• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest डॉक्टर का फुल पारिवारिक धमाका

Avi Naik

New Member
22
145
29
हाय आय ऍम ऋषभ शहा, में सूरत में रहता हू। मैं एक फिजिशियन डॉक्टर हू। मेरी उम्र 26 साल है।

अब में अपनी कहानी पर आता हू। यह बात तब की है जब में 20 साल का था और मेडिकल कॉलेज में पढता था। मेरे घर में मेरे परेंट्स है, पापा डॉ. सतीश शहा जो एक कैंसर सर्जन हैं और माँ भी एक जनरल डॉक्टर। उनका नाम नीता शहा है। शायद आप जानते होंगे की हर डॉक्टर अपने बच्चों को डॉक्टर ही बनाना चाहता हे, इसीलिए मैं भी मेडिकल कॉलेज में एंटर हो गया। मेरे 12वीं में थोड़े नंबर कम आये थे इसीलिए मुझे अहमदबाद जाना पडा। मेरे घर में मेरे पापा से बड़े एक चाचा हे वह अहमदाबाद में ही डॉ. हैं और मेरी चाची भी पर वह डॉक्टरी छोड़ कर सोशल एक्टिविटी में ज्यादा पार्ट लेती हैं। वह बहुत ही अच्छी हैं। मेरे चाचा का नाम प्रदीप शाह है और वह 50 साल के हैं और बहुत बिजी रहते हैं। मेरी चाची का नाम शीला शाह है। वह 42 साल की हे लेकिन 32 की लगती है।

बहोत अच्छे से उन्होंने अपने आप को फिट रक्खा हे। और थैंक्स टू फेयरनेस क्रीम्स और ब्यूटी अवरेनेस्स, अब हर अच्छे घर में बड़ी उम्र औरतें भी अपने आप को मेन्टेन करने में बिजी रहती हैं।
 
Last edited:

Avi Naik

New Member
22
145
29
“बड़ी चाची”

भाग – 1


जी तो मैं सूरत से अहमदाबाद शिफ़्ट हो गया, वैसे तो में अहमदाबाद में चाचा चाची के यहाँ रह चुका हूँ इसीलिए मुझे कोई परेशानी नहीं हुई। मैं मेडिकल कॉलेज में पहले दिन गया और देखा तो बहुत सी अच्छी लड़कियां थी, जैसे में कोई फैशन कॉलेज में आ गया हूं। बहोत अच्छा लगा। फिर में शाम को घर आया तो चाची कहीं बाहर गयी थी। मैं अपने रूम में गया और अपने लैपटॉप पर ब्लू फिल्म्स देखने लगा। थोड़ी देर के बाद जब डोर बेल बजी तो मैंने डरवाजा खोला तो चाची आई थी। आते ही उन्होंने मेरे पहले दिन के बारे में पूछा। जी में यह बता दून की मेरे चाची का कोई बेटा नहीं था, एक बेटी थी वह भी मैरिड थी, जिन्हे में कोमल दीदी कहता था अब घर में मैं और चाचा चाची ही रहते है। चाची को में कई बार में अपने ड्रीम्स में फैंटसी कर चुका हूँ लेकिन कभी उससे आगे बढ्ने की हिम्मत नहीं हुई, क्यूँकि वह मुझे अपने बेटे जैसा मानती थी और हमेशा रेशु बेटा ही कह कर पुकारती थी। जहाँ तक मुझे पता है उनके मन में मेरे बारे में शायद कोई गन्दा ख्याल नहीं होगा। तक़रीबन एक महीना बीत गया था, की एक दिन में अपने रूम में एक दम नंगा हो कर मूठ मार रहा था और ब्लू फिल्म देख रहा था की मुझे तभी खयाल आया की में तो खिड़की के सामने खड़ा हू और मैंने नोटिस किया की सामने वाली आंटी मुझे देख रही हे।

मेरे तो पसीने छूट गए क्यूँकि में पहली बार ऐसा काम करते हुए पक़डा गया था, ऐसे टाइम पर डर सभी को लगता हे। मैंने फटाक से खिड़की बंद की और अपने रूम मे छुप कर बैठ गया। शाम को आंटी घर आई उन्होंने मुझे पुकारा पर मैंने उनके सामने जाना ठीक नहीं संमझा क्यूँकि वो आंटी मेरी चाची को अच्छे से जानती थी। लेट जब 9 बजे चाचा घर लौटे तो में अपने रूम से बाहर निकला और फ़टाफ़ट उनके साथ डिनर निपटा के वापस अपने रूम में चला गया और जा के सोचने लगा की उस आंटी ने चाची को कुछ बताया भी की नहीं पर में कुछ नहीं समझा दूसरे दिन भी में लेट उठा, बाहर देखा तो कोई नही था मैं नहा धो कर कॉलेज के लिए निकल गया। जैसे ही मैंने घर लॉक किया तो देखा की वो आंटी मेरे सामने थी और अपना बरामदा साफ़ कर रही थी लेकिन मुझे देख कर वह अपने घर में चलि गयी और धडाम से डरवाजा बंद कर दिया।

