चैप्टर -1, ठाकुर कि शादी, अपडेट -8
गांव कामगंज
ठाकुर ज़ालिम सिंह रामनिवास के घर पहुंच चुके थे, रामनिवास और गांव वालो ने बड़े धूमधाम से स्वागत किया,
रामनिवास :- धन्य भाग हमारे, आईये ठाकुर साहेब आइये.
अंदर आइये
ठाकुर और डॉ. असलम को अंदर बैठक मे बैठा दिया गया, सभी का अभिवादन का दौर चला
गाड़िवान ने सारे अनाज फल वगैरह गांव वालो कि मदद से अंदर रखवा दिए.
ठाकुर साहेब रामनिवास कि खातिरदारी से अतिप्रश्नन और प्रभावित हुए.
परन्तु इन सब मे ठाकुर साहेब कि नजरें किसी को ढूंढ रही थी, वो कामवती को देख लेना चाहते थे क्युकी जो तारीफ, जो कामवती कि सुंदरता का बखान उन्होंने सुना था उस वजह से वो अतिउत्सुक नजर आ रहे थे.
बार बार बात करते हुए पहलु बदल रहे थे.
उनकी बेचैनी को डॉ. असलम अच्छे से समझ रहे थे.
रामनिवास :- अरी भाग्यवान... अरी भाग्यवन भई जल्दी लाओ नाश्ता पानी ठाकुर साहेब दूर से आये है थके होंगे.
थोड़ी देर बाद रतिवती सजी धजी बलखाती, छनछनाती हुई हाथ मे पानी और नाश्ते कि प्लेट ले के आई.
और झुकते हुए टेबल पे रख के सभी को हाथ जोड़ के नमस्कार किया.
रामनिवास :- ठाकुर साहेब ये मेरी धर्मपत्नी है सभी तैयारी इन्होने ही कि है.
ठाकुर साहेब औपचारिक तौर पे अभिवादन करते है, और रतिवती को सुंदरता से प्रभावित होते हुए सोचते है जब माँ इतनी सुन्दर है तो बेटी कितनी सुन्दर होंगी?
रतीवती नमस्कार करती डॉ. असलम के सामने अति है तो उनका काला भद्दा रूप देख के थोड़ा चौक जाती है और चौकने से पल्लू थोड़ा खिसक जाता है, असलम इस बात को भाप जाते है और शर्मिदा होके जैसे ही नजर नीचे करने वाले होते है कि उनकी नजर रतीवती के स्तन मे बनती घाटियों मे पड़ती है.
इतने गोरे, इतने बड़े स्तन आज टक नहीं देखे, आह्ह.... कितने कोमल दिख रहे है.
रतीवती तब तक सीधी हो चुकी थी और संभल चुकी थी.
ठाकुर साहेब :- रामनिवास ये मेरे अजीज दोस्त, सलाहकार सब यही है डॉ. असलम.
पेशे से डॉक्टर है.
रतीवती असलम को ही देखे जा रही थी कि कहाँ ठाकुर साहेब लम्बे चोडे रोबदार, कहाँ उनका दोस्त डॉ. असलम
नाटा, काला बेहद कुरूप.
थोड़ी देर इधर उधर कि बात करते हुए रतीवती कमरे से बाहर निकल जाती है.
डॉ असलम जाती हुई रतीवती कि मटकती, उछाल भरती मदमस्त गांड को घूरते रहते है.
और सबसे नजर बचा के अपने बड़े लंड कों थोड़ा एडजस्ट करते है ताकि कोई देख ना ले.
लेकिन उन्हें पता था कि उनकी किस्मत का कि किस कदर ख़राब है, उनका रूप ही ऐसा था कि लड़की औरते डर जाती थी पास आने का तो सवाल ही नहीं था.
उनकी किस्मत मे ऐसी मटकती गांड देख के लंड हिलना ही था.
या शायद नहीं...? ये तो वक़्त बताएगा
रतीवती :- अरी नालायको कामिनीयों अभी टक मेरी बेटी को तैयार किया या नहीं? ठाकुर साहेब कब के आ गये है.
