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Incest टैटू मजा या सजा

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शहनाज आज बेहद खुश थी क्योंकि एक साल की ट्रेनिंग के बाद उसका बेटा साहिल फिर से घर वापिस आ रहा था। शहनाज की शादी शहर के नवाब गुलाम अली खान से हुई थी जिनका पूरे शहर में नाम था। शहर के बीच में उनके जैसा घर जो बिलकुल महल जैसा दिखता था किसी के पास नही था। आजादी के बाद देश का माहौल बदल गया और रियासते और राज्य खत्म होते चले गए लेकिन कुछ राजा और नवाब ऐसे थे जिनकी हुकूमत तो चली गई लेकिन अकड़ अभी तक बाकी थी और गुलाम अली खान भी कुछ उसी सोच के इंसान थे।


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साहिल ने जैसे ही घर के सामने वाली गली मे आया तो उसका भव्य स्वागत किया गया और सड़क पर दोनो और खड़ी औरते उस पर फूल बरसा रही थी। हालाकि साहिल को ये सब पसंद नही था लेकिन फिर भी शांति से स्माइल करता हुए आगे बढ़ रहा था। जैसे ही ने घर के अंदर कदम रखा तो शहनाज ने अपने बेटे का मुस्कान के साथ स्वागत किया और उसके गले मे फूलो की माला पहना दी और दौड़कर उसके गले लग गई और अपने बेटे को अपनी बांहों में भर लिया। साहिल भी अपनी मां से बेहद प्यार करता था और उसने भी अपनी मां को गले लगा लिया।

प्रेमपूर्वक अपने बेटे का गाल चूम कर शहनाज बोली:"

" कैसी रही बेटे तेरी पढ़ाई ?

साहिल:" पढ़ाई तो अल्लाह का शुक्र हैं बेहद ही अच्छी रही अम्मी। लेकिन आज कल लोग पढ़ाई से ज्यादा अपने खुद के काम पर ज्यादा ध्यान देते हैं लंदन में। जिसको देखो सबकी अपनी मार्केट और काम है।

शहनाज:" अच्छा जी, फिर तुमने क्या क्या किया वहां पर ?

साहिल:" अम्मी बस मैने पढ़ाई के साथ टैटू बनाने का काम भी सीख लिया है। बस कुछ थोड़ी नई तकनीक आई थी बस वही सीख कर आया कि टैटू अगर हटाना हो तो कैसे हटाते हैं क्योंकि थोड़े समय के बाद ही लोगो को टैटू बुरे लगने लगते हैं क्योंकि कुछ लोगो को स्किन में दिक्कत आने लगती हैं और बाद में गंभीर हो सकती है।

शहनाज उसकी बात सुनकर चौंक सी गई लेकिन कुछ जाहिर नही होने दिया और बोली:"

" वहा विदेश में तुझे कुछ खाने को नहीं मिलता था क्या !! एक ही सप्ताह में कितना कमजोर हो गया है तू ?

साहिल:" नही ऐसा तो कुछ नही, आप भारतीय माए भी न अगर बस चले तो सारी दुनिया का खाना अपने बेटे को खिला दे।

शहनाज उसकी बात सुनकर बोली:" हान तो इसमें गलत क्या है भला!! हर मां चाहती है कि उसका बेटा खा पीकर सबसे ज्यादा ताकतवर बने। चल अच्छा जल्दी से नहा धो ले, और तू तो भूल ही गया रे कि आज तेरी अम्मी का जन्मदिन है।

साहिल:" ओह मम्मी, मैं भुला नहीं हू, भला अपनी मां का जन्मदिन। ही कोई भूलता हैं क्या ? याद हैं तभी तो आज ही वापिस आया हु मै आपके जन्मदिन पर।

शहनाज ने एक बार फिर से साहिल को गले लगा लिया और उसका माथा चूम कर बोली:"

" वाह बेटा हो तो ऐसा, अल्लाह तेरा जैसा बेटा सबको दे। एक तेरा अब्बा हैं जिसे दारू और नाच गाने के अलावा कुछ याद ही नहीं रहता।

साहिल ने भी अपनी मां को गले लगा लिया और बोला:"

" क्या अम्मी, अभी तक उनकी दारू की आदत नही छूटी क्या ?

शहनाज:" दारू की आदत भला किसी की कभी छूटी हैं क्या तो जब उन्हें काम से फुरसत हो। बस मुजरा देखन और दारू दो ही तो काम आते हैं उन्हें आखिर पैदायशी नवाब जो ठहरे।


इतना कहकर शहनाज थोड़ा गंभीर हो गई तो साहिल समझ गया कि अपने शौहर की दारू की आदत उसकी अम्मी पूरी दुखी हो गई है तो बोला:"

" अम्मी आप परेशान मत होइए। मैं उन्हे फिर से समझा दूंगा और वो जल्दी ही सब बंद कर देंगे।

शहनाज:" कुछ फायदा नहीं बेटा,आज तक नही छूटी तो अब क्या खाक छूटने वाली है। सच कहूं तो जैसे मेरी खुशियों में दारू ग्रहण बन गई है।

साहिल को लगा कि मामला ज्यादा गंभीर हो रहा है तो धीरे से बोला:"

" आप इतनी दुखी मत हो। वो तो सुधर ही जाएंगे कभी न कभी। कुछ दिक्कत हो तो आप मुझसे भी कह सकती हो।

शहनाज ने गहरी लंबी आह भरी और बोली:" बेटा दुनिया की हर समस्या अगर बेटा सुलझा देता तो पति की क्या जरूरत होती। छोड़ जाने दो तुम ये सब।

साहिल को एहसास हो गया था कि मामला उसकी सोच से कहीं ज्यादा गंभीर हैं तो बात को संभालते हुए बोला:

" चलिए आप जल्दी से खाना बना लीजिए फिर। फिर अब्बा भी आने ही वाले है।

शहनाज के चेहरे के भाव पल पल बदल रहे थे और बीच बीच में मौका देखकर साहिल की नजरें बचा कर अपनी जांघो को रगड़ सा रही थी। साहिल की बात सुनकर चेहरे पर मुस्कान आई और बोली:"

" वो तो रोज रात को देर से ही आते हैं, पहले जायेंगे दारू पिएंगे और फिर मुजरा देखेंगे।

इतना कहकर शहनाज किचन की तरफ बढ़ गई और जैसे ही उसने देखा कि साहिल का ध्यान उसकी तरफ नही हैं तो उसने अपनी जांघो के बीच खुजलाया और किचन में घुस गई खाना तैयार करने लगी। उसके बाद पसीने से भीगी हुई शहनाज नहाने के लिए बाथरूम में घुस गई। नहाने के बाद उसने अपनी एक खूबसूरत सा काले रंग का सूट निकाला और उससे पहन लिया। सौंदर्य प्रसाधन का सहारा हमेशा से ही औरत ने मर्द को लुभाने के लिए लिया हैं इसलिए शहनाज भी आज की रात कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती थी तो अपने आपको सजाने लगी। 38 वर्षीय शहनाज अधेड़ उम्र की जरूर थी लेकिन पूरी तरह से अपने आपको उसने संतुलित रखा हुआ था। बिलकुल सही जगह पर सही उभार उसे कुदरत का तोहफा था और शहनाज ने उसे पूरी तरह से बरकरार रखा था या यूं कहिए कि गुलाम अली खान ने उसे बरकरार रखने में शहनाज की मदद करी थी।

खूबसूरत सा चेहरा और बड़ी बड़ी गोल आंखे उसकी सुंदरता को और बढ़ा रही थी। आंखों में लगा गहरा काला काजल जिससे उसकी आंखे एक जादू सा कर रही थी, बिलकुल लाल सुर्ख लिपिस्टिक से सजे उसके रसीले लिप्स किसी को भी अपनी और आकर्षित करने के लिए लालयित थे। शहनाज जब अपने बेटे के सामने आई तो कुछ पलों के लिए उसका बेटा भी उसकी अदभुत सुंदरता की मन ही मन तारीफ किए बिना न रह सका। शहनाज एक सुलझी हुई धार्मिक और काफी सख्त स्वभाव की महिला थी इसलिए शहनाज के अंदर सीधे शब्दों में अपनी मां की तारीफ करने की भी हिम्मत नही थी। जब शहनाज नहा रही थी तो साहिल ने केक मंगा लिया था। आज तक शहनाज ने कभी केक नही काटा था बस कभी कभी फिल्मों में जरूर देखा था। रात के करीब दस बज रहे थे लेकिन गुलाम साहब का कोई पता नहीं था। दोनो मां बेटे कॉल पर कॉल कर रहे थे लेकिन गुलाम फोन नही उठा रहा था।

शहनाज के खूबसूरत से चेहरे पर गुस्से के भाव उभर रहे थे और वो अपने बेटे से बोली:"

" देखो तुम आज भी साहब को होश नही है, ये इंसान न बस कहा कहूं कुछ समझ नहीं आता।

साहिल:" अम्मी हो सकता है कि किसी काम में फंस गए हो। थोड़ी देर और इंतजार कर लिजिए।

शहनाज के होंठो पर गुस्से में भी स्माइल आ गई और बोली:"

"तुम अपने अब्बा को कभी नही समझ पाओगे। मैं जानती हु कि वो किस जरूरी काम में बिजी होगे। थोड़ी देर रुक जाओ तो तुम्हे भी एहसास हो जायेगा।

तभी गेट पर दस्तक हुई और साहिल ने दरवाजा खोला तो उसका बाप लड़खड़ाते हुए कदमों से अंदर दाखिल हुआ जिसके मुंह से दारू की तेज बदबू आ रही थी। शहनाजके साथ साहिल ने भी अपना माथा पीट लिया और साहिल को देखते ही गुलाम बोला:*

" अरे बेटा तुम कब आए ? कैसे हो तुम ?

साहिल ने अपने झूमते हुए बाप को सहारा दिया और बोला:"

" अभी आया हु बस थोड़ी देर पहले ही। अब्बा आप कहां थे इतनी रात तक ? कभी तक आप दारू पीते रहेंगे ?

गुलाम:" अरे बेटा बस ऐसे ही दोस्तो के साथ था, मन तो नहीं करता लेकिन कमबख्त मेरे दोस्त पीछा ही नही छोड़ते।

साहिल:" आप छोड़ दीजिए ये सब। अम्मी को देखिए आपकी वजह से कितनी परेशान होती है

गुलाम ने एक बार शहनाज की तरफ देखा और बोले:" अरे बेगम आप क्यों अपना खून जला रही हो ? थोड़ा खुश रहा कीजिए। खाने पीने की किसी चीज की दिक्कत हो तो हम बताए आप। सारे शहर की चीज़ों से महल भर देंगे।

साहिल:" अच्छा ये सब बाते बाद में कीजिए। आज अम्मी का जन्मदिन हैं और मैं केक भी लेकर आया हु अम्मी के लिए।

अपने बेटे की बात सुनकर शहनाज की खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा। लेकिन गुलाम साहब बोले:"

" अरे बेटा ये केक सेक सब अंग्रेजो के ड्रामे है। हम तो अपना देसी ही ठीक है। क्यों बेगम आपका क्या ख्याल है ?