शाम को में घर लौटा तो भी सब नार्मल था मुझे यकीन हो गया की उस आंटी को बस गुस्सा आया है पर उन्होंने मेरी चाची को कुछ नहीं बताया। चाची भी नार्मल थी और चाचा भी। मैं अब बिन्दास था,ऐसे ही दो दिन निकल गये, मैं अपने काम में मस्त था लेकिन अब ध्यान रखने लगा था की कोई मुझे पकड़ न ले।
फिर उस दिन शाम को चाचा का कॉल आया की वह सर्जरी में हे उन्हें इसी वजह से लेट हो जायेगा तो चाची ने मुझे डिनर के लिये बुलाया और में डिनर टेबल पर आ गया और किचन में उनकी हेल्प करने लगा और मैंने सारा खाना डायनिंग टेबल पर सजा दिया।

चाची आज खुश लग रही थी और में भी की में बच गया। हम खाना खाने लगे और बातें करने लगे,

चाची : "खाना कैसा बना हे, रेशु"?

मे : "बहुत अच्छा, आपके हाथ से कभी खाना बुरा बनता ही नहीं...!

चाची:"अच्छा, तो फिर एक रोटी और लो"।

मे: "नहीं चाची अभी पेट भर चुका है।

चाची: "अच्छा, रेशु एक बात तो बताओ..

मे: "हाँ चाची..?

चाची: "तुममे अक्कल हे की नहीं?

मे: "क्यों चाची.. मैंने क्या किया?

चाची:"तुम पडोस वाली आंटी के सामने क्या कर रहे थे?

मैन तो चौंक ही गया..कुछ समझ में नहीं आ रहा था क्या बोलू और क्या करू। मैंने इतने में सोच लिया की चाची से बहाना करने में कोई फायदा नहीं वह मुझसे ज्यादा होशियर है तो पकड़ ही लेगी तो मैंने अपनी गर्दन शर्म से निचे झुका ली, मुझे पता था की अब वह कुछ नहीं कहेगी क्यूँकि मैं परिवार में एक ही लड़का था और वह भी मुझे बेटे जैसा मानती थी। मैं शर्म से नीचे देख रहा था और कोई जवाब देने की कोशिश नहीं की।

“अरे बोलते क्यों नहीं”.. “तुम नहीं जानते की तुमने क्या किया?या फिर में बताऊ की तुम ने क्या
किया?”

मैं: सॉरी चाची अब आगे से ऐसा नहीं करूंगा।

चाची: “देखो रेशु, मुझे पता है की तुम जवान हो गए हो और यह सब लड़के करते ही हे, लेकिन हमारी आज सोसाइटी में कुछ इज्जत है, तुम ऐसे करोगे तो फिर हम सबको जवाब कैसे दे पायेंगे”?

मैं- “आए एम सॉरी चाची लेकिन में वो ..

चाची:“अच्छा.. ठीक है, सामने वाली आंटी मेरी अच्छी दोस्त हे, इसीलिए उसने सिर्फ मुझसे बात कि, सोचो अगर तुम्हारे अंकल को इस बात का पता चल गया हो तो"!

मैं: “चाची अब आगे से नहीं करुँगा..

चाची:“फिर से झूठ, ऐसे कहो के आगे से खिड़की और दरवाजा बंद करके करोगे, क्यूँकि मुझे पता हे की तुम आखिर मर्द हो. समझे...?

मैं-“जी चाची..

पहले वो खाना निपटा के उठी और सब प्लेट्स डायनिंग टेबल से किचन में रखने लगी, मैं भी उनका हाथ बटाने लगा और जब सब ख़त्म हो गया तब मैंने आंटी से कहा.

मैं-“चाची. एक बात पुछू?”

चाची-”हाँ रेशु”

मैं-“चाची आप मुझसे नाराज़ तो नहीं है ना..

चाची-“अम्म थोड़ी सी डिस्टर्ब तो हुई थी, लेकिन नाराज़ नहीं हू”

मैं- “थैंक्स, चाची”

पहले में चाची से जोर से गले लग गया और उन्हें कस के जैसे अपने में समेट ही लिया, यह मेरा पहली बार था जब में किसी औरत के गले लगा था मैंने अपने हाथ आंटी के पीछे शॉल्डर से लेकर चाची की हिप्स तक फेरने लगा. आंटी अब मुझे शायद समझ रही थी, वह भी मुझसे मानो एकदम टाइट सटी हुई थी. फिर उन्हें समझ आया और वह मुझसे दूर हो गयी ओर उन्होंने मुझे देखा और आँखें मुझसे न मिलाकर वो अपने काम में लग गयी और मुझसे कहा की जाओ तुम जा कर सो जाओ.मै वहॉ से अपने रूम में चला गया. लेकिन मैं अपनी चाची को फैंटेसी कर रहा था और मुझे लगा की वह बाहर जा रही हैं तो मैं भी उनके पीछे पीछे चल निकला और दरवाजे की आड़ से मैंने देखा की वह उस आंटी से बात कर रही हे. मैं उनकी बातें सुनने लगा...

वह आंटी पूछ रही थी, की क्या तूने अपने भतीजे से बात की या नहीं?

तो चाची ने जवाब दिया की वह तो बिचारा डर ही गया। फिर मैंने उसे समझाया की यह सब नार्मल हे पर ध्यान रखा करो। फिर वह कुछ ठीक लगा।

फिर सामने वाली आंटी ने कहा जो भी हो पर तेरे
भतीजे का हथियार बहुत बड़ा हे, एक बार तो लगा की बस देखती रहू पर फिर अपनी इज्जत का ख्याल आया और में चुप हो गयी। इस पर मेरी चाची ने कहा क्या तुम सच कह रही हो?

