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Adultery ठाकुर ज़ालिम और इच्छाधारी नाग

आपका सबसे पसंदीदा चरित्र कौनसा है?

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andypndy

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चैप्टर -1, ठाकुर कि शादी,अपडेट -9

विषरूप, ठाकुर कि हवेली मे... भूरी मदहोशी, हवस मे भरी स्तन उछालती भागे जा रही थी. और गिर पड़ी.
धमममममम...... और किसी कि चीखने कि आवाज़ गूंज उठी
ये आवाज़ झोपडीनुमा कमरे मे बैठे बिल्लू तक़ भी पहुंची उसके कान खड़े हो गये. उसे लगा जैसे कोई चोर उच्चका हवेली मे घुस आया है , वाह फ़ौरन अपनी लाठी उठा के आवाज़ कि दिशा मे भागा.. उसे दूर से ही कोई ज़मीन पे चित लेता हुआ दिखाई दिया.दौड़ के वो इस आकृती के पास पंहुचा, तभी बिजली जोर से चमकी और जो उसे दिखाई दिया उस चीज ने उसके रोंगटे खड़े कर दिए, ऐसा आदमय नजारा उसने कभी देखा ही नहीं था.
नीचे भूरी गिरी पड़ी थी बिल्कुल चित बारिश मे भीगी हुई, एक बार तो वो उसे एकटक देखता ही रह गया इतनी गोरी, सुडोल वक्ष स्थल एक दम गोल, कही कोई लचक नहीं सपाट पेट, बीच मे पतली से नाभि.
उसके नीचे पेटीकोट भीग के बिल्कुल कमर से चिपक गया था, थोड़ी नीचे नजर पड़ते ही उसके होश ही उड़ गये.
वो बूत बना खड़ा बराबर उस उभरी जगह को देखने लगा, भूरी का पेटीकोट उसकी चुत से भीगे होने के कारण बिल्कुल चिपक गया था, चुत भी ऐसी कि क्या कहने बिल्कुल उभरी हुई जैसे किसी ने समोसा रख दिया हो.
ऐसा नजर ऐसा कामुक बदन बिल्लू क्या उसके पुरखो ने भी कभी नहीं देखा होगा,दुनिया पता नहीं क्यों भूरी को काकी काकी कहती है.
बिल्लू बेसुध भूरी के हुस्न का दीदार कर रहा था बारिश मे भीगता हुआ, तभी नीचे पड़ी भूरी कि एक हलकी से आह निकली, थोड़ा हिली.
उसके हिलता देख बिल्लू जड़ अवस्था से बाहर आया और तुरंत भूरी को अपनी बलिष्ट बाहो मे उठा लिया, भूरी को उठाने से उसके भीगे स्तन बिल्लू कि छाती से चिपक गये, बिल्लू का एक हाथ भरी कि बड़ी गद्देदार गांड पे था.
भूरी के शरीर से निकलती खुशबू और गर्मी बिल्लू के बदन मे आने लगी और उसका लंड तन तनाने लगा जो कि भूरी कि कमर मे धसा जा रहा था, भूरी बेसुध बिल्लू कि बाहों मे झूली पड़ी थी.
बिल्लू भूरी को ले के अपने कमरे कि और चल पड़ता है, कमरे मे रखे बड़े से पलंग पे लिटा देता है, ये पलंग बहुत बड़ा था क्युकी तीनो लोग इसी पे सोते थे इसलिए ठाकुर साहेब ने बड़ा पलंग बनवा के दिया था.
बिल्लू भूरी को लेटाने के बाद भी उसके मखमली बदन को घूरे जाता है, सांस लेने कि वजह से भूरी के सुडोल स्तन ऊपर नीचे हो रहे थे,
ऐसा नजारा बिल्लू का दिल रोक सकता था उसका लंड फटने पे आतुर था. क्या करे क्या ना करे कुछ समझ नहीं आ रहा था.
तभी धड़ाम से कमरे का दरवाजा खुलता है,
बिल्लू चौक के पीछे देखता है तो कालू रामु दो बॉटल और हाथ मे खाना लिए खड़े थे.
कालू रामु कभी बिल्लू को देखते कभी पीछे पलंग पे पड़ी भूरी काकी को. उनके समझ से सबकुछ बाहर था.
बिल्लू मूर्ति बने खड़ा था उसके तो इन सब मे होश उड़ गये थे...
कालू :- अबे बिल्लू ये सब क्या है? क्या किया तूने भूरी काकी के साथ?
रामु :- साले कही तूने इसे नशे मे मार तो नहीं दिया?
हरामी ठाकुर साहेब हमें जिन्दा नहीं छोड़ेंगे.
बिल्लू जस का तस खड़ा था.
रामु और कालू अंदर आ जाते है और दरवाजा बंद कर देते है.कालू उसका खड़ा लंड देख लेता है.
रामु :- बोल बे हरामी क्या किया तूने? कालू उसे झकझोरता है.
तब बिल्लू होश मे आता है. म..... मै.... मैंने......

मैंने..... मम... कुछ नहीं किया.
कालू :- साले पहले होश मे आ, हरामखोर
बिल्लू खुद को संभालता है और सारा वाक्य बयान कर देता है.
तब कालू और रामु भी भूरी के नजदीक आते है और देखते है दंग रह जाते है ये भूरी काकी है? अपनी भूरी काकी?
कपड़ो मे तो ऐसी नहीं लगती.
भूरी के सुडोल स्तन, उभरी हुई चुत देख के उन दोनों कि हालात भी बिल्लू जैसी हो जाती है.
कालू थोड़ा समझदार था उन तीनो मे.
कालू :- एक बात समझ नहीं अति ये साली इतनी रात को नंगी बाहर करने क्या आई थी?
बिल्लू :- साला मेरा तो दिमाग़ ही भंड हो गया है इसे देख के लोड़ा बैठने का नाम ही नहीं ले रहा.
पहले दारू पीते है फिर सोचते है.
कालू ने जल्दी से एक एक पग बनाया और तीनो एक ही सांस मे नीट पी गये.
गरमागरम दारू गले के नीचे गई तब जा के तीनो नार्मल हुए....
कालू :- मुझे तो लगता है ऐसे मौसम मे काकी को भी गर्मी चढ़ी होंगी तभी गर्मी उतरने बाहर आई.
रामु :- साले काकी तो मत बोल उसे, देख उसके दूध, उसकी चुत देखि है कभी ऐसी? किसी नई नवेली जवान लड़की को भी मात दे दे.
बिल्लू :- बात तो तुम दोनों कि सही है लेकिन अब करे क्या?
कालू :- करना क्या है चल इसकी गर्मी उतारते है.
Ramu- साले पागल हो गया है क्या? मरवाएगा इसने ठाकुर को बता दिया तो हम तीनो को मौत नसीब होंगी समझा.
कालू :- अरे कुछ नहीं होगा मै जो देख रहा हूँ वो तुम नहीं देख रहे, कालू कि आँखों मे हवस थी आखिर हो भी क्यों ना
इन तीनो ने पिछली बार कब चुत मारी थी इन्हे खुद नहीं पता...
अच्छा सुनो एक काम करते है.... जिसमे हमारी कोई गलती भी नहीं होंगी.