शहनाज कुछ नहीं बोली तो साहिल ने धीरे से गुलाम को सोफे पर बैठा दिया और टेबल पर केक की पैकिंग खोल दी। सच में बेहद खूबसूरत केक था और शहनाज बिना कुछ बोले बस मंद मंद मुस्कुरा रही थी।

तीनो खड़े थे और शहनाज ने हाथ में चाकू लिया और जैसे ही केक काटने के लिए झुकी उससे पहले ही गुलाम साहब का पैर फिसला और सीधे केक पर जा गिरे। साहिल और शहनाज को काटो तो खून नहीं। गुलाम का सारा चेहरा केक से सन गया था और वो धीरे धीरे उठा और बोला:"

" ये क्या गुनाह हो गया मुझसे, माफ करना बेगम थोड़ा पैर फिसल गया। मैं नहाकर आता हु।

इतना कहकर वो लड़खड़ाते हुए बाथरूम की तरफ बढ़ा गया और बीच में काफी बाद दीवार से टकराया लेकिन दोनो मां बेटे से उसे सहारा नही दिया। गिरता पड़ता वो बाथरूम में घुस गया।

साहिल ने देखा कि शहनाज बिलकुल गुमसुम सी हो गई तो बोला:"

" आप इतनी छोटी सी बात के लिए अपना दिल मत दुखाए आप। मैं कल इससे भी अच्छा केक लेकर आऊंगा आपके लिए।

शहनाज कुछ नहीं बोली और बस अपने बेटे के गले लग कर सुबकती रही। साहिल ने जैसे तैसे उसे खाना खिलाया और फिर वो अपनी अम्मी से बात करने लगा। शहनाज उसे अपना दुख बताने लगी कि उसके बाप ने कभी उसका ख्याल नही रखा। हर कदम पर उसने बस दुख ही उठाए हैं।

तभी बाहर जोर से कुछ गिरने की आवाज आई तो साहिल बाहर की जाने लगा और उसने शहनाज की तरफ देखा तो शहनाज ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी तो साहिल खुद ही बाहर आया और देखा कि उसका बाप बिलकुल नंगा बाहर गैलरी में पड़ा हुआ था। शायद नशे के कारण गिर गया होगा, साहिल उसके पास पहुंचा और न चाहते हुए भी उसकी नजर अपने बाप की जांघो के बीच में चली गई और उसे मानो यकीन ही नहीं हुआ, उसे लग रहा था कि मानो वो दुनिया का सबसे बड़ा अजूबा देख रहा हो। उसके बाप का लंड उसके हाथ की छोटी उंगली से भी पतला और उतना की लंबा था।

साहिल ने हैरानी के साथ अपने बाप को सहारा दिया और नशे मे गुलाम पता नही क्या क्या बडबडा रहा था, उसे अपनी हालत का बिलकुल भी अंदाजा नहीं था।

साहिल ने उसे कमरे में ले जाकर बेड पर लिटा दिया और उसके ऊपर एक चादर डालकर बाहर आ गया और देखा कि उसकी अम्मी ने भी अपने कमरे की लाइट बंद कर ली थी तो वो भी अपने कमरे में चला गया और सोने की कोशिश करने लगा। नींद उसकी आंखों से कोसो दूर थी, उसे बार बार अपनी अम्मी की याद आ रही थी कि किस तरह से दुख भरा जीवन वो जी रही हैं।

सोचते सोचते उसकी आंख लग गई और वो नींद के आगोश मे चला गया। अगले दिन सुबह वो उठा और नाश्ते की टेबल पर पहुंचा तो देखा कि उसके अब्बा पहले से ही वहां मौजूद थे और बिलकुल एक नवाब की तरह अकड़ कर बैठे हुए थे। थोड़ी देर बाद सबने नाश्ता किया और साहिल बोला:"

" अब्बा मैं लंदन से पढ़ाई के साथ साथ टैटू का काम भी सीख कर आया हु। चाहता हूं कि एक दुकान खोल लू, आज कल इसमे बहुत ज्यादा पैसा है।

नवाब ने उसे घूरा और बोले:"

" कमाल करते हो तुम, तुम नवाब गुलाम अली खान के बेटे हो। हमारे पास कौन सा पैसे की कमी है, जाओ और अपनी जिंदगी में ऐश करो हमारी तरह।

शहनाज:" बस आप तो रहने ही दीजिए। अगर साहिल काम करना चाहता हैं तो इसमें बुराई क्या है

नवाब:" तुम चुप रहो बेगम, हमारा शहर में नाम चलता है , लोग झुककर सलाम करते है और हमारा बेटा अपनी दुकान खोलेगा तो लोग क्या कहेंगे ?

शहनाज:" माफ कीजिए नवाब साहब, बस अब थोड़ी सी जमीन और ये महल ही बचा हुआ है। अगर ऐसे ही चलता रहा तो ये महल भी बिकने के कगार पर आ जाएगा।

नवाब:" आप जुबान संभाल कर बात कीजिए। आप होश में तो हो क्या कर रही हो? हमेशा इस तरह से बात करने की हिम्मत कैसे हुई आपकी ?

शहनाज:" माफ कीजिए नवाब साहब लेकिन सच्चाई यही है।

साहिल:" आप दोनो झगड़ा बंद कीजिए। देखिए अब्बा आज कल वो जमाना नही रहा और मुझे दुकान खोलने की इजाजत दीजिए।

गुलाम:" अरे तुम्हे काम ही करना है तो कोई दूसरा कीजिए। टैटू का काम मुझे बेहद बुरा लगता है। इसके लिए मैं कभी इजाजत नहीं दूंगा। अरे अल्लाह ने शरीर को पहले से ही इतना अच्छा बनाया हैं तो फिर क्यों उसे रंग बिरंगा करना जरूरी है।

इतना कहकर उसने शहनाज को घूरकर देखा और चुप हो गए। शहनाज कुछ नहीं बोली और अपना मुंह नीचे कर लिया।

साहिल:" लेकिन अब्बा मैंने अब काम ही टैटू का सीखा हैं तो दूसरा काम शुरू करना इतना आसान नहीं होगा।

नवाब:" हम तुम्हे कभी इसकी इजाजत नही देंगे। बस तुम अपना काम करो अब।

साहिल चुप हो गया और नवाब साहब उठकर नीचे आ गए और सामने कुछ नौकर खड़े थे जिन पर वो हुक्म चला रहे थे

नवाब:" क्यों कालू, तुम्हे कल खेत से फसल काटने को बोला था काटी क्यों नही ?

कालू:* साहब मेरी मां ज्यादा बीमार थी बस इसलिए नहीं काट पाया, आज सब काम खत्म हो जाएगा।

नवाब:" दफा हो जाओ और अपना काम करो नही तो आज तुम्हारी हड्डी तोड़ दूंगा। और तुम अनवर तुम्हे तो कल कलेक्टर के यहां जाना था।

अनवर:" वो कल मेरे भाई की बीवी को बच्चा हुआ था इसलिए नहीं जा पाया। आज जरूर कर दूंगा।

नवाब:" जिसको देखो वही बहाने बनाता है। आज काम हो जाना चाहिए लेकिन तो अंजाम खुद सोच लेना तुम।


सभी लोग हाथ जोड़ कर चले गए और नवाब साहब निकल पड़े अपनी आवारगी करने के लिए। साहिल कमरे में परेशान सा बैठा हुआ था और शहनाज उसे समझाते हुए बोली:*


" तुम दुखी मत हो अपना काम शुरू करो। नवाब साहब की तो आदत है झूठा रौब झाड़ने की, सच कहूं तो अब हमारे पास ज्यादा कुछ नहीं बचा है।

साहिल:" आप फिकर मत कीजिए अम्मी। मैं सब कुछ ठीक कर दूंगा। बस किसी तरह से मेरी दुकान खुल जाए। अब्बा हैं कि मानते हो नही है।

शहनाज:" तुम एक काम करो शहर में दुकान शुरू करो और गुलाम साहब की चिंता मत करो। उन्हें मैं खुद संभाल लूंगी।

साहिल ने खुशी खुशी अपनी मां का गाल चूम लिया और शहनाज का पूरा जिस्म कांप सा उठा और बोली:"

" बस कर पागल, इस उम्र में कोई मां को ऐसे प्यार करता हैं क्या भला

साहिल:* तो मेरे बड़े होने से क्या आप मेरी नही रही क्या।

शहनाज:" अरे वो बात नही है बेटा लेकिन फिर भी तुम्हे थोड़ा कुछ समझना चाहिए।

साहिल:" अरे अम्मी भी बस। अच्छा चलो बताओ तो जरा मुझे क्या समझना चाहिए।

शहनाज ने कुछ नहीं बोला और शर्मा गई और अपने काम में लग गई। कुछ दिन के बाद ही साहिल ने अपने दुकान को खोल लिया और नवाब साहब उससे बड़े नाराज हुए। लेकिन थोड़े ही दिनों के बाद उसकी दुकान ठीक ठाक चल पड़ी और साहिल का जान आप पास दूर दूर तक फैल गया।

टैटू बनवाने के लिए लड़के, लड़किया औरते सब आती थी और सबसे ज्यादा लोग टैटू मिटवाने के लिए आते थे क्योंकि अधिकतर लोगो को इससे स्किन एलर्जी हो रही थी और काफी इलाज के बाद भी कोई फायदा नही हो रहा था। शहर में साहिल की अकेली दुकान थी जहां पर टैटू मिटाए जाते थे इसलिए उसकी मांग बहुत ज्यादा थी।
 
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parkas

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शहनाज आज बेहद खुश थी क्योंकि एक साल की ट्रेनिंग के बाद उसका बेटा साहिल फिर से घर वापिस आ रहा था। शहनाज की शादी शहर के नवाब गुलाम अली खान से हुई थी जिनका पूरे शहर में नाम था। शहर के बीच में उनके जैसा घर जो बिलकुल महल जैसा दिखता था किसी के पास नही था। आजादी के बाद देश का माहौल बदल गया और रियासते और राज्य खत्म होते चले गए लेकिन कुछ राजा और नवाब ऐसे थे जिनकी हुकूमत तो चली गई लेकिन अकड़ अभी तक बाकी थी और गुलाम अली खान भी कुछ उसी सोच के इंसान थे।

साहिल ने जैसे ही घर के सामने वाली गली मे आया तो उसका भव्य स्वागत किया गया और सड़क पर दोनो और खड़ी औरते उस पर फूल बरसा रही थी। हालाकि साहिल को ये सब पसंद नही था लेकिन फिर भी शांति से स्माइल करता हुए आगे बढ़ रहा था। जैसे ही ने घर के अंदर कदम रखा तो शहनाज ने अपने बेटे का मुस्कान के साथ स्वागत किया और उसके गले मे फूलो की माला पहना दी और दौड़कर उसके गले लग गई और अपने बेटे को अपनी बांहों में भर लिया। साहिल भी अपनी मां से बेहद प्यार करता था और उसने भी अपनी मां को गले लगा लिया।

प्रेमपूर्वक अपने बेटे का गाल चूम कर शहनाज बोली:"

" कैसी रही बेटे तेरी पढ़ाई ?

साहिल:" पढ़ाई तो अल्लाह का शुक्र हैं बेहद ही अच्छी रही अम्मी। लेकिन आज कल लोग पढ़ाई से ज्यादा अपने खुद के काम पर ज्यादा ध्यान देते हैं लंदन में। जिसको देखो सबकी अपनी मार्केट और काम है।

शहनाज:" अच्छा जी, फिर तुमने क्या क्या किया वहां पर ?

साहिल:" अम्मी बस मैने पढ़ाई के साथ टैटू बनाने का काम भी सीख लिया है। बस कुछ थोड़ी नई तकनीक आई थी बस वही सीख कर आया कि टैटू अगर हटाना हो तो कैसे हटाते हैं क्योंकि थोड़े समय के बाद ही लोगो को टैटू बुरे लगने लगते हैं क्योंकि कुछ लोगो को स्किन में दिक्कत आने लगती हैं और बाद में गंभीर हो सकती है।

शहनाज उसकी बात सुनकर चौंक सी गई लेकिन कुछ जाहिर नही होने दिया और बोली:"

" वहा विदेश में तुझे कुछ खाने को नहीं मिलता था क्या !! एक ही सप्ताह में कितना कमजोर हो गया है तू ?