यह सब बातें सुनकर मुझे लगा की अब चाची भी मेरे लंड को देखने में इंटेरेस्टेड होगी तो अगर मेरा लंड वो देखले तो शायद काम बन सकता हे। फिर मैं अपने रूम में आ गया और चाची को पटाने का प्लान बनाने लगा। इतने में चाची मेरे रूम में आई और कहा,

चाची : अरे रेशु तुम अब तक क्या सोच रहे हो..?क्या तुम अब भी उस बात को लेकर परेशान हो?देखो मैंने सामनेवाली आंटी से अभी बात की हे और उन्हें संमझा दिया हे। तुम चिंता मत करो और अपनी पढाई पर फोकस करो।

मैं- थैंक्स आंटी। और फिर इस बार में आंटी से बिना पूछे ही उनके गले लग गया और पिछले बार से भी जोर से गले लगा लिया और शायद इस बार आंटी अपनी पैरों की फिंगर्स पर उंची भी हो गयी थी। मैं उन्हें सहलाने लगा था, लेकिन वह भी अब मेरे पर डाउट रख रही थी, लेकिन कुछ बोली नहीं और चुपचाप मुझसे सटी रही, मैंने अपने दोनों हाथ से उनके दोनों शोल्डर पकडे और जोर से दबाया और फिर दोनों हाथ चाची के ठीक ब्लाउज पर ले जाकर उनके ब्लाउज को दोनों हाथों से दबाया इस लिए उनके बूब्स मेरे सीने में और भी धँस गए और अब वह मुझे गौर से देखने लगी, लेकिन कुछ कहा नहीं। वह मुझे देख रही थी,लेकिन मैंने उन्हें अंनदेखा कर के अपने दोनों हाथ नीचे ले जाते हुए कमर को सहलाते हुए अपने दोनो हाथ उनके पिछवाड़े पर रख दिए पर उतने में डोरबेल बजी और आंटी को होश आया और वह फटाफ़ट निकल गयी।
 
Last edited:

Avi Naik

New Member
22
145
29
“बड़ी चाची”

भाग – 2


अब मेरी समझ में आ गया था की चाची को सिड्यूस किया जा सकता हे। अब तक में इन्सेस्ट साहित्य में विश्वास नहीं करता था लेकिन इस घटना में मैं लगा और फिर मैंने अपना लैपटॉप निकाला और इन्सेस्ट में सिड्यूस करने वाली स्टोरीज पढना शुरू कर दिया। अब मुझे कुछ कुछ ट्रिक्स समझ में आ रही थी। अब मैं जानने लगा था की उम्र के साथ मर्द को सेक्स में कम इंट्रेस्ट होता है लेकिन औरतों को अब भी प्यास होती हे। इसलिए ज़्यादा उम्र वाली औरतेँ नौजवान लड़कों को सिड्यूस भी करती हैं।

अब मैंने सोचा की चाची को स्टोरीज के हिसाब से और अपने आइडियाज भी लगा के पटाना होगा। दूसरे दिन मैंने अपने बाथरूम में नल खोल कर उसके पाइप में एक कपडा फसा दिया और चाची के पास गया, देखा तो वह किचन में नाश्ता बना रही थी। अभी वह नहाई नहीं थी तो मैंने चाची से कहा की मेरे बाथरूम में पानी नहीं आ रहा हे, तो क्या में आपका बाथरूम यूज़ कर लूं? तो उन्होंने मुझसे कहा की जाओ लेकिन जल्दी करना मुझे भी नहाना हे। मैं बाथरूम में गया और देखा तो चाचा ने नहा लिया था और वह मंदिर के पास पूजा कर रहे थे। मैं बाथरूम में गया और चाची के कपडे खोजने लगा और मुझे उनकी ब्रा और पेन्टी मिल गयी, मैंने उन्हें हाथ में लिया और चाची को सोचते हुए मुठ मारना शुरू कर दिया, थोड़ी ही देर में मैंने अपना वीर्य उनके कपड़ों पर उडेल दिया और फिर आराम से नहा कर बाहर आ गया और चाची के नहाने की वेट करने लगा।

मैं अब चाचा के साथ डायनिंग टेबल पर था और चाची की वेट कर रहा था वह जब नहाकर बाहर आई तो उन्होंने सबसे पहले मुझे देखा और बस एक हलकी सी नज़र मिलाके शर्म से नज़रें निचे झुका ली। मैंने भी पूरे नाश्ते के दौरान थोड़ी शर्म और थोड़े डर के मारे नजरे नहीं मिलायी। फिर में चाचा के साथ ही उनकी कार में कॉलेज चला गया ताकि चाची मुझे डांट न सके। शाम को लौटते वक़्त मेरे मन में थोड़ा डर था, क्यूँकि मैंने ऐसे पहली बार किया था। मैं घर आया तो चाची घर पर नहीं थी, वह कोई सोशल काम से बाहर गयी थी। मुझे कुछ राहत मिली और में तुरंत चाची के बाथरूम में गया और देखा तो चाची की वह ब्रा और पेन्टी नहीं थी। मुझे बहुत ख़ुशी हुई और मैंने फिर से मुठ मारी और इस में थोडी देर हो गयी और में जैसे ही बाहर निकला तो चाची बाथरूम में ही जा रही थी। वह मुझे देखकर शॉक तो हो गयी पर जरा सी भी बात नहीं की और बाथरूम में चली गईं। अब मुझे पता था की वह चाहती तो हैं सेक्स करना पर थोड़ा नाटक कर रही हे।

मैंने भी उन्हें अपने हाल पर छोड़ दिया और अपने रूम में जाकर पढ़ने लगा। पढाई भी जरूरी है भाई। थोडी देर में किसीने मेरे दरवाजे पर नॉक किया।

मैं- कौन..?