उधर गांव कामगंज ने डॉ. असलम बेचैन थे और कमरे के बाहर टहल रहे थे, परन्तु मौसम और ठंडी हवा ने उत्तेजना कम करने के बदले और बड़ा थी थी ऐसी उत्तेजना खुमारी पहले कभी नहीं चढ़ी थी असलम को, ये आग अब सहन से बाहर थी लंड अकडे अकडे दर्द देने लगा था.
डॉ. असलम आस पास नजर दौड़ाते है बरामदा खाली था किन्तु बारिश हो रही थी तभी बरामदे से लगी एक गली दिखती है जिसके अंत मे छज्जा था,
डॉ. असलम :- वो जगह ठीक लगती है, वहाँ अंधेरा भी है कोई देखेगा नहीं वही जा के हस्थमैथुन कर लेता हूँ थोड़ी शांति तो आये.
डॉ. असलम चल पड़ते है ये वही गली थी जिस से रतीवती का कमरा लगा हुआ था.
डॉ. असलम जल्दी से वहाँ पहुंच कर अपना पजामा पूरा नीचे सरका के लंड आज़ाद कर देते है, आज लंड फूल के कुप्पा हो गया था नसे फटने पे आतुर थी, एकदम कड़क था लंड.
इधर रतीवती भी दरवाजा खोल के जल्दी से बाहर निकलती है, बारिश हो रही थी तो वो जल्दी से मूत के भाग लेना चाहती थी.
रतीवती कमरे से पूर्ण नग्न ही बाहर निकल पड़ती है सिर्फ मंगलसूत्र और चुडिया अँधेर मे चमक रही थी वो अँधेर मे जल्दी से जा के गली के आगे अपनी बड़ी सी गांड फैला के मूतने बैठ जाती है.
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इन सब बातो से अनजान डॉ असलम आंख बंद करे ठीक रतीवती के पीछे अपना लंड जोर जोर से रगड़ रहे थे.
उन्हें थोड़ा सुकून मिलता है, तभी उन के कान मे सूररररररर.... सुरररमररर.. कर के किसी सिटी कि आवाज़ पड़ती है. वो घबरा के आंखे खोलते है.
आंखे खोलते ही उनकी आंखे फटी कि फटी रह जाती है, शरीर का सारा खून लंड मे इकठ्ठा हो जाता है मुँह खुला का खुला रह जाता है, उनके सामने रतीवती कि बिजली मे चमकती सुन्दर चिकनी बड़ी गांड थी, सुररर कि आवाज़ के साथ हिल रही थी....आआआह्हःम्म... वाहहहह... उनके मुँह से ना चाहते हुए भी हवस भरी सिसकारी निकल पड़ती है.
जिसे सुन के रतीवती एकदम चौक जाती है, और खड़ी हो के तुरंत पीछे मूड जाती है.
उसकी चीख निकल जाती है डर से.... ये चीख बादल कि गर्ज़ीना मे दब जाती है. डर के मारे उसका मूत खड़े खड़े ही निकलने लगता है,
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रतीवती अभी पूरी तरह मूत भी नहीं पाई थी कि सिसकारी सुन के खड़ी हो गई थी.
डॉ. असलम एकटक खड़े खड़े पेशाब करती रतीवती कि चुत को घूरे जा रहे थे,
तभी बिजली जोरदार चमकती है डॉ. असलम का बदन उजाले से नहा जाता है जो कि अभी तक़ अँधेरे मे था,एक पल के उजाले मे रतीवती डॉ असलम को देखती है, फिर बिजली चमकती है इस बार रतीवती कि नजर सीधा डॉ. असलम के तूफानी काले मोटे लंड पे पड़ती है.
पहले से ही कामउत्तेजना मे जल रही रतीवती कि चुत लंड देखते ही फड़फड़ा जाती है उसका मूत बंद हो जाता है.
वापस से गर्मी हवस उसके शरीर को घेर लेटी है, ठंडी हवा से निप्पल खड़े हो के टाइट हो जाते है.
पता नहीं किस सम्मोहन मे बँधी वो छज्जे कि तरफ बढ़ जाती है, डॉ असलम स्तम्भ खड़े थे उन्हें समझ नहीं आ रहा था इतनी सुन्दर स्त्री, इतनी सुन्दर काया, उन्नत सुडोल स्तन, बिल्कुल चिकने मुलायल, सपाट पेट, जिसके बारे मे सपने मे भी नहीं सोचा था वो पूर्ण नंगी उनके सामने खड़ी है, अजी खड़ी क्या है ये तो पास चली आ रही है.
ना ना न..... ये तो सपना है हक़ीक़त नहीं हो सकता मेरी ऐसी किस्मत कहाँ.
अब तक़ रतीवती, डॉ असलम के बिल्कुल नजदीक पहुंच चुकी थी.
इतनी पास कि डॉ. असलम कि गरम गरम सांस अपने स्तनों पे महुसूस कर रही थी. डॉ असलम कि hight ही इतनी थी कि उनका मुँह रतीवती के स्तन के सामने थे, वो मुँह फाडे खड़े थे.
रतीवती ना जाने किस नशे मे थी कोई सम्मोहन तो जरूर था, हवस का सम्मोहन, बरसो से सम्भोग ना करने का सम्मोहन.
उसकी नजर सिर्फ डॉ. असलम के लंड पे थी इतना बढ़ा, कड़क लंड उसने कभी देखा ही नहीं था, वो कड़क लंड सीधा रतीवती कि फूली चुत पे टकरा जाता है.
दोनों के मुँह से सिसकारी फुट पड़ती है आहहहह.... बारिश के छींटे दोनों जिस्म को भीगा के ठंडा करने कि कोशिश कर रहे थे कि कही फट ना पड़े.
परन्तु बारिश का ये अहसान बेकार ही था उल्टा ये छींटे गर्मी बड़ा दे रहे थे.
जैसे गर्म तवे पे पानी के छींटे मार देने से तवा ठंडा नहीं हो जाता, तवा तैयार ही तब होता है जब उसपे पानी के ठन्डे छींटे मारे जाये.
वही हाल रतीवती का था वो अपने आपे मे नहीं थी, देखते ही देखते वो असलम के लंड को अपने एक हाथ से पकड़ लेती है, लंड पकड़ते ही उसकी चुत टप टप कर के टपकने लगती है, इतनी गर्मी थी चुत मे कि पानी सीधा भाँप बन के उड़ता प्रतीत होता था..
रतीवती कामुत्तेजना मे घुटनो के बल बैठ जाती है, और असलम के कड़क लम्बे मोटे लंड को टटोल टटोल के देखने लगती है वो निश्चित कर लेना चाहती थी कि ये चीज लंड हि है ना..
दोनों मे से कोई कुछ बोल नहीं रहा था.... या शायद उनके कंठ जाम हो गये थे, भरी बरसात मे गला सुख गया था.
डॉ. असलम मन्त्रमुग्ध खड़े थे बस रतीवती कि हरकत देखे जा रहे थे.
रतीवती अपनी नाक पास ला के लंड को सुघटी है.... मम..... आआआहहहह... पूरी सांस खींच लेती है अंदर तक़
लंड कि खुशबू से रतीवती झंझना जाती है. उसकी जीभ स्वतः ही बाहर निकलती है, जीभ कि नौक से लंड के ऊपरी हिस्से को हलके से चाट लेती है...
डॉ. असलम काँप जाते है उनके लंड को पहली बार किसी औरत ने हाथ लगाया था हाथ क्या यहाँ तो जीभ भी लगाई थी..वो भी कोई ऐरी गैरी औरत नहीं साक्षात् स्वर्ग कि अप्सरा के समान रतीवती उनका लंड पकड़े बैठी थी
पहली बार के इस अहसास को वो अपने अंदर समेट लेना चाहते थे.
अब जो होना है होने दिया जाये.... ये सोच के डॉ. असलम अपनी आंखे बंद कर रतीवती के सर पे हाथ रख देते है.
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पहली बार तो विषरूप मे ठाकुर कि हवेली पे भी हो रहा था.
कालू, रामु, बिल्लू तीनो भूरी को घेरे खड़े थे.तीनो एक एक पैग और ले चुके थे तीनो के लंड तनतनाये हुए थे
होते भी क्यों ना जिस्म था ही कुछ ऐसा.
कथा जारी है.....
 
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बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
डॉ असलम और रतिवती की कालू रामू बिल्लू और भूरी काकी के साथ चुदाई के धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

andypndy

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अपडेट -9 contd....