साहिल:" नही ऐसा तो कुछ नही, आप भारतीय माए भी न अगर बस चले तो सारी दुनिया का खाना अपने बेटे को खिला दे।

शहनाज उसकी बात सुनकर बोली:" हान तो इसमें गलत क्या है भला!! हर मां चाहती है कि उसका बेटा खा पीकर सबसे ज्यादा ताकतवर बने। चल अच्छा जल्दी से नहा धो ले, और तू तो भूल ही गया रे कि आज तेरी अम्मी का जन्मदिन है।

साहिल:" ओह मम्मी, मैं भुला नहीं हू, भला अपनी मां का जन्मदिन। ही कोई भूलता हैं क्या ? याद हैं तभी तो आज ही वापिस आया हु मै आपके जन्मदिन पर।

शहनाज ने एक बार फिर से साहिल को गले लगा लिया और उसका माथा चूम कर बोली:"

" वाह बेटा हो तो ऐसा, अल्लाह तेरा जैसा बेटा सबको दे। एक तेरा अब्बा हैं जिसे दारू और नाच गाने के अलावा कुछ याद ही नहीं रहता।

साहिल ने भी अपनी मां को गले लगा लिया और बोला:"

" क्या अम्मी, अभी तक उनकी दारू की आदत नही छूटी क्या ?

शहनाज:" दारू की आदत भला किसी की कभी छूटी हैं क्या तो जब उन्हें काम से फुरसत हो। बस मुजरा देखन और दारू दो ही तो काम आते हैं उन्हें आखिर पैदायशी नवाब जो ठहरे।


इतना कहकर शहनाज थोड़ा गंभीर हो गई तो साहिल समझ गया कि अपने शौहर की दारू की आदत उसकी अम्मी पूरी दुखी हो गई है तो बोला:"

" अम्मी आप परेशान मत होइए। मैं उन्हे फिर से समझा दूंगा और वो जल्दी ही सब बंद कर देंगे।

शहनाज:" कुछ फायदा नहीं बेटा,आज तक नही छूटी तो अब क्या खाक छूटने वाली है। सच कहूं तो जैसे मेरी खुशियों में दारू ग्रहण बन गई है।

साहिल को लगा कि मामला ज्यादा गंभीर हो रहा है तो धीरे से बोला:"

" आप इतनी दुखी मत हो। वो तो सुधर ही जाएंगे कभी न कभी। कुछ दिक्कत हो तो आप मुझसे भी कह सकती हो।

शहनाज ने गहरी लंबी आह भरी और बोली:" बेटा दुनिया की हर समस्या अगर बेटा सुलझा देता तो पति की क्या जरूरत होती। छोड़ जाने दो तुम ये सब।

साहिल को एहसास हो गया था कि मामला उसकी सोच से कहीं ज्यादा गंभीर हैं तो बात को संभालते हुए बोला:

" चलिए आप जल्दी से खाना बना लीजिए फिर। फिर अब्बा भी आने ही वाले है।

शहनाज के चेहरे के भाव पल पल बदल रहे थे और बीच बीच में मौका देखकर साहिल की नजरें बचा कर अपनी जांघो को रगड़ सा रही थी। साहिल की बात सुनकर चेहरे पर मुस्कान आई और बोली:"

" वो तो रोज रात को देर से ही आते हैं, पहले जायेंगे दारू पिएंगे और फिर मुजरा देखेंगे।

इतना कहकर शहनाज किचन की तरफ बढ़ गई और जैसे ही उसने देखा कि साहिल का ध्यान उसकी तरफ नही हैं तो उसने अपनी जांघो के बीच खुजलाया और किचन में घुस गई खाना तैयार करने लगी। उसके बाद पसीने से भीगी हुई शहनाज नहाने के लिए बाथरूम में घुस गई। नहाने के बाद उसने अपनी एक खूबसूरत सा काले रंग का सूट निकाला और उससे पहन लिया। सौंदर्य प्रसाधन का सहारा हमेशा से ही औरत ने मर्द को लुभाने के लिए लिया हैं इसलिए शहनाज भी आज की रात कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती थी तो अपने आपको सजाने लगी। 38 वर्षीय शहनाज अधेड़ उम्र की जरूर थी लेकिन पूरी तरह से अपने आपको उसने संतुलित रखा हुआ था। बिलकुल सही जगह पर सही उभार उसे कुदरत का तोहफा था और शहनाज ने उसे पूरी तरह से बरकरार रखा था या यूं कहिए कि गुलाम अली खान ने उसे बरकरार रखने में शहनाज की मदद करी थी।

खूबसूरत सा चेहरा और बड़ी बड़ी गोल आंखे उसकी सुंदरता को और बढ़ा रही थी। आंखों में लगा गहरा काला काजल जिससे उसकी आंखे एक जादू सा कर रही थी, बिलकुल लाल सुर्ख लिपिस्टिक से सजे उसके रसीले लिप्स किसी को भी अपनी और आकर्षित करने के लिए लालयित थे। शहनाज जब अपने बेटे के सामने आई तो कुछ पलों के लिए उसका बेटा भी उसकी अदभुत सुंदरता की मन ही मन तारीफ किए बिना न रह सका। शहनाज एक सुलझी हुई धार्मिक और काफी सख्त स्वभाव की महिला थी इसलिए शहनाज के अंदर सीधे शब्दों में अपनी मां की तारीफ करने की भी हिम्मत नही थी। जब शहनाज नहा रही थी तो साहिल ने केक मंगा लिया था। आज तक शहनाज ने कभी केक नही काटा था बस कभी कभी फिल्मों में जरूर देखा था। रात के करीब दस बज रहे थे लेकिन गुलाम साहब का कोई पता नहीं था। दोनो मां बेटे कॉल पर कॉल कर रहे थे लेकिन गुलाम फोन नही उठा रहा था।

शहनाज के खूबसूरत से चेहरे पर गुस्से के भाव उभर रहे थे और वो अपने बेटे से बोली:"

" देखो तुम आज भी साहब को होश नही है, ये इंसान न बस कहा कहूं कुछ समझ नहीं आता।

साहिल:" अम्मी हो सकता है कि किसी काम में फंस गए हो। थोड़ी देर और इंतजार कर लिजिए।

शहनाज के होंठो पर गुस्से में भी स्माइल आ गई और बोली:"

"तुम अपने अब्बा को कभी नही समझ पाओगे। मैं जानती हु कि वो किस जरूरी काम में बिजी होगे। थोड़ी देर रुक जाओ तो तुम्हे भी एहसास हो जायेगा।

तभी गेट पर दस्तक हुई और साहिल ने दरवाजा खोला तो उसका बाप लड़खड़ाते हुए कदमों से अंदर दाखिल हुआ जिसके मुंह से दारू की तेज बदबू आ रही थी। शहनाजके साथ साहिल ने भी अपना माथा पीट लिया और साहिल को देखते ही गुलाम बोला:*

" अरे बेटा तुम कब आए ? कैसे हो तुम ?

साहिल ने अपने झूमते हुए बाप को सहारा दिया और बोला:"

" अभी आया हु बस थोड़ी देर पहले ही। अब्बा आप कहां थे इतनी रात तक ? कभी तक आप दारू पीते रहेंगे ?

गुलाम:" अरे बेटा बस ऐसे ही दोस्तो के साथ था, मन तो नहीं करता लेकिन कमबख्त मेरे दोस्त पीछा ही नही छोड़ते।

साहिल:" आप छोड़ दीजिए ये सब। अम्मी को देखिए आपकी वजह से कितनी परेशान होती है

गुलाम ने एक बार शहनाज की तरफ देखा और बोले:" अरे बेगम आप क्यों अपना खून जला रही हो ? थोड़ा खुश रहा कीजिए। खाने पीने की किसी चीज की दिक्कत हो तो हम बताए आप। सारे शहर की चीज़ों से महल भर देंगे।

साहिल:" अच्छा ये सब बाते बाद में कीजिए। आज अम्मी का जन्मदिन हैं और मैं केक भी लेकर आया हु अम्मी के लिए।

अपने बेटे की बात सुनकर शहनाज की खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा। लेकिन गुलाम साहब बोले:"

" अरे बेटा ये केक सेक सब अंग्रेजो के ड्रामे है। हम तो अपना देसी ही ठीक है। क्यों बेगम आपका क्या ख्याल है ?

शहनाज कुछ नहीं बोली तो साहिल ने धीरे से गुलाम को सोफे पर बैठा दिया और टेबल पर केक की पैकिंग खोल दी। सच में बेहद खूबसूरत केक था और शहनाज बिना कुछ बोले बस मंद मंद मुस्कुरा रही थी।

तीनो खड़े थे और शहनाज ने हाथ में चाकू लिया और जैसे ही केक काटने के लिए झुकी उससे पहले ही गुलाम साहब का पैर फिसला और सीधे केक पर जा गिरे। साहिल और शहनाज को काटो तो खून नहीं। गुलाम का सारा चेहरा केक से सन गया था और वो धीरे धीरे उठा और बोला:"

" ये क्या गुनाह हो गया मुझसे, माफ करना बेगम थोड़ा पैर फिसल गया। मैं नहाकर आता हु।

इतना कहकर वो लड़खड़ाते हुए बाथरूम की तरफ बढ़ा गया और बीच में काफी बाद दीवार से टकराया लेकिन दोनो मां बेटे से उसे सहारा नही दिया। गिरता पड़ता वो बाथरूम में घुस गया।

साहिल ने देखा कि शहनाज बिलकुल गुमसुम सी हो गई तो बोला:"

" आप इतनी छोटी सी बात के लिए अपना दिल मत दुखाए आप। मैं कल इससे भी अच्छा केक लेकर आऊंगा आपके लिए।

शहनाज कुछ नहीं बोली और बस अपने बेटे के गले लग कर सुबकती रही। साहिल ने जैसे तैसे उसे खाना खिलाया और फिर वो अपनी अम्मी से बात करने लगा। शहनाज उसे अपना दुख बताने लगी कि उसके बाप ने कभी उसका ख्याल नही रखा। हर कदम पर उसने बस दुख ही उठाए हैं।

तभी बाहर जोर से कुछ गिरने की आवाज आई तो साहिल बाहर की जाने लगा और उसने शहनाज की तरफ देखा तो शहनाज ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी तो साहिल खुद ही बाहर आया और देखा कि उसका बाप बिलकुल नंगा बाहर गैलरी में पड़ा हुआ था। शायद नशे के कारण गिर गया होगा, साहिल उसके पास पहुंचा और न चाहते हुए भी उसकी नजर अपने बाप की जांघो के बीच में चली गई और उसे मानो यकीन ही नहीं हुआ, उसे लग रहा था कि मानो वो दुनिया का सबसे बड़ा अजूबा देख रहा हो। उसके बाप का लंड उसके हाथ की छोटी उंगली से भी पतला और उतना की लंबा था।

साहिल ने हैरानी के साथ अपने बाप को सहारा दिया और नशे मे गुलाम पता नही क्या क्या बडबडा रहा था, उसे अपनी हालत का बिलकुल भी अंदाजा नहीं था।

साहिल ने उसे कमरे में ले जाकर बेड पर लिटा दिया और उसके ऊपर एक चादर डालकर बाहर आ गया और देखा कि उसकी अम्मी ने भी अपने कमरे की लाइट बंद कर ली थी तो वो भी अपने कमरे में चला गया और सोने की कोशिश करने लगा। नींद उसकी आंखों से कोसो दूर थी, उसे बार बार अपनी अम्मी की याद आ रही थी कि किस तरह से दुख भरा जीवन वो जी रही हैं।

सोचते सोचते उसकी आंख लग गई और वो नींद के आगोश मे चला गया। अगले दिन सुबह वो उठा और नाश्ते की टेबल पर पहुंचा तो देखा कि उसके अब्बा पहले से ही वहां मौजूद थे और बिलकुल एक नवाब की तरह अकड़ कर बैठे हुए थे। थोड़ी देर बाद सबने नाश्ता किया और साहिल बोला:"

" अब्बा मैं लंदन से पढ़ाई के साथ साथ टैटू का काम भी सीख कर आया हु। चाहता हूं कि एक दुकान खोल लू, आज कल इसमे बहुत ज्यादा पैसा है।

नवाब ने उसे घूरा और बोले:"

" कमाल करते हो तुम, तुम नवाब गुलाम अली खान के बेटे हो। हमारे पास कौन सा पैसे की कमी है, जाओ और अपनी जिंदगी में ऐश करो हमारी तरह।

शहनाज:" बस आप तो रहने ही दीजिए। अगर साहिल काम करना चाहता हैं तो इसमें बुराई क्या है

नवाब:" तुम चुप रहो बेगम, हमारा शहर में नाम चलता है , लोग झुककर सलाम करते है और हमारा बेटा अपनी दुकान खोलेगा तो लोग क्या कहेंगे ?

