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Adultery ठाकुर ज़ालिम और इच्छाधारी नाग

आपका सबसे पसंदीदा चरित्र कौनसा है?

  • कामवती

  • रतिवती

  • रुखसाना

  • भूरी काकी

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andypndy

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चैप्टर -1, ठाकुर कि शादी, अपडेट -8

गांव कामगंज
ठाकुर ज़ालिम सिंह रामनिवास के घर पहुंच चुके थे, रामनिवास और गांव वालो ने बड़े धूमधाम से स्वागत किया,
रामनिवास :- धन्य भाग हमारे, आईये ठाकुर साहेब आइये.
अंदर आइये
ठाकुर और डॉ. असलम को अंदर बैठक मे बैठा दिया गया, सभी का अभिवादन का दौर चला

गाड़िवान ने सारे अनाज फल वगैरह गांव वालो कि मदद से अंदर रखवा दिए.
ठाकुर साहेब रामनिवास कि खातिरदारी से अतिप्रश्नन और प्रभावित हुए.
परन्तु इन सब मे ठाकुर साहेब कि नजरें किसी को ढूंढ रही थी, वो कामवती को देख लेना चाहते थे क्युकी जो तारीफ, जो कामवती कि सुंदरता का बखान उन्होंने सुना था उस वजह से वो अतिउत्सुक नजर आ रहे थे.
बार बार बात करते हुए पहलु बदल रहे थे.
उनकी बेचैनी को डॉ. असलम अच्छे से समझ रहे थे.
रामनिवास :- अरी भाग्यवान... अरी भाग्यवन भई जल्दी लाओ नाश्ता पानी ठाकुर साहेब दूर से आये है थके होंगे.
थोड़ी देर बाद रतिवती सजी धजी बलखाती, छनछनाती हुई हाथ मे पानी और नाश्ते कि प्लेट ले के आई.
और झुकते हुए टेबल पे रख के सभी को हाथ जोड़ के नमस्कार किया.
रामनिवास :- ठाकुर साहेब ये मेरी धर्मपत्नी है सभी तैयारी इन्होने ही कि है.
ठाकुर साहेब औपचारिक तौर पे अभिवादन करते है, और रतिवती को सुंदरता से प्रभावित होते हुए सोचते है जब माँ इतनी सुन्दर है तो बेटी कितनी सुन्दर होंगी?
रतीवती नमस्कार करती डॉ. असलम के सामने अति है तो उनका काला भद्दा रूप देख के थोड़ा चौक जाती है और चौकने से पल्लू थोड़ा खिसक जाता है, असलम इस बात को भाप जाते है और शर्मिदा होके जैसे ही नजर नीचे करने वाले होते है कि उनकी नजर रतीवती के स्तन मे बनती घाटियों मे पड़ती है.
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इतने गोरे, इतने बड़े स्तन आज टक नहीं देखे, आह्ह.... कितने कोमल दिख रहे है.
रतीवती तब तक सीधी हो चुकी थी और संभल चुकी थी.
ठाकुर साहेब :- रामनिवास ये मेरे अजीज दोस्त, सलाहकार सब यही है डॉ. असलम.
पेशे से डॉक्टर है.
रतीवती असलम को ही देखे जा रही थी कि कहाँ ठाकुर साहेब लम्बे चोडे रोबदार, कहाँ उनका दोस्त डॉ. असलम
नाटा, काला बेहद कुरूप.
थोड़ी देर इधर उधर कि बात करते हुए रतीवती कमरे से बाहर निकल जाती है.
डॉ असलम जाती हुई रतीवती कि मटकती, उछाल भरती मदमस्त गांड को घूरते रहते है.
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और सबसे नजर बचा के अपने बड़े लंड कों थोड़ा एडजस्ट करते है ताकि कोई देख ना ले.
लेकिन उन्हें पता था कि उनकी किस्मत का कि किस कदर ख़राब है, उनका रूप ही ऐसा था कि लड़की औरते डर जाती थी पास आने का तो सवाल ही नहीं था.
उनकी किस्मत मे ऐसी मटकती गांड देख के लंड हिलना ही था.
या शायद नहीं...? ये तो वक़्त बताएगा
रतीवती :- अरी नालायको कामिनीयों अभी टक मेरी बेटी को तैयार किया या नहीं? ठाकुर साहेब कब के आ गये है.