पहली बार तो विषरूप मे ठाकुर कि हवेली पे भी हो रहा था.
कालू, रामु, बिल्लू तीनो भूरी को घेरे खड़े थे.तीनो एक एक पैग और ले चुके थे तीनो के लंड तनतनाये हुए रहे
होते भी क्यों ना जिस्म था ही कुछ ऐसा.
कालू :- मित्रो भूरी काकी अर्धनग्न अवस्था मे बाहर आई थी, कही इसका कोई यार तो नहीं जिस से मिलने जा रही हो और अपना लंड मसलने लगा.
बिल्लू :-अरे अपने को क्या मेरा तो भूरी के दूध देख के लंड बैठने का नाम ही नहीं ले रहा, बिल्लू अपना लंड धोती से बाहर निकाल के मसलने लगता है,
रामु कालू का हाल भी कुछ ऐसा हि था,
कालू उत्तेजना के जोश मे भूरी के स्तन कि और हाथ बढ़ा देता है उस से रुका नहीं जा रहा था.
रामु :- क्या कर रहा है उसको होश आ गया तो?
कालू :- कुछ नही होगा वो खुद नंगी बाहर आई थी, सोच इतनी रात को ये नंगी हवेली से बाहर क्या कर रही थी...
इन तीनो उल्लू के चरखो को कौन बताये कि भूरी तो तब ही होश मे आ गई थी जब बिल्लू ने उसे गोंद मे उठाया था, वो थोड़ा सा करहि थी.
लेकिन क्या जवाब देती कि वो अर्धनग्न बारिश मे क्या करने आई थी?
अपनी बरसो कि इज़्ज़त उसे तार तार होती दिखाई दे रही थी,
भूरी काकी चुपचाप आंख बंद किये बिल्लू कि गोंद मे पड़ी रही थी.
परन्तु अब उसकी हालात ख़राब थी, उन तीनो कि बाते सुन के जो उसके कड़क कसे हुए बदन को घूरे जा रहे थे, उसके स्तन से खेलने पे आतुर थे.
भूरी तो पहले से ही गरम थी, बिल्लू का लंड धोती से बाहर झूल रहा था इस बात का अहसास होते ही उसकी चुत चुपचाप टपक पड़ती है,वो आंख बंद किये पड़ी रहती है दिल कि धड़कन धाड़ धाड़ कर के चल रही थी.
कालू :- पहले थोड़ी दारू पी लेते है, कालू के दिमाग़ मे कुछ तो चल रहा था वो कुछ भाँप चूका था.
रामु :- लेकिन.... पर....
कालू :- लेकिन वेकीन कुछ नहीं आओ तुम्हे आज नये तरीके से पिलाता हूँ.
कालू तीन कांच के गिलास भूरी के सपाट पेट पे रख देता है.
ठंडे गिलास पड़ते ही भूरी का दिल बाहर निकलने को होता है.वो हल्का सा कसमसती है परन्तु आंख नहीं खोलती.
पेट से होती हुई ठंडाई सीधा चुत कि लकीर मे स्थित दाने को छेड़ रही थी.
पहले से गरम भूरी का बदन तपने लगता है.
जिसे कालू भाँप लेता है.
पेट पे रखे ठन्डे गिलासो मे कालू दारू डालता है और तिनों भूरी के इर्द गिर्द बैठ जाते है तीनो ही भगवान कि बनाई इस नक्कासी किये जिस्म को घूर रहे थे.
बिल्लू दारू पिता हुआ एक हाथ भूरी के स्तन पे हलके से रखता है, आह्हःम... कितना मखमली अहसास था ये अहसास कभी महसूस ही नहीं हुआ था.
अंदर भूरी भी सिहर उठती है आज पुरे 30 साल बाद किसी मर्द का कड़क हाथ उसके स्तन पे लगा था, लेकिन विडंबना देखिये वो खुल के कुछ बोल भी नहीं सकती थी सिसकारी भी नहीं ले सकती थी.
होंठो के अंदर ही उसकी सिसकारी घुटी रह जाती है.
भूरी की कोई भी हरकत ना पाकर बिल्लू जोर से एक स्तन को दबा देता है.
बिल्लू :- यार क्या दूध है देख कैसे उछल रहे है, जैसे कोई गेंद हो.
मजा आ गया.
रामु भी बिल्लू कि बात सुन के अपना हाथ दूसरे स्तन पे रख देता है
रामु :- आअह्ह्ह.... हाँ यार रामु क्या मुलायम है.
अब हमला दो तरफ़ा हो गया था कहाँ एक मर्द को तरसती थी भूरी आज दो अलग अलग मर्दो के हाथो ने दोनों स्तनों को दबोच रखा था.
दारू का शुरूर सर चढ़ रहा था, रामु कालू कि हिम्मत बढ़ने लगी थी.
जबकि कालू चुपचाप शराब चूसक चूसक के पी रहा था.
रामु कालू अब भूरी के स्तनों को रगड़ने लगते है, भूरी के निप्पल टाइट हो के दर्द करने लगे थे, उसके निप्पल बार बार दोनों के सख्त हाथो से रगड़ खा रहे थे,
भूरी को सहन से बाहर हो रहा था, उसकी चुत छलछला के पानी बहा रही थी.
उत्तेजना के मारे उसकी चुत फुले जा रही थी जो कि भीगे हुए पेटीकोट से साफ दिख रही थी,पेटीकोट चुत कि दरार मे घुसा हुआ था,चुत दो हिस्सों मे बटी हुई थी, अब कहना मुश्किल था कि पेटीकोट का वो हिस्सा चुत के पानी से गिला हो के चिपका था या पहले से ही गिला था.
कालू रस बहती चुत को एकटक देखे जा रहा था, तभी वो अपनी उत्तेजना मे सर नीचे झुका के अपनी नाक चुत के उभार के ऊपर रख देता है.
भूरी को अपनी चुत पे गरम हवा का झोका सा महुसूस होता है, ऊपर से स्तन मर्दन, रगड़ाई चालू ही थी. भूरी अब मर जाएगी यदि वो जल्दी ना उठी तो अब सहन नहीं कर पायेगी.
30 साल कि गर्मी मार ही डालेगी, उसके मन मे आता है आंखे खोल दे उठ जाये और बोल ही दे कि चोदो मुझे गांड चुत सब फाड़ दो, परन्तु कैसे कहे बरसो कि इज़्ज़त दाव पे थी.
परन्तु आज ये तीनो जमुरे ठान के ही बैठे थे कि रगड़ के रख देंगे.
कालू चुत को सुंघे जा रहा था, वाह क्या खुशबू है साली दारू भी फ़ैल है इसके सामने, फिर गहरी सांस लेता है और अंदर तक़ तृप्त हो जाता है.
बिल्लू रामु कि नजर भी जैसे ही कालू कि सिसकारी सुन के नीचे कि और जाती है तो दोनों ही स्तन रगड़ना भूल जाते है नशा दिमाग़ मे चढ़ जाता है.
क्या उभार था चुत का, इतनी मोटी चुत.... गीले कपड़े मे साफ झलक रही थी.
अब तीनो के बर्दाश्त के बाहर कि बात हो चली थी बिल्लू हाथ आगे बढ़ा के पेटीकोट का नाड़ा एक झटके मे खोल देता है, जैसे ही पेटीकोट के नाड़े का खुलने का अहसास भूरी को होता है वो अंदर तक़ सिहर जाती है दिल का दौरा पड़ना अब लाजमी था इनती मदहोसी इतनी उत्तेजना क्या करू क्या करू? मै मर ना जाऊ?
इस उत्तेजना के मारे भूरी कि चुत पानी कि जोरदार उलटी कर देती है.
अब उठना ही होगा... भूरी मन बना ही लेती है.
परन्तु देर हो चुकी थी बिल्लू पेटीकोट को घुटने तक सरका चूका था लेकिन सामने जो नजारा था उसे देख के तीनो पलंग से गिर पड़ते है, धड़द्दाम्म्म..... हे भगवान ऐसी चुत इस उम्र मे ऐसी मोटी फूली हुई चुत इतनी छोटी सी.चुत पे एक भी बाल का नामोनिशान नहीं था, एकदम चिकनी चुत...
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तीनो को कोई होश नहीं था नीचे पड़े पड़े लम्बी सांस ले रहे थे...
तभी नह्ह्ह्हईई कि चीख के साथ भूरी उठ बैठती है अपने दोनों हाथो से अपने स्तन और चुत को ढक लेती है बिल्कुल नंगी तीनो के सामने खड़ी थी अपने हाथो का सहारा था सिर्फ....
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उधर गांव कामगंज मे भी सिर्फ हाथो का ही सहारा था... रतीवती अपने हाथो मे डॉ. असलम का लंड पकड़े हैरानी से आगे पीछे कर रही थी उसके लिए तो आश्चर्य कि बात यही थी कि लंड इतना भयानक भी होता है, वो नजर ही नहीं हटा पा रही थी पागलो कि तरह अलट पलट के लंड देखे जा रही थी.
कभी सुघती, कभी जीभ से चाट लेती,
डॉ. असलम आंख बंद किये इस सपने जैसी हक़ीक़त का मजा ले रहे थे.
उनका हाथ रतीवती के सर के पीछे था जैसे वो कुछ बोल रहे हो.
दोनों मुँह से कुछ नहीं बोल रहे थे बस उनका बदन बोल रहा था उनकी उत्तेजना काम कर रही थी.
तभी रतीवती कमावेश उत्तेजना से भर के पूरी जीभ निकाल के नीचे से ऊपर कि तरफ पूरा लंड चाट लेती है.
मदहोश कर देने वाला स्वाद महसूस होता है रतीवती को, वो अब पागल हो चुकी थी, स्थति ऐसी थी कि कोई आ भी जाता तो वो लंड ना छोड़ती.
डॉ. असलम थोड़ी सी आंखे खोलते है और देख के दंग रह जाते है कि इनका लंड पूरा गिला था रतीवती के थूक से.
अब वो भी इस नज़ारे को देखना चाहते थे नजर नीची किये रतीवती के सुन्दर होंठ से निकली लपलपाति जीभ देख रहे थे जो लगातार उनका लंड ऊपर नीचे चाटी जा रही थी जैसे किसी बच्चे को सालो बाद उसकी फेवरेट मिठाई मिली हो.
डॉ. असलम अपने हाँथ से रतीवती के सर के पीछे थोड़ा दबाव बढ़ाते है.
रतीवती स्वतः ही अपना सुन्दर मुँह खोल देती है और पुरे सुपाडे को अपने गरम मुँह मे भर लेती है
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उसे इतना पसंद आ रहा था कि वो सुपडे को मुँह मे लिए अंदर से सुपाडे के चारो तरफ जीभ चलाने लगती है
असलम का हाल बहुत बुरा था उनके मुँह से जोरदार आअह्ह्ह... हुंकार निकल जाती है जो बादल कि गरजना मे कही दब जाती है.
हुंकार सुन के रतीवती लंड मुँह मे पकडे ही ऊपर देखती है असलम तो नीचे ही देख रहे थे दोनों कि नजर टकरा जाती है ये पहला मौका था जब दोनों कि नजरें एक दूसरे से मिली थी, इस मिलन मे सिर्फ हवस थी, प्यास थी.
वो प्यास जो दोनों को एक दूसरे कि आँखों मे नजर आ रही थी, असलम के लंड के आगे उनकी कुरूपता खो गई थी असली सौंदर्य उनका काला भसंड लंड ही था.
दोनों ही नजरों नजरों मे एक दूसरे को स्वस्कृति दे चुके थे, बोल चुके थे कि ये लंड तुम्हारा है रतीवती मेरी प्यास बुझाओ.