शहनाज:" माफ कीजिए नवाब साहब, बस अब थोड़ी सी जमीन और ये महल ही बचा हुआ है। अगर ऐसे ही चलता रहा तो ये महल भी बिकने के कगार पर आ जाएगा।

नवाब:" आप जुबान संभाल कर बात कीजिए। आप होश में तो हो क्या कर रही हो? हमेशा इस तरह से बात करने की हिम्मत कैसे हुई आपकी ?

शहनाज:" माफ कीजिए नवाब साहब लेकिन सच्चाई यही है।

साहिल:" आप दोनो झगड़ा बंद कीजिए। देखिए अब्बा आज कल वो जमाना नही रहा और मुझे दुकान खोलने की इजाजत दीजिए।

गुलाम:" अरे तुम्हे काम ही करना है तो कोई दूसरा कीजिए। टैटू का काम मुझे बेहद बुरा लगता है। इसके लिए मैं कभी इजाजत नहीं दूंगा। अरे अल्लाह ने शरीर को पहले से ही इतना अच्छा बनाया हैं तो फिर क्यों उसे रंग बिरंगा करना जरूरी है।

इतना कहकर उसने शहनाज को घूरकर देखा और चुप हो गए। शहनाज कुछ नहीं बोली और अपना मुंह नीचे कर लिया।

साहिल:" लेकिन अब्बा मैंने अब काम ही टैटू का सीखा हैं तो दूसरा काम शुरू करना इतना आसान नहीं होगा।

नवाब:" हम तुम्हे कभी इसकी इजाजत नही देंगे। बस तुम अपना काम करो अब।

साहिल चुप हो गया और नवाब साहब उठकर नीचे आ गए और सामने कुछ नौकर खड़े थे जिन पर वो हुक्म चला रहे थे

नवाब:" क्यों कालू, तुम्हे कल खेत से फसल काटने को बोला था काटी क्यों नही ?

कालू:* साहब मेरी मां ज्यादा बीमार थी बस इसलिए नहीं काट पाया, आज सब काम खत्म हो जाएगा।

नवाब:" दफा हो जाओ और अपना काम करो नही तो आज तुम्हारी हड्डी तोड़ दूंगा। और तुम अनवर तुम्हे तो कल कलेक्टर के यहां जाना था।

अनवर:" वो कल मेरे भाई की बीवी को बच्चा हुआ था इसलिए नहीं जा पाया। आज जरूर कर दूंगा।

नवाब:" जिसको देखो वही बहाने बनाता है। आज काम हो जाना चाहिए लेकिन तो अंजाम खुद सोच लेना तुम।


सभी लोग हाथ जोड़ कर चले गए और नवाब साहब निकल पड़े अपनी आवारगी करने के लिए। साहिल कमरे में परेशान सा बैठा हुआ था और शहनाज उसे समझाते हुए बोली:*


" तुम दुखी मत हो अपना काम शुरू करो। नवाब साहब की तो आदत है झूठा रौब झाड़ने की, सच कहूं तो अब हमारे पास ज्यादा कुछ नहीं बचा है।

साहिल:" आप फिकर मत कीजिए अम्मी। मैं सब कुछ ठीक कर दूंगा। बस किसी तरह से मेरी दुकान खुल जाए। अब्बा हैं कि मानते हो नही है।

शहनाज:" तुम एक काम करो शहर में दुकान शुरू करो और गुलाम साहब की चिंता मत करो। उन्हें मैं खुद संभाल लूंगी।

साहिल ने खुशी खुशी अपनी मां का गाल चूम लिया और शहनाज का पूरा जिस्म कांप सा उठा और बोली:"

" बस कर पागल, इस उम्र में कोई मां को ऐसे प्यार करता हैं क्या भला

साहिल:* तो मेरे बड़े होने से क्या आप मेरी नही रही क्या।

शहनाज:" अरे वो बात नही है बेटा लेकिन फिर भी तुम्हे थोड़ा कुछ समझना चाहिए।

साहिल:" अरे अम्मी भी बस। अच्छा चलो बताओ तो जरा मुझे क्या समझना चाहिए।

शहनाज ने कुछ नहीं बोला और शर्मा गई और अपने काम में लग गई। कुछ दिन के बाद ही साहिल ने अपने दुकान को खोल लिया और नवाब साहब उससे बड़े नाराज हुए। लेकिन थोड़े ही दिनों के बाद उसकी दुकान ठीक ठाक चल पड़ी और साहिल का जान आप पास दूर दूर तक फैल गया।

टैटू बनवाने के लिए लड़के, लड़किया औरते सब आती थी और सबसे ज्यादा लोग टैटू मिटवाने के लिए आते थे क्योंकि अधिकतर लोगो को इससे स्किन एलर्जी हो रही थी और काफी इलाज के बाद भी कोई फायदा नही हो रहा था। शहर में साहिल की अकेली दुकान थी जहां पर टैटू मिटाए जाते थे इसलिए उसकी मांग बहुत ज्यादा थी।
Bahut hi shaandar update diya hai Unique star bhai....
Nice and beautiful update....
 

Wish@2020

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Welcome back sir..carry on...👌👍
 
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Congratulations for new story Uniq star bhai.
Start hamesha ki tarah outstanding raha. Keep it up.
 

Ek number

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शहनाज आज बेहद खुश थी क्योंकि एक साल की ट्रेनिंग के बाद उसका बेटा साहिल फिर से घर वापिस आ रहा था। शहनाज की शादी शहर के नवाब गुलाम अली खान से हुई थी जिनका पूरे शहर में नाम था। शहर के बीच में उनके जैसा घर जो बिलकुल महल जैसा दिखता था किसी के पास नही था। आजादी के बाद देश का माहौल बदल गया और रियासते और राज्य खत्म होते चले गए लेकिन कुछ राजा और नवाब ऐसे थे जिनकी हुकूमत तो चली गई लेकिन अकड़ अभी तक बाकी थी और गुलाम अली खान भी कुछ उसी सोच के इंसान थे।

साहिल ने जैसे ही घर के सामने वाली गली मे आया तो उसका भव्य स्वागत किया गया और सड़क पर दोनो और खड़ी औरते उस पर फूल बरसा रही थी। हालाकि साहिल को ये सब पसंद नही था लेकिन फिर भी शांति से स्माइल करता हुए आगे बढ़ रहा था। जैसे ही ने घर के अंदर कदम रखा तो शहनाज ने अपने बेटे का मुस्कान के साथ स्वागत किया और उसके गले मे फूलो की माला पहना दी और दौड़कर उसके गले लग गई और अपने बेटे को अपनी बांहों में भर लिया। साहिल भी अपनी मां से बेहद प्यार करता था और उसने भी अपनी मां को गले लगा लिया।

प्रेमपूर्वक अपने बेटे का गाल चूम कर शहनाज बोली:"

" कैसी रही बेटे तेरी पढ़ाई ?

साहिल:" पढ़ाई तो अल्लाह का शुक्र हैं बेहद ही अच्छी रही अम्मी। लेकिन आज कल लोग पढ़ाई से ज्यादा अपने खुद के काम पर ज्यादा ध्यान देते हैं लंदन में। जिसको देखो सबकी अपनी मार्केट और काम है।

शहनाज:" अच्छा जी, फिर तुमने क्या क्या किया वहां पर ?

साहिल:" अम्मी बस मैने पढ़ाई के साथ टैटू बनाने का काम भी सीख लिया है। बस कुछ थोड़ी नई तकनीक आई थी बस वही सीख कर आया कि टैटू अगर हटाना हो तो कैसे हटाते हैं क्योंकि थोड़े समय के बाद ही लोगो को टैटू बुरे लगने लगते हैं क्योंकि कुछ लोगो को स्किन में दिक्कत आने लगती हैं और बाद में गंभीर हो सकती है।

शहनाज उसकी बात सुनकर चौंक सी गई लेकिन कुछ जाहिर नही होने दिया और बोली:"

" वहा विदेश में तुझे कुछ खाने को नहीं मिलता था क्या !! एक ही सप्ताह में कितना कमजोर हो गया है तू ?

साहिल:" नही ऐसा तो कुछ नही, आप भारतीय माए भी न अगर बस चले तो सारी दुनिया का खाना अपने बेटे को खिला दे।

शहनाज उसकी बात सुनकर बोली:" हान तो इसमें गलत क्या है भला!! हर मां चाहती है कि उसका बेटा खा पीकर सबसे ज्यादा ताकतवर बने। चल अच्छा जल्दी से नहा धो ले, और तू तो भूल ही गया रे कि आज तेरी अम्मी का जन्मदिन है।

साहिल:" ओह मम्मी, मैं भुला नहीं हू, भला अपनी मां का जन्मदिन। ही कोई भूलता हैं क्या ? याद हैं तभी तो आज ही वापिस आया हु मै आपके जन्मदिन पर।

शहनाज ने एक बार फिर से साहिल को गले लगा लिया और उसका माथा चूम कर बोली:"

" वाह बेटा हो तो ऐसा, अल्लाह तेरा जैसा बेटा सबको दे। एक तेरा अब्बा हैं जिसे दारू और नाच गाने के अलावा कुछ याद ही नहीं रहता।

साहिल ने भी अपनी मां को गले लगा लिया और बोला:"

" क्या अम्मी, अभी तक उनकी दारू की आदत नही छूटी क्या ?

शहनाज:" दारू की आदत भला किसी की कभी छूटी हैं क्या तो जब उन्हें काम से फुरसत हो। बस मुजरा देखन और दारू दो ही तो काम आते हैं उन्हें आखिर पैदायशी नवाब जो ठहरे।


इतना कहकर शहनाज थोड़ा गंभीर हो गई तो साहिल समझ गया कि अपने शौहर की दारू की आदत उसकी अम्मी पूरी दुखी हो गई है तो बोला:"

" अम्मी आप परेशान मत होइए। मैं उन्हे फिर से समझा दूंगा और वो जल्दी ही सब बंद कर देंगे।

शहनाज:" कुछ फायदा नहीं बेटा,आज तक नही छूटी तो अब क्या खाक छूटने वाली है। सच कहूं तो जैसे मेरी खुशियों में दारू ग्रहण बन गई है।

साहिल को लगा कि मामला ज्यादा गंभीर हो रहा है तो धीरे से बोला:"

" आप इतनी दुखी मत हो। वो तो सुधर ही जाएंगे कभी न कभी। कुछ दिक्कत हो तो आप मुझसे भी कह सकती हो।

शहनाज ने गहरी लंबी आह भरी और बोली:" बेटा दुनिया की हर समस्या अगर बेटा सुलझा देता तो पति की क्या जरूरत होती। छोड़ जाने दो तुम ये सब।

साहिल को एहसास हो गया था कि मामला उसकी सोच से कहीं ज्यादा गंभीर हैं तो बात को संभालते हुए बोला:

" चलिए आप जल्दी से खाना बना लीजिए फिर। फिर अब्बा भी आने ही वाले है।

शहनाज के चेहरे के भाव पल पल बदल रहे थे और बीच बीच में मौका देखकर साहिल की नजरें बचा कर अपनी जांघो को रगड़ सा रही थी। साहिल की बात सुनकर चेहरे पर मुस्कान आई और बोली:"

" वो तो रोज रात को देर से ही आते हैं, पहले जायेंगे दारू पिएंगे और फिर मुजरा देखेंगे।

इतना कहकर शहनाज किचन की तरफ बढ़ गई और जैसे ही उसने देखा कि साहिल का ध्यान उसकी तरफ नही हैं तो उसने अपनी जांघो के बीच खुजलाया और किचन में घुस गई खाना तैयार करने लगी। उसके बाद पसीने से भीगी हुई शहनाज नहाने के लिए बाथरूम में घुस गई। नहाने के बाद उसने अपनी एक खूबसूरत सा काले रंग का सूट निकाला और उससे पहन लिया। सौंदर्य प्रसाधन का सहारा हमेशा से ही औरत ने मर्द को लुभाने के लिए लिया हैं इसलिए शहनाज भी आज की रात कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती थी तो अपने आपको सजाने लगी। 38 वर्षीय शहनाज अधेड़ उम्र की जरूर थी लेकिन पूरी तरह से अपने आपको उसने संतुलित रखा हुआ था। बिलकुल सही जगह पर सही उभार उसे कुदरत का तोहफा था और शहनाज ने उसे पूरी तरह से बरकरार रखा था या यूं कहिए कि गुलाम अली खान ने उसे बरकरार रखने में शहनाज की मदद करी थी।

खूबसूरत सा चेहरा और बड़ी बड़ी गोल आंखे उसकी सुंदरता को और बढ़ा रही थी। आंखों में लगा गहरा काला काजल जिससे उसकी आंखे एक जादू सा कर रही थी, बिलकुल लाल सुर्ख लिपिस्टिक से सजे उसके रसीले लिप्स किसी को भी अपनी और आकर्षित करने के लिए लालयित थे। शहनाज जब अपने बेटे के सामने आई तो कुछ पलों के लिए उसका बेटा भी उसकी अदभुत सुंदरता की मन ही मन तारीफ किए बिना न रह सका। शहनाज एक सुलझी हुई धार्मिक और काफी सख्त स्वभाव की महिला थी इसलिए शहनाज के अंदर सीधे शब्दों में अपनी मां की तारीफ करने की भी हिम्मत नही थी। जब शहनाज नहा रही थी तो साहिल ने केक मंगा लिया था। आज तक शहनाज ने कभी केक नही काटा था बस कभी कभी फिल्मों में जरूर देखा था। रात के करीब दस बज रहे थे लेकिन गुलाम साहब का कोई पता नहीं था। दोनो मां बेटे कॉल पर कॉल कर रहे थे लेकिन गुलाम फोन नही उठा रहा था।

शहनाज के खूबसूरत से चेहरे पर गुस्से के भाव उभर रहे थे और वो अपने बेटे से बोली:"

" देखो तुम आज भी साहब को होश नही है, ये इंसान न बस कहा कहूं कुछ समझ नहीं आता।

साहिल:" अम्मी हो सकता है कि किसी काम में फंस गए हो। थोड़ी देर और इंतजार कर लिजिए।

शहनाज के होंठो पर गुस्से में भी स्माइल आ गई और बोली:"

"तुम अपने अब्बा को कभी नही समझ पाओगे। मैं जानती हु कि वो किस जरूरी काम में बिजी होगे। थोड़ी देर रुक जाओ तो तुम्हे भी एहसास हो जायेगा।

तभी गेट पर दस्तक हुई और साहिल ने दरवाजा खोला तो उसका बाप लड़खड़ाते हुए कदमों से अंदर दाखिल हुआ जिसके मुंह से दारू की तेज बदबू आ रही थी। शहनाजके साथ साहिल ने भी अपना माथा पीट लिया और साहिल को देखते ही गुलाम बोला:*

" अरे बेटा तुम कब आए ? कैसे हो तुम ?

साहिल ने अपने झूमते हुए बाप को सहारा दिया और बोला:"

" अभी आया हु बस थोड़ी देर पहले ही। अब्बा आप कहां थे इतनी रात तक ? कभी तक आप दारू पीते रहेंगे ?

गुलाम:" अरे बेटा बस ऐसे ही दोस्तो के साथ था, मन तो नहीं करता लेकिन कमबख्त मेरे दोस्त पीछा ही नही छोड़ते।

साहिल:" आप छोड़ दीजिए ये सब। अम्मी को देखिए आपकी वजह से कितनी परेशान होती है

गुलाम ने एक बार शहनाज की तरफ देखा और बोले:" अरे बेगम आप क्यों अपना खून जला रही हो ? थोड़ा खुश रहा कीजिए। खाने पीने की किसी चीज की दिक्कत हो तो हम बताए आप। सारे शहर की चीज़ों से महल भर देंगे।

साहिल:" अच्छा ये सब बाते बाद में कीजिए। आज अम्मी का जन्मदिन हैं और मैं केक भी लेकर आया हु अम्मी के लिए।

अपने बेटे की बात सुनकर शहनाज की खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा। लेकिन गुलाम साहब बोले:"

" अरे बेटा ये केक सेक सब अंग्रेजो के ड्रामे है। हम तो अपना देसी ही ठीक है। क्यों बेगम आपका क्या ख्याल है ?

शहनाज कुछ नहीं बोली तो साहिल ने धीरे से गुलाम को सोफे पर बैठा दिया और टेबल पर केक की पैकिंग खोल दी। सच में बेहद खूबसूरत केक था और शहनाज बिना कुछ बोले बस मंद मंद मुस्कुरा रही थी।

तीनो खड़े थे और शहनाज ने हाथ में चाकू लिया और जैसे ही केक काटने के लिए झुकी उससे पहले ही गुलाम साहब का पैर फिसला और सीधे केक पर जा गिरे। साहिल और शहनाज को काटो तो खून नहीं। गुलाम का सारा चेहरा केक से सन गया था और वो धीरे धीरे उठा और बोला:"

" ये क्या गुनाह हो गया मुझसे, माफ करना बेगम थोड़ा पैर फिसल गया। मैं नहाकर आता हु।

इतना कहकर वो लड़खड़ाते हुए बाथरूम की तरफ बढ़ा गया और बीच में काफी बाद दीवार से टकराया लेकिन दोनो मां बेटे से उसे सहारा नही दिया। गिरता पड़ता वो बाथरूम में घुस गया।

साहिल ने देखा कि शहनाज बिलकुल गुमसुम सी हो गई तो बोला:"

" आप इतनी छोटी सी बात के लिए अपना दिल मत दुखाए आप। मैं कल इससे भी अच्छा केक लेकर आऊंगा आपके लिए।

शहनाज कुछ नहीं बोली और बस अपने बेटे के गले लग कर सुबकती रही। साहिल ने जैसे तैसे उसे खाना खिलाया और फिर वो अपनी अम्मी से बात करने लगा। शहनाज उसे अपना दुख बताने लगी कि उसके बाप ने कभी उसका ख्याल नही रखा। हर कदम पर उसने बस दुख ही उठाए हैं।

तभी बाहर जोर से कुछ गिरने की आवाज आई तो साहिल बाहर की जाने लगा और उसने शहनाज की तरफ देखा तो शहनाज ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी तो साहिल खुद ही बाहर आया और देखा कि उसका बाप बिलकुल नंगा बाहर गैलरी में पड़ा हुआ था। शायद नशे के कारण गिर गया होगा, साहिल उसके पास पहुंचा और न चाहते हुए भी उसकी नजर अपने बाप की जांघो के बीच में चली गई और उसे मानो यकीन ही नहीं हुआ, उसे लग रहा था कि मानो वो दुनिया का सबसे बड़ा अजूबा देख रहा हो। उसके बाप का लंड उसके हाथ की छोटी उंगली से भी पतला और उतना की लंबा था।

साहिल ने हैरानी के साथ अपने बाप को सहारा दिया और नशे मे गुलाम पता नही क्या क्या बडबडा रहा था, उसे अपनी हालत का बिलकुल भी अंदाजा नहीं था।

साहिल ने उसे कमरे में ले जाकर बेड पर लिटा दिया और उसके ऊपर एक चादर डालकर बाहर आ गया और देखा कि उसकी अम्मी ने भी अपने कमरे की लाइट बंद कर ली थी तो वो भी अपने कमरे में चला गया और सोने की कोशिश करने लगा। नींद उसकी आंखों से कोसो दूर थी, उसे बार बार अपनी अम्मी की याद आ रही थी कि किस तरह से दुख भरा जीवन वो जी रही हैं।

सोचते सोचते उसकी आंख लग गई और वो नींद के आगोश मे चला गया। अगले दिन सुबह वो उठा और नाश्ते की टेबल पर पहुंचा तो देखा कि उसके अब्बा पहले से ही वहां मौजूद थे और बिलकुल एक नवाब की तरह अकड़ कर बैठे हुए थे। थोड़ी देर बाद सबने नाश्ता किया और साहिल बोला:"

" अब्बा मैं लंदन से पढ़ाई के साथ साथ टैटू का काम भी सीख कर आया हु। चाहता हूं कि एक दुकान खोल लू, आज कल इसमे बहुत ज्यादा पैसा है।

नवाब ने उसे घूरा और बोले:"

" कमाल करते हो तुम, तुम नवाब गुलाम अली खान के बेटे हो। हमारे पास कौन सा पैसे की कमी है, जाओ और अपनी जिंदगी में ऐश करो हमारी तरह।

शहनाज:" बस आप तो रहने ही दीजिए। अगर साहिल काम करना चाहता हैं तो इसमें बुराई क्या है

नवाब:" तुम चुप रहो बेगम, हमारा शहर में नाम चलता है , लोग झुककर सलाम करते है और हमारा बेटा अपनी दुकान खोलेगा तो लोग क्या कहेंगे ?

शहनाज:" माफ कीजिए नवाब साहब, बस अब थोड़ी सी जमीन और ये महल ही बचा हुआ है। अगर ऐसे ही चलता रहा तो ये महल भी बिकने के कगार पर आ जाएगा।

नवाब:" आप जुबान संभाल कर बात कीजिए। आप होश में तो हो क्या कर रही हो? हमेशा इस तरह से बात करने की हिम्मत कैसे हुई आपकी ?

शहनाज:" माफ कीजिए नवाब साहब लेकिन सच्चाई यही है।

साहिल:" आप दोनो झगड़ा बंद कीजिए। देखिए अब्बा आज कल वो जमाना नही रहा और मुझे दुकान खोलने की इजाजत दीजिए।

गुलाम:" अरे तुम्हे काम ही करना है तो कोई दूसरा कीजिए। टैटू का काम मुझे बेहद बुरा लगता है। इसके लिए मैं कभी इजाजत नहीं दूंगा। अरे अल्लाह ने शरीर को पहले से ही इतना अच्छा बनाया हैं तो फिर क्यों उसे रंग बिरंगा करना जरूरी है।

इतना कहकर उसने शहनाज को घूरकर देखा और चुप हो गए। शहनाज कुछ नहीं बोली और अपना मुंह नीचे कर लिया।

साहिल:" लेकिन अब्बा मैंने अब काम ही टैटू का सीखा हैं तो दूसरा काम शुरू करना इतना आसान नहीं होगा।

नवाब:" हम तुम्हे कभी इसकी इजाजत नही देंगे। बस तुम अपना काम करो अब।

साहिल चुप हो गया और नवाब साहब उठकर नीचे आ गए और सामने कुछ नौकर खड़े थे जिन पर वो हुक्म चला रहे थे

नवाब:" क्यों कालू, तुम्हे कल खेत से फसल काटने को बोला था काटी क्यों नही ?

कालू:* साहब मेरी मां ज्यादा बीमार थी बस इसलिए नहीं काट पाया, आज सब काम खत्म हो जाएगा।

नवाब:" दफा हो जाओ और अपना काम करो नही तो आज तुम्हारी हड्डी तोड़ दूंगा। और तुम अनवर तुम्हे तो कल कलेक्टर के यहां जाना था।

अनवर:" वो कल मेरे भाई की बीवी को बच्चा हुआ था इसलिए नहीं जा पाया। आज जरूर कर दूंगा।

नवाब:" जिसको देखो वही बहाने बनाता है। आज काम हो जाना चाहिए लेकिन तो अंजाम खुद सोच लेना तुम।


सभी लोग हाथ जोड़ कर चले गए और नवाब साहब निकल पड़े अपनी आवारगी करने के लिए। साहिल कमरे में परेशान सा बैठा हुआ था और शहनाज उसे समझाते हुए बोली:*


" तुम दुखी मत हो अपना काम शुरू करो। नवाब साहब की तो आदत है झूठा रौब झाड़ने की, सच कहूं तो अब हमारे पास ज्यादा कुछ नहीं बचा है।

साहिल:" आप फिकर मत कीजिए अम्मी। मैं सब कुछ ठीक कर दूंगा। बस किसी तरह से मेरी दुकान खुल जाए। अब्बा हैं कि मानते हो नही है।

शहनाज:" तुम एक काम करो शहर में दुकान शुरू करो और गुलाम साहब की चिंता मत करो। उन्हें मैं खुद संभाल लूंगी।

साहिल ने खुशी खुशी अपनी मां का गाल चूम लिया और शहनाज का पूरा जिस्म कांप सा उठा और बोली:"

" बस कर पागल, इस उम्र में कोई मां को ऐसे प्यार करता हैं क्या भला

साहिल:* तो मेरे बड़े होने से क्या आप मेरी नही रही क्या।

शहनाज:" अरे वो बात नही है बेटा लेकिन फिर भी तुम्हे थोड़ा कुछ समझना चाहिए।

साहिल:" अरे अम्मी भी बस। अच्छा चलो बताओ तो जरा मुझे क्या समझना चाहिए।

शहनाज ने कुछ नहीं बोला और शर्मा गई और अपने काम में लग गई। कुछ दिन के बाद ही साहिल ने अपने दुकान को खोल लिया और नवाब साहब उससे बड़े नाराज हुए। लेकिन थोड़े ही दिनों के बाद उसकी दुकान ठीक ठाक चल पड़ी और साहिल का जान आप पास दूर दूर तक फैल गया।

टैटू बनवाने के लिए लड़के, लड़किया औरते सब आती थी और सबसे ज्यादा लोग टैटू मिटवाने के लिए आते थे क्योंकि अधिकतर लोगो को इससे स्किन एलर्जी हो रही थी और काफी इलाज के बाद भी कोई फायदा नही हो रहा था। शहर में साहिल की अकेली दुकान थी जहां पर टैटू मिटाए जाते थे इसलिए उसकी मांग बहुत ज्यादा थी।
Nice update
 
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नवाब साहब का गुस्सा अब धीरे धीरे कम हो रहा था क्योंकि साहिल की शहर में अच्छी खासी चल पड़ी थी। साहिल ने अपने अब्बा को खूब समझाया लेकिन उस पर कोई फर्क नही पड़ा।

शहनाज अपने बेटे से बेहद खुश थी और उसका बड़ा ध्यान रखती थी। धीरे धीरे शहनाज के जिस्म पर खुजली बढ़ रही थी और उसे इससे काफी ज्यादा दिक्कत हो रही थी लेकिन किसी से कुछ कह पाने की हिम्मत उसके अंदर नहीं थी। एक दिन शहनाज ने हिम्मत जुटाई और जब साहिल ऑफिस जा रहा था तो शहनाज बोली:"

" बेटा मुझे तुमसे कुछ बात करनी थी बेहद जरूरी।

साहिल ने अपना बैग टेबल पर रख दिया और बैठ गया सोफे पर और बोला:"

" जी अम्मी बोलिए आप।

शहनाज को समझ नही आया कि क्या करे। काफी कोशिश के बाद भी उसके मुंह से एक शब्द नही निकला और उसके माथे पर पसीना छलक आया तो साहिल बोला:"

" क्या हुआ अम्मी ? आप कौन बोल रही थी ना ?

शहनाज का दिल तेजी से धाड धाड़ कर रहा था और जिस्म में एक बिजली सी दौड़ रही थी। उसे समझ नहीं आया कि कैसे अपनी बात कहे तो साहिल बोला:"

" अम्मी क्या हुआ है ? आप कुछ तो बोलिए। मुझे ऑफिस के लिए लेट हो जायेगा

शहनाज को बचने का बहाना मिल गया और तेजी से बोली:"

" एक काम करो तुम अपनी दुकान पर जाओ। फिर कभी बाद मे बता दूंगी।

साहिल के होंठो पर स्माइल आ गई और बोला:"

" अम्मी आप भी ना किसी छोटी बच्ची की तरह कर रही है। अच्छा लेट होने दीजिए, आपकी मेरी अम्मी हैं तो आपकी मदद करना मेरा पहला फर्ज है।

शहनाज:" अरे नही नही, जाओ तुम ऑफिस जाओ। मैं फिर कभी बाद मे बता दूंगी।

साहिल ने अपना बैग उठाया और बोला:" ठीक हैं लेकिन आप ध्यान रखना कि आज शाम में मुझे जरूर बता देना आप।

इतना कहकर साहिल बाहर निकल गया और शहनाज ने चैन की सांस ली। लेकिन अगले ही पल वो मायूस हो गई क्योंकि उसकी समस्या बढ़ती ही जा रही थी और उसे कोई रास्ता समझ नहीं आ रहा था। दिन भर वो यही सोचती रही कि शाम होने पर उसका बेटा फिर से उससे सवाल करेगा और किस तरह से अपनी समस्या उससे कहेगी।

रात के करीब आठ साहिल वापिस घर आ गया और शहनाज ने खाना बना दिया था। दोनो मां बेटे एक साथ बैठे खाना खा रहे थे तो साहिल बोला:"

" अभी बोलिए अम्मी जान आप सुबह कुछ बोल रही थी

शहनाज जिस बात से डर रही थी वही डर उसके सामने आ गया और एक बार फिर से शहनाज का जिस्म कांप उठा। उसके मुंह में खाना का निवाला नीचे नही उतर पा रहा था और बड़ी मुश्किल से वो हिम्मत करके बोली:"

" पहले खाना तो खा लो आराम से फिर बात करते है।

साहिल ने अपनी अम्मी को स्माइल दी और खाना खाने लग गया। शहनाज ने एक बात फिर को घुमा दिया था लेकिन कब तक वो अपने बेटे को नहीं बता पाएगी ये सोचकर वो परेशान थी।

जैसे जैसे खाना खत्म हो रहा था शहनाज की चिंता बढ़ती जा रही थी। उसे समझ नही आ रहा था कि अब क्या होगा। जैसे ही खाना खत्म हुआ तो शहनाज के माथे पर पसीना छलक आया और उसने जल्दी से बर्तन उठाए और बोली:"

"मैं बर्तन धोकर आती हु।

इतना कहकर वो तेजी से किचन में घुस गई। साहिल को समझ नही आ रहा था कि आखिर ऐसी क्या बात हैं जो उसकी अम्मी चाह कर भी उसे नही बता पा रही हैं और बात को बार बार टालने की कोशिश कर रही हैं।

शहनाज बर्तन धोने के बाद फिर से परेशान हो गई कि अब क्या करू। उसकी समस्या दिन पर दिन बढ़ती ही जा रही थी और वो अब चाह कर चुप भी तो नहीं कर सकती थी।

शहनाज अपने कमरे में आ गई और बिस्तर को ठीक करने लगी तभी साहिल उसके कमरे में दाखिल हुआ और उसके बेड पर बैठ गया। साहिल को अपने कमरे में पाकर एक बार फिर से शहनाज की बेचैनी बढ़ गई और उसकी सांसे तेजी से चलने लगी। साहिल बोला:"

" हान अम्मी अब बताए आपकी क्या बताने वाली थी मुझे ?

शहनाज:" बेटा ऐसे ही बस कुछ खास नहीं था। तुम बताओ कैसा रहा आज का दिन आपका ?

साहिल:" अम्मी मेरा दिन तो बहुत ही अच्छा था लेकिन आप क्यों जान बूझकर बात को घुमा रही हैं ? आखिरकार ऐसी क्या बात हैं जो आप चाह कर भी नही बोल पा रही हो।

शहनाज को कुछ समझ नहीं आया कि क्या कहे इसलिए खामोश ही रही और नजरे नीचे कर ली। साहिल ध्यान से देख रहा था कि कुछ तो हैं जो उसकी अम्मी को परेशान कर रहा है और किसी बात की वजह से वो उसे नही बता पा रही है। साहिल ने थोड़ा समझदारी से काम लिया और बोला:"

" आप मुझसे बेफिक्र होकर बोल सकती है। आपकी बात मैं किसी से नही कहूंगा इतना यकीन तो आपको मुझ पर होना ही चाहिए। क्या आपको अपने बेटे पर यकीन नही है क्या ?