चाची-अरे में हू।

मैं- चाची आप तो अंदर आइये ना...

जब चाची अंदर आई तो उन्हें देखकर में उन्हें ही देखने लगा। उन्होंने ब्लैक साडी विद ब्लैक स्लीवलेस ब्लाउज़ पहना था।

चाची: ऐसे क्या देख रहे हो?

मै अब होश में आ गया और टॉपिक चेंज करते हुए मेंने कहा,

मैं- अरे चाची आपको नॉक करने की क्या जरूरत है?

चाची-अरे बेटा नॉक करना अब जरूरी लगता है, क्या पता तुम क्या काम कर रहे हो?

मै थोड़ा सा शर्मिंदा हो गया, चाची ने मुझे ताना मारा था...

मैं- क्या चाची, आप भी मुझे शर्म फील करवा रही हैं, अब तक में सामने वाली आंटी के सामने नहीं गया हू।

चाची: तो फिर ऐसे काम ही क्यों करते हो की किसी से नज़रें भी मिला न सको?

अब मैं शर्मिंदा था, मैं बस मुँह लटका के बैठा रहा। फिर उन्हें भी समझ में आया तो वह मेरे बालों में अपने हाथ फेरने लगी और कहा की तुम अच्छे बच्चे हो पर थोड़े से शैतान हो रहे हो. फिर मैंने मौका देखकर कह दिया की “लेकिन चाची मेरी शैतानी अच्छी लगती है ना”?

तो वह मुस्कुरायी और चली गयी। अब मुझे ग्रीन सिग्नल मिल रहा था। अब मैंने चाची को सेक्स के भूखे जानवर की तरह घूरना स्टार्ट किया। मैं अब उनके बूब्स, क्लीवेज और गांड को देखता रहता था चाची को भी इस बात का पता था लेकिन वो कुछ बोलती नहीं थी क्योंकि मैं कोई हल्की हरकत नहीं करता था और वह भी सेक्स के टॉपिक के बारे में बात नहीं करना चाहती थी।

तो मैंने ऐसे 10-15 दिन उन्हें देखना शुरू किया और साथ साथ रात में उनके कमरे के बाहर से यह भी देखना स्टार्ट किया की चाचा और चाची सेक्स करते भी हे की नही। करीब 15 दिन पता लगाने के बाद मैंने देखा की दोनों की सेक्स लाइफ निल हे। तो मैंने अब थोड़ा सा पहल लेना स्टार्ट किया और अब आते जाते मेरा हाथ चाची के पिछवाड़े और साइड से बूब्स पर टकराने लगा। फिर मैंने एक दिन फेक आई डी से अपनी चाची को एक मेल किया जिसमें अपने बेटे को कैसे सिड्यूस किया जाये उसकी सब ट्रिक्स भेजी। तक़रीबन दो घंटे बाद उनका रिप्लाई आया था और पूछा था की “हु आर यू”? तो मैंने एक अच्छी सी सेडिक्टिव इन्सेस्ट स्टोरी उन्हें भेज दी। इस बात को कुछ हफ्ता बीता होगा लेकिन मुझे चाची में कोई बदलाव नहीं दिखा। फिर थोड़े ही दिनों में दिवाली आने वाली थी और मेरा वेकेशन स्टार्ट हो गया था, तो आंटी ने एक दिन कहा की “रेशु बेटा आज घर की सफाई करनी है, क्या तुम मेरा हाथ बटा दोगे”?

तो मेंने हामी भर दी.उनहोने कहा “ठीक है तो फिर अपने पुराने कपडे या फिर वेस्ट और छोटे शॉर्ट में स्टोर रूम में आ जाओ, क्यूँकि सब रूम तो ठीक है सिर्फ स्टोर रूम में से कचरा निकालना हे”। मैंने
इस मौके का फायदा उठना ठीक समझा और मैं सिर्फ शॉर्ट्स पहन कर स्टोर रूम में गया। चाची मुझे दो सेकंड के लिए देखती रही, फिर उन्होंने मुझसे कहा ठीक किया, वरना बनियान भी ख़राब हो जाती। फिर हम सफाई करने लगे। तकरीबन दो घंटे सफाई का काम चला, और मैंने गौर किया की आंटी मेरे अंडरवीयर को कई बार देखती और फिर आँखें चुरा लेती थी। फिर जब सफाई ख़त्म करके हम ड्राइंग रूम में आए तो मैं सोफ़े पर पैर फैला के बैठ गया, जिससे मेरे अंडरवीयर में से कुछ बाल और शायद मेरा लंड भी दिख रहा था चाची भी मेरे पीछे पीछे आई और मेरे अंडरवीयर को देखने लगी, फिर 3–4 सेकण्ड्स के बाद उन्होंने कहा की “रेशु तुमने अपना शॉर्ट्स क्यों उतार दिए और ऐसे अपने चाची के सामने बैठने से शर्म नहीं आती”?