बोलते हुए कामवती के कमरे मे चल पड़ती है.
अंदर घुसते ही उसकी नजर जैसे ही अपनी बेटी पे पड़ती है दंग रह जाती है क्या सुन्दर लग रही थी कामवती एक दम अप्सरा.
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रतीवती :- हाय री मेरी बच्ची तू तो पूरी जवान हो गई है, मैंने तो कभी ध्यान दिया ही नहीं. तुझे देख के तो ठाकुर साहेब तुरंत हाँ बोल देंगे. काजल का एक टिका लगा देती है नजर ना लगे मेरी कम्मो को किसी कि.
अच्छा सुन ठाकुर साहेब के सामने नजर झुका के बात करना, जो बोले उसका जवाब हाँ ना मे देना.
ऐसा सब समझाती जा रही थी.
अब कामवती ठहरी बिल्कुल अनाड़ी अबोध हाँ हाँ मे सर हिलती रही.
अब वक़्त आ चूका था कि ठाकुर साहेब को बेचैनी का अंत हो.
रातीवती सब समझा के कामवती को ले के चल पड़ती है.
रामनिवास :- आओ कम्मो बेटी... ठाकुर साहेब ये है मेरी एकलौती बेटी
कमरे मे सन्नाटा छा जाता है, एक मस्त कर देने वाली खुशबू ठाकुर साहेब के नाथूनो से आ के टकराती है.
ठाकुर साहेब एकटक कामवती को देखते हि रह जाते है.
ऐसी काया ऐसा सुन्दर पन ऐसी अप्सरा देखि ही नहीं आज तक़.
कामवती लाल लहंगे मे बिल्कुल स्वर्ग से उरती परी लग रही थी.
सुन्दर चेहरा, बड़ी आंखे, गुलाबी होंठ, नीचे सुराहीदार गर्दन.
गर्दन से नीचे उतरते रास्ते पर दो चमकिले उभर लिए हुए पहाड़ जो कि जबरजस्ती चोली मे कैसे हुए प्रतीत होते थे.
पहाड़ो के नीचे सपाट पेट, पेट पे खुशबूदार गहरी गोल नाभि.
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वाह वाह .. ठाकुर साहेब हक्के बक्के एक टक देखे जा रहे थे.
और इधर असलम रतीवती को तिरछी आँखों से देखे जा रहा था
डॉ. असलम :- माँ बेटी दोनों ही अप्सरा है, अल्लाह ने खुल्ले हाथ से यौवन का खजाना बाटा है.
ठाकुर साहेब कि तो लॉटरी लग गई.
या अल्लाह इस बहती गंगा मे मुझे भी नहला दे.
अब असलम को क्या पता था कि अल्लाह ने उसकी दुआ कबूल कर ली है.
रामनिवास :- ठाकुर साहेब ये मेरी बेटी है कामवती, ठाकुर साहेब... ठाकुर साहेब

