sunoanuj
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Nice update.lage raho, update dete raho.“बड़ी चाची”
भाग – 1
जी तो मैं सूरत से अहमदाबाद शिफ़्ट हो गया, वैसे तो में अहमदाबाद में चाचा चाची के यहाँ रह चुका हूँ इसीलिए मुझे कोई परेशानी नहीं हुई। मैं मेडिकल कॉलेज में पहले दिन गया और देखा तो बहुत सी अच्छी लड़कियां थी, जैसे में कोई फैशन कॉलेज में आ गया हूं। बहोत अच्छा लगा। फिर में शाम को घर आया तो चाची कहीं बाहर गयी थी। मैं अपने रूम में गया और अपने लैपटॉप पर ब्लू फिल्म्स देखने लगा। थोड़ी देर के बाद जब डोर बेल बजी तो मैंने डरवाजा खोला तो चाची आई थी। आते ही उन्होंने मेरे पहले दिन के बारे में पूछा। जी में यह बता दून की मेरे चाची का कोई बेटा नहीं था, एक बेटी थी वह भी मैरिड थी, जिन्हे में कोमल दीदी कहता था अब घर में मैं और चाचा चाची ही रहते है। चाची को में कई बार में अपने ड्रीम्स में फैंटसी कर चुका हूँ लेकिन कभी उससे आगे बढ्ने की हिम्मत नहीं हुई, क्यूँकि वह मुझे अपने बेटे जैसा मानती थी और हमेशा रेशु बेटा ही कह कर पुकारती थी। जहाँ तक मुझे पता है उनके मन में मेरे बारे में शायद कोई गन्दा ख्याल नहीं होगा। तक़रीबन एक महीना बीत गया था, की एक दिन में अपने रूम में एक दम नंगा हो कर मूठ मार रहा था और ब्लू फिल्म देख रहा था की मुझे तभी खयाल आया की में तो खिड़की के सामने खड़ा हू और मैंने नोटिस किया की सामने वाली आंटी मुझे देख रही हे।
मेरे तो पसीने छूट गए क्यूँकि में पहली बार ऐसा काम करते हुए पक़डा गया था, ऐसे टाइम पर डर सभी को लगता हे। मैंने फटाक से खिड़की बंद की और अपने रूम मे छुप कर बैठ गया। शाम को आंटी घर आई उन्होंने मुझे पुकारा पर मैंने उनके सामने जाना ठीक नहीं संमझा क्यूँकि वो आंटी मेरी चाची को अच्छे से जानती थी। लेट जब 9 बजे चाचा घर लौटे तो में अपने रूम से बाहर निकला और फ़टाफ़ट उनके साथ डिनर निपटा के वापस अपने रूम में चला गया और जा के सोचने लगा की उस आंटी ने चाची को कुछ बताया भी की नहीं पर में कुछ नहीं समझा दूसरे दिन भी में लेट उठा, बाहर देखा तो कोई नही था मैं नहा धो कर कॉलेज के लिए निकल गया। जैसे ही मैंने घर लॉक किया तो देखा की वो आंटी मेरे सामने थी और अपना बरामदा साफ़ कर रही थी लेकिन मुझे देख कर वह अपने घर में चलि गयी और धडाम से डरवाजा बंद कर दिया।
शाम को में घर लौटा तो भी सब नार्मल था मुझे यकीन हो गया की उस आंटी को बस गुस्सा आया है पर उन्होंने मेरी चाची को कुछ नहीं बताया। चाची भी नार्मल थी और चाचा भी। मैं अब बिन्दास था,ऐसे ही दो दिन निकल गये, मैं अपने काम में मस्त था लेकिन अब ध्यान रखने लगा था की कोई मुझे पकड़ न ले।
फिर उस दिन शाम को चाचा का कॉल आया की वह सर्जरी में हे उन्हें इसी वजह से लेट हो जायेगा तो चाची ने मुझे डिनर के लिये बुलाया और में डिनर टेबल पर आ गया और किचन में उनकी हेल्प करने लगा और मैंने सारा खाना डायनिंग टेबल पर सजा दिया।
चाची आज खुश लग रही थी और में भी की में बच गया। हम खाना खाने लगे और बातें करने लगे,
चाची : "खाना कैसा बना हे, रेशु"?
मे : "बहुत अच्छा, आपके हाथ से कभी खाना बुरा बनता ही नहीं...!
चाची:"अच्छा, तो फिर एक रोटी और लो"।
मे: "नहीं चाची अभी पेट भर चुका है।
चाची: "अच्छा, रेशु एक बात तो बताओ..
मे: "हाँ चाची..?
चाची: "तुममे अक्कल हे की नहीं?
मे: "क्यों चाची.. मैंने क्या किया?
चाची:"तुम पडोस वाली आंटी के सामने क्या कर रहे थे?
मैन तो चौंक ही गया..कुछ समझ में नहीं आ रहा था क्या बोलू और क्या करू। मैंने इतने में सोच लिया की चाची से बहाना करने में कोई फायदा नहीं वह मुझसे ज्यादा होशियर है तो पकड़ ही लेगी तो मैंने अपनी गर्दन शर्म से निचे झुका ली, मुझे पता था की अब वह कुछ नहीं कहेगी क्यूँकि मैं परिवार में एक ही लड़का था और वह भी मुझे बेटे जैसा मानती थी। मैं शर्म से नीचे देख रहा था और कोई जवाब देने की कोशिश नहीं की।
“अरे बोलते क्यों नहीं”.. “तुम नहीं जानते की तुमने क्या किया?या फिर में बताऊ की तुम ने क्या
किया?”
मैं: सॉरी चाची अब आगे से ऐसा नहीं करूंगा।
चाची: “देखो रेशु, मुझे पता है की तुम जवान हो गए हो और यह सब लड़के करते ही हे, लेकिन हमारी आज सोसाइटी में कुछ इज्जत है, तुम ऐसे करोगे तो फिर हम सबको जवाब कैसे दे पायेंगे”?
मैं- “आए एम सॉरी चाची लेकिन में वो ..
चाची:“अच्छा.. ठीक है, सामने वाली आंटी मेरी अच्छी दोस्त हे, इसीलिए उसने सिर्फ मुझसे बात कि, सोचो अगर तुम्हारे अंकल को इस बात का पता चल गया हो तो"!
मैं: “चाची अब आगे से नहीं करुँगा..
चाची:“फिर से झूठ, ऐसे कहो के आगे से खिड़की और दरवाजा बंद करके करोगे, क्यूँकि मुझे पता हे की तुम आखिर मर्द हो. समझे...?
मैं-“जी चाची..
पहले वो खाना निपटा के उठी और सब प्लेट्स डायनिंग टेबल से किचन में रखने लगी, मैं भी उनका हाथ बटाने लगा और जब सब ख़त्म हो गया तब मैंने आंटी से कहा.
मैं-“चाची. एक बात पुछू?”
चाची-”हाँ रेशु”
मैं-“चाची आप मुझसे नाराज़ तो नहीं है ना..
चाची-“अम्म थोड़ी सी डिस्टर्ब तो हुई थी, लेकिन नाराज़ नहीं हू”
मैं- “थैंक्स, चाची”
पहले में चाची से जोर से गले लग गया और उन्हें कस के जैसे अपने में समेट ही लिया, यह मेरा पहली बार था जब में किसी औरत के गले लगा था मैंने अपने हाथ आंटी के पीछे शॉल्डर से लेकर चाची की हिप्स तक फेरने लगा. आंटी अब मुझे शायद समझ रही थी, वह भी मुझसे मानो एकदम टाइट सटी हुई थी. फिर उन्हें समझ आया और वह मुझसे दूर हो गयी ओर उन्होंने मुझे देखा और आँखें मुझसे न मिलाकर वो अपने काम में लग गयी और मुझसे कहा की जाओ तुम जा कर सो जाओ.मै वहॉ से अपने रूम में चला गया. लेकिन मैं अपनी चाची को फैंटेसी कर रहा था और मुझे लगा की वह बाहर जा रही हैं तो मैं भी उनके पीछे पीछे चल निकला और दरवाजे की आड़ से मैंने देखा की वह उस आंटी से बात कर रही हे. मैं उनकी बातें सुनने लगा...
वह आंटी पूछ रही थी, की क्या तूने अपने भतीजे से बात की या नहीं?
तो चाची ने जवाब दिया की वह तो बिचारा डर ही गया। फिर मैंने उसे समझाया की यह सब नार्मल हे पर ध्यान रखा करो। फिर वह कुछ ठीक लगा।
फिर सामने वाली आंटी ने कहा जो भी हो पर तेरे
भतीजे का हथियार बहुत बड़ा हे, एक बार तो लगा की बस देखती रहू पर फिर अपनी इज्जत का ख्याल आया और में चुप हो गयी। इस पर मेरी चाची ने कहा क्या तुम सच कह रही हो?
यह सब बातें सुनकर मुझे लगा की अब चाची भी मेरे लंड को देखने में इंटेरेस्टेड होगी तो अगर मेरा लंड वो देखले तो शायद काम बन सकता हे। फिर मैं अपने रूम में आ गया और चाची को पटाने का प्लान बनाने लगा। इतने में चाची मेरे रूम में आई और कहा,
चाची : अरे रेशु तुम अब तक क्या सोच रहे हो..?क्या तुम अब भी उस बात को लेकर परेशान हो?देखो मैंने सामनेवाली आंटी से अभी बात की हे और उन्हें संमझा दिया हे। तुम चिंता मत करो और अपनी पढाई पर फोकस करो।
मैं- थैंक्स आंटी। और फिर इस बार में आंटी से बिना पूछे ही उनके गले लग गया और पिछले बार से भी जोर से गले लगा लिया और शायद इस बार आंटी अपनी पैरों की फिंगर्स पर उंची भी हो गयी थी। मैं उन्हें सहलाने लगा था, लेकिन वह भी अब मेरे पर डाउट रख रही थी, लेकिन कुछ बोली नहीं और चुपचाप मुझसे सटी रही, मैंने अपने दोनों हाथ से उनके दोनों शोल्डर पकडे और जोर से दबाया और फिर दोनों हाथ चाची के ठीक ब्लाउज पर ले जाकर उनके ब्लाउज को दोनों हाथों से दबाया इस लिए उनके बूब्स मेरे सीने में और भी धँस गए और अब वह मुझे गौर से देखने लगी, लेकिन कुछ कहा नहीं। वह मुझे देख रही थी,लेकिन मैंने उन्हें अंनदेखा कर के अपने दोनों हाथ नीचे ले जाते हुए कमर को सहलाते हुए अपने दोनो हाथ उनके पिछवाड़े पर रख दिए पर उतने में डोरबेल बजी और आंटी को होश आया और वह फटाफ़ट निकल गयी।
Nice start Bhaiहाय आय ऍम ऋषभ शहा, में सूरत में रहता हू। मैं एक फिजिशियन डॉक्टर हू। मेरी उम्र 26 साल है।
अब में अपनी कहानी पर आता हू। यह बात तब की है जब में 20 साल का था और मेडिकल कॉलेज में पढता था। मेरे घर में मेरे परेंट्स है, पापा डॉ. सतीश शहा जो एक कैंसर सर्जन हैं और माँ भी एक जनरल डॉक्टर। उनका नाम नीता शहा है। शायद आप जानते होंगे की हर डॉक्टर अपने बच्चों को डॉक्टर ही बनाना चाहता हे, इसीलिए मैं भी मेडिकल कॉलेज में एंटर हो गया। मेरे 12वीं में थोड़े नंबर कम आये थे इसीलिए मुझे अहमदबाद जाना पडा। मेरे घर में मेरे पापा से बड़े एक चाचा हे वह अहमदाबाद में ही डॉ. हैं और मेरी चाची भी पर वह डॉक्टरी छोड़ कर सोशल एक्टिविटी में ज्यादा पार्ट लेती हैं। वह बहुत ही अच्छी हैं। मेरे चाचा का नाम प्रदीप शाह है और वह 50 साल के हैं और बहुत बिजी रहते हैं। मेरी चाची का नाम शीला शाह है। वह 42 साल की हे लेकिन 32 की लगती है।
बहोत अच्छे से उन्होंने अपने आप को फिट रक्खा हे। और थैंक्स टू फेयरनेस क्रीम्स और ब्यूटी अवरेनेस्स, अब हर अच्छे घर में बड़ी उम्र औरतें भी अपने आप को मेन्टेन करने में बिजी रहती हैं।
Nice update Bhai“बड़ी चाची”
भाग – 1
जी तो मैं सूरत से अहमदाबाद शिफ़्ट हो गया, वैसे तो में अहमदाबाद में चाचा चाची के यहाँ रह चुका हूँ इसीलिए मुझे कोई परेशानी नहीं हुई। मैं मेडिकल कॉलेज में पहले दिन गया और देखा तो बहुत सी अच्छी लड़कियां थी, जैसे में कोई फैशन कॉलेज में आ गया हूं। बहोत अच्छा लगा। फिर में शाम को घर आया तो चाची कहीं बाहर गयी थी। मैं अपने रूम में गया और अपने लैपटॉप पर ब्लू फिल्म्स देखने लगा। थोड़ी देर के बाद जब डोर बेल बजी तो मैंने डरवाजा खोला तो चाची आई थी। आते ही उन्होंने मेरे पहले दिन के बारे में पूछा। जी में यह बता दून की मेरे चाची का कोई बेटा नहीं था, एक बेटी थी वह भी मैरिड थी, जिन्हे में कोमल दीदी कहता था अब घर में मैं और चाचा चाची ही रहते है। चाची को में कई बार में अपने ड्रीम्स में फैंटसी कर चुका हूँ लेकिन कभी उससे आगे बढ्ने की हिम्मत नहीं हुई, क्यूँकि वह मुझे अपने बेटे जैसा मानती थी और हमेशा रेशु बेटा ही कह कर पुकारती थी। जहाँ तक मुझे पता है उनके मन में मेरे बारे में शायद कोई गन्दा ख्याल नहीं होगा। तक़रीबन एक महीना बीत गया था, की एक दिन में अपने रूम में एक दम नंगा हो कर मूठ मार रहा था और ब्लू फिल्म देख रहा था की मुझे तभी खयाल आया की में तो खिड़की के सामने खड़ा हू और मैंने नोटिस किया की सामने वाली आंटी मुझे देख रही हे।
मेरे तो पसीने छूट गए क्यूँकि में पहली बार ऐसा काम करते हुए पक़डा गया था, ऐसे टाइम पर डर सभी को लगता हे। मैंने फटाक से खिड़की बंद की और अपने रूम मे छुप कर बैठ गया। शाम को आंटी घर आई उन्होंने मुझे पुकारा पर मैंने उनके सामने जाना ठीक नहीं संमझा क्यूँकि वो आंटी मेरी चाची को अच्छे से जानती थी। लेट जब 9 बजे चाचा घर लौटे तो में अपने रूम से बाहर निकला और फ़टाफ़ट उनके साथ डिनर निपटा के वापस अपने रूम में चला गया और जा के सोचने लगा की उस आंटी ने चाची को कुछ बताया भी की नहीं पर में कुछ नहीं समझा दूसरे दिन भी में लेट उठा, बाहर देखा तो कोई नही था मैं नहा धो कर कॉलेज के लिए निकल गया। जैसे ही मैंने घर लॉक किया तो देखा की वो आंटी मेरे सामने थी और अपना बरामदा साफ़ कर रही थी लेकिन मुझे देख कर वह अपने घर में चलि गयी और धडाम से डरवाजा बंद कर दिया।
शाम को में घर लौटा तो भी सब नार्मल था मुझे यकीन हो गया की उस आंटी को बस गुस्सा आया है पर उन्होंने मेरी चाची को कुछ नहीं बताया। चाची भी नार्मल थी और चाचा भी। मैं अब बिन्दास था,ऐसे ही दो दिन निकल गये, मैं अपने काम में मस्त था लेकिन अब ध्यान रखने लगा था की कोई मुझे पकड़ न ले।
फिर उस दिन शाम को चाचा का कॉल आया की वह सर्जरी में हे उन्हें इसी वजह से लेट हो जायेगा तो चाची ने मुझे डिनर के लिये बुलाया और में डिनर टेबल पर आ गया और किचन में उनकी हेल्प करने लगा और मैंने सारा खाना डायनिंग टेबल पर सजा दिया।
चाची आज खुश लग रही थी और में भी की में बच गया। हम खाना खाने लगे और बातें करने लगे,
चाची : "खाना कैसा बना हे, रेशु"?
मे : "बहुत अच्छा, आपके हाथ से कभी खाना बुरा बनता ही नहीं...!
चाची:"अच्छा, तो फिर एक रोटी और लो"।
मे: "नहीं चाची अभी पेट भर चुका है।
चाची: "अच्छा, रेशु एक बात तो बताओ..
मे: "हाँ चाची..?
चाची: "तुममे अक्कल हे की नहीं?
मे: "क्यों चाची.. मैंने क्या किया?
चाची:"तुम पडोस वाली आंटी के सामने क्या कर रहे थे?
मैन तो चौंक ही गया..कुछ समझ में नहीं आ रहा था क्या बोलू और क्या करू। मैंने इतने में सोच लिया की चाची से बहाना करने में कोई फायदा नहीं वह मुझसे ज्यादा होशियर है तो पकड़ ही लेगी तो मैंने अपनी गर्दन शर्म से निचे झुका ली, मुझे पता था की अब वह कुछ नहीं कहेगी क्यूँकि मैं परिवार में एक ही लड़का था और वह भी मुझे बेटे जैसा मानती थी। मैं शर्म से नीचे देख रहा था और कोई जवाब देने की कोशिश नहीं की।
“अरे बोलते क्यों नहीं”.. “तुम नहीं जानते की तुमने क्या किया?या फिर में बताऊ की तुम ने क्या
किया?”
मैं: सॉरी चाची अब आगे से ऐसा नहीं करूंगा।
चाची: “देखो रेशु, मुझे पता है की तुम जवान हो गए हो और यह सब लड़के करते ही हे, लेकिन हमारी आज सोसाइटी में कुछ इज्जत है, तुम ऐसे करोगे तो फिर हम सबको जवाब कैसे दे पायेंगे”?
मैं- “आए एम सॉरी चाची लेकिन में वो ..
चाची:“अच्छा.. ठीक है, सामने वाली आंटी मेरी अच्छी दोस्त हे, इसीलिए उसने सिर्फ मुझसे बात कि, सोचो अगर तुम्हारे अंकल को इस बात का पता चल गया हो तो"!
मैं: “चाची अब आगे से नहीं करुँगा..
चाची:“फिर से झूठ, ऐसे कहो के आगे से खिड़की और दरवाजा बंद करके करोगे, क्यूँकि मुझे पता हे की तुम आखिर मर्द हो. समझे...?
मैं-“जी चाची..
पहले वो खाना निपटा के उठी और सब प्लेट्स डायनिंग टेबल से किचन में रखने लगी, मैं भी उनका हाथ बटाने लगा और जब सब ख़त्म हो गया तब मैंने आंटी से कहा.
मैं-“चाची. एक बात पुछू?”
चाची-”हाँ रेशु”
मैं-“चाची आप मुझसे नाराज़ तो नहीं है ना..
चाची-“अम्म थोड़ी सी डिस्टर्ब तो हुई थी, लेकिन नाराज़ नहीं हू”
मैं- “थैंक्स, चाची”
पहले में चाची से जोर से गले लग गया और उन्हें कस के जैसे अपने में समेट ही लिया, यह मेरा पहली बार था जब में किसी औरत के गले लगा था मैंने अपने हाथ आंटी के पीछे शॉल्डर से लेकर चाची की हिप्स तक फेरने लगा. आंटी अब मुझे शायद समझ रही थी, वह भी मुझसे मानो एकदम टाइट सटी हुई थी. फिर उन्हें समझ आया और वह मुझसे दूर हो गयी ओर उन्होंने मुझे देखा और आँखें मुझसे न मिलाकर वो अपने काम में लग गयी और मुझसे कहा की जाओ तुम जा कर सो जाओ.मै वहॉ से अपने रूम में चला गया. लेकिन मैं अपनी चाची को फैंटेसी कर रहा था और मुझे लगा की वह बाहर जा रही हैं तो मैं भी उनके पीछे पीछे चल निकला और दरवाजे की आड़ से मैंने देखा की वह उस आंटी से बात कर रही हे. मैं उनकी बातें सुनने लगा...