तो मैंने कहा की, “अरे चाची मुझे बाद में याद आया की यह शॉर्ट्स तो मैंने पिछले हफ्ते ही ख़रीदा है और ज्यादा ख़राब हो गया तो खराब हो जाएगा इसीलिए मैंने इसे भी उतार दिया और रही दूसरी बात, आपके सामने कैसी शर्म? बचपन में आपने मुझे बहुत बार न्यूड देखा होगा ना”! तो इस पर चाची ने कहा की, “तब की बात और थी, तब तुम अच्छे बच्चे थे, लेकिन अब ऐसी हरकते करने लगे हो की पडोसी के सामने जाने से भी डर लगता है”।

मैं फिर थोडा सा शर्मिंदा हो गया और चाची के सामने से नज़रें हटाकर दूसरी तरफ देखने लगा। चाची मेरी फीलिंग्स को समझ गयी थी, इसीलिए बाद में हंस पड़ी और कहा की अरे बाबा में तो मज़ाक़ कर रही थी। फिर उन्होंने कहा,

चाची: रेशु, एक बात बताओगे?

मैं- हा, चाची..

चाची- तुमने उस दिन के बाद फिर वो किया है क्या?

मैं थोड़ा सा चौंक गया, पर मैंने कहा “नही चाची”।

तो वो बोलि, “नहीं मुझे नहीं लगता, तुम सच बताओ”।

मैं- हा, चाची दो – तीन बार किया है।

चाची “आच्छा, इसका मतलब तुमने कमसे काम 10–15 बार किया होगा,. “अच्छा एक और बात बताओ? उस दिन तुम किसे सोचकर कर रहे थे कि तुम खिड़की बंद करना भी भूल गए थे. सच बताना, मैं सच सुनना चाहती हू”।

मुझे पता चल रहा था की चाची अब अपने बारे में सुनना चाहती हे. तो मैंने कहा की, “मैं नही बताऊंगा”।

तो उन्होंने कहा की, “मैं तुम्हे नहीं डाटूंगी। तुम खुल के अपनी चाची से बातचीत करो।

मैं- नहीं चाची, आप नराज़ हो जाएगी।

चाची- नहीं में बिलकुल गुस्सा नहीं करुँगी।

मैं- चाची, मैं इस बात को यही तक रखना चाहता हू, मुझे पता हे आप इसे सुन नहीं पाएगी, इसलिए मैं आपसे नहीं कह पाऊंगा।

इतने में डोरबेल बजी और मैंने चाची से कहा की मैं शॉर्ट्स पहन कर आता हू और मै उठकर अपने रूम में चला गया और चाची दरवाजा खोलने लगी। देखा तो चाचाजी आये हुए थे, उन्होंने आते ही कहा कि, “मुझे जरा आज मुंबई जाना पड़ेगा, अपना खुद का हॉस्पिटल खोलने के लिए मेरे दोस्त ने एक कंपनी से बात करके रखी है, मैं अब शायद कल ही आउंगा”!

मैं शॉर्ट्स पहन कर आया तो चाचा ने कहा, “अरे वाह भाई आज तो तुमने काफी अच्छी मदद की अपनी चाची की, अच्छा आज में रात को नहीं आउंगा, तो घर पर ही रहना”। मैंने कहा ठीक है, और चाची के बारे में पूछा, तो उन्होंने कहा की वह किचन में खाना गरम कर रही है। मैं फिर किचन में चला गया और देखा तो चाची गैस पर कुछ गरम कर रही थी, अरे क्या मस्त उनकी बैक और गांड लग रही थी। मैं बस उन्हें देखता रहा. लेकिन पता नहीं उन्हें कैसे पता चल गया,वह फिर डबल मीनिंग में बोली, वही से क्या देख रहे हो, पास आ कर देखो। मैं हिम्मत कर के ठीक चाची के पीछे चला गया और उनसे सट कर उनके कंधे पर अपना मुँह रखा और पूछा,

मैं- क्या कर रही हो चाची?

चाची- बस खाना गर्म कर रही हू।

मै तो बस वहॉ से चाची के बूब्स की क्लीवेज देख रहा था। चाची भी यह जानती थी लेकिन कुछ बोली नही। मैं खड़ा रहा था थोड़ी देर बाद चाची ने कहा, कुछ काम नहीं है तो अपने चाचा के पास जा कर बैठ में आती हूं। मै अब सोच में पड़ गया की क्या बहाना बनाऊ, तो मैंने कहा की चाची मुझे आपसे कुछ
कहना है,

चाची- हाँ बोलो।

मैं- चाची, आप पुछ रही थी न की में किसे सोच कर वह सब कर रहा था?

चाची-“ह्म्म्म”। अब मेरा हाथ चाची के अस्स पर रक्खा था,

मैं- वोह...क्या है..