और रतीवती पूरा मुँह खोल के लंड अंदर धकेल लेती है.
आहाहाहा म.क्या आनंद था, जितनी गरम रतीवती थी उस से कही ज्यादा उसका मुँह गरम था बिल्कुल कोई भट्टी जिसमे असलम का लंड आज पिघलने का था.
ऊपर से ये मौसम कि मार.... पानी के छींटे जमीन से टकरा के वापस रतीवती कि गांड और चुत पे लग रहे थे. रतीवती अपनी ऐड़ी के बल पूरी गांड फैलाये बैठी थी.
छींटे किसी छोटे छोटे तीर कि तरह चुत और गांड के छेद पे हमला कर रहे थे.
उत्तेजना से भरी रतीवती का एक हाँथ नीचे अपनी चुत के करीब पहुंच जाता है. और लकीर के बीच मौजूद दाने को सहलाने लगता है. उफ्फ्फ्फ़ .. करती रतीवती असलम के लंड को जड़तक़ मुँह मे भर लेती है उसके होंठ असलम के भारी टट्टो से टकरा जाते है, उसकी नजर टट्टो पे पड़ती है तो दंग रह जाती है इतने बड़े टट्टे?
अब हो भी क्यों ना बरसो का माल जमा कर रखा था इन टट्टो मे डॉ. असलम ने.
रतीवती कि सांस थामती महसूस होती है तो वो अपना सर पीछे कि और खिंचती है परन्तु लंड मुँह से बाहर नहीं निकालती.
अब एक हाथ चुत पे चल रहा था, दूसरे हाथ से वो असलम के बड़े भारी टट्टो को पकड़ के जोर दार झटके से वापस लंड गले तक़ उतार लेती है,
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डॉ. असलम हौरान थे कि ऐसा भी हो सकता है कोई औरत इस कदर कामुक हो सकती है.
उन्हें क्या पता कि औरत नंगेपन पे आ जाये तो क्या नहीं करती, वो इन मामलो मे बिल्कुल अनाड़ी थे. उनको तो ये सब बर्दाश्त के बाहर लग रहा था....
वो सिर्फ एकटक रतीवती कि काम क्रीड़ा को देखे जा रहे थे,
अब रतीवती इतनी गरम हो चुकी थी कि जोर जोर से धचा धच अपनी दो ऊँगली चुत मे चला रही थी वो अब रुकना नहीं चाहती थी उसे कैसे भी स्सखलित होना था.
नीचे चुत मे चलता हाथ, ऊपर मुँह मे सटासट जाता लंड और दूसरा हाथ टट्टो को मसल रहा था.
ऐसा कारनामा, ऐसी कामुक औरत नसीब वालो को ही मिलती है लेकिन जिसके नसीब मे थी वो दारू पी के लुड़का पड़ा था कमरे मे..
जिसको ऐसे खजाने कि कद्र नहीं वो खजाना कोई और लूट लेता है, जबकि यहाँ तो डॉ. असलम पे खुद रतीवती अपना यौवन का खजाना लूटा रही थी... जी भर के लूटा रही थी.
अब लंड पूरी रफ़्तार से मुँह मे जा रहा था, डॉ. असलम ने अपने दोनों हांथो से रतीवती का सर पकड़ के अपने लंड पे धकेले जा रहे थे, रतीवती भी क्या कम थी वो भी असलम के टट्टे पकडे धचा धच मुँह जड़ तक़ मारे जा रही थी.
एक बार मे लंड गले तक अंदर जाता एक बार मे बाहर.
रतीवती का थूक से लंड लिसलिसा गया था थूक टपक टपक के स्तन के रास्ते चुत तक पहुंच रहा था जहाँ रतीवती कि उंगलियां उस थूक का फायदा उठा के फचा फच चुत मे ऊँगली मारे जा रही थी...
फच फच फच.... आअह्ह्हह्ह्ह्ह....
अब वो छड़ आ चूका था जब इस गर्मी का अंत हो, असलम और रतीवती ही इस रगड़ाई को बर्दाश्त नहीं कर पाते और एक साथ भलभला के झड़ने लगते है. रतीवती कि चुत से सफ़ेद पानी का जोरदार फाव्वारा निकल के सीधा असलम के पैर पे चोट करता है.
अह्ह्ह्ह...... मै मरी पहली बार रतीवती के मुँह से शब्द फूटे थे.
असलम भी गर्मी बर्दास्त नहीं कर पाता पीच पीच पीछाक.... के साथ पहली धार वो रतीवती के मुँह के अंदर ही मार देता है परन्तु रतीवती के स्सखालन कि वजह से वो धम्म से गांड के बल बैठ जाती है... असलम कि पिचकारी एक के बाद एक रतीवती का बदन भिगोने लगती है..
रतीवती ने अभी भी असलम का लंड पकडे हुई थी, उसका हाथ और असलम का काला भयानक लंड वीर्य से भीगा हुआ था
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इतना वीर्य था कि पूरा शरीर नहा जाता है... रतीवती जैसे ही गरम वीर्य का स्पर्श अपने जलते बदन पे महसूस करते ही एक लम्बी धार अपनी चुत से छोड़ देती है रतीवती का वीर्य असलम के पैरो को भिगो रहा था.
रतीवती आजतक ऐसा कभी नहीं झड़ी थी उसकी तो जान ही निकल गई थी वो दिवार के सहरे निढाल बैठी अपनी टांग फैलाये लम्बी लम्बी सांसे ले रही थी, वीर्य जो मुँह मे था वो गले से नीचे जा चूका था.
असलम भी ढेर हो गया था उसका तो पहली बार ही था ऊपर से ऐसी कामुक औरत के साथ जो सिर्फ लंड चूस के ही किसी कि जान लेे ले.
असलम पीछे दिवार के साहरे खड़ा हांफ रहा था.
दोनों मे से अभी भी कोई कुछ नहीं बोल रहा था बस एक दूसरे को लम्बी लम्बी सांस लिए देखे जा रहे थे.
रतीवती कि जीभ अपने होंठो के चारो तरफ चल रही थी उसे वीर्य का स्वाद पसंद आया था. सारा चाट जाना चाहती थी..
तभी जोरदार बिजली कड़कती है दोनों के जिस्म रौशनी मे नहा जाते है, रतीवती का वीर्य से भरा जिस्म और असलम का थूक से भरा लंड ऐसा नजारा अच्छो अच्छो कि जान ले लेता.
दोनों को किसी से कोई शिकायत नहीं थी, तभी कमरे से कुछ गिरने कि आवाज़ आति है. रतीवती तुरंत खुद को संभालती है और जल्दी से खड़ी हो के अपनी मस्तानी गांड हिलाती गली से बाहर अपने कमरे कि और निकल पड़ती है.
जाते जाते वो मुड़ के असलम को देख मुस्कुरा देती है जैसे धन्यवाद कह रही हो...
आगे यहाँ पढ़े.
 
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Nevil singh

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ये कहानी है पुराने भारत की, वो भारत जो गांव मे बसता था.. जब रियासत ठकुराइ चला करती थी.
उत्तरप्रदेश का एक बड़ा सा गांव "विषरूप"
कहते है कभी यहाँ इच्छाधारी नागो कि बस्ती थी.
अब ये बात सच है या झूठ ये तो वक़्त ही बताएगा.
अब यहाँ ठाकुर ज़ालिम सिंह का दबदबा है.
गांव शुरुआत मे ही एक हवेलीनुमा बिल्डिंग है जो कि ठाकुर ज़ालिम सिंह का रिहाईशि इलाका है.

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है तो हवेली ही लेकिन भव्यता का अहसास समय के साथ
खो गया.
आते है कहानी पर

सन 1875
पात्र परिचय
1. ठाकुर ज़ालिम सिंह
बड़ी बड़ी मुछे, रौबदार चेहरा, उम्र 46
Hight 6फ़ीट
लेकिन किस्मत कि मार देखो लुल्ली सिर्फ 3इंच कि.
परन्तु ये इसे अपनी कमी नहीं मानते उल्टा घमंड मे रहते है.
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2. डॉ असलम खान
ठाकुर साहेब के दोस्त सलाहकार मित्र सब यही है.
Hight 5फीट, दिखने मे चौमू
सूरत से काले, इस वजह से कभी इनकी शादी ही नहीं हो पाई.
लेकिन प्रकृति ने लंड तूफानी दिया है पुरे 9 इंच का मोटा जैसे कोई छोटी लोकि लगा के घूमते हो.
परन्तु सब बेकार कोई औरत लड़की इनके पास फटकती भी नहीं है.
हाय रे किस्मत

584_closeup_dick.jpg


3. इच्छाधारी नाग नागेंद्र
ये हवेली के नीचे ही रहता है या यु कहिये कि इसके घर
के ऊपर ही हवेली बनी है
कहानी मे इसकी डिटेल मिलेगी रहस्यमय प्राणी है ये
कहानी का.

.4. ठकुराइन रूपवाती
उम्र 35 साल, ठाकुर साहेब कि पहली पत्नी
नाम रूपवती लेकिन असल मे मोटी काली कलूटी
साइज 40-34-42
चलती है तो गांड धचक धचक के हिलती है
ठाकुर साहेब रंग और मोटापे कि वजह से रूपवती
को छोड़ चुके है
hd-kenzie-reeves-victoria-cakes-11.jpg


4. ठकुराइन कामवती
उम्र 21साल,नाम कामवती लेकिन काम क्रीड़ा से बिल्कुल अनजान.
साइज बिल्कुल जानलेवा 34-28-34
लेकिन इसे क्या पता कि कितनी जानलेवा है, कभी खुद को
अच्छे से देखा ही नहीं.

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सब किस्मत के मारे किसी को कुछ दिया तो उसका उपयोग छीन लिया.
क्या खेल है नियति का.

क्या ये नियति बदलेंगी? क्या क्या खेल दिखाएगी?
पता करेंगे इस कालजायी सफर मे

और भी चरित्र है कहानी के जो समय के साथ प्रस्तुत होंगे
अपडेट के लिए बस थोड़ा इंतज़ार


चैप्टर-1,ठाकुर कि शादी
समय 9:0am, दिन सोमवार, ठाकुर कि हवेली

डॉ असलम- ठाकुर साहेब अब आपको शादी कर लेनी चाहिए, ठकुराइन रूपवती को गये साल भर होने को आया.
ठाकुर :- अरे रे ये किसका नाम ले लिया, उस काली कलूटी का नाम लेना जरुरी था? उसका
नाम सुन के ही घिन आती है मुझे, साली एक बच्चा तक ना दे सकी मुझे.

असलम जनता था कि कमी ठाकुर साहेब मे ही है लेकिन वो मानने को तैयार नहीं थे,
जबकि असलियत ही यही थी कि ठाकुर साहेब का 3इंच का लंड कभी ठकुराइन रूपवती कि योनि को भेद ही नहीं पाया.
तो बच्चा क्या खाक होता.
लेकिन ठहरे ठाकुर जमींदार ऐसे कैसे खुद को कमजोर मान ले.

ठाकुर:- अच्छा असलम तुम बता रहे थे कि कोई लड़की देखि है पास के गांव मे?