वह आंटी पूछ रही थी, की क्या तूने अपने भतीजे से बात की या नहीं?
तो चाची ने जवाब दिया की वह तो बिचारा डर ही गया। फिर मैंने उसे समझाया की यह सब नार्मल हे पर ध्यान रखा करो। फिर वह कुछ ठीक लगा।
फिर सामने वाली आंटी ने कहा जो भी हो पर तेरे
भतीजे का हथियार बहुत बड़ा हे, एक बार तो लगा की बस देखती रहू पर फिर अपनी इज्जत का ख्याल आया और में चुप हो गयी। इस पर मेरी चाची ने कहा क्या तुम सच कह रही हो?
यह सब बातें सुनकर मुझे लगा की अब चाची भी मेरे लंड को देखने में इंटेरेस्टेड होगी तो अगर मेरा लंड वो देखले तो शायद काम बन सकता हे। फिर मैं अपने रूम में आ गया और चाची को पटाने का प्लान बनाने लगा। इतने में चाची मेरे रूम में आई और कहा,
चाची : अरे रेशु तुम अब तक क्या सोच रहे हो..?क्या तुम अब भी उस बात को लेकर परेशान हो?देखो मैंने सामनेवाली आंटी से अभी बात की हे और उन्हें संमझा दिया हे। तुम चिंता मत करो और अपनी पढाई पर फोकस करो।
मैं- थैंक्स आंटी। और फिर इस बार में आंटी से बिना पूछे ही उनके गले लग गया और पिछले बार से भी जोर से गले लगा लिया और शायद इस बार आंटी अपनी पैरों की फिंगर्स पर उंची भी हो गयी थी। मैं उन्हें सहलाने लगा था, लेकिन वह भी अब मेरे पर डाउट रख रही थी, लेकिन कुछ बोली नहीं और चुपचाप मुझसे सटी रही, मैंने अपने दोनों हाथ से उनके दोनों शोल्डर पकडे और जोर से दबाया और फिर दोनों हाथ चाची के ठीक ब्लाउज पर ले जाकर उनके ब्लाउज को दोनों हाथों से दबाया इस लिए उनके बूब्स मेरे सीने में और भी धँस गए और अब वह मुझे गौर से देखने लगी, लेकिन कुछ कहा नहीं। वह मुझे देख रही थी,लेकिन मैंने उन्हें अंनदेखा कर के अपने दोनों हाथ नीचे ले जाते हुए कमर को सहलाते हुए अपने दोनो हाथ उनके पिछवाड़े पर रख दिए पर उतने में डोरबेल बजी और आंटी को होश आया और वह फटाफ़ट निकल गयी।
Nice update Bhai“बड़ी चाची”
भाग – 2
अब मेरी समझ में आ गया था की चाची को सिड्यूस किया जा सकता हे। अब तक में इन्सेस्ट साहित्य में विश्वास नहीं करता था लेकिन इस घटना में मैं लगा और फिर मैंने अपना लैपटॉप निकाला और इन्सेस्ट में सिड्यूस करने वाली स्टोरीज पढना शुरू कर दिया। अब मुझे कुछ कुछ ट्रिक्स समझ में आ रही थी। अब मैं जानने लगा था की उम्र के साथ मर्द को सेक्स में कम इंट्रेस्ट होता है लेकिन औरतों को अब भी प्यास होती हे। इसलिए ज़्यादा उम्र वाली औरतेँ नौजवान लड़कों को सिड्यूस भी करती हैं।
अब मैंने सोचा की चाची को स्टोरीज के हिसाब से और अपने आइडियाज भी लगा के पटाना होगा। दूसरे दिन मैंने अपने बाथरूम में नल खोल कर उसके पाइप में एक कपडा फसा दिया और चाची के पास गया, देखा तो वह किचन में नाश्ता बना रही थी। अभी वह नहाई नहीं थी तो मैंने चाची से कहा की मेरे बाथरूम में पानी नहीं आ रहा हे, तो क्या में आपका बाथरूम यूज़ कर लूं? तो उन्होंने मुझसे कहा की जाओ लेकिन जल्दी करना मुझे भी नहाना हे। मैं बाथरूम में गया और देखा तो चाचा ने नहा लिया था और वह मंदिर के पास पूजा कर रहे थे। मैं बाथरूम में गया और चाची के कपडे खोजने लगा और मुझे उनकी ब्रा और पेन्टी मिल गयी, मैंने उन्हें हाथ में लिया और चाची को सोचते हुए मुठ मारना शुरू कर दिया, थोड़ी ही देर में मैंने अपना वीर्य उनके कपड़ों पर उडेल दिया और फिर आराम से नहा कर बाहर आ गया और चाची के नहाने की वेट करने लगा।
मैं अब चाचा के साथ डायनिंग टेबल पर था और चाची की वेट कर रहा था वह जब नहाकर बाहर आई तो उन्होंने सबसे पहले मुझे देखा और बस एक हलकी सी नज़र मिलाके शर्म से नज़रें निचे झुका ली। मैंने भी पूरे नाश्ते के दौरान थोड़ी शर्म और थोड़े डर के मारे नजरे नहीं मिलायी। फिर में चाचा के साथ ही उनकी कार में कॉलेज चला गया ताकि चाची मुझे डांट न सके। शाम को लौटते वक़्त मेरे मन में थोड़ा डर था, क्यूँकि मैंने ऐसे पहली बार किया था। मैं घर आया तो चाची घर पर नहीं थी, वह कोई सोशल काम से बाहर गयी थी। मुझे कुछ राहत मिली और में तुरंत चाची के बाथरूम में गया और देखा तो चाची की वह ब्रा और पेन्टी नहीं थी। मुझे बहुत ख़ुशी हुई और मैंने फिर से मुठ मारी और इस में थोडी देर हो गयी और में जैसे ही बाहर निकला तो चाची बाथरूम में ही जा रही थी। वह मुझे देखकर शॉक तो हो गयी पर जरा सी भी बात नहीं की और बाथरूम में चली गईं। अब मुझे पता था की वह चाहती तो हैं सेक्स करना पर थोड़ा नाटक कर रही हे।
मैंने भी उन्हें अपने हाल पर छोड़ दिया और अपने रूम में जाकर पढ़ने लगा। पढाई भी जरूरी है भाई। थोडी देर में किसीने मेरे दरवाजे पर नॉक किया।
मैं- कौन..?
चाची-अरे में हू।
मैं- चाची आप तो अंदर आइये ना...
जब चाची अंदर आई तो उन्हें देखकर में उन्हें ही देखने लगा। उन्होंने ब्लैक साडी विद ब्लैक स्लीवलेस ब्लाउज़ पहना था।
चाची: ऐसे क्या देख रहे हो?
मै अब होश में आ गया और टॉपिक चेंज करते हुए मेंने कहा,
मैं- अरे चाची आपको नॉक करने की क्या जरूरत है?
चाची-अरे बेटा नॉक करना अब जरूरी लगता है, क्या पता तुम क्या काम कर रहे हो?
मै थोड़ा सा शर्मिंदा हो गया, चाची ने मुझे ताना मारा था...
मैं- क्या चाची, आप भी मुझे शर्म फील करवा रही हैं, अब तक में सामने वाली आंटी के सामने नहीं गया हू।
चाची: तो फिर ऐसे काम ही क्यों करते हो की किसी से नज़रें भी मिला न सको?
अब मैं शर्मिंदा था, मैं बस मुँह लटका के बैठा रहा। फिर उन्हें भी समझ में आया तो वह मेरे बालों में अपने हाथ फेरने लगी और कहा की तुम अच्छे बच्चे हो पर थोड़े से शैतान हो रहे हो. फिर मैंने मौका देखकर कह दिया की “लेकिन चाची मेरी शैतानी अच्छी लगती है ना”?
तो वह मुस्कुरायी और चली गयी। अब मुझे ग्रीन सिग्नल मिल रहा था। अब मैंने चाची को सेक्स के भूखे जानवर की तरह घूरना स्टार्ट किया। मैं अब उनके बूब्स, क्लीवेज और गांड को देखता रहता था चाची को भी इस बात का पता था लेकिन वो कुछ बोलती नहीं थी क्योंकि मैं कोई हल्की हरकत नहीं करता था और वह भी सेक्स के टॉपिक के बारे में बात नहीं करना चाहती थी।
तो मैंने ऐसे 10-15 दिन उन्हें देखना शुरू किया और साथ साथ रात में उनके कमरे के बाहर से यह भी देखना स्टार्ट किया की चाचा और चाची सेक्स करते भी हे की नही। करीब 15 दिन पता लगाने के बाद मैंने देखा की दोनों की सेक्स लाइफ निल हे। तो मैंने अब थोड़ा सा पहल लेना स्टार्ट किया और अब आते जाते मेरा हाथ चाची के पिछवाड़े और साइड से बूब्स पर टकराने लगा। फिर मैंने एक दिन फेक आई डी से अपनी चाची को एक मेल किया जिसमें अपने बेटे को कैसे सिड्यूस किया जाये उसकी सब ट्रिक्स भेजी। तक़रीबन दो घंटे बाद उनका रिप्लाई आया था और पूछा था की “हु आर यू”? तो मैंने एक अच्छी सी सेडिक्टिव इन्सेस्ट स्टोरी उन्हें भेज दी। इस बात को कुछ हफ्ता बीता होगा लेकिन मुझे चाची में कोई बदलाव नहीं दिखा। फिर थोड़े ही दिनों में दिवाली आने वाली थी और मेरा वेकेशन स्टार्ट हो गया था, तो आंटी ने एक दिन कहा की “रेशु बेटा आज घर की सफाई करनी है, क्या तुम मेरा हाथ बटा दोगे”?
तो मेंने हामी भर दी.उनहोने कहा “ठीक है तो फिर अपने पुराने कपडे या फिर वेस्ट और छोटे शॉर्ट में स्टोर रूम में आ जाओ, क्यूँकि सब रूम तो ठीक है सिर्फ स्टोर रूम में से कचरा निकालना हे”। मैंने
इस मौके का फायदा उठना ठीक समझा और मैं सिर्फ शॉर्ट्स पहन कर स्टोर रूम में गया। चाची मुझे दो सेकंड के लिए देखती रही, फिर उन्होंने मुझसे कहा ठीक किया, वरना बनियान भी ख़राब हो जाती। फिर हम सफाई करने लगे। तकरीबन दो घंटे सफाई का काम चला, और मैंने गौर किया की आंटी मेरे अंडरवीयर को कई बार देखती और फिर आँखें चुरा लेती थी। फिर जब सफाई ख़त्म करके हम ड्राइंग रूम में आए तो मैं सोफ़े पर पैर फैला के बैठ गया, जिससे मेरे अंडरवीयर में से कुछ बाल और शायद मेरा लंड भी दिख रहा था चाची भी मेरे पीछे पीछे आई और मेरे अंडरवीयर को देखने लगी, फिर 3–4 सेकण्ड्स के बाद उन्होंने कहा की “रेशु तुमने अपना शॉर्ट्स क्यों उतार दिए और ऐसे अपने चाची के सामने बैठने से शर्म नहीं आती”?
तो मैंने कहा की, “अरे चाची मुझे बाद में याद आया की यह शॉर्ट्स तो मैंने पिछले हफ्ते ही ख़रीदा है और ज्यादा ख़राब हो गया तो खराब हो जाएगा इसीलिए मैंने इसे भी उतार दिया और रही दूसरी बात, आपके सामने कैसी शर्म? बचपन में आपने मुझे बहुत बार न्यूड देखा होगा ना”! तो इस पर चाची ने कहा की, “तब की बात और थी, तब तुम अच्छे बच्चे थे, लेकिन अब ऐसी हरकते करने लगे हो की पडोसी के सामने जाने से भी डर लगता है”।
मैं फिर थोडा सा शर्मिंदा हो गया और चाची के सामने से नज़रें हटाकर दूसरी तरफ देखने लगा। चाची मेरी फीलिंग्स को समझ गयी थी, इसीलिए बाद में हंस पड़ी और कहा की अरे बाबा में तो मज़ाक़ कर रही थी। फिर उन्होंने कहा,
चाची: रेशु, एक बात बताओगे?
मैं- हा, चाची..
चाची- तुमने उस दिन के बाद फिर वो किया है क्या?
मैं थोड़ा सा चौंक गया, पर मैंने कहा “नही चाची”।
तो वो बोलि, “नहीं मुझे नहीं लगता, तुम सच बताओ”।
मैं- हा, चाची दो – तीन बार किया है।
चाची “आच्छा, इसका मतलब तुमने कमसे काम 10–15 बार किया होगा,. “अच्छा एक और बात बताओ? उस दिन तुम किसे सोचकर कर रहे थे कि तुम खिड़की बंद करना भी भूल गए थे. सच बताना, मैं सच सुनना चाहती हू”।
मुझे पता चल रहा था की चाची अब अपने बारे में सुनना चाहती हे. तो मैंने कहा की, “मैं नही बताऊंगा”।
तो उन्होंने कहा की, “मैं तुम्हे नहीं डाटूंगी। तुम खुल के अपनी चाची से बातचीत करो।
मैं- नहीं चाची, आप नराज़ हो जाएगी।
चाची- नहीं में बिलकुल गुस्सा नहीं करुँगी।
मैं- चाची, मैं इस बात को यही तक रखना चाहता हू, मुझे पता हे आप इसे सुन नहीं पाएगी, इसलिए मैं आपसे नहीं कह पाऊंगा।
इतने में डोरबेल बजी और मैंने चाची से कहा की मैं शॉर्ट्स पहन कर आता हू और मै उठकर अपने रूम में चला गया और चाची दरवाजा खोलने लगी। देखा तो चाचाजी आये हुए थे, उन्होंने आते ही कहा कि, “मुझे जरा आज मुंबई जाना पड़ेगा, अपना खुद का हॉस्पिटल खोलने के लिए मेरे दोस्त ने एक कंपनी से बात करके रखी है, मैं अब शायद कल ही आउंगा”!
मैं शॉर्ट्स पहन कर आया तो चाचा ने कहा, “अरे वाह भाई आज तो तुमने काफी अच्छी मदद की अपनी चाची की, अच्छा आज में रात को नहीं आउंगा, तो घर पर ही रहना”। मैंने कहा ठीक है, और चाची के बारे में पूछा, तो उन्होंने कहा की वह किचन में खाना गरम कर रही है। मैं फिर किचन में चला गया और देखा तो चाची गैस पर कुछ गरम कर रही थी, अरे क्या मस्त उनकी बैक और गांड लग रही थी। मैं बस उन्हें देखता रहा. लेकिन पता नहीं उन्हें कैसे पता चल गया,वह फिर डबल मीनिंग में बोली, वही से क्या देख रहे हो, पास आ कर देखो। मैं हिम्मत कर के ठीक चाची के पीछे चला गया और उनसे सट कर उनके कंधे पर अपना मुँह रखा और पूछा,
मैं- क्या कर रही हो चाची?
चाची- बस खाना गर्म कर रही हू।
मै तो बस वहॉ से चाची के बूब्स की क्लीवेज देख रहा था। चाची भी यह जानती थी लेकिन कुछ बोली नही। मैं खड़ा रहा था थोड़ी देर बाद चाची ने कहा, कुछ काम नहीं है तो अपने चाचा के पास जा कर बैठ में आती हूं। मै अब सोच में पड़ गया की क्या बहाना बनाऊ, तो मैंने कहा की चाची मुझे आपसे कुछ
कहना है,
चाची- हाँ बोलो।
मैं- चाची, आप पुछ रही थी न की में किसे सोच कर वह सब कर रहा था?
चाची-“ह्म्म्म”। अब मेरा हाथ चाची के अस्स पर रक्खा था,
मैं- वोह...क्या है..
चाची- आरे बताना।
मैं- चाची, वह आप थी।
मैने हिम्मत कर के बोल दिया और चाची के रिस्पांस का इंतज़ार करने लगा.मुझे पता था की वह दिखावे के लिए गुस्सा करेंगी, पर उससे उल्टा हुआ.
चाची: रेशु....यह, बेटा यह तू क्या कह रहा है? तुझे पता भी हे? चल तू अब यहाँ से जा,तेरे चाचा सुन लेंगे, तो क्या से क्या हो जायेगा? हे भगवान इसे तो यह भी नहीं पता की कब क्या बोलना चाहिए और क्या नहीं?
मैं- आई ऍम सॉरी, चाची।
चाची- तू अभी जा ना..
मै वहां से आ कर डायनिंग टेबल पर बैठ गया और चाची के आने का इंतज़ार करने लगा। चाची आई और हम खाना खाने लगे, लेकिन चाची मुझसे बात नहीं कर रही थी. बाद में एक घँटे के बाद चाचा निकल गए और मैं उन्हें एयरपोर्ट तक छोड़ कर वापस आया। चाची अपने रूम में नहीं थी, मैंने कॉल किया तो डिसकनेक्ट कर दिया। फिर एक घंटे के बाद चाची घर आयी।
Nice update Bhai“बड़ी चाची”
भाग – 2
अब मेरी समझ में आ गया था की चाची को सिड्यूस किया जा सकता हे। अब तक में इन्सेस्ट साहित्य में विश्वास नहीं करता था लेकिन इस घटना में मैं लगा और फिर मैंने अपना लैपटॉप निकाला और इन्सेस्ट में सिड्यूस करने वाली स्टोरीज पढना शुरू कर दिया। अब मुझे कुछ कुछ ट्रिक्स समझ में आ रही थी। अब मैं जानने लगा था की उम्र के साथ मर्द को सेक्स में कम इंट्रेस्ट होता है लेकिन औरतों को अब भी प्यास होती हे। इसलिए ज़्यादा उम्र वाली औरतेँ नौजवान लड़कों को सिड्यूस भी करती हैं।
अब मैंने सोचा की चाची को स्टोरीज के हिसाब से और अपने आइडियाज भी लगा के पटाना होगा। दूसरे दिन मैंने अपने बाथरूम में नल खोल कर उसके पाइप में एक कपडा फसा दिया और चाची के पास गया, देखा तो वह किचन में नाश्ता बना रही थी। अभी वह नहाई नहीं थी तो मैंने चाची से कहा की मेरे बाथरूम में पानी नहीं आ रहा हे, तो क्या में आपका बाथरूम यूज़ कर लूं? तो उन्होंने मुझसे कहा की जाओ लेकिन जल्दी करना मुझे भी नहाना हे। मैं बाथरूम में गया और देखा तो चाचा ने नहा लिया था और वह मंदिर के पास पूजा कर रहे थे। मैं बाथरूम में गया और चाची के कपडे खोजने लगा और मुझे उनकी ब्रा और पेन्टी मिल गयी, मैंने उन्हें हाथ में लिया और चाची को सोचते हुए मुठ मारना शुरू कर दिया, थोड़ी ही देर में मैंने अपना वीर्य उनके कपड़ों पर उडेल दिया और फिर आराम से नहा कर बाहर आ गया और चाची के नहाने की वेट करने लगा।
मैं अब चाचा के साथ डायनिंग टेबल पर था और चाची की वेट कर रहा था वह जब नहाकर बाहर आई तो उन्होंने सबसे पहले मुझे देखा और बस एक हलकी सी नज़र मिलाके शर्म से नज़रें निचे झुका ली। मैंने भी पूरे नाश्ते के दौरान थोड़ी शर्म और थोड़े डर के मारे नजरे नहीं मिलायी। फिर में चाचा के साथ ही उनकी कार में कॉलेज चला गया ताकि चाची मुझे डांट न सके। शाम को लौटते वक़्त मेरे मन में थोड़ा डर था, क्यूँकि मैंने ऐसे पहली बार किया था। मैं घर आया तो चाची घर पर नहीं थी, वह कोई सोशल काम से बाहर गयी थी। मुझे कुछ राहत मिली और में तुरंत चाची के बाथरूम में गया और देखा तो चाची की वह ब्रा और पेन्टी नहीं थी। मुझे बहुत ख़ुशी हुई और मैंने फिर से मुठ मारी और इस में थोडी देर हो गयी और में जैसे ही बाहर निकला तो चाची बाथरूम में ही जा रही थी। वह मुझे देखकर शॉक तो हो गयी पर जरा सी भी बात नहीं की और बाथरूम में चली गईं। अब मुझे पता था की वह चाहती तो हैं सेक्स करना पर थोड़ा नाटक कर रही हे।
मैंने भी उन्हें अपने हाल पर छोड़ दिया और अपने रूम में जाकर पढ़ने लगा। पढाई भी जरूरी है भाई। थोडी देर में किसीने मेरे दरवाजे पर नॉक किया।
मैं- कौन..?