चाची- आरे बताना।

मैं- चाची, वह आप थी।

मैने हिम्मत कर के बोल दिया और चाची के रिस्पांस का इंतज़ार करने लगा.मुझे पता था की वह दिखावे के लिए गुस्सा करेंगी, पर उससे उल्टा हुआ.

चाची: रेशु....यह, बेटा यह तू क्या कह रहा है? तुझे पता भी हे? चल तू अब यहाँ से जा,तेरे चाचा सुन लेंगे, तो क्या से क्या हो जायेगा? हे भगवान इसे तो यह भी नहीं पता की कब क्या बोलना चाहिए और क्या नहीं?

मैं- आई ऍम सॉरी, चाची।

चाची- तू अभी जा ना..

मै वहां से आ कर डायनिंग टेबल पर बैठ गया और चाची के आने का इंतज़ार करने लगा। चाची आई और हम खाना खाने लगे, लेकिन चाची मुझसे बात नहीं कर रही थी. बाद में एक घँटे के बाद चाचा निकल गए और मैं उन्हें एयरपोर्ट तक छोड़ कर वापस आया। चाची अपने रूम में नहीं थी, मैंने कॉल किया तो डिसकनेक्ट कर दिया। फिर एक घंटे के बाद चाची घर आयी।
 
Last edited:

Avi Naik

New Member
22
145
29
“बड़ी चाची”

भाग – 3


मै उन्हें देखते ही उनसे जोर से गले लग गया और कहा की, “आप फ़ोन क्यों अटेंड नहीं कर रही थी? कह के तो जाना चाहिए ना”।

चाची मुझे कंसोल करते हुए कहा, “अरे बाबा में कार में थी और ट्रैफिक पुलिस मुझे ही देख रहा था की में फ़ोन हाथ में लु और वह चालान काटे। मै अब ठीक था चाची भी मुझे परेशानी में देखकर थोड़ी परेशान और थोड़ा मुस्कुरा भी रही थी। फिर मेरी जान में भी जान आयी और मैंने अपने आप को सम्भाला। मुझे लगा की चाची मेरी बात को भूल गयी हे इसीलिए में भी बाहर चला गया और एक ड़ेढ़ घंटे के बाद वापस लौटा। तब शाम के सात बाजे थे, चाची सब्जी काटते हुए टीवी देख रही थी। मैं अपने रूम में गया और फ्रेश हो कर शॉर्ट्स और वेस्ट में अपने रूम में पढाई करने लगा। तभी थोडी देर में चाची ने आवाज़ लगायी और कहा की रेशु डिनर रेडी है, आजाओ। मैं फौरन बाहर आया और चाची की हेल्प करने लगा. चाची कुछ मन में सोच रही थी, मुझसे बात नही कर रही थी। शायद वो मेरे कॉन्फेशन के इशु को फिर से स्टार्ट करना चाहती थी, पर कैसे करे वह सोच रही थी।

फिर हम खाना खाने बैठे और डिनर करने लगे। चाची
मुझसे नजरें नहीं मिला रही थी। चाची ने फ़टाफ़ट खाना निपटाया और उठने लगी की उनके मूँह से “आह” निकली तो मैंने झट से पूछा की “क्या हुआ चाची?

चाची- “कुछ नही”।

मैं- नहीं चाची, कुछ तो हुआ है।

चाची- नहीं बेटा, कुछ नही।

कहकर वो किचन में जा कर बर्तन धोने लगी। मैंने भी अपना डिनर निपटाया और किचन में जा कर फिर से पूछा लेकिन चाची ने बताया नही। तक़रीबन 8
बज रहे थे। चाची कुछ दर्द में लग रही थी। मैं ड्राइंग रूम में टीवी देखने लगा। चाची भी बर्तन धो कर मेरे पास बैठी और फिर से उनके मुँह से दर्द की आह निकली, तो मैने टीवी बंद किया और कहा की...

मैं- चाची, आप कुछ परेशानी में हो. शायद कुछ हो रहा है, आपको?

चाची कुछ नहीं बोली. मैं उन्हें ही देख रहा था, वह समझ गयी की बात जाने बिना मैं मानूँगा नहीं तो वह बोली, की में जब बाहर गया था, तब वो ग़लती से किचन में गिर गयी ओर अंदरूनी चोट आई है।

मैं- कहां चाची?

चाची ने नीचे देखा और अपनी जांघ पर हाथ रखा।

मैंने कहा की चलो चाची में तुम्हे आइंटमेंट लगा देता हू।

चाची-“नहीं बेटा, में खुद लगा देती हू।

मैं- अरे चाची, आप तो डॉक्टर हे और समझती हैं की मरीज़ अपने आप कभी अच्छे से मालिश या दवा नही लेता। चलिये आपके रूम में चलते हैं। मैं उन्हें उनके रूम में हलकी सी जबरदस्ती के साथ ले गया।

फिर मैंने पूछा,

मैं- चाची, ऑइंटमेंट कहाँ है?