बोलते हुए कामवती के कमरे मे चल पड़ती है.
अंदर घुसते ही उसकी नजर जैसे ही अपनी बेटी पे पड़ती है दंग रह जाती है क्या सुन्दर लग रही थी कामवती एक दम अप्सरा.
रतीवती :- हाय री मेरी बच्ची तू तो पूरी जवान हो गई है, मैंने तो कभी ध्यान दिया ही नहीं. तुझे देख के तो ठाकुर साहेब तुरंत हाँ बोल देंगे. काजल का एक टिका लगा देती है नजर ना लगे मेरी कम्मो को किसी कि.
अच्छा सुन ठाकुर साहेब के सामने नजर झुका के बात करना, जो बोले उसका जवाब हाँ ना मे देना.
ऐसा सब समझाती जा रही थी.
अब कामवती ठहरी बिल्कुल अनाड़ी अबोध हाँ हाँ मे सर हिलती रही.
अब वक़्त आ चूका था कि ठाकुर साहेब को बेचैनी का अंत हो.
रातीवती सब समझा के कामवती को ले के चल पड़ती है.
रामनिवास :- आओ कम्मो बेटी... ठाकुर साहेब ये है मेरी एकलौती बेटी
कमरे मे सन्नाटा छा जाता है, एक मस्त कर देने वाली खुशबू ठाकुर साहेब के नाथूनो से आ के टकराती है.
ठाकुर साहेब एकटक कामवती को देखते हि रह जाते है.
ऐसी काया ऐसा सुन्दर पन ऐसी अप्सरा देखि ही नहीं आज तक़.
कामवती लाल लहंगे मे बिल्कुल स्वर्ग से उरती परी लग रही थी.
सुन्दर चेहरा, बड़ी आंखे, गुलाबी होंठ, नीचे सुराहीदार गर्दन.
गर्दन से नीचे उतरते रास्ते पर दो चमकिले उभर लिए हुए पहाड़ जो कि जबरजस्ती चोली मे कैसे हुए प्रतीत होते थे.
पहाड़ो के नीचे सपाट पेट, पेट पे खुशबूदार गहरी गोल नाभि.
वाह वाह .. ठाकुर साहेब हक्के बक्के एक टक देखे जा रहे थे.
और इधर असलम रतीवती को तिरछी आँखों से देखे जा रहा था
डॉ. असलम :- माँ बेटी दोनों ही अप्सरा है, अल्लाह ने खुल्ले हाथ से यौवन का खजाना बाटा है.
ठाकुर साहेब कि तो लॉटरी लग गई.
या अल्लाह इस बहती गंगा मे मुझे भी नहला दे.
अब असलम को क्या पता था कि अल्लाह ने उसकी दुआ कबूल कर ली है.
रामनिवास :- ठाकुर साहेब ये मेरी बेटी है कामवती, ठाकुर साहेब... ठाकुर साहेब
आप कुछ पूछना चाहे तो पूछ सकते है?
ठाकुर ज़ालिम सिंह अपनी दुनिया से लौटता है.
ठाकुर :- वो वो... मै मै... बबब... बबब... कुछ नहीं रामनिवास मुझे कुछ नहीं पूछना.
ठाकुर साहेब कामवती कि सुंदरता के आगे कांप गये थे, जो बोलना था कुछ बोल ना सके.
रामनिवास :- कैसे लगी आपको हमारी बिटिया रानी?
ठाकुर :- बहुत सुन्दर सुशील है रामनिवास हमें खुशी होंगी कि कामवती हमारी हवेली कि शोभा बढाये.
हमें ये रिश्ता मंजूर है. ठाकुर साहेब इस रिश्ते को कबूल करने मे थोड़ी भी देर नहीं करना चाहते थे.
जबकि कामवती भी ठाकुर ज़ालिम सिंह के रोबदार चेहरे से प्रभावित हुई.
अब उसे तो अपनी माँ बाप कि इच्छा से ही मतलब था उन्होंने जहाँ बोला शादी करनी ही थी सब करते है वो भी कर रही थी और कोई विशेष नहीं था कामवती के दिल मे.