चाची-अरे में हू।
मैं- चाची आप तो अंदर आइये ना...
जब चाची अंदर आई तो उन्हें देखकर में उन्हें ही देखने लगा। उन्होंने ब्लैक साडी विद ब्लैक स्लीवलेस ब्लाउज़ पहना था।
चाची: ऐसे क्या देख रहे हो?
मै अब होश में आ गया और टॉपिक चेंज करते हुए मेंने कहा,
मैं- अरे चाची आपको नॉक करने की क्या जरूरत है?
चाची-अरे बेटा नॉक करना अब जरूरी लगता है, क्या पता तुम क्या काम कर रहे हो?
मै थोड़ा सा शर्मिंदा हो गया, चाची ने मुझे ताना मारा था...
मैं- क्या चाची, आप भी मुझे शर्म फील करवा रही हैं, अब तक में सामने वाली आंटी के सामने नहीं गया हू।
चाची: तो फिर ऐसे काम ही क्यों करते हो की किसी से नज़रें भी मिला न सको?
अब मैं शर्मिंदा था, मैं बस मुँह लटका के बैठा रहा। फिर उन्हें भी समझ में आया तो वह मेरे बालों में अपने हाथ फेरने लगी और कहा की तुम अच्छे बच्चे हो पर थोड़े से शैतान हो रहे हो. फिर मैंने मौका देखकर कह दिया की “लेकिन चाची मेरी शैतानी अच्छी लगती है ना”?
तो वह मुस्कुरायी और चली गयी। अब मुझे ग्रीन सिग्नल मिल रहा था। अब मैंने चाची को सेक्स के भूखे जानवर की तरह घूरना स्टार्ट किया। मैं अब उनके बूब्स, क्लीवेज और गांड को देखता रहता था चाची को भी इस बात का पता था लेकिन वो कुछ बोलती नहीं थी क्योंकि मैं कोई हल्की हरकत नहीं करता था और वह भी सेक्स के टॉपिक के बारे में बात नहीं करना चाहती थी।
तो मैंने ऐसे 10-15 दिन उन्हें देखना शुरू किया और साथ साथ रात में उनके कमरे के बाहर से यह भी देखना स्टार्ट किया की चाचा और चाची सेक्स करते भी हे की नही। करीब 15 दिन पता लगाने के बाद मैंने देखा की दोनों की सेक्स लाइफ निल हे। तो मैंने अब थोड़ा सा पहल लेना स्टार्ट किया और अब आते जाते मेरा हाथ चाची के पिछवाड़े और साइड से बूब्स पर टकराने लगा। फिर मैंने एक दिन फेक आई डी से अपनी चाची को एक मेल किया जिसमें अपने बेटे को कैसे सिड्यूस किया जाये उसकी सब ट्रिक्स भेजी। तक़रीबन दो घंटे बाद उनका रिप्लाई आया था और पूछा था की “हु आर यू”? तो मैंने एक अच्छी सी सेडिक्टिव इन्सेस्ट स्टोरी उन्हें भेज दी। इस बात को कुछ हफ्ता बीता होगा लेकिन मुझे चाची में कोई बदलाव नहीं दिखा। फिर थोड़े ही दिनों में दिवाली आने वाली थी और मेरा वेकेशन स्टार्ट हो गया था, तो आंटी ने एक दिन कहा की “रेशु बेटा आज घर की सफाई करनी है, क्या तुम मेरा हाथ बटा दोगे”?
तो मेंने हामी भर दी.उनहोने कहा “ठीक है तो फिर अपने पुराने कपडे या फिर वेस्ट और छोटे शॉर्ट में स्टोर रूम में आ जाओ, क्यूँकि सब रूम तो ठीक है सिर्फ स्टोर रूम में से कचरा निकालना हे”। मैंने
इस मौके का फायदा उठना ठीक समझा और मैं सिर्फ शॉर्ट्स पहन कर स्टोर रूम में गया। चाची मुझे दो सेकंड के लिए देखती रही, फिर उन्होंने मुझसे कहा ठीक किया, वरना बनियान भी ख़राब हो जाती। फिर हम सफाई करने लगे। तकरीबन दो घंटे सफाई का काम चला, और मैंने गौर किया की आंटी मेरे अंडरवीयर को कई बार देखती और फिर आँखें चुरा लेती थी। फिर जब सफाई ख़त्म करके हम ड्राइंग रूम में आए तो मैं सोफ़े पर पैर फैला के बैठ गया, जिससे मेरे अंडरवीयर में से कुछ बाल और शायद मेरा लंड भी दिख रहा था चाची भी मेरे पीछे पीछे आई और मेरे अंडरवीयर को देखने लगी, फिर 3–4 सेकण्ड्स के बाद उन्होंने कहा की “रेशु तुमने अपना शॉर्ट्स क्यों उतार दिए और ऐसे अपने चाची के सामने बैठने से शर्म नहीं आती”?
तो मैंने कहा की, “अरे चाची मुझे बाद में याद आया की यह शॉर्ट्स तो मैंने पिछले हफ्ते ही ख़रीदा है और ज्यादा ख़राब हो गया तो खराब हो जाएगा इसीलिए मैंने इसे भी उतार दिया और रही दूसरी बात, आपके सामने कैसी शर्म? बचपन में आपने मुझे बहुत बार न्यूड देखा होगा ना”! तो इस पर चाची ने कहा की, “तब की बात और थी, तब तुम अच्छे बच्चे थे, लेकिन अब ऐसी हरकते करने लगे हो की पडोसी के सामने जाने से भी डर लगता है”।
मैं फिर थोडा सा शर्मिंदा हो गया और चाची के सामने से नज़रें हटाकर दूसरी तरफ देखने लगा। चाची मेरी फीलिंग्स को समझ गयी थी, इसीलिए बाद में हंस पड़ी और कहा की अरे बाबा में तो मज़ाक़ कर रही थी। फिर उन्होंने कहा,
चाची: रेशु, एक बात बताओगे?
मैं- हा, चाची..
चाची- तुमने उस दिन के बाद फिर वो किया है क्या?
मैं थोड़ा सा चौंक गया, पर मैंने कहा “नही चाची”।
तो वो बोलि, “नहीं मुझे नहीं लगता, तुम सच बताओ”।
मैं- हा, चाची दो – तीन बार किया है।
चाची “आच्छा, इसका मतलब तुमने कमसे काम 10–15 बार किया होगा,. “अच्छा एक और बात बताओ? उस दिन तुम किसे सोचकर कर रहे थे कि तुम खिड़की बंद करना भी भूल गए थे. सच बताना, मैं सच सुनना चाहती हू”।
मुझे पता चल रहा था की चाची अब अपने बारे में सुनना चाहती हे. तो मैंने कहा की, “मैं नही बताऊंगा”।
तो उन्होंने कहा की, “मैं तुम्हे नहीं डाटूंगी। तुम खुल के अपनी चाची से बातचीत करो।
मैं- नहीं चाची, आप नराज़ हो जाएगी।
चाची- नहीं में बिलकुल गुस्सा नहीं करुँगी।
मैं- चाची, मैं इस बात को यही तक रखना चाहता हू, मुझे पता हे आप इसे सुन नहीं पाएगी, इसलिए मैं आपसे नहीं कह पाऊंगा।
इतने में डोरबेल बजी और मैंने चाची से कहा की मैं शॉर्ट्स पहन कर आता हू और मै उठकर अपने रूम में चला गया और चाची दरवाजा खोलने लगी। देखा तो चाचाजी आये हुए थे, उन्होंने आते ही कहा कि, “मुझे जरा आज मुंबई जाना पड़ेगा, अपना खुद का हॉस्पिटल खोलने के लिए मेरे दोस्त ने एक कंपनी से बात करके रखी है, मैं अब शायद कल ही आउंगा”!
मैं शॉर्ट्स पहन कर आया तो चाचा ने कहा, “अरे वाह भाई आज तो तुमने काफी अच्छी मदद की अपनी चाची की, अच्छा आज में रात को नहीं आउंगा, तो घर पर ही रहना”। मैंने कहा ठीक है, और चाची के बारे में पूछा, तो उन्होंने कहा की वह किचन में खाना गरम कर रही है। मैं फिर किचन में चला गया और देखा तो चाची गैस पर कुछ गरम कर रही थी, अरे क्या मस्त उनकी बैक और गांड लग रही थी। मैं बस उन्हें देखता रहा. लेकिन पता नहीं उन्हें कैसे पता चल गया,वह फिर डबल मीनिंग में बोली, वही से क्या देख रहे हो, पास आ कर देखो। मैं हिम्मत कर के ठीक चाची के पीछे चला गया और उनसे सट कर उनके कंधे पर अपना मुँह रखा और पूछा,
मैं- क्या कर रही हो चाची?
चाची- बस खाना गर्म कर रही हू।
मै तो बस वहॉ से चाची के बूब्स की क्लीवेज देख रहा था। चाची भी यह जानती थी लेकिन कुछ बोली नही। मैं खड़ा रहा था थोड़ी देर बाद चाची ने कहा, कुछ काम नहीं है तो अपने चाचा के पास जा कर बैठ में आती हूं। मै अब सोच में पड़ गया की क्या बहाना बनाऊ, तो मैंने कहा की चाची मुझे आपसे कुछ
कहना है,
चाची- हाँ बोलो।
मैं- चाची, आप पुछ रही थी न की में किसे सोच कर वह सब कर रहा था?
चाची-“ह्म्म्म”। अब मेरा हाथ चाची के अस्स पर रक्खा था,
मैं- वोह...क्या है..
चाची- आरे बताना।
मैं- चाची, वह आप थी।
मैने हिम्मत कर के बोल दिया और चाची के रिस्पांस का इंतज़ार करने लगा.मुझे पता था की वह दिखावे के लिए गुस्सा करेंगी, पर उससे उल्टा हुआ.
चाची: रेशु....यह, बेटा यह तू क्या कह रहा है? तुझे पता भी हे? चल तू अब यहाँ से जा,तेरे चाचा सुन लेंगे, तो क्या से क्या हो जायेगा? हे भगवान इसे तो यह भी नहीं पता की कब क्या बोलना चाहिए और क्या नहीं?
मैं- आई ऍम सॉरी, चाची।
चाची- तू अभी जा ना..
मै वहां से आ कर डायनिंग टेबल पर बैठ गया और चाची के आने का इंतज़ार करने लगा। चाची आई और हम खाना खाने लगे, लेकिन चाची मुझसे बात नहीं कर रही थी. बाद में एक घँटे के बाद चाचा निकल गए और मैं उन्हें एयरपोर्ट तक छोड़ कर वापस आया। चाची अपने रूम में नहीं थी, मैंने कॉल किया तो डिसकनेक्ट कर दिया। फिर एक घंटे के बाद चाची घर आयी।
Fantastic update Bhai“बड़ी चाची”
भाग – 3
मै उन्हें देखते ही उनसे जोर से गले लग गया और कहा की, “आप फ़ोन क्यों अटेंड नहीं कर रही थी? कह के तो जाना चाहिए ना”।
चाची मुझे कंसोल करते हुए कहा, “अरे बाबा में कार में थी और ट्रैफिक पुलिस मुझे ही देख रहा था की में फ़ोन हाथ में लु और वह चालान काटे। मै अब ठीक था चाची भी मुझे परेशानी में देखकर थोड़ी परेशान और थोड़ा मुस्कुरा भी रही थी। फिर मेरी जान में भी जान आयी और मैंने अपने आप को सम्भाला। मुझे लगा की चाची मेरी बात को भूल गयी हे इसीलिए में भी बाहर चला गया और एक ड़ेढ़ घंटे के बाद वापस लौटा। तब शाम के सात बाजे थे, चाची सब्जी काटते हुए टीवी देख रही थी। मैं अपने रूम में गया और फ्रेश हो कर शॉर्ट्स और वेस्ट में अपने रूम में पढाई करने लगा। तभी थोडी देर में चाची ने आवाज़ लगायी और कहा की रेशु डिनर रेडी है, आजाओ। मैं फौरन बाहर आया और चाची की हेल्प करने लगा. चाची कुछ मन में सोच रही थी, मुझसे बात नही कर रही थी। शायद वो मेरे कॉन्फेशन के इशु को फिर से स्टार्ट करना चाहती थी, पर कैसे करे वह सोच रही थी।
फिर हम खाना खाने बैठे और डिनर करने लगे। चाची
मुझसे नजरें नहीं मिला रही थी। चाची ने फ़टाफ़ट खाना निपटाया और उठने लगी की उनके मूँह से “आह” निकली तो मैंने झट से पूछा की “क्या हुआ चाची?
चाची- “कुछ नही”।
मैं- नहीं चाची, कुछ तो हुआ है।
चाची- नहीं बेटा, कुछ नही।
कहकर वो किचन में जा कर बर्तन धोने लगी। मैंने भी अपना डिनर निपटाया और किचन में जा कर फिर से पूछा लेकिन चाची ने बताया नही। तक़रीबन 8
बज रहे थे। चाची कुछ दर्द में लग रही थी। मैं ड्राइंग रूम में टीवी देखने लगा। चाची भी बर्तन धो कर मेरे पास बैठी और फिर से उनके मुँह से दर्द की आह निकली, तो मैने टीवी बंद किया और कहा की...
मैं- चाची, आप कुछ परेशानी में हो. शायद कुछ हो रहा है, आपको?
चाची कुछ नहीं बोली. मैं उन्हें ही देख रहा था, वह समझ गयी की बात जाने बिना मैं मानूँगा नहीं तो वह बोली, की में जब बाहर गया था, तब वो ग़लती से किचन में गिर गयी ओर अंदरूनी चोट आई है।
मैं- कहां चाची?
चाची ने नीचे देखा और अपनी जांघ पर हाथ रखा।
मैंने कहा की चलो चाची में तुम्हे आइंटमेंट लगा देता हू।
चाची-“नहीं बेटा, में खुद लगा देती हू।
मैं- अरे चाची, आप तो डॉक्टर हे और समझती हैं की मरीज़ अपने आप कभी अच्छे से मालिश या दवा नही लेता। चलिये आपके रूम में चलते हैं। मैं उन्हें उनके रूम में हलकी सी जबरदस्ती के साथ ले गया।
फिर मैंने पूछा,
मैं- चाची, ऑइंटमेंट कहाँ है?
चाची- अरे बाबा इस दर्द में में यह भूल ही गयी की घर में ऑइंटमेंट है ही नहीं।
मैने तुरंत आइडिया निकाला और कहा, कोई बात नहीं चाची, में फ़्रीज में से बर्फ ले कर लगा देता हूं और मैं बिना चाची की बात सुने बर्फ लेने चला गया और दो ही मिनट में बर्फ ले कर वापस आया और देखा की चाची को हलकी सी शर्म आ रही है। इसीलिए मैंने हल्का सा बनते हुए कहा की “अरे चाची तुम सोचो मत, और मुझसे क्या शरमाना आपका? आपको दर्द हो रहा हे और में आपका इलाज कर रहा हू।”
चाची- अच्छा बाबा ठीक है।
फिर वो अपने पेट के बल लेट गयी और आँखें बंद कर ली। ओह माय गोड चाची की बैक क्या मस्त लग रही थी। गोरी गोरी फिर लो कट ब्लैक ब्लाउज़ में छुपा हुआ बैक और फिर मस्त मस्त कमर और फिर.. मस्त गांड। फिर लांग लेगस, मैं ऐसे ही चाची का चक्षु चोदन करने लगा। तभी चाची ने मेरी और देखा और मैं उनके कुछ कहने से पहले ही होश में आगया और एक बर्फ का टुकड़ा अपने हाथ के पंजे में रख कर चाची की साडी ऊपर करने लगा, तो चाची ने मेरा हाथ पकड़ लिया और कहा की में खुद कर देती हूं। फिर चाची ने अपनी ब्लैक साड़ी उठानी शुरू की और उनके उठाने के अंदाज़ से लग रहा था की वो मुझे सिड्यूस करने के लिए ही यह सब कर रही हे। उन्होंने बड़े आराम से अपनी साड़ी उठायी और अपने घुटनों तक ले कर आई और फिर मेरी और देखा और उनका इशारा पाते ही मैं समझ गया की अब बर्फ लगाने की बरी आ गयी है।
मैंने हलके से बर्फ जानबूझ कर उनके घुटने के ऊपर रखा और बर्फ रखते ही वो ठण्ड से और सिडक्शन से कांप गयी। मैंने फिर बर्फ गोल गोल घुमाना शुरू किया और चाची की गांड को ही देखने लगा. थोड़ा ही टाइम हुआ था की मैंने चाची से कहा की...
मैं- चाची, आपकी साडी थोड़ी सी गीली हो रही है, अगर आप कहे तो में इसे थोड़ा उपर उठादू?
और चाची के जवाब की परवाह किये बिना मैंने साडी हाथ में ले ली और इतने में चाची ने मेरी और देखा और एक अजीब सी स्माइल के साथ उन्होंने हा में सर हिलाया और मैंने भी नॉटी सी स्माइल रिटर्न किया और थोड़ा उठाने के बजाये मैंने उनकी पूरी जांघें ओपन कर दी और साड़ी बिलकुल उनके गांड के पास रख दी.
अब मैंने जांघों को देखने के बाद मैंने दूसरे हाथ में भी
बर्फ का टुकड़ा ले लिया और दोनों जांघों पर मसाज करने लगा, बस एक दो बार ही मसाज किया ओर कहा की...
मैं- चाची, एक साइड से दूसरी और मसाज करना ठीक से आ नहीं रहा, मुझे आपके लेग्स के बीच में बैठ्ना पड़ेगा, तो क्या आप...
और मेरे सेंटेंस ख़त्म करने से पहले ही उन्होंने मेरी और देखे बिना और आँखें खोले बिना अपने दोनों पैर फिर से कामुक अंदाज़ में बड़े आराम से फैला लिये, ओह माय गॉड उनकी काली साड़ी में गोर गोरे पांव फ़ैलाने का अंदाज़ सच में क़ातिलाना था।
मेरा तो लंड अब खड़ा हो चुका था और चाची को मुझे अब इस बात का अंदाजा दिलवाना था इसीलिए में उनके पांव के बीच मे बैठ गया और अपने दोनों हाथो में बर्फ ले कर आराम से थोड़ा थोड़ा प्रेस कर के बर्फ घुमाने लगा और घूमाते घूमाते बर्फ उनकी गांड तक ले जाने लगा, जब जब मेरे हाथ उनके गांड तक जाता तो उनकी पेन्टी की स्लाइड्स मुझे महसूस हो रही थी। मैं अब अपने आपे से बाहर होता जा रहा था एक दम सेक्सी चाची और में इस सिचुएशन में। मैंने फिर बड़े आराम से अपने हाथ चाची की पेन्टी में सरकाने का ट्राय किया पर चाची की पेन्टी बहुत टाइट थी। इसीलिए हो नहीं पाया।
फिर मैंने चाची से पूछा...
मैं- चाची, आराम मिल रहा है?
