Dharmendra Kumar Patel
Nude av or dp not allowed. Edited
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Nice update dostचैप्टर -4 कामवती का पुनः जन्म अपडेट -56
वर्तमान समय
पुलिस चौकी विष रूप
सर.सर....मुख्यालय से जवाब आ गया है.
दरोगा :- हम जानते है रामलखन क्या जवाब होगा,दरोगा पूरी तरह टूट चूका था निराश था...कल तक लम्बा चौड़ा जवान मर्द दरोगा आज एकदम बूढा लग रहा था चेहरे को रौनक ख़त्म हो गई थी,शरीर झुक गया था
दिल मे ग्लानि और पछतावा था,
हमेशा अपने फर्ज़ के साथ खड़ा रहा परन्तु आज एक गलती ने सब बर्बाद कर दिया
रामलखन :- आप को तत्कालीन सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है.
दरोगा के आँखों से आँसू बहे जा रहे थे... ईमानदार दरोगा कर्तव्यनिष्ठ दरोगा सब कुछ गवा चूका था.
कहाँ उसकी तररकी होनी थी और कहाँ नौकरी भी गई.
दरोगा पश्चाताप के आँसू लिए थाने से बाहर निकल गया उसने वर्दी पे कालिख पोत दी थी.
गांव कामगंज
रतिवती ना जाने क्यों खूब रच के तैयार हुए जा रही थी,एक पल को कामवती की खबर से घबरा गई थी लेकिन बिल्लू के आश्वासन ने उसे हिम्मत बंधाई थी उस वजह से रतिवती तनाव मुक्त सजने मे लगी थी.
लाल चटक साड़ी,माथे पे सिंदूर,हाथो मे चूड़ी
आईने मे अपने अक्स को देख खुद ही शर्मा गई,क्युकी उसकी आधे से ज्यादा स्तन बाहर को झाँक रहे थे.शर्माहत मे अपने स्तनों को हाथ से धक् लेती है जैसे तो कोई आईने के पीछे बैठा उसे देख रहा हो.
रतिवती तैयार हुई बाहर को आ जाती है...
बिल्लू उसे देखता ही रह जाता है "कौन कहेगा की ये एक जवान लड़की की माँ है "
रतिवती :- चले बिल्लू...?
बिल्लू तो खोया हुआ था,उस हसीन लाल परी को एकटक देखे जा रहा था कभी उभर देखता कभी हल्का भरा पेट कभी सुन्दर चेहरा.
क्या देखे क्या ना देखे सब कुछ ही तो सुन्दर था..
"आरी भाग्यवान कहाँ जा रही हो?" पीछे से लड़खड़ता रामनिवास आ पंहुचा था
उसे देखते है रतिवती आगबबूला हो गई बिल्लू का ध्यान भी रामनिवास पे गया.
एक मैला कुचला सा आदमी दारू के नशे मे चूर लड़खड़ता दरवाजे पे पहुंच गया था
रतिवती ने उसे खूब खरी खोटी सुनाई.
और तांगे पे चढ़ने लगी तांगा ऊँचा था रतिवती का पैर फिसल गया "हाय दइया....चोट लग गई "
तुम क्या खड़े देख रहे हो मदद नहीं कर सकते कभी तो कोई काम आ जाओ
रतिवती गुस्से मे भरी रामनिवास पे बरस पडी.
"अरी भाग्यवान संभाल के" रामनिवास लड़खड़ाता रतिवती को सहारा देने लगा अब भला रतिवती जैसा कामुक भरा बदन उस से कहाँ सम्भलाता ऊपर से शराब के नशे मे चूर.
खूब कोशिश की रतिवती को सहारा दे परन्तु सब बेकार
बिल्लू चुपचाप ये नजारा देख रहा था उसकी नजर तो सिर्फ गद्देदार भारी रतिवती पे ही टिकी हुई थी की तभी रतिवती की नजर बिल्लू से टकरा गई उस नजर मे एक विनती थी जैसे कह रही हो बिल्लू तुम ही कर दो इस नकारे से तो कुछ होने से रहा.
ना जाने क्यों बिल्लू भी उस नजर को समझ गया अनपढ़ जाहिल गधे बिल्लू मे ना जाने ये नजरिया कहाँ से आ गया की वो एक औरत की आँखों को समझने लगा था.
तुरंत तांगे से उतर गया और रतिवती के बिलकुल पीछे खड़ा हो गया, रतिवति के बदन से निकलती खुसबू उसे झकझोर रही थी उसका हाथ खुद बा खुद रतिवती की गांड के पीछे लग गया
हाय क्या मुलायम अहसास था...एक दम मखमली
जैसे ही बिल्लू ने जोर लगाया उसे ऐसा लगा की किसी गद्दे मे हाथ दे दिया हो बिल्लू के जोर से रतिवती की गांड और ज्यादा फ़ैल गई....रतिवती अपनी गांड पे एक कठोर मर्द के हाथ पा के सिहर उठी उम्मम्मम....उसके मुँह से सिटी सी निकली जिसे कोई ना सुन पाया उसने जानबूझ के अपना वजन बिल्लू के हाथ पे डाल दिया जैसे परखना चाह रही हो की कितनी ताकत है बिल्लू मे..
