वो पहले तो धीरे धीरे रुपा के एकदम नजदीक खिसक आया, फिर काफी देर तक तो ऐसे ही दम साधे सा पङा रहा, और जब उसे लगा की उसकी जीज्जी अब तक सो गयी होगी तो धीरे से करवट बदलकर वो उसके पीछे एकदम चिपक सा गया जिससे उसका उत्तेजित लण्ड अब सीधा रुपा के बङे बङे कुल्हो की दरार मे ही घुस गया...
रुपा भी अभी सोई नही थी। दिनभर पैदल चलने की थकान से उसकी आँखे बोझिल तो हो आई थी, मगर उसे नीँद नही आई थी। लीला ने उसे जो कुछ कहा था वो अभी भी उन्ही विचारों मे खोई हुई थी मगर अब जैसे ही उसे अपने कुल्हो की दरार मे राजु सीधे तने खङे और कठोर लण्ड का अहसास हुवा तो वो एकदम सिँहर सी गयी। उसे कुछ समझ नही आया की वो अब क्या करे और क्या ना करे..? इसलिये वो एकदम जङ सी होकर रह गयी..
रुपा के पीछे चिपकर राजु ने भी कुछ देर तो रुक कर उसकी हरकत का इन्तजार किया, और जब रुपा ने कोई हरकत नही की तो उसने अपना एक हाथ रुपा के कन्धे पर ले जाकर उसके कन्धे को पकङ लिया और धीरे धीरे उपर नीचे हो होकर अपने लण्ड को उसके कुल्हो की दरार से घीसना शुरु कर दिया... जिससे रुपा भी अब सहम सी गयी..! उसके व राजु बीच जो कुछ भी हुवा था उससे पहले ही वो खुद को शरमसार महसुस कर रही थी, अब जिस तरह से राजु अपने लण्ड को उसके कुल्हो के बीच घीस रहा था उससे राजु को ना तो रुपा से कुछ कहते बन रहा था और ना ही कुछ करते..!
वो एकदम जङ हुवे पङी थी, मगर राजु अपने लण्ड को रुपा के कुल्हो के बीच घीसते घीसते हौले हौले उसकी गर्दन व पीठ को भी कभी कभी चुम ले रहा था जिससे रुपा के बदन मे सिँहरन सी पैदा हो रही थी। राजु की गर्म गर्म साँसे रुपा की गर्दन व पीठ को गर्मा रही थी तो नीचे से उसका एकदम कङा व कठोर लण्ड उसके कुल्हो की दरार को घीसते हुवे उपर नीचे हो रहा था जिससे ना चाहते हुवे भी रुपा की चुत मे अपने आप ही पानी सा भरने लगा...
भले ही राजु के साथ के साथ ये सब करके उसे गलत लग रहा हो, मगर राजु के एकदम कङे व कुँवारे लण्ड ने उसे जो मजा दिया था उसे अभी तक वो भुल नही पाई थी। राजु के कुँवारे लण्ड ने उसे जो सुख मिला था उसका पति उसे वो सुख कभी भी नही दे पाया था इसलिये राजु के लण्ड को अपने कुल्हो की दरार मे महसूस कर उसके बदन मे भी उत्तेजना की लहरे सी उठने लगी थी। राजु के बारे मे सोचकर वो पहले ही अपनी पेन्टी मे गिलापन महसूस कर रही थी अब उसके एकदम तने खङे लण्ड को अपनी चुत के इतने करीब पाकर उसकी चुत बहने सा लगी थी।
राजु ये सब रुपा को सोई हुई जानकर कर रहा था। वो सोच रहा था की उसकी जीज्जी सोई हुई है इसलिये उसके नर्म मुलायम कुल्हो से घीसकर वो बस अपने लण्ड को शाँत करना चाह रहा था मगर उसका एकदम कङक कुँवारा लण्ड रुपा के बदन मे एक आग सी भर रहा था जिससे रुपा को भी अपनी चुत पिँघलती सी महसूस हो रही थी। उसका दिल कर रहा था की वो अभी ही उसके कङे कुँवारे लण्ड को अपनी चुत से खा जाये इसलिये वो भी अब एक बार फिर से ये सोचने के लिये मजबुर हो गयी की उसने जब राजु के साथ ये पाप कर ही लिया है तो अब कुछ दिन और भी कर ले तो क्या हो जायेगा..?