चाची- हाँ बेटा आराम तो मिल रहा हे. लेकिन अब तुम रहने दो, अब में ठीक हू।
मैं- नहीं चाची,मै और मालिश कर देता हू।
चाची- नहीं रेशु, मैंने कहा ना.. की अब हो गया, में ठीक हूं।
फिर मुझे अपने आप पर गुस्सा आया की क्यों मैंने खुद ही बात छेडी, सब कुछ ठीक चल रहा था लेकिन मैं यह समझ नहीं पा रहा था की चाची को भी मज़ा आ रहा था फिर क्यूं उनहोने मुझे जाने को कहा? लेकिन मुझे और मेहनत करने पड़ेगी ऐसा सोच कर में अपने रूम मे जा कर बैठ गया. फिर शाम तक कुछ नहीं हआ अब रात के आठ बज रहे थे, और हम डिनर पर बैठे, लेकिन एक बात मेरी समझ में नहीं आ रही थी की मैंने इतना बड़ा सेंटेंस कहा की आंटी में आपको फेंटीसी करता हूँ पर आंटी ने अब तक कुछ नहीं कहा में इस बात पर बहुत हैरान था इसीलिए मैंने ही बात शुरू करना ठीक समझा...
मैं- चाची...?
चाची- हां?
मैं- चाची एक बात पूछनी हे?
चाची- किस बारे में, मैंने अब तक तुमसे फैंटेसी के बारे में पूछा नही, इस बारे मे?
मै तो शॉक ही हो गया। चाची यह देख कर हंस पडी।
चाची: अरे बेटा, इस उम्र में ऐसा बच्चे करते हे। लेकिन मुझे तुम्हारी ऑनेस्टी पसंद आई।
मैं- थैंक्स चाची लेकिन एक बात कहूंगा, आप मुझे अच्छी तरह से समझने लगी हे।
चाची- अच्छा बाबा चलो अब फिनिश करो।
ऐसे कह के चाची ने अपना डिनर फिनिश किया और उठी तो उनके मुँह से आह निकली।
मैं- क्या चाची, अब भी दर्द है?
चाची- हाँ बेटा, अभी डिनर कर के एक और बार मालिश कर देना।
मैं- ठीक है चाची, कहकर मैंने फ़टाफ़ट खाना ख़त्म किया।
इतने में चाची ने भी अपना काम फिनिश किया और मेरी और मुस्कुराई, मैं भी किचन में बर्फ लेने चला गया और बर्फ ले कर चाची के बैडरूम में दाखिल हुआ और देखा तो चाची अपने आप ही पेट के बल लेटी हुई थी। मेरे अंदर आते ही उन्होंने कहा, “रेशु, बेटा अब तक दर्द नहीं गया हे, थोड़ी हार्ड मालिश करो और दर्द और जगह भी है, तो वहॉ भी मालिश कर दो”। मैने ठीक है कहा और चाची के पाँव के पास बैठ गया और बिना पूछे चाची की साड़ी उनकी जांघों तक उठाई और चाची ने मेरे कहने से पहले ही अपने पाँव फैला लिये।
मेरा तो लंड फनफना ने लगा. मैंने बिना बर्फ के ही चाची के थाइस पर हाथ फिराया और फिर बर्फ
हाथ में ले लिया। मैं दोनों हाथों में बर्फ ले कर चाची के जांघों पर बर्फ रगड़ने लगा। चाची को मज़ा आ रहा था लेकिन चाची ने कहा “बेटा रेशु, एक और बात है की चोट मुझे कहीं और लगी है, पता नहीं कैसे कहूं, पर जो है वो है”.
मैं- चाची, बिना कोई झिझक मुझे बताइये।
चाची: मैं बता नहीं पाउँगी।
मैं- अच्छा तो मेरे हाथ वहॉ रख दीजिए जहां दर्द हो रहा है।
फिर उन्होंने अपने दोनों हाथो में मेरे हाथ लिए और अपने पेन्टी पर रख दिये। मेरा तो मन ही नाच उठा। मैंने अपने हाथो से बर्फ छोड़ कर चाची के गांड को पहले तो देखा फिर चाची की साड़ी उठा कर चाची की कमर पर रख दि। अब पूरी पेन्टी मेरे सामने थी।
मैने पहली बार किसी औरत की गांड को छुआ था मैंने अपने दोनों हाथ उनके गांड पर रखा और गोल गोल घुमाया।
मैं- चाची, अगर यहाँ पर बर्फ लगाउंगा तो आपकी यह गीली हो जाएगी, तो क्या आप..?
चाची- नही, नही... रेशु में तेरे सामने कैस, इसे उतार सकती हू?
मैं- अगर आपको शर्म आ रही हो तो में इसे उतार देता हू।
चाची- हाय हाय रेशु, तुम तो बड़े बेशर्म हो रहे हो।
मैं- चाची, में आपके भले के बारे में ही कह रहा हू।
चाची- नही..नही..
मैं- क्या नहीं चाची....नही मैं जरूर लगाउंगा आपको सुबह से दर्द हे और आप बताती भी नही है।
फिर चाची कुछ नहीं बोली, मैंने इसे चाची की इजाज़त मान ली और चाची की पेन्टी पर फिर से हाथ रखकर दोनों हाथों में दबा लिया. चाची अब बस आँखें बंद कर के लेटी रही, कुछ बोल नहीं रही थी। फिर मैंने पेन्टी के अंदर अपने हाथ डाल दिये और चाची की गांड को सहलाने लगा। चाची भी मजे ले रही थी। फिर मैं दोनों हाथों से चाची की गांड को दबाने लगा, चाची के मुँह से आह... ओह की आवाज़ निकलने लगी, मैं जानता था की यह सिसकियां हैं पर मैंने जानबूझ कर कहा,
मैं- देखा चाची, दर्द ज्यादा हो रहा है ना,,आप बस मुझे अपने तरीके से इलाज करने दीजीए।
चाची- अच्छा बाबा, तू ही अपने तरीके से कर दे, वैसे भी तू अच्छा इलाज कर रहा हे...
Mast update Bhai“बड़ी चाची”
भाग – 4
फिर मैंने चाची की पेन्टी को छोड़ा और चाची की कमर के साइड से दोनों हाथ पेन्टी में डालकर पेन्टी नीचे करने लगा। चाची ने भी हल्का सा उठ कर मेरा काम असान कर दिया, फिर मैने बड़े आराम से चाची की पेन्टी उतारी और उसे सूँघने लगा, मुझे सच में पसंद आने वाली खुशबू थी पेन्टी कि, मैंने थोड़ी देर लगायी तो चाची ने मुझे सूंघते हुए देख लिया और कहा...
चाची: अरे रेशु, यह क्या कर रहा है?
मैं- चाची, इसमें से अच्छी खुशबू आ रही है, इसलिए इसे सूँघ रहा हू, मुझे बड़ा मजा आ रहा हे।
चाची- रेशु, मेरे दर्द के बारे में सोच।
मैं- अच्छा चाची, क्या में यहाँ सूँघ सकता हूँ?
मैंने चाची की गांड की और पॉइंट करते हुए कहा चाची ने कहा, “ठीक है, पर इलाज भी साथ में”। फिर मैं चाची की गांड के पास बैठ गया और चाची की गांड को देखने और दबाने लगा, चाची की फिर से सिसकियां स्टार्ट हो गयी और फिर मैं चाची की गांड को सूँघने के बहाने चाची के ऊपर आ गया और उलटा लेट गया, जिससे अब में चाची के ऊपर था पर चाची पेट के बल लेटी थी, इसीलिए वह मेरा तना हुआ लंड महसूस कर सकती थी पर कुछ कर नहीं सकती थी। चाची की इस हालत पर मुझे मज़ा आ रहा था और मैं चाची की गांड को सूँघने के बहाने, चाची की गांड को खोलकर किस करने लगा और मेरी नाक चाची की बुर पर थी इसलिए चाची और भी मदहोश हो रही थी। चाची की चुत से रस निकलना चालू हो गया था और मेरा लंड भी काबू में नहीं था। इसीलिए मैंने चाची को हिंट देने के लिये वहा खुजाया और दो तीन बार किया तो चाची ने भी आखिर पूछ ही लिया।
चाची : क्या हो रहा हे बेटा?
मैं- कुछ नहीं चाची, बस खुजली हो रही है।
चाची- ला में देखू तो?
मैने बिना समय बर्बाद किए, नादान बनते हुए अपना लंड चाची के सामने खुला कर दिया अब चाची पीठ के बल घूम गयी और मेरी आँखों के सामने चाची की चुत थी, हल्के से बाल भी थे उसपर, पहली बार चुत देख कर मेरे से रहा नहीं गया और मेरा प्री कम निकलने लगा। उसे चाची ने देख लिया लेकिन अन्जान बनते हुए फिर से कहा की ले में इस खुजली का इलाज करती हूँ और मौका पाते ही मेरा लंड पकड़ कर अपने मुँह में रख लिया और मस्त चुसने
लगी। मैं भी समझने लगा था की चाची चुदना जरूर चाहती हे पर नादान बनकर। इसलिए मैंने चाची से कहा “चाची यहाँ पर चींटी अंदर गयी लगता है, इसीलिए पानी निकल रहा है, क्या में इसे निकाल दूँ?'
चाची- ने कहा आरे जल्दी निकाल यह भी कोई पूछने वाली बात है क्या?
मैंने भी चाची की चुत में अपनी ऊँगली डाल दी और आराम से उसे अंदर बाहर करने लगा, चाची भी मेरा लंड चुस चुस कर बरसो की प्यास बुझा रही थी। फिर मै चाची की चुत में अपनी जीभ डाल कर चूसने लगा। मेरी जीभ की नर्माहट से चाची की एक्साइटमेंट बढ़ती जा रही थी लेकिन वो खुल कर मुझे चोदने के लिए बोल नहीं रही थी।
मै यह सोच रहा था की इतने बहाने कैसे बनाऊँगा? लेकिन मैंने आईडिया निकाला और चाची के मूँह को चोदने लगा, वह भी बुरा नहीं मान रही थी। शायद चाचा ने कभी चाची के साथ माउथ-फकिंग किया नहीं होगा, यह उनके लिए पहली बार था मैंने अपनी स्पीड बढाई और चाची के गले में और अंदर, और अंदर लंड डालने लगा। चाची तो मानो पागल हो रही थी, फिर मुझे जब लगा की में अब झडने वाला हूँ तो मैंने अपना लंड बाहर निकाला और चाची के पूरे बदन पर अपना सारा माल निकल दिया. मेरे 9 इंच के लंड में से पहली बार इतना सारा माल निकला। चाची का ब्लाउज़ पूरा चिकना हो गया था फिर उन्होंने अनजान बनते हुए ग़ुस्से मे कहा 'रेशु यह क्या किया तूने पूरे कपडे गंदे कर दिए?' मैंने तुरंत चाची के कहने पर कहा की “लाओ चाची में इसे उतार देता हू, आपके हाथ गंदे हो जाएंगे”।
इस बात पर उन्होंने बनते हुए कहा की “अच्छा ठीक है, पर आगे से ऐसा मत करना”। फिर वो बैठ गई और मैंने अपने हाथ चाची के शोल्डर पर रख दिए और चाची के शोल्डर को सहलाते हुए उनके आर्मपिट से होते हुए मैंने दोनों साइड से चाची के बॉब्स पर हाथ रख दिया और सहलाने लगा। चाची बस आँखें बंद कर के मज़े ले रही थी। फिर मैंने चाची के ब्लाउज़ के हुक खोलना शुरू किया और फिर एक दो तीन और चार कर के सारे हुक खोल दिए और चाची का ब्लाउज आराम से उतार दिया। अब चाची ब्लैकब्रा और पेन्टी में थी। बाय गॉड मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया और वो चाची के कमर को छु रहा था चाची को इस बात का पता चल रहा था फिर उन्होंने मेरी और देखते हुए कहा की 'रुक क्यों गये, इसे भी उतार कितना गन्दा हो गया हे?'
मैंने तुरंत आज्ञाकारी स्टूडेंट की तरह चाची की ब्रा के हुक को पीछे से खोला और निकाल दिया। अब चाची कुछ और ही रंग में थी...
चाची-“बेटा इसको भी मसाज कर दे”, और ऐसा कहकर उन्होंने मेरे हाथ अपने हाथों में ले कर अपने बूब्स पर रखे और सहलाने लगी। वह अब सिडक्शन फील कर रही थी। मैं भी अब चाची से एक दम सट के बैठ गया और उनके बूब्स मस्त दबाने लगा। दोनों बूब्स मेरे हाथों मे मैने गोल गोल घुमाये और फिर दोनों हाथों में निप्पल्स ले कर उसे प्रेस किया। चाची के मुँह से एक “आआआह्”....निकला पर उनको मज़ा आया। फिर मैंने उन्हें लेटा दिया और उनके ऊपर चढ गया और चाची के बूब्स दबाने लगा और बिना पूछे उन्हें अपने मुँह में ले लिया और जोर – जोर से चुसने लगा। चाची के फेस पर शिकन की लकीरे देख कर में रूक गया तो चाची ने आंखेँ खोलकर कहा “अरे रूक क्यों गया और करो अच्छा लगता है”।
मैं फिर से चाची के बूब्स मसलने में लग गया फिर मैंने चाची की नाभि में अपनी ऊँगली डाली और उसे घूमाया और अंदर प्रेस भी करने लगा। थोड़ा ज्यादा जोर डालते ही चाची अपने आप को रोक नहीं पायी ओर बोल पड़ी की 'रेशु बेटा जरा धीरे करो'। फिर मैंने चाची के पेन्टी में हाथ डाला और चाची की क्लिट को मसलने लगा और थोड़ी देर ऐसा करने के बाद मैंने चाची की चुत मे उंगली डाल दी और उसे अंदर बाहर करने लगा। चाची को मस्त लग रहा था अब उनसे रहा नही गया और बोल पडी चाची “येस, रेशु बेटा, और करो, अच्छा लग रहा हे,. प्लीज फ़क मि”...चाची के मुँह से फ़क सुनने का ही इंतज़ार था फिर मैंने चाची के चुत में दो उंगलिया डाल दी और चाची मचल उठी और अंगडाई लेने लगी।
मैं चाची की नाभि को किस कर रहा था और दो ऊँगलियों से चुत मसल रहा था फिर मैंने फिर से उठकर चाची के ऊपर 69 की पोजीशन में आ गया और चाची की पेन्टी को निकाल दिया और चाची की चुत को मुँह में ले कर चुसने लगा चाची भी बिना कुछ सोचे मेरे लंड को चूसने लगी और अपने मुँह में जी भर के लंड उतारने लगी। फिर उन्होंने मेरे दोनों बॉल्स को पकड़ा और दबाया, में भी उत्तेजित हो गया और चाची की चुत में और जीभ डालने लगा चाची अब जोर से अब मॉनिंग कर रही थी। मैंने अपनी दो उंगलिया फिर से चाची की चुत में डाली और जोर – जोर से अंदर – बाहर करने लगा और अपनी जीभ से चाची को चाटने भी लगा। अब मेरे बस में नहीं था, इसीलिए मैंने चाची के दोनों पाँव फैला लिए और चाची के चुत पे अपना लंड रक्खा और धक्का मारने लगा पर लंड अंदर गया नही।
फिर चाची हंस के बोली 'बेटा चाहे जितना ब्लू फिल्म देख लो, पहली बार तो औरत से पूछना ही पडता है”। फिर उन्होंने मेरे लौड़े को अपने छेद पर रखा और अब जोर लगाने को कहा। फिर मैंने जोर लगाया और इस बार चाची की बुर मे मेरा लंड चला गया पूरा नहीं गया था पर दूसरी बार में पूरा चला गया। अब चाची ने कहा की “धीरे धीरे शुरू करना फिर अपने आप स्पीड आ जाएगी”। मैंने फिर अपना लंड चुत मे ही रहने दिया और चाची के ऊपर लेट गया और चाची के लिप्स को चुस्ने लगा। चाची भी मेरे लिप्स को चुस रही थी। फिर उन्होंने मेरी जीभ को पकड़ लिया और उसे चूसने लगी। मेरे लिये यह पहली बार था लेकिन मज़ा आया और मैं भी उनकी जीभ को चूसने लगा। वह इस किस मे मस्त थी और मैंने चोदना शुरू कर दिया था तक़रीबन पांच मिनट तक चूसने के बाद मैने चाची की जीभ को छोड़ा और अब सीधा बैठ गया और जोर जोर से चाची की बुर में धक्के लगाना शुरु कर दिया। चाची की चुत में से मस्त लिक्विड निकल रहा था जिसके साथ मेरे लौड़े के टकराने से “छपाक....छप्पाक” आवाज़ आ रही थी।
मेरी साँसे तेज़ हो रही थी और चाची भी जोर जोर से मॉनिंग कर रही थी। फिर मैंने चाची को साइड से लेटा कर चोदना शुरु किया और साथ में ही उनके बूब्स भी दबाने लगा। मेरी चुदाई और भी तेज़ हो रही थी। पूरा बिस्तर हिल रहा था पता नहीं चाची को चाचा ने ऐसे कभी चोदा भी होगा या नही। फिर साइड से होते हुए मैंने चाची को पलटा दिया और चोदना शुरू कीया था अब मैं चाची की चूत में और
जोर से धक्के लगाने लगा। वह भी जानबूझ कर जोर से वापस आती थी। तक़रीबन आधे घँटे तक मैंने चाची को बिना रुके चोदा, अब मुझे कुछ झटका सा लग रहा था मैने चाची से कहा तो उन्होंने कहा की पहली बार कर रहे हो इसीलिए पता नही, इसे ओर्गाजम कहते है, तुम अब झड़ने वाले हो, प्लीज़ और भी जोर से करो में भी क्लाइमेक्स पर
पहुँचनेवाली हू।
फिर मैंने तो जैसे चाची को जो डॉगी स्टाइल में थी मैंने उन्हें उनके पेट से पकड़ के उठा लिया और दम लगाके झटके मारने लगा। चाची भी क्लाइमेक्स के लिए जोर लगाने लगी और फिर एक दम से उनके चुत में से लिक्विड छुटा और वह शांत हो गयी और दो ही मिनट में मैंने भी चाची के अंदर ही अपना सारा वीर्य झटके से उडेल दिया. और चाची के उपर ही लेट गया। चाची पेट के बल लेटी थी, मैंने चाची के ऊपर अपना फेस रक्खा और उनके गाल को किस करने लगा, फिर उनके कान में कहा...
मैं- “थैंक्स चाची, यु आर सो नाइस”।
चाची- “रेशु, आए एम थैंकफुल टू यु, आज बहुत दिनों के बाद अपने औरत होने का एह्सास हुआ हे”।
फिर वो मेरी और पलटी और मैंने उनकी आँखों में देखा, अब उसमे एक सटिस्फैक्शन था जो की सेक्स के लिये मुझे कब से उकसा रहा था फिर मैंने उनके लिप्स पर किस करने लगा।
दूसरे दिन में देर तक नहीं उठा और जब तक़रीबन 10:30 बज चुके थे तब अचानक मैंने अपने बदन में पैन महसूस किया और में जग गया और उठा तो होश में आया तो पता चला की पेनिस में दर्द हो रहा था मैं उठा और नहाकर फ्रेश हो कर बाहर आया तब भी दर्द चालू था मुझे कुछ शक़ सा हुआ की शायद यह पिछ्ली रात के वजह से तो नही। इसीलिए में तुरंत अपनी चाची से पूछ्ने उनके रूम के लिए निकला। लेकिन वो उनके रूम में नहीं थी, मैंने पूरा घर छान मारा पर चाची मिली नही, चाचा पहले से क्लिनिक के लिए निकल चुके थे। मैं अकेला था और चाचा के बारे में सोच रहा था तक़रीबन आधे घंटे बाद चाची कहीं बाहर से आई और जैसे ही मैंने डरवाजा खोला तो वो मेरी और देखे बिना ही किचन में चल दी और अपना काम करने लगी, में भी उनके पीछे गया और कहा...
मैं-चाची???