बिल्लू भी कहाँ काम था पक्का देहाती था,लथेट था...एक दम पूरी ताकत से गांड के दोनों हिस्सों को दबोच के ऊपर को धक्का दे दिया... लो मालकिन चढ़ा दिया आपको.
बिल्लू ऐसे बोला जैसे अपनी मर्दानगी झाड़ दी हो रतिवती पे...
रतिवती भी प्रभावित थी बिल्लू के बाहुबल से...."देखा जी आपने ये होती है मर्द की ताकत "
रतिवती ने लगभग रामनिवास को झाड़ते हुए बोला परन्तु उसका कथन ऐसा था जिसे सुन बिल्लू को अपनी मर्दानगी पे घमंड होने लगा.
पता नहीं यहाँ किस ताकत की बात हो रही थी?
बिल्लू :- चले मालकिन?
रतिवती :- चलो बिल्लू...वैसे भी तुमने बहुत मदद की.
बिल्लू :- खिसयानी हसीं हस देता है....मालकिन जैसा आप कहे.
तांगा धूल उडाता चल देता है पीछे बचता है उल्लू का चरखा रामनिवास....
"अब जम के शराब पिऊंगा "हाहाहाहा....मुझे मर्दानगी सिखाती है हिच...हिच....
रामनिवास वापस शराब के ठेके की और बढ़ चला
कथा जारी है.....
Bejode update dostचैप्टर :-4 कामवती का पुनः जन्म अपडेट -57
भूतकाल
वो भयानक युद्ध था मंगूस...ना मेरी तलवार रुकी ना वीरा की हम दोनों ही खून के प्यासे थे.
किसी एक वंश का नामोनिशान मिटा देना था.
क्या बच्चा,क्या बूढ़ा,क्या स्त्री जो सामने आता काट दिए जाते,चारो और सिर्फ लाश ही लाश थी..
मै खून से लथपथ वीरा की गर्दन दबोच खड़ा था,पैरो मे जान नहीं थी ना वीरा के बाजुओं मे दम था.
वीरा :- तुझे मरना ही होगा नागेंद्र तेरे खानदान की वजह से मेरी प्यारी बहन मारी गई...
नागेंद्र :- तूने मेरे बेकसूर भाई की गर्दन काटी तू नहीं बचेगा.
तभी.....ठहरो..... ठहर जाओ मूर्खो
पानी की एक बौछार दोनों पे पडी दोनों ही वही जम गए,पथरा गए सिर्फ आंखे हिल रही रही.
"ये क्या किया तुम मूर्खो ने " तांत्रिक उलजुलूल मैदान ए जंग मे आ पंहुचा था.
देखो अपने चारो और कैसा रक्तपात मचाया है तुमने इस पृथ्वी से नाग वंश और घुड़ वंश मे सिर्फ तुम दोनों ही बचे हो...देखो खुद को देखो आपने खानदान को क्या किया तुमने.
वीरा और नागेंद्र जड़ अवस्था से बाहर आने लगे...चारो तरफ का मंजर देख उनके हाथ से तलवार छूट पडी.
ये क्या किया हमने.....दोनों की आँखों मे आँसू थे.
तांत्रिक :- सारा किया धरा उस नीच सर्पटा का है जो ना जाने कहाँ चला गया नागेंद्र तुमने आपने बाप को जाने बिना वीरा पे हमला बोल दिया और वीरा तुमने भी सच्चाई जानने की कोशिश नहीं की, नाग कुमार घुड़वती से प्यार करता था.
धिक्कार है तुम दोनों पे....तुम दोनों ही मूर्खता का खामियाजा भुगत चुके हो.
इस संसार मे दोनों वंश बने रहे इसलिए मै इस जगह पे एक रेखा खींचता हूँ.
ना कभी नागेंद्र घुड़पुर जा पाएगा,ना वीरा विष रूप आ पायेगा...
नागेंद्र और वीरा आँखों मे आँसू लिए उलजुलूल को देखते रह गए.
अब पछतावे के अलवा कुछ नहीं बचा था,
अकेला नीरस लम्बा जीवन था सिर्फ...
वर्तमान मे
बाबा मुझे जाने दो सर्पटा को मै जिन्दा नहीं छोड़ सकती
मौलवी :- बात समझो रुखसाना अभी तुम्हे वो ताकत प्राप्त नहीं हुई है, तुम अभी किसी अमानवीय ताकत का मुकाबला नहीं कर सकती
रुखसाना :- तो क्या करू बाबा मेरे पति के हत्यारे का नाम जान के भी चुप रहु?