शहनाज अपने बेटे की बात सुनकर तड़प सी उठी और उसका हाथ पकड़ कर बोली:"

" तुम पर तो मुझे खुद से ज्यादा यकीन है बेटा। लेकिन समझ नही आ रहा कि तुमसे कैसे कहूं।

साहिल थोड़ा सा और खिसक कर अपनी अम्मी के बेहद करीब हो गया और बोला:"

" अम्मी आप बेफिक्र होकर बोलिए। मैं कोशिश करूंगा कि आपकी समस्या कोई हो तो उसे दूर कर सकू। चलिए अब आप जल्दी से बोलिए।

शहनाज जानती थी कि ये उसके लिए अब अभी नही तो कभी नही का मौका था और उसकी समस्या उससे अब बर्दाश्त नहीं हो रही थी इसलिए वो अपने अंदर हिम्मत बटोरने लगी। उसके माथे पर एक बार फिर से पसीना छलक आया और उसने अपने पसीना को साफ किया और फिर अपनी नजरे नीचे झुका ली और बोली:"

" तुम तो जानते ही हो मेरी एक सहेली है रूबी। तीन महीने पहले मेरी उससे मुलाकात हुई क्योंकि वो घर आई थी। बातो ही बातो में उसने बताया कि उसका पति पहले उससे बहुत ज्यादा प्यार नही करता था और न ही उसे समय देता था। फिर रूबी ने अपने पति को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए अपने जिस्म पर टैटू बनवा लिए और उसका शौहर इससे बेहद खुश हुआ क्योंकि अब रूबी पहले से ज्यादा आकर्षक लग रही थी। टैटू बनवाने से उसकी जिंदगी में फिर से खुशियां लौट आई और उसने जब यहां तुम्हारे अब्बा की हरकते देखी तो उसने मुझे भी टैटू बनवाने की सलाह दी।

इतना कहकर शहनाज थोड़ी देर के लिए रुक गई। उसके माथे पर पसीना आ गया था और उसका पूरा चेहरा पसीने से भीग रहा था। साहिल ने अपना हाथ आगे बढाया और अपने रुमाल से अपनी मां का पसीना साफ किया और बोला:"

" अम्मी आप बिलकुल मत डरिए। आजकल ये सब आम बात है। टैटू के लिए औरतों की दीवानगी भला मैं नहीं समझूंगा तो भला और कौन समझेगा।

शहनाज ने अपने बेटे का सहयोग पूर्ण रवैया देखकर थोड़ी चैन की सांस ली। लेकिन उसकी धड़कन बहुत ज्यादा बढ़ गई थी और पहली बार उसके पूरे ढके हुए जिस्म के बावजूद उसकी छातियों के उभार में कम्पन हो रहा था और उसका हाथ अपने बेटे के हाथ में था लेकिन मारे उत्तेजना के उसका हाथ और भी ज्यादा कांप रहा था।

शहनाज:" बेटा देखो अब जो मैं तुम्हे बताने जा रही हूं तुम वादा करो कि मेरे बारे में कुछ भी गलत नही सोचोगे। मैं तुम्हे नही बताना चाह रहे थी लेकिन अब समस्या मेरी बर्दाश्त से बाहर हो रही हैं बस इसलिए अब मजबूर हो गई पूरी तरह से।

साहिल ने अपनी अम्मी का हाथ सहलाया और बोला:" अम्मी मुझ पर यकीन रखिए। मैं क्यों आपके बारे में भला गलत सोचने लगा, आप अपनी बात निडर होकर कहिए।

थोड़ी देर शहनाज कुछ नहीं बोली तो साहिल ने उसे पीने के लिए पानी दिया और पानी पीकर शहनाज के अंदर थोड़ी हिम्मत आई लेकिन उसकी उसकी नजरे शर्म से नीचे झुकी जा रही थी क्योंकि आगे जो वो बोलने जा रही थी वो बोलते समय अपने बेटे से आंख मिलाने की हिम्मत उसके अंदर नहीं थी। शहनाज का चेहरा लाल सुर्ख हो गया और उसके होंठ कांप उठे और बड़ी मुश्किल से उसने बोलना शुरू किया

" तुम तो अपने अब्बा के बारे में जानते हो। बस मैने भी रूबी की बात मान ली और अपने जिस्म पर टैटू बनवाने का फैसला लिया और एक दिन मैं रूबी के साथ टैटू बनवाने चली गई और उसने मेरे जिस्म पर भी टैटू बनवा दिए।

इतना कहकर शहनाज ने शर्म से अपना मुंह अपने दोनो हाथो में छुपा लिया। उसकी सांसे इतनी ज्यादा तेज थी मानो उसका दिल उसका सीना फाड़ कर बाहर आना चाहता हो।

साहिल अपनी अम्मी की हालत समझ गया और साहिल के होंठो पर स्माइल आ गई और बोला:" बस आप इतनी सी बात के लिए डर रही थी अम्मी। टैटू का तो आजकल फैशन है, अच्छा किया को आपने बनवा लिए। फिर टैटू के बाद अब्बा पर क्या फर्क पड़ा ?

शहनाज के मुझ से एक शब्द नही निकल रहा था।उसका गला एक बार फिर से पूरी तरह से सूख गया था और उसने आपके थूक को सटका और फिर से पानी पी गई और मुंह नीचे किए ही बोली:"

" नही कोई फर्क नही पड़ा। उन्होंने तो मेरे टैटू ठीक से देखे भी नही और गुस्सा होने लगे।

साहिल:" उनकी तो आदत है गुस्सा करने की। उनकी बातो का आपको बुरा नहीं मानना चाहिए।

शहनाज:" उनकी आदत तो मैं जानती हूं अच्छे से। लेकिन अब मेरे साथ कुछ और दिक्कत आ गई और मैं बेहद परेशान हू।

साहिल:" अच्छा ऐसा क्या हुआ अब अम्मी ?

शहनाज ने फिर से शर्म से अपना चेहरा नीचे झुका लिया और कांपती हुई बोली:"

" टैटू धीरे धीरे खुजली करने लगे और मुझे दिक्कत होने लगी। शुरू में मुझे लगा कि सब ठीक हो जाएगा। लेकिन अब खुजली बेहद ज्यादा हो गई और टैटू के एरिया में लाल लाल निशान पड़ रहे हैं। मैं चोरी छिपे काफी डॉक्टरों को दिखा चुकी हूं लेकिन कोई फायदा नही हुआ।

इतना कहकर शहनाज खामोश हो गई तो साहिल बोला:"

" ओह अम्मी, बस इतनी सी बात के लिए आप इतना परेशान हो रही थी। अच्छा किया आपने जो मुझे बता दिया। आप एक काम कीजिए एक बार मुझे टैटू दिखा दीजिए अम्मी !!

शहनाज को काटो तो खून नहीं, अब अपने बेटे को क्या जवाब दे। इसी स्थिति का सामना वो नहीं करना चाहती थी लेकिन अभी कर भी क्या सकती थी। शहनाज के जिस्म में बिजली सी दौड़ रही थी और वो खड़ी खड़ी कांप रही थी। साहिल ने अपने एक हाथ को उसके कंधे पर रखा और बोला:"

" आप हिम्मत कीजिए और एक बार मुझे दिखा दीजिए। देखने के बाद मुझे आपकी सही स्थिति का अंदाजा हो जाएगा और फिर कुछ ही दिनों में आप ठीक हो जाएगी।

शहनाज चाह कर भी हिम्मत नही कर पाई और बोली:"

" तुम एक काम करो, बिना देखे ही कोई दवा दे दो मुझे। उससे ही आराम मिल जायेगा।

साहिल:" क्या अम्मी आप भी इतनी समझदार होकर बच्चे जैसी बात कर रही हो। जब तक बीमारी का पता नही चलेगा मैं भला कैसे कुछ बता पाऊंगा आपको।

शहनाज कुछ नहीं बोली और मुंह नीचे किए खड़ी रही। साहिल उसके पास खड़ा हो गया और उसका एक हाथ फिर से पकड़ लिया और बोला:"

" अम्मी आप जिद मत कीजिए। मुझ पर भरोसा रखिए।

शहनाज का कोमल मुलायम सा नाजुक हाथ साहिल के हाथ में पूरा समा गया था और शहनाज अब पहले से ज्यादा कांप रही थी और उसकी समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे। वो समझ नहीं पा रही थी कि अपने बेटे को कैसे अपने जिस्म पर अंदर बने टैटू दिखाए। साहिल फिर से बोला:"

" अम्मी अगर आप नही दिखा पाएंगी तो हो सकता है कि आपकी समस्या और बढ़ जाए। लोगो को सर्जरी तक करवानी पड़ती है लेकिन बाद मे उससे भी ज्यादा फर्क नहीं पड़ता है। आप अब जिद मत कीजिए।

शहनाज को समझ नही आया कि कैसे कहे तो साहिल ने अपनी तरफ से बात को आगे बढाया और बोला:"

" अम्मी ये तो आप बता ही सकती है कि आपने कहां कहां टैटू बनवाया है। चलिए यही बता दीजिए।

शहनाज की हालत अब आसमान से गिरे और खुजूर पर अटके जैसी हो गई थी। उसे दिल कर रहा था कि ये धरती फट जाए और वो उसमे समा जाए। शहनाज बार बार अपना पसीना साफ कर रही थी और अपनी तरफ से पूरी कोशिश करने के बाद भी कुछ बोल नहीं पा रही है तो साहिल बोला:"

" चलिए एक काम करता हु, मैं आपसे पूछूंगा कि आपने कहां कहां टैटू बनवाया है और आप अपनी गर्दन को हां या ना में तो हिला ही सकती है।

शहनाज को लगा कि ये सही रहेगा इसलिए उसने अपनी गर्दन हिला कर सहमति दे दी। साहिल ने धीरे से पूछा

" अम्मी जान क्या आपने अपने हाथ पर टैटू बनवाया है?

शहनाज को ये अच्छा लग रहा था और उसने इंकार में अपनी गर्दन को हिला दिया तो साहिल ने फिर से अगला सवाल किया और बोला:"

" अम्मी जान औरतों के चिकने खूबसूरत कंधो पर टैटू बेहद आकर्षक लगता है। मुझे लगता है कि आपने अपने गोरे कंधे पर टैटू जरूर बनवाया होगा।

अपने बेटे के मुंह से गोरा कंधा सुनकर शहनाज का बदन कांप उठा और उसने फिर से मुंह नीचे किए ही इंकार में सिर हिला दिया। साहिल ने आगे बढ़ते हुए अगला सवाल किया:"

" अम्मी एक औरत की लंबी गर्दन
मर्दों को अपनी तरफ आकर्षित करती है और टैटू गर्दन पर बनवाना बेहद आम बात हैं। मुझे यकीन है कि आपने अपनी गर्दन पर जरूर टैटू बनवाया होगा।

शहनाज को आज पहली बार एहसास हो रहा था कि उसका बेटा औरत के जिस्म के बारे मे कितना कुछ जान गया है और शहनाज ने इस बार हां में सिर हिला दिया।

साहिल;" अम्मी औरत की कमर उसके शरीर का बेहद आकर्षक हिस्सा होती है। क्या आपने अपनी कमर पर भी टैटू बनवाया है क्या ?

शहनाज की गर्दन इस बार फिर से हान में हिल गई और अब आगे आने वाले सवालों के बारे मे सोचकर शहनाज सहम सी गई। हाय मेरे खुदा अब क्या होगा, क्या मेरे बेटा मेरे सामने ही मेरे शरीर के नाजुक और जनाना हिस्सो के नाम लेगा। उफ्फ मुझसे नही हो पाएगा अब आगे , हाय अम्मी ये कैसी मुसीबत में फंस गई हु मैं। अब क्या करू, उफ्फ मेरे बेटे अब कुछ मत बोलना।

साहिल भी अब थोड़ा सा परेशान सा हो गया कि अब किस तरह वो अपनी अम्मी से आगे टैटू के बारे में पूछे। फिर भी उसने हिम्मत करके आगे बढ़ने का फैसला किया और बोला:"

" अम्मी अगर आपकी इजाजत हो तो आगे आपसे पूछूं?

उफ्फ ये क्या मुसीबत थी अब शहनाज के लिए। उसके बेटे ने समझदारी से काम लेते हुए सब कुछ उसके ऊपर ही छोड़ दिया था और अब शहनाज को समझ नही आ रहा था कि क्या जवाब दे। थोड़ी देर बिलकुल चुप्पी छाई रही तो साहिल बोला:"

" बताए अम्मी आप ? टैटू तो आपको बताना हो पड़ेगा तभी आपका कुछ इलाज हो पायेगा नही तो देर करने से दिक्कत बढ़ सकती है। आगे जो भी मैं आपसे सवाल करूंगा आप सब सही बताना ताकि मुझे सब सच पता चल सके।

शहनाज अपनी समस्या से इतनी ज्यादा परेशान थी कि उसे अब कुछ समझ नही आया और उसने हिम्मत करके अपने बेटे को अपनी गर्दन हिला कर मौन सहमति दे दी।

साहिल" अम्मी एक औरत के सीने पर टैटू बेहद आकर्षक लगता है। मर्द यहां टैटू देखते ही दीवाने बन जाते हैं। क्या आपने अपने सीने पर टैटू बनवाया है?