डॉ असलम :- हाँ ठाकुर साहेब पास के ही गांव "कामगंज" मे ही रामनिवास किसान है उसकी ही
एकलौती बेटी है कामवती, बहुत सुन्दर है आप देखेंगे तो मना नहीं कर पाएंगे शादी को.

ठाकुर :- अच्छा ऐसी बात है, अपने लंड को मसलते हुए कुछ सोचने लगे मुझे अपना वंश बढ़ाने के लिए ही शादी करनी है

अब ठाकुर साहेब को कौन बताये भले कितनी ही शादी कर लो वंश नहीं बढ़ने का.

खेर निश्चय हुआ कि अगले मंगलवार को अच्छा मुहर्त देख के लड़की देखने चला जाये
संदेशा भिजवा दिया जाये रामनिवास किसान के घर


गांव कामगंज
रामनिवास का घर
दिन बुधवार
तीन सदस्य ही रहते है घर मे,

1.रामनिवास
उम्र 50 साल
एक गरीब किसान है, शराब का आदि लंड अब खड़ा भी नहीं होता
इसने जीवन मे सिर्फ एक ही अच्छा काम किया है कि कामवती को पैदा किया


2. रतिवती
उम्र 45साल
ये है रामनिवास कि पत्नी और कामवती कि माँ
दिखने मे एकदम गोरी,बिल्कुल सुडोल वक्ष स्थल गोलाकार गांड
गांव मे बहुत लोग दीवाने है इनके.
स्वभाव से चंचल प्रकृति कि है
साइज 36-30-40
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कामवती को ये रूप अपनी माँ से ही मिला.
रतिवती का सपना था खूब पैसे वाले से शादी हो, खूब चुदाई हो
लेकिन हाय रे किस्मत कुछ ना मिला जवानी ऐसे ही धूल खाते निकल रही है


घोड़े पे बैठा एक संदेश वाहक एक कच्चे पक्के मकान कि तरफ बढ़ा जा
रहा था.
घर के मुख्य द्वार पे पहुंच के आवाज़ लगाई
राम निवास अरे राम निवास
अंदर से बड़बड़ाती हुई रतिवती बाहर आई "ये आदमी दिन मे भी शराब पी के पडा रहता है घर बार कि कोई चिंता ही नहीं है.
दरवाजा खोलते हुए "हाँ भैया क्या काम है बताइये?"
संदेश वाहक - आपके लिए ठाकुर ज़ालिम सिंह का संदेशा आया है.
इतना सुनते ही रतिवती थर थर कापने लगी, क्युकी ठाकुर ज़ालिम सिंह कि आस पास के गांव मे बहुत धाक थी
ठाकुर के आदमियों ने ऐसी दहशत बना रखी थी कि सभी को लगता था ठाकुर ज़ालिम सिंह वाकई कुर्र किस्म का इंसान है.

रतिवती भागती हुई, बदहास अंदर आई अरे उठ जा कामवती के बापू, उठ जा क्या कर आया तू? ठाकुर साहेब का संदेशा आया है..
उठ हरामी मरवा दिया तेरी शराब ने आज हम सबको, हे भगवान बचा ले हमें
रामनिवास:- अरी क्यों मरी जा रही है? क्या हुआ? भूकंप आ गया क्या?
रतिवती :- हरामखोर होश मे आ ठाकुर साहेब के यहाँ से संदेशा आया है, देखो क्या लिखा है
इतना सुनते है रामनिवास का सारा नशा काफूर हो गया हाथ कापने लगे, जल्दी से पलंग से उठ बैठा
और संदेश रतिवती के हाथ से छीन के पढ़ने लगा.
जैसे जैसे पढ़ता गया वैसे वैसे हवा मे उड़ने लगा, बांन्छे खिलने लगी.
मारे खुशी के जोर जोर से हॅसने लगा
हाहाहाहाहाहाहाहाहा हाहाहाह्हहा
मजा आ गया..

मजा आ गया
रतिवती अपने पति को इस तरह देख के अचंभित होती है कि इन्हे क्या हो गया है
कभी शराब पी के ऐसी हरकत तो नहीं कि
रतिवती :- अरे क्या हुआ कामवती के बापू ये पागल जैसे क्यों हस रहे हो? ऐसा क्या लिखा है?
रामनिवास :- अरी कामवती कि अम्मा सुनोगी तो तुम भी पागल हो जाओगी.
रतिवती :- ऐसा क्या लिखा है?.
रामनिवास :- ठाकुर साहेब अपनी कम्मो से शादी करना चाहते है, हमारी तो किस्मत खुल गई कम्मो कि अम्मा.
ऐस सुन के रतिवती खुशी से झूम उठी
वाह वाह हमारी किस्मत ऐसा रंग लाएगी ऐसा सोचा नहीं था कभी.
रामनिवास :- ठाकुर साहेब लिखते है कि वो अगले मंगलवार को हमारे घर आएंगे कम्मो (कामवती) को देखने.
रतिवती :- हे भगवान आपका लाख लाख धन्यवाद अपने हमारी कम्मो कि किस्मत मे ये सुख लिखा.

परन्तु ये खबर... सिर्फ रामनिवास तक ही नहीं दो और लोगो तक पहुंच चुकी थी
डाकू रंगा बिल्ला... जो कि आस पास के गांव के खूंखार डाकू थे
इनका काम ही था आस पास केगांव मे शादी ब्याह उत्सव पे नजर रखना ताकि शादी के वक़्त लूट पाट मचा सके
अब ये रंगा बिल्ला कौन है?क्या शादी रोक देंगे ठाकुर कि
या हो के ही रहेगी ठाकुर ज़ालिम सिंह कि शादी?
कहानी जारी है
Khubsurat update ke saath nayi kahani ki mubarakbaad bhai
 

Nevil singh

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अपडेट -9 contd....