चाची- अरे बाबा इस दर्द में में यह भूल ही गयी की घर में ऑइंटमेंट है ही नहीं।

मैने तुरंत आइडिया निकाला और कहा, कोई बात नहीं चाची, में फ़्रीज में से बर्फ ले कर लगा देता हूं और मैं बिना चाची की बात सुने बर्फ लेने चला गया और दो ही मिनट में बर्फ ले कर वापस आया और देखा की चाची को हलकी सी शर्म आ रही है। इसीलिए मैंने हल्का सा बनते हुए कहा की “अरे चाची तुम सोचो मत, और मुझसे क्या शरमाना आपका? आपको दर्द हो रहा हे और में आपका इलाज कर रहा हू।”

चाची- अच्छा बाबा ठीक है।

फिर वो अपने पेट के बल लेट गयी और आँखें बंद कर ली। ओह माय गोड चाची की बैक क्या मस्त लग रही थी। गोरी गोरी फिर लो कट ब्लैक ब्लाउज़ में छुपा हुआ बैक और फिर मस्त मस्त कमर और फिर.. मस्त गांड। फिर लांग लेगस, मैं ऐसे ही चाची का चक्षु चोदन करने लगा। तभी चाची ने मेरी और देखा और मैं उनके कुछ कहने से पहले ही होश में आगया और एक बर्फ का टुकड़ा अपने हाथ के पंजे में रख कर चाची की साडी ऊपर करने लगा, तो चाची ने मेरा हाथ पकड़ लिया और कहा की में खुद कर देती हूं। फिर चाची ने अपनी ब्लैक साड़ी उठानी शुरू की और उनके उठाने के अंदाज़ से लग रहा था की वो मुझे सिड्यूस करने के लिए ही यह सब कर रही हे। उन्होंने बड़े आराम से अपनी साड़ी उठायी और अपने घुटनों तक ले कर आई और फिर मेरी और देखा और उनका इशारा पाते ही मैं समझ गया की अब बर्फ लगाने की बरी आ गयी है।

मैंने हलके से बर्फ जानबूझ कर उनके घुटने के ऊपर रखा और बर्फ रखते ही वो ठण्ड से और सिडक्शन से कांप गयी। मैंने फिर बर्फ गोल गोल घुमाना शुरू किया और चाची की गांड को ही देखने लगा. थोड़ा ही टाइम हुआ था की मैंने चाची से कहा की...

मैं- चाची, आपकी साडी थोड़ी सी गीली हो रही है, अगर आप कहे तो में इसे थोड़ा उपर उठादू?

और चाची के जवाब की परवाह किये बिना मैंने साडी हाथ में ले ली और इतने में चाची ने मेरी और देखा और एक अजीब सी स्माइल के साथ उन्होंने हा में सर हिलाया और मैंने भी नॉटी सी स्माइल रिटर्न किया और थोड़ा उठाने के बजाये मैंने उनकी पूरी जांघें ओपन कर दी और साड़ी बिलकुल उनके गांड के पास रख दी.

अब मैंने जांघों को देखने के बाद मैंने दूसरे हाथ में भी
बर्फ का टुकड़ा ले लिया और दोनों जांघों पर मसाज करने लगा, बस एक दो बार ही मसाज किया ओर कहा की...

मैं- चाची, एक साइड से दूसरी और मसाज करना ठीक से आ नहीं रहा, मुझे आपके लेग्स के बीच में बैठ्ना पड़ेगा, तो क्या आप...

और मेरे सेंटेंस ख़त्म करने से पहले ही उन्होंने मेरी और देखे बिना और आँखें खोले बिना अपने दोनों पैर फिर से कामुक अंदाज़ में बड़े आराम से फैला लिये, ओह माय गॉड उनकी काली साड़ी में गोर गोरे पांव फ़ैलाने का अंदाज़ सच में क़ातिलाना था।

मेरा तो लंड अब खड़ा हो चुका था और चाची को मुझे अब इस बात का अंदाजा दिलवाना था इसीलिए में उनके पांव के बीच मे बैठ गया और अपने दोनों हाथो में बर्फ ले कर आराम से थोड़ा थोड़ा प्रेस कर के बर्फ घुमाने लगा और घूमाते घूमाते बर्फ उनकी गांड तक ले जाने लगा, जब जब मेरे हाथ उनके गांड तक जाता तो उनकी पेन्टी की स्लाइड्स मुझे महसूस हो रही थी। मैं अब अपने आपे से बाहर होता जा रहा था एक दम सेक्सी चाची और में इस सिचुएशन में। मैंने फिर बड़े आराम से अपने हाथ चाची की पेन्टी में सरकाने का ट्राय किया पर चाची की पेन्टी बहुत टाइट थी। इसीलिए हो नहीं पाया।

फिर मैंने चाची से पूछा...

मैं- चाची, आराम मिल रहा है?

चाची- हाँ बेटा आराम तो मिल रहा हे. लेकिन अब तुम रहने दो, अब में ठीक हू।

मैं- नहीं चाची,मै और मालिश कर देता हू।

चाची- नहीं रेशु, मैंने कहा ना.. की अब हो गया, में ठीक हूं।

फिर मुझे अपने आप पर गुस्सा आया की क्यों मैंने खुद ही बात छेडी, सब कुछ ठीक चल रहा था लेकिन मैं यह समझ नहीं पा रहा था की चाची को भी मज़ा आ रहा था फिर क्यूं उनहोने मुझे जाने को कहा? लेकिन मुझे और मेहनत करने पड़ेगी ऐसा सोच कर में अपने रूम मे जा कर बैठ गया. फिर शाम तक कुछ नहीं हआ अब रात के आठ बज रहे थे, और हम डिनर पर बैठे, लेकिन एक बात मेरी समझ में नहीं आ रही थी की मैंने इतना बड़ा सेंटेंस कहा की आंटी में आपको फेंटीसी करता हूँ पर आंटी ने अब तक कुछ नहीं कहा में इस बात पर बहुत हैरान था इसीलिए मैंने ही बात शुरू करना ठीक समझा...