बहुत भोली है हमारी कामवती.
रामनिवास और रतीवती ठाकुर का कबूलनामा सुन के उछल पड़े.
रामनिवास :- धन्यवाद ठाकुर साहेब धन्यवाद आपकी बहुत कृपा हुई हम पे
ठाकुर :- कृपा कैसे रामनिवास आपकी बेटी है ही इतनी सुन्दर कि कैसे मना करते, कामवती तो हमारी हवेली कि शान बनेगी, हमारे वंश को आगे बढ़ायेगी.
इतना सुन कर कामवती शर्मा के कमरे से बाहर चली जाती है.
रतीवती मन मे :- वाह री किस्मत मेरी बेटी बहुत किस्मत वाली है अब हमारे पास भी पैसा होगा, मेरी बेटी इतनी बड़ी हवेली जमीन जायदाद कि मालकिन बनेगी वाह.
मै खाने पिने कि तैयारी करवाती हूँ.
रतीवती भी कामवती के पीछे कमरे से बाहर चली जाती है.
रतीवती के जाने से असलम का ध्यान टूटता है तब जाके उसे मालूम पड़ता है कि यहाँ क्या हो गया है, ठाकुर साहेब ने तुरंत रिश्ता कबूल कर लिया है, कामवती को पसंद कर लिया है.
रामनिवास असलम और ठाकुर साहेब को मिठाई खिलता है.
तभी कमरे मे गांव का पंडित आता है.
और शादी कि तारीख तय होबे लगती है.
पंडित :- देखिये ठाकुर साहेब आज से 6दिन बाद मतलब कि अगले मंगलवार को बहुत शुभ मुहर्त है शादी का.
उसके बाद सब अशुभ है, उसी दिन लड़की इस घर से विदा हो जानी चाहिए एक पल के भी देर हू तो संकट आ सकता है.
रामनिवस :- पंडित ज़ी ये क्या कह रहे है आप इतनी जल्दी कैसे होगा सब?
ठाकुर :- रामनिवास आप चिंता ना करे सब मै संभल लूंगा.पंडित ज़ी शादी और विदाई मे बिल्कुल विलम्ब नहीं होगा.
सब समय पे ही होगा.
तो तय हो चूका था कि शादी अगले मंगलवार को ही होंगी.
अब खाने पिने का दौर शुरू हो चूका था,
खाना पीना कर के थोड़ा आराम कर के ठाकुर साहेब " अच्छा रामनिवास हमें चलना चाहिए शादी कि तैयारी भी करनी है "
इतना कहना था कि आसमान मे एका एक बदल गरज उठते है बिजली चमक पड़ती है.
रामनिवास :- अरे ये क्या मौसम कैसे बदल गया यकायक, ठाकुर साहेब आप से विनती है कि आज रात यही रूक जाइये.
लगता है जोरदार तूफान आने को है.
ठाकुर साहेब रुकना तो नहीं चाहते थे परन्तु ख़राब मौसम और कामवती कि लालसा मे रूकने का फैसला किया.
इधर असलम भी ख़ुश था कि रतीवती को थोड़ा और ताड़ लेगा.
उधार गांव विषरूप मे भी मौसम ने करवट बदल ली थी
भूरी काकी बड़ी से हवेली मे अकेली थी, सभी नौकर चकर जा चुके थे
शाम हो चुकी थीं, रात के वक़्त हवेली मे भूरी काकी और तीनो जमुरे ही होते थे.
बारिश होने लगी थी, तूफान जोरदार चल रहा था.
भूरी काकी पे भी इस मौसम से अछूती नहीं थी, ये भीगा भीगा मौसम उनकी पैंटी को रह रह के भिगो रहा था.
भूरी अपने कमरे मे बिस्तर पे लेती बेचैनी के साथ करवट बदल रही थी. अकेलापन और मौसम कि मार से उनका बदन जल रहा था, सुलग रहा था..
अब ये तूफान क्या गुल खिलायेगा...?
शादी तो होंगी ना?
पंडित किस संकट कि बात कर रहा था?
बने रहिये कथा जारी है