चाची- “रेशु प्लीज में बहुत डिस्टर्ब हूँ और मुझे तुमसे अभी कोई बात नहीं करनी हे, प्लीज लीव में अलोन”।
मैं काफी टेंशन में आ गया पर चाची की सिचुएशन को समझते हुए में कॉलेज जा रहा हूँ कह कर निकल गया। फिर मैं कॉलेज में अपने जिगरी दोस्त से अपने दर्द के बारे में बताया तो उसने मुझे समझाया की ऐसे पहली बार सेक्स करते हैं तो चमड़ी छील जाने से ऐसा होता है, लेकिन फिर ठीक हो जाएगा। पूरा दिन में चाची के बारे में सोचता रहा, कहीं मन नहीं लग रहा था मैं शाम को घर आया तो मैंने चाची से बात करनी चाही पर चाची मुझे अवाइड कर रही थी। मैं फ्रेश हो कर आया तो चाची अपने रूम में थी। मैंने चाची के रूम पर दस्तक दी और दरवाजा खटखटाया।
चाची- “कौन???
मैं- “चाची में हू”।
चाची– “क्या काम है”?
मैं- “चाची प्लीज मुझे आपसे बात करनी है”।
चाची : “बाद में बात करेंगे, अभी नही”।
मैने यह सुना लेकिन मैं दरवाजा खोलकर अंदर चला गया और चाची को देखा। मुझे देखते ही चाची ने कहा की “रेशु मुझे अभी कोई बात नहीं करनी है, प्लीज मुझे अकेला छोड़ दो”।
मैं चाची के सामने बैठा और कहा...
मैं- “क्या बात हे चाची??? प्लीज मुझे बताइये..आप बहुत अपसेट लग रही हैं”।“मैं कुछ मदद कर सकता हूँ”?
चाची- “नही”।
मैं- “चाची..कल रात जो भी हुआ वो मुझे गलत नहीं लग रहा, अगर आपको कुछ गिल्टी फीलिंग हो रही हे तो मैं आपसे माफ़ी मांगता हूँ और आगे से ऐसा कुछ नहीं होगा पर एक बात कहूं”....
चाची- “क्या..”? (चाची अब भी मुझसे नज़रें नहीं मिला रही थी)
मैं- “चाची कल रात के लिए थैंक्स?? वो बहुत हसीन पल थे और में बहुत खुश हूं। आप के मन के बारे में तो नहीं पता पर अगर आप कुछ कहना चाहे तो कह सकती हैं”।
चाची-“रेशु बेटा कल जो हुआ उसमे मेरी ग़लती थी और प्लीज मुझे माफ़ कर देना मुझे बहुत गलत लग रहा है और प्लीज आगे से ऐसा कुछ नहीं होगा और तू कुछ गलत सोचना भी मत?? प्लीज अभी तुम जाओ और जो भी कल हुआ उसे भूल जाओ”।
इतना बोलते तो मेरी मनो जान ही थम गयी. फिर मैंने चाची की और देख, वो मुझे ही देख रही थी. बिलकुल एक्सप्रेशन नहीं थे उनके चेहरे पर, लेकिन मैंने उन्हें फिर से प्लीज कहा। मुझे लग रहा था की चाची मान जायेगी पर कोई विश्वास नहीं था में अपनी सोच में था की क्या होगा पर इतने में चाची उठी। मैं ठीक उनके सामने बैठा था और वो एक दम से उठकर मेरे चेहरे को हाथों में पकड़ लिया और अपने लिप्स से मेरे लिप्स को पकड़ लिया। एक सेकंड के लिए मैं कुछ संमझा नहीं पर बाद में समझा मैंने फिर चाची को बाँहों में पकड़ लिया और अपने सीने से जोर से सटा लिया। मेरे हाथ उनके बैक पर घूम रहे थे और वो मेरे लिप्स को चुसे जा रही थी। ओह गॉड वो तो मानो खो गयी थी। फिर उन्होंने मुझे बेड पर गिरा दिया और पगलों की तरह मेरे पूरे चेहरे को किस करने लगी। किस क्या वो मुझे शायद चाट रही थी। मैं तो कुछ करने के हालत में नहीं था मेरे पूरे चेहरे को चूमने के बाद फिर से वो मेरे लिप्स को चुस्ने लगी तो मैंने भी अपने ऊपर से उन्हें घुमा दिया और उनके ऊपर हो गया और में भी उनके लिप्स को किस करने लगा। अब मैंने अपनी जीभ उनके मुँह में दे दी और वो भी मेरी जीभ का स्वाद लेने लगी।
मैंने दोनों हाथ उनके गालों पर रक्खे थे। हलकी पीली रौशनी में उनके गाल एक दम सिडक्टिव लग रहे थे। फिर मैंने अपना राईट हैंड उनके गाल से हटा कर उनके गले पर घूमाते हुए स्लोली उनके शोल्डर पर ले गया और वह शोल्डर को दबाते हुए मैंने अपना हाथ उनके बूब पर ले जाने लगा। तभी चाची ने एक दम से अपने हाथ से मेरा हाथ थाम लिया और अब तक जो आँखें बंद कर के बस चुमे जा रही थी तो अब उन्होंने आँखें खोल ली और मेरी और देखने लगी। लेकिन मैं भी अब चाची को छोड़ने के मूड में नहीं था। मैंने चाची को एक आँख मार कर इशारा किया और चाची के ब्लाउज से हाथ हटा कर चाची की नाभि पर रखा और अपनी मिडिल फिंगर को उसमे अंदर करने लगा। इससे चाची काफी उत्तेजित होने लगी थी। चाची अपने पेट को ऊपर करके मुझे अपनी ऊँगली निकालने के लिए इशारा कर रही थी पर मैंने ऊँगली निकालने के बजाय ऊँगली को चाची के नाभि में गोल – गोल जोर से घुमाने लगा।
अब रफ़ बिहेवियर करने लगा जैसे में फिंगर फकिंग कर रहा हू, अब चाची से नहीं रहा जा रहा था इसीलिए उन्होंने अपने एक हाथ से मेरी ऊँगली को पकड़ लिया और न चाहते हुए भी उसे निकालने लगि। मैंने चाची के लिप्स को छोड़ा और चाची को गर्दन के आसपास चूमने लगा, चाची को अब नशा चढ़ रहा था वो बोली, “रेशु, प्लीज रूक जाओ, ऐसा मत करो..”। वो मुझे रुकने को बोल रही थी पर अपने हाथों से मेरे सर को पकड के सहला रही थी और मेरे सर को अपने बदन पर झुका रही थी। मैं समझने लगा था मैंने अब चाची के बूब्स पर फिर से हाथ रखा और आराम से गोल गोल घुमाने लगा, अब चाची के बस में कुछ नहीं था अब चाची की निप्पल्स कड़क होने लगी थी। मैंने चाची की दोनों निप्पल्स को पकड़ा और उसे पिंच किया.. फिर से छोड़ा और पिंच किया.. फिर से छोड़ा और पिंच किया। अब चाची के बस में वो खुद नहीं थी, फिर वो भी अपने बूब्स को ऊपर उठा के जैसे मुझे इनवाइट कर रही हो ऐसे इशारे करने लगी।
मैंने अब चाची के ब्लाउज़ के हुक पे अपने हाथ डाले पर चाची ने फिर से मेरे हाथो को रोक लिया पर मैंने थोड़ी आक्रामकता दिखाते हुए चाची के लिप्स पर फिर से किस करने लगा और इस दौरान मैंने चाची के ब्लाउज के बटन खोल डाले और ब्लाउज को दोनों बाजुओं के साइड कर दिया। ओह माय गॉड मैंने देखा तो चाची ने ब्लाउज के निचे कुछ नहीं पहना था ब्लाउज पर हाथ फेरते समय ऐसा लगा था पर यकीन नहीं हो रहा था और पार्टी में शिफोन साडी के ट्रांसपेरंट न देख पाने की वजह से शक़ नहीं हुआ। खैर अब चाची के बॉब्स मेरे सामने ओपन थे और मैंने अपने दोनों हाथ चाची के बॉब्स पर रख दिए और चाची आराम से बॉब्स को दबवाने लगी, जल्दी में में कुछ नहीं कर सकता था स्लोली ही चाची को सिड्यूस किया जा सकता है, यह अब में जान चुका था। चाची के बॉब्स अब कड़क होने लगे थे।
मैंने अब चाची की निप्पल्स को हाथो में ले लिया और उस पर ऊँगली और अँगूठे से थोड़ा सा प्रेशर करने लगा। चाची की और से कोई रिस्पांस ना पाया तो थोड़ा और प्रेशर से दबा दिया। चाची के मुँह से एक दम चीख निकल गयी पर लिप किस की वजह से आवाज़ नहीं हुई। लेकिन उन्होंने किस करना बंद कर दिया और मैंने चाची की आँखों में देखते हुए प्यार से सॉरी कहा और चाची मुस्कुरा दी। फिर मैं चाची के दोनों बूब्स को हाथों में पकड़ के बारी – बारी चूसने लगा। चाची अब सिसकियां भरने लगी थी। फिर मैंने अपने एक हाथ से चाची की साडी को ऊपर उठना चालू किया और चाची की जांघों तक साडी को उठा दिया और फिर अपने दोनों पैरों से चाची के दोनों पैरों को फैला लिया। चाची ने थोड़ी सी हरकत की पर मैंने आखिर में दोनों पैरों को फैला लिया और साडी जो जांघों तक थी वो अब चाची के पेन्टी तक आ गयी। मैं तक़रीबन चाची को दस मिनट तक चूसता रहा फिर मैंने चाची को पीछे से पीठ पकड़ के उठा लिया, मैं चाची के दोनों पैरों के बीच में था और चाची को उठाने की वजह से चाची अब मेरे लौडे पर बैठ गयी।
Mast update Bhai“बड़ी चाची”
भाग – 4
फिर मैंने चाची की पेन्टी को छोड़ा और चाची की कमर के साइड से दोनों हाथ पेन्टी में डालकर पेन्टी नीचे करने लगा। चाची ने भी हल्का सा उठ कर मेरा काम असान कर दिया, फिर मैने बड़े आराम से चाची की पेन्टी उतारी और उसे सूँघने लगा, मुझे सच में पसंद आने वाली खुशबू थी पेन्टी कि, मैंने थोड़ी देर लगायी तो चाची ने मुझे सूंघते हुए देख लिया और कहा...
चाची: अरे रेशु, यह क्या कर रहा है?
मैं- चाची, इसमें से अच्छी खुशबू आ रही है, इसलिए इसे सूँघ रहा हू, मुझे बड़ा मजा आ रहा हे।
चाची- रेशु, मेरे दर्द के बारे में सोच।
मैं- अच्छा चाची, क्या में यहाँ सूँघ सकता हूँ?
मैंने चाची की गांड की और पॉइंट करते हुए कहा चाची ने कहा, “ठीक है, पर इलाज भी साथ में”। फिर मैं चाची की गांड के पास बैठ गया और चाची की गांड को देखने और दबाने लगा, चाची की फिर से सिसकियां स्टार्ट हो गयी और फिर मैं चाची की गांड को सूँघने के बहाने चाची के ऊपर आ गया और उलटा लेट गया, जिससे अब में चाची के ऊपर था पर चाची पेट के बल लेटी थी, इसीलिए वह मेरा तना हुआ लंड महसूस कर सकती थी पर कुछ कर नहीं सकती थी। चाची की इस हालत पर मुझे मज़ा आ रहा था और मैं चाची की गांड को सूँघने के बहाने, चाची की गांड को खोलकर किस करने लगा और मेरी नाक चाची की बुर पर थी इसलिए चाची और भी मदहोश हो रही थी। चाची की चुत से रस निकलना चालू हो गया था और मेरा लंड भी काबू में नहीं था। इसीलिए मैंने चाची को हिंट देने के लिये वहा खुजाया और दो तीन बार किया तो चाची ने भी आखिर पूछ ही लिया।
चाची : क्या हो रहा हे बेटा?
मैं- कुछ नहीं चाची, बस खुजली हो रही है।
चाची- ला में देखू तो?
मैने बिना समय बर्बाद किए, नादान बनते हुए अपना लंड चाची के सामने खुला कर दिया अब चाची पीठ के बल घूम गयी और मेरी आँखों के सामने चाची की चुत थी, हल्के से बाल भी थे उसपर, पहली बार चुत देख कर मेरे से रहा नहीं गया और मेरा प्री कम निकलने लगा। उसे चाची ने देख लिया लेकिन अन्जान बनते हुए फिर से कहा की ले में इस खुजली का इलाज करती हूँ और मौका पाते ही मेरा लंड पकड़ कर अपने मुँह में रख लिया और मस्त चुसने
लगी। मैं भी समझने लगा था की चाची चुदना जरूर चाहती हे पर नादान बनकर। इसलिए मैंने चाची से कहा “चाची यहाँ पर चींटी अंदर गयी लगता है, इसीलिए पानी निकल रहा है, क्या में इसे निकाल दूँ?'
चाची- ने कहा आरे जल्दी निकाल यह भी कोई पूछने वाली बात है क्या?
मैंने भी चाची की चुत में अपनी ऊँगली डाल दी और आराम से उसे अंदर बाहर करने लगा, चाची भी मेरा लंड चुस चुस कर बरसो की प्यास बुझा रही थी। फिर मै चाची की चुत में अपनी जीभ डाल कर चूसने लगा। मेरी जीभ की नर्माहट से चाची की एक्साइटमेंट बढ़ती जा रही थी लेकिन वो खुल कर मुझे चोदने के लिए बोल नहीं रही थी।
मै यह सोच रहा था की इतने बहाने कैसे बनाऊँगा? लेकिन मैंने आईडिया निकाला और चाची के मूँह को चोदने लगा, वह भी बुरा नहीं मान रही थी। शायद चाचा ने कभी चाची के साथ माउथ-फकिंग किया नहीं होगा, यह उनके लिए पहली बार था मैंने अपनी स्पीड बढाई और चाची के गले में और अंदर, और अंदर लंड डालने लगा। चाची तो मानो पागल हो रही थी, फिर मुझे जब लगा की में अब झडने वाला हूँ तो मैंने अपना लंड बाहर निकाला और चाची के पूरे बदन पर अपना सारा माल निकल दिया. मेरे 9 इंच के लंड में से पहली बार इतना सारा माल निकला। चाची का ब्लाउज़ पूरा चिकना हो गया था फिर उन्होंने अनजान बनते हुए ग़ुस्से मे कहा 'रेशु यह क्या किया तूने पूरे कपडे गंदे कर दिए?' मैंने तुरंत चाची के कहने पर कहा की “लाओ चाची में इसे उतार देता हू, आपके हाथ गंदे हो जाएंगे”।
इस बात पर उन्होंने बनते हुए कहा की “अच्छा ठीक है, पर आगे से ऐसा मत करना”। फिर वो बैठ गई और मैंने अपने हाथ चाची के शोल्डर पर रख दिए और चाची के शोल्डर को सहलाते हुए उनके आर्मपिट से होते हुए मैंने दोनों साइड से चाची के बॉब्स पर हाथ रख दिया और सहलाने लगा। चाची बस आँखें बंद कर के मज़े ले रही थी। फिर मैंने चाची के ब्लाउज़ के हुक खोलना शुरू किया और फिर एक दो तीन और चार कर के सारे हुक खोल दिए और चाची का ब्लाउज आराम से उतार दिया। अब चाची ब्लैकब्रा और पेन्टी में थी। बाय गॉड मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया और वो चाची के कमर को छु रहा था चाची को इस बात का पता चल रहा था फिर उन्होंने मेरी और देखते हुए कहा की 'रुक क्यों गये, इसे भी उतार कितना गन्दा हो गया हे?'
मैंने तुरंत आज्ञाकारी स्टूडेंट की तरह चाची की ब्रा के हुक को पीछे से खोला और निकाल दिया। अब चाची कुछ और ही रंग में थी...
चाची-“बेटा इसको भी मसाज कर दे”, और ऐसा कहकर उन्होंने मेरे हाथ अपने हाथों में ले कर अपने बूब्स पर रखे और सहलाने लगी। वह अब सिडक्शन फील कर रही थी। मैं भी अब चाची से एक दम सट के बैठ गया और उनके बूब्स मस्त दबाने लगा। दोनों बूब्स मेरे हाथों मे मैने गोल गोल घुमाये और फिर दोनों हाथों में निप्पल्स ले कर उसे प्रेस किया। चाची के मुँह से एक “आआआह्”....निकला पर उनको मज़ा आया। फिर मैंने उन्हें लेटा दिया और उनके ऊपर चढ गया और चाची के बूब्स दबाने लगा और बिना पूछे उन्हें अपने मुँह में ले लिया और जोर – जोर से चुसने लगा। चाची के फेस पर शिकन की लकीरे देख कर में रूक गया तो चाची ने आंखेँ खोलकर कहा “अरे रूक क्यों गया और करो अच्छा लगता है”।
मैं फिर से चाची के बूब्स मसलने में लग गया फिर मैंने चाची की नाभि में अपनी ऊँगली डाली और उसे घूमाया और अंदर प्रेस भी करने लगा। थोड़ा ज्यादा जोर डालते ही चाची अपने आप को रोक नहीं पायी ओर बोल पड़ी की 'रेशु बेटा जरा धीरे करो'। फिर मैंने चाची के पेन्टी में हाथ डाला और चाची की क्लिट को मसलने लगा और थोड़ी देर ऐसा करने के बाद मैंने चाची की चुत मे उंगली डाल दी और उसे अंदर बाहर करने लगा। चाची को मस्त लग रहा था अब उनसे रहा नही गया और बोल पडी चाची “येस, रेशु बेटा, और करो, अच्छा लग रहा हे,. प्लीज फ़क मि”...चाची के मुँह से फ़क सुनने का ही इंतज़ार था फिर मैंने चाची के चुत में दो उंगलिया डाल दी और चाची मचल उठी और अंगडाई लेने लगी।
मैं चाची की नाभि को किस कर रहा था और दो ऊँगलियों से चुत मसल रहा था फिर मैंने फिर से उठकर चाची के ऊपर 69 की पोजीशन में आ गया और चाची की पेन्टी को निकाल दिया और चाची की चुत को मुँह में ले कर चुसने लगा चाची भी बिना कुछ सोचे मेरे लंड को चूसने लगी और अपने मुँह में जी भर के लंड उतारने लगी। फिर उन्होंने मेरे दोनों बॉल्स को पकड़ा और दबाया, में भी उत्तेजित हो गया और चाची की चुत में और जीभ डालने लगा चाची अब जोर से अब मॉनिंग कर रही थी। मैंने अपनी दो उंगलिया फिर से चाची की चुत में डाली और जोर – जोर से अंदर – बाहर करने लगा और अपनी जीभ से चाची को चाटने भी लगा। अब मेरे बस में नहीं था, इसीलिए मैंने चाची के दोनों पाँव फैला लिए और चाची के चुत पे अपना लंड रक्खा और धक्का मारने लगा पर लंड अंदर गया नही।
फिर चाची हंस के बोली 'बेटा चाहे जितना ब्लू फिल्म देख लो, पहली बार तो औरत से पूछना ही पडता है”। फिर उन्होंने मेरे लौड़े को अपने छेद पर रखा और अब जोर लगाने को कहा। फिर मैंने जोर लगाया और इस बार चाची की बुर मे मेरा लंड चला गया पूरा नहीं गया था पर दूसरी बार में पूरा चला गया। अब चाची ने कहा की “धीरे धीरे शुरू करना फिर अपने आप स्पीड आ जाएगी”। मैंने फिर अपना लंड चुत मे ही रहने दिया और चाची के ऊपर लेट गया और चाची के लिप्स को चुस्ने लगा। चाची भी मेरे लिप्स को चुस रही थी। फिर उन्होंने मेरी जीभ को पकड़ लिया और उसे चूसने लगी। मेरे लिये यह पहली बार था लेकिन मज़ा आया और मैं भी उनकी जीभ को चूसने लगा। वह इस किस मे मस्त थी और मैंने चोदना शुरू कर दिया था तक़रीबन पांच मिनट तक चूसने के बाद मैने चाची की जीभ को छोड़ा और अब सीधा बैठ गया और जोर जोर से चाची की बुर में धक्के लगाना शुरु कर दिया। चाची की चुत में से मस्त लिक्विड निकल रहा था जिसके साथ मेरे लौड़े के टकराने से “छपाक....छप्पाक” आवाज़ आ रही थी।
मेरी साँसे तेज़ हो रही थी और चाची भी जोर जोर से मॉनिंग कर रही थी। फिर मैंने चाची को साइड से लेटा कर चोदना शुरु किया और साथ में ही उनके बूब्स भी दबाने लगा। मेरी चुदाई और भी तेज़ हो रही थी। पूरा बिस्तर हिल रहा था पता नहीं चाची को चाचा ने ऐसे कभी चोदा भी होगा या नही। फिर साइड से होते हुए मैंने चाची को पलटा दिया और चोदना शुरू कीया था अब मैं चाची की चूत में और
जोर से धक्के लगाने लगा। वह भी जानबूझ कर जोर से वापस आती थी। तक़रीबन आधे घँटे तक मैंने चाची को बिना रुके चोदा, अब मुझे कुछ झटका सा लग रहा था मैने चाची से कहा तो उन्होंने कहा की पहली बार कर रहे हो इसीलिए पता नही, इसे ओर्गाजम कहते है, तुम अब झड़ने वाले हो, प्लीज़ और भी जोर से करो में भी क्लाइमेक्स पर
पहुँचनेवाली हू।
फिर मैंने तो जैसे चाची को जो डॉगी स्टाइल में थी मैंने उन्हें उनके पेट से पकड़ के उठा लिया और दम लगाके झटके मारने लगा। चाची भी क्लाइमेक्स के लिए जोर लगाने लगी और फिर एक दम से उनके चुत में से लिक्विड छुटा और वह शांत हो गयी और दो ही मिनट में मैंने भी चाची के अंदर ही अपना सारा वीर्य झटके से उडेल दिया. और चाची के उपर ही लेट गया। चाची पेट के बल लेटी थी, मैंने चाची के ऊपर अपना फेस रक्खा और उनके गाल को किस करने लगा, फिर उनके कान में कहा...