मौलवी :- नहीं बेटा... अभी तुम्हे किसी ठाकुर का वीर्य प्राप्त करना होगा तब जा के वो अलौकिक शक्ति तुम्हे मिलेगी.
और आस पास ठाकुर ज़ालिम सिंह से बड़ा कोई ठाकुर नहीं है.
रुखसाना :- मै आज ही विष रूप जाउंगी बाबा....
कामगंज गांव के बाहर
बिल्लू :- मालिकन आप बुरा ना मैने तो एक बात कहु?
जो बाहर के नज़ारे देख रही थी "हाँ बोलो क्या बात है बिल्लू "
रतिवती बिल्लू से प्रभावित थी.
बिल्लू :- आपको देख के लगता नहीं की आप ठकुराइन कामवती की माँ है, लगता है जैसे बड़ी बहन है उनकी.
रतिवती अपनी तारीफ सुन शर्मा जाती है.
"जाट झूठ बोलते हो तुम "
बिल्लू :- सच मालकिन मैंने तो खुद आपकी खूबसूरती देखि है कमल का बदन है आपका
रतिवती वो वही दृश्य याद आ जाता है जब वो अर्धनग्न अवस्था मे ही बिल्लू के सामने आ गई थी,उसका रोम रोम फड़फड़ाने लगता है.
बिल्लू रतिवती को खामोश देख "माफ़ करना मालकिन आपको बुरा लगा हो तो "
रतिवती :- नहीं बिल्लू बुरा किस बात का, उसके चेहरे पे एक कामुक मुस्कान आ जाती है
रतिवती वैसे भी गरम औरत थी उसपर सुहाना शाम का मौसम,जंगल की ठंडी हवा रतिवती के बदन मे मदकता घोल रही थी.
उसका बदन कसमसा रहा था.
तांगा कच्चे रास्ते पे चला जा रहा था की तभी सामने से एक औरत का साया लगभग भागता हुआ कच्चे रास्ते को काटता झाड़ियों मे निकल जाता है...
"काकी.....भूरी काकी यहाँ " बिल्लू के मुँह से निकल पड़ता है उसने उस साये को भलीभांति पहचाना था.
पहचानता भी क्यों ना उस जिस्म को खूब भोगा था बिल्लू ने आपने दोस्तों के साथ.
"मालिकन आप तांगे मे बैठी रहे मै अभी आया " बिल्लू तांगे से उतर भूरी के पीछे लपक लिया.
बिल्लू रुको.....रुको...रतिवती बोलती रह गई परन्तु बिल्लू भी आँखों से ओझल हो गया.
हे भगवान...ये बिल्लू को कौन सी काकी दिख गई? इस सुनसान जंगल मे अकेला छोड़ गया.
बिल्लू भूरी काकी को ढूंढता उसके पीछे भागा जा रहा था "वो भूरी काकी ही थी परन्तु इस वक़्त इस जंगल मे क्या कर रही है "
कहाँ गई?
भूरी काकी लगातार तेज़ कदमो से चली जा रही थी उसे जल्द से जल्द सर्पटा तक पहुंचना था,नागमणि पाने की खुशी उस से बर्दाश्त नहीं हो रही थी,बड़ी आसानी से उसने नागमणि हथिया ली थी..
"भूरी काको रुक जाइये" भूरी के कानो मे ये आवाज़ पड़ती है.
"हे भगवान ये तो बिल्लू की आवाज़ है ये कहाँ से आ गया? इसने मुझे यहाँ देख लिया साथ मे बेशकीमती मणि पे नजर पडी तो हज़ारो सवाल हो जायेंगे"
भूरी अब भागने लगी उसे बिल्लू के हाथ नहीं आना था, पीछे देखे भागती जा रही थी...की तभी किसी पत्थर से उसका पैर टकरा गया...आआहहब्ब.....भूरी गिरती चली गई उसके हाथ से नागमणि छूट गई.
धड़ाम्म्म्म.... भूरी का सर किसी सख्त चीज से टकराया उसके होश खोते चले गए.
क्या होगा जंगल मे?
बिल्लू वापस लोटेगा?
नागमणि एक बार फिर निकल गई.
बिलकुल दोस्त जल्द ही आएगा अपडेटबहुत ही मनमोहक और अद्वितीय अपडेट है भाई मजा आ गया
क्या रुखसाना ठाकूर को रिझा के विर्य प्राप्त कर के कौनसी अलौकिक शक्ती प्राप्त करने वाली हैं
भुरी काकी का क्या होगा
नागमणी का क्या हुआ
कामवती का क्या होगा
देखते हैं आगे
अगले रोमांचकारी और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा