“बड़ी चाची”
भाग – 3
मै उन्हें देखते ही उनसे जोर से गले लग गया और कहा की, “आप फ़ोन क्यों अटेंड नहीं कर रही थी? कह के तो जाना चाहिए ना”।
चाची मुझे कंसोल करते हुए कहा, “अरे बाबा में कार में थी और ट्रैफिक पुलिस मुझे ही देख रहा था की में फ़ोन हाथ में लु और वह चालान काटे। मै अब ठीक था चाची भी मुझे परेशानी में देखकर थोड़ी परेशान और थोड़ा मुस्कुरा भी रही थी। फिर मेरी जान में भी जान आयी और मैंने अपने आप को सम्भाला। मुझे लगा की चाची मेरी बात को भूल गयी हे इसीलिए में भी बाहर चला गया और एक ड़ेढ़ घंटे के बाद वापस लौटा। तब शाम के सात बाजे थे, चाची सब्जी काटते हुए टीवी देख रही थी। मैं अपने रूम में गया और फ्रेश हो कर शॉर्ट्स और वेस्ट में अपने रूम में पढाई करने लगा। तभी थोडी देर में चाची ने आवाज़ लगायी और कहा की रेशु डिनर रेडी है, आजाओ। मैं फौरन बाहर आया और चाची की हेल्प करने लगा. चाची कुछ मन में सोच रही थी, मुझसे बात नही कर रही थी। शायद वो मेरे कॉन्फेशन के इशु को फिर से स्टार्ट करना चाहती थी, पर कैसे करे वह सोच रही थी।
फिर हम खाना खाने बैठे और डिनर करने लगे। चाची
मुझसे नजरें नहीं मिला रही थी। चाची ने फ़टाफ़ट खाना निपटाया और उठने लगी की उनके मूँह से “आह” निकली तो मैंने झट से पूछा की “क्या हुआ चाची?
चाची- “कुछ नही”।
मैं- नहीं चाची, कुछ तो हुआ है।
चाची- नहीं बेटा, कुछ नही।
कहकर वो किचन में जा कर बर्तन धोने लगी। मैंने भी अपना डिनर निपटाया और किचन में जा कर फिर से पूछा लेकिन चाची ने बताया नही। तक़रीबन 8
बज रहे थे। चाची कुछ दर्द में लग रही थी। मैं ड्राइंग रूम में टीवी देखने लगा। चाची भी बर्तन धो कर मेरे पास बैठी और फिर से उनके मुँह से दर्द की आह निकली, तो मैने टीवी बंद किया और कहा की...
मैं- चाची, आप कुछ परेशानी में हो. शायद कुछ हो रहा है, आपको?
चाची कुछ नहीं बोली. मैं उन्हें ही देख रहा था, वह समझ गयी की बात जाने बिना मैं मानूँगा नहीं तो वह बोली, की में जब बाहर गया था, तब वो ग़लती से किचन में गिर गयी ओर अंदरूनी चोट आई है।
मैं- कहां चाची?
चाची ने नीचे देखा और अपनी जांघ पर हाथ रखा।
मैंने कहा की चलो चाची में तुम्हे आइंटमेंट लगा देता हू।
चाची-“नहीं बेटा, में खुद लगा देती हू।
मैं- अरे चाची, आप तो डॉक्टर हे और समझती हैं की मरीज़ अपने आप कभी अच्छे से मालिश या दवा नही लेता। चलिये आपके रूम में चलते हैं। मैं उन्हें उनके रूम में हलकी सी जबरदस्ती के साथ ले गया।
फिर मैंने पूछा,
मैं- चाची, ऑइंटमेंट कहाँ है?
चाची- अरे बाबा इस दर्द में में यह भूल ही गयी की घर में ऑइंटमेंट है ही नहीं।
मैने तुरंत आइडिया निकाला और कहा, कोई बात नहीं चाची, में फ़्रीज में से बर्फ ले कर लगा देता हूं और मैं बिना चाची की बात सुने बर्फ लेने चला गया और दो ही मिनट में बर्फ ले कर वापस आया और देखा की चाची को हलकी सी शर्म आ रही है। इसीलिए मैंने हल्का सा बनते हुए कहा की “अरे चाची तुम सोचो मत, और मुझसे क्या शरमाना आपका? आपको दर्द हो रहा हे और में आपका इलाज कर रहा हू।”
चाची- अच्छा बाबा ठीक है।
फिर वो अपने पेट के बल लेट गयी और आँखें बंद कर ली। ओह माय गोड चाची की बैक क्या मस्त लग रही थी। गोरी गोरी फिर लो कट ब्लैक ब्लाउज़ में छुपा हुआ बैक और फिर मस्त मस्त कमर और फिर.. मस्त गांड। फिर लांग लेगस, मैं ऐसे ही चाची का चक्षु चोदन करने लगा। तभी चाची ने मेरी और देखा और मैं उनके कुछ कहने से पहले ही होश में आगया और एक बर्फ का टुकड़ा अपने हाथ के पंजे में रख कर चाची की साडी ऊपर करने लगा, तो चाची ने मेरा हाथ पकड़ लिया और कहा की में खुद कर देती हूं। फिर चाची ने अपनी ब्लैक साड़ी उठानी शुरू की और उनके उठाने के अंदाज़ से लग रहा था की वो मुझे सिड्यूस करने के लिए ही यह सब कर रही हे। उन्होंने बड़े आराम से अपनी साड़ी उठायी और अपने घुटनों तक ले कर आई और फिर मेरी और देखा और उनका इशारा पाते ही मैं समझ गया की अब बर्फ लगाने की बरी आ गयी है।
मैंने हलके से बर्फ जानबूझ कर उनके घुटने के ऊपर रखा और बर्फ रखते ही वो ठण्ड से और सिडक्शन से कांप गयी। मैंने फिर बर्फ गोल गोल घुमाना शुरू किया और चाची की गांड को ही देखने लगा. थोड़ा ही टाइम हुआ था की मैंने चाची से कहा की...