लीला की कही बाते रुपा को भी अब सही लगने लगी थी मगर वो सोच रही थी की... "ये सब किसी को मालुम पङ गया तो..? और राजु का भी क्या भरोसा..? उसकी माँ ने सही ही कहा था अगर उसने ही कही ये बात किसी से बता दी तब क्या होगा..?" अब ये बात दिमाग मे आते ही रुपा अन्दर तक एकदम हिल सा गयी। रुपा अब हाँ.. और ना... के इन्ही विचारों मे उलझी हुई थी मगर राजु ये सोच रहा था की उसकी जीज्जी सोई हुई है इसलिये रुपा ने जब कोई हरकत नही की तो उसकी भी अब धीरे धीरे हिम्मत बढने लगी...
उसने जब से उसकी नँगी चुँचियो को देखा था तभी से ही उसका उन्हे छुकर देखने का मन था। उसे अपनी ये इच्छा अब पुरी होती नजर आ रही थी इसलिये रुपा को सोया हुवा जानकर नीचे से उसके कुल्हो के बीच अपने लण्ड को घीसते घीसते ही उसने जिस हाथ से रुपा के कन्धे को पकङ रखा था उस हाथ को अब धीरे से नीचे की ओर बढाकर उसकी एक चुँची पर रख दिया जिससे रुपा अब थोङा सिकुङ सा गयी। अचानक ऐसे राजु के सीधे ही उसकी चुँची को पकङ लेने से रुपा एकदम सहम सी गयी थी इसलिये उसने तुरन्त ही अब राजु के हाथ का पकङ लिया और..
"तु ये किसी से कुछ कहेगा तो नही ना...?" ये कहते हुवे रुपा उसके हाथ को पकङे पकङे ही अब करवट बदलकर सीधी पीठ के बल होकर लेट गयी।
रुपा के इस तरह पकङ लेने से राजु अब एकदम घबरा सा गया और..
"व्.व्.व्.ओ्.. ज्.ज्.जि्ज्.जी्.व्.व्.वो्..!" करने लगा जिससे...
"मै क्या पुछ रही हुँ..? तु ये किसी से कुछ बतायेगा तो नही..?" रुपा ने उसका हाथ पकङे पकङे ही फिर से पुछा।
रुपा ने उसे डाटा या मारा नही तो राजु भी अब असमंजस की सी स्थिति मे आ गया था इसलिये..
"न्.न्.न्.नही्ईई..जीज्जी...!" डर व उत्तेजना के वश उसने कँपकँपाती आवाज मे कहा।
"खा..मेरी कसम..?" रुपा ने अन्धेरे मे ही उसके चहेरे की ओर घुरते हुवे कहा जिससे...
"अ्.आ्.पकी कसम ज्.जीज्जी..!" राजु ने भी रुपा इरादो को जानने की कोशिश करने के लिये उसके चेहरे की ओर देखते हुवे कहा मगर तब तक रुपा ने अपने एक हाथ को नीचे अपने पेट के पास ले जाकर अपनी शलवार के नाङे को खोल लिया और...
"देखना.. अगर किसी को भी कुछ पता चला तो तु मेरा मरा मुँह देखेगा..!" ये कहते हुवे उसने राजु के हाथ को तो छोङ दिया और दोनो हाथो से पकङकर अपनी शलवार व पेन्टी को उतारकर अलग करके रख दिया।
राजु को कुछ समझ नही आया की उसकी जीज्जी को ये अचानक हुवा क्या..? मगर अपनी शलवार व पेन्टी को उतारकर रुपा ने जब उसे कन्धे से पकङकर हल्का सा अपनी ओर खीँचा तो वो अब तुरन्त उसके उपर चढकर लेट आ गया जिससे ..
"पहले इसे तो निकाल..!" रुपा ने अब राजु की निक्कर को खीँचते हुवे कहा जिससे राजु अब एक बार तो उससे अलग हुवा, मगर फिर तुरन्त ही अपनी में निक्कर को निकालकर रुपा के उपर आ गया।
रुपा ने भी अब उसके सिर को अपनी ओर खीँचककर उसके होठो को अपने में मुँह मे भर लिया तो नीचे से भी पैरो को फैलाकर उसे अपनी जाँघो के बीचे मे ले लिया जिससे उसका लण्ड ठीक उसकी नँगी चुत पर लगा गया। अब राजु रुपा के उपर चढकर लेट गया तो गया, मगर उसे ये मालुम नही था की उसकी जीज्जी की चुत की वो जा्दुई गुफा कहाँ है जिसमे उसे अपने लण्ड को घुसाना है इसलिये वो ऐसे ही अपनी कमर को उपर नीचे हिला हिलाकर उसकी चुत के छेद मे अपने लण्ड को घुसाने की कोशिश करने लगा...