मैं- चाची...?

चाची- हां?

मैं- चाची एक बात पूछनी हे?

चाची- किस बारे में, मैंने अब तक तुमसे फैंटेसी के बारे में पूछा नही, इस बारे मे?

मै तो शॉक ही हो गया। चाची यह देख कर हंस पडी।

चाची: अरे बेटा, इस उम्र में ऐसा बच्चे करते हे। लेकिन मुझे तुम्हारी ऑनेस्टी पसंद आई।

मैं- थैंक्स चाची लेकिन एक बात कहूंगा, आप मुझे अच्छी तरह से समझने लगी हे।

चाची- अच्छा बाबा चलो अब फिनिश करो।

ऐसे कह के चाची ने अपना डिनर फिनिश किया और उठी तो उनके मुँह से आह निकली।

मैं- क्या चाची, अब भी दर्द है?

चाची- हाँ बेटा, अभी डिनर कर के एक और बार मालिश कर देना।

मैं- ठीक है चाची, कहकर मैंने फ़टाफ़ट खाना ख़त्म किया।

इतने में चाची ने भी अपना काम फिनिश किया और मेरी और मुस्कुराई, मैं भी किचन में बर्फ लेने चला गया और बर्फ ले कर चाची के बैडरूम में दाखिल हुआ और देखा तो चाची अपने आप ही पेट के बल लेटी हुई थी। मेरे अंदर आते ही उन्होंने कहा, “रेशु, बेटा अब तक दर्द नहीं गया हे, थोड़ी हार्ड मालिश करो और दर्द और जगह भी है, तो वहॉ भी मालिश कर दो”। मैने ठीक है कहा और चाची के पाँव के पास बैठ गया और बिना पूछे चाची की साड़ी उनकी जांघों तक उठाई और चाची ने मेरे कहने से पहले ही अपने पाँव फैला लिये।

मेरा तो लंड फनफना ने लगा. मैंने बिना बर्फ के ही चाची के थाइस पर हाथ फिराया और फिर बर्फ
हाथ में ले लिया। मैं दोनों हाथों में बर्फ ले कर चाची के जांघों पर बर्फ रगड़ने लगा। चाची को मज़ा आ रहा था लेकिन चाची ने कहा “बेटा रेशु, एक और बात है की चोट मुझे कहीं और लगी है, पता नहीं कैसे कहूं, पर जो है वो है”.

मैं- चाची, बिना कोई झिझक मुझे बताइये।

चाची: मैं बता नहीं पाउँगी।

मैं- अच्छा तो मेरे हाथ वहॉ रख दीजिए जहां दर्द हो रहा है।

फिर उन्होंने अपने दोनों हाथो में मेरे हाथ लिए और अपने पेन्टी पर रख दिये। मेरा तो मन ही नाच उठा। मैंने अपने हाथो से बर्फ छोड़ कर चाची के गांड को पहले तो देखा फिर चाची की साड़ी उठा कर चाची की कमर पर रख दि। अब पूरी पेन्टी मेरे सामने थी।

मैने पहली बार किसी औरत की गांड को छुआ था मैंने अपने दोनों हाथ उनके गांड पर रखा और गोल गोल घुमाया।

मैं- चाची, अगर यहाँ पर बर्फ लगाउंगा तो आपकी यह गीली हो जाएगी, तो क्या आप..?

चाची- नही, नही... रेशु में तेरे सामने कैस, इसे उतार सकती हू?

मैं- अगर आपको शर्म आ रही हो तो में इसे उतार देता हू।

चाची- हाय हाय रेशु, तुम तो बड़े बेशर्म हो रहे हो।

मैं- चाची, में आपके भले के बारे में ही कह रहा हू।

चाची- नही..नही..

मैं- क्या नहीं चाची....नही मैं जरूर लगाउंगा आपको सुबह से दर्द हे और आप बताती भी नही है।

फिर चाची कुछ नहीं बोली, मैंने इसे चाची की इजाज़त मान ली और चाची की पेन्टी पर फिर से हाथ रखकर दोनों हाथों में दबा लिया. चाची अब बस आँखें बंद कर के लेटी रही, कुछ बोल नहीं रही थी। फिर मैंने पेन्टी के अंदर अपने हाथ डाल दिये और चाची की गांड को सहलाने लगा। चाची भी मजे ले रही थी। फिर मैं दोनों हाथों से चाची की गांड को दबाने लगा, चाची के मुँह से आह... ओह की आवाज़ निकलने लगी, मैं जानता था की यह सिसकियां हैं पर मैंने जानबूझ कर कहा,

मैं- देखा चाची, दर्द ज्यादा हो रहा है ना,,आप बस मुझे अपने तरीके से इलाज करने दीजीए।

चाची- अच्छा बाबा, तू ही अपने तरीके से कर दे, वैसे भी तू अच्छा इलाज कर रहा हे...
 
Last edited:
Top