इतना कहकर साहिल ने एक नजर अपनी मां की चुचियों पर डाली और शहनाज के बदन को साहिल की बात सुनकर झटका सा लगा और वो एक कदम आगे को खिसक गई। शहनाज अपने बेटे के मुंह से ये सब सुनकर पागल सी हो रही थी और हिम्मत करके उसने अपनी गर्दन को झुका दिया और उत्तेजना में उसने साहिल के हाथ को अपने हाथ में कस दिया। साहिल ने आगे बढ़ते हुए पूछा:"

" अम्मी आपने अपने सीने के कौन सी तरफ मेरा मतलब है कि इधर या इधर टैटू बनवाया है।

इतना कहकर साहिल ने अपने हाथ को शहनाज की छातियों के सामने कर दिया। साहिल ने पहले बाई तरह ठीक उसकी छाती के सामने अपनी उंगली से इशारा किया तो शहनाज शर्म से पानी पानी हो गई। उसके अंदर इतनी हिम्मत नहीं थी कि अपनी गर्दन हिला दे। उफ्फ ये क्या दिन उसे देखना पड़ रहा था कि उसका सगा बेटा उसकी चुचियों के ठीक सामने अपने हाथ से इशारा कर रहा था। साहिल ने फिर से अपना सवाल किया तो शहनाज ने हिम्मत करके अपनी गर्दन को हान में हिला दिया और उसकी छातियों में अकड़न सी शुरू हो गई। साहिल को अब अपनी अम्मी की चुचियों का आकार कपड़ो के उपर से ही महसूस हो रहा था और वो समझ गया था कि उसकी अम्मी की चुचियों का आकार एक मध्यम आकार के पपीते से जरा भी कम नहीं है। साहिल ने अपने हाथ को थोड़ा सा आगे बढ़ा दिया और शहनाज की दूसरी चूची के सामने कर दिया तो शहनाज की सांसे अटकने लगी। थोड़ी देर के लिए उसकी आंखे बिलकुल बंद हो गई और साहिल धीरे से बोला:"

" बताए न अम्मी क्या आपने अपने खूबसूरत भरे हुए सीने के इस तरफ भी टैटू बनवाया है !!

उफ्फ शहनाज अब पूरी तरह से बेचैन हो गई थी और उसके मुंह से शर्म और उत्तेजना के मारे शब्द नही निकल रहे थे तो साहिल ने उसके हाथ पर दबाव बनाया और बोला:"

" अम्मी आप समझ रही है न मैं किसकी बात कर रहा हूं!! मैं आपके इस सीने की बात कर रहा हूं मेरी अम्मी।

इतना कहकर उसने अपनी उंगली को आगे बढ़ाया और शहनाज की दाई चूची के बिलकुल करीब ले गया। साहिल को उंगली और उसकी अम्मी की चूची के बीच मुश्किल से एक इंच का फासला बच गया था। शहनाज की बची कूची हिम्मत भी जवाब दे गई और उसने हिम्मत करके अपनी गर्दन को हान में हिला दिया और इसके साथ ही उसका समूचा बदन कांप उठा और उसके जिस्म को एक झटका सा लगा और शहनाज की चूचियां साहिल की उंगलियों से जा टकराई और शहनाज के मुंह से न चाहते हुए भी एक मस्ती भरी आह निकल पड़ी जिसने उसने बड़ी मुश्किल से अपने मुंह में ही रोक दिया। वहीं साहिल को पहली बार अपनी अम्मी की चुचियों के आकार और कठोरता का एहसास भले ही कुछ पल के लिए अपने हाथ पर हुआ लेकिन वो समझ गया कि उसकी अम्मी का शरीर अभी कितना कसा हुआ है।

साहिल;" ओह अम्मी आपके टैटू तो बेहद खूबसूरत लगते होंगे। अब्बा पता भी कौन सी दुनिया के आदमी हैं। खैर छोड़िए, अब आप आगे बताए कि क्या आपने अपने शरीर के किसी और हिस्से पर भी टैटू बनवाया है।


शहनाज पानी पानी हो गई थी और मन ही मन दुआ कर रही थी कि किसी तरह उसे इस मुसीबत से छुटकारा मिल जाए। शहनाज ने हिम्मत करके अपनी गर्दन को हिला दिया और इस बार जैसे कयामत हो गई। बार बार गर्दन हिलाने से शहनाज के दुपट्टे का पल्लू सरक गया और उसकी छातियों का उभार थोड़ा सा उसके बेटे के सामने खुल गया।


855-1000


शहनाज का इस तरफ थोड़ा भी ध्यान नहीं गया और साहिल को अब बिल्कुल सही अंदाजा हो गया था कि उसकी अम्मी की चुचिया सच में कितनी बड़ी हैं। बार बार उसकी नजरे उसकी चुचियों की गोलाई के बीच में पड़ रही थी। साहिल थोड़ा सा अपने अंदर अब गर्मी महसूस कर रहा था और बोला:"

" अम्मी जब औरत चलती है तो उसका पिछवाड़ा बेहद कामुक होता है। मर्दों को रिझाने के लिए यहां टैटू बनवाना औरतों की पहली पसंद होता है खासतौर से आपके जैसे बड़े पिछवाड़े पर।

उफ्फ अपने बेटे के मुंह से अपने लिए बड़ा पिछवाड़ा सुनकर शहनाज की मानो बोलती ही बंद सी हो गई और उसके मुंह से कोई जवाब नही निकला तो साहिल फिर से बोला:"

" बताए न अम्मी आप, क्या आपने अपने चौड़े मोटे, उभरे हुए पिछवाड़े पर भी टैटू बनवाया है?

शहनाज की हालत अपने बेटे के मुंह से अपने पिछवाड़े की ऐसी कामुक तारीफ सुनकर बद से बदतर होती गई और उसकी चुचियों में कम्पन शुरू हो गया। शहनाज का कोई जवाब नही आया तो साहिल फिर से धीरे से बोला:"

" अम्मी आप पिछवाड़ा समझती हो न क्या होता है?

बदहवाश सी हुई शहनाज की गर्दन पता नहीं कैसे इंकार में हिल गई और उसकी गर्दन के हिलते ही जैसे कमरे में आग लग गई। साहिल ने ठीक उसके पीछे आते हुए अपने दोनो हाथों को एक साथ उसकी बड़ी मोटी, उभरी हुई, चौड़ी मजबूत गांड़ पर टिका दिया और शहनाज से इस बार बिलकुल भी बर्दाश्त नहीं हुआ और उसके मुंह से एक कामुक आह निकल पड़ी। अपनी अम्मी के मुंह से आह सुनकर साहिल ने उसकी गांड़ को हल्का सा सहला दिया और बोला:"

" अम्मी ये होता है पिछवाड़ा। इसे थोड़ी गंदी भाषा में गांड़ भी बोलते है मेरी प्यारी अम्मी। क्या आपने अपनी गांड़ पर भी टैटू बनवाया है


अपनी गांड़ सहलाए जाने से मदहोश सी हुई शहनाज मस्ती से बिफर पड़ी क्योंकि उसकी चूत में कम्पन हुआ और जल्दी से अपनी गर्दन हां में हिला कर झटके से आगे बढ़ गई। शहनाज दीवार से जा लगी थी और लंबी लंबी सांसे ले रही थी। साहिल धीरे धीरे आगे बढ़ा और उसके करीब पहुंच गया और बोला:"

" अम्मी आप भी ना किसी छोटी बच्ची की तरह शर्मा रही हैं एकदम। अच्छा चलिए आगे बताए आप....

इससे पहले कि साहिल कुछ बोलता शहनाज ने उसके होंठो पर उंगली रख दी और शर्म से अपना खूबसूरत सा चेहरा नीचे झुका दिया। तभी कमरे की लाइट चली गई और एकदम पूरा अंधेरा हो गया तो शहनाज ने सुकून की सांस ली। साहिल को अच्छा मौका लगा और बोला:"

" अम्मी अब आप बोलिए कि...

उत्तेजना से कांप रही शहनाज तेजी से बोली:" बस करो साहिल अब, मुझसे और नही होगा।

साहिल:" अम्मी ये हिम्मत तो आपको करनी ही पड़ेगी। बिना सब कुछ जाने में कैसे इलाज कर पाऊंगा। चलिए अब बोलिए क्या आपने अपनी दोनो टांगो के बीच में कहीं टैटू बनवाया है क्या?

शहनाज की चूत से रस की एक बूंद टपक पड़ी और शहनाज अंधेरे का फायदा उठाकर अपनी जांघो को एक दूसरे से मसलने लगी। साहिल ने हिम्मत करके फिर से शहनाज का एक हाथ पकड़ लिया और बोला:"

" बोलिए न अम्मी, क्या आपने अपनी दोनो टांगो के बीच में छिपे हुए उस चिकने, नाजुक, मुलायम, कसे हुए कुदरत के बेशकीमती तोहफे पर भी टैटू बनवाया है !!

अपने आप के मुंह से अपनी चूत की इतनी तारीफ सुनकर शहनाज से बर्दाश्त नहीं हुआ और उसकी चूत ने अपना बांध तोड़ दिया और उसकी पेंटी को पूरी तरह से भिगो दिया और शहनाज ने अपनी पूरी ताकत से अपने बेटे के हाथ को कस दिया और अपनी गर्दन को हान में हिला दिया और इसके साथ ही शहनाज का पूरा जिस्म जोर जोर से कांपने लगा और उसकी चूत में रस की बाढ़ सी आ गई और शहनाज जोर से सिसकते हुए गिरने लगी तो साहिल ने उसे अपनी बाहों में भर लिया और शहनाज पूरी जोर से उससे कसकर लिपट गई और जब तक लिपटी रही तब तक उसकी चूत से काम रस टपकता रहा। शहनाज की आंखे मस्ती से बंद हो गई और चेहरा बेहद कामुक लग रहा था।


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ऐसा मस्ती भरा स्खलन शहनाज को आज तक नही हुआ था। जैसे ही उसका स्खलन रुका तो दरवाजे पर दस्तक हुई और शहनाज डरी हुई सी उससे अलग हो गई और बोली:"

" तुम्हारे अब्बा आ गए हैं। अब तुम अपने कमरे में जाओ साहिल।

साहिल:" ठीक हैं अम्मी, मुझे कम से कम ये तो पता चल गया कि आपके जिस्म पर कहां कहां टैटू बने हुए है। सुबह बात करते है।

इतना कहकर वो शहनाज के कमरे से निकल गया और शहनाज ने जल्दी से अपने आपको संभाला और गेट खोल दिया। रोज की तरह नवाब गुलाम अली खान दारू पिए हुए झूमते हुए आए तो बेड पर गिरते ही गहरी नींद में सो गए।

शहनाज भी बेड पर पड़ी हुई करवट बदल रही थी और सोच रही थी कि इस टैटू के चक्कर में उसे अपने बेटे के सामने किस स्थिति का सामना करना पड़ा। उसका बेटा बड़ा होने के साथ बेहद समझदार भी हो गया और औरत के जिस्म के बारे में उसे कितनी अच्छी जानकारी हैं इसका एहसास भी शहनाज को हो गया था। धीरे धीरे शहनाज नींद के आगोश में चली गई।


वहीं दूसरी तरफ साहिल अपनी अम्मी के बारे में ही सोच रहा था कि उसकी अम्मी जितनी खुबूसरत हैं यकीनन उससे कहीं ज्यादा खूबसूरत उसका जिस्म है। कितनी शर्मीली और नाजुक सी हैं उसकी अम्मी। ये सब सोचते सोचते उसे भी नींद आ गई।
 
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