पहली बार तो विषरूप मे ठाकुर कि हवेली पे भी हो रहा था.
कालू, रामु, बिल्लू तीनो भूरी को घेरे खड़े थे.तीनो एक एक पैग और ले चुके थे तीनो के लंड तनतनाये हुए रहे
होते भी क्यों ना जिस्म था ही कुछ ऐसा.
कालू :- मित्रो भूरी काकी अर्धनग्न अवस्था मे बाहर आई थी, कही इसका कोई यार तो नहीं जिस से मिलने जा रही हो और अपना लंड मसलने लगा.
बिल्लू :-अरे अपने को क्या मेरा तो भूरी के दूध देख के लंड बैठने का नाम ही नहीं ले रहा, बिल्लू अपना लंड धोती से बाहर निकाल के मसलने लगता है,
रामु कालू का हाल भी कुछ ऐसा हि था,
कालू उत्तेजना के जोश मे भूरी के स्तन कि और हाथ बढ़ा देता है उस से रुका नहीं जा रहा था.
रामु :- क्या कर रहा है उसको होश आ गया तो?
कालू :- कुछ नी होगा वो खुद नंगी बाहर आई थी, सोच इतनी रात को ये नंगी हवेली से बाहर क्या कर रही थी...
इन तीनो उल्लू के चरखो को कौन बताये कि भूरी तो तब ही होश मे आ गई थी जब बिल्लू ने उसे गोंद मे उठाया था, वो थोड़ा सा करहि थी.
लेकिन क्या जवाब देती कि वो अर्धनग्न बारिश मे क्या करने आई थी?
अपनी बरसो कि इज़्ज़त उसे तार तार होती दिखाई दे रही थी,
भूरी काकी चुपचाप आंख बंद किये बिल्लू कि गोंद मे पड़ी रही थी.
परन्तु अब उसकी हालात ख़राब थी, उन तीनो कि बाते सुन के जो उसके कड़क कसे हुए बदन को घूरे जा रहे थे, उसके स्तन से खेलने पे आतुर थे.
भूरी तो पहले से ही गरम थी, बिल्लू का लंड धोती से बाहर झूल रहा था इस बात का अहसास होते ही उसकी चुत चुपचाप टपक पड़ती है,वो आंख बंद किये पड़ी रहती है दिल कि धड़कन धाड़ धाड़ कर के चल रही थी.
कालू :- पहले थोड़ी दारू पी लेते है, कालू के दिमाग़ मे कुछ तो चल रहा था वो कुछ भाँप चूका था.
रामु :- लेकिन.... पर....
कालू :- लेकिन वेकीन कुछ नहीं आओ तुम्हे आज नये तरीके से पिलाता हूँ.
कालू तीन कांच के गिलास भूरी के सपाट पे रख देता है.
ठंडे गिलास पड़ते ही भूरी का दिल बाहर निकलने को होता है.वो हल्का सा कसमसती है परन्तु आंख नहीं खोलती.
पेट से होती हुई ठंडाई सीधा चुत कि लकीर मे स्थित दाने को छेड़ रही थी.
पहले से गरम भूरी का बदन तपने लगता है.
जिसे कालू भाँप लेता है.
पेट पे रखे ठन्डे गिलासो मे कालू दारू डालता है और दिनों भूरी के इर्द गिर्द बैठ जाते है तीनो ही भगवान कि बनाई इस नक्कसी किये जिस्म को घूर रहे थे.
बिल्लू दारू पिता हुआ एक हाथ भूरी के स्तन पे हलके से रखता है, आह्हःम... कितना मखमली अहसास था ये अहसास कभी महसूस ही नहीं हुआ था.
अंदर भूरी भी सिहर उठती है आज पुरे 30 साल बाद किसी मर्द का कड़क हाथ उसके स्तन पे लगा था, लेकिन विडंबना देखिये वो खुल के कुछ बोल भी नहीं सकती थी सिसकारी भी नहीं ले सकती थी.
होंठो के अंदर ही उसकी सिसकारी घुटी रह जाती है.
भूरी की कोई भी हरकत ना पाकर बिल्लू जोर से एक स्तन को दबा देता है.
बिल्लू :- यार क्या दूध है देख कैसे उछल रहे है, जैसे कोई गेंद हो.
मजा आ गया.
रामु भी बिल्लू कि बात सुन के अपना हाथ दूसरे स्तन पे रख देता है
रामु :- आअह्ह्ह.... हाँ यार रामु क्या मुलायम है.
अब हमला दो तरफ़ा हो गया था कहाँ एक मर्द को तरसती थी भूरी आज दो अलग अलग मर्दो के हाथो ने दोनों स्तनों को दबोच रखा था.
दारू का शुरूर सर चढ़ रहा था, रामु कालू कि हिम्मत बढ़ने लगी थी.
जबकि कालू चुपचाप शराब चूसाक चूसाक के पी रहा था.
रामु कालू अब भूरी के स्तनों को रागड़ने लगते है, भूरी के निप्पल टाइट हो के दर्द करने लगे थे, उसके निप्पल बार बार दोनों के सख्त हाथो से रगड़ खा रहे थे,
भूरी को सहन से बाहर हो रहा था उसकी चुत छलछला के पानी बहा रही थी.
उत्तेजना के मारे उसकी चुत फुले जा रही थी जो कि भीगे हुए पेटीकोट से साफ दिख रही थी,पेटीकोट चुत कि दरार मे घुसा हूँ था चुत दो हिस्सों मे बटी हुई ही अब कहना मुश्किल था कि पेटीकोट का वो हिस्सा चुत के पानी से गिला हो के चिपका था या पहले से ही गिला था.
कालू रस बहती चुत को एकटक देखे जा रहा था, तभी वो अपनी उत्तेजना मे सर नीचे झुका के अपनी नाक चुत के उभर के ऊपर रख देता है.
भूरी को अपनी चुत पे गरम हवा का झोका सा महुसूस होता है, ऊपर से स्तन मर्दन, रगड़ाई चालू ही थी. भूरी अब मर जाएगी यदि वो जल्दी ना उठी तो अब सहन नहीं कर पायेगी.
30 साल कि गर्मी मार ही डालेगी, उसके मन मे आता है आंखे खोल दे उठ जाये और बोल ही दे कि चोदो मुझे गांड चुत सब फाड़ दो, परन्तु कैसे कहे बरसो किस इज़्ज़तदार दाव पे थी.
परन्तु आज ये तीनो जमुरे ठान के ही बैठे थे कि रगड़ के रख देंगे.
कालू चुत को सूंघ जा रहा था, वाह क्या खुशबू है साली दारू भी फ़ैल है इसके सामने फिर गहरी सांस लेता है और अंदर तक़ तृप्त हो जाता है.
बिल्लू रामु कि नजर भी जैसे ही कालू कि सिसकारी सुन के नीचे कि और जाती है तो दोनों ही स्तन रगड़ना भूल जाते है नशा दिमाग़ मे चढ़ जाता है.
क्या उभार था चुत का, इतनी मोटी चुत.... गीले कपड़े मे साफ झलक रही थी.
अब तीनो के बर्दाश्त के बाहर कि बात हो चली थी बिल्लू हाथ आगे बढ़ा के पेटीकोट का नाड़ा एक झटके मे खोल देता है, जैसे ही पेटीकोट के नाड़े का खुलने का अहसासभूरी को होता है वो अंदर तक़ सिहर जाती है दिल का दौरा पड़ना अब लाजमी था इनती मदहोसी इतनी उत्तेजना क्या करू क्या करू? मै मर ना जाऊ?
इस उत्तेजना के मारे भूरी कि चुत पानी कि जोरदार उलटी कर देती है.
अब उठना ही होगा... भूरी मन बना ही लेती है.
परन्तु देर हो चुकी थी बिल्लू पेटीकोट को सरका चूका था घुटने तक़ लेकिन सामने जो नजारा था उसे देख के तीनो पलंग से गिर पड़ते है, धड़द्दाम्म्म..... हे भगवान ऐसी चुत इस उम्र मे ऐस मोटी फूली हुई चुत इतनी छोटी सी.चुत पे एक भी बाल का नामोनिशान नहीं था, एकदम चिकनी चुत...
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तीनो को कोई होश नहीं था नीचे पड़े पड़े लम्बी सांस ले रहे थे...
तभी नह्ह्ह्हईई कि चीख के साथ भूरी उठ बैठी है अपने दोनों हाथो से अपने स्तन और चुत को ढक लेती है बिल्कुल नंगी तीनो के सामने खड़ी थी अपने हाथो का सहारा था सिर्फ....
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उधर गांव कामगंज मे भी सिर्फ हाथो का ही सहारा था... रतीवती अपने हाथो मे डॉ. असलम का लंड पकड़े हैरानी से आगे पीछे कर रही थी उसके लिए तो आश्चर्य कि बात यही थी कि लंड इतना भयानक भी होता है, वो नजर ही नहीं हटा पा रही थी पागलो कि तरह अलट पलट के लंड देखे जा रही थी.
कभी सुघती, कभी जीभ से चाट लेती,
डॉ. असलम आंख बंद किये इस सपने जैसी हक़ीक़त का मजा ले रहे थे.
उनका हाथ रतीवती के सर के पीछे था जैसे वो कुछ बोल रहे हो.
दोनों मुँह से कुछ नहीं बोल रहे थे बस उनका बदन बोल रहा था उनकी उत्तेजना काम कर रही थी.
तभी रतीवती कमावेश उत्तेजना से भर के पूरी जीभ निकल के नीचे से ऊपर कि तरफ पूरा लंड चाट लेती है.
मदहोश कर देने वाला स्वाद महसूस होता है रतीवती हो वो अब पागल हो चुकी थी, स्थति ऐसी थी कि कोई आ भी जाता तो वो लंड ना छोड़ती.
डॉ. असलम थोड़ी सी आंखे खोलते है और देख के दंग रह जाते है कि इनका लंड पूरा गिला था रतीवती के थूक से.
अब वो भी इस नज़ारे को देखना चाहते थे नजर नीची किये रतीवती के सुन्दर होंठ से निकली लपलापति जीभ देख रहे थे जो लगातार उनका लंड ऊपर नीचे चाटी जा रही थी जैसे किसी बच्चे को सालो बात उसकी फेवरेट मिठाई मिली हो.
डॉ. असलम अपने हाँथ से रतीवती के सर के पीछे थोड़ा दबाव बढ़ाते है.
रतीवती स्वतः ही अपना सुन्दर मुँह खोल देती है और पुरे सुपडे को अपने गरम मुँह मे भर लेती है
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उसे इतना पसंद आ रहा था कि वो सुपडे को मुँह मे लिए अंदर से सुपडे के चारो तरफ जीभ चलाने लगती है
असलम का हाल बहुत बुरा था उनके मुँह से जोरदार आअह्ह्ह... हुंकार निकल जाती है जो बादल कि गरजना मे कही दब जाती है.
हुंकार सुन के रतीवती लंड मुँह मे पकडे ही ऊपर देखती है असलम तो नीचे ही देख रहे थे दोनों कि नजर टकरा जाती है ये पहला मौका था जब दोनों कि नजरें एक दूसरे से मिली थी, इस मिलन मे सिर्फ हवस थी प्यास थी.
वो प्यास जो दोनों को एक दूसरे कि आँखों मे नजर आ रही थी, असलम के लंड के आगे उनकी कुरूपता खो गई थी असली सौंदर्य उनका काला भसंड लंड ही था.
दोनों ही नजरों नजरों मे एक दूसरे को स्वस्कृति दे चुके थे, बोल चुके थे कि ये लंड तुम्हारा है रतीवती मेरी प्यास बुझाओ.