रुपा भी समझ रही थी की राजु अभी अनाङी है इसलिये समय बर्बाद करने से अच्छा रुपा ने अब खु्द ही अपना एक हाथ नीचे ले जाकर राजु के लण्ड को पकङ लिया और उसके होठो को चुशना छोङकर..
"ऊह्ह्..थोङा नीचे तो हो..!" कहते हुवे उसे थोङा नीचे धकेलकर उसके लण्ड को अपनी चुत के मुँह पर लगा लिया जिससे राजु ने अब जैसे ही धक्का लगाया, एक ही झटके मे उसका आधे से ज्यादा लण्ड रुपा की चुत की फाँको को फैलाकर उसकी गहराई मे उतर गया, और हल्के मीठे दर्द व आनन्द के वश...
"ईश्श्श्..आ्ह्ह्..ओ्य्.ऐ...!" कहते हुवे रुपा ने राजु के होठो को दाँतो से काट सा लिया..
रुपा के दाँतो से काट लेने के कारण राजु एक बार तो छटपटा सा उठा था, मगर तब तक कमर के दबाव के कारण उसका पुरा ही लण्ड रुपा की चुत की गहराई मे उतर गया जिससे रुपा अब राजु के होठो को छोङ...
"ईश्श्श् ओय्.य्.धीरे धीरे..!" कहकर कराह सी उठी... मगर राजु पर जोश चढा था, उसने तुरन्त अपने कुल्हो को उचका उचकाकर धीरे धीरे धक्के लगाने शुरु कर दिये जिससे रुपा अब कुछ देर तो हल्का हल्का कराहती सा रही, मगर फिर उसने भी राजु के होठो को फिर से मुँह मे भर लिया तो वही उत्तेजना व आनन्द के वश उसके हाथ भी अब अपने आप ही राजु की पीठ पर आकर रेँगने से लग गये...
राजु भी धक्के लगाते हुवे बीच बीच मे रुपा के होठो को मुँह मे भरने की कोशिश कर रहा था मगर रुपा उसे कोई मौका नही दे रही थी, उत्तेजना व आनन्द के वश वो राजु के होठो को बस पीये जा रही थी जिसकी कमी वो अब तेजी से धक्के लगाकर पुरी करने लगा और जल्दी जल्दी अपने कुल्हो को उचका उचकाकर धक्के लगाने लगा जिससे रुपा के मुँह से भी...
"ईश्श्..आ्ह्ह्..
ईईश्श्श्... आ्आ्ह्ह्ह्..
ईईईश्श्श्..अ्आ्आ्ह्ह्ह्ह्ह..." की सिसकारियाँ सी फुटना शुरु हो गयी...
रुपा के मुँह से निकलती सिसकारियो को सुनकर राजु का भी अब जोश बढने लगा, तो वो, और भी तेजी से अपनी कमर को चलाने लगा जिससे रुपा की सिसकारीयाँ भी और तेज हो गयी तो, वही नीचे से अपने आप ही उसकी कमर भी अब हरकत मे आ गयी। वो भी राजु के धक्को के साथ हल्के हल्के अपनी कमर को उचकाने लगी तो साथ ही दोनो हाथो से उसकी पीठ को सहलाकर उसे जोश दिलाने लगी...
राजु भी अब धीरे धीरे जोश मे आते जा रहा था इसलिये अपने आप ही उसके धक्को की गति बढने लगी। वो और भी तेजी से अपनी कमर को चलाने लगा जिससे उत्तेजना व आनन्द के वश रुपा की सिसकारियाँ भी और तेज हो गयी तो वही नीचे उसकी कमर की हरकत भी तेज होने लगी। अब जितनी ताकत व तेजी से राजु धक्के लगा रहा था उतनी ही तेजी से रुपा भी नीचे से अपने कुल्हो को उचकाकर धक्के लगाने लगी थी जिससे रुपा की सिसकारियो के साथ पलँग के हिलने से लकङियो के जोङ से हल्की हल्की.. चर्रर्..चर्रर्... की आवाज आना शुरु हो गयी...