मैं- “थैंक्स चाची, यु आर सो नाइस”।
चाची- “रेशु, आए एम थैंकफुल टू यु, आज बहुत दिनों के बाद अपने औरत होने का एह्सास हुआ हे”।
फिर वो मेरी और पलटी और मैंने उनकी आँखों में देखा, अब उसमे एक सटिस्फैक्शन था जो की सेक्स के लिये मुझे कब से उकसा रहा था फिर मैंने उनके लिप्स पर किस करने लगा।
दूसरे दिन में देर तक नहीं उठा और जब तक़रीबन 10:30 बज चुके थे तब अचानक मैंने अपने बदन में पैन महसूस किया और में जग गया और उठा तो होश में आया तो पता चला की पेनिस में दर्द हो रहा था मैं उठा और नहाकर फ्रेश हो कर बाहर आया तब भी दर्द चालू था मुझे कुछ शक़ सा हुआ की शायद यह पिछ्ली रात के वजह से तो नही। इसीलिए में तुरंत अपनी चाची से पूछ्ने उनके रूम के लिए निकला। लेकिन वो उनके रूम में नहीं थी, मैंने पूरा घर छान मारा पर चाची मिली नही, चाचा पहले से क्लिनिक के लिए निकल चुके थे। मैं अकेला था और चाचा के बारे में सोच रहा था तक़रीबन आधे घंटे बाद चाची कहीं बाहर से आई और जैसे ही मैंने डरवाजा खोला तो वो मेरी और देखे बिना ही किचन में चल दी और अपना काम करने लगी, में भी उनके पीछे गया और कहा...
मैं-चाची???
चाची- “रेशु प्लीज में बहुत डिस्टर्ब हूँ और मुझे तुमसे अभी कोई बात नहीं करनी हे, प्लीज लीव में अलोन”।
मैं काफी टेंशन में आ गया पर चाची की सिचुएशन को समझते हुए में कॉलेज जा रहा हूँ कह कर निकल गया। फिर मैं कॉलेज में अपने जिगरी दोस्त से अपने दर्द के बारे में बताया तो उसने मुझे समझाया की ऐसे पहली बार सेक्स करते हैं तो चमड़ी छील जाने से ऐसा होता है, लेकिन फिर ठीक हो जाएगा। पूरा दिन में चाची के बारे में सोचता रहा, कहीं मन नहीं लग रहा था मैं शाम को घर आया तो मैंने चाची से बात करनी चाही पर चाची मुझे अवाइड कर रही थी। मैं फ्रेश हो कर आया तो चाची अपने रूम में थी। मैंने चाची के रूम पर दस्तक दी और दरवाजा खटखटाया।
चाची- “कौन???
मैं- “चाची में हू”।
चाची– “क्या काम है”?
मैं- “चाची प्लीज मुझे आपसे बात करनी है”।
चाची : “बाद में बात करेंगे, अभी नही”।
मैने यह सुना लेकिन मैं दरवाजा खोलकर अंदर चला गया और चाची को देखा। मुझे देखते ही चाची ने कहा की “रेशु मुझे अभी कोई बात नहीं करनी है, प्लीज मुझे अकेला छोड़ दो”।
मैं चाची के सामने बैठा और कहा...
मैं- “क्या बात हे चाची??? प्लीज मुझे बताइये..आप बहुत अपसेट लग रही हैं”।“मैं कुछ मदद कर सकता हूँ”?
चाची- “नही”।
मैं- “चाची..कल रात जो भी हुआ वो मुझे गलत नहीं लग रहा, अगर आपको कुछ गिल्टी फीलिंग हो रही हे तो मैं आपसे माफ़ी मांगता हूँ और आगे से ऐसा कुछ नहीं होगा पर एक बात कहूं”....
चाची- “क्या..”? (चाची अब भी मुझसे नज़रें नहीं मिला रही थी)
मैं- “चाची कल रात के लिए थैंक्स?? वो बहुत हसीन पल थे और में बहुत खुश हूं। आप के मन के बारे में तो नहीं पता पर अगर आप कुछ कहना चाहे तो कह सकती हैं”।
चाची-“रेशु बेटा कल जो हुआ उसमे मेरी ग़लती थी और प्लीज मुझे माफ़ कर देना मुझे बहुत गलत लग रहा है और प्लीज आगे से ऐसा कुछ नहीं होगा और तू कुछ गलत सोचना भी मत?? प्लीज अभी तुम जाओ और जो भी कल हुआ उसे भूल जाओ”।
इतना बोलते तो मेरी मनो जान ही थम गयी. फिर मैंने चाची की और देख, वो मुझे ही देख रही थी. बिलकुल एक्सप्रेशन नहीं थे उनके चेहरे पर, लेकिन मैंने उन्हें फिर से प्लीज कहा। मुझे लग रहा था की चाची मान जायेगी पर कोई विश्वास नहीं था में अपनी सोच में था की क्या होगा पर इतने में चाची उठी। मैं ठीक उनके सामने बैठा था और वो एक दम से उठकर मेरे चेहरे को हाथों में पकड़ लिया और अपने लिप्स से मेरे लिप्स को पकड़ लिया। एक सेकंड के लिए मैं कुछ संमझा नहीं पर बाद में समझा मैंने फिर चाची को बाँहों में पकड़ लिया और अपने सीने से जोर से सटा लिया। मेरे हाथ उनके बैक पर घूम रहे थे और वो मेरे लिप्स को चुसे जा रही थी। ओह गॉड वो तो मानो खो गयी थी। फिर उन्होंने मुझे बेड पर गिरा दिया और पगलों की तरह मेरे पूरे चेहरे को किस करने लगी। किस क्या वो मुझे शायद चाट रही थी। मैं तो कुछ करने के हालत में नहीं था मेरे पूरे चेहरे को चूमने के बाद फिर से वो मेरे लिप्स को चुस्ने लगी तो मैंने भी अपने ऊपर से उन्हें घुमा दिया और उनके ऊपर हो गया और में भी उनके लिप्स को किस करने लगा। अब मैंने अपनी जीभ उनके मुँह में दे दी और वो भी मेरी जीभ का स्वाद लेने लगी।
मैंने दोनों हाथ उनके गालों पर रक्खे थे। हलकी पीली रौशनी में उनके गाल एक दम सिडक्टिव लग रहे थे। फिर मैंने अपना राईट हैंड उनके गाल से हटा कर उनके गले पर घूमाते हुए स्लोली उनके शोल्डर पर ले गया और वह शोल्डर को दबाते हुए मैंने अपना हाथ उनके बूब पर ले जाने लगा। तभी चाची ने एक दम से अपने हाथ से मेरा हाथ थाम लिया और अब तक जो आँखें बंद कर के बस चुमे जा रही थी तो अब उन्होंने आँखें खोल ली और मेरी और देखने लगी। लेकिन मैं भी अब चाची को छोड़ने के मूड में नहीं था। मैंने चाची को एक आँख मार कर इशारा किया और चाची के ब्लाउज से हाथ हटा कर चाची की नाभि पर रखा और अपनी मिडिल फिंगर को उसमे अंदर करने लगा। इससे चाची काफी उत्तेजित होने लगी थी। चाची अपने पेट को ऊपर करके मुझे अपनी ऊँगली निकालने के लिए इशारा कर रही थी पर मैंने ऊँगली निकालने के बजाय ऊँगली को चाची के नाभि में गोल – गोल जोर से घुमाने लगा।
अब रफ़ बिहेवियर करने लगा जैसे में फिंगर फकिंग कर रहा हू, अब चाची से नहीं रहा जा रहा था इसीलिए उन्होंने अपने एक हाथ से मेरी ऊँगली को पकड़ लिया और न चाहते हुए भी उसे निकालने लगि। मैंने चाची के लिप्स को छोड़ा और चाची को गर्दन के आसपास चूमने लगा, चाची को अब नशा चढ़ रहा था वो बोली, “रेशु, प्लीज रूक जाओ, ऐसा मत करो..”। वो मुझे रुकने को बोल रही थी पर अपने हाथों से मेरे सर को पकड के सहला रही थी और मेरे सर को अपने बदन पर झुका रही थी। मैं समझने लगा था मैंने अब चाची के बूब्स पर फिर से हाथ रखा और आराम से गोल गोल घुमाने लगा, अब चाची के बस में कुछ नहीं था अब चाची की निप्पल्स कड़क होने लगी थी। मैंने चाची की दोनों निप्पल्स को पकड़ा और उसे पिंच किया.. फिर से छोड़ा और पिंच किया.. फिर से छोड़ा और पिंच किया। अब चाची के बस में वो खुद नहीं थी, फिर वो भी अपने बूब्स को ऊपर उठा के जैसे मुझे इनवाइट कर रही हो ऐसे इशारे करने लगी।
मैंने अब चाची के ब्लाउज़ के हुक पे अपने हाथ डाले पर चाची ने फिर से मेरे हाथो को रोक लिया पर मैंने थोड़ी आक्रामकता दिखाते हुए चाची के लिप्स पर फिर से किस करने लगा और इस दौरान मैंने चाची के ब्लाउज के बटन खोल डाले और ब्लाउज को दोनों बाजुओं के साइड कर दिया। ओह माय गॉड मैंने देखा तो चाची ने ब्लाउज के निचे कुछ नहीं पहना था ब्लाउज पर हाथ फेरते समय ऐसा लगा था पर यकीन नहीं हो रहा था और पार्टी में शिफोन साडी के ट्रांसपेरंट न देख पाने की वजह से शक़ नहीं हुआ। खैर अब चाची के बॉब्स मेरे सामने ओपन थे और मैंने अपने दोनों हाथ चाची के बॉब्स पर रख दिए और चाची आराम से बॉब्स को दबवाने लगी, जल्दी में में कुछ नहीं कर सकता था स्लोली ही चाची को सिड्यूस किया जा सकता है, यह अब में जान चुका था। चाची के बॉब्स अब कड़क होने लगे थे।
मैंने अब चाची की निप्पल्स को हाथो में ले लिया और उस पर ऊँगली और अँगूठे से थोड़ा सा प्रेशर करने लगा। चाची की और से कोई रिस्पांस ना पाया तो थोड़ा और प्रेशर से दबा दिया। चाची के मुँह से एक दम चीख निकल गयी पर लिप किस की वजह से आवाज़ नहीं हुई। लेकिन उन्होंने किस करना बंद कर दिया और मैंने चाची की आँखों में देखते हुए प्यार से सॉरी कहा और चाची मुस्कुरा दी। फिर मैं चाची के दोनों बूब्स को हाथों में पकड़ के बारी – बारी चूसने लगा। चाची अब सिसकियां भरने लगी थी। फिर मैंने अपने एक हाथ से चाची की साडी को ऊपर उठना चालू किया और चाची की जांघों तक साडी को उठा दिया और फिर अपने दोनों पैरों से चाची के दोनों पैरों को फैला लिया। चाची ने थोड़ी सी हरकत की पर मैंने आखिर में दोनों पैरों को फैला लिया और साडी जो जांघों तक थी वो अब चाची के पेन्टी तक आ गयी। मैं तक़रीबन चाची को दस मिनट तक चूसता रहा फिर मैंने चाची को पीछे से पीठ पकड़ के उठा लिया, मैं चाची के दोनों पैरों के बीच में था और चाची को उठाने की वजह से चाची अब मेरे लौडे पर बैठ गयी।
Mast update Bhai“बड़ी चाची”
भाग – 5
उन्हें मेरे पैंट में बने टेंट का आभास हो गया था। मैंने भी ऐसे ही उन्हें झटका दिया और चाची के दोनों हाथों से ब्लाउज निकाल दिया और चाची के पीठ पर हाथ फैरते हुए उसे प्रेस भी किया। फिर मैंने चाची को फिर से लिटाया। हालांकि मुझे ब्लाउज निकालने की कोई जल्दी नहीं थी पर में यह देखना चाहता था की चाची क्या रेसिस्ट करती हैं। पर चाची ने रोका नहीं बस एन्जॉय करने लगी। फिर मैंने अपने दोनों हाथो से चाची की पेन्टी में हाथ डालकर चाची की पेन्टी को निचे कर दिया और फिर अपने राईट हैंड से चाची की चुत में ऊँगली डाल दी। फिर से चाची के मुँह से मॉनिंग होने लगी। अब चाची भी अपने बूब्स को सहलाने लगी। इसीलिए मैंने अपने मुँह को चाची के चुत पे रखा और चाची की क्लिट को चूमने लगा और ऊँगली भी अंदर बाहर करने लगा। चाची अब पूरी तरह से सिड्यूस हो गयी थी, फिर मैंने चाची के चुत से ऊँगली हटायी और दो दो ऊंगली चुत में डाल कर चोदने लगा।
इस बार में ऐसे चोद रहा था की जैसे बलात्कार कर रहा हू। मुझे दो दिन तक तडपाने की सजा जैसे दे रहा हू। अब वो भी उछल ने लगी थी और दर्द भरी आवाज़ में प्लीज प्लीज रुको कहने लगी पर मैंने एक न सुनी और चाची के चुत में से लिक्विड निकलना एक दम बढ गया। मैंने तक़रीबन 10 मिनट तक ऐसे जोर जोर से ऊँगली से सेक्स किया बाद में जब मुझे लगा की अब चाची अकड ने लगी हे और कभी भी झड सकती हे तो मैंने जानबूझ कर ऊँगली निकाल दी और चाची को ऑर्गेजम होने से रोक दिया। चाची ने बैचैनी से मेरी और देखा तो मैंने अपनी टी-शर्ट निकल दी और पैंट भी खोलने लगा। फिर अंडरवीयर भी निकाल कर चाची के सामने खड़ा हो गया। मै बस खड़ा रहा, चाची से लंड चूसने को नहीं कहा क्यूँकि चाची को अगर चुदवाना है और कहने में शर्म आती हे तो में क्यों कहूँ। फिर मुझे ऐसे देखकर चाची समझ गयी की में क्या चाहता हूँ और चाची ने मुस्कुराते हुए कहा...
चाची : “सॉरी??रेशु”।
मैं- “किस बात के लिए सॉरी चाची?”
मैने अनजान बनने का नाटक किया पर चाची ने कहा "चल अब नाटक मत कर और बेड पर आजा"। मैं बेड पर आ गया और बेड पर चाची के पास बैठ गया और चाची मेरे लंड को पकड़ के हिलाने लगी और दुसरे हाथों से मेरे दोनों बॉल्स से खेलने लगी। फिर उसने मेरे दोनों बॉल्स को जोर से दबा दिया, में दर्द के मारे चीख़ पडा, और चाची हंस पड़ी और कहा.. "जब मेरे निप्पल्स को दबाते हो तो मुझे भी ऐसे ही होता है"। फिर उन्होंने मेरे लंड को अपने मुँह में ले लिया और मस्त चूसने लगी और जोर – जोर से अंदर – बाहर करने लगी। एक बार मैंने अपने लंड को जैसे चाची ने अपने गले में लिया तो चाची का सर पकड़ के मैंने अपने 9 इंच को पूरे गले में उतार लिया और चाची को लंड बाहर नहीं निकालने दे रहा था वह छटपटाने लगी थी। मैंने चाची की और देखा, उनकी आँखों में दर्द दिख रहा था पर फिर वो बाद में अपने आप जोर लगाकर छूटी और गुस्सा दिखाने लगी।
अब मेरा लंड रॉक सॉलिड हो चुका था इसीलिए मैंने चाची के ग़ुस्से की परवाह न करते हुए चाची के पांव को पूरा फैला दिया और उनकी चुत पे अपना लंड रखा। थोड़ी देर लंड चुत पे घीसने के बाद मैंने चाची के चुत में अपना लंड दाल दिया। आधा लंड चला गया और दूसरे झटके में पूरा लंड अंदर डाल कर आराम से चाची पर लेट कर धीरे – धीरे चोदने लगा। थोड़ी देर आराम से चोदने के बाद में बेड पर बैठ गया और चाची को जोर लगा के चोदने लगा। मैंने चाची के दो दिनों को वसूलने का सोचा था फिर मैंने चाची को डॉगी स्टाइल में खड़ा किया और चोदने लगा। चाची भी जान चुकी थी की मैं उन्हें जोर से चोदना चाहता हूँ क्यूँकि उन्होंने मुझे तीन दिन तक तडपाया था इसीलिए वो भी और जोर से और जोर से कह कर मुझे उकसा रही थी, हालाँकि उनके मुँह से दर्द के मारे आवाज़ें आ रही थी पर वो मुझे उकसाने में लगी हुई थी।
फिर मैंने चाची को दस मिनट तक चोदने के बाद, चाची को एक साइड से पाँव उठा के चोदना शुरू किया और उनके बूब्स भी पीने लगा। थोड़ी देर ऐसे चोदने के बाद फिर से में मिशनरी स्टाइल में आ गया और चाची की कमर को पकड़ के उठा के जोर जोर से चोदने लगा। अब चाची से रहा नहीं जा रहा था वो अब जोर जोर से मॉनिंग कर रही थी, और अकड़ भी रही थी इसीलिए मुझे लगा की अब वो झड़ने वाली हे तो मैंने अपना लंड चाची के चुत में से निकल दिया। वो फिर से नाराज़ हो गयी पर मैंने चाची के चुत में अपनी ऊँगली दाल दी और उसे अंदर बाहर करके चोदने लगा, फिर मैंने चाची के जी-स्पॉट में मस्त जोर से चूसा तो चाची के चुत में से एक दम बहोत सारा लिक्विड निकला और चाची शांत हो गयी। मैं समझ गया की अब चाची सैटिस्फाइ हो गयी हे। फिर मैंने चाची को आफ्टर प्ले में फिर से सिड्यूस करना स्टार्ट किया और चाची के पूरे बॉडी पर किस करने लगा. अब वो भी जानती थी की में अब तक ऑर्ग्यजम पर नहीं पहुंचा तो वो भी मेरा साथ देने लगी। मैंने फिर से चाची के मुँह में अपना लंड रख दिया और चाची भी चूसने लगी।
चाची अपना हाथ आगे पीछे करके फिर से मेरे लंड को रॉक सॉलिड बना रही थी। फिर मैंने चाची के मुँह को दोनों हाथों से पकड़ा और जैसे माउथ-फकिंग करने लगा। चाची के मुँह में पूरा लंड ड़ालने लगा और लंड चाची के मुँह में पूरी तरह जा रहा था और मेरे दोनों बॉल्स चाची की चिन को भी छू रहे थे। चाची भी यह पहली बार महसूस कर रही थी। फिर मैंने चाची के मुँह को चोदने के बाद चाची को फिर से डॉगी स्टाइल में बिठाया और चाची की चुत को चाटने लगा। चाची अब पूरी तरह थक चुकी थी, उनके बाल पसीने से बेहाल चेहरे पर चिपक गए थे, उनकी साँसे एक दम तेज़ चल रही थी। ऐसे में उन्होंने मुझसे अब बस करने को कहा पर मैंने मना कर दिया। फिर मैंने चाची के दोनों हिप्स को थोड़ा ऊपर उठाया और चाची के फेस को निचे तकिये पर रक्खा इस वजह से चाची की गांड चिक्स मेरे सामने खुल गयी। फिर मैंने चाची की चुत को चाटते हुए चाची की गांड के छेद में अपनी मिडिल फिंगर अंदर डाली। चाची एक दम से सटक गयी, उन्हें अब पता चल गया की में उनकी गांड मारना चाहता हू। वह उठना चाहती थी पर मैंने उठने नहीं दिया और उठकर चाची की बैक दबाकर चाची को फोर्स से रोक दिया। चाची का मुँह वाइट तकिये पर दर्द और थकावट से परेशान लग रहा था...
