेरी चूची को अपनी हथेली में भर लेगा। ये सोचते हुए मधुलिका ने अपनी चुचियों की तरह देखा तो उसे अपनी चूचियां हिलती हुई नजर आई तो मधुलिका कांप उठी और उसने फिर से अपनी चुचियों की तरफ देखा जिनके निप्पल अकड़ कर खड़े हो गए थे मानो कह रहे हो कि एक बार तो वो पहले ही पकड़ चुका हैं तो अगर फिर से पकड़ लेगा तो क्या मुसीबत आ जाएंगी और वैसे भी कौन सा किसी को पता चलने वाला हैं। मधुलिका ने अपनी चुचियों को घूरा मानो उन्हें कह रही हो कि आज देखती हूं तुम कैसे मेरे काबू से बाहर जाती हो।

मधुलिका ने बहुत सोच विचार किया लेकिन सही गलत का फैसला नही कर पा रही थी कि तभी बाहर हल्की हल्की बारिश होने लगी जो मधुलिका की सबसे बड़ी कमजोरी थी और अब मधुलिका खुद से ही हार गई और अंततः उसका दिमाग उसके दिल और जिस्म के आगे हार गया। लेकिन उसके अंदर अभी भी इतनी हिम्मत नही थी कि अपने बेटे को बोल सके कि टैटू बनाने वाले समान का बैग भी लेते आना। उसने अंतिम निर्णय कर लिया कि अपने बेटे को मालिश के लिए बुला ही लेती हूं। मधुलिका उठी और उसने कमरे में तेज रोशनी में जल रहे बल्ब को बंद कर दिया और एक हल्का गुलाबी रोशनी वाला नाईट बल्ब जला दिया और उसने अपने जिस्म की सारी हिम्मत समेटकर अपने बेटे को आवाज लगाई

" मोहित बेटा जरा वो रात वाली ट्यूब एक और लेते आना खत्म हो गई हैं।
nice update..!!
ab dekhte hai raat ko kya hota hai..!!
 
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