अपनी जीज्जी का साथ पाकर राजु का जोश भी अब दो गुना हो गया और उसने अपनी पुरी ताकत व तेजी से धक्के मारने शुरु कर दिये जिससे रुपा की सिसकारियाँ और भी तेज हो गयी। उसने भी अपने पैरों को उठा कर अब राजु के पैरो में फँसा लिया और जोर जोर से..
“अआआ.. ह्हह… इईई… श्श्शशश… अआआ.. ह्हह… अ.अ.ओय… इईई… श्श्शशश… अआआ.. ह्हह… इईई… श्श्शशश… अआआ.. ह्हह…” की आवाजे निकालते हुवे तेजी से अपने कुल्हे उचका उचकाकर अपनी चुत को राजु के लण्ड से घीसने लगी...
जिस तरह से रुपा अब खुद ही राजु के लण्ड से अपनी चुत की दिवारो को घीस रही थी उससे मालुम पङ रहा था की वो अब अपने रसखलन के करीब ही थी, मगर राजु से अब ये बर्दाश्त नही हुवा इसलिये कुछ देर बाद ही उसका बदन अकङते चला गया। उसने कसकर रुपा को अपनी बाँहो मे भर लिया और रह रहकर उसकी चुत को अपने गर्म गर्म वीर्य से भरना शुरु कर दिया जिससे अब रुपा के मुँह से एक बार तो...
“उऊऊ.. गुऊंन्न… गुण… उऊँऊँ.ह्हहँ… उऊँऊँ ह्हहँ… उऊऊ… गुऊंन्न… गुण… उऊऊँ ह्हह… उऊँऊँ ह्हहँ…” की गुर्राने के जैसे आवाजे निकली, फिर उसका बदन भी जैसे अकङ सा गया।
उसने भी राजु को कसकर अपनी बाँहो मे भीँच लिया और रह रह कर उसके लण्ड को अपनी चुत की दिवारो से निचौङने सा लग गयी.. अब जैसे जैसे राजु के लण्ड से रह रहकर वीर्य निकलता गया वैसे वैसे ही राजु पर रुपा की पकङ कसती चली गयी। नीचे से उसकी चुत की दिवारे उसके लण्ड पर कसती सी चली गयी, तो वही उपर से भी राजु के बदन पर रुपा की बाँहो की पकङ कसती चली गयी...
रुपा की पकङ से राजु का दम सा घुटने लगा था मगर रुपा के मुकाबले शरीर मे वो उससे आधा ही था इसलिये रुपा ने उसे अब तब तक नही छोङा जब तक की उसकी चुत ने उसके लण्ड को अच्छे से पुरा निचौङ नही लिया जिससे वो बस अब छटपटाता ही रह गया। राजु के लण्ड को अपनी चुत से पुरी तरह निचौङ लेने के बाद रुपा निढाल सी हो गयी तो अपने आप ही राजु पर उसकी पकङ कमजोर होती चली गयी जिससे राजु भी अब तुरन्त उसकी बाँहो से निकलकर उसकी बगल मे लेट गया तो रुपा भी निढाल सी होकर लम्बी लम्बी व गहरी साँसे लेने लगी..
चुदाई की धक्कमपेल से दोनो की ही साँसे उखङी हुई थी इसलिये अब कुछ देर तो दोनो ऐसे ही पङे रहे, मगर जब रुपा की साँसे थोङा उसके काबु मे आ गयी तो वो धीरे से उठकर खङी हो गयी जिससे राजु भी अब उठकर बिस्तर पर बैठ गया और...
"क्.क्.हाँआ् जा रही हो जीज्जी..?" उसने हकलाते हुवे पुछा, मगर..
"अभी आ रही हुँ पिशाब करके..!" ये कहते हुवे रुपा अब ऐसे ही कमरे से बाहर निकल गयी, नीचे से उसने कुछ भी पहना नही था। वैसे भी रात का समय था और उसने घर का दरवाजा भी अन्दर से बन्द कर रखा था इसलिये किसी के आने जाने का तो डर था नही, उपर से घर मे उसजे व राजु के सिवा था ही कौन जो उन्हे देखता। अब राजु के साथ इतना सब करने के बाद उसने कुछ पहनना लाजमी भी नही समझा इसलिए वो ऐसे ही बाहर आ गयी...