चाची- “रेशु, यह नहीं करना मुझे??
मैं- “चाची एक बार करो, मुझे करना है...”
चाची- “नहीं मैंने कहा ना..मुझे छोड़ दो, प्लीज में थक गयी हू”।
मैं- “ऑफ़ कोर्स चाची, बस थोड़ा टाइम और दे दो मुझे”।
और मैंने ऐसा कहते हुए पास में रक्खी तेल की बोतल उठाई और चाची की गांड पर थोड़ा तेल ड़ाला और अपनी मिडिल फिंगर अंदर बाहर करने लगा। पहले तो पूरी फिंगर ही अंदर नहीं जा रही थी पर तीन चार बार ट्राय करने से अब मेरी पूरी फिंगर अंदर बाहर होने लगी थी। चाची अब भी मना करते हुए गिडगिडा रही थी। मैंने चाची को आराम से नया एक्सपीरियंस करने को कहा। फिर अपनी दूसरी ऊँगली भी अंदर डाल दी। पहले थोड़ी तकलीफ हुई पर वो अंदर जाने में क़ामयाब रही। लेकिन जैसे ही मैंने अपनी ऊँगली अंदर डाली की चाची दर्द के मारे एक दम से चीख़ पड़ी वो एक दम से उठ गयी..मैने यह सोचा नहीं था में पहली बार कर रहा था लेकिन मैंने भी दूसरे ही सेकंड में एक झटके से फिरसे चाची को लिटा दिया और चाची के बॉब्स दबाने लगा, फिर मैं चाची के बिलकुल ऊपर आ गया और चाची को किस करने लगा और चाची के बूब्स दबाने लगा। चाची मेरी ऊंगलियां बाहर निकल जाने से अब रिलीफ में थी. लेकिन उस दर्द से चाची की निप्पल्स फिर से कड़क हो गयी थी, लेकिन मैंने अपना लंड चाची की गांड पर घीसना शुरू कर दिया और चाची को फिर से गर्म करने लगा। फिर मैंने बड़े आराम से कहा...
मैं- “चाची, प्लीज एक बार करते हे ना..।
चाची- “नही, तुम पागल तो नहीं हो गए हो ना.. अब तक मैंने नहीं किया है..।
मैं- “प्लीज चाची.. एक बार बस 5 मिनट के लिये”।
चाची- “नहीं रेशु, में 5 मीनट तो क्या 5 सेकंड के लिए भीयह दर्द नहीं सह पाऊंगी”।
मैं- “चाची कुछ नहीं होगा..में बैठा हूँ ना”।
चाची : “नहीं मैंने ना कहा ना”।
मैं- “समझ गया औरतों की ना ही हां होती है”।
मैने उठकर चाची के गांड क्रैक को फैला लिया और अपना लंड का सूपडा चाची के गांड पर रखा। चाची अभी भी ना ना कर रही थी. पर मैंने अपने लंड को जोर लगा कर चाची के अंदर डाला लेकिन वो जा नहीं रहा था फिर मैंने अपने लंड पर तेल लगाया और चाची की गांड पर भी. और फिर से ट्राय किया और इस बार चाची के गांड में मेरा सूपाडा चला गया. मैंने सोचा था की चाची अभी दर्द के मारे रोने लगेगी पर चाची के मुँह से कोई आवाज़ नहीं निकली तो मैंने और जोर लगा कर लंड को पुश किया और जैसे ही मेरा लंड अंदर गया की चाची के मुँह से “ऊऊओह्ह् प्लीज़ रेशु.. क्या कर रहे हो.. प्लीज इसे निकालो”। पर मैंने चाची की कमर को पकड़ा और अपनी ओर खींचा और इधर अपने लंड को फिर से पुश किया।
मेरा लंड अब शायद आधा अंदर था लेकिन इधर चाची रोने लगी थी,वह अपने हाथ बेड पे पछाड़ रही थीऔर कह रही थी की प्लीज मुझे यह नहीं करना हे। लेकिन मैं चाची को गर्म करने के लिए चाची के जी स्पोट पे हाथ फेरने लगा और चाची पे अपना जोर बढाता गया। अब चाची की सिचुएशन दोनों तरफ से फसने वाली थी, वो गर्म भी हो रही थी और दर्द तो बहुत सारा हो रहा था उनके मुँह से “ओमाँममः??..येमाममहह” की आवाज़ें बंद होने का नाम नहीं ले रही थी। लेकिन में एक बात जानता था की कल फिर से शायद चाची नाटक करेगी की अब से यह सब नहीं करना और मुझे चाची से गांड फकिंग करना था इसीलिए में तो बड़ा बेक़रार था मैंने फिर चाची की गोरी गोरी कमर को चूमा और चाची को लगा की अब में थोड़ी देर फोरप्ले करूँगा इसीलिए उन्होंने सोचा की अब दर्द नहीं होगा और मैंने जोर से एक और पंच लगाया और चाची के गांड में अपना लंड पूरा दाल दिया। शायद इतनी जल्दी लंड जाता नहीं पर चाची ने सोचा नहीं था की में अभी धक्का लगाउंगा और मैंने जोर लगा के एक झटके में अंदर घुसा दिया। चाची भी चौक गयी और मैं भी की अब तक चाची चिल्लायी क्यों नहीं? पहले तो चाची को पता नहीं चला पर जैसे ही उन्होंने समझ में आया तो उन्हें दर्द होने लगा। वह अब मेरे बस में नहीं थी और बेड पर बैठने को बेताब होने लगी पर मैंने चाची को पूरा लिटा दिया और खुद चाची पर ही लेट गया ता की वो मेरा मुश्क़िल से गया हुआ लंड बाहर कहीं न निकाल दे। उनकी आँखों से आँसु बाहर बह रहे थे और वो मुझे मानो नफरत और ग़ुस्से से देख रही थी।
Fantastic update Bhai“बड़ी चाची”
भाग – 6
पर मैंने आराम से चाची को किस करना शुरू किया। वो अब अपने लेफ्ट साइड से लेटी थी और में उनसे चिपका हुआ था। अब मैंने चाची के कंधे पर प्यार से किस किया फिर चाची के गले पर और फिर चाची की चिन को पकड़ के चाची के फेस को अपनी और किया और चाची को किस करने लगा। अब शायद उनका दर्द कम हो रहा था और वो अब आराम कर रही थी। अब मैंने उन्हें किस करते हुए चाची को फिर से धीरे धीरे डॉगी स्टाइल में उठाया और उनके बूब्स दबाने लगा और बूब्स दबाते – दबाते अब मैंने हलके – हलके से चोदना शुरू किया और साथ ही साथ में चाची के बूब्स और चाची की चुत को रब करने लगा। अभी तो वो दर्द के मारे चीख़ नहीं रही थी पर अब एन्जॉयमेंट के मारे मुँह से आह्ह्ह्ह..आआह्ह्ह की आवाज़ें निकाल रही थी। फिर मैंने चाची को कम्पलीट डॉगी स्टाइल में बिठाया और धक्के लगाने लगा और वो भी अब अपने आप ही आगे पीछे हो रही थी और हम दोनों की साँसों की आवाज़ेँ, एन्जॉयमेंट की आवाज़ें और हमारी जांघों के मिलने की आवाज़ों से पूरा रूम भर गया था।
उनके सारे बाल बिखरे हुए थे और पूरा बदन तीन घंटे की लम्बी चुदाई से एक दम भीग चुका था और वो सचमुच थकान से बेहाल हो चुकी थी। इसीलिए मैंने अपने धक्को की स्पीड बधाई और अब चाची को दर्द भी होने लगा और वो अब“ऊऊऊह्ह्.ऊऊऊऊम्मम” कर के जोर – जोर से चीखने लगी और में भी अब बहुत देर तक अपने आप को कण्ट्रोल नहीं कर सकता था इसीलिए मैंने चाची के जी-स्पॉट को फिर से सहलाना चालू किया और साथ साथ अपनी स्पीड भी बढाई। अब मैं झड़ने वाला था इसीलिए मैंने चाची को जैसे चीर ही डालने जैसे फास्ट फास्ट स्पीड से धक्के लगाने लगा। अब चाची की गांड भी मेरे साथ टकराने से लाल हो गयी थी और उसे देखकर मैंने जोर से चाची की गांड पर एक स्लैप भी जड़ दिया और वोह एक सेकंड में खून से भर गया।
फिर अब मेरे से रहा नहीं जा रहा था और मैंने भी “आअह्ह्ह्ह..ओहआ..आ..आआअह्ह्ह्हह..” करते हुए चाची की गांड में अपने लंड से पिचकारियां मारने लगा और चाची की गांड मेरे सफेद माल से भर गयी और मैंने अपना लंड जैसे ही बाहर निकाला तो चाची ने भी अपना माल भी फिर से छोड़ा और धड़ाम से बेड पर गिर पडी। वो बस पेट के बल पर जैसे ही पड़ी तो मानो सारा भूल ही गयी। मैं भी काफी थक चुका था और में भी चाची पर ही लेट गया और चाची को सहलाने लगा लेकिन चाची अब कुछ रिस्पांस नही दे रही थी। अब शायद वो बेहोश सी हो गयी थी। मैंने चाची के लिप्स पर भी किस किया पर चाची की और से कोई भी रिस्पांस नहीं मिला। मैं भी अब चाची के साइड में ही लेट गया और मैंने देखा तो मेरा लंड भी काफी छिल गया था और दर्द भी हो रहा था तो में उठा और बाथरूम में पहुँच कर अपना लंड साफ़ किया और किचन में से पाणी की बोतल ले कर बेड रूम में आया और पानी पीते पीते लगा की चलो चाची की गांड भी साफ़ कर दुं।
तो में चाची के पास बैठा और पास से टिश्यू पेपर उठाया और चाची के गांड पर से अपना सारा माल हटाया और साफ़ कर के देखा तो वो काफी लाल हो गया था और शायद कहीं से हल्का सा चीर भी गया और सूज भी गया था। तभी मैंने चाची की गांड पर बोतल से हल्का पानी डाला और चाची को अच्छे से पोछा लेकिन तभी आईडिया आया की क्यों न चाची की गांड में यह बोतल डाली जाए और इस गंदे और वाइल्ड आईडिया पर में हंस पडा। फिर उठकर किचन में जाने लगा पर लगा क्यों न ट्राय किया जाए, फिर सोचा की करू या नहीं करु? और इस कश्मक़श में मैंने चाची के गांड चिक्स को फिर से खोला और चाची की गांड के छेद पर बोतल रखी, बोतल जो थी वो कोल्ड-ड्रिंक के जैसे थी तो उसका अगला हिस्सा आराम से अंदर चला गया और मैंने और जोर लगाया और चाची की गांड में और भी अंदर बोतल अंदर डाली पर हलकी ही अंदर जाने के बाद वो अटक गयी और मैंने बोतल बाहर निकाल ली।
मैं फिर से बोतल किचन में रखने जा रहा था की फिर से एक बार करने का आईडिया आया और मैंने फिर से चाची की गांड में बोतल लगा दी और चाची की गांड के छेद को दम लगा कर और भी चौड़ा कर दिया और बोतल का अगला पूरा हिस्सा अंदर दाल दिया और फिर बोतल को गोल गोल घुमाने लगा। चाची की तो हालत ख़राब हो रही थी, पर मैंने बोतल को ही अंदर बाहर करना शुरू किया और बोतल से चोदने लगा। चाची बेहोशी में दर्द शायद समझ रही थी, उनकी साँसे तेज़ हो रही थी , बॉब्स ऊपर निचे हो रहे थी और गांड एक दम लाल हो गयी थी, बाय गॉड मैंने कभी ऐसा सोचा नहीं था की में किसी के साथ ऐसा भी कर सकता हू और वो भी अपनी बड़ी चाची के साथा पर सच में करने में मज़ा आ रहा था थोड़ी देर बोतल से फ़क करने के बाद मैंने थोड़ा और जोर लगा कर बोतल अंदर ड़ालना चाहा तो चाची की गांड से खून बहने लगा और वो देखकर मेरी हालत ख़राब हो गयी और मैंने फट से बोतल बाहर निकाली और चाची की गांड पर दवा लगायी और चाची के पास में ही सो गया।
सुबह जब उठा तो चाची उठ चुकी थी और किचन में थी। चाचा भी आ चुके थे और ब्रेक फस्ट के लिए रेडी थे, दोनों डायनिंग टेबल पर थे, में भी फ्रेश हो कर ब्रेक फस्ट के लिए बैठा और देखा तो चाची ने गाउन पहना था जो की चाची कभी नहीं पहनती थी और अंदर कुछ नहीं पहनने से सब कुछ दिख रहा था फिर में उठकर किचन में गया, तो चाचा चाची से बोले “शीला, डार्लिंग यह गाउन कैसा पहना है, प्लीज चेंज करो. बहुत गन्दा लग रहा हे और, रेशु भी तुम्हे देख रहा था जवान लड़का हे कुछ ख्याल करो”। चाची भी शर्मिंदा थी और चाची ने शर्म से नीचे देख कर कहा की वो अभी चेंज कर देगी “अब आपको लेट हो रहा होगा, प्लीज आप जाइये” और चाचा निकल गए और जैसे ही में बाहर आया तो चाची, डाइनिंग टेबल पर से उठ रही थी और वो जैसे ही उठी तो दर्द के मारे उठ नहीं पायी और गिरने जैसे हो गयी और उसने टेबल पकड़ा और चाची का दूसरा हाथ मैंने पकड़ लिया और पूछा,
“चाची, आप ठीक तो है ना”?
तभी जोर से चाची ने मुझे थप्पड़ मरा और ग़ुस्से में मेरी और देखने लगी और में शर्म से निचे देख रहा था और चाची ने कहा “यह कैसी हालत मेरी कर के रख दी हे?मेरे से चला भी नहीं जा रहा और तेरे चाचा के सामने मुझे ठीक होने का नाटक करना पड़ा और चाचा मुझे सिखा रहे है की क्या पहनना चाहिए और क्या नही..” वो बोले जा रही थी और मैंने चाची को अपनी बाँहों में भर लिया और चाची को सटा के उनके लिप्स मेरे मुँह में ले लिए और किस करने लगा, चाची ने पहले तो रेसिस्ट किया पर फिर वो भी साथ देने लगी और मस्त लिप्स चुसते हुए मैंने चाची को डाइनिंग टेबल पर लेटा दिया और लिप्स चूसने लगा। मस्त तीन मिनट तक चूसने के बाद मैंने चाची से अपने लिप्स को अलग किया, वो तो किस करना छोड़ना नहीं चाहती थी, और मैंने चाची से स्माइल के साथ कहा...
“सॉरी..चाची? और स्माइल दी, तो सामने से चाची ने भी कुछ न कहते हुए मेरे लिप्स को पकड़ के फिर से किस करने लगी...
Mast update Bhai“कोमल दीदी”जैसे की मैंने पहले ही बताया था की मेरी बड़ी चाची का कोई बेटा नहीं सिर्फ एक बेटी है, जो मुझसे तीन साल बड़ी है, उन्हें में कोमल दीदी कहता हूं। वो भी अपनी माँ की तरह ही बड़ी सुन्दर है। वो अहमदाबाद में ही रहती है पर सिटी से दूर उन्होंने एक बंगलो बनाया है। वहां रहने से अक्सर उनसे मुलाकात नहीं होती थी। वैसे भी उनसे मेरी इतनी खास पटती नहीं थी, वो मुझसे कुछ खास बात या कुछ शेयर नहीं करती थी। बात तब की हे, जब मेरे बड़े चाचा और बड़ी चाची अमरनाथ की यात्रा के लिए गए थे और 20 दिनों के बाद सब तीर्थ घूम कर आनेवाले थे। जिस दिन मैंने चाची को गांड मारी थी उस से अगले ही दिन चाचा ने ये प्रोग्रामबना लिया था। मैं अब घर में अकेला था उनको गए 17 दिन हुए थे और मुझे चाची की याद आ रही थी और इतने में उनका कॉल आया...
भाग – 7
मैं- “हैलो..”।
चाची-“हाँ रेशु कैसे हो”?
मैं-“ठीक हूँ पर आपके बगैर मन नहीं लगता”।
चाची- “अच्छा.. अभी तो तीन दिन निकालने हैं.. अच्छा सुनो मैंने इसलिए कॉल किया है की कल हमारे एक रिश्तेदार की शादी है और मैं और तुम्हारे चाचा नहीं आ सकेंगे, तो तुम हो कर आना। तुम्हारी कोमल दीदी भी वहां होगी और तुम्हारी छोटी चाची भी आयेगी, उसीके रिश्तेदारी में कोई शादी है”।
मैं- “अच्छा ठीक हे, मेरे माँ डैड आने वाले है”?
चाची- “नहीं मेरी उनसे बात हो गयी है, तुम हो आओगे तो उन्हें आना नहीं पड़ेगा, तो तुम टाइप पर पहुँच जाना”।
मैं- “ठीक”। और फिर कॉल काट दिया और मैं कोमल दीदी के बारे में सोचने लगा, लेकिन उन पर हाथ नहीं मार सकता था क्यूँकि उनसे कोई धारदार रिलेशन नहीं था इसीलिए में कल का इंतज़ार करने लगा। दूसरे दिन सुबह होते ही, घर में अकेला होने से बार हो रहा था तो मैंने सोचा की क्यों न कहीं थिएटर में ब्लू फिल्म देखी जाये तो में एक थिएटर में पहुँच गया और मूवी मस्त एन्जॉय करने लगा। मूवी शाम को 5:30 को जैसे ही खत्म हुई तो में फ़टाफ़ट निकला की कहीं शादी में देर न हो जाये और मैंने अपनी पल्सर स्टार्ट की और सट से निकला, जैसे ही मैंने बाइक थिएटर के गेट से निकाल के रोड पर ली की कहीं से एक रिक्षावाला आ गया और मेरी उससे टक्कर हो गयी, और जैसे ही टक्कर हुई मेरे से रहा नहीं गया और मेरे मुँह से गाली निकल गयी “बहनचोद..”!!