मैं- चाची, आपकी साडी थोड़ी सी गीली हो रही है, अगर आप कहे तो में इसे थोड़ा उपर उठादू?
और चाची के जवाब की परवाह किये बिना मैंने साडी हाथ में ले ली और इतने में चाची ने मेरी और देखा और एक अजीब सी स्माइल के साथ उन्होंने हा में सर हिलाया और मैंने भी नॉटी सी स्माइल रिटर्न किया और थोड़ा उठाने के बजाये मैंने उनकी पूरी जांघें ओपन कर दी और साड़ी बिलकुल उनके गांड के पास रख दी.
अब मैंने जांघों को देखने के बाद मैंने दूसरे हाथ में भी
बर्फ का टुकड़ा ले लिया और दोनों जांघों पर मसाज करने लगा, बस एक दो बार ही मसाज किया ओर कहा की...
मैं- चाची, एक साइड से दूसरी और मसाज करना ठीक से आ नहीं रहा, मुझे आपके लेग्स के बीच में बैठ्ना पड़ेगा, तो क्या आप...
और मेरे सेंटेंस ख़त्म करने से पहले ही उन्होंने मेरी और देखे बिना और आँखें खोले बिना अपने दोनों पैर फिर से कामुक अंदाज़ में बड़े आराम से फैला लिये, ओह माय गॉड उनकी काली साड़ी में गोर गोरे पांव फ़ैलाने का अंदाज़ सच में क़ातिलाना था।
मेरा तो लंड अब खड़ा हो चुका था और चाची को मुझे अब इस बात का अंदाजा दिलवाना था इसीलिए में उनके पांव के बीच मे बैठ गया और अपने दोनों हाथो में बर्फ ले कर आराम से थोड़ा थोड़ा प्रेस कर के बर्फ घुमाने लगा और घूमाते घूमाते बर्फ उनकी गांड तक ले जाने लगा, जब जब मेरे हाथ उनके गांड तक जाता तो उनकी पेन्टी की स्लाइड्स मुझे महसूस हो रही थी। मैं अब अपने आपे से बाहर होता जा रहा था एक दम सेक्सी चाची और में इस सिचुएशन में। मैंने फिर बड़े आराम से अपने हाथ चाची की पेन्टी में सरकाने का ट्राय किया पर चाची की पेन्टी बहुत टाइट थी। इसीलिए हो नहीं पाया।
फिर मैंने चाची से पूछा...
मैं- चाची, आराम मिल रहा है?
चाची- हाँ बेटा आराम तो मिल रहा हे. लेकिन अब तुम रहने दो, अब में ठीक हू।
मैं- नहीं चाची,मै और मालिश कर देता हू।
चाची- नहीं रेशु, मैंने कहा ना.. की अब हो गया, में ठीक हूं।
फिर मुझे अपने आप पर गुस्सा आया की क्यों मैंने खुद ही बात छेडी, सब कुछ ठीक चल रहा था लेकिन मैं यह समझ नहीं पा रहा था की चाची को भी मज़ा आ रहा था फिर क्यूं उनहोने मुझे जाने को कहा? लेकिन मुझे और मेहनत करने पड़ेगी ऐसा सोच कर में अपने रूम मे जा कर बैठ गया. फिर शाम तक कुछ नहीं हआ अब रात के आठ बज रहे थे, और हम डिनर पर बैठे, लेकिन एक बात मेरी समझ में नहीं आ रही थी की मैंने इतना बड़ा सेंटेंस कहा की आंटी में आपको फेंटीसी करता हूँ पर आंटी ने अब तक कुछ नहीं कहा में इस बात पर बहुत हैरान था इसीलिए मैंने ही बात शुरू करना ठीक समझा...