आप कुछ पूछना चाहे तो पूछ सकते है?
ठाकुर ज़ालिम सिंह अपनी दुनिया से लौटता है.
ठाकुर :- वो वो... मै मै... बबब... बबब... कुछ नहीं रामनिवास मुझे कुछ नहीं पूछना.
ठाकुर साहेब कामवती कि सुंदरता के आगे कांप गये थे, जो बोलना था कुछ बोल ना सके.
रामनिवास :- कैसे लगी आपको हमारी बिटिया रानी?
ठाकुर :- बहुत सुन्दर सुशील है रामनिवास हमें खुशी होंगी कि कामवती हमारी हवेली कि शोभा बढाये.
हमें ये रिश्ता मंजूर है. ठाकुर साहेब इस रिश्ते को कबूल करने मे थोड़ी भी देर नहीं करना चाहते थे.
जबकि कामवती भी ठाकुर ज़ालिम सिंह के रोबदार चेहरे से प्रभावित हुई.
अब उसे तो अपनी माँ बाप कि इच्छा से ही मतलब था उन्होंने जहाँ बोला शादी करनी ही थी सब करते है वो भी कर रही थी और कोई विशेष नहीं था कामवती के दिल मे.
बहुत भोली है हमारी कामवती.
रामनिवास और रतीवती ठाकुर का कबूलनामा सुन के उछल पड़े.
रामनिवास :- धन्यवाद ठाकुर साहेब धन्यवाद आपकी बहुत कृपा हुई हम पे
ठाकुर :- कृपा कैसे रामनिवास आपकी बेटी है ही इतनी सुन्दर कि कैसे मना करते, कामवती तो हमारी हवेली कि शान बनेगी, हमारे वंश को आगे बढ़ायेगी.
इतना सुन कर कामवती शर्मा के कमरे से बाहर चली जाती है.
रतीवती मन मे :- वाह री किस्मत मेरी बेटी बहुत किस्मत वाली है अब हमारे पास भी पैसा होगा, मेरी बेटी इतनी बड़ी हवेली जमीन जायदाद कि मालकिन बनेगी वाह.
मै खाने पिने कि तैयारी करवाती हूँ.
रतीवती भी कामवती के पीछे कमरे से बाहर चली जाती है.
रतीवती के जाने से असलम का ध्यान टूटता है तब जाके उसे मालूम पड़ता है कि यहाँ क्या हो गया है, ठाकुर साहेब ने तुरंत रिश्ता कबूल कर लिया है, कामवती को पसंद कर लिया है.
रामनिवास असलम और ठाकुर साहेब को मिठाई खिलता है.
तभी कमरे मे गांव का पंडित आता है.
और शादी कि तारीख तय होबे लगती है.
पंडित :- देखिये ठाकुर साहेब आज से 6दिन बाद मतलब कि अगले मंगलवार को बहुत शुभ मुहर्त है शादी का.
उसके बाद सब अशुभ है, उसी दिन लड़की इस घर से विदा हो जानी चाहिए एक पल के भी देर हू तो संकट आ सकता है.
रामनिवस :- पंडित ज़ी ये क्या कह रहे है आप इतनी जल्दी कैसे होगा सब?
ठाकुर :- रामनिवास आप चिंता ना करे सब मै संभल लूंगा.पंडित ज़ी शादी और विदाई मे बिल्कुल विलम्ब नहीं होगा.
सब समय पे ही होगा.
तो तय हो चूका था कि शादी अगले मंगलवार को ही होंगी.
अब खाने पिने का दौर शुरू हो चूका था,
खाना पीना कर के थोड़ा आराम कर के ठाकुर साहेब " अच्छा रामनिवास हमें चलना चाहिए शादी कि तैयारी भी करनी है "
इतना कहना था कि आसमान मे एका एक बदल गरज उठते है बिजली चमक पड़ती है.
रामनिवास :- अरे ये क्या मौसम कैसे बदल गया यकायक, ठाकुर साहेब आप से विनती है कि आज रात यही रूक जाइये.
लगता है जोरदार तूफान आने को है.
ठाकुर साहेब रुकना तो नहीं चाहते थे परन्तु ख़राब मौसम और कामवती कि लालसा मे रूकने का फैसला किया.
इधर असलम भी ख़ुश था कि रतीवती को थोड़ा और ताड़ लेगा.