और बाद में मेरी नज़र पड़ी तो रिक्षा में एक लड़की बैठी थी और उसको देखते ही मेरी फट गयी, वो मेरी कोमल दीदी थी, मैंने फ़टाफ़ट बाइक स्टार्ट की और वहां से भाग गया। बाइक इतनी तेज़ चल रही थी पर मेरे पसीने छूट रहे थे। मैं शादी की बजाये एक जगह बाइक खड़ी कर के आराम से सोचने लगा की अब क्या किया जाए। इतने में मेरी मम्मी और छोटी चाची का कॉल आया की “कहा हो तुम”? और में फ़टाफ़ट शादी में पहुंच गया।
मुझे यहाँ कोई फ़िक्र नहीं थी क्यूँकि यहाँ इतने लोगो के सामने वो मुझसे जवाब तलब नहीं करेंगी, क्यूँकि जो खुद कम बोलती हो वो ऐसे माहौल में कोई सीन नहीं क्रिएट कर सकती और में अंदर जा कर सबसे मिला। खास कर के छोटी चाची से, उनसे मेरी अच्छी बनती थी. वो भी बड़ी चाची की तरह मुझसे बातें करती थी और तक़रीबन सारी बातें शेयर भी करती थी। मैं उन्ही के पास जा कर बैठा पर वो मेरी दीदी के साथ ही बैठी थी, पर मैंने परवाह नहीं की और चाची के पास जा कर मैंने चाची के पाँव छुये, दीदी ने भी देखा और में भी दिखाना चाहता था की में कितना अच्छा हू, लेकिन चाची ने कहा...
छोटी चाची : “अरे रेशु, अभी तू बड़ा हो गया है और तू ऐसे सबके सामने पाँव छू कर मुझे बूढ़ी साबित क्यों कर रहा है? अभी तेरी और मेरी उमर में कोई जनरेशन गैप तो नहीं हे। बड़ा तो हो गया हे पर पता नहीं कब बड़ा होगा”?
दीदी : “चाची.. अब यह साहब बहुत बड़े हो गए हे और कुछ ज्यादा ही इनको अकल आ गयी है”।
दीदी के ताने पर मैंने उनकी और देखा, तो वो भी मेरी और देखा तो मुझे अपनी नज़रें झुका लेनी पडी, लेकिन मेरे मन में यह ख्याल आ रहा था की दीदी शादी के बाद कुछ खूल सी गयी हैं, कहीं वो चाची को सब बता ना दे। इसलिये मैंने चाची को बातों में उलझाए रखा, इतने में मेरी दूर की कजिन मेरी दीदी को दुल्हन से मिलवाने ले गयी और चाची भी अपने रिश्तेदारों से मिलने चली गयी। मैं भी अब थक चुका था इसीलिए खाने के डिपार्टमेंट में जाकर खाना खाने लगा। मैं दीदी के ही बारे में सोच रहा था की अगर किसी तरह दीदी को समझा दिया जाये तो बात बन जाए। लेकिन कैसे वो प्रश्न था थोडी देर पेटपूजा करने के बाद, मैं फिर से वही जगह पर आया और दीदी और चाची को ढूँढा तो वो दोनों मिलने पर कुछ परेशान सी नज़र आई और दीदी थोड़ी सी ज्यादा। मैने उनके पास जा कर उनसे पूछा...
मैं- “क्या बात है चाची? कुछ हुआ क्या”?
चाची- “अरे कुछ नही, तेरे जीजाजी आनेवाले थे इस फंक्शन पे पर उनको कुछ काम आ गया तो वो आ नहीं पाएँगे,.. तो रेशु तुम एक काम करो, दीदी को अपने साथ अपने घर ले जाओ, फिर कल सुबह दीदी अपने घर चली जाएगी”।
मैं- “ठीक हे, चाची”।
जैसे ही मैंने कहा की ठीक हे तो दीदी ने तिरछी और ग़ुस्सैल नज़रों से देखा और मैंने जानबूझ कर दीदी को स्माइल किया।
चाची- “हाँ कोमल, यही ठीक है। देखो आज तो मुझे यहीं पर रुकना पड़ेगा और फिर कल सुबह ही गाँव भी जल्दी जाना है,.तो तुम रेशु के साथ चली जाओ”।
दीदी भी बाद में मान गयी और वो लोग डिनर पर चले गए। मैं वहीँ पर बैठा था और मैरिज में आई लड़कियों को देख रहा था वो दोनों डिनर कर रही थी और तक़रीबन एक घंटे के बाद आई और चाची ने कहा...
छोटी चाची :- “रेशु, दीदी को लेकर घर जाओ और कल दीदी को उसके घर भी छोड़ देना”।
मैं- “ठीक हे चाची”।
कहकर मैं और दीदी बाहर निकले, मैंने अपनी बाइक निकाली और स्टार्ट करके दीदी के पास आया तो दीदी बाइक पर आराम से बैठ गयी। मैंने भी आराम से बाइक चलाने लगा, मन हो रहा था की दीदी से कुछ बात करू पर हिम्मत नहीं हो रही थी। थोड़ी ही देर में हम घर पहुंचे और जैसे ही हम पहुँचनेवाले थे की बारिश स्टार्ट हो गयी और हम भिगने लगे, और थैंक्स टू बारिश दीदी ने मुझसे बात की और कहा...
दीदी : “रेशु, प्लीज जल्दी करो”।
मैने भी स्पीड बढाई और दो ही मिनट में हम घर पहुंचे और दीदी फ़टाफ़ट से दौड कर बारामदे में आ गयी। मैं बाइक ठीक से लगा के वहीँ पहुंचा और फ़टाफ़ट से दरवाजा खोला और दीदी झट से अंदर आ गयी। हमारे कपडे गीले हो गए थे और दीदी उस बात से परेशान सी लगी। मुझे दीदी से बात करने में परेशानी सी हो रही थी पर फिर मैंने सोचा की जब तक बात नहीं करुँगा तब तक दीदी से थोड़ा सा मूटाव जारी रहेगा फिर मैंने दीदी से कहा... “दीदी, आप प्लीज चेंज कर लीजिये”। दीदी ने कहा “लेकिन.. मेरे पास चेंज करने को कपडे नहीं है”। मैंने कहा “आप बड़ी चाची के कपडे ट्राई कर के देखिए”। मैंने ठीक सुझाव दिया...“लेकिन माँ के पास साड़ीज के अलावा कुछ नहीं होगा”। “आप देख लीजिये अगर आप को सूटेबल हो तो पहन लीजिये”।
मैंने फिर से कहा दीदी फिर चाची के रूम में गयी और आधे घंटे के बाद दीदी ने चाची की एक साडी पहनी और बाहर आयी. दीदी ने चाची की डार्क ब्लू साड़ी पहनी थी और बाय गॉड मस्त लग रही थी। साडी में वो बिलकुल ससुराल गेंदा फूल की सुहाना (रागिनी खन्ना) की तरह लग रही थी, बस थोड़ा सा स्वाभाव में चेंज था वो टोटली फ्रैंक है और दीदी थोड़ी सी रिजर्व। अब मुझे बेचैनी सी होने लगी, मुझे किसी भी तरह दीदी से बात करनी थी और दीदी मुझसे ज्यादा बात नहीं करना चाहती थी। वो मेरे पास वाले सोफ़े पर आ कर बैठी, में टीवी देख रहा था इतने में टीवी पर मर्डर आने लगी और मैंने वो चैनल चेंज नहीं की और देखने लगा और उसमे एक किस सिन स्टार्ट हो गया, दीदी ने मेरी और देखा और मैंने दीदी की और। मैने फट से दीदी से नजरें हटायी और रिमोट से चैनल चेंज कर दिया। तो जैसे बरसो से बंद ज्वालामुखी फट जाये वैसे दीदी ने कहा.”क्यूँ चेंज कर दिया..तुझे तो अच्छा लगता है ना यह सब देखना”..?
दीदी फिर से ताना मार रही थी। मुझे थोड़ा सा गुस्सा आ रहा था पर यह गुस्सा दिखने का टाइम नहीं था। “दीदी.. प्लीज सॉरी आगे से ऐसा नहीं होगा। विल यु प्लीज फॉरगिव मी"?
दीदी : “रेशु.. ग़लती यह नहीं की तु मूवी देखने गया.. गलती यह नहीं की तु किसी को बिन बताये मूवी देखने गया.. और पता नहीं कितनी मूवीज देखि होगी तुमने? गलती यह हे की तुम्हारी जबान कितनी गन्दी है। तुमने उस ऑटो वाले से कितनी गन्दी गाली कही थी। एक सेकंड के लिए तो मुझे यकीन नहीं हुआ की मेरा भाई इतना गन्दा वर्ड यूज़ कर सकता है, और अब भी तुम्हे उस बात का इतना पछतावा नहीं लग रहा।"
दीदी ने एक सांस में सारी बातें सुना डाली. मै बस सब सुनता रहा। सफाई में कुछ नहीं कहा। वो भी अब शांत हो गयी थी। फिर में अपने सोफ़े से उठा और उनके पास गया और कहा.. “दीदी व्हाट आई कैन टेल यु इस आई ऍम सॉरी एंड आई विल शुअर्ली ट्राय की ऐसा फिर से न हो। आगे आप मुझे माफ़ करना चाहे तो ठीक और अगर न करना चाहे तो भी ठीक, आप अगर किसी को बताना चाहे तो मेरी कम्प्लेन कर सकती है, पर में इतना भी बुरा नहीं हू"।
और जानबूझ कर वही दीदी के पास बैठ गया। मैं देखना चाहता था की दीदी मेरे बैठने से उठती है की नहीं और वो नहीं उठी, वो वही बैठी रही और सोचने लगी। फिर उन्होंने मेरी और देखते हुए कहा... " अच्छा चलो ठीक है। मैं किसी से तुम्हारी शिकायत नहीं करूंगी, क्यूँकि मुझे पता है की बचपन से हम एक दूसरे को जानते है और जहाँ तक मुझे पता है तुम काफी अच्छे लड़के हो। लेकिन यह गाली बोलना बंद करो प्लीज”। दीदी ने शांत होते हुए कहा.. “जरूर दीदी".. मैं बहुत खुश हो गया और दीदी को जानबूझ कर गले पड़ते हुए मैंने दीदी के गाल पर एक किस कर दिया और मस्त किस किया, जैसे लिप्स चुसते हे वैसे और फिर वहां से उठ कर किचन में गया और दीदी का रिएक्शन देख रहा था वो वहीँ पर बैठी थी और मेरे किस से शॉक तो थी पर फिर वो हंस पड़ी और अपने हाथ से मेरे गीले सलीवा को पोछा और फिर अपने हाथ को देखने लगी। फिर उन्होंने वो किया जो मेरे सोच में नहीं था उन्होंने उस हाथ को अपने नाक के पास ले जा कर सूँघा और डीप सांस अंदर ली।
मैं यह देखकर खुश हो गया और अपना सेक्सी दिमाग फिर से दौड़ाने लगा की अब आगे क्या किया जाए। फिर मैंने देखा की उन्होंने अपने हाथ को अपने सीने से लगा दिया और थोड़ा जोर से अपने बूब्स पर रक्खा, मैं समझ गया की वो क्या सोच रही थी। फिर में वहा से फ़टाक से दीदी के सामने आ गया। मैं उनको चौकाना चाहता था पर इतने में दीदी की कॉल की घण्टी बज गयी और उन्होंने फ़ोन हाथ में लिया और बाहर चली गयी। मैंने देखा तो दीदी एक हाथ में फ़ोन था और दूसरा हाथ उनके चूत पर था मैं समझ गया की जीजू का कॉल है पर कॉल ख़त्म होते ही वो मुझे उदास सी लगी तो मैंने उनसे पूछ लिया की..."क्या हुआ दीदी”? तो उन्होंने कुछ नहीं बताया, पर मैंने फिर से कहा...“क्या हुआ दीदी? कुछ परेशान सी लग रही हो आप? प्लीज बताओ ना"...
मैं जानने के लिए डेस्पेरेट था। “रेशु कुछ नहीं है.. तुम नहीं समझोगे" ?दीदी ने कहा, “दीदी इतना ना समझ नहीं हूँ की आप अपने दिल को खोल के रख दे और में समझू नही। हाँ अगर अपने दर्द को दबाना चाहती हे तो आप की मरजी”। मैंने कहा.. “अरे ऐसी कोई बात नही, बस तुम्हारे जीजू कल से जयपुर गए है। कल आने वाले थे पर कह रहे थे की अब वो तीन दिन बाद आयेंगे, बस इसीलिए”। अब मैं समझा की दीदी के चूत में खुजली हो रही है, इसीलिए वो उदास थी और फ़ोन के दौरान चूत पर हाथ था। “दीदी और कोई तो तकलीफ नहीं है ना ? अगर हो तो प्लीज मुझे अपना दोस्त समझ के बता सकती हो”। मैंने फिर से बात को कुरेदना चाहा.. “थैंक्स.. रेशू। पर ऐसी कोई बात नहीं है".. दीदी ने बात का वहीं दी एन्ड कर दिया। फिर उन्होंने कहा, "रेशु मुझे तो अब नींद आ रही है। चल अब तू भी सो जा, कब से परेशान घूम रहा था, पूरी शादी में तेरे चेहरे का रंग उड़ा हुआ था की दीदी पूछेगी तो यह कहुंगा वो कहूंगा, चल अब सो जा"।
दीदी कह कर किचन में पानी पीने गयी और मैं टीवी बंद कर के अपने रूम में जा रहा था की दीदी ने किचन में से आवाज़ लगायी . " रेशु, प्लीज आज मेरे साथ सोना.. मुझे अकेले में डर लगता है... आई नो की आई एम डिस्टर्बिंग यु.. पर प्लीज थोड़ा सा एडजस्ट कर ले"। दीदी ने रिक्वेस्ट के सुर में कहा और में तो ख़ुशी से झूम उठा। मैंने हाँ कर दी और कहा की “मैं अपने रूम में से चेंज कर के आता हू”। और मैं जैसे ही चेंज कर के दीदी के रूम में आया तो सब पुरानी मेमोरीज ताज़ा हो गयी। जब मैंने चाची को चोदा था मैं अपने वेस्ट और शॉर्ट्स में था, वहा पर दीदी साड़ी में अपने मोबाइल से खेल रही थी। मेरा दिमाग अब शेर की तरह तेज़ चल रहा था मैंने फ़टाफ़ट से दौड के बेड में जम्प किया और दीदी से कहा, “क्या आप को ठण्ड नहीं लग रही? बाहर इतनी बारिश हो रही है”। तो दीदी ने कहा उसे तो ठण्ड नहीं लग रही। पूरे डबल बेड पर एक बड़ा सा कम्बल था मैं उसमें घुस गया और दीदी भी अपने कमर तक उसी कम्बल में थी। फिर उन्हें पता नहीं क्या हुआ, जैसे की चमत्कार ही हो गया। उन्होंने कहा.. " रेशु.. अगर तुम्हे ठण्ड लग रही हे तो मेरे पास में आ जाओ ना.. उधर एक साइड में रहोगे तो और भी ठण्ड लगेगी और वहा खिड़की भी तो है”... दीदी ने जैसे ही ऐसा कहा, मैं बिना शरमाये दीदी के पास खिसक गया। मैं जानता था की आज दीदी को खुजली है और दीदी सामने से खुल रही हे तो फिर अगर मैं शर्माऊंगा तो कभी काम नही बनेगा।
मैं दीदी की और खिसका और दीदी से तक़रीबन चिपक ही गया था। मेरी साँसे दीदी की राईट बाँह को टच कर रही थी, या यूँ कहिये मैं ऐसा कर रहा था फिर मैंने अपना पाँव दीदी के पाँव से टच किया, दीदी की तरफ से कोई रिएक्शन नहीं था दीदी बस अपने मोबाइल में कुछ पढ़ रही थी, शायद सेक्स स्टोरीज ही पढ़ रही थी, पर मैंने दीदी को पकड़ा नही। फिर मैंने अपना राईट हैंड कम्बल से बाहर निकाला और दीदी के पेट पर रखते हुए कहा...“दीदी तुम मुझसे नाराज़ नहीं हो ना”? मैंने दीदी से कहा और इसी बहाने से मैंने दीदी के पेट पर हाथ रखते हुए मैंने दीदी को अपने पास भी खिंचा। दीदी अब मोबाइल छोड़ कर मेरी और पलटी और उसके पलटने की वजह से मेरा पेट वाला हाथ दीदी की बैक पर चला गया और दीदी के पलटने से अब दीदी और मेरे बीच कोई जगह नहीं थी। दीदी सब समझ रही थी पर उन्हें भी कुछ कुछ तो हो रहा था फिर उन्होंने मेरे बालों को सहलाते हुए कहा...“नहीं मैं तुझसे नराज़ नहीं हू। पर एक बात तो बता, तू यह कब से मूवीज देख रहा है”? बस मैं यही चाहता था की बातों का सिलसिला चलता रहे और में दीदी को सिड्यूस कर सकू।
“दीदी वैसे तो यह तीसरी मूवी ही मैंने बाहर देखी हे.. और गाली के लिए सॉरी हा”... मैंने ज्यादा ही ओबेडिएंट बनते हुए कहा,.“अरे बाबा कितना सॉरी बोलगा तु। बहोत डर गया लगता है.. और मुझे पता है की इस उमर में सभी गाली बोलते हैं, देख तेरे हाथ भी ठन्डे पड़ रहे है, इतना मत डरा कर, मैं कहीं तुझे खा नहीं जाने वाली”.. और ऐसा कहकर उन्होंने मुझे अपने और पास करते हुए अपने हाथ से मेरी पीठ को अपनी और खिंचा, और में भी मौके का फायदा उठाने के लिए दीदी के और पास आ गया। अब मैंने और एडवांटेज लिया और दीदी ने जैसे ही समझाया की मैंने तुरंत दीदी के कान के नीचे थैंक यु कह्के किस कर लिया और दीदी ने कोई भी रिएक्शन नहीं दिया तो मैंने और भी थैंक्स थैंक्स कहते हुए दीदी के गर्दन के पास किस करने लगा और कान के नीचे से ले कर के दीदी के कंधे तक किस कर दिया और फिर दीदी के शोल्डर के निचे जो उनके साइड पे सोने की वजह से क्लीवेज बना था और साइड से बूब बाहर निकल आया था वहा पर मैंने अपने लिप्स रख दिए और दीदी ने भी आवेश में आते हुए अपने हाथ से मेरे सर के बालों को सहलाने के बहाने मेरे सर पे जोर देने लगी, ताकि उनके बूब्स मेरे मुँह में आ सके।
फिर अब शायद दीदी को होश आ रहा था की यहाँ एक बेड पे वो अपने भाई के साथ क्या कर रही हैं इसिलिये उन्होंने मुझसे कहा...“रेशु, तुम्हे कुछ ज्यादा ही ठण्ड नहीं लग रही..”? उन्होंने मेरी सिचुएशन पर समझते हुए कहा, “हा..दीदी देखो ना अब भी मेरे पाँव ठन्डे हैं”.. मैंने दीदी के पाँव से हलके से साड़ी उठाई और घुटनों तक रख दी और अपना पाँव दीदी के पैर के तलवे से अपना पाँव दीदी के पाँव पर घूमते हुए दीदी के घुटने तक ले कर आया और फिर दीदी के पाँव पे फिर रखा और दीदी से कहा...“दीदी पाँव ठन्डे है ना”... मैंने दीदी की और देखा और कहा। दीदी ने मेरी आँखों में देखा और मैंने दीदी से नजरें मिलाने की बजाय नज़रें निचे कर ली तो मैंने दीदी के बूब्स देखे। दीदी ने भी नोटिस किया, पर वो कुछ नहीं बोली और मैंने दीदी से कुछ न कहा और दीदी के शोल्डर पर फिर से अपना मुँह रखा और दीदी से और भी चिपक गया और दीदी की साडी जो घुटनों तक आ चुकी थी उस पाँव पर अपना दायां पाँव रखा और दीदी की जांघों पर अपना बायां पाँव रख दिया। दीदी ने भी अपना पाँव घुटनों से मोड़ लिया इससे दीदी की साडी और भी उठ गयी और दीदी का इशारा समझते हुए मैंने दीदी के कंधे पर फिर से किस किया और दीदी से कहा...दीदी एक बात कहूँ..आप बुरा तो नहीं मानेंगी ना”?