मैं- चाची...?
चाची- हां?
मैं- चाची एक बात पूछनी हे?
चाची- किस बारे में, मैंने अब तक तुमसे फैंटेसी के बारे में पूछा नही, इस बारे मे?
मै तो शॉक ही हो गया। चाची यह देख कर हंस पडी।
चाची: अरे बेटा, इस उम्र में ऐसा बच्चे करते हे। लेकिन मुझे तुम्हारी ऑनेस्टी पसंद आई।
मैं- थैंक्स चाची लेकिन एक बात कहूंगा, आप मुझे अच्छी तरह से समझने लगी हे।
चाची- अच्छा बाबा चलो अब फिनिश करो।
ऐसे कह के चाची ने अपना डिनर फिनिश किया और उठी तो उनके मुँह से आह निकली।
मैं- क्या चाची, अब भी दर्द है?
चाची- हाँ बेटा, अभी डिनर कर के एक और बार मालिश कर देना।
मैं- ठीक है चाची, कहकर मैंने फ़टाफ़ट खाना ख़त्म किया।
इतने में चाची ने भी अपना काम फिनिश किया और मेरी और मुस्कुराई, मैं भी किचन में बर्फ लेने चला गया और बर्फ ले कर चाची के बैडरूम में दाखिल हुआ और देखा तो चाची अपने आप ही पेट के बल लेटी हुई थी। मेरे अंदर आते ही उन्होंने कहा, “रेशु, बेटा अब तक दर्द नहीं गया हे, थोड़ी हार्ड मालिश करो और दर्द और जगह भी है, तो वहॉ भी मालिश कर दो”। मैने ठीक है कहा और चाची के पाँव के पास बैठ गया और बिना पूछे चाची की साड़ी उनकी जांघों तक उठाई और चाची ने मेरे कहने से पहले ही अपने पाँव फैला लिये।
मेरा तो लंड फनफना ने लगा. मैंने बिना बर्फ के ही चाची के थाइस पर हाथ फिराया और फिर बर्फ
हाथ में ले लिया। मैं दोनों हाथों में बर्फ ले कर चाची के जांघों पर बर्फ रगड़ने लगा। चाची को मज़ा आ रहा था लेकिन चाची ने कहा “बेटा रेशु, एक और बात है की चोट मुझे कहीं और लगी है, पता नहीं कैसे कहूं, पर जो है वो है”.
मैं- चाची, बिना कोई झिझक मुझे बताइये।
चाची: मैं बता नहीं पाउँगी।
मैं- अच्छा तो मेरे हाथ वहॉ रख दीजिए जहां दर्द हो रहा है।
फिर उन्होंने अपने दोनों हाथो में मेरे हाथ लिए और अपने पेन्टी पर रख दिये। मेरा तो मन ही नाच उठा। मैंने अपने हाथो से बर्फ छोड़ कर चाची के गांड को पहले तो देखा फिर चाची की साड़ी उठा कर चाची की कमर पर रख दि। अब पूरी पेन्टी मेरे सामने थी।
मैने पहली बार किसी औरत की गांड को छुआ था मैंने अपने दोनों हाथ उनके गांड पर रखा और गोल गोल घुमाया।
मैं- चाची, अगर यहाँ पर बर्फ लगाउंगा तो आपकी यह गीली हो जाएगी, तो क्या आप..?
चाची- नही, नही... रेशु में तेरे सामने कैस, इसे उतार सकती हू?
मैं- अगर आपको शर्म आ रही हो तो में इसे उतार देता हू।
चाची- हाय हाय रेशु, तुम तो बड़े बेशर्म हो रहे हो।
मैं- चाची, में आपके भले के बारे में ही कह रहा हू।
चाची- नही..नही..
मैं- क्या नहीं चाची....नही मैं जरूर लगाउंगा आपको सुबह से दर्द हे और आप बताती भी नही है।
फिर चाची कुछ नहीं बोली, मैंने इसे चाची की इजाज़त मान ली और चाची की पेन्टी पर फिर से हाथ रखकर दोनों हाथों में दबा लिया. चाची अब बस आँखें बंद कर के लेटी रही, कुछ बोल नहीं रही थी। फिर मैंने पेन्टी के अंदर अपने हाथ डाल दिये और चाची की गांड को सहलाने लगा। चाची भी मजे ले रही थी। फिर मैं दोनों हाथों से चाची की गांड को दबाने लगा, चाची के मुँह से आह... ओह की आवाज़ निकलने लगी, मैं जानता था की यह सिसकियां हैं पर मैंने जानबूझ कर कहा,
मैं- देखा चाची, दर्द ज्यादा हो रहा है ना,,आप बस मुझे अपने तरीके से इलाज करने दीजीए।
चाची- अच्छा बाबा, तू ही अपने तरीके से कर दे, वैसे भी तू अच्छा इलाज कर रहा हे...