उधार गांव विषरूप मे भी मौसम ने करवट बदल ली थी
भूरी काकी बड़ी से हवेली मे अकेली थी, सभी नौकर चकर जा चुके थे
शाम हो चुकी थीं, रात के वक़्त हवेली मे भूरी काकी और तीनो जमुरे ही होते थे.
बारिश होने लगी थी, तूफान जोरदार चल रहा था.
भूरी काकी पे भी इस मौसम से अछूती नहीं थी, ये भीगा भीगा मौसम उनकी पैंटी को रह रह के भिगो रहा था.

भूरी अपने कमरे मे बिस्तर पे लेती बेचैनी के साथ करवट बदल रही थी. अकेलापन और मौसम कि मार से उनका बदन जल रहा था, सुलग रहा था..
अब ये तूफान क्या गुल खिलायेगा...?
शादी तो होंगी ना?
पंडित किस संकट कि बात कर रहा था?
बने रहिये कथा जारी है
 

andypndy

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गांव कामगंज मे रामनिवास ठाकुर और डॉ. असलम के सोने कि तैयारी कर चूका था. दोनों को बाहर वाले कमरे मे सोने को बोल दिया गया था.
बाहर तूफान जोरो पे था मौसम बिल्कुल ठंडा हो चूका था, मौसम ऐसा रुमानी था कि बुड्ढ़ो के लंड भी खड़ा कर दे.
ठाकुर साहेब तो अपने आने वाले हसीन दिनों के बारे मे सोच सोच के सो गये थे.
उनके सपने मे भी कामवती ही थी जो उनका वंश बढ़ा रही थी पुरे चार लड़के पैदा किये थे कामवती ने.
लेकिन हक़ीक़त तो ये है कि चार क्या एक मच्छर भी पैदा नहीं कर सकते ठाकुर साहेब अपने 3 इंच कि लुल्ली से.
डॉ. असलम भी सोने कि कोशिश कर रहे थे लेकिन बार बार उनके जहन मे रतीवती का झुक के नमस्कार करने वालादृश्य चल रहा था,
क्या गोरे गोरे बड़े स्तन थे, कितना रस भरा था उनमे.

20210802-133711.jpg

दिन कि सभी बाते सोच सोच के असलम अपना लंड मसले जा रहे थे ऊपर से रूहानी मौसम कि मार... लंड पूरा खड़ा हो चूका था इतना कड़क कि दर्द देने लगा था.
ठाकुर साहेब बाजु मे लेटे थे तो हिला भी नहीं सकता था. अजीब दुविधा और कामोंउत्तेजना से घिरे थे डॉ असलम.
डॉ. असलम :- ऐसे तो मेरा लंड फट ही जायेगा, थोड़ा बाहर टहल लेता हूँ ध्यान हटे मेरा इन सब पे से वैसे भी में किस्मत कहाँ कि औरत का सुख मिले.
असलम निराश मन से बाहर को निकल पड़ते है.
दूसरे कमरे मे रतीवतीं रामनिवास के साथ लेटी थी,वो आज सुबह से ही गरम थी, ये आग बुड्ढे हलवाई ने लगाई थी लेकिन वो ये आज बुझाता उस से पहले ही खुद बुझ गया.
आज इस खुशी के मौके पे रामनिवास ज्यादा शराब पी आया था और रतीवती के बगल मे ओंधा पड़ा खर्राटे मार रहा था.
रतीवती :- इस हरामी को शराब पिने से ही फुर्सत नहीं है मै यहाँ मरे जा रही हूँ.
रतीवती अपना ब्लाउज उतार देती है और अपने बड़े गोरे स्तन से खेलने लगती है, उसकी आग उसे जला रही थी... अपने दोनों हाथो से अपने दोनों स्तनों को पकड़ के दबा रही थी, मसल रही थी, नोच रही थी... जैसे आज नोच के शरीर से अलग ही कर देगी.
आअह्ह्ह..... आह्हः.... निप्पल को अपनी ऊँगली से पकड़ पकड़ के खींच रही थी आज दिन मे हुए हलवाई के किस्से और बाहर होती बारिश मे गजब कि हवस पैदा कर दिया था रतीवती के कामुक जिस्म मे.
इसी मदहोशी मे वो एक बार मे ही अपनी साड़ी, पेटीकोट निकाल फेंकती है अब ये गर्मी बर्दाश्त के बाहर हो चुकी थी
अपना एक हाथ अपनी मखमली चुत पे रख देती है और जोर जोर से मसलने लगती है आअह्ह्हम.. आह्हः...
परन्तु आज मसलने रगड़ने मे वो मजा नहीं आ रहा था....उसे लंड चाहिए था जो उसकी चुत और गांड फाड़ दे.
जिस्म कि आग है ही ऐसी चीज.... ये जिस्म कि आग तो कही और भी लगी हुई थी

