अब जब तक रुपा हाथ मुँह धोये तब तक राजु ने खाना खा लिया था। लीला ने उसे बाहर जाने से मना किया था इसलिये खाना खा कर वो अब कमरे मे जाकर लेट गया। राजु के जाने के बाद रुपा भी अब रशोई मे जाकर खाना खाने तो बैठ गयी गयी, मगर उसकी खाना खाने की बिल्कुल भी इच्छा नही हो रही थी। वहाँ राजु के साथ जो कुछ भी हुवा और उसे उसकी माँ ने जो उसे बताय वो उसके बारे मे ही सोच रही थी की "उसकी माँ ने उससे ये क्या करवा दिया..?" इन सब के लिये वो खुद को दोषी मान रही थी इसलिये एक आध रोटी खाकर ही वो खङी हो गयी।
राजु उससे पुरे सात साल छोटा था। उसके साथ ऐसा कुछ करना तो दुर, रुपा के मन मे भी उसके बारे मे कभी गलत विचार तक नही आये थे इसलिये राजु के साथ ये सब करके उसे बुरा तो लग रहा था, मगर वो सोच रही थी की उसने जब राजु के साथ ये सब कर ही लिया है तो अब पीछे रह कर भी वो क्या हासिल कर लेगी..? कही ना कही उसके दिल की गहराई मे माँ बनने की लालसा अभी भी बनी हुई थी जिसने उसे भी अब एक बार तो लीला ने उसे जो करने को कहाँ था उसके बारे मे सोचने पर मजबुर सा कर दिया...
मगर लीला ने उससे जो करने को कहा था उसके बारे मे सोचकर ही रुपा घबराहट व जोरो की शर्म सी महसुस हुई, जिससे उसके दिल की धङकन अचानक बढ सी गयी, तो वही साँसे भी थोङी भारी सी हो गयी। उसके बदन मे उत्तेजना की एक लहर सी उठी जो की उसकी चुत के होठो पर जाकर खत्म हुई, मगर खत्म होते होते वो लहर रुपा के गर्भ की गहराई से कामरश की बुन्दे निकाल लाई थी जो की उसकी चुत के होठो से छलकर उसकी पेन्टी को हल्का नम सा कर गयी...
राजु ने उसे वहाँ जो सुख दिया था उसे अभी तक वो भुल नही पाई थी इसलिये राजु के साथ फिर से कुछ करने की बात दिमाग मे आते ही रुपा के बदन मे उत्तेजना की लहरे सी उठने लगी थी। उसे खुद समझ नही आ रहा था की उसे ये क्या हो रहा है, मगर उसने जब नीचे अपनी पेन्टी को छुकर देखा तो उसमे अब गीलापन सा महसूस हुवा इसलिये उसने अपने दिमाग से ये सारे विचार निकाल फेँके... लीला ने उसे बर्तन साफ करने के लिये मना किया था, मगर अपने विचारो मे खोये खोये उसने बर्तन आदि साफ करके रशोई की साफ सफाई के भी सारे काम निपटा दिये थे।
रशोई मे करने को अब कोई काम तो बचा नही था इसलिये रशोई से निकलकर वो अब बाहर आ गयी। बाहर आकर उसने पहले तो घर के दरवाजे को बन्द करके अन्दर से कुण्डी लगाई, फिर व सोने के लिये कमरे मे आ गयी, जहाँ राजु को भी नीँद नही आ रही थी। उसके लण्ड ने पहली बार चुत का स्वाद चखा था जो की उसे सोने नही दे रहा था इसलिये ऐसे ही बार बार वो बस करवट बदल रहा था, मगर रुपा के कमरे मे दाखिल होते ही वो अब करवट बदलकर दीवार की ओर मुँह करके लेट गया। राजु को चुपचाप सोते देख रुपा ने सोचा की उसे नीँद आ गयी है इसलिये वो भी अब चुपचाप उसकी बगल मे ही पलँग पर जाकर लेट गयी।
वैसे तो वो अलग से चारपाई पर भी सो सकती थी, मगर एक तो चारपाई बाहर आँगन मे रखी हुई थी जिसे उसे बाहर से लाना पङता, और दुसरा बचपन से ही वो और राजु के साथ मे सोते आ रहे थे। रुपा की शादी से पहले उसका पिता को फसल की रखवाली के लिये खेतो मे सोना होता था इसलिये रुपा व राजु बचपन से ही साथ मे पलँग पर सोते आ रहे थे, तो वही लीला अलग से चारपाई पर सोती थी।
रुपा की शादी के कुछ दिन बाद ही रुपा के पिता का देहान्त हो गया था इसलिये राजु अब खेतो मे सोने लग गया था मगर जब कभी राजु को खेत मे फसल की रखवाली के लिये नही जाना होता और उस समय रुपा घर आ जाती थी तो अभी भी दोनो साथ मे ही सोते थे इसलिये वो राजु के साथ ही पलँग पर आकर लेट गयी, मगर अपनी जीज्जी के बारे मे सोच सोचकर पहले ही राजु का लण्ड उसे सोने नही दे रहा था, उपर से अब उसके अपने पास ही आकर सो जाने से उसका लण्ड और भी उग्र सा हो उठा...
उसने जीवन मे पहली बार चुत का स्वाद चखा था, उपर से बुढे वैद की दवा के असर से उसकी जीज्जी ने अपनी चुत को उसे जो मजा दिया था उसे वो अभी तक भुला नही पाया था इसलिये वो जितना रुपा के बारे मे सोच रहा था, उसका लण्ड उतना ही उग्र होते जा रहा था। अब अपनी जीज्जी के होते तो वो हाथ से भी अपने लण्ड को शाँत नही कर सकता था इसलिये उसे कुछ समझ नही आ रहा था की वो अब क्या करे..? मगर फिर तभी उसके दिमाग मे कुछ आया कीउ सने धीरे धीरे रुपा की ओर खिसकना शुरु कर दिया..