और रतीवती पूरा मुँह खोल के लंड अंदर धकेल लेती है.
आहाहाहा म.क्या आनंद था, जितनी गरम रतीवती थी उस से कही ज्यादा उसका मुँह गरम था बिल्कुल कोई भट्टी जिसमे असलम का लंड आज पिघलने का था.
ऊपर से ये मौसम कि मार.... पानी के छींटे जमीन से टकरा के वापस रतीवती कि गांड और चुत पे लग रहे थे. रतीवती अपनी ऐड़ी के बल पूरी गांड फैलाये बैठी थी.
छींटे किसी छोटे छोटे तीर कि तरह चुत और गांड के छेद पे हमला कर रहे थे.
उत्तेजना से भरी रतीवती का एक हाँथ नीचे अपनी चुत के करीब पहुंच जाता है. और लकीर के बीच मौजूद दाने को सहलाने लगता है. उफ्फ्फ्फ़ .. करती रतीवती असलम के लंड को जड़तक़ मुँह मे भर लेती है उसके होंठ असलम के भारी टट्टो से टकरा जाते है, उसकी नजर टट्टो ोे पड़ती है तो दंग रह जाती है इतने बड़े टट्टे?
अब हो भी क्यों ना बरसो का माल जमा कर रखा था इन टट्टो मे डॉ. असलम ने.
रतीवती कि सांस थामती महसूस होती है तो वो अपना सर पीछे कि और खिंचती है परन्तु लंड मुँह से बाहर नहीं निकलती.
अब एक हाथ चुत पे चल रहा था, दूसरे हाथ से वो असलम के बड़े भारी टट्टो को पकड़ के जोर दार झटके से वापस लंड गले तक़ उतार लेती है,
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डॉ. असलम हौरान थे कि ऐसा भी हो सकता है कोई औरत इस कदर कामुक हो सकती है.
उन्हें क्या पता कि औरत नंगेपन पे आ जाये तो क्या नहीं करती, वो इन मामलो मे बिल्कुल अनाड़ी थे. उनको तो ये सब बर्दाश्त के बाहर लग रहा था....
वो सिर्फ एकटक रतीवती कि काम क्रीड़ा को देखे जा रहे थे,
अब रतीवती इतनी गरम हो चुकी थी कि जोर जोर से धचा धच अपनी दो ऊँगली चुत मे चला रही थी वो अब रुकना नहीं चाहती थी उसे कैसे भी स्सखलित होना था.
नीचे चुत मे चलता हाथ, ऊपर मुँह मे सटासट जाता लंड और दूसरा हाथ टट्टो को मसल रहा था.
ऐसा कारनामा ऐसी कामुक औरत नसीब वालो को ही मिलती है लेकिन जिसके नसीब मे थी वो दारू पी के लुड़का पड़ा था कमरों मे..
जिसको ऐसे खजाने कि कद्र नहीं वो खजाना कोई और लूट लेता है, जबकि यहाँ तो डॉ. असलम पे खुद रतीवती अपना यौवन का खजाना लूटा रही थी... जी भर के लूटा रही थी.
अब लंड पूरी रफ़्तार से मुँह मे जा रहा था, डॉ. असलम ने अपने दोनों हांथो से रतीवती का सर पकड़ के अपने लंड पे धकेल जा रहे थे, रतीवती भी क्या कम थी वो भी असलम के टट्टे पकडे धचा धच मुँह जड़ तक़ मारे जा रही थी.
एक बार मे लंड गले तक अंदर जाता एक बार मे बाहर.
रतीवती का थूक से लंड लिसलिसा गया था थूक टपक टपक के स्तन के रास्ते चुत तक पहुंच रहा था जहाँ रतीवती कि उंगलियां उस थूक का फायदा उठा के फचा फच चुत मे ऊँगली मारे जा रही थी...
फच फच फच.... आअह्ह्हह्ह्ह्ह....
अब वो छड़ आ चूका था जब इस गर्मी का अंत हो, असलम और रतीवती ही इस रगड़ाई को बर्दाश्त नहीं कर पाते और एक साथ भलभला के झड़ने लगते है. रतीवती कि चुत से सफ़ेद पानी का जोरदार फाव्वारा निकल के सीधा असलम के पैर पे चोट करता है.
अह्ह्ह्ह...... मै मरी पह्की बार रतीवती के मुँह से शब्द फूटे थे.
असलम भी गर्मी बर्दास्त नहीं कर पाता पीच पीच पीछाक के साथ पहली धार वो रतीवती के मुँह के अंदर ही मार देता है परन्तु रतीवती के स्सखालन कि वजह से वो धम्म से गांड के बल बैठ जाती है... असलम कि पिचकारी एक के बाद एक रतीवती का बदन भिगोने लगती है..
रतीवती ने अभी भी असलम का लंड छोड़ा नहीं था, उसका हाथ और असलम का काला भयानक लंड वीर्य से भीगा हुआ था
20210803-152222.jpg

इतना वीर्य था कि पूरा शरीर नहा जाता है... रतीवती जैसे ही गरम वीर्य का स्पर्श अपने जलते बदन पे पति ही एक लम्बी धार अपनी चुत से छोड़ देती है रतीवती का वीर्य असलम के पैरो कोभिगो रहा था.
रतीवती आजतक ऐसा कभी नहीं झड़ी थी उसकी तो जान ही निकल गई थी वो दिवार के सहरे निढाल बैठी अपनी टांग फैलाये लम्बी लम्बी सांसे ले रही थी, वीर्य जो मुँह मे था वो गले से नीचे जा चूका था.
असलम भी ढेर हो गया था उसका तो पहली बार ही था ऊपर से ऐसी कामुक औरत के साथ जो सिर्फ लंड चूस के ही किसी कि जान लेे ले.
असलम पीछे दिवार के साहरे खड़ा हांफ रहा था.
दोनों मे से अभी भी कोई कुछ नहीं बोल रहा था बस एक दूसरे को लम्बी लम्बी सांस लिए देखे जा रहे थे.
रतीवती कि जीभ अपने होंठो के चारो तरफ चल रही थी उसे वीर्य का स्वाद पसंद आया था. सारा चाट जाना चाहती थी..
तभी जोरदार बिजली कड़कती है दोनों के जिस्म रौशनी मे नहा जाते है, रतीवती का वीर्य से भरा जिस्म और असलम का थूक से भरा लंड ऐसा नजारा अच्छो अच्छो कि जान ले लेता.
दोनों को किसी से कोई शिकायत नहीं थी, तभी कमरे से कुछ गिरने कि आवाज़ आति है. रतीवती तुरंत खुद को संभालती है और जल्दी से खड़ी हो के अपनी मस्तानी गांड हिलाती गली से बाहर अपने कमरे कि और निकल पड़ती है.
जाते जाते वो मुड़ के असलम को देख मुस्कुरा देती है जैसे धन्यवाद कह रही हो...
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असलम तो मूर्ति बना एकटक उस बला कि खूबसूरत कामुक स्त्री को जाता देखता रह जाता है.
कथा जारी है.....
Gajab ka update bhai
 

Nevil singh

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चैप्टर-1 ठाकुर कि शादी, अपडेट 2
समय रात के 9बजे
स्थान काली पहाड़ी, डाकू रंगा बिल्ला का अड्डा
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Intro
रंगा बिल्ला बचपन से ही दोस्त थे, जो काम करते साथ ही करते
बचपन से ही गलत कामों मे लग गये थे, ना जाने कितना लूटा, बलात्कार, चोरी सब किया.
दोनों ही चोदने मे एक्सपर्ट थे, हो भी क्यों ना दोनों के पास ही 10इंच का भयंकर लंड था.
खास बात भी यही थी कि जिसे भी चोदते एक साथ ही चोदते.
दोनों कि hight 6.5फ़ीट, चौड़ा सीना, मजबूत भुजाये
राक्षस से कम नहीं थे बिल्कुल भी, काम से भी राक्षस और स्वभाव से भी राक्षस
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रंगा

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यार बिल्ला बहुत दिन से कोई बड़ा हाथ नहीं मारा, कब तक ऐसे ही चिल्लर से काम चालाना पड़ेगा?
बिल्ला :- हाँ यार रंगा कोई बड़ा मुर्गा मिल ही नहीं रहा साला किस्मत ही ख़राब है.
दारू भी देसी ही पीनी पड़ रही है, एक एक पैग तो बना.
रंगा ने एक गिलास मे देसी दारू डाली और दोनों चूसकने लगे और गहरी सोच मे डूब गये

तभी एक भीनी भीनी खुसबू कमरे मे फ़ैल जाती है और मधुर मीठी आवाज़ कमरे मे गूंजती है, मालिक मालिक मै खाना ले आई
और एक खबर भी है, ऐसी खबर कि आप लोग ख़ुश हो जायेंगे
रंगा बिल्ला :- आओ हमारी रखैल आओ क्या लाइ हो?
ये है रुकसाना बैगम, कामगंज गांव मे ही रहती है
कामगंज गांव के मौलवी कि विधवा बेटी,इसका पति परवेज खान बच्चा पैदा करने से पहले ही डाकुओ के हाथ मारा गया.
देखने मे एकदम गोरी, लम्बे काले बाल, गुलाबी होंठ
पूरी अप्सरा
उम्र 24साल, hight 5.5इंच
कमर 28 कि बलखाती, स्तन 34 उछाल भरते हुए, गोल गोल कोई लचीलपन नहीं
गांड 38 कि बाहर निकली हुई चलती है तो आदमियों के लंड पानी छोड़ देते है
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रुकसाना को आया देख के रंगा बिल्ला धोती के ऊपर से ही लंड सहलाने लगे, क्या खूबसूरत थी रुखसाना देखते
ही लंड खड़ा हो जाता था.

रुकसाना :-मालिक मेरे होते हुए अपने हाथो को क्यों तकलीफ देते है, ऐसा बोल के रुकसाना दोनों के बीच मे बैठ के धोती के ऊपर से ही दोनों के लंड सहलाने लगी
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"मालिक आपकी ये रंडी आपके लिए चिकन लाइ है और खबर भी"
रंगा :- क्या खबर है छिनाल?
मालिक मेरे गांव मे रहने वाले किसान रामनिवास कि लड़की कि शादी पास के गांव ठाकुर ज़ालिम सिंह से होने वाली है.
सुना है ठाकुर मंगलवार को रामनिवास के घर शादी कि तारीख फिक्स करने आएगा.
बोलते बोलते रुकसाना ने दोनों के लंड बाहर निकल लिए और खेलने लगी.
बिल्ला :- वाह क्या खबर लाइ है मेरी रांड वाह दिल ख़ुश कर दिया, आज रात भर तुझे इनाम देंगे तुझे ऐसी खबर सुनाने के लिए.
रुकसाना के चेहरे पे वासना और शर्माहाट के मिले जुले भाव थे.
उसे आज भी याद है जब वो विधवा होके अपने मायके वापस आई थी
उसकी तो दुनिया ही लूट चुकी थी.
एक दिन रंगाबिल्ला के पीछे पुलिस लगी थी और दोनों किस्मत से मौलवी साहेब के घर घुस आये थे
यही पर पहली बार रुकसाना को देखा तो देखते ही रह गये क्या जवानी थी क्या हुस्न था रुकसाना का
दोनों डाकू अपना आपा खोचुके थे, रात भर रंगा बिल्ला ने रुकसाना को जम के चोदा.
गांड चुत सब फाड़ के रख दिया
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अगले दिन जब रुखसाना उठी तो रंगा बिल्ला जा चुके थे परन्तु रुखसाना के चेहरे पे खुशी थी
उसी वो संतुष्टि मिली थी जो आज तक कभी उसके पति से भी ना मिली
दुख भरी जिंदगी मे बाहर आ चुकी थी, सावन जम चूका था
तब से ही रुखसाना रंगा बिल्ला कि सेवा मे तत्पर थी वो उन दोनों के लंड कि दीवानी थी
उसे वो दोनों लंड दिनरात अपनी चुत और गांड मे चाहिए था.
रुखसाना :-मेरे मालिकों मै तो कब से आपके इनाम कि ही राह देख रही हूँ आज जम के चोदीये मुझे
रात भर कस कस के चोदीये
रंगा :- तेरी यही अदा तो हमें दीवाना बनाती है.
रंगा बिल्ला ने अपनी धोती अपने शरीर से अलग कर दी
अब दोनों ही पूर्णतया नंगे थे
ऐसा लगता था जैसे दो काले भसण्ड राक्षसों के बीच कोई गोरी गुलामी चमड़ी कि
परी फस गई हो
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बिल्ला :- आजा मेरी जान देख कैसे ये लंड तेरे प्यार के लिए तरस रहा है.
रुखसाना तुरंत अपने घुटनो पे झुक गई और बिल्ला के लोडे को बिना हाथ लगाए ही सूंघने लगी
उसे ये खुसबू बहुत पसन्द थी, लंड कि खुसबू उसे मदहोश करती थे
रुखसाना ने धीरे से अपना सीधा हाथ बिल्ला के टट्टो पे रख लिया और सेहलाने लगी
टट्टे थे कि टेनिस बॉल, पता नहीं कितना वीर्य भरा पडा था इन टट्टो मे
रंगा :- मुँह खोल छिनाल चूस लोडे को, दारू कि चुस्की लेते लेते रंगा दोनों को देखते हुए बोल रहा था