आगे की कहानी यहाँ पढ़े
kamukwine1blogspot.com
 
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Napster

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अब हवस का नंगा नाच होने वाला है
हवेली में भुरी काकी और रामू,बिल्लू और कालू के साथ
और इधर रतीवती के साथ डॉ असलम का
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
अगले धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

andypndy

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अब हवस का नंगा नाच होने वाला है
हवेली में भुरी काकी और रामू,बिल्लू और कालू के साथ
और इधर रतीवती के साथ डॉ असलम का
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
अगले धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
आज रात ही .. इस मानसून कि धमाकेदार चुदाई होंगी.
👍
 

Yamraaj

Put your Attitude on my Dick......
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Nice update waiting for your next
e
अपडेट 8 contd...

गांव कामगंज मे रामनिवास ठाकुर और डॉ. असलम के सोने कि तैयारी कर चूका था. दोनों को बाहर वाले कमरे मे सोने को बोल दिया गया था.
बाहर तूफान जोरो पे था मौसम बिल्कुल ठंडा हो चूका था, मौसम ऐसा रुमानी था कि बुड्ढ़ो के लंड भी खड़ा कर दे.
ठाकुर साहेब तो अपने आने वाले हसीन दिनों के बारे मे सोच सोच के सो गये थे.
उनके सपने मे भी कामवती ही थी जो उनका वंश बढ़ा रही थी पुरे चार लड़के पैदा किये थे कामवती ने.
लेकिन हक़ीक़त तो ये है कि चार क्या एक मच्छर भी पैदा नहीं कर सकते ठाकुर साहेब अपने 3 इंच कि लुल्ली से.
डॉ. असलम भी सोने कि कोशिश कर रहे थे लेकिन बार बार उनके जहन मे रतीवती का झुक के नमस्कार करने वालादृश्य चल रहा था,
क्या गोरे गोरे बड़े स्तन थे, कितना रस भरा था उनमे.

20210802-133711.jpg

दिन कि सभी बाते सोच सोच के असलम अपना लंड मसले जा रहे थे ऊपर से रूहानी मौसम कि मार... लंड पूरा खड़ा हो चूका था इतना कड़क कि दर्द देने लगा था.
ठाकुर साहेब बाजु मे लेटे थे तो हिला भी नहीं सकता था. अजीब दुविधा और कामोंउत्तेजना से घिरे थे डॉ असलम.
डॉ. असलम :- ऐसे तो मेरा लंड फट ही जायेगा, थोड़ा बाहर टहल लेता हूँ ध्यान हटे मेरा इन सब पे से वैसे भी में किस्मत कहाँ कि औरत का सुख मिले.
असलम निराश मन से बाहर को निकल पड़ते है.
दूसरे कमरे मे रतीवतीं रामनिवास के साथ लेटी थी,वो आज सुबह से ही गरम थी, ये आग बुड्ढे हलवाई ने लगाई थी लेकिन वो ये आज बुझाता उस से पहले ही खुद बुझ गया.
आज इस खुशी के मौके पे रामनिवास ज्यादा शराब पी आया था और रतीवती के बगल मे ओंधा पड़ा खर्राटे मार रहा था.
रतीवती :- इस हरामी को शराब पिने से ही फुर्सत नहीं है मै यहाँ मरे जा रही हूँ.
रतीवती अपना ब्लाउज उतार देती है और अपने बड़े गोरे स्तन से खेलने लगती है, उसकी आग उसे जला रही थी... अपने दोनों हाथो से अपने दोनों स्तनों को पकड़ के दबा रही थी, मसल रही थी, नोच रही थी... जैसे आज नोच के शरीर से अलग ही कर देगी.
आअह्ह्ह..... आह्हः.... निप्पल को अपनी ऊँगली से पकड़ पकड़ के खींच रही थी आज दिन मे हुए हलवाई के किस्से और बाहर होती बारिश मे गजब कि हवस पैदा कर दिया था रतीवती के कामुक जिस्म मे.
इसी मदहोशी मे वो एक बार मे ही अपनी साड़ी, पेटीकोट निकाल फेंकती है अब ये गर्मी बर्दाश्त के बाहर हो चुकी थी
अपना एक हाथ अपनी मखमली चुत पे रख देती है और जोर जोर से मसलने लगती है आअह्ह्हम.. आह्हः...
परन्तु आज मसलने रगड़ने मे वो मजा नहीं आ रहा था....उसे लंड चाहिए था जो उसकी चुत और गांड फाड़ दे.
जिस्म कि आग है ही ऐसी चीज.... ये जिस्म कि आग तो कही और भी लगी हुई थी

गांव विषरूप, ठाकुर कि हवेली
भूरी काकी अकेली तन्हा हवस कि आग मे तड़पे जा रही थी, बैचैनी से करवट बदल रही थी.
भले भूरी काकी कि उम्र 50 साल थी लेकिन उसे पिछले 30 सालो से किसी मर्द का अहसाह नहीं हुआ था.
वो तड़पती थी तरसती थी लेकिन शर्माहत और इज़्ज़त के कारण कुछ कर नहीं पाती थी बस कभी जब उत्तेजना ज्यादा बढ़ जाती तो बेंगन, लोकि बेलन चुत मे डाल के काम चला लेती थी.
इसी उत्तेजना मे वो अपना ब्लाउज खोल फेंकती है, दोनों बड़े और टाइट स्तन उछल के बाहरआ जाते है

जैसे ही स्तनों पे थोड़ी हवा पड़ती है, निप्पल खड़े हो के तन जाते है और सलामी देने लगते है. भूरी अपने निप्पल को पकड़ के जोर से मरोड़ देती है.
आह्हः.... आआआआहहहहह..
आज तो उतत्तेजना अपने चरम पे थी, ऐसी उत्तेजना उसने आज तक़ कभी महसूस नहीं कि.
लगता था आज मर ही जाएगी उत्तेजना से.
ऐसे रूहानी मौसम मे भी भूरी पसीने से भीगी हुई थी सांसे तेज़ तेज़ चल रही थी.
अब बर्दाश्त के बाहर था भूरी तुरंत उठती है और रसोई कि तरफ भागती है जहाँ कुछ लोकि बैंगन मिल जाये.
परन्तु हाये री फूटी किस्मत आज रसोई मे ऐसा कुछ नहीं था जिसे चुत मे डाल के प्यास बुझाई जा सके.
बाहर बगीची मे लोकि, तरोई, बैगन उगे हुए थे, लेकिन जोरदार बारिश हो रही थी कैसे जाये बाहर... क्या करे ये चुत जीने नहीं देगी.
खूब पानी छोड़े जा रही थी... भूरी पागल हुए जा रही थी.
भूरी निर्णय ले लेती है और हवेली का दरवाजा खोल अर्द्धनंग अवस्था मे ही बाहर लोकि तोड़ने निकल पड़ती है उसे कोई सुध बुध नहीं थी, थी तो सिर्फ हवस जो कि उस कि जान लेने पे उतारू थी.
हवेली के दरवाजे के बाहर बगीची थी, बगीची के आगे बरामदा था उसके आगे मुख्य दरवाजे से लग के एक झोपडी नुमा कमरा था जो कि कालू, बिल्लू और रामु का था वही रह के तीनो हवेली कि सुरक्षा करते थे.
परन्तु आज ठाकुर साहेब हवेली मे नहीं थे तो तीनो मौज मे थे कोई डांटने वाला नहीं कोई रोक टॉक नहीं.