रुखसाना भी बड़ी अदा से बिल्ला का लंड चाट रही थी जैसे कोई कुतिया हो.
अब धीरे धीरे बड़ी मादक अदा के साथ रुखसाना ने अपनी गांड रंगा कि तरफ घुमा दी और होले होले अपनी
38 कि उछलती गांड हिलाने लगी जैसे रंगा को निमंत्रण दे रही हो
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Kadak update dost
 

Nevil singh

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Update2 contd..

ये कला रुखसाना मे रंगा बिल्ला से पहली बार सम्भोग के बाद ही उत्पन्न हुई थी वरना तो उसका पति सिर्फ लहंगा उठा के पेल
देता था सिर्फ, उसके भी लगता था कि यही सम्भोग है.
परन्तु नियति ने उसे रंगा बिल्ला से मिलवाया, रुखसाना को अहसास हुआ कि सम्भोग मे मजे लेने है तो पहले मजे देने भी होंगे.
सम्भोग का आनंद तब ही है जब बेशर्म रांड बन के चुदवाया जाये.
रंगा :- वाह मेरी रांड वाह क्या अदा है तेरी, क्या गांड है मन करता है अभी लंड पेल दू.
रुखसाना :- तो पेल दीजिये ना मालिक रोका किसने है?
रंगा :- चुप रांड मालिक से जबान लड़ाती है, तुझे तो पेलुँगा ही लेकिन अपने तरीके से
ये बोल के रंगा बिल्ला एक दूसरे को देख के हॅसने लगे
अब देखना है कि रुखसाना कैसे चुदती है? कितना दम है रंगा बिल्ला के लोडे मे?
Hasheen update
 

Nevil singh

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चैप्टर -1, ठाकुर कि शादी, अपडेट 3
इसी वक़्त काली पहाड़ी से 2km दूर एक मंदिर स्थित था

जहाँ एक तांत्रिक साधना मे लीन था और उसके सामने हाथ जोड़े ठकुराइन रूपवटी बैठी थी
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प्रतीक्षा कर रही थी कि कब तांत्रिक बाबा आंखे खोले,
तांत्रिक उलजुलूल
उम्र 50साल, काला कलूटा दुबला पतला
सम्भोग मे कोई दिलचस्पी नहीं सारा ध्यान अपनी तपस्या मे.
लंड तो 12इंच और 5 इंच मोटा है लेकिन उसका कोई उपयोग नहीं
लंड किसी सांप कि तरह लटका रहता है. तांत्रिक हमेशा नंगा ही रहता है
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रूपवाती बैठी बैठी तांत्रिक के आंख खोलने का इंतज़ार कर रही थी अचानक उसकी नजर तांत्रिक उलजुलूल के लंड मे पड़ती है
ठकुराइन दंग रह जाती है कि ऐसा भी हो सकता है किसी का
और अपनी आंखे बंद कर लेती है और अपने विचारों मे खो जाती है
हे भगवान ये कैसी नियति है तेरी नाम मेरा रूपवाती और रूप दिया ही नहीं? बद्दी काली कलूटी मोटी क्यों बनाया मुझे?
मेरा पति ज़ालिम ठाकुर जिसके पास 3इंच का लंड है कभी सुख ही नहीं दे पाया और एक ये तांत्रिक उलजुलूल है जिसके
पास इतना बड़ा लंड है लेकिन किसी काम का नहीं.
जिसको देना चाहिए उसको दिया नहीं और जिसको नहीं चाहिए उसको भर भर के दिया
हे भगवान.....!

शांत हो जाओ रूपवाती इसमें तुम्हारा दोष नहीं है नियति ने कुछ अच्छा ही लिखा है तुम्हारे लिए
रूपवाती आवाज़ सुन के चौक गई.
ये आवाज़ तांत्रिक उलजुलूल कि थी जो कि ध्यान से बाहर आ चुके थे और ठकुराइन कि मन कि बात पढ़ ली थि.
तांत्रिक :- रूपवाती ऐसा नहीं सोचते नियति ने सभी को सब सोच समझ के ही दिया है, तुम्हे सम्भोग सुख सुंदरता नहीं मिली इसका भी कोई कारण होगा?
रूपवती :- बाबा मै हिम्मत हार चुकी हूँ मेरे पति मे मुझे मेरी कुरूपता के चलते छोड़ दिया है और सुना है कि दूसरी शादी करने जा रहे है..
तांत्रिक :- चिंता मत करो बेटी ये शादी नियति का फल है.
परन्तु मेरे पास एक उपाय है जिस से तुम्हारी कया पलट हो जाएगी.
रूपवती ख़ुश हो गई "वाह ऐसा हो सकता है बाबा "
तांत्रिक :- क्यों नहीं हो सकता?बस थोड़ा मुश्किल है
रूपवती :- आप उपाय बताइये बाबा मै कुछ भी करने को तैयार हूँ?
तांत्रिक :- ऐसा है तो तुम्हे एक इच्छाधारी नाग ढूंढ़ना होगा और उसके साथ सहवास करना होगा
जब नाग तुम्हारी योनि मे स्खालित होगा तब उसकी समय तुम्हारी काया पलट हो जाएगी.
तुम अति सुन्दर गोरी हो जाओगी.
रूपवती :- लेकिन ऐसे कैसे होगा बाबा?
तांत्रिक :- उसके लिए तुम्हे मेरा आशीर्वाद लेना होगा, पूर्ण नंग अवस्था मे.
रूपवती समझ नहीं पाई कैसा आशीर्वाद?
तांत्रिक :- तुम्हे मेरा वीर्य पीना होगा? लेकिन तुम मेरे लिंग को हाथ नहीं लगा सकती
मेरे वीर्य मे है मेरी शक्ति है मेरा आशीर्वाद है



दूसरी तरफ काली पहाड़ी मे बने रंगा बिल्ला के अड्डे पे
रुखसाना का ब्लाउज उतर चूका था
दो गोलाकार मोटे मोटे सुडोल स्तन चिमनी कि रौशनी मे चमक रहे थे
रुखसाना बिल्ला का लंड पकडे चूस रही थी और किसी कुतिया कि तरह रंगा के सामने अपनी गांड हिला रही थी
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अब रंगा का सब्र जवाब दे जाता है वो तुरंत उठता है और एक जोरदार झापड़ रुखसाना कि गांड पे जड़ देता है
रंगा :- छिनाल साली गांड हिलती है, मुझे उकसाती है बहुत भारी पड़ेगा और एक चाटटाक थप्पड़ दूसरी गांड पे जड़ देता है
रुखसाना दर्द से बिलबिला उठती है लेकिन मुँह मे बिल्ला का लंड गले तक फसे होने के कारण आवाज़ नहीं निकल पाती
उतने मे रंगा रुखसाना का लहंगा पकड़ के खींच देता है
वाह क्या गांड है गोरी गोरी गांड पे थपड के दो लाल निशान
रंगा बिल्ला गांड देख के पागल हो जाते है और अपना एक एक हाथ गांड पे रख के सहलाने लगते है
वासना अपनी चरम सीमा पे थी इस कमरे मे.
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उधार 2km दूर मंदिर मे रूपवती हैरान परेशान थी कि आशीर्वाद कैसे ले
ऐसा उसने कभी किया ही नहीं था हालांकि रूपवती सम्भोग कि भूखी थी परन्तु बिना हाथ लगाए वो वीर्य कैसे पीयेगी?
वो भी तांत्रिक जिसे काम वासना मे कोई दिलचस्पी ही नहीं है.
क्या करेगी नियति अब?
रूपवती आशीर्वाद स्वरुप वीर्य पी पायेगी?
रूखसाना के साथ आज विचित्र सम्भोग होने वाला था
ये इच्छाधारी नांग कौन है?
क्या ठाकुर शादी कर पाएंगे?
बने रहिये अपने दोस्त andy pndy के साथ इस रोमांचक सफर पे.
Nice update
 
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