बिल्लू :- यार एक एक बॉटल दारू और हो जाये तो ऐसे मौसम मे मजा आ जाये, साला क्या मौसम बना है आज ऊपर से ठाकुर साहेब भी नहीं है जम के पीते है, क्यों भाई लोग?
कालू, रामु भी बिल्लू कि बात से सहमत थे,
कालू :- ठीक है बिल्लू हम लोग दारू और साथ मे कुछ खाने को लाते है तू तब तक़ नजर रख हवेली पे.
ऐसा बोल के कालू रामु निकल जाते है दारू लेने.
इधर भूरी काकी हवस के उन्माद मे भागी भागी लोकि तोड़ने का रही थी, अपने स्तन को उछालती हुई, सिर्फ पेटीकोट मे ऊपर से बिल्कुल नंगी, मस्त सुडोल बड़े स्तन उछल रहे थे ऊपर नीचे
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तभी अचानक उसका पैर फिसलता है और धड़ाम से पीठ के बल गिर पड़ती है और जमीन पे जोरदार टकराती है.
आअह्ह्ह आआहहहह...... चीख के साथ बेहोश हो जाती है.


गांव कामगंज मे रामनिवास के घर पे भी हवस छाई हुई थी
रतीवती पूर्ण रूप से नंगी हो चुकी थी, बस मंगल सूत्र, माथे पे बिंदी, हाथों मे मेहंदी और मांग मे सिंदूर ही बचा था.
वो अपनी चुत रगड़े जा रही थी, पूरी चुत पानी से पच पच कर रही थी चुत से पानी निकल निकल के नीचे गांड के रास्ते होता हुआ बिस्तर को भिगो रहा था. चुत मे ऊँगली करते हुए चूडियो कि छन छानहत गूंज रही थी, ये छन छानहत माहौल मे मादकता घोल रही थी, खुद कि चूडियो का मधुर संगीत सुन के रतीवती हवस के सातवे आसमान पे पहुंच चुकी थी,उसे लंड चाहिए था किसी भी कीमत पे..
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वो अपना एक हाथ रामनिवास कि धोती पे रख उसका लंड टटोलने लगती है परन्तु लंड का कोई नामोनिशान नहीं
रतीवती उसकी धोती खोल देती है शायद कोई उम्मीद हो शायद लंड खड़ा हो जाये.
धोती हटा के देखती है तो मरा हुआ चूहा दीखता है जो अब कभी जिन्दा नहीं होगा.
रतीवती बहुत ज्यादा निराश हो जाती है, उसकी किस्मत मे ही यही था... शायद भगवान ने उसकी जिंदगी मे सम्भोग लिखा ही नहीं था.
उसकी उत्तेजना वापस से दब जाती है या यु कहिये वो अपनी इच्छा अपनी हवस को किस्मत का लेखा समझ के दबा लेती है.अपनी उत्तेजना को कम करने के लिए वो मूतना चाहती थी परन्तु बाहर बारिश हो रही थी.
रतीवती :- बाहर बारिश हो रही है, घर के पीछे ही चली जाती हूँ वैसे भी इस तूफानी बरसाती रात मे कौन जग रहा होगा, उसके कमरे से ही पीछे का रास्ता था जिसे खोल के वो नंगी ही मूतने निकल पड़ती है.
क्युकी बाहर तो कौन होगा.
क्या कोई होगा?
 
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